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नोट - ये एक काल्पनिक कहानी है, और इसका किसी मृत या जीवित से कोई सम्बन्ध नहीं है|
मेरी अम्मी आयेशा खान एक पाकीज़ा औरत हैं, और दुनिया उन्हें एक बहुत ही साफ़ दिल, और महज़बी समझते हैं, लेकिन ये सिर्फ मुझे ही पता है की मेरी अम्मी जो दुनिया को दिखाती है, वो असलियत नहीं है, लेकिन मेरी अम्मी को सीधे रंडी कहना भी सही नहीं होगा क्युकी मैंने उनकी जिंदगी की सफर देखि है, भले उन्होंने बहुत गलत काम किये हैं, मैं रेहान खान आपके समक्ष अपने अम्मी की यात्रा रखूँगा, और आप खुद ही फैशला कीजिये की क्या मेरी अम्मी एक रंडी है या मजबूरी में दफन एक मजबूर औरत |
नोट - एक कहानी में इन्सेस्ट, अडुल्टेरी, और जबरदस्ती से रिलेटेड चीज़े होंगी, आप अगर इन सब को पसंद नहीं करते हैं, तो आप इसी वक़्त रुक जाएये |
आयेशा खान - उम्र अभी ४६ साल है
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भाग - ०१
अब्बू की गलती या अम्मी की ?
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० १.
'सही से बॉल डाल साले, स्कोर बहुत काम है', मैंने अपने दोस्त आकाश को बोला , अभी हमलोग क्रिकेट खेल रहे थे की पीछे से कोई मुझे आवाज़ लगता है,
'रेहान रेहान' मैं पीछे मुड के देखता हूँ, वहा पीछे मेरे घर का माली मुझे आवाज़ दे राहा था,
'क्या हुआ पठान बाबा , जरुरी काम है क्या अभी थोड़ा बिजी ' मेरे घर का काम करने वाला पठान बाबा मेरे करीब आ जाता है और मेरा हाथ पकड़ लेता हैं,
'आप घर जल्दी चलिए बाबा', पठान बाबा के सर पे आये पसीने को देख मैं आगे कुछ नहीं बोलता हूँ, मुझे समझ में आ गया था की घर में कुछ गड़बड़ है,
'आकाश भाई मुझे अभी तुरंत घर जाना पड़ेगा, तू आगे संभाल ' और मैं पठान बाबा के साथ निकल जाता हूँ, मैं पठान बाबा के तरफ देखता हूँ, वो काफी चिंतित दिख रहे थे, लेकिन मुझे डर से पूछने की हिम्मत नहीं हुई, घर पहुंचता हूँ तो चारो तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था, और मैं इस से और डर गया, वहा कोई नहीं था ,
'बाबा बाकि लोग कहाँ हैं, यहाँ तो बिल्कुन सन्नाटा है, कुछ बहुत ख़राब तो नहीं हो गया है,' और मेरे अंदर का डर बढ़ाते जा रहा था,
'रेहान बाबा आपके वालिद और वालिदा में बहुत बड़ा लड़ाई हो गया है, '
'क्यू कैसे ' और मैं घर के कुर्सी पे बैठ जाता हूँ,
'रहन बाबा, वो आपके वालिद साहब दूसरा निकाह की बात लेके आये थे उसी से लड़ाई सुरू हुई हैं, मैं आपको लाने गया तब तक ये लोग सायद कहीं बहार चले गए हैं ' मुझे ये सुन बहुत हैरानी होती हैं, मेरे अम्मी अब्बू और दूसरा निकाह ऐसा नहीं हो सकता, मेरे अब्बू तो मेरे अम्मी से काफी मोहब्बत करते हैं, फिर ये दूसरा निकाह की बात ,
'बाबा ये दूसरा निकाह का क्या चक्कर है , अचानक ये सब '
'रेहान बाबा आपके दादी जान ने रिस्ता लेके आये हैं, बाकि तो मुझे भी नहीं मालूम ' और पठान बाबा उठ के अपने काम को चला जाता है, और वही मैं बैठ के सोचने लगता हूँ की आखिर मेरी अम्मी और अब्बू गए कहाँ, और मैं अपने फ़ोन से अब्बू अम्मी का नंबर लगाता हूँ, लेकिन कोई जवाब नहीं देता, और दादी जान से बात करने का मन नहीं कर रहा था, और मैं वही पे सर पीछे कर सोने लगा, और वही मुझे नींद सी आने लगी,
'भाई मैच जीत गए, चल पार्टी करते हैं ' ये आवाज़ मेरे कानो में जाती है, और मेरा आँख खुल जाता है, वहा पे मेरे साथ क्रिकेट खेलेने वाले कुछ साथी थे, और उन्हें देख मेरे अंदर का डर और गुस्सा थोड़ा कम हुआ,
'चल चलते हैं ' और हम तीनो दोस्त कुछ चिनी खाने के लिए निकलते हैं, और मैं अपने दोस्तों के बातो में मसगुल हो जाता हूँ, लेकिन मेरे दिमाग घर में हुए इस परेशानी पे अटका हुआ था, और बार बार मैं उसी चिंता में खो जा रहा था,
'रेहान तेरा तबियत सही है न, कहा ध्यान है तेरा ' मैं अपना सर उठा के देखता हूँ,
'भाई लोग मैं चलता हूँ मेरा आज दिल ही नहीं लग रहा है ' और मैं वहा से अपने घर के तरफ ये उम्मीद लगाए की सब लोग घर काम से काम पहुँच गए होंगे , मैं जैसे ही वह से निकालता हूँ मेरा एक और दोस्त पीछे से मेरे पास अत है, और मुझे पकड़ लेता है,
'भाई तुझे क्या हुआ है, तेरा मुँह इतना क्यों लटका हुआ है, खेलते वक़्त भी तुम अचानक चले गए थे ' और मुझसे बातें करने की कोसिस करने लगता है, लेकिन मेरा मन बहुत ख़राब लग रहा था और मैं घर जाना चाहता था,
'कुछ नहीं हुआ है ' और मैं अपने घर के तरफ जाने लगता हूँ, मेरा दिल बहुत ख़राब था और मेरे अंदर मेरे अब्बा पे भी बहुत गुस्सा आ रहा था, इतना उम्र में दूसरा निकाह, और मैं घर पहुँच गया, घर पहुंचा तो वह पे मेरे दादा दादी और अब्बू मौजूद थे, और उन्हें देख मुझे थोड़ा गुस्सा आ गया, लेकिन मैं उस गुस्से को पी गया, लेकिन मैं वहा चल रहे बातों को सुन रहा था, और उसी से मुझे मालूम पड़ा की मेरे अब्बू निकाह नहीं करना चाह रहे थे और उन्होंने मेरी अम्मी की काफी दलील दी, लेकिन उनके वालिद ये निकाह से पीछे नहीं हैट रहे था, मुझे समझ में नहीं आ रहा था की मेरे अब्बू के वालिद इस दूसरे निकाह के लिए इतना जिद्द क्यों कर रहे हैं, और घर पे उसी वक़्त मेरे अम्मी के वालिद ,वलिदान और कुछ रिस्तेदार पहुंचे और मामला देखते ही देखते काफी गरम हो गया और पठान बाबा मुझे वह से बहार जाने लिए बोल दिए, घर का माहौल काफी ख़राब हो गया था, और मुझे समझ में नहीं आ रहा था की आखिर हमारे घर में ऐसी स्थिति कैसे हो गयी, मुझे लगा था सायद मेरा परिवार मिल जल के रहने वाला होगा लेकिन सायद सचाई काफी अलग निकल रहा था, और अभीतक अम्मी का कोई आता पता नहीं चला था, और मुझे काफी चिंता होने लगी, मैं वही बहार खड़ा हो घर का बहस बेहसि से दूर जाने की कोसिस कर रहा था, बहार मोहल्ले के भी काफी लोग तमाशा देखने जुटे हुए थे, और मेरा दिमाग ख़राब हो गया,
'तुम लोगो को और कोई काम नहीं है, घर संभाला नहीं है , जाओ यहाँ से ' और मैंने वहा से सबको भगा दिया, और वही पे दीवाल पे बैज गया ताकि और भीड़ जमा न हो, लेकिन घर में सोर भढ़ता ही जा रहा था, और मैं उठ के अपने दोस्त के घर जाने लगा, लेकिन सरे दोस्त मेरे कही न कही व्यस्त थे, और मुझे बहुत अकेला अकेला महसूस हो रहा था, और मैं बाजार में इधर उधर घूमने लगा, मुझे आंटी ताड़ना बहुत पसंद था, लेकिन आज उसमे भी मन नहीं लग रहा था, और कुछ घंटे में दुकान बंद होने लगे और बहुत भरी पेअर से मैं अपने घर के तरफ जाने लगा, वहा पे सब सांत पड़ा हुआ था, और मेरी अम्मी का परिवार वापस चला गया था, लेकिन उनका खु कुछ आता पता नहीं लग रहा था, और मुझे खुद गुस्से और डर से घर वालो से पूछने का मन नहीं कर रहा था, वह पे मेरे अब्बू अपना सर झुकाये बैठे हुए थे और मैं उनके पास गया,
'अब्बू ये क्या सब है, दूसरा निकाह आपको क्या हो गया हैँ ' मेरे अब्बू अपना सर ऊपर करते हैं,
'माँ बीटा जी, लेकिन यहाँ कोई दूसरा निकाह नहीं कर रहा , मैं आपकी अम्मी नहीं संभल पाटा हूँ, दूसरा कहाँ से सम्भालूंगा' और हँसाने लगते हैं, उनका ये बात सुनके मुझे भी सुकून मिलता है,
'अब्बू अम्मी कहाँ हैं, और कब वापस आएँगी '
'बीटा जी अभी अम्मी आपकी मायके में हैं और कुछ ही दिनों में वापस आ जाएगी '
'जब आपने आपने मना कर दिया दूसरा निकाह का तो वो क्यों नहीं आ रही है, अब्बू मैं उनसे बात करूँ '
'नहीं बीटा जी, आप अपना काम कीजिये वो कुछ दिनों में वापस आ जाएगी' मैं वहा से उठ अपने कमरे में चला जाता हूँ, अपने अब्बू की बात सुनकर मुझे थोड़ी राहत मिली, और मैं अगले दिन अपने अम्मी को खुद वापस लाने का फैसला करता हूँ, मुझे रात को सुकून भरा नींद आया,
अगले दिन मैं घर से बस पकड़ के अपने अम्मी को वापस लेने अपने ननिहाल जाता हूँ, और सफर लगभग तीन घंटे का था, मैं बस में अपना हैडफ़ोन लगा के खिड़की के पास बैठ जाता हूँ, और बस निकल पड़ती हैं मेरे ननिहाल के तरफ जो करीब १०० मिल का रास्ता था , मुझे नींद आ जाता है, और मेरा नींद खुलता है, जब बस का तेज झटका लगता है, मैं अपने ननिहाल वाले छोटे से सहर पहुंच गया था, और मेरा सफर करीब २० मिनट का बचा हुआ था, और मैं खिड़की से बहार झांकने लगा, और मेरी नजर पड़ती है, मेरी अम्मी पे जो एक मिठाई के दुकान पे खड़ी थी, और मैं झट से बस रुकवा के उतर जाता हूँ, और अपने अम्मी के पास जाने लगता हूँ, मैं आवाज़ देने ही वाला था की, मेरी अम्मी के पास एक अनजान आदमी आ जाता है, और अम्मी उसके साथ एक कार में बैठ जाती है, मैंने उस आदमी को पहले कभी नहीं देखा था, और मैं वह से एक ऑटो पकड़ उस गाड़ी का पीछे करने लगता हूँ, वो गाड़ी एक पतली सड़क पे घूम जाता है, जिसपे ऑटो वाला जाने से मन कर देता है, लेकिन मैं झट से उतर जाता हूँ, और उस रस्ते से आगे पैदल ही बढ़ने लगता हूँ, मुझे अबदार से ऐसा लगाने लगा था की वो कोई और है, मेरी अम्मी नहीं, लेकिन मुझे अंदर से ये भी डर था की, वो असली में मेरी अम्मी न हो, कुछ दूर आगे बढ़ने पे वह पे कार लगा मिलता है, और मैं चिप के वहा पे जाता हूँ, और अंदर मुझे एक नक़ाब पॉश औरत और एक आदमी दिखता है, और वो नक़ाब वाली आंटी उस आदमी को चुम रही थी, मैं खिड़की के सामने डायरेक्ट ना जाके बगल में से सुनने लगता हूँ, अंदर से चप चप बहुत आवाज़ आ रही थी, और मेरा सरीर ऐसे जकाँम्प रहा था जैसे किसी सम्प ने काट लिया हो, तभी अचानक से आवाज़ आता है,
'सोफ़िया लुंड मुँह में ले न ' और ये सुन मेरा दिमाग चलता है, मेरी अम्मी का नाम सोफ़िया तो है ही नहीं, और मैं हिम्मत कर के सर उठा के अंदर देखता हूँ, वो आदमी अपने सर को पीछे कर आहें भर रहा था, और सोफ़िया नमक खातून उसका लुंड चूस रही थी, लेकिन वो मेरी अम्मी नहीं थी, मुझे ग़लतफ़हमी हो गयी थी, मेरा लेकिन ये देख लण्ड खड़ा हो गया था, और मैं वही कार के पास बैठ मुठ मरने लगा, कुछ पल के लिए मेरे अंदर से डर भी निकल गया था, और अपना माल वही गिरा के मैं वापस सड़क पे गाड़ी ढूंढने और अपनी अम्मी को वापस लाने के मुहीम पे वापस निकल गया.
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०२ .
मेरा हाल बहुत ख़राब हो गया था उस कार वाले घटना को देख के, मैंने पहले सेक्स चुदाई की बातें सुनी बहुत थी, लेकिन आज तक सिर्फ ब्लू फिल्म देखा था, और मुझे ये पहली बार देखने का मौका मिला था, लेकिन मुठ मर लेने के बाद मेरा दिमाग हल्का हो गया था, और मुझे अपने जरुरी काम करना था, और मैं अपनी अम्मी के तरफ का बस पकड़ के निकल गया, और मेरे दिमाग में वो बुर्के वाली औरत आने लगी,
..क्या ऐसे पूरा बुरका वाली औरत ऐसे हरकत कर सकती है, वो तो उसका।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। चूस रही थी, मुझे यकीं नहीं हुआ जो मैंने देखा, और मैं अपना सर हिलने लगा, और अचानक ही मेरे आँखोने के सामने मेरी अम्मी आयी जो उसी कार में लण्ड चूस रही थी, और मेरा खून ठंडा हो गया।
कुछ देर में मेरा बस मेरे ननिहाल के चौक पे पहुंचा दिया, और मैं तेज कदमो के साथ अपने नानी के घर के तरफ जाने लगा , ये एक मामूली सा छोटे सहर का कॉलोनी था, और मैं अपनी अम्मी को घर वापस लाने को और तेज़ हो गया, और मैं अपने नानी के घर पहुँच गया, और वह भी वैसे ही सन्नाटा था जैसे मुझे अपने घर पे उसे पिछली रात मिला था, और मैं थोड़ा घबरा गया, मुझे मालूम था की कल मेरे अम्मी के परिवार और अब्बू के वालिद वालिदा से बहुत झगड़ा भी हुआ था, मैं डरते हुए अपने अम्मी के कमरे में गया और वहा पे मेरी अम्मी बैठी हुई थी, और उन्हें देखकर मैंने चैन की साँस ली, मेरे अम्मी बिस्तर पे किसी मुर्दे की तरह लेती हुई थी, उनका चेहरा दूसरी तरफ था और मुझे दिख नहीं रहा था,
'अम्मी अम्मी' मेरी अम्मी वही के वही किसी मुर्दे की तरह पारी हुई थी, और अचानक मुझे डर लगा की कहीं खुदखुशी तो नहीं कर लिया, ये सोच मेरे सरीर को झकझोर दिए और मैं अम्मी के पास जा उन्हें जोर जोर से हिलने लगा,
'अम्मी अम्मी उठो अम्मी '
'क्या हुआ ' अम्मी चीखते हुए मुझे बोलती है, मैं उनकी आवाज़ सुन खुस हो गया और उन्हें गले लगा लिया, और अम्मी भी मुझे गले लगा लिया, और मैं इसी से खुस हो गया, जब मैं अम्मी को छोरा तो मेरा नज़र उनके चेहरे पे गयी, ऐसा लग रहा था उनके चेहरे का नूर किसी जिन्न ने निकल लिया हो, और उनके चेहरे में अंशु के बहुत गहरे निशान थे,
'मेरा शेरा बीटा ' और मेरी अम्मी मेरा सर पे हाँथ फेरने लगी,
'अम्मी मैं आपको ले जाने आया हूँ, अभी अपना सामान पैक कीजिये और अभी निकलते हैं अपने घर के लिए '
'क्यों रे ये तेरा घर नहीं है क्या ' और अम्मी मेरे सर पे अपना हाँथ फेरेना जारी रखती है ,
'अम्मी चलो ना'
'नहीं बीटा मैं अब उस घर में कभी कदम नहीं रखूंगी' मैं ये सुन चौंक गया,
'अम्मी ये क्या बोल रही हो, वो अपना घर है, अब्बू हैं वह पे ' अब्बू का नाम सुनते ही मैंने अपने अम्मी के आँखों में एक गुस्से से भरा चमक आ जाता है,
'नहीं बीटा अब मेरा उस जगह से कोई रिस्ता नहीं है, और वैसे भी तेरे अब्बू तो तेरे लिए नहीं अम्मी ला ही रहे हैं '
'अम्मी मैंने अब्बू से बात कर ली हैं, कोई दूसरा निकाह नहीं होने वाला, आप चलिए न सब सही हो गया है ' मेरी आवाज़ टूटने के कगार पे थी,
'तू अभी बच्चा है रे, तेरे अब्बू को बोलने से क्या होगा उन्होंने कांड ही ऐसा किया है, तू कुछ खाएगा बीटा ' मेरी अम्मी उठ के रसोई के तरफ जाने लगती
'अम्मी आप एक बार अब्बू से बात तो करो, अब्बू ने वालिद साहब को मना कर दिया है निकाह से ' लेकिन अम्मी मेरे बात को अनसूना कर रसोई में घुस जाती है, और मैं सोचने लगता हूँ की मेरे अब्बू ने ऐसा क्या कर दिया है की अम्मी बात भी नहीं करना चाहती है, और तो और वो इतना पक्का कैसे कह सकती है की दूसरा निकाह होगा जब अब्बू ने खुद उसे बोलै है की वो दूसरा निकाह नहीं करेंगे, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, उधर मेरी अम्मी मेरे लिए खाना लेके आ गयी, और मुझ खाना देके वहा से बाहर निकल जाती है, और मैं अपने अम्मी के पीछे खाना चोर के भागता हूँ,
'अम्मी प्लीज अम्मी चलो न घर प्लीज आप वह चलोगे तो बातचीत से सब सही हो जायेगा, प्लीज अम्मी ' मेरे आँखों में आँशु आने लगे थे, और मेरी अम्मी ने मुझे देखा और और मेरे सर को अपने सीने में लगा लिया,
'बेटा मैं नहीं चल सकती, तू समझ नहीं रहा है'
'तो आप समझाओ न अम्मी, आप इतना पक्के से कैसे कह सकती हैं की अब्बू दूसरा निकाह करेंगे जब उन्होंने मन कर दिया है ' ,ैमे अम्मी को ये चीख के बोलै और मेरी अम्मी फिर रोने लगी और मुझे बहुत बुरा लगा की मैं ेबेवजह होना आवाज उठाया, तभी पीछे से एक तेज आवाज़ आती है,
'पेट से हैं वो,' पीछे मेरा मामा जान खड़ा था, और मुझे उसकी बात समझ में नहीं आयी,
'क्या मतलब '
'भाई आप संत हो जाओ, प्लीज खुदा के लिए ' मेरी अम्मी गिड़गड़े लगाती है, और मैं भी वही अम्मी के साथ बैठ जाता हूँ,
'क्यों सांत हो जाऊ, ये अब १८ का है, बच्चा नहीं है, तेरे बाप ने उस लड़की को पेट से कर दिया है, प्रेग्नेंट है वो,' मैं ये सुन चौंक गया ,मुझे ये मालूम ही नहीं था, और मेरी अम्मी रोते हुए अपने बिस्तर पे रोने लगाती है, और मैं वाही स्तब्ध खड़ा था, और मैं क्या बोलता मैं भी अपनी अम्मी के साथ अंशु बहाने लगा, और मेरा मामा गुस्से से बाहर चला गया, मेरी अम्मी वही पे रोटी रही और मैं बगल में लेता रहा, कुछ देर में मेरी अम्मी नींद में चली जाती ै, और मैं भी सफर से थक गया था और मुझे नींद आ जाती हैं,
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३.
मेरी आँखें खुली, और मैं जगाने लगा, और मैंने अपना आँख चारो तरफ दौड़ाया, मैं खुद भूल गया था की, मैं हूँ कहाँ और मुझे याद आया दिन का सारा घटना, लेकिन मुझे अम्मी कहीं नहीं दिखी, जहा अम्मी रो रहीं थी उस जगह पे कोई नहीं था, मैं वहां से ामणि अम्मी को ढूंढने को निकला, पूरा घर में सन्नाटा था, और मुझे अम्मी कहीं नहीं थी, और न ही अम्मी के परिवार वाले लोग, मैं ऐसे ही सरे कमरे छान लिए, और मेरे अंदर फिर डर बैठ गया की मेरी अम्मी कुछ गलत न कर ले, और मैं ढूंढते हुए घर से निकल जाता हूँ, सामने घर के एक औरत घर के बहार पानी पता रही थी, और मैं जाली से उसके पास जाता हूँ,
'आंटी अपने मेरी अम्मी को देखा है, क्या उनका नाम आयशा है, यहीं सामने रहती हैं,' वो मेरी तरफ घूमती है, और उसे देख मेरा सर चकरा जाता है, ये वही खातून थी जिसे मैंने गलती से अम्मी समझ के पीछा किया था, जिसे मैंने कार में किसी का लुंड चूसते हुए देखा था,
'बाबू आप कौन हो और आयेशा को कैसे जानते हो '
'आंटी मैं उनका बेटा हूँ ' वो मुझे घूर के देखने लगाती है,
'तुम रेहान हो क्या। है कितना बड़ा हो गए हो,मुझे भूल गए न , मैंने तुम्हे गोस में खिलाया है ' और मेरा सर सहलाने लगाती है, मैं उन्हें हुए के देखता हूँ, लेकिन मुझे उनके बारे में कुछ याद नहीं था और मैं बात बदल देता हूँ,
'आंटी आप मेरी अम्मी के बारे में कुछ जानती हो तो बता दो, मैं काफी जल्दी में हूँ ' वो मुझे चिंतित देख खुद चिंतित हो जाती है,
'बेटा मैं तो सिर्फ इतना जानती हूँ की पूरा परिवार आज कार से निकले थे, बहार से भी कुछ कार आये थे, लेकिन मेरी किसी से बात नहीं हुई '
'अच्छा आंटी ' और मैं वहां से निकल गया, और मुझे ऐसा लग रहा था की बात के सिलसिले में वो वापस मेरे अब्बू से सायद मिलाने गए हैं, और मैं यही सोंचते सोचते मैं घर के फ़ोन से अपने धार का फ़ोन मिलाने लगता हूँ, उधर पठान बाबा फ़ोन उठाते हैं, और फ़ोन के स्पीकर से बहुत तेज झगड़ा का आवाज़ आ रहा था, और मेरी आंखें नाम होने लगी, मेरी जलती हुई संसार को देख कर,
'बाबा अम्मी हैं वहां , आप उन्हें फ़ोन दीजिये '
'नहीं बाबा , आपकी अम्मी तो नहीं आयी है, बस आपके ननिहाल वाले आये हैं,'
'क्या सिर्फ परिवार वाले, तो अम्मी कहाँ है,'
'मुझे नहीं पता बाबा, मैं बाद में बात करूँगा अभी बहुत तना तानी चल रही है ' और पठान काका फ़ोन काट देता है, और मैं दुविधा में पद जाता हूँ, आखिर मेरी अम्मी गयी कहाँ, और वही हॉल में बैठ जाता हूँ, कुछ देर बाद चिंता में बहार अपने अम्मी को खोजने निकल जाता हूँ, लेकिन मैं लोगो को बताना नहीं चाहता था की मेरे घर के हालत कैसे हैं, और इसी वजह से मैं अम्मी के पड़ओसिओ से पूछ टाच नहीं किया, और बाजार घूमने लगा, कुछ ही देर में डर उदासी मेरे ऊपर हावी हो गयी और मैं बाज़ार में एक कुड़सी पे बैठ गया, और मेरी आंखें नाम होने लगी, पिछले २४ घंटे में मेरा पूरा संसार रख बनाने के कगार पे था, मेरा गम बहुत बढ़ गया था, और मुझे अब ये डर लग रहा थी की कहीं मैं न कुछ कर लूँ, और मैं उस बाजार से अपने अम्मी के घर चला जाता हूँ, और अपने सर झुका के बैठ जाता हूँ, तभी बिजली की तेज करकराहट होती है, और देखते ही देखते बारिश विकराल रूप ले लेती है, और मेरे दिल के साथ आसमान भी रोने लगता है,
-
उसी जगह पे बैठे बैठे रात के दस बज गए थे, बारिश की वजह से बिजली चली गयी थी और पूरी तरह से अँधेरा तह, और बारिश और तेज़ हो गयी थी और पुरे घर में सन्नाटा फैला हुआ था, और मैं किसी भुत की तरह घर में बैठा हुआ था, और मुझे दरवाजा खुलने की आवाज़ आयी, और मैं बहार जाने लगा और वह पे कोई बाउंडरी के गेट को खोलने की कोसिस कर रहा था, बारिश अभी भी काफी तेज़ हो रही थी, और जैसे ही मैं बारिश में आगे बढ़ा गेट खोलने के लिए मुझे एक आवाज़ आय और मैं इस आवाज़ को पहचानता था, और मैं चौंक गया,
'साला कसिए मर्द है, गेट भी नहीं खुल रहा ' और उसका जवाब आता है,
'साली तू कितनी बड़ी रंडी है, जो घर के दरवाजे पे भी लुंड नहीं छोड़ रही है ' मैं वही पे किसी लकड़ी की तरह खड़ा हो गया, मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे ऊपर बिजली गिर गयी हो, और उसी वक़्त खर खर करते हुए गेट खुल जाता है, और बारिश के पानी में गिरने की आवाज़ आती है, रात के अंधेरे मे कुछ दिख तो नहीं रहा था लेकिन मुझे एक चीज़ का साया आ गया था, अम्मी किसी के कंधे पे थी,
'हय मुझे चोट लगा दिया ' धम से गिरने की आवाज़ आई, और मेरी अम्मी चिक्खी, मैं वही खड़ा अंधेरे मे देखने की कोसिस कर रहा था की वह हो क्या रहा है,
'कहा लगा है मेरी रंडी '
'यहाँ'
'यहाँ कहाँ मेरी रांड '
'यहाँ मेरे गांड पे '
'हाहाहाहाहा साली गज़ब है तू, साली तुझे पूरा यकीं है न की तेरे घर पे कोई नहीं, कोई लफड़ा न हो जाये ममममममममम ' और बारिश के आवाज़ में भी मैं चूमने कहते की आवाज़ सुन पा रहा था, और मेरा हालत बिलकुल ख़राब हो गया, मेरे अंदर का जानवर मुझे बोल रहा था की मैं इस आदमी को मर डालूं, लेकिन मैं चुप चाप वही खड़ा रहा, और मेरे सामने मेरी अम्मी बारिश में किसी गैर मर्द के साथ चुम्मा चाटी कर रही थी, पनि की आवाज़ चालक रही थी, और वो दोनों ज़मीन पे पनि मे एक दूसरे से जैसे कुसती कर रहे हो,
'खा जा मेरे मम्मे को, आह है अल्लाह और जोड़ से'
'आह क्या मुँह है तेरा, एकदम किसी जलेबी जैसा मीठा ' और वह पानी के उछलने की आवाज़े आने लगी और मेरे आंखें नम होने लगी, और मैं भी बारिश में आ गया लेकिन बारिश ने मेरे एक कदम के आवाज़ को दबा दिया, मेरे सामने अँधेरे में मेरी अम्मी किसी गैर मर्द के बाँहों में थी, लगभग २० मीटर का फैसला पे मेरी अम्मी अपना मुँह काला करवा रही थी, और थाआआअआप थाआआअआप थाआआअआप छाआआआप छाआआआप का आवाज़ वह बारिश में भी मेरे कानों में आने लगी,
'और जोड़ से आआआआह, साला उसे क्या लगा की अगर वो कर सकता है तो मैं नहीं कर सकती ' थाआआअआप थाआआअआप
'तू फिर अपने सौहार को सोचने लगी, अरे मेरी जानू मेरा लुंड खा और भूल जा उस गांडू को' और मेरे आखों में आशु आने लगे, और मुझे मेरे सामने मेरी अम्मी को रोने की आवाज़ आटी है,
'कैसे भूल जाऊ मादरचोद, कितना प्यार किया मैंने उन्हें कितना उनके लिए उनके वालिदा को झेला ' थाआआअआप थाआआअआप
'पिछले १९ सालो से उनकी इबादत की, और उन्होंने मुझे किसी माखी की तरह मसल दिया मेरा दिल को चूर कर दिया ' मेरी अम्मी की रोने की आवाज़ मेरे कानों तक आ रही थी, और मैं एक चीज़ समझ गया की ये कदम अम्मी ने गुस्से में लिया है, और मैने अपने आप को मजबूत किया, और अपने अंशु पोछे,
'अरे तू तो सेंटी कर दी, साली मेरा लण्ड झुका दी, साली मैं जा रहा हूँ, '
'शाले मादरचोद अगर तू मुझे मेरे सौहार की तरह छोड़ के गया तो जान ले लुंगी, छोड़ तू मुझे'
'पागल है तू , वैसे भी साली तू खुद छलके आई है हमारे पास, साली रांड' मैंने जब ये सुना की वो हमारे बोला मैं और गुस्सा हो गया, मेरी अम्मी के कमजोरी का फायदा उठाया जा रहा था और मेरा दिमाग खराब हो रहा था,
'खाजा मेरे छूट को पूरा, मदरचोद अपना लौरा दे, मदरचोद मेरा सौहर मेरे सामने महजब का ढोग करता है, और अपने ही चाचा की बेटी को पेट से कर देता है, साले तू ला अपना लौरा'
'हाई मेरी रांड, क्या गजब चीज़ है तू '
'पागल मुझे बना दिया है किसी ने, तू अपना लण्ड मेरे कोख़ में दुबारा डाल' मैंने अपने आप को संभल लिया था, और मैं दरवाजे के लटके एक दंडा उठा लिया था, और मैं वापस वही जाने लगा जहा मेरे अम्मी का बलात्कार हो रहा था, और उसी वक़्त बिजली कड़की और अम्मी का पूरा सरीर वो आदमी और वो दृस्य मेरे सामने था, और उस आदमी का नजर भी मेरे ऊपर पड़ा,
'अरे बाप रे भूत' और मुझे उस आदमी के वह से भागने की आवाज़ आयी, मेरी अम्मी वही पानी में पड़ी हुई थी, और मैं चारि लेके अम्मी के पास आया, अँधेरे की वजह से कुछ दिख नहीं पा रहा था, लेकिन मैं जब आगे दरवाजा बंद करने गया तो मेरी अम्मी का बुरका वही फसा हुआ था,
'साला कोई बहुत नहीं हा ' मैं वही दरवाजे से अपने अम्मी को देखने लगा, कुछ दिख नहीं रहा था, लेकिन मुझे एक बात पता चल गयी की उन्होंने बहुत पि रखी थी, और वो बहुत मुश्किल से अपना सर जमीं से थोड़ा ऊपर की हुई थी, और जब मैं करीब गया तो मुझे अहसास हुआ वो पूरी तरह से नग्न अवस्था में थी, मैंने अपना सर दूसरी तरफ कर उन्हें उठा लिया, और उन्होंने अपने हाँथ मेरे गले में दाल दिया,
'क्या कर रहा है, थक गया क्या, ला अभी लंड खड़ा कर देती हूँ,' ये सनते ही मेरे अंदर हवस आ गया जिसे मैंने बहुत मुश्किल से दबा अपने अम्मी को उनके कमरे में पहुंचा दिया, वो नशे में बिस्तर पे आते ही सो जाती हैं, और मैं अल्लाह का नाम लेते हुए वहां से भाग के अपने मामाँ के कमरे में चला जाता हूँ,
मुझे रात भर नीं नहीं आती हैं, और मैं सबेरे अपने ननिहाल से निकल जाता हूँ, और सीधे अपने सहर का बस पकड़ लेता हूँ, क्युकी मुझमे हिम्मत नहीं थी होने अम्मी का चेहरा देखने की,
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मैं अपने करीबी मित्र आकाश के घर चला जाता हूँ, आकाश मेरा अच्छा दोस्त तो था ही, वो मेरे जैसे ही अपने काम में काम रखने वाला था, लेकिन वो मुझसे पढ़ने में काफी ज्यादा तेज था, और हमारी दोस्ती कॉलेज में हुई थी, लेकिन आकाश में लोगो को पढ़ लेने की खास ताकत थी, और जब मैं उसके घर गया तो वो मुझे देख समझ गया की कोई दिक्कत है, और मुझसे बात निकलवाने के लिए तरह तरह के उपाए लगाने लगा, लेकिन मैं अपने अम्मी और अब्बू की बातें उसे नहीं बताना चाहता था, और किसी दोस्त का गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड का परेशानी बना के बताने लगा,
'साले ये दोनों चूतिए हैं, दूर रहा करो इनसे ' आकाश ये बोल अपने काम में लग गया, और मैं भी उसी के कमरे में लेट के सोचने लगा ,
'मेरे अम्मी अब्बू चूतिए हैं'
'अब्बू के चाचा की बेटी, उज़्मा, ' और अब मुझे एक बात समझ में आ गया की अम्मी क्यों बोली थी, निकाह होकर रहेगा।
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mast hai next update bro...
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४.
मुझे अपने अम्मी से बात करनी चाहिए थी, और मैं वहां से डर कर भाग गया , लेकिन मैं उनसे क्या बोलता, अम्मी आप ऐसे रंडी की तरह रात को क्यों और किस से चुदवा रही थी, आप अब्बू को ऐसे धोखा क्यों दे रही है, और मैं अपना सर जोड़ जोड़ से हिला रहा था, क्युकी मेरे दिमाग में कल रात की वो तस्वीर आ गयी, जब वो बिजली चमकी थी और मेरी अम्मी का संगमरमर जैसा सरीर किसी काले आदमी के साथ लिपटा हुआ था, और बारिश से ऐसे प्रतीत हो रहा था, और वो बारिश जो उन्दोनो को भिंगो रही थी, मेरी का नशे में झूमता हुआ ऊपारी शरीर जैसे कोई नाग के सामने बिन बजा रहा हो, या उनका बड़ा गांड जो किसी तकिये की तरह उस आदमी के जांघ पे गिर रहा था, उनके लम्बे बाल,
'आआआआआह कितना खुशकिस्मत है साला वो '
'रेहान कुछ बोलै तूने '
'नहीं बस कुछ सोच रहा था, आकाश मैं घर निकालता हूँ ' आकाश मेरे तरफ देखता है, और खड़ा हो मुझे बहार छोड़ने चल देता है,
'बाई, फिर मिलते हैं '
मैं अपने मित्र के घर से निकल अपने अब्बू के यहाँ गया, यहाँ पे अभी भी एक अजीब सा मनहूस सा माहौल बना हुआ था, मैं घर के अंदर जा अपने लिए खाने के लिए ब्रेड पे बटर लगाने लगा,
'रेहान कल कहाँ चले गए थे तुम ' मैं चंक जाता हूँ, यहाँ मेरे अब्बू खड़े थे, उनका आंख बिलकुल कला था, और लग रहा था जैसे इन्होने भी नशा किया हो, वो अपने सर को जोड़ जोड़ से दबा रहे थे,
'अब्बू आकाश के घर था,' मेरे अब्बू मेरे दोस्त का नाम सुन उनका चेहरा थोड़ा सामान्य होता है, और वो पानी का गिलास में पानी लेने लगते हैं,
'अच्छा ' और मेरे अब्बू वापस जाने लगते हैं, उन्हें देख लग रहा था जैसे उनके अंदर कोई जान ही नहीं हो, मेरे अब्बू किचन से निकलने ही वाले थे की मैं पूछता हूँ,
'अब्बू आप दूसरा निकाह करोगे अम्मी के होते हुए' मेरे अब्बू घूम मुझे घूरने लगते हैं ,
'हाँ ' मेरे अब्बू इतना बोल के वापस बहार चले जाते हैं और मैं वहीँ पे बैठ जाता हूँ, मेरी अम्मी सब जानती थी, मेरा मन किया अम्मी का कारस्तानी अब्बू को बताने को लेकिन मैं रुक गया, मुझे नहीं मॉम की ऐसा मैंने क्यों किया, सायद मेरे अंदर अब्बू के प्रति गुस्सा भर गया था, और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे अम्मी के साथ धोका हुआ है, जो भी वजह हो, मैंने अब्बू को कुछ नहीं बताया और वापस अपने कमरे में चला गया.
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लेकिन उस रात ने मेरे ऊपर बहुत गहरा असर डाला, मेरी अम्मी जिन्हे आजतक मैंने हमेशा कपड़ो में लिपटा देखा था, उन्हें मैंने ना सिर्फ नंगा देखा बल्कि किसी पागल रांड की तरह, किसी अय्याश की तरह दारू के नशे में, किसी गैर मर्द के गोद में देखा, मेरी आंखें जब भी बंद होती मेरी अम्मी का तन बदन मेरे सामने आ जाता,
और मेरा लण्ड न चाहते हुए भी खड़ा होने लगता, मेरी हालत बहुत ख़राब हो गयी थी, और मैं उस रात अपने अम्मी को सोच सोच रात भर अपने लुंड पे हाँथ चलाया, मेरी इस बर्बरता से मेरा लुंड बुरी तरह से चील गया लेकिन मेरा हवस ख़तम होने का नाम नहीं ले रहा था, मुझे वो या आते ही मेरा लुंड तनने लगता , और ऐसे ही मैंने वो रात बिता दिए|
मेरी अम्मी अभी भी वापस घर नहीं आयी थी, और हमारा घर सुना सुना लगाने लगा था, मुझे मालूम था मेरी अम्मी अभी तो बिलकुल नहीं आएगी, और खासकर मेरे अब्बू का दूसरा निकाह का तारीख नज़दीक आ रहा था, और वो अभी अपने गरूर पे लत मरने कतई नहीं आती, और मेरी अम्मी वहा मेरे अब्बू के पीठ पीछे क्या गुल खिलरहि होगी, उसका मैं सिर्फ अंदाज़ा ही लगा सकता था, लेकिन रात भर मेरी कल्पना मेरे पे हावी हो जाती और मैं अपने अम्मी को सोच सोच अपने लुंड को मसल मसल के घायल कर देता था,
मैंने अपने अंदर मान लिया था की मेरी अम्मी एक बहुत गन्दी खातून है, लेकिन मेरे दिन में ये ख्याल आया की क्या मेरी अम्मी सही में एक अपने मन से ये कर रही है, या अब्बू के दिया धोखे से बहक गयी है, मेरे अंदर ये ख्याल मंडराते रहता, और मेरे अंदर उनके प्रति बहुत गन्दगी भर गया था, और मैं अपने अम्मी पे ही फ़िदा हो गया था, मेरी कल्पना पागल होते जा रही थी, और मैं सचाई जानना चाहता था,
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मुझे उज़्मा से नफरत उस से मिलाने से पहले से ही हो गया था, और वो मेरी नयी अम्मी बन कर आने वाली थी, उसकी उम्र खुद सिर्फ २३-२४ थी और वो मेरी नयी अम्मी बनाने वाली थी, एक १७ साल के लडके की, वो खुद मेरे अब्बू से २१ साल छोटी थी, मैं ये सोच सोच कर ही अपना सर पकड़े हुआ था, मेरे अब्बू कैसे इतनी काम उम्र की लड़की को पेट से कर सकता है, क्या उन्हें समझ का कोई फ़िक्र नहीं, क्या उन्हें मेरी अम्मी का कोई फर्क नहीं|
और इसी तरह निकाह का दिन आ गया और चारो और दुनिया से बच्चा के एक छोटे से मस्जिद में ये निकाह हो रहा था, जिस में जाने का कोई इरादा नहीं था, मैं काफी दुखी था, और मेरी जिंदगी जहन्नुम बन गयी थी, मेरे और मेरे अम्मी और मेरे अब्बू में अब बातें भी नहीं होती थी, मैं अपने अम्मी को कॉल करता लेकिन हमेशा मामा उठा के फ़ोन पटक देता, ऊपर से मेरे अपनी अम्मी के लिए हवस, यही सोचते मैं फैसला करता हूँ की मैं यहाँ अपने नयी 'अम्मी' की स्वागत तो नहीं करूँगा, और मैं एक छोटा बैग बना के अपने अम्मी के पास जाने लगता हूँ|
मैं घर से निकल जाता हूँ और बस स्टैंड पहुँच अपने अम्मी के सहर का बस का इंतजार करने लगता हूँ, मेरी नजर थोड़ी दूर जाता है, जहा एक आदमी एक बड़े से गाड़ी का चक्का बदलने की कोसिस कर रहा था, मैं लोगो की मदद करने में सरमाता नहीं था, इसलिए मैं आगे बढ़ जाता हूँ,
'क्या हुआ बाबा इधर मुझे दीजिये मैं चक्का ढीला कर देता हूँ ' वो बूढ़ा आदमी थक गया था, और मुझे दे देता है,
'भला हो आपका बीटा ' और मैं तैयार के पेच ढीला करने लगता हूँ,
'कहा जा रही है ये गाड़ी बाबा, कखघ सहर जा रहे जो तो मुझे भी छोड़ते चलो,'
'बाबू हम उधर ही जायेंगे, लेकिन पहले हमें एक निकाह में मैडम को पहुँचाना है '
'वाह बाबा, इसमें दुल्हन है '
'है बाबू, कोई बहुत अमीर ख़ानदान की है, मैं ये सुन थोड़ा रूचि लने लगा , और चुप कर गाड़ी के अंदर झाँका लेकिन परदे लगे होने के कारन मुझे कुछ नहीं दिखा | लेकिन तभी दरवाजा खुलता है, और मेरी नज़र एक निहायती भोली और दिलकस दुल्हन पे जाती है और उसे देख मेरा दिल मरोर खा जाता है,,
'चाचा और कितना देर लगेगा '
'दो मिनट और बिटिया , आप अंदर बैठी, आपको गरमी लगेगी,' मैं उसे तब तक घूरता रहा जब तक गेट बंद करते वक़्त हम दोनों की ऑंखें एक नहीं हुई, और वो ऐसे सरमाइये जैसे वो किसी फिल्म की हेरोइन हो मेरा दिल बागबान हो गया,
'सुक्रिया बाबू ' मैंने उस चाचा को धन्यवाद किया और वह से वापस बस स्टैंड पे खड़ा हो गया,
'इसका सौहार बहुत खुशकिस्मत होगा, खुदा करे इसे मेरे अब्बू जैसे धोकेबाज़ सौहार न मिले'
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५.
'आपको मुझसे दिकत है या उनसे आप पहले ये फैसला कर लीजिये' मैं अपने ममजान को चीख के पूछा, और मेरी अम्मी हमारे इस झगड़े में बिच बचाओ कर रही थी,
'बेटा तेरा मामा कुछ ज्यादा ही गुस्से वाला है, जाने दे ना , अब तो तू यहाँ आ गया है, अब सब ठीक है ' मेरा मामा का गुस्से से सर लाल हो गया था,
'क्या ठीक है दीदी, पहले तो......' मेरी अम्मी इसपे जोड़ से चीखती है,
'रहीम जाने दो, बाबू आया है, तुम उसका स्वागत करो बस, अभी तुम बहुत छोटे हो'
'पर दीदी जो मैं बोल रहा हूँ वो सब सच है, तुम्हारा सौहार एक धोकेबाज़ है, और फिर भी तुम उसके साथ वापस जाने के लिए मन गयी' मैं ये सुन खुस हो गया, और फिर दुखी भी, एक तैतरफ मेरे परिवार का दुबारा एक होने का खुसी था, और मुझे ये भी मालूम था अब कुछ भी पहले जैसा नहीं होगा, मेरी अम्मी वहा से अपने कमरे में चली जाती है, और मैं भी उनके साथ उनके कमरे में जा उनसे हाल चाल पूछने लगता हूँ, मैं अम्मी से बात कर रहा था और वो मुझसे मुस्का के बाटे कर रही थी, लेकिन मैं देख सकता था की ये मुस्कान झूटी थी, मेरी अम्मी का दुःख उनके आँखों में साफ़ साफ़ दिख रहा था,
'बेटा जा के कुछ खा लो'
'अच्छा अम्मी' मैं वहा से निकल खाने के लिए किचन में घुस गया वह पे सुबह का कुछ खाना बचा हुआ था, मैं उसे खाने लगा, खाना ठंडा था और उस ठन्डे खाने ने मुझे याद दिलाया की, अभी इसी वक़्त मेरे अब्बू दूसरे निकाह पे बैठे हुए हैं, और मेरे अंदर गुस्सा भर आया और मैं खाना घर से बहार फेक दिया, और मैं अपने अम्मी के कमरे में चला गया, मेरी अम्मी सो रही थी,
और मेरी नज़र सीधे अम्मी के बड़े बड़े गोलाकार गांड पे अटक गयी, इतने परेशानी के समय में, मेरे अंदर के गुस्से के बावजूद, मेरी नज़र अम्मी के तरबूजे जैसे तसरीफ पे अटक गयी, और मेरे आंख के सामने एक पल के लिए उस रात की तस्वीर आयी, और मैं जैसे सम्मोहित हो गया और अपनी ही अम्मी के पास किसी जिन्न के जैसे जाने लगा, मेरे आँखों के सामने सिर्फ मेरी अम्मी के बड़े गोल गांड थी, और मैं हर चीज़ अपने हवस में भुला चूका था, मैं अम्मी के बिलकुल नज़दीक आ गया और मेरी अम्मी का रसदार गांड मेरे से एक हाथ की दूरी पे था, मैं अम्मी के सरीर की खुसबू को सूंघ पा रहा था, और मैं अपना हाथ अपने अम्मी के गांड के तरफ बढ़ने लगा,
'रेहान कहा है तू, इधर आ मेरा बाबू ' मेरी कान में मेरे नानाजान का आवाज़ आया और मेरा सम्मोहन टुटा, मैं अपनी अम्मी के एक हाथ की दूरी पे था, मैं वहां से झट से अपने नानाजान से मिलाने चला जाता हूँ,
मेरी अम्मी हर वक़्त दुखी ही दिखती थी, लेकिन मुझे मेरी अम्मी का रंडी वाला रूप मालूम था, उनके गांड की वो लचक, उनके कमर की धलए, मैं उनके पागलपन को अपने आँखोने से देखा था, और जिस तरफ मेरी अम्मी उस रात चुदवा रही थी, मुझे ये तो समझ में आ गया था की ये उनका पहला बार नहीं था, क्युकी ऐसी तो मैंने सिर्फ ब्लू फिल्म में देखि थी, जैसे अम्मी कर रही थी, उस फिल्म की हेरोइन कई मर्दो से पागलो की तरह चुदवा रही थी, उस हेरोइन का पागलपन और मेरी अम्मी का लगभग एक जैसा ही था,
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अब्बू का निकाह का एक महीने होने को था, और मेरी हवस मेरे अपने अम्मी के लिए किसी सैतान की तरह भढने लगा था, मेरी गन्दी नज़र हमेशा उनपे रहती, और मेरी अम्मी हमेशा दुखी ही रहती, मेरी अम्मी ने अब्बू का दूसरा निकाह तो मान लिया था, लेकिन उनके लिए अब्बू का दिया हुआ धोखा पचाना बहुत मुश्किल हो रहा था, और मैं अम्मी के घर पे ही रहने लगा था, और वह पे अब्बू और उनकी नयी बेगम रह रही थी, लेकिन उससे ज्यादा मुझे अम्मी का वो हूरी रूप देखना था, मैं अपने अम्मी को नंगे हातों कांड करते हुए पकड़ना चाहता था, ताकि मैं खुद ही उनकी ब्लैकमेल कर सकू, मेरे हवस ने मुझे काफी झुका दिया था, मैं हमेशा उनके सपनो में खोया रहता था, और मैं कोई मौका ढूंढ रहा था,
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hi bro.. story mast chal rahi hai chudwao uski ma ko us budhee se or aage aap hi jano .....
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nice one buddy.. update kar
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05-07-2020, 02:40 AM
(This post was last modified: 05-07-2020, 05:54 AM by xxxhjbxxx. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
Nice story
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६.
मेरी प्यारी अम्मी, मेरी प्यारी दुलारी अम्मी, मेरी प्यारी दुलारी सेक्सी अम्मी, आह मैं अपनी अम्मी को सोच सोच के परेशां हो रहा था, जब से मैं मामा के घर आया था, मुझे अम्मी हमेशा दुखी रहती, और वो घर का काम कराती लेकिन कभी भी मैंने अम्मी का वो हूरी रूप नहीं देखा, मैं अम्मी की पीछा हर जगह करने चिप के करने लगा लेकिन मेरी अम्मी कभी भी ऐसा काम नहीं कर रही थी, जो गलत था, हमेशा घर में हमेशा भारी कपडे पहनती थी, और बहार काले नक़ाब और बुरका कर के निकलती, मुझे कुछ ही दिनों में ऐसा लगाने लगा की जो मैंने उस रात देखा था वो सिर्फ मेरा एक वहां था, उस रात की घटना सिर्फ मेरे सोच में थी, और ना की असलियत, क्या वो रात की वहम थी, थकावट मेरा दिमाग मेरा साथ नहीं दिया, क्या था वो, मेरी अम्मी को मैं पिछले दो सप्ताह से मैं किसी बाझ की तरह नज़र रखे हुए था, लेकिन मेरी अम्मी ने एक बार भी ऐसा कोई इशारा नहीं दी की कोई भी गड़बड़ है,
मेरी अम्मी खाना बना रही थी और मेरे मामा सोफे पे बैठ के किसी से बातें कर रहे थे और मेरी नज़र हमारे घर के सामने रहने वाली आंटी पे गयी, जो मैं जनता था की चालू औरत है, मेरी नज़र उनके ऊपर थी, वो भी मेरी अम्मी की तरह एक आम हाउस वाइफ थी, और मेरी नज़र उनपे कपा सूखते हुए गयी, और उनकी मम्मे तर में लचक गए, और अनायास मेरे मुँह से निकला ,
'माशाअल्लाह'
'क्या हुआ बाबू, क्या देख लिया '
मेरी अम्मी मेरे बगल में खड़ी थी, और अंदर से मैं थोड़ा सा डर गया ,
'अम्मी आप कुछ भी तो नहीं'
मेरी अम्मी का नज़र बगल वाली आंटी के ऊपर था और वो थोड़ा सा मुस्का के घर के अंदर चली गयी, मैं ये देख हवस से भर गया और मेरी नज़र फिर सामने वाली आंटी पे जाता है, और मैं वहां पे अम्मी नंगी कड़ी हो, और मैं निचे देखु, और मेरा लुंड किसी तलवार की तरह खड़ा हो गया और मैं अपने प्याज़मा को ऊपर से रगड़ने लगा , और मेरे खयालो मेरी मेरी अम्मी थी, मेरी प्यारी सेक्सी दिलकश अम्मी,
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मेरी अम्मी मेरे अब्बू के नए निकाह के बारे में बिलकुल नहीं सुनना चाहती थी, और कोई उनके सामने ये बात उठता तो वो बहुत गुस्सा हो जाती थी, मैं अंदाज़ा लगाया की अगर मेरी अम्मी गलत है तो वो गलती गुस्से में ही करेगी, और मैं एक प्लान बनाने लगता हूँ, मेरा मकसद मुझे खुद अम्मी को मेरे निचे लाना था, मैं अभी १८ का होने में चार महीने थे, और मैंने चुत की सिर्फ तस्वीर ही देखि थी, यहाँ मैं अपनी अम्मी को अपने निचे का प्लान बना रहा था, और मेरा प्लान भी बहुत आसान था, अपनी अम्मी को अब्बू के नए निकाह का तस्वीर दिखा के गुस्सा दिलवाना, और फिर आशा करना की मेरी अम्मी फिर कोई गलत कदम ले और मैं उस गलती का फायदा उठा के खुद अपनी अम्मी को अपने हवस का सीकर बनाऊ,
मैं अपने दोस्त को फ़ोन कर अपने अब्बू के तस्वीर मंगवा लिया था, ये तस्वीर बहुत ही सादी थी, मेरे अब्बू के चेहरे में वो चमक नहीं थी, जिसे देखने का मैं आदी था, और इस तस्वीर में अब्बू की नयी बेगम का चेहरा ढाका हुआ था, एक पल को वो तस्वीर देख मुझे गुस्सा आ गया लेकिन दूसरे ही पल मुझ पे हवस चढ़ गया और मैं उस तस्वीर को लिफाफे में बंद कर के अम्मी के कमरे में रख दिया, और उसमे झूट मुठ का पता दाल दिया, और मैं अम्मी के ऊपर नज़र रखने लगा, मैं जनता था की अम्मी कुछ न कुछ करेगी, और मैं उसके लिए एक सस्ता सा रोल वाला कैमरा खरी लिया, वो लिफाफा टेबल पे राखी हुई थी, और मेरी अम्मी का नज़र दिन भर उस पे नहीं गया, और मैं व्याकुल हो रहा था,
'अम्मी आपके लिए पोस्ट आया था, क्या था उसमे' मेरी अम्मी रात को खाने के बाद मेरे बाल सहला रही थी, और वही पे लेती हुई थी,
'अरे मैं तो काम में भूल ही गयी थी रेहान वो लिफाफा बढ़ाना' और मैं वो लिफाफा अपने अम्मी के तरफ बढ़ा देता हूँ, मेरी अम्मी वो लिफाफा लेके खोलने लगाती है, और मेरा सरीर कांपने लगता और मैं वह से खड़ा हो बहार भाग जाता हूँ,
'अम्मी मैं बाथरूम जा रहा हूँ' मेरी अम्मी अपना सर हां में हिला के वो लिफाफा खोलने लगाती हैं, और मैं वही पे दरवाजे के बगल में बैठ अंदर का नज़ारा देखने लगता हूँ, मुझे अम्मी की प्रतिकिर्या देखनी थी, और मुझे अंदर से डर भी लग रहा था, मेरी अम्मी का नज़र उस तस्वीर पे जाता है, और उनके चेहरे से जैसे जो थोड़ी बहुत रौनक थी, वो भी कहीं गायब हो जाती है, और मेरी अम्मी अपना सीना पकड़ के उस तस्वीर को घूरते रहती है, और फिर मेरी अम्मी के आँखों से अंशु की एक कतरा बहते हुए दिखी और मैं अंदर से हिल गया, मैंने अपनी ही अम्मी को अपने हवस के लिए कितना दुःख दे दिया, उनकी दुखती राग पे अपने हाथ रख दिया, उनके अंशु ने मुझे झकझोर के रख दिया, और मेरे भी आँशु आ गए और मैं किसी पराजित सैनिक की तरग बहार जा के बैठ गया और रोने लगा, मेरा सारा हवस उस अंशु ने जैसे गायब कर दिया था, मैं एक चीज़ समाज गया की, मेरी अम्मी कोई महज़बी हो या सहर की बीबी, मैं कभी उनपे आंख उठा के नहीं देख सकता था, और मैं काफी देर के बाद वापस निचे आता हूँ, मेरी अम्मी रट हुए सू गयी थी, उनके अंशु से वो तस्वीर भी बह रहा था, मैं वो तस्वीरर अम्मी के हाथ से ले के फाड् देता हूँ, और अपने अम्मी के बगल में लेट जाता हूँ, मेरे अंदर का हवस मेरी अम्मी के प्रति उस दिन ख़तम हो गया, और मैं एक मादरचोद बनाने से बच गया|
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05-07-2020, 06:00 AM
(This post was last modified: 05-07-2020, 06:44 PM by Mastramkabeta. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
६.
मैं अपने घर के सामने वाले सोफिया आंटी सब्ज़ी ले रही थी, और मैं छिप के उन्हें देख रहा था, मुझे ये तो नहीं पता चल रहा था की वह उन दोनों में क्या बातें चल रही थी, लेकिन मुझे सोफिया आंटी के चहकते चेहरे को देख के इतना पता चल गया था की कुछ तो वह गड़बड़ है, वो सब्ज़ी वाला बार बार बैगन उठा के सोफिया आंटी को दिखा रहा था और आंटी जोड़ जोड़ से हंस रही थी, और मैं यहाँ अपना लण्ड पायजामा के ऊपर से सहला रहा था, जब से मेरे ऊपर से मेरे अम्मी का हवस उतरा था, सामने वाली सोफिया आंटी मेरा ध्यान बहुत खींच रही थी,
'काश सोफिया आंटी मेरे हाँथ में आ जाये', और मैं अपना लुंड जोड़ से दबाता हूँ, और उधर सोफिया आंटी अपने घर में चली जाती है, और सब्ज़ी वाला जाने लगता है, वो सब्ज़ी वाला काम उम्र का लग रहा था और मैं उसके पास पहुँच जाता हूँ,
'ओए लडके, तू वहा क्या कर रहा था, आंटी के साथ' वो सब्ज़ी वाला डर जाता है,
'भैया मैंने तो कुछ नहीं किया, मैं तो सिर्फ सब्ज़ी बेच रहा था' मैं उसके डर को पहचान लेता हूँ, और उसके कंधे को पकड़ लेता हूँ,
'सेल तू झूट बोल रहा है, मैंने सब देख लिया है तेरी करतूत, क्या कर रहा था बता भी दे, मैं किसी को नहीं बताऊंगा' वो लड़का थोड़ा संभालता है,
'सच बोल रहे हो'
'हाँ , तू बता तो'
'वो भाभी बहुत अच्छी है, बातें करने पे बुरा नहीं मानती' और वो लड़का थोड़ा शर्मा जाता है,
'कैसी बातें' और मैं उसे एक दुकान पे लेजा के दो छोल ड्रिंक खरीद लेता हूँ, और एक उसे दे देता हूँ,
'आप समझो न भइय्या कैसी बातें' मैं थोड़ा हँसाने लगता हूँ,
'तू बताएगा तो ही समझूंगा न, चल बता अभी क्या बोल रहा था'
'मैं बोल रहा था, मेरे बैगन खाने से उनके चेहरे पे चमक आ जाएगी' मैं मुस्का देता हूँ,
'वह रे और उन्होंने बुरा बिलकुल नहीं माना',
'नहीं भइय्या , वैसे भी उनका पति दुबई में सालो रहता है, थोड़ी गरम तो वो खुद रहती होंगी' और ये सुन मेरा दिमाग में तेज़ी आती है,
'उसका सौहार दुबई में रहता है, तुझे कैसे मालूम'
'उन्होंने खुद बताया था'
'उन्होंने तुझे बताया था?, तुझे चुत दे दी क्या वो रंडी'
'कहाँ भइय्या , लेकिन मिल जाये तो मज़ा आ जायेगा, वैसे भी रंडी छोड़ना बहुत महंगा है ' वह आसपास लोग थे, और मैं इशारा से उसे धीरे बोलने के लिए बोलता हूँ,
'तू रंडी चोदता है ',
'हां भइय्या बहुत गर्मी सर पे चढ़ जाती है तब' मैं सोचने लगता हूँ, की क्या मैं भी किसी रंडीखाने चला जउन, लेकिन मैं उस प्लान को रोक देता हूँ,
'चल कुछ हुआ उसके साथ तो बताना ' मैंने उस लडके को अपने भरोसे में ले लिया था, और मैं सोचने लगा की, ये आंटी का सौहार दुबई में रहता है, और ये ऐसे सब्ज़ी वाले के सामने खुल के मौज मस्ती वाले बातें कराती है , सायद मैं इसे पता सकता हूँ, मैं वापस अपने मामा के घर पहुंचा और मेरी नज़र वापस सोफिया सुनती के घर के तारा गया, वह पे वो अभी नहीं दिख रही थीं, और मैं घर के अंदर चला जाता हूँ, मेरी अम्मी घर का काम कर रही थी, और झाड़ू लगाने ले लिए झुकी हुई थी, मैं उन्हें देख एक पल के लिए हिल सा गया लेकिन अपने आप को संभल के वहां से अपने कमरे चला गया,
मेरी हवस भरी नज़र जो पहले मेरी अपनी अम्मी पे थी, अब वो सामने वाली आंटी पे था, लेकिन वहां तक कैसे पहुंचू, मैं ये जनता था की सोफिया आंटी अपने सौहार को धोका दे रही है, लेकिन मुझे अहसास होता है, मैंने सोफिया आंटी को पहली बार जब देखा था तो मुझे लगा था की वो मेरी अम्मी है, सायद मैं सोफिया को इस लिए अपने हवस में डूबा चाहता था क्युकी वो मेरी अम्मी जैसी दिखती था, उनका शरीर भी मेरी अम्मी जैसा था, सायद मैं उनके रस्ते अपने अम्मी का ही भाग करना चाहता था|
मुझे समझ में नहीं आ रहा था की सोफिया आंटी को कैसे अपने करीब लाये, पहले तो उनसे हमारा ज्यादा गहरा रिस्ता नहीं था, बस नाम के जान पहचान था, और दूसरा मैं उन्हें चोदना चाहता था, कोई भी गलती बहुत बड़ा तूफ़ान खड़ा कर सकती थी, लेकिन मैं ये जनता था की वो कैसी औरत हैं, और मैं वो प्लान ब्लैकमेल का जो अम्मी पे लगाना चाहता था, अब मैं सोफिया आंटी पे लगाने का प्लान बनाने लगा,
मैं हमेशा सोफिया आंटी के घर पे नज़र रखने लगा, मैं उन्हें रेंज हाटों पकड़ के, उन्हें ब्लैकमैल कर उन्हें अपने निचे लाना चाहता था, मुझे मालूम था सोफिया आंटी बहुत चालू औरत हैं, और मुझे कुछ ही दिनों में मौका मिल गया, वही गाड़ी जिसे मैंने पहले देखा था सोफिया आंटी के घर पे खड़ा था, मैं दुबक के उनके घर में खिड़कियों से झांकने लगा, और वह पे बिस्तर पे बिलकुल नंग्न सोफिया आंटी अपना गांड उठा के लेती हुई थी, और उनके उम्र पीछे से एक आदमी छोड़ रहा था, मैं ार करीब जा उनके बातों पे गौर देने लगा,
.. रिज़वान अब तुम में वो बात नहीं रही, क्या हो गया है तुम्हे, पहले तो तुम मेरा कचूमर निकल देते थे, अब तो तुम अपने भाई जितना भी नहीं कर पाते हो, वो आदमी सोफिया के सौहार का भाई था, मैं ये सुन हैरान हो गया, तभी मुझे हंफ़ने की आवाज़ आयी और मैं वापस ऊपर देखने लगा,
..सोफिया रानी, आआआआह, और सोफिया गुस्सा हो जाती है,
.. हद होता है रिज़वान, चले जाओं यहाँ से पूरा मूड ख़राब कर दिया, इतने दिन बाद मौका मिला था और तुम, मैं सोफिया आंटी के चीख से डर गया,
..सोफिया माफ़ कर दो, आज कल ऑफिस के टेंशन से परेशान हूँ, थोड़ा चुप्पा लगा दो, मैं डुबरा खड़ा हो जाऊंगा, सोफिया आंटी उस आदमी का लुंड पकड़ के एक दो बार ऊपर निचे कराती है, और सीधे अपना मुँह लुंड पे लगा चूसने लगाती है, मैं ये दृस्य देख के दांग रह गया था, और मेरा लुंड भी हिचकोले खाने लगा, और मैं अपना सर और अंदर दाल के देखने लगा,
.. आआह सोफिया, आआह , और वो आदमी दुबारा थरथराने लगा, सोफिया आंटी उसे चोर के उठी और गुस्से से उस आदमी को देखि, और वहा से उठ गयी, और उस आदमी का कपड़ा उसके हांथों में देने लगी,
'भागो यहाँ से' और वो आदमी अपना मुँह लटका के कपडे पहन वहान से निकल गया, मैं वही पे अपने खड़े लुंड की वजह से जमा हुआ था , और मैं वह इ बिना सोर किये निकल नहीं सकता था, इसलिए सोफिया आंटी को हटाने का इंतज़ार करने लगा, लेकिन मेरा डर से हालत ख़राब हो गया, और सोफिया आंटी सिहे मेरे खिड़की के तरफ आयी, और मैं अपना सर निचे झुनका लिया,
'क्यों शो अच्छा लगा, मजा आया' मेरा डर से हालत पतला था, सोफिया आंटी ने मुझे देख लिया था, और मैं अपना सर ऊपर कर उन्हें देखने लगा, वो अभी भी नग्न थी, और मेरे गाल को पकड़ लिया ,
'नॉटी बॉय' और उन्होंने मेरे गाल में चुटी कट लिया, मेरा लुंड और खड़ा हो गया , और खून के ऋषव की वजह से मेरा लुंड दुखने लगा था,
'रेहान नाम है न तेरा' मैं अपना सर हाँ में हिलता हूँ,
'अंदर आजाओ, मजे करते हैं' और सोफिया आंटी वहां से हैट जाती है, और मैं लड़खड़ाते दौड़ते हुए सोफिया आंटी के दरवाजे पे पहुँच जाता हूँ, यहाँ पे अब वो गाड़ी जा चुकी थी, और मैं दरवाज़ा ठकठकाते हूँ, लेकिन दरवाजा खुला हुआ था, और मैं अंदर दाखिल हो जाता हूँ, अंदर सोफिया आंटी नग्न चेयर पे बैठ सिगरराते पी रही थी,
'पिओगे'
'नहीं आंटी'
'अरे आजकल के लडके नहीं हो तुम तो, वैसे ये आंटी आंटी क्या लगा रखा है, सोफिया बोलो '
'अच्छा आंटी', सोफिया आंटी , आंटी सोफिया, सोफिया ' और मेरे ऐसे करने पे सोफिया आंटी हँसाने लगाती है, और सिगेरट का एक कस मेरे मुँह पे फेकती है,
'पहले किया है, पेहले बाबू'
'नहीं आंटी, सोफिया आंटी , सोफिया' सोफिया आंटी हँसाने लगाती है, सोफिया आंटी मेरे सिने पे अपना हाथ चलाती है, और मेरे कपडे से घींच के अपने बिस्तर पे ले जाती है, जहाँ पे वो पहले लेती हुई थी, और मेरा पयजामा खोल हवा में उदा देती है, और मेरे खड़े लुंड को देख हँसाने लाती है ,
'अब ये हुई न कोई बात' और सोफिया आंटी बेड के किनारे अपना पैर फैला के लेट गयी और अपने पैर से मुझे खींच के पास ले आयी , मेरा लुंड सोफिया आंटी के चुत के बालों से चुम रहा था ,
'देख क्या रहा है रेहान, दिखा अपने जवानी का ताक़त, घुसा अपना लुंड मेरे चुत में' और सोफिया आंटी अपना पेअर मेरे पीछे से हटा लेती है. और मैं निचे देखने लगता हूँ, सोफिया आंटी का छूट बहुत गरम था, और ऐसा लग रहा था की मेरा लण्ड पे चुत का भाफ लग रहा है, और मेरा लण्ड हिचकोले खा रहा था, मैं अपने खड़े लण्ड को धक्का देता हूँ, लेकिन वो किसी चीज़ से टकरा जाती है,
'आआआआआह क्या कर रहा है, तूने कोई ब्लू फिल्म नहीं देखि क्या, निचे डालते हैं ' और सोफिया आंटी मेरा लण्ड अपने चुत के छेद पे सटा देती है ,
'मारो धक्का' और मैं एक धक्का मरता हूँ, और सोफिया आंटी के गीले चूत में मेरा लण्ड फिसलता हुआ पूरा एक बार में ही घुस जाता है, मुझसे उनकी चूत की गरमी बदस्त नहीं होती है, और मैं एक ही बार में झड़ने लगता हूँ,
' आआआआआह आंटी कुछ निकल रहा है' मुझे अंदर से डर था की आंटी मुझपे गुस्सा हो जाएँगी, जैसे वो अपने सौहार के भाई पे हुई थी, लेकिन सोडिया आंटी मुस्का के मुझे देख रही थी, और मेरे अंदर से थोड़ा डर ख़तम हुआ,
'कैसा लगा पहला बार, मजा आया'
'हां आंटी कितना गरम था' और सोफिया आंटी हँसाने लगाती हैं और वहां से उठ जाती हैं, और मैं वही पे जोड़ जोड़ से हांफने लगता हूँ, मेरे सामने एक बार के लिए अम्मी का चेहरा आता है, लेकिन फिर सोफिया आंटी का चेहरा उनके बगल में आता है, और मैं वही सोफिया आंटी के बिस्तर में सो जाता हूँ,
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मेरी आँख जब खुलती है तो चारो था, और मुझे मालूम नहीं था की कितना बज रहा है, और वह पे सोफिया आंटी कहीं नहीं दिख रही थी, मैं उनके घर से अपने घर को जाने लगता हूँ,
मेरे घर के सामने वही सबज़ी वाला ठेला लगा हुआ था, जो सोफिया आंटी के सामने मैंने पिछले दिनों देखा था, और मैं एक पल को डर गया की क्या मेरी अम्मी भी सोफिया आंटी की तरह, लेकिन जब मैं नज़दीक गया तो वह पे मेरी अम्मी, और मामा कुछ सब्ज़ी ले रहे थे, वो सब्ज़ी वाला मुझे देख आंख मरता है,
'कहा गया था रेहान सब कितना परेशान थे '
'वो अम्मी मैं थोड़ा घूमने निकल गया था'
'बता के जाना चाहिए न, चलो घर में नाहा धो लो, खाना निकल देती हूँ' और मेरी अम्मी और मामा घर में घुस गए, मैं अंदर जा ही रहा था की मेरे कंधे पे सब्ज़ी वाले का हाँथ आता है,
'भइय्या, ये आपकी अम्मी थीं '
'हाँ '
'आपकी अम्मी बहुत अच्छी हैं, और बहुत प्यारी भी' और वो सब्ज़ी वाला लडक वहां से झट से भाग गया, मुझे पूछने तक का मौका नहीं मिला की आखिर वो कहना क्या चाहता है, लेकिन मैं उसकी इस बात से काफी परेशान हो गया,
मैं धो कर खाना खाने लगा और मेरा मामा वहीँ पे बैठे हुए थे, मेरे नज़र में नान नानी नहीं आ रहे थे,
..मां नाना नहीं कहाँ गए, दिख नहीं रहे हैं , मामा मेरी और देखते हैं,
..वो तेरे अब्बू के घर हैं, तुझे और तेरे अम्मी के लिए बातें करने गए हैं, और मामा छत को देखने लगते हैं, अब मैं सही में डर गया, मेरी अम्मी आज दिन भर घर में अकेली थी, मुझे याद आया वो रात उस दिन भी अम्मी ने अपने आप को अकेला समझा था घर पे, और उस सब्ज़ी वाले की अजीब बात, मैं जल्दी से खा के अम्मी के कमरे में जाता हूँ, और चीज़ो की जांच करने लगता हूँ, और मेरी नज़र वही बिस्तर के निचे चार इस्तेमाल हुई कंडोम पे जाती हैं, और मैं वही पे बैठ जाता हूँ, जब मैं उस चालू सोफिया को चोद के सो रहा था तब वो सब्ज़ी वाला चालू आयेशा को चोद रहा था और मैं कमज़ोर दिल से बाहर आया, एक बार को मेरा दिल किया की मैं अम्मी को इस बारे से झगड़ा करूँ , लेकिन मेरी इतनी हिम्मत नहीं हो रही थी,
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नमस्ते sir
आपकी स्टोरी नंबर"१ वन है सर
में आपका। "fan" हूं सर
मा का दूध
मा बेटे का प्यार
Thank you sir
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६।
मेरा खून खोल रहा था, साला एक सब्ज़ीवाला मेरी माँ चोद के चला गया, और मैं, मैं भी तो उस खातून को चोद रहा था, लेकिन मुझे काफी ठगा ठगा सा महसूस हो रहा था, मेरी प्यारी अम्मी, जिन्होंने मेरा इतना ख्याल रखा, वो ऐसी हरकत कर रही हैं, और वो भी सब के चेहरे पे पर्दा दाल कर,
'रेहान रेहान बेटा'
'हाँ अम्मी' मैं उठ के अम्मी के पास जाता हूँ, और मेरा नज़र सीधे उनके सरीर पे लग जाती हैं, वह क्या काया है, क्या मम्मी, है अलह क्या सोंच रहा हूँ मैं, अपनी ही अम्मी के बारे में, मेरी अम्मी खाना पका रही थी, और मेरा मन उनके गांड को देख किया की, जेक उन्हें भींच दूँ, मेरा लुंड कड़क हो गया और मैं बहुत मुश्किल से अपना लुंड पे काबू कर रखा था,
'बेटा ज़रा बाजार से दूध ले आ , ख़तम हो गए हैं' दूध सुनते हि मेरा नज़र मेरी अम्मी के मम्मो पे जाता है, अम्मी आप कहां तो यहीं दूध का इंतजाम कर दूँ, मैं ये अपने मन में कहता हूँ ,
'अच्छा अम्मी ' और बाजार के और मैं निकल गया, मेरी खयालो में मेरी अम्मी घूम रही थी, और न चाहते हुए कल रात का वो कंडोम जो उस सब्ज़ीवाले ने मेरे ही अम्मी पे इस्तेमाल किया था, अगर वो साला सब्ज़ीवाला मिल जाये तो टेटुआ दबा दूंगा, मादरचोद , जैसी ही मैं ये अपने मन में बोलता हूँ, मुझे वही सब्ज़ी वाला बाजार में कुछ कहते हुए दिख जाता है, और मैं दौड़ के उसके पास पहुंच जाता हूँ,
एक झटके में मैं उसका प्लेट पलट के उसका शर्ट पकड़ लेता हूँ, वो मुझसे छोटा था ऊंचाई में , और मैं उसके अंगुली के बल खड़ा कर देता हूँ,
'हरामज़ादा साला' और मैं उस सब्ज़ीवाले के मुँह पे एक घूंसा मर देता हूँ, और वो वहीँ गिर जाता है, उसके नाक से बुरी तरह से खून निकलने लगा था, लेकिन मैं उसका बाल पकड़ के उसे मरने लगता हूँ,
'मादरचोद मैंने तुझे दोस्त समझा और तू ने ये किया ' और वहा के लोग मुझे पकड़ लेते हैं,
'बेटा गरीब लड़का हैं, क्या कर दिया है इसने , मर जायेगा ' और लोग मुझे पीछे करने लगते हैं, और वो सब्ज़ी वाला बेहोश हो चूका था, लेकिन मेरे अंदर क गुस्सा काम नहीं हुआ था, लेकिन लोगो की वजह से मैं वह से चला गया, और लोगो के काफी पूछने के बाद भी नहीं बताया की आखिर इसने क्या किया हैं, मैं ये थोड़े बोल सकता था की इस मादरचोद ने मेरी अम्मी को ही अपने लुंड पे नचा दिया,
मैं उसके बाद दूध लेके घर पहुँच जाता हूँ, फिर मेरी नजर मेरी अम्मी पे जाती है, और मेरा लुंड खड़ा होने लगता है,
'रेहान तुम्हारे सरीर पे इतना धुल क्यों लगा हुआ है, बाल बिखरे हुए है, गिर गया था क्या '
'हाँ अम्मी' और मैं अपना लण्ड दबाके अपने कमरे में चला जाता हूँ , मेरे अंदर काफी गुस्सा था , खासकर मेरी अम्मी के बारे में, मुझे समझ में नहीं आ रहा था की आखिर अम्मी ऐसा क्यों कर रही है, आखिर वो अब्बू को धोखा क्यों दे रही है, लेकिन मैं असलियत अच्छे से जनता था, आखिर मेरी अम्मी ऐसा क्यों कर रही है,
मैं अपनी अम्मी पे हमेशा नजर रखने लगा, लेकिन उस रात के बाद मैंने अपनी अम्मी को कभी भी किसी काली करतूत में नहीं पकड़ा, मैंने घर में एक छिपा के कैमरा भी लगाया पकड़ने के लिए और ना उस सब्ज़ी वाले का कोई अता पता लगा, मैं अपनी अम्मी का हवस पडोसी आयेशा पे निकल रहा था,
मेरी अम्मी ने दुबारा ऐसा कोई हरकत नहीं किया तो मुझे लगने लगा की सायद अब्बू से बदला का दौड़ सायद ख़तम हो गया है, क्युकी अम्मी वापस जाने के लिए भी राज़ी हो गयी, और मैं अम्मी के साथ वापस अब्बू के यहाँ आ गया.
और वहां कड़ी थी मेरे अब्बू की नयी बीबी, जिसे देखते ही मेरी अम्मी चिढ गयी, और मैं चकित रह गया, ये वही खातून थी कार वाली.. ....
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great story update waitng
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७।
'आह, आयेजा, मेरी जान, काश तू मुझे मिल जाये'
'आआआह हाई, आखिर तुझे मेरे बुड्ढे अब्बू में ऐसा क्या दिख गया आआह, आयेजा' मैं अपने अब्बू के नयी बीबी को देख छिप कर मुठ मार रहा था, मेरी अम्मी की ये सौत एक अलग ही बला थी, और जब से मैंने इस्पे अपना आँख टिकाया था, मैं तो जैसे पागल सा हो गया था, क्या काया थी, परदे में भी इसके कमर का जलवा चालक जाता, इसके बड़े तसरीफ जैसे कोई गुलाबजामून फिट करा लिए हो, और इसके मम्मी वल्लाह वल्लाह सुभानअल्लाह, मैं इस्पे वैसे ही पागल था जैसे मेरा बाप, सायद बाप बेटे की स्वाद एक जैसा ही था,
'आआआआआह, आयेजा' और मैं झड़ने लगा, मेरा मल निचे जमीन पे गिराने लगा, और मैं धरासाई बाथरूम के छत के रोशन्दानी के बगल में बैठ के अपना सर हिलने लगा,
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मेरे कानो में ये आवाज़ आ रहा था, और मैं खिड़की से निचे जानका, निचे अब्बू खड़े थे नयी अम्मी के साथ, मेरा तो उन दोनों को साथ देख के खून खौल गया, लेकिन जब उनलोगो ने मेरी अम्मी के बारे में बातें करना सुरु की तो मैं उनकी बातों पे ध्यान देने लगा,
'अरे आप तो समझदार हैं, वो हैं तो मेरे बेटे की अम्मी ही न'
'अरे इसका मतलब आप हर वक़्त उसका ही पक्ष लेंगे, आपके बच्चे की अम्मी तो मैं भी बनने जा रही हूँ, आपको तो मेरी कोई चिंता ही नहीं'
'अरे बेगम जान' और मेरा अब्बा अपनी नयी बेगम को गले से लगा लेता है, और मैं ऊपर गुस्से से उठ बाहर घर के निकल जाता हूँ, मुझे अपने बाप से बहुत िष्य हो रही थी, एक मेरी अम्मी जो की क़यामत थी, और फिर ये छिपकिली,
'साला आखिर उस बुड्ढे में इन दोनों को क्या दिख गया' और मैं एक पान वाला के दुकान पे से सिगरेट ले पिने लगता हूँ, मेरा ये नयी पटाखा ने जान काबू कर लिया था, मैं हर वक़्त नज़र छिपा घूरता रहता था और सायद उसे भी मेरी गन्दी नज़र का एहसास कही न कही था, क्या गांड मटका के चलती है साली, पहले मेरे नानीहाल में वो रांड पडोसी से मेरा काम चल जाता था, लेकिन यहाँ न तो मेरी कोई सेटिंग थी, और न मेरे पास समय था, मुझे कुछ लड़कियां पसंद जरूर थीं, लेकिन मुझे पता नहीं क्यों बड़ी उम्र की मस्त सरीर वाली औरतें बहुत क़यामत लगाने लगीं थी, सायद मेरे अम्मी का असर मेरे ऊपर बहुत गहरा पड़ा था.
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मैं घर पहुँच गया, और मेरे अब्बू के कमरे से एक बहुत ही धीमी कराहने की आवाज़ आ रही थी, और मेरा दिलो दिमाग जल गया और मेरे अब्बू और उनकी नयी बीबी की छवि मेरे दिमाग में आयी, और मेरा दिमाग ख़राब होने लगा.
'हट मादरचोद'
और मैं वहां से दौड़ के निकल गया, मेरा पूरा सरीर उस आयेजा का सोंच कैम्प रहा था, मेरा दिमाग काम करने से मन कर रहा था, और मेरा लण्ड किसी तलवार की तरह मेरे पैजामा में अकड़ा हुआ था,
'कास आयेजा मुझे मिल जाये, है अल्लाह'
'रेहान क्या हलचल है भाई, बड़ी दिनों बाद दिखे हो' मैं सर उठा के देखता हूँ, वहां मेरा क्रिकेट खेलने वाला अच्छा दोस्त खड़ा था,
'क्या हाल है भाई, मैं किसी काम से दूसरे सहर गया हुआ था'
'अच्छा, और सब कैसा चल रहा है, सुने की तेरे बाप ने तेरे लिए नया मम्मी लेके आये हैं, हआ हा हा , वो ये बोल के मुझपे हंसाने लगा, और इस से मुझे थोड़ा गुस्सा आ गया ,
'क्या बकता है बे, वो मेरी कोई मम्मी छम्मी नहीं है' मैं उसपे भड़कते हुए कहता हूँ,
'अरे तू तो गुस्सा हो गया, वैसे हैं वो काफी दिलकश, और अच्छे मिजाज की, भाई जो हुआ सो हुआ, तू उनपे गुस्सा मत कर'
'तू कब से उसका वकील हो गया, वैसे भी तू उसे जनता ही क्या है, सेल उसने मेरे अम्मी की जिंदगी में आग लगा दी' मैं थोड़ा और गुस्सा हो गया और ये देखते हुए वो मुझे सांत करने लगा,
'अरे भाई, अभी मैं उनसे उनसे और तेरे अब्बू से मिला बाजार में इसलिए बात उठा दी, चल भाई सॉरी' और वो जाने लगा, पहले पहले उसका कहा हुआ बात मुझे समझ में नहीं आया, मेरे अब्बू और उनकी नयी बेगम तो घर में देह के खेल में व्यस्त थे, तो फिर इसने किसे देख लिया,
'अरे रुक भाई तुझे मेरे अब्बू कहाँ मिले, मुझे जारा उनसे काम है'
'वो चांदीमल हलवाई के दुकान पे कुछ खा रहे थे', मैं वहां से दौड़ के निकला,उस हलवाई के दुकान पे, और मेरे दोस्त के कहे हुए बात सही निजकल और मेरे अब्बू और उनकी नयी बेगम, चाट ख़तम करने के कगार पे थे, और हंस हंस के बातें कर रहे थे, मैं कुछ देर स्तब्ध रहा, आखिर घर में कौन था,
'अम्मी' और मैं घर के तरफ दौड़ निकाला, क्या मेरी अम्मी घर में अपने सौहार के बिस्तर पे किसी और के साथ, मैं अपना सर झकझोर लिए, मैंने काफी इन अपनी अम्मी पे नज़र रखा था, लेकिन फिर काफी दिन तक कुछ नहीं हुआ और मेरे अब्बू के नयी बीबी के लिए हवस ने लापरवाह कर दिया,
'क्या मेरी अम्मी इतनी हिम्मती है, है अल्लाह' और मैं अपने घर पहुँच गया,
'अम्मी अम्मी अम्मी अम्मी, कहाँ हैं आप, मुझे कोई जरुरी काम है', अंदर से मेरी अम्मी बहार निकलती हैं, और उनका चेहरा पसीने से बुरी तरह से लथपथ थी, और उन्होंने पूरा आबया कर रखा था, जोकि वो घर में कभी नहीं पहनती थी, लेकिन उनके आबया में भी मैं देख सकता था, उनके बाल बुरी तरह से बिखरे हुए थे, मेरा सरीर कैम्प रहा था,
'क्या हुआ बेटा, कुछ चाहिए आपको'
'हां अम्मी मेरे लिए पानी का एक गिलास ले आओ न'
'बस इतनी सी बात के लिए इतना सोर, चल मैं लेके आयी ' मैं अपने जाते हुए अम्मी पे नज़र डाला, उनके कमर में गज़ब लचक थी, और वो थोड़ा लंगड़ा रही थी, और मेरे सर से पसीना आने लगा, और ये मेरे सामने साफ़ होने लगा की मेरी अम्मी ने फिर अपना मुँह कला करवाया है,
'ये ले बेटा' मेरी अम्मी झुक के मुझे पानी का गिलास पकड़ने के लिए देती है, वो मुझसे काफी करीब थी, और मेरा नज़र उनके चेहरे पे जाता है, और मेरा आँख फैट जाता है, मेरी अम्मी के एक गाल पे गहरा दांत के निशान थे, मेरा सरीर कंपनी लगता है, और मैं मन में कहता हूँ,
'है अल्लाह'
'बेटा और कुछ चाहिए' मैं बस अपना चेहरा ना में घूमता हूँ,
'अच्छा मैं नहाने जा रही हूँ' और मेरी अम्मी अपने विशाल गांड लेके नहाने को चली जाती है, और मैं वो गिलास उठा अपने आप को ठंडा करने के लिए अपने सर पे दाल देता हूँ,
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