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Inspector Ajanta sequel 2 - reposted
#1
प्यारे दोस्तों
में आज एक लेडी इंस्पेक्टर की कहानी फिर से लेकर आयी हूँ
और मेरी प्रेरणा हो आप सब लोग
मुझे इंस्पेक्टर अजंता की कहानी के बाद आज तक यह मेल्स आते रहे की आप अजंता की कहानी का एक सीक्वल और लिखो
उसी से प्रेरित होकर में इंस्पेक्टर अजंता (सीक्वल ) लायी हूँ
आशा करती हूँ आप सब लोगों को यह बहुत पसंद आएगी
दोस्तों में एक बात कहना चाहूंगी - अजंता सक्सेना (मेरी पहली नायिका) और अजंता शर्मा (इस कहानी की नायिका) बहुत अलग हैं एक दूसरे से
कैसे -यह कहानी पढ़ कर आप लोग मुझे बताएँगे
और हाँ इस सेक्स स्टोरी में एक विशेष बात है जो आम कहानियों से हट कर है - मैं चाहूंगी की आप लोग इस कहानी का आनंद लें और मुझे बताएं
में अपने उन सब दोस्तों का धन्यवाद् करूंगी जिन्होंने मेरी मदद की.
DISCLAIMER :- इस स्टोरी और इसमें फैक्स का प्रयोग केवल मनोरंजन मात्र है. इनके  दुरपयोग के लिए में यानि लेखिका किसी भी तरह से ज़िम्मेदार नहीं होगी.यह स्टोरी सबमिट होने के बाद सारी ज़िमेदारी पढ़ने वाले व्यक्ति और उस वेबसाइट की होगी जहाँ यह पब्लिश होगी. यदि किसी को फॉक्स के साथ कहानी चाहिए तो वह मुझे मैसेज करे
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#2
अजंता का कॉलेज

आज धुबरी (असम) के आर्ट्स कॉलेज में बहुत हलचल थी
आज वहां एक ब्यूटी क्वीन कांटेस्ट था जो की फर्स्ट ईयर के फाइनल परीक्षा ख़तम होने के बाद रखा गया था - सब विद्यार्थी बहुत उत्साहित थे और इस फैंसी ड्रेस कम्पटीशन का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे.
और इन सब के इंतज़ार का कारण था - अजंता शर्मा -
अजंता शर्मा जो की कॉलेज में एक बहुत मशहूर लड़की थी - एक मेधावी छात्रा होने के साथ -२ वह बहुत अधिक सुन्दर भी थी और कॉलेज की अन्य गतिविधियों जैसे की खेल कूद, नाटक आदि में भी खूब भाग लेती थी.
पर उसके छात्रों में पॉपुलर होने का मुख्य कारण था - उसकी बला की खूबसूरती - १९ साल की अजंता जो की फाइनल ईयर में पहुँची थी एक बहुत ही ख़ूबसूरत , सेक्सी और गदराये बदन की स्वामिनी थी - ५ फुट ६ इंच लम्बा कद , गोरा उजाला रंग , बड़े बड़े ३५ इंच पार करते स्तन और पेट में कमर के ३ इंच ऊपर एक गोल नाभि इसके अलावा लम्बे काले बाल, रसीले लाल होंठ , सुत्वा नाक और बड़ी बड़ी आंखे जिनमे हल्का सा मोंगोलिएन टच था जो की उन्हें और ख़ूबसूरत बनाता था, तथा साथ ही गोरी, मुलायम स्वस्थ टांगें उसकी सुंदरता को शोभा तो देती ही थीं , उसके शरीर का एक मुख्य आकर्षण था उसकी मस्त गांड जो की हिलती थी जब भी वह चलती थी और उसकी बल खायी कमर.अजंता को सलवार कमीज केी बजाये शुरू सुई लहंगा चोली और साड़ी पहनने का ज्यादा शौक था और इस वजह से उसकी सेक्सी कमर का नज़ारा कॉलेज में आम होता था.अपने साड़ी पहनने की आदत की वजह से उसका नाम भी 'इंडियन कल्चर' पढ़ गया था. कुछ मनचले तो उसको ' मैडम पेटीकोट' कह कर भी बुलाते थे.

तो आज सबको इंतज़ार था अपनी उस फेवरेट 'मैडम पेटीकोट' का जो की इस ब्यूटी क्वीन कांटेस्ट में पार्ट लेने जा रही थीं.
सबकी उत्सुकता थी की वह क्या बनेंगी हालाँकि कई लोगों ने अंदाज़ा लगा लिया था की अजंता यकीनन को पाश्चात्य ड्रेस में न आकर कोई हिंदुस्तानी लिबास में ही होंगी
तो आज सबको इंतज़ार था अपनी उस फेवरेट 'मैडम पेटीकोट' का जो की इस फैंसी ड्रेस में पार्ट लेने जा रही थीं.
एक लड़कों का ग्रुप आपस में बात कर रहा था - यार आज तो मज़ा आ जायेगा - कई तरह की ड्रेसेस में कॉलेज की ख़ूबसूरत लड़कियां नज़र आएँगी अलग अलग अंदाज़ और अदाओं में
दूसरा लड़का - अरे वह सब तो ठीक है पर मुझे तो इंतज़ार रही -कॉलेज की ब्यूटी क्वीन - मिस अजंता शर्मा
तीसरा लड़का - क्या वह भी इस फैंसी ड्रेस कम्पटीशन में भाग ले रही है?
पहला - और नहीं तो क्या
तीसरा लड़का - अरे मज़ा आ गया फिर तो - उसे तो याद करके ही मेरा लंड यूँ पोल की तरह तन जाता है - क्या गज़ब माल है - यार -
क्या मटकती गांड - और छाती पर - ओफ्फो - क्या बड़े बड़े पिल्लू - जी करता है किसी दिन पकड़ के उस साली का ब्लाउज फाड़ दूँ.
पहला लड़का - ठीक कह रहा है यार - कई बार उसे याद करके मैंने मुठ मारी है - क्या बला की सेक्सी माल है - एक एक अंग सांचे में ढल हुआ - लड़की है या अप्सरा. याद नहीं पिछले साल - उसका वह स्टेज पर स्पीच देने वाला रोल - लाल ब्लाउज और सफ़ेद डिज़ाइन दार साड़ी में देश भक्ति का भाषण - क्या गज़ब माल लग रही थी यार


दूसरा लड़का - तो कहे तो किसी दिन कॉलेज के पिछले कंपाउंड में उसे लेजा कर उसका चीर हरण कर दें
पहला लड़का - क्या उसकी साड़ी उतरेगा?
दूसरा लड़का - अरे जब उतारेंगे तो सिर्फ साड़ी थोड़े ही. बाकयदा पेटीकोट और ब्लाउज भी अच्छे से खींच लेंगे
तीसरा लड़का - है मेरा तो सोच कर ही तम्बू तन गया है यार की मैडम पेटीकोट बिना पेटीकोट के कैसी दिखेगी
पहला लड़का - में तो उसकी ब्रा और पैंटी भी उतार दूंगा
दूसरा लड़का - इसकी नंगी चूत देखने को तो मन तरस गया. मुझे तो वह स्टेज कम्पटीशन में उस मणिपुरी लिबास में भी बहुत जंची थी. अपनी सूंडी (नाभि) दिखने से बाज़ नहीं आती.

दूसरा लड़का - हाँ यार पर किसी को लिफ्ट कहाँ देती है सिवाय प्रकाश के
पहला लड़का - यह प्रकाश कौन ?
दूसरा - वही फाइनल ईयर का स्टूडेंट - साला बनता तो बहुत शरीफ है पर मुझे उसकी असलियत पर कुछ शके होता है
तीसरा लड़का - क्यों
दूसरा - ऐसे ही - कई बार उसे कॉलेज के बाद जंगलों में जाते देखा है
तीसरा लड़का - आए - तुझे कहीं उससे जलन तो नहीं होती.

तीनो हंस पड़े
थोड़ी ही देर में ब्यूटी क्वीन कांटेस्ट की प्रतियोगिता शुरू हो गयी.
लड़के लड़कियों की तालियों की ज़ोरदार आवाज़ के बीच इस प्रतियोगिता का प्रारंभ हुआ.सबने बड़े चाव से अलग अलग प्रकार से सजी हुईं मेक उप और सजावट से परिपूर्ण अलग अलग लड़कियों को अलग अलग तरह की अदायों में देखा और उनका तालियाँ बजा कर स्वागत किया.
ज्यादातर लड़कियों ने पाश्चातय लबास और मेक उप का उपयोग किया था और कई लड़किओं ने तो काफी हद तक रिवीलिंग कपडे पहने थे ताकि अंग प्रदर्शन करके वह लोगों को प्रभावित कर सकें.

अब ब्यूटी क्वीन की यह प्रतियोगिता अपने अंतिम चरण में आ गयी थी.
और सब छात्रों को जिसका इंतज़ार था वह थी उनकी लोकप्रिय छात्रा - अजंता शर्मा
और तभी एक बेहद सूंदर लड़की जो की लाल मिश्रित रंगों से भरा एक सूंदर कड़ाई में बना लहँगा और उसी से मेल खIता लाल रंग के बेस कलर का ब्लाउज पहने थे अपने हाथों में एक बेहद नक्काशी किया हुआ एक मटका लेकर प्रगट हुई. उसका सामने से वि - गर्दन ब्लाउज काफी हद तक बैकलेस था और इस कारण उसने नीचे ब्रा भी नहीं पहनी थी जिससे उसका वक्ष स्थल और अधिक उभर रहा था .उसके सर पर लाल चुनरी थी जिसका सुनहरी बॉर्डर था और उसके लम्बे कद और बेहद सेक्सी फिगर (जो की उसने हालंकि काफी हद तक अपने कपड़ों में छुपा रखा था) में से उसकी गदरायी कमर और नाभि फिर भी झलक दिखला रही थी.- यह सौंदर्य की प्रतिमा थी - अजंता शर्मा

अजंता ही केवल एक मात्र ऐसी छात्रा थी जो सदा की भाँती भारतीय कपड़ों में थी - सहसा सब लोगों की तालियां थम गयीं और हर नज़र उस ओर उठ गयी जब अजंता ने हलके से नृत्य करना शुरू किया और वह अपनी मधुर आवाज़ में एक गीत गुनगुनाने लगी.

उसके नृत्य और गीत में बहुत अच्छा ताल मेल था.
एक लड़के ने तो उसे नाचते देख कहा - वाह क्या गज़ब माल है यार - क्या गदरायी कमर है
दूसरा भोजपुरी में बोला - है इकरा दख कर हमरा तो लंडवा में हलचल हुई बा - क्या पहाड़ जैसा बड़ा बड़ा पिल्लू है
और देख इसकी कमर पर यह एकदम गोल सुंडी - ऐसी गोरी गदरायी कमर तो कभी न देखत रहीं. इसकी वक्ष रेखा तो देख

जैसे ही उसने नृत्य खत्म किया उसके हाथ ' नमस्ते' के अंदाज़ में सबके आगे जुड़ गए और उसने फिर पलट कर भगवन की मूर्ति को हाथ जोड़े.
सारा हाल तालियों से गूँज उठा - अजंता वन्स मोर मोर के नारे ज़ोर ज़ोर से लगने लगे.

पर तभी कॉलेज के प्रिंसिपल ने सबको शांत किया और माइक पर जाकर कहने लगे - मेरे प्रिय छात्रों आप लोग शांत हो जाएं और दिल थाम कर इस प्रतियोगिता के परिणाम की प्रतीक्षा करें- बैकग्राउंड में कुछ संगीत शुरू कर दिया गया और कुछ छात्र गुनगुनाने लगे.
तभी एकाएक संगीत बंद हो गया
और प्रिंसिपल साहिब कुछ उद्धघोषकों के साथ स्टेज पर आ गए.
- मेरे प्रिय छात्रों - आप लोगों का इंतज़ार अब ख़तम
में मिसेस सिन्हा (जो की आर्ट्स कॉलेज की मुख्य प्रोफेसर थीं) से आवेदन करता हूँ की इस प्रतियोगता की विजेता का नाम सबको बताएं और उस विजेता को पुरस्कृत करें
मिसेस सिन्हा ने घोषणा की - तो वह प्रतियोगी है - मिस अजंता शर्मा
सब छात्रों ने ज़ोर से तालियां बल्कि कई लड़कों ने सीटियां भी बजायीं
अजंता मुस्कुराते हुए स्टेज पर आयी और पुरस्कार लेकर सबका अभिवादन किया.
उसके पश्चात जब प्रतियोगिता ख़तम हो गयी तो अजंता कॉलेज के बाहर आयी अपने अनाथ आश्रम की और जाने के लिए (अजंता एक अनाथ थी और एक पंडित नित्यानंदजी जो की शहर के पास ही एक अनाथ आश्रम चला रहे थे उन्होंने उसे अपनी मुँह बोली बेटी बना लिया था)
तभी अजंता को जोर से अपन नाम पुकारने की आवाज़ आयी - अजंता
उसने मुड़कर देखा तो बाइक पर और कोई नहीं उसका दोस्त प्रकाश था - वह ख़ुशी से बोली - अरे प्रकाश तुम यहाँ - अभी गए नहीं?

प्रकाश - मुबारक हो अजंता - यू हेव डन इट - माय ब्यूटी क्वीन
अजंता हंस पढ़ी - कम ओन प्रकाश ?
प्रकाश - बहुत ही ग़ज़ब लग रही हो - चलो में तुम्हे ड्राप कर देता हूँ
अजंता कुछ सोच में पड़ गयी - अरे नहीं प्रकाश में खुद ____ ___
प्रकाश - तुम्हे टाइम लग जायेगा
अजंता - क्यों
प्रकाश - बस ऐसे ही माय डिअर मिस पेटीकोट
अजंता - कम ऑन प्रकाश तुम भी?
प्रकाश - हा हा - तुम्हे छेड़ने में मज़ा आता है
प्रकाश - अरे नहीं बाबा अँधेरा होने वाला है और मैंने एक शार्ट कट ढूंढा है तुम्हारे आश्रम जाने के लिए
चलो आ जाओ - बैठो बाइक के पीछे
अजंता मुस्कुरा कर पीछे बैठ गयी और प्रकाश के कंधे पर एक हाथ रख दिया - चलो प्रकाश
और प्रकIश की बाइक हवा से बातें करने लगी.
प्रकाश - एक बात है अजंता - तुम तो आज गजब की सेक्सी लग रही थी
अजंता (कुछ शरमाते हुए) - चलो हटो - बेशरम कहीं के
प्रकाश - वैसे में तुम्हारा कुछ और ही निक नेम सोच रहा हूँ
अजंता - क्या
प्रकाश - मिस पिल्लू
अजंता - पिल्लू?
प्रकाश - लगता है कॉलेज में सोई रहती हो
अजंता - क्या मतलब
प्रकाश - तुम्हारी साड़ी पहन ने वाली आदि के अलावा तुम उनके लिए भी मशहूर हो
अजंता - किनके लिए
प्रकाश - योर टू बिग पिल्लुस - मेरा मतलब - वह जहाँ से ढेर सारा मिल्क सप्लाई होता है
अजंता बहुत बुरे तरीके से शर्मा गयी - हटो बदमाश कहीं के. में तुमसे बात नहीं करुँगी.
प्रकाश - बात न भी करो पर पिल्लू दर्शन तो हम ज़रूर करेंगे
अजंता - तुम भी न खूब मज़े ले रहे हो - पर मेरा नाम भी अजंता है
प्रकाश - बड़े बड़े पिल्लू वाली - हा हा हा
प्रकाश - तो मैडम फिर कल का क्या प्रोग्राम है

अजंता - कुछ ख़ास नहीं सोचा नहीं - पहले घर तो पहुंचाओ
प्रकाश - वह तो तुम पहुँच ही जाओगी
अजंता - भगवान जाने यह कौनसा शार्ट कट है - कितना वीरान रास्ता है
प्रकाश - चिंता मत करो - आगे जाकर हाईवे और मैं मार्किट आ जायेंगे
तभी अचानक प्रकाश की बाइक रुक गयी
अजंता ने पूछा - प्रकाश क्या हुआ ?
प्रकाश - उतरो में देखता हूँ.
और दोनों बाइक से उतर गए
प्रकाश नीचे झुक कर कुछ निरिक्षण करने लगा - ओहो - कुछ इंजन में प्रॉब्लम है - फिर वह इधर उधर देखने लगा
अजंता - क्या बात है प्रकाश ?
प्रकाश - आओ ज़रा सामने से इस बोतल में पानी लेकर आते हैं
अजंता ने मुड़कर देखा तो पाया की सामने एक बहुत बड़ा दरवाज़ा था जिसके पीछे कुछ दीवारें नज़र आ रही थीं - उसके ऊपर एक बहुत बड़ी फैक्ट्री जैसी दिखने वाली छत थी
अजंता - चलो जल्दी करो प्रकाश - मुझे बहुत चिंता हो रही है
प्रकाश - घबराओ नहीं - आओ मेरे साथ
और प्रकाश ने दरवाज़े के पास जाकर उसकी साइड में एक बटन दबाया - दरवाज़ा खुलता चला गया.
अजंता हैरान होकर देखने लगी - अरे तुम्हे कैसे मालूम की यहाँ पर यह दरवाज़ा ऐसे खोलेगा
और इस से पहले की वह कुछ और कह पाती - प्रकाश ने उसे धक्का दे दिया - चल अंदर
अजंता कुछ और समझ पाती तभी उसे दो लोगों ने तुरंत थाम लिया (उसे पता भी न चला की यह लोग कहाँ से प्रकट हो गए) - और अंदर घसीटते हुए चले गए
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#3
गोली नंबर २
अजंता एक दम सकपका गयी और चीख उठी - यह सब _ _ _ क्या है _ _ _ क्या बदतमीज़ी _ _ _ _ कौन हो तुम लोग _ __ प्रकाशशश्श्श _ _ _
वह दौड़ कर लगभग प्रकश से लिपट गयी - यह सब क्या है प्रकाश - तुम तो मेरे दोस्त हो न _ _
पर प्रकाश ने तुरंत अजंता के हाथ झटक दिए - चल हट साली
और आवाज़ दी - बुआ जल्दी आओ
इस से पहले अजंता कुछ समझती एक गोरी चिट्टी अधेड़ महिला जो शरीर से कुछ भारी भी थी और जिसकी नीली आँखों में काफी वेह्शत छुपी थी - पान चबाती हुई - सामने आयी - वाह वाह प्रकाश बबुआ वाह क्या बढ़िया माल लावत रहीं - इको बेच कर तो बहुत माल हाथ आवत रहीं. उस शेख से बात कर ले इब.
प्रकाश - हाँ मौसी सुबह शेख भी आवा तानी तब हम एका लाखों में देकर माल हासिल कर ले इब
अंजना एक दम सकते में आ गयी - प्रकाश - वह ज़ोर से चिल्लाई
वह औरत जिसे प्रकाश बुआ कह कर बुला रहा था अजंता की और अग्रसर होकर बोली - बेबी - चिंता मत कर - तुझे हम ऐसी जगह भेजेंगे जहाँ तो रानी बनकर रहेगी.
और उसने अजंता का कास कर हाथ पकड़ लिया - बड़ी मस्त चीज़ है प्रकाश - रहुआ की चॉइस तो मालामाल है
अजंता ने एक झटके से अपना हाथ छुड़ाया और एक तमाचा ज़ोर से उसके गाल पर जड़ दिया - कमीनी औरत - छोड़ मुझे और जाने दे यहाँ से
पर इस से पहले कुछ और होता प्रकाश ने अजंता के गाल पर एक तमाचा मारा - साली तेरी हिम्मत कैसे हुई बुआ को मारने की - तो जानती नहीं की _ _
बुआ अब तक संभल गयी थी - अरे बिटवा तू कहे खुद को तकलीफ देत बाड़ा - ज़रा तेज़ सिंह और दिलावर खान को बुलावत रहीं - ऊ दोनों इस छोकरी का सुबह तक खूब सेवा करात बाड़ीं –
और प्रकाश के आवाज़ देते ही दो बेहद खतरनाक से दिखने वाले बदमाश वहां आकर खड़े हुए गए
प्रकाश - तेज़ सिंह, दिलावर खान आओ और ज़रा इस छमिया का इंतज़ाम करो
अजंता - नहीं नहीं _ _ _ _ _ और वह दरवाज़े की तरफ भागी
पर तभी दिलावर ने उसे दबोच लिया और ज़मीन पर पटक दिया

वह अजंता पर टूट पड़ा और उसे नोचने खसोटने लगा. अजंता कुछ सम्भली और उसने दिलावर का मुँह नोच लिया और ज़ोर से उसके गर्दन पर अपने हाथों से नाख़ून गढ़ा दिया - दिलावर बिलबिला उठा - अजंता ने उसे धक्का दिया और खड़ी हो गयी उसने एक ठोकर ज़ोर से दिलावर की गर्दन पर मारी और उसे पेर से धकेलते हुए उस से बचने के लिए भागी

पर तेज़ सिंह ने उसे पकड़ लिया और उसे अपनी बाँहों में भरकर चूमने लगा - उसके मुँह से दारू की बू आ रही थी जिस से अजंता का जी मितला उठा. उसने तेज़ सिंह के घुटने पर अपने सैंडल से ज़ोर से ठोकर मारी और जैसे ही वह दर्द से चीखा उसने तेज़ सिंह का हाथ पकड़ कर एक झटका देकर उसे ज़मीन पर गिरा दिया.

दिलावर - बड़ी तेज़ चीज़ है यार ऐसे नहीं संभालेगी - उसने अजंता की लाल चुनरी खींच कर उसे ज़मीन पर फेंक दिया. दोनों बदमाश अब एक साथ खड़े हुए और अजंता को कस कर पकड़ लिया - वह ज़ोर ज़ोर से चीख रही थी और अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए संघर्ष करने लगी - छोडो मुझे कुत्ते कमीने - हरामी - _ _ _
तेज़ सिंह - गाली देती है साली और उसने ज़ोर से दिलावर की और धकेला - दिलवारा ने उसकी पीठ पर ज़ोर से हाथ मारा और उसके बैकलेस ब्लाउज की डोरियां ख़ोल दीं - बाकी का छोटा सा हिस्सा जो अजंता की पीठ को ढके हुए था दिलावर ने उसे पकड़ा और फाड़ दिया - अब अजंता की पीठ एक दम नंगी हो गयी थी.

उधर तेज़ सिंह झुक कर उससे लिपट गया और उसके पेट और कमर के इर्द गिर्द चूमने लगा गया - उसने अजंता की नाभि पर ज़ोर से ऊँगली घुमाई और अजंता दर्द से चीख उठी
पर उसने हिम्मत करके फिर से तेज़ सिंह के मुँह पर ठोकर मारी - तेज़ सिंह का होंठ फट गया और उससे खून बह निकला
तब दिलावर ने अजंता को सामने से पकड़ा और उसे अपने कन्धों पर उठा लिया
अजंता पैर पटकने लगी और उसने अपने हाथों से मुक्का बनाकर दिलावर के सर पर मारा
दिलावर की पकड़ ढीली हुई और अजंता उसके हाथ से छूट कर नीचे गिरी
दिलावर उस पर टूट पड़ा और दोनों हाथ इर्द गिर्द दबाने शुरू कर दिया
जैसे ही अजंता कुछ कमज़ोर पड़ी उसने अजंता के सीने पर हाथ मारा और उसका खुला ब्लाउज सामने से खींच लिया - पीठ से खुला ब्लाउज आसानी से उतर गया बल्कि कुछ फट भी गया
तेज़ सिंह जो अब तक उठ चूका था उसने वह ब्लाउज दिलावर से लिया और अपन खून पोंछ कर उसे ज़मीन पर फेंक दिया
अजंता के बड़े बड़े उरोज अब बिलकुल नंगे थे और उसके भूरे निप्पल एक दम स्वछन्द होकर हवस के उन दो पुजारियों को निमंत्रण दे रहे थे जिनको जीभ उसकी खूबसूरती को देख कर कुत्ते की तरह बाहर आ रही थी.
उसके उरोज एक दम दो रसीले आमों की तरह अलग-२ दिशाओं में लटक गए मानो किसी दाल पर अभी अभी ताज़े आम लगें हों

दिलावर और तेज़ सिंह के लंड एक दम तन कर उनकी पैंटों में प्रोजेक्शन की तरह सामने आ गए
तेज़ सिंह ने भी शराब का एक घूँट और भरा
व्ववह वाह क्या माल है - आज तो मज़ा आ गया
अरे चल इसकी छूट ढीली कर दें. मेरा लंड तो खूब ज़ोर मार रहा है
आ जा मेरी जान कसम तेरे इन नंगे दुद्धूओं की. आज तो इन आमो को मसल कर रख देंगे. अरे उसके बाद इसकी कच्छी भी फाड़ देंगे - आज तो क्या मलाईदार चूत मिलेगी
अजंता जिस दीवार के सहारे कड़ी थी नीचे ही उसकी दायीं ओर एक छेद था.
अजंता नीचे को झुक गयी तो उसे उस छेद से आवाज़ आयी
यह लीजिये
ओर अजंता ने देखा की एक लोहे की छड़ी उस छेद से अंदर को प्रविष्ट हो गयी.
अजंता को लोहे की एक छड़ नज़र आयी जिसका एक कोना नुकीला था
उसने अभी तक अपना नंगा सीना ढांप रखा था ओर वह उन बदमाशों से बचने के लिए पीछे हट रही थी
पर वह छड़ देखते ही उसने सीने से हाथ हटाये ओर एक कलाबाज़ी करके कूद कर कोने तक पहुँच गयी
उसके नंगे पिल्लू बड़ी मोहक अदा से हिल गए ओर लहंगा भी ऊपर तक उछल गया पर उसे अभी इसकी परवाह न होकर अपनी इज़्ज़त बचने की चिंता थी
अजंता ने तुरंत वह छड़ उठा ली और दोनों की ओर बारी बारी तान ली - खबर दार मेरे पास नहीं आना वरना _ _ _
वह दोनों बेशर्मी से हंसने लगे - अरे इसके गुब्बारे तो देख -
तेज़ सिंह - हमे डंडा मारेगी - आ तुझे हमारे डंडे का ज़ोर दिखाएं
अजंता ने स्फूर्ति का प्रदशन किया और तेज़ सिंह को सीधा उसके गुप्त अंग पर अपनी सैंडल से ठोकर दे मारी
वह दर्द से चीख उठा और गिर गया
इस से पहले दिलावर कुछ समझता अजंता ने उसके पेट में नुकीली छड़ ज़ोर से मार दी - दिलावर के पेट से खून निकला और वह चीख मारकर ज़मीन पर लेट गया
अजंता दहाड़ उठी - कुत्ते मेरी कच्छी फाड़ेगा - जाकर अपनी माँ को नंगा कर
इस से पहले कुछ और होता अजंता ने तेज़ सिंह के गुप्त अंग पर ज़ोर से छड़ मiरी जिससे उसके पेट के नीचे पूरा खून बह निकला - एक ज़ोर की चीख के साथ वह बेहोश हो गया
अजंता ने अब पलट कर दिलावर पर ज़ोर से दो वार किये और वह वहीँ ढेर हो गया
प्रकाश और उसकी बुआ यह देख कर दंग रह गए - जा प्रकाश और दो गुंडे ले कर आ - साली छिनाल तो बहुत तेज़ निकली
पर इस से पहले प्रकाश आगे बढ़ताअजंता ने उसके मुँह पर ज़ोर से वजह छड़ मार दी - कमीने धोके बाज़ - क्या कसूर था मेरा - तुझ जैसे कमीने से प्यार किया - हरामी - कुत्ते - ज़लील - और तभी उसने देखा एक और थोड़ी आग जल रही थी

उसने लोहे की छड़ पकड़ी और एक लकड़ी उठाकर उसका कोने जला दिया -उसने वह जलती लकड़ी प्रकाश के मुँह पर ज़ोर से फें क दी और झट से लोहे की छड़ उठाकर उसे मारने लगी - अजंता के नंगे पिल्लू उसकी इस हरकत से बार बार हिल रहे थे
प्रकाश का चेहरा काफी जल गया और वह बेहोश होकर गिर पड़ा
फिर वह उस औरत पर पलटी जिसे प्रकाश बुआ कह रहा था - तू - बदजात - औरत के नाम पर एक कलंक - बुआ कुछ घबराई और उसने अपनी ऊँगली होंठो में डाली - अजंता समझ गयी की वह सीटी मार कर कुछ और बदमाश बुलाना चाहती है
उसने ज़ोर से बुआ के सर पर वार किया - आआ हहहआ - बुआ चिल्ला कर बेहोश हो गयी
अजंता को लगा की कुछ और लोग भी आ सकते हैं उसने तुरंत वह छड़ फेंक दी और अपना ब्लाउज उठा लिया ब्लाउज पीछे से और थोड़ा सा आगे से फट चूका था. उसने किसी तरह वह फटा हुआ ब्लाउज पहन लिया और अपनी चुनरी कीऔर लपकी
उसे अब यह भी चिंता हो रही थी की इस फटे ब्लाउज को कैसे छुपाया जाये

सहसा उसे एक विचार आया - उसने तुरंत प्रकाश की जैकेट उतारी जो की संयोग से खाकी रंग की थी और उसे पहन लिया - तभी उसने उसकी जेब में बाइक की चाबी देखि - कुछ सोच कर उसने वह भी ले ली और उस छड़ को उठाकर अब बIहर भागी यह सोच कर की शायद वह छड़ उसे दोबारा काम आ सकती है.
अजंता का अंदाज़ा ठीक निकला. उसे बहार गेट कीपर ने रोक लिया - कहाँ जा रही हो - रुक जाओ - अजंता ने उसके सर पर वार किया
गेट कीपर बेहोश हो गया और अजंता ने इधर उधर देखा
फिर अजंता ने उसकी टोपी उठा ली जो की खाकी थी और उसे सर पर पहन लिया

बाहर प्रकाश की बाइक खड़ी थी
ब्लाउज पहन कर अजंता ने दो वॉर प्रकाश पर और किये और उसकी बाज़ू भी पीछे से मोड़ दी

अजंता ने एक दो बार प्रकश के साथ ही हंसी मज़ाक में बाइक चलायी थी जब उसने उसे छेड़ा की साड़ी पहन कर बाइक कैसे चलाओगी -वह कोई बहुत अच्छी बाइक तो नहीं चला सकती थी पर उसे उसका टेक्निक मालूम था
उसने अपने लेहंगा दोनों ओर से सरकाया ओर बाइक पर बैठ गयी ओर बाइक स्टार्ट किया - वह ध्यान से कुछ आहिस्ता कुछ तेज़ करके चलने लगी
कुछ देर उसे एक ऑटो स्टैंड नज़र आया - उसने तुरंत आगे पीछे देखा कर बाइक एक पेड़ के पीछे रखी ओर ऑटो पर बैठ कर हांफती हुई आश्रम पहुंची
अजंता ने अपना बैग भी खुशकिस्मती से उठा लिया था ओर उसने पैसे निकाल कर ऑटो वाले का बिल चुकाया
ऑटो से उतर कर उसने देखा की पंडितजी बाहर ही खड़े हैं - उसने तुरंत अपना चेहरा पौंछ कर खुद को सामान्य किया ओर चेहरे पर जबरन मुस्कराहट कलाकार बोली - अरे पंडितजी आप अभी यहाँ
पंडितजी - बस तुम्हारा ही इंतज़ार कर रह था - कहाँ देर हो गयी बेटी - ओर तुम यह क्या बनी हुई हो - लहंगा , फिर जैकेट ओर टोपी ?
अजंता - यह देखिये पंडितजी मैंने आजा ट्रॉफी जीती - फैंसी ड्रेस (उसने ब्यूटी क्वीन की बजाये यह बताया ) प्रतियोगिता में में अव्वल आयी हूँ - ओर रही बात बनने की तो में विलेज बेल्ली यानि गांव की लड़की कम शहरी बाबू का रोल किया
पंडितजी ने ख़ुशी ज़ाहिर की - यह तो बहुत अच्छी बात है - चल बेटी अब अँधेरा हो गया है - जा कपडे वगेहरा बदल ओर खाना खा ले
अजंता ने पंडितजी का गाल थप थपाया - जी में अभी आयी.
और कमरे के अंदर दाखिल होते ही अजंता ने दरवाज़ा बंद किया और वो जैकेट उतर कर दूर फेंक दी. उसने खुद को मुँह के बल बिस्तर पर गिरा दिया और रोने लगी. निश्चय ही आज उसने उन गुंडों से अपनी इज़्ज़त बचा कर बहुत बहादुरी का प्रमाण दिया था परन्तु इस समय उसका मन बहुत भारी हो रहा था और आज की घटना ने उसे न केवल थका दिया था उसका दिल भी तोड़ दिया था. - क्या कसूर किया था मैंने प्रकाश - तुमसे दोस्ती की तुम्हे पसंद किया - तुम पर भरोसा किया - आज अगर भगवiन मेरी मदद नहीं करते तो मेरी इज़्ज़त _ _ _ _ वह बहुत देर तक रोती रही.
फिर जब उसका रोना बंद हुआ तो उसे अपना मन कुछ हल्का ज़रूर लगा पर वह अभी भी बहुत उदास थी. उसने उठकर अपनी अलमारी खोली और और पहले चुनरी उतारी. और उसके बाद वह फटा हुआ ब्लाउज. ब्लाउज उतरने के बाद उसने अपना लहंगा भी उतार दिया और मात्र एक कच्छी में कड़ी हो गयी. उसने एक तौलिया निकला और साथ में ही एक सादी सी साडी , पेटीकोट और ब्लाउज. तौलिया कंधे पर दाल कर उसने बाथरूम में घुसकर नहं शुरू कर दिया. अच्छी तरह से नहा कर उसने साड़ी और ब्लाउज पहना और नीचे खाने चली गयी. खाना के समय उसने पंडितजी से बहुत सहेज होकर बात की और कहा की अब कुछ दिन छुटियों में वह भी रसोई के काम में हाथ बंटाएगी. पर एक बात बार बार उसके मन में आ रही थी - उसका वह मददगार कौन था?
पर अजंता अंदर से बहुत उदास और गंभीर थी. रात के खाने से निबट कर वह वापस अपने कमरे में. दरवाज़ा बंद करके अपनी साडी उतरी और फिर एक हलके रंग की नाईटी पहन ली. उसके बाद वे एक फिक्शन का नावेल लेकर बैठ गयी परन्तु थोड़ी ही देर में उसे बंद करके रख दिया. वह बहुत गंभीर होकर सोच रही थी. तभी अचानक जैसे उसके मन में कई विचार कौंध गए. में अपनी ज़िन्दगी अपराधियों के विरूद्ध एक जंग की तरह लड़ती रहूंगी. उसके लिए चाहे मुझे जो भी करना पड़े.अजंता खेल कूद में बहुत अच्छी थी. उसने फैसलI किया की वह जूडो कराटे जैसी कलाओं में भी खुद को निपुण करेगी और एक पुलिस अफसर बनेगी.
पर इसके साथ-२ साथ उसके मन में एक दूसरा विचार भी जन्म लेने लगा.
उसके दो दिन बाद की बात है. आश्रम में एक बुजुर्ग लेडी डॉक्टर आती थीं जिनका नाम था डॉ संध्या .उस दिन जब वह बच्चों को देखने आयीं तो पंडितजी कहीं बIहर गए थे. अजंता बहुत ही गुप्त रूप से उनके पास गयी.- डॉ आंटी मुझे आपसे एक बहुत ही ज़रूरी बात करनी है परन्तु इसका किसी को भी पता न लगे.
डॉ संध्या - क्या बात है अजंता सब ठीक तो है.
अजंता ने इधर उधर देखते हुए उन्हें साऱी बात बता दी.
डॉ संध्या - वाकई तुमने काफी बहादुरी का सबूत दिया है. पर तुम्हे आगे के लिए सावधान रहना होगा. पर यह बताओ अजंता तुम मुझसे वास्तविकता में किस किस्म की मदद चाहती हो.
अजंता - आंटी में आपको बता चुकी हूँ की में पुलिस अफसर बनना चाहती हूँ. जाहिर है मेरा वास्ता मुजरिमो से होगा और यूँ तो हर औरत को अपने ऊपर बलात्कार का खतरा हमेशा बना रहता है और कुछ नहीं तो कम से कम तब तक जब तक वह जवान है, पर एक लेडी पुलिस अफसर जो खुद मुजरिमो से जूझती है उसके लिए यह खतरा और भी अधिक होगा. आप एक डॉक्टर होने के नाते मुझे एक ऐसी सलाह दें जिस से मैं हमेशा के लिए अपने ऊपर बलात्कार की चिंता से मुक्त हो जाऊं और मुजरिमो के लिए खतरा बनी रहूं.
डॉ संध्या - मैं तुम्हारी बात समझ गयी हूँ. मेरे मन में एक बात आयी है. मेरी एक दोस्त है डॉ अनीता जो की सेक्सोलॉजिस्ट है. मैं तुम्हे उनसे मिलवा दूँगी. और हाँ अजंता तुम बिलकुल फ़िक्र मत करो. मैं इस बात को अपने तक ही रखूंगी. बस तुम अपने को लेकर सावधान रहना.
अजंता आश्वस्त हो गयी. कुछ दिन के बाद वह डॉ अनीता से अपॉइंटमेंट लेकर मिलने गयी और सारी बात विस्तार से बता दी. उसकी खुशकिस्मती से डॉ अनीता एक बहुत मिलनसार और समझदार डॉक्टर थीं. उन्होंने अजंता को इस स्तिथि से जूझने के लिए बहुत अच्छा हल बताया जो की इस प्रकार था -
डॉ अनीता - अजंता तुम बहुत खुशनसीब हो. तुम मेरे पास एक ऐसे समय में आयी हो जब की में इन्ही पर शोध कार्य कर रही हूँ और तुम्हे इसका इलाज या हल फ्री में करवा सकती हूँ. और शोध कार्य करने का कारण है आये दिन बलात्कार के मामले बढ़ना. परन्तु इस कार्य को करने के लिए लड़की में हिम्मत और सब्र होना भी ज़रूरी है और तुम्हारी जैसी लड़की जो पुलिस ओफ्फिसर बनने का जोखिम से भरा काम करना चाहती है उसके लिए तो बहुत ज़रूरी है - तो सुनो यह सब कैसे होगा -
में तुम्हारे क्लाइटोरिस यानि की सबसे संवेदनशील सेक्स ऑर्गन के पास एक झिल्ली लगाउंगी जिसमे की के खतरनाक वायरस होंगे. झली तुम्हे इनसे बचा कर रखेगी और अगर तुम्हारे साथ कोई सम्बन्ध बनाने की कोशिश करेगा तो तुम्हे योग क्रिया का प्रोयोग करके इन वायरस को सम्भोग क्रिया में केंद्रित कारण होगा. उससे यह वायरस सामने वाली के गुप्ता अंग की शुक्र नाली में घुस जायेंगे और वह कुछ देर तड़प तड़प कर मर जायेगा. और हाँ यदि तुम स्वेत्छा से सम्बन्ध बनाना चाहो तो कोई दिक्कत तुम्हे आया तुम्हारे सामने वाले को पेश नहीं आएगी. यह झिल्ली स्त्री को अनचाहा गर्भ धारण करने से भी बचाती है.
बस इसमें एक बात और है. की पांच बार उपयोग करने के बाद तुम्हे इसे बदलना होगा.
अजंता बहुत प्रसन्न हो गयी. उसने वह सब कार्य किये जैसा की डॉ अनीता ने उसे बताया
कुछ दिन बाद जब अजंता डॉ अनीता से ट्रीटमेंट करवा कर आयी तो उसके अंदर एक नया और दृढ आत्मविश्वास था –

अपने प्रिय लाल रंग की साड़ी पहन हुए सेक्सी अजंता बहुत ही सूंदर लग रही थी. पर उसके मुस्कुराते और मासूम चेहरे पर बेहद खतरनाक भाव उत्पन्न हो गए.

शीशे के सामने खुद को खड़ा करके उसने वी के आकर में अपनी उँगलियाँ चलायीं और कहा - अब देखना यह मिस पेटीकोट कैसे पुलिस की वर्दी में कहर ढाती है मुजरिमो पर - इंस्पेक्टर अजंता - गोली नंबर २ का भी जन्म हो चुका था
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#4
इंस्पेक्टर अजंता

३ साल बाद
रात की 1.30 बजे. लोगो के भीड़ से भाड़े इलाक़े शहर के बॉर्डर पर हर रास्ते मे सन्नाटा छाई हुई थी . उसी बॉर्डर पर एक ट्रक मे आधी रात के इस सन्नाटे मे भी कुछ हलचल और हल्की आवाज़ो के शोर हो रहा है.
वहाँ असल में एक नही दो ट्रक थे और उस ट्रक में लकड़ी से बने हुए बड़े बड़े बॉक्स की अनलोडिंग हो रही थी . 10-12 लोग बॉक्स को अनलोड कर रहे थे, और 2-3 लोग इन लोगों कोकमांड करते हुए ट्रक से उतार जाते है. इन सब गतिविधियों को उपर किनारे मे खड़े हुए दो बंदूकधारी व्यक्ति देख रहे है अपने चेहरे पर चिंता से भरी हुए लकीरों को लेकर , इधर उधर परेशान सी नज़र दौड़ते हुए.
ट्र्क से उतरा हुवा एक आदमी इनके पास आता है और "ही.. आपके बॉस दुर्जन शर्मा कैसे है?

हाथ मे गन लेके खड़ा हुवा एक व्यक्ति "बॉस अच्छे है.. आप लोग जल्दी जल्दी अनलोडिंग करके, पैसे लेके निकल जाइए.. प्लीज़" ट्रक से उतरा हुआ आदमी कहने लगा - लगता है आज कल पुलिस का पहरा बढ़ गया है - तुम लोग काफी परेशान दिख रहे हो
दूसरा आदमी - नहीं असल में हम लोग पुलिस नहीं बल्कि टाइगर के आदमियों से डर रहे हैं.
टाइगर - वह कौन है ? ट्रक से उतरा हुए आदमी ने आश्चर्य से पूछा
"वो हमारा ऑपोसिट गैंग का है और आजकल ह्म से ज़्यादा ताकतवर बन चुका है. वो भी स्मगलिंग और दूसरा कारोबार मे शामिल रहता है और हम लोगो से कई बार लूटा हुआ पैसा और माल छीन चुका है . हमारे लोगो को भी मार चुका है. ह्मे भी कई बार उसे जवाब गोली से ही देना पड़ा है.
वह आदमी बोलता गया - और यह टाइगर इतना हरामी है की शुरू में इसने खुद को मसीहा दिखने की कोशिश की यह हवा फैला कर की यह
ड्रग्स के बिज़नेस में नहीं है. परन्तु बाद में यह हमारा भी उस्ताद निकला.दो नंबर के कामों में यह हम से इक्कीस ही है.
तभी ठा ठा ठा तिर्र्र्र्र्र्र्र्ररर करते हुए हवा मे गोलिया चलीं और उसके साथ मे ही जोरदार आवाज़ सुनाई देता है "और इस बार भी तुम लोग ही मरोगे.
तभी फाइरिंग होते हुए ट्रक मे खड़े हुए दो आदमी गोली खाते हुए नीचे ज़मीन पर गिर गये और खून में नहा गये . दुर्जन शर्मा के आदमी इस से पहले की कुछ कर पाते, उनमे से कुच्छ को गोलियों से भुन दिया गया . एक आदमी चिल्लाया - हरामी _ _ _ _ साले.
दूसरा आदमी जिसने दुर्जन के आदमी पर गोली चलाई थी, उसने दुर्जन का आदमी को लात मारकर गिरा दिया और दो जीप मे से कुछ लोग बॉक्स अनलोडिंग कर रहे आदमियो पर फाइरिंग करते हुए बाहर आ गया ,और देखते देखते ही नदी के किनारे मे दुर्जन के आदमियों के खून से लथपथ लाशें बिच्छ गयीं. ये सब टाइगर के आदमियों का काम था और वो सब बचे हुए दुर्जन के घायल आदमियो पर टूट पड़े है और उनसे पैसो से भरे बॅग्स को छीन लिया.
तभी टाइगर का एक आदमी उसको आवाज़ देते हुए "बॉस.. इट्स डन. लेकिन इश्स ड्रग्स के पेटियो को क्या करे? "

टाइगर - तुंभी राजू बेवकूफ़ के बेवकूफ़ ही रहे - अरे भाई उसे हमारे गॉडाउन में लेकर आ जाओ और परसों ही बॉर्डर पार भेजने का इंतज़ाम करो

उसका आदमी - राइट बॉस.
किशनगंज एक एक रिमोट कोने में बसे हुए एक आलीशान बांग्ला . नदी के किनारे हुए गंगवार के आधा घंटे बाद उस बंगले के अंदर फोन रिंग हो रही थी . दुर्जन का सबसे बड़ा दुश्मन और अंडरवर्ल्ड डॉन टाइगर ने उसे उठा लिया रिसीवर को. टाइगर हत्ता खट्टा, लंबा कद वाला वाला मएक बेहद खतरनाक आदमी था . वो रिसीवर यूटा के ख़ान मे रखते ही "बोलो दुर्जन.. "
दुसरे तरफ से दुर्जन गुस्से से "टाइगर - हरामी - बदजात तूने मेरे आदमियों को मार मार कर मेरा माल लूटा ? "

टाइगर– हाँ साले - तुझे तो में _ _ और हरामी किसको बोल रहा है दुर्जन - तू भी तो मेरी तरह _ _ -हां हां हां - वह ठहाका मार कर हंसा

दुर्जन– "टाइगर, मेरे काम मे टाँग अड़ाना बंद कर".

टाइगर– "अच्छा - और जब तू मौका मिलने पर कुछ गंदगी करने से पीछे नहीं हटता वो - तेरे बाप का माल है क्या
दुर्जन - आगे कुत्ते मेरा भी वक़्त - तुझे बताऊंगा की मेरे बाप का माल है - साले तेरी तो माँ की _ _ _और उसने टाइगर को एक गन्दी गाली बकी और फ़ोन पटक दिया.
अगले सुबह टाइगर दो आदमियों शंकर और जॅकी के साथ बिता हुवा था.

जॅकी – "बॉस एक खबर है"

टाइगर– "क्या..?"

जॅकी – "कुछ गरम खबर है. हमारा अपना इनस्पेक्टर हरी लाल ट्रांस्फ़ेरर हो गया"

टाइगर– "क्या?? वो तो अपना आदमी था. अरे आदमी क्या हमारा ही कुत्ता था - . ये तो गुड न्यूज़ नही बुरा न्यूज़ हो गया"

जॅकी – "लेकिन बॉस, कुछ गरम बाते है उसमे"
कहकर वो एक खूब सूरत लड़की की तस्वीर टाइगर के हाथ मे थमा देता है. उस तस्वीर पर एक लड़की एक चमकदार काले रंग की सोनहरे बॉर्डर की साड़ी और एक चमकीला सुनहरा स्लीवलेस ब्लाउज पहने हुए थी. लम्बे कद और सेक्सी फिगर उसकी खूबसूरती को चार चाँद लगा रहे थे, पहनी हुई थी.

टाइगर– "ये कौन है खूबसूरत बला?"और अभी तक यह हमारे बेडरूम में कैसे नही आई

जॅकी – "हरी लाल का बदले मे अपायंटमेंट हुई नया लेडी इनस्पेक्टर है.. नाम है अजंता शर्मा
टाइगर– "अरे झूठ मत कहो यार"

जॅकी –"ये सच है बॉस"

टाइगर अजंता की तस्वीर देखता रहा

"अक्चा जॅकी कोई शक नही है की वो कितनी खूबसूरत है.. लेकिन मुझे लगता है की तुम मज़ाक कर रहे हो. वो पुलिस ऑफिसर हो ही नही सकती.. ".

जॅकी – "हा बॉस.. वो पुलिस ऑफिसर है" टाइगर उस तस्वीर मे अजंता की खूबसूरत चेहरा और उसकी गहरी काली आँखो को देखता रहा , तभी एक फोन कॉल से वो अपने ख़यालों से बाहर आ गया और उस फोटो को अपने पॉकेट मे रख लिया.

उसी समय दुर्जन सिंह के अड्डे मे भी इसी बात का चर्चा हो रहा था. शंकर (दुर्जन सिंह का आदमी) – "बॉस मेरा पास एक गरमा गरम न्यूज़ है" दुर्जन सिंह– "क्या हुवा? " "इनस्पेक्टर हरिलाल का ट्रान्स्फर हो गया" दुर्जन सिंह लेकिन वो हरिलाल तो डरपोक था जो भी हो ज़्यादा बदलाव तो नही होनेवाला है ह्यूम जब तक हम हरिलाल का जगह मे अपना आदमी को ला ना सके तब तक. " ये बात सुनकर शंकर का हस्सी निकल जाता है और वो "बॉस आप ऐसे नही कर सकते". दुर्जन सिंह गुस्सा होते हुए "क्या मतलब है तुम्हारा ? " शंकर -"बॉस आप अपना आदमी को तो ना ला सकते यूयेसेस जगह पर. अगर आप चाहते है तो इश्स औरत को आपकी बनI लीजिए" कहकर एक तस्वीर दुर्जन सिंह के हाथ थमा दी और वो तस्वीर था लेडी इनस्पेक्टर अजंता की...!! दुर्जन शर्मा उस तस्वीर मे अजंता को देखते हुए "वॉह ..क्या कमाल की रांड़ है. अरे ये क्या शंकर, सिर्फ़ एक ही तस्वीरे..?" राजन "नही सरकार.. ये लीजिए" कहते हुए और भी कुछ तस्वीरे दुर्जन शर्मा का हाथ मे थमा देता है, उसमे से कुछ पुलिस यूनिफॉर्म वाला थे और कुछ अलग अलग साड़ी मे. लेकिन खूब सूरत होने की अलावा अजंता एक हिम्मतवाली और ईमानदार पुलिस ऑफीसर भी है. दुर्जन शर्मा उन तस्वीरों को देखते हुए "तो ये है नयी ऑफीसर हमारे इलाके की है.हाहाहा कितनी सेक्सी और गरम चीज़ है. इसको तो नंगी देखना है मुझे और तबियत से चोदना"
तभी राजन "सरकार ये तो गुडो को ना छोड़ने के लिए फेमस है" कहकर कह देता है. दुर्जन -" मैं भी खूबसूरत लड़कियों को ना छोड़ने के लिए ही फेमस हू और ये तो मेरा अगला शिकार है. उसके बारे मे मुझे कुछ ज़्यादा बता दो, लेकिन उस से पहले तुम कंप्यूटर मे कुछ करना जानते हो ना, वो करके ला जल्दी.. " राजन-"अभी थोड़ी देर मे ही करके लाता हू सरकार" कुछ देर के बाद राजन उसका काम खतम करके, अजंता बनाए हुए फेक नंगी तस्वीरे लाके देता है. कुछ तस्वीरो मे वो सिर्फ़ कमर तक ही थी और राजन ने चालाकी से उसकी साड़ी और ब्लाउज को मिटा कर करके अजंता के पिल्लूओं (छातियों) को बेपर्दा किया हुवा था. एक फोटो मे तो उसकी नाभि को भी दिखाया था और वो नंगी हालत में गजब की दिखाई दे रही थी. दुर्जन शर्मा अजंता की नंगी तस्वीरो को देख कर दंग रह गया और "वा राजन.. कमाल की काम किया तूने. तूने उसका ब्लाउज और ब्रा ही निकल दी, एक दिन में भी असली जीवन मे ही उसका ब्लाउज फाड़ दूंगा और उसे चोद दूँगा. अगर वो मेरे रास्ते के बीच आई और अपनी पोलिसेगिरी दिखाई तो भरे बाजार में उसकी साड़ी या यूनिफॉर्म को खींच दूँगा और उसकी ब्रा उतरके उसकी बड़े बड़े रसबरी आम को दबा दूँगा और उसकी रेप करूँगा.. " दुर्जन शर्मा के इतना कहते ही उसका जीब कुत्ते की तरह बाहर आने लगी अजंता की तस्वीर देखते हुए और उसकी
उंगलिया अजंता की नंगे स्तनाग्रों (निप्पल) पर दौड़ने लगीं.



दुर्जन सिंह अजंता के बड़े बड़े और बेहद अजंता जैसी ही कलात्मक पिल्लू (उरोज) देख कर पागल हो रहा था.
कुछ दिन बाद
एक घर जो थोड़ा हट कर था जिसमे एक बहुत ही जवान और सूंदर स्त्री जिसकी उम्र २१ या २२ साल से अधिक नहीं थी लाल रंग की नाइटी लेटी हुई थी

वह अभी ड्यूटी पर जाने की सोच ही रही थी की अचानक फ़ोन बज उठा
- मैडम
उस सुंदरी की खनकती आवाज़ आयी - कौन ?
कॉलर - आप इंस्पेक्टर अजंता बोल रही हैं
वह अपने बिस्तर से उठ गयी - इंस्पेक्टर अजंता स्पीकिंग
कॉलर - मैडम सीनियर सेकेंडरी स्कूल - आइसक्रीम सेलर आगे आप खुद ही समझ लें - और उसके बाद फ़ोन कट गया.

अजंता मुस्कुराने लगी और फिर झट से उठ खड़ी हुई. नाइटी उतर कर नीले रंग की साड़ी पहन ने लगी. और उसने फिर वैसा ही ब्लाउज भी पहन लिया जिसमे उसके बड़े बड़े वक्ष उभर रहे थे.








वह साड़ी में ही बIहर निकल आयी और एक ऑटो वाले को रोक लिया
सीनियर सेकेंडरी स्कूल
दोपहर 2 बजे का समय. स्कूल का सारे बच्चे निकल गये थे घर की ओर , और टीचर्स भी अपने अपने घर रवाना हो रहे थे. कुछ लोग स्कूल बस मे और कुछ लोग अपना अपना प्राइवेट गाड़ियों मे. और कुछ लोग पैदल जा रहे थे.

अचानक एक बहुत ही ज़्यादा सुन्दर टीचर अपने चेहरे पर कुदरती मुस्कान भरे हुए, थोड़ा जल्दी जल्दी पैदल ही वहाँ से गुजरने लगी. उसने एक नीले रंग की जारजट की साड़ी और ह ब्लाउज जो की कुछ टाइट फिटिंग था और उसमे से उसके बड़े बड़े उरोज काफी भली भाँती बाहर की और आगे निकले हुए थे और उनका कुछ हिस्सा ब्लाउज से भी बाहर आ रहा था.उसने सफ़ेद रंग का पेटीकोट पहन रखा था जिसमे से उसके कुछ फ्रिल्स नज़र आते थे जब वह चलती थी.
बड़े बड़े उरूज , मदमस्त गांड और लम्बे कद की वजह से दृष्टिगोचर उसकी कमर का बहुत बड़ा हिस्सा - और एक बहुत ही ख़ूबसूरत चेहरा - वह टीचर कोई अजंता की मूरत नज़र आ रही थी. उसकी सर के बाल काफ़ी लंबे थे और कमर तक लटक रहे थे. उसके तेज़ चलने के कारण उसकी सफेद पेटीकोट का निचला हिस्सा था जो उसकी पैरो के ऊपर फ्रिल्स के रूप में ज्यादा दिखने लग गया था क्यंकि उसे अपनी थोड़ी सी साड़ी उठानी भी पड़ रही थी. वो एक अकेली औरत वहां पर रह गयी थी.
सभी के जाने के बाद स्कूल से. तभी अचानक उसे दो आदमी दिखाई दिए जो धीमी आवाज़ मे चुपके से बात कर रहे थे.वे दोनो एक आइस क्रीम बेचनेवाले के पास खड़े थे. अचानक उसमे से एक नोट का बंड्ल अपने पॉकेट से निकाल कर उस आइस क्रीम सेल्लर को दे देता है और वह आइस क्रीम बेचनेवाला भी एक पॅकेट उन दो आदमी के हाथ मे थमा देता है.वो आइस क्रीम बेचनेवाला कुछ परेशान सा दिखते हुए इधर उधर देखता है और सब अपने बग मे रख देता है. उस खूबसूरत लड़की, ने अपने शरीर के उतार चढ़ाव को थोड़ा सा बेपर्दा कर रखा था और कर रहा साडी ऐसी पहनी थी की उसकी कमर और नाभि बीच बीच में नज़र आये और अपनी लंबी कद के शरीर के उपेर मे ब्लाउज को लगभग फाड़ते हुए उसके पिल्लू भली भाँति प्रोजेक्टेड होकर अपना साइज़ बता रहे थे, कुछ दूर छुपे हुए ये सब देख रही थी, वो भी कुछ परेशान सी लगती थी.

उस लड़की की दिमाग़ मे ये क्या चल रहा है? कई सवाल पैदा हो गये उसके मन में ये सब देखते हुए. वो वही पेड़ के पीछे छिपकर ये तीन आदमी क्या कर रहे थे देखनी ध्यान से . वो तीनो आदमी और भी धीमी आवाज़ मे बाते करने लगे.
तभी आइस क्रीम बेचने वाला दो आदमियो से एक आदमी के साथ, जिस का . राजू था "राजू, देखो ख़तरा दिन बार दिन बढ़ता रहा है. "

राजू-" हम तूमे पैसा क्यों दे रहे है. तुम्हे पब्लिक्ली कुछ नही करना है, बस उस पाउडर को आइस क्रीम मे मिक्स करो और बेच दो बच्चों को . धीरे धीरे बच्चे ड्रग्स के आदि हो जायेंगे

आइस क्रीम वाला – लेकिन तुम लोग सावधानी से ही मेरे साथ ये सब डीलिंग करना, वो भी स्कूल ख़त्म हो जाने के बाद और स्कूल से दूर . "

राजू-"हा. हम आगे से इस बात का ध्यान रखेंगे".

ये सब छिपकर सुनते ही वो टीचर स्तब्ध हो जाती है. और वो ये भी भूल जाती है की वो किसी पेड़ के पीछे छिपकर ये सब सुन रही है. और सोचने लगती है की तुरंत मुझे कुछ करनी है. लेकिन जिसे ही वो वहां से जाने की सोचकर तेज़ी से अपने कदम बढ़ाये , तभी कुछ हलचल हो गयी जिस वजह से वह और उसकी मौजूदगी - उन तीनो का ध्यान उसकी तरफ चला गया.

राजू - "अरे बाप रे , इसने तो हमारे इस काम को सुन ली और देख भी लिया - कहते ही तीनो उस टीचर को पकड़ने के लिए उसकी तरफ भागते हैं
वह टीचर चौंक गयी और उसकी दिमाग़ मे ख़तरे की घंटी बजने लगी , इन तीनो को अपनी तरफ भागते हुए देख कर.. उसकी चेहरे पर डर की लकीर दौड़ गयी . जब उन तीनो मे से एक उसकी नग्न हो उठे और गदराये पेट की हिस्सा देखता है तो, उसने अपनी पीली साड़ी अड्जस्ट कर ली और कुछ समय वो कन्फ्यूज़ हो गयी की क्या करे. तभी वो तीनो उस टीचर को पकड़ने की कोशिश करने लगे.
उन्होंने उसे अपनी वैन में खींचने का प्रयास किया पर वह किसी तरह खुद को छुड़ा कर भागी

जैसे ही वो टीचर को पकड़ने को नज़दीक आये, वो उनके विपरीत दिशा में भागने लगी.
भागते हुए वो टीचर स्कूल की पिछला हिस्सा पर आ पहुँची जहा वो जगह संपूर्ण पेड़ पौडो से भरा हुवा था और उस टीचर की पीछा करते हुए वो तीनो भी वहां आ पहुंचे और उसमे से एक उसे अपनी तरफ खींच लेने का प्रयास करने लगा. वो टीचर उसे एक लात मारकर फिर से भागने लगी. लेकिन उसने साडी पहने का कारण वो लात ज़ोर से नही लगा था और वो गिरा हुआ आदमी तुरंत ऊपर उठ गया.
वो तीनो फिर से उसकी पीछा करते हुए देखा की उस टीचर की पाँव की गति बढ़ रहे है तेज़ी के साथ के साथ.वो टीचर ने अपनी साडी को दोनो तरफ से अपनी पैरो से थोड़ा ऊपर उठा लिया ताकि और तेज़ी से भाग सके.
जैसे ही उसने साडी को थोड़ा ऊपर किया , उन तीनो मे से एक का नज़र वहां पड़ी और उसे उस टीचर की थोड़ी सी नंगी टांगें और पेटीकोट भी दिखाई देने लगा. वो उसकी क्रीम, सेक्सी पैरो को देखता रहा और भागना जारी रखा.. थोड़ी देर भागते ही राजू उस टीचर की साडी की पल्लू को पकड़ने मे कामयाब हो गया . तुरंत वो टीचर रूक गयी और उनके तरफ अपनी सर घुमाकर बोली - छोड़ दो मेरी साडी .
तीनो आदमी उस टीचर को गुणडो की तरह गुस्से से और वासना भारी नज़र से देखने लगे , उस की मदमस्त जवानी भरा हुआ शरीर और उसके हर कटाव को वह हुए घर कर देख रहे थे .उसकी साडी की पल्लू की एक हिस्सा राजू का हाथ मे था, और वो तीनो उस टीचर की हलकी सी नग्न हो उठी हुए वक्षों के बीच के पतली रेखा को और उसकी स्पॉट पेट से बाहर उभरी हुई नाभि को देख रहे थे. टीचर ने उन तीनो के कब्ज़े से बाहर आने की कोशिश जारी रखी थी.

तभी राजू ने धमकाते स्वर में कहा - तो तूने हमे ड्रग सप्लाइ करते हुए देख लिया ".

टीचर - "हा... और मी तुम तीनो को क़ानून के हवाले कर दूँगी".

वो सुनकर राजू और वो दूसरे दोनो हंसने लगे और राजू "हम तुझे ऐसा नही करने देंगे. उस से से पहले हम तुझे मार देंगे.लेकिन तुझे मारने से पहले " कहते हुए दोनो के तरफ देख कर अपना आँख मरता है. तब दोनो आदमी उस टीचर की तरफ घूमकर , उसे पकड़ने के लिए बदते है और तभी उस स्त्री ने एक को फिर से लात मारकर गिरा दिया और अपनी साडी की पल्लू को उनके कब्ज़े से छुड़ाकर भागी . लेकिन वो तीनो आदमी तेज़ी से भागकर फिर से उसे को पकड़ने मे कामयाब हो गए वो टीचर अपने आप को उनसे छुड़ाने की कोशिश करने लगी . लेकिन तभी उनमे से दो आदमियों ने उसके हाथो को दोनो तरफ से पकड़ लिया . राजू उसकी ओर बेशर्मो की तरह हँसते हुए बढ़ा और वो टीचर अपने चेहरे पर डर दिखते हुए पीछे हटने की कोशिश करने लगी.

वो अपनी बाहोंको छुड़ाने की कोशिश करने लगी, उन दोनो के पंजे से. लेकिन तभी राजू का एक हाथ उसकी बाए कंधे पर गया और उसने वो साडी का पल्लू वहां से खींच लिया अभी राजू को उसकी छातियों के बीच की वक्ष रेखा नज़र आने लगी और उसकी बड़े बड़े गोल छातियॉं ब्लाउज से उभर कर सामने दिखाई देने लगीं और उस टीचर की अंदर पहनी हुई ब्रा उसकी निपल्स की इंप्रेशन को ढकने के लिए पूर्ण रूप से कामयाब नहीं थी. उसकी दोनो उरोज ऊपर नीचे होने लगे साँस लेते हुए और साथ मे ही उसकी कमर की कटाव भी चलने लगती है सांसो के साथ.
उसकी नाभि उसने पहनी हुई साडी की रेखा से काम से काम 2 इंच ऊपर थी और उसकी थोड़ा सा नाभि की नीचे उभरा पेट ये तीनो गुणडो को की हालत ख़राब रहा था. उस टीचर की साडी की पल्लू जो ज़मीन पर गिरा हुवा था, पर राजू ने अपना एक पाँव रख दिया ताकि वो टीचर और हिल ना पाए.

राजू का डाए हाथ अभी टीचर की कटाव से भरे पेट को छूता है और वो अपनी एक उंगली को उसकी नाभि मे ज़ोर से गुसा देता है. टीचर दर्द से अहह करते हुए करहती है.
राजू ये सब देखने के लिए पहले से ही उतावला था. राजू अपने दोनो हाथो से उसकी कटाव को चूमते हुए उसकी पिल्लूओं की तरफ बदता है. उसकी दोनो बड़े बड़े पिल्लू जो किसी रसीले आमो के तरह उसकी छाती पर चिपक के नीचे लटक रहे थे. उन कातिल छातियों को देख कर राजू "आह क्या मस्त पिल्लू है इसकी.. " कहते हुए उसने उसकी ब्लाउज के बीचवाला हिस्सा पकड़ लिया अपने हटो से. क्या में इस ब्लाउज को फाड़ दूँ - धमकाते हुए राजू ने उसकी ब्लाउज की उपेर की बटन के साथ खेलते हुए एक ही बार में ब्लाउज की दो बटन खोल दिए .ऊपर की दो बटन खुलते ही उसकी सफ़ेद ब्रा नज़र आने लगी जिसमे से उसकी दोनो पिल्लू बाहर को खुलने के लिए मचल रहे थे

टीचर - "छोड़ दो मेरे ब्लाउज और साडी को ".

राजू - लेकिन हम तो तुम्हारे बड़े बड़े पिल्लू को अपने इन हाथों से पकड़ के मसल डालेंगे जान
और राजू उसे दोनो के . हाथ पकड़ के धक्का देखे नीचे गिरा दिया . वो दोनो के पकड़े हुए ही पेट के बाल नीचे गिर गयी और उसके बाद राजू ने पाँव से ही उस टीचर की साडी और पेटिकोट को छेड़ दिया और ऊपर उठा दिया , जिसे करने से उसकी टाँगे तक की पाँव की हिस्सा नंगे हो गए . तीनो उसकी नंगे पाँव को लालची नज़र से घूरने लगे . राजू उस पर झुक गया और तभी वो टीचर ने अपनी अध् नंगी टांगें , अपनी घुटनो से उठाकर राजू के मूह पर ज़ोर से मार दिया. राजू अहह करते हुए दर्द से करहते हुए उल्टी दिशा मे नीचे ज़मीन पर गिर गया . तुरंत उस टीचर ने अपने हाथों को तेज़ी से चलाया और उसके हाथ पकड़े हुए दोनो आदमी धक्का खाते हुए नीचे गिर गए . जैसे ही वो सब नीचे गिर जाते है, वो टीचर तुरंत उठ खड़ी हो गयी और अपने ब्लाउज के हुक्स लगा लीये . फिर उसने अपनी उंगलियो के सहायता से सीटी मारी. देखते देखते ही पाँच पुलिस कॉन्स्टेबल्स इन तीनो के तरफ बंदूक थामे हुए आ गये और इन्हे देख कर तीनो चौंक गये. और उन तीनो को बहुत बड़ा शॉक लगा जब उस टीचर ने अपनी बिखरी हुई साडी को ठीक किया और एक हाथ अपने ब्लाउज के अंदर डालकर एक कार्ड बाहर निकलi इन तीनो के मुँह के सामने रख दिया है और उसमे जो लिखा था वो देख कर तीनो दंग रह गये
इनस्पेक्टर अजंता
अजंता ने तीनो को अरेस्ट करने की ऑर्डर दिया और तीनो दुर्जन शर्मा के आदमी गिरफ्तार हो गए

इनस्पेक्टर अजंता जो वेश बदलके कुछ दीनो से वह टीचर बनके रही थी इन क्रिमिनल्स को पकड़ने के लिए, अगले दिन से पुलिस बनकर ही स्टेशन मे चार्ज लेने की आ गयी

और सबने देखा के बेहद खूबसूरत लेडी इनस्पेक्टर जीप से स्टेशन आती हुए नज़र आता है.

जिसे वो जीप से उतरकर स्टेशन के अंदर अपनी कॅबिन की तरफ बढ़ी तो सब स्टाफ और कॉन्स्टेबल्स उसे सल्यूट कर करने लगे. अजंता सल्यूट का जवाब देकर अपनी चेयर पर बैठ गयी. पर उसके मन में यह ख्याल आ रहा था की आखिर उसे फ़ोन करके उसकी मदद करने वाला कौन था

और वहां दूसरी तरफ फोन बजता है तो शाका जो दुर्जन शर्मा का आदमी था वो फोन उतके "हेलो" कहता है.
फोन पर बात होते ही थोड़ी देर मे शाका "क्या?? तुम पक्की खबर दे रहे हो ना. मुझे सब डीटेल्स और उस स्टेशन का पता बता दो - कहकर फोन रख देता है.

ये तो अजंता की पहला अड्वेंचर था उस शहर में ....

शाका को फोन पर इनफॉर्म कर गया था की अजंता ने उसका गोडाउन रेड की है और 5 आदमियोंको अरेस्ट की है और गोडाउन को ताला लगा दिया था . ये खबर सुनते ही शाका गुस्से से आग बबूला होते हुए पुलिस स्टेशन के तरफ निकल गया , उसका लीगल आड्वाइज़र/आड्वोकेट को साथ ले जाने का परवा किए बिना ही.
पुलिस स्टेशन मे उसका अरेस्ट किये हुए 5 आदमियो की दशा देखने लायक नही थी , कपड़े निकालकर अंदर क्र दिया था उनको . उनके शरीर पर बने हुए निशानों से ही पता चल रहा था की उनकी अच्छी पिटाई की गयी थी नयी लेडी इंस्पेक्टर के हाथों.
शाका स्टेशन के अंदर घुस गया और चिल्लाते हुए "ये किस ने मेरे आदमियोंको अरेस्ट की है? किसकी इतनी हिम्मत है की मेरा गोडाउन को रेड करे और मेरे आदमियों को अरेस्ट करे? "

शाका एक कॉन्स्टेबल के तरफ बढ़ा और उसको एक जोरदार मुक्का मारा और बोलै - मेरे आदमियोंको छोड़ दो वरना तुम सब लोगो की धुलाई करूँगा में " कहकर फिर से एक घूँसा कांस्टेबल की तरफ बढ़ाया पर तभी उसकी वॉर उसे अपने मुँह पर पड़ा और वो अपना संतुलन खोकर नीचे गिर गया .
शाका ने अपना सर उठाकर देखा जहाँ वह खड़ी थी.....

वही नयी हिम्मतवाली लेडी इनस्पेक्टर अजंता जिसने कल ही के दिन स्टेशन ज्वाइन किया था और शाका के उन 5 गुंडों को पकड़ कर अपनी बहादुरी का प्रमाण दिया था .

शाका ज़मीन से उठ खड़ा हुआ और उस जवान लड़की की तरफ बढ़ा जिसने उसको लात मारकर गिराया था.. शाका को उस बला की खूब सूरत, सेक्सी स्त्री को देखकर आश्चर्य हुआ. वह पुलिस की वर्दी में भी बहुत सुंदर और क़यामत लग रही थी और खाकी पहने हुए थी सर पर एक कॅप पहनकर गुस्से से शाका की तरफ ही देख रही थी.

शाका उसे एक तक देखता रह गया. उसे देखने के बाद,ऐसा लग रहा था की इतनी खूबसूरत स्त्री को पुलिस स्टेशन मे वो भी इनस्पेक्टर के रूप मे देखने के बाद किसी सपने में खो गया हो .लेकिन उतना ही जल्दी वो अपने सपनो के दुनिया से बाहर आ गया जब अजंता ने एक जोरदार वार उसके मुँह पर किया.. वह फिर से गिरा और बाद में उठ खड़ा हुआ. लेकिन फिर अजंता ने शाका को कॉलर से पकड़ लिया और उसे ललकारते हुए हुए ,अपनी मधुर लेकिन गुस्से भरी आवाज़ मे कहें लगी "हा..मैं ही हूँ जिसने तुम्हारे आदमियोंको अरेस्ट किया, और मैं ही वो हू जिसने तुम्हारे गोडाउन पर रेड किया और ताला लगाया".

और वो आगे बोलती गयी "तुझे इतने हिम्मत किसे हुई की ड्यूटी कर रहे कॉन्स्टेबल पर हाथ उठाये -. तुझे ऐसे करने की कोई हक़ नही और आईन्दा तूने दुबारा ऐसा करने की कोशिश की तो, मैं सिर्फ़ तुझे अरेस्ट ही नही करूँगी बल्कि तुझे लॉक उप मे डाल कर ऐसे टॉर्चर दूँगी की तू कभी ठीक से खड़ा ना हो सकेगा

अपनी औकात में रहो यह तुम्हारे बाप दुर्जन शर्मा का घर नहीं है.
शाका - ऐ मैडम - अपनी हद में रहो वरना हम अपनी हद पार

और उसी समय सब कॉन्स्टेबल्स और बाकी सब स्टाफ उनके पीछे खड़े हो गए अजंता की हिम्मत को देख कर चकित होते हुए ,और अपने आँखो किसी को भी यकीन नहीं हुआ. उसी को. ये बात मान ने के लिए नही हो रहा था उन लोगो के विभाग की एक जवान और खूबसूरत, कोमल सी दिख रही औरत भी इन शैतानो के सामने इतने हिम्मत से खड़ी है जो अब तक किसी ने नही किया था.

ये तो स्टेशन के उन सब कॉन्स्टेबल्स और स्टाफ लोगो को देखने के लिए ना यक़ीनन दृश्य था, क्यूंकी इस से पहले इश्स तरह की दृश्य देखा नही था उन लोगोने. एक गुंडा जिसके सामने बहुत बड़े बड़े मर्द ऑफिसर्स भी काँपते थे, उसका सामने अजंता जो जवान और काफ़ी खूबसूरत लड़की निडरता पूर्वक खड़ी थी. और फिर फिर से अजंता ने शाका का कॉलर पकड़ा है और उसका मूह पर एक ज़ोर से वार किया.
उसकी हिम्मत को देख कर शाका स्तब्ध हो गया था. एक वार और उसके मुँह पर पड़ा. और शाका उस वार से संभल कर कुछ कर पाता, उस से से पहले और एक लात पड़ी उसके घुटनो पर शाका नीचे गिर गया. लेकिन फिर तुरंत उठ खड़ा हुआ और अजंता पर आक्रमण करने लगा
- मैं तुझे बताता हूँ साली रंडी .. रंडी" कह रहा था,- बस फिर क्या था - अजंता का चेहरा गुस्से से लाल हो गया - और दो वार उसकी कनपटी पर पड़े.
लेकिन फिर शIका मुद्दा और पलटकर अजंता की हाथो को ज़ोर से जकड लिया अचानक और उसके भरी तने हुए बाएं उरोज को अजंता की शर्ट के के ऊपर को पकड़कर ज़ोर से मसल डाला. थोड़ी देर के लिए अजंता दर्द से कराह उठी और शाखा रोकने की कोशिश की . तभी शाका ने उसके दाएं वक्ष को भी हाथ मे पकड़के ज़ोर से मसल दिया.

अजंता शाका से छुड़ाने की कोशिश करते हुए, फिर से लात मारी. . तभी उसी वक़्त शाका ने अजंता का कॉलर पकड़ लिया अजंता शाका को दूर धकेलने मे कामयाब तो हो गयी लात मारते हुए, लेकिन इस दौरान अजंता की शर्ट के ऊपर के दो बटन टूट गए और अंदर सफेद रंग की ब्रा मे छुपी हुआ अजंता का अमूल्य खजाना कुछ हद तक नज़र आने लगा.

इसे देखकर सब कॉन्स्टेबल्स की नज़रें भी उसी ओर जा पहुंची . शाका का भी आँखे उस अद्भुत ब्रा मे कैद गोल राशियों को देखकर बाहर निकल आयीं और कुत्ते की तरह उसकी जीभ लैप लपा उठी . उसके पिल्लू अब कुछ हद तक ही प्रदर्शित हो रहे थे. जिसे जिसे अजंता ने हफ्ते हुए सांस लिया तो उसकी सीने मे बसे दोनो पहाड़ ऊपर नीचे होने लगे . लेकिन अजंता ने अपनी बेपर्दा हुई गोल राशि को ढकने की कोई कोशिश नही की

अजंता की चेहरा अब गुस्से से लाल हो गया और वो शाका के साथ निपटने की और अपनी ध्यान केंद्रित करनी लगी . शाका जो इश्स वक़्त गंदी भाषा भक रहा था "ये मस्त रांड़.. मैं अब तुम्हारे कपड़े सब खींच दूंगा और तुम्हारी चूत का भोंसड़ा बना दूँगा यही तुम्हारा पुलिस स्टेशन मे. मैं तुझे नंगा करके नाच नचाऊंगा कहते हुए शाका ने अजंता को अपनी बiहो से ज़ोर से झकड़ लिया और उसकी गाल को चूमने की कोशिश करने लगा

वो फिर उसकी शर्ट को दोनो बाजू मे से पकड़कर उसकी पैंट से बाहर खींचा , उसकी कमर की की कटाव को थोड़ा अनावृत कर दिया . शाका उसकी शर्ट को और थोड़ा बाहर निकला ओर ऊपर उठा दिया.
और जिस से उसकी सफेट पेट ओर उसके मध्य मैं स्थित कोमल नाभि सब स्टाफ्स के सामने दृष्टिगोचर हो गयी
शाका और भी ज़्यादा उसकी शर्ट को खींचने ऊपर खींचने लगा , जो अभी उसकी शर्ट कम ओर ब्लाउज ज्यादा दिखने लगी और इस से अब उसका लगभग पूरा पेट चमकते हुए नाभि के साथ - साथ नग्न हो गया


शाका - " वॉवववव...क्या कमाल की हुस्न है तेरा साली - .. मैं तुम्हारी पैंट ओर शर्ट उतरूंगा तुम्हारे स्टाफ के सामने और सीधा तुम्हरी चूत की अपने इस लंड को घुसेड़कर फाड़ दूंगा " तभी उसकी कॉन्स्टेबल्स के आँखो के सामने और एक खूब नज़ारा देखने को मिला जब . शाका ने उसकी शर्ट् को पकड़ कर और भी ऊपर खींच दिया .ऐसे करने से उसकी बड़े बड़े गोल पिल्लू कुछ उजागर हो गए ,मुश्किल से एक सफ़ेद ब्रा ने उन्हें कुछ हद तक कैद किया था. उसकी ब्रा के दोनो कप्स भी पूर्ण रूप से सामने आ गए. शाका ज़ोर ज़ोर से हँसते हुए पीछे घूमकर कॉन्स्टेबल्स को देखते हुए कहा "देखो... तुम्हारी मेडम की दोनो मदमस्त पिल्लू... हाहहः" और शाका उसकी ब्रा मे कैद आधे नंगे पिल्लू को ज़ोर से दबाते हुए "मैं अब तुम सब लोगो के सामने इसका बलात्कार करने जा रहा हू". इनस्पेक्टर अजंता की हाथ ऊपर हो गए अब और उसकी शर्ट ऊपर को आते हुए उसकी चेहरा धक् दिया और उसकी चिकनी कांख(आर्मपिट्स ) दिखाई देने लगे . शाका ने उसके शरीर को अपनी शरीर से सटा दिया . लेकिन तभी अजंता ने अपनी टाँग शाका का पेट का नीचे लात मारी . अजंता की ये वार शाका नहीं झेल पाया और वो नीचे गिर जाता है. उस से पहले की वो उठ खड़ा हो , अजंता ने उसे अपनी बेल्ट से मारने को शुरू कर दिया जब तक उसका मूह से खून बहने को शुरू नहीं हुआ ओर वह अध् मारा नहीं हो गया. शाका को बाद मे अजंता गिरफ्तार मे लिया और सलाखों के पीछे डाल दिया - एक कांस्टेबल को मारने , थाने मैं आकर उत्पात करने ओर एक लेडी इनस्पेक्टर पर बलात्कार की कोशिश करने के ढेर सारे इल्ज़ामों के तहत.अजंता अपनी कॅबिन के अंदर चली गयी और आते ही पहले वो अपनी पैंट ढीली करने लगी. फिर वो अपनी शर्ट को पैंट के अंदर घुसाके , ठीक करने लगी अपनी बेल्ट बंदके पैंट पर, वॉश बेसिन के पास गयी और अपना मूह धोया उसकी चेहरे को ठीक से टiवल से पौंच्छ लिया और तभी उसे नज़र आया है की उसकी शर्ट के दो बटन्स गायब है, और उसमे से उसकी ब्रा कप्स सॉफ नज़र आ रहे थे, जैसे ब्रा में से उसका यौवन कूदने के लिए उछाल रहा हो. उसकी चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गयी और उसने अपनी लाज ढकने के लिए सेफ्टी पिन का उपयोग किया. उसके बाद वो अपनी कुर्सी पर बैठ कर कुछ फाइल्स मे डूब गयी अचानक एक फाइल मे उसे टाइगर का चेहरा और उसकी बारे मे लिखा हुआ विवरण देखने को मिला. वो अब उसको भी पकड़ने की बारे मे सोचने लगी
और खुद उसकी स्टाफ लोग सभी उसकी हुस्न और अंगो के बारे मे आपस मे बात करते रहने का आभास होते ही एक मुस्कान उसके ख़ूबसूरत चेहरे पर खिल जाती है. अजंता टाइगर की फाइल पड़ते हुए उसके भारे मे जानने की पूरी कोशिश कर रही थी ओर उसने तैय किया की एक बार उसे मिलकर उसकी गतिविधियों के बारे मे उसे चेतावनी देगी .

अजंता ऐसी ऑफीसर थी की वो किसी क्रिमिनल्स को माफी ना दे सकती थी,अजंता की यही यही मानना था की वो किसी को बी कुछ क़ानून बाहर काम करने की मौका ना दे. अजंता को अपनी काम क्या है वो तीक से पता था,इसीलिए इन सब कामो के लिए अपनी हिम्मत, समझ और खूबसूरती को उपयोग करती थी.उसकी बेहद कुबसूरती और लंबे कद औऱ मादक हुस्न के ही कारण वो अपनी डिपार्टमेंट मे काफ़ी प्रसिद्द थी.

अजंता अपनी जीप और टीन कॉन्स्टेबल्स को लेके, टाइगर के शानदार बंगले की तरफ जाने की तैयारी कर ली. लेकिन जाने से पहले उसको एक फोन कॉल आयी

कॉलर - "मैडम मैं दुर्जन सिंहके ऑफीस से कॉल कर रहा हू.

अजंता -शाखा को नहीं छोडूंगी जाकर बोल दो अपने बॉस को

कॉलर - मैडम शाखा को तो छोड़ना ही पड़ेगा. औऱ आपको बता दूँ की हमारे आदमी को टाइगर का आदमी आपके थाने के सामने वाले रोड पर बहुत बुरे से पीट रहा है. है हिम्मत तो टाइगर को ललकार कर दिखाओ.औऱ हाँ दुर्जन के आगे नंगी हो जाओ - तुम्हे माफ़ कर देंगे

अजंता - मैं टाइगर औऱ दुर्जन दोनों को उजाड़ के रख दूँगी - समझे ? बद्तमीज़ - कहकर अजंता ने फ़ोन पटक दिया
उसके बाद अजंता अपने तीन कॉन्स्टेबल्स के साथ जीप मैं सवार होकर चल पड़ी.
रास्ते में एक हवलदार ने कहा - मैडम टाइगर तो दुर्जन से भी ज्यादI खतरनाक है
अजंता - तो फिर हम यहाँ किस लिए बैठे हैं
हवलदार - मेरा मतलब था _ __ मैडम __ आप
अजंता - जैसा कह रही हूँ करो - औऱ हाँ डरपोक लोगों का पुलिस विभाग मैं कोई काम नहीं - जिसमे मुजरिमो का मुक़ाबला करने की हिम्मत नहीं वह चूड़ियां पहन कर घर बैठे - अजंता के चेहरे पर सख्ती थी
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#5
हवलदार - जी मैडम _ _वैसे आज आपने हिम्मत दिखाई
अजंता - अभी आगे औऱ भी बहुत हिम्मत दिखानी है - लेकिन तुम लोगों ने कोई साहस का प्रदर्शन नहीं किया - बल्कि मेरा प्रदर्शन देखते रहे
हवलदार झेंप गया - जी _ _ मैं समझा __ नहीं
अजंता - अच्छा ? - जब मेरी कमीज उतरने की कोशिश की तो सबका ध्यान कहाँ था मुहे मालूम है - याद रखना इन दो आँखों के अलावा भी इंस्पेक्टर अजंता की आँखें हैं औऱ तभी रोड के सामने वाले नज़ारे को देख कर उसने जीप रुकवाई - दो गुंडे जैसे दिखने वाले आदमी एक औऱ वैसे ही आदमी को मार रहे थे औऱ धमका भी रहे थे - कुत्ते की औलाद - टाइगर का नाम लेकर हमे धमकी दे रहा है - तेरी तो
औऱ तभी हवा मैं फायर हुआ - तीनो ने देखा - ख़ूबसूरत लेडी इंस्पेक्टर अजंता अपनी रिवाल्वर से गोली दाग रही थी - छोड़ो इसे
एक आदमी - मैडम हम टाइगर के आदमी हैं
अजंता ने रिवाल्वर वाला हाथ पीछे लहराते हुए कुछ बेपरवाह होकर कहा - तो ?
दूसरा - हमारे काम मे अड़चन मात डालो मैडम - वरना
अजंता - वरना क्या ?
पहला - टाइगर को तुम नहीं जानती ? वो तुम्हे _ _
अजंता - मुझे क्या _ _
दोनों एक दुसरे की तरफ देखने लगे औऱ फिर हंस पड़े - - तुम्हारा दूध निकल देगा - अरे देख यार क्या बड़े बड़े दुधु हैं इसके

दूसरा - हाय ऐसे पिल्लू तो टाइगर भैया के हाथ में आ गए तो _ _
पहला - चल पहले हम ही इसे चख लें - अरे इस ग़ज़ब माल को देख कर मेरा तो लंड एक दम पैंट मे ही कुलबुला गया है औऱ ऐसे तन गया - हां हां हां
अजंता - आज के बाद जब भी पेशाब करेगा तो हरामज़ादे मुझे याद करेगा - तेरे लंड की तो ऐसी की तैसी होने वाली है.
औऱ जैसे ही वह अजंता पर टूट पड़े अजंता ने कलाबाज़ी लगाई औऱ दोनों के मुँह पर एक एक बूट का वार लगा
इस से पहले वह उठ ते अजंता ने करते के कुछ ऐसे दांव लगाए की दोनों ही धुल चाट गए
कुछ ही देर मे दोनों के मुँह सूजे हुए थे
अजंता ने कॉन्स्टेबल्स को हुक्म दिया - बाँध दो दोनों को जीप के पीछे औऱ चलो इस हरामी टाइगर के पास.
कुछ ही देर मे अजंता की जीप टाइगर की कोठी के सामने थी - उसने जीप को ऐसे रोका की पीछे उसके अध् मरे आदमी नज़र न आएं -औऱ दरबान के पास पहुंची जो उसे अजीब नज़रों से देखने लगा - क्या बात है - उसने कुरख़त स्वर मे पूछा - टाइगर कहाँ है
दरबान - अंदर ? क्यों
अजंता - उसे गिरफ्तार करना है ?
दुर्बान को अपने कानो पर विश्वास न हुआ औऱ वह अंदर जाकर फ़ोन मिलाने लगा
उसके ५ मिनट बाद वह बाहर आया - भैया कह रहे हैं हमसे मुलाक़ात का वक़्त लेकर आओ
अजंता ने उसे गहरी नज़रों से देखा औऱ जीप को आगे लाने का इशारा किया
जैसे ही जीप आगे आयी दरबान ने टाइगर के दोनों आदमियों को अधमरी हालत मे जीप के पीछे बंधे देखा - अरे रंजन भैया यह क्या
रंजन - अरे जल्दी गेट खोल भाई - अब तो भैया के पास इसे लेजा वरना _ _
अजंता - वरना तुझे भी इतना मारूंगी औऱ जीप के पीछे बाँध कर ले जाउंगी - चल गेट खोल जल्दी
दरबान - देखो तुम जानती नहीं की किस से _ _
अजंता का एक ज़ोरदार तमाचा उसके गाल पर पड़ा औऱ इस से पहले की दरबान संभालता उसने एक लात उसके पेट पर मार दी
एक कांस्टेबल ने गेट खोला औऱ सब जीप पर बैठ कर अंदर चल पड़े

घर के मैं दूर के आगे पहुँचती ही अजंता ने हुक्म दिया - हॉर्न बजाओ - और स्वयं जीप से उतर गयी - उसका एक हाथ पीछे पीठ की ओर था हॉर्न ज़ोर ज़ोर से बजाने पर भी जब कोई प्रतिक्रिया न हुई तो अजंता ने बाएं हाथ में रिवाल्वर पकड़ कर हवा में फायर किये - एक नहीं पूरे तीन
दो मिनट के पश्चात ही दरवाज़ा खुला ओर दो नौकर जैसे दिखने वाले लोग बाहर आये - पुलिस को देखते ही उनकी ऑंखें फटी की फटी रह गयी.
अजंता - टाइगर को बाहर भेजो
एक नौकर - क्या मतलब
अजंता - क्यों हिंदी नहीं समझ आती क्या ?
दूसरा - तुम यहाँ इस प्रकार भैया के बंगले में घुसकर _ _ _
अजंता - टाइगर को बुलाता है या आऊं अंदर ?
नौकर - ऐ मैडम तुम टाइगर भैया को नहीं जानती
ओर इस से पहले की उसकी बात पूरी होती अजंता ने रिवाल्वर वाला हाथ उल्टा करके ज़ोर से उसके मुँह पर मारा
दोनों नौकर हतप्रभ रह गए.दोनों दर से कांप गए ओर भैया भैया चिल्लाते हुए अंदर चले गए.
पांच मिनट बाद अजंता ओर पुलिस वालों ने देखा की एक लगभग ३५-३६ साल का हट्टा कट्टा मूँछोंवाला रोबदार आदमी बाहर आया जिकी कमर में एक रिवाल्वर लटका था ओर होंठों पर एक महंगा सिगरेट दबा हुआ था.
उसने सिगरेट उँगलियों में लिया ओर ज़ोर से अपनी भरी आवाज़ में चिल्लाया - कौन है - क्या हो रहा है सब
अजंता - पुलिस - पुलिस आयी है.
टाइगर - क्या मतलब - तुमको अंदर किसने आने दिया. यह दरबान का बच्चा क्या कर रहा है. बुलायो उस निकम्मे _ _ _
अजंता ने अपना हाथ पीठ से आगे बढ़ाया ओर उसे ज़ोर से झटका दिया - दरबान जिसका कालर अजंता के हाथ में था ओर जिसे अजंता ने अपने पीछे छुपा रखा था, सीधा जाकर टाइगर के समीप गिर गया ओर ज़ोर से कराहने लगा - आह _ _है हाय - भैयाजी मार दिया इस थानेदारनी ने _ _ _
टाइगर अपने आगे इतनी सुन्दर लड़की को पुलिस की ड्रेस में देख कर हैरान हो गया.आज तक जिसके आगे किसी की आवाज़ न निकली हो उसके आगे यह ख़ूबसूरत सेक्सी लड़की अपनी आंखों में गुस्सा लिए खड़ी हो - टाइगर को एक पल लिए कुछ भी न सुझा ओर वह अजंता की ओर देखता रहा.
अजंता - ऐसे क्या देख रहे हो.
टाइगर - आज तक टाइगर के आगे ऐसे बात करने की किसी की हिम्मत नहीं हुई
अजंता - इसी लिए तुमने गांड फैला रखा है - जो चाहते हो क्राइम करते हो , जहाँ चाहते हो लूट पाट _ _
टाइगर - बस - इंस्पेक्टर बस - याद रखना तुमसे बड़े बड़े अफसर मेरे आगे जूते चटखारते हैं ओर आज तक किसी का इतना दुस्साहस नहीं हुआ की _ __
अजंता - मुझे मालूम है टाइगर की तुम्हारे आगे कौन कौन जूते चटखारता है ओर कौन तुम्हारे तलवे चाटता है.पर अब तुम अपने तलवों पर मालिश करवा लो
टाइगर - क्या मतलब?
अजंता - वह क्या है की मुझसे बच कर भाग तो तुम सकते नहीं . अगर भागना पड़ा तो तुम्हारे तलवे नरम होने चाहिए. वैसे में तुम्हे यहाँ _ _
टाइगर - ऐ इंस्पेक्टर
अजंता - बात को काटो मत . तुम्हे यहाँ चेतावनी देने आयी हूँ.- बंद करो अपने यह काले धंधे , स्मगलिंग ओर ड्रग्स माफिया.
टाइगर अब तक कुछ संभल चूका था - वरना?
अजंता ने अपने कॉन्स्टेबल्स को इशारा किया - वह उसके दोनों अधमरे आदमियों को घसीटते हुए ले आये . टाइगर यह देख कर सन्न रह गया - तुमने मेरे आदमियों को मारा . उन दोनों के शरीर पर जगह जगह खून आ रहा था ओर वह दोनों अपने गुप्तांग के स्थान को पकडे थे जहाँ अजंता ने कस कर वार किये थे.
अजंता - देख लिया इनका हाल ?
टाइगर - तुम इंस्पेक्टर _ _
अजंता - इस से भी जयादा बुरा हाल तेरा करुँगी तेरा की तू भी अपना अंग ऐसे ही पकड़ कर बैठेगा . तेरे इन आदमियों की नीचले अंग बहुत सख्त हो रहे थे मुझे देख कर.
टाइगर - ओह . तो दुर्जन के आदमी को मारने पर तुम इनको सज़ा _ _
अजंता ने बात काट दी - तुझे भी देख लूंगी टाइगर ओर तेरे उस नाजायज़ सौतेले भाई दुर्जन को भी
टाइगर यह बात सुनकर दंग रह गया - इंस्पेक्टर अजंता तुम _ _
अजंता के ख़ूबसूरत चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ गयी - क्यों हैरान हो रहा है ना.
टाइगर - ओह तुम सब मालूम है
अजंता - नहीं एक बात नहीं मालूम _ _
टाइगर ने प्रश्नसूचक दृष्टि से उसकी ओर देखा
अजंता - तुम दोनों को पैदा करने वाली उस रांड __ कहते हुए अजंता का चेहरा सख्त हो गया
टाइगर - ऐ _ _
अजंता - ऐ _ _ जानती तुम दोनों एक ही रंडी के जने हो. गन्दी नाली की पैदाइश - उस बदकार को भी ढूंढ लूंगी.
टाइगर उसे देखता रह गया ओर अजंता तुरंत अपने आदमियों ले साथ तेज़ी से जीप पर सवार होकर वापस निकल गयी.
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#6
मूर्ती की चोरी

कुछ दिन बाद इंस्पेक्टर अजंता सिंह अपने थाने में सुबह ड्यूटी पर पहुंची. हमेशा की तरह वह वर्दी में भी बहुत सुन्दर लग रही थी और उसके माथे पर लगी एक छोटी सी काली बिंदी उसकी खूबसूरती को और चार चाँद लगा रही थी. उसके बड़े बड़े उरोज एक दम तन कर उसकी कमीज से भली भाँती सामने की और निमंत्रण दे रह थे और उसकी वर्दी से ही उसकी बड़ी गांड और कमर का ख़म साफ़ साफ दिख रहा था. मदमाती चाल और मदमस्त फिगर वाली इंस्पेक्टर अजंता ने जैसे ही अपनी सीट ग्रहण की तो थाने का फ़ोन बज उठा
अजंता - हेलो
सामने से आवाज़ आयी - मैडम मैं रामपुर गांव से बोल रहा हूँ मुखिया हरी सिंह जी के यहाँ से
अजंता - बोलो क्या बात है
ग्रामीण - मैडम यहाँ पर बड़े मंदिर मैं मूर्ती की चोरी हो गयी है और लोगों में खूब हल्ला गुल्ला हो रहा है. और हाँ सुबह यहाँ पुजारीजी भी रस्सी से बंधे हुए बेहोशी की हालत में मिले. बड़ी मुश्किल से उन्हें होश में लाया गया है. वह कुछ ज़ख़्मी थे इसलिए उन्हें मंदिर के पास वाले हस्पताल में ही दाखिल करा दिया है. आप जल्दी से आ जाओ
अजंता - ठीक है में अभी आती हूँ.
रामपुर गांव धुबरी की सीमा पर ही स्थित था और वहां का बड़ा मंदिर पूजा पाठ और धार्मिक समारोह इत्यादि के लिए बहुत प्रसिद्द था. वहां पर चोरी होना कोई मामूली वारदात नहीं थी क्योंकि सुरक्षा का वहां पर हर समय कडा प्रबंध रहता था. यहाँ तक की गुप्त कैमरे भी कई जगह पर फिट किये हुए थे और अनेको स्थल पर अलार्म भी.
अजंता बहुत चकित थी की ऐसी जगह पर यह वारदात कैसे हो गयी. उसने तुरंत जीप निकलवाई और दो कॉन्स्टेबल्स के साथ रामपुर रवाना हो गयी. पीछे से उसने एक हवलदार को फ़ोन कॉल्स पर ध्यान रखने का निर्देश दे दिया.
रामपुर पहुँचते ही उसने मंदिर के आस पास खूब शोर गुल होते देखा. अजंता ने तुरंत डॉग स्काउड भी मंगवा लिया और उसकी नज़रें इधर उधर देखने लगीं.
पुलिस के कुत्ते अपने काम करने लगे और उसके कांस्टेबल भी उसकी सहायता में जुट गए.
वह उस स्थल पर पहुँच गयी जहाँ पर वास्तव में मूर्ती की चोरी हुई थी. मंदिर से दो मूर्तियों की चोरी हुई थी.
तभी उसने वहां पर एक और सहIयक पुजारी को अपने समीप बुलाया और कहा - आपको क्या इस बात का कुछ इल्म है की यह सब कैसे हुआ. उस पुजारी जिसका नाम दुर्गानंद था थर थर कांपने लगा और कहा - जी नहीं मैडम में तो जब सुबह उठा और मंदिर में आया तो इसका मुख्य द्वार अंदर से बंद था और बहुत कोशिश करने के बाद जब यह द्वार खुला तो हमने देखा की सब कुछ अस्त व्यस्त है. थोड़ा और अंदर जाने पर बड़े पुजारीजी बेहोशी की हालत में नज़र आये और कुछ ही देर में जब हमने देखा की मूर्तियां गायब है तो हम मुखिया जी के पास दौड़े चले गए. तब तक यहाँ हल्ला हो गया था और फिर उसके बाद तो आपको फोन कर ही दिया गया था.
इतने में मुखिया हरी सिंह वहां पर पहुँच गया और उसने हाथ जोड़ कर अजंता को प्रणाम किया.- मैडम बेहतर होगा की हम पहले पुजारी जतन दIस जी का बयान ले लें जोकि अभी हस्पताल में हैं.

अजंता को यह बात उचित लगी और वह बगल ही में हस्पताल में मुखिया हरी सिंह को लेकर जा पहुंची. जतन दास को अब होश आ गया था और वह बिस्तर पर बैठे थे. उनके घावों पर पट्टी बंधी थी और वह बहुत भयभीत लग रहे थे
अजंता - पुजारीजी बेखौफ्फ़ होकर बताइये की यह सब कैसे हुआ.
पुजारीजी ने बताया - रात्रि मंदिर में मैं अपने मंदिर स्थित आवास में सो रहा था .तब तक कुछ लोग मेरे पास आ धमके और मेरे ऊपर टार्च की रोशनी डाल कर बंधक बना लिया. इन लोगों ने मुझे मारा और चेतावनी देते हुए कहा कि अगर हल्ला करोगे तो जान से मार देंगे.इसके बाद मंदिर में रखे लाखों रुपए की राधा और कृष्ण की मूर्ति चोरी कर ली.
पुजारी ने कहा कि राधा कृष्ण की मूर्ति 100 वर्ष पूरानी थी.उन्होंने बताया कि राधा की मूर्ति 20 किलो वजन की पीतल की बनी हुई थी.जबकि कृष्ण की मूर्ति कोई कीमती पत्थर धातु निर्मित थी.
अजंता - आप बोलते जाईये पंडितजी

पुजारी - हाँ मैडम उनमे से एक आदमी का नाम विक्की था. वास्तव में उसी के एक साथी ने गलती से उसका नाम ले लिया था और जैसे ही उसे पुकारा उस विक्की नाम के आदमी ने तुरंत उसे डाँट दिया. फिर उन्होंने मुझे बेहोश कर दिया और तुरंत भाग निकले.
अजंता - आप उन लोगों में से किसी के बारे में कुछ बता सकते हैं?
पुजारी - हाँ मैडम असल में हालाँकि उन लोगों के मुँह ढके हुए था परन्तु उस विक्की नाम के आदमी के चेहरे से एक मिनट के लिए कपडा हट गया था. वह दिखने में कोई मासूम सा लड़का ही लग रहा था और यकीनन काफी कम उम्र था .यही कोई १९ या २० साल. और औसत कद का था. परन्तु उनमे सबसे तेज़ और मुस्तैद वही लग रहा था.और हाँ उसी समय उसे एक फोन आया और उसने फोन वाले को भाई कह कर बुलाया.
अजंता बड़े ध्यान से यह बात सुन रही थी - और कुछ ?
पुजारी - हाँ मैडम - और जिस से वह बात कर रह था उसकी आवाज़ फ़ोन से बाहर भी आ रही थी - कुछ ऐसा कह रहा था - अरे ज़रा ध्यान से - वह साली सिपाहियों के साथ _ _ _ _ क्या __ हाँ - सिपाहियों के साथ घर तक चली आयी थी
अजंता यह सुनकर चकित हो गयी - ओह _ _ _ तो यह टाइगर का काम है. उसने मन ही मन सोचा.
अजंता ने यह कुछ पॉइंट्स अपने कांस्टेबल से कहकर नोट करवाए और वापस मन्दिर में आ गयी. उसने उस अफसर को जो की डॉग्स स्काउड का इंचार्ज था अपने पास बुलाया - कुछ सुराग हाथ लगा
इंचार्ज बोलै - यस मैडम ज़रा वहां आईये जहाँ से मूर्तियां उठाई गयी हैं - वह उसे वहां ले गया और कुछ दिखने लगा - अजंता ने मूर्ति स्थल के के पीछे एक रास्ता देखा और प्रश्नसूचक दृष्टि से उस अफसर को देखा - मैडम हमारे कुत्ते उस ऒर जाने का संकेत कर रहे हैं.
अजंता ने मुड़कर उस सहIयक पुजारी से पूछा - यहाँ कोई गुप्त स्थान या केबिन जैसी जगह है. उसने संकेत करके कहा - मैडम इस ऒर - अजंता ने अपना रुख उस तरफ किया जहाँ एक छोटा सा दरवाज़ा था - वह एक अहाते में घुस गयी और कहा - अभी यहाँ कोई न आये - अंदर जाते ही उसने अपनी शर्ट पैंट से बIहर निकIली और उसे उतार कर एक ओर रख दिया. उसके बाद उसके हाथ अपनी पीठ पर गए और उसने अपनी ब्रेसियर का हुक खुल दिया और कंधो से सरका कर उतार दिया - ब्रेज़री खुलते ही उसे दोनों बड़े बड़े पिल्लू स्वछन्द होकर ऐसे
हिल गए मानो काफी देर से आज़ाद होने को तरस रहे हों. और बिल्कुल नंगे उछल पड़े. अपने बड़े बड़े पिल्लू और उनके आगे दो कड़क भूरे निप्पल देख कर अजंता के होंठों पर हलकी मुस्कराहट आगयी. उसने अपनी ब्रेज़री के हुक से एक बहुत महीन और छोटा सा यंत्र निकाला और उसकी तार हलके से खेंचकर उसे वाहन केंद्रित किया जहाँ उसे अफसर ने इशारा किया - उसे यन्त्र से एक लाल रौशनी निकली. यह देखते ही अजंता के चेहरे पर एक गहरी मुस्कुराहट आ गयी और उसने वह यन्त्र बंद का दिया और वह छोटा सा केबिन का दरवाज़ा खोलने लगी
पर तभी उसे ध्यान आया की वह ऊपर से नंगी है. - वह कुछ लज्जा गयी और उसने वापस दरवाज़ा बंद करके अपनी ब्रा पहनी और फिर शर्ट भी पहनकर पैंट में करीने से डाल दी. - फिर खुद से वह शरारती स्वर में हलके से बुदबुदायी - अजंता रानी - अपने पिल्लू बचाके
बाहर आते ही वह उस अफसर और अपने कॉन्स्टेबल्स से बोली - चलिए आईये - में जानती हूँ किस तरफ जाना है.
और अजंता डॉग्स स्क्वाड के अफसर को अपनी जीप में बिठाकर बIहर की और चल दी. वह बड़े ध्यान से रास्ते का निरिक्षण करते हुए जा रही थी और साथ के साथ उसके चेहरे पर मुस्कराहट गहरी होती जा रही थी.
ओफ्फ्सीर ने पूछा - मैडम क्या बात है - आपके हाथ कुछ सुराग लगा
अजंता - वह देखिये
और वहां कच्ची सड़क पर गाड़ियों के निशान थे.
अजंता - वह लोग दो अलग अलग गाड़ियों में आये थे. और एक स्थल पर पहुँच कर उसने अपनी जीप और डॉग्स स्क्वाड की गाडी रुकवाई. सड़क के आगे एक होती सी ऊंचाई थी जो की उस पूरे कुनबे ने गाड़ियों से नीचे उतर कर तय करनी शुरू की. पुलिस के तीन कुत्ते सूंघते हुए अपना काम कर रहे थे. तभी सहसा कुछ घने पेड़ नज़र आये और अजंता रुक गयी.
उसने बाकि लोगों को रुकने का इशारा किया और उस अफसर को साथ आने के लिए कहा. उन पेडो के झुरमुट से निकल कर अभी वह दस कदम ही चले थे की आगे उन्हें कुछ बिलकुल साफ़ साफ़ दिखने लगा - उस ऊंचाई के काफी नीचे एक छोटा सा अड्डा नज़र आया जहाँ पर कुछ खुंखार लोग पहरा दे रहे थे. अजंता और वह अफसर पुलिस की वर्दी में थे इस लिए उन्होंने एहतियात बरती और पेड़ों के पीछे छुपकर दूरबीन का इस्तेमाल करने लगे.
जो उन्होंने देखा उसे दख कर उनकी आँखों में चमक आ गयी.
सोने की मूर्तियां , कई लकड़ी के डब्बों में सोने के बिस्कुट, बेशकीमती हीरे , ड्रग्स - क्या नहीं था वहां जिसकी सप्लाई चल रही थी.
वहाँ पर हथियारों की सप्लाई भी जारी थी - अजंता के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आयी - चलो मुझे बाहर से हथ्यार नहीं लाने पड़ेंगे
ओफ्फ्सीर - मैडम आपका संदेह बिलकुल ठीक था
अजंता के मुँह से निकला - टाइगर - में तुम्हे नहीं छोडूंगी. यह कहते ही उसके चेहरे पर सख्ती आ गयी और उसे वापस लौटने का निश्चय किया. दोनों वापस अपनी अपनी गाड़ियों में बैठ गए और अजंता ने अपने थाने का रुख ले लिया
पर उसे आगे का प्लान तैयार करना था.उसका दिमाग तेज़ी से चलने लगा और थाने पहुँचते ही वह अपनी कुर्सी पर आकर बहुत गंभीरता पूर्वक कुछ सोचने लगी. तभी उसके चेहरे पर रहस्यमयी भाव आये और उसने पुलिस विभाग की केमिकल लेबोरेटरी में फ़ोन किया. उधर से अवाज़ा आयी - यस मैडम
अजंता - सुनो मुझे वह केमिकल चाहिए जिसकी मैंने कुछ दिन पहले बात की थी
उधर से आवाज़ आयी - मैडम आपको वह कल तक तैयार मिलेगा.
पर अजंता बहुत एहतियात से यह काम करना चाहती थी. उसे अच्छी तरह ज्ञात था की उसी के विभाग में कुछ लोग बहुत ही भ्रष्ट हैं और कोई दुर्जन तो कोई टाइगर से मिला हुआ है. उसने निर्णय लिया की फिलहाल वह यह काम खुद ही करेगी - बिलकुल अकेले. बस केवल दो कॉन्स्टेबल्स के साथ और वह भी कमिश्नर के द्वारा दिए गए भले ही उसे कितना भी खतरा ही क्यों न उठाना पड़े.
वह अब मन ही मन वहां जाने का प्लान बनाने लगी और सोचने लगी की कौन सा दिन उसके लिए उपयुक्त होगा. तब उसने सोचा की कमिश्नर साहब को कुछ हद तक विश्वास में लेकर वह अपने थांने में यह घोषणा करेगी की कुछ निजी कार्य के कारण वह दो दिन की छूती पर है और शहर से बाहर है और सिर्फ कमिश्नर के ही दो विश्वास के आदमी उसके साथ रहेंगे जो हर प्रकार से उसके निर्देशों का पालन करेंगे.
अजंता ने अपने लिए एक अच्छा सा कप चाय का मंगवाया और उसके बाद सबको निर्देश दिया के कम से कम दो घंटे तक उसे कोई भी डिस्टर्ब नहीं करेगा नहीं कोई फ़ोन कॉल उस पर ट्रांसफर होगी.
वह अंदर बैठ गयी और इत्मीनान से चाय की चुस्कियां लेकर कुछ सोचने लगी. चाय ख़तम करने के बाद उसने एक फाइल निकली और टाइगर के सब आदमी जो भी उसके रिकॉर्ड में थे के बारे में ध्यान से पढ़ने लगी. लेकिन उसे ऐसा कोई भी छोटा सा मासूम दिखने वाला चेहरा नहीं दिखा जिसका जिक्र करते हुए मंदिर के मुख्य पुजारीजी ने विक्की नाम के शख्श का उल्लेख किया था. बल्कि उसे यह पता लगा की एक खतरनाक सा शख्श जिसका नाम मुख़्तार है टाइगर के साथ कई उलटे सीधे कामों में जुड़ा है.अजंता ने अनुमान लगाया की हो सकता है उसका सामना टाइगर के इसी अड्डे पर हो जाये.
पर वह अभी भी उस विक्की नाम के शख्श को खोज रही थी. पता नहीं क्यों अजंता का मन यह कह रहा था की इस विक्की नाम के आदमी के साथ ज़रूर कुछ बात है जो हटकर है.पुजारीजी ने उसे एक मासूम सा लड़का दिखने वाला बताया था. दरअसल अजंता यह भी चाहती थी की टाइगर और दुर्जन के आदमियों में से कुछ लोग अगर पुलिस विभाग के लिए फोड़ लिए जाएँ तो काफी अच्छा होगा. पर कौन होगा जो उसकी मदद करेगा. उसके सामने दुर्जन और टाइगर के गिरोह और उसकी गतिविधियों को खतम करने का एक बहुत बड़ा चैलेंज था.
फाइल बंद करने के बाद वह कुछ गुप्त नक़्शे देखने लगी जो की उस स्थान से सम्बंधित थे जहाँ वह आज होकर आयी थी और बहुत गौर से उस नक़्शे को देखने लगी.
तभी अजंता की नज़र ठीक उस कोने पर पड़ी जहाँ वह उतर कर गयी थी. उसकी नज़रें चलते चलते ठीक उस लोकेशन पर जा पहुंची जहाँ उसने टाइगर के आदमियों की गतिविधियां देखीं थीं और वहां ओर दो छोटी छोटी बिल्डिंग्स मौजूद थीं जिनमे से सामान ले जाने और लाने का काम हो रहा था
यकीनन टाइगर का अड्डा सिर्फ यह नहीं हो सकता.
अजंता को शुभा हुआ और वह यह सोचने पर विवश हो गयी की वह एक खतरा तो उठा रहे है और वह अगर इस अड्डे को बर्बाद करने में कामयाब हो भी गयी तो क्या टाइगर के उस ख़ास अड्डे जहाँ से वह अपनी सब गतिविधियों का काम संभालता है, पहुँच पायेगी ?
क्या टाइगर की कोठी ही उसका मुख्य अड्डा है. थोड़ा और गौर से देखने के बाद उसने एक और बात नोट की की ठीक उसी जगह से दो दिशाओं में सड़कें निकल रहि थीं और वहां से आराम से ट्रक और गाड़ियां आ जा सकते थे.
हो न हो टाइगर के बाकि के अड्डे भी इन्ही सडकों से जुड़े हैं.नक्शों का अध्ययन करके उसने एक बार इस बात का मुआयना किया की कहीं कोई बाहर से उसकी बात सुन तो नहीं रहा. आश्वस्त होने के बाद उसने कमिश्नर साहब को फ़ोन लगाया और गुप्त रूप से उनसे बातें करने लगी
अजंता ने यह निर्णय लिया की वह ठीक दो दिन के बाद वहां जाएगी जहाँ से उसे अपना काम पूरा करना था
उसने एक गाने वली का भेष बनाकर टाइगर के अड्डे पर जाने का फैसला लिया.अपने साथ उसने कमिश्नर के द्वारा भेज गए दो आदमी लिए जो की उसके सहायक लग रहे थे.
अजंता ने अपने लाल और अन्य रंग से मिश्रित घाघरा और चोली पहनी.
चोली बैकलेस होने के कारण उसने ब्रेजियर नहीं पहनी जिसकी कारण उसके बड़े बड़े उरोज चोली से अच्छा ख़ासा संघर्ष करते नज़र आ रहे थे और उसके निप्पल भी चोली से साफ़ साफ़ अपने ग्रहण किया स्थान को दिखा रहे थे.
पीठ का भी काफी सारा हिस्सा नंगा था.
परन्तु अजंता ने जान बूझकर इस तरह की उत्तेजक वेशभूषा का चयन किया था क्योंकि उसे अपने द्वारा चलने वाले हथियारों का भली भाँती ज्ञान था.और चोली पेहेन्ने से पहले उसने अपने स्तनाग्रों (निप्पल्स) पर लबोर्टोरी से लिया वह केमिकल बहुत अच्छे तरीके से मला और फिर चोली पहन ली. अपने घाघरे की गुप्त जेब में उसने रिवाल्वर भी रख लिया और कुछ अन्य ज़रूरी यन्त्र.
घाघरे और चोली में उसका यौवन खिल उठा और उसकी गदरायी कमर जो की पूरी नंगी थी और जिसमे उसकी नाभि घाघरे की रेखा से तीन इंच ऊपर दृष्टिगोचर थी, काफी क़यामत ढा रही थी.
अजंता ने अपने उन दो साथियों को साथ में लिया और एक ऐसी गाडी में सवार हुई जो पुलिस की नहीं थी.
उसने अपने दो कॉन्स्टेबल्स सादी वर्दी में बुलाये और उन्हें गुप्त रूप से कुछ हिदायतें दें और नक़्शे भी समझाए. तीनो एक गाडी में स्वर होकर उसी रास्ते पर चल दिए जहाँ पर से उसने उस दिन उस ओफ्फ्सीर के साथ दायरा किया और ठीक उसी ढलान पर जाकर गाडी रोक दी.

उसके दोनों कांस्टेबल कव्वालों की तरह ड्रेस पहन हुए थे और साथ में हारमोनियम रखा था - उन्होंने भी अपने कपड़ों में कुछ हथियार छुपाये थे
उसने अपने कॉन्स्टेबल्स से कहा चलो तैयार रहो और वैन में बैठे ड्राइवर को निर्देश दिया अपने माइक्रोमीटर आदि तैयार रखना जभी में ज़रूरी मैसेज दूँ - तुम उसी के अनुसार एक्ट करना
ड्राइवर ने हामी भर दी - जी मैडम.
असल में उसके कॉन्स्टेबल्स भी जानते थे की अजंता अपना जयादा काम खुद ही याने वन मैन आर्मी की भाँती ही करना जानती थी और वह अपने स्टाफ पर कम से कम निर्भर रहना पसंद करती थी. इतना ही नहीं वह अपने स्टाफ के साथ बेहद रिजर्व्ड रहती थी और बहुत अधिक हंसी मज़ाक या खुलना भी नहीं करती थी. वह केवल काम से काम रखना पसंद करती थी. उसके कॉन्स्टेबल्स और अन्य स्टाफ अजंता की खूबियों से भी परिचित थे इस लिए एक बार उसकी तरफ से कोई भी निर्देश आता था तो कोई भी उससे बहुत अधिक बहस नहीं करता था.
अजंता और उसके कॉन्स्टेबल्स गाने वालों के भेष में ढलान से नीचे उतरने लगे जहाँ टाइगर के आदमी मुख्तार सिंह ने अड्डा जमा रखा था.
अजंता और उसके आदमी जैसे ही अड्डे की और बड़े वहां दो बदमाश जैसे दिखने वाले लोग भागते आये - आए लड़की कौन हो तुम और यहाँ कहाँ चली आ रही हो
अजंता - ऐ बाबूजी हम लोग तो गाने बजाने वाले हैं - ज़रा हमको यहाँ से आगे जाने का रास्त बताओ न जी.
एक कांस्टेबल - अरे भैया तनिक रास्ता भूल गए हैं ज़रा बता देंगे
दोनों बदमाशों की नज़र अजंता पर गयी और उन्होंने उसे सर से पाँव तक देखा - एक ने दुसरे को आँख मारी - हाँ हाँ क्यों नहीं चले जाना - गाने बजIने वाले हो ?
अजंता - हाँ बाबूजी
एक आदमी - तो आओ न कुछ हमे भी सुनाओ - और उसने दुसरे को इशारा किया - इन्हे मुख़्तार भाई के पास ले चलते हैं भाई बहुत खुश होंगे
अजंता - हाय रे दैया - यह मुख़्तार कौन है - ऐ बाबूजी में जवान कुनवारी लड़की - ऐसे कैसे
दोनों अजंता के ख़ूबसूरत गदराये और ज़बरदस्त सेक्सी शरीर की देख रहे थे - अरे कुछ गाना बजाना करनI अपना इनाम लेना और फिर हम तुम्हे शहर का रास्ता बता देंगे
अजंता - सच्ची? क्या हमको इनाम मिलेगा ? और वह सादी वर्दी में बुलाये का छोर होंठो में डालकर शर्माने का नाटक करने लगी.
एक ने दुसरे की तरफ आँख मार के इशारा किया - हाँ मुख्तार भाई खूब इनाम देंगे
सब लोग मुख्तार भाई के उस केबिन की और चल दिए जो की अड्डे के एक कोने में बना था और जीके बाहर एक छोटा सा खुला मैदान भी था
केबिन के पास पहुँचते ही एक ज़ोर से आवाज़ आयी - अरे शंकर कहाँ मर गया साले - कितनी देर से आवाज़ दे रहा हूँ - मेरी शररब की बोतल खाली _ _ _
उन दोनों में से एक आदमी भागता हुआ गया - आ गया मुख्तार भाई - और उसने एक शराब की बोतल निकाल कर मुख़्तार को देदी - तुम सब साले आज कल बहुत सुस्त हो गए हो
शंकर -अरे र नहीं मुख़्तार ज़रा देखियो तो शराब के साथ साथ क्या इंतज़ाम किया है - और उसने कुछ दूर कड़ी अजंता पर इशारा किया
मुख्तार ने उसे देखा और देखता ही रह गया - वाह वाह शंकर तू तो सचमुच् कमाल कर दिया रे - यह ग़ज़ब माल कहाँ से लाया

शंकर - गाने बजाने वाले हैं - मैंने कहा मुख़्तार भाई आपका गाना सुनेंगे और फिर खूब इनाम देंगे
मुख्तार ज़ोर से हंसा - क्यों नहीं क्यों नहीं - फिर वह अजंता की ओर मुखातिब होकर बोला - क्यों छमिया तू तो बड़ी ग़ज़ब है री
अजंता - ऐ बाबूजी में एक जवान कुनवारी बेचारी लड़की - गाना जाती हूँ पेट भरती हूँ - मुझ गरीब का गाना सुनोगे? - वह मासूमियत से बोली
अख्तर - क्यों नहीं गानI सुनेंगे ओर फिर खानI भी खिलाएंगे - ओर उसने दुसरे आदमी को कुछ इशारा किया - गाने के बाद तू मेरी ख़ास मेहमान होगी ओर तेरे बाशिंदो की भी खातिर करेंगे . अपने आदमी को मुड़कर कहने लगा - ज़रा इस छमिया के नाच का इंतज़ाम करो - फिर यह मेरे साथ खानI खायेगी ओर इसके आदमियों को भी भरपेट खिला देना.
और थोड़ी ही देर में दोनों कॉन्स्टेबल्स का हारमोनियम और संगीत और साथ ही साथ अजंता का नाचना शुरू हो गया - अजंता ने किसी आइटम गर्ल की तरह भोजपुरी के द्विअर्थी संवादों के साथ एक उत्तेजक नृत्य पेश किया की बस - मुख्तार के साथ जितने भी लोग थे (उस वक़्त अड्डे पर कुल ७ या ८ लोग थे ) सबकी पतलून टाइट हो गयी और अजंता की लहराती कमर और नृत्य के समय हिलती मस्त गांड से सबकी आँखें खुली रह गयीं

सब बारी बारी अपने गुप्त अंग पर हाथ फेरने लग गए

नाच के बाद मुख्तार ने उसके दोनों को कॉन्स्टेबल्स के लिए खाना और दारु मंगवाई और अजंता का हाथ पकड़ कर अपने कमरे में ले गया - अजंता भी मासूमियत के भाव चेहरे पर लाकर उसके इर्द गिर्द चलती रही . अजंता ने अपने कॉन्स्टेबल्स को इशारा किया (दरअसल उन्होंने फैसल किया था की कुछ भी नहीं कहेंगे और दारु भी चालाकी से इधर उधर गिरा देंगे ताकि किसी को शक न हो
कमरे में पहुँच कर जैसे ही मुख़्तार ने कुण्डी लगाई अजंता बोली - ऐ बाबूजी क्या करते हो ? यहाँ पर तो _ _ _
मुख़्तार - तेरे मेरे सिवा कोई भी नहीं
चल पहले कुछ खा ले - अजंता नहीं बाबूजी मुझको मेरा इनाम दो में तो चली - हाँ
मुख्तार - अरे इतनी भी क्या जल्दी है मेरी जान - तूने अपना नाच दिखया - अब मेरा खेल भी तो देख
अजंता - आपका खेल ?
मुख़्तार - हाँ मेरी जानेमन - तेरा नाच देख कर मेरा लंड पतलून में ज़ोर ज़ोर से खेल रहा है - कसम से इतनी कातिल जवानी मैंने कभी नहीं _ _
अजंता - ओह तो यह बात है बाबूजी - प्यार करोगे मुझसे ?
मुख्तार - हाँ जान - अब तेरे साथ प्यार का खेल खेलूंगा
अजंता - और मेरा इनाम ?
मुख़्तार - इस से कहीं ज्यादा जितना तूने सोचा होगा
अजंता - तो पकड़ो मुझे बाबूजी - हा हा - और वह ज़ोर से हंसती हुई कमरे के अलग अलग कोनो में भागने लगी
मुख्तार ने शराब की बोतल खोलकर एक घूँट भरा और अजंता के पीछे भगा और उसे दबोच लिया - कहाँ जाएगी मेरी जान
अजंता ने मुख्तार को एक चुम्बन दिया और उसके चंगुल से छूट कर भागी
मुख्तार - हाय कसम से जान - तेरी किस ने तो मेरा पिस निकाल दिया - अब तेरा पिस कब पीने को मिलेगा - अब और मत तड़पा और मेरे पास _ _ और अजंता ने अपनी चुनरी उतार कर मुख़्तार की ओर फेंक दी - मुख़्तार ने चुनरी झपटी और उसे अपने होंठों पे लगी शराब को साफ़ किया - फिर चुनरी एक और फेंक दी
अजंता मुख़्तार के पास पहुंची , कुछ शर्मायी और अपनी पीठ जो की काफी हद तक नंगी थी उसकी ओर कर दी
मुख़्तार उसकी नंगी पीठ देख कर एक दम उत्तेजित हो गया और उसकी पैंट का तम्बू साफ़ दिखने लगा - मुख़्तार ने अंदर कोई कच्छा भी नहीं पहन रखा था
उसने पागलों की तरह उसकी पीठ चूमनी शुरू कर दी - अजंता के चेहरे पर अलग लग तरह के भाव आने लगे
तभी मुख़्तार की उँगलियों ने हरकत की और उसने अजंता की बैकलेस चोली के डोरे खोलने शुरू कर दिए - जैसे ही चोली खुली अजंता को वह अपने बड़े बड़े उरोजों पर ढीली होती हुई महसूस हुई
मुख़्तार मग्न था उसकी पीठ चूमने में - अजंता जैसे ही सामने को पलटी उसने उसकी खुली चोली के मध्य मं हाथ डाला और चोली उतार कर फेंक दी
मुख़्तार पर तो जैसे बिजली गिर गयी जब उसने वह हंगामेदार नज़ारा देखा - दो बदमाश मुँह निकल कर उसके सामने हिल गए थे - वाह वाह क्या बड़े बड़े पिल्लू हैं इसके
अजंता के बाद बड़े पिल्लू नंगे होकर मुख्तार को निमंत्रण देने लगे - उसके स्तनाग्र एक दम कड़क हो चुके थे - मुख्तार से रहा नहीं गया और उसने दोनों हाथों से उसके उरोज पकड़ने चाहे
अजंता - न न बाबूजी ऐसे नहीं - और वह लेट गयी - मेरे जिस्म में आग लग रही है - मेरे राजा - आ कर मेरे इन निप्पल को काट दे - मेरा अंग अंग जल रहा है
मुख्तार - हाय कह कर उस पर टूट पड़ा और अजंता के निप्पल अपने दांतो में लेकर उन्हें चूमने और चबाने लगा - हलके काटने से अजंता को कुछ दर्द भी हुआ और वह करहाने लगी - ऐ बाबूजी मत काटो ना.
यहाँ तक की वह अपना नंगा लंड बाहर निकल कर अजंता के निप्पल पर रगड़ने लगा.- अरे यह क्रीम क्या है
अजंता - बाबूजी आपके लिए है

पर मुख्तार कहाँ सुन रहा था - उसने उसकी कमर के इर्द गिर्द हाथ दाल दिए और कभी उसके नंगे सीने तो कभी उसके निप्पल पर काटता
अजंता - आए मेरे निप्पल
मुख़्तार - हाँ रानी - तेरे यह निप्पल - और वह उन्हें और जोशोखरोश से काटने लगा
तभी मुख्तार को जैसे कुछ अपने होंठों पर अजीब सा लगने लगा - और फिर उसे ऐसा लगा जैसी किसीने उसे तेज़ाब पीला दिया हो - आआआह्ह्ह्हह्ह्ह्ह उउउउउउ करके वह चिल्लाया और उसने अपना गला पकड़ लिया
तभी इसी हालत में उसने देखा की अजंता उसके सामने खड़ी मुस्कुरा रही थी - उसका ऊपरी शरीर अभी भी नंगा था और वह मुख़्तार के बिस्तर पर पड़े कपडे से अपने निप्पल साफ़ कर रही थी -
मुख्तार तड़प उठा - ऐ लड़की - क्या है यह सब
अजंता - कुछ नहीं मुख्तार - बस थोड़ा सा ज़हरीला केमिकल - जो आधे घंटे में तुझे ख़तम कर देगा
मुख्तार - क्या मतलब - कौन है तू और यह सब क्यों _ _ _
अजंता - इंस्पेक्टर अजंता - और उसने अपनी चोली पहन ली
अजंता - अरे मुख्तार ज़रा मेरी चोली के डोरे तो बाँध दे
मुख्तार की हालत ख़राब हो रही थी पर वह बेबस था - उसने ऐसा ही किया - में मर रहा हूँ.
अजंता - तू बच सकता है
मुख्तार का दर्द बढ़ गया - कैसे ?
टाइगर के सारे अड्डों के पते बता और यह मूर्तियां चोरी होकर किस के पास जाती हैं यह भी
मुख्तार - नहीं नहीं में टाइगर भाई के साथ गद्दारी करूँगा तो वह मुझे मार देगा
अजंता - वह तो तू वैसे भी मर ही जायेगा - हाँ हो सकता है जो मैंने पूछा है उसे बताने के बाद में तुझे बचा लूँ - आगे तेरी मर्ज़ी.
मुख्तार ने टाइगर के कुछ अड्डे अजंता को बता दिए
अजंता - यह मूर्तियां समुग्गले होकर कहाँ जाती हैं
मुख़्तार - वह _ _ _ वो _ _यहाँ से दक्षिणी दिशाओं में एक जंगल है जहाँ से कुछ दूर ही एक स्वामी का आश्रम है -स्वामी अघोर बाबा - वह टाइगर और दुर्जन दोनों को अलग अलग कामों के लिए फाइनेंस करता है और बदले में ड्रग्स , मूर्तियां उसके पास जाती हैं जिम्हे वह आगे विदेश भेजता है - वह हिंदुस्तान में कम रहता है और महीने में केवल ६-७ दिन ही यहाँ आता है - मैंने तुम्हे सब बता दिया - अब मुझे ज़हर का तोड़ दो
अजंता ने रिवाल्वर निकाल कर उसकी कनपटी पर रख दिया - चल बाहर
अजंता ने जैसे ही बाहर का दरवाज़ा खोला वह अपने आदमियों को ज़ोर से बोली - कम ऑन एक्शन
इसे पहले की मुख़्तार के आदमी तैयार होते उसके कॉन्स्टेबल्स ने बन्दूक निकाल कर फायरिंग करनी शुरू कर दी - देखते ही देखते वहां ६ - ७ लाशें बिखर गयीं - अजंता ने अपने कांस्टेबल की मदद से मुख्तार की मुस्कें कस दी और उसे एक अन्य पदार्थ पिलाया जिसे उसे उस ज़हर से राहत महसूस हुई - याद रख मुख्तार अगर तूने मेरे साथ गद्दारी की तो गले में दौरा कर कुत्ते की मौत मारूंगी
यह कहते ही वह सब बाहर आ गए
उसके कॉन्स्टेबल्स ने कुछ ग्रेनेड निकले और अड्डे की और उछाल दिया - दो तीन बड़े ब्लास्ट हुआ और मुख्तार का अड्डा मलबे के ढेर में बदल गया - वह बेबस होकर देखता रहा
अजंता ने तुरंत अपना मोबाइल निकला और गाडी के ड्राइवर से संपर्क करने लगी
कुछ देर बाद मुख्तार सलाखों के पीछे बंद था.
अगले दिन इंस्पेक्टर अजंता अपने थाने पहुंची और उसने मुख्तार की खबर लेने की पूरी तैयारी कर ली
पर जैसे ही वह अपनी सीट पर बैठी उसका फ़ोन बज उठा.
अजंता - हेलो
कॉलर - नमस्कार मैडम आप मुख्तार से उस कोठी के बारे में ज़रूर उगलवाईएगा
अजंता - कोठी _ _ _ कौन सी कोठी और तुम कौन _ _ _
इससे पहले की अजंता अपनी बात पूरी करती फ़ोन काट गया - कौन सी कोठी . मुख्तार तो किसी स्वामी की बात कर रहा है. और यह फ़ोन करने वाला कौन है
खैर अजंता कुछ सोच विचार करती हुई हुई जेल में गई जहाँ मुख्तार को क़ैद कर रखा था
उसने हाथ में डंडा लिया और सब कॉन्स्टेबल्स को बाहर जाने का इशारा किया - सब हैरत से उसकी ओर देखते हुए बाहर चले गए.
हाँ तो मुख्तार मियां - तुमने कल किसी स्वामी की बात की थी.
मुख्तार (आज वह बेरुखी से बात कर रहा था ) - मैंने आपको कल बताया न की _ _ _
अजंता - यह कोठी का क्या रहस्य है
मुख्तार चौंक गया - जी कौन कौन सी कोठी में नहीं जानता
अजंता मुस्कुरा उठी और समझ गयी की तीर निशाने पर लगा - सीधी तरह बताते हो या _ _ _
मुख्तार - नहीं नहीं में किसी कोठी के बारे में नहीं जानता
अब बारी अजंता की थी - उसने ज़ोर से डंडा मुख्तार के घुटनो पर दे मारा - तुम ऐसे नहीं बताओगे - बस अजंता अब शुरू हो गयी और जहाँ मन किया मुख्तार को डंडे से पीटने लगी
कुछ ही देर में - बस मैडम बस अभी बताता हूँ - दरअसल शहर का सेठ लाल चंद बोरा जो की वास्तव में गुवाहाटी से है उसकी एक कोठी यहाँ पर भी है यह माल सीधा उसके गोडाउन में पहले जाता है और उसके बाद ही स्वामी को भेजने का इंतज़ाम वह करता है - क्वोकि लालचन्द के कई तरह के व्यापार है और वह एक बहुत आमिर और पहुँच वाला आदमी है इसलिए कोई भी उस पर शक नहीं करता.
अजंता - कोठी का पूरा पता बताओ और हाँ तुम्हारी भलाई इसी में है की तुम चुपचाप जेल में पड़े रहो वरना जान से जाओगे.और जो तुमसे पूछा जाए शराफत से _ _ _
मुख्तार - जी मैडम पर मेरी जान टाइगर से बचा _ _ _
अजंता - तुम यहाँ पर सुरक्षित हो
मुख़्तार ने कोठी का पता बता दिया
अजंता वापस अपनी कुर्सी पर लौटी और आगे का प्लान सोचने लगी - तुरंत इस लाल चंद को घेरना होगा - पर कैसे - उसके पास कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं था और लालचंद एक बहुत ही पैसे वाला और साख वाला इंसान था - वह सोच ही रही थी कि अचानक फ़ोन बज उठा - अजंता ने जैसे ही फ़ोन उठाया उसे कॉल करने वाले कि ध्वनि सुनाई दी - और जो उसने कहा अजंता को एक डीएम मनो भारी बिजली का शॉक लग गया - ओह नो - वह ज़ोर से चिल्लाई.
एक हवलदार भागता हुआ आया - क्या हुआ मैडम
अजंता - जल्दी से तीन कॉन्स्टेबल्स को मेरे साथ चलने को कहो - सेठ लाल चंद का खून हो गया.
अजंता तुरंत वापस मुख़्तार के पास गयी - मुख़्तार - वह चिल्लाई - सेठ लालचंद का खून हो गया - सच सच बताओ _
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#7
मुख्तार वहीं बैठा हुआ एक फीकी सी हंसी हंसने लगा - मैडम उसका नाम टाइगर है . में आपको ऐसे ही अपना डर नहीं दिखा रहा है हूँ. आप मेरे पास अपना वक़्त और बर्बाद न कीजिये जाइये पता लगाइये
अजंता पलट कर जाने लगी तो मुख्तार ने कहा - और हाँ मैडम - यह भी पता लगाइये की आपके अपने डिपार्टमेंट में कौन गद्दार है
अजंता कुछ पल तक उसकी ओर देखती रही
अजंता ने और समय बर्बाद करना उचित न समझा और वह तुरंत लालचंद बोरा की कोठी के लिए निकल गयी
जब वह वहां पहुंची तो बाहर कुछ भीड़ थी पर पुलिस की जीप आते देख कर सबने रास्ता दे दिया
अजंता जीप से उत्तर कर कोठी में दाखिल हुई और अपने कॉन्स्टेबल्स को भी साथ ले लिया.
वहां ज़मीन पर एक चादर से ढकी लालचंद की लाश पड़ी थी - उसकी आँखें बाहर आयीं थी और लालचंद का बदसूरत चेहरा और भी वीभत्स लग रहा था - दरअसल लालचंद की हत्या गाला घोंटकर की गयी थी
अजंता - क्या यहाँ कोई चोरी हुई?
उसके इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए कोई भी सक्षम नहीं था
आसपास जितने भी थे सब लालचंद के रिश्ते दार थे. उसने विवाह नहीं किया था और इसीलिए उसकी कोई औलाद भी न थी
अजंता ने जब पूछ ताछ शुरू की तो उसके सब रिश्तेदारों ने कहा की वह मृत्यु की खबर मिलते ही पहुँच गए थे और बाद में आये थे
अजंता ने हिदायत दी की कोई भी आदमी घर से बाहर नहीं जायेगा और अपने २ कांस्टेबलस को इसी ड्यूटी पर लगा दिया. एक अन्य कांस्टेबल के साथ वह घर की तलाशी लेने लगी. पर उसे ऐसा कोई भी सुराग नहीं मिला जिस से वह यह साबित कर सकती थी की यहाँ कोई मूर्तियां भी आती होंगी.उसने कोठी के बेसमेंट और गोडाउन की भी बहुत अच्छे से तलाशी ली.
अजंता सोच में पड़ गयी - कौन हो सकता है सेठ का कातिल - निश्चय ही वह टाइगर का आदमी है - सचमुच टाइगर ने बहुत तेज़ी दिखाई - मुख्तार के गिरफ्तार होते ही _ _ _ _उसके होंठ सोचने के अंदाज़ में सिकुड़ गए.
घर की तलाशी लेने के बाद उसने घर के नौकर चाकरों से पूछने की ठानी.
एक एक करके वह सबसे पूछने लगी. तभी जब माली की बारी आयी तो उसने कहा (अजंता ने नोट किया की वह नज़रें चुरा रहा है - मैडम मुझे नहीं मालूम
अजंता - कबसे हो यहाँ पर
माली - मुझे यहाँ बहुत वक़्त हो गया
अजंता - कितना ?
माली - दस साल
अजंता समजह गयी की यह झूठ बोल रहा है क्योंकि इस कोठी को बने अभी ७ साल ही हुए थे और एक आदमी से वह पहले ही पता कर चुकी थी की कौनसा नौकर कितने साल से है
अजंता - तो तुम यहाँ पर कल मौजूद नहीं थे जब सेठजी का क़त्ल रात को हुआ
माली - जी नहीं
अजंता - कहाँ गए थे
माली - जी में वो _ _ वो सेठजी के लिए दारु खरीदने गया था - उन्हें विदेशी दारु का शौक़ था
अजंता - अच्छा तो तुम दारु खरीदने गए थे
माली ने नज़रें चुराते हुए कहा - जी जी हाँ
अजंता ने तुरंत आवाज़ दी - कॉन्स्टेबल्स अरेस्ट हिम - यही असली मुजरिम है.
सब चकित रह गए
अजंता ने शेरनी की तरह गरज कर कहा - पहली बात सेठ लाल चंद को दारु मना थी और दूसरी बात कल २ अक्टूबर यानि गाँधी जयंती की छुट्टी थी और सब दारू के ठेके भी स्ट्रिक्टली मेरे आर्डर से बंद थे. तुम दारु कहाँ से लेकर आये और क्यों
अब माली ने घबराकर भागने की कोशिश की पर अजंता का एक वार ही उसके लिए काफी था

माली को गिरफ्तार कर लिया गया
उसके बाद जैसे ही वह थाने पहुंची फ़ोन बज उठा - मैडम टाइगर आपको कॉल करेगा
अजंता कुछ कह पाती इस से पहले ही फ़ोन काट दिया गया
फिर तुरंत फ़ोन दोबारा बज उठा
अजंता के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आयी और फोएन उठाते ही उसने कहा - बोलो टाइगर
दूसरी और टाइगर के हैरत और गुस्से से मिले जुले भाव सुनाई दिए - इंस्पेक्टर अजंता - मुख्तार को छोड़ दो वरना _ _ _ _
अजंता - वरना क्या
टाइगर - तेरे घर घुसकर तेरी इज़्ज़त लूट लूँगा और उसके बाद तुझे जान से मार दूंगा
अजंता - तू हराम की औलाद क्या मेरा कुछ करेगा _ _
टाइगर - मुझे हरामी कहती है - साली तुझे रंडी बनाकर न छोड़ा तो _ _
अजंता ज़ोर से हंसी - अच्छा ? तू मुझे चोदेगा?
टाइगर - तेरे घर घुसकर सबसे पहली तेरी साड़ी उतारूंगा और फिर ब्लाउज तार तार कर दूंगा और फिर उसके बाद तेरी ब्रेज़री और कच्छी उतार कर तुझे नंगी करके तेरी चूत का वह हाल करूँगा की _ _
अजंता - आ आ एक मिनट - तू कुछ भूल गया टाइगर - तुझे इतना भी नहीं पता की साड़ी के नीचे पेटीकोट भी होता है - उसे उतारे या फाड़े बगैर तू मेरी पैंटी तक कैसे पहुंचेगा. लगता है तेरी माँ ने कभी पेटीकोट पहना ही नहीं और किसी तरीके से बस पैंटी पर ही साड़ी लपेटती है.
टाइगर - साली रंडी - मेरी माँ को _ _
अजंता - हाँ कुछ सुनने में आया है की तू कोई हराम की औलाद है और हाँ तेरे बाप का क्या नाम है
टाइगर - बहुत फड़फड़ा रही है थानेदार्नी - अपने हरामी बचे की माँ बनाऊंगा तुझे - वह हाल करूँगा तेरा की तू _ _
अजंता - ज़िन्दगी भर याद करेगी . टाइगर तुझे वार्निंग दे रही हूँ - सुधर जा या अपने दिन गिन ले वरना तेरा जो हाल में करुँगी - तू किसी औरत को मुँह दिखने लायक नहीं रहेगा
यह कहकर अजंता ने फ़ोन रख दिया
सहसा उसके मुस्कुराते चेहरे पर कुछ अलग ही भाव आ गए - यह फ़ोन कॉलर आखिर कौन है - और क्यों मेरी मदद कर रहा
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#8
दूधवाला
उसके कुछ दिनों बाद की बात है. अजंता को अपने ऑफिस में आये अभी आधा घंटा ही हुआ था की फ़ोन बज उठा.
अजंता - इंस्पेक्टर अजंता स्पीकिंग ?
उधर से आवाज़ आयी - मैडम जल्दी आईये , कालीमंदिर के पीछे के सरकारी स्कूल में १३ बच्चों की दूध पीकर मौत हो गयी. लगता है दूध में कुछ ज़हर था.
यह खबर सुनते ही अजंता का ह्रदय जो बच्चों के प्रति बहुत ही कोमल था एक दम से धक् कर उठा.
अभी अजंता ने कुछ सोचना शुरू किया ही था की फ़ोन फिर बज उठा - हेलो
कॉलर - मैडम जाईये और प्रिंसिपल से जतिन का पता कर लीजिये - इससे पहले की अजंता कुछ समझती कॉलर ने फ़ोन काट दिया - अजंता हेलो हेलो करती रही
उसने तुरंत अपनी जीप और दो कॉन्स्टेबल्स साथ में लिए और गंतव्य स्थान पर चल दी.
स्कूल पहुँचते ही जो अजंता ने देखा वह एक बहुत ही हृदय विदारक था. १३ मासूम बच्चों के शव सफ़ेद चादरों में लिपटे हुए थे और उसके माता पता एवं परिजन विलाप कर रहे थे.
अजंता ने होनी कैप उतर दी और उसकी आँखों में आंसू आ गए. पर उसने शीघ्र खुद पर नियंत्रण किया और स्कूल प्रिंसिपल के कमरे में पूछ ताछ के लिए जा पहुंची
प्रिंसिपल ने जो बताया वह यों था - मैडम यहाँ सरकार की एक स्कीम जिसमे गरीब बच्चों को एक वक़्त मुफ्त खाना और दूध दिया जाता है उसके अंतर्गत हमने अपने स्कूल में इस स्कीम को लागू किया था, हमे क्या पता था की यह इन बेचारे बच्चों का काल बन जाएगी.
अजंता - यहाँ दूध कौन सप्लाई करता है

प्रिंसिपल के चेहरे पर कुछ अजीब से भाव आ गए - जी वह वह _ _
अजंता - जतिन का पता बताओ
अब हैरान होने की बारी प्रिंसिपल की थी. अजंता हलके से मुस्कुरायी
प्रिंसिपल - मैडम पीछे की साइड एक डायरी है जिसमे जतिन नाम का सप्लायर है.
अजंता बिना एक मिनट गवाएं डायरी पर जा पहुंची. बाहर से दरवाज़ा बंद था. जैसे ही अजंता ने अंदर घुसने की कोशिश की उसे आवाज़ें आने लगी - अरे बहुत गड़बड़ हो गयी - स्कूल में १३ बचें मर गए चल जल्दी भाग ले
दूसरी आवाज़ - - अरे जग्गू दादा को बोलो न - सारा दूध तो वहीँ से आता है
पहला - हाँ अभी भागकर उसी के पास जाना होगा
तभी ज़ोर से लोहे का दरवाज़ा टूट गया - अजंता ने छत पर एक फायर किया - तुम कहीं नहीं जा सकते जतिन
जतिन और उसके दोनों आदमी अजंता पर आक्रमण करने को टूट पड़े लेकिन अजंता के दो तीन कराटे के वार काफी थे.
बहुत जल्द ही जतिन और उसके दोनों आदमी सलाखों के पीछे बंद थे.
अजंता ने जतिन से अकेले में पोछ ताछ करने के सोची.
अब जेल में जतिन अकेला था - देखो जतिन तुमने आज जो काम किया है शायद भगवन तुम्हे कभी माफ़ नहीं करेगा. १३ मासूम बच्चों को मार कर
जतिन - ओह मैडम - क्यों मेरा टाइम बर्बाद कर रही हो. देखो में बहुत पहुँच का आदमी हूँ _ _
और एक ज़ोर दार वार जतिन के गाल पर पड़ा - तू ऐसे नहीं बताएगा . अजंता ने एक छुरी निकाली और जतिन के नाखुनो के पास ज़ोर से गाढ़ दी
यह क्रम उसने २-३ बार अलग अलग उँगलियों में घुमाया
जतिन कराह उठा - आआआआ हाय बताता हूँ मैडम
अजंता - जल्दी बता - और यह जग्गू कौन है
जतिन - मैडम - शहर में नकली दूध और खाद्य पदार्थों के धंधे यहाँ दुर्जन सिंह करवा रह है
अजंता यह सुन कर एक बार फिर सकते में आ गयी और उसका गुस्सा सातवें आसमान पर था - दुर्जन सिंह - वह ज़ोर से चिल्लाई - जतिन कहता जा रहा था - जग्गू उसी का ख़ास आदमी है.
अजंता ने अपने कांस्टेबल को तुरंत आदेश दिया - जतिन और उसके आदमी अलग अलग कोठरी में बंद रहेंगे और इनका मोबाइल इत्यादि इनसे छीनकर मुझे दे दो.
कॉन्स्टेबल्स ने वैसा ही किया
अजंता फिर जतिन पर पलटी - मैडम आपके भले के लिए कह रहा हूँ कोई धमकी नहीं दे रहा दुर्जन बहुत खतरनाक है
जतिन - मैडम वैसे अगर आप मुझे छोड़ दें तो मैं आपको मुँह मांगी रकम देने को तैयार हूँ.
अजंता ने एक पल सोचा फिर इधर उधर देख कर मुस्कराते हुए कहा - ठीक है २६ लाख मेरे घर पहुंचा देना
जतिन - ठीक है मैडम डन
अजंता ने फिर कहा - कल तक मुझे पैसे मिल जाने चाहियें और अब तू वही करेगा जो मैं तुझसे कहूँगी. जग्गू को फ़ोन मिला और जो में कह रही हूँ वही कहना. मैं तुझे जल्दी ही छोड़ दूँगी
जतिन - ठीक है मैडम पर मुझे क्या करना होगा और हाँ - पैसों के लिए तो मुझे आगे बात करनी होगी _ _ _
अजंता - ठीक है - यह तेरा फ़ोन है इसे लगा - किसको लगाना है तुझे मालूम है - जो मैं कहूँ और जैसे कह रही हूँ वैसे ही बोलना - और हाँ जतिन इशारों में या कोडवर्ड में बात की तो यहीं ढेर कर दूँगी - जयादा स्मार्ट मत बनना वरना _ __
जतिन - जी मैडम.
अजंता ने जतिन के पास जाकर धीमे मगर दृर स्वर में कहा कुछ कहा और फिर दोनों मुस्कुरा उठे
उसके बाद अजंता उसके आदमियों से अकेले में पूछ ताछ करने लगी
दो दिन बाद
शहर के बहरी इलाके में एक छोटा सा अड्डा बना था जहाँ पर एक दो तेज़ तर्रार से दिखने वले हथ्यार बंद आदमी पहरा दे रहे थे. तभी एक सफ़ेद कलर की बहुत बड़ी वैन आयी और उन दोनों आदमियों के पास आकर रुक गयी.दोनों एक दम चौकन्ने हो गए और अपनी बंदूकें तान दीं. तभी उस गाडी का दरवाज़ा खुला और बहुत ही सूंदर पैरों की एक जोड़ी जिन्हे सफ़ेद सैंडल सुसज्जित कर रहे थे और उन पैरों के ऊपर ही एक बेशकीमती हरी साड़ी के कुछ हिस्से के साथ हरे रंग के पेटीकोट के फ्रिल्स भी नज़र आ रहे थे, उन आदमियों को दृष्टि गोचर हो गए.
इस से पहले वह कुछ समझते एक बेहद जवान और सूंदर स्त्री जो की गजब की खूबसूरती और सेक्सी शरीर की स्वामिनी थी और जिसका चाँद सा चेहरे एकै अप्सराओं की सुंदरता को मात दे रहा था गाडी से नीचे उतर कर हदी हो गयी और इधर उधर देखने लगी

उन आदमियों पर नज़र पड़ते ही वह उनकी तरफ मुस्कुराती हुई चलने लगी
वह आदमी कभी एक दुसरे को तो कभी उस सुन्दर सी स्त्री को देखें.
उसने अपने गॉगल्स उतारे और हाथ जोड़ कर नमस्कार किया -जी में विनीता दास हूँ क्या में जग्गू जी से मिल सकती हूँ
वह दोनों कभी इस बेहद सुन्दर स्त्री और कभी एक दुसरे को देखें
फिर शरारती भाव आँखों में लेकर कहें लगे - हाँ जाईये अंदर
उस स्त्री जिसका नाम विनीता था अंदर चली गई - पीछे से आवाज़ आयी - आज तो जग्गू दादा की ऐश हो गयी
पर उसने कुछ न सुना और अदर चली गयी
एक छोटे से कद का आदमी आया और कहें लगा - जग्गू दादा उस केबिन में हैं. विनीता एक हाथ से अपनी साड़ी के प्लीट्स को संभालती हुई उस केबिन में चली गयी
वह बौना सा आदमी भी उसे देखता रहा.
वह आदमी उसकी मदमस्त हिलती हुई गांड और बल खाई कमर जो की काफी हद तक उसके ब्लाउज के नीचे नज़र आ रही थी उसे देख रहा था.

उस स्त्री ने एक बड़ा ही भड़कीला शार्ट स्लीव का हरा और टाइट फिटिंग ब्लाउज पहना था जिसमे से शिफॉन की साड़ी होने के कारण उसके बड़े बड़े पिल्लू बाहर को झलक रहे थे.
जग्गू का का केबिन काफी अंदर था और वह अपने केबिन में अकेला था
जग्गू ने जब विनीता को देखा तो बस देखता रह गया और उसकी आँखों में वासना के डोरे तैरने लगे - वह क्या चीज़ है
अपनी भावना को छुपकर वह बोलै - आईये मैडम
विनीता ने दोनों हाथ जोड़े और जग्गू ने उसे बैठने को कहा - बोलिये
विनीता बैठ गयी और उसने अपनी एक टांग दूसरी टांग पर रख दी. उसकी साड़ी कुछ हद तक खिसक गयी और गोरी मांसल टांग का कुछ हिस्सा जग्गू को दिखने लगा

विनीता - हाँ तो जग्गू जी मेरा नाम विनीता दास है और मैं एक ऍन जी ओ रन करती हूँ जिसमे हम गरीब बच्चो को स्कूलों मैं कम फीस पर पढ़ाने और उनके भोजन आदि की व्यवस्था करते हैं .- इसमें बच्चों के लिए दूध का भी प्रोविज़न रखते हैं.
जग्गू - अच्छा ? फिर उसने आवाज़ दी - अरे छोकरे जा मैडम के लिया शरबत लेकर आ
विनीता - अरे नहीं कोई बात नहीं
जग्गू - मैडम आप हमारी मेहमान हैं और ऐसा कैसे हो सकता है की आपकी खातिर दारी न हो - उसके नज़रों मैं शरारत साफ़ दिख रही थी.
विनीता - जग्गू जी मेरी आर्गेनाईजेशन सिर्फ असम ही नहीं बल्कि और भी नार्थ ईस्ट की इलाकों मैं अपना काम बड़ा रही है. आप क्योंकि दूध और उसके प्रोडक्ट्स की सप्लाई का काम करते हैं __

तभी बात करते करते विनीता का पल्लू खिसक गया और उसके ब्लाउज ने से बड़े बड़े उरोज तने हुए दिखें लगे - लगभग एक तिहाई उरोज बाहर की और झलक रहे थे
विनीता कुछ लज्जा गयी - ओह - फिर उसने अपना पल्लू ठीक किया
जग्गू - वैसे दूध की कमी तो आपके पास भी नहीं
विनीता - जी मैं समझी नहीं
जग्गू - जी कुछ नहीं
विनीता - मैं आपसे कुछ कॉन्ट्रैक्ट करना चाहती हूँ बच्चों के लिए दूध सप्लाई और उनके प्रोडक्ट्स जैसे मिठाई आदि
जग्गू जोश में आ गया - हाँ मैडम दरअसल हमने कई गए भैंसे पाली हैं और हम उनके दूध को ट्रीट करके बेचते हैं और मिठाइयां भी बनाते हैं - कई स्कूलों में और डायरी में हमारा दूध जाता है
आपको अपने इस अड्डे पर पूरा काम होता दिखाऊंगा. आईये मेरे साथ
वह विनीता को बाहर ले गया.
विनीता अपनी साड़ी को संभालती हुई चल रही थाई और जग्गू के आदमी जो की बड़े बड़े पतीलों में दूध को गरम कर रहे थे उन्हें देख रहे थे
जग्गू - मैडम हम दूध में कुछ ऐसे रिफाइनिंग प्रोडक्ट मिलते हैं की यह और साफ़ और पौष्टिक हो जाता है
मेरे यहाँ यह काम रोज़ कई आदमी करते हैं
उस का अड्डा कुछ दूर तक फैला था और विनीता को वह अपने बारे में बहुत चटखारे लेकर सुना रहा था
कुछ समय बाद दोनों अंदर आ गए
और लड़का शरबत ले आया
पहले थोड़ा सा शरबत लीजिये - जो लड़का शरबत लाया था उसको जग्गू ने आँख मारी तो वह भी आँखें हिला कर चला गया.
जग्गू - लीजिये मैडम शरबत पीजिये
विनीता ने गिलास उठाया और होंठों से लग लिया - आप भी लीजिये न
जग्गू - अरे मैडम आपने पिया हमने पिया एक ही बात है
विनीता दास मुस्कुराने लगी - आप अपने कस्टमर्स का बहुत ख्याल रखते हैं जग्गू जी.
जग्गू - हाँ और आप जैसा बेहद सुन्दर कस्टमर हो तो मैडम - दूध तो क्या हम तो खुद को भी बेच दें
विनीता दास खिलखिला कर हंस पड़ी - उसके मोती जैसे दांत चमक उठे - तभी उसने हलके से सर पकड़ा - अरे मैडम क्या हुआ
विनीता दस - जग्गू जी मेरा सर कुछ भारी _ _
वह खड़ी हो गयी अपर जग्गू ने उसे थाम लिया - मैडम आप कुछ देर आराम कर लें
जग्गू ने विनीता को अपनी बाँहों में उठा लिया और केबिन के अंदर एक छोटे से बैडरूम में ले गया
उसने विनीता को बिस्तर पर लिटा दिया और खुद उस पर चढ़ गया - क्यों मेरी जान क्या बात है
विनीता - जी ? आ आ उफ़ मेरा सिर - अआप _ _ हाय
जग्गू ने विनीता का पल्लू खिसक दिया जिससे सामने से उसका पेट का हिस्सा और नाभि बिलकुल नंगे हो गए
विनीता - यह यह आप क्या कर रहे है __ वह नशीली आवाज़ में बोली
जग्गू - दूध मिलेगा जान - लेकि उससे पहले तुम्हे अपना दूध निकल कर जग्गू को पिलाना होगा.
विनीता - मैं कुछ __ _ समझी
जग्गू - जग्गू का दिल जिसपर आता है वह लड़की जग्गू की हो जाती है. तुम भी नहीं बचोगी विनीता दास - खुद को मेरे हवाले कर दो
रानी बनकर रहोगी - और जग्गू के बाद जग्गू का बाप खुश हो गया तो _ __
विनीता हलके से उठ कड़ी हुई और चलने लगी
जग्गू ने उसे संभल लिया और उसकी साड़ी का पल्लू थाम लिया. विनीता कुछ बेखबर लग रही थी. जग्गू ने उसकी साड़ी खींचनी शुरू कर दी. विनीता ने विरोध नहीं किया और उसका शरीर घूमता रहा. फलस्वरूप एक प्याज के छिलके की तरह साड़ी उसके पेटीकोट की गिरफ्त से निकल कर जग्गू के हाथों मैं फिसल गयी और विनीता अर्धनग्न हालत मैं जग्गू के आगे थी
वह हलके से मुस्कुरा उठी - जग्गू का उत्साह बड़ा और उसने विनीत को अपनी बाँहों मैं ले लिया और उसकी उँगलियाँ विनीता के ब्लाउज के मध्य मैं जा पहुंची.
विनीता ने मुस्कुराते हुए न मैं इशारा किया और घूम गयी
जग्गू - तरसाओ मत रानी और उतर दो इसे - तुम्हे इस हालत मैं देख कर मेरी पैंट में तम्बू बन गया है - कहीं में उत्तेजना में तुम्हारा यह ब्लाउज न फाड़ डालूं
विनीता - आए बदमाश कहीं के में अभी उतारती हूँ न
और उसने एक परदे के पीछे जाकर ब्लाउज के हुक खोलने शुरू कर दिए . ब्लाउज उतार कर उसने जग्गू की और उछाल दिया और फिर उसने अपने ब्रेज़ारी भी उतार कर जग्गू के मुँह पर फेंकदी - परदे के पीछे विनीता के नंगे कंधे नज़र आ रहे थे
जग्गू - अब बाहर आ जाओ जान - और उसने दारु की बोतल उठा कर एक घूँट भर लिया
विनीता - तुम ही भीतर आओ न. देखो मेरे पेटीकोट के अंदर आग लग चुकी है राजा - आओ कर इसे बुझा दो
विनीता का शरीर अब पेटीकोट के ऊपर नंगा था और और उसके बड़े बड़े उरोज निमंत्रण देने को तैयार थे.
जग्गू ने पर्दा हटाया और तभी
विनीता - हैंड्स उप जग्गू - हिले तो गोली मार दूँगी जग्गू हैरान हो गया - विनीता ऊपर से बिलकुल नंगी थी और उस हालत में वह एक रिवाल्वर तान कर जग्गू के आगे खड़ी थी
जग्गू - विनीता दास - यह सब क्या _ _
विनीता नहीं - इंस्पेक्टर अजंता - और विनीता ने एक हाथ से अपना आइडेंटिटी कार्ड दिखा दिया
जग्गू - तुम _
विनीता - हाँ में अजंता - और तुम मेरी गिरफ्त में हो.
जग्गू - कसम तुम्हारी इन नंगी छातियों की
आज तुम अपनी इज़्ज़त लूटवाकर और जान से हाथ धोकर ही जाओगी

अजंता - कसम इन नंगी छातियों की - आज के बाद तू किसी भी औरत के योग्य नहीं रहेगा.
ऐसे ही छातियां नंगी करके तेरी माँ ने तुझे दूध पिलाया होगा पर तूने कई औरतों से उनके मासूम बच्चे छीन लिए जिनको उन्होंने ऐसी ही छातियों से दूध पिलाया होगा.
तुझसे बड़ा कमीना , हरामी और बदजात मैंने आज तक नहीं देखा
अजंता ने एक फायर किया जो की जग्गू के बगल से होकर निकल गया और दीवार में गोली छेड़ कर गयी - जग्गू डर गया
तभी अजंता ने एक हाथ अपने पेटीकोट के नाड़े के पास लेजाकर दबा दिया और जग्गू को मुड़कर दरवाज़I के बार जाने की धमकी देती रही.
वह हाथ ऊपर उठाकर सामने की ओर चलने लगा. अजंता ने मौका देखकर एक हाथ से साड़ी उठायी ओर अपने शरीर के नंगे भाग पैर लपेटली.

थोड़ी ही देर में उस अड्डे को कुछ कॉन्स्टेबल्स ने घेर लिया. दरअसल अजंता ने अपने पेटीकोट के नाड़े के पास एक छोटा सा ट्रांसमीटर छुपा कर रखा था जिससे वह सिपाहियों को अंकित दे सके.
गिरफ्तार कर लो इसे - अजंता ज़ोर से चिल्लाई
जग्गू - मैडम किस इलज़ाम पर
अजंता - नक़ली दूध बनाने ओर बेचने. तेरे यह केमिकल जो की दूध की वास्विक मात्रा को बड़ा देते है ओर इनके हानिकारक तत्व
जग्गू हंसा - कोई सबूत के यह केमिकल _ _
अजंता - ओह अच्छा _ _ तो सबूत चाहिए ?
अजंता ने एक कांस्टेबल को इशारा किया - दो पुलिस वाले जतिन को पकडे हुए वहां आ गए.
और साथ ही उसके २ आदमी और भी थे जिन्हे अजंता ने गिरफ्तार कर लिया था
जग्गू चकित रह गया - जतिन तू _ __
जतिन के चेहरे पर मजबूरी के भाव थे.
जग्गू - देखो मैडम मुझे छोड़ दो वरना _ _ _
अजंता - वरना दुर्जन मेरी इज़्ज़त के परखच्चे उड़ाएगा - यही न ?
जग्गू ओर चकित हो उठा
अजंता - तुझ पर एक ओर इलज़ाम है
जग्गू - क्या
अजंता - मुझे पर बलात्कार की कोशिश.
जग्गू - हा हां - ओर सबूत
अब अजंता मुस्कुरायी ओर एक फूलदान की ओर इशारा किया - कांस्टेबल उसमे से कैमरा निकल लो.
कांस्टेबल ने वह कैमरा निकल कर अपनी कस्टडी में रख लिया
जग्गू को अंदाज़ा हो गया की अब वह पकड़ा जा चुका है
अजंता - बचना चाहता है जग्गू - तो भाग - भाग जितना भाग सकता है
जग्गू ने बाहर भागना शुरू कर दिया एक टीले के पास जो की अड्डे के बाहर की ओर था
अब अजंता जतिन और दो अन्य क़ैदियों की ओर बढ़ी - - बचना चाहते हो ? (उसके चेहरे पर कुटिल मुस्कान थी)
जतिन - जी मैडम
तो भागो और इस जग्गू को पकड़ कर पीट पीट कर मेरे पास लाओ
जतिन - मैडम वह पैसे _ _
अजंता - मैंने उन घर वालों को पहुंचा दिए जिनके बच्चे इस हादसे मैं मर गए
जतिन चकित रह गया.
जतिन और उसके आदमी दौर कर जग्गू के पास पहुंचे और उसे पीटने लगे
जग्गू - जतिन क्या कर रहा है - अबे तेरी शिकIयत में दुर्जन सिंह से _ _- आ आए हाय हाय
वह उसे पीटते भी जा रहे थे और माफ़ी भी मांग रहे थे - अरे जग्गू भाई क्या करें - वह थानेदारनी रणचंडी बनी हुई है
वह उसे घसीटते हुए अजंता के पास ले गए और कहा - मैडम अब तो हमे छोड़ दो
अजंता ने जग्गू को गिरफ्तार कर लिया और उसके कांस्टेबल उसे ले जाने लगे.
जतिन - मैडम _ _ _
अजंता ने पलट कर चार फायर किये - जतिन और उसके आदमी वहीँ ढेर हो गए
जग्गू अजीब नज़रों से अजंता को देखें लगा
अजंता ने कड़क कर कहा - चल - कमीने हरामी
अजंता जैसे ही थाने पहुंची उसका फ़ोन बज उठा.
अजंता ने फ़ोन उठाते ही कहा - बोलो दुर्जन सिंह और वह हंसने लगी.
उधर से हैरत भरी आवाज़ आयी - इंस्पेक्टर अजंता अब तुम लुटने और मरने को तैयार हो जाओ
अजंता - यह मरने की बात तो समझ आयी पर लुटने से क्या मतलब
दुर्जन - जो काम शाका नहीं कर सका वह अब मैं करूँगा
अजंता - अच्छा? क्या करेगा तू हरामज़ादे
दुर्जन - मुझे हरामज़ादा बोल रही है - तुझे तो मैं रंडी बनाकर _ _
अजंता - लगता है तुम सब नाज़ायज़ औलादों को दूसरी औरतों को रंडी बनाने का बहुत शौक है - तू खुद जो रंडी की कोख से जन्मा है तो और क्या उम्मीद हो सकती है तुझसे.
कहकर अजंता ने फ़ोन पटक दिया.
पर तभी फ़ोन फिर बज उठा
अजंता - हेलो
कॉलर - मैडम आपका एस पी शैतान सिंह सिर्फ नाम ही नहीं काम से भी शैतान है. आपको उससे सावधान भी रहना होगा और रIस्ते से भी हटाना होगा _
अजंता झट से कह पड़ी - देखो फ़ोन मत रखो और मेरी बात सुनो . तुम जो भी कोई हो पुलिस की मदद कर रहे हो. फिर सामने क्यों नहीं आते. आखिर तुम सामने क्यों नहीं आते और चाहते क्या हो.
कॉलर - आप चिंता न करें बहुत जल्द आपके सामने आऊंगा
और उसने फ़ोन काट दिया
अजंता फिर सोचने लगी - कौन है यह उसका मददगार?

अगले ही दिन उसे एस पी शैतान सिंह ने अपने ऑफिस में बुलाया
अजंता को उस कॉलर की बात याद आयी . उसे यह भी ध्यान में आया की कैसे एस पी कई बार बड़े अजीब संदेहस्पद तरीके से पेश आता रहा है. - क्या सचमुच शैतान सिंह शैतान है? पर कैसे?
अजंता यह सोच रही थी की यद्यपि कमिश्नर उसकी बहादुरी और खूबियों से परिचित थे अपर फिर भी एस पी उसके रास्ते की रुकावट बनने की पूरी कोशिश करेगा.
खैर उसने बहादुरी से किसी भी हालात का सामना करने का निर्णय लिया.
थोड़ी ही देर में वह एस पी शैतान सिंह के ऑफिस में थी
जय हिन्द सर - उसने सलूट किया
शैतान सिंह ने बेरुखी से कहा - बैठो
अजंता - बोलिये सर
शैतान सिंह - इंस्पेक्टर अजंता मैंने सुना है तुम्हारा प्रमोशन हो गया है
अजंता - जी ?
शैतान सिंह - हाँ भाई - लग तो ऐसे ही रहा है - शैतान सिंह के स्वर में व्यंग्य था - तुम आज कल सिर्फ कमिश्नर से बात करती हो
अजंता - सर अगर आपको डी सी पी फ़ोन करे और फिर कमिश्नर भी तो आप किसका कहा मानेंगे?
शैतान सिंह - तुमने अभी जो टाइगर और दुर्जन के अड्डे तबाह किये हैं उसका अंजाम जानती हो
अजंता - हाँ सर - वह दोनों मुझे जान से मार सकते हैं और हाँ शायद मेरा रेप भी कर सकते हैं
शैतान सिंह उसकी इस बेबाकी पर हैरान हो गया - और तुम मुझे बिना बताये खतरे पर खतरा __
अजंता - सर यह वर्दी हमने खतरे उठाने के लिए और टाइगर और दुर्जन जैसे मुजरिमों को ख़तम करने के लिए ही पहनी है न की उन्हें (अब अजंता की व्यंग्य कसने की बारी थी) पनाह देने के लिए
शैतान सिंह - क्या मतलब.
अजंता - सर आपको याद होगा जब मैंने दुर्जन का ट्रक पकड़ा था तो आपने मुझे फ़ोन करने की बहुत कोशिश की _ _
शैतान सिंह - अजंता - तुम आज के बात हर काम मुझसे पूछ कर करोगे
अजंता - सर आप आज के बाद एक सीनियर की हैसियत से हर काम में मेरी मदद करेंगे. चलती हूँ -जय हिन्द
अजंता तुरंत बाहर आगयी और जीप में बैठ गयी. वह आज अकेली ही आयी थी.
उसने अपनी ब्रा में से एक छोटा सा ट्रांसमीटर निकला और उसे ऑन किया - जो उसने सुना वह दंग रह गयी (दरसल एस पी को नहीं पता लगा की चालाकी से अजंता ने एक ट्रांसमीटर उसके कमरे में रख दिया अत्यंत गुप्त स्थान पर और वह १० किलोमीटर की रेंज में उसकी सारी बातें सुन सकती थी.)
उस कॉलर की बात बिलकुल सही थी. एस पी दुर्जन से बात कर रहा था और जो अजंता ने सुना वह यों था
शैतान सिंह - अरे दुर्जन भाई यह अजंता हाथ आने वाली चीज़ नहीं
२ - क्या ?
३ - वह तो ठीक है पर में क्या करून कमिश्नर ने इसके सर पर हाथ रखा है.
४ - हाँ कुछ प्लान तो बनाना ही पड़ेगा.
५ - हाँ हाँ क्यों नहीं. पर सुनो दुर्जन भाई - मेरे नीचे खुजली हो रही है. शहर के बाहर वाले फार्म हाउस पर कुछ इंतेज़ाम हो जाता तो _ _
६ - हाँ फार्महाउस का पता है - नोट करो
अजंता - ओहो तो यह हरामी उस दुर्जन से मिला है - मुझे इसका भी इलाज करना होगा.
इसको इसके फार्म हाउस में जाकर पकड़ूँगी.
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#9
विक्की
एक दिन की बात है .अजंता अपनी जीप चलते हुए बाजार में कुछ सामान खरीदने जा रही थी की अचानक उसे पंडित नित्यानंदजी बाहर आते हुए दिखाई दिए.
अजंता उनके चरण छू कर बोली - प्रणाम पंडितजी
पंडितजी उसे देख कर बहुत प्रसन्न हुए - जीती रहो बेटी. . क्या बात है बहुत दिन हुए तुम मिलने नहीं आयी
अजंता - क्या करू पंडितजी कुछ काम में बहुत व्यस्त थी
पंडितजी - बच्चे तुम्हे बहुत याद करते हैं
अजंता - ठीक है पंडितजी - परसों इतवार है. मैं बच्चों से मिलने ज़रूर आउंगी.
दो दिन बाद अजंता जब बच्चों से मिलने पहुंची तो उसके हाथ मैं उनके लिए चॉक्लेट / टॉफियन इत्यादि थे.अजंता ने पीले रंग की जारजट की साड़ी और मेल खाता एक टाइट, स्लीवलेस ब्लाउज पहन रखा था.
बच्चे भी ख़ुशी से उसके पास दीदी दीदी करते हुए आ गए. और जो बच्चा अजंता से सबसे ज्यादा हिला हुआ था उसका नाम था मुन्ना - बहुत प्यारा और बहुत शैतान. अजंता से सबसे ज्यादा वही हिला मिला था
अजंता ने उसे गोद में ले लिया और बच्चों में चॉकलेट्स इत्यादि बाँट कर उनके पास बैठ गयी और उनसे मीठी मीठी बातें करने लगी.
बच्चे भी कभी उसकी गोद में चढ़ते , कभी उसकी साड़ी खींचते और कभी गुदगुदी करते.
मुन्ना - दीदी आज न आप बिलकुल पीली परी लग रहे हो
अजंता - अच्छा पीली साड़ी पहनी है इस लिए.
मुन्ना - बाकि भी तो सब पीला ही है
अजंता - बाकि पीला _ _ मतलब
मुन्ना ने अजंता के वक्ष पर हाथ रख दिया - यह आपका यह वाला कपडा और फिर उसके पैरों के नीचे झुक कर उसके पेटीकोट के फ्रिल्लस पकड़कर हलके से खींचा - यह भी
अजंता - ऐ शैतान - अब तो मेरे ब्लाउज और पेटीकोट पर भी पहुँच गया
मुन्ना - अरे बाबा क्यों परेशांन होते हो दीदी - में कुछ उतार थोड़े ही रहा हूँ - वह बड़ी मासूमियत से बोला.
सब बच्चे हंसने लगे और अजंता का गाल लज्जा से लाल हो गया - कितना शैतान है तू मुन्ना - तेरे साथ अकेले तो बहुत ही खतरा हो जायेगा
मुन्ना - अरे नहीं दीदी अकेले में तो में आपको और भी जयादा प्यार करूँगा - और साथ ही वह शर्मा गया और अजंता की गोद में अपना सर छुपा लिया
तभी पंडितजी ने आवाज़ लगाई - अजंता बेटी तुम्हारा फ़ोन है
अजंता कुछ चकित हुई - अभी यहाँ इस वक़्त किसका फ़ोन आ गया
अजंता ने जैसे ही रिसीवर उठाया एक कड़क आवाज़ आयी - इंस्पेक्टर अजंता
अजंता - हाँ बोल रही हूँ - कौन ?
उधर से एक ज़ोरदार आवाज़ आयी - में विक्की - टाइगर का आदमी - तुम बहुत दिनों से मुझे तलाश कर रही हो न
अजंता गंभीर हो गयी - ओहो तुम - मुझे यहाँ इस वक़्त फ़ोन करने का _ __
विक्की - तुम बहुत कूद रही हो अजंता - में तुम्हे चल्लेंज करता हूँ एक मुक़ाबले के लिए - अगर तुम जीत गयीं तो सदा के लिए खुद को तुम्हारे हवाले कर दूंगा वरना _ _
अजंता - अच्छा? तो ठीक है में तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ
और अजंता हैरान हो गयी यह देख कर की १० मिनट से काम समय पर अजंता के सामने विक्की खड़ा था - अजंता ने उसे फोटो में देख रख था - विक्की दिखने में एक मासूम सा 19-20 साल का लड़का लगता था और कोई उसे देख कर यह नहीं कह सकता था की मुजरिमो के एक बहुत बड़े सरगना के लिए यह काम करता है.
विक्की अजंता के आश्रम में घुस गया और ऊँचे ऊँचे बोलने लगा - इंस्पेक्टर अजंता तुम खुद को समझती क्या हो - कुछ अड्डे तबाह करके तुमने सोच लिया की तुम बहुत ऊँची हो गयी हो.याद रखना तुम्हे एक दिन में इसी आश्रम में तुम्हारे बच्चों के सामने मiरूंगा
अजंता मुस्कुरा उठी - विक्की - एक दिन क्यों - आज क्यों नहीं - हो जाये मुक़ाबला
विक्की के चेहरे पर कटु भाव आ गए और उसने अपनी जेब से रिवाल्वर निकल लिया
सब बच्चे यह देख कर सहम गए . पर अजंता अभी भी मुस्कुरा रही थी - विक्की यह तो कोई बात नहीं हुई - में निहत्थी और तुम्हारे हाथ में रिवाल्वर?
विक्की आश्रम की छत पर आ गया जहाँ अजंता और बच्चे बैठे हुए थे और उसने रिवाल्वर अजंता के सामने फेंक दिया - जो रिवाल्वर पहले पकड़ेगा उसी का दांव - में तुम्हारा यह आश्रम तबाह कर दूंगा
और वह फुर्ती से रिवाल्वर केी और कूद पड़ा
पर अजंता भी सावधान थी उसने साड़ी का पल्ला कमर में दाल दिया और जम्प किया - रिवाल्वर पर अब दोनों के हाथ थे और दोनों उसे छीनने की कोशिश करने लगी. इस प्रतिक्रिया में रिवाल्वर दूर जा गिरा
अब दोनों अपने हाथ चलने लगे . अजंता ने एक करते का दांव दिखाया पर शकेल ने झुक कर खुद को बचा लिया. उसने अजंता के पैरों पर वॉर किया पर अजंता ने जम्प लगायी और खुद को बचा लिया .
दोनों एक दुसरे से युद्ध करने लगे और एक दुसरे के दांव काट रहे था. बीच में अजंता का दांव चल तो विक्की को ठोकर लगी और वह दूर जा गिरा.
दोनों लड़ते लड़ते आश्रम की छत के कोने में पहुँच गए. यह कोना अहराम के पिछवाड़े की और था जिसके नीचे कुछ काम चल रह था और इसलिए एक गहरी खाई खुदी हुई थी - यानि अगर कोई उस स्थान से छत से गिरे तो उसी खाई में जा पहुंचेगा
अजंता और विक्की की लड़ाई जारी थी. विक्की अजंता से मुक़ाबला कर रहा था पर अजंता को न जाने क्यों लग रह था की विक्की उससे पूरे ज़ोर शोर से नहीं लड़ रह मIनो दिखवा कर रह हो. उसने अज्ञात पर अभी तक कोई वॉर खुलकर नहीं किया था बस वह उसके वार काट रह था
सब बचे सहमे हुए कभी उन दोनों को देखते तो कभी एक दुसरे को.
विक्की ने अजंता का हाथ पकड़ कर उसे झटका देकर नीचे गिराना चाहा परन्तु अजंता ने उसका वार काट दिया और उसे ज़ोर से किक किया जिससे वह सीधे कोने की पास जा पहुंचा .विक्की ने खुद को बचने के लिए छत के ऊपर मुंडेर का सहारा लियापर उसके शरीर का ज़ोर सामने की तरफ था . उसका पाँव फिसला और उसका शरीर छत की मुंडेर की उलटी तरफ लटक गया . अब उसके नीचे वही खाई थी. अगर विक्की गिरता तो उसे बहुत भारी चोट भी लग सकती थी.
उसके मुँह से चीख निकल गई.
सब बच्चे चिल्ला उठे - दीदी वह गिर कर मर जायेगा
अजंता भी चकित हो गयी थी. विक्की खुद को बचने के लिए मुंडेर से ऊपर अपना शरीर उठाने की कोशिश कर रह था. पर उसके हाथ बड़ी मुश्किल से इस मुंडेर को थामे खड़े थे.ऐसा लगता था जैसे वह छत कर गिरने ही वाला है.उसका एक हाथ लगभग छूट गया था

अजंता इधर उधर देखने लगी पर जो वह ढून्ढ रही थी उसे न मिला.उसके मन में एक विचार आया. उसने अपनी पीली साड़ी का पल्लू हटाया और विक्की को कहा - इसे जल्दी से थाम लो.

विक्की ने चौंक कर उसकी ओर देखा फिर एक हाथ से पल्लू थाम लिया और छत पर चढ़ने के लिए संघर्ष करने लगा.
अजंता भी साड़ी का छोर अपनी और खींचने लगी.
विक्की को बचने के चककर में अजंता का शरीर और उसके साथ उसकी साड़ी घूमने लगी. पर अजंता का ध्यान सिर्फ विक्की पर था .
विक्की को अपनी ओर खींचनी के लिए उसने साड़ी को और खींचा और विपरीत दिशा में उसका शरीर घूमने लगा
अजंता की साड़ी खुल गयी और उसने विक्की को कुछ और हिस्सा आगे की तरफ बढ़ा दिया. विक्की ने साड़ी को मज़बूती से थामा था .
अजंता की साड़ी उतर गयी पर उसने परवाह न की. विक्की बड़ी मुश्किल से छत की मुंडेर पार करके ऊपर आ सका .
विक्की जैसे ही ऊपर आया वह छत पर गिर सा गया.
अजंता तुरंत एक कोने में गयी और अपनी साड़ी जो की थोड़ी सी गन्दी भी हो गयी थी कुछ झाड़ा और उसका एक छोर अपने पेटीकोट में डाला. अजंता का शरीर घुमा और साड़ी के कोने उसके पेटीकोट में घुसने लगे. अजंता ने झट से साड़ी पहन ली और कोने से हट कर बाहर आ गयी
अजंता ने अपना पल्लू ठीक किया. तभी सब ने देखा की विक्की के हाथों में खरोंच आयी है
मुन्ना उसकी और बढ़ा और एक रूमाल उसे दे दिया - भैया आपके हाथों में खून निकल रहा है इसको पौंछ लो - वह बड़ी मासूमियत से बोला.
अजंता के स्वर में सख्ती आ गयी - विक्की तुम इस आश्रम को तबाह करना चाहते थे न . इन मासूम बच्चों की जान लेना चाहते थे _ _
विक्की कभी मुन्ना को देखता और कभी अजंता को - तभी वह दोनों हाथों में मुँह छुपा कर रो पड़ा.
विक्की रोते रोते अजंता के पैरों में गिर पड़ा - नहीं दीदी बिल्कुल नहीं में इन मासूमों की जान कैसे ले सकता हूँ - में तो खुद _ _ और रोते हुए उसकी हिचकियाँ बंध गयीं.उसने मुन्ना को अपने सीने से लगा लिया
अजंता हैरान हो गयी - दीदी ??? फिर वह खुद को संयत करके बोली - अब मुझसे माफ़ी मांगने का क्या फायदा - अगर तुम्हे इतना ही पछतIवा है तो खुद को कानून के हवाले कर दो और टाइगर के बाकि के सारे धंधों का पता ठिकाना ___
विक्की ने ऊपर देखा और अजंता के दोनों हाथ थाम लिए - आपसे माफ़ी नहीं मांग रहा दीदी - आपका शुक्रिया कर रहा हूँ - आज आपने मुझे वह मौका दिया है जिसकी मुझे कई बरसों से तलाश थी
अब अजंता की बारी थी बहुत बुरी तरह से हैरान होने की - क्या मतलब है तुम्हारा.
विक्की - दीदी मैं टाइगर का आदमी ज़रूर हूँ पर _ _ यह कहकर वह इधर उधर देखने लगा
अजंता समझ गयी - विक्की मैं बस निकल वाली थी - तुम ऐसा करो मेरे घर पहुंचो पर बेहद सावधानी और ख़ुफ़िया तरीके से.
वहीँ पर सारी बात करेंगे .पता नहीं क्यों पर अजंता को विक्की पर कुछ भरोसा हो रह था और उसे यह भी लग रह था की शायद यह आवाज़ वह सुन चुकी है.
ध्यान रखना मेरा घर एक थोड़ी सी आइसोलेटेड (हट कर ) जगह पर है पर फिर भी कोई तुम्हे देख न ले.
विक्की - ठीक है दीदी, मैं एक टेलीफोन ऑपरेटरबनकर भेष बदल कर आऊंगा
विक्की - ठीक है दीदी, मैं एक टेलीफोन ऑपरेटर बनकर भेष बदल कर आऊंगा
अजंता ने पंडितजी और बच्चों को बाय बोलI और अपने घर आ गयी और विक्की का इंतज़ार करने लगी . तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई और उसने देखा की विक्की भेष बदल कर आया है
उसने विक्की को अंदर बुला लिया
अजंता - विक्की बैठो में चेंज करके आती हूँ.
अजंता अपने बैडरूम में गयी और उसने अपनी अलमारी खोल दी .विक्की को बचने के चक्कर में उसकी साड़ी कुछ हद तक मैली हो गयी थी और ब्लाउज में भी कुछ धुल मिटटी लग गयी थी.
वह अपनी साड़ी उतारने लग गयी. उसके बाद ब्लाउज और पेटीकोट भी उतार दिया. उसने एक ब्राउन कलर की प्रिंटेड साड़ी , मेल कहता उसी रंग का ब्लाउज और एक दूसरा पीला पेटीकोट निकला और उसे पहन लिया.उसके बाद उसने अपना ब्लाउज भी पहन लिया.

ब्लाउज में से उभरी हुई वक्ष रेखा देख कर वह हलके से मुस्कुरायी और साड़ी पहनने लगी.
उसके पश्चात उसने अपने बालों को जूड़े की भाँती सेट किया (आम तौर पर जब वह वर्दी मैं नहीं होती थी तो बाल खुले ही रखती थी) और अपनी साड़ी से एक हल्का घूँघट जूड़े पर किया. घर पर अभी उसकी काम वाली नहीं थी इसलिए उसने खुद दो कप चाय बनाये और विक्की के पास आ गयी.

वास्तव में उसका विश्वास अब विक्की पर और अधिक हो गया था. उसने जान बूझ कर विक्की से यह कहा था की वह चेंज करने जा रही है और इतना ही नहीं, अपने कपडे बदलते हुए दरवाज़ा भी खुला रखा था ताकि विक्की की शराफत को परखा जा सके

अजंता - लो विक्की चाय पीयो.
विक्की - थैंक यू दीदी. और वह चाय पीते हुए अपनी थकन उतारने लगा.

चाय पीने के बाद अजंता ने कहा - बोलो विक्की तुम मुझे क्या क्या बता सकते हो.
विक्की - दीदी मैं जो आपको बताने जा रहा हूँ उस से पहले आपसे कुछ पूछना चाहता हूँ.

अजंता - क्या ?
विक्की - पिछले कुछ समय से आपके सामने ऐसे कई अवसर आये होंगे जिसमे आपने यह सोचा होगा की - मेरा मददगार कौन है.
अजंता बुरी तरह चौंक गयी - हाँ पर तुम यह सब _ _ _
विक्की - क्योंकि में ही वह शख्स हूँ.

अजंता - क्या - यह तुम क्या कह रहे हो विक्की. तुम मुझे वह खबरें देते रहे जहाँ जहाँ भी में अपने ऑपरेशन करती थी?
विक्की - हाँ दीदी और इतना ही नहीं जब उस दिन कुछ साल पहले आप की इज़्ज़त लूटने की कोशिश की जा रही थी वह लोहे की छड़ उस दीवार से मैंने ही आपको दी थी.
अजंता - विक्की - तुमममम - पर यह सब --- देखो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा
विक्की - दीदी आपकी और मेरी कहानी मिलती जुलती है. आपकी तरह मेरे परिवार को भी टाइगर ने मार दिया था. मेरे माँ बाप और बड़ी बहन (उनको तो अपनी इज़्ज़त बचने के लिए कुँए में कूदना पड़ा). मैं तब गांव की स्कूल में पढता था और बेहद छोटा सा मासूम लड़का था.मुझे टाइगर उठा लाया और अपने गिरोह में शामिल कर लिया. जब मेरे हाथों में स्कूल की किताब और खेलने की लिए खिलोने होने चाहिए थे, उसने मुझे पिस्तौल थमा दी. टाइगर ने सोचा की मैं एक बच्चा था मुझे क्या याद रहेगा. मैं उसके लिए काम तो करता रहा लेकिन मेरे अंदर बदले की भIवनI दिन प्रतिदिन बढ़ती रही.
एक वक़्त आया जब में टाइगर के साथ काम करते करते उसके ही नहीं बल्कि उसकी कॉम्पिटिटर या यूँ कहें की जानी दुश्मन सौतेले भाई दुर्जन के गिरोह की भी कमियां और कमज़ोरियाँ तलाशने लगा.और जब जब मुझे कुछ पता चलता और मौका मिलता मैं आपको खबर कर देता था.
आपको में पिछले कुछ साल से देख रहा हूँ. पहले बार तब जब आपको प्रकश ने फ़साने की कोशिश की - आपकी इज़्ज़त बचाने के बाद भी मैं कई बार आपको देखता रहा . फिर जब उसके कुछ साल बाद आप एक पुलिस अफसर के रूप में सामने आयीं तो मेरी उम्मीदें जाग उठीं. आपने जब दुर्जन और टाइगर को ख़तम करने का बीड़ा उठाया तो मैं तभी यह फैसला कर बैठा की बैकडोर से आपकी मदद करूँगा और ठीक मौका देखकर आपके सामने आऊंगा.
अजंता - एक मिनट विक्की. आगे बताने से पहले मुझे एक बात पूछनी थी. में भी ऐसा कुछ सुना है की यह दोनों सौतेले भाई हैं और दोनों को ही अपने असली बाप का नहीं पता.
उत्तर में विक्की ने एक तस्वीर निकाली - इसे देखिये और पहचानिये.
अजंता ने वह तस्वीर अपने हाथ में ली और गौर से देखने लगी. वह तस्वीर एक गोर रंग की कुछ थुलथुल शरीर की स्वामिनी एक औरत की थी जो की पान चबा रही थी और जिसकी सूरत पर वहशी पाना साफ़ झलक रहा था. अजंता को लगा वह इस औरत से पहले मिल चुकी है. वह अपनी याददाश्त पर ज़ोर देने लगी. और उसे अचानक याद आ गया - विक्की यह तो वही औरत है जो उस दिन _ _
विक्की - हाँ दीदी यह वही औरत है - फल्लू बाई. जब आप के साथ बलात्कार करने की कोशिश की गयी और आपका वह दोस्त प्रकाश ही आपको फंसा रहा था उस दिन उस घर में यही औरत मौजूद थी. इस औरत को में अगर एक वेश्या या बाज़ारों औरत कहूं तो बिलकुल भी गलत न होगा.
इसके कई मर्दों से नाजायज सम्बन्ध हैं और इस ने उन दो हरामजादों दुर्जन और टाइगर को जन्म दिया है. आज भी यह औरत वेश्यालय चलाती है और आपके डिपार्टमेंट में एस. पी शैतान सिंह और कुछ अन्य भ्रष्टाचारी ऑफिसर्स को लड़कियां तक सप्लाई करती है.
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#10
अजंता - मैं उस भ्रष्टाचारी शैतान सिंह को तो पकड़ कर रहूंगी.
विक्की - उससे पहले आपको दुर्जन और टाइगर को खतम करना होगा बल्कि दुर्जन को तो हर हालत में करना होगा.
अजंता - क्या मतलब
विक्की - दीदी यह दोनों आपकी जान के दुश्मन हैं और कभी आपको सीधे से नहीं मरेंगे.
अजंता - मतलब ?
विक्की - यह दोनों आपको मारने से पहले अपनी हवस का शिकार बनाना चाहते हैं.
अजंता इस पर कुछ मुस्कुरा दी. इसका अर्थ विक्की नहीं समझ सका - दीदी आप हंस रही हैं?
अजंता हंसने लगी - नहीं बस ऐसे ही.
शकेल - आपकी जान को खतरा है. दुर्जन और उस शैतान सिंह का प्लान सुनिए - दो दिन बाद आपको शैतान सिंह बुला कर कहेगा की दुर्जन के मुख्य अड्डे जो की शहर के बाहर पढता है उस पर रेड डालनी है. और वह आपको यह भी कहेगा की अभी यह काम करना है ताकि आपको तैयारी का वक़्त न मिले और आप कम से कम आदमी लेकर जा सको.विक्की ने एक नक्शा निकल लिया.
यह देखिये दीदी - यह आपका पुलिस हेड क्वार्टर है और यह आपका थाना - इसे कुछ दूर शहर का बIहरी इलाका शुरू हो जाता है और एक गहरी नदी यहाँ से बहती है जिस के उस पार दुर्जन का मुख्य अड्डा है जो अगर उसके आदमियों के साथ तबाह हो गया तो वह भी ख़तम हो जायेगा.
अब आगे सुनिए - शैतान सिंह आपको यह कहेगा की यह नदी ज्यादा गहरी नहीं है और ज़रुरत पड़ी तो इसको यहाँ पर पुल से आराम से पार किया जा सकता है. पर वास्तव में यह पुल टूटा हुआ है और आपकी जीप यह गाडी इसके पार नहीं पहुँच सकेगी. आपको अपने आदमी लेकर कैसे भी यह नदी पार करनी होगी. उसके बाद दुर्जन के अड्डे पर इन दो दिशाओं से पहुंचा जा सकता है - वह नक़्शे की तरफ इशारा करके बोला - शैतान सिंह जिस दिशा में बोलेगा आपको उसकी विपरीत दिशा में जाना है.
क्योंकि यहाँ दुर्जन के आदमी छुपे होंगे आप पर आक्रमण करने के लिए - उन आदमियों को यह सख्त हिदायत दी गयी है की आपको क़ैद किया जाये और आपके पुलिस कॉन्स्टेबल्स को मार दिया जाये.
अजंता मुस्कुरा उठी - ताकि बाद मैं दुर्जन मेरी इज़्ज़त लूट सके
विक्की - दीदी मुझे चिंता हो रही है और आपको नहीं. कमाल है
अजंता - चिंता मत करो - कुछ नहीं होगा.
विक्की - दीदी टाइगर ने ये प्लान लीक करवाया है और उसके बाद का प्लान यह है की टाइगर वहां पहुँचगा जब दुरजन आपको क़ैद करके आपको अपनी हवस का शिकार बनाने लगेगा. फिर टाइगर वहां आ आकर दुर्जन को मार देगा आपको उठाकर ले जायेगा और उसके बाद अपनी क़ैद में रखेगा.
लेकि हाँ दीदी इसमें एक बहुत ज़रूरी पॉइंट एक और भी है.
अजंता - क्या?
विक्की - आप कोशिश करें की नदी पार काने से पहले मुझसे कांटेक्ट कर लें और हम कोडवर्ड में बात करेंगे जिस से किसी को शक न हो. हो सकता है दुर्जन अपने प्लान में कुछ तब्दीली करे जिसमे आप को और अच्छे से फंसाया जा सके.
अजंता - ठीक है. में कोशिश करुँगी.
विक्की - दीदी क्या आप खुफ़िआ तरीके से कोई अन्य गाडी का इंतज़ाम कर सकती है जो की नदी के किनारे खडी हो और उसका नंबर इत्यादि मुझे पहले बता दें.
अजंता - हाँ कमिश्नर साहब को बोल कर कर दूँगी. पर क्यों.
विक्की - दीदी मेरी कोशिश यह रहेगी की जब टाइगर आपको क़ैद कर ले तो में आपको किसी तरीके उस गाडी में ट्रांसफर कर दूँ. वह गाडी जो की टाइगर की गाडी के आस पास ही रहेगी , मेरी कोशिश रहेगी की आपको उसमे डाल कर उसमे से भागने का काम कर दूँ आप ज़रुरत पड़े तो बेहोशी का नाटक करना.
अजंता - मैं समझ गयी लेकिन तुम्हे इसमें खतरा होगा.
यह करने के बाद हमे उस शैतान सिंह और फल्लू बाई के अड्डे का पर्दफ़ाश करना है और उसे बर्बाद करना है ताकि इस ऐय्याश को सज़ा तो मिले ही साथ ही फॉलो बाई और टाइगर की और भी बर्बादी हो.
पर विक्की एक बात अभी भी समझ नहीं आयी
विक्की - क्या दीदी
अजंता - अगर नदी पार करके ही दुर्जन के अड्डे पर पहुँच जा सकता है ओर वहां कोई गाडी नहीं जा सकती तो टाइगर के पास दुर्जन के अड्डे तक पहुँचने का क्या तरीका है
विक्की - आपने अच्छा सवाल पूछा.यह देखिये. इस अड्डे के दक्षिणी यानि पिछली ओर एक छोटा सा रास्ता है जिस पर से गाड़ियां आ जा सकती है. यह टेढ़ा मेढ़ा रास्ता पीछे से निकलता हुआ वापस नदी की ओर घूमता है (लेकिन एक डायवर्सन की वजह से नदी इसके बीच में नहीं पढ़ती) ओर इस ओर आकर मैं हाईवे से मिल जाता है जिसके कुछ दूर आपकी जीप, वैन और वह गाडी खड़ी होगी जो आपको अपने लिए अरेंज करनी है. मेरी कोशिश यह रहेगी की किसी तरह टाइगर को फुसला कर आपको उस गाड़ी में डलवाऊं जिसमे वह ना हो और बाद में आप ओर में इस गाडी में एस्केप हो जाएं. आपको अपने कुछ कॉन्स्टेबल्स इस वैन और जीप में भी छोड़ने होंगे (याद रहे दीदी यह बहुत ही विश्वास के आदमी होने चाहिए). बाद में हम भाग लेंगे और आप के ही विभाग का कोई आदमी टाइगर को किसी अनजान जगह से फ़ोन करके विक्की यानि मेरी गिरफ्तारी की खबर दे देगा.
अजंता ने मुस्कुरा कर कहा - विक्की यह काम में ही करुँगी. उसके बाद तुम सुरक्षा से पंडितजी के आश्रम में रहोगे.कुछ दिन बेशक अंडरग्राउंड रहना जब तक टाइगर का भी खात्मा नहीं हो जाता.
हमारा काम उसके बाद भी कहता नहीं होगा. टाइगर को पूरी तरह ख़तम करने से पहले हमे उस स्वामी की आश्रम की भी ढून्ढ कर उस स्वामी को ख़तम करना है , जिस से टाइगर की कमर टूट जाये.जब उसके पास कोई नहीं रहेगा.
अजंता - विक्की एक बात बताओ . तुम इस स्वामी को बाद में क्यों बर्बाद करने की बात कर रहे हो. पहले क्यों नहीं.
विक्की - मुझे इसके आश्रम और खुद स्वामी के बारे में अभी पूरी इनफार्मेशन नहीं है. दुर्जन का मामला एक दम सर पर है समझिये इससे जंग शुरू होने वाली है. दुसरे स्वामी ज्यादातर बाहर रहता है और शायद अभी अगले महीने हिंदुस्तान आ रहा है. वह जब देखेगा की दुर्जन और टाइगर जिन्हे वह हथ्यार और लड़कियां सप्लाई करता है तो अवश्य कोई कदम ऐसा उठाएगा जिससे उसके बारे में कुछ और पता चलेगा और हम उस पर वार कर सकेंगे. और एक बात दीदी - उस स्वामी तक पहुँचने की कोई जड़ी या सुराग टाइगर के बंगले में है जिसे में ढूंढ़ने की कोशिश करूँगा.
अगर दुर्जन को ख़तम करने के प्लान के बाद टाइगर का उसी स्वामी को मिलने का प्लान है एक बेहद खुफ़िआ तरीके से. मैं देखता हूँ की क्या हो सकता है.
और हाँ यह खतरा हम सबको उठाना होगा - पर आप चिंता न करें . मैं भी अब जीना चाहता हूँ हूँ दीदी . आपके लिए और आश्रम के उन बच्चों के लिए. ताकि बाद में उनके साथ अपना जीवन बिताऊं.
अजंता - ज़रूर विक्की. तुम ज़िंदा रहोगे. तुमने जो बरसों पहले अपनी बहन खो दी थी आज वह तुम्हे मिल गयी है.तुमने सिर्फ मुखबिर ही नहीं मेरे भाई जैसा काम भी किया है. मैं बाद में तुम्हे पुलिस से भी इनाम दिलवाऊंगी.
विक्की - मुझे बचने के लिए आज आपको _ __ _
अजंता - एक भाई को बचने के लिए बहन को नंगा भी होना पड़े तो _ _ _बल्कि जुर्म को हटाने के लिए भी अगर मैं नंगी कर दी जाऊं तो ____
विक्की ने उसके मुँह पर हाथ रख दिया - बस दीदी. नंगे तो अब वह दोनों होंगे जो आपको नंगा करना चाहते हैं.
विक्की भावुक हो उठा. अजंता ने उसका चेहरा अपने हाथों में लिया और खड़ी हो गयी. विक्की ने अजंता के सीने में मुँह छुपा लिया जैसे कोई बच्चा अपनी माँ के साथ करता है. विक्की के आंसुओं से अजंता की साड़ी भीगने लगी
अजंता ने उसका हौसला बढ़ाया और कुछ देर बाद उसे ख़ुफ़िया तरीके से जाने को कहा. दोनों ने एक दूसरे के फोन नंबर लिए और विक्की चला गया.
अजंता अपने बैडरूम में आ गयी और बिस्तर पर लेट गयी. वह गहरी सोचों में डूबी थी.
थोड़ी देर बाद वह उठ कर तकिये के सहारे बैठ गयी और कमिशनर को फ़ोन करने लगी.
वह काफी देर उनसे बात करते रही.जब उसने फ़ोन रखा तो उसके चेहरे पर हलकी सी मुस्कान थी. अपने शब्दों पर वह खुद ही हंस पड़ी - में भी अजीब हूँ. अपने नंगे होने का जिक्र ऐसे कर रही थी मानो __
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#11
दुर्जन सिंह के साथ एनकाउंटर

जैसा की विक्की ने बताया था इंस्पेक्टर अजंता अब चौकन्नी हो गयी थी. उसके दो दिन बाद वह थाने पहुंची तो बजाये अपनी फाइल्स खोलने के उसकी नज़र फ़ोन पर टिकी थी.
वहां का एक हवलदार जिसका नाम दलपत सिंह था उसके लिए पानी का गिलास ले के आया
जय हिन्द मैडम - वह बोला और गिलास रख दिया. मैडम यह कुछ फाइल्स थीं इन्हे में _ _
अजंता बार बार फ़ोन की ओर देख रही थी - रख दो इन्हे - वह बिना दलपत की ओर देखे बोली. दलपत उसे देखता रहा ओर फाइल्स एक ओर रख दीं.
तभी फ़ोन बज उठा औऱ अजंता ने तुरंत उसे उठा लिया. दूसरी ओर से आवाज़ आयी - अजंता में शैतान सिंह बोल रहा हूँ. तुम्हे तुरंत मेरे पास आना होगा. और हाँ अपने ५ कॉन्स्टेबल्स लेकर आना.
अजंता - क्या बात है सर
शैतान सिंह - वक़्त बर्बाद मत करो और जैसा कह रहा हूँ वैसा करो.एक सीक्रेट मिशन है.
अजंता - ओके सर - मैं आ रही हूँ.
अजंता तुरंत अपने कुछ कॉन्स्टेबल्स लेकर शैतान सिंह के ऑफिस की ओर चल दी.
पर जाने से पहले उसने आने कांस्टेबल को आदेश दिए - हमे कुछ थैलियां और कुछ मोटे और मज़बूत रस्से रखने होंगे. कांस्टेबल ने वैसा ही किया
थाने में अब केवल दलपत सिंह ओर एक दो अन्य कर्मचारी थे.तभी दलपत सिंह इधर उधर देखता हुआ अपनी सीट से उठा ओर बाहर चल दिया
उसने फ़ोन लगाया - नमस्कार सर
उधर से आवाज़ आयी - दलपत सिंह तुम बिलकुल ही निकम्मे ओर आलसी हो.अजंता ने इतने ऑपरेशन्स कर दिए लेकिन तुम एक भी बात की खबर देने में नाकाम रहे.
दलपत - सर मेरी बात तो सुनिए. अजंता बहुत चालाक है. वह जो भी करती है किसी को खबर नहीं होने देती. ओर जब भी कभी कमिश्नर साहब का फ़ोन आता है तो सबको केबिन से बाहर निकल देती है ओर गुप्त रूप से बात करती है.यह साली जब से आयी है सारी ऊपर की कमाई बंद अच्छा अब एक बात सुनिए. अजंता को शायद आपने फ़ोन किया था. वह आपके दफ्तर आ रही है.
उधर से शैतान सिंह का स्वर उभरा - हाँ पर उसमे गुप्त बात क्या है. वह तो मैंने ही उसे आज अचानक बुलाया है.
दलपत - सर मैंने एक बात नोट की है अजंता जब भी सुबह आती है तो सबसे पहले अपनी फाइल्स देखती है. पर आजा उसकी नज़र फ़ोन पर थी. मIनो उसे पहले से ही मालूम था की आप उसे फ़ोन करेंगे.एक दो दिन से उसके अंदाज़ ओर भी रहस्य्मयी हो गए हैं.
दलपत ने रस्से इत्यादि लेने वाली बात भी शैतान सिंह को बताई
उधर से शैतान सिंह का स्वर उभरा - हाँ पर उसमे गुप्त बात क्या है. वह तो मैंने ही उसे आज अचानक बुलाया है.

उधर अजंता जैसे ही शैतान सिंह के ओफ्फसीए पहुंची , उसने उसे बैठने को भी नई कहा ओर तुरंत अपनी सीट से खड़ा हो गया - अजंता सुनो - तुम्हे आज ओर इसी वक़्त दुर्जन के अड्डे पर आक्रमण करना है और यह है वह नक्शा जो मैं तुमसे डिसकस करना चाहता हूँ. इसे अच्छी तरह से देख लो क्योंकि मैं तुम्हे इसकी कॉपी भी नहीं दे पाउँगा. समझ लो तुम्हे इसको अपने मन में प्रिंट करना है.
अजंता उसे ध्यान से देख रही थी. शैतान सिंह ने वही नक्शा खोल रखा था जो विक्की ने उसे दिखाया था. वह बातें भी सारी वही कर रहा था जो विक्की ने इसे बताई थीं. अजंता बीच बीच में शैतान को दिखने के लिए नक़्शे की तरफ देख रही थी.अजंता ने उसकी सब बातें ध्यान से सुनी और पाया की शैतान सिंह उसे पूरी तरह फ़साने के चक्कर में है.- अपनी बात ख़तम करके शैतान सिंह बोला - आई ऍम सॉरी अजंता - में इम्मेडिएटली तुम्हे जयादा कॉन्स्टेबल्स नहीं दे सकता परन्तु _ _
अजंता उठ कर जाने लगी और कहा - आप चिंता न करें सर - मैंने स्पेशल टास्क फार्स जिसमे १५ कॉन्स्टेबल्स हैं उसका इंतज़ाम कर लिया है और एक पुलिस वैन भी - विश में गुड लक सर - और वह तुरंत बाहर आ गयी.(उसने अभी शैतान सिंह को यह नहीं बताया था की कमिश्नर साहब का एक सबसे विश्वासपात्र ड्राइवर एक अलग गाडी में उसकी पुलिस वैन को फॉलो करेगा.
शैतान सिंह उसे देखता रहा. फिर वह अपनी सीट पर बैठ कर फ़ोन मिलाने लगा
अजंता ने अपनी जीप पर स्वर होकर तुरंत चलने काआदेश दिया - जिस रास्ते पर वह जार यही थी उसे ५ किलोमीटर की दूरी पर उसे पुलिस वैन और कॉन्स्टेबल्स मिल गए. अजंता अपने मिशन पर चल दी.

शहर की उत्तरी भाग में नदी पड़ती थी जिसके पार जंगल था और उस जंगल को पार करके उन्हें दुर्जन पर आक्रमण करना था.
अजंता की जीप और वैन जैसे ही वहां पहुंची, अजंता ने सब कॉन्स्टेबल्स को उतरने का आदेश दिया और उच्च स्वर में बोली - साथियो आज हमे एक मिशन पूरा करना है और आप सब लोग पूरी ईमानदारी और बहादुरी से मेरा साथ देंगे याद रहे हमारा दुश्मन उस पार है और हमे हर हालत में उस पर जीत हासिल करनी है.

एक कांस्टेबल - मैडम हम आपके साथ हैं पर यह नदी कैसे पार होगी. और तो और पुल भी टूटा हुआ है. यह नदी काफी गहरी नहीं है लेकिन इसे पैदल पार करना यह गाडी से पार करना नामुमकिन है.
अजंता - जब इरादे पक्के हों तो कुछ मुश्किल नहीं.
दूसरा कांस्टेबल - मैडम वह तो ठीक है पर _ _ _ कोई तरीका इस नदी को पार करने का .
अजंता - एक तरीका है. फिर वह अपने एक कांस्टेबल की और मुड़ी - राम सिंह वो मोटा रस्सा निकालो और कुछ थैलियां भी.
राम सिंह ने वैसा ही किया. अजंता नदी के उस पार देखने लगी और उसे दो मज़बूत पेड़ नज़र आये.
अजंता ने कहा राम सिंह इस खम्बे से रस्से का एक सिरा बांधो और तुम लोगो इसे मज़बूती से थामो और मेरे वहां जाने के बाद तुम्हे इस थैली में जो दे रही हूँ तुम वह लेकर तुरंत आओगे.
राम सिंह - मैडम थैली में आप क्या देंगी में कुछ समझा नहीं. बाकि कांस्टेबल भी अजंता की ओर हैरत से देखने लगे और एक बोल उठा - मैडम आप वहां कैसे जाएँगी.
अजंता एक बड़े पत्थर के ऊपर बैठ गयी और अपने जूते उतरने लगी. उसके बाद उसने वह जूते एक थैली में रखे और उसके हाथ अपने सीने पर गए. अजंता ने अपनी कमीज उतारनी शुरू कर दी.कमीज उतरते ही अजंता का गोरा गुलाबी बदन खिल उठा और सफ़ेद ब्रेज़री में उसके उभरे हुए बड़े बड़े पिल्लू साफ़ साफ नुमाया हो गए. उनका एक बड़ा भाग उसकी ब्रा के बाहर झलक रहा था मनो दो कबूतर आज़ाद होने को फड़फड़ा रहे हों

कमीज उतार कर उसने राम सिंह को एक थैली में रखने को कहा .
उसके बाद उसने अपनी पैंट भी उतार दी .मनो दो सफ़ेद चिकने केलों पर से छिलका उतर दिया हो. अजंता का सेक्सी सुन्दर शरीर और उसकी बल खायी कमर अब पूरी तरह से उसके कॉन्स्टेबल्स का नज़ारा बन रहे थे और सफ़ेद ब्रा और कच्छी में उसकी मदमस्त जवानी झूम उठी
उसके सब कॉन्स्टेबल्स हैरान होकर उसे देख रहे थे. सबकी आँखें फटी की फटी रह गयीं.
अजंता ज़ोर से बोली - राम सिंह में इस रस्से को लेकर उस पार जा रही हूँ. मेरी वर्दी और जूते लेकर तुरंत आओ और यह रस्सा हम वहां बांधेंगे जिससे सब कॉन्स्टेबल्स तुरंत उस पार आ जायेंगे. एक रस्से का उपयोग और करो.
और वह रस्से का कोना थामे नदी में कूद पड़ी.
एक कांस्टेबल बोला - क्या लड़की है. सब अभी तक हैरान थे. अजंता नदी से चिल्लाई - कॉन्स्टेबल्स हम यहाँ कोई फिल्म देखने नहीं आये हैं. कम ऑन हरी उप .
और आधे घंटे में सब कॉन्स्टेबल्स नदी के पार थे. अजंता भी अपनी यूनिफार्म पहन चुकी थी और उसके हाथ में रिवाल्वर था. उसने अपनी कैप भी पहन ली और माथे पर एक छोटी सी बिंदी से वह और भी सुन्दर लग रही थी
अब अजंता ने देखा की एक पगडण्डी थी जिसको पार करने पर आगे दो रास्ते बन जाते थे. और कुछ दूर (लगभग ३ या ४ किलोमीटर होगा) एक ईमारत का हिस्सा नज़र आ रहा था.
तब अजंता को यह ध्यान आया की उसे विक्की को फ़ोन करना था. उसने अपना मोबाइल निकला और विक्की को मिलाने लगी. लेकिन यहाँ कोई सिग्नल नहीं मिल रहे थे - ओह माई गॉड - विक्की शायद उसे बता पाता की आगे क्या करना है.
अजंता कुछ सोच में पड़ गयी परन्तु फिर उसने यह विचार किया की अब खतरा तो उठाना ही पड़ेगा.
अजंता ने दूरबीन निकली और उसका उपयोग सामने देखने के लिए करने लगी.
वह लगभग दस मिनट तक सारा नज़ारा देखती रहे. फिर उसने पलटकर अपने कॉन्स्टेबल्स को सम्बोधित किया - साथियो हमारे सामने दो रास्ते हैं :- (१) पहला यह की हमारे बायीं ओर एक ३ मीटर चौड़ी सड़क है जिसके आस पास एक ड्रेन बनी हैं और यह सीधा रास्ता है जिसपर चल कर हम उस ईमारत पर हमला कर सकते है जहाँ की दुर्जन का अड्डा है.
(२) दूसरा हमारी दायीं ओर एक रास्तI है जो टेढ़ा जंगल का रास्ता है. बदकिस्मती से हमे यह नहीं मालूम की दुर्जन के आदमी कहाँ छुपे हैं.
एक कांस्टेबल - मैडम हम यह ३ मीटर की पक्की सड़क से जायेंगे क्योंकि जंगल में तो कुछ कंटीले पौधे ओर गहरा रास्ता है. हमे वक़्त लग सकता है.
अजंता - पहले मैंने यही सोचा था. लेकिन जंगल से जयादा उपयुक्त रहेगा क्योंकि अगर दुर्जन के आदमी यहाँ से हम पर हमला करते हैं तो हमारे पास डिस्पेर्स यानि उधर होकर उनपर प्रतिउत्तर में हमला करने का अवसर नहीं होगा ओर हम सब उनकी गोलियों से मिनटों में भून दिए जायेंगे.यह समस्या हमे जंगल में नहीं आएगी.
एक कांस्टेबल - मैडम इधर उधर से मतलब
अजंता - कोई तुम पर हमला करे तो तुम्हे भी तो मौका मिलना चाहिए खुद को बचने , छुपने और उस पर वार करने का.
अजंता ने नोट किया की उसकी यह बात सुनकर कुछ कॉन्स्टेबल्स एक दुसरे की ओर देखने लगे ओर आँख से हलके इशारे भी करने लगे. अजंता समझ गयी की कुछ लोग यहाँ से भागने का मौका ढूंढ रहे हैं.
अजंता ने फिर सब की ओर देख कर कहा - एक बात ध्यान रहे. अगर किसी ने अपने फ़र्ज़ से भागने की कोशिश की तो वो दुआ करे की में इस हमले में शहीद हो जाऊं. क्योंकि अगर मैं बच गयी तो उसे छोडूंगी नहीं.
तब कुछ कॉन्स्टेबल्स ने कहा - मैडम आप तैयारी करें हम साथ है.
अजंता - कम ऑन नाउ टेक पोसिशन्स एंड मार्च
अजंता का हुक्म पाते ही सब पोलिसवाले कुछ बिखर कर इधर उधर और ऊपर नीचे देखते हुए आगे बढ़ने लगे . सबने अपनी गन्स और हथ्यार पूरी तरह तैयार रखे थे.

कुछ दूर चलने के बाद अजंता अचानक रूक गयी और सब पुलिसवालों को ठहरने का आदेश दिया.
एक कांस्टेबल - क्या हुआ मैडम ?
अजंता - आगे देखो.
सबने देखा की आगे ज़मीन कुछ कुछ भागों में खुदी हुई थी और कुछ छोटे छोटे काले रंग के डब्बे ज़मीन में धंसे नज़र आ रहे तह. डब्बों के केवल कुछ ही भाग ज़मीन के ऊपर था और उनपर कुछ पिन लगे थे.

अजंता - सब लोग ध्यान रखें. हो ने हो यह बम या फॉयर कोई और एक्सप्लोसिव डिवाइस हैं जिससे हमे क्षति पहुँच सकती है. कोई भी इन पर पावं नहीं रखेगा नहीं तो यह फट जायेंगे.
सब सावधानी से इधर उधर होते हुए एक हिस्से को पार कर गए.
पर आगे भी रास्ता आसान नहीं था. अजंता ने पाया की ज़मीन के छोटे छोटे टुकड़ों घास बिछी थी जो की साफ़ पता लग रह था की वहां पर उगी नहीं हुई. वह समझ गयी की कई छोटे मोटे गड्डे उस रास्ते में थे जो उन्हें गिराने यह ट्रैप करने के लिए बांये गायें. उसने फिर अपने कॉन्स्टेबल्स को इशारा किया एक मिनट ठहरने का.
एक कांस्टेबल खीज कर बोला - अरे मैडम अब हमे कितनी देर यह ठहरना होगा
अजंता का स्वर सख्त हो उठा - देखो मैं पहले ही कह चुके हूँ जिसका मन न हो हो वापस जा सकता है. में अकेली भी इन दुशमनो का मुक़ाबला कर लूंगी. और किसी ने गद्दारी की तो पहले उसे गोली मारूंगी. यह आगे तुम लोगों को टुकड़ों में घास बिछी नज़र आ रही है. क्या समझे इससे ?
सब खामोश होकर उसे देखने लग- सावधान रहो वरना अभी किसी गड्डे में धंस जाओगे.
अजंता ने नोट किया की कुछ कॉन्स्टेबल्स एक असाधारण चुप्पी धार कर एक दुसरे की ओर देख रहे थे. उनका ध्यान अपने लक्ष्य में कम ओर अजंता के उठते बैठते बड़े बड़े उरोजों ओर उसके दमकते ख़ूबसूरत चेहरे पर था. अजंता पुलिस की वर्दी में भी कहर ढा रही थी ओर उसके तने हुए उरोज मानो उसकी कमीज फाड़ कर बiहर आने को उतारू हो रहे थे.
उन्ही में से एक कांस्टेबल दुसरे को बोला - साली किसी को भाव नहीं देती. ज़रा इसकी तनी हुई छातियां तो देख.
दूसरा - अभी हत्थे चढ़ गयी न गुंडों के तो मसल के रख देंगे.
पहला - कुछ नहीं कह सकते . बड़ी तेज़ चीज़ है.
दूसरा - बहुत कूद रही है. नंगा कर दूंगा साली को.देखा अभी नदी किनारे क्या हुआ. मेरा तो देखते ही लंड खड़ा हो गया.
पहला - अरे अभी तो सोच कैसे जान बचे इन गुंडों से. वह कमिश्नर भी साला इसी की सुनता है.
दूसरा - हो गयी होगी नंगी उसके आगे .
इतने में अजंता का स्वर फिर गूंजा -आप लोग अपने लक्ष्य पर ध्यान दें तो अच्छा होगा. मैं जानती हूँ मुझे नंगा देख कर कुछ लोगों के क्या हाल हो रहे हैं.ज़रा नीचे से खुद को काबू रखें ओर दिमाग खुला रखें. साथियो आगे पेड़ों पर रस्सी देख रहे हो.
कुछ कॉन्स्टेबल्स कहें लगे - जी मैडम. साली खुद को क्या समझती है. रंडी की तरह न चोदा तो (एक मन ही मन बोला)
बस फायरिंग के लिए तैयार रहो. दो कदम आकर सब रुक जाओ ओर जैसे ही मैं कहूं फायरिंग शुरू कर दो.
सब सावधान हो गए. अजंता अकेली कुछ कदम पर अपनी रिवाल्वर लेकर आगे बढ़ने लगी. अजंता जैसे ही एक पेड़ के निकट गयी , रस्सी का तना गोल होकर उसे लपेटने के लिए नीचे को लपका. पर अजंता सावधान थी . वह एक ओर जम्प लेकर साइड हो गयी ओर उसने पेड़ के ऊपर निशाना दाग कर गोली चला दी. एक आदमी जोर से चीखा ओर सब कॉन्स्टेबल्स हैरान हो गयी जब उसकी लाश पेड़ के नीचे जा गिरी.
अजंता ने बारी बारी सब पेड़ों को जल्दी से एक नज़र देखा और अपने सिपाहियों का आदेश दिया - कम ऑन सब ऊपर देखें और फायरिंग शुरू कर दें .
एक डीएम बहुत से आदमी पदों पर नज़र आने लगे और गोलियां चलनी शुरू हो हो गयीं. तभी दो कॉन्स्टेबल्स को गोली लगी और वह वहीँ ढेर हो गयी. यह देखकर कुछ कसंतबलेस इधर उधर छुप कर फायरिंग करने लगे. अजंता को विचार आया की जिन आदमियों ने हमला किया है वह पेड़ों पर है और इस ऊंचाई का उन्हें फायदा हो सकताहै. उसने जब कॉन्स्टेबल्स को झाड़ियों में छुपने का आदेश दिया और स्वय फायरिंग जारी रखी. तभी एक आदमी नीचे कूदा और अजंता के निकट आ पहुंचा. उसने अजंता पर हमला करना चाहा पर अजंता ने घूमकर एक ज़ोरदार किक उसके मुँह पर मारी. इससे पहले वह कुछ समझता एक गोली उसकी खोपड़ी में घुस चुकी थी और वह आदमी वहीं ढेर हो गया.
अजंता ने एक बार एक पेड़ का सहIरI लिया और सामने निशाना दागा. एक और आदमी नीचे आ गिरा. उसके कुछ कॉन्स्टेबल्स का निशाना भी अचूक बैठा और दो आदमी ढेर हो गए.
अजंता ने उनका मनोबल बढ़ाया - वैरी गुड. आप लोग ऐसे ही डटे रहो पर सावधान रहो.
एक बोला - मैडम मुझे लगता है आप पेड़ों पर से नहीं सामने से हमला होगा. वह देखिये
अजंता ने सामने देखा तो कम से कम १५-२० आदमी उन पर हमला करने को आ रहे थे.
अब दोनों और से गोलिया चलने लगी और दोनों और से आदमी भी गिरने लगे.
लेकिन अजंता के पास अब केवल १० कॉन्स्टेबल्स थे और सामने दुर्जन के आदमियों की तादाद ज्यादा थी.
तभी अजंता को एक छोटा सा शॉक लगा जब अचानक तीन आदमी उसके अगला बगल न जाने कहाँ से आ पहुंचे और निशाना लगा कर खड़े हो गए - अपने हाथ ऊपर उठाओ - एक चीखा
- क्यों इंस्पेक्टर साहिबा , अपने आपको बहुत चालाक समझती हो.
हमे मालूम था की तुम उस सड़क से नहीं आओगे और जंगल का ही रास्तI चुनोगे. अब चलो हमारे साथ और बैठो उस गाडी में.
एक गुंडा - अरे यारो बड़ी मस्त चीज़ है. कम से पहले थोड़ा आराम भी हो जाये. और उसने आँख मारी. तभी एक ने कहा की नहीं यार पहले दुर्जन भाई के दर्शन करा दो. फिर बहती गंगा में हम भी _ _ हां हां हां - वह अश्लीलता से हंसा - तीनो के चेहरों पर वेह्शीपन के साथ वासना भी साफ़ दिख रही थी.
अजंता ने नोट किया की वह थोड़े से असावधान हो गए हैं. उसने तुरंत एक ओर कूद कर पलटा खाया ओर दोनों टांगों से एक एक आदमी पर वार किया. वह दोनों ज़मीन पर जा गिरे ओर अजंता ने रिवाल्वर झट से जेब में रख कर तीसरे से बन्दूक छीन कली. ओर फिर - रेट रेट रेट _ _ _ गोलिया चलीं ओर तीनो ढेर हो गए.
परन्तु अजंता ने सांस भी न लिया था की एक दम चार ओर आदमी उस पर टूट पड़े.
पर अजंता वीरता पूर्वक मुक़ाबला करती रही. और उनके दांव काटती रही.
वह सब अश्लील संवाद भी बोल रहे थे और अजंता पर लपक कर उसे अपना शिकार भी बनाना चाहते थे. पर अजंता भी अपने जुडो और कराटे की कुशलता का भरपूर उपयोग कर रही थी.
अजंता ने उन्हें भी चारो खाने चित कर दिया पर उनमे से दो लोग उठ कर भाग खड़े हुए और स्टेनगन से गोलियां चलने लगे देखते ही देखते अजंता के ४ अन्य कॉन्स्टेबल्स ढेर हो गए. कुछ कॉन्स्टेबल्स जो शुरू से ही विरोधाभास में थे भाग गए.
अजंता उन पर फायरिंग करने लगी और दो तीन आदमी ढेर कर दिए.
परन्तु उसके साथ समस्या यह आयी की वह दो मारती थी और तीन खड़े हो जाते थे.
अब फिर से उस के ऊपर तीन बहुत ही खुंखार और हट्टे कट्टे गुंडों ने आक्रमण कर दिया .अजंता ने एक पर जुडो का दांव आजमाया और उसे पीठ के बल गिरा दिया.
एक आदमी बोला - यह ऐसे नहीं मानेगी. फाड़ दो इसके कपडे. - साली _ _ _
अजंता ने सीधा उसके मुँह पर प्रहार किया और वह बिलबिला उठा - अपनी माँ के कपड़े फाड़ जाकर कुत्ते.
पर तभी अजंता के पीछे से एक ने उसके चेहरे पर वार किया जिसके उसके होंठ कुछ घायल हुए और उसे दर्द महसूस हुआ. मारने वाले ने वक़्त बर्बाद नहीं किया और उसे धक्का दिया दुसरे आदमी ने उसे संभाला पर वापस से ढका दिया और उसके सीने पर प्रहार किया. एक ने उसके दोनों वक्ष अपने हांथों से कमीज के ऊपर पकडे और दबा दिए. - वह क्या मदमस्त पिल्लू हैं.
अजंता कुछ कमज़ोर पड़ी - वह काफी देर से अकेले ही इन गुंडों का मुक़ाबला कर रही थी.
तभी एक ने अजंता को पेड़ के सामने धक्का दिया तो अजंता ने टकराने से खुद को बचIने की कोशिश की.
बस गुंडे को मौका मिल गया. उसने अजंता की कमीज का हिस्सा पीठ के ऊपर से पकड़ लिया और ज़ोर से झटका दिया.
चररररर चर __चर उस गुंडे ने अजंता की कमीज पीछे से फाड़ दी और उसे धक्का भी दे दिया.अजंता की पीठ नंगी हो गयी और वह मुँह के बल गिरी.तभी अजंता पर तीन गुंडे टूट पड़े और उसे नोचने खसोटने लगे.

पर अजंता ने अपने दांव जारी रखे और उन गुंडों का मुक़ाबला करती रही.पर तभी एक गुंडे ने उसकी नंगी पीठ पर रिवाल्वर टिका दिया और कहा - रुक जाओ वरना गोली मार देंगे

अजंता रुक गयी और गुंडों ने उसे दाएं बाएं से पकड़ लिया
एक गुंडा - ले चलो साली को दुर्जन भाई के पास. बहुत कूद रही थी.
दूसरा - क्या गज़ब चमकदार पीठ है. और उसने उसकी पीठ पर चिकोटी काट दी.

आअह्ह्ह - अजंता कराह उठी
एक बोला - अभी तो बहुत दर झेलना है इंस्पेक्टर साहिबा. और वह अजंता को थामे हुए एक गाडी की तरफ बढ़ गए.
उन्होंने अजंता को गाड़ी में धकेल दिया और उसके बाजू थाम कर बैठ गए.
अजंता - वह वह क्या मर्द हो सारे के सारे - एक अकेली औरत को थाम कर बैठे हो और खुद को _ _
एक गुंडे ने उसकी कमीज के ऊपर से उसका दाया वक्ष ज़ोर से दबा दिया और अट्टहास करने लगा - औरत _ _ वाह क्या औरत है. क्या बड़े बड़े दूधू हैं और यह मस्त गांड. अजंता रानी अभी तुम्हारी चूत का जो मसाला बनने वाला है न _ _ बस तुम भी क्या याद करोगी.
दूसरा - जी तो कर रहा है यहीं नंगा करके चोद दूँ साली को. पर दुर्जन भाई __ _
अजंता - तू क्या मुझे छोड़ेगा कुत्ते - जा जाकर अपनी माँ को चोद हरामी _ _
उसने अजंता को तमाचा मारा तो अजंता जिसके हाथ उन सबने पकडे हुए थे उसे ज़ोर से एक किक मारी. वह गाडी के दुसरे हिस्से में जा गिरा.
थोड़े से खतरे का आभास हुआ और सबने उसे दबोच लिया. अजंता पूरी यूनिफार्म में थी यहाँ तक की उसकी कैप भी उसके सर पर थी. बस उसकी कमीज पीछे से सारी फट चुकी थी. तभी गाडी २ किलोमीटर दूर जाकर रुकी और वह सब अजंता को बंदी बनाकर नीचे उतर गए और अड्डे में घुस गए.
एक गुंडे ने आवाज़ दी - जरनैल भाई - शिकार हाज़िर है
दुर्जन का वह ख़ास आदमी जिसका नाम जरनैल खान था दिखें में बहुत ही गन्दा और मैला आदमी था. अजंता को देखते ही वह कुत्ते के तरह लार टपकाने लगा - वाह क्या ग़ज़ब माल है
एक गुंडे ने अजंता का शरीर कुछ घुमाया - अरे यह चमकदार पीठ तो देखो.
जरनैल - पीठ क्या हम तो सब कुछ देखेंगे. क्यों इंस्पेक्टर साहिबा - कह कर उसने अजंता के कैप हाथ में ली और नक़ली सलूट मारी.
अजंता - हाँ कुत्ते के पिल्लों से और क्या उम्मीद की जा सकती है.कईं बे हरामी अपनी माँ को देखकर भी ऐसे ही जीभ निकालता है क्या
जरनैल - मेरी माँ तो सड़क छाप रंडी थी - उसे देखकर तो कई जीभ निकलते थे. पर क्या करू जान वह तेरी तरह हाई क्लास नहीं थी. मुझ जैसी काली मटमैली _ _ _
अजंता - तू फिर काले कुत्ते एक बार अपने इन पीछे से वार करने वाले आदमियों से बोल की मेरे हाथ खोल दें. फिर बताती हूँ तुझे की मेरी क्लास क्या है.
जर्नल अश्लीलता से हंस पड़ा और उसकी कैप उठाकर वापस सर पर रख दी - अजंता रानी अब तुम्हे अपनी क्लास बताता हूँ.इसको दुर्जन भाई के पास ले जाने से पहले तैयार करना होगा.

जरनैल ने अजंता के गिरेबान में हाथ डाला और ज़ोर से झटका दिया –
अजंता की कमीज सामने से फैट गयी और उसकी सफ़ेद ब्रा और उसमे कैद उसके उफनते हुए उरोज साफ़ साफ़ झलकने लगे.
सब गुंडे बड़ी बड़ी आँखें निकल कर उसकी ब्रा में झाँकने लगे और अश्लील इशारे करने लगे - वह क्या बड़े बड़े दूधू हैं - भाई की तो ऐश हो गयी आज
जरनैल - अरे हम भी बहती गंगा में हाथ धोयेंगे - और उसने अजंता की कमीज पूरी तरह से फाड़ दी की अब उसके गोर गुलाबी शरीर पर ऊपर के हिस्से में सिर्फ ब्रेज़री रह गयी. गुंडे नो जैसे ही उसका अत्यंत खूबसूरत शरीर देखा तो वह उसके अंगों से खिलवाड़ करने लग गए. कोई उसकी नाभि में ऊँगली घुसेड़ता , कोई ब्रा के ऊपर उसकी छातियां दबाने लगा. अजंता को दर्द होने लगा और वह हलके से चिल्लाई. तभी जरनैल ने उसकी पैंट खोल दी और नीचे गिरा दी.
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#12
दुर्जन सिंह के साथ एनकाउंटर

जैसा की विक्की ने बताया था इंस्पेक्टर अजंता अब चौकन्नी हो गयी थी. उसके दो दिन बाद वह थाने पहुंची तो बजाये अपनी फाइल्स खोलने के उसकी नज़र फ़ोन पर टिकी थी.
वहां का एक हवलदार जिसका नाम दलपत सिंह था उसके लिए पानी का गिलास ले के आया
जय हिन्द मैडम - वह बोला और गिलास रख दिया. मैडम यह कुछ फाइल्स थीं इन्हे में _ _
अजंता बार बार फ़ोन की ओर देख रही थी - रख दो इन्हे - वह बिना दलपत की ओर देखे बोली. दलपत उसे देखता रहा ओर फाइल्स एक ओर रख दीं.
तभी फ़ोन बज उठा औऱ अजंता ने तुरंत उसे उठा लिया. दूसरी ओर से आवाज़ आयी - अजंता में शैतान सिंह बोल रहा हूँ. तुम्हे तुरंत मेरे पास आना होगा. और हाँ अपने ५ कॉन्स्टेबल्स लेकर आना.
अजंता - क्या बात है सर
शैतान सिंह - वक़्त बर्बाद मत करो और जैसा कह रहा हूँ वैसा करो.एक सीक्रेट मिशन है.
अजंता - ओके सर - मैं आ रही हूँ.
अजंता तुरंत अपने कुछ कॉन्स्टेबल्स लेकर शैतान सिंह के ऑफिस की ओर चल दी.
पर जाने से पहले उसने आने कांस्टेबल को आदेश दिए - हमे कुछ थैलियां और कुछ मोटे और मज़बूत रस्से रखने होंगे. कांस्टेबल ने वैसा ही किया
थाने में अब केवल दलपत सिंह ओर एक दो अन्य कर्मचारी थे.तभी दलपत सिंह इधर उधर देखता हुआ अपनी सीट से उठा ओर बाहर चल दिया
उसने फ़ोन लगाया - नमस्कार सर
उधर से आवाज़ आयी - दलपत सिंह तुम बिलकुल ही निकम्मे ओर आलसी हो.अजंता ने इतने ऑपरेशन्स कर दिए लेकिन तुम एक भी बात की खबर देने में नाकाम रहे.
दलपत - सर मेरी बात तो सुनिए. अजंता बहुत चालाक है. वह जो भी करती है किसी को खबर नहीं होने देती. ओर जब भी कभी कमिश्नर साहब का फ़ोन आता है तो सबको केबिन से बाहर निकल देती है ओर गुप्त रूप से बात करती है.यह साली जब से आयी है सारी ऊपर की कमाई बंद अच्छा अब एक बात सुनिए. अजंता को शायद आपने फ़ोन किया था. वह आपके दफ्तर आ रही है.
उधर से शैतान सिंह का स्वर उभरा - हाँ पर उसमे गुप्त बात क्या है. वह तो मैंने ही उसे आज अचानक बुलाया है.
दलपत - सर मैंने एक बात नोट की है अजंता जब भी सुबह आती है तो सबसे पहले अपनी फाइल्स देखती है. पर आजा उसकी नज़र फ़ोन पर थी. मIनो उसे पहले से ही मालूम था की आप उसे फ़ोन करेंगे.एक दो दिन से उसके अंदाज़ ओर भी रहस्य्मयी हो गए हैं.
दलपत ने रस्से इत्यादि लेने वाली बात भी शैतान सिंह को बताई
उधर से शैतान सिंह का स्वर उभरा - हाँ पर उसमे गुप्त बात क्या है. वह तो मैंने ही उसे आज अचानक बुलाया है.

उधर अजंता जैसे ही शैतान सिंह के ओफ्फसीए पहुंची , उसने उसे बैठने को भी नई कहा ओर तुरंत अपनी सीट से खड़ा हो गया - अजंता सुनो - तुम्हे आज ओर इसी वक़्त दुर्जन के अड्डे पर आक्रमण करना है और यह है वह नक्शा जो मैं तुमसे डिसकस करना चाहता हूँ. इसे अच्छी तरह से देख लो क्योंकि मैं तुम्हे इसकी कॉपी भी नहीं दे पाउँगा. समझ लो तुम्हे इसको अपने मन में प्रिंट करना है.
अजंता उसे ध्यान से देख रही थी. शैतान सिंह ने वही नक्शा खोल रखा था जो विक्की ने उसे दिखाया था. वह बातें भी सारी वही कर रहा था जो विक्की ने इसे बताई थीं. अजंता बीच बीच में शैतान को दिखने के लिए नक़्शे की तरफ देख रही थी.अजंता ने उसकी सब बातें ध्यान से सुनी और पाया की शैतान सिंह उसे पूरी तरह फ़साने के चक्कर में है.- अपनी बात ख़तम करके शैतान सिंह बोला - आई ऍम सॉरी अजंता - में इम्मेडिएटली तुम्हे जयादा कॉन्स्टेबल्स नहीं दे सकता परन्तु _ _
अजंता उठ कर जाने लगी और कहा - आप चिंता न करें सर - मैंने स्पेशल टास्क फार्स जिसमे १५ कॉन्स्टेबल्स हैं उसका इंतज़ाम कर लिया है और एक पुलिस वैन भी - विश में गुड लक सर - और वह तुरंत बाहर आ गयी.(उसने अभी शैतान सिंह को यह नहीं बताया था की कमिश्नर साहब का एक सबसे विश्वासपात्र ड्राइवर एक अलग गाडी में उसकी पुलिस वैन को फॉलो करेगा.
शैतान सिंह उसे देखता रहा. फिर वह अपनी सीट पर बैठ कर फ़ोन मिलाने लगा
अजंता ने अपनी जीप पर स्वर होकर तुरंत चलने काआदेश दिया - जिस रास्ते पर वह जार यही थी उसे ५ किलोमीटर की दूरी पर उसे पुलिस वैन और कॉन्स्टेबल्स मिल गए. अजंता अपने मिशन पर चल दी.

शहर की उत्तरी भाग में नदी पड़ती थी जिसके पार जंगल था और उस जंगल को पार करके उन्हें दुर्जन पर आक्रमण करना था.
अजंता की जीप और वैन जैसे ही वहां पहुंची, अजंता ने सब कॉन्स्टेबल्स को उतरने का आदेश दिया और उच्च स्वर में बोली - साथियो आज हमे एक मिशन पूरा करना है और आप सब लोग पूरी ईमानदारी और बहादुरी से मेरा साथ देंगे याद रहे हमारा दुश्मन उस पार है और हमे हर हालत में उस पर जीत हासिल करनी है.

एक कांस्टेबल - मैडम हम आपके साथ हैं पर यह नदी कैसे पार होगी. और तो और पुल भी टूटा हुआ है. यह नदी काफी गहरी नहीं है लेकिन इसे पैदल पार करना यह गाडी से पार करना नामुमकिन है.
अजंता - जब इरादे पक्के हों तो कुछ मुश्किल नहीं.
दूसरा कांस्टेबल - मैडम वह तो ठीक है पर _ _ _ कोई तरीका इस नदी को पार करने का .
अजंता - एक तरीका है. फिर वह अपने एक कांस्टेबल की और मुड़ी - राम सिंह वो मोटा रस्सा निकालो और कुछ थैलियां भी.
राम सिंह ने वैसा ही किया. अजंता नदी के उस पार देखने लगी और उसे दो मज़बूत पेड़ नज़र आये.
अजंता ने कहा राम सिंह इस खम्बे से रस्से का एक सिरा बांधो और तुम लोगो इसे मज़बूती से थामो और मेरे वहां जाने के बाद तुम्हे इस थैली में जो दे रही हूँ तुम वह लेकर तुरंत आओगे.
राम सिंह - मैडम थैली में आप क्या देंगी में कुछ समझा नहीं. बाकि कांस्टेबल भी अजंता की ओर हैरत से देखने लगे और एक बोल उठा - मैडम आप वहां कैसे जाएँगी.
अजंता एक बड़े पत्थर के ऊपर बैठ गयी और अपने जूते उतरने लगी. उसके बाद उसने वह जूते एक थैली में रखे और उसके हाथ अपने सीने पर गए. अजंता ने अपनी कमीज उतारनी शुरू कर दी.कमीज उतरते ही अजंता का गोरा गुलाबी बदन खिल उठा और सफ़ेद ब्रेज़री में उसके उभरे हुए बड़े बड़े पिल्लू साफ़ साफ नुमाया हो गए. उनका एक बड़ा भाग उसकी ब्रा के बाहर झलक रहा था मनो दो कबूतर आज़ाद होने को फड़फड़ा रहे हों

कमीज उतार कर उसने राम सिंह को एक थैली में रखने को कहा .
उसके बाद उसने अपनी पैंट भी उतार दी .मनो दो सफ़ेद चिकने केलों पर से छिलका उतर दिया हो. अजंता का सेक्सी सुन्दर शरीर और उसकी बल खायी कमर अब पूरी तरह से उसके कॉन्स्टेबल्स का नज़ारा बन रहे थे और सफ़ेद ब्रा और कच्छी में उसकी मदमस्त जवानी झूम उठी
उसके सब कॉन्स्टेबल्स हैरान होकर उसे देख रहे थे. सबकी आँखें फटी की फटी रह गयीं.
अजंता ज़ोर से बोली - राम सिंह में इस रस्से को लेकर उस पार जा रही हूँ. मेरी वर्दी और जूते लेकर तुरंत आओ और यह रस्सा हम वहां बांधेंगे जिससे सब कॉन्स्टेबल्स तुरंत उस पार आ जायेंगे. एक रस्से का उपयोग और करो.
और वह रस्से का कोना थामे नदी में कूद पड़ी.
एक कांस्टेबल बोला - क्या लड़की है. सब अभी तक हैरान थे. अजंता नदी से चिल्लाई - कॉन्स्टेबल्स हम यहाँ कोई फिल्म देखने नहीं आये हैं. कम ऑन हरी उप .
और आधे घंटे में सब कॉन्स्टेबल्स नदी के पार थे. अजंता भी अपनी यूनिफार्म पहन चुकी थी और उसके हाथ में रिवाल्वर था. उसने अपनी कैप भी पहन ली और माथे पर एक छोटी सी बिंदी से वह और भी सुन्दर लग रही थी
अब अजंता ने देखा की एक पगडण्डी थी जिसको पार करने पर आगे दो रास्ते बन जाते थे. और कुछ दूर (लगभग ३ या ४ किलोमीटर होगा) एक ईमारत का हिस्सा नज़र आ रहा था.
तब अजंता को यह ध्यान आया की उसे विक्की को फ़ोन करना था. उसने अपना मोबाइल निकला और विक्की को मिलाने लगी. लेकिन यहाँ कोई सिग्नल नहीं मिल रहे थे - ओह माई गॉड - विक्की शायद उसे बता पाता की आगे क्या करना है.
अजंता कुछ सोच में पड़ गयी परन्तु फिर उसने यह विचार किया की अब खतरा तो उठाना ही पड़ेगा.
अजंता ने दूरबीन निकली और उसका उपयोग सामने देखने के लिए करने लगी.
वह लगभग दस मिनट तक सारा नज़ारा देखती रहे. फिर उसने पलटकर अपने कॉन्स्टेबल्स को सम्बोधित किया - साथियो हमारे सामने दो रास्ते हैं :- (१) पहला यह की हमारे बायीं ओर एक ३ मीटर चौड़ी सड़क है जिसके आस पास एक ड्रेन बनी हैं और यह सीधा रास्ता है जिसपर चल कर हम उस ईमारत पर हमला कर सकते है जहाँ की दुर्जन का अड्डा है.
(२) दूसरा हमारी दायीं ओर एक रास्तI है जो टेढ़ा जंगल का रास्ता है. बदकिस्मती से हमे यह नहीं मालूम की दुर्जन के आदमी कहाँ छुपे हैं.
एक कांस्टेबल - मैडम हम यह ३ मीटर की पक्की सड़क से जायेंगे क्योंकि जंगल में तो कुछ कंटीले पौधे ओर गहरा रास्ता है. हमे वक़्त लग सकता है.
अजंता - पहले मैंने यही सोचा था. लेकिन जंगल से जयादा उपयुक्त रहेगा क्योंकि अगर दुर्जन के आदमी यहाँ से हम पर हमला करते हैं तो हमारे पास डिस्पेर्स यानि उधर होकर उनपर प्रतिउत्तर में हमला करने का अवसर नहीं होगा ओर हम सब उनकी गोलियों से मिनटों में भून दिए जायेंगे.यह समस्या हमे जंगल में नहीं आएगी.
एक कांस्टेबल - मैडम इधर उधर से मतलब
अजंता - कोई तुम पर हमला करे तो तुम्हे भी तो मौका मिलना चाहिए खुद को बचने , छुपने और उस पर वार करने का.
अजंता ने नोट किया की उसकी यह बात सुनकर कुछ कॉन्स्टेबल्स एक दुसरे की ओर देखने लगे ओर आँख से हलके इशारे भी करने लगे. अजंता समझ गयी की कुछ लोग यहाँ से भागने का मौका ढूंढ रहे हैं.
अजंता ने फिर सब की ओर देख कर कहा - एक बात ध्यान रहे. अगर किसी ने अपने फ़र्ज़ से भागने की कोशिश की तो वो दुआ करे की में इस हमले में शहीद हो जाऊं. क्योंकि अगर मैं बच गयी तो उसे छोडूंगी नहीं.
तब कुछ कॉन्स्टेबल्स ने कहा - मैडम आप तैयारी करें हम साथ है.
अजंता - कम ऑन नाउ टेक पोसिशन्स एंड मार्च
अजंता का हुक्म पाते ही सब पोलिसवाले कुछ बिखर कर इधर उधर और ऊपर नीचे देखते हुए आगे बढ़ने लगे . सबने अपनी गन्स और हथ्यार पूरी तरह तैयार रखे थे.

कुछ दूर चलने के बाद अजंता अचानक रूक गयी और सब पुलिसवालों को ठहरने का आदेश दिया.
एक कांस्टेबल - क्या हुआ मैडम ?
अजंता - आगे देखो.
सबने देखा की आगे ज़मीन कुछ कुछ भागों में खुदी हुई थी और कुछ छोटे छोटे काले रंग के डब्बे ज़मीन में धंसे नज़र आ रहे तह. डब्बों के केवल कुछ ही भाग ज़मीन के ऊपर था और उनपर कुछ पिन लगे थे.

अजंता - सब लोग ध्यान रखें. हो ने हो यह बम या फॉयर कोई और एक्सप्लोसिव डिवाइस हैं जिससे हमे क्षति पहुँच सकती है. कोई भी इन पर पावं नहीं रखेगा नहीं तो यह फट जायेंगे.
सब सावधानी से इधर उधर होते हुए एक हिस्से को पार कर गए.
पर आगे भी रास्ता आसान नहीं था. अजंता ने पाया की ज़मीन के छोटे छोटे टुकड़ों घास बिछी थी जो की साफ़ पता लग रह था की वहां पर उगी नहीं हुई. वह समझ गयी की कई छोटे मोटे गड्डे उस रास्ते में थे जो उन्हें गिराने यह ट्रैप करने के लिए बांये गायें. उसने फिर अपने कॉन्स्टेबल्स को इशारा किया एक मिनट ठहरने का.
एक कांस्टेबल खीज कर बोला - अरे मैडम अब हमे कितनी देर यह ठहरना होगा
अजंता का स्वर सख्त हो उठा - देखो मैं पहले ही कह चुके हूँ जिसका मन न हो हो वापस जा सकता है. में अकेली भी इन दुशमनो का मुक़ाबला कर लूंगी. और किसी ने गद्दारी की तो पहले उसे गोली मारूंगी. यह आगे तुम लोगों को टुकड़ों में घास बिछी नज़र आ रही है. क्या समझे इससे ?
सब खामोश होकर उसे देखने लग- सावधान रहो वरना अभी किसी गड्डे में धंस जाओगे.
अजंता ने नोट किया की कुछ कॉन्स्टेबल्स एक असाधारण चुप्पी धार कर एक दुसरे की ओर देख रहे थे. उनका ध्यान अपने लक्ष्य में कम ओर अजंता के उठते बैठते बड़े बड़े उरोजों ओर उसके दमकते ख़ूबसूरत चेहरे पर था. अजंता पुलिस की वर्दी में भी कहर ढा रही थी ओर उसके तने हुए उरोज मानो उसकी कमीज फाड़ कर बiहर आने को उतारू हो रहे थे.
उन्ही में से एक कांस्टेबल दुसरे को बोला - साली किसी को भाव नहीं देती. ज़रा इसकी तनी हुई छातियां तो देख.
दूसरा - अभी हत्थे चढ़ गयी न गुंडों के तो मसल के रख देंगे.
पहला - कुछ नहीं कह सकते . बड़ी तेज़ चीज़ है.
दूसरा - बहुत कूद रही है. नंगा कर दूंगा साली को.देखा अभी नदी किनारे क्या हुआ. मेरा तो देखते ही लंड खड़ा हो गया.
पहला - अरे अभी तो सोच कैसे जान बचे इन गुंडों से. वह कमिश्नर भी साला इसी की सुनता है.
दूसरा - हो गयी होगी नंगी उसके आगे .
इतने में अजंता का स्वर फिर गूंजा -आप लोग अपने लक्ष्य पर ध्यान दें तो अच्छा होगा. मैं जानती हूँ मुझे नंगा देख कर कुछ लोगों के क्या हाल हो रहे हैं.ज़रा नीचे से खुद को काबू रखें ओर दिमाग खुला रखें. साथियो आगे पेड़ों पर रस्सी देख रहे हो.
कुछ कॉन्स्टेबल्स कहें लगे - जी मैडम. साली खुद को क्या समझती है. रंडी की तरह न चोदा तो (एक मन ही मन बोला)
बस फायरिंग के लिए तैयार रहो. दो कदम आकर सब रुक जाओ ओर जैसे ही मैं कहूं फायरिंग शुरू कर दो.
सब सावधान हो गए. अजंता अकेली कुछ कदम पर अपनी रिवाल्वर लेकर आगे बढ़ने लगी. अजंता जैसे ही एक पेड़ के निकट गयी , रस्सी का तना गोल होकर उसे लपेटने के लिए नीचे को लपका. पर अजंता सावधान थी . वह एक ओर जम्प लेकर साइड हो गयी ओर उसने पेड़ के ऊपर निशाना दाग कर गोली चला दी. एक आदमी जोर से चीखा ओर सब कॉन्स्टेबल्स हैरान हो गयी जब उसकी लाश पेड़ के नीचे जा गिरी.
अजंता ने बारी बारी सब पेड़ों को जल्दी से एक नज़र देखा और अपने सिपाहियों का आदेश दिया - कम ऑन सब ऊपर देखें और फायरिंग शुरू कर दें .
एक डीएम बहुत से आदमी पदों पर नज़र आने लगे और गोलियां चलनी शुरू हो हो गयीं. तभी दो कॉन्स्टेबल्स को गोली लगी और वह वहीँ ढेर हो गयी. यह देखकर कुछ कसंतबलेस इधर उधर छुप कर फायरिंग करने लगे. अजंता को विचार आया की जिन आदमियों ने हमला किया है वह पेड़ों पर है और इस ऊंचाई का उन्हें फायदा हो सकताहै. उसने जब कॉन्स्टेबल्स को झाड़ियों में छुपने का आदेश दिया और स्वय फायरिंग जारी रखी. तभी एक आदमी नीचे कूदा और अजंता के निकट आ पहुंचा. उसने अजंता पर हमला करना चाहा पर अजंता ने घूमकर एक ज़ोरदार किक उसके मुँह पर मारी. इससे पहले वह कुछ समझता एक गोली उसकी खोपड़ी में घुस चुकी थी और वह आदमी वहीं ढेर हो गया.
अजंता ने एक बार एक पेड़ का सहIरI लिया और सामने निशाना दागा. एक और आदमी नीचे आ गिरा. उसके कुछ कॉन्स्टेबल्स का निशाना भी अचूक बैठा और दो आदमी ढेर हो गए.
अजंता ने उनका मनोबल बढ़ाया - वैरी गुड. आप लोग ऐसे ही डटे रहो पर सावधान रहो.
एक बोला - मैडम मुझे लगता है आप पेड़ों पर से नहीं सामने से हमला होगा. वह देखिये
अजंता ने सामने देखा तो कम से कम १५-२० आदमी उन पर हमला करने को आ रहे थे.
अब दोनों और से गोलिया चलने लगी और दोनों और से आदमी भी गिरने लगे.
लेकिन अजंता के पास अब केवल १० कॉन्स्टेबल्स थे और सामने दुर्जन के आदमियों की तादाद ज्यादा थी.
तभी अजंता को एक छोटा सा शॉक लगा जब अचानक तीन आदमी उसके अगला बगल न जाने कहाँ से आ पहुंचे और निशाना लगा कर खड़े हो गए - अपने हाथ ऊपर उठाओ - एक चीखा
- क्यों इंस्पेक्टर साहिबा , अपने आपको बहुत चालाक समझती हो.
हमे मालूम था की तुम उस सड़क से नहीं आओगे और जंगल का ही रास्तI चुनोगे. अब चलो हमारे साथ और बैठो उस गाडी में.
एक गुंडा - अरे यारो बड़ी मस्त चीज़ है. कम से पहले थोड़ा आराम भी हो जाये. और उसने आँख मारी. तभी एक ने कहा की नहीं यार पहले दुर्जन भाई के दर्शन करा दो. फिर बहती गंगा में हम भी _ _ हां हां हां - वह अश्लीलता से हंसा - तीनो के चेहरों पर वेह्शीपन के साथ वासना भी साफ़ दिख रही थी.
अजंता ने नोट किया की वह थोड़े से असावधान हो गए हैं. उसने तुरंत एक ओर कूद कर पलटा खाया ओर दोनों टांगों से एक एक आदमी पर वार किया. वह दोनों ज़मीन पर जा गिरे ओर अजंता ने रिवाल्वर झट से जेब में रख कर तीसरे से बन्दूक छीन कली. ओर फिर - रेट रेट रेट _ _ _ गोलिया चलीं ओर तीनो ढेर हो गए.
परन्तु अजंता ने सांस भी न लिया था की एक दम चार ओर आदमी उस पर टूट पड़े.
पर अजंता वीरता पूर्वक मुक़ाबला करती रही. और उनके दांव काटती रही.
वह सब अश्लील संवाद भी बोल रहे थे और अजंता पर लपक कर उसे अपना शिकार भी बनाना चाहते थे. पर अजंता भी अपने जुडो और कराटे की कुशलता का भरपूर उपयोग कर रही थी.
अजंता ने उन्हें भी चारो खाने चित कर दिया पर उनमे से दो लोग उठ कर भाग खड़े हुए और स्टेनगन से गोलियां चलने लगे देखते ही देखते अजंता के ४ अन्य कॉन्स्टेबल्स ढेर हो गए. कुछ कॉन्स्टेबल्स जो शुरू से ही विरोधाभास में थे भाग गए.
अजंता उन पर फायरिंग करने लगी और दो तीन आदमी ढेर कर दिए.
परन्तु उसके साथ समस्या यह आयी की वह दो मारती थी और तीन खड़े हो जाते थे.
अब फिर से उस के ऊपर तीन बहुत ही खुंखार और हट्टे कट्टे गुंडों ने आक्रमण कर दिया .अजंता ने एक पर जुडो का दांव आजमाया और उसे पीठ के बल गिरा दिया.
एक आदमी बोला - यह ऐसे नहीं मानेगी. फाड़ दो इसके कपडे. - साली _ _ _
अजंता ने सीधा उसके मुँह पर प्रहार किया और वह बिलबिला उठा - अपनी माँ के कपड़े फाड़ जाकर कुत्ते.
पर तभी अजंता के पीछे से एक ने उसके चेहरे पर वार किया जिसके उसके होंठ कुछ घायल हुए और उसे दर्द महसूस हुआ. मारने वाले ने वक़्त बर्बाद नहीं किया और उसे धक्का दिया दुसरे आदमी ने उसे संभाला पर वापस से ढका दिया और उसके सीने पर प्रहार किया. एक ने उसके दोनों वक्ष अपने हांथों से कमीज के ऊपर पकडे और दबा दिए. - वह क्या मदमस्त पिल्लू हैं.
अजंता कुछ कमज़ोर पड़ी - वह काफी देर से अकेले ही इन गुंडों का मुक़ाबला कर रही थी.
तभी एक ने अजंता को पेड़ के सामने धक्का दिया तो अजंता ने टकराने से खुद को बचIने की कोशिश की.
बस गुंडे को मौका मिल गया. उसने अजंता की कमीज का हिस्सा पीठ के ऊपर से पकड़ लिया और ज़ोर से झटका दिया.
चररररर चर __चर उस गुंडे ने अजंता की कमीज पीछे से फाड़ दी और उसे धक्का भी दे दिया.अजंता की पीठ नंगी हो गयी और वह मुँह के बल गिरी.तभी अजंता पर तीन गुंडे टूट पड़े और उसे नोचने खसोटने लगे.

पर अजंता ने अपने दांव जारी रखे और उन गुंडों का मुक़ाबला करती रही.पर तभी एक गुंडे ने उसकी नंगी पीठ पर रिवाल्वर टिका दिया और कहा - रुक जाओ वरना गोली मार देंगे

अजंता रुक गयी और गुंडों ने उसे दाएं बाएं से पकड़ लिया
एक गुंडा - ले चलो साली को दुर्जन भाई के पास. बहुत कूद रही थी.
दूसरा - क्या गज़ब चमकदार पीठ है. और उसने उसकी पीठ पर चिकोटी काट दी.

आअह्ह्ह - अजंता कराह उठी
एक बोला - अभी तो बहुत दर झेलना है इंस्पेक्टर साहिबा. और वह अजंता को थामे हुए एक गाडी की तरफ बढ़ गए.
उन्होंने अजंता को गाड़ी में धकेल दिया और उसके बाजू थाम कर बैठ गए.
अजंता - वह वह क्या मर्द हो सारे के सारे - एक अकेली औरत को थाम कर बैठे हो और खुद को _ _
एक गुंडे ने उसकी कमीज के ऊपर से उसका दाया वक्ष ज़ोर से दबा दिया और अट्टहास करने लगा - औरत _ _ वाह क्या औरत है. क्या बड़े बड़े दूधू हैं और यह मस्त गांड. अजंता रानी अभी तुम्हारी चूत का जो मसाला बनने वाला है न _ _ बस तुम भी क्या याद करोगी.
दूसरा - जी तो कर रहा है यहीं नंगा करके चोद दूँ साली को. पर दुर्जन भाई __ _
अजंता - तू क्या मुझे छोड़ेगा कुत्ते - जा जाकर अपनी माँ को चोद हरामी _ _
उसने अजंता को तमाचा मारा तो अजंता जिसके हाथ उन सबने पकडे हुए थे उसे ज़ोर से एक किक मारी. वह गाडी के दुसरे हिस्से में जा गिरा.
थोड़े से खतरे का आभास हुआ और सबने उसे दबोच लिया. अजंता पूरी यूनिफार्म में थी यहाँ तक की उसकी कैप भी उसके सर पर थी. बस उसकी कमीज पीछे से सारी फट चुकी थी. तभी गाडी २ किलोमीटर दूर जाकर रुकी और वह सब अजंता को बंदी बनाकर नीचे उतर गए और अड्डे में घुस गए.
एक गुंडे ने आवाज़ दी - जरनैल भाई - शिकार हाज़िर है
दुर्जन का वह ख़ास आदमी जिसका नाम जरनैल खान था दिखें में बहुत ही गन्दा और मैला आदमी था. अजंता को देखते ही वह कुत्ते के तरह लार टपकाने लगा - वाह क्या ग़ज़ब माल है
एक गुंडे ने अजंता का शरीर कुछ घुमाया - अरे यह चमकदार पीठ तो देखो.
जरनैल - पीठ क्या हम तो सब कुछ देखेंगे. क्यों इंस्पेक्टर साहिबा - कह कर उसने अजंता के कैप हाथ में ली और नक़ली सलूट मारी.
अजंता - हाँ कुत्ते के पिल्लों से और क्या उम्मीद की जा सकती है.कईं बे हरामी अपनी माँ को देखकर भी ऐसे ही जीभ निकालता है क्या
जरनैल - मेरी माँ तो सड़क छाप रंडी थी - उसे देखकर तो कई जीभ निकलते थे. पर क्या करू जान वह तेरी तरह हाई क्लास नहीं थी. मुझ जैसी काली मटमैली _ _ _
अजंता - तू फिर काले कुत्ते एक बार अपने इन पीछे से वार करने वाले आदमियों से बोल की मेरे हाथ खोल दें. फिर बताती हूँ तुझे की मेरी क्लास क्या है.
जर्नल अश्लीलता से हंस पड़ा और उसकी कैप उठाकर वापस सर पर रख दी - अजंता रानी अब तुम्हे अपनी क्लास बताता हूँ.इसको दुर्जन भाई के पास ले जाने से पहले तैयार करना होगा.

जरनैल ने अजंता के गिरेबान में हाथ डाला और ज़ोर से झटका दिया –
अजंता की कमीज सामने से फैट गयी और उसकी सफ़ेद ब्रा और उसमे कैद उसके उफनते हुए उरोज साफ़ साफ़ झलकने लगे.
सब गुंडे बड़ी बड़ी आँखें निकल कर उसकी ब्रा में झाँकने लगे और अश्लील इशारे करने लगे - वह क्या बड़े बड़े दूधू हैं - भाई की तो ऐश हो गयी आज
जरनैल - अरे हम भी बहती गंगा में हाथ धोयेंगे - और उसने अजंता की कमीज पूरी तरह से फाड़ दी की अब उसके गोर गुलाबी शरीर पर ऊपर के हिस्से में सिर्फ ब्रेज़री रह गयी. गुंडे नो जैसे ही उसका अत्यंत खूबसूरत शरीर देखा तो वह उसके अंगों से खिलवाड़ करने लग गए. कोई उसकी नाभि में ऊँगली घुसेड़ता , कोई ब्रा के ऊपर उसकी छातियां दबाने लगा. अजंता को दर्द होने लगा और वह हलके से चिल्लाई. तभी जरनैल ने उसकी पैंट खोल दी और नीचे गिरा दी.
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#13
दुर्जन सिंह के साथ एनकाउंटर

जैसा की विक्की ने बताया था इंस्पेक्टर अजंता अब चौकन्नी हो गयी थी. उसके दो दिन बाद वह थाने पहुंची तो बजाये अपनी फाइल्स खोलने के उसकी नज़र फ़ोन पर टिकी थी.
वहां का एक हवलदार जिसका नाम दलपत सिंह था उसके लिए पानी का गिलास ले के आया
जय हिन्द मैडम - वह बोला और गिलास रख दिया. मैडम यह कुछ फाइल्स थीं इन्हे में _ _
अजंता बार बार फ़ोन की ओर देख रही थी - रख दो इन्हे - वह बिना दलपत की ओर देखे बोली. दलपत उसे देखता रहा ओर फाइल्स एक ओर रख दीं.
तभी फ़ोन बज उठा औऱ अजंता ने तुरंत उसे उठा लिया. दूसरी ओर से आवाज़ आयी - अजंता में शैतान सिंह बोल रहा हूँ. तुम्हे तुरंत मेरे पास आना होगा. और हाँ अपने ५ कॉन्स्टेबल्स लेकर आना.
अजंता - क्या बात है सर
शैतान सिंह - वक़्त बर्बाद मत करो और जैसा कह रहा हूँ वैसा करो.एक सीक्रेट मिशन है.
अजंता - ओके सर - मैं आ रही हूँ.
अजंता तुरंत अपने कुछ कॉन्स्टेबल्स लेकर शैतान सिंह के ऑफिस की ओर चल दी.
पर जाने से पहले उसने आने कांस्टेबल को आदेश दिए - हमे कुछ थैलियां और कुछ मोटे और मज़बूत रस्से रखने होंगे. कांस्टेबल ने वैसा ही किया
थाने में अब केवल दलपत सिंह ओर एक दो अन्य कर्मचारी थे.तभी दलपत सिंह इधर उधर देखता हुआ अपनी सीट से उठा ओर बाहर चल दिया
उसने फ़ोन लगाया - नमस्कार सर
उधर से आवाज़ आयी - दलपत सिंह तुम बिलकुल ही निकम्मे ओर आलसी हो.अजंता ने इतने ऑपरेशन्स कर दिए लेकिन तुम एक भी बात की खबर देने में नाकाम रहे.
दलपत - सर मेरी बात तो सुनिए. अजंता बहुत चालाक है. वह जो भी करती है किसी को खबर नहीं होने देती. ओर जब भी कभी कमिश्नर साहब का फ़ोन आता है तो सबको केबिन से बाहर निकल देती है ओर गुप्त रूप से बात करती है.यह साली जब से आयी है सारी ऊपर की कमाई बंद अच्छा अब एक बात सुनिए. अजंता को शायद आपने फ़ोन किया था. वह आपके दफ्तर आ रही है.
उधर से शैतान सिंह का स्वर उभरा - हाँ पर उसमे गुप्त बात क्या है. वह तो मैंने ही उसे आज अचानक बुलाया है.
दलपत - सर मैंने एक बात नोट की है अजंता जब भी सुबह आती है तो सबसे पहले अपनी फाइल्स देखती है. पर आजा उसकी नज़र फ़ोन पर थी. मIनो उसे पहले से ही मालूम था की आप उसे फ़ोन करेंगे.एक दो दिन से उसके अंदाज़ ओर भी रहस्य्मयी हो गए हैं.
दलपत ने रस्से इत्यादि लेने वाली बात भी शैतान सिंह को बताई
उधर से शैतान सिंह का स्वर उभरा - हाँ पर उसमे गुप्त बात क्या है. वह तो मैंने ही उसे आज अचानक बुलाया है.

उधर अजंता जैसे ही शैतान सिंह के ओफ्फसीए पहुंची , उसने उसे बैठने को भी नई कहा ओर तुरंत अपनी सीट से खड़ा हो गया - अजंता सुनो - तुम्हे आज ओर इसी वक़्त दुर्जन के अड्डे पर आक्रमण करना है और यह है वह नक्शा जो मैं तुमसे डिसकस करना चाहता हूँ. इसे अच्छी तरह से देख लो क्योंकि मैं तुम्हे इसकी कॉपी भी नहीं दे पाउँगा. समझ लो तुम्हे इसको अपने मन में प्रिंट करना है.
अजंता उसे ध्यान से देख रही थी. शैतान सिंह ने वही नक्शा खोल रखा था जो विक्की ने उसे दिखाया था. वह बातें भी सारी वही कर रहा था जो विक्की ने इसे बताई थीं. अजंता बीच बीच में शैतान को दिखने के लिए नक़्शे की तरफ देख रही थी.अजंता ने उसकी सब बातें ध्यान से सुनी और पाया की शैतान सिंह उसे पूरी तरह फ़साने के चक्कर में है.- अपनी बात ख़तम करके शैतान सिंह बोला - आई ऍम सॉरी अजंता - में इम्मेडिएटली तुम्हे जयादा कॉन्स्टेबल्स नहीं दे सकता परन्तु _ _
अजंता उठ कर जाने लगी और कहा - आप चिंता न करें सर - मैंने स्पेशल टास्क फार्स जिसमे १५ कॉन्स्टेबल्स हैं उसका इंतज़ाम कर लिया है और एक पुलिस वैन भी - विश में गुड लक सर - और वह तुरंत बाहर आ गयी.(उसने अभी शैतान सिंह को यह नहीं बताया था की कमिश्नर साहब का एक सबसे विश्वासपात्र ड्राइवर एक अलग गाडी में उसकी पुलिस वैन को फॉलो करेगा.
शैतान सिंह उसे देखता रहा. फिर वह अपनी सीट पर बैठ कर फ़ोन मिलाने लगा
अजंता ने अपनी जीप पर स्वर होकर तुरंत चलने काआदेश दिया - जिस रास्ते पर वह जार यही थी उसे ५ किलोमीटर की दूरी पर उसे पुलिस वैन और कॉन्स्टेबल्स मिल गए. अजंता अपने मिशन पर चल दी.

शहर की उत्तरी भाग में नदी पड़ती थी जिसके पार जंगल था और उस जंगल को पार करके उन्हें दुर्जन पर आक्रमण करना था.
अजंता की जीप और वैन जैसे ही वहां पहुंची, अजंता ने सब कॉन्स्टेबल्स को उतरने का आदेश दिया और उच्च स्वर में बोली - साथियो आज हमे एक मिशन पूरा करना है और आप सब लोग पूरी ईमानदारी और बहादुरी से मेरा साथ देंगे याद रहे हमारा दुश्मन उस पार है और हमे हर हालत में उस पर जीत हासिल करनी है.

एक कांस्टेबल - मैडम हम आपके साथ हैं पर यह नदी कैसे पार होगी. और तो और पुल भी टूटा हुआ है. यह नदी काफी गहरी नहीं है लेकिन इसे पैदल पार करना यह गाडी से पार करना नामुमकिन है.
अजंता - जब इरादे पक्के हों तो कुछ मुश्किल नहीं.
दूसरा कांस्टेबल - मैडम वह तो ठीक है पर _ _ _ कोई तरीका इस नदी को पार करने का .
अजंता - एक तरीका है. फिर वह अपने एक कांस्टेबल की और मुड़ी - राम सिंह वो मोटा रस्सा निकालो और कुछ थैलियां भी.
राम सिंह ने वैसा ही किया. अजंता नदी के उस पार देखने लगी और उसे दो मज़बूत पेड़ नज़र आये.
अजंता ने कहा राम सिंह इस खम्बे से रस्से का एक सिरा बांधो और तुम लोगो इसे मज़बूती से थामो और मेरे वहां जाने के बाद तुम्हे इस थैली में जो दे रही हूँ तुम वह लेकर तुरंत आओगे.
राम सिंह - मैडम थैली में आप क्या देंगी में कुछ समझा नहीं. बाकि कांस्टेबल भी अजंता की ओर हैरत से देखने लगे और एक बोल उठा - मैडम आप वहां कैसे जाएँगी.
अजंता एक बड़े पत्थर के ऊपर बैठ गयी और अपने जूते उतरने लगी. उसके बाद उसने वह जूते एक थैली में रखे और उसके हाथ अपने सीने पर गए. अजंता ने अपनी कमीज उतारनी शुरू कर दी.कमीज उतरते ही अजंता का गोरा गुलाबी बदन खिल उठा और सफ़ेद ब्रेज़री में उसके उभरे हुए बड़े बड़े पिल्लू साफ़ साफ नुमाया हो गए. उनका एक बड़ा भाग उसकी ब्रा के बाहर झलक रहा था मनो दो कबूतर आज़ाद होने को फड़फड़ा रहे हों

कमीज उतार कर उसने राम सिंह को एक थैली में रखने को कहा .
उसके बाद उसने अपनी पैंट भी उतार दी .मनो दो सफ़ेद चिकने केलों पर से छिलका उतर दिया हो. अजंता का सेक्सी सुन्दर शरीर और उसकी बल खायी कमर अब पूरी तरह से उसके कॉन्स्टेबल्स का नज़ारा बन रहे थे और सफ़ेद ब्रा और कच्छी में उसकी मदमस्त जवानी झूम उठी
उसके सब कॉन्स्टेबल्स हैरान होकर उसे देख रहे थे. सबकी आँखें फटी की फटी रह गयीं.
अजंता ज़ोर से बोली - राम सिंह में इस रस्से को लेकर उस पार जा रही हूँ. मेरी वर्दी और जूते लेकर तुरंत आओ और यह रस्सा हम वहां बांधेंगे जिससे सब कॉन्स्टेबल्स तुरंत उस पार आ जायेंगे. एक रस्से का उपयोग और करो.
और वह रस्से का कोना थामे नदी में कूद पड़ी.
एक कांस्टेबल बोला - क्या लड़की है. सब अभी तक हैरान थे. अजंता नदी से चिल्लाई - कॉन्स्टेबल्स हम यहाँ कोई फिल्म देखने नहीं आये हैं. कम ऑन हरी उप .
और आधे घंटे में सब कॉन्स्टेबल्स नदी के पार थे. अजंता भी अपनी यूनिफार्म पहन चुकी थी और उसके हाथ में रिवाल्वर था. उसने अपनी कैप भी पहन ली और माथे पर एक छोटी सी बिंदी से वह और भी सुन्दर लग रही थी
अब अजंता ने देखा की एक पगडण्डी थी जिसको पार करने पर आगे दो रास्ते बन जाते थे. और कुछ दूर (लगभग ३ या ४ किलोमीटर होगा) एक ईमारत का हिस्सा नज़र आ रहा था.
तब अजंता को यह ध्यान आया की उसे विक्की को फ़ोन करना था. उसने अपना मोबाइल निकला और विक्की को मिलाने लगी. लेकिन यहाँ कोई सिग्नल नहीं मिल रहे थे - ओह माई गॉड - विक्की शायद उसे बता पाता की आगे क्या करना है.
अजंता कुछ सोच में पड़ गयी परन्तु फिर उसने यह विचार किया की अब खतरा तो उठाना ही पड़ेगा.
अजंता ने दूरबीन निकली और उसका उपयोग सामने देखने के लिए करने लगी.
वह लगभग दस मिनट तक सारा नज़ारा देखती रहे. फिर उसने पलटकर अपने कॉन्स्टेबल्स को सम्बोधित किया - साथियो हमारे सामने दो रास्ते हैं :- (१) पहला यह की हमारे बायीं ओर एक ३ मीटर चौड़ी सड़क है जिसके आस पास एक ड्रेन बनी हैं और यह सीधा रास्ता है जिसपर चल कर हम उस ईमारत पर हमला कर सकते है जहाँ की दुर्जन का अड्डा है.
(२) दूसरा हमारी दायीं ओर एक रास्तI है जो टेढ़ा जंगल का रास्ता है. बदकिस्मती से हमे यह नहीं मालूम की दुर्जन के आदमी कहाँ छुपे हैं.
एक कांस्टेबल - मैडम हम यह ३ मीटर की पक्की सड़क से जायेंगे क्योंकि जंगल में तो कुछ कंटीले पौधे ओर गहरा रास्ता है. हमे वक़्त लग सकता है.
अजंता - पहले मैंने यही सोचा था. लेकिन जंगल से जयादा उपयुक्त रहेगा क्योंकि अगर दुर्जन के आदमी यहाँ से हम पर हमला करते हैं तो हमारे पास डिस्पेर्स यानि उधर होकर उनपर प्रतिउत्तर में हमला करने का अवसर नहीं होगा ओर हम सब उनकी गोलियों से मिनटों में भून दिए जायेंगे.यह समस्या हमे जंगल में नहीं आएगी.
एक कांस्टेबल - मैडम इधर उधर से मतलब
अजंता - कोई तुम पर हमला करे तो तुम्हे भी तो मौका मिलना चाहिए खुद को बचने , छुपने और उस पर वार करने का.
अजंता ने नोट किया की उसकी यह बात सुनकर कुछ कॉन्स्टेबल्स एक दुसरे की ओर देखने लगे ओर आँख से हलके इशारे भी करने लगे. अजंता समझ गयी की कुछ लोग यहाँ से भागने का मौका ढूंढ रहे हैं.
अजंता ने फिर सब की ओर देख कर कहा - एक बात ध्यान रहे. अगर किसी ने अपने फ़र्ज़ से भागने की कोशिश की तो वो दुआ करे की में इस हमले में शहीद हो जाऊं. क्योंकि अगर मैं बच गयी तो उसे छोडूंगी नहीं.
तब कुछ कॉन्स्टेबल्स ने कहा - मैडम आप तैयारी करें हम साथ है.
अजंता - कम ऑन नाउ टेक पोसिशन्स एंड मार्च
अजंता का हुक्म पाते ही सब पोलिसवाले कुछ बिखर कर इधर उधर और ऊपर नीचे देखते हुए आगे बढ़ने लगे . सबने अपनी गन्स और हथ्यार पूरी तरह तैयार रखे थे.

कुछ दूर चलने के बाद अजंता अचानक रूक गयी और सब पुलिसवालों को ठहरने का आदेश दिया.
एक कांस्टेबल - क्या हुआ मैडम ?
अजंता - आगे देखो.
सबने देखा की आगे ज़मीन कुछ कुछ भागों में खुदी हुई थी और कुछ छोटे छोटे काले रंग के डब्बे ज़मीन में धंसे नज़र आ रहे तह. डब्बों के केवल कुछ ही भाग ज़मीन के ऊपर था और उनपर कुछ पिन लगे थे.

अजंता - सब लोग ध्यान रखें. हो ने हो यह बम या फॉयर कोई और एक्सप्लोसिव डिवाइस हैं जिससे हमे क्षति पहुँच सकती है. कोई भी इन पर पावं नहीं रखेगा नहीं तो यह फट जायेंगे.
सब सावधानी से इधर उधर होते हुए एक हिस्से को पार कर गए.
पर आगे भी रास्ता आसान नहीं था. अजंता ने पाया की ज़मीन के छोटे छोटे टुकड़ों घास बिछी थी जो की साफ़ पता लग रह था की वहां पर उगी नहीं हुई. वह समझ गयी की कई छोटे मोटे गड्डे उस रास्ते में थे जो उन्हें गिराने यह ट्रैप करने के लिए बांये गायें. उसने फिर अपने कॉन्स्टेबल्स को इशारा किया एक मिनट ठहरने का.
एक कांस्टेबल खीज कर बोला - अरे मैडम अब हमे कितनी देर यह ठहरना होगा
अजंता का स्वर सख्त हो उठा - देखो मैं पहले ही कह चुके हूँ जिसका मन न हो हो वापस जा सकता है. में अकेली भी इन दुशमनो का मुक़ाबला कर लूंगी. और किसी ने गद्दारी की तो पहले उसे गोली मारूंगी. यह आगे तुम लोगों को टुकड़ों में घास बिछी नज़र आ रही है. क्या समझे इससे ?
सब खामोश होकर उसे देखने लग- सावधान रहो वरना अभी किसी गड्डे में धंस जाओगे.
अजंता ने नोट किया की कुछ कॉन्स्टेबल्स एक असाधारण चुप्पी धार कर एक दुसरे की ओर देख रहे थे. उनका ध्यान अपने लक्ष्य में कम ओर अजंता के उठते बैठते बड़े बड़े उरोजों ओर उसके दमकते ख़ूबसूरत चेहरे पर था. अजंता पुलिस की वर्दी में भी कहर ढा रही थी ओर उसके तने हुए उरोज मानो उसकी कमीज फाड़ कर बiहर आने को उतारू हो रहे थे.
उन्ही में से एक कांस्टेबल दुसरे को बोला - साली किसी को भाव नहीं देती. ज़रा इसकी तनी हुई छातियां तो देख.
दूसरा - अभी हत्थे चढ़ गयी न गुंडों के तो मसल के रख देंगे.
पहला - कुछ नहीं कह सकते . बड़ी तेज़ चीज़ है.
दूसरा - बहुत कूद रही है. नंगा कर दूंगा साली को.देखा अभी नदी किनारे क्या हुआ. मेरा तो देखते ही लंड खड़ा हो गया.
पहला - अरे अभी तो सोच कैसे जान बचे इन गुंडों से. वह कमिश्नर भी साला इसी की सुनता है.
दूसरा - हो गयी होगी नंगी उसके आगे .
इतने में अजंता का स्वर फिर गूंजा -आप लोग अपने लक्ष्य पर ध्यान दें तो अच्छा होगा. मैं जानती हूँ मुझे नंगा देख कर कुछ लोगों के क्या हाल हो रहे हैं.ज़रा नीचे से खुद को काबू रखें ओर दिमाग खुला रखें. साथियो आगे पेड़ों पर रस्सी देख रहे हो.
कुछ कॉन्स्टेबल्स कहें लगे - जी मैडम. साली खुद को क्या समझती है. रंडी की तरह न चोदा तो (एक मन ही मन बोला)
बस फायरिंग के लिए तैयार रहो. दो कदम आकर सब रुक जाओ ओर जैसे ही मैं कहूं फायरिंग शुरू कर दो.
सब सावधान हो गए. अजंता अकेली कुछ कदम पर अपनी रिवाल्वर लेकर आगे बढ़ने लगी. अजंता जैसे ही एक पेड़ के निकट गयी , रस्सी का तना गोल होकर उसे लपेटने के लिए नीचे को लपका. पर अजंता सावधान थी . वह एक ओर जम्प लेकर साइड हो गयी ओर उसने पेड़ के ऊपर निशाना दाग कर गोली चला दी. एक आदमी जोर से चीखा ओर सब कॉन्स्टेबल्स हैरान हो गयी जब उसकी लाश पेड़ के नीचे जा गिरी.
अजंता ने बारी बारी सब पेड़ों को जल्दी से एक नज़र देखा और अपने सिपाहियों का आदेश दिया - कम ऑन सब ऊपर देखें और फायरिंग शुरू कर दें .
एक डीएम बहुत से आदमी पदों पर नज़र आने लगे और गोलियां चलनी शुरू हो हो गयीं. तभी दो कॉन्स्टेबल्स को गोली लगी और वह वहीँ ढेर हो गयी. यह देखकर कुछ कसंतबलेस इधर उधर छुप कर फायरिंग करने लगे. अजंता को विचार आया की जिन आदमियों ने हमला किया है वह पेड़ों पर है और इस ऊंचाई का उन्हें फायदा हो सकताहै. उसने जब कॉन्स्टेबल्स को झाड़ियों में छुपने का आदेश दिया और स्वय फायरिंग जारी रखी. तभी एक आदमी नीचे कूदा और अजंता के निकट आ पहुंचा. उसने अजंता पर हमला करना चाहा पर अजंता ने घूमकर एक ज़ोरदार किक उसके मुँह पर मारी. इससे पहले वह कुछ समझता एक गोली उसकी खोपड़ी में घुस चुकी थी और वह आदमी वहीं ढेर हो गया.
अजंता ने एक बार एक पेड़ का सहIरI लिया और सामने निशाना दागा. एक और आदमी नीचे आ गिरा. उसके कुछ कॉन्स्टेबल्स का निशाना भी अचूक बैठा और दो आदमी ढेर हो गए.
अजंता ने उनका मनोबल बढ़ाया - वैरी गुड. आप लोग ऐसे ही डटे रहो पर सावधान रहो.
एक बोला - मैडम मुझे लगता है आप पेड़ों पर से नहीं सामने से हमला होगा. वह देखिये
अजंता ने सामने देखा तो कम से कम १५-२० आदमी उन पर हमला करने को आ रहे थे.
अब दोनों और से गोलिया चलने लगी और दोनों और से आदमी भी गिरने लगे.
लेकिन अजंता के पास अब केवल १० कॉन्स्टेबल्स थे और सामने दुर्जन के आदमियों की तादाद ज्यादा थी.
तभी अजंता को एक छोटा सा शॉक लगा जब अचानक तीन आदमी उसके अगला बगल न जाने कहाँ से आ पहुंचे और निशाना लगा कर खड़े हो गए - अपने हाथ ऊपर उठाओ - एक चीखा
- क्यों इंस्पेक्टर साहिबा , अपने आपको बहुत चालाक समझती हो.
हमे मालूम था की तुम उस सड़क से नहीं आओगे और जंगल का ही रास्तI चुनोगे. अब चलो हमारे साथ और बैठो उस गाडी में.
एक गुंडा - अरे यारो बड़ी मस्त चीज़ है. कम से पहले थोड़ा आराम भी हो जाये. और उसने आँख मारी. तभी एक ने कहा की नहीं यार पहले दुर्जन भाई के दर्शन करा दो. फिर बहती गंगा में हम भी _ _ हां हां हां - वह अश्लीलता से हंसा - तीनो के चेहरों पर वेह्शीपन के साथ वासना भी साफ़ दिख रही थी.
अजंता ने नोट किया की वह थोड़े से असावधान हो गए हैं. उसने तुरंत एक ओर कूद कर पलटा खाया ओर दोनों टांगों से एक एक आदमी पर वार किया. वह दोनों ज़मीन पर जा गिरे ओर अजंता ने रिवाल्वर झट से जेब में रख कर तीसरे से बन्दूक छीन कली. ओर फिर - रेट रेट रेट _ _ _ गोलिया चलीं ओर तीनो ढेर हो गए.
परन्तु अजंता ने सांस भी न लिया था की एक दम चार ओर आदमी उस पर टूट पड़े.
पर अजंता वीरता पूर्वक मुक़ाबला करती रही. और उनके दांव काटती रही.
वह सब अश्लील संवाद भी बोल रहे थे और अजंता पर लपक कर उसे अपना शिकार भी बनाना चाहते थे. पर अजंता भी अपने जुडो और कराटे की कुशलता का भरपूर उपयोग कर रही थी.
अजंता ने उन्हें भी चारो खाने चित कर दिया पर उनमे से दो लोग उठ कर भाग खड़े हुए और स्टेनगन से गोलियां चलने लगे देखते ही देखते अजंता के ४ अन्य कॉन्स्टेबल्स ढेर हो गए. कुछ कॉन्स्टेबल्स जो शुरू से ही विरोधाभास में थे भाग गए.
अजंता उन पर फायरिंग करने लगी और दो तीन आदमी ढेर कर दिए.
परन्तु उसके साथ समस्या यह आयी की वह दो मारती थी और तीन खड़े हो जाते थे.
अब फिर से उस के ऊपर तीन बहुत ही खुंखार और हट्टे कट्टे गुंडों ने आक्रमण कर दिया .अजंता ने एक पर जुडो का दांव आजमाया और उसे पीठ के बल गिरा दिया.
एक आदमी बोला - यह ऐसे नहीं मानेगी. फाड़ दो इसके कपडे. - साली _ _ _
अजंता ने सीधा उसके मुँह पर प्रहार किया और वह बिलबिला उठा - अपनी माँ के कपड़े फाड़ जाकर कुत्ते.
पर तभी अजंता के पीछे से एक ने उसके चेहरे पर वार किया जिसके उसके होंठ कुछ घायल हुए और उसे दर्द महसूस हुआ. मारने वाले ने वक़्त बर्बाद नहीं किया और उसे धक्का दिया दुसरे आदमी ने उसे संभाला पर वापस से ढका दिया और उसके सीने पर प्रहार किया. एक ने उसके दोनों वक्ष अपने हांथों से कमीज के ऊपर पकडे और दबा दिए. - वह क्या मदमस्त पिल्लू हैं.
अजंता कुछ कमज़ोर पड़ी - वह काफी देर से अकेले ही इन गुंडों का मुक़ाबला कर रही थी.
तभी एक ने अजंता को पेड़ के सामने धक्का दिया तो अजंता ने टकराने से खुद को बचIने की कोशिश की.
बस गुंडे को मौका मिल गया. उसने अजंता की कमीज का हिस्सा पीठ के ऊपर से पकड़ लिया और ज़ोर से झटका दिया.
चररररर चर __चर उस गुंडे ने अजंता की कमीज पीछे से फाड़ दी और उसे धक्का भी दे दिया.अजंता की पीठ नंगी हो गयी और वह मुँह के बल गिरी.तभी अजंता पर तीन गुंडे टूट पड़े और उसे नोचने खसोटने लगे.

पर अजंता ने अपने दांव जारी रखे और उन गुंडों का मुक़ाबला करती रही.पर तभी एक गुंडे ने उसकी नंगी पीठ पर रिवाल्वर टिका दिया और कहा - रुक जाओ वरना गोली मार देंगे

अजंता रुक गयी और गुंडों ने उसे दाएं बाएं से पकड़ लिया
एक गुंडा - ले चलो साली को दुर्जन भाई के पास. बहुत कूद रही थी.
दूसरा - क्या गज़ब चमकदार पीठ है. और उसने उसकी पीठ पर चिकोटी काट दी.

आअह्ह्ह - अजंता कराह उठी
एक बोला - अभी तो बहुत दर झेलना है इंस्पेक्टर साहिबा. और वह अजंता को थामे हुए एक गाडी की तरफ बढ़ गए.
उन्होंने अजंता को गाड़ी में धकेल दिया और उसके बाजू थाम कर बैठ गए.
अजंता - वह वह क्या मर्द हो सारे के सारे - एक अकेली औरत को थाम कर बैठे हो और खुद को _ _
एक गुंडे ने उसकी कमीज के ऊपर से उसका दाया वक्ष ज़ोर से दबा दिया और अट्टहास करने लगा - औरत _ _ वाह क्या औरत है. क्या बड़े बड़े दूधू हैं और यह मस्त गांड. अजंता रानी अभी तुम्हारी चूत का जो मसाला बनने वाला है न _ _ बस तुम भी क्या याद करोगी.
दूसरा - जी तो कर रहा है यहीं नंगा करके चोद दूँ साली को. पर दुर्जन भाई __ _
अजंता - तू क्या मुझे छोड़ेगा कुत्ते - जा जाकर अपनी माँ को चोद हरामी _ _
उसने अजंता को तमाचा मारा तो अजंता जिसके हाथ उन सबने पकडे हुए थे उसे ज़ोर से एक किक मारी. वह गाडी के दुसरे हिस्से में जा गिरा.
थोड़े से खतरे का आभास हुआ और सबने उसे दबोच लिया. अजंता पूरी यूनिफार्म में थी यहाँ तक की उसकी कैप भी उसके सर पर थी. बस उसकी कमीज पीछे से सारी फट चुकी थी. तभी गाडी २ किलोमीटर दूर जाकर रुकी और वह सब अजंता को बंदी बनाकर नीचे उतर गए और अड्डे में घुस गए.
एक गुंडे ने आवाज़ दी - जरनैल भाई - शिकार हाज़िर है
दुर्जन का वह ख़ास आदमी जिसका नाम जरनैल खान था दिखें में बहुत ही गन्दा और मैला आदमी था. अजंता को देखते ही वह कुत्ते के तरह लार टपकाने लगा - वाह क्या ग़ज़ब माल है
एक गुंडे ने अजंता का शरीर कुछ घुमाया - अरे यह चमकदार पीठ तो देखो.
जरनैल - पीठ क्या हम तो सब कुछ देखेंगे. क्यों इंस्पेक्टर साहिबा - कह कर उसने अजंता के कैप हाथ में ली और नक़ली सलूट मारी.
अजंता - हाँ कुत्ते के पिल्लों से और क्या उम्मीद की जा सकती है.कईं बे हरामी अपनी माँ को देखकर भी ऐसे ही जीभ निकालता है क्या
जरनैल - मेरी माँ तो सड़क छाप रंडी थी - उसे देखकर तो कई जीभ निकलते थे. पर क्या करू जान वह तेरी तरह हाई क्लास नहीं थी. मुझ जैसी काली मटमैली _ _ _
अजंता - तू फिर काले कुत्ते एक बार अपने इन पीछे से वार करने वाले आदमियों से बोल की मेरे हाथ खोल दें. फिर बताती हूँ तुझे की मेरी क्लास क्या है.
जर्नल अश्लीलता से हंस पड़ा और उसकी कैप उठाकर वापस सर पर रख दी - अजंता रानी अब तुम्हे अपनी क्लास बताता हूँ.इसको दुर्जन भाई के पास ले जाने से पहले तैयार करना होगा.

जरनैल ने अजंता के गिरेबान में हाथ डाला और ज़ोर से झटका दिया –
अजंता की कमीज सामने से फैट गयी और उसकी सफ़ेद ब्रा और उसमे कैद उसके उफनते हुए उरोज साफ़ साफ़ झलकने लगे.
सब गुंडे बड़ी बड़ी आँखें निकल कर उसकी ब्रा में झाँकने लगे और अश्लील इशारे करने लगे - वह क्या बड़े बड़े दूधू हैं - भाई की तो ऐश हो गयी आज
जरनैल - अरे हम भी बहती गंगा में हाथ धोयेंगे - और उसने अजंता की कमीज पूरी तरह से फाड़ दी की अब उसके गोर गुलाबी शरीर पर ऊपर के हिस्से में सिर्फ ब्रेज़री रह गयी. गुंडे नो जैसे ही उसका अत्यंत खूबसूरत शरीर देखा तो वह उसके अंगों से खिलवाड़ करने लग गए. कोई उसकी नाभि में ऊँगली घुसेड़ता , कोई ब्रा के ऊपर उसकी छातियां दबाने लगा. अजंता को दर्द होने लगा और वह हलके से चिल्लाई. तभी जरनैल ने उसकी पैंट खोल दी और नीचे गिरा दी.
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#14
अब ऐसा समा था की अजंता के सर पर इंस्पेक्टर की टोपी और बाकि शरीर पर केवल ब्रा और पैंटी थी. बाकि सारा शरीर नंगा था. सब गुंडों के पैंटों में तम्बू तन चुके थे और सब की हालत गली की उन कुत्तों जैसी थी जो की मॉस के टुकड़े देख कर भूखे हो उठते हैं.
एक गुंडे ने हलके से उसकी पैंटी के ऊपर ऊँगली डालकर उसे सरकाया और झाँकने लगा - क्या गुलाबी चूत है - इसमें अपना तम्बू दाल दाल कर रगडूंगा
जरनैल - ग़ज़ब माल है यारो . चलो भाई के पास ले चलो - वह भोग लगा लेंगे उसके बाद हम लोग भी ज़रा _ _ _ उन गुंडों ने लगभग नंगी इंस्पेक्टर अजंता को दुर्जन के कमरे में धकेल दिया.
दुर्जन का कमरा काफी बड़ा और आलीशान था और उसमे बहित बड़ा मखमली बिस्तर था. मनो किसी फाइव स्टार होटल का कमरा हो. एक एक चीज़े बहुत ही कीमती थी और अजंता ने देखा की एक दो कैमरे भी लगे हैं.
तभी एक ज़ोरदार आवाज़ आयी - इंस्पेक्टर अजंता तुम्हारा स्वागत है.
अजंता ने पलट कर देखा तो उसके सामने दुर्जन सिंह खड़ा था - उसके हाथ में एक रिवाल्वर थी
दुर्जन - वह वाह क्या ग़जब की चीज़ हो. तुम जैसी सुंदरी को तो मेरी रानी बन कर रहना था - यह पुलिस की वर्दी _ _
अजंता - वाह वाह दुर्जन वाह - मिसाल नहीं तेरी बुज़दिली की. एक औरत को पहले नंगा किया और फिर तू अपने कमरे में उसके साथ हाथ में रिवाल्वर लिए मिल रहा है. साफ़ साफ़ क्यों नहीं कहता की तुझे मुझसे डर लगता है. में निहत्थी हूँ फिर भी _ __
दुर्जन - ओहो अच्छा तो ले फेंक दी रिवाल्वर - और उसने एक कोने में अपनी रिवाल्वर फेंक दी और फिर अजंता की तरफ पलटा - अब बोल मेरी जान - क्या इरादे हैं - वैसे तूने मेरा बहुत नुक्सान किया है - मेरे कई अड्डे तबाह किये. आज में तुझे तबाह करूँगा
अजंता - अच्छा ? क्या करेगा तू कुत्ते हरामी
दुर्जन - अजंता ! अभी थोड़ी देर में तुझे पता चल जायेगा की दुर्जन सिंह वाकई बहुत हरामी है. आज तेरी इज़्ज़त लूट कर तुझे अपने अड्डे की ख़ास रंडी बनाऊंगा और मेरे सब आदमी तेरी चूत का कीमा बनाएंगे
अजंता - सोच ले दुर्जन कहीं ऐसा न हो की तेरा लंड किसी काबिल न रह जाये और तू पक्का रंडवा बन जाये
दुर्जन - तुझे अभी बताता हूँ साली की में रंडवा बनूँगा या तू रंडी . तेरी गरम चूत में से खून न निकला तो में अपनी माँ का बेटा नहीं
अजंता - हाँ बाप का तो तू नहीं ही है . हो जायें दो दो हाथ
और अजंता ने अपने बाज़ू आगे कर घुमाये और एक वॉर दुर्जन के चेहरे पर किया. दुर्जन कोने में जा गिरा.
साली हरामज़ादी - अभी तुझे तेरी औकात बताता हूँ.
वह अजंता पर टूट पड़ा. अजंता ने अपने को साइड किया और दुर्जन के पिछवाड़े में एक लात मारी
वह फिर जा गिरा पर फुर्ती से पलटा और उसका शरीर उछाल कर अजंता के शरीर से टकराया .अजंता ने सँभालने की कोशिश की पर वह एक और पलट गयी और खुद को बड़ी मुश्किल गिरने से बचा सकीय.दुर्जन ने फुर्ती से अजंता को दबोचा और गुमा गया. उसने बिना देर किये अजंता को बिस्तर पर फंक दिया और उस पर टूट पड़ा. अजंता और दुरजन के हाथ एक दुसरे के हाथों में थे. अजंता एक कुशल इंस्पेक्टर और बहादुर होने के साथ साथ कराटे की एक्सपर्ट थी परन्तु थी तो एक स्त्री ही. दुर्जन भी कुछ कम नहीं था. उसने अजंता के दोनों बाजू विपरीत दिशा में फैला कर उसके हाथ दबाने शुरू कर दिए. दुर्जन अपने होंठ अजंता के सम्मुख ले आया और ज़ोर से उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया.
ममममम हम्म्म्म - अजंता के मुँह से स्वर निकलने लगे - ओममममम छोड़ मुझे कुत्ते - वह बोल उठी.
कुतिया तो में तुझे बनाऊंगा साली - देख कैसे तेरे साथ बलात्कार करता हूँ. तेरी चूत में से खून निकलूंगा इतना की बस तू अब दर्द के मारे १० दिन तक रोती रहेगी.
बहुत पछतायेगा दुर्जन.- छोड़ दे मुझे वरना _ _
वरना क्या साली - मेरा लंड तेरी छूट में घुसकर तेरा सारा कुंवारापन ख़तम हो जायेगा और तो मेरी रांड बनेगी.
दुर्जन ने उसे ऊपर से नीचे तक चूमना शुरू कर दिया.
वह ऊपर से लेकर नीचे तक यानि अब उसकी नाभि तक पहुंच गया और ज़ोर से उसमे उँगलियाँ चलने लगा. अजंता को दर्द हुआ.
दुर्जन ने उसका शरीर पीछे को मौदा और और उसकी ब्रा पर हाथ मारा , पर अजंता फिर से पलट गयी और उसने अपनी टाँगे वी - के आकर में मोड़कर बीच में कीं और दुर्जन को ज़ोर से हिट किया.
दुर्जन का शरीर उछल कर बिस्तर के नीचे जा गिरा. अजंता ने कूद कर अपनी टाँगे मोड़ी और दुर्जन के ऊपर वार करना चाहा लेकिन दुर्जन ने खुद को बचा लिया और फिर से अजंता को दबोच लिया . अब दोनों बिस्तर पर एक दुसरे पर दांव चला रहे थे. दुर्जन ने अजंता की टांग में पाँव फंसा कर गिरा दिया अजंता उठकर बैठी लेकिन दुर्जन अब खड़ा था और उसने अजंता की ब्रेज़री के दोनों स्ट्रैप कन्धों से दोनों हाथों से थाम लिए और उन्हें ज़ोर से खींचां. एक आवाज़ हुई और उसकी ब्रेज़री के दोनों स्ट्रैप दुर्जन के हाथ मं आ गए. अब अजंता की ब्रा सिर्फ उसके हुक और पीछे बंधे स्ट्रैप से बेहद कमज़ोरी से उसकी बड़े बड़े उरोजों पर टिकी थी .उसे अपनी ब्रा ढीली होती नज़र आयी. अजंता ने पलटा कर उसे टांग से वार किया. दुर्जन फिर से गिरा.अब अजंता उसके ऊपर स्वर होने ही वाली थी की उसने अजंता की टांग को थाम कर थोड़ा सा मड़ोड़ा . अजंता को दर्द हुआ और वह कुछ कमज़ोर पड़ गयी. दोनों का ज़बरदस्त मुक़ाबला चल रहा था. दुर्जन ने उसकी ढीली हो चुकी ब्रा पर नज़र डाली जिसमे से उसके वक्ष काफी हद तक बाहर को झलक रहे थे. दुर्जन अजंता के पीछे की ओर पलटा ओर उसने ज़ोर से अजंता की पीठ पर हाथ मारा ओर उसकी ब्रेज़री खींच ली. अजंता की ब्रा का बाकी हिस्सा भी टुकड़ों में परिवर्तित हो गया ओर उसकी ब्रा के टुकड़े अलग अलग ज़मीन पर दिखने लगे.
पर दुर्जन की नज़र उसके खुले वक्ष पर थी. अजंता के बड़े बड़े कलात्मक उरोज एक दम खुलकर कर सामने की ओर तन गए ओर उसके उरोज आगे से हलके से मुड़े हुए थे जिसकी वजह से उसके दोनों गुलाबी निप्पल विपरीत दिशा में दो जुड़वाँ शरारती बच्चों की भाँती मुस्कुराते हुए प्रतीत हो रहे थे.


दुर्जन की आँखों में उसकी बेइंतेहा खूबसूरती देख कर वासना के डोरे तैरने लगे. वासना से वशीभूत होकर उसने अजंता के दोनों उरोज अपने हाथों से थIम लिए ओर उन्होंने किसी हॉर्न की तरह दबाने लगा. अजंता को बिस्तर पर धकेल कर उसने उसके उरोजों को कुत्ते की तरह काटना ओर चाटना शुरू कर दिया. अजंता ने उसके बाल पकड़ कर झंझोरा पर उस पर असर न हुआ. अजंता न उसके सर पर हाथ से वार किया ओर अपने से छुड़वाया.


दुर्जन का शरीर पीछे की ओर गिरा ओर अजंता मूड कर उठने के कोशिश करने लगी . लेकिन दुर्जन ने उसकी पैंटी को पकड़ लिया ओर तुरंत खींच निकाला. ज़ोर से खींचने के कारण अजंता की सफ़ेद कच्छी भी तार तार हो गयी ओर अब वह सम्पूर्ण रूप से नंगी हो चुकी थी. कपडे का एक भी रेशा उसके अनिंद्य सौंदर्य को ढकने के लिए मौजूद नहीं था.

भवावेह में दुर्जन ने अपने सारे कपडे उतार दिए और उसका लम्बा लिंग अब तन कर ऊपर की ओर लटक रहा था. एक कुत्ते की तरह उसकी जीभ अजंता के नग्न सौंदर्य को देख कर बार की ओर लार टपका रही थी.
दुर्जन उसके नंगे शरीर को दबोचने के हर मुमकिन कोशिश जरने लगा जबकि अजंता उसका वार काट रही थी. दुर्जन ने उसे नंगा भले ही कर दिया था पर इस द्विंद्व युद्ध में अजंता ही उस पर भारी पड़ रही थी. दुर्जन जो खुद को बहुत शक्ति शाली समझता था , इस बात का अंदाज़ा भी है लगा पाया की अजंता मुक़ाबले में इतनी कुशल होगी . उधर अजंता का भी यही मत हमेशा रहता था की वह अपने दुश्मन को सीधे से पहले परास्त करे और उसे गोली नंबर २ का इस्तेमाल बिलकुल ही आखिर में ब्रह्मास्त्र की तरह ही करने पड़े. पर इतनी देर से मुक़ाबला करते करते अजंता भी अब काफी थकने लगी थी
दुर्जन अब रिवाल्वर उठाने के लिए लपका अपर तभी अजंता ने बिना अपनी नग्नता की परवाह किये एक कलाबाज़ी खायी और दुर्जन के चेहरे पर वार किया. दुर्जन फिर से बिलबिला उठा क्यंकि इस बार वैसे भी अजंता का पैर उसकी आँख पर लगा. उसने अपना चेहरा दोनों हाथों se थाम लिया ओर कराह उठा अजंता ने बिना वक़्त गवांये मेज़ पर फल काटने वाला चाक़ू उठाया ओर दुर्जन के लिंग के पास ज़ोर से वार किया
आआ अअअअअ है हाय हाय ऊऊ ऊ ऊ - दुर्जन बहुत बुरे से चिल्ला उठा . उसका विशेष अंग एक दम खून से लथपथ हो गया ओर बस कटते - २ बचा. खून का बहुत बड़ा फव्वारा छोट पड़ा ओर दुर्जन अपना अंग पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से चीखने लग गया.
पर अजंता भी दुर्जन के वारों से प्रभावित हुई थी. वह कुछ अर्ध मूर्छित सी हो गयी.

तभी अकस्मात दरवाज़ा ज़ोर से खुला और रेट रेट _ _ रेट गोलियां चलनी शुरू हो गयीं.
अचानक ही टाइगर ने हमला बोल दिया था और उसने दुर्जन पर पीछे से गोलियां चला दीं.दुर्जन के नंगे शरीर पर पीठ पर और अन्य भागों पर ढेर साऱी गोलियां लग गयी और वह औंधे मुँह गिर कर ढेर हो गया.
टाइगर ने जब दोनों को नंगी हालत में देखा तो कहा - साला मज़े लेने चला था और वह भी इंस्पेक्टर अजंता से. इसको तो में अब अपनी रखैल बनाऊंगा.
अजंता अभी कुछ अर्ध मूर्छित अवस्था में थी और उसका नंगा शरीर बिस्तर पर निढाल पड़ा था. लेकिन तभी उसने देखा की टाइगर के पीछे उसका दूसरा आदमी और कोई नहीं बल्कि विक्की ही था.
विक्की ने जैसे ही अजंता को देखा और उसके हाथ में चाक़ू भी था वह समझ गया की अब तक उनकी योजना वैसे ही जा रही है, जैसे उसने अजंता के साथ प्लान किया था. वह तुरंत टाइगर की ओर पलटा - टाइगर भाई यही मौका है दुर्जन का अड्डा बर्बाद करने का और अजंता को कैद करने का,
टाइगर - हाँ विक्की तो ठीक कह रहा है , पर अजंता___
विक्की - टाइगर भाई अजंता को लेकर में छोटी वाली गाडी में पीछे वाले रास्ते से घूमता हुआ न निकलता हूँ और आपके अड्डे तक पहुंचता हूँ. वैसे भी यहाँ पुलिस आ सकती है.अच्छा होगा की उन्हें इंस्पेक्टर अजंता का कोई भी सुराग न मिले.

आप इतने में यहाँ पर जो भी करना है करके इस अड्डे को तबाह करके लौट आएं. मैंने डागा और शेरू को अच्छे खासे हथ्यार दे दिए हैं . सोच क्या रहे है टाइगर भाई. और इतने में उसने अजंता के नंगे शरीर को चादर से ढक दिया.
टाइगर - कुछ नहीं विक्की , बस तो अजंता को ध्यान से ले तो जायेगा _ _ _
विक्की - क्या टाइगर भाई आप भी _ _ और वह अजंता को जल्दी से उठाकर बाहर को ले गया और चादर से ढकी अजंता को उसने एक दो और आदमियों के सहारे गाडी में डाला. अपने कंधे पर से उसने बैग भी उठाकर पीछे के सीट पर रख दिया और गाडी सरपट दौरा दी. वह जल्दी से जल्दी अजंता को वहां से लेजाकर उस स्थान पर पहुंचना चाहता था जहाँ पर आता की वह प्राइवेट गाडी जिसका उसने कमिश्नर साहेब को कहकर बहुत ही गुप्त रूप से इंतज़ाम किया था , खड़ी थी.
गाडी स्टार्ट कटे ही विक्की बोल उठा - दीदी ?
अजंता कुछ थके स्वर में - हाँ विक्की ?
विक्की - आप ठीक तो हैं न.
अजंता - हाँ विक्की बस दुर्जन से कड़ा मुक़ाबला था.काफी संघर्ष करना पड़ा. और वह बेवकूफ टाइगर समझ रहा है की दुर्जन को उसने मारा है. जबकि सच तो यह है की _ _
विक्की - जानता हूँ दीदी आपके हाथ का चाकू और दुर्जन की गोलियां लगने से पहले की दशा ने मुझे सब बता दिया.
अजंता - विक्की जल्दी चलो . यहाँ बहुत खतरा है. यहाँ पुलिस के आने का बाद में भी प्रयोजन है.
विक्की - दीदी हो सकता है उन्हें कुछ न मिले क्योंकि टाइगर इस अड्डे को तभा करना चाहता है. पर आप देखिये की इससे आपका कुछ काम तो पूरा हो गया. इसके बाद हमे टाइगर और उसके इर्द गिर्द जो कुछ भी है उसे तबाह करना है.
अजंता - पहले उसके इर्द गिर्द फिर टाइगर और अब हमे सब कुछ बहुत जल्दी करना है.और हाँ उस गाडी से हम सबसे पहले कहाँ जायेंगे यह मैंने अभी तक नहीं सोचा. और मेरे पास कपडे भी _ _
विक्की - दीदी आप वह बैग खोल लीजिये. मैंने दुर्जन के अड्डे में घुसते ही आपकी कमीज के फटे हुए टुकड़े देखे . आपके नाम की प्लेट और पास ही उतरी हुई पैंट से समझ गया की इन लोगों ने आपके कपडे फाड़ डाले. सबकी नज़र बचाकर आपके जूते और वर्दी की पैंट बैग में रख ली. आप उसे पेहे लें और हाँ एक जैकेट भी है.
अजंता - थैंक्स विक्की यू अरे ग्रेट.
विक्की - थैंक्स तो में उस भगवIन का कर रहा हूँ जिसने आज मुझे अपनी इस बहन के काम आने का मौका दिया.
अजंता ने विक्की का कन्धा थपथपाया और पिछली सीट पर बैठे हुए कपडे पहन लिए.इतने में वह गाडी के पास पहुँच गए.
अजंता और विक्की उस गाडी पर से उतर कर तुरंत कमिश्नर की दी गाडी में बैठ गए.
अजंता - विक्की यह सज्जन सिंह जी हैं हमारे खास विश्वास के ड्राइवर - तुम इन पर पूरा विश्वास कर सकते हो
विक्की खुश हुआ. - जी दीदी .अच्छा मेरे मन में विचार आया है. सज्जनजी यहाँ आपके पास कोई हथियार विशेषकर कोई हैंड ग्रेनेड है? अजंता ने कुछ सोचा और मुस्कुरा उठी - मैं समझ गयी विक्की . तुम मरने के मूड में हो.
विक्की - हाँ दीदी और वह हंस पड़ा.
दोनों ने सज्जन सिंह (जो की सोच में पड़ा था) उसे गाडी चलने को कहा. कुछ दूर जाते ही , अजंता गाडी सी उतारी. - सज्जनजी मेरे साथ आईये एक मिनट.
सज्जन सिंह बIहर आया तो उसने उसे डिक्की खोलने को कहा - उसमे कुछ हैंड ग्रेनेड थे और अन्य हथियार भी.अजंता ने एक हैंड ग्रेनेड होंठो से लगा कर उसका पिन खोला और उसे टाइगर की गाडी पर फेंक दिया.
ज़ोरदार ब्लास्ट हुआ और टाइगर की गाडी के परखचे उड़ गए.अजंता और सज्जन सिंह वापस पर तभी उन्हें दूर ज़ोरदार धमाकों की आवाज़ आयी और गोलियां चलने की भी. अजंता और विक्की एक दुसरे को देख कर मुस्कुरा उठे - तो आपके टाइगर भाई ने दुर्जन भाई का अड्डा ख़तम कर दिया गए और गाडी स्पीड से चलने लगी.
अजंता - विक्की अब तुम टाइगर और अपने गैंग की नज़र मैं ख़तम हो चुके हो.
विक्की - पर दीदी अब इसके बाद _ _
अजंता - मेरा आगे का प्लान सुनो. अब हम यहाँ से सीधा कमिश्नर साहिब के पास जा रहे हैं. मैं तुम्हे उसने मिलवाने और किस प्रकार तुम पुलिस के काम आ रहे हो बताउंगी ही. साथ ही साथ तुम्हे रातों रात पंडितजी की आश्रम पहुंचा दूँगी. तुम कुछ दिन वहां अंडरग्राउंड रहना और किसी भी हालत मैं आश्रम से बाहर मत जाना. मैंने पंडितजी बात कर ली है. जैसा तुमने चाहा था तुम अब वहीँ काम करोगे. मैं टाइगर को एक फ़ोन कल करके बता दूँगी की किस तरह मैंने उसके आदमी यानि विक्की को ख़त्म कर दिया है. इसके बाद हम गुप्त रूप से कमिश्नर साहिब से मिलेंगे और आगे क्या क्या करना है वह सब कुछ प्लान कर लेंगे. पर मुझे तुम्हारी सुरक्षा की भी चिंता है और _ _
विक्की ने अजंता के हाथ पर अपना हाथ रख दिया - दीदी आप जैसी बहन जिसकी होगी उसे भाई को कोई चिंता नहीं होगी.
अजंता ने प्यार से विक्की का गाल थपथपाया. इतने मैं कमिश्नर साहिब का घर आ गया और सब कुछ वैसे ही हुआ. विक्की ने अपना मोबाइल बंद का लिया
अजंता ने कमिश्नर साहिब और विक्की से दो दिन बाद मिलने का प्लान बनाया. पर उससे पहले उसी रात को उसने अपने फ़ोन से टाइगर का फ़ोन मिलाया
अजंता - हेलो
उधर से टाइगर की आवाज़ आयी - कौन - अजंता ? तुम?
अजंता - क्यों मिस्टर टाइगर हैरान हो गए. मुझे तो तुम्हारे अड्डे पर होना चाहिए था न? तुम्हारी रंडी बनकर रहना था
टाइगर - कहाँ हो तुम, विक्की वो _ _ _
अजंता - लगता है तुमने अपनी उस दूसरी गाडी का हाल नहीं देखा जिसमे विक्की मुझे डाल कर तुम्हरे अड्डे लेजाना चाहता था.
टाइगर - क्या मतलब . मैं अभी अपने अड्डे नहीं पहुंचा और तुम _ _ कहाँ हो. विक्की से मेरी बात कराओ
अजंता - सॉरी टाइगर अब विक्की से बात करने के लिए तुम्हे दुनिया छोड़नी होगी.
टाइगर - क्या मतलब है तुम्हारा?
अजंता - तुम्हारी गाडी को मैंने ब्लास्ट कर दिया - और हाँ विक्की भी उसी में था.
टाइगर - नहींहीहीही
अजंता ने मुस्कुराकर फ़ोन रख दिया.
लेकिन अजंता को यह भली भाँती मालूम था की उसका कार्य अभी पूरा नहीं हुआ. जैसा उसने विक्की से कहा था , उसी के अनुसार उसने दो दिन बाद कमिश्नर साहब से एक अतयंत गुप्त मीटिंग रखी और वह उसी गोपनीयता और अत्यंत सुरक्षित तरीके से विक्की को भी उनके साथ ले गयी.
कमिश्नर ने विक्की की बहुत तारीफ की - शाबाश विक्की तुमने सचमुच बहुत अच्छा काम किया है.
विक्की ने उनके पाँव छूते हुए कहा - नहीं सर यह तो अजंता दीदी की बहादुरी और काबलियत है की _ _

कमिश्नर - विक्की बेटे , अजंता ने तो जो किया वह तो सचमुच कबीले तारीफ है ही लेकिन तुम भी पुलिस के लिए एक ख़ुफ़िया का काम करते रहे हो और इतने मददगार साबित हुए हो की हम अब इस मिशन को जल्द ही पूरा कर लेंगे.
विक्की पल भर के लिए बहुत भावुक हो गया. फिर वह संभल कर कहने लगा - सर लेकिन अभी बहुत काम बाकी है.
कमिश्नर - जानतI हूँ. इसीलिए आज मैंने इस अतयंत गोपीनिये मीटिंग का आयोजन किया है . इस मीटिंग के बाद तुम दोनों मेरे साथ डिनर करोगे और फिर तुम्हे सुरक्षित आश्रम में पहुंचा दिया जायेगा.
तीनो एक केबिन में बैठ गए और उनके सामने कुछ नक़्शे खुले थे.
कमिश्नर साहब ने विक्की की ओर देखते हुए कहा - विक्की यूँ तो हमे भली भाँती इस बात का आईडिया है की हमारे आगे अब क्या काम है पर हम तुम्हारी जानकारी हासिल करना चाहेंगे, इससे पहले की आगे का प्लान बनाएं
विक्की - जी सर. हमे सर्वप्रथम आपके इस भ्रष्टचारी एस पी. शैतान सिंह को पकड़ना होगा. इतना ही नहीं बेहतर होगा हम टाइगर के इस अड्डे (वह एक नक़्शे की ओर इशारा करके बोलै जो की उसकी कोठी से केवल ५ किलोमीटर के फासले में है, यहाँ पर गिरफ्तारर करें)
अजंता - लेकिन विक्की यह तो विधवा औरतों का आश्रम है _ _
विक्की - नहीं दीदी. यह केवल ऊपरी दिखावा है . वास्तव में यह टाइगर की माँ फल्लो देवी चलाती है ओर न केवल उस शैतान सिंह सहयोग देता है बल्कि खुद भी ऐय्याशों की तरह लड़कियों का इस्तेमाल करता है. यहाँ से लड़कियां कई जगह पर सप्लाई होती हैं. यह लड़कियां किडनैप की गयी होती हैं या फिर इन्हे नौकरी या दुसरे झांसे देकर फुसला लिया जाता है. कुछ तो अपनी मर्ज़ी से भी पैसे के लालच में यह धंधा करती है. इनमे से बहुत सी लड़कियां उस स्वामी अघोर बाबा के आश्रम में पहुंचा दी जाती है जिन्हे आगे दूसरे देशों विशेषकर नेपाल ओर बांग्लादेश भेजा जाता है. एक बार अगर हम इस विधवा आश्रम कहे जाने वाले टाइगर के अड्डे को समाप्त करके शैतान को गिरफ्तार लार लें तो यह हमे इस स्वामी के बारे में भी अधिक जानकारी दे देगा ओर हम इस रैकेट को ख़तम कर सकेंगे.
कमिश्नर - विक्की यह स्वामी अघोरी बाबा का क्या मामला है.
विक्की - सर इसके बारे में जितना मुझ मालूम है, यह कोई बांग्लादेशी है जो हमारे असम के कुछ शहरों में अपने आश्रम खोले हुए है ओर इन सबमें किसी न किसी गैरकानूनी काम में इन्वॉल्व रहता है. यह अब नार्थ - ईस्ट के अलावा हिंदुस्तान के बाकी प्रदेशों में भी अपना काम फ़ैलIनI चाहता है. यह बाबा अफीम , चरस , गांजा की स्मगलिंग , देह व्यापर ओर कई प्रकार की अन्य गतिविधियों में उलझा है ओर टाइगर ओर दुर्जन दोनों को हथियार भी सप्लाई करता रहा है. इसके आश्रम में औरतों को लेकर सेक्स रैकेट चलते हैं ओर यह खुद भी एक नंबर का ऐय्याश है.
मुझे इसके यहाँ के अड्डे या आश्रम की जानकारी नहीं है की यह कहाँ लोकेटेड है. लेकिन यह देखिये हमारे शहर से २० किलोमीटर दूर जहाँ असम के बॉर्डर पर यह जंगल शुरू होते हैं इनमे से इसका रास्ता कहीं निकलता है ओर इस स्वामी का आश्रम शायद वहां कहीं है.
लेकिन इसके कुछ आदमी इन जंगलों में भी सक्रीय है. हमे इस तक पहुँचने के लिए एक बहुत ही फूल प्रूफ प्लान बनाना होगा. और इस काम में हमे ४ से ५ दिन का समय भी लग सकता है.
इसकी गतिविधियों और सारी लोकेशंस के बारे में शैतान सिंह को सब मालूम है.
अजंता - हम्म .इसका मतलब पहला हमला शैतान सिंह पर ही करना होगा.
विक्की - जी दीदी.और अब हम इसने जितनी जल्दी निबट लें उतना ही अच्छा होगा. शैतान सिंह को पकड़ कर जब हम वह सेक्स रैकेट भी फोड़ेंगे तब यह स्वामी चौक्कना हो जायेगा.
अजंता - नहीं विक्की यह स्वामी अभी भी चौकन्ना हो चुका होगा.मेरा मतलब दुर्जन के खतम होने पर.
विक्की - बिलकुल दीदी . मुमकिन है. इस लिए हमे शैतान को तुरंत पकड़ना होगा और फिर शैतान सिंह से इस स्वामी और उसके काम काज की पूरी जानकारी लेनी होगी. अजंता कमिश्नर साहब की ओर रूख करते हुए - लेकिन सर अब सबसे पहले मेरे मन में सवाल यह उठ रहा है की शैतान को कैसे पकड़ा जाये.
विक्की - दीदी उसके बारे में एक बात पता है मुझे. वह हर रविवार को फल्लो देवी के अड्डे पर ज़रूर जाता है.
अजंता - यह तो काफी काम की बात बताई तुमने विक्की.
विक्की - पर दीदी यह काम अब ख़ुफ़िया तरीके से करना मुश्किल होगा.
अजंता - हाँ विक्की में समझ सकती हूँ. अब उसके अड्डे पर लोग मुझे पहचान जायेंगे.
कमिश्नर साहब जो बोल कम और सोच ज्यादा रहे थे अचानक कह उठे - रविवार यानि परसों.
दोनों उनकी तरफ देखने लगे - अजंता तुम अपने मातहत काम कर रहे सब इंस्पेक्टर हरिप्रकाश को फ़ोन लगाओ और कहो की तुम कल छुट्टी पर हो और किसी भी कार्य के लिए अब सोमवार से पहले नहीं मिल सकती. वह थाने के देख रेख अच्छी तरह करे और कोई बहुत ज़रूरी बात हो तो तुम्हे फ़ोन पर सूचित करे या फिर मेरे ओफ्फसीए में मेरे सेक्रेटरी को इन्फॉर्म करे.
अजंता ने वैसा ही किया.
कमिश्नर - अजंता कल तुम मेरे ऑफिस आ जाना शाम को. में तुम्हे अपने १० आदमी दूंगा और तुम लोग फल्लो देवी के अड्डे पर परसों दोपहर को हल्ला बोल देना. बाद हमे किसी तरह यह पता लगाना होगा की शैतान सिंह वहां पहुंचा या नहीं. अगर वह वहां गया होगा तब ही हम अपने प्लान के हिसाब से काम करेंगे.
अजंता - लेकिन सर हमे यकीनी तौर पर कैसे पता लगेगा की वह रविवार को उसे अड्डे पर जायेगा ही.
कमिश्नर - यह मुझ पर छोड़ दो. अभी कुछ दिन पहले मैंने अपना एक आदमी नौकर के रूप में उसके घर पर प्लांट कर दिया. अजंता - ठीक है सर.
कमिश्नर - चलो अब हम खाना खाते हैं. तुम सावधानी से विक्की को आश्रम में छोड़कर खुद घर चली जाना. एक बार शैतान सिंह गिरफ्तार हो गया तो हम स्वामी को पकड़ने की कार्यवाही पर काम करेंगे.
अजंता - राइट सर.
तीनो ने डिनर लिया और अजंता और विक्की कमिश्नर साहब के घर से रवाना हो गए.
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#15
एस.पी शैतान सिंह
दुर्जन का सफाया करके इंस्पेक्टर अजंता ने वाकई एक बहदुरी का काम किया था परन्तु वह अभी आश्वस्त न थी. उसने अब शीघ्र ही शैतान सिंह को पकड़ने का फैसला किया. और क्योंकि वह उससे से छुप नहीं सकती थी, उसे एक ऐसा प्लान तैयार करना था की वह ऐन मौके पर पहुँच कर शैतान सिंह को अपनी वर्दी में और ड्यूटी में रह कर गिरफ्तार करे. कमिश्नर साहब ने जो अपना आदमी शैतान सिंह के घर पर तैनात किया था वह छुपछुप कर सब खबरें उन तक पहुंचा रहा था. इतवार वाले दिन शैतान सिंह का फॉलो देवी के अड्डे पर पहुंचना तय था. अजंता को या तो उससे पहले नहीं तो उसके एक दम बाद उस अड्डे जो के एक फार्म हाउस में था उस पर आक्रमण करना था.वह यह भी चाहती थी की शैतान सिंह को रंगे हाथों पकडे और उस अड्डे को भी ख़तम कर दे.
पर साथ ही साथ काफी पुलिस फाॅर्स को एक दम लेजाना भी खतरे से खाली न था. टाइगर के आदमी वहां मौजूद थे और वह उन पर आक्रमण करके शैतान सिंह और फॉलो देवी को बचा भी सकते थे. लेकिन अजंता ने आखिरकार वही ठीक समझा क्योंकि फॉलो देवी का कुछ साल पहले उससे वास्ता पड़ चुका था और वह भी अजंता को पहचान सकती थी.
अजंता ने अपने दो तीन साथी सादे कपड़ों में पहले भेजने का निर्णय लिया और उसके बाद वहां पर हमला करने का. उसने उस फार्महाउस का नक्शा लेकर उसकी पूरी व्यूह रचना का अध्ययन किया.

उसने अच्छी तरह से जब फार्म हाउस के अगल बगल देखा तो उसे एक छोटा सा कोना ऐसा नज़र आया जो की एक पतली सड़क से मिलता था यह सड़क लगभग तीन किलोमीटर की दूरी तय करके एक छोटे से मैदानी इलाके से मिल जाती थी जहाँ खूब घने पेड़ पौधे थे. पर वह मैदानी इलाका ऐसा था जहाँ लोग बाग़ सैर करने भी आते थे. तब अजंता ने यह भी अंदाज़ा लगाया की हो सकता है इतवार का दिन होने के कारण वहां कुछ लोग हों, परन्तु गर्मी का मौसम होने की वजह से ११ या १२ बजे तक लोग ज्यादातर अपने घरों में सिमट जाते हों और उन्हें उस इलाके में कोई न मिले. क्योंकि उस मैदान इलाके के बाहर हो गाडी खड़ी करके अजंता पुलिस के आदमी लेकर धावा बोल सकती थी.
इसके अलावा वह फार्म हाउस ऐसी जगह था जहाँ आस पास और कोई घर या ईमारत नहीं थी , लेकिन खुली जगह होने के कारण,वहां पर कोई भी आगुन्तक यह गाडी दूर से ही नज़र आ सकते थे.
जब अजंता ने यह बात कमिश्नर साहब से शेयरकी तो उन्होंने कहा की अजंता तुम जैसे इस मिशन को करना चाओ करो. मैं तुम्हारे पास अपने १० आदमी भेज रहा हूँ और तुम जैसे ही वहां हमला करके अंदर घुसोगी मुझे तुरंत इतल्ला करना . मैं भी कुछ फोर्स लेकर वहां आजाऊंगा.
पर अजंता एक समस्या है
अजंता - क्या सर
कमिश्नर - मैं बुर्के में केवल ५ आदमी दे सकता हूँ क्योंकि फुल लेंथ बुर्के नहीं हैं इस से जयादा - जैसा की तुमने खुद कहा था की बुर्के ऐसे हों की आदमी के पैर भी छुपे रहे.
अजंता - सर मेरे पास एक बुरका है परन्तु में अपने पैर _ _ _ ठीक है में साड़ी पहन कर जाउंगी. आप लेकिन बाद में फाॅर्स लेकर आ जाईये क्योंकि मेरे पास आदमी ज्यादा नहीं होंगे और उसके फार्म हाउस में गुंडों की फौज है.
कमिश्नर - ठीक है.और हाँ अजंता - मुझे एक उड़ती हुई खबर यह भी मिली है की दुर्जन के खात्मे और टाइगर के अन्य अड्डों पर हमले से यह लोग सावधान हो गए हैं और अपना ठिकाना बदलने की सोच रहे हैं.
फिर तो जल्द ही कुछ करना होगा -अजंता ने कहा
उधर शैतान सिंह अपने बैडरूम में छुपा हुआ था और एक फ़ोन कॉल में व्यस्त था.पर उसे यह नहीं मालूम था की न केवल उसके फ़ोन टेप किये जा रहे हैं अपितु उसकी हर हरकत पर नज़र भी रखी जा रही है
शैतान सिंह - क्यों टाइगर भाई कल का प्रोग्राम पक्का है न
उधर से आवाज़ आयी - अबे शैतान सिंह के बच्चे ? हमेशा ऐय्याशी की बात ही सोचता है. तेरी उस मातहत अजंता ने हमे कितना तभा किया कुछ ध्यान है तुझे
शैतान सिंह - जानता हूँ टाइगर भाई. अगर कमिश्नर का हाथ उसके सर पर न होता तो मैं उसे कब का कच्चा चबा जाता.
टाइगर - रहने दे. तेरे बस का कुछ नहीं
शैतान सिंह - टाइगर भाई - अजंता का ज़रूर कुछ न कुछ करेंगे. मुझे अब कल का प्रोग्राम बताओ.
टाइगर - कल सुबह ११ बजे आ जा माँ के अड्डे पर. तुझे ऐश करवाएंगे और हाँ कल १० लड़कियां स्वामी की आश्रम पर पहुंचने हैं. और सुन - तुझसे कहा था पांच लड़कियां और चाहिए. - स्वामी कह रहा था की सऊदी अरब के शेख ने तगड़ा माल देने को कहा है. - तो अपनी भी बहुत तगड़ी कमीशन होगी.
शैतान - हाँ टाइगर भाई में कोशिश कर रहा हूँ - शिल्लोंग में एक दो लेडीज हॉस्टल में बात की है - कुछ न कुछ इंतज़ाम होगा. कल आप भी होंगे न.
टाइगर - नहीं मैं अभी कुछ दिन बाहर नहीं आऊंगा. तू माँ से सारी बात कर लेना.
शैतान सिंह - ठीक है टाइगर भाई.
शैतान सिंह ने फिर फॉलो देवी को फ़ोन लगाया - प्रणाम माताजी
उधर से बहुत कर्कश आवाज़ आयी - औए कुत्ते कमीने भड़वें - मुझे माताजी मत कहा कर
शैतान - गलती हो गयी फॉलो देवी. कैसी हो.
फॉलो देवी - तेरी माँ के भोंसडे जैसी. (आवाज़ से लग रहा था की पान चबा रही है).
शैतान सिंह - क्या बात है फॉलो देवी - बहुत गुस्से में हो.
फॉलो देवी - तुझ जैसे निकम्मे, मरे हुए कुत्ते को हड्डी डाली - और तूने हमारे लिए क्या किया
शैतान सिंह - पहले टाइगर भाई खूब गाली दिया और अब आप _ _
फॉलो देवी - तो क्या पकड़ के तेरी गांड चाटुन गन्दी नाली के सूअर एक एक करके धंधों का सत्यानाश हो रहा है और तो बैठा मोटा होइ जा.
शैतान सिंह - फॉलो देवी वो _ _ _वो
फॉलो देवी - अब जल्दी भौंक क्यों फ़ोन किया
शैतान सिंह - टाइगर भाई ने कल का प्रोग्राम _ _
फॉलो देवी - हाँ हाँ याद है. फार्म हाउस में आजाना. पर याद रखना - अब अगर हमारा कोई काम धंधा या अड्डा बंद हुआ तो तेरी पेशाब वाली नली काट कर तुझे हिजड़ा बना दूँगी- कहकर उसने फ़ोन पटक दिया.
शैतान सिंह की रूह कांप गयी और वह मन ही मन अजंता को कोसने लगा- उफ्फ्फ इस इंस्पेक्टर अजंता ने तो सब कुछ चौपट करके रख दिया.
क्या करूँ. चलो कल अड्डे पर जाकर थोड़ी ऐश करता हूँ. फिर इस फॉलो देवी से ही बात करके कोई हल निकलवाता हूँ.यह सोच कर वह सो गया.
अगले दिन शैतान सिंह छुपता छुपाता टाइगर के अड्डे पर पहुँच गया.
सबसे पहले तो तो उसे फॉलो देवी ने खूब झाड़ा और धमकाया. वह सचमुच अपनी मन मर्यादा भूल कर उस ऐय्याश औरत के पांव पड़ गया और कहा की भविष्य में सब ठीक होगा.
फॉलो देवी - ठीक है. तेरे लिए आखरी मौका है शयतान सिंह. अब अगर कहीं भी हमारी तबाही हुई तो साथ ही साथ तू भी बर्बाद हो जायेगा.
अच्छा यह अत की वह जो शिल्लोंग से माल आने वाला था वह कब आएगा. तूने कुछ इंतज़ाम किया या नहीं.
शैतान सिंह - हाँ मैंने काम से काम वहां से १० लड़कियां मंगवाई हैं. आपका आदमी फुकन सिंह है न - उसे मैंने बोल दिया था. आज कल में माल आ जाना चाहिए.
फॉलो देवी - ठीक है फिर एक शराब सर्वे करती हुई लड़की से बोली - जा वह जो आज नयी लड़की आयी है हमारे एस. पी. साहिब को उसके दर्शन करवा. जा शैतान सिंह आज ऐश कर ले.
शैतान सिंह की जीभ कुत्ते की तरह लपलपाने लगी और वह अंदर ऐसे भIगा जैसे कोई अत्यंत भूखा खाने के पीछे दौड़ता है. शैतान सिंह ने कमरे में घुसते ही देहा की एक कैबरे डांसर जैसी अर्ध नग्न युवती को बड़े ही मादक अंदाज़ में बिस्टेर पर एक शराब की बोतल के साथ लेते हुए पाया वह युवती आज शैतान सिंह के लिए बुक्ड थी. शैतान सिंह उसे देखते ही उत्तेजित हो उठा और उसने दरवाज़ा बंद कर लिया.
थोडिन देर के बाद ही एक लड़का फॉलो देवी के पास आया – मैडमजी, मैडमजी
फॉलो देवी जो की एक बहुत ही बेशकीमती सोफे पर बेथ कर सिगरेट पी रही थी ज़ोर से बोली - क्या है बे टुकड़े - माँ मर गयी क्या तेरी?
वह लड़का - बाहर कुछ लोग आये हैं और बुर्के में कमसे कम १० लड़कियां. उनके साथ आया एक आदमी बता रहा है की वह शिल्लोंग से आये हैं.
फॉलो देवी की आँखे चमक उठी - अच्छा ? तो बेवकूफ देख क्या रहा है - जा उन्हें जल्दी लेकर अंदर आजा.
तभी वहां दो -तीन आदमी और उसके साथ कुछ लड़कियां थीं जो सिर से पैर तक बुर्के में ढकी हुई थीं.
उनमे से एक आदमी ने फॉलो देवी को सलाम किया और कहा की शैतान सिंह जी ने यहाँ पर इन्हे लाने को कहा था और यह की हम बहुत ज्यादा बचते बचाते आ रहे हैं.
फॉलो देवी - तुम यह सब लड़कियां जो लाये हो इन्हे में देखना चाहूंगी. और हाँ यह बताओ की हमारे फार्म हाउस से ५० कोस दूर चौकी से तुम इन्हे सही सलामत कैसे लाये - यहाँ पर तो पुलिस की काफी नाकाबंदी है.
तभी एक बुर्के वाली ने बड़ी फुर्ती से बुरका हटाया और रिवाल्वर निकाल ली. इससे पहले की फॉलो देवी कुछ समझती ज़ोर से तीन गोलिया चलीं और उस कमरे में उसके दो आदमी ढेर हो गए.
देखते ही देखते सबने (उन दो - तीन आदमियों ने भी) बुर्के हटाकर बंदूकें तान लीं. उस लड़की ने आदेश दिया - भून दो इसके आदमियों को
थोड़ी फायरिंग के बाद ही वहां फॉलो देवी की आदमियों की लाशें बिछ गयीं. फॉलो देवी एक दम हैरान और परेशान हो गयी की यह क्या हो गया. वह लड़की और कोई नहीं इंस्पेक्टर अजंता थी जिसने बुर्के के नीचे एक शिफॉन की गुलाबी साड़ी और मेल खाता ब्लाउज पहना हुआ था और जो इस समय किसी शेरनी से कम नहीं नज़र आ रही थी.
अजंता ने फॉलो देवी को बालों से पकड़ लिया और अपने कुछ आदमियों को आदेश दिया की वह बाहर जाकर बाकी के आदमियों पर फायरिंग शुरू कर दें.
अजंता ने फॉलो देवी को एक झटके से सोफे पर गिरा दिया और उसके कंधे पर पेर रख कर उसके माथे पर रिवाल्वर तान दी - क्यों फॉलो देवी पहचाना मुझे ?
फॉलो देवी भयभीत नज़रों से उसकी तरफ देखने लगी - नहीं _ __ कौन _ _
अजंता - इंस्पेक्टर अजंता - वह अजंता जिसको तेरे भांजे प्रकाश ने फंसकर तेरे हवाले किया था और तेरे आदमियों ने जिसकी इज़्ज़त लूटनी चाही थी.
अजंता ने एक ज़ोर दार ठोकर फॉलो देवी के मुँह पर मारी जिससे उसके होंठ फट गए. - वह खौफ्फ़ और दर्द से मिश्रित होकर चीख उठी - अजंता तुम ?
अजंता - हाँ और आज में तेरा अंत करने आयी हूँ.
अजंता पर जूनून सवार हो गया और वह उसे ठोकरें मारने लगी.
पर तभी धांये-२ की कुछ फायरिंग की आवाज़ ही और अजंता के आदमी ढेर हो गए. दरअसल जैसा अजंता का अंदाज़ा था वहां गुंडों की पूरी फौज थी और उसके मुक़ाबले अजंता के आदमी बहुत काम थे. जो पोलिसवाले बiहर फायरिंग के लिए गए थे उनमे भी कुछ ही बचे वो की वहां टाइगर के आदमियों की क़ैद में आ गए. तभी एक भीमकाय आदमी आया और अजंता से बोला - फॉलो देवी को छोड़ दो. अजंता ने ऐसा ही किया
उस पर कुछ बंदूकें तन गयीं.
अब फॉलो देवी की बारी थी. उसने अपना खून पौंछा और आँखों में खूंखार भाव लिए उठ कड़ी हुई और उस भीमकाय आदमी से बोली - जम्बू इस तितली को पकड़ ले और जो कुछ साल पहले नहीं हुआ वो आज कर डाल - एक एक कपडा उतार दे और अच्छे से इसकी चुत फाड़ डाल - में नज़ारा खुद देखूंगी. चल शुरू हो जा.
अजंता के कुछ आदमी उसकी गिरफ्त में थे फॉलो देवी बोली - अजंता रानी अब इससे मुक़ाबला करो . जीत गयीं तो ठीक वरना - वह एक क्रूर हंसी हंसने लगी - याद रख तेरे आदमी हमारे कब्ज़े में हैं. - जम्बू आ तेरे लिए बड़ी स्वाद चीज़ है यहाँ.
जम्बू ने अजंता की ओर देखा - गुलाबी साड़ी ओर ब्लाउज में उसकी खूबसूरती को चार चाँद लग गए थे. उसकी लार टपकने लगी. इससे पहले अजंता कुछ समझ पाती उसने तुरंत उसे अपने कंधो पर उठा लिया और बैडरूम की और भागा .अजंता ने पर पटकने शुरू किये पर कोई लाभ न हुआ. पीछे पीछे फॉलो देवी भी आ गयी और बैडरूम का दरवाज़ा बंद कर लिया. अगले पल अजंता ने खुद को बिस्तर पर पाया. उसने बड़ी ज़ोर से उसे बिस्तर पर पटक दिया था की अजंता का शरीर एक बार गद्दे पर गिर कर उछाल गया. जम्बू अजंता पर टूट पड़ा और फॉलो देवी ने शराब की बोतल खोल ली.
उसने अजंता का हाथ पकड़ कर पीछे से मोड़ा तो वह चीख उठा - नहीं छोड़ मुझे. जम्बू और फॉलो देवी अट्टहास लगाने लगे.

फॉलो देवी - जम्बू आज अच्छे से इसका बलात्कार कर डाल . बहुत कूदती है यह साली थानेदारनी. और इसी की में ब्लू फिल्म भी बना रही हूँ.
अजंता - बहुत पछतायेगा जम्बू.
पर जम्बू पर इसका असर नहीं हुआ और वह अजंता पर टूट पड़ा और उसे नोचने खसोटने लगा. अजंता भी संघर्ष करने लगी. जम्बू बहुत शक्ति शाली था. उसने अजंता का पल्लू पकड़ कर सरका दिया और उसकी साड़ी का वह हिस्सा बिस्तर के नीचे सरक गया अब उसका नानग पेट और नाभि और ब्लाउज से उभरे हुए बड़े बड़े पिल्लू जम्बू को निमंत्रण दे रहे थे.

जम्बू तो जैसे पागल हो गया - वह फॉलो देवी जी वह - क्या बड़े बड़े पिल्लू हैं. आज तो मजा आ गया. और वह अजंता को पागलों की तरह चूमने लगा. उसने उसके दोनों हाथ आएं बाएं अपने हाथों से जकड लिए. अजंता ने अपनी टाँगे उठा कर वी के आकार में मोड़ दीं और जम्बू के सीने में ठोकर मार दी. जम्बू एक और गिरा और अजंता उठ कर भागी परन्तु जमाबू ने लेते हुए ही अजंता की साड़ी का पल्लू थाम लिया और उसे खींचने लगा. अजंता को अपने पेटीकोट में कुछ हरकत महसूस हुई पर इसे पहले की वह कुछ और सोचती उसकी गुलाबी साड़ी जम्बू के हाथ में थी. उसने उससे वापस साड़ी लेने का प्रयास किया परन्तु जम्बू ने वह साड़ी बिस्तर के कोने में उछाल कर फेंक दी. जम्बू की नज़र अजंता के नंगे और हलके से उभरे पेट और नाभि की ओर थी जो की इस समय अपनी अवस्था में क़यामत ढा रहे थे.

अजंता इस समय केवल पेटीकोट ओर ब्लाउज में थी. इस अर्धनग्नवस्था में वह किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी. उसने अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए संघर्ष शुरू कर दिया और जम्बू का मुक़ाबला करने लगी. दोनों अपने दांव एक दुसरे पर खेल रहे थे. तभी जम्बू ने अजंता को फिर से जकड़ने की कोशिश की पर वह दरवाज़े के निकट आ गई और उससे याचना करने लगी - नहीं जम्बू मुझे छोड़ दो प्लीज . मैं यहाँ से चली जाउंगी. और उसकी आँखों मैं आंसू आ गए. वह जम्बू के आगे हाथ जोड़कर खड़ी हो गयी

फॉलो देवी और जम्बू बड़ी ही खूंखार हंसी हंसने लगे. अजंता के याचना से भरे स्वर से उन्हें अपनी विजय का आभास होने लगा.
जम्बू - फॉलो देवी तुम तो कहती थी बड़ी खतरनाक चीज़ है. यह तो बड़ी ही नाज़ुक है. इसकी तो में अभी सील तोड़ देता हूँ. कहकर जम्बू ने अपने लंगोट उतार दिया. उसका ८ इंच लम्बा मोटा तना हुआ लिंग एक दम सामने की ओर उठ गया ओर अर्धनग्न अजंता के सामने एक तोप की भाँती खड़ा हो गया. अजंता के चेहरे पर डर ओर घबराहट से मिश्रित भाव आ गए.जम्बू अजंता की ओर बढ़ने लगा.
अजंता डर से चीखी - नहीं नहीं
तभी जम्बू ने अपना पिस्तौल निकाला और अजंता पर तान दिया. अजंता एक दम खड़ी हो गयी

जम्बू - चल बिस्तर पर पहुँच. अजंता चौक्कनी थी पर उसकी बात मानने की अलावा कोई चारा नहीं था उसके पास.
वह बिस्तर पर बेठ गयी
जम्बू - चल अपना ब्लाउज उतार. जल्दी से.
अजंता के हाथ अपने सीने पर गए और वह अपने ब्लाउज के हुक खोलने लगी. हुक खोलते ही मानो दो सफ़ेद पर्वत सामने की ओर उभर आये हों.

अजंता ने अपना ब्लाउज उतार दिया ओर जम्बू उसकी ब्रा में से निकल रहे दो बड़े बड़े तने हुए उरोजों को बड़ी ललचायी नज़र से देखने लगा .
जम्बू - चल अपनी ब्रेज़री निकल.
अजंता के हाथ पीठ की ओर मुद्दे ओर उसने ब्रा खोल कर उतार दी. अब ऊके नंगे बड़े बड़े पिल्लू जम्बू को पागल बनाने लगे.

अब उठ कर मेरे सामने आ जा
अजंता अपने दोनों हाथों से सीना छुपाती हुई सामने आगयी
लेकिन तभी - अजंता का पाँव एक दम फिसला ओर उसका शरीर नीचे फिसलता हुआ जम्बू के निकट जा पहुँच. उसने अपनी टांगें उठायीं ओर ज़ोर से सैंडल की नोक से जम्बू के गुप्त अंग पर वार किया. यह इतना जल्दी हुआ की कोई कुछ नहीं समझ पाया. अजंता ने भयभीत होने का केवल नाटक किया था जिससे जम्बू कुछ लापरवाह हो जाये. जम्बू ज़ोर से चीखा. अजंता ने मौका गंवाए बिना एक ओर ठोकर वहीं पर मारी और एक शेरनी की फुर्ती से उठा खड़ी हुई . उसने तुरंत फॉलो देवी के हाथ से बोतल छीन ली और उसे दीवार से टकरा कर तोड़ दिया. बिना एक पल गंवाए उसने उस टूटी बोतल का हिस्सा फॉलो देवी के मोह पर मारा जिससे वह लहूलुहान होकर चीख उठी. जम्बू भी अपना अंग पकड़ कर बैठा था. अजंता ने घुमा कर उसके चेहरे और शरीर के कई भागों पर वार किया
इतने में बाहर फायरिंग की आवाज़ आने लगी.
जम्बू बिलकुल ही अधमरा हो गया . अजंता अब उस पर झुकी और उसके हाथ में टूटी हुई बोतल थी. उसने नोकीला हिस्सा जम्बू के अंग पर टिका दिया.जम्बू चीख उठा - नहीं नहीं
अजंता की आँखों में खून उतरा हुआ था - मुझे याद है जम्बू - यह तेरी मेरी पहले मुलाकात नहीं. उस दिन भी तू ही था जिसने इसके कहने पर मेरी चोली उतार केर फेंक दी थी.
और उसने ज़ोर से जम्बू के अंग पर वार किया. एक खून के फव्वारे के साथ जम्बू की ज़ोरदार चीख उभरी और वह ठंडा होकर गिर गया.फॉलो देवी भी एक ओर गिरी कराह रही थी. अजंता के ऊपर भी कुछ खून के छींटे पड़ गए थे. वह टूटी बोतल को हाथ में लेकर उठ खड़ी हुई.
अजंता ने झट से अपनी ब्रा ओर ब्लाउज पहन लिया
इतने में दरवाज़ा ज़ोर से खुला. आगुन्तक ओर कोई नहीं खुद कमिश्नर साहिब थे. - अजंता तुम ठीक हो न.
अजंता - हाँ सर
कमिश्नर - ठीक है तुम अपने कपडे ठीक कर लो. हमने इनके आदमी मार दिए हैं. अब शैतान सिंह को गिरफ्तार करना है.
अजंता - मैं आती हूँ सर. इस फॉलो देवी को भी हिरासत में लेना है
फॉलो देवी को गिरफ्तार कर लिया गया ओर अजंता अपनी साड़ी उठा कर पहन ने लगी. साड़ी पहन कर वह बाहर आयी और अपनी रिवाल्वर उठा ली. फिर वह सब कमरों में शैतान सिंह को ढूंढ़ने लगे.
एक कमरे में शैतान सिंह भी उस युवती के साथ गुलछर्रे उड़ाता बिलकुल नग्न अवस्था में मिल गया. वह पुलिस और कमिश्नर को देख कर बुरी तरह सकपका गया.
कमिश्नर - उठो शैतान सिंह अब तुम्हर खेल ख़तम. शर्म आती है तुम जैसे नीच अफसरों पर.
शैतान सिंह ने बड़ी मुश्किल अपना नंगा शरीर ढका. अजंता ने उस पर रिवाल्वर तान दी और कॉन्स्टेबल्स ने उसे गिरफ्तार कर लिया.
बचे हुए सारे आदमी गिरफ्तार हो गए.
वापसी पर अजंता कमिश्नर साहिब के साथ थी.
कमिश्नर - वेळ डन अजंता .अनादर फैदर इन योर कैप
अजंता - नहीं सर बिना आपकी मदद कुछ भी मुमकिन नहीं था.अब शैतान सिंह से टाइगर के बचे खुचे धंधे और उस स्वामी के बारे में उगलवाते हैं.
कमिश्नर - हाँ यह कार्यवाही हम कल से शुरू कर देंगे.
अजंता - मैं टाइगर को ख़तम किये बिना चैन से नहीं बैठूंगी.
कमिश्नर - विक्की तो मेहफ़ूज़ है ना
अजंता - हाँ सर.
शैतान सिंह को एक अतयंत मेहफ़ूज़ ओर गुप्त स्थान पर क़ैद रखा गया ओर पुलिस सुरक्षा भी बढ़ा दी गयी.कमिश्नर साहिब ओर अजंता दोनों ही नहीं चाहते थे की अब कोई चूक हो जिससे वह अपने मक़सद में काम होने से रह जाएँ. उनका सबसे पहला मक़सद था उस स्वामी की अड्डे की बिलकुल ठीक लोकेशन ओर उसके अन्य धंधों के बारे में पता लगाना.
शैतान सिंह से अगले ही दिन पूछ ताछ शुरू हो गयी. ज़रा सी सख्ती के बाद उसने स्वामी के बारे में बताना शुरू कर दिया. अजंता ने जो कुछ भी सुना था वह काफी मिलता जुलता था.
शैतान सिंह ने आस पास के घने जंगलों का नक्शा मंगवा कर उस पर बताना शुरू कर दिया. शहर के दक्षिणी भाग से मेघालय से एक ओर मुड़ कर बांग्लादेश की तरफ एक रास्ता जाता था जहाँ घने जंगल थे.
अजंता ने तुरंत उसक नक्शा मंगवाया ओर शैतान सिंह से कहा - आप हवा में बातें न करें. हमे पूरी जानकारी चाहिए.
शैतान सिंह ने उस नक़्शे पर बताना शुरू किया ओर उसके पास जो भी जानकारी थी वह उसने वहां के इलाके की दे डाली. अजंता हैरान रह गयी जब शैतान सिंह ने जंगलों के अंदर के फोटो उसे दिखाए. यही हाल कमिश्नर साहब का भी था - शैतान सिंह इतना कुछ हो रहा था ओर तुम पुलिस विभाग को धोखा देते रहे.
उन फोटोज में साफ़ दिख रहा था की जंगल से कुछ हटकर स्वामी का एक बहुत बड़ा आश्रम जिसका एक हिस्सा मठ की तरह था जो किसी आश्रम से कम नहीं था उसमे जाने के दो रास्ते थे. वहां से बहुत कुछ स्मगल होकर बांग्लादेश जाता था ओर स्वामी नई तो जैसी जंगल में अपनी चौकियां ही बनाई हुई थी.
स्वामी के उस विशाल चक्रर्वियूह का तोडना इतना आसान नहीं था. यहाँ तक की उसके बंगले तक पहुंचना भी. उसके लिए एक फूल प्रूफ प्लान की ज़रुरत थी. शैतान सिंह ने बताया की आजकल स्वामी सिंगापुर में है क्योंकि वहां पर एक अड्डे पर पुलिस की रेड पड़ गयी थी पर वह बहुत जल्द हिंदुस्तान में आ रहा है. अजंता ने अंदाज़ा लगा लिया की इन चौकियों की नज़र बचा कर या इन्हे बर्बाद करके ही समय के आश्रम पहुंचा जा सकता है. क्योंकि जंगल में एक चौकी थी जो की स्वामी के बाहरी हिस्से वाले स्थित बंगले से पूरी तरह कनेक्टेड थीं और स्वामी के बंगले में जाने का अर्थ था यहाँ से हुए जाना. चौकी पर कम से कम 5 आदमी तैनात थे जो पल पल की खबर स्वामी के बंगले में पहुँचाने के लिए पूरी तरह सक्षम थे. और शहर से होते हुए उस चौकी पर जाने के लिए एक बहुत ही दुर्गम मार्ग था जिसमे एक छोटी सी पहाड़ी और नदी का हिस्सा आता था. पर सबसे बड़ी कठिनाई थी की उस दुर्गम मार्ग का पता ऐसे नक़्शे से नहीं चल पा रहा था और वह जंगल में जाकर ढूंढ़ना और पूरी तरह उसे पता लगा कर आगे जाना कोई सरल काम नहीं था. उसके बाद उस पहाड़ी को ही पार किया जा सकता था और गाड़ी से नहीं अपितु पैदल ही पार किया जा सकता था और यह एक दिन का कार्य नहीं था. इसका मतलब अजंता और उसके पुलिस वालों को यहाँ कैंप लगIनI पड़ेगा एक या दो रात के लिए. इस चौकी के पास एक गांव था और वही एक ऐसा स्थान था जहाँ से उस आश्रम से कुछ ही दूरी तक कोई सवारी मिलती थी. अजंता गहरी सोचों में डूबी थी.
वह यही सोच रही थी की कैसे उन जंगलों में जायI जाये. और किसी भी हालत में पुलिस की वर्दी में तो जाने का मतलब ही नहीं था. अगर सीधे आक्रमण से स्वामी के एक दो आदमी भी बच जाएँ और उसके आश्रम तक खबर पहुँच जाये तो वह सावधान होकर भाग सकता था. किन्तु ही नहीं उसे आखिर में यह भी प्लान करना था की अगर वह मठ पर पहुँच जाती है तो किस प्रकार से वह वहां पहुँचने के बाद पूरी पुलिस फार्स को बुलाने का तरीका निकलेगी - स्वामी अघोर बाबा - अब में तुझे नहीं छोडूंगी - अजंता मन ही मन बोली
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#16
स्वामी का आश्रम
बहता हुआ पानी पहाड़ों के बीच से बह रहा था. पानी का रंग तो मानो दूध की तरह सफ़ेद था और जिस और से पानी बह रहा था. ऐसा लग रहा था की कई अप्सराएं एक के बाद एक अपनी कमर को लचकाते हुए उन छोटे छोटे पहाड़ों के बीच से नाचती हुई गुज़र रही हैं. और यह दख कर अजंता को को अपना बचपन याद आ गया की कैसे गांव के पास बने इन झरनो की बीच वह नहाया करती थी. अजंता ने एक सफ़ेद शिफॉन की साड़ी पहनी हुई थी जिसमे
उसका रूप निखार आया था और गोरा गुलाबी बदन और भी अधिक सुन्दर लग रहा था. उसके चाँद से चेहरे पर मुस्कराहट खिल उठी. तभी उसके मन में विचार आया. उस वीरान जगह पर वह अकेली थी. फिर भी उसने इधर उधर देखा और एक छोटे से कोने में ओट ली जो की झरने के किनारे के पास था. उसकी नज़रें नीचे को झुकी और वह अपनी साड़ी उतारने लग गयी. साड़ी उतार कर उसने एक कोने में रख दी
और उसके बाद उसकी उँगलियाँ अपने ब्लाउज के मध्य में गयी. अजंता ने अपने ब्लाउज के हुक खोलकर उसे भी उतार दिया और साड़ी के ऊपर ही रख दिया. अब उसके उरोज जो की ब्रा के बाहर आने को मचल रहे थे, की मध्य रेखा काफी हद तक उजागर थी बल्कि उरोजों का काफी हिस्सा नंगा होकर ब्रेज़री से बाहर आने को बेताब था.
उसके हाथ पीठ की ओर गए और उसने अपनी ब्रेसियर का हुक खोल दिया और कंधो से स्ट्रेप हटाकर उसे भी उतार दिया. उफ़ _ बड़े बड़े दो कलात्मक अजंता कीमूरत से उसके दोनों स्तन अब नंगे थे. अजंता ने दोनों हाथों से अपने उरोज हलके से दबाये और एक अंगराई ली - ओह माई पिल्लू .वह बोल उठी.

उसके बाद उसने पेटीकोट का नाडा खोल दिया और उसे पकड़ा कर अपनी बड़ी बड़ी छातियों को धक् लिया और ऊपर ही नाडा बाँध लिया. वह उस झरने में कूद पड़ी और बहते हुए ठन्डे पानी का आनंद उठाने लगी. अपने हाथों से वह पानी की लहरों से खेल रही थी. नहाते हुए अजंता को गुनगुनाना बहुत पसंद था वह हलके से गाने लगी और साथ साथ नहा रही थी. तभी अचानक उसके पैरों को कोई नीचे से खींचने लगा. वह एक दम घबरा गयी और उसने ऊपर आने को कोशिश की. पर खींचने वाले की पकड़ा काफी मज़बूत थी. वह जितना ऊपर आने की कोशिश करती उतना ही खींचने वाला उसे नीचे की ओर खींच रहा था. तभी दो बड़े बड़े मज़बूत बाज़ू पानी के ऊपर उठे और अजंता के इर्द गिर्द घूम गए. अजंता जो की अभी अपने वक्षस्थल तक पानी में थी तड़पने लगी. अचानकुण्डों हाथों ने अजंता के पेटीकोट का नाडा खोल दिया. और अजंता का पेटीकोट उसके शरीर से फिसल कर झरने के ऊपर तैरने लगा. अजंता ासाहस्य अपने पेटीकोट को देख रही थी पर मज़बूत बाज़ुओं में जकड़े होने के कारण वह कुछ न कर पायी. उसका श्री अब बिलकुल नंगा था. और उन हाथों की पकड़ और भी अधिक मज़बूत होती जा रही थी.अजंता ज़ोर से चिल्लाने लगी.
थर्र्र थरर्र्र टर्रर्र - तभी अजंता के फ़ोन की घंटी बजी और वह घबराकर उठ बैठी. उसने पाया की वह सपना देख रही है. उसका पूरा बदन पसीने से पानी पानी हो रहा था
थैंक गॉड यह सपना था - वह स्वयं से कह उठी.
तभी अजंता ने झट से फ़ोन उठाया -यस सर
कमिश्नर - अजंता सॉरी -लगता है तुम गहरी नींद में हो
अजंता - इट्स ओके सर. में आपके ऑफिस आती हूँ फिर बाकी बात करते हैं.
कमिश्नर - ठीक है
अजंता पुलिस की यूनिफार्म में माथे पर बिंदी और सिर पर पुलिस की कैप बेहद आत्मविश्वास के साथ चलती हुई कमिश्नर साहिब के ऑफिस में पहुंची
अजंता - जय हिन्द सर
कमिश्नर - जय हिन्द . बैठो. अजंता में तुम्हे यह बताना चाहता हूँ की शैतान सिंह से हमने और पूछ ताछ की. हमे शैतान सिंह से किसी अन्य जानकारी का पता नहीं लगा. हाँ एक बात उसने कही की वह एक दो बार स्वामी के आदमियों के संपर्क में आया तो उसने चीते के पांव जैसे शब्द कई बार सुने.
अजंता ने दोहराया - चीते के पांव - कहीं इसका सम्बन्ध उस दुर्गम मार्ग से तो नहीं.
कमिश्नर - कुछ कहा नहीं जा सकता. अजंता जंगल तो तुम्हे जाना ही होगा और वह भी अन्य वेश में. तुम्हारे साथ २ से जयादा आदमी भी नहीं होंगे. हाँ वहां का फारेस्ट डिपार्टमेंट है जो तुम्हारे साथ जो भी चाहे सहयोग हो देगा.
अजंता - ठीक है सर. मेरा एक प्लान है
और वह अत्यंत धीमे स्वर में कमिश्नर साहेब से कुछ कहने लगी.
अगले दिन अजंता ने जंगल जाने की तैयारी कर ली. उसने एक काले रंग की जारजट की पारदर्शक साड़ी पहनी जिसमे उसका रूप खूब खिल रहा था. और साथ ही में सफ़ेद स्लीवलेस ब्लाउज.


उसके साथ दो कॉन्स्टेबल्स भी थे जो की सादी वर्दी में थे. काली साड़ी में अजंता का स्पॉट पेट और गोल नाभि उभर कर दिख रहे थे और वह बहुत सुन्दर लग रही थी.


वह लोग जंगल में एक रिसर्च स्कॉलर की भाँती जा रहे थे जो की फूल पत्तियों पर शोध कार्य करते हैं उनके पास ऐसी कोई वस्तु न थी जो की उनके पुलिस डिपार्टमेंट से होने से तलूक रखती हों. हाँ अजंता ने अपना आइडेंटिटी कार्ड ऐसे छुपा के रखा था की कोई तलाशी भी ले तो न जान सके. उनके पास एक साधारण गाडी थी जिसमे कैंप करने का सामन और एक ड्राइवर था जिसे की सफर की एक सीमा तक ही उनके साथ रहना था.
उसके साथ दो कॉन्स्टेबल्स थे राम सिंह और श्याम जो की कमिश्नर साहिब के ऑफिस से थे और जिन्हे खास तौर पर इस मिशन के लिए यह कह कर भेजा गया था की उन्हें बोलना काम और काम पूरा करना है जैसा की अजंता कहे और गोपनीयता बना कर रखनी है.
अजंता ने जंगल तक का सफर तय किया और वह वहां के फारेस्ट विभाग में पहुंची.फारेस्ट अफसर अजंता की ही वेट कर रहा था.अजंता जैसे ही उसके केबिन में अंदर गयी वह खड़ा हो गया- गुड मॉर्निंग इंस्पेक्टर अजंता
अजंता ने हाथ मिलते हुए - ओफ्फिसर इंस्पेक्टर अजंता नहीं रिसर्च स्कॉलर अजंता -मेरा मतलब दीवIरों के भी कान होते हैं.
अफसर मुस्कुराया - जी मैडम. अच्छा मैंने आपके और आपके आदमियों के लिए कुछ चाय और नाश्ते के इंतज़ाम किया है. फिर हम काम पर लाग जायेंगे.
अजंता मुस्कुरायी - बिलकुल सर - हमे भूख भी लगी है.
नाश्ते के समय फारेस्ट अफसर ने अजंतासे कहा - मैडम आपके साथ हमारे विभाग के दो लोग रहेंगे जब तक आप अपनी फाइनल लोकेशन को लोकेट नहीं कर लेतीं और हमरे पास सूटेबल इक्विपमेंट और यन्त्र भी हैं जिससे आप जो ढूँढ़ने आयी हैं वह सहयक रहेगा. बट मैडम वोई नीड तो बे लकी फॉर देट.
अजंता - क्या मतलब
अफसर - मैडम हम आपको इसकी शुरुआत तो खुद ही दे देंगे. पर उसके बाद का ट्रैक मिलना. मेरा मितलाब यह एक हिट एंड ट्रायल जैसा काम है.
अजंता - अफसर जब इरादे पक्के हों और पूरी डेटर्मिनेशन तो में समझती हूँ कोशिशों को कामयाब होने में देर नहीं लगती. आयी ऍम शोअर की आपने जो म्हणत अभी तक की है हमे शुरुआत से ही कामयाबी मिलेगी.
फारेस्ट अफसर - जी मैडम में भी कुछ वक़्त आपके साथ ही होऊंगा.
नास्ते के बाद अजंता के गाडी और फारेस्ट विभाग के तीन लोग (जिसमे अफसर भी शामिल था) जंगल की और निकल पड़े.
कुछ दूर जाने के बाद एक जगह उस अफसर ने गाडी रोक दी. और अजंता को एक कोने में ले गया. मैडम - यह देखिये हमने कल यहाँ एक निशान लोकेट किया है जो की चीते के पांव जैसा है. में समझता हूँ की हमे यही से शुरुआत करनी चाहिए.
अजंता ने एक कोने में देखा उसने उस निशान की एक फोटो ली और विभाग के एक आदमी को एक यन्त्र निकलने को कहा -उसने मोबाइल जिससे फोटो ली ठगी उसी यन्त्र में फिट कर दिया. कुछ आगे चलने पर उसे कुछ सिग्नल दिखे.
अजंता ने नीचे झुककर देखा तो वहां पास ही एक छोटी सी नदी थी और आस पास किनारे पर रेत. तभी उसने नीचे झुककर रेत एक एक हिस्सा उठाया.और जो उसने देखा उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी. उसने अपने साथ आये सब लोगों को वहां एकत्रित किया और कहा - यह देखिये.
जब प्रश्नसूचक दृष्टि से उसकी और देखने लगे.
अजंता - अफसर मैंने आपसे कहा था की आपकी की गयी मेहनत कामयाब होगी. तो यह देखिये.
राम सिंह - मैडम हम कुछ समझे नहीं.

अजंता - रेत पर चीते के पांव के यह पक्के निशान. और इसे हाथ लगाकर देखें.
सबने देखा की वहां रेत के नीचे ज़मीन बहुत पक्की थी.
अजंता - रेत के नीचे इतनी सख्त और पक्की ज़मीन ? यह कुदरती नहीं बल्कि बनाया गया है. आप आगे इस रास्ते पर चलें. सब चलते गए और देखा की उस यन्त्र की सहयता से कई जगह पर उन्हें चीते के निशान मिल गए.
अफसर - इसका मतलब मैडम हम उस होपफ़ुल्ली उस पहाड़ी को लोकेट करने जा रहे हैं जहाँ तक यह निशान हैं. क्योंकि यह एक बहुत ही सुनिश्चित और कहें तो एक रेगुलर रास्ता बनाया गया है. लेकिन यह बात नहीं समझ आ रही की इस रास्ते को खास तौर पर बनाने के पीछे क्या मक़सद हो सकता है.
अजंता - यह तो सचमुच सोचने की बात है. और वह सोच में डूब गयी.
आगे चलते चलते उन्हें वह पहाड़ी नज़र आ गयी जिसको पार करके एक गाओं था और बगल में ही स्वामी ने अपनी चौकी बनवायी थी. उन्होंने वह सब लोकेट कर लिया और अपना आगे का प्लान तय कर लिया. लेकिन तब तक शाम हो चली थी. अजंता और उसके दो साथियों तथा फारेस्ट विभाग के दोनों लोगों ने कैंप लगा लिया. अजंता के लिए एक अलग से कैंप था जिसमे वह खुद ही थी. सब लोग थक चुके थे. वहां दोनों कॉन्स्टेबल्स ने लकड़ी जलाई कर रौशनी की, फिर उन्हें भोजन किया और साथ साथ ही चाय पी.
फारेस्ट विभाग के लोगों ने कहा - मैडम हम सुबह पहाड़ी पार कर के आपके साथ उस गांव की सीमा तक जायेंगे. उसके बाद का सफर आपको तय करना है.
अजंता - ठीक है.
चाय और भोजन के बाद वह अपने कैंप में आ गए. उन लोगों ने जहाँ कैंप किया था वहां पर एक छोटी सी नहर भी थी.
अजंता भी थक गयी थी. उसने अपनी साड़ी उतर कर टांग दी और उसके बाद अपने ब्लाउज और पेटीकोट भी उतार दिया. उसके बाद उसने अपने भीतरी वस्त्र भी उतार दिए और पूरी तरह से नंगी हो गयी. वह घर की भाँती पूरी तरह से सोने का सामन तो नहीं परन्तु एक हाफ क्रीम कलर की नाइटी और काले रंग की एक छोटी सी ब्रा और पेंटी लेकर आयी थी हालांकि वह सफ़ेद के अलावा कोई अन्य रंग के अंदरूनी वस्त्र नहीं पहनती थी या बहुत कम पहनती थी.
यह सब वस्त्र उसकी नग्नता को छू[आने के लिए पर्याप्त नहीं थे. परन्तु अजंता को बस एक रात वहभी अकेले इस कैंप में गुज़ारनी थी. इस वेष्भुशा में उसका रूप निखार रहा था. उसकी ब्रा जो की एक मिनी ब्रा ही थी में से उसके बड़े बड़े पिल्लू बाहर आने को तैयार थे और आधे से अधिक नंगे थे. और उसकी लम्बी चिकनी और गोरी मुलायम टाँगे तो पूरी ही नंगी थी.
उसने अपनी नाइटी की डोर बाँधी और लेट गयी. पर तभी उसे कुछ ध्यान आया और वह उठ गयी. उसने इधर उधर देखा तो पाया की उसके सब साथी सो गए थे. उसने अपना मोबाइल उठाया और नंबर लगाया - गुड इवनिंग सर .
उधर से कमिश्नर की आवाज़ आयी - गुड इवनिंग अजंता - व्हाट इस उप.

अजंता - सर हमने वह गांव लोकेट कर लिया है और अब एक चैलेंज एहि होगा की उस चौकी को पार करके स्वामी के आश्रम में घुसना. आयी होप मेरी दी हुई डिरेक्शंस से आप मुझे लोकेट कर रहे हैं.
कमिश्नर - हाँ अजंता. और एक खबर यह है की स्वामी अभी दो दिन बाद ही हिंदुस्तान आ रहा है.
अजंता - ठीक है सर शायद यह हमारे फेवर में ही हो. क्योंकि मुझे आश्रम में घुसकर जल्दी से पुलिस को यहाँ अटैक करने का रास्ता बताना है. अच्छा एक गौर तलब बात है.
कमिश्नर - क्या ?
अजंता - सर वह चीतः के पांव के निशान ही हमे हमारी मंज़िल तक लाये हैं.
कमिश्नर - गुड . इसका मतलब हमारा अंदाज़ा काफी हद तक सही था.
अजंता - सर सोचने लायक बात यह है की वह निशान कुदरती नहीं हैं और ख़ास तौर पर बनाये गए हैं. और दूसरी बात यह है की इस जंगल में चीता तो क्या कोई अन्य जंगली जानवर भी नहीं हैं.यह जंगल कहलाया ही इसलिए जा रहा है क्योंकि यह एक आइसोलेटेड जगह है. फिर यह निशान एक ऐसे बने हुए हैं जिनसे किसी का कोई भी मक़सद साबित नहीं होता.
कमिश्नर - अजंता तुम कहना क्या चाहती हो.
अजंता -सर अगर आप सच पूछें तो में अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच सकती. पर में फिर कहूँगी की इस रास्ते कोई अन्य मक़सद नज़र नहीं आ रहा.अच्छा एक बात बताईये - जब आप शैतान सिंह से इसके बारे में पूछ रहे थे तो उसके क्या हाव भाव थे
कमिश्नर - अजंता उसने सिवाए इसके की यह शब्द उसने स्वामी के आदमियों से सुने और कुछ नहीं बता पाया. और न ही उसके बात करने के तरीके में हमे कोई इस दौआर्ण कोई फर्क नज़र आया. अजंता - ठीक है सर. आप हमे ट्रैक करते रहिये. बाकि आपको में कल बताती हूँ.
कमिश्नर - ओके अजंता - बेस्ट ऑफ़ लक.
अजंता - थैंक यू सर
और अजंता गहरी नींद में सो गयी. जब अजंता की नींद खुली तो तक़रीबन सुबह के पांच बज रहे थे और अभी कुछ अँधेरा था. बाकि सब लोग अभी सो रहे थे. अजंता ने उनके जागने से पहले नहर में नहा कर तैयार होने का फैसला कर लिया.

वह एक टोलिया रख कर नहर के किनारे पहुंची और उसने सुबह की ठंडी हवा में अंगराई ली. वातावरण काफ़ी मोहक था और आस पास का दृश्य मनोरम.
अजंता ने नाइटगाउन की डोर खोल कर उसे उतर दिया. उसके बदन पर एक छोटी सी काली ब्रा और कच्ची मात्र रह गए. जिसमे उसका गुलाबी गोरा बदन उघड़ कर बाहर आ रहा था. उसने अपनी ब्रा और कच्छी भी उतार दी और पूरी तरह से अपने नंगे शरीर को नहर के हवेली कर दिया. नहर के ठन्डे पानी में नहाना उसे अच्छा लग रह था और यदि उसे जल्दी न होती तो वह और देर तक नहाती. वह अपने विभिन्न अंगों को हाथों से मलने लगी.
उसके उरोज पानी में कर भी ज्यादा चमकने लगे. वह मुस्कुराती हुई नहा रही थी और इस बात से बिलकुल अनभिज्ञ थी की उसे दो आँखें दूर से देख रही हैं. न केवल देख रही हैं बल्कि उसकी तस्वीरें भी ले रही है.
उसे निहारने वाली दो आँखों का स्वामी एक बहुत ही विचित्र सा दिखने वाला था - वह क्या बड़े बड़े पिल्लू हैं. मज़ा आएगा. और वह अपनी धोती उतार कर अपना अंग जो की अजंता को देख कर उफान मार रहा था और एक दम तन कर खड़ा हो चूका था उसे रगड़ने लगा.और वह तब तक रगड़ता रहा जब तक उसकी बर्फ पिघल नहीं गयी.
इस बात से बेखबर अजंता नहर से बाहर आयी और अपने नंगे शरीर को तोलिये से पौंछ कर फिर से अपने वह कपडे पहन लिए.
तब तक उसके साथी भी उठ चुके थे.
कुछ ही देर में सबने देखा की अजंता ने भगवा साड़ी पहन कर एक साध्वी के वेश अपना लिया था. पर इस साड़ी और वैसे ही ब्लाउज में वह काफी हसीं लग रही थी. जल्दी ही उसके कॉन्स्टेबल्स ने भी साधुओं के चेलों के भांति भगवा कपडे पहन लिए और कुछ वेश भी बदल लिया. अपने हाथों में उन्होंने कुछ वैसी सामग्री ली जिससे की वह कोई साधुओं की टोली नज़र आएं. कुछ दूर चलने के बाद उन्हें पहाड़ी नज़र आ गयी जिसको की नीचे से होकर गुज़ारना था. वहां पर एक छोटी सी गुफा थी जो की लगभग एक किलोमीटर पर थी. वहां रौशनी बहुत कम थी. और सब एक दम सावधानी से चलने लगे. एक ने टोर्च निकल ली. अजंता इधर उधर देखती हुई चल रही थी. तभी वहां उसे कुछ कागज़ के टुकड़े नज़र आये जिनमे किसी आदमी की आम लिखावट जो की बहुत अच्छी नहीं लेकिन बहुत ख़राब भी न थी. अजंता ने वह टुकड़े उठाये और पास ही एक छोटे से चबूतरे के पास खड़ी होकर उन्हें जोड़ने का यत्न करने लगी. सब लोग प्रश्नसूचक दृष्टि से उसके आस पास खड़े हो गए.
अजंता ने उन कागज़ों को जोड़ा तो उसको कुछ ऐसा लिखा मिला जो की आधा अधूरा था - निशानों की डिटेल्स - वह एक नक्शा भी बना था जिसमे कुछ एक जैसी मार्किंग थी - नीचे लिखा था चीते के पाँव. और वाले हिस्से पर किसी लीजेंड की तरह पांच अलग अलग रंगों के पत्ते बने हुए थे और सब पर १ से ५ तक गिनती लिखी थी. पास ही वैसे ही रंगों के कुछ पत्ते ज़मीन पर गिरे हुए थे. अजंता ने पिछले वाले हिस्से को और गौर से देखा तो उसमे दो लकीरें खींचकर एक सड़क की तरह दिखाया था और लिखा था गोपालपुर रोड. फिर उन्ही के मध्य से दो लकीरें विपरीत दिशा में खींच कर एक मार्ग बनाया था जिसमे वह पत्ते अलग अलग रंगों में अंकित होकर उससे एक निशान से जोड़ रहे थे. और उस निशान पर लिखा था - ASHRAM
अजंता तुरंत हरकत में आयी और सबको बुला लिया - और वह सब दिखाया जो उसने देखा. वन विभाग के अफसर ने तुरंत कहा - अरे मैडम गोपाल पुर रोड तो मेघालय और बांग्लादेश को _ _ _ उसने एक यन्त्र निकाला और उसे ऑपरेट करना शुरू कर दिया. जहाँ वह लोग खड़े थे उसके दाहिनी और एक बहुत बेदी लाल रंग की रौशनी उस यन्त्र से इशारा करने लगी. सबकी आँखों में चमक आ गयी. उन्होंने तुरंत पहाड़ी से निकल कर थोड़ा ऊपर चढ़ना शुरू किया तो उन्हें वह सब नज़र आ गया जो वह देखना चाहते थे. दूर एक बहुत भव्य आशाराम नज़र आ रहा था. दाहिनी ओर वहां एक गांव था ओर वहां से उन्हें सवारी मिलनी थी उस आश्रम की ओर जाने की. और गोपाल पुर रोड उस आश्रम के पिछले हिस्से में था.
अधिकारी - कॉन्ग्रैचुलेशन्स मैडम - मुझे लग रह है आपका आधा काम हो गया.
अजंता - शायद. लेकिन अभी खुश होने का समय नहीं. आप यह काग़ज़ा संभल लें और इन्हे चिपका लें .और आपको अब क्या करना है मुझे बताने की ज़रुरत नहीं.
अधिकारी - हाँ मैडम (इधर उधर देखते हुए) - में कल ही कमिश्नर साहिब से मिलूंगा - भेष बदल कर.
अब अजंता के सामने एक और भी समस्या थी - चौकी को लांघने की. उसने वन विभाग के अधिकारीयों को धन्यवाद् करके विदा ली और तीनो गांव की ओर चल पड़े.
गांव की सीमा पर ही चौकी थी. वहां उन्हें दो तीन गुंडे नज़र आने वाले लोग मिले. अजंता ने अपने मुँह घूँघट करके ढका हुआ था.
उनमे से एक बोला - आए कौन हो तुम लोग.
साधु के वेश में राम सिंह - अरे देखते नहीं हम देवीजी के साथ हैं - हमे स्वामीजी के आश्रम जाना है
दूसरा बोला - यहाँ पर ऐसे ही किसी को नहीं जाने दिया जाता - कर देना पड़ता है और _ _ _ _वह अजंता की ओर मुँह करके बोला - इनका चेहरा दिखाओ.
राम सिंह - क्या बात करते हो यह हमारी देवीजी हैं - साध्वी हैं.- तुम इन्हे _ _
अजंता ने उसे रोका ओर उस आदमी की ओर देख कर बोली - ठीक है भैयाजी - हम घूँघट हटा देते हैं - पर स्वामीजी के आश्रम पहुंचना बहुत ज़रूरी है.
ओर उसने अपने घूँघट हटा दिया - अजंता का बेहद सुन्दर चाँद सा चेहरा उन लोगों के सामने था.
दोनों एक पल के लिए चकित हुए ओर फिर एक दुसरे की ओर देखा - उनके चेहरों पर एक वेह्शी मुस्कान आ गयी - ओर आँखों में एक अजीब सी चमक - ठीक है तुम लोग सामने से बैल गाडी लो ओर जाओ. वह तुम्हे आश्रम से १.५ किलोमीटर दूर उतारेगी . वहां से पैदल चल कर जाना होगा.
अजंता - ठीक है भैया - आपका धन्यवाद
कहते ही तीनो चल पड़े ओर बैल गाडी में सवार हो गए. पर अजंता अब और चकित हो गयी. उसे बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी की वह इतनी जल्दी और इतनी आसानी से इस चौकी से पार हो पायेगी वह भी तब जब यहाँ स्वामी के गुंडे बैठे हुए हैं. - कुछ बात है ज़रूर. पहले वह चीते के नक़ली पांव और अब.

वह तो यह सोच रही थी की हमेशा के तरह गुंडे उस पर हमला करेंगे और उसे अपनी वासना का शिकार भी बनाना चाहेंगे. - पर यहाँ तो उन्होंने पूछ ताछ भी नहीं की और उनकी कोई तलाशी भी नहीं ली गयी.
राम सिंह - चलिए मैडम यह तो बहुत आराम से हो गया
अजंता - नहीं राम सिंह - कुछ गड़बड़ है. हमे बहुत सतर्क रहना होगा.
जब वह बैल गाडी से उतरे तो अजंता ने उन दोनों से यही कहा - वक़्त कम है. हमे उन पत्तों के रहस्य को पूरी तरह से कन्फर्मेशन करना है. और कोई भी नक़्शा मिले तो एक दुसरे को दिखाना है.हम ज्यादा से ज्यादा साथ रहेंगे और कोड वर्ड में बात करेंगे - बात भी बहुत कम से कम
दोनों ने कहा - जी मैडम
अजंता जैसे ही आश्रम में पहुंची वहां के मैं गेट में फिर पूछ ताछ की गयी परन्तु उन्हें अंदर आने में कोई ख़ास देर नहीं हुई.
अजंता जैसे ही अंदर पहुंची आशा के अनुसार उसे काफी भव्य नज़ारा दिखाई दिया. बस उनसे एक गेहुआ वस्त्र धारण किये आदमी और स्त्री ने कुछ फॉर्म्स भरवाए आश्रम की एक से एक वस्तु बेशकीमती थी और अंदर का हॉल उसके अंदाज़े से भी काफी बड़ा था.
आस पास कई सेवक और उनमे भी अधिकतर सेविकाएं घूम रही थीं जीके हाथों मैन सर्व करने के लिए ट्रे और जग इत्यादि थे जिसमे वह लोगों को खाने और पीने की वस्तुएं सजा कर दे रही थीं.सेविकाओं ने साड़ी कुछ ऐसे बनधी थी की उनकी टाँगे काफी हद तक नग्न थीं. और वक्षों को एक गेहुआ रंग की छोटी सी चोली से ही ढका गया था.
तभी अजंता की नज़र हॉल के मध्य मैन गयी. वहां एक अधेड़ उम्र की स्त्री बैठी थी जो शायद ध्यान लगा रही थीं.
एक भक्त ने कहा - यह श्रद्धा देवी हैं. यहाँ आश्रम मैन स्वामीजी की अनुपस्थिति मैन यही सब देख रेख करती हैं. और उस सेवक ने श्रद्धा देवी की ओर देख कर कहा - स्वामिनीजी यह ___
श्रद्धा देवी बीच मैन ही बोल पढ़ी - देवीजी हैं जो आश्रम मैन स्वामीजी से मिलने ओर उनकी सहरन लें आयी हैं. यह ओर इनके दोनों चेले साधु हैं जो ईश्वर की तलाश मैन भटक रहे हैं.
अजंता ने चकित होने का अभिनय किया ओर दोनों हाथ जोड़कर उन्हें प्रणाम किया - श्रद्धा देवी आप तो तो अंतर्यामी है.
श्रद्धा देवी - बेटी तुम ओर तुम्हरे साथियों का आश्रम मैन स्वागत है. परन्तु स्वामीजी तो कल सुबह आएंगे. शायद कल शाम को ही तुमसे भेंट हो सके.हमने तुम्हIरे रहने का प्रबंध कर दिया है.
अजंता - आपका बहुत बहुत धन्यवाद. बस एक निवेदन है की मेरे दोनों साथियों को बीच बीच मैन मुझसे मिलने दिया जाये क्योंकि यह मेरी सेवा करते हैं ओर इनके बिना _ _ _
श्रद्धा देवी - ठीक है
अजंता को एक कमरा देइया गया ओर बगल मैन ही राम सिंह ओर श्याम भी एक कमरे में एडजस्ट हो गए. थोड़ी ही देर में अजंता ने एक आस पास घूमते सेवक को बुलाया ओर उन दोनों को भी अपने कमरे में बुला लिया. - वह पूछने लगी - भैया हम स्वामीजी से मिलकर मोक्ष प्राप्त करना चाहते हैं. सेवक ने कहा - इस आश्रम मैन उन्हें वह सब मिलेगा जो वह चाहते हैं.
अजंता - हम यहाँ कितने दिन रह सकते हैं भैया
सेवक - यह तो स्वामीजी ही बताएँगे
अजंता - तुम्हारा यह आश्रम तो बहुत भव्य है. क्या हमे थोड़ा दिखा सकते हो.
सेवक (सोच मैन पड़ गया) - जी वह _ _वह _ _
अजंता - क्या हुआ भैया ?
सेवक - जी एक हिस्से तक तो घुमा सकते हैं पर बगल वाला हिस्सा - वह मुहे मालूम नहीं.
अजंता - कोई बात नहीं - जितने देखा दो वही सही. अभी आश्रम मैन उनकी एंट्री हो रही थी की जो आदमी गेट पर था उसे फ़ोन आया - उसने उत्तर मैन अभिवादन किया ओर कहने लगा - क्या स्वामीजी कल आ रहे हैं.- तो उनके हेलीकाप्टर _ _ _क्या अच्छा अपनी गाडी से हाईवे से आएंगे. ठीक है मैन पांच पत्ते पर दो ओर गाडी भिजवा दूंगा. तभी अजंता को देख कर वह तुरंत बोलै - अरे आप लोग यहाँ क्या कर रहे हैं - अंदर जाईये न. अजंता ने कहा - हाँ भैया हमारा फॉर्म तो साइन करो - ओर वह तुरंत समझ गयी की नक़्शे के अनुसार ओर इसकी बातचीत से साफ़ ज़ाहिर है. के पत्तों से बनाया वह रास्ता गोपाल पुर से कनेक्टेड है.
अजंता ओर उसके दोनों साथी आश्रम में घूमने लगे.तभी एक खिड़की के बाहर दाहिनी ओर अजंता ने इशारा किया - भैया आश्रम के उस हिस्से में क्या है - वह भी काफी बड़ा है - क्या वहां पर भी भक्त ठहरते हैं?
सेवक (कुछ उखड़े स्वर में ) - वह मुझे नहीं मालूम - देवीजी आप ज्यादा सवाल न पूछें
अजंता ने मुस्कुराते हुए कहा - ठीक है. लेकिन उस सेवक को यह नहीं मालूम था की अजंता ने दो हथियार बंद आदमी वहां घुसते देख लिए थे.वह समझ गयी की वहां कुछ अन्य गैर कानूनी काम होते हैं.
तब अजंता को दूर एक ऐसा पेड़ नज़र आया जिसका रंग उसने नक़्शे में देखा था - वह पेड़ कितने अनोखे हैं. उनके पत्तों के रंग कितने अलग है. क्या वहां भ्रमण कर सकते हैं .
सेवक - नहीं वहां सिर्फ बाहर से आने वाले या उनकी गाड़ियां _ _ _ वह मतलब - कुछ नहीं मालूम नहीं मुझे _ _ आप स्वामीजी से कल पोछ लीजिये. - ओर अजंता ने देखा के सेवक के चेहरे का रंग उड़ गया
अजंता ने प्रत्यक्ष रूप में तो यह कहा की - ठीक है है भैया पर उसे अपने सवाल का जवाब मिल गया था. तीनो ने आँखों ही आँखों में एक दूसरे को हल्का इशारा किया. बाद में तीनो ने भोजन किया ओर एक बार अपने इन दोनों 'भक्तों' को अपने कमरे में आने की अनुमति मांग ली.
वह दोनों आकर अजंता के पैर दबाने लगे (दरअसल अजंता को शके हो गया था की उनकी हर गतिविधि पर नज़र राखी जा रही थी ) इस लिए उन तीनो ने ऐसे ही बर्ताव किया मनो जैसे वह बन कर आये थे.
दोनों (यानि राम सिंह ओर श्याम - देवीजी के पैर दबाने लगे.)
अजंता - तुम लोग अब विश्राम करना. कोई अच्छी बात नज़र आये आश्रम की तो हम देखना चाहेंगे.
राम सिंह - देवीजी हमे शहर में अपने मठ को बताना होगा की हम कितने दिन में लौटेंगे.
अजंता - हाँ में अनंदा स्वामीजी से बात कर लूंगी - चलो तुम लोग जाओ में अब ध्यान लगा कर विश्राम करुँगी.
दोनों अपने कमरे में लौट गए. अजंता ने कमरे के हर तरफ नज़र दौड़ाई.
अजंता ने कमिश्नर साहिब से संपर्क करना था ओर पूरी पुष्टि करनी थी की जो इनफार्मेशन मिली या नहीं ओर आगे की कार्यवाही - वह यही सोच रही थी कमरे में कोई कैमरा हुआ तो वह मोबाइल पर बात करते हुए पकड़ी जा सकती है. वह साथ ही जुड़े टॉयलेट में गयी.पर उसे शके था की ज़रूर वहां भी कैमरा जाई कोई चीज़ हो सकती है.
लेकिन टॉयलेट के किसी कोने में उसे ऐसा कुछ नज़र नहीं आया.वह अपनी साड़ी ऊपर उठाकर पेशाब करने के बहाने क्लोसेट पर बेथ गयी ओर फ़ोन मिलाया
उधर से आवाज़ आयी - अजंता
वह तुरंत बोल पढ़ी - पुजारीजी देवी बोल रही हूँ. यहाँ पर स्वामीजी कल पधारेंगे ओर में श्याम को उनसे मिल पाऊँगी. और हाँ वह भक्तजन सुबह आपसे मिले या नहीं.
उधर से आवाज़ आयी - हाँ मिल गए हैं. पर अभी और कितने भक्त आएंगे मंदिर में बताओ
अजंता - ठीक है आपको मैसेज भेजती हूँ.
और उसने मैसेज भेजा - पत्तों वाला रास्ता - गोपालपुर से जुड़ा - कल का ऑपरेशन.
उधर से मैसेज आया – फाइन.
अजंता अब कमरे में आकर सो गयी. शाम को वह तीनो पूजा में समिल्लित हुए और वहां के कार्य कलाप देखते रहे.
लेकिन अजंता को उस रात भी जागना था - इसी लिए वह शाम तक अच्छी तरह सोई. वह देखना चाहती थी की और कोई अतिरिक्त ऐसी बात पता चल जाये जो की उनके काम की बात हो.
उसने किसी तरीके श्रद्धा देवी के कमरे का पता कर लिया. उसने फैसला किया की जैसे भी हो वह इस पर रात को नज़र रखेगी. रात को भोजन के बाद वह छुपती छुपाती आश्रम के पिछले हिस्से से किसी तरीके श्रद्धा देवी के कमरे तक पहुंची और आस पास देखते हुए अंदर की ओर झाँका - वह चकित रह गयी.
अंदर श्रद्धा देवी अर्धनग्न अवस्था में एक अपने से कई साल छोटे युवक से लिपटी हुई थी और उस कमरे ज़ोर शोर से रास लीला चल रही थी .
उसी विशाल कमरे में एक दो और जोड़े भी काम क्रियाओं में व्यस्त थे.
अजंता ने कुछ देर यह नज़ारा देखा और एक दो और कमरों में भी झाँकने में सफल हो गयी. वहां भी यही सब चल रह था.उसके बाद उसने वहीं दाहिनी तरफ देखा तो पाया की जहाँ उसने सुबह कुछ हथियार बन लोग देखे थे वहां पर से कुछ ट्रक और गाड़ियों में बड़े बड़े बक्से लोड होकर कहीं ले जाये जा रहे हैं .ट्रक चलते समय उसी दिशा में जा रहे थे जहाँ पर से विभिन्न रंगों के पेड़ों का रास्ता शुरू होता था. इतना तो वह अब समझ चुकी थी की वही रास्ता है जहाँ से सब आना जाना होता है इन आश्रम वालों का. और यह रास्ता किसी और की नज़र में नहीं आया था. सहसा लोड होते ट्रक में से एक बक्सा नीचे गिर कर खुल गया तो अजंता ने देखा की उसमे ग्रेनेड्स और बंदूकें थीं. - तो हथियारों की स्मगलिंग चल रही है.
अजंता अब सावधानी पूर्वक वापस आ गयी और अपने कमरे में सो गयी.
अगले दिन स्वामी का आगमन हुआ. काफी ज़ोर शोर से स्वामी अघोर बाबा का स्वागत किया गया . स्वामी अघोर बाबा कोई लगभग ५० साल का लम्बे चौड़े शरीर और रॉब दार व्यक्तित्व का स्वामी था. उसकी आँखों में एक ऐसी चमक थी जिसे की कोई भी आकर्षित हो सकता था और चेहरे पैर तैरती मुस्कराहट.उसके आते ही भक्तों ने उसे जाकर प्रणाम करना शुरू कर दिया. श्रद्धा देवी स्वामी के बिलकुल ही बगल में बैठी थीं. उन्होंने अजंता को इशारे से बुलाया. अजंता और उसके दोनों साथी हाथ जोड़जर प्रणाम करते हुए स्वामी के पास आ गए.
श्रद्धा देवी - स्वामीजी यह देवीजी हैं जो की कल ही यहाँ पधारी हैं.कुछ दिन यहाँ रहकर शिक्षा ग्रहण करेंगी
स्वामीजी ने सर से पैर तक अजंता को निहारा jo की सफ़ेद साड़ी में थी और किसी अप्सरा से कम नहीं lag रही थी.
- देवीजी आज शाम को चार बजे हम आपसे स्वयं आपके कक्ष में मिलेंगे
अजंता ने सर झुका कर अभिवादन किया- में उस पल की प्रतीक्षा करुँगी स्वामीजी.
उसने देखा दोनों एक दुसरे की ओर देख कर मुस्कुरा रहे थे. शाम के चार बज गए थे. अजंता को मनो इसी पल का इंतज़ार था. (वैसे भी उसके ऑपरेशन के शुरू होने का समय ५ बजे था). उसे यही चिंता थी की अब पुलिस फाॅर्स यहाँ समय पर पहुँच कर अपनी कार्यवाही शुरू कर दे. शाम को चार बजे अजंता को स्वामी के कक्ष में भेज दिया गया. अजंता चकित थी की पहले तो वह स्वयं आने की बात कर रहा था. खैर वह जब स्वामी के उस कक्ष में पहुंची तो स्वामी ध्यान में डूबा था - नौटंकी बाज कहीं का. अजंता ने सोचा.
फिर लगभग १० मिनट के इंतज़ार के बाद स्वामी ने ध्यान तोडा. वह अजंता की ओर देख कर मुस्कुराया. - आईये देवीजी
अजंता - कहिये स्वामीजी .
स्वामी- में आपको ख़ास तौर पर इसी लिए यहाँ बुलाया है की मैं आपको कुछ दिखा सकूँ.पर उससे पहले आपसे यह कहना है की दो दिन बाद जब मैं फिर से विदेश जाऊंगा. तो आप मेरे साथ जाएँगी और मेरे हर काम मैं मेरा साथ देंगी.
अजंता - क्या मतलब?. मेरा तो ऐसा कोई प्रयोजन नहीं था.
स्वामी - यहाँ पर जो भी व्यक्ति हमारे पास आता है उसके हर प्रयोजन या कार्यकर्ता हम ही डीसाइड करते हैं देवीजी यानि की इंस्पेक्टर अजंता.
अजंता ने छौंकर उसकी ओर देखा . तभी स्वामी ने एक स्क्रीन लगाया ओर अजंता ने देखा की उसके दोनों साथी उसकी गिरफ्त मैं थे.
अजंता ने स्वामी की ओर देखा - अपने आप को बहुत चालक समझती हो अजंता - पर तुम्हे पता नहीं की हम यहाँ ऐसे ही इतने देशों मैं अपना कारोबार नहीं फैला कर बैठे हैं. अजंता - स्वामी तुम ?
स्वामी अघोर बाबा ज़ोर से हंसा - तुम खुद सोचो अजंता - चीते के वह नक़ली पैरों का रास्ता और फिर उसके बाद तुम्हारा इतनी आसानी से हमारे आदमियों बल्कि गुंडों की चौकी से निकल कर हामरे आश्रम मैं प्रवेश हो जाना. - तुमने अपनी बहादुरी बहुत दिखा थी अजंता - लेकिन अब तुम पूरी तरह हमारे चंगुल मैं हो. और हाँ एक बात - हम चाहते तो तुम्हे कभी भी अपनी गोलियों का शिकार बना सकते थे. पर क्या करें जब तुम्हारी तस्वीर हमे टाइगर ने दिखाई तो बस हम तुम्हे पाने के लिए तड़प उठे. तुम्हारी खूबसूरती ने हमे तुम्हारा दीवाना बना दिया.
अब तुम्हे अपना यह सहरीर तो हमे सौंपना ही होगा. जान बचने का एक मात्र तरीका यही है की की तुम हमारे साथ रहो और जहाँ हम कहें और जो काम हम दें _ _
अजंता - स्वामी मेरे आदमियॉं को अभी छोड़ दो मैं वह सब करने को तैयार हूँ.
स्वामी - ठीक है हम तुम्हारे आदमियों को छुड़वा देते हैं. और उसने फ़ोन के द्वारा अपने आदमियों को यही निर्देश दिया. स्वामी अब अजंता की ओर देखें लगा - क्या तुम्हारा यह सुन्दर ओर गुलाबी बदन कपड़ों मैं ही कैद रहेगा?
अजंता ने उसका अर्थ समझ लिया ओर उसके हाथ उसके बायें कंधे पर गए. उसने अपना पल्लू गिरा दिया ओर साड़ी उतारने लगी.
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#17
स्वामी - अरे अरे रुक जाओ. यह काम हम खुद करेंगे. हम तुम्हारेजवानी का रस एक एक स्टेज पर भरपूर तरीके से पीयेंगे ओर उसके बाद _ _
स्वामी ने अजंता को पीछे से थाम लिया और उसकी पीठ चूमने लगा. स्वामी अघोर बाबा ने अजंता को पीछे से पकड़ लिया. अजंता उसकी मज़बूत पकड़ से निकलने के लिए हल्का विरोध करने लगी. स्वामी लगातार उकसे कंधो के नंगे हिस्से पर चूम रहा था. उसने कमर में सामने से हाथ दाल कर अजंता की साड़ी के प्लीट्स निकल दिए और अगले ही पल अजंता की साड़ी कमरे के फर्श को चुम रही थी. मात्र पेटीकोट और ब्लाउज में ही अजंता के निखरे रूप ने स्वामी को पागल कर दिया.
वह झुक कर उसके नंगे पेट , कमर और नाभि पर चूमने लग गया. उसने फिर से अजंता को पीछे से कमर से पकड़ा लिया और अब उसके हाथ अजंता के ब्लाउज से खेलने लगे. उसने सारे हुक खोलकर पीछे से खुला हुआ ब्लाउज खींच कर साड़ी के ऊपर ही फेंक दिया. सफ़ेद ब्रा में कैद अजंता के बड़े बड़े उरोज लगभग ७०% नंगे थे और बाहर आने को तड़प रहे थे. स्वामी ने उसकी ब्रा खोल कर सामने से खींच ली. बस फिर क्या था. सामने का नज़ारा देख कर स्वामी तो जैसे पागल हो गया. अजंता के बड़े बड़े तने हुए कलात्मक उरोज स्वामी को निमंत्रण दे रहे थे. - वह तुम तो नाम ही नहीं बल्कि तन से भी अजंता की ही मूरत हो. और उसने अजंता को कास कर अपनी बाँहों में ले लिया और उसके होंठ और गुलाबी निप्पल्स को काटने लग गया. साथ ही उसकी उँगलियाँ अजंता की कमर पर चली और अजंता के पेटीकोट का नाडा खुल गया. पेटकीयत उसकी चिकनी और सुडोल टांगों से सरकता हुआ बिस्तर पर आ गिरा. स्वामी ने उसे भी पैर से ज़मीन पर उछाल दिया और स्वयं अपने कपडे उतार दिए. स्वामी ने देखते ही देखते अजंता की कच्छी भी उतार दी. अब अजंता पूरी तरह से नंगी थी. स्वामी भी अपने कपडे उतार चुका था और अजंता का ख़ूबसूरत शरीर जो उसे बुरी तरह उत्तेजित कर चुका था वह उत्तेजना उसके लिंग में नज़र आ रही थी जो की पूरी तरह तन कर एक नाग की तरह अपना फन उठाये बैठा था. स्वामी अब अजंता पर सवार हो गया और उसे बुरी तरह से नोचें खसोटने लगा. कभी वह उसके ऊपर के शरीर में मुँह भारत तो कभी उसकी गरम हो रही चूत पर अपने चुम्बन जड़ता. स्वामी काफी देर ऐसे ही करता रहा .उसके बाद उसका नाग पूरी तरह फन फैला कर तन गया.और उसने अब अजंता की सवारी करने की थान ली.
स्वामी - अजंता अब खेल शुर होता है.
अजंता ने मन ही मन कहा- शुरू नहीं ख़त्म

स्वामी अपना घोडा दौराने लगा. उधर अजंता ने खुद को एक दम से संयम किया और आँखें बंद करके हलके से मन ही मन कुछ उच्चारण करने लगी. उसका चेहरा थोड़ा लाल हो गया.
स्वामी - वह तुम तो सुर्ख हो रही हो. हम भी मंजे खिलाडी हैं. तुम्हारी चूत अभी तक कुंवारी है अजंता. और मैं आज तुम्हारी सील तोडूंगा.
सवाई अपना घोडा और ज़ोर से दौराने लगा.
पर तभी - अचानक स्वामी को लगा की उसके शरीर मैं करंट दौर रहा है. उसे ज़ोर से पसीना आया और उसे लगा की उसके विशेष अनाज मैं अजीब सा दर्द उठा और जलन महसूस हुई.
उसका अंग अजंता की गुलाबी दीवारों से बाहर निकल कर तड़प उठा - अअअअअअअ वह ज़ोर से चिल्लाया.
स्वामी चीख उठा - अजंता यह सब क्या है
अजंता जो अब तक लेती हुई थी अचानक उठ गयी और मुस्कुराने लगी - यह इंस्पेक्टर अजंता का कमाल है स्वामी अघोर बाबा.
स्वामी - अरे मेरा अंग मेरा शरीर.
अजंता ने उस नंगी हालत मैं ही कमरे मैं टहलना शुर कर दिया - स्वामी मेरे पास एक दवा है जिससे तो बच सकता है. पर उससे पहले अपने काले कारनामो का सारा कच्चा चिटठा मुझे सौंप दे.
स्वामी - नहीं नहीं
अजंता - स्वामी अव्वल तो तू बचेगा नहीं. और बच गया तो किस काम का नहीं रहेगा.
स्वामी - इंस्पेक्टर अजंता तुमममम ?
तभी बाहर एक दम बहुत से विस्फोट हो गए मानो आक्रमण हुआ हो. स्वामी को बोर्ड से आवाज़ आयी - स्वामीजी पुलिस ने ज़ोरों शोरों से आक्रमण कर दिया
स्वामी बुरी हालत में अजंता की ओर देखने लगा
अजंता हंसने लगी - स्वामी वह क्या है की जिसको तूने नक़ली चीते के पांव और पेड़ों के पत्ते का डिज़ाइन दिया था वह बहुत अच्छा कलाकार था. पर एक बेवकूफी कर गया. उसने काम होने के बाद वह काग़ज़ा फाड़ के जंगल मैं फेंक दिया जिसके टुकड़े मेरे हाथ लग गए. और तू क्या मुझे बताएगा मुझे यह सब सहक पहले ही हो चुके थे के तू मेरे ही आने का इंतज़ार कर रहा है.
खैर अब पुलिस और कमांडोज़ ने तेरे आश्रम पर हुम्ला कर दिया है. बचना है या __ __
स्वामी ने झट से दो डेरियां निकाली - यह लो अजंता मेरे इन देशों मैं आश्रम हैं और _ __
अजंता ने वह अपने पास रख ली और इत्मीनान से कपडे पहन ने लगी. साड़ी का पल्लू ठीक किया और एक रिवाल्वर हाथ मैं लेकर बाहर निकल गयी.
स्वामी - चीखता रहा - अजंता वह दवाई.
अजंता - गुड बाय स्वामी. अजंता के दोनों हाथों मैं रिवाल्वर था. पुलिस अंदर आ चुकी थी और स्वामी के आदमियों पर लगातार गोलियां चल रही थी.
एक अफसर बोलै - गुड इवनिंग मैडम. हमने सिचुएशन को पूरी तरह काबू मैं ले लिया है.
अजंता ने अपने दोनों साथी बुला लिए थे- गुड अब इस आश्रम को मिटटी मैं तब्दील करना है.
अफसर - पर मैडम वह स्वामी अघोर बाबा
अजंता - मर चुका है. और यह डेयरियां हैं उसके कारनामो का चिटठा
अफसर हैरत से उसे देखता रहा.
कुछ हिओ देर मैं वह आश्रम मलबे मैं बदल चुका था
अफसर - मैडम कोंग्रटुलशियन्स.
अजंता - आप सब लोगों को भी
अफसर - पर मैडम एक खबर और भी है.
अजंता - क्या
अफसर - वह टाइगर जो यहाँ आने वाला था नहीं आया और हमारे हाथों से बस निकला
अजंता - ओह्ह . कोई बात नहीं अफसर. उसका भी जल्दी ही इलाज हो जायेगा.
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#18
टाइगर की गिरफतारी और अंत

रात के साढ़े ग्यारह बाज चुके थे. आज इनस्पेक्टर अजंता को आने में काफ़ी देर हो गयी थी पर वह एक चोरी का केस सुलझा करके काफ़ी प्रसन्न थी और आज उसे अपने थाने में कमिशनर का भी अप्रिसियेशन का फोन आया था. अजंता ने अपनी जीप घर के आगे रोकी और जेब से चाबी निकाली
इनस्पेक्टर अजंता वह कमरे के अंदर गयी और उसे मालूम था की उसकी कामवाली भी जा चुकी है अपन काम करके . वह अकेली ही रहती थी - उसने अपने जूते उत्तiरे और ड्रेसिंग टेबल के के आगे खड़ी हो गयी और उसकी उंगलियाँ अपने सीने की ओर बढ़ गयीं- उसने अपनी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए. जैसे जैसे बटन खुलते गये अजंता के बड़े बड़े पिल्लू उसकी टाइट सफेद ब्रेज़री में से बाहर की और नुमाया होने लगे और काफ़ी हिस्सा दृष्टि गोचर हो उठा. अजंता ने हल्के से मुस्कुराते हुए अपनी वर्दी की शर्ट उतार दी,
अजंता ने अपने दोनो हाथ एक बार ब्रेज़री के उपर ही अपनी छातियों पर फेरे और उसकी मुस्कुराहट और गहरी हो गयी
अब उसने अपनी बेल्ट बेल्ट खोलकर पैंट की ज़िप खोली और उसे नीचे अपनी टांगों पर फिसलने के लिए छोड़ दिया
अजंता की खाकी पैंट उसकी चिकनी टाँगो से एक केले के छिलके की भाँति खिसकती गयी और कुछ ही देर में उसका मदमस्त यौवन एक गोरे और गुलाबी जिस्म के रूप में,मात्र एक ब्रेज़री और पैंटी में क़ैद होकर शीशे में खुद का दर्शा रह था.
सचमुच क़यामत थी इनस्पेक्टर अजंता - लंबी, स्वस्थ सुन्दर टाँगों से उपर होती हुई उसी गदरायी कमर और बड़े बड़े बड़े गोल तने हुए ठोस उरोज और सबसे उपर चाँद सा सुन्दर चेहरा - आज्ञ कई अप्सराओं के सौंदर्य को मात करता था
उसे याद आया की कल दिवाली है और उसे आश्रम में दो दिन बच्चों के साथ दिवाली मनाने के लिए रहना है .अलमारी खोलकर उसने सोचा - कल क्या पहनूंगी. - फिर उसे ध्यान आया की लाल रंग की शिफॉन की साड़ी और गोल्डन फैंसी ब्लाउज पहन ने के लिए उसने पहले ही तैयार कर लिए था
उसने अपने कंधे पर एक तौलिया रखा और अटॅच्ड बाथ कम टाय्लेट में घुस गयी .वहाँ पर उसने शीशे के आगे खुद को खड़ा कर के तौलिया टांगा और उसके हाथ स्वयं अपनी पीठ पर चले गये.अजंता ने अपनी ब्रेसियर का हुक खोलकर उसे धोने वाले कपड़ो के ढेर में फेन दिया- उसके बड़े बड़े पिल्लू छिटक कर बाहर आ गये और हिलकर सामने की और तन गए मानो किसी कैद से छूटे हों
- अजंता यह देख कर कुछ शर्मा गयी - बाप रे टू बिग एंड नाइस पिल्लूस - उसने खुद से कहा) .उसने अपनी पैंटी भी उतार कर फेंक दी और अब उसका सेक्सी शरीर बाथ टब और उसके शIवर के ठंडे पानी का आनंद ले रहता. अच्छी तरह से नहा कर उसने अपना अंग अंग तोलिये से पौंच्छा और उसक बदन पर अगले ही पल एक सफेद अंडरगार्मेंट्स का जोड़ा फिर से मौजूद था.वह बाथरूम से बाहर आ गयी.

उसने अपने रात्रि के सोने के वस्त्र पहले ही निकल कर रख लिए थे. उसने एक लाल रंग का ही पेटीकोट और पुराना ब्लाउज टंगा हुआ देखा और साथ ही एक गुलाबी नाइटी - वह सब कुछ लाल गुलाबी है आज - वह खुद ही हंसने लगी. वह घर पर सोते हुए अकेले होने के बावज़ूद ढंग से ही सोती थी और कभी बहुत ही
मन हुआ तो खाली चादर लपेट कर सो गयी. वरना नाइटी के नीचे भी सब पहन कर रखती थी वह आम तौर कुछ हल्के रंग और पुराने हो गये ब्लाउज और पेटीकोट सोते हुए इस्तेमाल करती थी.वह अपनी आम दिनचर्या जब यूनिफॉर्म में नही होती थी तो नये और बढ़िया शानदार रंग के ब्लाउज और पेटीकोट पहनती थी. साडी पहनने की शौकीन अजंता के पास अच्छी और कई तरह की साड़ियों का कलेक्षन था. सके पास कई रंगों के पेटीकोट और तरह तरह के ब्लाउज भी थे

पेटीकोट और ब्लाउज पहनने के बाद उसने गुलाबी नाइटी निकाली और निकाली. वह अभी भी हल्के हल्के गुनगुना रही थी फिर अजंता ने किचन में जाकर अपने लिए भोजन गरम करने लगी. उसने खाने में उरद की मसालेदार तरका लगी दाल, दो रोटी और उबले चावल का आनंद लिया और अपने लिए चाय बनाई जो की वह खाने के बाद चाय पीना बहुत पसंद करती थी.
वह कुछ थकी ज़रूर थी लेकिन अभी उसे बहुत नींद नही आ रही थी. वैसे भी कल उसकी छुट्टी थी और उसे तैयार होकर आश्रम में जाना था जहाँ पंडितजी ने दिवाली की पूजा रखवाई थी और उसे आमंत्रित किया था). वह अपन पसंदीदा जासूस उपन्यास जो हॉरर और कुछ सेक्स से भरा था लेकर उसे पढ़ने बैठ गयी - अरे आज तो में एग्ज़ाइट हो जाउंगी - वह मुस्कुराते हुए चाय पीने लगी और उपनयास पढ़ने लगी.फिर उसे याद आया की सोते वक़्त तो वह ब्रेज़री नही पहनती थी पर आज कैसे पहन ली ज(उसे सीने में कुछ कसाव महसूस हुआ)
- चलो में इसे बाद में उतार दूँगी - यह सोचकर वह उपन्यास में मग्न हो गयी और उसका आनंद लेने लगी.

- थोड़े देर बाद उसने अंग्राई ली और अपना कप वापस किचन में रखने चली गयी वह किचन से बाहर आई ही थी की उसकी डोर बेल ज़ोर से बज उठी. - इस समय _ _ _ _ कौन _ _ अजंता सोचने लगी. डोर बेल फिर बाज उठी - अरे बाबा आती हूँ अभी - वह आगुन्तक की अधीर व्यवहार पर कुछ खीज गयी
उसने जैसे ही दरवाज़ा खोला - अजंता ज़ोर से चिल्लाई - तूमम्म्मममम??
कमीने तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इस तरह मेरे घर और भी इस वक़्त आने की.
आगुन्तक ने बगैर अजंता को वक़्त दिए ज़ोर से दरवाज़े को झटक दिया और लगभग अंदर आ गया -
मेरा नाम टाइगर है है इनस्पेक्टर अजंता
अजंता - जानती हूँ पर तुम यहाँ _ _ _

टाइगर - तुम्हारा बहुत देर से इंतेज़ार कर रह था लेकिन लगता है तुम आज कल काफ़ी व्यस्त हो
अजंता - हा जिस शहर में तुम जैसे मुजरिमो का राज़ हो वहाँ मेरे जैसे पुलिस ऑफीसर आराम से कैसे बैठ सकते हैं.
मैं तुम्हे अरेस्ट करवाती हूँ. बहुत तलाश थी तुम्हारी टाइगर: ज़यादा शोर मत करो - मत भूलो की मैंने तुम्हारा बलात्कार होने से बचाया था_______ दुर्जन से
अजंता ज़ोर से हंस पड़ी:- मुझे बेवकूफ समझा हुआ है क्या - मुझे सब मालूम है - अभी सारा खुलासा करती हूँ चोर चोर मौसेरे भाई

टाइगर: ऑये - बकवास बंद -अगर मैने तुम्हे नही बचाया होता तो तुम एक रंडी की तरह बाजार में
अजंता: शूट उप - अपनी ज़बान को लगाम दो कमीने - तुम यहाँ से जाते हो या _ _ _
टाइगर: क्या कर लोगी अगर ना जाऊँ तो
अजंता- योउ बIस्टर्ड - हरामी कुत्ते - गंदी नाली के कीड़े - तुम्हे वो सबक सिखाऊंगी की याद रखोगे - तुमने अभी भी मेरा रूप पूरी तरह से
टाइगर - बहुत हो चुका लगता है तुम्हारा घमंड चूर चूर करना ही पड़ेगा. जो काम दुर्जन और उसके आदमी नही कर पाए वह में कर दूँगा

अजंता: क्या - क्या मतलब है तुम्हारा
टाइगर: अजंता.. मेरा दिल तुम पर आ गया है - पर तुम मुझे हरामी , कुत्ता और ना जाने क्या समझती हो - में आज तुम्हारी इज़्ज़त लूट कर तुम्हे तुम्हारी सही ओकIत बताऊंगा - और उसके बाद उमर भर तुम मेरी रखैल और पावं की जूती बन कर रहोगी.

अजंता: हूँ - देखते रहो दिन में ख्वाब - में तुम जैसे बदमाश, मुजरिम , घटिया इंसान से नफ़रत करती हूँ - तुमने मुझे समझ क्या रखा है?
टाइगर: तुमने ठीक कहा अजंता - पर कुछ हद तक - दुर्जन और मेरे बीच बात हुई थी पर यह फ़ैसला की जो मुक़ाबले में जीतेगा इनस्पेक्टर अजंता उसकी - जब तुम बेहोश हुई तो में चाहता तो उसी समय तुम्हारा __
अजंता के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान उभरी (टाइगर उसे बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहा था , पर उसे नहीं मालूम था की अजंता को हर बात की खबर थी) - बस - बहुत हुआ - अब निकल जाओ मेरे घर से.तुम एक पैदायशी मुजरिम, एक बाज़ारू औरत की औलाद - और हाँ दुर्जन तुम्हारा ही सौतेला और नज़ायज़ भाई था
टाइगर के चेहरे पर गुस्से और हैरत के मिले जुले भाव आ गये.
अजंता - क्यों हैरान हो गये हो तो छुपा क्यों रहे हो - मुझे क्या मामूली ऑफीसर समझ रखा है - अब तुम्हे तुम्हारी औकात और बताऊँ या _ __

टाइगर: बस अजंता बस - तुमने बहुत बकवास कर ली - अब तुम मेरी हरकतें देखो - यह कह कर उसने कस कर अजंता का हाथ पकड़ लिया और दूसरे हाथ से उसका बायां वक्ष दबा दिया - वा क्या बड़े बड़े पिल्लू हैं भाई - बहुत मज़ा आएगा आज तो. अभी तुझे नंगा करके तेरे इस हुस्न को बंजारन करता हूँ मगरूर औरत - तुझे रंडी की तरह , कुतिया बनाकर चोदूंगा और तेरी चूत की मलाई खाऊंगा.

अजंता: गंदे बद्ज़ात इंसान - जाकर अपनी माँ की चूत देख और उसे नंगा करके उसके पिल्लू चूस - वैसे भी तेरी माँ एक वेश्या से कम _ __
टाइगर ने उसका हाथ पकड़ कर पीछे की और मोड़ा - अजंता को दर्द हुआ - छोड़ मुझे कुत्ते हरामी -
टाइगर - ठीक कहा तूने अजंता मेरी माँ एक रंडी थी और ना मुझे ना दुर्जन को पता था की हमारा असली बाप कौन है - पर आज तूने मुझे हरामी कह कर गाली दी है - मैं अभी तेरा बलात्कार करूँगा और तेरी कोख से मेरी नाजायज़ औलाद पैदा होगी - तू सारी उमर मुझे याद करके रोएगी, तेरी मैं वो हालत _ _
पर अजंता ने अपने दूसरे हाथ से उसका मुँह नोच लिया - टाइगर के चेहरे पर लाल लकीरें आ गयीं - अजंता ने उसे एक ओर झटका दिया और वह जा गिरा
बस लेकिन एक ग़लती हो गयी अजंता - ने उसे बाहर की बजIए अंदर धकेल दिया.असल में टाइगर दरवाज़ा पहले ही बंद कर चुका था

टाइगर को चोट महसूस हुई पर वह मज़बूत था - एक बार फिर खड़ा हो गया - अभी बताता हूँ तुझे - साली थानेदारनी - तुझे तो में - वह अजंता पर झपटा पर तभी उसके हाथों पर अजंता ने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर रोका और एक ठोकर उसके पैरों पर मारी - वह बिलबिला कर गिर गया पर फिर पलटकर उसने अजंता के पैर नीचे से पकड़ कर एक ज़ोर से झटका दिया
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#19
अजंता भी औंधे मुँह गिरी पर अपने हाथों से उसने खुद को सम्भहाल लिया पर इस चक्र में उसकी नाइटी और पेटीकोट घुटनो तक उपर उठ गये और उसकी गोरी मांसल टांगे काफी हद तक नंगी हो गयीं
- टाइगर एक कुत्ते की तरह जीभ निकल कर होंठों पर फेरने लगा - सचमुच का सेक्सी माल हो- वह बोला - अजंता रानी कसम से उपर वाले ने बहुत टाइम लगा के बनाया है तुम्हे.
उसके बातों की परवाह ना करते हुए अजंता ने अपनी नाइटी और पेटीकोट ठीक किया और उसके कंधे पर एक लात जड़ दी
पर टाइगर भी मज़बूत था वह अजंता पर टूट पड़ा और उसके होंठों को चूमने लगा
उसने शराब पी रखी थी - अजंता को बदबू आई और उसकी नाक में कुछ होने लगा
इसी का फ़IयदI उठाते हुए टाइगर की उंगलियों ने हरकत की और जहत से उसकी नाइटी के उपर के दो बटन खोल डाले
अजंता का का ब्लाउज और वक्ष रेखा कुछ हद तक दिखने लगे.
अजंता ने कुछ नार्मल होने पर अपनी टांगे उठाईं और टाइगर के दोनो कंधो पर ज़ोर से हिट किया - टाइगर एक और लुढ़क गया पर उसके कंधे काफ़ी ठोस थे और विशेष प्रभाव ना हुआ
वह फिर से उठा और नीचे झुक गया अजंता तब तक खड़ी हो रही थी

टाइगर ने तुरंत अजंता की नाइटी के बाकी बटन भी खोल दिए.
अब अजंता का पेट सामने से नंगा था और उसकी गोल नाभि जो की उसके पेटीकोट की रेखा से कम से कम 2.5-3 इंच उपर थी भली भाँति नज़र आने लगी. - उसकी नाइटी सामने से पूरी खुल चुकी थी

अब टाइगर उठा और अपने हाथ अजंता को दबोचने के लिए बदाए पर अजंता ने उन्हे पकड़ लिया और दोनो कुछ देर एक दूसरे से अपनी बाहों से ही संघर्ष करते रहे . अजंता बीच बीच में उसे किक करने की कोशिश कर रही थी जिसमे वह कभी कामयाब होती तो कभी टाइगर खुद को बचI लेता
तभी टाइगर ने अजंता को धक्का दिया वह बिस्तर पर यों गिरी की आधा हिस्सा अभी भी नीचे था
टाइगर ने उसे दबोचा और उसेक बाज़ू अजंता की काफ़ी हद तक नंगी कमर की इर्द गिर्द घूम गया - वह उसेक नंगे पेट पर हाथ फेरने लगा
तभी अजंता पलटी और उसने अपनी नाइटी खुद सरका कर टाइगर पर वार किया
टाइगर डोर जा गिरा पर उसके हाथ अजंता की खुली नाइटी को उतIरते चले गये

टाइगर गिर गया था और उसके हाथ में अजंता की नाइटी थी - अजंता अब अर्धनग्न अवस्था यानी की सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउज में टाइगर के सामने थी - पर वह विचलित ना हुई
उधर टाइगर ने अजंता की नाइटी को किस किया और उसकी आँखों में उतरी वासना और भी त्रीव हो गयी - वा क्या सेक्सी माल हो
कसम से अजंता इस हालत में इतनी गजब हो तो आगे क्या होगा
अजंता - कमीने क्या मतलब है तेरा
टाइगर - अभी तो नाइटी उतरी है जान - यह पेटीकोट और ब्लाउज और उसके बाद तेरी ब्रेज़री और हाँ -
आखिर में तेरी कच्छी - हा हा हा
अब वह उठ खड़ा हुआ और उसने अजंता की नाइटी पकड़े हुए उसकी ओर बढ़ने लगा - अजंता ने जैसे ही अपनी नाइटी वापस लेनी चाही उसने बेशर्मी से हंसते हुए उसे बिस्तर के एक कोने में फेंक दिया - अब तुम आगे के लिए तैयार हो जाओ अजंता - देखो यह मुजरिम, गुंडा और बाज़Iरू हरामी, एक पुलिस ऑफीसर को कैसे नंगी करके चोद डालता है.
और उसने फुर्ती से झपट कर अजंता को अपनी बाहों में दबाकर उसके जिस्म को दबाने लगा - अजंता भी मचल उठी और उसने संघर्ष करना शुरू कर दिया - छोड़ दे मुझे कुत्ते कमीने - देख टाइगर तो बहुत पछतायेगा.


टाइगर - अब तो तुम सारी ज़िंदगी मुझे याद रखोगी अजंता रानी.उसने टाइगर से छूटना चाहा और दोनो हाथ बाज़ू से उसका विरोध करने लगी
टाइगर - सच में तगड़ी चीज़ हो मेरी जान तुम्हे पार पाना आसान नहीं

अजंता - छोड़ मुझे कुत्ते
पर टाइगर ने अजंता को उठाकर बिस्तर पर पटक दिया और उस पर एक भेड़िये की तरह टूट पढ़ा - अजंता ने उसे किक करना चाहा लेकिन टाइगर एक ओर हो गया और अजंता की टांगे हवा में लहरा उठीं
उसका पेटीकोट खिसक कर लगभग कमर तक आ गया और उसकी सेक्सी , चिकनी टांगे अब पूर्ण रूप से नंगी होकर उजागर हो गयी
टाइगर अपना एक हाथ उसकी जांघो पर फेरने लगा और नीचे हाथ डालकर चिकोटी काट ली

- क्या मुलायम टांगे हैं
टाइगर उस पर पूरी तरह चढ़ गया और उसके होंठ और गालों को चूमने लगा
उसने उसके होंठ हल्के से काट लिए जिससे अजंता के होंठ से ज़रा सा खून निकल आया.
अजंता - ओई म्म्म्ममम है ओई माआआआआअ छोड़ मुझे कमीने हरामी ज़लील कुत्ते
उसने अपने हाथों से टाइगर के सर को झटका दिया और उठने का प्रयास किया.लेकिन टाइगर पर प्रभाव ना हुआ और उसने अपने चुंबन जारी रखा

अब वह नीचे की ओर अपने होंठों को सरकIता हुआ उसकी बड़ी बड़ी छातियों तक पहुँच गाय और मुँह रगड़ने लगा
ब्लाउज के उपर वह अजंता की छातियों को चूमने लगा - इसके अलावा अजंता की वक्ष रेखा और एक्सपोज़्ड हिस्से पर उसने चूमना और काटना शुरू कर दिया
अब बारी पेट के थी
टाइगर ने उसके पेट पर चूमा और नाभि में उंगली घुसेड़कर उसे ज़ोर से घुमाया - अजंता दर्द से चीखी
अजंता ने अपना हाथ बढ़ाया और उसका मुँह नोच दिया
टाइगर: तुम ऐसे नही मIनोगी
तुम्हे दिखता हूँ की बलात्कार कैसे होता है - अभी तक तो तुमने दूसरी औरतों के केस सॉल्व किए हैं - अब तेरा रेप केस होगा.
अजंता: थर्ड क्लास बIस्टर्ड - तुम अपने मंसूबों में कभी कामयाब नही होगे.

टाइगर: क्या करोगी तुम
अजंता: तुमने मुझ जैसे स्त्री को कुतिया कहा - तुम खुद एक भोंकने वाले कुत्ते हो
टाइगर - देख अब यह कुत्ता तुझे कैसे काटता है.
अजंता ने फिर दोनो हाथ छुड़ा कर उसके सिर के साइड्स पर वार किया
टाइगर को बहुत दर्द हुआ.

अब अजंता उठ खड़ी हुई पर टाइगर ने उस हालत मैं भी उसके एक पैर को झटका दिया - वह फिर बिस्तर पेर गिरी और बैठ गयी
टाइगर और अजंता दोनो फिर से एक दूसरे से अपनी बाहों का उपयोग करते हुए लड़ाई करने लगे.
टाइगर ने उसे पीछे से दबोचा और उसकी पीठ चूमने लगा गया
उसने उसकी पीठ में हल्के से काटकर अपने दाँत गाड़ा दिए - आहह ओईइ आउच - अजंता कराह उठी
टिगेवर - अभी तो यही दाँत तेरी चूत को काटेंगे और तेरे निप्पल नोच लेंगे मेरी जान
अजंता - हरामज़ादे कुत्ते नीच कमीने __ _ _
और बचने के लिए वह एक झटके से उठ खड़ी हुई.
परंतु तभी उसने अपने पीछे से - चचररर चर्र्ररर चिर्र की आवाज़ सुनी और उसकी पीठ पर मानो हवा लगनी शुरू हो गयी
टाइगर के दाँतों में अजंता का ब्लाउज का उपर का हिस्सा फँस गया था जो की उसके तुरंत उठने से एक दम से चीरा गया और अजंता की पीठ नंगी हो गयी.कमरे की लाइट में उसकी गोरी और गदरायी पीठ और भी चमक उठी एक सफेद ब्रेज़री के स्ट्रॅप के साथ
ब्लाउज फटने से अजंता तड़प उठी और टाइगर ख़ूँख़ार हँसी हँसने लग गया
वा वा अजंता रानी - खुद ही अपनी ब्लाउज फड़वा दिया अपना - लगता है नंगी होने का शौक है
शाबाश अब आगे देखो
अजंता सामने की और पलटी और दोनो में फिर एक कुश्ती शुरू हो गयी
दोनो एक दूसरे के वार काटने काग़े
मौका ड़खटे ही टाइगर ने अजंता का फटा हुआ ब्लाउज नोच डाला और एक ओर फेंक दिया
ब्लाउज तार तार होकर उसकी नाइटी के उपर गिर गया
अजंता ने टाइगर को पकड़ा कर बिस्तर पर खड़े ही ज़ोर से झटका दिया
टाइगर उछल कर दूर जा गिरा
अजंता फिर उसे गालियां देने लग गयी
इस वक़्त अजंता के शरीर के उपर के हिस्से पर केवल एक सफेद ब्रेज़री थी जिसमे से उसके पिल्लू बाहर आने को तड़प रहे थे.
उसका नंगा पेट अब और भी चमकने लगा था और कमर के दोनो और की हिस्से पर खम था जो की उसे बहुत सेक्सी बना रहा था
उसकी छातियां उसके ज़ोर ज़ोर से बोलने के कारण उठ बैठ रही थीं
अजंता - कमीने तू मुझे नंगा करेगा - वह बिस्तर के नीचे आकर उसे खूब गालियाँ देने लगी
यहीं पर अजंता ने एक ग़लती कर दी - बजाए टाइगर पर वार करने के उसने उसे खरी खोटी सुननी शुरू कर दी और वह कुछ हद तक असावधान हो गयी
इस झगड़े में टाइगर की कमीज़ भी फट गयी थी
टाइगर मौके का फायदा उठाकर उठ खड़ा हुआ और उसने फुर्ती से अजंता को उठाकर फिर से बिस्तर पर फेंक दिया
टाइगर फिर उस पर टूट पड़ा लेकिन अजंता कुछ पीछे हटी और टाइगर उसके पैरों पर गिरा
टाइगर - हरामजादी छिनाल.. आज तेरी चूत की माँ चोद दूंगा। भैन की लौड़ी आज तेरी चूत को भोसड़ा बना दूंगा छिनाल रंडी साली।
अजंता – मुझे चोदेगा कुत्ते - जा जाकर अपनी उस रंडी माँ को चोद - हरामी - कमीनजात - कमीने तेरे लंड में दम भी है?
टाइगर - दिखाता हूँ अपने लंड का ज़ोर. तेरी चूत के तो आज चिथड़े उड़ा दूंगा. छिनाल आज तेरी चूत की सारी खुजली मिटा दूंगा. आज तुझे रांड बना कर ही छोडूंगा।

अब अजंता ने उसके मुँह पर पैर से मारा और टाइगर के होंठ से खून निकालने लगा
पर इससे पहले टाइगर उसका पेटीकोट नीचे से दोनो हाथों से पकड़ चुका था और इस सारे कार्यक्रम में उसके पेटीकोट को झटका लगा गया - फ्रर्र - फ्रर्रर - फिर से फटने की आवाज़ हुई और बीच में से पेटीकोट का निचला हिस्सा काफी हद तक फॅट गया
अब अजंता की टांगे काफ़ी हद तक दृष्टि गोचर थीं और किस को भी नज़र आने के लिए वह पेटीकोट के खिसकने या सरकने की मोहताज नही था
उसका पेटीकोट अब एक कैबरे डांसर की ड्रेस ज़्यादा लग रहा था
पर वह अजंता थी - इनस्पेक्टर अजंता - उसने इस का फ़IयदI उठाया और टाइगर को लातों से मारना शुरू कर दिया
टाइगर ने बचने के लिए फिर अजंता के पछले हिस्से का सहIरI लिया और उसे दबोच लिया
उसने एक हाथ नीचे डाल कर उसके पेटीकोट का नाडा खोल दया
फटा हुआ पेटीकोट अजंता की चिकनी जांघो से होता हुआ बिस्तर पर जा गिरा

अब वह ब्रेज़री और पैंटी में थी
टाइगर ने अजंता की ब्रेज़री का हुक खोल दिया और उसके कंधे पर वार किया

अजंता को कुछ दर्द हुआ.टाइगर ने उसे सामने की और मोड़ा और उसके चेहरे पर वार किया - अजंता दर्द से कुछ सिहर गयी टाइगर ने इसी बात का लाभ उठाया और उसके सीने के मध्य में हाथ डाल कर उसकी ब्रेज़री खींच दी.
अजंता के कलात्मक ठोस और गोल गोल पिल्लू एक दम नग्न हो कर सामने की ओर तन गये और उसके गुलाबी निप्पल टाइगर को निमंत्रण देने लगे
टाइगर तो जैसे पागल हो गया उसने उसके दोनो पिल्लू दबोच डाले और मसालने लगा
पर अजंता ने अब खूले वक्ष की परवाह किए बैगर ही उसके गुप्त अंग पर ज़ोर से लात मारी - टाइगर नीचे जा गिरा अजंता ने फिर किक किया तो टाइगर ने उसकी टाँग पकड़ कर झटका दिया अजंता फिर से बिस्तर पर गिर गयी और उसकी टांगे उपर को उठीं
वह फुर्ती से खड़ी हुई
इसी बीच टाइगर जो की अपनी पैंट उतार चुका था पर लॉट गया और उसने अजंता की गांड में पीछे से हाथ डाला और उसकी पैंटी खींच ली

अजंता के कूदने से पैंटी उतIरना और भी आसान हो गया टाइगर के लिए
अब अजंता के बेपनाह हुस्न का ताजमहल पूरा नंगा था
उसकी गुलाबी चुत के आस पास बस ज़रा सा जंगल था और उसकी गुलाबी चूत की फाँकें नज़र आ रही थीं
इनस्पेक्टर अजंता सम्पूर्ण रूप से नग्न थी और उसका मदमाता यौवन किसी को भी पागल कर सकता था
टाइगर का लंड बिल्कुल लोहे की रोड की तरह तन चुका था
उसके शरीर पर एक कच्छा था जिसमे से उसका टेंट साफ़ दिखने लगा था
उसने नंगी अजंता की बाँह पकड़ी और एक रेस्लर की तरह उसे उठा कर अपने कंधे पर लाद दिया वह अजंता को बिस्तर पर फेंक देना चाहता था
पर अजंता ने कुछ ऐसा दाँव खेला अपनी टाँगो को मोड़ कर की वह फिर से उछल कर उसके सामने आ खड़ी हुई और एक भरपूर वार टाइगर पर किया
एक कुश्ती का दौर शुरू हुआ
टाइगर ने अजंता अब बिस्तर पर खड़े खड़े टांगो में टांग फंसा कर गिरा दिया
वह समझ चुका था की अजंता से जीतना आसान नही पर अजंता को पूरी तरह नंगा करके उसकी हिम्मत बढ़ गयी थी
दोनो एक दूसरे से गुथम गुथा हो रहे थे
टाइगर ने सीधे सीधे बात बनते ना देखा कर अजंता के नाज़ुक अंगों पर वार करने की सोची
उसने कमज़ोर पड़ने का नाटक किया और नीचे झुका
दोनो बिस्तर पर ही थे.

नंगी हो उठी अजंता ने एक बार जम्प लगाई और अपनी नाइटी को उठाकर फिर से पहन कर अपना नंगा जिस्म ढकने की कोशिश की परन्तु टाइगर ने उसे दोबारा उसके जिस्म से नोच कर अलग कर दिया - बहुत शौक है इसे पहन लेने का

उसने अजंता के पैर पकड़ कर झटके से उसे गिरा दिया और उसके उपर चढ़ कर उसका दायां पिल्लू मज़बूती से पकड़ा कर उमेठ दिया - अजंता फिर दर्द से चीखी

टाइगर ने अब वक़्त जाया किए बिना अपना मुँह अजंता के pleasure zone यानी उसकी चूत के अंदर छुपा दिया और उसे एक कुत्ते की तरह चाटने लगा उसने अपनी
उंगलियों से अजंता की चूत की दोनो हिस्से आएँ बायें किया मानो उसका द्वार खोलने की कोशिश कर रह हो
उसकी गुलाबी चूत लाल हो उठी
टाइगर ने उसकी योनि की साइड्स में काट खाया - आआआआआआआआआआअहह अजंता ज़ोर से चीख उठी
टाइगर ज़ख़्मी था और कुछ बोल नही रहा था
उसे बस अजंता को परास्त करना था
उसने अजंता की योनि में अपनी ज़बान डाल दी और चाटने लगा
पता नही क्यों अजंता को उसे शराब की दुर्गंध अभी भी आ रही थी और पसीने की भीपर अब जब उसको दर्द से राहत मिली तो उसे ध्यान में कुछ आया.
टाइगर व्यस्त था उसकी गुलाबी फांकों को चूसने में
अजंता की चूत से हल्का-2 रस निकालने लगा
टाइगर ने अपना अंडरवियर थोड़ा नीचे किया तो उसका लंबा तना हुआ लंड बाहर आकर खड़ा हो गया
वह अजंता को कहने लगा - चल चूस साली
अजंता ने घबराने का नाटक किया और उसका लंड अपने मुँह में लिया

तभी अजंता ने तेज़ी दिखाई और उसके को थोड़ा आगे कर के उसे दाँतों से काट लिया
टाइगर दर्द से बिलबिलाया
और फिर तभी
अजंता ने अपना हाथ बिस्तर के कोने में गद्दे के पीछे डाला (वह सोते हुए भी रिवाल्वर या चाक़ू रखती थी)
उसने एक गरारीदार तेज़ चाकू निकIलI और इस से पहले टाइगर देख पता उसके चेहरे पर वार किया
अब चीखने की बारी टाइगर की थी (अजंता चाहती तो थोड़ा और रुक कर गोली नंबर २ से भी टाइगर का खात्मा कर सकती थी परन्तु वह हमेशा इसे आखरी हथियार के रूप में ही प्रयोग करना चाहती थी और साथ ही साथ वह यह भी चाहती थी की इस बात का पता जितने काम लोगों को हो उतना ही अच्छा) उसके गाल से खून बह निकला. अजंता ने पीछे पलटा कर टाइगर की गांड में ज़ोर से चाकू मार दिया और वहां से गाड़ा खून निकलना चालू हो गया

अजंता ने उसके चेहरे के दूसरी ओर वार किया
टाइगर अब बुरी तरह लहू लुहIन हो उठा
अजंता ने टाइगर का अंडरवियर फाड़ दिया और उसके मुँह पर मारा - ले कमीने इस से पौंच्छ ले अपने खून को.
टाइगर बदहवास हालत में ऐसा ही करने लगा
अजंता ने उसके अंग जो अब ठंडा पर गया था इतनी मार और चोट के बाद, अपने हाथ में पकड़ा लिया - चिंता मत कर कमीने तेरे लंड की प्यास अभी बुझाऊँगी
तू मेरी चूत से खेलना चाहता था ना अब देख मेरा खेल
और वह उसका लंड ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगी
साथ ही साथ वह उसे बताने लगी की कैसे उसने दुर्जन और उसे बेवकूफ़ बनाया.उस दिन वह दुर्जन के अड्डे पर बेहोश हुई ही नही थी.
तभी टाइगर का सारा वीर्य निकल कर चादर पर गिर गया और अब वह एक ज़ख़्मी , हारा हुआ इंसान था
अजंता - टाइगर तो तू अभी भी एक मुसीबत से बच गया - तुझ पर मेने गोली नंबर दो का इस्तेमाल नही किया
टाइगर दर्द पीटा बोला - गोली नंबर 2?
अजंता - इस से आगे मत पूछना - जिस ने गोली नंबर दो का रIज़ जान लिया वह ज़िंदा नही न बचा

और फिर वह उठी और उसने एक फोन मिलाया
अजंता - गोपाल सिंह
उधर से आवाज़ आई - जी मेडम
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#20
अजंता - तुम चारों आजIओ अब
और यह कह कर फिर वह वापस पलटी - टाइगर बिल्कुल अधमरा था

उसने उसे एक और ठोकर मारी और अपनी कच्छी उठाकर पहनने लगी. पैंटी पहनकर उसने अपनी ब्रेज़री पहन ली और उसके बाद वो फटा हुआ पेटीकोट भी जिस कम से कम नाड़े से तो बाँधा जा सकता था. उसे अपने फटे हुए ब्लाउज का ध्यान नहीं रहा
फिर अपनी नाइटी पहन कर उसने एक शॉल ले ली
कुछ देर में बेल बाजी.
जय हिंद मेडम
सब इनस्पेक्टर गोपाल सिंह जो की चार कॉन्स्टेबल्स के साथ हथियारों से लेस था अजंता के घर पहुँच चुका था
अजंता टाइगर को घसीट कर बाहर ले आई
(दरअसल अंदर बेड भी कुछ अस्त व्यस्त हो चुका था और टाइगर (जो की अब किसी हालत में फटी कमीज़ और पैंट पहन चुका था उसका फटा हुआ अंडरवियर, अजंता का फटा हुआ ब्लाउज सब बेतरतीब पड़े थे
टाइगर के वीर्य और खून से बेड भी गीला था.वह नही चाहती थी की गोपाल सिंह और उसके कॉन्स्टेबल जो कुछ हुआ उसका अंदाज़ा लगायें

टाइगर को पुलिस गिरफ्तार करके ले गयी और बाद में उसे उसे मौत की सज़ा भी हुई
गोपाल सिंह और उसके कॉन्स्टेबल्स के जाते ही अजंता ने दरवाज़ा बंद किया और धम से बेड पर आकर बैठ गयी .
वह कुछ पल तक ख्यालों में डूबी रही


चूत रगड़े जाने से उसे बहुत ज़ोर से पेशाब आ रहा था . वह बाथरूम गयी और नाइटी उठाकर पेशाब करने लगी,. उसके बाद उसे हल्कापन महसूस हुआ फिर वह उठकर अलमारी के पास आई और उसे खोला
वह भी थक गयी थी
उसने अपनी नाइटी उतार दी और ब्रेज़री भी उतार कर एक ओर फेंक दी
फिर उसने वो फटा हुआ पेटीकोट भी उतार फेंका
और एक दूसरा वैसा ही पेटीकोट निकIल कर पहन लिया
उसने एक दूसरा ब्लाउज निकाला और उसे पहन लिया
अपनी नाइटी उसने फिर से पहन ली और वह आकर बिस्तर पर बैठ गयी - उसने घडी में टाइम देखा तो पाँच बाज रहे थे
- पंडितजी तो चार बजे उठा जाते हैं - दरअसल वो उन्हे यह कहना चाहती थी की वह पूजा पर देर से आएगी
उसने फोन मिलाया तो पंडितजी का स्वर सुनाई दिया
राम राम पंडितजी अजंता बात कर रही हूँ
पंडितजी - राम राम बेटी कैसी हो अच्छा सुनो में तुम्हे फोन करने ही वाला था
अजंता - क्या बात है पंडितजी सब ठीक है ना - और बच्चे?
पंडितजी - सब ठीक है बेटा चिंता की कोई बात नही बस यही कहना था की पूजा अब 9 बजे की बजाय 12 बजे होगा. पूरी सूज़ी और हलवा रखवाया है दोपहर के भोजन में तुम उसी हिसाब से आ जाना. और शाम को तो हम दिवाली मनाएंगे ही
और हाँ बच्चे तुम्हे बहुत याद कर रहे थे
अजंता मुस्कुरा उठी - वह भी अभी कुछ देर आरIम करना चाहती थी - ठीक है पंडितजी बच्चों से कहिएगा की आज उनकी अजंता दीदी उनके लिए मिठाई लाएगी और सारा दिन उनके साथ दो दिन रहेगी
और वह मुस्कुरा कर बिस्तर पर लेट कर सो गयी
सुबह डोर बेल बजी तो अजंता ने दरवाज़ा खोळा. दरवाज़ा पर उसकी कामवाली खड़ी थी. कामवाली अजंता को विश किया तो अजंता ने भी उसको विश करके चाय बनवाकर रूम लाने को कहकर अपने कमरे मे घुस गयी. उसकी कमरे का हालत उसी तरह था जब की रात को टाइगर द्वारा रेप अटेंप्ट के बाद था. सनडे छुट्टी होने के कारण उसे कुछ जल्दी नही था और वो थकावट के कारण बेड मे आधा लेट कर रेस्ट ले रही थी. ज़मीन पर टाइगर का फटा हुआ अंडरवियर और अजंता की नाइटी और फटा हुआ ब्लाउज सब वैसे ही पड़ा हुआ था. वो इसकी फ़िक्र किए बिना आराम से रेस्ट ले रही थी. तभी उसकी कामवाली चाय और नाश्ता लेके अंदर घुस गयी. उसने पहले तो अस्तव्यस्त कमरे पर ध्यान नही दिया, लेकिन जब चाय नाश्ता रख के जाने ही वाली थी तो उसकी नज़र नीचे फटा हुआ पड़े टाइगर के अंडरवियर पर पड़ी. तब उसने ध्यान से एक बार कमरे को निहारा तो अस्तव्यस्त बेड, अजंता की ब्रेज़री, फटा हुआ ब्लाउज और साथ मे नाइटी भी दिखाई दी उसे. विसे तो कामवाली अजंता की साथ काफ़ी फ्री ही थी, सहेली जैसे ही बात चीत करते थे वो दोनो. कभी कभी हसी मज़ाक छेड़ चाड भी हो जाता था. अजंता की फटा हुआ ब्लाउज, ब्रेज़री, सब देखना उसे कामवाली को पहली बार तो नही था. जब अजंता घर आकर वस्त्र को उतरती तो उसकी कामवाली ही उन्हें उसे ब्रेज़री, कच्छी को धोने मे डालने की काम करती थी. जब फटा हुआ कुछ वस्त्र इस कामवाली को मिला तो वो समझती थी की मेडम आज फिर से किसी की धज्जियाँ उड़ा कर आई है. और वो इस तरह हर मौके पर अजंता की एनकाउंटर के बारे मे छेड़ते हुए डीटेल पूछा करती थी. अजंता भी उसकी हर एक एनकाउंटर को कामवाली से बताती थी, छेड़ते हुए ही. और गुडो की द्वारा अजंता की रस भरे मम्मो को पिल्लू के नाम से पुकारने का बात कामवाली भी जानती थी. और वो भी कभी कभी पिल्लू नाम से अजंता की वक्ष सौंदर्य को सम्बोधित करके अजंता को छेड़ती थी. यहा तक की उसे कामवाली ने अजंता की पिल्लू को नंगा भी देख लिया था....!! लेकिन आज कुछ बात अलग ही उसके सामने नज़र आई. क्यूंकी उसे रात को पहनी हुई नाइटी, ब्लाउज वग़ैरा देखने को मिला, साथ मे किसी मर्द का अंडरवियर, वो भी फटी हुई हालत मे. कामवाली को थोड़ा बहुत समझ यह तो आ ही गया की कल रात को अजंता पर कुछ रेप अटेंप्ट हुआ है. इस बात का सबूत अजंता की फटे हुए कपड़े दे रहे थे. फटा हुआ अंडरवियर को देख कर वो कुछ कन्फ्यूज़्ड हो गयी थी. लेकिन अजंता की चेहरे पर ऐसा कुछ भाव ही नही था की कल कुछ बुरी घटना हुई है. कामवाली - "मालकिन रूम सॉफ कर दूँ क्या? " अजंता - हा कर दो, कोई जल्दी नही आज मुझे तो छुट्टी है. कामवाली ने झुक कर फटा हुआ अंडरवियर को हाथ मे उठाया ओर अजंता की तरफ देखने लगी. अजंता इस से बेखबर हुए ही चाय पीने मे व्यस्त थी. उसे अंडरवियर मे कुछ वीर्य का दाग भी उसे नज़र आ रही थी. कामवाली - मेडम, लगता है कल आपकी इज़्ज़त को लूटने के लिए कोई घर ही आया था? अजंता सर उठाकर देखने लगी तो कामवाली के चेहरे पर एक शरारती मुस्कान थी. अजंता को रात की घटना याद आयी है, किसे टाइगर ने उसकी चूत की दाने पर अपने दाँत गड़ाया था. उस वक़्त तो उसे कुछ मिक्स्ड फील भी हुई थी, एक तरफ टाइगर का बलात्कारी हमला जिस की वजह से क्रोध था तो दूसरी जिस की वजह से क्रोध था तो दूसरी तरफ छेड़ छाड़ से चूत का एक दम गीला हो जाना. फिर भी वो खुद को टाइगर पर प्रतिवार करके कामयाब हो गयी थी उसको पकड़ने मे. लेकिन टाइगर द्वारा चूत की पंखुरियों पर हुआ दर्द अभी भी उसकी चूत पर एहसास कर रहा था. उसे दृश्य को याद करते हुए ही उसकी चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान सी छा गयी. अजंता - हा कल एक सांड़ घर मे ही गुसा था, मेरी पिल्लू को देखखार वासना की भूख से भड़का हुआ सांड़..
कामवाली - आपकी पिल्लू ही ऐसे कमाल के है तो मुझे भी कभी हाथ मे लेने का मान होती है, शायद उसे सांड़ का ग़लती कोई नही.. अजंता - अच्छा, अभी तू भी सांड़ का ही सपोर्ट कर रहे हो. अगर तू कल रात को होती तो तुम्हारे ही पिल्लू को उसे सांड़ से कुचलवाती मैं. कामवाली - अरे नही बाबा नही.. मेरा पिल्लू को देख कर मेरी पीछे कोई साड भड़क कर नही आया है अभी तक. आपकी पिल्लू का कटाव ही ऐसे है मेडम, कोई भी पागला जाता है.. और हाँ इस फटे हुए ब्लाउज और आपकी ब्रेज़री को देख कर लगती है की वो सांड़ आपकी पिल्लू को नंगा देखने मे कामयाब हुआ. अजंता - अरे हा, सिर्फ़ पिल्लू को ही नही यहा तक की वो सांड़ ने मेरी कच्छी फाड़ कर गुलाबी चूयिंग गुम को भी मुँह लगाया था
कामवाली - ऑश गोद.. सच मे. कही सांड़ गाय के ऊपर चढ़ने मे सफल तो हुआ नही ना.. इस अंडरवियर को देखा तो ऐसे ही लगता है. अजंता - नही, इस पहले की सांड़ गाय के ऊपर चढ़ने में कामयाब हो जाता, उसे से पहले गाय ने उसे सांड़ को घायल कर दिया कामवाली - मतलब, चूहा गुफा मे घुसा नही अजंता - ना रे बाबा ना.. चूहे को गुफा मे घुसने से पहले ही चूहे को घायल करके साँस निकIल दी गयी...हिहीही.. कामवाली – मतलब मेडम, आपकी पिल्लू और गुफा को सांड़ ने कल कुचलने का खूब प्रयास किया, यहा तक की अंडरवियर को भी फाड़ के फेक दिया गया
अजंता - हाहाहा, वो चूहा मेरी गुफा को देख कर इतना जोशीला बन गया था की ज़्यादा देर तक अंडरवियर मे खड़ा ना रह सका, और गुफा के रास्ते को पाते ही बाहर आया. बदनसीब चूहा, जहा घुसना चाह रहा था वहा घुस नही पाया और उसे से पहले उसका साँस अटका दिया गया.. लेकिन हा, जंगल के बीच के गुफा मे तो नही घुस पाया बस थोड़ा सा गुफा का पानी निकाल दिया था. फिर अजंता ने कल की घटना सब डीटेल्स मे बता दी कामवाली को. तब तक उसकी चाय नाश्ता ख़तम हो गया. अजंता उठ खड़ी हुई बेड से, फिर कामवाली को सॉफ सफाई का काम बताकर, उसकी सामने ही अपनी नाइटी , ब्लाउज और पेटिकोट् को खोलकर सिर्फ़ कच्छी और ब्रेज़री मे खड़ी हो गयी. कामवाली के साथ हुए छेड़ छाड़ से वो थोड़ा अराउज़ तो हुई थी, इसी का नतीज़ा उसकी सफेद कच्छी पर हल्का सा वेट स्पॉट से नज़र आ रहा था. पहली बार तो नही खड़ी थी वो ब्रेज़री, कच्छी मे कामवाली के सामने. लेकिन कामवाली तो उसकी भरे हुए यौवन को देखती रही वो तौलिया ले कर नहाने के लिए बाथरूम घुसने तक,फिर अपनी काम मे लग गयी.
तब तक 9 बज रहे थे. अजंता की कामवाली काम कर चुकी तो उसने बताया की आज कुछ नही बनाना वह आश्रम में पूजा के लिए जा रही है और रात का खाना वह खुद बना लेगी.अजंता को कुकिंग का शौक था और छुट्टी वाले दिन वह अपना यह शौक पूरा करती थी.
अजंता कुछ देर बाद उठी और बाथरूम में घुस गयी उसने सारे कपड़े उतार दिए और वह बाथ टब में बैठ कर बाथरूम लेने लगी.
अच्छी तरह नहा कर वह केवल एक तौलिया में अपना मदमाते यौवन को छुपाती हुई (जो छुपने की जगह दृष्टिगोचर ज्यादा हो रहा था) हुई जिसमे की उसके कंधे बिल्कुल नंगे थे और टांगे भी घुटनो से नीचे नंगी थीं बाहर आई और शीशे में खुद को देख कर हँसने लगी.- अगर बच्चे मुझे इस हालत में देख लें तो

उसने अलमारी खोलकर पहले एक सफेद पैंटी निकIली .
आज उसने एक फैंसी बैकलेस ब्लाउज पहनने का फैसला किया जो की वह बहुत कम करती थी
उसके बाद उसने एक लाल रंग की जोर्जेट की साड़ी जिसके किनरो पर सुनेहरी कड़ाई हुई थी और साड़ी पर भी कई जगह सुनेहरी बूँदो के डिज़ाइन थे अपने लिए पहन ने को चुनी. एक लाल पेटीकोट और लाल और सुनहेरे रंग का ब्लाउज निकIल कर वह अपने कपड़े पहन ने लगी. इस ब्लाउज से उसकी पीठ काफी सारा भाग नग्न था ब्लाउज और पेटीकोट पहन ने के बाद उसने साडी खोली और उसे पहनना शुरू कर दिया
अपनी साडी के एक छोर को उसने पेटीकोट में घुसाया और एक छोर को उसने पेटीकोट में घुसाया और बच्चों के बारे में सोच रही थी. साड़ी के विब्भिन छोरों को पेटीकोट में डालते हुए उसका ध्यान आश्रम में ही था और चेहरे पर एक मुस्कराहट. एक बहुत बड़ा केस सुलझाने की और किशन गंज को क्राइम से मुक्त करने की करने की. साड़ी के प्लीट उसने बड़े करने से सेट करके पेटीकोट के सामने वाले भाग में डाल दिए और अब उसका ध्यान सुनहरी बॉर्डर के पल्लू में गया . बड़ी शालीनता से उसने साड़ी लपेटी और अपना पल्लू कंधे पर अड्जस्ट किया. पर उसकी कमर का हिस्सा उसके अच्छी ख़ासी हाइट होने की वजह से नग्न और दृष्टिगोचर था.
अभी वह तैयार हुई ही थी की उसकी कामवाली दोबारा आ गयी – उसने जब अजंता को देखा तो कह उठी – क्या बात है दीदी बच्चों से मिलने जा रही हो यह किसी फोटो शूट पर.
अजंता- अरे नही आश्रम में जा रही हूँ बच्चों से मिलने
कामवाली – ध्यान रखना दीदी – कहीं फिर किसी ने ब्लाउज और पेटीकोट फाड़ दिया तो. बहुत सुन्दर लग रही हैं आप.

अजंता हँसने लगी – बेचारा खुद ही बूरी तरह फटेगा.
अजंता अपनी जीप में सवार हो गयी और रास्ते में रुक कर बच्चों के लिए मिठाई खरीदी.
आश्रम में सब बच्चे अपने विक्की भैया के साथ खेल रहे थे
अजंता - कैसे हो विक्की
अजंता को देखते ही विक्की मुस्कुरा उठा - नमस्ते दीदी अच्छा हुआ आप आ गयीं - देखिये न बच्चे मुझे छोड़ नहीं रहे और मुझे बहुत काम है - फिर बच्चों को सम्बोधित करके बोले - चलो बच्चों अब दीदी के साथ खेलो
बच्चों को मिलने से पहले अजंता ने विक्की को कहा - विक्की सुनो
विक्की - हाँ दीदी
अजंता - मिशन सक्सेसफुल - और इसका श्रेय तुम्हे भी जाता है
विक्की खुश हो गया - सच दीदी - पर यह सब _ _ _
अजंता - तुम्हे बाद में बताउंगी - बस अब कोई खतरा नहीं
विक्की - पर दीदी आपको कोई चोट तो नहीं आयी और कोई नुक्सान तो नहीं हुआ

अजंता शरारती हंसी हंसती हुई बोली - नुकसान तो हो गया
विक्की - क्या
अजंता (धीरे से ) - एक पेटीकोट और एक ब्लाउज फट गया
विक्की झेंप गया - दीदी आप भी न
अजंता ज़ोर से हंस पड़ी - तो क्यों शर्मा रहा है. शर्माना तो मुझे चाहिए
विक्की चेहरे पर ख़ुशी के भाव लिए पूजा आदि के कामों में व्यस्त हो गया
बच्चे भी अजंता को देखते ही दीदी दीदी का शोर मचाते हुए उसके इर्द गिर्द इकट्ठे हो गए. सब एक दुसरे को हैप्पी दिवाली बोलने लगे

अजंता उन सब बच्चों के बीच जाकर बैठ गयी और फिर लाई हुई मिठाई को उन सब बच्चों में बाटने लगीं
अजंता की बात सुनकर और मिठाई को देख कर सब बच्चे अजंता के और इर्द गिर्द आ गए. कुछ बच्चे ऐसे शैतान थे की अजंता की गोद के ऊपर चढ़ कर "दीदी मुझे, दीदी मुझे" करके अजंता को तंग करने लगे. अजंता के पीछे पड़ गए - और अजंता को उनकी शरारतों के बीच यह भी पता नहीं लगा की उसकी साडी का पल्लू धीरे धीरे कंधे से खिसकने लग गया था
अजंता बी "अरे शैतानो. ज़रा संभलके, सब को दे देगी तुम्हारे दीदी.. हल्ला मत करो.. अरे अरे" करके झूठा गुस्सा दिखा कर डांटने लगी और फिर मुस्कुरा भी दी.
अजंता - अरे बच्चो वह कहाँ है - मेरा हीरो - मुन्ना
एक बच्ची जिसका नाम गुड़िया था बोली - दीदी वह न आपको बहुत याद करता है और में अभी उसकी एक बात सबके ना सामने आपको बताउंगी
और तभी मुन्ना पीछे से भागता हुआ आया और उसके पीठ पर चढ़ गया.फिर अपने छोटे छोटे कोमल हाथ अजंता की आँखों पर रख दिए . अजंता को अपनी पीठ के नंगे हिस्से पर गुदगुदी का एहसास हुआ

इस चक्कर में अजंता का पल्लू कंधे से गिर गया और उसके तने हुए उरोज एक दम सामने की और ब्लाउज में से झाँकने लगे. उसकी वक्ष रेखा भी कुछ हद तक दृष्टिगोचर थी.

अजंता ने मुन्ना को अपनी और खींच लिया और बहुत प्यार से बोली - अले अले मेला प्याला प्याल हीलो आ गया - और अजंता ने उसे चूम लिया
मुन्ना - दीदी में आपके बिना उदास होता हूँ
अजंता - अच्छा - क्यों - में भी तेरे बिना उदास हो जाती हूँ
गुड़िया - कोई बात नहीं थोड़े सालों की बात है
अजंता - अच्छा गुड़िया फिर क्या होगा - और तू मुन्ना की क्या बात बताने लगी थी?
अजंता का ध्यान अभी भी अपने गिरे हुए पल्लू पर नहीं था और उसकी कमर भी अच्छी खासी बैठे होने के बावजूद बच्चों के सामने नंगी थी. पर उसकी मदमस्त गोल राशि को देख कर उसे पर टूट पड़ने को वहा कोई गुंडे नही थे, सब मासूम बच्चे थे.
अजंता बच्चों के साथ खुद बच्ची बन गयी थी
गुड़िया - दीदी मुन्ना कहते है की जब में बड़ा हो जाऊंगा न तो अजंता दीदी से शादी कर लूँगा
सब खिलखिला के हंस पड़े और मुन्ना शर्मा गया - उसने अजंता के ब्लाउज में अपना मुँह छुपा लिया और हलके से उसकी छातियों पर मुँह रगड़ने लगा
गुड़िया - यह देखो मुन्ना आप पर चढ़ा और आपका पल्लू गिर गया. और अब देखो कैसे दीदी के पिल्लू से अपना मुँह रगड़ रहा है
फिर मुन्ना ने अजंता की नाभि में ऊँगली दाल ली और घूमने लगा और अजंता को फिर गुदगुदी हुई

अजंता के गाल शर्म से लाल लाल हो गए जब उसने अपने गिरा पल्लू देखा. उसने उसे बच्चे को देखा जो अपना दोनो हाथो मे मिठाई बार के खाने मे व्यस्त था. अजंता की चेहरे पर मुस्कुराहट छा गयी बच्चों की मासूमियता पर. बड़े जिससे गन्दी हरकत करते थे बच्चे उतनी ही मासूमियत देते थे - उसे याद आया की कितनी ही बार गुंडों के सामने उसकी यही बड़ी बड़ी गोल ख़ूबसूरत छातियां नंगी हुईं और गुंडों ने उन्हें मसलने का भरपूर यत्न किया. उसने बारी बारी सब बच्चों को मिठाई खाते और मुन्ना को उसके ब्लाउज से खेलते हुए देखा - मुन्ना की कोमल उंगलिया अब उसके ब्लाउज के मध्य में थीं और प्यार से गुदगुदी कर रही थी
मुन्ना शर्मा के बोला - अभी थोड़ी - पहले में बड़ा होकर कमाऊंगा - फिर आपको अपनी दुल्हन बनाऊंगा - वह मासूमियत से बोला

उसने फिर उसे मुन्ना को नज़दीक खींच कर अपनी बिना पल्लू के सीने से लगाया और उसका सर पर एक किस किया.
अजंता - अच्छा शैतान- अभी से मेरे पिल्लू छेड़ रहा है - तो बड़ा होकर तो तू बहुत शरारती होगा.

मुन्ना - अरे दीदी सबके सामने थोड़ी - अकेले में - ठीक है ?
अजंता मुस्कुरा उठी - अच्छा मुझे शादी के बाद हनीमून पर कहाँ ले जायेगा
मुन्ना - जंगल में ?
अजंता - अरे - जंगल में - क्यों ?
मुन्ना - वहां मेरे और आपके सिवा कोई नहीं होगा - तो फिर मैं और आप - समझ गए न दीदी - पर दीदी हनीमून से पहले एक ज़रूरी काम और भी है
अजंता बड़ी मासूम बनकर बोली - वह क्या मेरे हीरो?
मुन्ना - मेरी और आपकी सुहागरात ?
अजंता और बच्चे खिल खिला कर हंस पड़े - ओहो - अजंता चेहरे को हाथों में लेकर शर्माने का अभिनय करने लगी
एक बच्चा बोला - देख मुन्ना दीदी शर्मा गयीं - अब तो तेरी हीरोइन रेडी हो गयी तेरे लिए
अजंता की हंसी नहीं रुक रही थी - अच्छा तो सुहागरात में क्या करेगा
मुन्ना - आपका घूँघट उठाऊंगा
अजंता - फिर ?
मुन्ना ने अजंता का पल्लू पकड़ा लिया और कोमल हाथों से हलके खींचा
अजंता - हाय राम - मेरी साडी उतारेगा
गुड़िया अपनी मासूम और तोतली आवाज़ में - अरे बेशरम हमारे सामने ही - अभी दीदी की साड़ी उतर गयी तो - वह सिर्फ पेटीकोट में ही हमारे सामने कैसे बैठेंगी ?
मुन्ना - तो मुँह उधर कर ले न - आप तो ऐसे कह रहे हो दीदी जैसे मैंने बिना साड़ी के आपको नहीं देखा
अजंता - अरे शैतान - कब देखा तूने मुझे बिना साड़ी के
मुन्ना - दो महीने पहले नहा के आये थे तो मेरे सामने ही साड़ी पहन रहे थे - आपकी कमर न बहुत सुन्दर है - बिलकुल चेहरे की तरह - इसी लिए तो मैंने फैसला किया है की आपसे शादी करूँगा
अजंता - अच्छा फिर क्या करेगा

मुन्ना की छोटी छोटी उँगलियाँ अजंता के ब्लाउज के मध्य में चली गयी और अजंता को गुदगुदी हुई - ऐ शैतान मेरा ब्लाउज खींचेगा क्या -
मुन्ना - आप मेरे से शरमाओगे ?
अजंता - हाँ मैं तो बहुत शर्माउंगी - तेरे सामने ब्लाउज उतारते हुए.और तुझे पता है जंगल में कई विलेन भी होते हैं - वहां किसी ने मेरा ब्लाउज फाड़ दिया तो
मुन्ना - दीदी आप चिंता मत करो - में अपनी शर्ट उतार कर आपको दे दूंगा ताकि आप अपने पिल्लू अच्छी तरह से ढक लो - फिर में विलेन को खूब मIरूंगा और आपकी इज़्ज़त बचाऊंगा
अजंता ने भावावेश में मुन्ना को गले से लगा लिया - मेरे प्यारे प्यारे मुन्ना और उससे लिपट गयी

अजंता फिर उन बच्चों के साथ खेलती रही, और खुद भी बच्ची बन गयी. वो कभी माँ बनती, कभी दीदी और कभी दोस्त .
इस तरह से बच्चों को प्यार करते हुए और उनके साथ खेलते हुए उसने आश्रम में सारा दिन निकाल लिया.
श्याम को अजंता , विक्की और बच्चों ने मिलकर डीप माला की और दिवाली मनाई . आज अजंता की वह दिवाली बहुत यादगार थी.
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