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Adultery पड़ोसन दीदी के दूध का कर्ज
#1
पड़ोसन दीदी के दूध का कर्ज
















fight Namaskar fight
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
(21-08-2020, 04:14 PM)neerathemall Wrote: पड़ोसन दीदी के दूध का कर्ज
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
दीदी दिखने में बहुत ही गोरी हैं, उनकी हाइट करीब 5’3″ होगी।
उनका साइज़ तो मुझे नहीं पता.. पर इतना कह सकता हूँ कि उनके एक मम्मे को एक हाथ में कैद कर पाना बहुत ही मुश्किल था। उनके मम्मे उनकी खूबसूरती में चार चाँद लगा देते थे।

ऊपर से दीदी का वो काला चश्मा लगाना उनको फिल्म की हीरोइन से कम नहीं दिखने देता था।

दीदी पर काफी लड़के मरते थे.. पर दीदी किसी को भी लाइन नहीं देती थीं।
उनका आना-जाना भी मोहल्ले के सिर्फ एक या दो घरों में ही था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
दीदी को ज्यादा घूमना-फिरना पसंद नहीं था.. इसलिए वो हमेशा घर पर ही रहना पसंद करती थीं।

उनके बोलने में तो एक बड़ी ही सहजता थी, वो हमेशा ‘आप’ ’ कह कर ही सबसे बात करती थीं।
दीदी की हमारे मोहल्ले में काफी रेस्पेक्ट थी।

बात तब की है.. जब मैं बारहवीं क्लास में पढ़ता था, मेरी उम्र 18 साल की थी और दीदी की उम्र कुछ 25-26 की रही होगी।
दीदी की सगाई हो चुकी थी और बस अगले 5-6 महीनों में उनकी शादी होनी तय थी।

एक दिन उनकी और मेरी फैमिली को एक शादी अटेंड करने जाना था। मेरे ऊपर पढ़ाई का ज़ोर था, इसलिए मैं तो नहीं जाने वाला था। उन दिनों मैं कॉलेज से दो बजे फ्री होता था और उसके बाद ट्यूशन जाता था.. इसलिए मैं घर पर शाम 6 बजे के बाद ही आ पाता था।

उस दिन मौसम का मिजाज कुछ खराब था.. इसलिए क्लास की लड़कियों ने ट्यूशन कैंसिल करवा दी और मैं निराश होकर घर आ गया।
मुझे पता था कि मेरे घर वाले 6 बजे से पहले नहीं आने वाले हैं.. पर अब मैं करता भी क्या।
इसलिए घर आ कर गेट के सामने बैठ गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
थोड़ी-थोड़ी बारिश शुरू होने लगी थी।
शायद 3 बज चुके थे और मैं पागल सा बैठा, अपनी किताबो की फ़िक्र कर रहा था कि कहीं ये ना भीग जाएं।

इतने में मुझे किसी ने आवाज़ दी- आप यहाँ बाहर क्या कर रहे हैं.. चलिए अन्दर आ जाएं हमारे घर में।

यह आवाज़ रूचि दी की थी।

मैंने उनकी तरफ देखा.. उन्होंने सफ़ेद स्कर्ट और पिंक टॉप पहना हुआ था। हमेशा की तरह काला चश्मा, बाल खुले हुए और हाथों में कंघी पकड़ी हुई थी.. शायद वे अपने बाल बना रही थीं।

दीदी- बाहर क्यों बैठे हुए हो.. ,

मुझे नहीं बता सकते थे ,
क्या..! चलो अब अन्दर आओ।

मैं उनके कहने मुताबिक उठा और सिर झुका कर उनके घर के अन्दर आ गया।

दीदी- अरे ! क्या हुआ.. आप आज जल्दी आ गए कॉलेज से?
मैंने उनको सारी बात बताई..

दीदी- आप फ़िक्र न करो.. आपको ठण्ड लग गई होगी.. मैं आपके लिए थोड़ा दूध गर्म करके ला देती हूँ।

दीदी रसोई में गईं और दूध गर्म करने लगीं।
इतने में वे अपने बाल बाँधने लगीं।

मेरा ध्यान उन पर ही था, उन्होंने बहुत ढीला सा टॉप पहना हुआ था। जब उन्होंने बाल पकड़ने के लिए हाथ ऊपर उठाए तो उनकेस्तनों  के साथ उनका टॉप एकदम से चिपक गया।

उनकी चूचियों  का एहसास बाहर से ही हो रहा था शायद उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी । यूं तो मैंने कभी दीदी पर बुरी नजर नहीं डाली.. पर था तो मैं लड़का ही। इसलिए मेरा सारा ध्यान दीदी के स्तनों  पर ही था।

अब दीदी बाल बाँध चुकी थीं।
उन्होंने अपने हाथ नीचे किए।
अब उनके टॉप किसी कारण से उनके स्तनों  के ऊपर कुछ फिट सा हो चुका था और उनके स्तनों  का पूरा आकार दिखा रहा था । शायद उनका इस बात की तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं था.. लेकिन ये दृश्य मुझमें एक नशा पैदा कर चुका था।वे इस बात से बेखबर अपने कामो में व्यस्त थीं .

अब मैं दीदी की गोरी-गोरी टांगों की तरफ देखने लगा, उनकी स्कर्ट घुटनों के ऊपर थी।
मैं उनको लेफ्ट साइड से देख रहा था और उनकी जाँघों और नितम्बों का साइज़ नापने लगा।

इतने में दीदी मेरे लिए दूध ले कर आईं।
मैंने एकदम से नजरों को हटाया और खुद को सम्भाला।
मैं अपने आपको कोसने लगा कि मैं ये सब दीदी के बारे में कैसे सोच सकता हूँ।

दीदी ने मुझे दूध दिया और मेरे सामने बैठ गईं।
मैं थोड़ा शर्मीले स्वाभाव का था इसलिए मेरी नजरें तो नीचे ही रहीं।

दीदी मेरे सामने वाले सोफे पर अपनी दोनों टाँगें क्रॉस करके बैठी हुई थीं। मेरा ध्यान तो बार-बार दीदी की टांगों की तरफ ही जा रहा था और जितना अन्दर हो सकता था.. मैंने उतने अन्दर तक देखने की कोशिश कर रहा था।किन्तु बादलों के कारण थोड़ा अँधेरा बढ़ गया था
इस लिए कुछ भी दिख नहीं रहा था .हा यह आभास हो रहा था की उन्होंने अन्दर नीले या काले रंग की पैंटी पहनी हुई थी .

दीदी मुझसे यहाँ-वहाँ की बातें करने लगीं, पर मेरा दूध खत्म ही नहीं हो रहा था।

दीदी- बेटा आप इतने ही धीरे दूध पीते हो?
मैं- नहीं दीदी, वो दूध थोड़ा गर्म था इसलिए..
दीदी- तो मुझे पहले क्यों नहीं बताया?

उन्होंने थोड़ा सा गुस्सा दिखाया, फिर उन्होंने मुझसे गिलास लेकर एक बड़े बर्तन में दूध डाल दिया और उसे ठंडा करने लगीं।

मेरा ध्यान फिर उनके हिलते हुए स्तन -युगल पर  गया.. पर अब उनकेस्तन उनके टॉप की बदसलूकी की सज़ा से आज़ाद हो चुके थे।
अब जो सीन मैं पहले देख चुका था.. उससे तो अब मुझे पक्का विश्वास हो चूका था कि दीदी ने आज ब्रा नहीं पहनी थी और पहनती भी क्यों? सारी फैमिली के लोग तो मैरिज में गए थे।और वे घर में अकेली थी .

दीदी अब वापिस कमरे में आ गईं- ये लो.. अब मैंने आपके लिए दूध ठंडा कर दिया है। अब अच्छे बच्चे की तरह जल्दी सारा दूध पी जाओ।

उनका कहना मैं कैसे टाल देता.. सो एक ही झटके में सारा दूध पी गया.. मेरी दूध पीने की स्पीड देख कर वो भी हँसने लगीं।

दीदी- लगता हैं आपको दूध बहुत पसंद हैं।
मैंने उनके स्तन -युग्म की तरफ देखते हुए कहा- हाँ जी दीदी।

दीदी ने मेरी आँखों को देखते हुए कहा- ठीक है.. अब जब तुम जब भी हमारे घर आओगे तो तुम्हें दूध ही पिलाऊँगी।

इतना कह कर दीदी मेरे साथ बैठ गईं।

उनकी एक टांग मेरी टांग की टच कर रही थी।
पता नहीं उन्होंने जन बूझ कर ऐसा किया था या यूं ही उनके पैर मेरे पैरों से छू रहे थे .
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#7
जब उनकी वो जांघ मेरी जांघ से टच कर रही थी.. मैं तो पूरी मस्ती में डूबता जा रहा था।

शायद दीदी को इस बात का कोई ख्याल नहीं था।
दीदी को पता था कि मैं बहुत शर्माता हूँ इसलिए वो मजाक-मजाक में मेरे और करीब आ कर बैठ गईं।

दीदी- कहीं भाग मत जाना..
ये कह कर वे ज़ोर से हँस दीं।
मैं चुप रहा।

दीदी- आपको लड़कियों से इतनी प्रॉब्लम क्यों है?
मैं- प्रॉब्लम तो कोई नहीं है.. बस ऐसे ही।

दीदी- तो महाराज के इतने करीब कोई लड़की आ कर बैठी नहीं होगी।
मैं- आप ही पहले हो.. जो मेरे इतने करीब आ गई हो।

दीदी मेरी क्लास लेने लगीं- बेटा आपका शादी के बाद क्या होगा.. अगर अपनी बीवी से भी इतनी दूर रहे.. तो वो तो भाग जाएगी।
मैं चुप रहा।

इतने में दीदी ने मुझे एक हाथ से लिपटा लिया। वो मेरे राईट साइड में बैठी थीं.. और उनकी बाईं बाँह अब मेरे गले के से घूमती हुई मेरे कंधे पर थी।

दीदी- ये बताओ.. मेरे बेटे ने कोई लड़की भी पटाई है जा नहीं?

मेरा सिर नीचे झुका हुआ था और मैंने ‘ना’ में सिर हिला दिया।

दीदी मेरे इतने करीब आ चुकी थीं कि उनका एक चूचा मेरी कोहनी से टच कर रहा था।

एक तो पहली बार किसी लड़की के इतने करीब और ऊपर से बिना ब्रा वाला मुम्मा। मेरा तो अन्दर लण्ड का टेंट बनना शुरू हो गया।

दीदी- क्यों नहीं पटाई.. आपको लड़कियों में इंटरेस्ट तो है ना?
इतना कहते ही वो खिलखिला उठीं।

मैं- नहीं अभी कोई मिली नहीं।
दीदी- अगर वो आपके सामने भी आ जाए.. तब भी आपसे कुछ नहीं होगा।
मैं- क्यों नहीं होगा.. मैं बहुत कुछ कर सकता हूँ।

दीदी ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगीं- क्या-क्या कर सकते हो आप?
मैं- मैं कुछ भी कर सकता हूँ.. जिससे वो हमेशा खुश रहे।

दीदी- तो आपको क्या पता है कि लड़कियों को खुश करने के लिए क्या करना चाहिए?
मैं- नहीं, पर मैं टाइम आने पर आपकी हेल्प ले लूँगा।
दीदी- हाँ ले लेना.. जितनी चाहे ले लेना, मैं मना नहीं करूँगी।

अब उनकी हँसी और भी तेज होती जा रही थी।

बच्चा तो मैं भी नहीं था.. मुझे भी ये बात समझ में आ रही थी कि वो किधर की बात कर रही हैं। पर उनका ये रूप आज मैं पहली बार देख रहा था या शायद मिला ही पहली बार उनसे अकेले में था।

अब मैं थोड़ा सा शराफत का ढोंग करने वाला था.. इसलिए मैंने उनकी उस बांह को अपने गले से उतार दिया।

मैं- दीदी मुझे ये ठीक नहीं लग रहा।
दीदी- मेरा बेटा मुझसे भी शर्माता है।

इतना कहते ही उनकी दूसरी बाजू भी मेरी गले से लिपट गई।
दीदी- तुझसे प्यार करने दिल करता है।

उनका चेहरा मेरे चहरे के बिल्कुल सामने था, मेरा जी तो चाहता था कि एक बार उन्हें चूम लूँ.. पर मन में आया कि हो सकता है.. दीदी मजाक कर रही हों और अगर मैं आगे बढ़ा तो वो गुस्सा हों.. इसलिए मैं कुछ न कर सका।

मैं- दीदी मैं टीवी देखने जा रहा हूँ।

इतने में मैं उठा पर मेरे खड़े लण्ड पर दीदी की नज़र पड़ गई.. जो पैन्ट में टेंट बना खड़ा था।
दीदी ने थोड़ा सा गुस्सा दिखाया- मैं आपके थोड़ा सा करीब क्या आई, आपने ये हरकत कर दी बेटे।

मेरी फट कर हाथ में आ गई थी।
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#8
मैं- नहीं दीदी.. मैंने जानबूझ कर नहीं किया.. यह अपने आप ही हो जाता है।
दीदी- ऐसे-कैसे अपने आप हो जाता है? जरूर आपने ही किया होगा।
मैं- नहीं दीदी सच में.. मैं तो आपके बारे में ऐसा सोच भी नहीं सकता हूँ।
उस वक़्त मेरा गला पूरा सूख चुका था।

दीदी- अच्छा, मेरे बेटे का मेरे लिए खड़ा भी होता है।
इतने में उन्होंने अपना राईट हैंड मेरे लंड पर रख दिया और हल्के से उसे पैन्ट के ऊपर से सहलाने लगीं।

मेरी तो जैसे सारी दुनिया ही बदल गई कि ये क्या हो रहा है।
मैं- दीदी ये सब ठीक नहीं।
दीदी- मुझसे क्यों शर्माते हो, बड़ी हूँ मैं आपसे।

मैं- पर दीदी अगर किसी को पता चला तो बहुत पिटाई होगी।
दीदी- अपने बेटे को मैं क्यों पिटने दूँगी और मैं किसी को क्या बताऊँगी? पर पहले मुझे अपने बेटे का लंड देखना है देखूँ तो सही.. किसने मेरे सामने सिर उठाया है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#9
उनके इस बिंदास अंदाज पर मैं कुछ नहीं बोला और ना ही अपनी पैन्ट खोली।
मैं- दीदी नहीं मुझे कुछ भी नहीं करना।

इतने में दीदी ने मेरी पैन्ट की ज़िप खोली और पैन्ट नीचे कर दी।
अब वो मेरी चड्डी सरका कर मेरा लंड अपने हाथ में पकड़े हुए थीं और बड़े ही गौर से उसे देख रही थीं।

मैं दीदी के चश्मे में से उनकी उस काली आँखों में चमक देख सकता था।
दीदी- तेरा तो बहुत अच्छा है, दीदी से क्यों छुपा कर रखता है इसे?

इतने में उन्होंने एक किस बिल्कुल मेरे लंड के मुँह पर कर दिया, जिससे मेरे लंड से एक-दो बूँदें बाहर को आने लगीं..
रस देख कर दीदी हंसने लगीं।

दीदी- आप कुछ और कहते हो.. और आपका लंड तो कुछ और ही बोल रहा है।
मैं चुप रहा और इधर-उधर देखने लगा जैसे मेरा इन चीजों में कोई इंटरेस्ट ना हो।

दीदी ने इतने में एक और किस किया। मैं दीदी के चेहरे की तरफ देखने लगा। उन्होंने मुझे एक आँख मारी और सारा का सारा मेरा लंड मुँह में डाल लिया।
मैं तो जैसे नशे के सातवें आसमान पर था।

यह मेरा पहली बार था.. इसलिए मैं एक-दो मिनट से ज्यादा न टिक सका और दीदी के मुँह में ही निकल गया।

दीदी ने अब मेरा लंड मुँह से निकाला और मेरा पानी भी बाहर थूका।

दीदी- बता तो देता कि छूटने वाला है.. अपनी दीदी के मुँह में पानी गिराना अच्छा लगता है?
मैं- नहीं दीदी वो बस मजा आ रहा था और मैं आपको रोकना नहीं चाहता था। दीदी अभी मेरा हो गया.. अभी और मन नहीं कर रहा.. मुझे जाना है।

दीदी के मन में पता नहीं क्या आया और मेरा मुरझाया हुआ लंड उन्होंने फिर से मुँह में ले लिया। थोड़ी मेहनत के बाद उसमें फिर से जान आ गई।

दीदी- अभी तो नहीं न जाने का मन कर रहा?
मैं- नहीं दीदी।
दीदी- तो फिर मुझे खुश नहीं करेगा क्या?

उनके इतना कहते ही मैंने उनको सोफे पर लिटा दिया और उनके ऊपर आ गया मैं उनके पिंक टॉप के ऊपर से ही उनके मम्मों पर खूब सारे किस करने लगा।

दीदी- ऊपर से ही करेगा.. या कुछ उतारेगा भी?

मैंने दीदी का टॉप उतार दिया। उनके पिंक टॉप के नीचे पिंक निप्पल मुझ पर जादू करते जा रहे थे। मैं तो मानो पागल ही हो गया था। उन्हें देखते हुए कभी एक निप्पल चूस रहा था और कभी दूसरा.. और वो मेरे सिर पर प्यार से हाथ फिराते हुए जा रही थीं।

कुछ मिनट चूचे चूसने के बाद मैं उठा- दीदी मुझे कुछ और भी करना है।
दीदी- और क्या करना है आपने मेरे साथ?

मैंने दीदी को अपना हाथ पकड़ाया और एक साथ से उन्हें खड़ा किया।
अब मैं दीदी को सिर्फ एक स्कर्ट में देख रहा था सफ़ेद स्कर्ट में मेरी प्यारी सफ़ेद सी दीदी बहुत मस्त लग रही थीं।

मैं- दीदी मुझे आपकी स्कर्ट को भी उतारना है।
दीदी- भला मैं अपने बेटे को कैसे मना कर सकती हूँ.. आ जाओ मेरे पास।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#10
मैंने उनको दोनों हाथों से पकड़ लिया और एक ज़ोर से होंठों पर किस कर दिया।
किस करते-करते ही हम वापिस सोफे पर जा गिरे।
इस बार मेरा राईट हैंड उनकी स्कर्ट के अन्दर अपना रास्ता ढूँढ रहा था और वो भी अपनी टाँगों को खोलते हुए मेरे हाथ को चूत का रास्ता दिखा रही थीं।

हम लोग लगातार किस कर रहे थे। मेरा हाथ अब उनकी पैन्टी के ऊपर से उनकी चूत सहला रहा था। मुझे उनकी पैन्टी काफी गीली सी फील हुई, पर मुझे क्या था.. मैं तो मजे ले रहा था।

दीदी- ऊपर से ही करते रहेगा.. या अन्दर भी हाथ डालेगा।
मैं- जरूर दीदी।

अब मैंने दीदी की पैन्टी के अन्दर हाथ डाल दिया। दीदी की चूत बिल्कुल साफ़ थी.. एक भी बाल नहीं था।

मैं- दीदी मुझे आपकी चूत देखनी है।
दीदी- आपको शर्म नहीं आएगी अपनी दीदी की चूत देखते हुए।

वो एक स्माइल देने लगीं।

दीदी- चलो, फिर उतारो मेरी पैन्टी.. अभी दिखाती हूँ।

मैंने दीदी की पैन्टी से हाथ बाहर निकाला और उसको नीचे को खींच दिया।
दीदी ने अपनी स्कर्ट भी उतार दी, उन्होंने पिंक पैन्टी जॉकी की पहन रखी थी।

मैं- दीदी आपकी कलर चॉइस तो बहुत अच्छी है।

इतने में मैं आगे बढ़ा और दीदी की पैन्टी नीचे करने लगा।
दीदी की चूत किसी मक्खन की टिकिया लग रही थी। चूत के बीचों बीच में एक लाइन और अन्दर सब पिंक-पिंक दिख रहा था।

मैं- दीदी अब समझा.. आपको पिंक क्यों इतना पसंद है। आपकी चूत भी पूरी पिंक है।
दीदी- मजाक तो बहुत अच्छा कर लेता है तू.. अब दिखा इसके अन्दर उंगली भी इतनी अच्छी कर लेता है क्या?

मैं यह मौका कहाँ छोड़ने वाला था, मैंने उनकी पैन्टी नीचे उतारी और चूत में उंगली करने लगा।

मैं- दीदी आपसे एक बात पूछूँ.. मुझे सच तो बताओगी ना?
दीदी- मैं तुझसे झूठ क्यों बोलूंगी।
मैं- आप पहले किसी से चुदवा चुकी हैं?

दीदी- हाँ.. अपने मंगेतर से दो बार चुदवा चुकी हूँ। बस अब उनसे शादी हो जाएगी फिर मैं सिर्फ उनकी ही बन कर रहूँगी।
मैं- आपकी तो पांच-छह महीनों में शादी हो ही जाती.. तो फिर मुझसे क्यों?

दीदी- लड़कियों को तुझ जैसे शर्मीले लड़के बहुत पसंद होते हैं। वैसे भी मैंने कभी नहीं सोचा था कि तेरे साथ ऐसा करूँगी। पर जैसा-जैसा मन करता गया.. मैं करती गई और वैसे भी तेरे लिए तो अच्छा ही है.. कम से कम अब मेरा बेटा लड़कियों से शर्माएगा तो नहीं ना।

इतना कह कर दीदी ने अपनी चूत से मेरी उंगली निकाली और फिर मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगीं।
दीदी- इससे आगे बढ़ने का क्या कोई इरादा नहीं आपका?

मैंने अपनी पैन्ट और चड्डी पूरी तरह निकाल दी। अब मैं उनके ऊपर आ गया और उनकी चूत में लंड डालने लगा।
दीदी को अभी मेरी तरफ देख कर हँसी आई।

दीदी- आपको अभी ज्यादा कुछ नहीं पता।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#11
फिर मुझे नीचे आने को कहा और मेरे नीचे आते ही उन्होंने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत पर टिकवा लिया। जैसे ही लौड़े को रास्ता मिला, वो अन्दर घुस गया।
दीदी की चूत काफी कसी हुई थी। मेरा लंड तो उनकी चूत के अन्दर ऐसे फिट हो गया.. जैसे ये चूत सिर्फ मेरे लिए ही बनाई गई हो।
वो एहसास मैं कभी नहीं भूल सकता।[Image: desi-girl.jpg]
मेरा लंड पूरी मस्ती में था और मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई मेरे लंड पर गुदगुदी कर रहा हो।
मुझे बहुत मजा आ रहा था।
मैं दीदी के दोनों मम्मों को हाथों में पकड़ रखे थे और ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था।
साथ ही मैं दीदी को ज़ोर से किस किए जा रहा था।

दीदी भी मेरा साथ ऐसे दे रही थीं.. जैसे आज मेरे होंठ नोंच ही डालेंगी।

फिर मैं ऊपर आ गया। अभी उन्हें चोदते हुए कुछ ही मिनट हुए थे कि मेरे शरीर में एक तेजी से बिजली दौड़ी और मेरा पानी दीदी की चूत में निकल गया।

मैं निढाल होकर गिर गया।

दीदी- आपका हो गया क्या?
मैं- हाँ जी दीदी।

फिर दीदी ने मुझे एक किस दिया और मुझे अपने ऊपर से उठा दिया और वो बाथरूम की तरफ जाने लगीं।
मैं बस जाते हुए उनकी मटकती हुई गांड देख रहा था जिनके ठुमकने से मेरे दिल की धड़कन और तेज़ कर रही थी।
इतने में दीदी बाथरूम में चली गईं और मैं बाहर उनके इंतज़ार में सोफे पर ही सो गया।

बाद में शायद दो घंटे बाद उन्होंने मुझे उठाया, वो अभी मेरे सामने ब्लैक लैगी और रेड टॉप में खड़ी थीं।
दीदी- आपके मम्मी पापा का फ़ोन आया था.. चलो तैयार हो जाओ।

मैं उठा और दीदी को किस करने कर लिए आगे बढ़ा।
दीदी ने मुझे रोका और प्यार से एक चपत मेरे चेहरे पर लगा दी- चलो मेरे राजा, पहले तैयार हो जाओ अभी.. पापा-मम्मी से वेट करवोगे क्या?

अब मैं तैयार हो गया।

कुछ देर तक मैं दीदी की यादों में लेटा हुआ था। मम्मी-पापा का वेट भी कर रहा था। तभी गेट पर बेल बजी.. और पापा-मम्मी और दीदी की फैमिली भी आ गई।

मम्मी ने खुद से गेट खोला और सामने दीदी ही खड़ी थीं।

मम्मी- इसने तंग तो नहीं किया न?
दीदी- अरे नहीं, ये तो बस सोता रहा.. मैंने इसके लिए आइसक्रीम बनाई थी.. पर ये सो रहा था इसलिए उठाना ठीक नहीं समझा।
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#12
तने में दीदी ने आइसक्रीम मम्मी को पकड़ाई और अन्दर चली गईं।

मम्मी ने मुझे आइसक्रीम पकड़ाई और चली गईं।

मैंने आइसक्रीम की तरफ देखा तो ये स्ट्रॉबेरी फ्लेवर था.. पर मुझे क्या मेरे लिए तो ये पिंक आइसक्रीम थी।

उसके बाद मुझे कभी दीदी के साथ कुछ करने का मौका नहीं मिला और जब मौका मिला तो दीदी की शादी हो चुकी थी और उन्होंने कुछ करने से बिल्कुल मना कर दिया।
बस एक छोटा सा लिप किस देकर वो चली गईं।
शायद वो अपने पति से बेवफाई नहीं कर सकती थीं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#13
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,31
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#14
Bahut ghatia likja
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#15
(22-08-2020, 01:11 PM)Feku Wrote: Bahut ghatia likja

clps
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#16
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#17
(21-08-2020, 04:14 PM)neerathemall Wrote:
पड़ोसन दीदी के दूध का कर्ज[Image: Fy64dpF.jpg]
















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#18
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#20
(21-08-2020, 04:14 PM)neerathemall Wrote:
पड़ोसन दीदी के दूध का कर्ज
















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