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कमलदास और अनुपा की अनोखी चुदास
#1
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
कमलदास एक 45 साल के व्यक्ति हैं जिनकी पत्नी इस दुनिया में नहीं हैं। उनकी दो बेटी हैं जिनका नाम सुभा और शोभा हैं। बड़ी बेटी सुभा की उम्र 23 साल हैं जो शादीशुदा है। छोटी लड़की अभी 18 साल की है जो पढ़ाई कर रही है। बड़ी बेटी सुभा की शादी को एक साल ही हुआ था। उसके ससुराल में जाने के बाद कमलदास अपने घर में अपनी लड़की के साथ रहते हैं। लड़की छोटी होने के कारण उन्होंने जल्दी वी आर एस ले लिया जिससे लड़की की पढ़ाई तथा परवरिश में कोई कमी न होने पाए।

कमलदास दिन का समय तो किसी तरह निकाल लेते लेकिन रात निकालनी उनके मुश्किल हो जाती। इस उम्र में भी उन्हें सेक्स का कीड़ा काटता था। कभी-कभी अंग्रेज़ी फिल्म देख लिया करते। लेकिन इससे उनकी सेक्स की भूख और भी बढ़ जाती। इसलिए अपना हाथ जगन्नाथ मानकर किसी तरह अपनी बेचैनी को कम करना उनकी मज़बूरी थी। सेक्स का कीड़ा तो बाथरूम में जाते और मूठ मारकर अपना पानी निकाल लेते। इसी तरह उनके दिन कट रहे थे।

एक दिन उनकी बड़ी बेटी सुभा घर पर आई। साथ में सुभा का देवर सुभोजीत तथा उसकी सासु माँ अनुपा भी थी। अनुपा देखने में तेज़-तर्रार और सेक्स बदन की मालकिन थी। उम्र तो उसकी ४० के आसपास थी लेकिन उसका भरा-पूरा बदन और उस पर गोरी रंगत कमाल ढाती थी। वह चलती तो उसकी चूतड़ इस अन्दाज़ में हिलती कि देखने वाला भी हिल जाए। इसके विपरीत सुभोजीत, जो अनुपा का बेटा तथा सुभा का देवर है, वह देखने में सीधा-सादा मासूम बच्चा नज़र आता है। उसकी उम्र १६-१७ के आसपास है।

शोभा अपनी बहन को देखकर खुश हो गई। कमलदास भी उन्हें देखकर खुश हो गए क्योंकि बहुत दिनों बाद वे घर पर आए थे। पूरा दिन सबने बातों में ही निकाल दिया। सुभा, शोभा और सुभोजीत आपस में ख़ूब बातें करते रहे। इधर कमलदास भी अनुपा से गप्पे लड़ाने में कम नहीं थे। कमलदास को अनुपा से बातें करके अपनी पत्नी की याद आ रही थी। उन्हें लगा कि वह जैसे उनकी पत्नी है है, बस चोदने की देर है। लेकिन वह अनुपा के गुस्से से डरते थे। अनुपा के सामने अच्छे-अच्छों की बोलती बन्द हो जाती थी फिर कमलदास क्या चीज़ है।

शाम को सभी ने खाना खाया और अपने-अपने कमरे में चले गए। सुभा और शोभा एक ही कमरे में सोने चले गए तथा सुभोजीत और उसकी माँ अनुपा भी एक कमरे में चले गए। कमलदास भी अपने कमरे में जाकर सोने का प्रयास करने लगे। लेकिन उन्हें नींद कहाँ आने वाली थी। आज फिर अपने को तड़पता हुआ पाया। अनुपा से बातें करके उन्हें अपनी पत्नी की याद आ रही थी कि किस तरह वह अपनी पत्नी को बाँहों में लेकर उसके नरम-नरम होंठों को चूसा करते थे। अपनी पत्नी के साथ बिताए सेक्स के पलों को याद करके वह और भी अधिक तड़पने लगे। उनका लंड खड़ा हो गया। वे फिर मूठ मारने बाथरूम में गए, पर आज उनका मूड इसमें भी नहीं लगा। वे हॉल में आकर सोफे पर बैठ गए। अभी घड़ी में १२:०० बज रहे थे और पूरी रात उनके सामने पड़ी थी।

कमलदास ने टीवी चालू कर लिया और फिल्म देखने लगे। । इसलिए टीवी देखने हॉल में आ गया था। वह भी सोफे पर बैठ गया। दोनों टीवी देखने लगे। फिल्म में एक चुम्बन-दृश्य आया। कमलदास ने यह दृश्य देखा तो बेचैन हो गए। उनका लौड़ा उनकी पैन्ट में ही खड़ा होकर अपनी उपस्थिति बताने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
कमलदास ने सारे कपड़े खोल दिए और दूसरी अण्डरवियर पहनकर पलंग पर लेट गए। तभी दरवाज़े पर उनकी समधन अनुपा ने आवाज़ लगाई। कमलदास उनकी आवाज़ सुनकर डर गए। घबराते हुए दरवाज़ा खोला। वह यह भी भूल गए कि वे सिर्फ अण्डरवियर में ही हैं। अनुपा दरवाज़ा धकेलते हुए अन्दर आई और बोली- क्या पिला दिया है तुमने मेरे छोरे को? वह उल्टी पर उल्टी किए जा रहा है। अपनी उम्र देखो और मासूम बच्चे को देखो। ज़रा सा भी ख़्याल नहीं आया आपको यह गंदी हरक़त करते हुए।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
कमलदास डर गए और गिड़गिड़ाकर अनुपा से बोले- मुझे माफ़ कर दो। आइन्दा मैं कभी ऐसी ग़लती नहीं करूँगा। कृपया मेरी पहली और आख़िरी भूल समझकर मुझे क्षमा कर दो। मैं क़सम खाता हूँ कभी सुभोजीत से अकेले में भी नहीं मिलूँगा। अब मेरी इज्ज़त आपके हाथ में है।

कमलदास को गिड़गिड़ाता हुआ दखकर अनुपा बोली- आपका काम माफ़ करने के लायक नहीं है। ज़रा मैं भी तो देखूँ कि तुम्हारे लंड में कितना दम है।

कमलदास यह सुनकर बुरी तरह चौंककर बोले- आप यह क्या कह रही हैं?

कमलदास को गिड़गिड़ाता हुआ दखकर अनुपा बोली- आपका काम माफ़ करने के लायक नहीं है। ज़रा मैं भी तो देखूँ कि तुम्हारे लंड में कितना दम है।

कमलदास यह सुनकर बुरी तरह चौंककर बोले- आप यह क्या कह रही हैं?

अनुपा- जो सुन रहे हो, वही कह रही हूँ। ज़ल्दी से अपनी अण्डरवियार खोलो और अपना लंड दिखाओ मुझे। मैं भी तो देखूँ कि इतना कितना लम्बा लंड है तुम्हारा कि सुभोजीत उसे देखकर डर गया।

कमलदास किसी तरह सँभले, पर वह यह समझ गए कि अनुपा की चूत में खुज़ली मच गई है वरना वह ऐसा नहीं कहती। अच्छा मौक़ा है इसे चोदने का वर्ना आज नहीं तो फिर कभी यह मेरे हाथ नहीं आएगी।

कमलदास का लंड अनुपा को चोदने के ख्याल से ही फिर खड़ा हो गया। अपनी अण्डरवियार खोली तो लंड फिर से उफान पर था। अनुपा लंबे और मोटे लंड को देखकर खुश हो गई। उसे हाथों में लेकर बोली- वाह समधी जी। आपका लंड तो अच्छा-ख़ासा लम्बा और मोटा है। अब आपकी असली मेज़बानी का समय है।

कमलदास फिर से रंग में आ गए और बोले- कसर तो मैं भी कुछ नहीं रखूँगा। आपको वह मज़ा दूँगा कि आप अपने पति को भूल जाएँगीं।

कमलदास ने अनुपा को अपनी बाँहों में भींच लिया। अनुपा भी कमलदास से इस तरह चिपकी जैसे बरसों से उनके चिपकने का इन्तज़ार था। कमलदास ने अनुपा के होंठों को अपने होंठों से लगा लिया और उस लॉलीपॉप की तरह चूसने लगे। अनुपा भी पूरी तरह उनका साथ दे रही थी। दोनों एक-दूसरे की जीभ से खेल रहे थे। बहुत देर तक दोनों एक-दूसरे को चूसते रहे। कमलदास ने अनुपा का साड़ी खोल दी और उनके मोटे और बड़े उरोज़ों को मसलकर दबाने लगे। अनुपा की आह निकलने लगी। कमलदास ने फटाफट ब्लाउज़ खोला, उसके साथ ही लहंगे का नाड़ा भी खोल दिया। अनुपा अब उनके सामने सिर्फ ब्रा और पैन्टी में खड़ी थी।

कमलदास- हाय मेरी जान ! तुम्हारा बदन तो क़यामत ढा रहा है। कहाँ थी तुम इतने दिनों तक? तुम्हें पाकर तो मुझे नशा सा छा रहा है।

अनुपा- अरे मेरे सनम। मुझे क्या मालूम था तुम मेरे लिए इतने बेचैन हो? वर्ना कब की अपनी चूत तुम्हें खिला देती। आज मुझे अपने लौड़े का स्वाद चखा दो जानेमन। तुम्हारे समधी का तो अब ठीक से खड़ा भी नहीं होता।

कमलदास- अरी छिनाल तो मुझे तो याद किया होता। तुम्हारी चूत को ऐसा खाऊँगा कि सातों जन्म तक मेरा ही लौड़ा याद आएगा।

अनुपा नीचे झुकी और कमलदास का लौड़ा अपने मुँह में भरकर चूसने लगी। कमलदास पर मस्त नशा छाने लगा। कहाँ तो वो चोदने को तरस रहे थे और आज वो मौक़ा ख़ुद ही चलकर आ गया। अनुपा तब तक लंड चूसती रही जबतक कि सारा वीर्य उनके मुँह में नहीं चला गया। पूरा वीर्य और झाँटों के बाल चाटने के बाद अनुपा भी एकदम गरम हो गई थी।

अनुपा- वाह रे मादरचोद ! तेरा पानी तो अमृत जैसा है। मैं तो पीकर धन्य हो गई।

कमलदास- तेरे जैसी काम की देवी ने इसे अमृत बना दिया है रंडी। चल नीचे लेट जा, अब मैं तेरी चूत को चाट-चाटकर तेरा पानी निकाल दूँगा।

यह कहकर कमलदास ने अनुपा को नीचे लिटाया और पैन्टी खोल दी। अनुपा की मस्त चूत देखकर उनके मुँह में पानी आ गया। आज भी उसकी चूत गुलाबी थी और हल्के से बाल छाए हुए थे। कमलदास ने देर नहीं की और झट अनुपा की चूत में मुँह घुसेड़ दिया। अपनी जीभ से चूत के चारों ओर चाट-चाटकर गीला कर दिया फिर चूत के छेद में जीभ डाल-डालकर अनुपा को ज़न्नत का अहसास देने लगे। अनुपा भी चूत पर प्यारा सा स्पर्श पाकर सिहरने लगी। दो मिनट में ही कमलदास ने चूस-चूसकर चूत का पानी निकाल दिया और सारा पानी चाट गए।

अनुपा – मेरे सैंया, अब देर न करो। जल्दी से अपना लौ़ड़ा मेरी चूत में डाल दो।

कमलदास – हाँ… हाँ क्यों नहीं मेरी रानी। चल जल्दी से मेरे लौड़े को चूस कर गीला कर दे। पर मैं तेरी गाँड की बहन चोदूंगा फिर उसके बाद तेरी चूत की माँ चोदूँगा।

अनुपा- ओय होय हरामी। तुझे भी चूत की सौतन गाँड ज़्यादा पसन्द आई है। तुम सारे मर्द साले हरामी होते हैं। सौतन को पहले चोदते हैं, बाद में अपनी घरवाली को।

कमलदास- चल गंडमरी, अब देर मत कर। मेरा लौड़ा चूसकर गीला कर दे, वर्ना तेरी गाँड की ऐसी बहन चुदेगी कि तू खड़ी भी नहीं हो पाएगी।

अनुपा ने फिर से कमलदास के लौड़े को मुँह में भर लिया और चूस-चूसकर अच्छा-ख़ासा गीला कर दिया। कमलदास ने अनुपा को कुतिया बनाया और लंड का एक भरपूर धक्का गाँड की छेद पर दिया। अनुपा चीख पड़ी।

अनुपा- अरे हरामी मादरचोद। गाँड की माँ चोद दी तूने। भोसड़ी के धीरे-धीरे कर।

कमलदास धीरे-धीरे लंड को अन्दर-बाहर करने लगे। थोड़ी देर बाद उन्होंने अपनी गति तेज़ कर दी और धकाधक धक्के मारने लगे। अनुपा को अब मज़ा आने लगा और वह और तेज़ चोदो, और तेज़ चोदो कहने लगी। पाँच मिनट तक कमलदास ने अनुपा की गाँड मारी और फिर कुछ तेज़ धक्के मार-मारकर सारा वीर्य अनुपा की गाँड में डाल दिया। अनुपा की गाँड गरम वीर्य से भर गई। दोनों कुछ देर के लिए ज़मीन पर लेट गए।

कमलदास- क्यों मेरी जान। मज़ा आया कि नहीं चुदाई में?

अनुपा- इससे पहले इतना मज़ा कभी नहीं आया मेरे सनम। आज तो तुमने मेरी गाँड फाड़कर रख दी है।

कमलदास अनुपा के ऊपर आ गए। दोनों के गरम बदन एक-दूसरे से टकराने लगे। कमलदास ने चुम्बनों की बौछार कर दी। पूरे चेहरे पर अपनी जीभ फिरा-फिराकर अनुपा के मुँह को गीला कर दिया और अपनी जीभ अनुपा के मुँह में डाल दी। अनुपा मज़े ले-लेकर उसे चूसने लगी।

अनुपा ने लंड को चूसकर फिर खड़ा कर दिया। कमलदास ने लंड के सुपाड़े को चूत पर रखा और चोदने लगे। अनुपा ने दोनों हाथों से कमलदास को जकड़ लिया और टाँगों में फाँस लिया। दोनों इस समय एक जिस्म-एक जान नज़र आ रहे थे। आनंदीनाल ने बहुत देर तक अनुपा को चोदा और सारा माल उसकी चूत में डाल दिया।

कमलदास- मेरी गंडमरी रानी। तुझे चोदकर तो वो मज़ा आया है जो मेरी पत्नी को चोदने के बाद भी नहीं आया था। मेरा बस चले तो तुझे यहीं मेरे साथ रख लूँ।

अनुपा- तूने भी मज़े, बहुत मज़े से मुझे चोदा है। मैं तो बस तेरी होकर रह गई हूँ। जाने की इच्छा तो नहीं हो रही है, पर मुझे जाना होगा। सुभोजीत इन्तज़ार कर रहा होगा। पता नहीं वो सोया भी कि नहीं। और रात भी बहुत हो गई है।

कमलदास- ठीक है। कल मिलते हैं। पर सुभोजीत को समझा देना कि वह इस सम्बन्ध में किसी से कुछ कहे नहीं। बहुत भोला और सीधा लड़का है।

अनुपा- तुम चिन्ता मत करो। मैं उसे समझा दूँगी। वह किसी से नहीं कहेगा।

अनुपा ने अपने कपड़े पहने और अपने कमरे में चली गई। कमलदास आज ख़ुद को बहुत खुशकिस्मत समझ रहे थे क्योंकि आज वे अपने ख़्वाबों को हक़ीकत में बदल चुके थे। उन्हें बहुत अच्छी नींद लगी थी।

इधर अनुपा जब अपने कमरे में पहुँची तो सुभोजीत जाग रहा था। सुभोजीत ने गुस्सा ज़ाहिर करते हुए कहा कि तुम इतनी देर से वहाँ क्या कर रही थी? मैं कब से इन्तज़ार कर रहा हूँ?

अनुपा ने उसे समझाते हुए कहा कि बेटा उन्हें समझाना बहुत ज़रूरी था। अब वे समझ गए हैं और आइन्दा ऐसी हरक़त नहीं करेंगे। तुम भी यह बात किसी से कहना नहीं और उनसे ज़्यादा बात मत करना। चलो अब सो जाओ।

अनुपा ख़ूब चुदा-चुदाकर थकी हुई थी इसलिए उसे भी बिस्तर पर पड़ते ही नींद आ गई, लेकिन सुभोजीत को कुछ-न-कुछ गड़बड़ लग रही थी। आख़िरकार वह भी सो गया।

अगले दिन अनुपा और कमलदास डाईनिंग-टेबल पर खाना खाते-खाते बहुत हँसी-मज़ाक कर रहे थे। सुभोजीत यह देखकर हैरान था क्योंकि उसे लगा था कि आज मम्मी उनसे बात नहीं करेगी, लेकिन यहाँ तो उल्टा और हँसी-मज़ाक कर रही है। सुभोजीते ने सारा दिन किसी तरह निकाला। रात को वह सोने का नाटक करने लगा। अनुपा को लगा कि वह सो गया है तो वह उठी और आनंदीनाल के कमरे में पहुँच गई।

सुभोजीत भी अनुपा के जाती ही पीछे-पीछे चलने लगा। अनुपा ने जाते ही कमलदास को बाँहों में भर लिया और जी भरकरक उनके होंठों का रस पिया। सुभोजीत दरवाज़े के की-होल से यह देखकर बुरी तरह चौंक गया। इधर अनुपा इस बात से बेख़बर कमलदास से चिपकी हुई थी। अनुपा ने पहले कमलदास को नंगा किया और फिर ख़ुद नंगी हो गई। आज पहली बार सुभोजीत अपनी मम्मी को नंगी देख रहा था। उसकी मम्मी उछल-उछल कर कमलदास से चुदवा रही थी। उसे अपनी मम्मी से नफ़रत होने लगी। वह सोच भी नहीं सकता था कि सबको अपने गुस्से से डराकर रखने वाली इतना नीचे गिर सकती है।

कमलदास और अनुपा की चुदाई का खेल देखकर उसके रोंगटे खड़े हो गए और उसके हाथ-पाँव काँपने लगे। वह कमरे के बाहर खड़ा हुआ काँप रहा था कि सामने से उसकी भाभी सुभा आ खड़ी हुई। सुभा उसे देखकर हैरान हुई कि वह यहाँ क्यों खड़ा है और इतना काँप क्यों रहा है?

सुभोजीत ने सारी बात बता दी। सुभा भी अनुपा और कमलदास की चुदाई देखकर दंग रह गई। उन दोनों को चुदाई करते देख पहले तो सुभा को बहुत गुस्सा आया पर उसे भी चुदाई की प्यास सताने लगी।

सुभा की चूत की तड़प बढ़ गई। वह भी चुदवाना चाहती थी। उसे लगा कि सुभोजीत छोटा ही सही, पर उसे चोदकर अभी उसकी चूत की तड़प तो दूर कर ही सकता है। उसने कुछ सोचा और सुभोजीत को बताया। सुभोजीत पहले तो घबराया पर सुभा की वज़ह से हिम्मत आ गई।

सुभा और सुभोजीत दोनों दरवाज़ा खोलकर अन्दर आ गए, जहाँ अनुपा और कमलदास चुदाई में मगर हो रहे थे। सुभा और सुभोजीत को देखकर दोनों हक्के-बक्के रह गए। उनके मुँह से आवाज़ भी नहीं निकली। अनुपा कमलदास से अलग हो गई। अनुपा अपने बेटे के सामने नंगी थी तो कमलदास आज अपनी बेटी के सामने नंगे खड़े थे। दोनों को अपनी इस स्थिति पर बड़ी ग्लानि हो रही थी।

सुभा ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा – तो रात में यह काम होता है। पर आप बिल्कुल डरिए मत। मैं और सुभोजीत इसमें कोई रुकावट नहीं बनेंगे।

कमलदास बोले- हमें माफ कर दो बेटी। इस उम्र में हमें यह नहीं करना चाहिए था लेकिन हम दोनों इतने अकेले थे कि अपने आपको रोक नहीं सके।

सुभा- कोई बात नहीं पापा। हमें आपसे कोई शिकायत नहीं और ना ही मेरी सास से है। आप दोनों को पूरा हक़ है अपने अरमानों को पूरा करने का।

अनुपा – क्या तुम सच कह रही हो सुभा? तुम्हें हमसे कोई शिकायत नहीं है?

सुभा – नहीं मम्मी। हमे आपसे कोई शिकायत नहीं है। लेकिन हमारी एक शर्त है, उसके बाद ही हम आपको माफ़ करेंगे।

अनुपा – हम तुम्हार हर शर्त मानने को तैयार हैं सुभा।

सुभा – आप दोनों फिर एक-दूसरे की चुदाई करो। मैं और सुभोजीत आपका साथ देंगे।

कमलदास – तुम कहना क्या चाहती हो सुभा? तुम दोनों भला हमारा कैसे साथ दोगी?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
सुभा – पापा। आप दोनों चुदाई करोगे तो हम दोनों क्या खाली बैठेंगे। मैं भी अपने देवर सुभोजीत के साथ जी भरकर चुदवाऊँगी क्योंकि आप दोनों को देककर मेरी चूत की तड़प जाग उठी है।

कमलदास और अनुपा को सुभा की बात माननी पड़ी क्योंकि इसके अलावा उनके पास कोई चारा नहीं था। अनुपा और कमलदास तो पहले ही नंगे थे अब सुभा और सुभोजीत भी कपड़े उतारकर नंगे हो गए। चुदाई का खेल फिर चालू हो गया। कमलदास के लौड़े को चूसकर अनुपा ने फिर खड़ा कर दिया। कमलदास नीचे लेट गए और अनुपा उनके ऊपर बैठकर उनके लौड़े को अपनी चूत पर सेट करके चुदवाने लगी। इधर सुभा ने भी सुभोजीत के लौड़े को मुँह में भर लिया। सुभोजीत को बहुत मज़ा आने लगा। उसे लगा कि कमलदास ने ठीक ही कहा था। लौड़ा चूसने में भले ही आनंद न आता हो, लेकिन चुसवाने में बहुत मज़ा आता है। सुभोजीत का लंड ५ इंच का था। अभी सुभा ने ठीक से लंड को अन्दर-बाहर करना शुरु ही किया था कि सुभोजीत का पानी निकल गया। सुभा ने सारा पानी चाट लिया।

सुभा ने सुभोजीत को समझाते हुए कहा कि कोई बात नहीं, पहली बार ऐसा होता है, लेकिन अब तुम मेरी चूत को चाट-चाटकर पानी निकालो और उसे पी जाओ। मेरी चूत में बहुत खुजली मची हुई है। सुभोजीत समझ गया और फिर उसने सुभा को लिटाया और चूत में जीभ डालकर चूसने लगा। सुभा तड़प उठी। बहुत दिनों के बाद वह नंगी होकर किसी से चूत चुसवा रही थी।

उधर अनुपा जब ऊपर-नीचे होते हुए थक गई तो कमलदास ने अनुपा को नीचे लिटाया और चूत में धकाधक लंड पेलने लगे। सुभा और सुभोजीत यह दृश्य देखकर और उत्तेजित हो गए। कुछ देर बाद कमलदास ने ज़ोर-ज़ोर के धक्के लगाते हुए सारा माल अनुपा की चूत में डाल दिया। सुभोजीत ने भी चूस-चूसकर सुभा का पानी निकाला और अच्छे बच्चे की तरह उसे चाट-चाटकर पी गया। सुभोजीत का लंड फिर से खड़ा होने लगा था। सुभा ने सुभोजीत के लंड को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी। सुभोजीत का लंड फिर तन गया। सुभा को लिटाकर सुभोजीत ने चूत में लंड डाला और धक्के देने लगा।

उसने पहली बार किसी की चूत में लंड डाला था। उसे आज बहुत कुछ सीखने और करने को मिला। वह अपनी सुन्दर और सेक्सी भाभी को चोद रहा था जिसके लिए उसके मन में बहुत सम्मान और प्यार था। साथ ही उसकी मम्मी एक ओर चुदवाकर लेटी पड़ी हुई थी और उनका खेल देख रही थी। कुछ देर में ही सुभोजीत ने सारा माल सुभा की चूत में डाल दिया। इस तरह रात-भर चुदाई चली। सुभोजीत ने सुभा की चूत के साथ ही सुभा की गाँड में भी लंड पेला जिसमें उसे बहुत मज़ा आया। उसके सामने ही उसकी मम्मी कमलदास से चुदवा रही थी। अनुपा और कमलदास ने जिस तरह चुदाई की, उसी अन्दाज़ में सुभोजीत ने सुभा की चुदाई की। पूरी रात सभी ने चुदाई का भरपूर आनन्द लिया
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
Heart Heart
(14-12-2019, 09:27 PM)neerathemall Wrote: [Image: ass.jpg]

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Heart
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#7
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