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Adultery छोटे छोटे कहानियों का संग्रह
#1
हरिया की जोरू

हमेशा की तरह हरिया अपनी जोरू के साथ नदी किनारे घर के मेले कपड़ो को ले कर पहुँचा और बरगद पेड़ के पास देसी महुआ पीने चल पड़ा । हरिया की जोरू सावली कसे बदन की सुडौल औरत थी और उसके चेहरे की बनावट आकर्षक और बदन की काया लड़ सख्त करने वाली थी ।
अमूमन दोपहर के इस समय नदी का किनारा बिल्कुल सुनसान बिरान सा रहता था और आस पास दूर दूर तक बस रेत और कड़कती धूप छलकती रहती थी ।

हरिया की जोरू ने अपनी साड़ी उतार बस पेटीकोट और ब्लाउज पहने मैले कपड़ो को एक पत्थर पर बिगो के रख दिया और सितको साबुन की टिकिया छोटे मटमैले थैली से निकाल वो कपड़ो पर रगड़ने लगी और तेज़ धूप से हरिया की जोरू पसिने से तरबतर योवन छलकती एक अप्सरा सी लगने लगी ।

स्वभाव से भोली भाली देहाती हरिया की जोरू बड़ी मुश्किल उन्नीश बीस की थी और घरवालों ने एक अधेड़ शराबी के पल्ले बांध दिया था और वो अभी तक सपूर्ण योन सुख की समझ भी नहीं बटोर पाई थी ।

उसके स्तन सुडौल और सख्त थे और बिना ब्रा के भी ब्लाउज से चिपक पसिने से निप्पलों की रेखा बनाए हुए थे और झाघो तक उठी उसकी पेटीकोट उसके चिकने बदन को धूप की तपन से जला रहे थे । 

उसकी माँग गहरे लाल सिंदूर से चमक रही थी और गले मे मंगलसूत्र लटक रही थी और भरी भरी चुड़िया हाथों मैं खन खन कर रही थी । एक काले धागे से उसकी कमर कस के बंधी हुई थी और घुघरूओं वाली पायल उसके पाव मैं सजी बड़ी अद्भुत जान पड़ रही थी ।

कपड़ो के अंबार को घिस घिस वो थक सी गई थी और तेज़ गर्मी से परेशान हो उसने नदी के ठंडे पानी मे प्रेवेश किया और धीरे धीरे वो गहरे पानी की और बढ़ने लगी उसका पेटीकोट उठ पानी के सतह पर तैरने लगा और वो झुक अपनी ब्लाउज भिगोती होंठो से हल्के घुट मारती पानी पीती बड़े सुकून का अनुभव करती मछली की तरह पानी मे लहराने लगी और अचानक से सहम कर चारों और देखने लगी और डर की हज़ारो रेखाएं उसके चेहरे पर उभरने लगे ।


वो किनारे की ओर बढ़ने के लिए मुड़ी ही थी कि वो अचानक कोई खिंचाव महसूस करती पानी के भीतर खिंचती चली गई और उसके कोमल हाथों के थपेड़ों से पानी की लहरें उभरने लगी पर बेचारी अथक प्रयास के वावजूद खुद को अनजाने ताकत से छुड़ाने मे बिफल हो गई और पानी के अंदर समा गई ।



कुछ पल को लगा काल ने हरिया की जोरू को निगल लिया हो पर अचानक वो झटके से पानी के ऊपर उछल आई और सुर्ख़ लाल आँखों से डरते चारों और नज़रे दौड़ाती देखने लगी और उसने देखा कि उसका ब्लाउज बदन पर नही है और वो दोनों हाथों से अपने स्तन को छुपाती पानी मैं नज़रे दौड़ाती चारों और घूम घूम देखती रही और कुछ दूर उसे अपना ब्लाउज बहता नज़र आया और वो ब्लाउज की और लपक के पहुँच गई और हाथों से ब्लाउज टटोलने पर जान पाई की ब्लाउज तार तार हो चुकी है और वो पहने के लायक नही बची है और वो दुखी मन से रूवासी हो रोने लगी ।


कमर के इतना पानी मे वो खड़ी अपनी पेटीकोट की डोरी ढील करती ऊपर कर वो अपने स्तन के उभारो के ऊपर गाढ मरती बेचैन नज़रों से चारों और ताकती पर सननाटे और खुद के सिवा कोई और दूर दूर नहीं दिखता और वो वापस बैठ जैसे तैसे कपड़ो को पत्थर पर पटक धोती पास के घासों पर फैला वापस थक हार पत्थर पर बैठ अपनी फटी ब्लाउज देख संचय मे डूब जाती ।


हरिया हमेशा की तरह नदारत महुआ पीते दूर नज़र आता और वो हिंमत करती वापस पानी मे बढ़ने लगती और ठीक उसी जगह वो खड़ी हो के धीरे से बोलती कौन है कोई है क्या मेरी ब्लाउज क्यों फाड़ दी , ऐसे सवाल करती वो खुद के चेहरे को पानी से धोती अपने बदन को मलने लगती की तभी उसकी कमर को जकड़ एक तगड़ा मर्द भारी आवाज़ मे बोलने लगता तू बेबड़े की जोरू है ना और वो सकपकाती पूरी ताकत से खुद को उसके चंगुल से आज़ाद कराने को संघर्ष करने लगती पर वो बस पानी मे लहरे ही बना पाती और थक के शान्त हो जाती और वो मर्द बोल पड़ता है क्या तू हरिया की जोरू है और वो बेबस हो हाँ मे सर हिलाती है और वो उसे नदी के पथरीले मुहाने की और खिंचता चला जाता है ।


पत्थर की बड़ी बड़ी चट्टानों के पास पहुँच वो उसे पत्थर पर दबा बोलता है क्या तू बेबड़े के साथ कुछ कर भी पाती है और उसके स्तनों पर फसे पेटीकोट की डोरी खिंच लेता है और वो अपने हाथों को अपने स्तनों पर रख बेबस पड़ी रहती है ।



उसकी पेटिकोट पानी के ऊपर तैरने लगती है और धीरे धीरे डूबने की कगार पर आ जाती है पर वो उसके पेटिकोट को पकड़ उसके माथें पर डाल पूछता है क्या तेरे मर्द ने कुछ किया तेरे साथ और वो शर्म से पानी पानी होती रो पड़ती है और वो गुस्से से उसके बालों को पकड़ उसको पानी के नीचे डूबा देता है और जानवर की तरह उग्र हो जाता है ।


मेरा नाम विजेंद्र कुमार सिंह है और तू दो कौड़ी की औरत मेरे बराबर खड़ी रहेगी और उसके आँखों मे खून उत्तर आता हैं । वो बालों समेत उसको खिंच तपती रेत पर पटक उसके जिस्म पर सवार हो उसकी टाँगों को खोल झटके से अपना लिंग उसके योनि मे दे मारता है और मुँह पर हाथ लगा उसके चीख को मुँह मे दबा देता है और बेरहम की तरह उसके योवन को तार तार करता लहूलुहान कर देता है और अंतः अपना वीर्य त्याग कर उठ खड़ा हो चलने लगता है ।


वो अधमरी सी बेजान वही ताप्ती रेत पर पड़ी रोती रहती है और सुख जाती है , बड़ी लंबी इंतज़ार के बाद हरिया को पास देख वो फुट फुट रोने लगती है और हरिया अपनी जोरू की हालत देख नसे से बाहर निकल जाता है और अपनी बीवी को अपने लुंगी से ठाक जैसे तैसे उठा कर नदी किनारे पहुँचता है और उसके बदन को धो कर किसी तरह कपड़े पहना अपनी साईकल पर बिठा रूवासे मन से घर मे दाखिल होता है ।


वो बीवी को छोड़ घर से बाहर निकल वापस शराब पीने चल पड़ता है और उसकी जोरू जमीन पर करहाती रोती रहती है और तभी वहीं नदी किनारे वाले मर्द को अपने आँगन मे देख वो डर से काँपने लगती है और वो उसके पास पहुँच बोलता है तू डरती क्या है तुझे रंडी बना के रखूँगा ऐश करेगी अगर मुझे चोदने देगी तोह और ऐसा बोलते उसकी ब्लाउज को खींच फाड़ देता है और सख्त हाथों से स्तनों को मसलने लगता है और वो हाथों को जोड़ उसके पाव छुती गिड़गिड़ाती बोलती है बाबू साहब हम निचे जाती की है हम्हे छोर दीजेए और वो एक थपड़ उसके गाल पर मारते अपने होठों से उसके होंठो को चुसने लगता है और दोनों हाथों से स्तनों को बराबर दबाते लाल कर देता है ।

वो दर्द से छटपटाती अपने हाथों को उसके सर पर रख धकेलने की हिमाक़त दिखती है पर वो उसके होंठो को चुस्ता अपने हाथों से जकड़ बेबस कर देता है और वो थोड़ी देर मे ही हार मान चुपचाप हो जाती है और वो आराम से उसके सुर्ख़ लबों को चुस्ता उठ बोलता है जीभ निकालो और वो जीभ निकाल देती है और वो खिंच उसके जीभ को चुस्ता होंठो को काट खाता है और वो बेजान सी उसकी दासी बन जाती है ।


वो उसके सामने खड़ा हो अपने वस्त्रों को उतार नग्न हो अपने लिंग को हाथों से पकड़ सहलाते बोलता है चल उठ जा और वो डरती हुई दर्द को सीने मे दबाती उठ बैठती है और वो उसके बालों को बेरहमी से पकड़ उसके मासूम चेहरे पर लिंग रगड़ते होंठो पर रख बोलता है मुँह खोल और चूस वो बिना विरोद उसके लिंग को जैसे तैसे चुस्ती है पर वो हवस का पुजारी अपने लिंग को उसके गले तक डाल देता है और वो तड़प उठती है और हाथों से धक्का देने लगती पर वो जैसे है गर्जन से बोलता है वो अपने हाथों को हटा लेती है वो उसके मुख को अपने मोटे लंबे लिंग से चोदने लगता है और थूक की बूंदे उसके लाल पड़े स्तनों पर गिरने लगती है और वो एक लगातार आशू बहाती बेबस सी बैठी रहती है ।



बड़ी देर तक उसके मुख को लिंग से रगड़ वो उसके बालों को पकड़ उसे खड़ा कर साड़ी खिंच देता है और बोल के उससे पेटिकोट खुलवाता है और कच्चे मकान के दीवार पर उसके चेहरे को दबा उसके पीछे खड़ा हो बोलता है चल अपनी गाँड बाहर निकाल और झुक जा वो ऐसी किसी क्रिया से अनजान बिना समझ गाँड निकलती है पर मन मुताबिक न होने के कारण वो उसके गाँड पर थपड़ जड़ खुद उसके कमर को पकड़ अपने लिंग के लिए बाहर की और खिंचता रोब से बोलता है ऐसे ही खड़ी रह और अपने लिंग को उसके सख्त चुत पर टिका एक झटके से अंदर करता है और वो चीख पड़ती है और वो उसके गले को दबाते बोलता है अगर एक आवाज़ निकली तोह तुझे काट डालूंगा और वो सहम अपने दाँतो को दाँतो से दबा उसके लिंग की पीड़ा को सहती रहती है और वो कंधे को पकड़ झटके मारता उसकी चुत चोदते चोदते पसिने से भीग जाता है और अपने वीर्य को उसके चुत की गहराइयों मे निकाल अलग हो बोलता है फिर आऊँगा त्यार रहना और कपड़े पहन निकल जाता है ।


वो अपने पेटिकोट से उसके वीर्य को पोछ किसी तरह कपड़े पहन लेट जाती है और गहरी नींद मे सो जाती है ।



उसकी आँख खुलती है जब ये उसके स्तनों को सहलाता है और वो डिबिया की रोशनी मे इसे देख सहम जाती है , हरिया वहीं दरवाज़े के बाहर चटाई पर खराटे मारता सो रहा होता है और ये इशारे से इसे निर्वस्त्र होने को कहता है वो बिना किसी विरोद खड़ी हो जाती है और अपने जिस्म से ब्लाउज उतार देती है और साड़ी उतार पेटिकोट खोल पलकें झुका के खड़ी हो जाती है, डीबीए की लो से इसका योवन दमकने लगता है और वो इशारे से उसे पास बुला कर होंठो को चूम स्तनों को सहलाता है और उसके हाथों को अपने गर्दन पर लिपट लेता है और बिना किसी रोब के वो प्यार से उसके जिस्म को सहलाता है और काफी देर तक खेलने के बाद वो उसके चुत पर हाथ फेरते बोलता है वाह तुझे मज़ा आ रहा है और वो शर्मा जाती है पर वो उसके गालों को दबा अपने पास खिंच बोलता है क्या तुझे मज़ा आ रहा है वो लजाती आँखे चुराने लगती है पर उसके हाथों तले गालो की पकड़ तेज़ होते ही वो बुदबुदाती है हाँ मुझे मज़ा आ रहा है और वो उसके गाल को छोड़ कंधे से दबा उसको जमीन पर बिठा देता है और कहता है उतार मेरी पैंट और चूस के खड़ा कर दे और वो उसके पैंट को उतार उसके लड़ को चुसने लगती है और दोपहर से ज़्यादा अच्छे तरीके से उसके लिंग को चूसती वो अपने गर्म जिस्म की प्यास बताने लगती है ।


वो बिना बालों को पकड़े गले तक लिंग डाल मुँह चोदता है पर वो उफ्फ नही करती और साथ देती रहती है और वो उसे खड़ा कर गोद मे उठा चाँदनी रात मे आँगन मे ले जाता है और जमीन पर कुतिया बना अपने लिंग को झटके से डाल देता है पर वो एक आवाज़ नही करती और वो बेताहाशा उसको चोदने लगता है ।




हरिया आँखे मलता उठ बैठ जाता है पर जैसे ये बोलता है सो जा चुतिये वो मुँह घुमा लेट जाता है और अपने लिंग को गहराईयो मे डाल कर चोदते इसके योवन को भिगो देता है और वो खुद पानी छोड़ती हाँफने लगती है और इसका लिंग निकलते है वहीं निढ़ाल लेट जाती है और ये पास पड़े खटिये पर लेट बोलता है उठ के धोकर आ जल्दी और पानी पिला ।




शारीरिक भोग का सुख मेमसूस करने के पश्चात वो फुर्ती से खुद को वहीं आँगन के किनारे साफ करती है और लोटे मे जल ला कर देती है और वो उठ इसको गोद मे बिठा जल पी कर अपने ऊपर लेटा आराम करने लगता है पर वो बाबली इसके लिंग को सहलाने लगती है और खुद रांड बन जाती है ।

समाप्त
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#2
Waahhh
Superb
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#3
Waiting For More
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#4
Nice Quicker
Love You Guys
LOLO
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#5
पत्नी का सरप्राइज

बीते सात सालों से अनुराग और मधु वैवाहिक बंधन मे बंधे हँसी खुशी जीवन यापन कर रहे थे । मधु एक गदरायी गोरी जिस्म की बेहद आकर्षक और हँसमुख औरत है और अपने पति की बेहद चहिती ओर हो भी क्यों न बीते इतने बरसों मे उसने अनुराग के साथ कदम से कदम मिला कर परिवार को सम्हाली हुई है । संयुक्त परिवार मे घुल मिल कर रहने से मधु को समस्त परिवार से बेहद स्नेह और प्यार मिलता ।


मधु अक्सर देर तक घर के सारे काम खत्म कर बैडरूम मे आती और अनुराग बेसब्र की तरह मधु की राह तकता , मधु आते है दरवाज़े को बंद कर अपने चेहरे को फेसवाश से धोती और अनुराग के सामने वो साड़ी उतार फर्श पर फेंक देती और अनुराग के करीब खड़ी हो पीठ दिखा कर ब्लाउज के डोरी को खोलने बोलती ओर अनुराग बड़े मज़े से मधु की ब्लाउज पीछे से खोलता और उसके पसिने से भीगे बदन को सहलाता और मधु कामुक्ता के बसीभूत होने लगती और झट पट ब्लाउज उतार अपनी ब्रा खोल अनुराग को देख मुश्कुराते अपनी पेटिकोट खोल के अलमारी मैं पड़ी हल्के लाल रंग की पारदर्शी वस्त्र पहन लेती है और दिन भर की कामकाज से गंदी हुई पैंटी उतार कर अनुराग के पास उछाल देती है और अनुराग पैंटी सूँघता है और मधु अनुराग के पास बैठ जाती है ।



अनुराग रसिया पति के साथ साथ अजीबोगरीब शौक वाला मर्द है जो मधु को अपने कामुक्ता की आग मे तपा कर इतने बरसों मे संस्कारी औरत से मनचली बना चुका है और मधु हर रात अनुराग के लिए वो सब करती है जो उसे चाहिए होता ।


अनुराग गहरी सासों से मधु की पैंटी सूँघता उसके झाघो को सहलाता है और मधु झुक कर अनुराग को अपने स्तनों के दर्शन करवाते खुद अपनी हाथों से दबाती है और अनुराग को हवस भरी आँखों से देखती है और मधु खड़ी हो कर मुड़ जाती है और अनुराग के आँखों के सामने आगे को झुक कर अपनी गाँड दिखाती और हाथों से गाँड के गोलाइ खिंच कर अपनी अवस्ता मे रहती है और अनुराग उँगलियों को फेरता मधु के गाँड की दरारों पर अपने स्पर्श करता चुत तक जाता है और उसके चुत की फूली हुई होंठो को दबाता और पैंटी से चुत की खुशबू लेता एक उँगली डाल मधु के बेताब चुत को सहलाता और चिप चिप करती चुत से निकली मधु के तपते योवन का रस उँगली से चूस गाँड के छेद मे डाल देता है और मधु की आह फुट पड़ती है और वो अपनी आँखों को मूंदे अनुराग के लिंग को मचल सी जाती है ।


अनुराग थोड़ी देर मधु से खेलता है और गाँड के अंदर से उँगली निकाल चुसने लगता है और मधु खड़े हो के अनुराग को देखते अपनी पारदर्शी वस्त्र के ऊपर से अपनी कड़क निपल्लों को सहलाती होंठो को दाँतो तले दबाती अनुराग को रिझाती है और अनुराग बिस्तर पर मधु के चुत की खुशबू का नशा करता अपने लड़ के उभार को सहलता है ।

अनुराग अपने जीभ से मधु के पैंटी को चाट मुँह मैं पैंटी फ़सा कर अपने हाथों को बिस्तर के ऊपर कर लेता है और मधु झुक के अनुराग के बनयान मैं हाथ डाल उसके सीने के बालों को सहलाती है और बगल मे बैठ उसके बनयान को ऊपर उठा कर अनुराग के निप्पलों को उँगलियों से मसलने लगती है और अनुराग आँखे बूंद आहे भरने लगता है और मधु उसके निप्पल्स को मुँह मे ले चुसने लगती है और अपने दूसरे हाथ को उसके उभारो पर फेरती रहती है ।



दोनों बिना बोले एक दूसरे की इच्छा को भलीभांति जानते है और नित्य क्रिया करती मधु अपने सुहाग की वासना के इच्छा अनुसार हर वो चीज़ करती है जो अनुराग को पसंद होता है और इतने बरसों के साथ कि वज़ह से मधु खुद को समर्पित भाव से अनुराग की बिस्तर की इच्छा पूरी करती है ।



मधु पैंट के इलास्टिक के अंदर अपने कोमल हाथों से अनुराग के सख्त लिंग को पकड़ सहलाने लगती है और अनुराग के निप्पलों को बड़े प्यार से चुस्ती है और थोड़ी देर के बाद बिस्तर पर उठ अनुराग के जिस्म के ऊपर टाँगे खोल खड़ी हो जाती है और उसके चेहरे पर अपनी चुत लगा कर दीवार पर हाथों को लगा देती है और अनुराग जीभ फेरता मधु के चुत को चाटने लगता है और तेज़ सासों से मधु की झांटो से उसके योवन का नशा करने लगता है और धीरे से मधु के स्तनों को जालीदार वस्त्र के ऊपर से सहलाने लगता है , मधु की जवानी मेहकने लगती है और उसके होंठ सूखने लगते है आँखे कमुक हो लाल हो जाती है और वो कमर हिला कर अनुराग के होंठो पर अपनी चुत रगड़ने लगती है ।



बड़े शौक से अनुराग अपनी पत्नी के चुत को योवन और हवस का आग से गीला कर देता है और मधु की सासों को बेकाबू करते उसके स्तनों को बड़े जोर से दबाता और मधु हल्के हल्के कामुक्ता के स्वर से कमरे को वासना बिभोर कर देती है और अनुराग के चेहरे पर अपनी चुत के रस को बिखेर देती है । अनुराग उसके स्तनों पर चिट्कोरी लगता है और मधु पलट कर अनुराग के चेहरे पर बैठ जाती है और आपने हाथों को अनुराग के पेट पर दबाती चुत ऊपर कर लेती है और अनुराग जीभ हिलाता मधु के चुत का रस चाट खाने लगता है और वो मधु के लंबे बालों के जुड़े को खोल अपने चेहरे पर फैला लेता है और मधु झुक कर अनुराग के उभार पर होंठो को रख उसके पैंट को नीचे सरकाती है और उसके कड़क लिंग को चूम जीभ से चाटने लगती है ।



मधु लड़ के चमड़े को खींच नीचे उतार कर बस लड़ के गुलाबी हिस्से को चुस्ती है और आपने हाथों से अनुराग के सख्त अण्डों को सहलाती है । अनुराग आनन्दमयी अवस्ता पर पहुँच जाता है और धीरे से बोलता है मेरी जान कब मुझे अपनी इस चुत से किसी गैर मर्द का रस चटवाओगी और मधु उसके लड़ को हाथों मैं पकड़ सिसकी लेती कहती है कब तक आप यू मुझे गंदे काम करने को बोलते रहोगे और अनुराग अपनी बीवी को अपने गंदे बातों से उकसाता बोलता है बस एक बार किसी का वीर्य चटवा दो मधु अपने इस चुत से फिर और कोई इच्छा न रहेगी ।


मधु बरसों से अनुराग की ये बातें सुन आज भी बोलती है मेरे लिए बस आपका लड़ काफी है और ज़ोर से चुसने लगती है और अनुराग अपने गंदे बातो को सिसकी लेता बकते रहता और मधु उठ कर अनुराग के लिंग पर बैठ जाती है और झुक कर होंठो को मिला चूमने लगती है और अनुराग बड़े गर्म अंदाज़ मे मधु की गाँड पकड़ नीचे से धक्कों की बारिश करने लगता है और दोनों एक दुज़े से चिपक हवस की आंधी मे खोने लगते है और मधु तृप्त हो अनुराग के लिंग को अपने योवन के रस से सराबोर कर देती है और अनुराग अपनी बीवी को बिस्तर पर पटक ऊपर चढ़ लिंग को योनि पर रगड़ते बोलता है बस मेरी जान एक बार मुझे अपने इस चुत से वीर्य पान करा दे कहता वो मधु के टाँगों को हाथों से फैला चोदने लगता है और मधु आँखे मूंदे योन सुख लेती झटकों के साथ अपनी बड़ी बडी स्तनों को हिलते महसूस करती वापस चर्मसुख को प्राप्त कर लेती है और थोड़े पल बाद अनुराग अपने वीर्य से मधु की चुत सराबोर कर उसके बदन से चिपक हाँफने लगता है और मधु अपने हाथों से अपने पति को पकड़ कर संतुष्ट भाव से सहलाती है और दोनों थक हार निन्द्रा के आगोश मे चले जाते है ।



हर रात दोनो यू ही योवन का रसपान करते सहवास का सुख लेते गन्दी बातों से उतेजित होते रहते पर साल के इस माह मधु मायके जाती और अनुराग एक माह मुरझाये फूलों सा समय बिताता ठीक वैसे ही जैसे बीते सात बरसों से बिता रहा होता । इस वर्ष भी अनुराग अपनी धर्मपत्नी को मायके पहुँचा दुखी मन लिए वापस आ गया था और घंटो मधु से गन्दी बातें करते किसी तरह अपने लिंग से वीर्य निकाल जी रहा था । मधु भी बेहाल ही रहती बिना अनुराग के क्योंकि अनुराग ने मधु को अपने हिसाब से ऐसा बना दिया था कि मधु लड़ लिए बिना सो नहीं पाती और अनुराग गंदी बाते कर मधु को हर रात अपनी चुत सहलाने को उकसा गैर मर्दों की बातें कर शान्त करता और मधु झड़ कर सुकून से सोती ।



बरसात के मौसम मे यू पति पत्नी की जुदाई बड़ी घातक होती है और एक दुज़े के बिना बिस्तर काटे के समान जान पड़ता ।


मधु को गए एक हफ्ता ही बिता था कि आम दिन की तरह अनुराग मायूस ऑफिस मे बैठा काम कर रहा था और तभी मधु का कॉल आया यू बेवक्त मधु के कॉल से अनुराग चिंतित हो गया और घबराए स्वर मे बोला सब ठीक है ना, मधु हँसते हुए बोली जी सब बढ़िया है आप खा मखा डरते रहते और अनुराग के डर को शान्त करने के पश्चात बोलती है आप क्या मिलने आ सकते है और अनुराग कहता कुछ बिशेष बात तभी मधु हँसते बोलती है बस आ जाईये न प्लीज और अनुराग हाँ बोल देता है और अपने मालिक से अनुमति ले घर पहुँच नाहा धो कर दो जोड़ी कपड़े ले बाइक स्टार्ट कर ससुराल की और निकल पड़ता है जो पूरे तीन घंटे की लंबी राह है ।


अनुराग मन है मन सहवास और मधु के बारे मे सोचता बड़े आराम से चलता रहता और बीच बीच मैं रुक अपनी कमर सीधे करता और जब महज़ ससुराल और मधु से दूरी आधे घंटे की बाकी रहती वो रुक कर अपना मोबाइल देखने लगता है जिसमें मधु ने लोकेशन शेयर करी होती है और अनुराग गूगल मैप पर वो लोकेशन डाल चल पड़ता है ।



चालीस मिनट चलने के बाद शाम शाम को वो मधु के दिये लिकाशन पर रुकता है जो एक नदी के किनारे बड़े से बरगद पेड़ के पास की रहती है और वो गाड़ी से उतर मधु को फ़ोन मिलाता है और मधु कहती है रुकिए दस मिनट मे आई और अनुराग नज़रे घुमा चारों और देखता है तोह बस घने जंगल और सन्नाटे के सिवा बस चिड़ियों की चहचहाट के सिवा और कुछ नही दिखता ।



अनुराग बड़े शान्त मन से मधु की राह तकते रहता और बार बार चारों तरफ नज़रे दौड़ाता रहता पर हर बार उसे सन्नाटे के सिवा कुछ नज़र नही आता और अचानक उसे पीले साड़ी मे मधु नज़र आती है और वो चैन की सास लेता मधु को घूरता रहता और मधु पास आते ही अनुराग के हाथो को पकड़ उसे पेड़ के बड़े जड़ पर बिठा देती है और अपनी साड़ी उठा कर उसके मुँह को अपनी चुत पर चिपका कहती है चख कर बताइए न कैसा है और अनुराग अशमंजस मैं पड़ मधु के चुत को चाटने लगता है और उसे एहसास होते पल भर नही लगता कि मधु की चुत वीर्य से भरी पड़ी है और वो मधु के कमर को ज़ोर से पकड़ बड़े चाव से वीर्य चाटने लगता है और मधु अपने हाथों से अनुराग के बालो को पकड़ चुत चटवाती रहती है और आधे घंटे तक दोनों बस चुप चाप से रहते है और अनुराग चुत की गहराई तक जीभ डाल मधु के चुत से एक एक बूँद वीर्य चट कर उसके झाघो पर बहे वीर्य के बूंदों को चाट साड़ी के नीचे से निकल उठ खड़ा होता है और मधु को चूमने लगता है और मधु अपने पति को बाहों मैं जकड़ लिपट जाती है और अनुराग बड़े मासूम अंदाज़ मे बोलता हैं आखिर मेरी बीवी ने मेरी मुराद पूर्ण कर दी और मधु शर्मा के कहती है बस आप यही रुकिए मैं आती हु और वो वापस जंगल के झाड़ियों मे अंधेरे मे खो जाती है और अनुराग सख्त लड़ लिए वहीं खड़ा विचारहीन हो जाता है ।


करीब घंटे भर से अनुराग राह तकता एक जैसा खड़ा रहता है और उसके मस्तिष्क मे कोई ख्याल नहीं न कोई चिंता न कोई सवाल बस वो उस रास्ते को घूरता जहाँ मधु गई और गायब हो गई थी ।


दो घंटे के बाद मधु धीरे धीरे आती दिखती है ,चारों और अंधेरा फैला हुआ होता है पर अनुराग पीले साड़ी की परछाई को देख समझता है कि मधु आ गई है और वो पहले से पेड़ की जड़ पर आ बैठ जाता है और मधु करिब आ कर साड़ी उठा देती है और अनुराग भूखे कुत्ते की तरह लप लप करता मधु के चुत से वीर्य चाट खाने लगता है और मधु हल्की आहे भर्ती अपनी वीर्य से भरी चुत चटवाती थोड़ी कमुक हो जाती है और हल्के सिसकियों को भरने लगती है और एक लंबे मेहनत के बाद अनुराग वापस से मधु के चुत से वीर्य चट कर उठ खड़ा होता है और मधु के होंठो को बेताहाशा चूमने लगता है और मधु उसके लिंग को सहलाने लगती है और नीचे बैठ अनुराग की पैंट खोल लड़ को चुसने के लिए जैसे ही मुँह मे डालती है अनुराग का वीर्य बह उठता हैं और वो मधु के सर को पकड़ हल्के झटके मार ठंडा पड़ जाता है और मधु अपने पति के वीर्य को गटक कर उसके लबों को चूम कहती है क्या आपको इतना मज़ा आया जी और अनुराग हाँ बोलता मधु के साथ ससुराल की ओर चल पड़ता है ।

समाप्त
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#6
रास्ते का सफर

रोज की तरह सरला ऑफिस के बाद भीड़ वाली बस पर सवार होती है और किसी तरह अजनबियों के बदन पर अपनी जिस्म को रगड़ते बीच बस मे आ पहुँचती है और धीरे धीरे वो बस के पिछले भाग मे पहुँच जाती है और बस मे झूलते हैंडल को पकड़ लेती है । हमेशा की तरह आज भी भीड़ हद से ज़्यादा रहती है पर आज वो बस के हिचकोले से बची हुई होती है क्योंकि आज वो लगभग दो मर्दों के बीच फसी खड़ी रहती है ।

सरला का सफर एक घंटे का होता है और दिन भर दफ़्तर मे काम कर वो थक के चूर हो जाती है और आँखे बूंदे बस घर पहुँचने की राह तकती रहती है ।

सरला एक शादी सुधा गदराई बेहद आकर्षक औरत है और उसके बदन पर दो बहुत बड़े बड़े स्तनों का भार है और पीछे गाँड की चौड़ाई देख अक्सर मर्द का लड़ हिचकोले मारने लगता है ।


उसका ब्लाउज गहरे गले वाला है जो उसके बड़े बड़े मस्त रासिले स्तनों के दरार को खुले भाव से देख पाना बड़ा ही सरल है और वो मर्दो के गन्दी नज़रों की आदि ही चुकी है । उसका माँग भरा हुआ उसके ओपन एकाउंट का प्रमाण है और दफ्तर मैं कई भवरे उसको चुसने के लिए मेहनत करते रहते है पर वो सबसे बचती रहती है ।


बस का पिछला हिस्सा लगभग अंधेरे से भरा और मुरझाये अधेड़ों से भरा रहता है और सरला उनके बीच खुद को सुरक्षित मानती है पर आज वो एक लंबे चौड़े मर्द के आगे खड़ी है और उसके आगे एक और मर्द खड़ा है और वो भीड़ के वज़ह से दोनों के बदन से टकराव को रोखने मे असफल है ।


सरला सिहर के मचल जाती है जब पीछे से वो मर्द सरला के खुले कमर पर अपनी हाथ रख धीरे से सहलता है और वो अजीब आनंद का अनुभव करती आँखे मुंद लेती है और उस मर्द का हाथ निर्विरोद सरला के नाभि तक जा पहुँचता है और वो हल्का खिंचाव महसूस करती अपने बदन को उसके जिस्म पर चिपकते एहसास से रोमांचित हो उठती है और वो सरला के यू चुप रहने का फ़ायदा उठा अपने हाथ को साड़ी के पल्लू के नीचे से उसके स्तन पर रख देता है और दूसरे हाथ को कमर पर रख आराम से उसके स्तन को सहलाने लगता है और अपने कड़क लिंग को सरला के कमर पर दबाने लगता है ।



सरला शर्मा के पानी पानी हो जाती है पर वो धीरज धरती चुपचाप खड़ी रहती है और उस अजनबी मर्द को अपने गदराई योवन से खेलने देती है । वो मर्द बड़े आराम से सरला के ब्लाउज के अंदर हाथ डाल देता है और उसके निप्पलों को सहलाने लगता है और सरला रोमांच से भर जाती है और उसके निप्पलों पर तनाव उभर जाता है ।

वो मर्द अब बड़े आराम से सरला के दोनों स्तनों को दबाता है और खुद के लिंग को कमर पर दबाते अपने आनंद का इज़हार करता है । करिब पाँच दस मिनट वो सरला के बड़े चुचियों को मसलता है और फिर एक हाथ से अपना ज़िप खोल लिंग बाहर निकाल देता है और लिंग से सरला के कमर पर रगड़ मारने लगता है और सरला चौक जाती है पर वो बिना किसी भय से सरला के चुपचाप होने का फायदा उठाता रहता है मानो वो समझ रहा होता कि सरला उसके साथ आनंद ले रही हो और वो अपने हाथ को सरला के हाथ पर रख नीचे कर अपने लड़ पर रख देता है और वापस दोनों चुचियों को सहलाने लगता है ।



सरला डरी सहमी शर्म से उसके लिंग को छूती है पर जल्दी ही उसका मोटा लंबा लिंग सरला के हाथों मैं जकड़ जाती है ओर वो आगे पीछे हो लिंग हिलाते रहता है मानो वो सरला को चोद रहा हो । बस के भीड़ मे चारों और कोई नज़र नही जान पाती की यहाँ कुछ हो भी रहा है और सरला उसके कड़क लिंग को मुठी मैं भरे अपने चिकने कमर पर घिसने देती है और अपने स्तनों को मसलवाती लंबी साँसे भरने लगती है मानो उसकी चुत बेताब हो गिली हो रहीं है और ठीक उसके पड़ाव आने से पहले मर्द का वीर्य सरला के कमर पर गिरने लगता है और वो हल्का आनंद देती उसके लिंग को हिला देती है और सारा वीर्य उसके साड़ी के गांठ पर बह कर जमा हो जाती है और वो अपने हाथ से लिंग छोर खड़ी हो जाती है ।


उस मर्द के वीर्य त्याग के बाद वो अपना लिंग पैंट मे डाल लेता है और सरला अपनी पल्लू से कमर थक कर भीड़ से खुद के जवानी को रगड़ती आगे की और चलने लगती है । सरला का भाव चुदासी जान पड़ता है और वो अपने पड़ाव पर उतर कर बिना बस की और देखे अपनी गली पर चल पड़ती है ।



एक अजनबी मर्द का वीर्य साड़ी के गांठ पर महसूस करती वो चलती इतनी गर्म हो जाती है कि उसके कदम तेज़ हो जाते है और वो घर पहुँच सीधे बाथरूम जा के अपनी साड़ी उठा अपने योनि को रगड़ने लगती है और दूसरे हाथ से उसका वीर्य चाटती वो झड़ कर शांत होती है और उस अजनबी का वीर्य चाट लेती है ।


समाप्त
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#7
Keep updating
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#8
ज़िमेदार अनु

समस्त रिस्तेदारों और सुभचिंतको से निराश हो अनु अत्यंत परेशान हो कर रोती माँ को तड़पते देख समझ नहीं पा रही थी कि वो करे तोह क्या करे कैसे अपनी बीमार माँ के लिए पैसे लाए और घर का एक एक सामान बिक चुका था और घर की माली हालत दैनिय थी और ऐसे मैं अनु बाली उम्र मैं क्या करें ये सोच सोच निराशा के अंधेरे मैं घिरी पड़ी थी ।


माता जी के इलाज मैं ढेर सारे पैसे की ज़रूरत थी और कोई साथ न दे रहा था ऐसे मैं अनु अपने कमरे मे बैठी थी और माँ बगल मे दर्द से करहाती अनु को दुखी देख रोती बोल रही थी बेटी मेरी चिंता न कर मैं तोह बस ये सोच रही मेरे बाद तू कैसे रहेगी अकेली और सुबकने लगती और अनु भी मॉ से लिपट रोने लगती ।


कहते है ना घोर अंधकार मे भी प्रकाश की एक किरण हमेशा चमकती है और ऐसा ही हुआ अनु की नज़र कोने मैं पड़ी पम्प्लेट पर पड़ी और वो आँखों से आँसू पोछ अपने दुपटे को ले उठ खड़ी होती तेज़ कदमों से घर से निकल चलने लगी ओर एक बड़े आलीशान हवेली जैसे मकान के पास पहुँच अंदर दाखिल हुईं और किस्मत से वसंत खान की नज़र दुःखयारी अनु पर पड़ी और इशारे से उसने दरबान को उसे लाने को बोला और अनु एक पल मे है उत्साहित होती वसंत के चरणों को पकड़ रोने लगी और वसंत खान की बेगम साजिया बीवी ने अनु को उठाया और पानी देती उसका ढाढस बढ़ाते बोली क्या बात है बेटी और अनु ने अपनी पूरी ब्यथा कह सुनाई और वसंत खान ने तेज़ आवाज़ से अब्दुल अब्दुल पुकारा और अब्दुल वहाँ पहुँचा और वसंत खान के कहने पर फ़ोन निकाल एम्बुलेंस को बुलवाया और साजिया बीवी ने अनु को अब्दुल के साथ भेझा और अब्दुल ने माता जी को एम्बुलेंस से एक निजी हॉस्पिटल मे दाखिला करवा अनु से बोला बहन चिन्ता मत करो अब माता जी बिल्कुल स्वस्थ हो जाएंगी और अनु भगवान का सुक्र कर माँ के साथ साथ रही और डॉक्टरों ने माँ को एडमिट कर इलाज़ शूरू कर दिया और अनु वहीं बाहर बैठी रही ।


शाम के समय हॉस्पिटल के नियमअनुसार अनु को घर लौटना पड़ा और वो घर आ कर वसंत खान को दिल से धन्यवाद करती रही और घर के चबूतरे पर रासन का सामान पड़ा देख वो भावविभोर हो गई । माँ के बिना अकेले अनु रात भर सो न सकी और सुबह नहा धोकर हॉस्पिटल पहुँची और माँ के प्रसंचित चेहरे को देख बड़ी खुशी से उनसे जा लिपटी और माँ ने प्यार से बेटी के सर को दुलार से सहलाया और माँ को सब बातें बताई और माँ हाथ जोड़ वसंत खान को धन्यवाद करने लगी ।


अब्दुल रोजाना माँ के स्वास्थ्य को देखने आता और ताज़े फल रख जाता ऐसे करते पंद्रह दिनों बाद अनु की माँ बिल्कुल स्वस्थ हो गई और घर पहुँची और अनु ने हाथों से खाना खिला कर वसंत खान को धन्यवाद करने निकल पड़ी ।



अनु को देखते साजिया बीवी ने बड़े आदर के साथ अनु को गले लगाया और वसंत खान के पैरों को छू कर अनु ने अपना आभार ब्यक्त किया और फिर वसंत खान के पूछने पर अनु ने बताया वो बी.ए पास है और वसंत ने अपने कारखाने मे अनु को नौकरी दे दी और अनु सारी दुनिया की खुशियाँ झोली मे बटोर माँ को बताई और माता जी बेटी को सीने से लगा खुशी से रो पड़ी ।

अनु इकिश साल की एक सावली सलोनी कड़क चुचे गोल गाँड और कातिल निगाहें वाली अनचुवी लड़की है जिसका अधिकांश समय माँ के बिगड़े तबियत और पढ़ाई मे गुज़रा , गरिबी के मार से त्रस्त रही ।

वसंत खान कई बड़े बड़े कारखानों का मालिक है और दबंग रोबदार व्यक्तित्व वाला होने के साथ नेक दिल और भोगविलसी है ।


अनु पुरी मेहन्त से लेख जोख का काम करती और कुछ ही महीनों मे वो अपने तेज़ दिमाग से उनत्ति करने लगी और वसंत खान उसके लगन और मेहनत को देख उसके कष्टदायक ज़िंदगी को आरामदायक बनाने लगा और टूटी फूटी मकान को एक नए घर का रूप मिला और अब मोहल्ले मे उसकी माँ रोब से घूमती और बड़े शान से रहती ।


बरसात की रात थी जब अनु ने अपने हर एहसान को चुपचाप रह कर चुकाया , मानो वो खुद फना होना चाहती हो ।
वसंत खान हल्के नशे मे अनु के घर के बाहर दस्तक दिया और गहरे नींद मे सोती माता जी को पता नही चला और अनु ने दरवाज़ा खोला और चढ़े आँखों मे झांकी और गीले बदन से तरबतर वसंत खान को सहारा देती अपने कमरे मे ले गई और वसंत खान अनु के तंग कपड़ो को घूरते खिंच बाहों मे जकड़ कर ज़बरदस्ती चूमने लगा और अनु कौंधती बोली मालिक दरवाज़ा बंद कर के आती हुँ और वो दरवाज़े को बंद कर माँ के दरवाज़े तक जा के देखी और उनके दरवाज़े को खींच बंद करके अपने कमरे मे दरवाज़े को बंद करती वसंत के सामने खड़ी हो गई और वसंत हवस भरी आँखों से अनु के जिस्म को देखता हाथ बढ़ा उसे दबोच कर चूमने लगा और अपने हाथों से उसके छोटे छोटे स्तनों को मसलते बोला तू बड़ी समझदार तेज़ दिमाग वाली छोरी है और एक झटके मे अनु के तंग कपड़ों को खींच फाड़ दिया और अनु के बदन पर बस एक गहरे गुलाबी रंग की पैंटी ही उसके योवन के अन्छुवे गुलाबी कोमल सुर्ख़ छिद्र को छुपाए हुए थी और अनु निर्विरोद अपनी कोमल जवानी वसंत के हाथों मैं सौपी खड़ी थी ।



वसंत अय्याश किस्म का मर्द था जिसने न जाने कितने लड़कियों औरतों को अपने हवस का आग मे जलाया था और कई बेबस आज भी उसकी रखेल बन उसके टुकड़ो पर जी रही थी और वसंत ने अनु को खींच अपने बदन पर दबा कर उसके छोटे छोटे चुतरो को दबाया और बदबूदार शराबी मुँह से लगा होंठो को चुसने लगा और अनु कस्मसाती वसंत का साथ देने लगी और वो भूखे भेड़िये की तरह अनु को बिस्तर पर पटक अपने जिस्म के नीचे रख चढ़ कर बेताहाशा चूमने चाटने लगा और अनु भी स्वेच्छा से खुद को समर्पित कर देने की वजह से प्रथम मर्द के स्पर्श से जलने लगी और आनंद लेने लगी जिस वजह से वसंत खुल कर अनु के जवां जिस्म को मन मुताबिक लूटने लगा और अनु के निप्पलों मैं तनाव उभर गया और उसकी पैंटी खुद के जिस्म की आग से तड़प गिली हो गई और वो करहाने लगी मानो वो वसंत के हवस मैं खुद को झोंक कर तृप्त होना चाहती हो ।



वसंत ने अनु के नाज़ुक झाघो पर अपना गाँड टिक कर बैठ गया और वो मर्द के बोझ से तड़पती चुपचाप लेटी रही और वसंत ने अपनी शर्ट उतार फेकी और वापस अनु के ऊपर सवार हो गया ।अच्छी तरह अनु के जिस्म को चूस चाट के वसंत बिस्तर पर लेट गया और अनु के हाथों को अपने पैंट पर रख बोला ज़रा दिल लगा के चूस दे और अनु ने वसंत के पैंट को धीरे धीरे पूरी तरह उतार कर उसके अंडरवियर को खिंचा और वसंत के लंबे मोटे कड़क लिंग को देखती रह गई मनो वो सहम सी गई हो और वसंत ने अनु के पीठ को सहलाते बोला पसंद आया न और अनु झेंपती उसके अंडरवियर को उतार कर हाथों मे उसके लड़ को पकड़ जैसे तैसे चुसने लगी पर वसंत को लड़ चुसवाने का बड़ा शौक रहता है तोह उसने अनु को रोकते बोला मुँह मे ले कर अच्छी तरह चुसो जैसे कि लॉलीपॉप हो और अनु वैसे ही उसके लड़ को चुसने लगी और न जाने थोड़ी देर मैं ही वो वसंत को करहाने पर मजबूर करती ऐसा चुसने लगी कि वसंत खुशी से झूमते बोला वाह क्या चुस्ती है अनु तुम और उसके सर को लड़ पर दबाते सपूर्ण लिंग चुसवाने लगा और अनु ने वसंत को खुश देख दिल खोल उसके लड़ का सेवा करने लगी और वो मुख चोदते अनु के हलक तक लड़ डालता मज़े लेने लगा ।


जी भर लड़ चुस्वा के वसंत ने अनु को रोकते हुए अपने जिस्म पर लेटा कर होंठो को चुसते हुए उसके कमर पर हाथ फेरते उसकी पैंटी उतारते बोला उठ कर पूरा खोलो अनु और मेरे मुँह पर चुत लगा कर बैठो ,अनु को अजीब लगा पर वो वैसा ही कि जैसा वसंत ने बोला और जैसे है अनु की गुलाबी हल्की झांटो वाली गिली चुत वसंत के होठो पर पड़ी और उसने जीभ फेरा अनु बाबली होती अहह करती चुत के रस से वसंत के पूरे चेहरे को भिगोती हाँफने लगी और वसंत लप लप करता चाटने लगा और अनु इस एहसास से इतनी खुश हुई कि वो खुद के स्तनों को सहलाने लगी और वसंत ने उसके कोमल चुत को पहले मुखमैथुन का सुख दे अनु को अपनी रखैल बना लिया और अनु के रोम रोम मे बिजली कौंधने लगी और उसकी सिशकिया कमरे मे फैलती चली गयी ।



वसंत ने जब अनु को पूरी तरह हवस मे अंधा कर दिया तब वो उठ उसे बिस्तर पर लेटाकर उसके टाँगों को फ़ैलाते बोला दर्द सहना पड़ेगा तुझे और अनु आँखों मे हवस की बहार भरे बोली सह लूँगी और वसंत ने लिंग को उसके चुत के मुहाने घिसते बोला कैसा लग रहा है अनु और अनु काँपते होठो से शर्माती बोली अजीब मज़ा आ रहा है मालिक और वसंत ने उसके चुचियों को हाथों मे भरते हुए धीरे से धक्का मारते अपने लिंग के ऊपरी भाग को उसके कोमल अन्छुवे छेद मे डाला और को करहाती रो पड़ी पर वसंत के सुख के लिए बिना नख़रे किये पड़ी रही और वसंत ने दो चार झटकों के सहारे अनु की चुत को फाड़ता बच्चेदानी तक वार कर दिया और अनु दर्द से बोखलाती चटपटा उठी और दर्द से बेहोश हो गई ।



वसंत बिना हिले वैसे ही अनु को ताकता रहा और कुछ देर बाद अनु को हिलाते बोला उठ जा ,अनु जैसे ही आँखे खोली वो वसंत के कमर को पकड़ रोती बोली बहुत दर्द हो रहा है पर वसंत बोला थोड़ी देर रुक देख कैसे मज़ा देता हूँ और वो हौले हौले अनु की चुत चोदने लगा और दर्द अनु के समर्पण भावना के आगे हार मान चला गया और अनु की पतली कमर उठने लगी जो वसंत ने हाथों से पकड़ दिल खोल धकों से चुदाई करने लगा और अनु की कमुक सिसकियों ने वसंत को गदगद कर दिया और ताबड़तोड़ सख्त चुत चोदते वसंत चर्म सुख के मुहाने पहुँच अनु के चुत मे झड़ बैठा और हाँफते बोला तूने मुझे खुश कर दिया अब तुझे सारी उमर अपनी रखैल बना के रखूँगा अनु और तेरी माँ का भी ख्याल रखूँगा कहता वो अपने लिंग को चुत से खींच निकाल कर बोला देख तेरी कुँवारी चुत के खून से कैसे मेरा लोडा लाल हो गया है और अनु अपनी चुत से वसंत का वीर्य बहाती बस लेटी रही ।



वसंत ने अनु के कपड़ो पर अपना लिंग पोछा और कपड़े पहन बोला फिर आजाउँग रोज आऊँगा तुझे मज़ा देने और वो चुपचाप दरवाज़े को खोल बाहर निकल गया और अनु जैसे तैसे लंगड़ाती दरवाज़ा बंद कर वापस बिस्तर पर लेट अपनी चुत के दर्द और मज़े को सोचती सो गईं ।

समाप्त
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#9
आदिवासी लडक़ी

रोज सुबह ऑफिस जाते वक़्त रास्ते मे एक निहायती भोली भाली सूरत वाली सावली लड़की बरगद के पेड़ के निचे अपने माँ के साथ महुआ देसी शराब बेचती नज़र आती थी ,कुछ दिन नैनों से नैन भी लड़े पर वहाँ भीड़ होने की वजह से रुक नहीं पाता था और दिन महीने बीत गए और मेरा आकर्षण तीव्रता से बढ़ता रहा और मेरे मन मे उसकी सूरत बस गई थी ।


वो अठारह उनेश की होगी उसके स्तन छोटे पर कड़क दिखते थे मालूम हो एकदम अन्छुवे सुडौल मुलायम और उसकी गाँड गोल और कमर पतली ,अक्सर वो मैली टीशर्ट और लंबी फोर्क पहने रहती और उसकी सफेद समीज देख मेरा मन डोल जाया करता ओर उसके पाव मे घुघरू वाली पायल अक्सर मेरे कानों मे छम छम की मधुरता डालती रहती और उसकी गहरी नाभि देख मेरा दिल जोरो से धधक जाता और पसिने की बूंदे सूरज की छटाओं से उसके बदन से चमकती रहती ।



एक दोपहर मैं खाना खा के रास्ते पर धीमे मोटरसायकल चलाता आ रहा था और तेज़ गर्मी की दोपहर वो मुझे रास्ते पर अकेली मिली और मैंने तुरंत रुक कर उसे घूरा और इशारे से पास बुलाया ,वो मुझे महीनों से जानती थी कि मैं रोजाना उसको घूरता हूँ जिस कारण वो हल्का जिझक्ति पास आई और मैंने उसका नाम पूछा वो इठलाती हल्का शर्माती लजाती अपना नाम सावित्री बताई और मैंने हिमत कर उसका हाथ पकड़ लिया और वो मुझे आपने कातिल आँखों से ताकती रही और मैं उसके आँखों मे देखता रहा और बोला प्लांट के पीछे जो जंगल है वहाँ एक बिराना टूटा मकान है वहाँ आना मैं इंतज़ार करूँगा और वो हल्का मुश्कुराती वहाँ से चली गईं और मैं गदगद मन से प्लांट मे पहुँच कर अलमारी से छुपाए कंडोम ले कर जंगल के जर्जर मकान मे जा बैठा और बेताबी से उसका इंतजार करने लगा । एक एक पल मुझे सदियों सा लगने लगा और वो दो घंटे बाद वहाँ आई और मैंने बिना सोचे समझे सावित्री को कस के बाहों मे भर लिया और वो थोड़ी देर बाद आपने हाथों से मेरी पीठ पकड़ी मुझे यकीन हो गया कि वो अब पट चुकी है और मैंने भी कोई जल्दबाजी नहीं कि ओर सावित्री के कोमल स्तनों को अपने सीने पर दबाता उसके पीठ को सहलता रहा और हल्के हल्के हाथों से मैंने उसके कमर को सहलाया और टीशर्ट समीज के अंदर हाथ डालता उसके नंगे पीठ को सहलाने लगा और मेरे हल्के हल्के छूने से वो उतावली होने लगी थी और वो मुझे कस कर पकड़े जा रही थी ।


मैंने बहुत देर तक उसके पीठ को सहलाया और फिर दोनों हाथों से उसके चेहरे को पकड़ उसके होंठो को चूमने लगा वो शर्मा के लाल हो चुकी थी और उसकी आंखें बंद थी और मेरा लड़ तन के तंबू बना हुआ था ।



मैंने सावित्री के नाभी को सहलाया और टीशर्ट समीज संग पकड़ उठाने लगा पर मुझे दोनों हाथों स पकड़ उतारने की मंजूरी नहीं दे रही थी पर मैंने भी उसके हाथों को अपने गले पर डाला और उसके होंठो को चुसने लगा और धीरे धीरे उसके कपड़ो को उठाने लगा और वो विरोद कर के भी साथ देने लगी और मैंने उसके वस्त्र उतार जमीन पर फेक दिया और वो मुझसे लिपट गई, अब वो मेरे बाहों मे निर्वस्त्र लिपटी थी और मैं उसके कोमल स्तनों को छूने मसलने चुसने को बेताब हुआ जा रहा था कि मैंने उसे पलट कर अपने हाथों को उसके कोमल स्तनों पर रख सहलाया और पीछे से उसके गर्दन पर चुम्बन करने लगा ओर वो धीरे धीरे कामुक्ता के माया जाल मे डूबने लगी ओर सिशकिया फुट पड़ी और मैंने मौका देख उसके कमर से उसकी फोर्क को नीचे किया पर सावित्री के हाथों ने मेरे हाथों को कस के जकड़ा पर अब वो विरोध भी कामुक्ता के पूर्व हल्की शर्म हया का था जो थोड़ी देर मे जाता गया और फोर्क के साथ उसकी इलास्टिक वाली बड़ी पैंटी भी सरकती नीचे जाने लगी और मेरा हाथ उसके कोमल पसिने से भीगे झांटो पर पहुँच गया और हल्के हाथों से मैंने उसके चप चप करती मुलायम चुत पर उँगलियों से ज्यूँ ही हरकत की वो पूरी ताकत से मुड़ मेरे सीने से आ लिपटी और मैं उसके गाँड पर हाथ फेरता बोला सावित्री मुझसे कैसी लाज और वो गाँव की भोली आदिवासी लड़की बस लिपट तेज़ सासों से मेरे बदन पर हवस बढ़ती रही और मैंने सावित्री को उसके ही उतारे कपड़ों पर जमीन पर लेटा ऊपर चढ़ उसके हलके भूरे निपल्लों को चुसने लगा ओर वो बाहों के हार डाले मुझसे लिपट आहे भरने लगी और एक हाथ से मैंने सावित्री के चुत का जायजा लिया जो बेताब हुए गरम के साथ पूरी तरह योवन रस से तरबतर थी और मेरी उँगलियों को वो अपने टाँगों से दबाती जा रही थी मानो वो शर्मा के मुझे अपने बेताबी से रूबरू न होने देना चाहती थी पर मैं ना जाने कितने दिनों से सावित्री को पा लेने के लिए तड़प रहा था और अब जब वो मेरे नीचे नंगी पड़ी थी अब बिना चोदे रहना मेरे लिए मुमकिन न था और मैंने उसके हाथों को जकड़ सर के ऊपर करते उसके होंठो को चुसने लगा और हलके हलके उसके झाघो को फैलाने लगा और थोड़े देर मे है उसकी टाँगे फैली हुई थी और मैं उसके चुत पर उंगलियां फेरता उसको हवस के आग मे झोंकने लगा और एक उँगली के अंदर डालते ही सावित्री सकपका गई ओर मैं बोल पड़ा सावित्री क्या किसी ने तुम्हें छुवा नहीं वो शर्माती ना मे सर हिलाई और मेरी खुशी चौगुनी हो गई और मैंने उसके होंठो को बेताहाशा चूसने लगा और जब वो कमर हिलाने लगी तब मौका देख उसके टाँगों के बीच पहुँच चुत पर मुँह लगा दिया ओर सावित्री मेरे चाटने से यू बेताब हुई कि मेरे बालों को कस के पकड़ हलके तेज़ आवाज़ से आहे भरने लगी और कुछ मिनटों मे मेरी बरसों की प्यास सावित्री के चुत के पानी से बुझने लगी और वो कमर उठा अपने जीवन का पहला योन सुख पाते ही पसिने से तरबतर होती निढ़ाल सी हो गई और मैंने उसके चुत का रस चाट कर सूखा दिया और उठ कर जल्दी से अपने कपड़ों को उतार कर उसके हाथ मे अपना लड़ पकड़ा दिया और सोचा क्यों न इस जवानी को पहले दिन से ही मौखिक योन सुख का अभ्यस्त कर दु की बरसों इसे मन मुताबिक खाऊ ओर ये मेरी प्यासी बन जाए । वो मेरे लड़ को कसकर हथेली पर जकड़े थी ओर मैंने बोला सावित्री उठ कर चुसोगी नहीं वो बेचारी भोली लडक़ी मेरी चुत चाटने से चर्मसुख का अनुभव करने के बाद मानो बिल्कुल उतावली हुई पड़ी हो और वो उठ कर मेरे लड़ को मुँह मे लेती अनुभवहीन की तरह चुसने लगी पर मैंने उसे जब समझाया कि चुसने वाली चॉकलेट की तरह चुसो तो वो वैसे ही चुसने लगी और मैं उसके सर के बालों को कस के पकड़ कर आग की तरह तपने लगा था और अचानक से मिली इतनी खुशी से मेरा सीघ्र पतन तय था इसलिए मैंने सावित्री से बोला जो भी मुँह मे निकलेगा पी लेना वो हाँ मैं सर हिलाई और पॉच मिनटों मे मेरा लड़ सावित्री के मुँह मे अनगिनत धार मारने लगा और बेचारी लाख कोशिश करती रही पर उसके होंठो के दोनों तरफ से मेरा मुठ बहने लगा आखिर इतने महीने मैंने जो तड़प तड़प तड़प गुज़री थी उसके फलस्वरूप मेरा लड़ धार बरसाता रहा और वो गटक कर मेरे वीर्य को पीती रही और मैंने सपूर्ण सुख भोगते सावित्री के मुँह मे है लड़ आगे पीछे करने लगा और एक एक बूंद वो चूस पी गई और उसके होंठो के पास जो कुछ बूंदे बह निकली थी वो मैंने लड़ से उठा सावित्री को चटवा दिया और वो एक झलक मुझे घूर मुँह फेर शर्मा कर अपने वस्त्रों को उठाने लगी पर असली मज़ा तो बाकी था ।

मैंने उसके हाथों से कपड़े ले कर बोला सावित्री वो लजाती फिर मेरे बदन से आ चिपकी और मैंने उसके गाँड के गोलाई को हाथों से दबाते उसके पसिने से गीले जिस्म को अपने सीने पर दबाते वापस कड़कपन की ओर बढ़ने लगा और मेरा लड़ तंबू बन सावित्री के नाभी पर दबने लगा और वो समझ गई उसने अपने हाथों को मेरे पीठ पर कस के पकड़े रखा और मैंने सावित्री को वापस जमीन पर लेटा दिया और उसके टाँगों को खोल अपने लड़ को उसके चुत के ऊपर रगड़ने लगा लगा और मेरा लड़ सावित्री के सख्त चुत को फाड़ने को मचलने लगा पर मैंने धर्य से लड़ तब तक रगड़ता रहा जब तक सावित्री की कमर हिचकोले न मारने लगी और हल्का पानी जैसे ही उसके चुत पर आया मैंने अपने लड़ का सुपाड़ा उसके चुत पर रखा और सावित्री के ऊपर चढ़ कर उसके होंठो को चूमते उसके हाथों को जकड़ कर एक हल्का धक्का लगाया और मेरा लड़ सावित्री के कुँवारी चुत के अंदर जाने लगा और वो दर्द से छटपटाती रही पर मेरा लड़ उसके सुर्ख़ सकरी चुत मे रागड़खाते जलने लगा और मेरा जोश बढ़ते रहा ये सोच क्या मस्त चुत मिली चोदने को ,थोड़ी देर हौले हौले लड़ घिसने के बाद जब सावित्री थोड़ा साथ देने लगी मैंने उसके हाथों को छोड़ा वो मेरे गर्दन को पकड़ कर एक नज़र मुझे देख शर्म से आँखे बूँद ली फिर मैंने अपने जानवर को जागृत करते उसके मदमस्त सकरी कुँवारी चुत को धक्कों से इतना चोदा की सावित्री की चुत खुशी से झड़ने लगी और वो मुझे इतना ज़ोर से पकड़ी की मानो वो योन सुख से अत्यंत खुश हो गई हो और सावित्री के चुत का रस अपने लड़ पर पा कर मेरा प्यार उमड़ आया और वीर्य त्याग करने से पहले मैंने लड़ उसके चुत के ऊपर रख घिसा और तेज़ रफ़्तार मेरा वीर्य सावित्री के गर्दन तक छलक गया और अनगिनत वीर्य की बूंदे उसके जिस्म पर जहाँ तहाँ पड़ने लगी और मैंने परमानंद प्राप्त कर सावित्री के ऊपर ही निढ़ाल हो हाँफते हाँफते अपने लड़ के दर्द को महसूस किया और सावित्री मुझे पकड़ी धीमे आवाज़ मे बोली बहुत दर्द हो रहा है ।



समाप्त ।
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#10
Bhai sari story mast hai
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#11
Bro please update i read your all story
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