24-09-2020, 12:21 AM
हरिया की जोरू
हमेशा की तरह हरिया अपनी जोरू के साथ नदी किनारे घर के मेले कपड़ो को ले कर पहुँचा और बरगद पेड़ के पास देसी महुआ पीने चल पड़ा । हरिया की जोरू सावली कसे बदन की सुडौल औरत थी और उसके चेहरे की बनावट आकर्षक और बदन की काया लड़ सख्त करने वाली थी ।
अमूमन दोपहर के इस समय नदी का किनारा बिल्कुल सुनसान बिरान सा रहता था और आस पास दूर दूर तक बस रेत और कड़कती धूप छलकती रहती थी ।
हरिया की जोरू ने अपनी साड़ी उतार बस पेटीकोट और ब्लाउज पहने मैले कपड़ो को एक पत्थर पर बिगो के रख दिया और सितको साबुन की टिकिया छोटे मटमैले थैली से निकाल वो कपड़ो पर रगड़ने लगी और तेज़ धूप से हरिया की जोरू पसिने से तरबतर योवन छलकती एक अप्सरा सी लगने लगी ।
स्वभाव से भोली भाली देहाती हरिया की जोरू बड़ी मुश्किल उन्नीश बीस की थी और घरवालों ने एक अधेड़ शराबी के पल्ले बांध दिया था और वो अभी तक सपूर्ण योन सुख की समझ भी नहीं बटोर पाई थी ।
उसके स्तन सुडौल और सख्त थे और बिना ब्रा के भी ब्लाउज से चिपक पसिने से निप्पलों की रेखा बनाए हुए थे और झाघो तक उठी उसकी पेटीकोट उसके चिकने बदन को धूप की तपन से जला रहे थे ।
उसकी माँग गहरे लाल सिंदूर से चमक रही थी और गले मे मंगलसूत्र लटक रही थी और भरी भरी चुड़िया हाथों मैं खन खन कर रही थी । एक काले धागे से उसकी कमर कस के बंधी हुई थी और घुघरूओं वाली पायल उसके पाव मैं सजी बड़ी अद्भुत जान पड़ रही थी ।
कपड़ो के अंबार को घिस घिस वो थक सी गई थी और तेज़ गर्मी से परेशान हो उसने नदी के ठंडे पानी मे प्रेवेश किया और धीरे धीरे वो गहरे पानी की और बढ़ने लगी उसका पेटीकोट उठ पानी के सतह पर तैरने लगा और वो झुक अपनी ब्लाउज भिगोती होंठो से हल्के घुट मारती पानी पीती बड़े सुकून का अनुभव करती मछली की तरह पानी मे लहराने लगी और अचानक से सहम कर चारों और देखने लगी और डर की हज़ारो रेखाएं उसके चेहरे पर उभरने लगे ।
वो किनारे की ओर बढ़ने के लिए मुड़ी ही थी कि वो अचानक कोई खिंचाव महसूस करती पानी के भीतर खिंचती चली गई और उसके कोमल हाथों के थपेड़ों से पानी की लहरें उभरने लगी पर बेचारी अथक प्रयास के वावजूद खुद को अनजाने ताकत से छुड़ाने मे बिफल हो गई और पानी के अंदर समा गई ।
कुछ पल को लगा काल ने हरिया की जोरू को निगल लिया हो पर अचानक वो झटके से पानी के ऊपर उछल आई और सुर्ख़ लाल आँखों से डरते चारों और नज़रे दौड़ाती देखने लगी और उसने देखा कि उसका ब्लाउज बदन पर नही है और वो दोनों हाथों से अपने स्तन को छुपाती पानी मैं नज़रे दौड़ाती चारों और घूम घूम देखती रही और कुछ दूर उसे अपना ब्लाउज बहता नज़र आया और वो ब्लाउज की और लपक के पहुँच गई और हाथों से ब्लाउज टटोलने पर जान पाई की ब्लाउज तार तार हो चुकी है और वो पहने के लायक नही बची है और वो दुखी मन से रूवासी हो रोने लगी ।
कमर के इतना पानी मे वो खड़ी अपनी पेटीकोट की डोरी ढील करती ऊपर कर वो अपने स्तन के उभारो के ऊपर गाढ मरती बेचैन नज़रों से चारों और ताकती पर सननाटे और खुद के सिवा कोई और दूर दूर नहीं दिखता और वो वापस बैठ जैसे तैसे कपड़ो को पत्थर पर पटक धोती पास के घासों पर फैला वापस थक हार पत्थर पर बैठ अपनी फटी ब्लाउज देख संचय मे डूब जाती ।
हरिया हमेशा की तरह नदारत महुआ पीते दूर नज़र आता और वो हिंमत करती वापस पानी मे बढ़ने लगती और ठीक उसी जगह वो खड़ी हो के धीरे से बोलती कौन है कोई है क्या मेरी ब्लाउज क्यों फाड़ दी , ऐसे सवाल करती वो खुद के चेहरे को पानी से धोती अपने बदन को मलने लगती की तभी उसकी कमर को जकड़ एक तगड़ा मर्द भारी आवाज़ मे बोलने लगता तू बेबड़े की जोरू है ना और वो सकपकाती पूरी ताकत से खुद को उसके चंगुल से आज़ाद कराने को संघर्ष करने लगती पर वो बस पानी मे लहरे ही बना पाती और थक के शान्त हो जाती और वो मर्द बोल पड़ता है क्या तू हरिया की जोरू है और वो बेबस हो हाँ मे सर हिलाती है और वो उसे नदी के पथरीले मुहाने की और खिंचता चला जाता है ।
पत्थर की बड़ी बड़ी चट्टानों के पास पहुँच वो उसे पत्थर पर दबा बोलता है क्या तू बेबड़े के साथ कुछ कर भी पाती है और उसके स्तनों पर फसे पेटीकोट की डोरी खिंच लेता है और वो अपने हाथों को अपने स्तनों पर रख बेबस पड़ी रहती है ।
उसकी पेटिकोट पानी के ऊपर तैरने लगती है और धीरे धीरे डूबने की कगार पर आ जाती है पर वो उसके पेटिकोट को पकड़ उसके माथें पर डाल पूछता है क्या तेरे मर्द ने कुछ किया तेरे साथ और वो शर्म से पानी पानी होती रो पड़ती है और वो गुस्से से उसके बालों को पकड़ उसको पानी के नीचे डूबा देता है और जानवर की तरह उग्र हो जाता है ।
मेरा नाम विजेंद्र कुमार सिंह है और तू दो कौड़ी की औरत मेरे बराबर खड़ी रहेगी और उसके आँखों मे खून उत्तर आता हैं । वो बालों समेत उसको खिंच तपती रेत पर पटक उसके जिस्म पर सवार हो उसकी टाँगों को खोल झटके से अपना लिंग उसके योनि मे दे मारता है और मुँह पर हाथ लगा उसके चीख को मुँह मे दबा देता है और बेरहम की तरह उसके योवन को तार तार करता लहूलुहान कर देता है और अंतः अपना वीर्य त्याग कर उठ खड़ा हो चलने लगता है ।
वो अधमरी सी बेजान वही ताप्ती रेत पर पड़ी रोती रहती है और सुख जाती है , बड़ी लंबी इंतज़ार के बाद हरिया को पास देख वो फुट फुट रोने लगती है और हरिया अपनी जोरू की हालत देख नसे से बाहर निकल जाता है और अपनी बीवी को अपने लुंगी से ठाक जैसे तैसे उठा कर नदी किनारे पहुँचता है और उसके बदन को धो कर किसी तरह कपड़े पहना अपनी साईकल पर बिठा रूवासे मन से घर मे दाखिल होता है ।
वो बीवी को छोड़ घर से बाहर निकल वापस शराब पीने चल पड़ता है और उसकी जोरू जमीन पर करहाती रोती रहती है और तभी वहीं नदी किनारे वाले मर्द को अपने आँगन मे देख वो डर से काँपने लगती है और वो उसके पास पहुँच बोलता है तू डरती क्या है तुझे रंडी बना के रखूँगा ऐश करेगी अगर मुझे चोदने देगी तोह और ऐसा बोलते उसकी ब्लाउज को खींच फाड़ देता है और सख्त हाथों से स्तनों को मसलने लगता है और वो हाथों को जोड़ उसके पाव छुती गिड़गिड़ाती बोलती है बाबू साहब हम निचे जाती की है हम्हे छोर दीजेए और वो एक थपड़ उसके गाल पर मारते अपने होठों से उसके होंठो को चुसने लगता है और दोनों हाथों से स्तनों को बराबर दबाते लाल कर देता है ।
वो दर्द से छटपटाती अपने हाथों को उसके सर पर रख धकेलने की हिमाक़त दिखती है पर वो उसके होंठो को चुस्ता अपने हाथों से जकड़ बेबस कर देता है और वो थोड़ी देर मे ही हार मान चुपचाप हो जाती है और वो आराम से उसके सुर्ख़ लबों को चुस्ता उठ बोलता है जीभ निकालो और वो जीभ निकाल देती है और वो खिंच उसके जीभ को चुस्ता होंठो को काट खाता है और वो बेजान सी उसकी दासी बन जाती है ।
वो उसके सामने खड़ा हो अपने वस्त्रों को उतार नग्न हो अपने लिंग को हाथों से पकड़ सहलाते बोलता है चल उठ जा और वो डरती हुई दर्द को सीने मे दबाती उठ बैठती है और वो उसके बालों को बेरहमी से पकड़ उसके मासूम चेहरे पर लिंग रगड़ते होंठो पर रख बोलता है मुँह खोल और चूस वो बिना विरोद उसके लिंग को जैसे तैसे चुस्ती है पर वो हवस का पुजारी अपने लिंग को उसके गले तक डाल देता है और वो तड़प उठती है और हाथों से धक्का देने लगती पर वो जैसे है गर्जन से बोलता है वो अपने हाथों को हटा लेती है वो उसके मुख को अपने मोटे लंबे लिंग से चोदने लगता है और थूक की बूंदे उसके लाल पड़े स्तनों पर गिरने लगती है और वो एक लगातार आशू बहाती बेबस सी बैठी रहती है ।
बड़ी देर तक उसके मुख को लिंग से रगड़ वो उसके बालों को पकड़ उसे खड़ा कर साड़ी खिंच देता है और बोल के उससे पेटिकोट खुलवाता है और कच्चे मकान के दीवार पर उसके चेहरे को दबा उसके पीछे खड़ा हो बोलता है चल अपनी गाँड बाहर निकाल और झुक जा वो ऐसी किसी क्रिया से अनजान बिना समझ गाँड निकलती है पर मन मुताबिक न होने के कारण वो उसके गाँड पर थपड़ जड़ खुद उसके कमर को पकड़ अपने लिंग के लिए बाहर की और खिंचता रोब से बोलता है ऐसे ही खड़ी रह और अपने लिंग को उसके सख्त चुत पर टिका एक झटके से अंदर करता है और वो चीख पड़ती है और वो उसके गले को दबाते बोलता है अगर एक आवाज़ निकली तोह तुझे काट डालूंगा और वो सहम अपने दाँतो को दाँतो से दबा उसके लिंग की पीड़ा को सहती रहती है और वो कंधे को पकड़ झटके मारता उसकी चुत चोदते चोदते पसिने से भीग जाता है और अपने वीर्य को उसके चुत की गहराइयों मे निकाल अलग हो बोलता है फिर आऊँगा त्यार रहना और कपड़े पहन निकल जाता है ।
वो अपने पेटिकोट से उसके वीर्य को पोछ किसी तरह कपड़े पहन लेट जाती है और गहरी नींद मे सो जाती है ।
उसकी आँख खुलती है जब ये उसके स्तनों को सहलाता है और वो डिबिया की रोशनी मे इसे देख सहम जाती है , हरिया वहीं दरवाज़े के बाहर चटाई पर खराटे मारता सो रहा होता है और ये इशारे से इसे निर्वस्त्र होने को कहता है वो बिना किसी विरोद खड़ी हो जाती है और अपने जिस्म से ब्लाउज उतार देती है और साड़ी उतार पेटिकोट खोल पलकें झुका के खड़ी हो जाती है, डीबीए की लो से इसका योवन दमकने लगता है और वो इशारे से उसे पास बुला कर होंठो को चूम स्तनों को सहलाता है और उसके हाथों को अपने गर्दन पर लिपट लेता है और बिना किसी रोब के वो प्यार से उसके जिस्म को सहलाता है और काफी देर तक खेलने के बाद वो उसके चुत पर हाथ फेरते बोलता है वाह तुझे मज़ा आ रहा है और वो शर्मा जाती है पर वो उसके गालों को दबा अपने पास खिंच बोलता है क्या तुझे मज़ा आ रहा है वो लजाती आँखे चुराने लगती है पर उसके हाथों तले गालो की पकड़ तेज़ होते ही वो बुदबुदाती है हाँ मुझे मज़ा आ रहा है और वो उसके गाल को छोड़ कंधे से दबा उसको जमीन पर बिठा देता है और कहता है उतार मेरी पैंट और चूस के खड़ा कर दे और वो उसके पैंट को उतार उसके लड़ को चुसने लगती है और दोपहर से ज़्यादा अच्छे तरीके से उसके लिंग को चूसती वो अपने गर्म जिस्म की प्यास बताने लगती है ।
वो बिना बालों को पकड़े गले तक लिंग डाल मुँह चोदता है पर वो उफ्फ नही करती और साथ देती रहती है और वो उसे खड़ा कर गोद मे उठा चाँदनी रात मे आँगन मे ले जाता है और जमीन पर कुतिया बना अपने लिंग को झटके से डाल देता है पर वो एक आवाज़ नही करती और वो बेताहाशा उसको चोदने लगता है ।
हरिया आँखे मलता उठ बैठ जाता है पर जैसे ये बोलता है सो जा चुतिये वो मुँह घुमा लेट जाता है और अपने लिंग को गहराईयो मे डाल कर चोदते इसके योवन को भिगो देता है और वो खुद पानी छोड़ती हाँफने लगती है और इसका लिंग निकलते है वहीं निढ़ाल लेट जाती है और ये पास पड़े खटिये पर लेट बोलता है उठ के धोकर आ जल्दी और पानी पिला ।
शारीरिक भोग का सुख मेमसूस करने के पश्चात वो फुर्ती से खुद को वहीं आँगन के किनारे साफ करती है और लोटे मे जल ला कर देती है और वो उठ इसको गोद मे बिठा जल पी कर अपने ऊपर लेटा आराम करने लगता है पर वो बाबली इसके लिंग को सहलाने लगती है और खुद रांड बन जाती है ।
समाप्त