17-06-2020, 01:29 PM
गलतफहमी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Romance गलतफहमी
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17-06-2020, 01:29 PM
गलतफहमी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-06-2020, 01:30 PM
हर आदमी के सपने में एक लड़की होती है. कमोबेश खूबसूरत लड़की. वह उस की सघन कल्पना के बीच हमेशा चलतीफिरती है. हंसतीबोलती है.
नीना के प्रति मेरा आकर्षण चुंबक की तरह मुझे खींच रहा था. एक रोज मैं ने हंस कर सीधेसीधे उस से कहा, ‘‘मैं तुम से प्यार करता हूं.” वह ठहाका मार कर हंसी, ‘‘तुम बडे़ नादान हो रविजी. महानगर में प्यार मत करो, लुट जाओेगे.” ‘‘मतलब…?‘‘ मैं चौंका. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-06-2020, 01:31 PM
‘अरे मिलोजुलो, दोस्ती रखो… हो गया,‘‘ उस ने अंदर की पछाड़ खाती लहरों को भुला कर कहा, ‘‘प्यार और शादी, इस पचड़े के बारे में सोचो भी नहीं,‘‘ एक झटके में उस ने भावनाओं के सुंदर गुलाब की पंखुड़ियों को नोंच कर फुटपाथ पर फेंक दिया. लोग कुचलते हुए चले गए. मुझे अपना अक्स अब मुंह चिढ़ाने लगा, ‘यह लड़की भी क्या चीज है.’
उस ने फिर कहीं दूर भटकते हुए कहा, ‘‘इस शहर में रहो, पर सपने मत देखो. छोटे लोगों के सपने यों ही जल जाते हैं. जिंदगी में सिर्फ राख और धुआं बचते हैं. सच तो यह है कि प्यार यहां जांघों के बीच से फिसल जाता है.” जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-06-2020, 01:31 PM
‘‘कितना बेहूदा खयाल है नीना…”
‘‘किस का?” ‘‘तुम्हारा..” मैं ने तल्ख हो कर कहा, ‘‘और किस का?” “यह मेरा खयाल है?” वह हैरान सी हुई, ‘‘तुम यही समझे…?” “तो मेरा है?” ‘‘ओह…” उस ने दुखी हो कर कहा, ‘‘फिर भी मैं कह सकती हूं कि तुम कितने अच्छे हो… काश, मैं तुम्हें समझा पाती.” ‘‘नहीं ही समझाओ, तो अच्छा,” मैं ने उस से विदा लेते हुए कहा, ‘‘मैं समझ गया…‘‘ रास्तेभर तरहतरह के खयाल आते रहे. आखिरकार मैं ने तय किया कि सपने कितने भी हसीन हों, अगर आप बेदखल हो गए हों, तो उन हसरतों के बारे में सोचना छोड़ देना चाहिए. मैं नीना की जिंदगी से बाद में कट गया. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-06-2020, 01:31 PM
मैं नीना को एक बस में मिला था. वह भी वहीं से चढ़ी थी, जहां से मैं चढ़ा था और वहीं उतरी भी.
कुछ दिन में हैलोहाय से बात आगे बढ़ गई. वह एक औफिस में असिस्टैंट की नौकरी कर रही थी. बैठनाउठना हो गया. वह बिंदास थी, पर बेहद प्रैक्टिकल. कुछ जुगाड़ू भी थी. मेरे छोटेमोटे काम फोन पर ही करा दिए. उस दिन फैक्टरी से देर से निकला तो जैक्सन रोड की ओर निकल गया. दिल यों भी दुखी था. फैक्टरी में एक दुर्घटना हो गई थी. बारबार दिमाग में उस लड़के का घायल चेहरा आ रहा था. मैं एक मसाज पार्लर के पास रुक गया. यह पुराना शहर था अपनी स्मृति में, इतिहास को समेटे हुए. मैं ने घड़ी देखी. 7 बज रहे थे. मैं थकान दूर करने के लिए वहां घुस गया. अभी मैं जायजा ले ही रहा था कि मेरी नजर नीना पर पड़ी, ‘‘तुम यहां…?” जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-06-2020, 01:33 PM
“हां, मैं इसी पार्लर में काम करती हूं.”
“पर, तुम ने तो बताया था,” मैं ने आश्चर्य से भर कर कहा, “तुम किसी औफिस में काम करती हो…‘‘ “हां करती थी.‘‘ “फिर?‘‘ “सब यहीं पूछ लोगे?‘‘ वह दूसरे ग्राहक की ओर बढ़ गई. नशे से लुढ़कते थुलथुले लोगों के बीच से वह उन्हें गरम बदन का अहसास दे रही थी. मुझे गहरा अफसोस हुआ. मैं सिर्फ हैड मसाज ले कर वापस आ गया. रास्ते में मैं ने फ्राई चिकन और रोटी ले ली थी. कमरे में पहुंच कर मैं सोना चाह रहा था, ताकि सीने पर जमा सांसों का बोझ हलका हो जाए. अभी खाने का एक गस्सा तोड़ा ही था कि मोहन वर्मा आ गया. ‘‘आओजी,” मैं ने बड़े अपनेपन से कहा, ‘‘बड़े मौके से आए हो तुम.” ‘‘क्या है?” मोहन ने मुसकराते हुए पूछा. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-06-2020, 01:33 PM
मोहन एक दवा दुकान पर सेल्समैन था. पूरा कंजूस और मजबूर आदमी. अकसर उसे घर से फोन आता था, जिस में पैसे की मांग होती थी. इस कबूतरखाने में इसी तरह के लोग किराएदार थे, जो दूर कहीं गांवघर में अपने परिवार को छोड़ कर अपना सलीब उठाए चले आए थे. अलबत्ता, नीचे वाले कमरे में कुछ परिवार वाले लोग भी थे, लेकिन वे भी अच्छी आय वाले नहीं थे, अपनी रीना, नीना के साथ किसी तरह रह रहे थे…
“मैं ने थाली उस की ओर खिसकाई,” बिना चूंचूं किए वह खाने लगा. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-06-2020, 01:34 PM
मोहन बोला, “यार रवि, तुम्हीं ठीक हो. तुम्हारे घर वाले तुम्हें नोचते नहीं. मैं तो सोचता हूं कि मेरी जिंदगी इसी तरह खत्म हो जाएगी… कि मैं वापस भी नहीं जा सकूंगा गांव… पहले यह सोच कर आया था कि 2-4 साल कमा कर लौट जाऊंगा… मगर 10 साल होने को हैं. मैं यहीं हूं…”
‘‘सुनो मोहन, मुझे फोन इसलिए नहीं आते हैं कि मेरे घर में लोग नहीं हैं… बल्कि उन्हें पता ही नहीं है कि मैं कहां हूं… इस दुनिया में हूं भी कि नहीं… यह अच्छा है… आज जिस लड़के का एक्सीडेंट हुआ, अगर मेरी तरह होता तो किस्सा खत्म था, पर अब जाने क्या गुजर रही होगी उस के घर वालों पर…” ‘‘ एक बात बोलूं?” ‘‘ बोलो.” ‘‘ तुम शादी कर लो.” ‘‘किस से?” ‘‘अरे, मिल जाएगी…” ‘‘मिली थी…” मैं ने कहा. ‘‘फिर क्या हुआ? ‘‘टूट गया.” जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-06-2020, 01:35 PM
रात काफी हो गई थी. मोहन उठ कर चला गया.
सवेरे मेरी नींद देर से खुली, मगर फैक्टरी मैं समय से पहुंच गया. मुझे वहीं पता चला कि रात अस्पताल में उस ने तकरीबन 3 बजे दम तोड़ दिया. मैनेजर ने एक मुआवजे का चेक दिखा कर सहानुभूति बटोरने के बाद फैक्टरी में चालाकी से छुट्टी कर दी. मैं वापस लौटने ही वाला था कि नीना का फोन आया. चौरंगी बाजार में एक जगह वह मेरा इंतजार कर रही थी. ‘‘क्या बात है?” मैं ने पूछा ‘‘कुछ नहीं,” वह हंसी. ‘‘बुलाया क्यों?” ‘‘गुस्से में हो?” ‘‘किस बात के लिए?” ‘‘अरे बोलो भी.” ‘‘बोलूं?” ‘‘हां.” ‘‘झूठ क्यों बोली?” जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-06-2020, 01:35 PM
‘‘क्या झूठ ?”
‘‘कि औफिस में…” ‘‘नहीं, सच कहा था.” ‘‘तो वहीं रहती.” ‘‘बौस देह मांग रहा था,” उस ने साफसाफ कहा. ‘‘क्या…?” मैं अवाक रह गया. काफी देर बाद मैं ने कहा, ‘‘चलो, मुझे माफ कर दो. गलतफहमी हुई.” ‘‘गलतफहमी में तो तुम अभी भी हो….” ‘‘मतलब…?” मैं इस बार चौंका, ‘‘कैसे?‘‘ ‘‘फिर कभी,” नीना ने हंस कर कहा. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-06-2020, 01:36 PM
उस दिन नीना के प्रति यह गलतफहमी रह जाती, अगर मैं उस के साथ जिद कर के उस के घर नहीं गया होता.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-06-2020, 01:36 PM
मेरे घर की तरह दड़बेनुमा मकान था. एक बिल्डिंग में 30-40 परिवार होंगे. सचमुच कभीकभी जिंदगी भी क्या खूब मजाक करती है. वह 2 बूढ़ों को पालते हुए खुद बूढ़ी हो रही थी. उस की मां की आंखों में एक चमक उठी. कुछ अपना रोना रोया, कुछ नीना का.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-06-2020, 01:37 PM
मेरा भी कोई अपना कहने वाला नहीं था. भाई कब का न जाने कहां छोड़ गया था. मांबाप गुजर चुके थे. चाचाताऊ थे, पर कभी साल दो साल में कोई खबर मिलती.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-06-2020, 01:37 PM
उस दिन नीना का हाथ अपने हाथ में ले कर मैं ने कहा, ‘‘मुझे अब कोई गलतफहमी नहीं है. तुम्हें हो, तो कह सकती हो.‘‘
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-06-2020, 01:37 PM
‘मुझे है,‘‘ उस ने हंस कर कहा, ‘‘पर, कहूंगी नहीं.‘‘
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-06-2020, 01:38 PM
एक खूबसूरत रंग फिजां में फैल कर बिखर गया. उस दिन उस के छोटे बिस्तर पर जो अपनापन मिला, मां की गोद के बाद कभी नहीं मिला था. 2 महीने बाद दोनों ने शादी कर ली, बस 10 जने थे. न घोड़ी, न बरात, पर मुझे और नीना को लग रहा था कि सारी दुनिया जीत ली.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-06-2020, 01:39 PM
अगली सुबह मैं अपने साथ खाने का डब्बा ले गया था. इस से बढ़ कर दहेज होता है क्या?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
19-06-2020, 01:08 AM
bada update na sahi..............kam se kam ek paragraph to do
ek ek line kab tak padhte raheinge......................neera ji
20-06-2020, 12:21 AM
कुछ सेक्सी फोटोग्राफ्स भी डालेंगे तो मजा ओर बढ़ जाएगा।
22-06-2020, 09:34 AM
Neera ji aage bhi to do
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