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रिचा और नेहा दो पक्की सहेलियाँ.. बचपन से एक साथ.. एक ही कॉलेज मे .. एक ही कॉलेज मे और अब साथ ही एक ही कंपनी मे जॉब करने वाली थी.. उनकी ज़ोइनिंग भी एक ही शहर मे.. दोनो काफ़ी खुश थी.. और जहाँ दोनो साथ हो कोई भी काम आसान नही होता उनके लिए. अपने घर से दूर दोनो आज पहली बार एक नये शहर मे आई थी.
रिचा के पापा मिस्टर जगमोहन चावला और नेहा के पापा मिस्टर विक्रम वर्मा बिज़्नेस पार्ट्नर थे. दोनो ने मिलकर बिसनेस शुरू किया और आज उनका कारोबार इतना बढ़ गया हैं कि कई राज्य के बड़े शख़्शियतो मे वो गिने जाते हैं. कभी बिज़्नेस तो कभी दोस्ती के सिलसिले मे दोनो की फॅमिली अक्सर साथ समय बिताती. और इसलिए नेहा और रिचा बचपन से काफ़ी अच्छी दोस्त बन गयी.
नेहा की माँ बचपन मे ही गुजर गयी थी, और विक्रम भी अक्सर बिज़्नेस मे बिज़ी हुआ करते थे इसलिए वो थोड़ी सी नकचड़ी और मुहफट सी हो गयी थी. पर फिर भी रिचा और उसकी दोस्ती मे कभी ज़रा सी भी दरार नही आई.
रिचा की मम्मी श्रिलता भी बिज़्नेस मे उनके पापा की हेल्प करती और उनके बिज़्नेस की मीडीया रेप्रेज़ेंटेटिव थी. जहाँ कहीं भी उनकी बिज़्नेस इन्वेस्टर्स की मीटिंग होती वो ही उनकी कंपनी को रेप्रेज़ेंट करती. उन्ही की एक फ्रेंड थी शहर मे चरुलाता सेन. उनके हज़्बेंड मिस्टर सूर्यकांत सेन शहर के एक जाने माने बिल्डर थे. इसलिए बिज़्नेस से रिलेटेड कॉंट्रॅक्ट्स की वजह से जगमोहन जी की भी उनसे अच्छी ख़ासी पटती थी. साथ ही इनके बिज़्नेस मे उन्होने भी इनवेस्ट कर रखा था. वैसे तो उनका अपना आलीशान घर था फिर भी शहर के बड़े बिल्डर होने के नाते उन्होने 2 3 फ्लॅट और खड़े कर लिए थे.
इसलिए रिचा और नेहा को ज़्यादा तकलीफ़ नही हुई और उन्हे एक बड़ा सा फुल्ली फर्निश्ड 2 BHK फ्लॅट मिल गया. ये सूर्यकांत ने अपने बेटे के लिए बनवाया था पर वो यहा रहता नही था.
दोनो सहेलियाँ जानती थी उनके पेरेंट्स बिज़ी होंगे और दोनो थोड़ी अब खुद से इनडिपेंडेंट सी भी हो गयी थी. तो दोनो ने खुद ही सारा इन्तेzआम किया और चली आई थी. दोनो अपने पेरेंट्स को जाड़ा परेशान नही करना चाहती थी.
एरपोर्ट से सूर्यकांत जी ने उन्हे पिक आप कर लिया और फिर अपने घर ले गये. वाहा से खाना वग़ैरा करके फिर उन दोनो को लेकर अपने फ्लॅट के लिए चल पड़े.
दोनो नये शहर मे आकर काफ़ी खुश थी.. एक नया सफ़र.. एक नयी शुरुआत. उनका फ्लॅट कंपनी के कॅंपस से ज़्यादा दूर नही था. पर मेन रोड से थोड़ा अंदर जाना होता था. कुछ ज़्यादा भीड़ भाड़ नही थी उस एरिया मे पर सड़के काफ़ी अच्छी थी. स्ट्रीट लाइट्स वग़ैरा भी थी. तो दोनो को सही लगा.
इनका फ्लॅट जिस बिल्डिंग मे था वो एक 4 मंज़िला बिल्डिंग थी. बिल्डिंग के आस पास कोई चहल पहल नही थी और बिल्डिंग की खिड़किया भी सारी बंद थी. ये देख नेहा ने रिचा से धीमे से मुस्कुराते हुए पूछा - अंकल ने पूरी बिल्डिंग तो हमे नही दे दी है.. लग नही रहा कोई और भी यहा रहता है. रिचा ने भी हामी भारी - हाँ ऐसा ही लग रहा. पर लगता नही इतने मेहरबान होंगे!
गेट से अंदर जाते ही उन्होने देखा दो हॅचबॅक पार्क्ड हैं.
'अंकल यहा और भी फॅमिलीस रहती है' - रिचा ने पूछा.
सूर्यकांत ने कहा - और क्या.. तुमलोग क्या भूत बांग्ला चाहती हो अपने लिए! - कह कर हंसने लगे.
'यहा पर 3 और फॅमिली हैं.. एक तीसरे माले पे और दो 4थे माले पे. 2न्ड फ्लोर मे तुम्हारा है. 1स्ट फ्लोर हमने अभी ऐसे ही खाली रखा हुआ है'. - कहते हुए उन्होने लिफ्ट का बटन दबाया.
'अच्छा'
'यहा सेक्यूरिटी नही है'
'ज़रूरत ही नही पड़ती. इस एरिया मे बगल मे ही पोलीस स्टेशन है. और कंपनी कॅंपस की वजह से रात भर उनकी गश्ती होती रहती है' - कहते हुए उन्होने लिफ्ट का दरवाजा खोला.
लिफ्ट से निकल कर दाहिने मे ही एक दरवाजा था जो उनका था. और बाएँ थोड़ा आगे करीब 14 15 फीट के बाद दूसरा दरवाजा था जिसपर ताला लगा था.
बिल्डिंग काफ़ी साफ़ सुथरी थी. ये देख नेहा ने पूछा - 'अंकल साफ़ सफाई करने वाले आते हैं'.
'हां, हमने एक बाई रखी हुई है. सुबह मे एक बार आती है और शाम मे एक बार. और हमने तुम्हारे लिए भी कह दिया है अंदर भी साफ़ करके जाएगी जब भी आए. तो तुम समय बता देना सुबह करना चाहती हो या शाम मे या दोनों टाइम'.
'ठीक है अंकल'.
'तो आज से ये है तुम्हारा घर. ये हॉल है, ये किचन... ये कामन बात रूम, ये एक बेडरूम है .. इससे सटा बाल्कनी का दरवाजा. ये एक बेडरूम है इसमे अटॅच्ड बातरूम. अभी पंखे फिट हैं इन सभी रूम मे. एसी चाहो तो लगवा दूँगा. पानी की कोई दिक्कत हो तो लिफ्ट के लेफ्ट साइड मे स्विच है ओं कर देना. और कुछ ज़रूरत हो तो बताओ..'
दोनो ने देखा.. बिल्कुल नया था और काफ़ी बड़ा था 2 BHK के हिसाब से.. बेडरूम बड़े बड़े.. किचन भी बड़ा और बाथ रूम भी बड़े. अटॅच बाथरूम मे टब भी लगा था. सोफा फ्रिड्ज वॉशिंग मशीन, टीवी...
'अंकल टीवी का केबल कनेक्सन?'
'हां ये लगा हुआ है.. टाटा स्काइ सारे डीटेल्स मैने लिख के इस कागज मे रख दिया है..' - कहते हुए उन्होने टीवी के पीछे से एक कागज का टुकड़ा निकाला.. तुम बस महीने का रीचार्ज करते रहना . और एलेक्ट्रिसिटी बिल का कन्ज़्यूमर नंबर भी लिख दिया है मैने.. ऑनलाइन पे कर देना.'
'ओ.के. अंकल'
'और कुछ..'
रिचा - 'एम्म.. नही अंकल हो गया'.
सूर्यकांत - 'तो कैसा लगा घर.. भूतबंगले से बेटर है?'
रिचा - 'हा हा हा हा! हाँ अंकल बहुत बढ़िया है'.
सूर्यकांत - 'ठीक है चलो फिर आराम कर.. सब सेट कर लो मैं अब चलता हूँ.. वैसे मैं महीने महीने आ जाया करूँगा रेंट लेने के लिए. पर फिर भी कुछ ज़रूरत हो तो बेझिझक बताना'. - कहते हुए निकलने लगा.
'रुकिये अंकल हम आते है'.
'अरे नही नही मैं कौन सा नया हूँ यहा .. तुम दोनो आराम करो मैं चलता हूँ'.
'ठीक है अंकल'.
'अरे अरे एक बात मैं भूल गया.. उस कागज मे एक नंबर लिखा है राजू का.. यहा का पानी सही नही है.. उसे कॉल करना वो पानी के ड्रिंकिंग वॉटर कंटेनर देता है यहा से बस 100म्ट्स पर उसका दुकान है सो देख लेना'.
'ओके अंकल'.
'ठीक है चलो बाए बच्चो'.
'बाइ अंकल'.
नेहा - 'उफ़ यार सही है! तेरी तो निकल पड़ी!'
रिचा - 'ह्म्म ! क्या निकल पड़ी? क्या मतलब!'
नेहा - 'चल बन मत.. सेक्यूरिटी नही.. लोग भी नज़र नही आते घुसते निकलते.. और उपर से इतना मस्त सा फ्लॅट... जानती हूँ बड़ा रूम तू ही ले लेगी'
रिचा - 'ःम्म अपनी तो ऐश है! तुझे जब मान करे आ जइयो! साथ मे ऐश करेंगे'
नेहा ने कागज दिखाते हुए शरारत भरे अंदाज मे पूछा- 'अच्छा!!! अंकल ने ड्रिंकिंग वॉटर कंटेनर वाले का नंबर तो दिया है.. लेकिन ड्रिंक कंटेनर वाले का नही दिया है!'
'हा हा हा चुप कर हरामी!' कहते हुए दोनो हँसने लगी.
'चल अब फटाफट सेट करते हैं .. फिर आराम से बैठ के बाते करेंगे'
दोनो ने अपना अपना बॅग उठाया और अपने अपने कमरे ठीक करने चल पड़ी.
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दोनो ने थोड़ी देर मे समान सेट कर लिया.
नेहा रिचा के कमरे मे आई और बेड पर बैठ गयी.
'उफ़ यार गर्मी बहुत है यहाँ! चल कपड़े वप्डे चेंज कर लेते हैं और थोड़ा बाहर टहल कर आते हैं'
'ःम्म यार.. गर्मी ने हालत खराब कर दिया है..इतनी थकान है की लग्रहा यहा स्विम्मिंग पूल होता तो बस डुबकी लगा लेती!'
'अरे तेरे बाथरूम मे तो बाथ टब है ना..'
'हां!!! काम हो गया! चल पानी भर के बैठ ते हैं उसमे' - कहकर दोनो बातरूम घुसे और टब के पास खड़े हो गये. रिचा ने पानी ओं कर दिया टब भरने के लिए.
'रुक कपड़े तो बदलने दे..'
'कपड़े.. कपड़े बदल के क्यू.. कपड़े बाद मे' - कहकर रिचा ने टब मे धकेल दिया नेहा को
गिरती गिरती बची भरे हुए टब मे नेहा पर छप्पाक से अंदर बैठ गयी और पुर कपड़े भीग गये.
'उफ़ यार तू ना..'
और रिचा भी बगल मे वैसे ही आ कर बैठ गयी पानी मे घुसकर...
'कितना अच्छा लग रहा है ना ठंडा ठंडा पानी'
'ह्म.. पर यार ऐसे बैठ नही सकते जीन्स टाइट हो रही'
'कोई बात नही..उतार दो इसे कहते हुए जीन्स उतारने लगी'
'अरे ये क्या..'
'क्या क्या.. कौन देख रहा यहा.. स्विम्मिंग के समय तो सारे लड़के घूर घूर के देखते .. यहा तो कोई है नही'
'हां पर वो तो बिकिनी होती है ना ऐसे बंकस चड्डी और ब्रा मे थोड़े ना' - हसकर कहते हुए वो भी अपनी जीन्स और टॉपउतारने लगी
'हा हा! हां पर तुझे मुझे क्या देखना है जो लड़के थोड़े ना, और लड़के तो कहीं पे भी किसी के भी सामने शर्ट चेंज करते हैं .. क्या होता है.. हम अकले मे नही कर सकते क्या'
'हन सही कहा तूने. इधर होता नही ऐसा ना.. और कभी किसी के सामने ज़रूरत भी नही पड़ी और लड़के होते तो हम क्या इतना सोचते'
दोनो अब ब्रा और पेंटी मे पानी मे बैठ गयी..
'यार कितना अच्छा लग रहा है ना..'
'हां सच मे.. बट आइ मिस माइ मोम यार!' - नेहा ने अपसेट होते हुए कहा.
'अरे अरे! कोई बात नही! मैं हूँ ना!' - कहकर गले लगा लिया.. दोनो के बदन भीगे हुए थे और इस तरह से शायद पहली बार हग किया था दोनो ने एक दूसरे को..
'चल कोई बात नही! अब हम दोनो हैं. और चिल मार ...दोनो यहा ऐश करेंगे'
ह्म..
'क्या.!!!. अपसेट क्यू हो रही.. ये ले..' - कहकर पानी उछल दिया रिचा ने उसके चेहरे पर.
'तू ना..'
'क्या मैं ना..ये ले और' - कहते हुए और उच्छालने लगी.. 'क्या मैं ना.. ह्म.. क्या मैं ना..'
'ये ले फिर...' - दोनो छप्पाचप पानी मे खेलने लगी
फिर अचानक -
'आ..'
'क्या हुआ .. '
'अरे तेरे नखों से लग गया शायद ..'
'दिखा ..'
'बूब्स पे लगा है.. देखेगी..'
'हाँ मेरे से क्या शरमाना'
'मैं नही शर्मा रही .. पर ठीक है कौन सी बड़ी चोट लग गयी है जो!'
'हां तो फिर दिखा ना...'
'ये देख ..' कहकर रिचा ने अपना ब्रा का एक साइड उतार दिया और अपने बाए वाले बूब को बाहर कर दिया
'अरे ये तो स्किन छिल गयी..'
'हाँ तो क्या हो गया साली चल ना चिल मार.. हरामी खाली पीली मेरे कपड़े उतरवा रही'
'ही ही ही.. कोई बात नही अब उतार ही दी हो तो चलो यही सही' - कहके नेहा ने अपनी ब्रा और पेंटी दोनो ही उतार दी..
'ले अब मत बोल तुझे कपड़े उतरवा रही'
'हा हा हा.. सही है रुक..' - कहके उसने भी कपड़े उतार दिया
'तू तो एकदम सेक्सी आइटम लग रही यार.. बड़े बड़े बूब्स.. चिकनी गोरी..' - नेहा ने काहा
'क्या हो गया आज तुझे.'.
'क्या होगा.. तारीफ कर रही तेरी साली..'
'अच्छा ठीक है चल और कर.. मैं भी सुनना चाहती हूँ कैसी है मेरी कमसिन जवानी' - रुक मैं खड़ी हो जाती हूँ..
'उफ़ मेरी जान कहर ढा रही हो'
'चल चल नौटंकी.. बता कैसी लग रही .. सन्नी लीयोन के टक्कर की हूँ की नही' - कहकर दाए बाए मुड़कर बॅकसाइड दिखाने लगी
'ह्म्म यार तुम्हारा गोरा रंग ना सच मे अच्छे अच्चो को जलता है.. और तेरा पिछवाड़ा भी अब शेप मे आ गया है.. लट्टो हो जाएँगे देख कर.. साली मीया खलीफा के माफिक है तेरा पिछवाड़ा'
'पिछवाड़ा.. गान्ड बोल.. साली...और ये मीया खलीफा कौन है'
'हे हे हे.. तू दूर ही रह इन सब से'
'देखिए आंटी आपकी लौंडिया क्या क्या गुल खिला रही चुपके चुपके.. अपनी फ्रेंड को बिना बताए'
अब उनकी दोस्ती खुलती जा रही थी अकेले मे.. हुल्लड़ लड़किया जो जाने कितनी बाते समाज की वजह से दबाई रहती हैं.. लड़को के जैसे बेबाक रहने की ख्वाहिश रखने वाली आज खुल रही थोडा अकेले मे.
'तेरी कमरसे होकर गान्ड जो गोल सी हुई है ना बहुत आकर्षक लगती ही. बात बोलूं.. तू ना ब्रा मत पहेन साली.. बूब्स इतने बड़े हैं.. पक्का लड़के देख के ही गिर जाए'
'ना रे.. भारी हो जाते हैं.. बड़े बड़े होके झूल जाएँगे.. फिर पूछेगा नही मुझे कोई सब तुझे ताड़ेंगे.. साली तू है सन्नी लीयोन'
'हा हा हा! हाँ सही कहा.. पर मुझे नही ताड़ेंगे'
'अच्छा.. चल तू उठ अब तेरी बारी..'
अब नेहा खड़ी हो गयी और रिचा बैठ गयी..
नेहा का रंग गोरा तो था पर रिचा क जैसे नही.. तोड़ा सा गेहुआ.. बूब्स ज़्यादा बड़े तो नही पर तने हुए.. देखते ही लगता टाइट बूब्स होगी..
'उफ़ साली. तू ना छुपी रुस्तम है.. साली तू पक्का चुपके चुपके लगी रहती है.. हमसे ज़्यादा मेनटेन है यार तेरी फिगर.. साली सच मे तू है सन्नी लीयोन..मुझे कह रही थी हरामी'
'चुप कर..'
'हां साली .. चालू औरत..'
'औरत.. हा हा हा'
'हा हा हा... हाँ और क्या साली.. शादी हुई ना अभी.. साली तेरा पति महीने भर के अंदर ही तेरा पेट फूला देगा बता रही हूँ'
'चल बड़ी आई! महीने भर मे किसका फूलता है..'
'तो कौन सी तेरी शादी फिक्स होते ही अगले दिन हो जाएगी.. और शर्त लगती हूँ शादी फिक्स हुई और तेरा कांड हो जाएगा.. शादी तक रुक ही नही पाएगा तेरा होने वाला मरद'
'उफ़ चल बकवास मत कर.. तेरा मरद..चीप लगता है हीरो बोल हा!!'
'अच्छा चल सीरियस्ली सबसे कातिल तेरे बूब्स हैं.. एकदम पक्के टाइट टाइट सी फीलिंग देखते ही आती है.. और डार्क राउंड तो ग़ज़ब के है.. और तेरा थोड़ा नाभि के पास उभरा हुआ पेट और फिर नीचे आके बालो तक फ्लॅट .. ये सही है तेरा'
'पीछे मुड अब.. हाँ हाँ रुक गर्दन से नीचे सपाट पीठ वो भी ज़रा सा हड्डी का उभार नही.. ज़्यादा चर्बी जमी हुई सी बिल्कुल भी नही.. एकदम शेप मे.. बिल्कुल मस्क्युलर सी पीठ.. पता है लड़को को बहुत पसंद है..'
'और गान्ड भी यार तेरी शेप मे है .. हमारे देख दोनो जांघे नीचे सटी हुई हैं.. तेरी जो थोड़ी सी गॅप है ना.. बस वही देख रोक नही पाएगा..'
'चल ना तू तो बड़ी एक्सपर्ट हो गयी है..' - नेहा शर्मा कर बोली
'और क्या लड़को की संगति मे रहके टेस्ट तोड़ा तो पता चलता है..'
'क्या!! मतलब ऐसे भी बाते करती है तू उस ठरकी के साथ!!'
'चुप ठरकी मत बोल.. मेरा बाय्फ्रेंड है..'
'ठरकी है एक नंबर का बता दे रही हूँ.. और उसके साथ रहके तू भी ठरकी हो रही है बता रही हूँ...'
'हाँ और मेरे साथ रहके तू भी हो जा.. कहकर उसने उसके बूब्स दबा दिए'
'हाथ मत लगा मुझे छि'
'और नही तो..' - कहकर रिचा ने फिर से इस बार दोनो बूब्स दबा दिए.
'साली रुक' - कहकर नेहा ने रिचा को पीछे से पकड़ा और एक हाथ रिचा के दोनो जाँघो क बीच घुसा दिया!
'अरे अरे .. उफ़ गंदा है उधर' - गुदगुदी से चिहुक्ती हुई बोली..
'अभी अभी तो पानी से धूलकर निकला है.. नाटक आकरती है हरामी..'
'अरे अरे बस कर छोड.. गुदगुदी लग रही!'
'अच्छा बस कर चल.. अब बैठ थोड़ी देर शांति से' - कह कर नेहा ने छ्चोड़ा उसे और दोनो टब मे घुस कर बैठ गयी ठंडे पानी मे.
पहली बार दोनो ऐसे नंगे पुँगे बैठे थे.. आज पहली बार वो फील कर रहे थे बिना रोक टोक के अपनी मर्ज़ी के लड़को के जैसे आराम से जीने का मतलब कैसा होता है...
'यार मज़ा आ रहा.. कोई देखने वाला नही.. ह्म!' - कहकर रिचा ने वही आँखे बंद कर ली
उसे देख नेहा मुस्कुराइ और उसने भी आँखे बंद कर ली.
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शाम हो गयी थी..
'यार नेहा.. चल पानी वाले को पानी के लिए बोल आते हैं!'
'फोन नंबर तो है फोन कर दे ना'
'अरे इसी बहाने घूम भी आएँगे'
'हां चल' - फिर दोनो निकल पड़ी.
उनकी बिल्डिंग से करीब 100 मीटर की दूरी पर एक सड़क मुड़ती थी और उसी कोने मे राजू की एक छोटि सी दुकान थी. वैसे तो छोटा मोटा सब कुछ उस दुकान मे मिल जाता था पर पूरे मोहल्ले को पानी सप्लाइ राजू ही करता था.
दोनो जब दुकान पहुची वहाँ पर एक लड़का खड़ा था यही कोई 18 19 साल का.
'राजू तुम्हारा नाम है'
'नही मेरा नाम नंदू है. राजू मेरे भैया का नाम है. क्यू क्या हुआ? कुछ काम था?'
'हां हम इधर नये आए हैं! हमे पानी के कंटेनर चाहिए थे.'
'अच्छा कौन सी वाली बिल्डिंग मे?'
'वो 113/2 जो ब्लू वाली बिल्डिंग है ना..'
'हां हां समझ गया. 3र्ड 4थ फ्लोर मे भी हम ही देते हैं.'
'भैया आएँगे तो बता दूँगा. वैसे नाम क्या बताउ आपका.' - मौका मिलते ही लड़के ने चौका मार दिया था
नेहा तुनक कर बोली - 'पता ले लिया..नाम की बड़ी जल्दी पड़ी है तुझे.. कहना 2न्ड फ्लोर पर पानी का कंटेनर लेके आ जाए.'
'हद हो मेडम आप. सही जगह डेलिवरी देनी है इसके लिए तो जानना पड़ेगा ना..ठीक है मैं बोल दूँगा.'
'अरे यार तुम भी ना.. ऐसे क्या गुस्सा होना उस बेचारे पे.'
'बेचारा! उसकी नज़र किधर थी देखी थी तुमने.. चुपके चुपके देखे जा रहा था..तुम्हारे..'
'हा हा हा.. हां यार!! मुझे लगा था मैं बस ऐसे ही सोच रही.. पर मैने भी नोटीस किया .. चल कोई बात नही.. कितनो से बचाएगी मेरी इस कातिल जवानी को तू!'
'चुप कर साली! तेरे जैसो की वजह से ही ऐसे ऐरे गैरे लोग भी पीछे पड़ जाते हैं! वैसे तू इतनी बन ठन के क्यू निकली है?'
'बन ठन के! नही तो!'
ऐसे ही नोकझोक करते चल पड़ी दोनो आगे! रिचा ने एक मरून कलर का जारी वाला टॉप पहेन रखा था जो उसके गोरे बदन पे जच रहा था.. और उससे मॅचिंग डार्क मॅट लिपस्टिक. और खुले बालो के साथ गॉगल्स.. अब इसे आम भाषा मे बन ठन के ना कहे तो क्या कहे.
नेहा ने एक चूड़ीदार सलवार और कुरती पहेन रखी थी नीले रंग की, पर वो भी कम नही लग रही थी.. और नंदू उनकी खूबसूरती को पीछे से निहारे जा रहा था.
अचानक नंदू को पीछे से सर पर चपत पड़ी..
'क्या घूर रहा है बे! दुकान पे लड़कियो के पिछवाड़े ताड़ने के लिए पापा ने भेजा है तुझे'. नंदू सकपका गया.
सामने देखा तो 25 26 साल का हट्टा कट्टा जवान लड़का खड़ा था. ये और कोई नही राजू था.
'अरे भैया.. अब आपके सामने हुमको कोई पूछता ही नही..आपको पूछती हुई आई थी. नयी आई है वो शर्मा जी के नीचे वाले फ्लोर पर.'
'ये 113/2 पे?'
'हां. पानी का कंटेनर पहुचा देना.. 2न्ड फ्लोर पर.'
'हां तो जा पहुचा दे.. ताड़ रहा है यहा खड़े खड़े..'
'ना ना! अब तो आप ही जाओ .. देखे आप कौन से बड़े विश्वामित्रा हैं! हमसे ज़्यादा तो आप ताड़ते हो मोहल्ले की आइटम लोग को..ताड़ते क्या हो आप तो..'
'चुप कर साले! ज़्यादा बकवास ना कर! चल ख़ाता निकल.. मेहता जी का हिसाब लेके आया हूँ.'
इधर दोनो सहेलिया सड़क पर टहल रही थी.
'अच्छा हम जा कहाँ रहे हैं.. कहीं जा रहे या बस ऐवे ही टहल रहे.. तुझे देख के लग नही रहा टहल रहे.. कहीं जा रहे' - नेहा बोली
'अरे नही नही .. बस आस पास का एरिया देख रहे और क्या.. पार्क वॉर्क है क्या'
इतने मे रिचा ने रोड के दूसरी तरफ इशारा किया - 'वो देख पार्क'
दोनो ने रोड क्रॉस किया और पार्क के गेट पे खड़ी हो गयी..
'अब यहा क्यू खड़ी हुई.. अंदर चल' - नेहा ने कहा
रिचा मोबाइल देख रही थी.. 'अरे एक भी टवर नही आ रहा' - रिचा के दिमाग़ मे कुछ तो चल रहा था.. नेहा को भी ये अहसास हो गया था.
'टॉवेर का क्या करेगी'
इतने मे किसी ने पीछे से नेहा की आँखे बंद कर दी.. नेहा हड़बड़ा गयी..शायद कोई लड़का था.
'एहह छोड कौन है..' कहकर उसने कसकर कोहनी मार दी..
'आ' करता हुआ लड़का पीछे हुआ.. और ये देख रिचा सामने हस रही थी
'सुंदर तू? तू यहा क्या कर रहा है... साले इसका पीछा करते करते यहा भी आ गया? तेरी तो ज़ोइनिंग बॅंगलुर मे हो रही थी ना!' - एक एक कर दनादन सवाल दागती गयी नेहा गुस्से और अचंभे मे
'अरे अरे बस कर .. कितनी ज़ोर से मार दिया बेचारे को' - कहकर रिचा सुंदर का कंधा सहलाने लगी
सुंदर दर्द से पेट को दबाए था पर उसकी हसी नही रुक रही थी.. 'अरे यार साँस तो लेने दे.. इतनी ज़ोर से कोई मारता है क्या'
'और क्या मुझे हाथ लगाया ना हड्डी पसली तोड़ दूँगी..'
'अच्छा बाबा ठीक है डर गया! हा! देख तेरी दोस्त को.. इसकी तरह तू प्यार से बिहेव नही कर सकती' रिचा की ओर देख सुंदर ने कहा
नेहा - 'प्यार से.. मेरी जूती.. साले सारा प्यार निकल दूँगी तेरा .. जो करना है उसके साथ कर मुझे हाथ भी लगाया साले अगले जनम मे मिलेगा इससे तू'
'ओ भगवान अगले जनम भी नेहा से मिलाना मुझे'
'अरे चुप करो दोनो तुमलोग जब देखो लड़ते रहते हो.. दोस्तो के जैसे रहो ना.. दोस्त तो हैं हम' - रिचा बीच मे आ गयी दोनो के.
'दोस्त होगा तेरा .. मेरी तो जूती भी इससे दूर रहे..'
सुंदर ने कान पकड़ते हुए कहा - 'बस बस सॉरी! गुस्सा थूक दे बेकार मे रिचा को परेशन कर रहे!'
रिचा - 'ओके.. चल सॉरी बोल दिया इसने.. जबकि मारा तूने.. सॉरी बोल दे अब तू भी'
नेहा - 'चल सॉरी! और दूर रहियो मेरे से'
'ठीक है नानी अम्मा.'
सुंदर रिचा और नेहा के साथ एक ही कॉलेज मे पढ़ता था. सुंदर एक साउथ इंडियन फॅमिली से बिलॉंग करता था और उसकी फॅमिली बंगलोर मे थी. पर रिचा पर तो जैसे वो लट्टू था.. हुआ तो प्लेसमेंट बंगलोर ऑफीस के लिए था उसका होमटाउन होने की वजह से .. पर उसने HR से बात करके अपनी ज़ोइनिंग लोकेशन कोलकाता करा ली और यहा चला आया.
'सारी कहानी सुनते ही नेहा और बिफर पड़ी! अच्छा ये खेल है तेरा.. और तू मेरी कैसी दोस्त है.. तुझे पता था ये सब और तूने बताया भी नही' - रिचा की ओर गुस्से से देख नेहा ने कहा.
'हां तू फिर मुझ पर गुस्सा होती.. अब जब तुझे गुस्सा तब भी होना था आज भी होना ही है तो 2 दिन बाद ही हो.. यही सोच मैने नही बताया.' - कहकर हँसने लगी
'अच्छा चल भूख लगी है कुछ स्नॅक्स देखते हैं'
'हां मैने देख लिया है.. चल डोसा खिलता हूँ'
'हां तू कैसे नही देखेगा.. तू डोसा खा.. जहा देख सबसे पहले डोसा ही दिखता है तुझे.'
'रेसिस्ट साली!'
'गाली दिया तूने मुझे' - कहकर नेहा दौड़ी सुंदर के पीछे!
'अरे यार रूको ना तुमलोग.. जब देखो शुरू हो जाते हो! चलो सॅंडविच खाते हैं उधर' - रिचा ने एक दुकान की ओर इशारा किया.
सुंदर ने कहा - 'हा चलो! वैसे मैने मज़ाक मे कहा था.. कोई डोसा बनाने वाला है ही नही इधर.. अप्पा कैसे जिएगा मैं इधर!'
नेहा हँसने लगी!
सबने सॅंडविच खाया.. और फिर चल पड़े वापस.
नेहा - 'तुम किधर जा रहे!'
'मैं भी उधर ही रहता हूँ..'
'वाह बेटा.. दोनो तोता मैना ने मिलकर सब इंतेज़ां कर रखा हैं.. कबसे ये सब चल रहा था'
'जब से तुमलोगो को घर मिला.. मैने भी पता कर लिया इधर ही. अब तो नेहा डार्लिंग डोसा खाने आता रहूँगा.'
'अरे यार चलो ना शांति से.. और तुम चुप करो'
'सॉरी बेबी.. लव यू' - कहकर उसने रिचा को गले लगा लिया
'उफ़ बड़ा प्यार उमड़ रहा सड़क पर'
'कही तंदूरी रोस्ट हो रहा क्या' - सुंदर ने चुटकी ली
'उफ़ फिर से तुम दोनो.. चलो कुछ समान भी साथ लेते चले..'
सब चल पड़े घर की ओर. रास्ते मे राजू की दुकान पर उन्होने आटा दाल वग़ैरा ले लिया और उसे पानी के लिए बोलकर आ गयी.
और जाते हुए उनकी मटकती कमर और गान्ड को इस बार बस नंदू ही नही राजू की नज़रे भी घूर रही थी.
'ऐसी माल को तो हफ्ते भर भी पेलू तो भी मन ना भरे.. क्यू नंदू'
'अरे भैया.. हमारा भी कुछ जुगाड़ करा देना हफ्ते मे से दो तीन दिन.. अब हम भी बड़े हो गये हैं'
'हा हा बड़ा हो गया है.. देखूँगा कितना बड़ा हुआ है... चल अभी काम पर लग..'
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रात के 8:30 हो रहे थे. दोनो सहेलियों ने डिनर कर लिया और बर्तन धो रही थी.
'यार एक बात बता.. सुंदर मे ऐसा क्या है जो इतना अच्छा लगता है तुझे.. है तो एक नंबर का ठरकी वो, तुझे भी पता है'
'तू नही समझेगी.. बस समझो हीरे की पहचान बस ज़ोहरी को ही होती है.. और ठरकी है तो क्या हुआ.. जवानी का जोश है अभी ठरक नही होगी तो कब होगी'
'चल बड़ी आई.. मैं नही समझूंगी.. मैं आख़िर जानना चाहती हूँ... है तो इडली डोसा खाने वाला पक्का वेजिटेरियन.. तू ठहरी नोन वेज.. कोई सलमान ख़ान जैसा हॅंडसम भी है नही'
'अरे.. सलमान ख़ान के जैसा हॅंडसम हो तो ही चलेगा क्या.. कोहली जैसा नही हो सकता क्या.. टॉल है 5'10 डार्क है... बॉडी कोई बहुत जिम वाली नही पर फिट है.. और हमे हॅंडसम से क्या लेना'
'क्या मतलब हॅंडसम से क्या लेना' - बर्तन धोते धोते रुक गयी नेहाऔर उसे देखने लगी
'हां!' - रिचा ने बेफिक्री से जवाब दिया.
'हां!?' - अब नेहा के चेहरे पर प्रश्न था क्या वो सही समझ रही है
'हां और क्या!'
'हरामी साली! मैं ना बोलती थी .. उसके साथ साथ तू भी ठरकीहो गयी है'
'अब करना तो यही है उसके साथ अंत मे.. लौंडा हॅंडसम हो या ना हो.. तो बेहतर है देख कर चुनो'
'वैसे तूने उसका कब देख लिया जो इतनी फिदा है'
'अरे तेरी बहेन ने सब देख रखा है.. पहले देखो और फिर सही चुनो' - कहते हुए उसने व्हाट्सएप्प ओपन किया और मोबाइल नेहा के सामने कर दिया
नेहा का मुह खुला का खुला रह गया.. सुंदर ने अपने लंड की सेल्फी लेकर भेजी थी रिचा को.. पूरा तनक कर खड़ा... नही भी तो 7-8 इंच का..लग रहा सूपड़ा उसकी चमड़ी फाड़ कर निकल आया है .. मोटे ताने हुए लॅंड की कड़क उसके फूले नासो से और भी ज़्यादा लग रही थी..उसका अगला गुलाबी हिस्सा गीला सा चमक रहा था..
रिचा ने स्वाइप किया .. एक और तस्वीर...इसमे सुंदर ने फुल बॉडी सेल्फिे ली थी बाथरूम के आईने के सामने.. बदन पूरा फिट था उसका ..बाए हाथ से उसने लॅंड पकड़ कर पेट से सटा रखा था और एक टाँग कॉमोड पर रखे होने के कारण उसके अंडे भी झूलते सॉफ नज़र आ रहे थे
सुंदर की सावली त्वचा लाइट मे और चमकती हुई और भी ग़ज़ब अहसास दे रही थी
'वाह लड़की! तू तो बड़ी पहुचि हुई है'
'लड़की नही औरत बोल अब.. और ये है मेरा मरद.. बता कैसा है इसका हथियार'
'तू ना सच मे.. चल हटा इसे मेरी नज़रो के सामने से.. ' - नेहा के दिमाग़ मे अब सुंदर का लंड घूम रहा था
'अच्छा ये है.. तो तूने भी भेजा होगा अपना'
रिचा कुछ नही बोली बस आँखे मटका के चल दी.. 'अर्ररे!!!' - नेहा बस प्रश्न लिए दिमाग़ मे खड़ी रही.
बर्तन सारे धूल गये और दोनो अपने अपने कमरे मे जाने लगे की रिचा ने कहा..
'जो देखा उसे सोच कर बहक मत जाना कही रात मे'
नेहा - 'चुप कर.. आज तो तू बहेक रही है.. रात मे ज़्यादा मेहनत मत करियो'
'हा हा हा! हां मुझसे ज़्यादा तू संभाल खुद को.. ना संभले तो आ जाना मेरे पास और तस्वीरे दिखौँगी'
'चुप कर! बहुत देख चुकी हूँ मैं तस्वीरे.. जा अब' - दरवाजा बंद करते हुए नेहा बोली
'वीडियो भी है' - आवाज़ दे कर ऱीच ने कहा
'हां बस बस तू ही देख साली' - नेहा ने चिढ़कर आवाज़ दी
आज दोनो के कमसिन और हिलोरे मारती हुई जवानी मे एक चिंगारी पड़ चुकी थी बातों बातों मे.. जो अब ना जाने कैसे लपटो मे बदलेगी या यूँ ही बुझ जायगी ये तो समय ही बताएगा.
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बहुत शानदार कहानी है। मुझे अपने हॉस्टल की याद आ गई... जल्दी जल्दी अपडेट देते रहें।
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हौसला अफज़ाई के लिए बहुत शुक्रिया! कोशिश तो यही रहेगी की आपको ज़्यादा वक़्त लिए बिना अपडेट देता रहूं पर फिर भी देर हुई तो थोड़ा संयम बनाए रहिएगा.. साथ ही आपके सुझाव और प्रतिक्रिया अवश्य बयान करिएगा.. कहानी के कौन से हिस्से को पढ़ कर आप किस कल्पना मे डूब गये... ज़रूर बताए!
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कहानी में लेस्बियन सेक्स का तड़का लगे तो और मजा आ जायेगा
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दोस्तो ये जो समय होता है जब हम कॉलेज से निकल कर बाहर की दुनिया मे कदम रखते हैं बहुत ही अहम होता है.. एक ओर अपने अंदर कुछ हासिल करने की ललक उफान मार रही होती.. तो कहीं एक ओर खुद को ज़िम्मेदार और मेच्यूर समझने का का भाव सर चढ़ने लगता है ...और कहीं तो रिस्क लेने की और हर कुछ नया एक्सपीरियेन्स करने की चाहत ज़ोर पकड़ने लगती है.. या यू कहिए बस ये समय आपको उर्जा के उच्चत्तम स्तर पर ले जाता है.
दोनो सहेलियाँ भी उम्र के इस पडाव पर .. जीवन के इस नये सफ़र मे.. नये शहर मे ..एक नयी शुरुआत से बिल्कुल उत्साहित थी..
एक ओर जहाँ रिचा अपने घर से दूर.. अपने पेरेंट्स से दूर.. अपने BF के साथ वक़्त बिताने के ना जाने कितने सपने बुन रही थी.. वही दूसरी ओर नेहा को जैसे कल रात एक नया अनुभव हुआ और उसके अंदर हर बंधन तोड़ नये अनुभव लेने की ख्वाहिशे सर पैर मार रही थी. पर दोनो की ख्वाहिशों मे जो मूल था वो था उनकी जवानी का उफान..
'नेहा चल आज कही घूम कर आते हैं! वैसे भी यहा सब सेट ही है... हफ्ते भर पहले बेकार मे चले आए.. अब क्या करेंगे ज़ोइनिंग तक.. कहीं घूमते हैं'
'हां चल..'
'अच्छा.. सुंदर को भी बुलाऊं ना?'
'हां और क्या! अब जब तुम दोनो साथ ही आए हो तो साथ वक़्त बिताओ जितना हो सके'
'वाह! सही है! बड़ी जल्दी मान गयी! मतलब आज मुझे तुम दोनो के झगड़े मे पिसना नही पड़ेगा!'
'अच्छा रिचा सुन ना.. खाना बाहर ही खाएँगे?'
'हां आज बाहर ही खाते हैं.. वैसे भी देर तो हो ही जाएगी.. रुक मैं सुंदर को भी बोल ही देती हूँ'
नेहा - 'वैसे... डिन्नर पे मुझे आज ड्रिंक ट्राइ करने का मन कर रहा'
'हां यार मुझे भी लग रहा! अब ये सब ट्राइ करना चाहिए.. क्या बोलती है'
'हां... पर... चढ़ गयी तो'
'अरे धत्त ना.. हम कौन से बेवड़े है.. और एक दो सीप ही लेंगे... टेस्ट ही तो करना है पहले'
'हां फिर भी मान ले अच्छा लगा तो?'
'अरे कुछ नही होगा.. वैसे भी CAB मे आना है'
दोस्तो शराब पीना और शराब पीने का सोचना दोनो मे बहुत फ़र्क होता है.. सोचो तो लगेगा कुछ नही बस 1 सीप ही लेना है पर शायद ही आज तक कोई एक सीप लेकर रुका हो.. सोचो तो 3 4 पेग तो ऐसे ही गटक जाउन्गा और कुछ नही होगा पर कुछ ना हो ऐसा होता नही है
यही हाल हुआ दोनो का.. ना तो वो खुद को एक सीप मे रोक पाई और कुछ ना हो पहली बार पीने पर ये तो हो ही नही सकता.. सुंदर ने टॅक्सी की और दोनो के बिल्डिंग के बाजू मे तीनो उतर गये.
'चलो आ गये..'
सुंदर ने गेट खोला और तीनो अंदर चले आए.. 'उपर तक चली जाओगी ना'
'हां हां हमे कुछ नही हुआ है' - नेहा ने कहा
'ठीक है मैं फिर चलता हूँ'
'रूको..' - रिचा ने सुंदर का हाथ पकड़ लिया.. नेहा भी रुक कर देखने लगी..
रिचा ने सुंदर को अपनी ओर खिचा और उसकी गर्दन झुका कर उसके होठो से अपने होठ लगा लिए. सुंदर ने भी रिचा को बाहों मे कस लिया और रिचा के होठो को पूरी तरह मुह मे भर लिया.. दोनो की चिकनी ज़बान आपस मे लिपटने लगी.. सुन्दर ने ज़ोर लगा कर रिचा को खीचा और दीवार से सटा दिया. यू तो सुंदर इतनी देर लड़कियो के सामने दिखा रहा था की वो बिल्कुल ठीक है पर नशा उसके भी सर चढ़ चुका था.
पूरी मदहोशी मे दोनो किस किए जा रहे थे.. सुंदर ने दाहिने हाथ से पीठ के पीछे से रिचा के गर्दन को कसा और बाएँ से उसकी छाति पर मसलने लगा.. रिचा ने झट उसके हाथ को पकड़ लिया पर सुंदर ने ज़ोर लगा कर उसकी चुचियो को दबा ही दिया.
नेहा बगल मे खड़ी ये सब देखे जा रही थी..
तभी सुंदर ने किस तोड़ी और सीधा रिचा के गर्दन पर चूमा.. वो चिहुक उठी.. और उसी के साथ उसे होश आया..
'अरे अरे रूको सुंदर.. रुक जाओ' - रिचा की साँसे फूल रही थी
सुंदर रुक गया - 'उफ़ .. अरे यार.. ' - रिचा से दूर होकर नेहा को देख सर पर हाथ रखा उसने. उसकी भी साँसे ज़ोर हो गयी थी.
फिर एक ज़ोर की साँस लेकर उसने कहा - 'अच्छा मैं चलता हूँ'
रिचा - 'हां हां काफ़ी देर हो गयी है.. नेहा रुक मैं गेट लगा के आती हूँ'
'ह्म'
रिचा - 'सॉरी अभी बहुत टाइम है हमारे पास'
सुंदर - 'अरे कोई बात नही.. सॉरी मैं भी खुद को रोक नही पाया'
रिचा - 'पर थन्क यू.. अच्छा लगा' - शर्म से लाल हो गयी थी वो.. हालाँकि अंधेरे मे सुंदर को पता नही चला
सुंदर मुस्कुराया और चल पड़ा
गेट बंद कर रिचा नेहा के साथ लिफ्ट मे घुस गयी
'ये क्या था! मतलब ऐसे शुरू हो गये कही भी.. कोई देख लेता तो' - नेहा हँसने लगी शरत भारी निगाह से रिचा की ओर देखते हुए
'कही भी क्या.. अंधेरा था.. और वैसे भी तू थी ना.. बता देती!' - आँख मारते हुए बोली
लिफ्ट का दरवाजा खुला.. 'हां मैं तो जैसे तुम दोनो की रास लीला देखने आई हूँ'
'हां देखने मे क्या जाता है.. चुप चुप के अपने कमरे मे पॉर्न देखती है.. सामने से देख' - कहते हुए रिचा ने दरवाजा खोला
'छुपकर हरामी! गरम हो गयी है तू यहा आकर'
'तू भी तो' - कहकर हँसने लगी
नेहा - 'यार चल ना टब मे बैठते हैं थोड़ी देर'
रिचा - 'हां चल' - और वही हाल मे ही सारे कपड़े उतारने लगी रिचा
'अरे यही पे'
'हां तो और क्या अपना घर है.. मेरा बस चले तो नंगी पूरे घर मे घूमूं'
'सच मे चढ़ गयी है तुझे'
'चल ना इतना नही सोचते चिल मार अपना घर है बिंदास होके रह'
नेहा ने भी सारे कपड़े उतार कर इधर ही फेक दिए
फिर दोनो जाकर टब मे बैठ गयी.. इतनी गर्मी मे टब का ठंडा पानी बड़ा सुकून देने वाला था..
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'यार सॉरी.. हम तेरे ही सामने सुरू हो गये थे'
'अरे कोई बात नही.. सही तो कहा तूने.. पॉर्न देख सकती हूँ.... फ़िल्मो मे ये सब देख सकती हूँ तो क्या है ये.. वैसे भी तू कौन सी हेरोयिन से कम है'
'हां! और सुंदर हीरो से!' - कहकर आँखे बंद उसके बारे सोचने लगी
'अच्छा कैसा लगता है किस करके'
'नही बता सकती यार.. बस नरम होठ मुह मे आते हैं.. चिकनी लार आती है मुह मे और ज़बान फिसलती है एक दूसरे की.. मतलब वो बस फील ही कर सकते'
'ह्म' - नेहा ने एक गहरी साँस ली
रिचा ने देखा उसकी ओर फिर - 'तू जानना चाहती है कैसा लगता है'
और अगले ही पर नेहा का जवाब सुनने से पहले ही रिचा ने नेहा के गालो को पकड़ा और चूमने लगी.. नेहा शुरू मे तो अवाक रह गयी पर फिर उसने भी सुंदर की तरह रिचा का मुह अपने मुह मे भर लिया. अब ये शराब का नशा था या उनकी जवानी का ये तो उन्हे भी नही पता था उस वक़्त
अब धीरे से सरक कर नेहा टब मे नीचे आ गयी थी और रिचा उसके उपर.. गीले बालो मे दोनो की सुंदरता दोगुनी हो गयी थी.. रिचा का एक हाथ फिसलते हुए नेहा के निपल तक गया और उसे रगड़ने लगा और फिर उसने नेहा की टांगे फैलाई और टब की दीवार से सटा दिया
फिर किस तोड़ कर उपर उठी और अपनी दोनो हथेलियों को उसके चेहरे के पास से लहराते हुए नीचे लाने लगी.. पहले गर्दन.. फिर छाती.. दोनो चुचियो और निपल्स को कवर करते हुए और फिर पेट इस तरह की दोनो अंगूठे नाभि से होके जाए..
आऊर फिर रिचा का बाया हाथ पेट पर ही रुक गया पर दाहिना हाथ फिसलता हुआ सीधा उसकी योनि तक चला गया..
नेहा ने सर उपर कर आँखे बंद कर ली.. रिचा ने अब अपनी मध्यमा से उसकी योनि को सहलाना शुरू किया.. फिर सहलाते सहलाते योनि से भी नीचे ले गयी और उसके गूदे को च्छू दिया..
नेहा चिहुक उठी और उसने रिचा का हाथ पकड़ लिया.. 'अरे अरे...'
'रोक मत आज मज़े ले..'
'हरामी है तू! इधर आ पहले' - कहकर सामने खिचा उसने रिचा को और अपनी बाहो मे भर लिया
'आज मैं तेरे साथ सोना चाहती हूँ और रात भर मज़े लेना चाहती हूँ' - उसने रिचा से कहा
रिचा ने अचंभे से देखा
'बस इतनी सी बात.. पर लंड नही है मेरे पास'
'चुप कर! लॅंड तो तुझे चाहिए था अभी कुछ देर पहले'
'हां यार! अब तो अपनी उंगली से ही काम चलना पड़ेगा.. अच्छा तेरी उंगली कितनी लंबी है दिखा..'
'हट साली हरामी.. चल उठ..'
'रुक एक मिनिट' - रिचा ने कहा फिर शोवर जेल अपने हाथ मे लिया.. और नेहा की चूत पर लगा दिया और वहा रगड़ने लगी.. नेहा ने आँखे बंद कर ली.. तभी अगले ही पल झाग से भरे अपने हाथ को रिचा चूत से होते हुए नेहा की गान्ड के छेद पर ले गयी और वहाँ मलने लगी.. नेहा रिचा की उंगलियों के स्पर्श से गुदगुदी से उच्छल पड़ी..
'उफ़ कहा से सीखती है ये सब'
'छोड ना ..बस मज़े ले तू' - कहकर उसने पानी से नेहा की चूत और गान्ड धोने लगी
'चल अब तेरी बारी' - रिचा ने कहा
नेहा ने भी वैसा ही किया और रिचा गुदगुदी से झूम उठी.. दोनो के नाज़ुक हथेलियो का स्पर्श एक दूसरे को बड़ा सुकून दे रहा था..
फिर एक हल्का शावर लेकर दोनो ने शरीर को टॉवेल से पोछा और नंगी ही निकल कर बेड पर पड़ गयी..
नेहा रिचा के उपर आ गयी और उसे किस करने लगी.. रिचा ने भी कसकर उसे बाहो मे भर लिया.. दोनो के निपल कड़े हो गये थे और एक दूसरे को गुदगुदी कर रहे थे.. रिचा ने आपनी टांगे फैलाई और नेहा की कमर पर लपेट लिया.. नेहा भी पूरी उस पर पड़ गयी..फिर नेहा ने किस तोड़ी और रिचा के गर्दन को चूमते हुए नीचे आकर उसके दाएं निपल पर जीभ फेरने लगी
रिचा गरम होती जा रही थी और उसके गोरे दूध से बदन मे चईतियाँ रेंगने लगी थी..और उसके मुह से सिसकारियाँ छूटने लगी थी. गर्म आहे भरते हुए एक हाथ उसने सरकया और अपनी चूत मसलने लगी और दूसरे हाथ से नेहा की पीठ सहलाने लगी
रिचा गर्मी से पिघलती जा रही थी .. और झान्ट के बाल उसके गीले हो रहे थे.. और तभी नेहा ने उसकी नाभि पर अपनी जीभ चुभो दी.. करंट सा दौड़ गया रिचा के शरीर मे.. नेहा ने रिचा का बाया हाथ हटाया चूत पर से और उसके चूत को जीभ से साफ़ करने लगी.. रिचा ने कस कर नेहा के सर को बालो से पकड़ लिया
रिचा के चूत के उपर की चमड़ी नरम हो गयी थी.. उसे उसने अपनी उंगली से अलग किया और चूत के बादाम से दाने को जीभ से चाट लिया ..उसके छूट से निकल रहा नमकीन रस और उसकी महक नेहा के छूट से भी पानी रिससने लगी.
नेहा ने अपना एक हाथ अलग किया और अपनी चूत पे रख दिया और दूसरे हाथ से चूत की फाक को अलग कर पूरे ज़ोर से जीभ फिराने लगी..
रिचा तो जैसे किसी और ही दुनिया मे पहुच गयी थी.. सिसकिया भरते हुए एक हाथ से नेहा का सर पकड़े हुए थी और एक हाथ से अपनी निपल्स घिस रही थी.
रिचा की जांघे काँपने लगी.. उसने नेहा को वही रोका और उसे उठाकर अब उसके उपर आ गयी.. फिर झट से पलट कर अपना चूत उसकी मुह की ओर कर दिया.... और अपना सर उसकी चूत पर लगा दिया
नेहा ने भी रिचा की दोनो जाँघो को अलग किया.. रिचा की गान्ड का छेद ठीक उसकी नाक के पास था और हल्की हल्की एक स्मेल दे रहा था.. पर उस वक़्त वो भी उसे मदहोश कर रहा था.. नेहा ने रिचा के चूतड़ को फैलाया और रिचा गान्ड के छेद को देखने लगी.... बिल्कुल सिकुडा हुआ सूखा सा...जैसे शर्म से अंदर घुसा जा रहा हो.. चूत चाटते हुए उसने अपनी ज़बान को अब गूदे तक लाना शुरू किया और उस शरमाये हुए च्छेद पर अपनी लार गिराने लगी.. दोनो की मदहोशी आज अलग ही आयाम पर थी..
गुदा का गीलापन और उसपर नेहा का जीभ सरकाना पागल किए जेया रहा था उसे... 'साली इतने दिन साथ सोई... कहाँ थी तब.. इश्स ऐसे ही कर.. मज़ा आ रहा है..' - आँखे बंद किए रिचा बुदबुदाने लगी..
उसने भी नेहा की जाँघो को कस के पकड़ा और था और चपर चपर कर ज़ोर से चूत को चाटे जा रही थी.
दोनो की जाँघो तक पानी रिस रहा था.. पसीने से दोनो भीग गयी थी और कमरा सिसकारियो से भरा जा रहा था.. रिचा से अब रहा नही जा रहा था.. नेहा बड़ी तेज़ी से जीभ उसकी मुलायम चूत पर घिसे जा रही थी.. और रिचा भी उंगलियो से नेहा की चूत कुरेद रही थी..
दोनो के बदन अब अकड़ने लगे और नेहा पहले काँप उठी .. और ये देख रिचा ने उसकी चूत पूरा मुह मे भर लिया और अगले ही पल वो भी छूट पड़ी..