Thread Rating:
  • 3 Vote(s) - 2.33 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Romance प्यासा दिल प्यासी रात
#1
hi ...
[+] 2 users Like nitya.bansal3's post
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#2
❣"#मोहब्बत"के सभी रंग बहुत "#खूबसूरत"है
"#लेकिन"
*#सबसे "खूबसूरत" "रंग"वह है,#जिसमें
*"#तुम" हो, "#तुम" हो, बस "#तुम" हो.?.

[Image: a11-47.jpg]
[+] 2 users Like nitya.bansal3's post
Like Reply
#3
प्यासा दिल प्यासी रात 
हम लोग शहर की घनी आबादी के एक मध्यम वर्गीय मुहल्ले में रहते थे। वहां लगभग सभी मकान दो मंजिल के और पुराने ढंग के थे और सभी घरों की छतें आपस में मिली हुई थी। मेरे घर में हम मिया बीवी के साथ मेरी बूढ़ी सास भी रहती थी। य्ह कहानी मेरे पड़ोस में रहने वाले एक लड़के राज की है जो पिछ्ले महीने से ६-७ हमारे साथ वाले घर में किराये पर रहता था। राज अभी तक कुंवारा ही था और मेरा दिल उस पर आ गया था।

मेरे पति की ड्यूटी शिफ़्ट में चलती थी। जब रात की शिफ़्ट होती थी तो मैं छत पर अकेली ही सोती थी क्योंकि गरमी के दिन थे। राज़ और मैं दोनो अक्सर रात को बातें करते रहते थे। रात को छत पर ही सोते थे।

आज भी हम दोनो रात को खाना खा कर रोज की तरह छत पर बातें कर रहे थे। रोज की तरह उसने अपना सफ़ेद पजामा पहन रखा था। वो रात को सोते समय अंडरवियर नहीं पहनता था, ये उसके पजामे में से साफ़ ही पता चल जाता था। उसके झूलता हुए लण्ड का उभार बाहर से ही पता चल जाता था। मैंने भी अब रात को पेंटी और ब्रा पहनना बंद कर दिया था।

मेर मन राज से चुदवाने का बहुत करता था.... क्युंकि शायद वो ही एक जवान लड़का था जो मुझसे बात करता था और मुझे लगता था कि उसे मैं पटा ही लूंगी। वो भी शायद इसी चक्कर में था कि उसे चुदाई का मजा मिले। इसलिये हम दोनों आजकल एक दूसरे में विशेष रुचि लेने लगे थे। वो जब भी मेरे से बात करता था तो उसकी उत्तेजना उसके खड़े हुए लण्ड से जाहिर हो जाती थी, जो उसके पजामे में से साफ़ दिखता था। उसने उसे छिपाने की कोशिश भी कभी नहीं की। उसे देख कर मेरे बदन में भी सिरहन सी दौड़ जाती थी।

मैं जब उसके लण्ड को देखती थी तो वो भी मेरी नजरें भांप लेता था। हम दोनो ही फिर एक दूसरे को देख कर शरमा जाते थे। उसकी नजरें भी जैसे मेरे कपड़ों को भेद कर अन्दर तक का मुआयना करती थी। मौका मिलने पर मैं भी अपने बोबे को हिला कर....या नीचे झुक कर दिखा देती थी या उसके शरीर से अपने अंगों को छुला देती थी। हम दोनो के मन में आग थी। पर पहल कौन करे, कैसे हो....?

मेरी छ्त पर अंधेरा अधिक रहता था इसलिये वो मेरी छत पर आ जाता था, और बहाने से अंधेरेपन का फ़ायदा हम दोनो उठाते थे। आज भी वो मेरी छत पर आ गया था। मैं छत पर नीचे बिस्तर लगा रही थी। वो भी मेरी सहयता कर रहा था। चूंकी मैंने पेंटी और ब्रा नहीं पहन रखी थी इसलिये मेरे ब्लाऊज में से मेरे स्तन, झुकने से उसे साफ़ दिख रहे थे....जिसे मैं और बिस्तर लगाने के बहाने झुक झुक कर दिखा रही थी। उसका लण्ड भी खड़ा होता हुआ उसके पज़ामे के उभार से पता चल गया था। मुझे लगता था कि बस मैं उसके मस्त लण्ड को पकड़ कर मसल डालू।

"भाभी.... भैया की आज भी नाईट ड्यूटी है क्या....?"

"हां.... अभी तो कुछ दिन और रहेगी.... क्यों क्या बात है....?"

"और मां जी क्या सो गई हैं....?"

"बड़ी पूछताछ कर रहे हो.... कुछ बताओ तो....!" मैं हंस कर बोली।

" नहीं बस.... ऐसे ही पूछ लिया...." ये रोज़ की तरह मुझसे पूछता था, शायद ये पता लगाता होगा कि कहीं अचानक से मेरे पति ना आ जाएं।

हम दोनो अब छत की बीच की मुंडेर पर बैठ गये.... मुझे पता था अब वो मेरे हाथ छूने की कोशिश करेगा। रोज़ की तरह हाथ हिला हिला कर बात करते हुए वो मुझे छूने लगा। मैं भी मौका पा कर उसे छूती थी।, पर मेरा वार उसके लण्ड पर सीधा होता था। वो उत्तेजना से सिमट जाता था। हम लोग कुछ देर तक तो बाते करते रहे फिर उठ कर टहलने लगे.... ठंडी हवा मेरे पेटीकोट में घुस कर मेरे चूत को और गाण्ड को सहला रही थी.... मुझे धीमी उत्तेजना सी लग रही थी।

जैसी आशा थी वैसा ही हुआ। राज ने आज फिर मुझे कुछ कहने की कोशिश की, मैंने सोच लिया था कि आज यदि उसने थोड़ी भी शुरूआत की तो उसे अपने चक्कर में फंसा लूंगी।

उसने धीरे से झिझकते हुए कहा -"भाभी.... मैं एक बात कहूं.... बुरा तो नहीं मनोगी " मुझे सिरहन सी दौड़ गयी। उसके कहने के अन्दाज से मैं जान गई थी कि वो क्या कहेगा।

"कहो ना.... तुम्हारी किसी बात का बुरा माना है मैंने...." उसे बढ़ावा तो देना ही था, वर्ना आज भी बात अटक जायेगी।

"नहीं.... वो बात ही कुछ ऐसी है...." मेरे दिल दिल की धड़कन बढ़ गई। मैं अधीर हो उठी.... मेरा दिल उछल कर गले में आ रहा था....

"राम कसम.... बोल दो ना...." मैंने उसके चेहरे की तरफ़ बड़ी आशा से देखा।

"भाभी आप मुझे अच्छी लगती हैं...." आखिर उसने बोल ही दिया....और मेरा फ़ंदा कस गया।

"राज....मेरे अच्छे राज .... फिर से कहो....हां.... हां .... कहो.... ना...." मैंने उसे और बढ़ावा दिया।

उसने कांपते हाथों से मेरे हाथ पकड़ लिये। उसकी कंपकंपी मैं महसूस कर रही थी। मैं भी एकबारगी सिहर उठी। उसकी ओर हसरत भरी निगहों से देखने लगी।

"भाभी.... मैं आपको प्यार करने लगा हूँ....!" लड़खड़ाती जुबान से उसने कहा।

"चल हट.... ये भी कोई बात है.... प्यार तो मैं भी करती हूँ....!" मैंने हंस कर गम्भीरता तोड़ते हुए कहा

" नहीं भाभी.... भाभी वाला प्यार नहीं.... " उसके हाथ मेरे भारी बोबे तक पहुंचने लगे थे। मैंने उसे बढ़ावा देने के लिये अपने बोबे और उभार लिये। पर बदन की कंपकंपी बढ़ रही थी। उसे भी शायद लगा कि मैंने हरी झंडी दिखा दी है। उसके हाथ जैसे ही मेरे उरोज पर पहुंचे....मेरा पूरा शरीर थर्रा गया। मैं सिमट गयी।

"राऽऽऽऽज्.... नहींऽऽऽ........ हाय रे...." मैंने उसके हाथों को अपनी छाती पर ही पकड़ लिया, पर हटाया नहीं। उसके शरीर की कंपकपी भी बढ़ गयी। उसने मेरे चेहरे को देखा और अपने होंठ मेरे होंठो की तरफ़ बढ़ाने लगा। मुझे लगा मेरा सपना अब पूरा होने वाला है। मेरी आंखे बंद होने लगी। मेरा हाथ अचानक ही उसके लण्ड से टकरा गया। उसका तनाव का अहसास पाते ही मेरे रोंगटे खड़े हो गये। मेरे चूत की कुलबुलाहट बढ़ने लगी। उसके हाथ अब मेरे सीने पर रेंगने लगे। मेरी सांसे बढ़ चली। वो भी उत्तेजना में गहरी सांसे भर रहा था। मैं अतिउत्तेजना के कारण अपने आप को उससे दूर करने लगी। मुझे पसीना छूटने लगा। मैं एक कदम पीछे हट गयी।

"भाभीऽऽऽ ........ मत जाओ प्लीज्...." वह आगे बढ़ कर मेरी पीठ से चिपक गया। उसका एक हाथ मेरे पेट पर आ गया। मेरा नीचे का हिस्सा कांप गया। मेरा पेट कंपकंपी के मारे थरथराने लगा। मेरी सांसे रुक रुक कर निकल रही थी। उसका हाथ अब मेरी चूत की तरफ़ बढ़ चला। मेरे पेटीकोट के अन्दर हाथ सरकता हुआ मेरी चूत के बालों पर आगया। अब उसने तुरन्त ही मेरी चूत को अपने हाथों से ढांप लिया। मैं दोहरी होती चली गयी। सामने की ओर झुकती चली गयी। उसका लण्ड मेरी चूतड़ों कि दरार को रगड़ता हुआ गाण्ड के छेद तक घुस गया। मैं अब हर तरफ़ से उसके कब्जे में थी। वह मेरी चूत को दबा रहा था। मेरी चूत गीली होने लगी थी।

"राज्.... हाऽऽऽय रे........ मेरे राम जी.... मैं मर गई !" मैंने उसका हाथ नहीं हटाया और वो ज्यादा उत्तेजित हो गया।

"भाभी.... आप कितनी प्यारी है...." मैंने जब कोई विरोध नहीं किया तो वह खुल गया। उसने मुझे अब जकड़ लिया। मेरे स्तनो को अपने कब्जे में लेकर होले होले सहलाने लगा। उसके प्यार भरे आलिंगन ने और मधुर बातों ने मुझे उत्तेजना से भर दिया। जिस प्यार भरे तरीके से वो ये सब कर रहा था.... मैंने अपने आपको उसके हवाले कर दिया। मेरा शरीर वासना के मारे झनझना रहा था। उसका लण्ड मेरी गाण्ड के छेद पर दस्तक दे रहा था।

"तुम मुझे प्यार करते हो....!" मैंने वासना में उसे प्यार का इज़हार करने को कहा।

"हां भाभी.... बहुत प्यार करता हूं....तब से जब मैं आपसे पहली बार मिला था !"

"देखो राज........ये बात किसी को नहीं बताना.... मेरी इज्जत तुम्हारे हाथ में है.... मैं बदनाम हो जाऊंगी.... मैं मर जाऊंगी....!" मैंने उस पर अपना जाल फ़ेंका।


"भाभी.... मैं मर जाऊंगा....पर ये भेद किसी को नहीं कहूंगा...." मेरी विनती से उसका दिल पिघल उठा।

"तब देरी क्यूं.... मेरा पेटीकोट उतार दो ना.... अपने पजामे की रुकावट हटा दो...." मुझसे अब बिना चुदे रहा नहीं जा रहा था। उसने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खोल डाला और पेटीकोट अपने आप नीचे फ़िसल गया। उसका लण्ड भी अब स्वतन्त्र हो गया था।

"भाभी.... आज्ञा हो तो पीछे से शुरु करू.... तुम्हारी प्यारे प्यारे गोल गोल चूतड़ मुझे बहुत पसन्द है...." उसने अपनी पसन्द बिना किसी हिचक के बता दी।

"राऽऽऽज.... अब मैं तुम्हारी हू.... प्लीज़ अब कहीं से भी शुरू करो.... पर जल्दी करो.... बस घुसा दो...." मैंने राज से अपनी दिल की हालत बयां कर दी।

"भाभी.... जरा मेरे लण्ड को एक बार प्यार कर लो और थूक लगा दो...." मैंने प्यार से उसे देखा और नीचे झुक कर उसका लण्ड अपने मुंह में भर लिया.... हाय राम इतना मस्त लण्ड !.... वो तो मस्ती में फ़नफ़ना रहा था। मैंने उसका सुपाड़ा कस के चूस लिया। और फिर ढेर सारा थूक उस पर लगा दिया। अब मैं खड़ी हो गयी.... राज के होंठो के चूमा.... और अपने चूतड़ उघाड़ कर पीछे निकाल दी। मेरे गोरे चूतड़ हल्की रोशनी में भी चमक उठे। मैंने अपनी चूतड़ की प्यारी फ़ांके अपने हाथों से चीर दी और गाण्ड का छेद खोल कर दे दिया। मेरे थूक से भरा हुआ उसका लण्ड मेरी गाण्ड के छेद पर आ टिका। मैंने हल्का सा गाण्ड का धक्का उसके लण्ड पर मारा। उसकी सुपारी मेरे गाण्ड के छेद में फ़ंस गयी। उसके लण्ड के अंदर घुसते ही मुझे उसकी मोटाई का अनुमान हो गया।

"राज.... प्लीज.... चलो न अब.... चलो....करो ना !" पर लगा उसे कुछ तकलीफ़ हुई। मैंने पीछे जोर लगाया तो उसने भी लण्ड को दबा कर अंदर घुसेड़ दिया। पर उसके मुख से चीख निकल गयी।

"भाभी.... लगती है.... जलता है...." मुझे तुरन्त मालूम हो गया कि उसने मुझे ही पहली बार चोदा है। उसके लण्ड की स्किन फ़ट चुकी थी। मेरा मन खुशी से भर उठा। मुझे एक फ़्रेश माल मिला था। एक बिलकुल नया लण्ड मुझे नसीब हुआ था। मेरे पर एक नशा सा चढ़ गया।

"राजा.... बाहर निकाल कर धक्का मारो ना.... देखो तो मेरा मन कैसा हो रहा है। ऐसी जलन तो बस दो मिनट की होती है...." मैंने उसे बढ़ावा दिया।

उसने मेरा कहा मान कर अपना लण्ड थोड़ा सा निकाल कर धीरे से वापस घुसेड़ा। फिर धीरे धीरे रफ़्तार बढ़ाने लगा। मैं उसका लण्ड पा कर मस्त हो उठी थी। मैंने अपने दोनो हाथ छत की मुंडेर पर रख लिये थे और घोड़ी बनी हुई थी। मैंने अपने दोनो पांव पूरे खोल रखे थे। चूतड़ बाहर उभार रखे थे। राज ने अब मेरे बोबे अपने हाथों में भर लिये और मसलने लगा। मैं वासना के मारे तड़प उठी। उसे लण्ड पर चोट लग रही थी पर उसे मजा आ रहा था। उसके धक्के बढ़ते ही जा रहे थे। उत्तेजना के मारे मेरी चूत पानी छोड़ रही थी। अचानक उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया.... और मेरी तरफ़ देखा। मैं उसका इशारा समझ गयी। मैं बिस्तर पर आ कर लेट गयी।

"भाभी.... आप बहुत प्यारी है....सच बहुत मजा आ रहा है.... जिन्दगी में पहली बार इतना मजा आया है...." मुझे पता था कि जब पहली बार किसी चूत में लण्ड जायेगा तो ....मजा तो नया होगा.... इसलिये आत्मा तक तो आनन्द मिलेगा। और फिर मेरी तो जैसे सुहाग रात हो गयी.... कई दिनों बाद चुदी थी। फिर कितने ही दिनों से मन में चुदने कि इच्छा थी। किस्मत थी कि मुझे नया लण्ड मिला।

राज मेरे पास बिस्तर पर आ गया। मैंने अपनी दोनो टांगे ऊपर उठा दी और चूत खोल दी। राज ने आराम से बैठ कर अपना लण्ड हाथ से घिसा और हिला कर चूत के पास रख दिया। मैं मुस्कुरा उठी.... उसे ये नहीं पता था कि लण्ड कहां रखना है.... मैंने उसका लण्ड पकड़ कर चूत पर रख दिया।

"राजा.... नये हो ना.... तुम्हे तो खूब मजा दूंगी मै....आ जाओ.... मुझ पर छा जाओ...." मैंने चुदाई का न्योता दिया।

उसने हल्का सा जोर लगाया और लण्ड बिना किसी रुकावट के मेरी गीली चूत के अन्दर सरकता हुआ घुसने लगा। मुझे चूत में तीखी मीठी सी गुदगुदी उठने लगी और लण्ड अन्दर सरकता रहा।

"आहऽऽऽ .... राज.... मेरे प्यार.... हाय रे........ और लम्बा सा घुसा दे....अन्दर तक घुसा दे...." मेरी आह निकलती जा रही थी। सुख से सराबोर हो गई थी। उसने मेरे दोनो चूंचक खींच डाले.... दर्द हुआ .... पर अनाड़ी का सुख डबल होता है.... सब सहती गयी। अब उसके धक्के इंजन के पिस्टन की तरह चल रहे थे। पर अब वो मेरे शरीर के ऊपर आ गया था....मैं पूरी तरह से उससे दब गई थी। मुझे परेशानी हो रही थी पर मैं कुछ बोली नही.... वो अपना लण्ड तेजी से चूत पर पटक रहा था, जो मुझे असीम आनन्द दे रहा था।

"भाभी.... आह रे.... तेरी चूत मारूं.... ओह हां.... चोद डालू.... तेरी तो.... हाय भाभी........" उसकी सिसकारियां मुझे सुकून पहुंचा रही थी। उसकी गालियाँ मानो चुदाई में रस घोल रही थी....

"मेरे राजा.... चोद दे तेरी भाभी को.... मार अपना लण्ड.... हाय रे राज....तेरा मोटा लण्ड.... चोद डाल...." मैंने उसे गाली देने के लिये उकसाया.... और राज्....

" मेरी प्यारी भाभी.... भोसड़ी चोद दूं.... तेरी चूत फ़ाड़ डालू.... हाय रे मेरी.... कुतिया....मेरी प्यारी...." वो बोलता ही जा रहा था।

"हां मेरे राजा .... मजा आ रहा है.... मार दे मेरी चूत ...."

"भाभी ....तुम बहुत ही प्यारी हो....कितने फ़ूल झड़ते है तुम्हारी बातों में.... तेरी तो फ़ाड़ डालूं.... साली !" फ़काफ़क उसके धक्के तेज होते गये.... मैं मस्ती के मारे सिसकारियाँ भर रही थी....वो भी जोश में गालियाँ दे कर मुझे चोद रहा था। उसका लण्ड पहली बार मेरी चूत मार रहा था। सो लग रहा था कि वो अब ज्यादा देर तक रह नहीं पायेगा।

"अरे.... अरे.... ये क्या....?" मैंने प्यार से कहा.... उसका निकलने वाला था। उसके शरीर में ऐठन चालू हो गई थी। मैं जानती थी कि मर्द कैसे झड़ते हैं।

"हां भाभी.... मुझे कुछ हो रहा है.... शायद पेशाब निकल रहा है.... नहीं नहीं.... ये ....ये.... हाय्.... भाभी....ये क्या...." उसके लण्ड का पूरा जोर मेरी चूत पर लग रहा था। और .... और.... उसका पानी छूट पड़ा.... उसका लण्ड फ़ूलता.... पिचकता रहा मेरी चूत में सारा वीर्य मेरी चूत में भरने लगा। मैंने उसे चिपका लिया। वो गहरी गहरी सांसे भरने लगा। और एक तरफ़ लुढ़क गया। मैं प्यासी रह गयी.... पर वो एक २२ वर्षीय जवान लड़का था, मेरे जैसी ३३ साल की औरत के साथ उसका क्या मुकाबला....। उसमें ताकत थी....जोश था.... पूरी जवानी पर था। वो तुरन्त उठ बैठा। वो शायद मुझे छोड़ना नहीं चाह रहा था। मुझे भी लग रहा था कि कही वो अब चला ना जाये। पर मेरा अनुमान गलत निकला। वो फिर से मुझसे प्यार करने लगा। मुझे अब अपनी प्यास भी तो बुझानी थी। मैंने मौका पा कर फिर से उसे उत्तेजित करना चालू कर दिया। कुछ ही देर में वो और उसका लण्ड तैयार था। एकदम टनाटन सीधा लोहे की तरह तना हुआ खड़ा था।

"भाभी....प्लीज़ एक बार और.... प्लीज...." उसने बड़े ही प्यार भरे शब्दों में अनुरोध किया। प्यासी चूत को तो लण्ड चाहिये ही था.... और फिर मुझे एक बार तो क्या.... बार बार लण्ड चाहिये था....

"मेरे राजा.... फिर देर क्यों .... चढ़ जाओ ना मेरे ऊपर...." मैंने अपनी टांगे एक बार फिर चुदवाने के लिये ऊपर उठा दी और चूत के दरवाजे को उसके लण्ड के लिये खोल दिया।

वो एक बार फिर मेरे ऊपर चढ़ गया.... उसका लोहे जैसा लण्ड फिर मेरे शरीर में उतरने लगा। इस बार उसका पूरा लण्ड गहराई तक चोद रहा था। मैं फ़िर से आनन्द में मस्त हो उठी.... चूतड़ों को उछाल उछाल कर चुदवाने लगी। अब वो पहले की अपेक्षा सफ़ाई से चोद रहा था। उसका कोई भी अंग मेरे शरीर से नहीं चिपका था। मेरा सारा शरीर फ़्री था। बस नीचे से मेरी चूत और उसका लण्ड जुड़े हुये थे। दोनो हो बड़ी सरलता से धक्के मार रहे थे। वार सीधा चूत पर ही हो रहा था। छप छप और फ़च फ़च की मधुर आवाजे अब स्पष्ट आ रही थी। वो मेरे बोबे मसले जा रहा था। मेरी उत्तेजना दो चुदाई के बाद चरमसीमा पर आने लगी.... मेरा शरीर जमीन पर पड़े बिस्तर पर कसने लगा, मेरा अंग अंग अकड़ने लगा। मेरे जिस्म का सारा रस जैसे अंग अंग में बहने लगा। मेरे दोनो हाथों को उसने दबा रखे थे। मेरा बदन उसके नीचे दबा फ़ड़फ़ड़ा रहा था।

"मेरे राजा.... मुझे चोद दे जोर से....हाय राम जी.... कस के जरा.... ओहऽऽऽऽऽऽ ........ मैं तो गई मेरे राजा.... लगा....जरा जोर से लगा...." मेरे शरीर में तेज मीठी मीठी तरावट आने लगी.... लगा सब कुछ सिमट कर मेरी चूत में समा रहा है.... जो कि बाहर निकले की तैयारी में है।

"मेरे राजा.... जकड़ ले मुझे.... कस ले हाऽऽऽय्.... मेरी तो निकली.... मर गयीऽऽऽ ऊईईऽऽऽऽऽ आहऽऽऽऽऽ .... " मैं चरमसीमा लांघ चुकी थी.... और मेरा पानी छूट पड़ा। पर उसका लण्ड तो तेजी से चोद रहा था। अब उसके लण्ड ने भी अन्गड़ाई ली और मेरी चूत में एक बार फिर पिचकारी छोड़ दी। पर इस बार मैंने उसे जकड़ रखा था। मेरी चूत में उसका वीर्य भरने लगा। एक बार फिर से मेरी चूत में वीर्य छोड़ने का अह्सास दे रहा था। कुछ देर तक हम दोनों ही अपना रस निकालते रहे। जब पूरा वीर्य निकल गया तो हम गहरी गहरी सांसे लेने लगे। मेरे ऊपर से हट कर वो मेरे पास ही लेट गया। हम दोनो शान्त हो चुके थे....और पूरी सन्तुष्टि के साथ चित लेटे हुए थे। रात बहुत हो चुकी थी। राज जाने की तैयारी कर रहा था। उसने जाने से पहले मुझे कस कर प्यार किया.... और कहा...."भाभी.... आप बहुत प्यारी है.... आज्ञा हो तो कल भी...." हिचकते हुये उसने कहा, पर यहा कल की बात ही कहां थी....

मैंने उसे कहा -"मेरे राजा....मेरे बिस्तर पर बहुत जगह है.... यही सो जाओ ना...."

"जी....भाभी....रात को अगर मुझे फिर से इच्छा होने लगी तो...."

"आज तो हमारी सुहागरात है ना.... फिर से मेरे ऊपर चढ़ जाना....और चोद देना मुझे...."

"भाभी....आप कितनी........"

"प्यारी हूं ना.... और हां अब से भाभी नही....मुझे कहो नेहा....समझे...." मैंनें हंस कर उसे अपने पास लेटा लिया और बचपन की आदत के अनुसार मैंने अपना एक पांव उसकी कमर में डाल कर सोने की कोशिश करने लगी।
[+] 3 users Like nitya.bansal3's post
Like Reply
#4
इश्क बिना जिंदगी फ़िज़ूल है ...
लेकिन इश्क के भी अपने उसूल है...
कहते है इश्क में है बहुत उल्फ़ते...
जब तेरे जैसा हो साथी तो सब कबूल हें .....

[Image: IMG-20151219-WA0005.jpg]
[+] 2 users Like nitya.bansal3's post
Like Reply
#5
अजीब सी बेताबी है तुम बिन

रह भी लेते हैं
और रहा भी नहीं जाता
❤️❤️❤️❤️❤️

[Image: FB-IMG-1589704414853.jpg]
[+] 2 users Like nitya.bansal3's post
Like Reply
#6
कोरा इश्क़ तेरा ,
जैसे हो अफ़ीमी चस्का कोई...
चख़ लूँ तो जान चली जाती है ,
ना चख़ूँ तो साँस कहाँ आती है ...!!!

[Image: FB-IMG-1600941811506.jpg]
[+] 1 user Likes nitya.bansal3's post
Like Reply
#7
[Image: IMG-20160410-WA0042.jpg]
[+] 1 user Likes nitya.bansal3's post
Like Reply
#8
aagey bhi likho bhai
Like Reply
#9
THE END
[+] 1 user Likes nitya.bansal3's post
Like Reply
#10
मस्त कहानी
Like Reply
#11
https://xossipy.com/thread-31292.html
Like Reply
#12
[Image: Neeta-Shankar-Photography-Best-Fashion-P...orld-3.jpg]
pic share

??तेरे दीदार की #हसरत
तुझे #पाने की ख्वाहिश है ..??
हर एक #लम्हा ??
तेरे दिल में उतर जाने की ख्वाहिश है ..मेरी इस ज़िंदगी को ??
??तेरे इश्क़ में #संवर जाने की ख्वाहिश है..??
[+] 1 user Likes nitya.bansal3's post
Like Reply
#13
[Image: 1040ous-8.jpg]

सबक़ से आशिकी के मुझे कुछ गरज़ नहीं है,
एक लफ़्ज़ इश्क़ काफी है बाकी क्या करना.
[+] 1 user Likes nitya.bansal3's post
Like Reply
#14
तू मुझे याद करे न करे तेरी ख़ुशी,
हम तो तुझे याद करते रहते हैं...!
तुझे देखने को दिल तरसता रहता है,
और हम इंतज़ार करते रहते हैं...!!?

[Image: 366724493-626058099593460-8658162417122542911-n.jpg]
[+] 1 user Likes nitya.bansal3's post
Like Reply
#15
मैंने वो मोहब्बत की है तुमसे ...
जो मैं चाहती थी "कोई मुझसे करें"

[Image: da86710d1af174c0446d34c8237193c1.jpg]
[+] 2 users Like nitya.bansal3's post
Like Reply
#16
Good update
Like Reply




Users browsing this thread: