21-08-2020, 02:29 PM
मेरी सहेली

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.

Adultery मेरी सहेली
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21-08-2020, 02:29 PM
मेरी सहेली
![]() जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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21-08-2020, 02:30 PM
मैं और कामिनी बचपन की सहेलियाँ है. हम कॉलेज से लेकर कॉलेज तक साथ साथ पढ़े. और अब मेरी और कामिनी की शादी भी लगभग एक ही साथ हुयी थी. मेरा घर और उसका घर पास में था. कामिनी का पति बहुत ही सुंदर और अच्छे शरीर का मालिक था. मेरा दिल उस पर शुरू से ही था. मैं उस से कभी कभी सेक्सी मजाक भी कर लेती थी. वो भी इशारों में कुछ बोलता था जो मुझे समझ में नहीं आता था. कामिनी भी मेरे पति पर लाइन मारती थी ये मैं जानती थी. जब हमारे पति नहीं होते तो हम दोनों साथ ही रहते थे.
उन दोनों के ऑफिस चले जाने के बाद मैं कामिनी के घर चली जाती थी. कामिनी आज कुछ सेक्सी मूड में थी. मैंने कामिनी से कहा- ‘आज चाय नहीं..कोल्ड ड्रिंक लेंगे यार.’ ‘हाँ हाँ क्यों नहीं…’ हम सोफे पर बैठ गए. कामिनी मुझसे बोली- ‘सुन एक बात कहूं… बुरा तो नहीं मानेगी…’ ‘कहो तो सही..’ ‘देख बुरा लगे तो सॉरी… ठीक है ना…’ ‘अरे कहो तो सही…’ ‘कहना नहीं… करना है…’ ‘तो करो… बताओ..’ मैं हंस पड़ी. उसने कहा- ‘रीता.. आज तुझे प्यार करने की इच्छा हो रही है…’ ‘तो इसमे क्या है… आ किस करले..’ ‘तो पास आ जा..’ ‘अरे कर ले ना…’ मुझे लगा कि वो कुछ और ही चाह रही है कामिनी ने पास आकार मेरे होटों पर अपने होंट रख दिए. और उन्हे चूसने लगी. मैंने भी उसका उत्तर चूम कर ही दिया. इतने में कामिनी का हाथ मेरे स्तनों पर आ गया और वो मेरे स्तनों को सहलाने लगी. मैं रोमांचित हो उठी.. ‘ये क्या कर रही है कामिनी…’ ‘रीता मुझसे आज रहा नहीं जा रहा है… तुझे कबसे प्यार करने कि इच्छा हो रही थी…’ जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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21-08-2020, 02:30 PM
अरे तो तुम्हारे पति… नहीं करते क्या..’
‘कभी कभी करते है… अभी तो 7-8 दिन हो गए हैं… पर रीता मैं तुमसे प्यार करती हूँ… मूझे ग़लत मत समझना..’ उसने मेरे स्तनों को दबाना चालू कर दिया. मूझे मजा आने लगा. मेरी सहेली ने आज ख़ुद ही मेरे आगे समर्पण कर दिया था. मैं तो कब से यही चाह रही थी. पर दोस्ती इसकी इज़ज्ज़त नहीं देती थी. मुझे भी उसे प्यार करने का मौका मिल गया. अब मैंने अपनी शर्म को छोड़ते हुए उसकी चुन्चियों को मसलना शुरू कर दिया. वो मन में अन्दर से खुश हो गयी. वो उठी और अन्दर से दरवाजा बंद कर लिया. मैं भी उसके पीछे उठी और उसके नर्म नर्म चूतड पकड़ लिए. कामिनी सिसक उठी. बोली -‘मसल दे मेरे चूतडों को आज… रीता… मसल दे…’ मैंने कामिनी का पजामा और टॉप उतार दिया. अब वो मेरे सामने नंगी खड़ी थी. मैं भी अपने कपड़े उतारने लगी. पर वो बोली- नहीं रीता… तू मुझे बस ऐसे ही देखती रह… मेरे बूब्स मसल दे… मेरी छूट को घिस डाल… उसे चूस ले… सब कर..ले ‘ मैं उसे देखती रह गयी. मैंने धीरे उसके चमकते गोरे शरीर को सहलाना चालू कर दिया. पर मुझसे रहा नहीं गया. मैं भी नंगी होना चाहती थी. मैंने भी अपना पजामा कुरता उतार दिया, और नंगी हो कर उस से लिपट गयी. हम दोनों एक दूसरे को मसलते दबाते रहे और सिसकियाँ भरते रहे. अब हम बिस्तर पर आ गए थे, हम दोनों 69 की पोसिशन में आ गए. उसने मेरी चूत चीर कर फैला दी और अपनी जीभ से अन्दर तक चाटने लगी. अचानक उसने मेरा दाना अपनी जीभ से चाट लिया. मैं सिहर गयी. मैंने भी उसकी चूत के दाने को जीभ से रगड़ दिया. उसने अपनी चूत मेरे मुंह पर धीरे धीरे मारना चालू कर दिया. और मेरी चूत को जोर से चूसने लगी. मैंने उसकी चूत मैं अपनी उंगली घुसा दी और गोल गोल घुमाने लगी. वो आनंद से भर कर आहें भरने लगी. मेरी चूत में उसकी जीभ अन्दर तक घूम चुकी थी. मुझे मीठा मीठा सा आनंद से भरपूर अह्स्सास होने लगा था. हम दोनों की हालत बुरी हो रही थी. लगता था कि थोडी देर में झड़ जाएँगी. उसी समय मोबाइल बज उठा. कामिनी होश में आ गयी. हांफती हुयी उठी और मोबाइल उठा लिया. वो उछल पड़ी. मोबाइल बंद करके बोली- ‘अरे वो बाहर खड़े हैं… जल्दी उठ रीता… कपड़े पहन…’ ‘जल्दी कैसे आ गए… ???????’ हम दोनों ने जल्दी से कपड़े पहने और बालकनी पर आ गए. नीचे साहिल खड़ा था. वो दरवाजा खोल कर अन्दर आ गया. अन्दर उसने मुझे देखा और मुस्कराया. मैं भी मुस्करा दी. ‘सुनो तुम्हे अभी मायके जाना है… मम्मी बहुत बीमार हैं…’ उसकी मम्मी शहर में 10 किलोमीटर दूर रहती थी. मैं कामिनी से विदा ले कर घर आ गयी. उसे करीब 1 घंटे बाद कार में जाते हुए देखा. शाम को मैं घर के बाहर ही फल, सब्जी खरीद रही थी. मैंने देखा कि साहिल कार में घर की तरफ़ जा रहा था. मैंने घड़ी देखी तो 4 बजे थे. मेरे पति 7 बजे तक आते थे. मेरे मन में सेक्स जाग उठा. मैंने तुंरत ही कुछ सोचा और सामान सहित कामिनी के घर की तरफ़ चल दी. साहिल घर पर ही था. मैंने घंटी बजाई. तो साहिल बाहर आया. ‘मम्मी कैसी हैं ?…’ ‘ठीक हैं, 4 -5 दिन का समय तो ठीक होने में लगेगा ही.. आओ अन्दर आ जाओ..’ ‘तो खाना कौन बनाएगा… आप हमारे यहाँ खाना खा लीजियेगा…’ वो मतलब से मुस्कुराते हुए बोला- ‘अच्छा क्या क्या खिलाओगी..’ मैंने भी शरारत से कहा- ‘जो आप कहें… नारंगी खाओगे… जीजू…’ उसकी नजर तुरन्त मेरे स्तनों पर गयी. मेरी नारंगियों के उभारों को उसकी नजरें नापने लगी. ‘हाँ अगर तुम खिलाओगी तो… तुम क्या पसंद करोगी..’ साहिल ने तीर मारा ‘हाँ… मुझे केला अच्छा लगता है…’ मैंने उसकी पेंट की जिप को देखते हुए तीर को झेल लिया. ‘पर..आज तो केला नहीं है…’ ‘है तो… तुम खिलाना नहीं चाहो तो अलग बात है…’ मैंने नीचे उसके खड़े होते हुए लंड को देखते हुए कहा.. उसने मुझे नीचे देखते हुए पकड़ लिया था. ‘अच्छा..अगर है तो फिर आकर ले लो..’ साहिल मुस्कराया ‘अच्छा मैं चलती हूँ… जीजू… केला तो अन्दर छुपा रखा है..मैं कहाँ से ले लूँ?.’ मैंने सीधे ही लंड की ओर इशारा कर दिया. मैं उठ कर खड़ी हो गयी. वो तुंरत मेरे पीछे आया और मुझे रोक लिया- ‘केला नहीं लोगी क्या… मोटा केला है…’ मैंने प्यार से उसे धक्का दिया- ‘तुमने नारंगी तो ली ही नहीं.. तो मैं केला कैसे ले लूँ..’ मैंने तिरछी नजरों का वार किया. उसने पीछे से आ कर- धीरे से मेरी चुंचियाँ पकड़ ली. मैं सिसक उठी. मैंने अपनी आँखें बंद कर ली. ‘ये नारंगियाँ बड़ी रसीली लग रही हैं ‘ ‘साहिल… क्या कर रहे हो…’ जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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21-08-2020, 02:31 PM
बस रीता… तुम्हारी नारंगी… इतनी कड़ी नारंगी… कच्ची है क्या…’
उसका लंड मेरे चूतडों पर रगड़ खाने लगा. मैंने उसका लंड हाथ पीछे करके पकड़ लिया. ‘इतना बड़ा केला… हाय रे… जीजू ‘ ‘ रीता… नीचे तुम्हारे गोल गोल तरबूज… हैं… मार दिया मुझे. उसके लंड ने और जोर मारा. लगा कि मेरा पजामा फाड़ कर मेरी गांड में घुस जायेगा. मैंने मुड कर साहिल की ओर देखा. उसकी आंखों में वासना के डोरे नजर आ रहे थे. मैं भी वासना के समुन्दर में डूब रही थी. मैंने अपने आप को ढीले छोड़ते हुए उसके हवाले कर दिया. उसने मेरी आंखों में आँखें डालते हुए प्यार से देखा… मैं उसकी आंखों में डूबती गयी. मेरी आँखें बंद होने लगी. उसके होंट मेरे होटों से टकरा गए. अब हम एक दूसरे के होटों का रस पी रहे थे. साहिल ने मेरे एलास्टिक वाले पजामे को धीरे से नीचे खींच दिया. मैंने अन्दर पेंटी नहीं पहनी थी. उसका हाथ सीधे मेरी चूत से टकरा गया. उसने जोश में आकर मेरी चूत को भींच दिया. मै मीठी मीठी अनुभूति से कराह उठी. उसके दूसरे हाथ ने मेरे स्तनों पर कब्जा कर लिया था. मेरे उरोज कड़े होने लग गए थे. मेरा पाज़ामा धीरे धीरे नीचे तक सरक गया। सहिल ने ना जाने कब अपनी पैन्ट नीचे सरका ली थी। उसका नंगा लण्ड मेरी गाण्ड से सट गया। लण्ड की पूरी मोटाई मुझे अपने चूतड़ों पर महसूस हो रही थी। मुझे लगा कि मैं लण्ड को अन्दर डाल लूं और मज़ा लूं। मेरे चिकने चूतड़ों की दरार में उसका लण्ड घुसता ही जा रहा था। मैंने अपनी एक टांग थोड़ी सी ऊपर कर ली उसका लंड अब सीधे गांड के छेद से टकरा गया. गांड के छेद पर लंड स्पर्श अनोखा ही आनंद दे रहा था. उसने अपने लण्ड को वहां पर थोड़ा घिसा और मुझे जोर से जकड़ लिया. उसके लंड का पूरा जोर गांड के छेद पर लग रहा था. लण्ड की सुपारी छेद को चौड़ा करके अन्दर घुस पड़ी थी. मैं सामने की मेज़ पर हाथ रख कर झुक गयी और चूतडों को पीछे की और उभार दिया. टांगे थोड़ी और फैला दी. ‘आह… रीता… बड़ी चिकनी है… क्या चीज़ हो तुम. ..’ ‘साहिल… कितना मोटा है… अब जल्दी करो…’ ‘हाय… इतने दिन तक तुमने तड़पाया… पहले क्यों नहीं आयी…’ जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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21-08-2020, 02:32 PM
ये लो मेरी रीता… क्या चिकने चूतड हैं…’
‘हाँ मेरे राजा… मैं तो रोज तुम पर लाइन मारती थी… तुम समझते ही नहीं थे… हाय मर गयी…’ जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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21-08-2020, 02:32 PM
मैं हंस पड़ी- ‘आज मैं इसी लिए तो आई थी… मुझे पता था कि कामिनी नहीं है… तुम अकेले ही हो… और अगर आज तुमने लाइन मारी तो तुम गए काम से…’
दोनों ही हंस पड़े… हम दोनों बिस्तर पर आ गए… मैंने कहा…’साहिल… मैं तुम्हें पहले चोदूंगी… प्लीज़… तुम लेट जाओ… मुझे चोदने दो…’ ‘ चाहे मैं चोदूं या तुम… चुदेगी तो रीता ही ना… आ जाओ…’ कह कर साहिल हंसने लगा. वो बिस्तर पर सीधे लेट गया. उसके लण्ड कि मोटाई और लम्बाई अब पूरी नजर आ रही थी. मैं देख कर ही सिहर उठी. मेरे मन में ये सोच कर गुदगुदी होने लगी कि इतने मोटे लण्ड का स्वाद मुझे मिलेगा. मैं धीरे से उसकी जांघों पर बैठ गयी. उसके लण्ड को पकड़ कर सहलाया और मोटी सी सुपारी को चमड़ी ऊपर करके सुपारी बाहर निकाल दी. मैंने अपनी लम्बी चूत के होठों को खोला और उसकी लाल लाल सुपारी को मेरी लाल लाल चूत से चिपका दिया. पर साहिल को कहाँ रुकना था. सुपारी रखते ही उसके चूतड़ों ने नीचे से धक्का मार दिया. सुपारी चूत को चीरते हुए अन्दर घुस गयी. मैं आनंद से सिसक उठी. ‘हाय रे… घुसा दिया अन्दर… मेरी सहेली के चोदू , मेरे राजा… जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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21-08-2020, 02:33 PM
कहते हुए मैं उस पर लेट गई. वो गया नीचे दबा हुआ था इसलिए पूरी चोट नहीं दे पा रहा था. पर मेरे आनंद के लिए उतना ही बहुत था. मैंने उसे जकड़ लिया. अब मेरे से भी उत्तेजना सहन नहीं हो रही थी. मैंने अपनी चूत लण्ड पर पटकनी चालू कर दी. फच फच की आवाजों से कमरा गूंजने लगा. हम दोनों आनंद में सिस्कारियाँभर रहे थे.
‘हाय मेरे राजा… मजा आ रहा है… हाय चूत और लंड भी क्या चीज़ है… हाय रे…’ जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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21-08-2020, 02:33 PM
‘रीता… लगा… जोर से लगा… और चोद… निकाल दे अपने जीजू के लण्ड का रस…’
मैंने अपनी गति बढ़ा दी. चूतड़ों को हिला हिला कर उसका लण्ड झेल रही थी. उसका लण्ड मेरे चूत के चिकने पानी से भर गया था. ‘हाँ ..मेरे राजा… ये लो… और लो…’ पर साहिल को ये मंजूर नहीं था… उसने मुझे कस के पकड़ा और एक झटके में अपने नीचे दबोच लिया. वो अब मेरे ऊपर था. उसका लण्ड बाहर लटक रहा था. उसने अपना कड़क मोटा लण्ड चूत के छेद पर रखा और उसे एक ही झटके में चूत की जड़ तक घुसा डाला. मुझे लगा कि सुपारी मेरे गर्भाशय के मुख से टकरा गयी है. मैं आह्ह्ह भर कर रह गयी. अपनी कोहनियों के सहारे वो मेरे शरीर से ऊपर उठ गया. मेरे जिस्म पर अब उसका बोझ नहीं था. मैं एक दम फ्री हो गयी थी. मैंने अपने आप को नीचे सेट किया और टांगे और ऊपर कर ली. साहिल ने अब फ्री हो कर जोरदार शोट मरने चालू कर दिए. मुझे असीम आनंद आने लगा. मैंने भी अब नीचे से चूतड़ों को उछाल उछाल कर उसका बराबरी से साथ देना चालू कर दिया. मैं अब कसमसाती रही… चुदती रही… उसकी रफ्तार बढती रही… मुझे लगने लगा कि अब सहा नहीं जाएगा… और मैं झड़ जाऊंगी… मैंने धक्के मारने बंद कर दिए .. और ऑंखें बंद करके आनंद लेने लगी… मैं चरम सीमा पर पहुच चुकी थी.. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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21-08-2020, 02:33 PM
से जैसे वो धक्के मारता रहा मेरा… रज निकलने लगा… मैं छूटने लगी… मैं झड़ने लगी… रोकने की कोशिश की पर… नहीं… अब कुछ नहीं हो सकता था… मैं सिस्कारियाँभरते हुए पूरी झड़ गयी… मैं ढीली पड़ गयी… अब उसके धक्के मुझे चोट पहुचने लगे थे… लेकिन उसकी तेजी रुकी नहीं… कुछ ही पलों में… सुहानी बरसात चालू हो गयी. उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया था… और उसका पानी मेरी छातियों को नहला रहा था. मैं हाथ फैलाये चित्त पड़ी रही. वो अपने वीर्य पर ही मेरी छाती से लग कर चिपक गया. उसका वीर्य बीच में चिकना सा आनंद दे रहा था… साहिल मुझे चूमता हुआ उठ खड़ा हुआ… मैंने भी आँख खोल कर उसकी तरफ़ देखा. और प्यार से मुस्कुरा दी.
मुझे अपनी चुदाई की सफलता पर नाज़ था. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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21-08-2020, 03:33 PM
इस बार बात यौन विषय से सम्बंधित है इसलिए सोच समझ कर ही पढ़ियेगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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21-08-2020, 04:45 PM
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21-08-2020, 05:38 PM
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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