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रिशा ने उठकर दरवाजा खोला और अपने पती को देखकर मुस्करायी. समीर घर के अंदर आया और रिशा ने उसके पीछे दरवाजा बंद किया. समीर ने अपना बैग मेज पर रखा और फिर वो सोफे पर बैठ गया. वो काफी थका हुआ लग रहा था. उसने सर सोफे की पीठ पर टेक कर अपनी आँखे बंद कर ली थी. “अरे आज आप इतनी जल्दी कैसे आ गए? फ़ोन कर लेते तो मैं भी आपसे मिलने आती थी. मझे बाजार जाना था. थोड़ी शॉपिंग भी करनी थी. ” रिशा भी अपने पती के बाजु में बैठ गयी और उसे निहारने लगी. “आज नहीं यार. आज मैं बहुत थका हुआ हु.” समीर ने थोड़े चिढ़ते हुए ही जवाब दिया. रिशा ने जब देखा की वो सच में ही काफी थका हुआ लग रहा था तो उसने भी बात को आगे नहीं बढाया. “क्या हुआ? आप काफी परेशान दिख रहे है ? कुछ तकलीफ है क्या?”रिशा ने अपनी ओढ़नी से समीर का सर पोंछने का प्रयास किया. “परेशान नहीं बस थका हुआ हूँ. जरा एक कप चाय पिला दो प्लीज.” समीर ने उसका हाथ हटाकर कहा. “ठीक है. आप थोडा फ्रेश हो जाईयें. मैं तब तक चाय लेकर आती हूँ.” इतना कहकर रिशा किचन की ओर चली गयी और समीर भी उठकर बाथरूमकी तरफ चला गया. पांच मिनट बाद जब समीर वापस हॉलमें आया तो रिशा चाय के साथ वही थी. समीर और रिशा दिल्ली में रहते थे. वैसे तो वो दोनों मराठी थे लेकिन समीर की नौकरी की वजह से पिचले ४ सालो से वो दिल्ली में ही रह रहे थे. समीर एक कंपनी में सेल्स मैनेजरकी हैसियत से काम करता था और रिशा गृहिणी थी. समीर ३० साल का था और रिशा २५ की थी. उनकी शादी को अब ५ साल हो चुके थे लेकिन अब तक उन्हें संतान सुख नसीब नहीं हुआ था.
समीर रिशा के बाजू में बैठ गया और उसने चाय उठा ली. दो घूट चाय पिने के बाद उसने चाय वापस मेज पर रख दी और रिशा की तरफ देखा. उसने काले रंग का स्लीवेलेस (बिना आस्तीन वाला) कुरता पहना था और नीचे सफ़ेद रंग की सलवार पहनी थी. उसके बाल खुले हुए थे और वो उसके आकर्षक नितंबो तक आते थे. समीर की नजर अपनी बीवी के बड़े वक्ष स्थलों पर गयी और उसका मन चंचल हो उठा. रिशा के इन्ही भारी स्तनों ने उसे दीवाना किया था और उसकी वजह से उसने उसके साथ शादी के लिए हां कही थी. उनकी शादी अर्रेंज थी और उसे रिशा के मामा ने तय की थी. समीर की नजर उसके भरे भरे जवानी पर पड़े थे ये देखकर रिशा थोडा शर्मा गयी. वो काफी खुबसूरत थी लेकिन रिशा के बदन का सबसे आकर्षक हिस्सा उसके बड़े बड़े स्तन ही थे. वो आज कल की लडकियों की तरह स्लिम नहीं थी बल्कि उसका शरीर और वक्षस्थल काफी मांसल और भरे भरे थे. लेकिन फिर भी वो मोटी नहीं थी. उसके इसी भरे हुए शरीर की वजह से सारे मर्द उसके कायल हो जाते थे. जब समीर की नजर उसके स्तनों पर से नहीं हटी तो रिशा ने आखिर पूछही लिया. “क्या देख रहे है आप? बड़े ही बेशर्म हो.” ये कहकर रिशा उठाने लगी तो समीर ने उसका हाथ थाम लिया और उसे अपनी तरफ खिंचा. “आज तुम बहुत खुबसूरत दिख रही हो.” समीर ने रिशा को अपनी बाहों में भरते हुए कहा. रिशा ने भी थोडा नखरा किया लेकिन फिर वो भी अपने पती की बाहों में समां गयी.
“क्या बात है? आज बड़ी तारीफ हो रही है मेरी?” समीर ने धीरे से रिशा के होठों पर अपने होठ टिकाये और उन्हें चूमा. रिशा ने भी अपना हाथ समीर के हाथ में दिया और उसके कंधे पर अपना सर रखते हुए बोली. “अब तुम खुबसूरत दिख रही हो तो मै तारीफ तो करूंगा ही ना.” ये कहकर समीर ने अपना हाथ रिशा की नग्न बाहों पर सहलाया. रिशा मन ही मन में खुश तो हुई लेकिन फिर भी उसे एक प्रश्न सताए जा रहा था. उसने आज समीर को अच्छे मूड में पाया तो वो पूछने का धैर्य करने लगी . उसने समीर के गाल पर अपने होठ टिकाये और फिर बोली. “समीर, वो सब छोडिये. मैं काफी दिनों से देख रही हूं की आप काफी परेशान दिख रहे हो. न तो ढंग से खाना खाते है न ठीक से बात करे है मुझसे. क्या हुआ? प्लीज कुछ तो बताईये? अगर आप अपनी बीवी की नहीं बतायेंगे तो किसे बतायेंगे? मैं कोई आज ही खुबसूरत नहीं दिखती. हमेशा ही दिखती हूं लेकिन आज तक तो कभी इतनी तारीफ नहीं की मेरी. आज क्या हो गया जो इतनी तारीफ करने लगे? मैं काफी दिनों से देख रही हूं. आप क्या परेशानी है बताइए तो सही. शायद मैं आपकी कुछ मदद कर पाऊ.” रिशा की गर्म सांसो का स्पर्श समीर के गले पर हो रहा था. उसने एक आह भरी और फिर उसने रिशा की आंखो में झांककर कहा. “अब मन तम्हे क्या बताउं रिशा. मैं कितने दिन से सोच रहा हूं की तुम्हे सच सच बता दूं लेकिन मैं हिम्मत नहीं जुटा पाया.” समीर निचे देखते हुए बोला. रिशा ने फिर से उसका हाथ दबाया और बोली.
“आज खुद मैंने ही ये मामला निकाला है अब बोल दीजिये. कोई खा नहीं जाउंगी मै आपको. क्या हुआ बोलिए तो सही?” समीर ने रिशा की आंखो में देखा और एक बार फिर से हिम्मत जुटाई.
“रिशा, मैंने काफी दिन से अपना साईड बिजनेस शुरू किया था. अब नौकरी तो मैं सिर्फ नाम के लिए करता हूं लेकिन हमारी ज्यादा आमदनी तो बिजनेस से ही होती है. लेकिन काफी दिन से मुझे बिजनेस में थोडा थोडा करते हुए काफी नुकसान है. अब मुझे एक ऑर्डर मिलने के आसार है लेकिन जो आदमी ये ऑर्डर मुझे देनी वाला है उसकी कुछ शर्ते है. अब उसकी बाकि सब शर्ते तो मैं पूरी कर सकता हूं लेकिन एक ऐसी शर्त है जो मैं पूरी नहीं कर सकता.” अब समीर ने रिशा का हाथ दबाया और रिशा उसकी तरफ देखने लगी. “ऐसी क्या शर्त है उसकी?” रिशा ने पूछा. “वो इतनी गंदी और असभ्य शर्त है की इसीलिए मैं आज तक तुम्हे उसके बारे में नहीं बोल पाया.” अब रिशा को कुछ कुछ समझ आ रहा था. “क्या शर्त है उसकी?” उसने धीरे से पूछा. “रिशा, वो मेरी बीवी के साथ सोना चाहता है.” ये सुनकर रिशा एकदम गुस्से से भर गयी. अब उसे समझ आ रहा था की समीर इतने दिन से क्यों परेशान है. “तो फिर आपने क्या कहा?” उसने समीर की आंखो में देखकर पूछा. समीर ने उसकी आंखे एक बार फिर झुका ली. “पहले तो उसकी शर्त सिर्फ एक बार सोने की थी और वो उसके लिए रुकने के लिये भी तैयार था. लेकिन उसमे मैंने एक चालाकी की जिसकी की वजह से वो और भी भड़क गया और उसने मुझे आखरी मौका देने की बात कही है.” रिशा का सर अब चकरा रहा था. उसका बदन सुन्न हो रहा था. “क्या चालाकी की आपने?” समीर अब उठा और फिर उसने रिशा को अपनी बाहों में ले लिया.
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:congrats: dear for new story
bahut badhiya buildup
dekhte hain sameer ne kya chalaki ki hai
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I will try to Post one update everyday... Please cooperate as I m new here
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(30-01-2020, 12:45 AM)Aasif34 Wrote: I will try to Post one update everyday... Please cooperate as I m new here
Nice bro....good !!!!!!!
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“मैं इस डील को लेकर काफी मजबूर हं क्योकि मेरा काफी सारा नुकसान हुआ है और ये एक ही डील मेरा सारा नुकसान भरने के बाद भी मुझे कम से कम २ करोड़ का फायदा कर सकती है. तो इस चक्कर में मैंने एक बड़ी गलती की.” रिशा ने समीर के कंधे पर सर रखकर पूछा. “क्या गलती की आपने?” “मैंने एक एस्कोर्ट एजेंसी से एक लड़की बुलाई और उसे ही अपनी बीवी बताकर मैंने उसे भेज दिया. उसने उस लड़की के साथ रात बिताकर अगले दिन मेरे लिए ऑर्डर देने ही वाला था की मेरा नसीब मुझे धोका दे गया. दुसरे ही दिन उसने तुम्हे और मुझे जुपिटर मॉल में देख लिया. बस फिर क्या था? तब से लेकर अब तक उसने मुझे परेशान कर रखा है. अब वो मुझे ऑर्डर सिर्फ तब देगा जब वो तुम्हारे साथ रात गुजरेगा. ये कहकर उसने उसका अपना ऑर्डर तो रुकवा ही दिया. लेकिन साथ में मुझे दुसरे जो छोटे मोटे काम मिलते थे वो भी बंद करवा दिए. और अब मेरी हालत ये है की एक तरफ मुझे मेरा बिजनेस लोन देना है. वो भी मैंने एक गुंडे से लिया था ५० टेक ब्याज से. दूसरी तरफ मुझे कोई भी काम नहीं मिल रहा जब तक मैं उसकी इच्छा पूरी नहीं करता. ऊपर से वो गुंडा मेरे पीछे पड़ा है उसके पैसे के लिए. अब मुझे समझ में नहीं आ रहा की मै करू तो क्या करू.” ये कहते हुए समीर ने अपना सर अपने हाथों में पकड़ किया. रिशा ने धीरे से अपना हाथ समीर के सर पर रखा और उसे सहलाने लगी. “देखिये आप परेशान मत होईये. भगवान् हमारे साथ है. कुछ ना कुछ रास्ता निकल ही आएगा.” लेकिन ये कहते हुए भी रिशा को पता था की वो सिर्फ अपनी पती का मन बहलाने के लिये ये कह रही थी. वो खुद भी इतनी व्यावहारिक थी की उसे पता था की ऐसे मामलों में कोई ना कोई रास्ता नहीं निकालता बल्कि उसे निकालना पड़ता है. और वो रास्ता उसे मंजूर नहीं था. वो काफी खुले दिल वाली लड़की थी लेकिन फिर भी अपने पती के आलावा किसी गैर मर्द के साथ रात गुजारना उसके लिये एक गुनाह जैसा ही था. उसने थोड़ी देर तक समीर की पीठ थपथपाई और फिर उठकर किचन में चली गयी. समीर अपने ही विचारों में मसरूफ रहा. आगे के कुछ दिन ऐसे ही निकल गये लेकिन मामला कुछ आगे नहीं बढ़ा. समीर ने भी वो विषय वापस नहीं निकाला और रिशा ने भी उस विषय को वापस नहीं छेड़ा. लेकिन रिशा को उसके पती की परेशानी साफ़ साफ़ दिख रही थी. वो काफी चुप चाप रहता था और हमेशा उसके माथे पर सिलवटे रहती थी. इस परेशानी की वजह से समीर की नौकरी पर भी असर हो रहा था और उसे उसके ऑफिस ने भी काफी दिक्कते झेलनी पड़ रही थी. और इन सबके बीच परेशानियों का हल कही भी नजर नहीं आ रहा था. लेकिन एक दिन वो हुआ जिसका समीर को काफी दिन से डर था. उसने जिस गुंडे से पैसे लिए थे उसके आदमी एक दिन घर आ गए और उन्होंने समीर को थोड़ी सी मारपीट की. रिशा उनके सामने काफी गिडगिडायी लेकिन फिर भी उन लोगो पर कोई असर नहीं हुआ और समीर को थोड़ी चोट आ गयी. मारपीट तो ज्यादा नहीं थी लेकिन जो धमकी उन्होनो ने दी उसका रिशा पर ज्यादा असर हुआ. इस बार उन्होंने समीर को सीधी सीधी धमकी दी की अगर उसने एक महीने के अंदर पुरे पैसे वापस नहीं किये तो इससे भी बुरा होगा. ये कहकर वो सब समीर और रिशा को छोड़कर चले गए थे. रिशा समीर को उठाकर बेडरूम में लेकर आयी आर उसे बेड में लिटाया. फिर वो किचन में जाकर एक पट्टी लेकर आयी औत उससे उसने समीरको छोटे पोछ दी. समीर काफी सदमे में था और कुछ भी बोल नहीं पा रहा था. रिशा ने भी बिना कुछ बोले उसकी सफाई की और फिर उसे थोडी देर सोने दिया. लेकिन इस की वजह से रिशा के मन में जो भी संकोच और संशय था वो सब दूर हो गया. अब उसे पता था की उसे क्या करना है. अब उसके मन से सुशीलता और शालीनता की चादर उड़ गयी थी. समीर कफि देर तक सोया रहा और रिशा अपने काम में थी. लेकिन शाम को जब समीर को होश आया तो वो फुट फुट कर रिशा की बाहों में रोने लगा. “रिशा मुझे माफ़ कर दो. मै लालच में अंधा हो गया था. मेरी वजह से तुम्हे ये दिन देखना पडा.” वो थोड़ी देर और रोता रहा और रिशा उसे धीरज देती रही. थोड़ी देर बाद जान समीर शांत हुआ तो फिर रिशा ने वो विषय निकाला. “उस आदमी का नाम क्या है जो आपको ऑर्डर देने वाला है?” समीर ने चौंकी हुयी नजरो से अपनी बीवी की तरफ देखा. “रिशा क्या तुम वाही कह रही हो जो मैं सोच रहा हूं?” समीर को अपने कानो पर विश्वास नहीं हो रहा था. रिशा ने अपना हाथ समीर के हाथ में डाला और उसे सहलाया. “अगर आपकी और मेरी मुश्किलें इसी से खत्म होती है तो शायद यही सही रास्ता है.” समीर की अचभित होकर अपनी बीवी की आंखो में देख रहा था. “लेकिन रिशा ये सही रास्ता नहीं है. हम यहाँ से दूर चले जाते है. वापस मुंबई चले जाते है.” समीर ने अवेजित होकर कहा लेकिन उसे खुद भी पता था की ये कोई समाधान नहीं था. “समीर, जिन लोगो से आपने पैसे लिये है वो क्या आपको इतनी आसानी से छोड़ देंगे? वो आपको अगर आपके घर में घुसकर मार सकते हैं तो वो हमें मुंबई में भी ढूड सकते है. अगर हमारी परेशानी का हल ये है की मैं किसी गैर मर्द की बाहों में जाऊ तो यही सही. मैं आपको ऐसी परेशानी में नहीं देख सकती.” रिशा अब समीर की बगल में लेट गयी और उसने धीरे से अपने पती के पेट पर सहलाना शुरू किया. “लेकिन रिशा,ये मुझे अच्छा नहीं लग रहा.” समीर ने रिशा की बाहों को सहलाते हुए कहा.“देखिये अच्छा तो मुझे भी नहीं लग रहा लेकिन अब हमारे हालत ही ऐसे है तो शायद हमें ये करना चाहिये. अब आप ही तय कीजिये की क्या करना है लेकिन मेरी तरफ से मैं आपके लिये कुछ भी करने के लिए तैयार हूं. बाकी अब आपकी मर्जी.” रिशा बिस्तर से उठी और किचन में पानी पिने की लिये चली गयी. समीर फिर से सोचता रहा. आगे ४-५ दिन समीर ने काफी प्रयास किया की वो कहीं से कुछ पैसे जुटा के ताकि वो कुछ तो कर्जा उतार सके लेकिन कहीं से कुछ भी बंदोबस्त नहीं हुआ. आकिर में उसने रिशा से बात करने की सोची. उस रात जब समीर और रिशा खाना खाने के बाद बेडरूम में आये तो समीर ने बात छेडी. “रिशा मैंने काफी कुछ प्रयास कर लिया लेकिन कही से कुछ भी नहीं हो रहा. मुझे कम से कम अब तो कोई चारा नहीं दिख रहा.” उसने रिशा का हाथ अपने हाथो में लिया. इतना कहने के बाद उसने अपनी आंखे झुका ली और आगे कुछ भी नहीं बोला. लेकिन रिशा उसका मतलब समझ गयी. “मैंने तो पहले कह चुकी हूं आप जैसा चाहे मै करने के लिये तैयार हूं. अगर यही एक ही रास्ता है तो यही सही.” समीर ने अपनी बीवी की आंखो में देखा और फिर आगे बोलना शुरू किया. “जो आदमी हमें ऑर्डर देने वाला है उसका नाम सुशांत ठाकुर है . वो काफी बड़ा बिज्नेसमन है. अगर तुम चाहो तो उसने हमें उसके फार्म हाउस पर बुलाया है. इस वीक एंड पे होली है. तो उसने वहा एक पार्टी रखी है. और मुझे उसकी सेक्रेटरी का कल फोन आया था. उसने कहा है की वो मुझे एक आखरी मौका देना चाहता है. तो अगर मुझे शर्त मंजूर है तो हम वहां आ सकते है. अगर तुम तैयार हो तो मैं उसे हां कह दूं?“ रिशा ने अपनी हामी भर दी और फिर अपने पती से लिपट गयी.
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Mast... Please update more
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Great update regular dete raho
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“आप हां बोल दीजिये. हमें कब जाना है?” उसने अपना हाथ समीर के गले में डाला और फिर अपना सर उसके कंधे पर रख दिया. “उसने हमें शुक्रवार को शाम को ही बुलाया है. पार्टी तो शनिवार को है लेकिन उसने कहा है की अगर तुम जल्दी आ जाओगी तो तुम्हे भी थोडा आरामदायक महसूस होगा और उसे भी तुम्हे जानने का मौका मिल जायेगा.” रिशा ने सिर्फ हां कहाँ और फिर वो पाने पती के गाल को चूमने लगी. “कुछ मुसीबत तो नहीं होगी ना? मुझे थोडा डर सा लग रहा है.” रिशा ने समीर से चिपकते हुए कहा. ”कुछ नहीं होगा जान. तुम चिंता मत करो. वहां काफी सारी दूसरी औरते भी होगी और लगभग ४०-५० लोग तो होंगे ही.” रिशा ने समीर को स्माइल दी और फिर आगे बोली. “क्या आप इससे मुझसे नाराज तो नहीं होंगे ना?“ रिशा ने समीर को थोडा धक्का दिया और वो दोनों बेड पर लेट गये. “रिशा , तुम तो मेर मदद करने के लिए ये सब कर रही हो. मुझे भी ये अच्छा नहीं लग रहा लेकिन मै भी ये सब के लिये मज़बूरी में ही राजी हो रहा हूं. अगर मेरा बस चले तो मैं तुम्हे किसी को हाथ भी ना लगाने दूं. लेकिन इस सब ने मेरी हालत ख़राब कर दी है.” रिशा ने समीर के गाल पर धीरे से थपकी दी और बोली. “आप चिंता मत कीजिये. कुछ दिनों में सब कुछ ठीक हो जायेगा.” लेकिन रिशा को ये पता नहीं था की उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदलनेवाली है. और ना ही समीर को इस बात का अहसास था
शुक्रवार आया तो समीर शाम को जल्दी ही घर वापस आया. सुशांत का फार्म हॉउस दिल्ली से कुछ ४० किलोमीटर दूर था.उन्हें वहां पहुचने में कम से कम २ घंटे लगाने वाले थे. इसलिए समीर ४ बजे ही घर लौट आया. रिशा पहले ही तैयार हो कर बैठी थी. जैसे ही समीर की नजर उस पर पड़ी उसका दिल डोल उठा. रिशा ने लाल रंग की साड़ी और उसपर काले रंग का स्लीवेलेस ब्लाउज पहना था. अपने बाल उसने स्ट्रेट करवाये थे और उन्हें कंधों पर खुला छोड़ रखा था. गालों पर हल्का सा मेक अप किया था और उनपर गुलाबी रंग की शेड लगायी थी. होठो पर गर्द लाल रंग की लिपस्टिक लगायी थी. हाथो में मैचिंग लाल रंग के ही कंगन पहने थे और गले में सोने का नेकलेस पहना था. रिशा ने जब देखा की समीर की नजर उससे हट ही नहीं रही थी तो वो शरमा गयी. “ऐसे क्या देख रहे है आप? आज तक कभी नहीं देखा क्या?” रिशा ने शरमाते हुए कहा. समीर भी उसकी तरफ गया और उसे अपनी बाहों में भर लिया. “देखा है लेकिन आज तक तुम इतनी खुबसूरत कभी नहीं दिखी. आज ऐसा क्या ख़ास है जो इतनी सज धज के जा रही हो?” समीर ने उसे चिढाते हुए पूछा. लेकिन रिशा भी कम नहीं थी. “अब किसी गैर मर्द पे इम्प्रेशन ज़माना है तो ये सब तो करना ही पड़ता ही है. है न मेरे प्यारे पतिदेव?” रिशा ने अपनी बाहें समीर के गले डाल दी . जब समीर ने उसके निखरे हुए होठो को चूमने का प्रयास किया तो रिशा ने बिच में अपना हाथ रख दिया. “मेरी लिपस्टिक ख़राब हो जायेगी. पुरे दो घंटे लगे है इतना मेक अप करने में.” ये कहकर उसने समीर को धीरे से पीछे धकेला. समीर ने भी उसकी चुटकी लेने का मौका नहीं गवांया. “रिशा तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे वहां जाकर तुम्हारा मेक अप जैसे का वैसा रहने वाला है. तुम इतनी खुबसूरत दिख रही हो की मुझे डर लग रहा है की कही सुशांत तुम्हारा रेप न कर दे.” रिशा ने एक क्लिप उसके ऊपर फेंक मारी और बोली.
“कुछ भी अनाप शनाप मत बकिये आप. जाईये तैयार हो जाईये.” इतना कहकर रिशा हाल में जाने लगी. समीर ने कुछ समय तक पानी बीवी के हिलाते हुए नितंबो को देखा और फिर एक आह भरी और फिर नहाने गया. उसे पता था की शायद कुछ देर में उसकी बीवी के नितंबो पर शायद उसके नहीं बल्कि सुशांत के हाथ रहेंगे. लगभग ३ घंटे के बाद जब वो सुशांत के फार्म हॉउस पर पहुंचे तो शाम के सात बज चुके थे और अँधेरा होने लगा था. समीर ने अपना इनविटेशन कार्ड सिक्यूरिटी गार्ड को दिखाया तो उसने फार्म हाउस का दरवाजा खोल दिया. “गाडी की पार्किंग कहा करनी है?” उसने गार्ड को पूछा तो उसने दाये मुड़ने वाले एक रस्ते की तरफ इशारा किया. समीर ने उस तरफ गाड़ी मोड़ दी. ४-५ मिनट बाद उसे दूर एक बंगला दिखाई दिया और उसी के पास एक छोटा सा पार्किंग लॉट दिखाई दिया. वहा पहले से ही ३-४ गाड़िया खड़ी थी. समीर ने भी एक जगह पर अपनी गाड़ी लगा दी और फिर वो दोनों गाड़ी से बाहर आये. वो दोनों बंगले की तरफ गए और फिर ने दरवाजे की डोर बेल दबायी. जल्द ही एक नौकर ने दरवाजा खोला. “जी हम सुशांत साहब की पार्टी के लिए आये है.” नौकर ने दरवाजा पूरा खोला और उन्हें अंदर आने के लिए कहा. “क्या आपका नाम समीर है साहब?” नौकर ने पूछा. समीर ने हां में जवाब दिया. “आप बैठिये. मै मेमसाहब को बुलाता हु.” नौकर ने उन्हें सोफे पर बैठने के लिए कहा. समीर और रिशा बैठ गए. “आपका कुछ सामन है जो लाना है?” जाने से पहले नौकर ने पूछा.
“हां हमारे दो बैग है. गाड़ी में ही रखे है अब तक.“ समीर ने जवाब दिया. “तो गाड़ी की चाबी दे दीजिये तो मै सामान यही मंगवा लेता हूं और आप के कमरे में रखवा देता हूं. सुशांत साहब ने आप को उनके बाजू वाला कमरा देने के लिए कहा है. ” इसपर समीर ने गाडी की चाबी निकली और उसे दे दी. वो उसे लेकर चला गया. “सुशांत साहब ने हमारे लिए उनके बाजु वाला कमरा रखा है. वा भाई , अच्छी खातिरदारी हो रही है हमारी. ” रिशा ने हंसते हुए कहा. “अब तुम्हारे जैसी खुबसूरत औरत का साथ मिलनेवाला हो तो खातिरदारी क्यों ना होगी.” समीर भी हंसते हुए कहा. “और ये मेमसाहब कौन है? सुशांत की बीवी है क्या?”समीर ने इधर उधर देखते हुए धीरे से जवाब दिया. “अरे बीवी नहीं है. वो उसकी सेक्रेटरी है. उसका नाम बितिका है. वही उसका सारा बिजनेस संभालती है. सिर्फ अच्छा वाला धंदा नहीं बल्कि ये जो सेटिंग की है वो भी उसीने की है.” रिशा ने अपनी आँखे फेर ली. वो इधर उधर देख ही रही थी की उसे किसी के चलने की आवाज आयी. उसने देखा तो एक बहुत ही खुबसूरत लड़की ऊपर की सीढियों से निचे आ रही थी. रिशा ने देखा तो उसे लगा की वो लगभग उसी की उम्र की थी. उसने नीले रंग का स्लीवेलेस टॉप पहना था और निचे काले रंग का घुटने तक आनेवाला स्कर्ट पहना था. उसने हल्का सा मेक अप किया था फिर भी वो बहुत खुबसूरत दिख रही थी. उसे देखते ही रिशा को थोड़ी सी जलन महसूस होने लगी. रिशा उसे सर से पांव तक निहारने लगी. बितिका निचे आयी तो समीर उठ कर खड़ा हुआ तो रिशा भी खड़ी हो गयी.
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ye to koi bada jaal lag raha hai.................
chudai ke liye........... secretary ne setting ki............ aur rukne ke liye farm house me apne barabar wala room de raha hai
high profile deal ho rahi hai..................
dekhte hain............ab
inki jindgi kaise hamesha ke liye badalne wali hai
keep posting dear
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Mast... Please update more
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Super hot erotic story bhai Ek request has Bas zyada wait na karao lambi update De diya Karo and jaldi
Sabse zabardast kahani had yeh
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“कैसी है बितिका मैडम आप?” जब बितिका उनके सामने आयी तो समीर ने कहा. “मैं अच्छी हू. आप दोनों कैसे है? तुम रिशा हो ना? समीर ने तुम्हारे बारे बहुत कुछ बताया है. तुम सच में उतनी तारीफ़ के काबिल हो.” बितिका ने रिशा की तरफ हाथ बढाया तो रिशा ने भी अपना हाथ आगे किया और उससे हाथ मिलाया. बितिका ने कुछ पल रिशा को निहारा और फिर उन्हें बैठने के लिए कहा. वो भी उन दोनों के सामने बैठ गयी. “सुशांत अभी आये नहीं है. पर वो थोड़ी देर में आने ही वाले है. मै यहाँ की सब तैयारी करने के लिए थोडा जल्दी आ गयी. हर साल हम यही पार्टी देते है. काफी मजा आता है. आप लोग शायद पहली बार आये है.” रिशा ने इस पर हामी भरी. “आओ तुम्हे बंगला दिखाती हूं.” बितिका ने रिशा को कहा तो वो उठकर चली. “समीर तुम यही इंतेजार करो. तुम्हारा सामान मैंने उम्हारे कमरे में ही भेज दिया है. शायद सुशांत अभी आ ही जाए. हम लोग थोड़ी ही देर में आ जायेंगे.” ये कहकर बितिका और रिशा सीढियों से पर के माले पर चले गए. समीर वही बैठा रहा. “बंगला ३ माले का है. हर माले पर ६ कमरे है.” बितिका ने रिशा को घुमाते हुए बताना शुरू किया. रिशा देखती रही. “सभी कमरे अभी बंद ही है लेकिन कल तक सारे गेस्ट आ जायेंगे तो पूरा फुल हाउस हो जायेगा.” रिशा नीचे अपने पती को देख पा रही थी. वो घुमाते हुए लगातार अपने पती को देख रही थी तो बितिका ने उसे ताना मार दिया.
“अरे क्या अपने पती को देख रही हो? छोड़ो उसे. वैसे भी अगले दो दिन तक तुम्हे किसी और को ही देखना है.” बितिका के ये कहते ही रिशा थोड़ी सी हडबडा गयी. बितिका ने उसका हाथ खिंचा और उसे तीसरे माले पर ले जाने लगी. “ये सुशांत का कमरा है.” बितिका ने एक दरवाजा धकेला और वो दोनों अंदर गए. वहां का दृष्य देखते ही रिशा सहम उठी. कमरे को किसी शादीशुदा जोड़ी की सुहागरात के लिए जैसे सजाया जाता है वैसे सजाया गया था. कमरे के बीचो बिच एक बड़ा गोल बेड था और उस पर गुलाब की पंखुड़िया बिखरी हुयी थी. कमरे से इत्र की खुशबू आ रही थी. कमरा काफी ठंडा लग रहा था. “ये सब तैयारी तुम्हारे लिए ही है.” बितिका ने बिना किसी शर्म के रिशा को बताया. रिशा को भी समझ में आ रहा था लेकिन उसका मन अब तक इस बात के लिए तैयार नहीं हो पाया था. उसे भी पता था की वो यहाँ किस लिए आयी थी लेकिन फिर भी जब सत्य उसके सामने आया तो वो थोड़ी सी सहम गयी. “तुम्हारा कमरा यही बाजु में है लेकिन मुझे नहीं लगता की तुम उस कमरे में ज्यादा देर रुकोगी. फिर भी देख लो.”बितिका ने बायीं तरफ की दीवार की तरफ जाकर एक दरवाजे को धक्का दिया तो वो खुल गया और उसे एक और कमरा दिखाई दिया. वो इस कमरे जितना अच्छा नहीं था लेकिन फिर भी काफी अच्छा था. रिशा बितिका के पीछे बिना कुछ बोले गयी और उस कमरे में दाखिल हुयी. “तुम्हारा पती इसी कमरे में सोयेगा. तुम जब चाहो यहा आ जा सकती हो.” इस कमरे में भी एक डबल बेड था. कमरा काफी साफ़ सुथरा था. “तुम्हारा कमरा कहा है? ” रिशा ने पूछा तो बितिका ने उसे इशारा किया. वो दोनों वापस सुशांत के कमरे में आये और बहार निकालने के बाद बायीं तरफ गए.
“ये मेरा कमरा है. सुशांत के कमरे की बायीं तरफ वाला कमरा. हर साल उस कमरे में कोई और लड़की रहती है. कभी लड़की कभी कोई शादीशुदा औरत लेकिन मै हमेशा से यही रहती हूं.” पहली बार रिशा को बितिका की आवाज में एक अजीब सी जलन और इर्ष्या महसूस हुयी. क्या वो सुशांत से प्यार करती थी या वो भी उसकी तरह किसी मजबूरी का शिकार थी ? रिशा के मन में एक अजीब सा विचार आया. वो उसे क्यों निचा दिखाने की कोशिश कर रही थी? “क्या सुशांत शादीशुदा है?” रिशा ने पूछा. बितिका ने अपना कमरा वापस बंद किया. “हां उसकी दो बीविया है. एक लखनौ में रहती है उसके खानदान के साथ. दूसरी यही रहती है उसके साथ.” रिशा का मन हुआ की उसे पूछ ही ले की उसका सुशांत के साथ क्या रिश्ता है लेकिन उसने मन पे काबू किया. लेकिन उसे पता था की बितिका का सुशांत के साथ क्या रिश्ता है. उसे पूछने की जरुरत नहीं थी. “चलो निचे जाते है. शायद सुशांत आ गया है.” वो दोनों अब लिफ्ट की तरफ गए और लिफ्ट में गए. दो मिनट बाद वो दोनों निचले माले पे पहुंचे और वहां उन्होले सुशांत को समीर के साथ बैठे हुए देखा. बितिका आगे गयी और रिशा उसके पीछे चल दी. जैसे ही वो दोनों वहां पहुंची, सुशांत और समीर दोनों खड़े हो गए. बितिका मुस्कराकर सुशांत के गले लगी और फिर उसने रिशा की तरफ इशारा करते हुए कहा. “सुशांत, ये रिशा है . समीर की बीवी.” सुशांत ने रिशा को सर से पैर तक ताका और फिर अपना हाथ आगे बढाया. रिशा भी आगे आयी और उसने सुशांत से हाथ मिलाया.
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“रिशा तमसे मिलके बहुत खुशी हुयी. समीर ने जितना बयान किया है तुम उससे भी ज्यादा खुबसूरत हो.” अपनी तारीफ़ सुनकर रिशा शरमा गयी. सुशांत ने रिशा का हाथ अपने हाथ में ही रखा और उसे सहलाया. रिशा को साफ़ पता चल गया की सुशांत उसके हाथो को छूना चाहता था. “हमें पार्टी में बुलाने के लिए आपका शुक्रिया.” रिशा ने कहा. सुशांत ने फिर भी उसका हाथ नहीं छोड़ा. “अरे शुक्रिया तो उम्हारा ऐडा करना चाहिल्ये की तुमने आने के लिए हां कहा. आओ बैठो.” सुशांत ने सोफे की तरफ इशारा किया. रिशा समीर के बाजु में आकर बैठ गयी और बितिका सुशांत के बाजू में बैठी. “समीर ने तुम्हारी इतनी तारीफ़ की है की तुमसे मिलाने का बहुत जी कर रहा था. पार्टी तो सिर्फ बहाना है. असली वजह तो तुम हो.” सुशांत ने रिशा के साथ फ्लर्ट करते हुए कहा. “अपनी इतनी तारीफ़ सुनाने की आदत नहीं है मेरी.” रिशा ने शरमाते हुए कहा. “अरे क्या समीर , इतनी खुबसूरत और हसीन बीवी है तुम्हारी और तुम उसकी तारीफ़ नहीं करते? ये तो कोई बात नहीं हुयी. अच्छा हुआ की तुम दोनों आज ही आ गए. वर्ना कल तो थोड़ी भी सुकून से बात नहीं होगी. इस बार तो कम से कम ३० लोग आने वाले है. है न बितिका?” बितिका ने समीर की तरफ देखा और बोली. “हां लोग तो काफी है लेकिन खास मेहमान तो तुम और रिशा ही हो.“ समीर मन ही मन में मुस्कराया. उसे पता था की खास मेहमान वो नहीं बल्कि उसकी बीवी थी. “ये तो आपका बड़प्पन है की आपने हमें इस काबिल समझा सुशांत सर.” समीर ने कहा. “अरे ऐसा कुछ अहि है. अब तुम लोग आ गए हो तो चलो अभी पार्टी शुरू करते है. बितिका , कुछ ड्रिंक वगैरा हो जाए.” सुशांत ने बितिका की तरफ देखा तो वो उठी.
“आप लोग बैठिये. मै जरा ड्रिंक्स का इंतेजाम कराती हूँ.” रिशा भी बितिका के साथ उठाने लगी तो सुशांत ने उसका हाथ पकड़ कर कहा. “रिशा तुम कहा जा रही हो? तुम यही बैठो मेरे पास.” ये कहकर सुशांत ने रिशा को अपने पास बिठा लिया. अब रिशा सुशांत के पास बैठी और समीर उसके सामने बैठा था. “और समीर , कैसा चल रहा है तुम्हारा बिजनेस?” सुशांत ने पूछा लेकिन उसे भी पता था की उसका बिजनेस कैसे चल रहा था क्योकि उसीने समीर का बिजनेस चौपट किया था. “बस सर आप की कृपा है. अब अगर आपका ऑर्डर भी मिल जाये तो चार चाँद लग जायेंगे.” समीर ने कहा. “हां हां वो तो तुम्हे ही मिलने वाला है. वैसे तुमने रिशा को सब कुछ बताया है या नहीं?” सुशांत ने रिशा की तरफ देखा तो रिशा ने अपनी आँखे झुका ली. “हाँ सर उसे पता है.” सुशांत ने रिशा का नाजुक हाथ अपने हाथ में लिया तो इस बार रिशा ने उसकी तरफ शरमा कर देखा. सुशांत ने अपना हाथ रिशा की नग्न बाहों पर रखा आर धिरे से उसे सहलाया. “रिशा बितिका को ड्रिंक्स का इंतेजाम करने दो. आओ तब तक मै तुम्हे जरा बाहर की सैर करता हूं. तुम बैठो समीर.” ये कहकर सुशांत उठा तो रिशा भी उठ गयी. अब उसे काफी ज्यादा शर्म आ रही थी. उसने समीर की आँखों में देखा और फिर आगे बढ़ गयी. लेकिन जैसे ही वो आगे गयी तो सुशांत ने उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया. रिशा ने भी उसका हाथ लिया और अपनी उंगलिया सुशांत की उँगलियों में मिला दी. कमरे से बाहर जाने से पहले रिशा ने एक बार फिर से अपने पती की तरफ मुड कर देखा , उससे आँखे मिलायी और फिर वो सुशांत के साथ बाहर निकल गयी.
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Plzz tell me continue Rakhu ya nahi??
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(03-02-2020, 01:29 PM)Aasif34 Wrote: Plzz tell me continue Rakhu ya nahi??
Excellent story continue rakhiye jaldi update dijiye lAmbhi update
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Kabi ayega next update waiting Kar rahe hai
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Hi friends Maine kahi ek story padhi thi "saliyon ki panties" but wo kaha padi thi yaad nahi so please agar kisi ko pata hai tou woh story yaha post kare.
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सुशांत रिशा को बंगले के पिछले भाग की तरफ लेकर गया. वो अब भी रिशा का हाथ अपने हाथ में लेकर चल रहा था. रिशा भी बिना कुछ बोले उसकी बाजु में चल रही थी. वो बिच बिच में सुशांत की तरफ देख रही. जाने अनजाने में ही रिशा उसकी और अपने पती की तुलना कर रही थी उसे हर बात में सुशांत ज्यादा बेहतर लग रहा था. सुशांत उससे काफी उंचा था. रिशा की ऊंचाई लगभग ५ फीट २ इंच थी जबकि सुशांत की ऊंचाई ६ फीट २ इंच थी. सुशांत की उम्र चालीस साल तक थी लेकिन उसने अपने आप को काफी अच्छा मेंटेन किया था. वो हर रोज जिम में जाता था. उसकी चालीस साल में भी तोंद नहीं थी जबकी समीर की ३० साल में ही थोड़ी सी तोंद दिख रही थी.सुशांत के हाथ और उसकी बाहे जैसे लोहे की बनी थी. उसका शरीर भी काफी गठीला था. उसका सीना चौड़ा था और उसके उसकी शर्ट के खुले बटन में से उसके घने छाती के बाल दिख रहे थे जबकी समीर की छाती पर ज्यादा बाल नहीं थे. सुशांत रिशा को घुमाते हुए लेके गया और थोड़ी देर में वो एक स्विमिंग पूल पर आये. सुशांत ने अब तक रिशा के साथ कुछ बात नहीं की थी. पूल की बाजु में ही दो कुर्सिया और एक मेज रखा हुआ था. “तुम्हे स्विमिंग करनी आती है?” सुशांत और रिशा एक दुसरे के सामने बैठे. “नहीं आज तक किसी तैरना सिखाया ही नहीं. पहले पिताजी ने सिखने नहीं दिया और बाद में तो शादी के बाद कुछ सिखाने का सवाल ही नहीं होता.” रिशा ने अपने बाल एक तरफ किये और उसने सुशांत की तरफ देखा. “ऐसे कुछ नहीं होता. अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हे सिखा सकता हूं.” रिशा मुस्करायी और बोली.
“देखती हूं. अगर आप सिखायेंगे तो शायद मै सिख भी जाऊंगी.” सुशांत ने अपनी कुर्सी रिशा की कुर्सी की तरफ खिंची और वो उसके काफी पास आ गया. सुशांत ने वापस रिशा का हाथ अपने हाथ में लिया. “रिशा , समीर मुझे सर कहता है क्योंकि मेरा उसके साथ कामकाज का संबंध है लेकिन तुम्हे मुझे आप कहने की जरुरत नहीं है. तुम मुझे तुम बुला सकती हो.” रिशा मुस्करायी और फिर उसने हां कहा. सुशांत ने रिशा के खुबसूरत जिस्म पर से अपनी नज़ारे घुमायी. रिशा को समझा की सुशांत के नज़रे उसके उभारो पर जमी रही तो वो शरमा गयी. एक गैर मर्द उसके उभारो को ताक रहा था लेकिन रिशा को सुशांत की सामने एक अजीब सा एहसास हो रहा था. सुशांत की नज़रे उसे गंदी नहीं लग रही थी. उलटा उसे सुशांत के उसे देखने से उसके शरीर में एक अजीब सा उन्माद महसूस हो रहा था. रिशा के स्तन ३६ D थे और उसे अपने आकर्षक उभारो पर काफी नाज था. रिशा भी सुशांत को देख रह थी और उसे पहली बार एक गैर मर्द आकर्षक लग रहा था. सुशांत उसकी अपेक्षा से एकदम ही परे था. उसने कल्पना की थी वो एक गंदी नजर वाला एकदम घटिया आदमी रहेगा. लेकिन सुशांत काफी आकर्षक और होशियार था. “अगर तुम चाहो तो आज रात को ही हम यहाँ आ सकते है तैरने के लिए. आओगी क्या मेरे साथ?” सुशांत ने पूछा तो रिशा चौंक गयी. लेकिन फिर उसने हां कह दिया. “तुम्हे जगह पसंद आयी?” सुशांत को भी रिशा काफी ज्यादा पसंद आ गयी थी. वो थोड़ी शार्ट थी लेकिन उसका जिस्म काफी भरा हुआ था. उसके बदन पर एकदम सही जगहों पे मांस था. उसके स्तन काफी बड़े थे और उसका जिस्म आज कल की लडकियों तरह जीरो फिगर वाला नहीं था, सुशांत को ऐसी ही भरी हुयी लडकिया भाती थी. “हां बहु अच्छी है.” रिशा ने जवाब दिया. “वैसे रिशा , तुम्हारी ब्रा साइज क्या है?” रिशा इस सवाल से एकदम चौंक भी गयी और शरमा भी गयी. “ये कैसा सवाल है सुशांत?” उसने पूछा तो सुशांत ने रिशा का हाथ थामा और कहा. “रिशा ना तो तुम्हे ज्यादा भोला बनाने की जरुरत है ना ही मुझे. तुम्हे भी पता है की तुम यहाँ क्यों हो और मुझे भी पता है. तो अब कैसा शरमाना?”इस बार उसने रिशा के गाल को हलके से छुआ. “हाँ लेकिन इसका मतलब ये थोड़े ही है की पहली ही मुलाक़ात में मेरी ब्रा साइज पूछ लोगे.” रिशा ने थोडा सा तंज कसने की कोशिश की लेकिन फिर उसने ही अपना मन बदल दिया. “३६ D.” रिशा ने धीरे से जवाब दिया. सुशांत ने रिशा के बड़े स्तनों की तरफ देखा और रिशा ने भी उसकी तरफ शर्माते हुए देखा. “वैसे तुम साड़ी में बहुत अच्छी दिखती हो खास कर इस स्लीवेलेस ब्लाउज में. तुम्हारी ये बाहें बहुत सेक्सी दिखाती है.” फिर से रिशा सुशांत की तारीफ से झूम उठी. सुशांत औरतो की की तारीफ़ करके उन्हें खुश रखने में काफी माहिर लगता था. लेकिन अब रिशा भी सुशांत के साथ थोडा आरामदायक महसूस कर रही थी और उसकी फ्लर्टिंग उसे अच्छी लग रही थी. “मै सिर्फ साडी में ही नहीं बाकी कपड़ो में भी अच्छी दिखती हूं.” रिशा ने हंसकर कहा. “हां लेकिन वो तो पहनकर मुझे दिखाओगी तो ही पता चलेगा ना.” सुशांत ने हंसकर कहा.
“तो दिखाउंगी फिर कभी. अभी तो साडी ही पहनी है.” रिशा ने मुस्कराकर कहा. “क्या दिखाओगी मुझे रिशा ? जो दिखाना है अभी दिखा दो ना.” रिशा ने इस का मतलब समझ कर सुशांत की आँखों में झांकी लेकिन फिर कुछ नहीं बोली. “वैसे तुम दोनों मराठी हो न?” सुशांत ने विषय बदला. “हां हम दोनों मुंबई से है लेकिन समीर नौकरी की वजह से कुछ सालो से इधर ही रहते है. मै भी शादी के बाद से यही हूं.” रिशा ने कहा और उसने अपने बालो में से दोनों हाथ फिराए. इस वक्त सुशांत की नजर रिशा की बगलों पर गयी. रिशा उसकी बगलों के बाल शेव किये थे. रिशा ने अपंडे हाथो से अपने बाल ठीक किये और फिर से सुशांत की तरफ देखने लगी. “तो तुम कभी तो मराठी साड़ी पहनती हो क्या? उसका नाम नहीं याद आ रहा.” सुशांत ने रिशा को पूछा. “नौवारी साडी?” रिशा ने पूछा. “हां वही. उसमे तुम बहुत ही सेक्सी दिखोगी. कभी पहनती हो क्या?”रिशा ने अपना फोन निकाला. “कभी कभी पहनती हूं. मेरी शादी में पहनी थी. रुको तुम्हे फोटो दिखाती हूं.” ये कहकर रिशा ने फोन में फोटो देखना शुरू किया . जब उसे अपनी और समीर की शादी के फोटो मिल गए तो उसने सुशांत अपने पास बुलाया.
सुशांत रिशा के इतने पास आया की अब उसका चेहरा रिशा के चेहरे के एकदम पास में था. सुशांत को अब रिशा के इत्र की खुशबु महसूस हो रही थी. रिशा ने उसे एक एक फोटो दिखाना शुरू किया. सुशांत एक एक फोटो देखा रहा था लेकिन असल में उसकी निगाहे रिशा के स्तनों पर टिकी हुयी थी. उसका चेहरा रिशा के चेहरे से थोडा ऊपर था. रिशा की साड़ी पारदर्शक थी जिसकी वजह से उसके पल्लू में से उसका ब्लाउज दिख रहा था. उसका ब्लाउज भी काफी लो कट था जिसकी वजह से रिशा के उन्मत्त उभार सुशांत को साफ़ साफ़ दिख रहे थे. रिशा ने एक फोटो दिखा कर पीछे की तरफ देखा तो उसकी समझ में आया की सुशांत उसके फोटो नहीं बल्कि उसके बड़े बड़े मम्मे देख रहा है. “फोटो देख रहे हो या कुछ और?” रिशा ने उसे मस्ती में पूछा. जावेद मुस्कराकर बोला. “रिशा जब इतना खुबसूरत नजारा सामने हो तो मै दूसरा कुछ कैसे देखूंगा?” रिशा ने अपना पल्लू ठीक किया और मुस्करा दी. सुशांत ने एक क्षण रिशा के चेहरे को देखा और फिर अपने हाथ से उसने रिशा के होठो पर एक लकीर खिंची. फिर उसने निचे झुक कर रिशा के होठो पर अपने होठ रख दिए. रिशा पहले तो हडबडा गयी और उसका फोन उसके हाथ से गिर गया. लेकिन जैसे ही सुशांत ने रिशा की गर्दन पर हाथ रख कर उसके रसीले होठो को चूमना शुरू किया, रिशा भी मदमस्त हो गयी और उसने अपने होठ सुशांत के लिए खोल दिए. सुशांत ने अपनी जीभ रिशा में मुंह में दाल दी और वो उसके मुंह को चूमने लगा.रिशा की धड़कने तेज हो रही थी और उसका दिल जोर जोर से धड़क रहा था. उसकी छाती ऊपर निचे हो रही थी. सुशांत ने उसे चूमना चालू रखा और अपना दूसरा हाथ रिशा के उभारो पर रख दिया.
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