Thread Rating:
  • 1 Vote(s) - 5 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery नेहा और बड़े मामा
#1
नेहा   और  बड़े मामा 























Heart Heart Heart
















हम परिवार का झील वाला बंगला एक पहाड़ी पर था. सिर्फ एक सड़क ही थी और वो सड़क सिर्फ हमारी जायदात पर ही ख़त्म हो जाती थी.

बड़े मामा ने बंगले के सामने बड़े खुले पार्किंग दालान में कार रोक दी. बँगला लगबघ ५० एकड़ के बीच में था. परिघी के बाद सब तरफ वादी थी. ४-५ एकड़ की घास भरी ज़मीन के बाद सारी तरफ घने पेड़ों का जंगल था. उसके बीच में ६ एकड़ की झील थी.

बँगला टीक लकड़ी और और पहाड़ी पत्थरों से बना था. उसमे दस शयन-कक्ष, ४ बैठक, २ रसोई और दो परिवार के खेलने और सिनेमा देखने के कमरे थे.

बड़े मामा ने मुझे गाड़ी से निकलते ही अपनी बाँहों में उठा लिया, "नेहा बेटा, आज तो मुझे आपसे आपकी सुहागरात जैसे ही व्यवहार करना चाहिये."

मैंने अपनी बाहें मामाजी कि गर्दन के इर्दगिर्द डाल दीं.

बड़े मामा ने मुझे तीसरे बड़े शयन-कक्ष में ले गए. दरवाज़े के अंदर जाते ही मेरी आँखे खुली की खुली रह गयीं.

पूरा कमरा फूलों से सजा हुआ था.बिस्तर पर भी गुलाब की कोमल पंखुड़ियां बिखरी हुई थीं. सफ़ेद बिस्तर पर लाल और गुलाबी ग़ुलाब की पंखुड़ियां किसी भी स्त्री के दिल को प्यार से झंझोड़ देने के लिये पर्याप्त थीं.

मेरी आश्चर्य से चीख निकल गयी. मैंने बड़े मामा के मूंह को बार-बार चूम कर गीला कर दिया.

मामा ने मुझे धीरे से ज़मीन पर खडा कर दिया मानो मैं अत्यंत नाज़ुक थी. मेरी दृष्टी मुलायम तकियों के ऊपर एक बड़े से शलीन के बक्से पर पडी. मैंने बड़े मामा की तरफ देखा और उन्होंने मुस्करा कर सिर हिलाया. मैंने सुंदर बक्सा खोला तो उसमे तीन विभाग थे. एक में हीरों का हार, दूसरे में वैसे ही हीरों का कंगन था और तीसरे में मिलती हुई हीरों की पैंजनी [एंकलेट] थी. मैं मामा से लिपट गयी. बड़े मामा ने मेरे साथ सहवास के लिये कितनी तय्यारियाँ की थीं. उनके उपहार कीमत से नहीं उनके दिल की चाहत की वज़ह से मेरे लिये बेशकीमती थे. मैंने होले से बक्सा बंद किया और बिस्तर के पास की मेज़ पर रख दिया.

फिर मैं शर्माती हुई अपने वृहत्काय बड़े मामा की बाँहों में समा गयी. बड़े मामा ने मुझे अपने बाँहों में भर कर कस के अपने भारी-भरकम शरीर से जकड़ लिया. बड़े मामा मुझसे एक फुट से भी ज़्यादा लम्बे थे. मैंने अपना शर्म से लाल चेहरा उनकी सीने में झुपा लिया. बड़े मामा ने मेरी थोड़ी को अपनी उंगली से ऊपर उठाया और नीचे सर झुका कर मेरे नर्म, कोमल होठों पर अपने होंठ रख दिए. मेरी साँस तेज़ हो गयी. मेरा मुंह सांस की तेज़ी के कारण अपने आप ही खुल गया. मामाजी की मोटी जीभ मेरे मुंह में समा गयी. बड़े मामा ने मेरे पूरे मुंह के अंदर अपनी जीभ को सब तरफ अच्छे से फिराया.मेरे मुंह में उनकी जीभ ने मुझे पागल कर दिया. मेरी जीभ स्वतः ही मामाजी की जीभ से खेलने लगी. बड़े मामा ने अपने खुले मुंह से मेरे मुंह में अपनी लार टपकाने लगे. मेरा मुंह उनके मीठे थूक से भर गया. मैंने जल्दी से उसको निगल कर बड़े मामा के साथ खुले मुंह के चुम्बन में पूरी तरह से शामिल हो गयी. बड़े मामा ने अपने हाथ मेरे पीठ पर फिरा कर मेरे दोनों गुदाज़ नितिम्बों पर रख दिए.

मामाजी ने अपने होंठों को जोर से मेरे मुंह पर दबा कर मेरे दोनों चूतड़ों को मसल दिया. मैं कामुकता की मदहोशी के प्रभाव से झूम उठी. मैंने अपने पैर की उंगलियों पर खड़ी हो कर थोड़ा ऊंची हो गयी जिस से मामा जी को मुझे चूमने के लिए कम झुकना पड़े. बड़े मामा ने मुझे अपने दोनों हाथों को मेरे नितिम्बों के नीचे रख कर ऊपर उठा लिया और बिस्तर की तरफ ले गए.

****************१५*******************

बड़े मामा बिस्तर के कगार पर बैठ गए. मैं उनकी फ़ैली हुई जांघों के बीच मे खड़ी थी. मामाजी ने मुझे खींच कर अपनी बाँहों मे भर कर मेरे मुंह से अपना मुंह लगा कर मेरी साँसों को रोकने वाला चुम्बन लेने लगे. उनके दोनों हाथ मेरे गुदाज़ चूतड़ों को प्यार से सहला रहे थे, जब मामाजी मेरे नितिम्बों को ज़ोर से मसल देते तो मेरी सिसकारी निकल जाती और मैं अपना मुंह और भी ज़ोर से मामाजी के खुले मुंह से चिपका देती.मामाजी ने धीरे-धीरे मेरा कुरता ऊपर उठा दिया. उनके हाथ जैसे मेरी नंगी कमर को सहलाने लगे तो मेरी मानो जान ही निकल गयी. मुझे अब आगे के सहवास के बारे में आशंका होने लगी. मेरी कमसिन किशोर अवस्था ने मुझे मामाजी के अनुभवी आत्मविश्वास के सामने अपने अनुभव शून्यता और अनाड़ीपन का अहसास करा दिया. मुझे फ़िक्र होने लगी की मैं कहीं बड़े मामा को सहवास में खुश न कर पाई तो उन्हें कितनी निराशा होगी. बड़े मामा ने मेरे साथ चुदाई के लिए कितने दिनों से मन लगाया हुआ था. मैं कुछ कहने ही वाली थी पर बड़े मामा के हाथों के जादू ने मुझे सब-कुछ भुला दिया.

बड़े मामा ने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया और मेरी सलवार नीचे सरक कर पैरों पर इकट्ठी हो गयी. मामाजी ने मेरे छोटे से सफ़ेद झांगिये के अंदर अपने दोनों हाथ डाल दिए और मेरे नग्न चूतड़ों को सहलाने लगे. मेरी सांस अब रुक-रुक कर आ रही थी.मेरे मस्तिष्क में अब कोइ भी विचार नहीं रह गया था. मेरा सारा दिमाग सिर्फ मेरे शरीर की भड़की आग पर लगा था. उस आग को बड़े मामा ने अपने अनुभवी हाथों से और भी उकसा दिया.

मेरे मूंह से सिसकारी निकल गयी, "मामाजी, हाय मुझे ..अह," मैंने अपने दोनों बाँहों को मामाजी की गर्दन के चारों और ज़ोर से डाल कर उनसे लिपट गयी. बड़े मामा ने ने बड़ी सहूलियत और चुपचाप से मेरी जांघिया नीचे कर दी. बड़े मामा ने मेरा कुर्ता और भी ऊपर कर मेरे ब्रा में से फट कर बाहर आने को तड़प रहे उरोज़ों को अपने हाथों से ढक कर धीरे से दबाया. मेरी मूंह से दूसरी सिसकारी निकल गयी.

मेरी सिस्कारियों से बड़े मामा को अपनी बेटी-समान भांजी के भीतर जलती प्रचंड वासना की अग्नि का अहसास दिला दिया.

मामा जी ने मेरे मुंह को चुम्बन से मुक्त कर मेरे कुरते को उतार दिया.मैं अब सिर्फ ब्रा के अलावा लगभग वस्त्रहीन थी. एक तरफ मुझे लज्जा से मामाजी से आँखे मिलाने में हिचक हो रही थी और दूसरी तरफ मामा जी के हाथ, जो मेरे गुदाज़ बदन पर हौले-हौले फिर रहे थे, मेरी कौमार्य-भंग की मनोकामना को उत्साहित कर रहे थे. बड़े मामा ने मेरी ब्रा के हुक खोल कर मेरे उरोज़ों को नग्न कर दिया. मेरे स्तन मेरी किशोर उम्र के लिहाज़ से काफी बड़े थे. बड़े मामा ने पहली बार मेरी नग्न चूचियों को अपने हाथों में भर किया. उनके हाथों ने दोनों उरोज़ों को हलके से सहालाया और धीरे-धीरे मसलना शुरू कर दिया. मेरी मुंह कामंगना और शर्म से दमक रहा था. मेरे मामा ने मेरा चेहरा अपने हाथों में ले कर बड़े प्यार से चूम कर कहा, "नेहा बेटा, तुम जैसी अप्सरा के समान सुंदर मैंने अपनी ज़िंदगी सिर्फ एक और लड़की को ही जानता हूँ."

बड़े मामा की प्रशंसा से मेरा दिल चहक उठा और मुझे सांत्वना मिली की मामाजी मुझे अपनी भांजी के अलावा स्त्री की तरह भी चाहते हैं.

बड़े मामा ने आहिस्ता से गोद में उठाकर कर मुझे बिस्तर पर सीधे लिटा दिया. मैंने शर्मा कर अपना एक हाथ से अपने बड़े उरोज़ों और दूसरा हाथ अपनी जांघों के बीच, गुप्तांग को ढक लिया.

बड़े मामा मुझे शर्माते देख कर मुस्कराए और अपने कपडे उतारने लगे. उन्होंने पहले अपने जूते और मोज़े उतार कर पतलून निकाल दी. बड़े मामा की जांघें किसी मोटे पेड़ के तने की तरह विशाल और घने बालों से भरी हुईं थीं. बड़े मामा ने बौक्सर-जांघिया पहना हुआ था.बड़े मामा ने अपने कमीज़ खोल कर अपने बदन से दूर कर ज़मीन पर फ़ेंक दी. बड़े मामा का भीमकाय शरीर ने मुझे ने मेरी वासना को और भी उत्तेजित कर दिया. बड़े मामा का सीना घने घुंगराले बालों से आवृत था. उनका पेट अब कुछ सालों से बाहर निकल आया था. पर फिर भी उसे अभी तोंद नहीं कह सकते थे. उनके सीने के बाल पेट पर भी पूरी तरह फ़ैल गए थे.

मैंने सांस रोक कर बड़े मामा को अपना जांघिया उतारते गौर से देख रही थी. बड़े मामा जब जांघिये को अलग कर खड़े हुए तो उनका गुप्तांग मेरी आँखों के सामने था. बड़े मामा का लंड अभी बिकुल भी खड़ा नहीं था फिर भी वो मेरी भुजा के जितना लंबा था. बड़े मामा के लंड का मोटाई मेरी बाजू से भी ज़्यादा थी. मेरी सांस मानों बंद हो गयी. मुझे बड़े मामा के लंड को देख कर अंदर ही अंदर बहुत डर सा लगा.

बड़े मामा बिस्तर पर मेरी तरफ को करवट लेकर मेरे साथ लेट गए. बड़े मामा ने मेरे होंठो पर अपने होंठ रख कर धीरे से मेरे होंठों को अलग कर दिया. उनकी जीभ मेरे मूंह में समा गयी. मेरे दोनों बाँहों ने स्वतः मामाजी के गर्दन को जकड़ लिया. बड़े मामा ने मेरे उरोज़ों को सहलाना शुरू कर दिया. मैं अब मामाजी के मुंह से अपना मुंह ज़ोर से लगा रही थी. हम दोनों के विलास भरे चुम्बन ने और मामा जी के मेरी चूचियों के मंथन मेरी चूत को गरम कर दिया, मेरी चूत में से पानी बहने लगा.

बड़े मामा ने अपना मुंह मेरे से अलग कर मेरे दायीं चूची के ऊपर रख दिया. मेरे दोनों उरोज़ों में एक अजीब सा दर्द हो रहा था. बड़े मामा एक हाथ से मेरी दूसरी चूची को हलके हलके मसल रहे थे. मेरी सांस बड़ी तेज़ी से अंदर बाहर हो रही थी. मेरे दोनों हाथ अपने आप बड़े मामा के सर के ऊपर पहुँच गए. मैं मामाजी का मुंह अपने चूची के ऊपर दबाने लगी. मामा मेरी चूची की घुंडी को अंगूठे और उंगली के बीच में पकड़ कर मसलने लगे और होंठों के बीच में मेरा दूसरा चूचुक ले कर उसको ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया.

मेरे सारे शरीर में अजीब सी एंठन फ़ैल गयी. बड़े मामा के हाथों ने मेरे दोनों संवेदनशील उरोज़ों से खेल कर मेरे चूत में तूफ़ान उठा दिया. मेरी चूत में जलन जैसी खुजली हो रही थी. बड़े मामा का दूसरा हाथ मेरी चूत के ऊपर जा लगा. मामाजी अपने बड़े हाथ से मेरी पूरी चूत ढक कर सहलाने लगे. मैं अब ज़ोरों से सिस्कारियां भर रही थी. मामा ने मेरे उरोज़ों का उत्तेजन और भी तेज़ कर दिया और दुसरे हाथ की हथेली से उन्होंने मेरी पूरी चूत को दृढ़ता से मसलने लगे.

"आह, अह..अह..मामाजी, मुझे अजीब सा लग रहा है, ऊं.. ऊं अम्म..बड़े मामा ...आ ..आ ... उफ़, " मैं सीत्कारिया मार कर अपनी शरीर में दोड़ती विद्युत धारा से विचलित हो चली थी. मेरे कुल्हे अपने आप बिस्तर से ऊपर उठ-उठ कर बड़े मामा के हाथ को और भी ज़ोर से सहलाने को उत्साहित करने लगे.

बड़े मामा ने मेरी एक चूचुक को अपने दातों के बीच में दबा कर नरमी से काटा, दुसरे चूचुक को अंगूठे और उंगली में हलके भींच कर अहिस्ता से मेरे चूची से अलग खींचने का प्रयास के साथ-साथ अपने चूत के ऊपर वाले हाथ के अंगूठे को मेरे भागंकुर के ऊपर रख उसे मसलने लगे.

बड़े मामा ने मेरे वासना से लिप्त अल्पव्यस्क नाबालिग किशोर शरीर के ऊपर तीन तरह के आक्रमण से मेरी कामुकता की आग को प्रज्जवलित कर दिया.

मेरे पेट में अजीब सा दर्द होने लगा, वैसा दर्द मेरी दोनों चूचियों में भी समा गया. कुछ ही क्षणों में वह दर्द मेरी चूत के बहुत अंदर से मुझे तड़पाने लगा. मेरे सारे शरीर की मांसपेशियां संकुचित हो गयीं.

"बड़े मामा .. आ.. आ.. मेरी चूत जल रही है. बड़े मामा आह आह अँ ..अँ अँ अँ ऊओह ऊह ," मेरे मूंह से चीख सी निकल पडी. बड़े मामा ने यदि मेरी पुकार सुनी भी हो तो उसकी उपेक्षा कर दी और मेरी चूचियों की घुंडियों को अपने मुंह और हाथ से तड़पाने लगे. मेरी चूत और भगशिश्निका को बड़े मामा और भी तेज़ी से मसलने लगे.

"बड़े मामा मैं झड़ने वाले हूँ. मेरी चूत झाड़ दीजिये माम जी ..ई. ई...आह." मेरा शरीर निकट आ रहे यौन-चमोत्कर्ष के प्रभाव से असंतुलित हो गया.

मैं यदि बड़े मामा के ताकतवर बदन से नहीं दबी होती तो बिस्तर से कुछ फुट ऊपर उठ जाती. मेरे गले से एक लम्बी घुटी-घुटी सी चीख के साथ मेरा यौन-स्खलन हो गया. मेरे कामोन्माद के तीव्र प्रहार से मेरा तना हुआ बदन ढीला ढाला हो कर बिस्तर पर लस्त रूप से पसर गया. बड़े मामा ने मेरी तीनो, कामुकता को पैदा करने वाले, अंगों को थोड़ी देर और उत्तेजित कर मेरे निढाल बदन को अपनी वासनामयी यंत्रणा से मुक्त कर दिया.

**************************१६***************************

बड़े मामा मुझे अपनी बाँहों में भर कर प्यार से चूमने लगे. मैं थके हुए अंदाज़ में मुस्करा दी. मेरी अल्पव्यस्क किशोर शरीर को प्रचण्ड यौन-स्खलन के बाद की थकावन से अरक्षित देख बड़े मामा का वात्सल्य उनके चुम्बनों में व्यक्त हो रहा था.

"बड़े मामा, मैं तो ऐसे कभी भी नहीं झड़ी," मैंने भी प्यार से मामाजी को वापस चूमा.

"नेहा बेटा, अभी तो यह शुरूवात है," बड़े मामा ने मेरी नाक को प्यार से चूमा. उनका एक हाथ मेरे उरोज़ों को हलके-हलके सहला रहा था.

बड़े मामा और मैं अगले कई क्षण वात्सल्यपूर्ण भावना से एक दुसरे को चूमते रहे. बड़े मामा ने कुछ देर बाद उठ कर मेरी टागों के बीच में लेट गए.

बड़े मामा ने मेरी दोनों घुटनों को मोड़ कर मेरी जांघे फैला दीं. उनका मूंह मेरी बहुत गीली चूत के ऊपर था.

मेरी सांस बड़े मामा के अगले मंतव्य से मेरे गले में फँस गयी. बड़े मामा ने मेरे भीगी झांटों को अपने जीभ से चाटने के बाद मेरे चूत के दोनों भगोष्ठों को अलग कर मेरी गुलाबी कोमल कुंवारी चूत के प्रविष्ट -छिद्र को अपनी जीभ से चाटने लगे. मेरी वासना फिर पूर्ण रूप से तीव्र हो गयी.

बड़े मामा ने अपने हाथों को मेरी टांगों के बाहर से लाकर मेरे दोनों फड़कते उरोज़ों को अपने काबू में ले लिया. बड़े मामा ने मेरी चूत अपने मोटी खुरदुरी जीभ से चाटना शुरू कर दिया. मामा ने दोनों चूचियों का मंथन के साथ साथ मेरे भागान्कुन का मंथन भी अपने दातों से कर रहे थे.

मामाजी के भग-चूषण ने मेरी सिस्कारियों का सिलसिला फिर से शुरू कर दिया.

बड़े मामा ने अपना मूंह मेरी चूत से अचानक हटा लिया. मैं बड़ी ज़ोर से आपत्ती करने के लिए कुनमुनाई, तभी मामा ने अपनी जीभ से मेरी गांड के छोटे से छेद को चाटने लगे. मेरे होशोअवास उड़ गए. मेरी छोटी सी ज़िंदगी में इतना वासना का जूनून कभी भी महसूस नहीं किया था. मामाजी ने अपना थूक मेरी गांड पर लगा दिया. मेरी गांड का छल्ला फड़कने लगा. बड़े मामा की बदस्तूर कोशिश से उनकी जीभ की नोक मेरी गांड के छिद्र में प्रविष्ट हो गयी. मेरे मूंह से बड़ी ज़ोर से सिसकारी निकल गयी. बड़े मामा ने अपने एक हाथ से मेरे उरोंज़ को मुक्त कर मेरी चूत की घुंडी का मंथन करने लगे. मैं हलक फाड़ कर चीखी,"बड़े मामा, मैं झड़ने वाली हूँ. मेरी चूत झाड़ दीजिये...आह ..आह."

बड़े मामा ने आपनी जीभ मेरी गांड से निकाल कर मेरी भागान्ग्कुर को अपने दातों में नरमी से ले कर अहिस्ता से उसे झझोंड़ने लगे, जैसे कोई वहशी जानवर अपने शिकार के मांस को चीड़ फाड़ता है. मेरी चूत की जलन मेरी बर्दाश्त की ताकत से बाहर थी. मैंने अपने दोनों हाथों से मामाजी का सर पीछे पकड़ कर अपनी चूत में दबा लिया. मामा जी ने अपने खाली हाथ की अनामिका मेरी गांड में उंगली के जोड़ तक दाल दी.

मेरे चूतड़ मेरी अविश्वसनीय यौन-चरमोत्कर्ष के मीठे दर्द के प्रभाव में बिस्तर से उठ कर मामा के मूंह के और भी क़रीब जाने के लिए बेताब होने लगे. मामा ने मेरे थरथराते शरीर को अपने मज़बूत हाथ से नीचे बिस्तर पर दबा कर मेरी रति रस से भरी हुई चूत का रसास्वादन तब तक करते रहे जब तक मेरे आनंद की पराकाष्ठा शांत नहीं होने लगी.

मेरी चूत अब नहुत संवेदनशील थी और बड़े मामा के चुम्बन करीब-करीब दर्दभरे से लगने लगे. मैं कुनमुना कर मामा का सर अपनी चूत से हटाने के लिए संकेत दिया. बड़े मामा उठ कर मेरी खुली पसरी गुदाज़ जांघों के बीच बैठे तो उनके मूंह पर मेरी चूत का सहवास-रस लगा हुआ था. बड़े मामा ने खूब स्वाद से मेरी चूत और गांड में डाली उँगलियों को प्यार चूसा. मेरी वासना उनकी इस हरकत से बड़ी प्रभावित हुई पर मैंने उन्हें झूठी डांट पिला दी, "बड़े मामा आप ने मेरी गांड की गंदी उंगली को मूंह में ले लिया, उफ,कैसे हैं आप...छे-छी." पर मेरा दिल अंदर से बहुत प्रसन्न हुआ.

मैंने बड़े मामा के हाथ को अपने तरफ खींचा. बड़े मामा अपने भीमकाय शरीर के पूरे भार से मेरे कमसिन, किशोर गुदाज़ शरीर को दबा कर मेरे ऊपर लेट गए. मैंने अपने दोनों नाज़ुक, छोटे-छोटे हाथों से मामाजी का बड़ा चेहरा पकड़ कर उनका मूंह अपने जीभ से चाट-चाट कर साफ़ कर दिया. मैंने शैतानी में उनकी मर्दान्ग्नी के मुनासिब खूबसूरत नाक को अपनी जीभ की नोक से सब तरफ से चाटा. जब मामाजी का मूंह, नाक मैंने अपने चूत के पानी को चाट कर साफ़ कर दिया तो उनकी नाक की नोक पर प्यार से चुम्बन रख दिया. उन्होंने मेरे नाबालिग, कमसिन, किशोर लड़की के अंदर की औरत को जगा दिया. मुझे बड़े मामा के ऊपर वात्सल्य प्रेम आ रहा था. उन्होंने मेरी वासना की आग दो बार अविस्वस्नीय प्रकार से बुझा दी थी. आगे पता नहीं और क्या-क्या उनके दिमाग में था.

*********************************१७******************************

" बड़े मामा, क्या मैं आपका लंड चूसूं?" मैंने हलके से पूछा. बड़े मामा के चेहरे पर खुली मुस्कान मेरा जवाब था.

बड़े मामा मेरे सीने के दोनों तरफ घुटने रख कर अपना लगभग पूरा तनतनाया हुए लंड को मेरे मूंह की तरफ बड़ा दिया. बड़े मामा का लंड उसकी मुरझाई स्तिथी से अब लगभग दुगना लंबा और मोटा हो गया था. उनका लंड मेरे चूचियों के ऊपर से लेकर मेरे माथे से भी ऊपर पहुँच रहा था.

मेरे छोटे-छोटे नाज़ुक हाथ बड़े मामा के लंड की पूरी परिधी को पकड़ने के लिए अपर्याप्त थे. मैंने दोनों हाथों से मामाजी का लौहे जैसा सख्त, पर रेशम जैसा चिकना, लंड संभाल कर उनके लंड का सुपाड़ा अपने पूरे खुले मुंह में ले लिया. मेरा मुंह मामाजी के लंड के सिर्फ सुपाड़े से ही भर गया. मुझे लंड को चूसने का कोई भी अभ्यास नहीं था. मैंने जैसे भी मैं कर सकती थी वैसे ही बड़े मामा के लंड को कभी मुंह में लेकर, कभी जीभ से चाट कर अपने प्यारे मामाजी को शिश्न-चूषण के आनंद देने का भरपूर प्रयास किया.

पांच मिनट के बाद बड़े मामा ने अपना लंड मेरे थूक से भरे मुंह से निकाल लिया और फिर से मेरी जांघों के बीच में चले गए, "नेहा बेटा अब आपकी चूत मारने का समय आ गयाहै."

मेरा हलक रोमांच से सूख गया. मेरी आवाज़ नहीं निकली, मैंने सिर्फ अपना सिर हिला कर मामाजी के निश्चय को अपना समर्थन दे दिया.

बड़े मामा ने मेरी गुदाज़ जांघें अपनी शक्तीशाली बाज़ुओं पर डाल लीं. उन्हीने अपना लंड मेरी गीली कुंवारी चूत के प्रविष्टी-द्वार पर ऊपर-नीचे रगड़ा. फिर मुझे उनके, छोटे सेब के बराबर के आकार के लंड का सुपाड़ा अपनी छोटी सी कुंवारे चूत के छिद्र पर महसूस हुआ.

"नेहा बेटा, पहली चुदाई में थोड़ा दर्द तो ज़रूर होगा. आपने नीलू बेटी की चुदाई तो देखी थी. एक बार तुम्हारी चूत के अंदर लंड घुसड़ने के बाद चूत लंड के आकार से अनुकूलन कर लेगी."

बड़े मामा के मेरे कौमार्य-भंग की चुदाई के पहले का आश्वासन से मेरा दिल में और भी डर बैठ गया.

बड़े मामाजी ने एक हल्की सी ठोकड़ लगाई और उनके विशाल लंड का बेहंत मोटा सुपाड़ा मेरी चूत के प्रवेश-द्वार के छल्ले को फैला कर मेरी कुंवारी चूत के अंदर दाखिल हो गया.

"बड़े मामा, धीरे, प्लीज़.आपका लंड बहुत बड़ा और मोटा है. मुझे दर्द हो रहा है," मैं बिलबिलायी. मेरी चूत मामाजी के वृहत्काय लंड के ऊपर अप्राकृतिक आकार में फ़ैल गयी थी. मेरे सारे शरीर में दर्द की लहर दौड़ गयी. मैं छटपटाई और मामाजी को धक्का देकर अपने से दूर करने के लिए हाथ फैंकने लगी.

मामाजी का लंड अब मेरी चूत में फँस गया था. बड़े मामा ने मेरी दोनों कलाई अपने एक विशाल हाथ में पकड़ कर मेरे सिर के ऊपर स्थिरता से दबा दी और अपना भारी विशाल बदन का पूरा वज़न डाल मेरे ऊपर लेट गए. मैं अब बड़े मामा के नीचे बिलकुल निस्सहाय लेटने के कुछ और नहीं कर सकती थी. बड़े मामा का महाकाय शरीर मुझे अब और भी दानवीय आकार का लग रहा था.

मैंने अपने नीचे के होंठ को दातों से दबा कर आने वाले दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश के लिए तैयार होने का प्रयास करने लगी.

बड़े मामा ने अपनी शक्तिशाली कमर और कूल्हों की मांसपेशियों की सहायता से अपने असुर के समान महाकाय लंड को मेरी असहाय कुंवारी चूत में दो-तीन इंच और अंदर धकेल दिया. मैं दर्द के मारे छटपटा कर ज़ोर से चीखी, "नहीं, नहीं , मामाजी, आपने मेरी चूत फाड़ दी. मेरी चूत से अपना लंड निकाल लीजिये. मुझे आपसे नहीं चुदवाना. मैं मर गयी, बड़े मामा ...आह मेरी चू...ऊ ..ऊ ..त फ..अ..आ..त ग...यी."

मैं पानी के बिना मछली के समान कपकपा रही थी.

बड़े मामा ने मेरी दयनीय स्तिथी और रिरियाने को बिलकुल नज़रंदाज़ कर दिया. मैं बिस्तर में बड़े मामा के अमानवीय शक्तिशाली शरीर के नीचे असहाय थी. बड़े मामा ने मेरी चूत में अपने दानवाकारी लंड को पूरा अंदर डाल कर मेरी चुदाई का निश्चय कर रखा था.

मेरी आँखों से आंसू बहने लगे. बड़े मामा ने "चुप बेटा..शुष.." की आवाज़ों से मुझे असहनीय पीढ़ा को बर्दाश्त करने की सलाह सी दी.

******************************१८*******************************

बड़े मामा ने मेरी चूत के अंदर अपना लौहे समान सख्त लंड और भी अंदर घुसेड़ दिया. उनका लंड मेरी कौमार्य की सांकेतिक योनिद्वार की झिल्ली को फाड़ कर और भी अंदर तक चला गया.

मेरी दर्द से भरी चीख से सारा कमरा गूँज उठा. मैं रिरिया कर मामा से अपना लंड बाहर निकलने की प्रार्थना कर रही थी. मेरे आंसूओं की अविरल धारा मेरे दोनों गालों को तर करके मेरी गर्दन और उरोज़ों तक पहुँच रही थी. मैंने सुबक सुबक कर रोना शुरू कर दिया.

बड़े मामा कठोड़ हृदय से मेरी सुबकाई और छटपटाहट की उपेक्षा कर अपने यंत्रणा के हथियार को मेरी दर्द से भरी चूत में कुछ इंच और भीतर धकेल दिया. मुझे अपनी चूत से एक गरम तरल द्रव की अविरल धारा बह कर मेरी गांड के ऊपर से बिस्तर पर इकट्ठी होती महसूस हुई.

मेरे प्रचुर आंसू मेरी नाक में से बहने लगे. मेरा सुबकता चेहरा मेरे आंसूओं और मेरी बहती नाक से मलिन ही गया था. मैं हिचकियाँ मार कर ज़ोर से रो रही थी. बड़े मामा ने मेरे रोते लार टपकाते हुए मुंह पर अपना मुंह रख कर मेरी चीखों को काफी हद तक दबा दिया. मुझे लगा की मेरी चूत के दर्द से बड़ा कोई और दर्द नहीं हो सकता. मुझे किसी भी तरह विष्वास नहीं हो रहा था कि सिर्फ मामाजी का लंड अंदर जाने के इस दर्द के बाद कैसे मामाजी मुझे चोद पायेंगे. मैं दिल में निश्चित थी की मैं दर्द के मारे बेहोश हो जाऊंगी.

मेरा सुबकना हिचकी मार-मार कर रोना जारी रहा, पर बड़े मामा अपने मुंह से मेरा मुंह बंद कर मेरे रोने की ध्वनि की मात्रा कम कर दी थी. बड़े मामा कस कर मुझे अपने नीचे दबाया और अपना लंड मेरी थरथराती हुई चूत में से थोड़ा बाहर निकाल कर अपने शक्तिवान कमर और कूल्हों को भींच कर अपना लंड पूरी ताकत से से मेरी तड़पती कुंवारी चूत में बेदर्दी से ठोक दिया. मेरा सारा बदन अत्यंत पीड़ा से तन गया. बड़े मामा ने अपने भारी वज़न से मेरे छटपटाते हुए नाबालिग शरीर को कस कर दबाकर काबू में रखा. मेरे गले से घुटी-घुटी एक लम्बी चीख निकल पड़ी. मैं 'गौं-गौं' की आवाज़ निकालने के सिवाय, निस्सहाय बड़े मामा के वृहत्काय शरीर के नीचे दबी, रोने चीखने के सिवाय कुछ और नहीं कर सकती थी. मेरी कुंवारी चूत की मामाजी ने अपने, किसी असुर के लंड के समान बड़े लंड से, धज्जियां उड़ा दी.














मैं दर्द से बिलबिला रही थी पर मेरी आवाज़ मामाजी ने अपने मुंह से घोंट दी थी. मेरे नाखून मामाजी की पीठ की खाल में गड़ गए. मैंने बड़े मामा की पीठ को अपने नाखूनों से खरोंच दिया.

मैं उनसे अपनी फटी चूत में से मामाजी का महाकाय लंड बाहर निकालने की याचना भी नहीं कर सकती थी. यदि इसको ही चुदाई कहते हैं तो मैंने मन में गांठ मार ली कि जब मामाजी ने मुझे इस यंत्रणा से मुक्त कर देंगे तो उसके बाद सारा जीवन मैं चूत नहीं मरवाऊंगी .

मुझे ज्ञात नहीं कि मैं कितनी देर तक रोती बिलखती रही. मेरे आंसू और नाक निरन्तर बह रही थी. काफी देर के बाद मुझे थोडा अपनी स्तिथी का थोड़ा अहसास हुआ. मैं अब रो तो नहीं रही थी, पर जैसे लम्बे रोने के बाद होता है, वैसे ही कभी-कभी मेरी हिचकी निकल जाती थी. बड़े मामा का मुंह मेरे मुंह पर सख्ती से चुपका हुआ था. मेरी चूत में अब भी भयंकर दर्द हो रहा था. मुझे लगा कि जैसे कोई मूसल मेरी चूत में घुसड़ा हुआ था.

बड़े मामा ने धीरे से मेरे मुंह से अपना मुंह ढीला किया, जब मेरे मुंह से कोई दर्दनाक चीख नहीं निकली तो मामाजी अपना मुंह उठा कर बोले, "नेहा बेटा, आपकी कुंवारी चोट बहुत ही तंग है. सॉरी, यदि बहुत दर्द हुआ तो."

मुझे विष्वास नहीं हुआ कि मेरे पिता-तुल्य मामाजी को मेरे चीखने चिल्लाने के बावज़ूद मेरी पीड़ा का ठीक अंदाज़ा नहीं था, "बड़े मामा," मैंने सुबक कर बोली, 'आपने मेरी चूत फाड़ दी है. आप बहुत बेदर्द हैं, मामाजी. आप ने अपनी इकलौती भांजी के दर्द का कोई लिहाज़ नहीं किया?"

बड़े मामा ने हल्की सी मुस्कान के साथ मुझे माथे पर चूमा, "पहली बार कुंवारी चूत मरवाने का दर्द है, नेहा बेटा. आगे इतना दर्द नहीं होगा."

मैं अपनी चूत में फंसे मामाजी के मूसल को अब पूरी तरह से महसूस करने लगी. मुझे बड़े मामा के अत्यंत मोटे लंड के ऊपर अपनी चूत के अमानवीय फैलाव की जलन भरे दर्द का पहली बार ठीक से अनुमान हुआ. मेरी कुंवारी चूत में अबतक मेरी एक पतली कोमल उंगली तक नहीं गयी थी, उसमे बड़े मामा ने अपना घोड़े से भी बड़ा लंड बेदर्दी से मेरी नाज़ुक, कुंवारी चूत में पूरा लंड की जड़ तक घुसेड़ दिया था.

बड़े मामा प्यार से मेरा मुंह साफ करने लगे. बड़े मामा ने प्यार से मेरे सारे मलिन मुंह से सारे आंसू और बहती नाक को चाट कर साफ़ कर दिया. मैं दर्द के बावज़ूद हंस पड़ी, "मामाजी, मेरे मूंह पर सब तरफ मेरी नाक लगी है, छी आप कितने गंदे हैं." मैंने मामाजी को कृत्रिम रूप से झिड़कना दी, पर मेरा दिल मेरी मामाजी के लाड़-प्यार से पिघल गया. मुझे अब अपने, विशाल शरीर और अमानवीय ताकत के, पर फूल जैसे कोमल हृदय के मालिक बड़े मामा पर बहुत प्यार आ रहा था. अब मुझे उनका बेदर्दी से मेरी चूत फाड़ना उनकी मर्दानगी और मर्द-प्रेमी की सत्ता का प्रतीक लगने लगा. आखिर मेरे सहवास के अनाड़ीपन का भी तो बड़े मामा को ख़याल रखना पड़ा था?

बड़े मामा ने मेरा पूरा चेहरा अपनी जीभ से चाट कर साफ़ कर, मेरी नाक को अपने मूंह में भर लिया. बड़े मामा की जीभ की नोक ने मेरे दोनों नथुनों के अंदर समा कर मेरी नाक को प्यार से चाट कर साफ़ कर दिया. मैं खिलखिला कर छोटी बच्ची की तरह हंस पड़ी.

बड़े मामा के ने मेरी नाक को प्यार से चूमा और मेरे हँसते हुए मुंह को अपने मुंह से ढक लिया.











बड़े मामा ने धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकलना. मेरी सांस मेरे गले में फंसने लगी. मामा जी ने बहुत सावधानी से धीरे-धीरे अपना मूसल लंड मेरी कुंवारी चूत में जड़ तक डाल दिया. मुझे बहुत ही कम दर्द हुआ. इस दर्द को मैं चूत की चुदाई के लिए कभी भी बर्दाश्त कर सकती थी. बड़े मामा ने उसी तरह अहिस्ता-अहिस्ता मेरी चूत को, अपने महाकाय लंड की अत्यंत मोटी लम्बाई से धीरे-धीरे परिचित कराया. क़रीब दस मिनट के बाद मेरी सिसकारी छूटने लगीं. इस बार मैं दर्द से नहीं कामवासना की मदहोशी से सिसक रही थी.

"बड़े मामा, अब मेरी चूत में दर्द नहीं हो रहा. हाय,अब तो मुझे अच्छा लग रहा है, "मैं कामुकता से विचलित हो, बड़े मामा से अपनी चूत की चुदाई की प्रार्थना करने लगी, "बड़े मामा, अब आप मेरी चूत मार सकते हैं. आह..आपका लंड कितना मोटा..आ.. है."

मैं वासना की आग में जलने लगी. बड़े मामा ने उसे प्रकार धीरे-धीरे मेरी चूत अपने लंड से चोदते रहे. पांच मिनट के अंदर मेरे गले में मानो कोई गोली फँस गयी. मेरे दोनों उरोंज़ दर्द से सख्त हो गए. मेरी चूत में अब जो दर्द उठा उसका इलाज़ मामा का लंड ही था. मैंने बड़े मामा की गर्दन पर अपने बाहें डाल दीं और अपना चेहरा उनकी घने बालों से ढके सीने में छुपा लिया. मैं अब गहरी-गहरी सांस ले रही थी.

बड़े मामा ने मेरी स्तिथी भांप ली. मेरे यौन-चरमोत्कर्ष के और भी जल्दी परवान चढ़ाने के लिए बड़े मामा अपना लंड थोड़ी तेज़ी से मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगे. बड़े मामा जब अपना विशाल लंड जड़ तक अंदर घुसेड़ कर अपने कुल्हे गोल-गोल घुमाते थे तो उनका सुपाड़ा मेरी चूत की बहुत भीतर मेरी गर्भाशय की ग्रीवा को मसल देता था. मेरी किशोर शरीर थोड़े दर्द और बहुत तीव्र कामेच्छा से तन जाता था. बड़े मामा का विशाल लंड मेरी चूत में 'चपक-चपक' की आवाज़ करता हुआ सटासट अंदर बाहर जा रहा था.

"बड़े मामा, मैं अब आने वाली हूँ. मेरी चूत झड़ने वाले है. मेरी चूत को झाड़िए, मामाजी..ई..ई..अँ अँ..अँ..आह्ह."

मैं जैसे ही मेरा यौन-स्खलन हुआ मैं बड़े मामा के विशाल शरीर से चुपक गयी. मारी सांस रुज-रुक गर मेरी वासना की तड़प को और भी उन्नत कर रही थी. मेरी चूत मानो आग से जल उठी. अब मेरे चूत की तड़पन मेरी बड़े मामा के महाविशाल लंड की चुदाई के लिए आभारी थी.

मेरे रति-निष्पत्ति से मेरा सारा शरीर थरथरा उठा. मुझे कुछ क्षण संसार की किसी भी वस्तु का आभास नहीं था. मैं कामंगना की देवी की गोद में कुछ क्षणों के लिए निश्चेत हो गयी.

बड़े मामा ने मेरे मुंह को चुम्बनों से भर दिया. बड़े मामा ने अब अपना लंड सुपाड़े को छोड़ कर पूरा बाहर निकाला और दृढ़ता से एक लम्बी शक्तिशाली धक्के से पूरा मेरी चूत में जड़ तक पेल दिया. मेरे मुंह से ज़ोर की सित्कारी निकल पड़ी. पर इस बार मेरी चूत में दर्द की कराह के अलावा उस दर्द से उपजे आनंद की सिसकारी भी मिली हुई थी.

बड़े मामा अपने वृहत्काय लंड की पूरी लम्बाई से मेरी कुंवारी चूत को चोदने लगे. मैं अगले दस मिनटों में फिर से झड़ गयी.

बड़े मामा ने मेरी चूत का मंथन संतुलित पर दृढ़तापूर्वक धक्के लगा कर निरंत्रण करते रहे. बड़े मामा ने मेरी चूत को अगले एक घंटे तक चोदा. मैं वासना की उत्तेजना में अंट-शंट बक रही थी. मेरी चूत बार-बार मामाजी के लंड के प्रहार के सामने आत्मसमर्पण कर के झड़ रही थी. मेरे बड़े मामा ने अपने विशाल लंड से मेरी चूत का मंथन कर मेरी नाबालिग, किशोर शरीर के भीतर की स्त्री को जागृत कर दिया.

"बड़े मामा, मेरी चूत को फाड़ दीजिये. मुझे और चोदिये.मुझे आपका लंड कितना दर्द करता है पर और दर्द कीजिये." मेरी बकवास मेरे बड़े मामा के एक कान में घुस कर दूसरे कान से निकल गयी. बड़े मामा ने हचक-हचक अपने अत्यंत मोटे-लम्बे लौहे की तरह सख्त लंड से मेरी चूत का लतमर्दन कर के मुझे लगातार आनंद की पराकाष्ठा के द्वार पर ला के पटकते रहे. मैं भूल गयी कि उस दिन मेरी पहली चुदाई के दौरान, मेरी चूत, बड़े मामा के लंड की चुदाई से कितनी बार झड़ी थी.

बड़े मामा ने ने मेरे ऊपर लेट कर मेरे होंठों पर अपने होंठ जमा लिए और उपने मज़बूत चूतड़ों से मेरी चूत को और भी तेज़ी से छोड़ने लगे, "नेहा बेटी, मुझे अब तुम्हारी चूत में आना है. मेरा लंड तुम्हारी चूत में झड़ने वाला है," बड़े मामा कामोन्माद के प्रभाव में फुसफुसाये.

मैंने अपनी बाँहों से इनकी पीठ सहलायी, "बड़े मामा आप अपना लंड मेरी चूत में खोल दीजिये. मेरी चूत को अपने मोटे लंड के वीर्य से भर दीजिये."
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#2
बड़े मामा की गहरी साँसे मेरे मुंह में मीठा स्वाद पैदा कर रहीं थीं. मेरी चूत की नाज़ुक कंदरा उनके धड़कते लंड की हर थरथराहट के आभास से कुलमुला रही थे. बड़े मामा और मैं एक दूसरे से लिपट कर अपने लम्बे अवैध कौटुम्बिक व्यभिचार के कामोन्माद के बाद की शक्तिहीन अवस्था और एक दूसरे के मुंह का मीठा स्वाद का आनंद ले रहे थे. बड़े मामा मुझे क़रीब दो घंटे से चोद रहे थे.

बड़े मामा का लंड अभी भी इस्पात से बने खम्बे की तरह सख्त था, "बड़े मामा आपका लौहे जैसा सख्त लंड तो अभी भी मेरी चूत में तनतना रहा है? क्या इसे अपनी बेटी जैसी भांजी की चूत और मारनी है?" मैने कृत्रिम इठलाहट से मामाजी को चिड़ाया.

बड़े मामा ने मेरी नाक की नोक को दातों से हलके से काट के, मुझे अपनी विशाल बाँहों में भींच आकर कहा,"अब तो तुम्हारी चूत की चुदाई शुरू हुई है, नेहा बेटा. अब तक तो हम आपकी को अपने लंड से पहचान करवा रहे थे."

बड़े मामा ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकालने लगे. मेरी आँखें मेरे नेत्रगुहा से बाहर निकल पड़ी. मैं विष्वास नहीं कर सकी जब मैंने बड़े मामा का हल्लवी मूसल घोड़े के वृहत्काय लिंग के माप का लंड अपनी छोटी सी अछूती कुंवारी चूत में से निकलते हुए देखा. बड़े मामा का लंड मेरे कौमार्य भंग के खून और अपने वीर्य से सना हुआ था, "भगवान्, बड़े मामा ने कैसे इतना बड़ा लंड मेरी चूत में डाल दिया?" मेरा दिमाग चक्कर खाने लगा. मुझे काफी जलन हुई जब बड़े मामा का लंड मेरी चूत के द्वार-छिद्र से निकला. मेरी चूत से विपुल गरम गरम द्रव बह निकला.

बड़े मामा ने मुझे गुड़िया जैसे उठा कर कहा, " नेहा बेटा, अब हम तुम्हारी चूत पीछे से मारेंगें."

मैं बड़े मामा के महाविशाल लंड और अपनी चूत में से बहे खून को देख कर काफी असहाय महसूस करने लगी और बड़े मामा की शक्तिशाली मर्द सत्ता के प्रभाव में उनकी हर इच्छा का पालन करने को इच्छुक थी. मेरी दृष्टी सफ़ेद चादर पर फैले गाड़े लाल रंग के बड़े दाग पर पड़ी. पता नहीं क्या मेरी चूत वाकई फट गयी थी? इतना खून कहाँ से निकला होगा?

बड़े मामा ने मुझे घोड़े की मुद्रा में मोड़ कर स्थिर कर के मेरे फूले, मुलायम चूतड़ों के पीछे खड़े हो गए.

बड़े मामा ने अपना विशाल लंड तीन चार धक्कों में पूरा मेरी चूत में फिर से घुसेड़ दिया. मेरे मुंह से सिसकारी निकल पडीं , "धीरे बड़े मामा, धीरे. आपका लंड बहुत बड़ा है," मैंने अपने होंठ अपने दातों में दबा लिए वरना मेरी चीख निकल जाती.

"नेहा बेटा, अब तो तुम्हारी चूत दनदना कर मारूंगा. तुम्हारी कोमल चूत अब खुल गयी है." बड़े मामा ने मेरी धीरे चूत मारने की प्रार्थना की खुले रूप से उपेक्षा कर दी.

बड़े मामा ने अपने हाथों से मेरी गुदाज़ कमर को स्थिर कर अपने लंड से मेरी चूत मारना प्रारंभ कर दिया. इस बार बड़े मामा ने लंड दस-बारह ठोकरों के बाद बाद मेरी चूत में अपना लंड से सटासट तेज़ और ज़ोर से धक्के मारने लगे. मेरी सांस अनियमित और भारी हो गयी. मेरी सिस्कारियों से कमरा गूँज उठा. बड़े मामा की शक्तिशाली कमर की मांसपेशियां उनके विशाल लंड को मेरी चूत में उनका लंड बहुत ताकत से धकेल रहीं थी. बड़े मामा के लंड का हर धक्का मेरे पूरे शरीर को हिला रहा था. मेरी नीचे लटकी बड़ी चूचियां बुरी तरह से आगे पीछे हिल रही थीं.

"आह, मामाजी, मुझे चोदिये. अँ...अँ..ऊं..ऊं..उह ..उह..और चोदिये बड़े मामा. मेरी चूत में अपना लंड ज़ोर से डालिए. मेरी चूत झाड़ दीजिये," मेरे मूंह से वासना के प्रभाव में अश्लील शब्द अपने आप निकल आकर बड़े मामा को और ज़ोर से चूत मारने को उत्साहित करने लगे.

बड़े मामा ने कभी बहुत तेज़ छोटे धक्कों से, और कभी पूरे लंड के ताकतवर लम्बे बेदर्द धक्कों से मेरी चूत का निरंतर मंथन अगले एक घंटे तक किया. मैं कम से कम दस बार झड़ चुकी थी तब बड़े मामा ने मेरी चूत में अपना लंड दूसरी बार खोल कर वीर्य स्खलन कर दिया. दूसरी बार भी बड़े मामा के वीर्य की मात्रा अमानवीय प्रचुर थी.

मैं बहुविध रति-निष्पत्ति से थकी अवस्था में बड़े मामा की आखिरी ठोकर को सह नहीं पाई और मैं मूंह और पेट के बल बिस्तर पर गिर पडी. बड़े मामा का लंड मेरी चूत से बाहर निकल गया.

मुझे बड़े मामा के मुंह से मनोरथ भंग होने की कुंठा से गुर्राहट निकलती सुनाई पड़ी. बड़े मामा अब अपनी कामवासना से अभिभूत थे और उनकी बेटी समान भांजी का किशोर नाबालिग शरीर उनकी भूख मिटाने के लिए ज़रूरी और उनके सामने हाज़िर था.

बड़े मामा ने बड़ी बेसब्री से मुझे पीठ पर पलट चित कर दिया. मेरी उखड़ी साँसे मेरे सीने और उरोज़ों से ऊपर को नीचे कर रहीं थी.

बड़े मामा ने मेरी दोनों टांगों को मेरी चूचियों की तरफ ऊपर धकेल दिया. मैं अब लगभग दोहरी लेटी हुए थी. बड़े मामा ने अपना अतृप्य स्पात के समान सख्त विशाल लंड मेरी खुली चूत में तीन धक्कों से पूरा अंदर डाल कर वहशी अंदाज़ में चोदने लगे. बड़े मामा ने मेरी चूत को बेदर्दी से भयंकर ताकत भरे धक्कों से चोदना शुरू कर दिया. बड़े मामा मानो मेरी कुंवारी, नाज़ुक चूत का लतमर्दन से विध्वंस करने का निश्चय कर चुके थे. मेरी सिस्कारियां और बड़े मामा की जांघों के मेरे चूतड़ों पर हर धक्के के थप्पड़ जैसी टक्कर की आवाज़ से कमरा गूँज उठा.

बड़े मामा ने मेरे दोनों उरोज़ों को अपने हाथों में ले कर मसल-मसल कर बुरा हाल कर दिया. मुझे अपनी चड़ती वासना के ज्वार में समझ कुछ नहीं आ रहा था कि कहाँ बड़े मामा मुझे ज्यादा दर्द कर रहे थे - अपने महाकाय लंड से मेरी चूत में या अपने हाथों से बेदर्दी से मसल कर मेरी चूचियों में.

अब मैं अपने निरंतर, लहर की तरह मेरे शरीर को तोड़ रहे चरम-आनन्द के लिए मैं दोनों पीड़ा का स्वागत कर रही थी.

"बड़े मामा, आपने तो मेरी चूत को आह..बड़े..ऐ..ऐ ..ऐ मा..मा...मा..मामा..आं..आं..आं..आं..आं. मुझे झाड़ दीजिये.उफ ओह मामा जी ..ई..ई..ई." मैं हलक फाड़ कर चिल्लाई. मेरे निरंतर रति-स्खलन ने मेरे दिमाग को विचारहीन और निरस्त कर दिया.

मेरा सारा शरीर दर्द भरी मीठी एंठन से जकड़ा हुआ था. बड़े मामा ने एक के बाद एक और भयानक ताक़त से भरे धक्कों से मेरी चूत को बिना थके और धीमे हुए एक घंटे से भी ऊपर तक चोदते रहे. मैं अनगिनत बार झड़ चुकी थे और मुझ पर रति-निष्पत् के बाद की बेहोशी जैसी स्तिथी व्याप्त होने लगी. मेरी चूत मेरे मामाजी के विशाल मोटे लंड से घंटों लगातार चुद कर बहुत जलन पर दर्द कर रही थी.

"बड़े मामा, अब मेरी चूत आपका अतिमानव लंड और सहन नहीं कर सकती. मेरे प्यारे मामाजी मेरी चूत में अपना लंड खोल दीजिये. मेरी चूत को अपने गरम वीर्य से भर दीजिये," मैं चुदाई की अधिकता भरी मदहोशी में बड़े मामा को चुदाई ख़त्म करने के लिए मनाने लगी. मुझे नहीं लगता था कि मैं काफी देर तक अपना होश संभाल पाऊँगी.

मेरी थकी विवश आवाज़ और शब्दों ने बड़े मामा की कामेच्छा को आनन्द की पराकाष्ठा तक पहुंचा दिया,"नेहा बेटा,मैं अब तुम्हारी चूत में झड़ने वाला हूँ," बड़े मामा ने मेरे चूत का सिर्फ कौमार्य भंग ही नहीं किया था पर उसे अपने विशाल लंड और अमानवीय सहवास संयम-शक्ति से अपना दासी भी बना लिया था. मैं बड़े मामा से सारी ज़िंदगी चुदवाने के लिए तैयार ही नहीं पर उसके विचार से ही रोमांचित थी.

बड़े मामा ने मेरे चूचियों को बेदार्दी से मसल कर मेरी छाती में ज़ोर से दबा कर अपने भारी मोटे लंड को पूरा बाहर निकाल कर पूरा अंदर तक बारह-तेरह बार डाल कर मेरे ऊपर अपने पूरे वज़न से गिर पड़े. मेरे फेफड़ों से सारी वायु बाहर निकल पड़ी. उनका लंड मेरे चूत में फट पड़ा. बड़े मामा के स्खलन ने मेरी चूत में नया रति-स्खलन शुरू कर दिया. मैंने अपने बाहें, ज़ोर-ज़ोर से सांस लेते हुए बड़े मामा की गर्दन के चरों तरफ डाल कर, उनको कस कर पकड़ लिया. हम दोनों अवैध अगम्यागमन के चरमानंद से मदहोश इकट्ठे झड़ रहे थे.

बड़े मामा मेरी गरदन पर हल्क़े चुम्बन देने लगे. मैंने थके हुए अपने बड़े मामा को वात्सल्य से जकड़ कर अपने से चुपका लिया. मुझे बड़े मामा पर माँ का बेटे के ऊपर जैसा प्यार आ रहा था.

बड़े मामा और मैं उसी अवस्था में एक दूसरे की बाँहों में लिपटे कामंगना की अस्थायी संतुष्टी की थकन से निंद्रा देवी की गोद में सो गए.

**२१**

**

मेरे आँख कुछ घंटों में खुली. मैंने अपने को बड़े मामा की मांसल भुजाओं में लिपटा पाया. बड़े मामा अभी भी सो रहे थे. उनके थोड़े से खुले होंठों से गहरी सांस मेरे मुंह से टकरा रही थी. मुझे बड़े मामा की साँसों की गरमी बड़ी अच्छी लग रही थी. बड़े मामा के नथुने बड़ी गहरी सांस के साथ-साथ फ़ैल जाते थे. बड़े मामा की गहरी सांस कभी खर्राटों में बदल जाती थी. मुझे बड़े मामा का पुरूषत्व से भरा खूबसूरत चेहरा मुझे पहले से भी ज़्यादा प्यारा लगा, और उनका वोह चेहरा मेरे दिल में बस गया. मैंने अब आराम से बड़े मामा के वृहत्काय शरीर को प्यार से निरीक्षण किया. मामाजी की घने बालों से ढके चौड़े सीने के बाद उनका बड़ा सा पेट भी बालों से ढका था. मेरी दृष्टी उनके लंड पर जम गयी. बड़े मामा का लंड शिथिल अवस्था में भी इतना विशाल था की मुझे मामाजी से घंटों चुदने के बाद भी विश्वास नहीं हुआ की उनका अमानवीय वृहत लंड मेरी चूत में समा गया था. मैं मामाजी के सीने पर अपना चेहरा रख कर उनके ऊपर लेट गयी. बड़े मामा ने नींद में ही मुझे अपनी बाँहों में पकड़ लिया.

मेरा बच्चों जैसा छोटा हाथ स्वतः मामाजी के मोटे शिथिल लंड पर चला गया. मैंने अपनी ठोढ़ी बड़े मामा जी के सीने पर रख कर उनके प्यारे मूंह को निहारती, लेटी रही. कुछ ही देर में बड़े मामा का लंड धीरे-धीरे मेरे हाथ के सहलाने से सूज कर सख्त और खड़ा होने लगा. मेरा पूरा हाथ उनके लंड के सिर्फ आधी परिधी को ही घेर पाता था. बड़े मामा ने नीद में मुझे बाँहों में भरकर अपने ऊपर खींच लिया. मैं हलके से हंसी और बड़े मामा के खुले मुंह को चूम लिया. बड़े मामा की नीद थोड़ी हल्की होने लगी.

मैंने संतुष्टी से गहरी सांस ली और मामा के बालों से भरे सीने पर अपना चेहरा रख कर आँखे बंद कर ली. मेरा हाथ मामाजी के लंड को निरंतर सहलाता रहा. शायद मैं फिर से सो गयी थी. मेरी आँख खुली तो बड़े मामा जगे हुए थे और मुझे प्यार से पकड़ कर मेरे मूंह को चूम रहे थे.

"मम्म्मम्म.. बड़े मामा आप तो बहुत थक गए," मैंने प्यार से मामाजी की नाक को चूमा.

"नेहा बेटा, यह थकान नहीं, अपनी बेटी की चूत मारने के बाद के आनंद और संतुष्टी के घोषणा थी," बड़े मामा ने हमेशा की तरह मेरे सवाल को मरोड़ दिया.

"अब क्या प्लान है, मामाजी," मैंने अल्ल्हड़पन से पूछा.

बड़े मामा ने मेरी नाक की नोक की चुटकी लेकर बोले, "पहले नेहा बेटी की चूत मारेंगें, फिर नहा धोकर देर का लंच खायेंगे," बड़े मामा ने अपने वाक्य के बीच में मुझे अपने से लिपटा कर करवट बदल कर मेरे ऊपर लेट गए, " उसके आगे की योजना हम आपके ऊपर छोड़ते हैं." बड़े मामा ने मेरे खिलखिला कर हँसते हुए मुंह पर अपना मुंह रख कर मुझे चूमने लगे.

मेरी अपेक्षा अनुसार बड़े मामा ने अपनी टांगों से मेरे दोनों टांगों को अलग कर फैला दिया. मामाजी ने अपना लोहे जैसा कठोड़ लंड मेरी चूत के द्वार पर टिका कर हलके धक्के से अपना बड़ा सुपाड़ा मेरी चूत के अंदर घुसेड़ दिया. मेरी ऊंची सिसकारी ने बड़े मामा के लंड का मेरी चूत पर सन्निकट हमले की घोषणा सी कर दी.

बड़े मामा ने दृढ़ता से अपने विशाल लंड को मेरे फड़कती हुई चूत में डाल दिया. मैंने अपने होंठ कस कर दातों में दबा लिए. मुझे आनंदायक आश्चर्य हुआ की बड़े मामा के हल्लवी मूसल से मुझे सिवाय बर्दाश्त कर सकने वाले दर्द के अलावा जान निकल देने वाली पीड़ा नहीं हुई. मेरी चूत में बड़े मामा के लंड के प्रवेश ने मेरी वासना की आग को हिमालय की चोटी तक पहुचा दिया.

मेरे बाँहों ने बड़े मामा की गर्दन को जकड़ लिया. मामाजी ने मेरे कोमल कमसिन बदन के ऊपर अपना भारी-भरकम शरीर का पूरा वज़न डाल कर मेरी चूत की चुदाई शुरू कर दी. बड़े मामा के लंड ने मेरी सिस्कारियों से कमरा भर दिया. बड़े मामा ने मेरी चूत को आधा घंटा अपने मोटे लंड से सटासट धक्कों से चोदा. मेरी चूत तीन बार झड गयी. बड़े मामा ने आखिर टक्कर से मेर्रे चूत में अपना लंड जड़ तक घुसेड कर मेरी चूत में झड़ गयी. बड़े मामा और में एक दूसरे को बाँहों में पकड़ कर चुदाई के बाद के आनंद के रसास्वाद से मगन हो गए.

बड़े मामा ने प्यार से मुझे अपनी बाँहों में उठा कर स्नानघर में ले गए.

बड़े मामा जब पेशाब करने खड़े हुए तो मैंने उनका लंड अपने हाथ में लेकर उनकी पेशाब की धार को सब तरफ घुमाते हुए शौचालय में पेशाब कराया. बड़े मामा का शिथिल लंड भी बहुत भारी और प्यारा था. मैंने उनके भीगे लंड को प्यार से चूमा. मुझे मामाजी के पेशाब का स्वाद बिलकुल भी बुरा नहीं लगा.

मैं जैसे ही शौचालय की सीट पर बैठने लगी बड़े मामा ने मुझे बाँहों में उठा कर नहाने के टब में खड़े हो गए. बड़े मामा ने अपने शक्तिशाली भुजाओं से मुझे अपने कन्धों तक उठा कर मेरी टाँगें अपने कन्धों पर डालने को कहा. मेरा बड़े मामा की हरकतों से हसंते-हंसते पेट में दर्द हो गया. इस अवस्था में मेरी गीली चूत ठीक मामाजी के मुंह के सामने थी.

मैं बड़े मामा से अपनी चूत चटवाने के विचार से रोमांचित हो गयी, "बड़े मामा मेरी वस्ति पूरी भरी हुई है. मेरा पेशाब निकलने वाला है."

"नेहा बेटा, मुझे अपना मीठा मूत्र पिला दो. कुंवारी चूत की चुदाई के बाद पहला मूत तो प्रसाद की तरह होता है." बड़े मामा ने मेरी रेशमी बालों से ढकी चूत को चूम मुझे उन्हें अपना मूत्र-पान कराने के लिए उत्साहित किया.

मेरा पेशाब अब वैसे ही नहीं रुक सकता था. मेरे मूत की धार तेज़ी से बड़े मामा के खुले मूंह में प्रवाहित हो गयी. बड़े मामा ने मुंह में भरे मूत्र को जल्दी से सटक लिया, पर तब तक मेरे पेशाब की तीव्र धार ने उनके मुंह का पूरा 'मूत्र स्नान' कर दिया. बड़े मामा ने कम से कम मेरे आधे पेशाब को पीने में सफल हो गए. उनका मुंह, सीना और पेट मेरे मूत से भीग गया था. सारे स्नानघर में मेरे मूत्र की तेज़ सुगंध फ़ैल गयी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#3
nx





बड़े मामा और मैं नहा धो कर रसोई में खाने के लिए चल दिए.

बड़े मामा ने सब नौकरों को छुट्टी दे कर घर हमारी चुदाई के लिए तैयार कर दिया था. पर नौकर शाम को रात के खाने के लिए वापस आने वाले थे. बड़े मामा ने खाना गरम करने की मेज़ से दोनों के लिए खाना परोसा. मेरी सारी पसंद की चींज़े बड़े मामा ने पकवाईं थी. मैनें मामाजी से लिपट कर उन्हें प्यार से कई बार चूमा. बड़े मामा ने मुझे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया. हम दोनों ने निवस्त्र अवस्था में एक दूसरे को प्यार से खाना खिलाया.

बड़े मामा के हाथ बड़ी मुश्किल से मेरे गुदाज़ स्तनों कुछ क्षणों के लिए ही से दूर जाते थे। मेरे कोमल उरोज यों तो मेरी उम्र की तुलना से बड़े थे पर अभी भी अविकसित थे। बड़े मामा ने उन को रत भर और सुबह मसल, मड़ोड़, और उमेठ कर लाल नीले गुमटों से भर दिया था।

बड़े मामा ने मेरी दोनों चुचुक को भींच कर मेरे गाल को चूम कर पूछा, "मेरी बेटी किस विचारों में खो गयी है?"

मैं शर्मा कर लाल हो गयी, "मामाजी मैं अपनी चुदाई के बारे में सोच रही थी। आपने कितनी बेदरदी से मेरी चूचियों का मर्दन किया है? देखिये कैसी बुरी तरह से दागी हो गयी हैं?"

बड़े मामा ने मुझे कस कर भींच लिया और शैतानी से हँसते हुए मेरे उरोज़ों को और भी कस कर मसल दिया। मैं भी दर्द से सिसकने के बाद हंस पड़ी। मैंने अपने मूंह में भरे चिकन के कुचले हुए टुकड़े को हँसते हुए मामाजी के मूंह से अपना मूंह लगा कर उनके मूंह में डाल दिया। बड़े मामा ने उसे प्यार से और भी चबा कर खा गए। मैं इस साधारण साधारण सी प्यार भरी चुल्ह्ढ़पन से रोमांचित हो गयी।

बड़े मामा और मैं अब अपने मूंह में चबाये हुए भोजन को एक दूसरे को खिलाने लगे। बड़े मामा ने चार गुलाब जामुन मेरी टाँगे चौड़ा कर मेरी चूत में भीतर तक भर भर दिए। मैं मचल उठी, "बड़े मामू मेरी चूत तो यह नहीं खा सकती।"

"नेहा बिटिया, आपकी चूत तो इन्हें और भी मीठा कर देगी। फिर हम इनका सेवन करेगें।"

बड़े मामा और मैं फिर से अपने मूंह से भोजन चबा आकर एक दूसरे को खिलाने लगे।

"बड़े मामा हमें भी तो आपकी मिठास से भरी मिठाई चाहिए।" मैं इठला कर बोली।

"यह तो आपकी समस्या है। हमारे पास तो हमारी बेटी की चूत है," बड़े मामा खुल कर हंस पड़े।

पर मैं अब बड़े मामा के परिपक्व अनुभव से तेज़ी से कामानंद की क्रियायें सीख रही थी। मैंने बड़े मामा को हाथ पकड़ कर उठाया और उन्हें आगे झुकने के लिए निवेदन किया। बड़े मामा के विशाल बालों से भरे चूतडों के बीच में छोटी सी गांड का छेड़ मेरे लिए तैय्यार था। मैंने बरगी के चार पांच टुकड़े बड़े मामा की गांड के अंदर अपनी उंगली से घुसा दिये। मैंने फिर उनकी मीठी गांड को प्यार से चूमकर नाटकीय अंदाज़ में कहा, "मेरे प्यारे बड़े मामू की प्यारी प्यारी गांड कृपया मेरी बर्फी को और भी मीठा कर दो।"

बड़े मामा और मेरी चुहल बाजी, हंसी-मज़ाक पूरे खाने के दौरान चलती रही।

खाना समाप्त होने के प्रश्च्यात बड़े मामा ने मुस्कुरा कर मुझे मेज पर लिटा दिया। मैं भी वासनामयी मुस्कान से खिल उठी। मैंने जोर लगा कर अपनी चूत में भरे गुलाब जामुनों को बाहर धकेलने का प्रयास किया। बड़े मामा ने अपनी उंगली से मेरी मदद की।

उन्होंने मेरी चूत से निकली मिठाई को लालाचपने से खाया। बड़े मामा ने अपने जीभ और मूंह से मेरी चूत पर लिसी चासनी को साफ़ कर दिया।

उनके बाद मेरी बारी थी। बड़े मामा मेज पर हाथ रख कर आगे झुक गए। उन्होंने भी जोर लगा कर मसली कुचली बर्फी अपनी गांड से बाहर निकालने की कोशिश की। धीरे धीरे मिठाई उनकी बालों से ढकी गांड के छेद के बाहर आने लगी। मैंने अपना खुला मूंह बड़े मामा की गांड पर लगा कर मिठाई को अपने मूंह में भर लिया।

बर्फी अब झक सफ़ेद तो नहीं रही थी पर उसमे बड़े मामा की गांड की मिठास तो बेशक शामिल हो गयी थी।

जो बाक़ी बर्फी बड़े मामा अपनेआप से नहीं निकाल पाए उसे मैंने अपनी कोमल उंगली से कुरेद कर चाट लिया।

बड़े मामा मुझे, 'खाना खाने के बाद', गोद में उठा कर कमरे में ले गए, "नेहा बेटा, मुझे गंगा बाबा और दुसरे नौकरों को फोन कर के रात के खाने के लिए आने की इजाज़त देनी पड़ेगी. हम दोनों झील के जंगल में घूमने जा सकते हैं."

जब बड़े मामा गंगा बाबा को फोन कर रहे थे तब मैं अपने कपड़े निकालने लगी. बड़े मामा ने सफ़ेद कुरता पजामा चुना. बड़े मामा पजामे के नीचे कोई कच्छा नहीं पहना. मुझे हंसी आ गयी, "मामाजी, यदि आपका लंड खड़ा हो गया तो पजामा तम्बू की तरह उठ जाएगा."
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#4
बड़े मामा ने मेरे दोनों उरोजों को प्यार से सहलाया, "जंगल में सिर्फ तुम्हारे और कौन इस खड़े लंड को देखेगा? वैसे भी मेरी नेहा बेटी मेरे खड़े लंड को अपनी चूत में छुपा लेगी. नहीं बेटा?" मैं शर्म से लाल हो गयी और धीरे से सर हिला कर हामी भर दी.

बड़े मामा ने मेरी जींस को उठा कर अलग कर दिया. मेरे जिज्ञासु अभिव्यक्ति को देख के मामाजी मुस्कुराये और अलमारी से हलके पीले रंग का पेटीकोट और सफ़ेद ब्लाऊज़ निकल कर मुझे पहनने को दिया, "नेहा बेटी इसमें तुम अत्यंत सुंदर लगोगी," बड़े मामा ने हंस कर कहा, "यदि मेरा लंड खड़ा हो गया तो सिर्फ मुझे तुम्हारा लहंगा ऊपर करने की ही ज़रुरत है और तुम्हारी चूत मेरे लंड के लिए खुल जायेगी."

मैं शर्मा गयी और मामाजी के सीने पर अपने नन्हे हाथों की मुट्ठी से बार बार घूंसे मारने लगी जिसका प्रभाव मेरे विशाल बड़े मामा के ऊपर सिवाय इनको और ज़ोर से हसाने के अलावा निरर्थक था.

मैंने लहंगे के नीचे जान्घियाँ और ब्लाऊज़ के नीचे ब्रा नहीं पहनी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#5
बड़े मामा और मैं हँसते, बाते करते हुए झील की तरफ चल दिए. एक बार जब हम जंगल के घने पेड़ों से घिर गए तो मैंने अपनी बांह बड़े मामा की विशाल कमर के ऊपर डाल दी. हम दोनों झील के शांत विलक्षण वातावरण में एक दुसरे की बाँहों में खुश, छोटी-छोटी बातें कर रहे थे.

"बड़े मामा हमें सुरेश अंकल और नम्रता आंटी के बारे में झूठ बोलना पडेगा?" मैंने अपना गाल बड़े मामा की चौड़ी मांस-पेशियों से भरी भुजा पर रगड़ कर अपना डर में मामाजी को शामिल करना चाहा.

बड़े मामा ने अपना हाथ मेरे चूची के ऊपर रख कर मुझे आश्वासित किया, "नेहा बेटा हमें कोई झूठ नहीं बोलना पडेगा. आप सब चिंता मुझ पर छोड़ दो."

मैंने मुस्कुरा कर अपना अधखुला मूंह ऊपर कर बड़े मामा को चुम्बन का निमंत्रण दिया. बड़े मामा ने मुझे अपनी गोद में खींच लिया और शीघ्र हमारे खुले मुंह एक दुसरे के मूंह से चुपक गए. हमारी झीभ एक दुसरे के मुंह में अंदर-बाहर जाने लगी. हमारी लार एक मुंह से दुसरे मुंह में जा रही थी. बड़े मामा का प्रचंड लंड मेरे गुदाज़ नितिम्बों को कुरेदने लगा.

बड़े मामा ने मेरे ब्लाऊज़ के बटन खोल कर मेरे संवेदनशील उरोज़ों को मुक्त कर दिया. मामाजी ने मेरे सख्त चूचुक अपनी चुटकी में भर मसलने लगे.

बड़े मामा के मजबूत हाथों में मेरे दोनों स्तनों को मसलने और गून्दने लगे। मेरी सिस्कारियां बड़े मामा को और भी उत्साहित कर रहीं थीं।

मैंने अपने नाज़ुक नन्हे हाथों से बड़े मामा के लंड को पहले पजामे के ऊपर से रगड़ा, पर मुझे मामाजी के विशाल लंड के गर्मी अपने हाथों में महसूस करनी थी. मैंने बड़े मामा के पजामे का नाड़ा खोल कमरबंद ढीला कर दिया. मामाजी का महाकाय प्रचंड लंड ने मेरे नन्हे हाथों को भर दिया.

मैंने हलके से अपने को बड़े मामा की बाँहों से मुक्त कर उनकी झांगों के बीच में झुक गयी। मैंने बड़े मामा का विशाल सुपाड़े को अपना गर्म थूक से भरे मुंह को पूरा खोल कर अंदर ले लिया। बड़े मामा मेरे घुंघराले घने बालों को सहलाने लगे। मैंने बड़ी मुश्किल से बड़े मामा के लंड को अपने मुंह में ले कर चूसने की कोशिश करने लगी। बड़े मामा की हल्की सी सिसकारी ने मुझे और भी उत्साहित कर दिया। मैं दिल लगा कर उनके लंड को जितना अच्छे से हो सकता था चूसने लगी।

बड़े मामा ने मेरे लहंगे के अंदर हाथ डाल कर मेरी गीली चूत को सहलाने लगे। यदि मेरा मुंह बड़े मामा के लंड से नहीं भरा होता तो मेरी सिसकारी जंगल में गूँज जाती। मैं बड़े मामा के लंड को अपने मुंह से चूस कर लोहे की तरह सख्त कर दिया। उनकी अनुभवी उँगलियों ने मेरी चूत को सहला कर मुझे झड़ने के बहुत निकट तक ले आये।

बड़े मामा ने वासना की उत्तेजना में गुर्रा कर कहा, "नेहा बेटा मेरे लंड को आपकी चूत चाहिए. क्या मैं आपकी चूत मारूं?"

नेकी और पूछ-पूछ! बड़े मामा मुझे तरसा रहे थे. मैंने अपनी सिस्कारियों से उनकी इच्छा के सामने अपने नाबालिग, किशोर शरीर का एक बार फिर से समर्पण कर दिया. मैंने अपने लहंगा अपने हांथों से ऊपर उठा लिया, जैसे मामाजी ने मुझे अपनी बाँहों में भर कर खड़े हुए. मामाजी का खुला पजामा उनके टखनों के इर्दगिर्द गिर गया.

"बड़े मामा प्लीज़ गिर नहीं जाईयेगा," मुझे मामाजी की फ़िक्र लग रही थी.

मामाजी ने मेरी चिंता की उपेक्षा कर अपने प्रचंड लंड के सुपाड़े से मेरी चूत ढूँढने लगे. मैंने अपने नन्हे हाथ से मामाजी के विशाल लंड को अपनी तंग किशोर कमसिन यौनी के द्वार की सीध पर रख दिया. मामाजी ने चार भयंकर धक्कों में अपना महाकाय लंड मेरी चुस्त चूत में जड़ तक अंदर डाल दिया. झील के मीलों तक सुनसान किनारे पहले मेरी चीखों और फिर मेरी ऊंची सिस्कारियों से गूँज उठे.

बड़े मामा के बड़े शक्तिशाली हाथ मेरे भारी गुदाज़ नितिम्बों को संभाल कर मुझे अपने लंड पर ऊपर नीचे करने लगे। मेरी चूत उनके भीमकाय लंड के ऊपर अप्राकृतिक आकार में फ़ैल गयी थी। शीघ्र ही मेरी रति-रस से भरी चूत सपक-सपक की आवाज़ कर बड़े मामा के लंड से चुद रही थी। मैंने बड़े मामा की सीने में अपना सिसकता मुंह छिपा लिया।

"आह .. बड़े मामा मुझे चोदिये। आपका लंड कितना बड़ा है। आह .. ओह ... ब .. ऊंह ... ड़े मा ... ऊन्न्ह्ह्ह ... मा ..आ ...ऒन्न्ह ऊन्न्नग्ग्ग," मै बड़े मामा के भयंकर धक्कों से बुरी तरह से हिल रही थी। मेरी चूचियां बड़े मामा के हर भीषण धक्के से ऊपर नीचे मादक नाच कर रहीं थीं।

मैं कुछ ही देर में झड़ने के लिए तैयार थी। मैं एक जोर की चीख के साथ बड़े मामा के वृहत लंड के ऊपर झड़ गयी। बड़े मामा ने मुझे ऊपर उठा कर मेरे थरकते हुए चूची को अपने मुंह में खींच कर चूसने लगे। मेरे कामोन्माद की चीख में मेरे स्तन में बड़े मामा के चूसने के दर्द भी मिल गया।

बड़े मामा ने स्नानगृह के सामान मेरी चूत लम्बे प्रचंड धक्कों से मार कर मेरी हालत खराब कर दी. मेरी कामेच्छा प्रज्जवलित हो मेरे शरीर में आग लगाने लगी. बड़े मामा ने मुझे उसी भयंकर तेज़ी से क़रीब एक घंटा मुझे चोदा.

**

मैंने शैतानी से मुस्कराते हुए बड़े मामा का पजामा लपेट कर अपने लहंगे के कमर बंद में घुसा दिया। बड़े मामा ने भी मुस्करा कर मेरा ब्लाउज रूमाल की तरह तह मार कर अपने कुर्ते की जेब में रख लिया।

मेरा एक हाथ बार बार बड़े मामा के लंड को सहला देता था। हम आधा घंटा धीरे धीरे घुमते हुए हम एक सुंदर घने पेड़ों से घिरी एक जगह पे रुक गए। हरी-भरी मुलायम घास एक गुदगुदे गलीचे के सामान थी। मेरी वासना अब फिर से बड़े मामा के लंड के लिए जागृत हो गयी। मै घास पर घुटने पर बैठ कर बड़े मामा के आधे खड़े मेरे चूत के रस से भीगे लंड को चूसने लगी। बड़े माम का लंड कुछ क्षड़ों के चूसने से ही लोहे के डंडे की तरह खडा हो गया।

बड़े मामा ने मुझे ऊपर उठा कर अपनी बाँहों में भर लिया। उनका खुला मुंह मेरे मुंह के ऊपर चुपक गया। मेरी भूखी जीभ उनके मुंह के अंदर हर जगह जा कर उनकी जीभ से भिड़ गयी। मैंने बड़े मामा के कुर्ते के बटन खोल दिए। मैंने उनकी सीने की घने बालों में अपनी उँगलियों घुमाने लगी। बड़े मामा ने मुझे प्यार से घास के बिस्तर पर लिटा दिया। उन्होंने मेरे लहंगे का नाड़ा खोल कर उसे मेरे शरीर से अलग कर पास में रख दिया। बड़े मामा का पजामा भी मेरे लहंगे के साथ ही चला गया। बड़े मामा ने मेरी आँखों की प्रार्थना को समझ कर अपना कुर्ता भी उतार दिया।

बड़े मामा ने अपना विकराल लोहे से भी सख्त पर रेशम जैसा मुलायम लंड मेरी छूट के द्वार पर रगड़ने लगे। मेरी सिसकारी उन्हें मेरे अविकसित स्त्री-गृह की नाज़ुक सुगन्धित सुरंग के अंदर आने के लिए उत्साहित कर रही थी।

बड़े मामा की झिलमिलाती हल्की भूरी आँखें मेरी वासना भरी आँखों से अटक गयीं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#6
उनके होंठों पर एक हल्की सी मुस्कान थी। मैं समझ गयी कि बड़े मामा अपनी बेटी जैसी भांजी के होंठों से सम्भोग के अश्लील शब्दों को सुनना चाहते थे।

मैं भी अब उन्हें बोलने से बहुत नहीं शर्माती थी।

"बड़े मामा अपनी बेटी जैसी भांजी की चूत में अपना पितातुल्य विशाल लंड डाल दीजिये। मामू अपने विकराल लंड से अपनी बेटी की मासूम चूत को फाड़ दीजिये," मैं पहले धीरे फिर जोर से बोली।

बड़े मामा ने चार भयंकर धक्कों से अपना पूरा भीमकाय लंड मेरी चूत में जड़ तक ठूंस दिया।

मेरी चीख मेरे हलक में ही अटक गयी क्योंकि बड़े मामा ने मुझे एक क्षण भी दिए बिना मेरी चूत को भीषण रफ़्तार से चोदने लगे। उनका विकराल लंड मेरी चूत को रेल के इंजिन के पिस्टन की रफ़्तार और शक्ति से चोद रहा था।

मेरे गले से जब आवाज़ निकली तो पहले मैं बिलबिला कर चीखी पर कुछ ही क्षणों में मे मैं ऊंची सिस्कारियों से अपने बड़े मामा की शक्तिशाली चुदाई के लिए आभार प्रकट करने लगी।

बड़े मामा के विशाल हाथों ने मेरी चूचियों का मर्दन निर्ममता से किया, पर मैं उन्हें और भी बेदर्दी से मसलवाना चाहती थी।

"बड़े मामू ... ओओओण्ण्ण्ण्ण आँ ...आँ ...आँ ...आअह ...और ज़ोर से। मैं आने वाली हूँ। मामा जी ... ई ... ई ... ई ...अंअंअंअंअंअं। मर गयी मैं तो ...आआआ ह्हूम।"

'चपक-चपक' की सुंदर ध्वनि मेरे चूत के मर्दन की घोषणा कर रहीं थी।

बड़े मामा ने मुझे चार बार झाड़ कर मेरी चूत अपने मर्दाने संतान-उत्पादक गरम वीर्य से भर दी. मैं बड़े मामा से छोटी बच्ची की तरह लिपट गयी. हम दोनों कुछ देर उसी तरह लेटे रहे.

बड़े मामा ने मुझे कई बार प्यार से चूम कर अपने लंड से मुक्त कर दिया. हम धीरे-धीरे जंगल में घूमने लगे.

हम दोनों एक दुसरे के शरीर के आकर्षण से अपने को मुक्त नहीं कर सके। बड़े मामा के हाथ मेरे चूचियों, नितिम्बों से एक पल भी नहीं हते। मेरा हाथ भी उनके शिथिल पर भरी विशाल लंड से अलग होने में अक्षम था। बड़े मामा का अत्रिप्य मांसल लोह पुरुष लिंग तनतना कर फिर से उदंग हो गया।

बड़े मामा ने झील के किनारे एक लकड़ी की बेंच को देख कर मुझे बेसब्री से उसकी और खीचने लगे। बड़े मामा ने मुझे उस खुरदुरी बेंच पर लिटा दिया। बड़े मामा ने मेरी भारी गुदाज़ झांगों को अपनी बाँहों में उठा कर मेरी चूत के मुहाने पर अपना वृहत्काय लंड का सेब जैसा सुपाड़ा लगा कर एक हल्का सा धक्का दिया। उनका सुपाड़ा मेरी संकरी चूत में प्रविष्ट हो गया। मेरी हल्की सी सिसकारी ने बड़े मामा के लंड का स्वागत किया।

बड़े मामा कुछ देर तक अपने सुपाड़े को धीरे धीरे मेरी चूत में हिलाते रहे। मेरी चूत बड़ी तेजी से रस से भर गयी। बड़े मामा ने अपने सुपाड़े को गोल-गोल घुमा के मेरी चूत कर तंग छिद्र को चौड़ाने लगे। मेरी सिसकारी ने मेरी जलती हुई कामवासना की स्तिथी की घोषणा कर दी।

मैंने अपने गांड को ऊपर उठा कर बड़े मामा का लंड अपनी चूत में लीलने की कोशिश की।

"नेहा, बेटा आप क्या कर रहे हैं?" बड़े मामा ने मुझे चिड़ाते हुए बच्चों जैसी मासूम मुस्कान से पूछा। मैं समझ गयी थी कि एक बार फिर से बड़े मामा अपनी बेटी सामान भांजी के मुंह से अश्लील शब्दों को सुनना चाहते थे। मेरी चूत में जोर से आग लगी थे औए उसे बुझाने का अस्त्र बड़े मामा के पास था।

"बड़े मामा मुझे क्यों तरसा रहें हैं? मुझे अपने घोड़े जैसे लंड से चोदिये। अपनी बेटी की चूत में अपना भीमकाय लंड पूरा अंदर तक डाल दीजिये," मैं वासना के ज्वार से धधक रही थी, "बड़े मामा मेरी चूत अपने मोटे लम्बे लंड से फाड़ दीजिये।"

बड़े मामा ने अपने दोनों हाथों को मेरे कमसिन पर बड़े मोटे स्तनों से भर लिया। बड़े मामा ने बेदर्दी से मेरे दोनों चूचियों को मसल कर अपनी ताकतवर नितिम्बों की सयाहता से एक विध्वंसक धक्के से लगभग आधा लंड मेरी अविकसित चूत के संकरी सुरंग में धकेल दिया।

मैं ज़ोरों से चीख पड़ी, " बड़े मामा, आह ... कितना दर्द ... ऊन्न्ह ... मेरी चूत फट गयी। ओह .. आह ... ऒन्न्ह्ह्ह ...ऊन्नग्ग्ग।"

मेरे बिलबिलाने को अनसुना कर बड़े मामा ने एक गहरी सांस भर कर एक दूसरा भयंकर धक्का लगाया। उनका तीन-चौथाई विशालकाय लंड मेरी चूत में दनदना कर प्रविष्ट हो गया। मेरी छूट मानों जल रही थी। दर्द के मारे मेरी चीख फिर से जंगल में गूँज उठी।

बड़े मामा ने अपने हाथों से मेरे दोनों उरोजों का लतमर्दन करते हुए तीसरे भीषण धक्के से अपना पूरा लंड जड़ तक मेरी चूत में डाल दिया।

बड़े मामा ने मेरी चीख की एक बार फिर से उपेक्षा कर मुझे अपने घोड़े जैसे लम्बे मोटे लंड से चोदने लगे। दस बारह धक्कों के बाद ही मेरा सारा दर्द गायब हो गया और मेरी चीखों की जगह अब मेरे मुंह से लगातार सिस्कारियां उबल रही थीं।

बड़े मामा ने मेरी चूचियों को उतनी ही बेदर्दी से मसला और नोचा जितनी निर्ममता से वो मेरी कमसिन चूत मार रहे थे।

मामाजी के लम्बे जोरदार धक्कों से मैं पांच मिनट में ही झड गयी। बड़े मामा ने बिना धीरे हुए आधे घंटे से भी ऊपर मुझे चोद कर तीन बार कामोन्माद के द्वार पर ला कर पटक दिया। जब मैं तीसरी बार सिसकारते हुए झड़ रही थी तब बड़े मामा के भीमकाय लंड ने भी मेरी रस उगलती कमसिन चूत में मीठा गाड़ा जनक्षम वीर्य उलेढ़ दिया। बड़े मामा ने अपना भारी-भरकम बदन मेरे ऊपर डाल कर निढाल हो गए। मैंने प्यार से उनको अपनी बाँहों में जकड़ लिया और उनके मुंह को गीले चुम्बनों से भर दिया।

हम दोनों काफी देर तक एक दुसरे की बाँहों में पड़े मुस्करा कर एक दुसरे को चूमते रहे। आखिर कर हम दोनों उठे और फिर से झील के अगले किनारे की तरफ चल दिए। बड़े मामा ने वापिस जाने के लिए दूसरा रास्ता चुना। हम दोनों पहाड़ी के किनारे के बहुत पास थे। हरी वादी का घुला नज़ारा किसी को भी विस्मित कर सकता था। बड़े मामा ने मुझे बाँहों में भर कर ज़ोर से भींच लिया। उनका लंड पूरा खड़ा था। पास में एक बड़ा पेड़ गिर पड़ा था। बड़े मामा ने मुझे उस पेड़ के तने पर हाथ टिका कर झुका दिया।

हम दोनों के सामने खुली वादी का नज़ारा था। बड़े मामा ने मेरी चौड़ी खुली झांगों के पीछे जा कर अपना लंड एक बार फिर से मेरी फड़कती हुई चूत के ऊपर टिका दिया। मैंने अपना निचला होंठ दांतों के बीच दबा लिया। जैसे मैंने सोचा था उसी तरह बड़े मामा ने मेरे दोनों चूतड़ कस के पकड़ कर चार दर्द भरे धक्कों से अपने अमानवीय लंड को मेरी चूत में जड़ तक डाल कर मेरी अस्थी-पंजर हिला देने वाली भीषण चुदाई शुरू कर दी। मेरी वासना भरी चीखों से खुली वादी गूँज उठी।

मैं सिसक सिसक कर बड़े मामा की विध्वंसक चुदाई से कई बार झड़ गयी। बड़े मामा ने उस बार मुझे एक घंटे तक बुरी तरह रगड़ कर चोदा। मेरे दोनों चूचियों की कोमल त्वचा पर बड़े मामा के निर्मम मर्दन से नीले निशान उभर आये। जब बड़े मामा ने अपना लंड मेरी थकी मांदी चूत में खोल। तब तक मैं इतनी शिथिल हो गयी थी की मेरे दोनों टांगें बड़ी मुश्किल से मेरा वज़न संभाल पा रहीं थीं।

हम जब शाम का अन्धेरा छाने लगा तो घर की तरफ चल दिए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#7
"नेहा बेटा, हम लोग बिस्तर में चलें?| बड़े मामा ने मेरी कामवासना लिप्त चेहरा देख कर शरारत से पूछा.

शयनकक्ष में पहुँचते ही बड़े मामा ने मुझे प्यार से वस्त्रहीन कर दिया। शीघ्र ही मैं निवस्त्र बिस्तर में लेती बड़े मामा को कपड़े उतारते हुए देख रही थी. बड़े मामा भी निवस्त्र हो कर मेरे साथ बिस्तर में लेट गए. हम दोनों ने एक दुसरे को बाँहों में भर कर खुले मुंह से चूमने लगे. बड़े मामा ने मेरे गुदाज़ नितिम्बों को मसलते हुए मेरे मुंह में अपनी जीभ डाल कर मेरे सारे मुंह के अंदर सब तरफ घूमा दी. मैंने भी अपने जीभ बड़े मामा की जीभ से भीड़ा कर उनके मीठे मुंह के स्वाद का आनंद लेने लगी.

बड़े मामा ने मुझे चित लिटा कर मेरे मुलायम बड़ी चूचियों को अपने मूंह से उत्तेजित करने लगे. बड़े मामा ने मेरे चूचुक अपने मूंह में भर कर उनको पहले धीरे-धीरे फिर ज़ोर से चूस-चूस कर मेरी सिसकारी निकल दी.

बड़े मामा ने मेरे गोल भरे हुए पेट को चूमते हुए मेरी गीली चूत के ऊपर अपना मूंह रख कर मेरी हल्की सुनहरी झांटों को अपने जीभ से भाग कर मेरी चूत के द्वार के अंदर डाल दी. मेरी ज़ोर की सिसकारी ने बड़े मामा को भी उत्तेजित कर दिया. बड़े मामा ने मेरी चूत और भगशिश्निका को अपनी जीभ और मुंह से सता कर मेरी वासना को चरम सीमा तक पहुंचा दिया.

बड़े मामा ने अपनी खुरदुरी जीभ से मेरे क्लीटोरिस को चाट कर मुझे बिलकुल पागल सा कर दिया। उनकी एक उंगली अहिस्ता से मेरी गीली मचलती चूत में फिसल कर अंदर चली गयी। उन्होंने अपनी उंगली को टेड़ा कर के मेरी योनी के सुरंग के आगे की दीवार को रगड़ने लगे। उनकी जीभ और उंगली दोनों ही मुझे एक बराबर का आनंद दे रहीं थीं।

अचानक बड़े मामा ने अपने होंठों में मेरा भग-शिश्न को भींच कर अपनी उंगली को तेजी से मेरी चूत की दीवार को रगड़ना शुरू कर दिया। उनकी अभ्यस्त जीभ और उंगली ने मेरे कमसिन कच्चे शरीर को वासना के समुन्द्र में फैंक दिया।

मैं ज़ोर से सिसक उठी। मैं अब झड़ने के लिए व्याकुल थी। यदि बड़े मामा मेरे क्लिटोरिस अपने दाँतों से चबा भी डालते तो मैं कोई शिकायत नहीं करती।

"आह...मामाजी...आंह ...ऊम्म्म्म...हं..हं.. आ..आ...आह्ह्ह मेरी चू..ऊ..ऊ...त आह्ह.मैं आने वाली हूँ," मेरी सिस्कारियों ने बड़े मामा को मेरे सन्निकट रति-निष्पत्ति की घोषणा कर दी. बड़े मामा ने मेरी चूत चूसना रोक दिया. बड़े मामा ने मुझे मेरे यौन चरमोत्कर्ष के द्वार से पीछे खींच कर मुझे आश्चर्यचकित कर दिया.

मैं वासना के अतिरेक से बिलबिला रही थी।

बड़े मामा ने मेरी दोनों भरी-भरी गोल झांघें उठा कर फैला दीं. बड़े मामा ने अपना मूंह मेरी गांड के ऊपर रख उसको प्यार से चूमा. मेरे मूंह से घुटी-घुटी सिसकारी निकल पड़ी. बड़े मामा की जीभ शीघ्र ही मेरी गांड के छिद्र को तड़पाने तरसाने लगी.

मेरी गांड का छल्ला बारी-बारी से शिथिल और संकुचित होने लगा. बड़े मामा ने मेरी गांड के मलद्वार को अपनी जीभ से चूम कर मेरी वासना को और भी प्रज्ज्वलित कर दिया. बड़े मामा की जीभ की नोक आखिरकार मेरी गुदा-द्वार के अंदर दाखिल हो गयी. मेरी सिस्कारियों ने बड़े मामा को मेरी गांड को और भी चूसने-चूमने का निमंत्रण भेजा.

मेरा कुछ देर पहले का सन्निकट चरम-आनंद मेरे अविकसित शरीर को फिर से उमेठने लगा.

मेरी गांड स्वतः बड़े मामा के मूंह से चुपकने का प्रयास करने लगी. बड़े मामा ने पहले की तरह मेरे चूत को रति-निष्पत्ति होने से पहले ही मेरी गांड से अपना मूंह हटा लिया. मेरी वासना के अनबुझी आग ने मेरे मस्तिष्क को पागल कर दिया. मैं बड़े मामा के सामने गिड़गिड़ाने लगी,"बड़े मामा आप मुझे इतना क्यों तरसा रहें हैं? मेरी चूत झाड़ दीजिये. प्लीज़."

मैं अपने चूतड़ पलंग से उठा कर अपनी गांड और चूत अपने बड़े मामा के मुंह के पास ले जाने का प्रयास कर रही थी।

बड़े मामा ने अपने तने हुए हल्लवी लंड से मेरी चूत रगड़ और मेरे ऊपर नीचे गिरते-उठते पेट पर को अपने हाथ से मसल कर बोले, "नेहा बेटा मुझे आपकी गांड मारनी है."

"बड़े मामा, मुझे बहुत दर्द होगा?" बड़े मामा ने गौर किया होगा िक मैंने मना नहीं किया. इस वक़्त मैं बड़े मामा की हर शर्त मान लेती. मेरी वासना की संतुष्टी की चाभी बड़े मामा का महाकाय लंड था.

मेरी छोटी सी गांड के अंदर बड़े मामा के विकराल स्थूल लंड के जाने के विचार से ही मैं सिहर गयी।

बड़े मामा ने आश्वासन दिया,"नेहा बेटा दर्द तो होगा. दर्द तो चूत मरवाने में भी हुआ था. पर अब आप चूत मरवाने से कितने खुश हैं."

बड़े मामा मेरे दोनों उरोज़ों को हलके हलके सहलाने लगे।

मैंने अपना निचला होंठ वासना के उबलते ज्वार को नियंत्रित करने के प्रयास करते हुए अपने दांतों के बीच में भींच लिया।

बड़े मामा ने अपने विशाल लंड को मोटे डंडे की तरह मेरी चूत के द्वार के उपर रगड़ने लगे। मेरा जलता हुआ अल्पव्यस्क शरीर चर्मॉनन्द की खोज में भभक उठा। बड़े मामा का रेशम जैसा चिकना पर लोहे जैसा सख्त वृहत लिंग मेरे भाग-शिश्न को रगड़ कर मेरी काम वासना की प्रज्जवलित अग्नि को और भी भड़काने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#8
म दोनों के निरंतर वार्तालाप में बाकी यात्रा यूँ ही समाप्त हो गयी.

हम परिवार का झील वाला बंगला एक पहाड़ी पर था. सिर्फ एक सड़क ही थी और वो सड़क सिर्फ हमारी जायदात पर ही ख़त्म हो जाती थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#9
https://i.ibb.co/JkzfHPZ/lc7-eng-005d.jpg
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#10
[Image: 26476614_008_6db1.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#11
[Image: pic-39-bigr.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply




Users browsing this thread: 1 Guest(s)