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Romance रंडी से प्यार
#1
आप सब के सामने नई स्टोरी पेश कर रहा हु,आशा है कि आपको पसंद आएगी ....
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#2
अध्याय 1
शहर जितना बड़ा होता है वहां के लोगो का दिल उतना ही छोटा,ये जुमला मैंने शायद किसी फ़िल्म से सुना था,लेकिन जब मुझे सचमे शहर आना पड़ा तो ये बिल्कुल सत्य लगने लगा,मैं यहां पढ़ने के लिए आया था,मेरा एडमिशन एक इंजीनियरिंग कॉलेज में हुआ था,मैं अपने गांव का एकमात्र इंजीनियर बनने जा रहा था ,और इस उपलब्धि को पाने के लिए मैंने बहुत संघर्ष किया था,एडमिशन तो मुझे मिल गया लेकिन रहने की जगह नही मिल पाई ,होस्टल फूल हो चुके थे,और कई धर्मशाला से निकाला जा चुका था,मैं 6 महीने से यहां वहां भटक रहा था,मेरा कॉलेज एक सरकारी कॉलेज था,और यहां जो भी मेरे दोस्त बने वो मेरे ही तरह गांव से आये हुए लड़के थे,शहर के लड़के तो हमे भाव भी नही देते थे,और लडकिया….
हमारे जैसे लोगो को वो अपने मुह नही लगना चाहती थी,यही बात एक लड़की ने मुझसे कही थी जब मैंने उसके बाजू में बैठने की हिमाकत कर दी ,
खैर मेरे दोस्तो के पास तो खुद का कोई जुगाड़ नही था ,जैसे तैसे सरकारी होस्टल में रह रहे थे,वहां उनकी वो रैकिंग हुआ करती थी जिसे सोचकर रूह कांप जाय लेकिन इसके अलावा उन बेचारों के पास कोई चारा भी नही था,
ऐसे मैंने भी वहां रहने की कोसीसे की लेकिन वार्डन ने मुझे वहां से भी भगा दिया,जैसे तैसे 6 महीने तो गुजर गए लेकिन अब समय था मेरे पहले सेमेस्टर के एग्जाम का और मेरे पास तो रहने को भी जगह नही थी,मा बाप के पास इतना पैसा भी नही था की वो मुझे वो सुविधा दे सके की मैं किसी रूम किराए से लेकर रह सकू,स्कॉलरशिप भी अभी मिली नही थी ,और इतनी मिलने वाली भी नही थी की कुछ जुगाड़ हो सके,पार्ट टाइम एक जॉब कर रखा था,उससे ही मेरे कपड़े और खाने पीने का जुगाड़ हो जाता था,मेरे पास कुछ ज्यादा समान थे नही,पुस्तके लाइब्रेरी से ही ले आता कुछ कापियां जिनमे मेरे नोट्स थे और 2 जोड़े कपड़े जिसे बदल बदल कर पहनता था,उस दिन जब धर्मशाला से निकाला गया तो मैं लगभग टूट गया,वहां के सभी धर्मशाला वाले मुझे पहचानने लगे थे,कही कोई जगह नही बची थी ,साला हमारा गांव ही अच्छा था वहां आप कही भी रहो कोई टोकने वाला नही होता था,और एक ये शहर था जंहा बस स्टेसन में भी पुलिश वाले बैठने नही देते,मैं अंदर से टूटा हुआ अपना बेग लेकर कॉलेज पहुचा पता चला की एक दिन पहले ही फ्रेशर पार्टी की गई थी ,मुझे इन सबसे क्या मतलब था,मेरे एक दोस्त ने मेरी कैंडिशिन देखी और हाथ में मेरा बेग देखा वो समझ गया की इसे फिर से निकल दिया गया है,एक दो दिन की बात हो तो मैं होस्टल में उसके साथ ही शिफ्ट हो जाता था लेकिन कुछ ही दिनों में एग्जाम थे और मुझे कोई अच्छा सा बसेरा चाहिए था जिसमे कम से कम कुछ दिन मैं टिक सकू…
वो मुझे चाय पिलाने ले गया उसका नाम प्यारे था,
“यार राहुल कल पार्टी में क्यो नही आया ,साले सीनियरों ने जमकर शराब पिलाई पता है…”
मैं चाय की एक सिप पीता हुआ उसे देखने लगा,और वो मेरी हालात समझ चुका था,
“फिर से बेघर ???”
“हा यार ,पता नही एग्जाम कैसे जाएंगे,कॉलेज के कारण कोई नॉकरी भी नही कर पता ,पढ़ाई करू या नॉकरी समझ नही आता,कोई जुगाड़ भी नही हो पा रहा है ,साला मेरा सेठ भी कुछ देने को तैयार नही कहता है की कहता है महीने के आखिर में पैसे लेना,जो बचे पैसे है उससे कोई कमरा ले लू तो खाऊंगा क्या समझ नही आ रहा ….”
मैं जानता था की प्यारे भी इसमें कुछ नही कर सकता पर उसके अलावा मैं बताता भी किसे ,तभी सीनियर का एक ग्रुप वहाँ आया ,और मुझे देखकर वो गुस्से में आ गए ,
“साले कल क्यो नही आया ,हमेशा सीनियरो से भागता है बहुत होशियार समझता है अपने को ….”
एक तेज झापड़ ने मेरा गाल लाल कर दिया था,और मेरे सहनशीलता की सिमा टूट गई,मैं जोरो से रोने लगा इतने जोरो से की सीनियर्स की भी हालत खराब हो गई,मैं ऐसे रो रहा था जैसे की मेरा दुनिया में कोई हो ही ना ,और अभी के परिपेक्ष में ये बात सही भी थी,तभी उनमे से एक सीनियर आगे आया उन्हें हम बहुत मानते थे,असल में वो भी हमारी तरह गाँव से और एक अत्यंत गरीब घर से आये थे ,और कॉलेज में टॉप करने के कारण उन्हें थोड़ा सम्मान मिल जाय करता था,उनका नाम संजय था
“तुम लोग जाओ यहां से मैं इसे समझता हु ,”
वो मेरे कंधे में हाथ रखकर मुझे सांत्वना देने के भाव से बोले 
“क्या हुआ राहुल ,लगता है की तू बहुत बड़ी परेशानी में है,”
वो मेरे हालात समझते और जानते थे मैंने उन्हें अपने कंडीशन के बारे में बताया ,इसका इलाज तो उनके पास भी नही था,लेकिन उसी चाय की टापरी में खड़े एक अंकल जो की हमारी बात ध्यान से सुन रहे थे अचानक हमारे पास आ गए ,
“रूम चाहिए “
“जी अंकल लेकिन पैसों की समस्या है थोड़ी “
“एक काम हो सकता है,मैं रूम दिलवा दूंगा बिना पैसों के खाने का पैसा देना होगा,और साथ में कुछ काम करने होंगे चलेगा “
मुझे लगा की ये आदमी जैसे मेरे लिए भगवान बन कर आया हो ,
“बिल्कुल अंकल चलेगा चलेगा “
“लेकिन एक और समस्या है,जिस जगह तुझे ले जा रहा हु वो सही जगह नही है “मेरे दोनो शुभचिंतकों ने अंकल की ओर प्रश्नवाचक नजर से देखा लेकिन मैं अभी भी उन्हें अभिभूत दृष्टि से देख रहा था,
“अंकल जहन्नुम में भी रहने बोलोगे रह जाऊंगा “
अंकल के चहरे में एक मुस्कान खिल गई जैसे उन्हें कोई बड़े काम की चीज मिल गई हो ,ठीक है चल मेरे साथ ,
“ऐसे कौन सी जगह है अंकल “
मेरे सीनियर ने स्वाभाविक जिज्ञासा से पूछ लिया 
“****मार्किट का रंडीखाना “
हम सभी स्तब्ध थे लेकिन कोई कुछ नही बोल पा पाया मजबूरी ऐसी थी की हम कुछ बोलने के लायक भी नही थे…..
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#3
Welcome back dactar sahib

Great start to a great story
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#4
अध्याय 2
चहल पहल भरे बाजार से किसी सकरी गली के अंदर जाना मुझे ऐसे लग रहा था जैसे की मैं किसी पाताल में जा रहा हु ,थोड़ी ही दूर में एक 3 मंजिला चाल थी जंहा आकर वो सकरी गली खत्म होती थी,उस चाल की रंगत भी उस मार्किट की तरह ही थी,जगमगाते हुए रंगीन लाइट उस शाम की सोभा बड़ा रहे थे, हाथो में हरीभरी चूड़ियां पहने महिलाएं जो सज धज कर खड़ी थी उनके मुह से निकलने वाली गालिया और प्यार भरे शब्द आपस में ऐसे मिल रहे थे की पता ही नही चलते की वो प्यार से बुला रहे है या की धुत्कार रहे है,मैं अपना छोटा सा बेग उठाये अजीब निगाहों से उनको देखता हुआ बस अंकल के पीछे चल रहा था,अंकल आखिरकार एक कमरे के पास पहुचे जो की बड़े से बरामदे के आखरी छोर पर था,
“अरे चम्पा बाई ,कहा हो “
कमरे के अंदर जाने पर मेरी आंखे खुली रह गई,ये गरीबो की सी बस्ती में ऐसा वैभव होगा मैंने सोचा नही था दुसरो के लिए तो नही पता मेरे लिए तो ये वैभव ही था,बड़ा सा सोफा कमरे में रखा था पास ही कोई 4-5 गुंडे किस्म के लोग खड़े थे जिनकी भुजाए मेरे जांघो जितनी होगी बड़ा सा कमरा था और कमरे के बीच में सोफे में एक औरत बैठी थी जिसका मुह पान से लाल हो रखा था,बड़े डीलडौल वाली ये महिला देखने में ही बड़ी खतरनाक लग रही थी मेरे माथे पर आया पसीना मेरे डर को साफ तौर से जाहिर कर रहा था,
“अरे आओ आओ बैठो बनवारी “
अंकल का नाम बनवारी था ,जो भी हो मुझे एक कमरा चाहिए बस ,
“देखिए आपके लिए क्या लाया हु,पढ़ा लिखा लवंडा है,कमरा चाहिए इसे “
चम्पा मुझे ऊपर से नीचे तक देखने लगी 
“क्यो रे लवंडे कितना पढ़ा है”
“जी बी ई कर रहा हु “
“वो क्या होता है”
“जी इंजीनियरिंग कर रहा हु “
“इंजीनियर हो “
“जी पढ़ाई कर रहा हु ,जिसे पढ़कर इंजीनियर बनूंगा “
वो मुझे अजीब निगाहों से देखती है ,मेरे दिल की धड़कने बढ़ रही थी,वो बनवारी की तरफ देखती है ,
“ये हमारे लिए काम करेगा “
“बिल्कुल करेगा “
“अरे तुम्हे कम्प्यूटर चलना आता है क्या “
“जी आता है “
मेरे स्कूल में हमे कम्प्यूर का ज्ञान सरकार के द्वारा मिला था ,मेरा इंटरेस्ट उसमे इतना हुआ की मैं कंप्यूटर साइंस में ही इंजीनियरिंग करने की सोच ली …
“कितना आता है ,हिसाब कर लोगे “
“जी मैं तो उसी में इंजीनियरिंग कर रहा हु “
“अरे हमे उससे कोई मतलब नही है की तुम किसमे क्या कर रहे हो हिसाब कर लोगे की नही ये बताओ ,साला एक झंझट दे दिया है शकील भाई ने हमे अब ससुरी रंडीखाने में भी कंप्यूटर लाना पड़ेगा “
मैंने दिल से शकील भाई को दुवा दी मुझे नही पता था की वो कौन है पर जो भी है मैं बहुत खुस हुआ ,कोई फालतू का काम नही करना पड़ेगा और रहने को कमरा भी मिल जाएगा,
“जी बिल्कुल आता है ,सब कर लूंगा आप बताइये क्या करना है ,”मेरे चहरे पर खुसी और आत्मविस्वास आ गया था,जिन्हें कुछ नही पता हो उनके आगे तो मैं शेर बन ही सकता था,
“ह्म्म्म ठीक है ,यहां से क्या क्या पैसा आता है और जाता है उसका हिसाब रखना पड़ेगा ,इसके लिए तुझे 2 हजार दूंगी,और रहने को मकान चलेगा ,और मकान नही चाहिए तो 2.5 हजार मिलेगा ,”
मेरे दिमाग में आया की साला ये मकान सिर्फ 500 में दे रही है ,पूरे शहर में सबसे सस्ता …
“असल में क्या है ना की तू यहां रहेगा तो मैं जब चाहू तुझे बुला सकती हु ना इसलिए ज्यादा पैसा दूंगी बाहर रहेगा तो टाइम से आएगा टाइम से जाएगा तो मेरे से नही बनेगा “
“जी चलेगा ,यही रह लूंगा “
मेरी तो बांछे ही खिल गई ,खाने में मेरे ज्यादा खर्च नही थे ,मैं फिर भी 1000 रुपये बचा सकता मेरे दिमाग में मा के लिए नई साड़ी घूम गई,बापू के लिए भी कुछ ले पाऊंगा अरे वाह …
मैं खुस हो रहा था,
‘ठीक है इसे काजल का कमरा दिखा दे ,वही रहेगा ये “
अब मेरी संट हुई ,मैं काजल के साथ रहूंगा,मतलब ...लेकिन मैं कुछ बोला नही ,
“सुन कल सुबेरे आ जाना क्या लगता है कप्यूटर के लिए बता देना मंगवा लूंगी “
“आपको काम क्या क्या करना है “
“अरे बताई तो ना “
मैं सोच में पड़ गया ,फिर मेरे दिमाग में एक शैतानी आयी 
“कितने लोग चलाएंगे “
“अब इस काम के लिए क्या मैं ऑफिस खोलू तू ही चलाएगा तुझे क्यो रखा है “
“ओहह ,तो एक काम क्यो नही करती डेक्सटॉप की जगह पर लैपटॉप ले लेते है ,बजट कितना है “
“मतलब “
“मतलब की कितना खर्च कर सकते है”
“30-40 हजार इससे ज्यादा नही “मेरे मन में लड्डू फूटे साला जिसे मैं सपने में देखता था शायद वो सच हो जाएगा ,खुद का लेपटॉप 
“हा हो जायेगा ,आराम से हो जाएगा ,एक लेपटॉप ले लेंगे और एक प्रिंटर आपके पैसे भी बच जायेगे,आप बोलो तो यहाँ वाईफाई का रावटर भी लगा लेते है,कोई सस्ते वाला काम चल जाएगा “
वो मुझे ऐसे सुन रही थी जैसे कोई दूसरी भाषा में कुछ कह दिया हो ,
“कितने में हो जाएगा “
“आपके बजट में हो जायेगा पैसे भी बच जायँगे हा वाईफाई के लिए महीने में बिल देना होगा”
“कितना “
“यही कोई 500 “
“ह्म्म्म रुक शकील भाई से बात करती हु “वो फोन घुमाई और लगभग 5 मिनट तक बात करते रही उन्हेंने मेरे बारे में भी सब कुछ बताया और फोन मुझे दिया ,शकील चम्पा से कही ज्यादा जानकर निकला उसने मुझे हर चीज के बारे में पूछा और मुझसे खुस भी हो गया,अंत में वो बस इतना बोला की तू मेरे बहुत काम आएगा और चम्पा से बात करने लगा ,चम्पा ने मेरी हर बात मान ली थी ,मैं बहुत खुस था मुझे हमेशा से ये सब चाहिए था लेकिन मैं इनके बस सपने ही देख सकता था लेकिन अब मरे पास ये सब होगा,मैं अब अपने प्रोजेक्ट अपने लेपटॉप में बना पाऊंगा और प्रिंट करा पाऊंगा ………..

अब बात थी मेरे नई रूममेट काजल की ,चलो उसे भी देखते है…..मैं एक बॉडी बिल्डर के पीछे चलने लगा …
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#5
(12-01-2019, 12:05 PM)Bregs Wrote: Welcome back dactar sahib

Great start to a great story

धन्यवाद सर जी
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#6
अध्याय 3
“ये कौन है,”
एक खूबसूरत बला मेरे सामने खड़ी थी ,अगर ये मुझे कही और मिल जाती तो मैं मान ही नही सकता था की ये कोई जिस्म का धंधा करने वाली लड़की होगी,ये तो असल में मेरे कालेज के उन लड़कियों से भी ज्यादा खूबसूरत थी जो की मेरे साथ पढ़ती थी और मुझे बिल्कुल भी भाव नही देती थी,
“ये तेरे साथ ही रहेगा अब से इसी खोली में “
वो अजीब निगाहों से मुझे देखने लगी 
“अरे इतनी छोटी सी तो खोली है मेरी इसमें अब इसे कहा रखु “
वो लगभग रुआँसी सी हो गई 
“कुछ दिन काम नही किया तो मौसी मेरे साथ अब ऐसा करेगी “
वो सच में रुआँसी हो गई थी,ऐसा लगा की अब रोने ही वाली है 
“वो मुझे नही पता मौसी ने कहा की ये लड़का अब तेरे साथ ही रहेगा,ये शकील भाई के लिए काम करने आया है यहां पर “
वो फिर से मुझे खा जाने वाली निगाहों से देखती है,
“मेरी तबीयत थोड़े दिन में ठीक हो जाएगी फिर तो मैं धंधे में आ जाऊंगी ना फिर से ,,,”
“2 महीने से तूने किराया नही दिया है ,और ये तेरी मुसिबित है ,अगर कुछ कहना है तो मौसी से बोल ना मुझे तंग मत कर अब “
वो बॉडी बिल्डर वँहा से चला गया ,काजल मेरे तरफ मुड़ी,वो लगभग मेरी ही उम्र की थी,तीखे नयन नक्श की मलिका,मासूमियत उसके आंखों में छलक रही थी और नाजुक सी देह,लेकिन मुह खोलती तो बिल्कुल तीखी मिर्च जैसे,कसा हुआ बदन था जो अभी अभी जवान हो रहा था,मैं उसके चहरे में थोड़ी देर के लिए खो गया था,
“ये क्या देख रहा है ,”
मैं हड़बड़ाया …
“कु कुछ नही बस ….”
“चल अंदर आ जा “
वो अपने उसी रूखे स्वर में बोली ,मैं अंदर दाखिल हुआ वो मेरे पीछे कमरे का दरवाजा बंद कर दी ,मैं थोड़ा घबराया जिसे रानी ने भी महसूस किया ,और वो हँसने लगी 
“क्या हुआ कभी किसी लड़की के साथ कमरे में अकेले नही रहा है क्या ??”
वो हँस ही रही थी ,मैंने ना में सर हिलाया 
“तो यहां क्या करने आ गया बहनचोद ,ऐसे भी मेरा बुरा समय चल रहा था और अब ये मुसीबत ,मौसी से तो बात ही करना बेकार है ,अब तुझे भी अपने साथ रखना पड़ेगा “
वो भुंभुनायी ,और फिर से मुझे देखने लगी 
“देख मैं रंडी हु जानता है ना “
मैंने हा में अपना सर हिलाया 
“तो ये सोच कर की ये तो रंडी है इसके साथ कुछ भी कर लूंगा मुझसे बत्तमीजी से पेश मत आना वरना तेरा वो हाल करूँगी साले की …..रंडी हु और तुझे अगर कुछ करने का मन हुआ तो 200 रुपये एक बार के ,1000 पूरी रात का समझा ,और मुह में नही लुंगी .पिछवाड़े में नही लुंगी,होठो में चुम्मा नही करना है समझा उसके अलग पैसे लगते है ,समझा …”
वो ताव में आकर बोली .
“लेकिन मुझे कुछ भी नही करना है ,मैं आपको पैसे क्यो दु ,आप ये बता दीजिये की मैं सोऊंगा कहा पर …”
मेरे चहरे पर आये मासूमियत के भाव से शायद…... वो थोड़ी शांत हुई ,उसने एक कोने में इशारा किया ,मेरे पास तो बिस्तरा भी नही था ,मैं वही जमीन पर अपना बेग रखा और एक पुस्तक जोकि मैंने लाइब्रेरी से लायी थी और एक कॉपी निकल कर वहां रख दिया ,
“अरे तेरा बिस्तर कहा है ?”
“मेरे पास नही है “
वो थोड़ी मुस्कुराई 
“रुक मैं ला देती हु “
वो कमरे से बाहर चली गई .मैंने पूरे कमरे को ध्यान से निहारा ,वो एक छोटा सा कमरा था जिसमे एक बेड लगा हुआ था ,एक सिंगल बेड था,लेकिन थोड़ा चौड़ा था,वो एक लकड़ी का तख्त था जिसपर मोटा गद्दा बिछा हुआ था,,कमरे की एक दिवाल पर जॉन अब्राहिम की एक बड़ी सी तस्वीर टंगी थी ,जिसमे उसके डोले शोले दिख रहे थे ,उसके 6 एब्स को देखकर कोई भी दीवाना हो जाय ,एक तरफ एक बड़े से दर्पण वाली अलमारी थी ,जिसमे एक ड्रेसिंग बना हुआ था और वो लड़कियों के श्रृंगार समान से भरा हुआ था ,उस बेड के बाद थोड़ी दी और जगह बच रही थी जिसमे की एक आदमी आराम से सो सके और एक कोने में कुछ बर्तन और राशन के समान और एक गैस चूल्हा रखा था,कमरे से सटा हुआ ही टॉयलेट भी था जिसमे मुश्किल से एक आदमी खड़ा हो पता ,मेरे लिए इतना ही काफी था ,असल में मैं इससे भी बुरे हालात में रह चुका था और मुझे यहां सिर्फ सोने ही तो आना था,पढ़ाई के लिए लाइब्रेरी थी या कही गार्डन में बैठकर भी पढ़ सकता था ,और बाकी समय तो मेरा काम और कालेज में निकल जाएगा ,यही तो मैं पिछले 6 महीने से कर रहा था ,अब कम से कम मेरे पास एक स्थायी पता तो होगा ,
तभी कमरा फिर से खुला और रानी अंदर आयी साथ में वही पहलवान था जो मुझे छोड़ने आया था ,उसके हाथो में एक गद्दा था उसे लाकर वो मेरे पास पटक दिया ,और बिना कुछ कहे ही वँहा से चला गया ,मैंने उसे बिछ्या और उसने ही बैठ गया ,रानी अब अपने बिस्तर में बैठी थी और मेरे उस पुस्तक को ध्यान से देख रही थी ,वो c++ की बुक थी जो की लगभग 2 से 3 हजार पन्नो की रही होगी ,
“तुम इतना पढ़ लोगे “उसने हैरत से कहा 
“हा ये पूरा थोड़ी ना पढ़ना रहता है ,बस जितना काम का हो उतना ही “
“अच्छा मौसी बता रही थी की तुम इंजीनियर हो,क्या सच में “
“नही मैं अभी पढ़ रहा हु ,ये पढ़ाई करके मैं इंजीनियर बनूंगा “
“तो अगर अब कमरे का पंखा बिगड़ गया तो तुम उसे बना दोगे”
मैं उसे एक बारकी ध्यान से देखा इसने मुझे मेरे गांव के लोगो की याद दिला दी ,साले इंजीनियर को वो या तो मेकेनिक समझते है या फिर इलेक्ट्रिशियन ,अगर किसी को कुछ ज्यादा पता हो तो ठेकेदार..
“नही असल में मैं कंप्यूटर इंजीनियर हु “
“वो क्या होता है ?”
“कल आ जाएगा फिर बताऊंगा “
“क्या आ जाएगा “
“कंप्यूटर “
“देखो मैं तुमसे कह रही हु मौसी के कारण तुम्हे यंहा रहने दिया है मैंने अब और यंहा कुछ कचरा नही चाहिए ,ऐसे भी धंधे की हालत खराब है और तुम यंहा और समान लाने की बात कर रहे हो “
वो फिर से गुस्से में आ गई लेकिन इस बार मुझे उसपर गुस्सा नही बल्कि हँसी आयी और मैं हँस पड़ा 
“क्या हुआ यू क्या दांत दिखा रहे हो “
“कुछ नही अरे वो इतना बड़ा थोड़ी होता है ,वो तो मेरे कॉपी जितना होगा ,कल आएगा तो देख लेना “
वो अपना मुह बनाने लगी जैसें मैंने उसे चिढ़ा दिया हो 
“हा हा जानती हु सब ,फिल्मों में देखा है मैंने सब ,”
“तो तुम फिल्में देखती हो .”
“ह्म्म्म लेकिन बस सलमान और जॉन के “
वो इठलाते हुए बोली ,लगता है जॉन की दीवानी थी इसे पटा कर रखना मेरे लिए आसान होगा ,
“अच्छा सुनो अब मेरी बात ,खाने का पैसा लगेगा ,तुम्हे खाना बनाना आता है ?”
मैंने हा में सर हिलाया 
“बढ़िया तो समान ले आना और एक समय का तुम बनाना,मैं बर्तन मांज दूंगी , एक समय का मैं बना दूंगी ,और तुम बर्तन धोना ,और अपना झूठ खुद ही धोना मैं उसे हाथ नही लगाउंगी ,बर्तन है की नही थाली भी तो नही दिख रही है तुम्हारी “
उसने मेरे समान की ओर देखते हुए कहा जिसमे महज एक बेग भर था ,
“ठीक है खरीद के ले आना कल ,और राशन का समान भी मैं लिख के दे दूंगी “
“वो ….वो मेरे पास अभी पैसे नही है ,अगर कल चम्पा मौसी कुछ दी दे तो ले आऊंगा ,वरना महीने के आखिर में तनख्वाह मिलेगी तो …”
मैं डरते हुए कहा ,वो फिर से मुझे घूर कर देखने लगी ,
“ठीक है ठीक है ,अभी के लिए तो हो जाएगा,चलो अभी रात का खाना बनाओ ,कल से कौन से समय का खाना बनाओगे “
“जी सुबह का बना दिया करूँगा “
“हम्म ठीक है ,चलो अभी तो बनाओ देखते है कितना अच्छा बना लेते हो ,नही तो साला कचरा ही खाना पड़ेगा “
मैं उठा और खाना बनाने की तैयारी करने लगा ,भगवान का शुक्र था की मेरे हालात ने मुझे खाना बनाना सीखा दिया था,मेरी माँ अक्सर बीमार रहा करती थी ,इसलिए मुझे सीखना ही पड़ा ,घर का इकलौता बेटा था ,ना कोई बहन ना भाई ,मैं सब्जियां देखने लगा ,फिर रानी की तरफ देखा जो मुझे ध्यान से देख रही थी ,
“क्या बनाऊ ??”
“जो बनाना है बना दे ,चल ऐसा कर भिंडी ही बना दे रोटी के साथ “
मैं भीड़ गया और रानी बाहर जाकर ना जाने किनसे बात करने लगी ,कई औरते कमरे में झांकती और मुझे देखकर हँसती हुई वँहा से निकल जाती और फिर रानी से बात करने लगती उसकी कुछ बाते मेरे कानो में भी पड़ रही थी ,
“अरे रानी ये तो अच्छा नॉकर मिल गया है तुझे “
“अरे मत पूछो मौसी ने गले बांध दिया है साले को ,ऐसे लड़का अच्छा है ,सीधा साधा “
“अरे लड़के कभी अच्छे होते है क्या बच कर रहना साला हुक्म ना चलाने लग जाय,मुफ्त में कुछ करने लगे तो बताना इसकी अच्छी खबर लेंगे “दूसरी औरत ने कहा और सभी हँसने लगे 
“अरे ये बेचारा भी हमारे तरह ही तकदीर का मारा होगा,वरना यंहा रहने कौन आता है ,यंहा तो लोग अपनी हवस मिटाने ही आते है …”एक तीसरी महिला की आवाज मेरे कानो में पड़ी जिसकी आवाज से लग रहा था की उसकी उम्र कुछ ज्यादा रही होगी ,उसकी इतना बोलने से ही मुझे अपने यंहा होने का अहसास हुआ की मैं कंहा हु ,मैं इस जगह के बारे में ना अपने किसी दोस्त को बता सकता था ना ही अपने घरवालों को ,इतनी मजबूरी थी की मुझे रंडीखाने में रहना पड़ रहा है ,इसका अहसास होते ही मेरे आंखों में आंसू आ गए और मैं बस उस भिंडी को देखता रह गया जिसे मैंने अभी अभी काटा था………...
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#7
अध्याय 4
“वाह रे तेरे हाथो में तो जादू है साले …”
काजल ने जैसे ही रोटी का टुकड़ा अपने मुह में डाला वो चहक उठी ,और मैं शर्माने लगा ..
“तू बात बात में ऐसा क्यो शर्मा जाता है ,इतना तो लडकिया भी नही शर्माती ..”वो फिर से खिलखिलाने लगी ,उसकी हँसी में एक गजब की स्कछन्दता थी ,बिल्कुल ही निर्दोष सी खिलखिलाहट थी,मैं उसके चहरे को देखता ही रह गया था ,क्या आकर्षण था उसके अंदर ,दांतो की पंक्ति मोतियों के जैसे चमक रहे थे,गाल बिल्कुल ही लाल हो गए थे,अचानक से वो मुझे अपने ओर देखता हुआ पाकर रुक गई ..
“फिर से घूर रहा है साले ...रेट बताया ना पैसा होगा तो बोलना ..”मैं बुरी तरह से झेंपा और वो मुह दबा कर हँसने लगी 
वाह आज तो मजा आ गया ,ना जाने कितने दिनों के बाद ऐसा अच्छा खाना खाया है ...उसने अपना आखिरी निवाला भी निगल लिया था …
“अच्छा तो यंहा क्यो रहने आ गया ..”
मैंने उसे पूरी कहानी सुना दी ..उसके चहरे में मेरे लिए दुख और दया का भाव आ गया ..
“यानी तू भी तकदीर का मारा है ..”
“तकदीर से मैं गरीब जरूर पैदा हुआ हु लेकिन अब मैं यंहा अपनी तकदीर बनाने आया हु ,मुझे अपनी किस्मत खुद लिखनी है ,वरना अभी भी वही गांव में पड़ा रहता वही करता जो पिता जी करते है …”
मैं अचानक ही अपने उस उम्मीद में भर गया जिसके सहारे में हर मुश्किल को हंसते हुए सहता था,मुझे जीवन से बहुत उम्मीद थी और मैं हमेशा स्वामी विवेकानंद की उस बात को याद कर लेता था जिसमे उन्होंने कहा था की तुम ही अपने किस्मत के लेखक हो …
काजल के होठो में एक अजीब सी मुस्कान आई ..
“चलो अच्छा है किसी को तो अपने जीवन से कोई उम्मीद है …”वो बस इतना कहकर उठी और बिस्तर में लेट गई ,लेकिन उसकी बात में जो दर्द था वो दर्द मेरे दिल के किसी कोने को छू गया था ...इतनी नाउम्मीदी मैंने अपने जीवन में कभी महसूस नही की थी जो उसके उस अकेले वाक्य में थी ..
“सोने से पहले लाइट बंद कर देना “
काजल एक करवट लेकर लेट गई थी ..मैं भी लाइट बंद कर लेटा हुआ दूसरे दिन की प्लानिंग करने लगा……..
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#8
अध्याय 5

“साले बहुत खुस लग रहा है क्या बात है रंडीखाने में जाकर तो और भी चमक रहा है ..”
प्यारे ने मुझे धीरे से कहा ,संजय सर और प्यारे ही वो दो व्यक्ति थी जिन्हें ये पता था की मैं कहा रहता हु ..
“तू पहले ये देख ..”
मैंने अपना बेग खोला जिसमे 40 हजार रुपये थे,प्यारे का मुह खुला का खुला ही रह गया था ..
“भाई इतने पैसे ..”
“अबे धीरे बोल ..चल तझे समझता हु ..”
मैंने उसे सारी बात बताई ..
“वाह यार ये सही जगह है तेरे लिए ..लेकिन बस …”
“क्या हुआ ..”
“अरे कुछ नही सोच रहा था की तू एक जवान लड़का है और वो एक खूबसूरत लड़की अगर तू कही बहक गया तो ..”
मैंने प्यारे को घूरा…और एक गहरी सांस ली ..
“भाई मैं उस जगह में रहता हु जंहा बहकने के लिए भी पैसे लगते है ,और हमारी जेब खाली है समझे,वो लोग बहुत ही प्रोफेसनल होते है फोकट में अगर छू भी दिया ना तो काट देंगे ...अबे मुझे नही मेरा वाला”
हम दोनो हो खिलखिला उठे,मुझे याद नही की हम ऐसे कब हंसे थे लेकिन जेब में पैसा हो तो एक अलग ही खुसी मिलती है ,ये मैंने उस दिन जाना था,पता नही एक अजीब से पावर की अनुभूति हो रही थी मुझे जैसे दुनिया मेरी मुठ्ठी में हो ...तभी याद आया की ये पैसा मेरा नही है …
“यार प्यारे लेपि कहा मिलेगा ,सेकंड हैंड चाहिए और वो आकाश (हमारे क्लास का एक अमीर लड़का जो सरकारी कालेज में भी डोनेसन दे कर आया था ,शायद उसका बाप कोई बहुत बड़ा तोप था) के पास है ना ,अरे वो एक राउटर है ना जैसा कुछ वो भी मिल जाए तो …”
“अच्छा पॉकेट वाईफाई ...ह्म्म्म अबे वो आकाश ही बेचने वाला है सुना था,साले के बाप के बहुत पैसा है ,बाजार में कोई नया मॉडल आये तो तुरंत पुराना बेच देता है ,तू बोले तो बात करे क्या उससे ..”
मैं थोड़ा डर गया ,क्योकि वो इतना हाई फाई आदमी था की हमारी उससे बात करने की भी हिम्मत नही होती थी ,हम जैसे लड़को के लिए उसका वर्ताव कीड़े मकोड़ो की तरह रहता था ..
मेरे चहरे में आये हुए भाव देखकर प्यारे कहानी समझ चुका था …
“एक काम करते है संजय सर से बोलते है ,वो कुछ जुगाड़ कर देंगे ..”मेरे चहरे में चमक आ गई 
*****
हम उसी टापरी में थे जंहा कल चाय पी रहे थे,संजय सर किन्ही लोगो के सामने हाथ बंधे खड़े थे,मैं उन्हें देखकर तुरंत पहचान गया था वो अविनाश था कालेज का ही नही बल्कि यूनिवर्सिटी का नेता था ..हमने जाकर उसे विश किया और हाथ बंधे संजय सर के साथ ही खड़े हो गए …
अविनाश की नजर हमपर पड़ी ..
“क्या रे छोटे लोग कैसे हो ..”
“बढ़िया है सर ..’
“क्यो बे ..क्या नाम है तेरा ..’उन्होंने मेरे तरफ उंगली की थी 
“सर राहुल ..”
“ह्म्म्म फ्रेशर पार्टी में क्यो नही गया था ..तेरे सीनियर तेरी कंप्लेन कर रहे थे ,और एक हाथ क्या मारा किसी ने रोने लगा,मादरचोद तू इंजीनियर बनने आया की झाटु ..”
“सर...वो ..”मैं कुछ बोलने ही वाला था की संजय सर बोल उठे ..
“सर गरीब लड़का है ,रहने के लिए घर भी नही है इसके पास .उसी दिन इसे धर्मशाला वाले भी धक्के मार के भगा दिए थे,पेपर सर पर है और ऐसे में कोई इसे मारे तो बेचारा रोयेगा ही ना..”
अविनाश ने एक बार मुझे घूरा..
“अरे सालो तो मुझे क्यो नही बताया तुम लोगो ने ,तू भी मादरचोद संजय मुझको बड़ा भाई बोलता है और अपने लौंडो की प्रॉब्लम भी नही बताता ,नेता क्या झांट उखड़ने के लिए बना हु मैं..क्यो बे हॉस्टल के लिए अप्लाई नही किया था क्या..”
“किया था सर लेकिन सीट फूल हो गई थी …”
“ह्म्म्म तो अभी कोई जुगड हुआ है की नही ..”
मैं सोच में पड़ गया था की अब क्या बोलूं ..
“हो गया है सर एक जगह नॉकरी कर रहा हु वही रहने को भी जगह मिल गई है ..’
“चल ठीक है तेरा अगले साथ हॉस्टल में जुगड करवा देंगे ...ठीक,मेरे सम्पर्क में रहना ,यंहा साले सब रहीस के चोदे भरे पड़े है,गरीब लोग अगर साथ ना रहे ना तो ये हमे अपनी जूती की धूल भी नही समझेंगे ..क्यो शंभु काका सही कहा ना ..”उसने चाय वाले को कहा 
“सही कहात हो भैया आपे तो एक हो जो इन चुतिया मन के गांड फाड़ के रखे हो ..”शंभु अपने पान से रचे दांत दिखाते हुए बोला ..
“और संजय जो बोला उसपर ध्यान दे ,इस बार चुनाव में खड़ा हो जा ..”
अविनाश ने फिर से संजय सर पर ध्यान लगाया ..
“सर मैं यंहा पड़ने आया हु …”अविनाश सर ने उन्हें बड़े प्यार से देखा 
‘भोसड़ी के मैं भी यंहा पड़ने ही आया हु ,जानता है ना यूनिवर्सिटी टॉपर हु ,लेकिन फिर भी पॉलिटिक्स में हु जानता है क्यो???क्योकि असली पवार इसी में है बेटा ,इन रहीस के चनों को उनकी औकात में रखने का यही तरीका है और साथ ही अपने भाई बंधुओ की बात रखने का भी ..वरना साला हम जैसे फटे जेब वालो की यंहा पर सुनता कौन है बे...सरकारी कालेज में भी साले पैसा और पवार के बल पर आ गए है भोसड़ी वाले …”
अविनाश दिल का बहुत अच्छा आदमी था,पढ़ने में तेज था.,जात का ब्राम्हण था,गरीब घर का था लेकिन बोलने में तेज था और गली से ही बात करता था ,जब वो किसी बड़े व्यक्ति से बात करता तो उसकी भाषा ही बदल जाती थी ...तेज तर्रार इतना था की यूनिवर्सिटी पॉलिटिक्स में छा गया था और कई बड़े नेताओ से मिलना जुलाना भी था...वो चाहता था की संजय सर भी पॉलिटिक्स में आये लेकिन संजय सर ठहरे गांव के सीधे साधे आदमी जिसे पड़कर अपने घर को सम्हालना था ..
“चल सोचना मेरी बात को ..चलो बे लवडो इलेक्सन आने वाला है और भी तैयारी करनी है …”
वो अपने बुलेट में बैठा और चल दिया साथ ही उसके कुछ दोस्त भी थे …
उसके जाने के बाद संजय सर भी मुस्कुराने लगे …
“क्या हुआ सर क्यो मुस्कुरा रहे हो ..”प्यारे बोल उठा 
“कुछ नही यार वक्त भी कैसा बेरहम है साला इतने अच्छे सीधे साधे आदमी को क्या से क्या बना दिया “
“सर मैंने सुना ही जो भी होता है अच्छे के लिए होता है क्या पता नेता बनना भी इनके काम आ जाए “
“हा ये भी है ...तू सुना कैसे बीती कल की रात ..”
संजय सर मुस्कुराए वही प्यारे हँस पड़ा ,मैंने सर को सभी बात बताई ,उन्होंने ध्यान से सुना और एक सेकंड हैंड लेपटॉप का भी जुगड कर दिया …
*************
मैं दरवाजा पीट रहा था ,थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला ..काजल की हालत देखकर मैं दंग रह गया था,बाल बिखरे हुए थे और पसीने से लथपत थी ...चहरा लाल पड़ा हुआ था ..
“क्या हुआ तुम्हे ..”
“कुछ नही ऐसे क्यो दरवाजा पीट रहा था चल अंदर आ जा “
वो दरवाजे से हटी और दौड़ाते हुए बाथरूम में घुस गई ,जो जोर जोर से खाँसे जा रही थी ..मैं अपना समान अपने बिस्तर पर रख चुका था ,वो बाहर आयी ..
“तुम्हारी तबियत ठीक नही लगती ..”मैं उसकी हालत देखकर थोड़ा परेशान हो गया था ,
‘अरे कुछ नही हुआ है मुझे ,अरे वाह तू ले आया ये ...क्या कहते है उसे ...चल फ़िल्म चलती है क्या इसमें …”वो लेपटॉप को उल्टा पुलटा के देख रही थी ..
“हा चलती है लेकिन अभी नही ,अभी काम करना है मुझे ,देख इतना सारा पोथी है सब को इसमें टाइप करना होगा ..”
वो मुह बना कर वँहा से चल दी और खाना बनाने लगी ,मैं बाथरूम में गया तो मुझे एक रुमाल दिखा जिसमे खून के छीटे थे ..
“क्या हुआ है तुम्हे ,खांसी से खून निकल रहा है ??”
वो मुझे घुरी ..
“मादरचोद धीरे बोल किसी को पता चल गया ना तो ….यंहा से भगा देंगे मुझे …”
मैं घबरा गया था मैं चुप ही हो गया ..फिर थोड़े देर बाद धीरे से बोला 
“लेकिन हुआ क्या है तुम्हे ..?”
“मुझे क्या पता ?? खांसती हु तो खून निकलता है और कभी कभी तेज बुखार भी हो जाता है ,इसीलिए तो धंधा नही कर रही हु ..”
वो फुसफुसाई ..
“ओह...तो किसी डॉ को दिखाया क्या ??”
“हा यही पास में एक डॉ को दिखाया था उस साले से बहुत पैसा चूस लिया लेकिन ,..कुछ हुआ नही ..अब अगर कोई बड़ी बीमारी हुई तो साला कोई आएगा भी नही मेरे पास ,इसलिए आसपास के किसी डॉ से इलाज भी नही करवा सकती ,जो पैसे थे वो भी खत्म होने वाले है ,अगर धंधा शुरू नही किया तो …”उसके आंखों में पानी आ गया था ,
‘मौसी से क्यो नही मांग लेती कुछ पैसे ..”
वो मुझे घुरी 
“दो महीने का किराया अभी भी बकाया है,और वो मुफ्त में थोड़े ना पैसे देगी साली ना जाने कहा भेज दे मुझे ,मैं एक साथ कई लोगो का नही ले पाती अभी...वो ऐसी जगह में भेज देती है जंहा शराब पीकर कई लोग साथ चढ़ने जाते है,साले ये भी नही देखते की लड़की को बुखार भी है ,ना बाबा उनसे पैसे के लिए नही कहूंगी,2-4 ग्राहक आ जाए तो किसी डॉ के पास चली जाऊंगी …”वो इतने भोलेपन से ये बोल रही थी की उसकी बात सुनकर मेरे आंखों में आंसू आ गए थे लेकिन वो अपने ही ख्यालों में खोई रही जैसे गिनती लगा रही हो ...फिर उसकी नजर मुझपर पड़ी वो थोड़ी चौकी ..
“तुझे क्या हो गया”मुझे भी आभास हो गया था की मेरे आंखों में आंसू है .
“कुछ नही,फिक्र मत कर मैं पता करता हु कोई अच्छा और सस्ता डॉ ..अभी मौसी का कुछ पैसा है मेरे पास उसी में मैनेज कर लेंगे ..”
“मौसी का पैसा खायेगा तो वो तुझे खा जाएगी ..’
मैं थोड़ा मुस्कुराया 
“फिक्र मत कर तू बस किसी को मत बोलना बाकी मैं देख लूंगा ..”
वो खुस हो गई लेकिन फिर मुझे एक शक की निगाह से देखी..
‘तू मेरी लेने के फिराक में तो नही है ना “
मैं हड़बड़ाया गया था और वो फिर से खिलखिला कर हँस पड़ी 
“अरे ले लेना जो पैसे देगा उसके बलदे ,काजल किसी का अहसान नही रखती ..”वो हंसते हुए बोली
‘मुझे कुछ लेना वेना नही है ,खाना बन गया हो तो दो भूख लग रही है ..”
काजल फिर से खिलखिला उठी ..
“साला फट्टू है तू भी ,चल आज मेरे हाथ का खाना खिलाती हु तुझे “
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#9
Super exciting story bro emotional bhi bahut hai
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#10
(12-01-2019, 12:42 PM)Bregs Wrote: Super exciting story bro emotional bhi bahut hai

Dhanyawad sir ji...
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#11
अध्याय 6
“हम्म्म्म इतने दिन तक कहा थे तुम लोग ,इन्फेक्शन फैलने लगा है ,चलो कोई बात नही सही समय में आये हो मेरे पास ..”
डॉ ने x-ray की रिपोर्ट देखकर कहा ..
“वो सर हम किसी दूसरे के पास इलाज करवा रहे थे लेकिन ..”
“ठीक है कोई बात नही ,ठीक तो तुम हो जाओगी लेकिन दवाइया सही समय में लेना और थोड़ा आराम भी जरूरी है ,तुम्हारे फेफड़े में इन्फ़ेक्सन है सही समय में मेरे पास आ गए वरना और भी बढ़ सकता था ..”
डॉ ने एक बार फिर से हमे देखा,काजल बड़े ही प्रेम भाव से मुझे देख रही थी ..
“ऐसे क्या लगती है ये तुम्हारी “डॉ का ये सवाल हम दोनो को ही चौका दिया ..
“बहन”
“दोस्त “
हम दोनो ने एक साथ कहा,मैंने बहन कहा था वही काजल ने दोस्त ...डॉ हँस पड़ा 
“अच्छा पहले ये डिसाइड कर लो फिर बताना …”मैंने पहली बार काजल को यू शर्माते हुए देखा था ,
“कोई भी हो अच्छा किया की तुम इसे यंहा लेकर आ गए “


*************
“कितने पैसे लिए डॉ ने और दवाइयों के कितने पैसे हुए …”
काजल वँहा से निकलने के बाद काजल ने बहुत ही बेसब्री के साथ कहा ,
“अरे तुम्हे क्या करना है ,अभी मेरे पास है कुछ पैसे ,और दवाइयां भी एक महीने चल जाएगी “
वो थोड़े गंभीर होकर मुझे देखने लगी ..
“क्या हुआ ..”
“जानते हो ना की मैं किसी का अहसान नही रखती ..तुम्हारे पैसे मैं चुका दूंगी ”
‘तुम्हे किसने कहा की मैं अहसान कर रहा हु ,इसके बदले मैं कुछ तो लूंगा …”
काजल की नजर मुझपर जम गई थी ,उसे शायद यकीन नही हो रहा था की मैं ऐसा कुछ कह रहा हु ..
“हा भई मेरा एग्जाम आने वाला है तो मैं तुम्हारी चुप्पी लूंगा ताकि मैं अच्छे से पढ़ सकू ..”
वो खिलखिलाई ,उसका चहरा अजीब तरह से खिल गया था ,लगा जैसे कुछ मुराद पूरी हो गई हो ..
“वो तो नही हो पायेगा रे मेरे से ,चल मुझे अपने उस डिब्बे में फ़िल्म लगा के दे देना तब मैं चुप रहूंगी ..”
वो फिर से खिलखिलाई ,साथ ही मैं भी मुस्कुरा उठा,
जीवन में मैं किसी भी लड़की के इतने करीब कभी नही रहा,अब हु तो एक ऐसे लड़की के करीब जो दूसरी लड़कियों से बहुत ही अजीब है ,लेकिन काजल जैसी भी थी मुझे पसंद आ रही थी,
5 दिन बीत चुके थे,काजल ने 1 महीने रेस्ट करने की सोची थी ,उसके 5 दिन बीत चुके थे,उसकी हालत भी थोड़ी सम्हाली थी,उसे खांसी के दौरे आते तो उसकी हालत ही खराब हो जाती लेकिन बाकी समय वो ठीक ही रहती थी ,उसने मेरा लेपटॉप चालू करना और फ़िल्म लगाना भी सिख लिया था ,जब मैं कभी अपना लेपटॉप छोड़कर लाइब्रेरी जाता तो वो उसमे फ़िल्म देखती और अपने सहेलियों को भी दिखाती ,अब वो जगह मुझे उतनी अजीब नही लगती थी ,कभी कभी चंपा मौसी बुला लेती थी और पोथा पकड़ा देती थी ,मैं तो धीरे धीरे काजल को भी टाइपिंग सीखने की कोशिस कर रहा था,हम दोनो में अच्छी दोस्ती हो गई थी ,और साथ ही आसपास की औरतो के साथ भी ..
बस मुझे उनकी ये हरकत पसंद नही आती की वो मुझे छेड़ते रहते थे,लेकिन अब मैं भी उनकी बातो का आदि होने लगा था ,
15 दिन बाद ही मेरा एग्जाम शुरू था,मैं अधिकतर समय अपने लाइब्रेरी में ही बिताता था …
मैं रात में कमरे में आया ,आते ही काजल ने मुझे पकड़ लिया ..
“कहा था रे तू इतने देर तक साले शकील भाई के लड़के तुझे ढूंढ रहे थे,जाकर मौसी से मिल ले “
“वो मुझे क्यो ढूंढ रहा है ??”
“मुझे क्या पता बस बोले के चिकने को भेज देना “
मैं सर खुजाते हुए मुड़ा ही था की काजल ने मेरा हाथ पकड़ कर अंदर खिंचा और दरवाजा बंद कर दिया ..
“क्या हो गया पागल हो गई है क्या ..”
“सुन मेरी बात ..”
वो मेरे आंखों में देख रही थी ,उसकी बड़ी बड़ी भोली आंखे जैसे मेरी आंखों में कुछ ढूंढ रही हो ..
“कही तूने कोई लोचा तो नही किया ना ..”उसकी आवाज में एक स्वाभाविक डर था ,
“नही क्यो ??”
“कुछ नही शकील भाई बुला रहा है ना तेरे को ,इसलिए “
उसका यू मेरे लिए चिंता करना मुझे ना जाने क्यो लेकिन बहुत ही भा गया ,मेरे होठो में एक मुस्कुराहट सी आ गई ..
“क्या हुआ अब हँस क्यो रहा है चल जा ..”
“बस तुझे अपने लिए चिंता करते देख अच्छा लगा ..”
वो भी मुस्कुराई और मेरे बाजू को अपने हाथ से मारा ..
“चूतिये ..तेरा उधार बचा है ना इसलिए कही कुछ हो गया तो किसे लौटाऊंगी ..”
“अच्छा ये बात है ..”
हम दोनो की आंखे जो मिली ना जाने दिल के किसी कोने में जैसे कोई तार ही झनझना उठा था,मैं एक अजीब सी खामोशी का अहसास करने लगा,लगा मानो उन आंखों के सिवा दुनिया में कोई और शय ही नही बचा हो,आंखे उसकी आंखों में गुम सी हो गई थी ,उसकी सांसे तेज हो गई थी ,ना मालूम क्यो मैं भी अपनी सांसों पर को काबू नही पा सक रहा था ,ऐसा लगा की मैं उसके पास खिंचा जा रहा हु,हमारी सांसे एक दूसरे से टकरा रही थी ,उसने मुझे धक्का दिया और मुड़कर खड़ी हो गई ,ना जाने वो मुझसे अपना चहरा क्यो छिपा रही थी ..
“चल जा तू मौसी देख रही होगी ..”
“हा हा ..”मैं बुरी तरह से हड़बड़ाया हुआ सा भागा,मुझे क्या हुआ था क्यो ये समय रुक सा गया था मैं समझ ही नही पा रहा था लेकिन एक अजीब सी उमंग मेरे अंदर दौड़ गई थी ,और इन्ही सब अहसास की वजह से मैं डर सा गया था …

इधर .काजल मेरे जाने के बाद मुस्कुराई थी लेकिन उसकी आंखों में कुछ आंसू भी आ गए थे,उसने अपना सर हिलाया मानो खुद से ही नही कह रही हो ...

“कहा था रे तू ..”
“वो मौसी कालेज गया था “
“हम्म्म्म जा शकील भाई को तुझसे कुछ काम है बुलाया है ..”
मैं उन्हें देखता ही रहा 
“कहा ..??”
वो मुस्कुराई और एक लड़के की तरफ इशारा किया,उसने मुझे अपने साथ आने का इशारा किया,उसने मुझे एक जीप में बिठाया और हम वँहा से चल दिए …
**************
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#12
अध्याय 7
वो बड़े पुराने हवेली जैसी जगह थी बाहर से जितनी भी बेकार थी लेकिन अंदर आलीशान घर था ,एक मोटा चौड़ा आदमी 6-6.30 फुट का आदमी कमरे के बीचों बीच लगे बड़े सिंहासन नुमा कुर्सी में बैठा हुआ था ..
“राहुल यही नाम है ना तेरा “एक भारी आवाज मेरे कानो में आयी 
“जी सर..”
“सर नही भाई ..शकील भाई कहते है लोग मुझे “
“जी भाई ..”
“तो कैसे चल रहा है रंडिखाने में ,काजल के साथ रहता है ना तू “
“जी ..”
“तो लिया की नही उसकी “
मैं घबराया वही ,शकील के बाजू में खड़ा हुआ एक 50-55 की उम्र का पतला दुबला शख्स हँस पड़ा लेकिन मुह दबा कर ..
शकील भी जोरो से हँस पड़ा ..
“अबे वो हमारे सभी रंडीखाने में सबसे तीखी माल है उसे नही खाया तो क्या खाया,क्यो भोला ..”
उसने बाजू में खड़े हुए शख्स से कहा ..
“जी मालिक “उस आदमी ने अपनी सड़ी हुई दांतो की पंक्ति दिखा दी ..
“अबे बोल ना ,लिया की नही उसकी ..”
मैंने ना में सिर हिलाया ,शकील के चहरे में एक मुस्कान आ गई 
“खड़ा होता है की नही बे चूतिये तेरा “
मैंने अपना सर झुका लिया मुझे ऐसे प्रश्नों के जवाब पहले भी पता नही थे जब सीनियर मुझसे पूछा करते थे ना ही आज समझ आ रहे थे ,मैं बस सर झुकाए खड़ा रहा,लगा जैसे यही तो मेरी जिंदगी हो गई है ,कोई भी आकर जलील कर जाता है ,आगर इस नॉकरी और कमरे की मुझे जरूरत नही होती तो शायद मैं एक पल भी यंहा नही रुकता …
“चल सुन काम की बात,शेयर मार्किट का कुछ पता है तुझे ..”
मैंने नही में सर हिलाया ..
“ये ले ..”
भोला ने एक मोटी सी किताब मेरे हाथो में धर दी ..
“इसे पढ़ ले ,पढ़ा लिखा है तो हमारे भी कुछ काम आ ,इसे पढ़ समझ और सिख ,हमे एक भरोसेमंद आदमी की जरूरत है जो हमारे पैसे को मैनेज कर सके ,अब जो आदमी रंडीखाने में रहकर भी इतनी अच्छी माल पर नियत खराब नही किया उससे अच्छा भरोसे का आदमी मुझे कहा मिलेगा ,तू गरीब है लेकिन मौसी को पूरा हिसाब सही देता है एक ही पैसा इधर उधर नही हुआ है तेरे आने के बाद से ,तो ये काम भी तू ही सम्हालना,सोच रहा हूं की अपनी कमाई को कैसे सफेद किया जाए...चल ये भी आजमा के देख लेते है ..”
मैं थोड़ा चौका जरूर लेकिन कुछ कहा नही ,इतने दिनों से मैं कालेज में था और सीनियरों से मैं इसके बारे में सुनता आ रहा था,ना जाने क्यो मेरे दिल से एक आवाज आयी की ये अच्छा मौका हाथ लगा है कुछ सीखने का जिससे पैसे बने,
“और कुछ चाहिए क्या ..”
“जी नही ..”
“हम्म हमारे काम आया तो पैसे से नहला दूंगा,मार्किट में बहुत दुश्मन हो गए है ,पुलिस से नेता तक गांड में उंगली किये रहते है साला अब कुछ अलग करने की सोच रहा हु ,तेरे जैसे लड़को की जरूरत है मुझे ,मेरा वफादार बन कर रह जीवन भर कोई और काम करने की जरूरत नही होगी “
मैं सर हिलाया ..
“और ये ले,दे दे बे उसे “
भोला ने एक मोबाइल मेरे हाथो में थमा दिया ..
“जब फोन करू तो आ जाना समझा …”
“जी “मैंने फिर से सर हिलाया ,
“चल जा अब “
मैं वापस चला आया ,मैं खुस था की मेरे पास मोबाइल था,एक अच्छी और कमाई वाली नॉकरी करने का चांस था लेकिन …
लेकिन मैं अनजाने में ही एक कीचड़ में घुस रहा था जंहा जाना तो आसान था लेकिन वापस आना ,बहुत ही मुश्किल ….
अभी के समय में मेरे लिए पैसा बहुत ही मायने रखता था ,जंहा पैसे की बात आयी मेरे आंखों के सामने एक और तस्वीर घूम गई थी ,..
वो थी काजल की तस्वीर ……
मुझे डॉ की वो बात याद आयी जो उसने काजल को बाहर भेज कर मुझसे कही थी ..
“ये कुछ टेस्ट जितनी जल्दी हो सके मुझे करवा कर दिखाओ ..”
“जी सर ..”
“देखो मुझे पता है की शायद तुम लोगो को पैसे की थोड़ी तंगी है लेकिन ये टेस्ट करवाना भी बहुत ही जरूरी है ..15-20 दिन के अंदर ही करवा लो तो बढ़िया होगा ..”
“सर मैं आज ही करवा लूंगा …”
“तब तो और भी बढ़िया है लेकिन तुम्हे बता दु की ये एक टेस्ट 14 हजार का होता है …”
मैं बुरी तरह से चौक गया था …
“14 हजार ..”
“हम्म इसीलिए कह रहा हु की हो सके तो 15 -20 के अंदर करवा लेना …”
“जी सर लेकिन आप काजल को कुछ मत बताइएगा ..”
“इसलिए तो उसे बाहर भेजा हु ..”
***************
डॉ की बात याद करके मैं फिर से थोड़ा चिंतित हो गया था,मेरे जैसे आदमी के लिए 14 हजार बहुत ही बड़ी रकम थी,मेरी समझ में ऐसे तो कुछ भी नही आ रहा था ,लेकिन 5 दिन से मैं इन्ही उधेड़बुन में रहता था,एक तरफ काजल थी जिसका मुझसे कोई खास संबंध नही था जिसके लिए मैं इतना फिक्रमंद हो रहा था,वही दूसरी ओर मेरी पढ़ाई भी इन्ही सोचो के कारण खराब हो रही थी ,मेरे माँ बाप का और मेरा भविष्य सिर्फ इस पढ़ाई पर ही टिका था,अपनी स्तिथि सुधारने के लिए मेरे पास अभी तक तो यही एक रास्ता था,मुझे समझ ही नही आ रहा था की मैं क्या करू और भगवान ने मेरी सुन ली थी ,मुझे एक और काम करने की ऑपर्चुनिटी मिल गई थी ..लेकिन साथ ही एक बड़ी तकलीफ ये थी की 15 दिनों में ही परीक्षा भी शुरू होने वाली थी वही अगर मैं इस शेयर मार्किट की किताब को पडूंगा तो अपने कोर्स का अब पडूंगा ...और अगर इसे पढ़ भी लू तो क्या गारेंटी है की मैं फायदे में रहूंगा ,और 15 -20 दिन में काजल का वो टेस्ट करवा पाऊंगा …
बस इसी उधेड़बुन में मैं कमरे में पहुच गया था …
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#13
अध्याय 8
“क्या हुआ कैसे बुलाया था शकील भाई ने ..”
मेरे आते ही काजल ने मुझे पकड़ लिया था उसके चहरे से अब भी चिंता टपक रही थी …
“कुछ नही ये काम दिया है ..”
वो उस मोटे पुस्तक को देखने लगी ,
“बाप से इतना सारा लिखना होगा तुम्हे ..”
“लिखना नही पढ़ना है मुझे ,एक काम दिया है करने के लिए उसी से सम्बंधित है ..”
उसने मुझे घूरा..
“पागल हो गया है क्या अभी तो तेरी परीक्षा है ना तो ये कब पड़ लेगा..”
मैंने गहरी सांस ली 
“हो जाएगा ..ऐसे भी इसमें अच्छे पैसे मिलेंगे “
“अरे पैसे का क्या है जब तू पढ़ लेगा तो कमा लेना ,बहुत बड़ा साहब बनेगा तू ,इतना तो पढ़ता रहता है ..”
उसके भोलेपन पर मुझे थोड़ी हँसी आई ..
“अच्छा और अभी का क्या ,नही कमाऊंगा तो कैसे चलेगा ..”
“मैं..”
वो कुछ बोलने वाली थी की रुक गई ..
“क्या हो गया ??”
“कुछ नही ,मौसी का काम तो है ना उससे तो चल जाएगा तेरा ,,और नही चलेगा तो एक बार मैं ठीक हो जाऊ धंधे चालू हो जाए तो बाकी का मैं चला दूंगी ..”
उसकी बात से मैं मुस्कुराया ,मैंने इस गरीब लड़की के दिल में छुपी सच्चाई और हिम्मत पर प्रेम से भर गया था,ये अपना जिस्म बेच कर मेरे खर्च चलाने की बात कर रही थी ,जो शायद उसके जीवन की एक मात्रा कमाई हो वो मुझपर खर्च करने को तैयार थी …
“और बदले में मुझसे क्या लेगी ..”मैंने मुस्कुराते हुए कहा 
“हम्म्म्म”वो सोचने की एक्टिंग कर रही थी 
“तू मुझे ऐसे ही फ़िल्म दिखाना और हा खाना बनाकर खिला दिया करना “वो खिलखिलाते हुए मेरे बाजू में आकर बैठ गई थी …
मैं उसकी इस निर्दोष खूबसूरती को देख रहा था,
“और ..बस इतना ही “
“ह्म्म्म तू बड़ा इंजीनियर बन जा सूत समेत सब वसूल लुंगी ..”
उसने प्यार से मेरे बालो को सहलाया लेकिन उसकी बात में एक शरारत थी ,मैं उसके चहरे को घूरने लगा,फिर से वो मुझे बेहद ही तीव्रता से आकर्षित कर रही थी ,उसकी आंखे भी मेरे चहरे पर टिकी थी ,माहौल में फिर से एक अजीब सी शांति फैल गई थी की उसने मेरे गालो पर हल्की सी चपत लगा दी ,
“चल खाना बन गया है ,और साहब बनने की लिए खाना और पढ़ना दोनो ही पड़ता है ..”वो मुस्कुराते हुए उठी ,मैं भी मुस्कराने लगा ,लेकिन फिर मेरे दिमाग में डॉ की बात आयी ,15-20 दिन 14 हजार …
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#14
zabardast story hai bhai superb efforts
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#15
bhut hi achi story h juldi se update dijiye
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#16
Ek behtareen kahani hai, behad alag aur nayepan ke saath
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#17
Super story.
Dr. Tumhara kajal naam se kahas sambandh lagta he.
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#18
(12-01-2019, 08:44 PM)Bregs Wrote: zabardast story hai bhai superb efforts

Dhanyawad sir ji.... Smile
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#19
(12-01-2019, 08:57 PM)teenuverma Wrote: bhut hi achi story h juldi se update dijiye

Dhanyawad teenu ji...
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#20
(12-01-2019, 09:36 PM)Johnyfun Wrote: Ek behtareen kahani hai, behad alag aur nayepan ke saath

Dhanyawad sandy ...
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