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Misc. Erotica Meri Kahani( hindi font)
#1
होली का दिन था।मैं इण्टरमीडियेट में रहा हूॅगा।मेरी भाभी मुहल्ले में होली खेल के आयीं।वह बड़ी खुश थीं कुछ गुनगुना रहीं थीं।मैं यह बता दूॅ कि भाभी मेरे से छह सात साल बढी थीं।मेरे से बड़ा लाड़ करतीं थीं जिसमें सेक्स बिल्कुल नहीं था।जब वह ब्याह के आयीं मै दस साल का रहा हूॅगा।वह बिल्कुल भीग गयीं थीं।साड़ी वदन से चिपक गयी थी।उनके उभार और कमर की गोलाइयॉ पूरी तरह उभर आयीं थीं।मेरी भाभी में बहुत ग्रेस था।अच्छी उॅचाई थी आकर्षक मुॅखछबि थी और शादी के छह सात सालों में वदन बड़ी समानता से सुडौल हो गया था। आते ही वह बाथरूम में चली गयीं।बाथरूम में दो दरबाजे थे एक उनके कमरे की तरफ खुलता था एक मेरे कमरे की ओर जो अक्सर बंद रहता था क्योंकि मैं नीचे का बाथरूम इस्तेमाल करता था।लेकिन इस समय मेरी तरफ का दरबाजा खुला हुआ था।उन्होंने भी ध्यान नहीं दिया क्योंकि होली के लिये मुझे अपने दोस्त के यहॉ जाना था और दूसरे दिन बापिस आना था लेकिन मेरा प्रोग्राम ऐन मौके पर कैन्सिल हो गया था।मैं यही होली खेल कर बापिस आ गया था और उसी बाथरूम में नहाधो लिया था।गलती से अपनी तरफ का दरबाजा खुला छूट गया था।मैं कमरे में आराम से लेटा हुआ था जहॉ से बाथरूम का नजारा साफ नजर आ रहा था। भाभी ने सबसे पहले अपनी साड़ी उतार के फेंक दी फिर पेटीकोट के अन्दर हाथ डाल के अपनी पैण्टी खीच ली।वह रंग से तर हो रही थी जैसे उस पर ही निशाना लगा कर रंग फेंका गया हो।जेैसे जैसे वह ब्लाउज के बटन खोल रहीं थीं मेरी सॉसे गरम होती जा रहीं थीं।ब्लाउज उनके शरीर से फिसल कर नीचे गिर गया।वह मेरे सामने केबल ब्रेजियर और पेटीकोट में खड़ी थीं।ब्रेजियर उनके सीने से चिपक गयी थी बादामी शहतूत से निप्पिल और उनके घेरे साफ नजर आ रहे थे।पेटीकोट आगे से उनकी रानों से बुरी तरह चिपक गया था और चूतड़ों के बीच में क्रैक में फॅस गया था।सामने झॉट के बाल नजर आ रहे थे। उत्तेजित हो कर मेरा लंड एक दम खड़ा हो गया। उन्होंने पीछे हाथ कर के जैसे ही हुक खोल कर ब्रेजियर अलग की कि स्प्रिंग की तरह दो सफेद बालें सामने आ गयीं।बहुत ही मताबाले भरे हुये जोबन थे।भाभी ने अपना हाथ पेटीकोट के नाड़े की तरफ बढाया तो मेरालंड और ऊपर हो कर हिलने लगा।उन्होंने एक झ्टके में नाड़ा खींचा और पेटीकोट नीचे गिर गया।माई गॉड मेरे सामने भाभी पूरी नंगी खड़ी थीं।बड़े बड़े उभार बादामी फूले फूले निप्पिल चिकनी सुडौल जाघें  भरे भरे उभार लिय चूतडोें की गोलाइयॉ और जाघों के ऊपर तरासे हुये बादामी बाल।मैने अपना लंड पकड़ लिया नहीं तो वह हिल हिल के बुरा हाल कर देता। भाभी की जाघों पर चूतड़ों पर रंग के धब्बे लगे हुये थे।चूत के बाल भी रंग में चिपक गये थे।उन्होंने साबुन से मल के रंग को छुड़ाया।इसके बाद उन्होंने जो कुछ किया मैं उठ के खड़ा हो गया। भाभी ने साबुन का ढेर सारा झाग बनाया और अपनी टॉगें चौड़ी कर उॅगली से साबुन का झाग अपनी चूत को अन्दर बाहर करने लगीं.।मेरे सामने उनकी चूत का मुॅह खुला हुआ था।छेद के ऊपर फॉकों के बीच की  और अन्दर की साबुन मिली लाल गहरायी मेरे सामने थी।लगता था वह रात के लिये तैयारी कर रहीं थीं।मेरे से न रहा गया और मैं दरबाजे के सामने जा खड़ा हुआ लंड एकदम तना हुआ। भाभी ने मुझे देखा और उनके मुॅह से चीख निकली “उई मॉ”
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#2
This is my first story guys !
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