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Adultery मैं अपने जेठ की पत्नी बन कर चुदी
#1
मैं अपने जेठ की पत्नी बन कर चुदी

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
मैं जब आगरा से वापिस वाराणसी आई तब की है। यह कहानी मेरे पति की फैमिली से है, मेरे पति के बड़े पिता जी के लड़के की है.. जो लखनऊ में बीडीओ के पद पर थे.. पर जब उनकी बीवी का देहान्त हो गया था.. तो उन्होंने अपनी पोस्टिंग बनारस करा ली थी, वे हमारे ही घर पर रह कर काम कर रहे थे।

बीवी के न रहने से उनकी सेक्स की भूख बढ़ गई थी। वह हमेशा मुझे घूरते रहते और वह अपने कमरे में मुठ्ठ मार कर वीर्य अपने अंडरवियर गिरा कर छोड़ देते थे।
यह उनका हमेशा का काम हो गया था। जब भी मैं उनके कमरे की साफ सफाई करती.. तो अक्सर उनकी गीली चड्डी मिलती और मैं भी उसे सूँघकर देखती.. पर मेरे दिल में जेठ जी के प्रति कभी गलत भावना या उनसे चुदने का ख्याल नहीं रखती.. मैं यह सोचकर रह जाती कि बेचारे को हाथ से करने के सिवा और क्या कर सकते हैं।
मेरी उनके प्रति सहानभूति थी।[Image: Indian-Married-Woman-Sex-with-Brother-in...s-_003.jpg]

वे कभी मुझसे बोलते नहीं थे, मैं चाय नाश्ता उनके रूम में ही पहुँचा देती और खाना भी वो कमरे में ही खाते थे.. पर जब भी मैं किसी काम से जाती.. तो वह मुझे चोर निगाहों से देखते रहते थे।

जब से मैं आगरा से जमकर चुदवा कर आई थी.. मेरे शरीर में एक बदलाव आ गया था और मेरा फिगर पहले से भी अच्छा हो गया था। खासकर मेरे चूतड़.. जो कि किसी को भी अपना दीवाना बना डाले।
मेरे ससुराल आते ही मुझे इतना लण्ड मिल गया कि मैं आगरा से आने के बाद पति से रोज चुदाई करवाती थी क्योंकि मेरी बुर को लण्ड खाने की आदत पड़ गई थी।

मैं अब ज्यादा गौर करने लगी कि जेठ जी का अब कुछ ज्यादा ही सेक्सी और रोमान्टिक हो रहे थे, अब वो कभी भी मौका देखकर मेरे कमरे में तांक-झाँक करते रहते।
कई बार मुझे लगा कि वे मुझे चुदते हुए देखते हैं.. पर मेरे पास कुछ सबूत नहीं था। जब भी मैं रात को सेक्स करती.. तो मुझे ना जाने क्यों महसूस होता कि जेठ जी देख रहे हैं और मेरे अन्दर उत्तेजना बढ़ जाती और मैं खूब खुल कर चिल्ला कर चुदने लगती।

एक दिन की बात है, मैं कमरे में कपड़े बदल कर रही थी और मुझे आहट सी लगी कि कोई मुझे देख रहा है।
उस वक्त घर में मेरे और जेठ के अलावा कोई नहीं था।
जैसे ही मुझे लगा कि सच में कोई है.. मेरा रोम-रोम गनगना उठा।[Image: Indian-Married-Woman-Sex-with-Brother-in...s-_002.jpg]

उस समय मैं ब्रा-पैन्टी में थी और शरीर में वैसलीन का बॉडी लोशन लगा रही थी।
मुझे थोड़ी शरम भी आ रही थी.. मैं उस वक्त अगर शरीर ढकती या पलटती तो जेठ जी समझ जाते कि मैं जान गई हूँ, इसलिए मैं जो कर रही थी.. उसी तरह करती रही ताकि उनको पता ना चले कि मैं समझ गई हूँ कि कोई देख रहा है।
मैं जेठ जी को लज्जित नहीं करना चाहती थी।

मैंने लोशन लगाते हुए थोड़ा तिरछी होकर देखा.. तो मैं शरमा उठी दरवाजे को थोड़ा खोलकर जेठ जी कमरे में मुझे देखते हुए अपना लण्ड बाहर निकाल कर हिला रहे थे।
मेरा विश्वास पक्का हो गया कि जेठ जी की नीयत मेरे पर ठीक नहीं है क्योंकि जेठ जी अपनी बहू को नंगी हालत में देखकर अपने मन में मुझे चोदने का ख्याल रखकर लण्ड पकड़ कर मेरी बुर चोदने का सोच कर मुट्ठ मार रहे थे। पर मैं बार-बार जेठ जी को अपनी भावनाओं में नहीं लाना चाहती थी।

मेरी भी सोच जवाब दे गई.. जब जेठ जी मेरे विषय में सोचकर लण्ड हिला सकते हैं.. तो मैं क्यों नहीं और मैं तो चूत, फ़ुद्दी, बुर के लिए तरसते जेठ की मदद कर रही हूँ।
जेठ जी को लण्ड हिलाते देखकर मेरी भी वासना हिलोरें मारने लगी।[Image: 61359934_103_7733.jpg]
क्योंकि मेरी आदत भी अलग-अलग मर्दों के लण्ड से चुदने की पड़ गई थी और मैं जब से आगरा से आई हूँ.. मुझे केवल पति के लण्ड से चुद कर संतोष करना पड़ रहा था।

जेठ जी का लण्ड मेरे पति के लण्ड जैसा बड़ा था.. पर मोटा कुछ अधिक था, उनके लण्ड का सुपारा काफी फूला हुआ था।
जेठ जी का लण्ड देखकर मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और फिर मैं जानबूझ कर और ज्यादा दिखाते हुए अपने जिस्म में लोशन लगाने के साथ साथ अपनी बुर की फांकों में और चूचियों में लोशन रगड़ कर चूत की मालिश करती रही।

मैं जितना जेठ को चूत दिखाना चाह रही थी उतनी अधिक मेरी चूत चुदने के लिए व्याकुल हुई जा रही थी। मैं चुदाई की वासना के नशे में अपनी पैन्टी नीचे खिसका कर चूत को नंगी करके लोशन लगाते हुए पीछे से झुककर अपनी बुर दिखाने के साथ मैं पनियाई हुई बुर को मसक देती थी। उधर जेठ जी मुठ्ठ मारे जा रहे थे.. वे इस बात से बेखबर लग रहे थे कि मैं जानबूझ कर सब दिखा रही हूँ।

अब मेरी चूत खुद चुदना चाहती थी.. मैं गरम होती जा रही थी। एक बार तो मुझे महसूस हुआ कि मैं जाकर जेठ जी का खुद ही लण्ड पकड़ कर कह दूँ कि हिलाना छोड़ो.. और मेरी बुर आपके सामने खुली पड़ी है.. अपना लौड़ा डाल कर.. इसकी फांकों में अपने लौड़े का सुपारा फंसाकर.. अपनी गरमी मेरी चूत में डाल दो।
पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी।


मैं वासना के नशे में जलते हुए बुर को मसकते हुए दरवाजे की तरफ घूमकर बुर को रगड़ने लगी। ऐसा करने से मेरी चिकनी बुर पूरी तरह जेठ के सामने थी।
मैंने कनखियों से देखा.. तो जेठ जी की लण्ड हिलाने की स्पीड बढ़ गई थी और वह बस ‘सटासट’ सोटते हुए लण्ड पर मुठ्ठ मार रहे थे। मैं गरम और चुदासी चूत लेकर मुठ्ठ मारते देखने के सिवा कर भी क्या सकती थी।[Image: 45879174_046_6d4f.jpg]

मैंने अपनी ब्रा के हुक को खोल कर अपनी चूचियों को आजाद कर दिया। एक हाथ से मैं अपने कलमी आमों पर लोशन की मालिश करते हुए दबाकर वासना को कम करना चाहती थी। साथ ही दूसरे हाथ से अपनी चूत को मसल रही थी और बाहर मेरे जेठ जी मेरे जिस्म.. चूत और गान्ड को देखते हुए अपने लण्ड को कुचलते हुए अपना लावा निकालना चाहते थे।
वह वासना के नशे में चूर होकर बस अपना वीर्य निकाल कर शान्त होना चाहते थे।

मैं उनकी मदद करते हुए चूत को चौड़ा करते हुए बुर की गुलाबियत को पूरी तरह दिखाते हुए मालिश कर रही थी। मैं यह भी दिखाना चाहती थी कि आपके भाई की चुदाई से मेरी गरमी शान्त नहीं होती.. मुझे लण्ड की जरूरत है।

और तभी मेरी निगाह दरवाजे पर पड़ी.. जेठ जी का लण्ड वीर्य उगलने लगा था। जेठ जी सिसिया रहे थे- आहह.. सी.. नेहा.. आह.. चुद जा मेरे लौड़े से.. आह.. सीई.. आह.. नेहा..
वे झड़ रहे थे.. जबकि उनकी आवाज मुझे सुनाई दे रही थी।
वे सब भूल कर बस अपना पूरा वीर्य दरवाजे पर गिराकर चले गए।
शायद यह सब वह उत्तेजना में बोल गए थे।[Image: Indian-Married-Woman-Sex-with-Brother-in...s-_009.jpg]

मैं भी आखरी बार अपनी चूत को मसक कर पैन्टी-ब्रा और कपड़े पहन कर सारी घटना को बैठ कर याद कर रही थी।
तभी मुझे बाहर जेठ के पुकारने की आवाज आई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
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मैं कपड़े ठीक करके बाहर गई, जेठ जी अपने कमरे में थे, उनके कमरे का दरवाजा खुला था।
मैंने अन्दर जाकर पूछा- कोई काम है क्या?
भाई साहब बोले- नेहा, मुझे एक कप चाय बना दो..

मैंने एक बात पर ध्यान दिया कि कुछ देर पहले जो भाई साहब मुझे देख कर कर रहे थे। ऐसा जेठ जी से बात करते कुछ जाहिर नहीं हो रहा था।
मैं बोली- जी भाई जी..

और मैं जैसे ही कमरे के बाहर निकलने के लिए घूमी… जेठ जी की फिर आवाज आई- सुनो.. एक कप नहीं.. दो कप बनाना।
मैं बोली- भाई जी.. कोई और आने वाला है क्या?
बोले- नहीं.. क्यों?[Image: Indian-Married-Woman-Sex-with-Brother-in...s-_001.jpg]
‘आप दो कप के लिए बोले.. तो मैंने सोचा कि कोई आने वाला होगा।’

जेठ जी बोले- तुम मेरे साथ चाय नहीं पी सकती क्या.. जब से आपकी जेठानी का देहान्त हुआ.. मैं अकेले ही पीता और खाता आ रहा हूँ.. अगर तुमको बुरा ना लगे.. तो मेरे साथ बैठ कर कुछ देर चाय के लिए ही साथ दे दो..
‘नहीं भाई साहब.. आप ऐसा क्यों बोल रहे हैं।’

मैं फिर चाय बनाने चली गई और दो कप चाय लेकर जेठ जी के कमरे में गई, एक कप उनको देकर मैं एक कप लेकर सोफे पर बैठ गई।
तभी जेठ अपने चाय का कप लेकर मेरी बगल में बैठ गए।
आज पहली बार जेठ के व्यवहार में बदलाव देख रही थी, जब से वह मेरे यहाँ रह रहे थे.. कभी ठीक से बात भी नहीं करते थे.. पर आज अकस्मात मेरे बगल में बैठ गए।

‘क्या हुआ नेहा.. बुरा तो नहीं लग रहा है?’
‘किस बात का बुरा भाईसाहब?’
‘यही.. जो मैं बिना पूछे आपकी बगल में बैठ गया।’
मैं शरमाते हुए बोली- नहीं..

और जेठ जी चाय पीते हुए धीरे से अपना एक हाथ मेरे पीछे कर मेरी कमर और चूतड़ों के पास रख कर हल्के से मेरी कमर को दबा कर हाथ वहीं रखकर रूक-रूक कर सहला देते।
जेठ जी के ऐसा करने से मैं पानी-पानी हो रही थी.. पर मैं जानबूझ कर अंजान बनी रही।

तभी जेठ ने पूछा- तुम्हारा और आकाश का आगरा का टूर कैसा रहा?
मैं बोली- बहुत बढ़िया रहा.. भाई साहब..
‘बहुत समय लगा दिया तुम लोगों ने..’
‘जी भाईसाहब.. कुछ काम भी था उनका..’

‘एक बात कहूँ.. बुरा न मानना..’
‘बोलिए..’
‘तुम्हारे जैसी बीवी पाकर आकाश का मन तो आने का कर ही नहीं रहा होगा..’

ऐसा कहते वक्त जेठ जी ने अपना पैर मेरे पैर से सटा दिया।
एक तो कुछ देर पहले ही जो कुछ जेठ ने किया था.. उससे तो मेरी चूत गर्म थी ही.. उस पर से जेठ की हरकतें मेरे रोम-रोम में सेक्स का रोमांच पैदा कर रही थीं। मुझे लगा कि अगर मैं हटी नहीं.. तो मैं खुद जेठ जी की गोद में जा बैठूंगी।

चाय खत्म हो चुकी थी और मैं कप लेकर उठने लगी.. तभी जेठ जी ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे उठने से रोक लिया।
‘क्या हुआ.. क्यों जा रही हो.. क्या मुझ अकेले को अकेला छोड़ कर जा रही हो.. कुछ देर और बैठो ना..’
और मुझे जबरिया अपने पास बैठा लिया।
मैं भी विरोध न करते हुए बैठ गई।

‘नेहा अब मेरा कौन है.. वाईफ के बाद तुम ही तो हो..’
यह दो-अर्थी बात जेठ जी ने बोली थी।
इस बात से वे मेरी तरफ से अपनी नीयत साफ कर चुके थे.. पर मैं जानबूझ कर भी उनकी बात का मतलब नहीं समझना चाह रही थी।

मैं बोली- यह क्या कह रहे भाई साहब.. मैं भाभी जी की जगह कहाँ ले सकती हूँ? भाई साहब मैं समझ सकती हूँ कि आपका दु:ख.. आप अपनी दूसरी शादी कर लीजिए.. मैं आपको बना खिला तो सकती हूँ.. पर और काम तो आपकी वाईफ ही कर सकती है।
मैंने भी यह बात जानबूझ कर कह दी।

‘नहीं.. नेहा.. मैं अब शादी नहीं करूँगा.. वैसे भी तुम तो हो ही..’
‘मेरे होने ना होने क्या.. मैं तो आपका हर काम तो कर सकती हूँ.. पर ‘वो’ काम..’
मैंने जानबूझ कर बात अधूरी छोड़ दी।

‘कौन सा काम? जो तुम नहीं कर सकती… बोलो नेहा?’
‘आप खुद समझदार हैं.. समझ लीजिए..’
‘अगर वो काम भी तुम कर दो तो.. क्या फर्क पड़ेगा..’

यह कहते हुए जेठ जी ने मेरी जाँघों पर हाथ रख दिए और थोड़ा दबाकर बोले- तुम भी तो बड़ी खूबसूरत हो..
‘मेरी खूबसूरती तो आपके भाई के काम आएगी.. आपके नहीं..’
मैं कहते हुए एक झटके से उठ कर उनके कमरे से भाग गई और पीछे जेठ भी लपके।

मैं अपने कमरे तक पहुँच पाती.. उसके पहले मुझे जेठ ने दबोच लिया और एक हाथ मेरे चूतड़ों और एक हाथ से मेरी चूची को पकड़ने के बहाने दबाते हुए बोले- तुम क्यों नहीं कर सकती?[Image: Natural-Looking-Indian-Girls-Leaked-Nude...s-_002.jpg]

मैं खुद को छुड़ाने को जितना छटपटाती.. उतना ही वह मेरे जिस्म को दबोच रहे थे। वह मेरे जिस्म के लगभग सारे हिस्सों को स्पर्श करते हुए बोले- नेहा.. सच बताओ.. हर काम तुम कर रही हो तो ‘वह’ क्यों नहीं?
मैं बोली- मैं आपकी बहू हूँ.. छोटे भाई की बीवी हूँ.. कोई जेठ अपनी बहू को छूता तक नहीं है और आप तो..
मैंने फिर बात को अधूरा छोड़ दिया।

‘बोलो नेहा.. मैं तो.. क्या?’
‘मैं नहीं जानती.. छोड़ो मुझे..’
‘नहीं.. पहले बोलो..’


आखिर में मैंने एक ही सांस में बोल दिया- आपकी नीयत अपने छोटे भाई की बीवी पर खराब हो गई है.. जो नहीं होना चाहिए!
‘नहीं नेहा.. ऐसी बात नहीं है.. मैं तुमको चाहता हूँ.. प्यार करता हूँ.. नहीं तो भला आज तक कभी भी मैंने तुमको कुछ बोला.. और कहा?’
मैं बोली- सभी मर्द ऐसे ही कहते हैं.. आज तक आपने मुझे कुछ दिया?
‘मैंने कई बार सोचा कि तुम्हें कुछ दूँ नेहा.. पर मैंने सोचा कि कहीं तुम गलत ना समझो।’

मैं अब भी उनकी बाँहों की पकड़ में थी। वे कहते हुए मेरे होंठों को अपने होंठों में भर के किस करने लगे।
मैं बोली- प्लीज.. ऐसा मत करो..
पर वह मेरी छाती और चूतड़ों को मसकते हुए किस करते रहे।
मेरी साँसें अकुला उठीं.. उनकी हरकतें मेरी चुदने की चाहत को भड़का रही थीं।

जेठ का हाथ और मेरी बुर की चुदाई.. जेठ के लण्ड से.. यह सब सोचते महसूस करते हुए मेरी बुर पानी-पानी हो रही थी।
फिर भी मैं सती सावित्री बनते हुए मैंने जेठ से अपनी चूत को बचाने की कोशिश का ड्रामा करे जा रही थी।
मेरी जाँघों में जेठ का लण्ड खड़ा होकर ठोकर मार रहा था और जेठ बिना मेरी इजाजत के मेरे जिस्म से खेल रहे थे।

तभी जेठ का हाथ मेरी बुर पर पहुँच गया और जेठ ने मेरी बुर को हाथ में भरकर भींच लिया और मेरे मुँह से एक मादक सिसकी निकल गई- आहसीईई.. भाई साहब.. यह क्या कर रहे हैं छोड़डड दीजिए.. आह..सीई.. मैं आपके भाई की पत्नी हूँ और मैं भी तो तुम्हारे पति का बडा भाई हूँ।
‘मेरी भी वासना है.. कितने दिन तेरी पैन्टी पर मुठ्ठ मार कर शान्त करूँ.. मेरी जान..’

और तभी दरवाजे की घन्टी बज उठी.. हम दोनों चौंक कर अलग हुए। इस टाइम कौन होगा? मैं जैसे ही जेठ के बाहुपाश से छूटी.. सीधे अपने कमरे की तरफ भागी और अन्दर जाकर मैंने दरवाजा बंद कर लिया।

जेठ जी मेन गेट खोलने चले गए.. मैंने अन्दर पहुँच कर कपड़े और चेहरे को ठीक किया.. फिर बाहर की आहट लेने लगी।
तभी मुझे पति की जेठ जी से बात करने की आवाज सुनाई दी। मैं सीधे जाकर बिस्तर पर लेट गई ताकि लगे कि मैं आराम कर रही थी.. ऐसा ना लगे कि मैं उनके बड़े भाई से बुर चुदाने की कोशिश कर रही थी।
मैं नहीं चाहती थी कि मेरे पति को मेरे और जेठ के बीच जो हुआ.. या होगा.. उसका पता चले।
तभी पति ने दरवाजे पर दस्तक दी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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(11-05-2020, 04:31 PM)neerathemall Wrote:
मैं अपने जेठ की पत्नी बन कर चुदी

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#5
Waiting for next update.... Plz update....
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update plz
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update bro..
hot to hot
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#8
For 18+chatting msg me on telegram hardjatt
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#9
Awesome update Karo
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#10
(11-05-2020, 04:31 PM)neerathemall Wrote:
मैं अपने जेठ की पत्नी बन कर चुदी


4,971 thanks
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#11
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मैं नहीं चाहती थी कि मेरे पति को मेरे और जेठ के बीच जो हुआ या होगा.. उसका पता चले। तभी पति ने दरवाजे पर दस्तक की। मैंने उठकर दरवाजा खोला.. सामने पति खड़े थे.. मैं मुस्कुरा कर बगल को हो गई और जैसे ही पति अन्दर आए.. मैंने दरवाजा बंद कर दिया और उनसे लिपट गई।
मेरी चूत तो पहले से ही जेठ जी के छूने और रगड़ने से गरम थी.. मुझे चुदाई की चाहत हो रही थी। मैं उन्हें किस करते हुए उनका लण्ड पैंट के ऊपर से दबाने लगी।
‘अरे मेरी जान.. बड़ी सेक्सी मूड में हो.. क्या बात है?’
मैं बोली- जानू.. मुझे बड़ी चुदास लग रही है.. एक बार मेरी बुर पर चढ़ाई कर दीजिए और कस कर मेरी बुर चोद दो.. जानू..
पति बोले- नेहा यह आगरा नहीं है.. यह घर है और भाई जी बाहर बैठे हैं। यह सब काम अभी नहीं हो सकता और अभी रात में तेरी चूत को दो बार चोदा है न.. और अभी दोपहर में ही तुम फिर चुदासी हो उठीं..
मैं उन्हें कैसे समझाती कि यह मेरी चूत की चुदास आपके भाई साहब की ही देन है.. पर मैं बात बना कर बोली- जानू.. जब से आगरा से आई हूँ.. मेरी चुदने की इच्छा बढ़ती जा रही है.. मैं क्या करूँ.. मेरी क्या गलती है.. तुम तो जानते हो.. वहाँ कितने लोगों के साथ एक ही दिन में मेरी बुर चुद जाती थी और अब तो केवल आप ही चोद रहे हो शायद एक से अधिक मर्द से चुदने कि आदत पड़ गई है.. आपकी चूत को.. इसी लिए इस टाईम मेरी चूत की चुदास बढ़ गई है।
‘मत घबराओ मेरी जान.. आज रात मैं जम कर चोदूँगा और देखो अभी भाई जी बाहर बैठे हैं.. मुझे जाना भी है.. बस तुम जल्दी से लन्च करा दो और वादा करता हूँ कि रात में तुम्हारी चूत की सारी गरमी अपने लण्ड से चोदकर निकाल दूँगा।’
यह कहते हुए पति मुझे अलग करके कपड़े निकाल कर फ्रेश होने बाथरूम में चले गए।
मैंने रसोई में जाने के लिए जैसे ही दरवाजा खोला.. सामने जेठ जी बैठे दिखाई दिए।
मेरा जेठ जी से सामना होते ही मुझे शरम आ गई और मैं निगाह नीचे किए हुए रसोई में चली गई, मैंने खाना गरम करके खाने की टेबल पर लगा दिया।
मैंने नोटिस किया कि जेठ की निगाहें अब भी मेरे जिस्म का मुयायना कर रही थीं।
तभी पति भी बाहर आ गए और एक साथ सब बैठ कर लन्च करने लगे।
मैं और पति एक तरफ थे और जेठ जी सामने बैठे थे और जेठ जी इस मौके का भी पूरा फायदा उठा रहे थे। वह टेबल के नीचे मेरे पैर से पैर सटाकर सहलाने लगे और मैं उनकी इस हरकत से डर रही थी कि कहीं पति को पता ना चल जाए.. इसलिए मैं बिलकुल शांत दिखना चाह रही थी..
पर जेठ की ढिठाई कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी, इतना सब हो जाने पर भी मैं जेठ जी से चुदना नहीं चाहती थी.. भले मेरी चूत में गैर का लण्ड लेने की इच्छा बढ़ रही थी.. परन्तु मैं अपनी ईज्जत घर में नीलाम नहीं करना चाहती थी.. बाहर अगर कोई चोदता है.. तो उससे कोई लेना-देना नहीं रहता.. बस चूत चुदाओ और वह अपने रास्ते.. मैं अपने.. पर यहाँ तो जेठ की नीयत मेरे पर ठीक नहीं थी।
पता नहीं कब से.. पर उनकी हिम्मत कभी नहीं हुई लेकिन इस सबका कारण मैं थी.. मैंने क्यों उनको अपने जिस्म को देखने दिया.. क्यों मैंने अपना बदन नहीं ढका.. और फिर मैं भी तो वासना के नशे में चूर हो कर उनकी हरकतों का कोई विरोध नहीं कर पाई।
जेठ जी तो वाईफ के न रहने के बाद से अब तक बेचारे चूत के लिए तरस रहे थे, पता नहीं कितनी बार मुझे चुदते देख कर या मेरी कल्पना करके मेरे नाम की मुठ मार चुके होगें.. पर कभी मेरे साथ छेड़खानी नहीं की थी।
इसमें जेठ जी का दोष नहीं है.. उनको भी एक जनाना जिस्म और चूत की जरूरत है.. पर मैं अपनी चूत कैसे दे सकती हूँ। यह काम मैं नहीं कर सकती.. मेरी कल्पना को शायद पति ने ताड़ लिया था।
पति बोले- क्या हुआ.. किस सोच में डूबी हो.. हम लोग खाना खा चुके हैं.. और तुम अभी वैसे ही बैठी हो।
मैं हकलाते हुए बोली- ककक..कुछ.. नननन..हहीं.. बस ऐसे ही..
और मैं खाना खत्म करके बर्तन लेकर रसोई में चली गई, फिर साफ-सफाई करके मैं बेडरूम में आकर लेट गई, पति पहले से ही बिस्तर पर लेटे थे, मैं उनके बगल में लेट गई।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
कुछ देर बाद पति ने कहा- ज्यादा मन हो रहा है चुदने का?
मैं जानबूझ कर बोली- कुछ खास नहीं..
वह बोले- लेकिन तुम खाने के दौरान गहरी चिंता में थीं.. बताओ क्या बात है?
मैं बोली- कुछ नहीं..
तब पति बोले- मुझे पता है..
पति के इतना कहते ही मैं कांप गई.. क्या पता है.. कहीं मेरे और जेठ के बीच की बात तो नहीं?
मैं- क्या पता है आपको?
‘यही कि तुम्हारी इतनी चुदाई हो चुकी है कि तुम्हारी चुदने की इच्छा बढ़ गई है।’
मैंने सिर्फ ‘हाँ’ मैं सर हिला दिया और पति मुझे सहलाते हुए मेरे लहंगे को ऊपर उठाकर मेरी चूत सहलाते हुए मेरी पैन्टी को नीचे करके मेरी चूत पर मुँह लगा कर मेरी बुर चूसने लगे।
मेरी तपती चूत पर पति का मुँह पड़ते मेरी ‘आह.. उफ.. सीसी ईई..’ निकलने लगी।
कुछ देर तक मेरी चूत को पीने के बाद बोले- नेहा.. तुम्हारी चूत तो चुदने के लिए उतावली हो रही है।
पति ने मेरी पैन्टी पैर से बाहर निकाल दी और बोले- जान… अभी मैं तुम्हारी चूत में लण्ड घुसाकर कुछ राहत दे देता हूँ.. पर पूरी चुदाई रात में करूँगा।
पति ने मेरी बुर पर अपना सुपारा रख कर एक जोर का शॉट मारा और लण्ड पूरा चूत के अन्दर एक ही शॉट में घुसता चला गया।
पति अपना पूरा लण्ड मेरी बुर में डाल करके शॉट पर शॉट देने लगाने लगे।
मैं ‘आहहह आहहहह.. सिईईईई.. आहहह..’ करने लगी।[Image: Indian-Married-Woman-Sex-with-Brother-in...s-_023.jpg]
अभी आठ-दस शॉट दिए.. तभी पति का फोन बज उठा और पति ने लण्ड बुर से बाहर खींचकर फोन उठा कर ‘हैलो’ कहा और फोन रख कर बोले- नेहा मुझे जाना है.. तुम आराम करो.. कुछ राहत तो मिल ही गई होगी।
मैं बोली- आपका लण्ड जाने के बाद मेरी बेचैनी और चूत की प्यास और बढ़ गई है.. मेरी चुदाई पूरी करो.. ऐसे प्यासी पत्नी को छोड़ कर नहीं जाया जाता। मेरी चूत चुदने के लिए फड़फड़ा रही है। ऐसे में किसी ने मेरी वासना का नाजायज फायदा उठा लिया तो..
मेरी बात को पति ने मजाक में ले लिया और बोले- तब तो मेरी प्यासी रानी की चूत की प्यास बुझ जाएगी और रात मुझे तुम्हारी चूत मारने की मेहनत कम करनी पड़ेगी मेरी जान..
पति हँसते हुए चले गए और मेरी चूत चुदने के लिए चुलबुलाती रह गई।
पति के जाने के बाद मैं वैसे ही बिस्तर पर पड़ी रही, कुछ देर बाद मुझे नींद आ गई और मैं सो गई।
जब मेरी नींद खुली तो मुझे ध्यान आया कि मैं वैसे ही सो गई हूँ.. जिस हालत में पति चूत में लण्ड घुसाकर गए थे.. बिलकुल खुली चूत..
मैं अपनी प्यारी चूत को अपने हाथों से मसकते हुए ‘आहसीईई..’ कह कर उठी और बाथरूम चली गई। मैं फ्रेश होकर आई तो मैं अपनी पैन्टी खोजने लगी.. लेकिन मेरी पैन्टी कहीं दिख ही नहीं रही थी।
आखिर मेरी पैन्टी गई कहाँ.. यहीं तो पति ने निकाल कर फेंकी थी।
काफी खोजने पर भी नहीं मिली.. तो मैं फिर यूँ ही चाय बनाने चली गई। यह सोच कर कि शायद पति मुझे सताने के लिए साथ ले गए हों..


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(11-05-2020, 04:31 PM)neerathemall Wrote:
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[Image: 88259712_062_6b3d.jpg]
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मैं अपनी प्यारी चूत को अपने हाथों से मसकते हुए ‘आहसीईई..’ कह कर उठी और बाथरूम चली गई। मैं फ्रेश होकर आई तो मैं अपनी पैन्टी खोजने लगी.. लेकिन मेरी पैन्टी कहीं दिख ही नहीं रही थी।
   आखिर मेरी पैन्टी गई कहाँ.. यहीं तो पति ने निकाल कर फेंकी थी।
   काफी खोजने पर भी नहीं मिली.. तो मैं फिर यूँ ही चाय बनाने चली गई। यह सोच कर कि शायद पति मुझे सताने के लिए साथ ले गए हों..

मैं जेठ जी के और अपने लिए चाय बना कर जेठ जी को देने उनके कमरे में गई। मैंने जैसे ही दरवाजा खोला तो देखा कि जेठ जी कमरे में सोए हुए थे, उनको सोया हुआ देख कर मैंने कमरे में चारों तरफ नजर दौड़ाई पर मेरी पेंटी यहाँ भी नहीं दिखी।
मैंने टेबल पर ट्रे रख कर जेठ जी को आवाज दी।[Image: Boy-Leaked-Cousin-Sister-Desi-Nude-Photos-_017.jpg]

[Image: Boy-Leaked-Cousin-Sister-Desi-Nude-Photos-_021.jpg]

मेरी आवाज सुनकर जेठ जी चौंकते हुए उठ बैठे।
मैंने कहा- आप बहुत सो रहे हैं।
‘नहीं यार, बस थोड़ी नीद आ गई और सो तो तुम भी रही थी!’
‘आप फ्रेश होकर आइए और चाय पी लीजिए, नहीं तो चाय ठंडी हो जाएगी।’

जेठ जी जैसे ही बाथरूम गए, मैं पेंटी खोजने लगी, मुझे ज्यादा शक जेठ पर ही था, पर पेंटी कहीं दिखाई नहीं दे रही थी।
तभी मेरी निगाह बेड के नीचे गई… और यह क्या… मेरी पेंटी तो यहाँ है!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#17
और मैंने लपक कर जैसे ही पेंटी उठाई, मेरी उंगली में कुछ गीला सा लगा।[Image: ?u=https%3A%2F%2Ftse2.explicit.bing.net%...%3DApi&f=1]
यह क्या पूरी पेंटी जेठ जी के वीर्य से सनी हुई थी और एक मादक गंध उसमें से निकल रही थी।
मैंने ना चाहते हुए पेंटी को मुँह के पास ले जा कर जीभ से चाट ली और मेरा इतना करना कि मेरे जिस्म में एक रोमांच और जेठ जी के लण्ड से निकलते वीर्य की कल्पना घूमने लगी।[Image: ?u=https%3A%2F%2Ftse4.explicit.bing.net%...%3DApi&f=1]


[Image: ?u=https%3A%2F%2Ftse2.explicit.bing.net%...%3DApi&f=1]

तभी मुझे बाथरूम से जेठ के निकलने की आहट हुई और मैं घबराकर पेंटी वहीं फेंक कर साँसों को नियंत्रित करने लगी।
और जैसे जी जेठ जी बाहर आए, मैं जेठ जी को चाय देकर तुरन्त वहाँ से भाग आई।
अब मेरे दिमाग में वही सब नजारा चलने लगा, मेरी पेंटी जेठ के रूम में मिलना यह साबित कर रहा था कि जेठ जी मेरे रूम में आए थे और मेरी खुली चूत का दर्शन करके मेरी पेंटी को जानबूझ कर यहाँ से लेकर गए, और फिर वासना के नशे में लण्ड को मुठ मार कर वीर्य मेरी पेंटी में गिराकर लण्ड को राहत दिलाई।[Image: 12978359_092_122c.jpg]

मैं यही सोच रही थी कि तभी दरवाजे पर आहट हुई, मैंने देखा तो जेठ जी खड़े थे।
मुझे देख कर बोले- क्या सोच रही हो?
मैं हड़बड़ा कर बोली- कुछ नहीं, आप कब आए? और चाय पी ली?
‘मैंने तो चाय पी ली, पर तुमने शायद चाय नहीं पी क्योंकि तुम चाय को मेरे रूम में ही छोड़ कर चली आई। तुम किस ख्याल में खोई हो? क्या बात है?’

मैं कैसे कहती कि मेरी पेंटी आप के रूम में कैसे पहुँची और आपने मुझे पूरी नंगी देख लिया है,[Image: 37033154_016_6c6f.jpg] मैं बोली- जी, वो मैं भूल गई थी, मेरे सर में थोड़ा दर्द था तो मैं दवा लेने चली आई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#18
जेठ जी को ऐसा बोल कर उनके रूम में कप लेने गई और जेठ भी मेरे पीछे ही अपने रूम में आए।
और मैं जैसे ही कप लेकर घूमी, मेरे जेठ अपने हाथ में मेरी पेंटी घुमा रहे थे- नेहा, तुम्हारा यह सामान मेरे पास है, शायद इसी की तलाश में हो?
‘न न् न् ने नहीं प्प्प्प्प् पर… यह आप के पास कैसे आई?’ हकलाते हुए मैं बोली।[Image: Indian-Married-Woman-Sex-with-Brother-in...s-_010.jpg]


तभी जेठ जी मेरे पास आकर मेरी बांह पकड़ कर बोले- मेरी जान, तुम जब अपनी चूत खोल कर सोई हुई थी, तब मैं तुम्हारे कमरे में गया था और तुम्हें उस हाल में देखकर मेरा मन तुम्हारी चूत चोदने का किया पर मैं मन मारकर तुम्हारी चूत छोड़ कर तुम्हारी पेंटी
को ही लेकर अपना काम किया और मन की तसल्ली कर ली।[Image: Indian-Married-Woman-Sex-with-Brother-in...s-_013.jpg]

‘आप यह क्या कह रहे हैं? आपको शर्म नहीं आई? आप मेरे जेठ हैं!’
मैं कुछ और कह पाती तभी जेठ जी ने मेरी बाजू पकड़ कर मुझे खींच कर अपने सीने से लगा लिया और बोले- मुझे क्यूँ तड़पा रही हो नेहा प्लीज? मैं बहुत प्यार करता हूँ तुमसे!’ कहते हुए मेरी लबों को चूमने लगे।

मैं किसी तरह अलग हुई- यह आप मेरे साथ क्या कर रहे हैं? मैं आपके छोटे भाई की पत्नी हूँ!
मैं जान बूझ कर त्रिया चरित्र फैला रही थी, जबकि मेरा मन खुद चुदने का कर रहा था, मेरी चूत सुबह से पानी पानी हो रही थी और
जब से मैंने अपनी पेंटी जेठ जी के रूम में देखी थी, मेरी चूत की कुलबुलाहट बढ़ गई थी।
पर मैं इतने आसानी से जेठ जी के हाथ नहीं आना चाह रही थी, और मैं वहाँ से पलट कर भागने लगी पर आज शायद मेरी चूत जेठ के लण्ड से बच नहीं पाएगी।[Image: Indian-Married-Woman-Sex-with-Brother-in...s-_012.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#19
मुझे जेठ जी ने अपनी बाजुओं में दबोच लिया।
‘आहह्ह्ह… मुझे छोड़ो!’
पर आज जैसे कसम खा कर आए थे जेठ जी अपने भाई के पत्नी के बुर में लण्ड डालने की!
मैं छटपटाती रही पर मेरी एक नहीं चली और जेठ ने मुझे ले जा कर बेड पर पटक दिया, और मेरे ऊपर छा गए।

‘आहह्ह्ह छोड़ो ना… आप मुझे बरबाद ना करो!’
पर मेरी एक ना सुनी और सिर्फ इतना कहा- नेहा, मेरी पत्नी के गुजरने के बाद मैं चूत के लिए तरस रहा हूँ, मेरे ऊपर कृपा करो, मैं कोई जबरदस्ती नहीं करूँगा, पर आज तुम अपनी चूत मुझे देकर मेरे तड़पते लण्ड को कुछ राहत दो प्लीज!

उनका इतना कहना था कि मैं झूठा प्रतिरोध जो कर रही थी, बंद कर दिया लेकिन मैं शर्म के कारण जेठ का साथ नहीं दे पा रही थी, बस जिस्म को ढीला छोड़ दिया।
मेरे ऐसा करने से जेठ जी को लगा कि मैंने उनको अपनी चूत चोदने की अनुमति दे दी है।
वो बोले- मैं तुमको अच्छा नहीं लगता?
मैं बोली- ऐसी कोई बात नहीं है, आप मुझे अच्छे लगते हो लेकिन मैंने कभी आपके बारे में ऐसा कुछ सोचा नहीं है, और ऊपर से मैं आपके छोटे भाई की बीवी हूँ, हमारा आपका रिश्ता जेठ-बहू का है।[Image: Indian-Married-Woman-Sex-with-Brother-in...s-_011.jpg]

वो बोले- तुम मेरे छोटे की बीवी हो तो मुझे तुमसे प्यार करने का हक नहीं है?
ऐसा कहते हुए जेठ ने मुझे बाहों में भर कर मेरे होंठों का रसपान करने लगे और बोले- मैं तुमसे प्यार करता हूँ, इसलिए मुझे तुम्हारी चूत चोदने का पूरा हक है। इसमें कुछ बुरा नहीं है, बस जान, आज मुझे अपनी चूत दे दो।

यह सुन कर मैंने भी जेठ जी को अपने बाँहों में भीच लिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#20
मेरे ऐसा करते जेठ जी ने खुश होकर एक हाथ से मेरी चूत दबा दी।
‘आहह्ह्ह सिई… और मैंने जेठ जी की बाहों में कसमसाते हुए अपनी पकड़ ढीली छोड़ दी।







[Image: Indian-Married-Woman-Sex-with-Brother-in...s-_021.jpg]
[Image: Indian-Married-Woman-Sex-with-Brother-in...s-_012.jpg]




[Image: Indian-Married-Woman-Sex-with-Brother-in...s-_014.jpg]




[Image: Indian-Married-Woman-Sex-with-Brother-in...s-_008.jpg]





!

जेठ जी ने अपना चेहरा ऊपर करके मेरे होठों को चूम लिया और हमारी साँसें आपस में टकराने लगी, मेरे अंदर एक अजीब सा नशा होने लगा था, मैं अपनी आँखें बन्द करके अपने होंठ खोल कर जेठ से चुदने के लिए उतावली होकर अपने होठों का अमृतपान कराने लगी। नीचे मेरी बुर के होठ खुल बंद होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे, लग रहा था मानो कह रहे हो ‘जेठ जी, आओ और चूम लो मुझे!’



[Image: Indian-Married-Woman-Sex-with-Brother-in...s-_024.jpg]











तभी जेठ जी अपने कपड़े निकालकर नंगे हो गए और मेरे भी कपड़े निकालने लगे।
जैसे ही मेरे नीचे के भाग को नंगा किया, मेरी मस्त बिना पेंटी के चिकनी बुर देखकर जेठ जी मेरी चूत पर मुँह रख कर चाटने लगे और बोले- नेहा, क्या मस्त चूत है तेरी, सालों के बाद चूत के दर्शन हुए!
और मेरी बुर को खींच-खींच कर चूसने लगे।




और मैं जेठ का साथ और एहसास करके सिसकारने लगी, आहह्ह्ह सिईईई आहह्ह्ह करती रही और जेठ जी मेरे चूतड़ों को भींच कर मेरी चूत पी कर मेरी बुर की प्यास बढ़ाने लगे।[Image: 54613030_033_e221.jpg]

[Image: 54613030_012_7b37.jpg]


[Image: 93207893_069_9fd4.jpg]

[Image: 93207893_100_68bf.jpg]




[Image: 93207893_084_683e.jpg]
कुछ देर बाद जेठ जी मेरी बुर को चाटना छोड़कर ऊपर की तरफ मेरी नाभि पेट और छाती को चूमते हुए मेरे गले को चूमने लगे।
इधर नीचे उनका लण्ड मेरी बुर को छू रहा था और मैं सेक्स की खुमारी में अपनी चूत उठाकर लण्ड पर रगड़ते हुए बोलने लगी ‘आहह्ह्ह सिईईई… अब मत तड़पाओ… डाल दो मेरी बुर में अपना लण्ड और बना लो मुझे अपनी बीवी… आहह्ह्ह जान पेलो मुझे!
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