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Incest रात बड़ा हसीन सपना
#1
 रात बड़ा हसीन सपना














Heart Heart Heart
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
यह कहानी उस समय की है जब मेरी नयी नयी शादी हुई थी. गाओं में पति पत्नी को मिलने के लिए मौका ढूँढना पड़ता है. रात में या तो पति चोरी से पत्नी की चारपाई पर आ जाता हे वारना कोई और जगह डूंड कर मिलन होता है. औरतों के लिए अलग वा मर्दों के लिए अलग सोने की जगह होती हे. इसी चोरी च्छूपे मिलने के कारण ही यह घटना घटी जो मेने अपनी आँखों से देखी कि कैसे छ्होटे भाई ने अपनी बड़ी बेहन को चोदा.मेरी बड़ी ननंद की शादी को चार साल हो चुके थे लेकिन उसका कोई बचा नहीं हुया था. हमारे गाओं के निकट एक मंदिर की बड़ी मान्यता थी के वॅन्हा जो भी मन्नत माँगता है पूरी होती है. मेरी ननंद भी इसीलिए हमारे यहाँ आई थी के वो भी मन्नत माँगे और मा बन सके. उस दिन मंदिर से हो कर लोटने के बाद वो और मैं एक कमरे मे बातें करते हुए सो गये थे लेकिन जिस चारपाई पर में सोती थी उस पर मेरी ननंद सो गयी और मैं उस के साथ वाली चारपाई पर सो गयी.रात को मेरा पति मेरे पास आया तो वो उस चारपाई पर जिस पर उसकी बेहन सोई थी चला गया, यह समझ कर के मैं उस पर सोई हूँ. मैं तो उस समय जाग रही थी लेकिन मेरी ननंद ( मेरे पति की बड़ी बेहन) सो चुकी थी. मैं चाहते हुए भी कुच्छ बोल ना पाई कि कही शोर मच जाए गा और यह बात खुल जाएगी के हम दोनो एक दिन भी मिले बिना नहीं रह सकते. मेरी चुप्पी से जो हो गया उस का मुझे अब भी पछतावा है लेकिन मेने यह बात अब तक ना तो अपने पति से कही है ना ही उस की बेहन से बताई है. भगवान की मर्ज़ी समझ कर चुप कर गयी और चुप ही हूँ और रहने की कोशिश कर रही हूँ.मैं चुप चाप देखती रही बड़ी बेहन को अपने छ्होटे भाई से चुदते हुए और कुच्छ ना कर सकी. मेरे पति ने भी मुझे समझ कर अपनी बड़ी बेहन को चोदा और उस की बड़ी बेहन ने अपना पति समझ कर अपने भाई से चूत मरवाई. जिस तरह हम पति पत्नी मज़ा लेते थे उसी तरह वो भाई बेहन चुदाई का मज़ा लेते रहे और में चुप चाप देखती रही.सुबह मेरी ननंद ने मुझे कहा' जानती है रात को सपने में तेरे नंदोई मेरे पास आए थे और आज रात को जितना मज़ा आया उतना पहले कभी नन्ही आया. आज तो उनका लंड भी काफ़ी लंबा और मोटा लग रहा था. लगता है यह सब बाबा ( मंदिर वाले) की कृपा है. मुझे लगता है के अब मेरे बच्चा ज़रूर हो जाएगा.'मेने कहा 'सब उपर वाले की कृपा है, मुझे भी लगता है के अब तेरे बच्चा जलदी ही हो जाए गा'वो बोली ' जलदी नही 9 महीने बाद'मैने कहा ' हाँ जल्दी से मेरा मतलब भी 9 महीने से ही है. यह तो में इसलिए कह रही हूँ के अब पक्का है के तू मा बन जाएगी'' मेरे बच्चा होने के बाद मैं मंदिर में प्रसाद चढ़ाने आउन्गि 'मैं सोच रही थी के प्रसाद तो तू चढ़ाने आए गी मंदिर में लेकिन बच्चा किस की कृपा से हुया है यह तो तू जानती ही नही और जब तक में बताउन्गि नहीं ना तुझे पता लगे गा ना तेरे पति को ना तेरे भाई को.अगले दिन वो अपने ससुराल चली गयी. रात को मेरा पति मेरे पास आया और मेरे से प्यार करने लगा लेकिन मेरा बार बार ध्यान उस की बेहन की ओर चला जाता था जो अंजाने में अपने छ्होटे भाई से चुद कर भी बहुत खुश थी.मेरे पति ने कहा 'क्या बात है आज तू कहाँ खोई है प्यार में मज़ा नही आ रहा क्या.'मेने जवाब दिया ' मज़ा तो बहुत आ रहा है लेकिन में सोच रहीं हूँ के यह चोरी चोरी प्यार कब तक करते रहेंगे . कोई ऐसा रास्ता निकालो के हमे चोरी चोरी ना मिलना पड़े.'' क्या बात है आज तुझे चोरी चोरी मिलने में मज़ा नहीं आ रहा जब के पिच्छाले 6 महीने से हम ऐसे ही मिल रहें हैं.'मैं चुप हो गयी और उसका लंड पकड़ कर देखने लगी के रात यह दूसरी चूत में गया था कुछ फरक पड़ा है या वैसा ही है. मेरे पति ने मुझे लंड को मुँह में लेने के लिए कहा तो मैं सोचने लगी के दूसरी चूत मे गया हुया लंड अपने मुँह में लूँ या नही. मेरा पति बोला क्या बात है आज तू कही और खोई हुई है कोई बात नही अगर तेरा दिल मुँह में लेने को नही करता तो कोई बात नही आज तेरी चूत में डाल कर ही इस की तसल्ली कर देता हूँ और उसने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और चुदाई का काम कर के अपने कमरे में चला गया और मैं बार बार सोचती जा रही थी के रात को जो हुया है इस में दोनो भाई बेहन जिन्हे पता भी नही उनका इस में क्या कसूर है. मुझे याद आने लगी अपनी एक सहेली की कहानी कैसे वो अपने छ्होटे भाई से चुदाई करवाती थी. लेकिन उसने तो जान कर अपने छ्होटे भाई का लंड लिया था के वो अभी बच्चा है और उस का पानी नहीं निकलता इसलिए बच्चा होने का डर नहीं था. यान्हा तो अंजाने में बड़ी बेहन अपने छ्होटे भाई से चुदति रही और यह सोचती रही के उसका पति उसे चोद रहा है.पूरे 9 महीने बाद मेरी ननंद को एक सुंदर सा लड़का हो गया. मैं अपने पति के साथ उसे मिलने गयी. बच्चा बिल्कुल मेरे पति की शकल का था. वो कहने लगी' देखा अपने मामा पर गया है. मैं सोचती थी के अपने बाप पर ना जाए'.मेने कहा' क्यो अपने बाप पर क्यो नहीं' वो बोली ' इस का बाप तो तुझे पता है इतना सुन्दर नही और हर मा अपने बच्चे को सुंदर देखना चाहती है. इसके अलावा तुझे एक राज़ की बात बताउ यह तो मंदिर वाले बाबा का आशीर्वाद है वारना मेरा पति तो शायद ज़िंदगी भर बच्चा पैदा नन्ही कर सकता'मेने पूछा ' क्यो'वो बोली ' उसका लंड बहुत छ्होटा है और उसका पानी भी बहुत जलदी छ्छूट जाता है. मुझे तो उस रात सपने में पहली बार मज़ा आया था, जिस के कारण मेरा बच्चा हुया है'मैं उसकी बात सुन कर सोचने लगी कही इसे इस बात का पता तो नही है के यह बच्चा उसके भाई का है और जानबूझकर कर मुझे बार बार यह कह रही है के भगवान का प्रसाद है.उसका लड़का 5 साल का हो गया था और मेरे भी दो बच्चे हो गये थे. उसका क्यो के दूसरा बचा नही हुया था इसलिए वो फिर बाबा का आशीर्वाद माँगने आई. मेने उसे कहा' बेहन भगवान ने तुझे एक बार आशीर्वाद दे दिया है उसी में तसल्ली कर. ज़यादा लालच करने से भगवान नाराज़ हो जातें हैं.'वो बोली ' भाबी भगवान से तो हम ज़िंदगी भर माँगते हैं भगवान कभी किसी से नाराज़ नहीं होता.'दूसरे दिन हम मंदिर गये और वापस आ कर फिर वो मेरे कमरे में ही सो गयी और कहने लगी ' भाबी तुझे पता है इसी कमरे में मुझे सपने में मेरे पति के चोदने से बच्चा हुया था इसलिए मैं इसी चारपाई पर सोउंगी.'मुझे अब शक और भी ज़यादा होने लगा के यह जानभूज कर मेरे से छुपा रही है लेकिन इसे सब पता है के इस का पति इसे बच्चा नही दे सकता और यह बच्चा इस के भाई का ही है. लेकिन क्यो के अब हमारी शादी को 5 साल हो गये थे और हमारे दो बच्चे भी हो गये थे इसलिए रात को मेरे पति का मेरे पास आना कम हो गया था उस पर मेने अपने पति को कह दिया के आज तुम रात को मत आना. कही तुम्हारी बेहन जाग गयी तो बड़े शरम की बात होगी. मेरे पति ने कहा ' इस में शरम की क्या बात है हम पति पत्नी हैं' फिर भी वो मेरा कहना मान कर रात को नही आया. सुबह मेने अपनी ननंद से पूछा ' रात को कैसा सपना आया तो'वो कहने लगी' लगता है तेरी बात सच है भगवान मुझे दूसरा बच्चा नहीं देना चाहते,. रात को सपना तो नही आया और आता भी कैसे मुझे रात भर नींद ही नही आई.मैने सोचा अच्छा हुया मेने अपने पति को आने से रोक दिया वारना भेद खुल जाता.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
वो अगले दिन अपनी ससुराल नही गयी तो मुझे फिर शक होने लगा के यह चाहती है के इस का भाई इसे चोदे और यह मा बने, लेकिन में उन्हें मौका नही देना चाहती थी. रात को वो बातें करते करते सो गयी लेकिन मुझे नींद नही आ रही थी. रात को देखा के मेरा पति चुप चाप आया और उसी चारपाई पर लेट गया जिस पर उसके बेहन लेटी थी. मैं जान बूझ कर चुप रह कर तमाशा देखना चाहती थी के वो जाग कर चुदाई करवाए गी या सोते हुए उसका भाई अंजाने में उस की चुदाई करता है. मैने देखा के मेरे पति ने उस का ब्लाउस खोला और उसके मम्मे पहले हाथ में लेकर दबाने लगा फिर मुँह में लेकर चूसने लगा. वो चुप चाप लेटी हुई थी अभी पता नही लग रहा था के वो सोई हुई है या उसे पता ही नही. थोड़ी देर बाद उसके भाई ने उस का लहंगा उपर किया और उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा तो उसने अंगड़ाई ली. मुझे लगा के वो मज़ा ले रही है और जानबूझ कर चुप है. फिर भी आज मुझे सच्चाई को जानना था इसलिए बड़े ध्यान से देख रही थी के कैसे छ्होटे भाई से बड़ी बेहन चुदाई करवा रही है. जब उसने चूत हिलानी शुरू की तो मेरे पति उसके भाई ने अपना लंड उसकी चूत पर रख दिया. वो अपनी चूत को उपर उच्छालने लगी और उसके भाई ने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया और फिर ज़ोर ज़ोर से झटके मार कर चुदाई करने लगा. अब यह भगवान जाने या वो दोनो के वो अंजाने में एक दूसरे से चुदाई करवा रहे थे या जानते हुए मज़े ले रहे थे. चुदाई के मज़े लेते हुए उन्होने मुँह से मुँह मिला कर एक दूसरी के होंठों का रस पीना शुरू किया तो मैं सोचने लगी के क्या इतना कुच्छ हो जाए और औरत को पता भी ना लगे ऐसा संभव है. लेकिन मुझे चाहे अपने पति का लंड दूसरी चूत में जाते अच्छा नहीं लग रहा था वो भी उसकी अपनी बेहन की चूत में लेकिन मेने सोच लिया था के मैं आज सच्चाई जान कर ही रहूंगी.अच्चानक मेने सुना के वो कह रही है ' भाई तेरी बेहन बहुत दिनो की प्यासी थी और तुझे कुच्छ कह भी नही सकती थी, लेकिन पिच्छली बार तुमने अपनी बीवी समझ कर जब मेरी चुदाई की तो मुझे पहली बार चुदाई का मज़ा आया था और उसके बाद बच्चा होने से तो मैं तेरे लंड की दीवानी हो गयी थी. तुझे आज बताउ के तेरे जीजा का लंड बिल्कुल छ्होटा है और मेरी क्या किसी भी औरत की तसल्ली नही कर सकता. कल तू नही आया तो मुझे नींद ही नही आई और मुझे एक दिन सिर्फ़ तेरा लंड लेने के लिए रुकना पड़ा.'' बोल मत मेरी पत्नी ने सुन लिया तो गड़बड़ हो जाएगी. यह तो ठीक है के पिच्छली बार मैं अपनी पत्नी के पास ही आया था और मुझे नहीं पता था के उसकी चारपाई पर तू सोई हुई है. लेकिन जब हो ही गया तो भगवान की मर्ज़ी समझ कर चुप करने में ही भलाई समझी'.'यह तो ठीक है होता है वोही जो मंज़ुरे खुदा होता है, लेकिन ऐसे कब तक चोरी चोरी मिलते रहेंगे और कब तक यह भेद बना रहेगा. पहले की बात दूसरी थी, जब तक तेरे लंड का स्वाद नही लिया था में तेरे जीजा के छ्होटे से लंड से ही गुज़ारा चला रही थी लेकिन अब तेरे लंड का स्वाद चखने के बाद इसके बिना रहा नहीं सकती.'' ऐसा कर कुच्छ दिन के लिए तू यही रह जा, फिर आगे की सोचेंगे.'सुबह मैने अपनी ननंद से पूछा ' रात को कोई सपना आया या नही'' रात बड़ा हसीन सपना आया, मज़ा आ गया, तेरी चारपाई में तो कोई जादू है. मेरे पति का लंड जो घर में छ्होटा लगता है यहाँ पर पता नही कैसे इतना बड़ा हो जाता है.'मैं सोचने लगी के इसे अभी यह बताउ के नहीं के मेने इनकी रात की बातें सुन ली है. फिर मैं यह सोच कर के अगर इन्हे यह कह दिया के मेने इनकी बातें सुन ली हैं तो इनका आगे का नाटक देखने का मज़ा नही मिलेगा. सच यह था के अब मुझे इनके झूठ की कहानी सुनने में मज़ा आने लगा था. अभी तो मेने अपने पति से इस बारे में ज़यादा बात ही नही की थी और मैं उस से बात करने की बजाए उसे रंगे हाथों पकड़ना चाहती थी. रात को मेरे बहुत कहने के बावज़ूद मेरी ननंद उसी चारपाई पर सोई और मैं रात भर भाई बेहन की चुदाई के मज़े लेती रही. एक बार दिल में आया के उठ कर उन्हें उस समय पकड़ लूँ जब भाई का लंड बेहन की चूत में होगा, लेकिन ना जाने क्यो मेने उनके मज़े में खलल डालना पसंद नही किया और चुप चाप भाई बेहन की चुदाई देखती रही. वो इस बार काफ़ी दिन रुकी और दोनो हर रात मेरे सामने ही खूब मज़े लेते रहे. अब कई साल हो गये हैं उसका एक और बच्चा भी हो गया है और वो ज़्यादा अब यहीं रहती है. मैने भी उन दोनो का राज ना तो कभी खोला खोलने की कोशिश की
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#4
ROMAN FONT
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
 raat bada haseen sapana 



















Heart Heart 




Heart  raat bada haseen sapana Heart
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
Yeh kahani us samay ki hey jab meri nayee nayee shadi huyee thi. Gaon mein pati patani ko milaney ke liye mauka dundana padta hey. Raat mein ya to pati chori se patani ki charpayi par aa jata hey varana koyi aur jagah doond kar milan hota hey. auraton ke liye alag va mardon ke liye alag sone ki jagah hoti hey. Isi chori chhupe milane ke kaaran hi yeh ghatana ghati jo meine apani aankhon se dekhi ke kaise chhote bhai ne apani badi behan ko choda.Meri badi nanand ki shadi ko char saal ho chuke thei lekin uska koyee bacha nahin huya tha. Hamarey gaon ke nikat eik mandir ki badi manayata thi ke vanhan jo bhi mannat maangata hey poori hoti hei. meri nanand bhi isiliye hamarey yahan aayee thi ke voh bhi mannat maange aur maa ban sakey. Us din mandir se ho kar lotaney ke baad voh aur mein eik kamarey mei baatein karatey huye so gaye thei lekin jis charpayi par mein soti thi us par meri nanand so gayee aur mein us ke saath wali charpayi par so gayee.Raat ko mera pati mere paas aya to voh us charpayi par jis par uski behan soyi thie chala gaya, yeh samajh kar ke mein us par soyi hun. mein to us samay jaag rahi thie lekin meri nanand ( mere pati kei badi behan) so chuki thie. mein chahte huye bhi kuchh bol na payee ke kanhin shor mach jaye ga aur yeh baat khul jayegi ke hum dono eik din bhi mile bina nahin rah sakatey. Meri chuppi se jo ho gaya us ka mujhe ab bhi pachhtawa hey lekin meine yeh baat ab tak na to apaney pati se kahi hey na hi us ki behan se batayee hey. Bhagwan ki marzi samajh kar chup kar gayee aur chup hi hun aur rahaney ki koshish kar rahi hun.Mein chup chap dekhati rahi badi behan ko apaney chhote bhai se chudate huye aur kuchh na kar saki. mere pati ne bhi mujhe samajh kar apani badi behan ko choda aur us ki badi behan ne apana pati samajh kar apaney bhai se choot marwayee. jis tarah hum pati patni maza lete thei usi tarah voh bhai behan chudai ka maza lete rahey aur mein chup chap dekhati rahi.Subha meri nanand ne mujhe kaha' janati hey raat ko sapaney mein tere nanandoyi mere paas aaye thei aur aaj raat ko jitana maza aaya utana pehale kabhi nanhi aaya. Aaj to unka lund bhi kafi lumba aur mota lag raha tha. Lagata hey yeh sab baba ( mandir wale) ki kirpa hei. Mujhe lagata hey ke ab mera bacha jaroor ho jayega.'Meine kaha 'sab upar wale ki kirpa hei, mujhe bhi lagata hei ke ab tera bacha jaladi hi ho jaye ga'Voh boli ' jaladi nanhin 9 maheene baad'mainey kaha ' han jaladi se mera matalab bhi 9 mahiney se hi hey. Yeh to mein isliye kah rahi hun ke ab pakka hei ke tu maa ban jayegi'' mere bacha honey ke baad mein mandir mein parshad chadhaney anyu gi'mein soach rahi thi ke parshad to tu chadhaney aaye gi mandir mein lekin bacha kis ki kirpa se huya hei yeh to tu janatai hi nanhi aur jab tak mein bataun gi nahin na tujhe pata lage ga na tere pati ko na tere bhai ko.Agale din voh apaney sasuraal chali gayee. raat ko mera pati mere paas aaya aur mere se payar karaney laga lekin mera baar baar dhayan us ki behan ki aur chala jata tha jo anjaaney mein apane chhote bhai se chud kar bhi bahut khush thie.Mere pati ne kaha 'kaya baat hei aaj tu kanhan khoyee khoyee hey payar mein maza nanhin aa raha kaya.'Meine jawab diya ' maza to bahut aa raha hey lekin mein soach rahin hun ke yeh chori chori payar kab tak karate rahei ge. Koyi aisa raasta nikalo ke humein chori chori na milana pade.'' Kaya baat hey aaj tujhe chori chori milane mein maza nahin aa raha jab ke pichhale 6 mahiney se hum aisey hi mil rahein hein.'Mein chup ho gayee aur uska lund pakad kar dekhaney lagi ke raat yeh doosari choot mein gaya tha kuch farak pada hei ya vaisa hi hei. mere pati ne mujhe lund ko munh mein lene ke liye kaha to mein sochaney lagi ke doosari choot me gaya huya lund apaney munh mein loon ya nanhin. Mera pati bola kaya baat hey aaj tu kanhin aur khoyee huyi hei koyee baat nanhin agar tera dil munh mein lene ko nanhin karata to koyee baat nanhi aaj teri choot mein daal kar hi is ki tasalli kar deta hun aur usne apana lund meri choot mein daal diya aur chudayee ka kaam kar ke apaney kamarey mein chala gaya aur mein baar baar sochati ja rahi thie ke raat ko jo huya hei is mein dono bhai behan jineh pata bhi nanhi unka is mein kaya kasoor hei. Mujhe yaad aaney lagi apani eik saheli ki kahani kaise voh apaney chhote bhai se chudayee karwati thi. lekin usne to jaan kar apane chhote bhai ka lund liya tha ke voh abhi bachha hei aur us ka paani nahin nikalata isliye bacha honey ka dar nahin tha. Yanha to anjaaney mein badi behan apaney chhote bhai se chudati rahi aur yeh sochati rahi ke uska pati use chod raha hei.Poore 9 mahiney baad meri nanand ko eik sunder sa ladaka ho gaya. mein apaney pati ke saath use milane gayee. Bacha bilkul mere pati ki shakal ka tha. voh kehane lagi' dekha apaney mama par gaya hei. mein soachti thi ke apane baap par na jaye'.meiney kaha' kanyon apaney baap par kanyon nahin' voh boli ' is ka baap to tujhe pata hei itana sunder nanhi aur har maa apane bache ko sunder dekhana chahati hey. iske alawa tujhe eik raaz ki baat bataun yeh to mandir wale baba ka aashirwad hei varana mera pati to shayad zindagi bhar bacha paida nanhi kar sakata'Meine poochha ' kanyon'voh boli ' uska lund bahut chhota hey aur uska paani bhi bahut jaladi chhoot jata hey. mujhe to us raat sapaney mein pahali baar maza aaya tha, jis ke kaaran mera bacha huya hey'mein uski baat sun kar soachaney lagi kanhin ise is baat ka pata to nanhin hei ke yeh bacha uske bhai ka hei aur janbhoojh kar mujhe baar baar yeh keh rahi hei ke bhagwan ka parshad hey.uska ladaka 5 saal ka ho gaya tha aur mere bhi do bache ho gaye thei. Uska kanyon ke doosara bacha nanhi huya tha isliye voh phir baba ka aashirwad manganey aayee. Meine use kaha' behan bhagwan ne tujhe eik baar aashirwad de diya hei usi mein tasalli kar. jayada lalach karaney se bhagwan naraz ho jatein hein.'voh boli ' bhabi bhagwan se to hum zindagi bhar mangate hein bhagwan kabhi kisi se naraz nahin hota.'Doosarey din hum mandir gayee aur vapas aa kar phir voh mere kamarey mein hi so gayee aur kahaney lagi ' bhabi tujhe pata hei isi kamare mein mujhe sapane mein mere pati ke chodane se bacha huya tha isliye mein isi charpayee par sonyu gi.'Mujhe ab shak aur bhi jayada hone laga ke yeh jaanbhooj kar mere se chhupa rahi hey lekin ise sab pata hey ke is ka pati ise bacha nanhi de sakata aur yeh bacha is ke bhai ka hi hei. Lekin kanyon ke ab humari shaadi ko 5 saal ho gaye thei aur humare do bache bhi ho gaye thei isliye raat ko mere pati ka mere paas aana kum ho gaya tha us par meine apane pati ko keh diya ke aaj tum raat ko mat aana. kanhi tumahri behan jaag gayee to bade sharam ki baat hogi. mere pati ne kaha ' is mein sharam ki kaya baat hei hum pati patani hein' Phir bhi voh mera kehana man kar raat ko nanhi aayaa. subhah meine apani nanand se poochha ' raat ko kaisa sapana aayaa'voh kehane lagi' lagata hei teri baat sach hei bhagwan mujhe doosara bacha nahin dena chahate,. raat ko sapana to nanhin aayaa aur aata bhi kaise mujhe raat bhar neend hi nanhi aayee.Maine soacha achha huya meine apaney pati ko aane se rok diya varana bhed khul jata.
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#7
Voh agale din apani sasural nanhi gayee to mujhe phir shak hone laga ke yeh chahati hei ke is ka bhai ise chode aur yeh maa bane, lekin mein unhen mauka nanhin dena chahati thie. raat ko voh baatein karte karate so gayee lekin mujhe neend nanhin aa rahi thie. raat ko dekha ke mera pati chup chap aaya aur usi charpayee par leit gaya jis par uske behan leti thie. mein jaan boojh kar chup rah kar tamasha dekhana chahati thie ke voh jaad kar chudayee karwaye gi ya sote huye uska bhai anjaaney mein us ki chudayee karata hey. Maine dekha ke mere pati ne us ka blouse khola aur uske mamme pehale haath mein lekar dabane laga phir munh mein lekar choosaney laga. voh chup chap leti huyee thie abhi pata nanhi lag raha tha ke voh soyee huyee hei ya use pata hi nanhi. thodi der baad uske bhai ne us ka lahanga upar kiya aur uski choot par haat pherane laga to usne angdayee li. mujhe laga ke voh maza le rahi hei aur janboojh kar chup hey. phir bhi aaj mujhe sachayee ko janana tha isliye bade dhayan se dekh rahi thi ke kaise chhote bhai se badi behan chudwayee karwa rahi hey. Jab usne choot hilani shuru ki to mere pati uske bhai ne apana lund uski choot par rakh diya. voh apani choot ko upar uchhalaney lagi aur uske bhai ne apana lund uski choot mein daal diya aur phir jor jor se jhatake maar kar chudayee karaney laga. Ab yeh bhagwan jaane ya voh dono ke voh anjaney mein eik doosarey se chudayee karwa rahe thei ya jaanate huye maze le rahe thei. chudayee ke maze lete huye unhoney munh se munh mila kar eik doosary ke honthon ka ras peena shuru kiya to mein sochaney lagi ke kaya itana kuchh ho jaye aur aurat ko pata bhi na lage aisa sanbhav hei. lekin mujhe chahe apaney pati ka lund doosari choot mein jate achha nahin lag raha tha voh bhi uski apani behan ki choot mein lekin meine soach liya tha ke mein aaj sachayee jaan kar hi rahungi.Achhanak meine suna ke voh keh rahi hey ' bhai teri behan bahut dino ki payasi thie aur tujhe kuchh keh bhi nanhin sakati thie, lekin pichhali baar tumaney apani biwi samajh kar jab meri chudayee ki to mujhe pehali baar chudayee ka maza aaya tha aur uske baad bacha hone se to mein tere lund ki diwani ho gayee thi. tujhe aaj batyu ke tere jija ka lund bilkul chhota hey aur meri kaya kisi bhi aurat ki tasalli nanhi kar sakata. kal tu nanhin aaya to mujhe neend hi nanhi aayee aur mujhe eik din sirf tera lund lene ke liye rukana pada.'' bol mat meri patani ne sun liya to gadbad ho jayegi. Yeh to theek hey ke pichhali baar mein apani patani ke paas hi aaya tha aur mujhe nahin pata tha ke uski charpayee par tu soyee huyee hey. lekin jab ho hi gaya to bhagwan ki marzi samajh kar chup karane mein hi bhalayee samajhi'.'yeh to theek hey hota hei vohi jo manzure khuda hota hei, lekin aise kab tak chori chori milate rahenge aur kab tak yeh bhed bana rahega. Pehale ke baat doosari thie, jab tak tere lund ka sawad nanhin liya tha mein tere jija ke chhote se lund se hi guzara chala rahi thi lekin ab tere lund ka sawad chakhane ke baad is bina raha nahin sakati.'' aisa kar kuchh din ke liye tu yanhi rah ja, phir aage ki soachen ge.'Subhah maine apani nanand se poochha ' raat ko koyee sapana aaya ya nanhin'' raat bada haseen sapana aaya, maza aa gaya, teri charpayee mein to koyee jadu hei. Mere pati ka lund jo ghar mein chhota lagata hei yanhan par pata nanhin kaise itana bada ho jaata hey.'Mein soachaney lagi ke ise abhi yeh batayun ke nahin ke meine inki raat ki baatein sun li hein. Phir mein yeh soach kar ke agar inehe yeh kah diya ke meine inki baatein sun li hein to inka aage ka natak dekhane ka maza nanhin milega. sach yeh tha ke ab mujhe inke jooth ki kahani sunaney mein maza aaney laga tha. Abhi to meine apane pati se is baarey mein jayada baat hi nanhin ki thie aur mein us se baat karaney ki bajaye use range haathon pakadana chahati thie. raat ko mere bahut kahaney ke bawazood meri nanand usi charpayee par soyee aur mein raat bhar bhai behan ki chudayee ke maze leti rahi. eik baar dil mein aaya ke uth kar unhen us samay pakadoon jab bhai ka lund behan ki choot mein hoga, lekin na jane meine unke maze mein khalal dalana pasand na kiya aur chup chap bhai behan ki chudai dekhati rahi. voh is baar kafi din ruki aur har raat mere samaney hi khoob maze lete rahe. ab kanyee saal ho gaye hein uska eik aur bacha bhi ho gaya hei aur voh jayada ab yanhin rahati hei.
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