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Fantasy मेरा मोहल्ला
#1
ये कहानी है मेरे मोहल्ले के लोगो के बारे मे, 

काल्पनिक है, इसमे चरित्र आते रहेंगे,जुड़ते रहेंगे, सबसे अहम् किरदार होगा, मेरे घर के पास वाले नुक्कड़ की दुकान का, तो चलिये वही से शुरु करते है,

Part - 1

मै सन्नी,

मेरे घर के पास एक दुकान है जिस में घर की ज़रूरत का लगभग सब सामान मिलता है।
मैं रोज उस दुकान में सिगरेट खरीदने के लिए जाता हूँ।
कुछ दिन पहले तक दुकानदार और उसकी पत्नी दुकान चलाते थे। उन दोनों का एक छोटा सा लडका भी है।

दुकानदार की पत्नी का नाम कामिनी है। कामिनी अपने नाम के अनुरुप आकर्षक और कामुक है।

कसा हुआ बदन, किसी को भी लुभाने वाले वक्ष, बड़े-बड़े चूतड़ और चौडी जाँघें। चुदाई के लिए ललचाने वाली इन सभी विशेषताओं से भरपूर स्त्री। बस उसी के कारण ये दुकान चल नही रही थी बक्कि सरपट दौड़ रही थी, अगर ये कहा जाये कि कामिनी मोहल्ले की सभी औरतो की सोतन थी तो अतिश्योक्ति नही होगी

बड़े चूतड़ और चौडी जाँघों वाली औरतें किसे पसंद नही है क्योंकि ऐसी औरतें चौडी जाँघें होने के कारण मोटे लंड सह भी सकती हैं और लेना भी चाहती हैं। इसी तरह बड़े चूतड़ होने के कारण लंड का धक्का भी ज़ोर से सह लेती हैं।

मेरा लंड बड़ा तो नहीं है पर छोटा भी नहीं है। लेकिन मोटाई में किसी से कम भी नहीं। इसलिए चौडी जाँघें और बड़े चूतड़ वाली औरतें मेरे लौड़े को खूब पसंद करती हैं।

यही एक कारण है कि मेरे एक दोस्त की बीबी ने पहली बार तो मुझसे चुदने में आनाकानी की थी लेकिन एक बार चुदवाने के बाद अब खुद बुलाकर मुझसे अपनी चूत चुदवाती है।

कामिनी को मैंने जबसे देखा था तब से उसकी चूत चखने की मेरी तमन्ना थी लेकिन मौका नहीं मिल रहा था।

किस्मत से कुछ दिनों के बाद कामिनी का पति दुबई चला गया। मुझे इससे बेहद खुशी हुई और कामिनी की बूर का मजा लेने की आशा और भी बलवान हो गई।

अब मैं सिगरेट खरीद कर तुरंत दुकान से निकलने की वजाए वहीं रुककर उसे पीने लगा। इससे कामिनी से दो-चार बातें भी हो जाती थीं और उसके उभरे हुए चूचकों के दर्शन भी।

वो अपने चुचक ऐसे दिखाती जैसे उसे कुछ पता ही नही हो, मेरा एक दोस्त ऱाज जिसका घर दुकान के सामने था, और उसके कमरे की खिड़की दुकान की तरफ ही खुलती थी, जब उसकी बीवी घर पर नही होती तो साला खिड़की छोड़ता ही नही था, 

पर उस रोज जो हुआ ये सब इतना जल्दी और इस तरह से होगा सोचा ना था,

करीब तीन महीने ऐसे ही गुजर गए। कामिनी की बातों से ऐसा नहीं लगता था कि उसके पति के जाने के बाद उसे दूसरे मर्द की जरुरत महसूस होने लगी हो। लगता था कि उसके पति ने जाने से पहले चोद-चोद कर कामिनी की चूत को फाड के रख दिया है और उसे अब लंड की जरुरत महसूस नहीं हो रही।

लेकिन मेरा अनुभव कह रहा था कि ऐसी कामुक औरत अब ज़्यादा दिन लंड लिए बिना नहीं रह सकती। कुछ दिन बाद ही मेरा अनुमान सही लगने लगा।

अब कामिनी मुझसे ज्यादा बात करने लगी थी। धीरे-धीरे उसका पल्लु नीचे सरकने लगा था। पल्लु नीचे सरकने के बाद वो थोड़ी देर रुक कर उसे उठा लेती थी। इससे मुझे कामिनी के चूचकों के ऊपरी भाग के दर्शन भी होने लगे थे।

मैं बातें भी करता और चूचक भी देखता। कभी एक चौथाइ तो कभी आधे।

एक छुट्टी के दिन सुबह जब मैं सिगरेट खरीदने गया तो 

कामिनी ने कहा – आपसे कुछ सलाह करना है। मैं कुछ समझा नहीं कि मुझसे क्या सलाह करना है।

मैंने कहा – कहो, क्या बात है?

उसने कहा – यहाँ अच्छा नहीं रहेगा।

कामिनी ने कहा - अगर मैं आज आफिस जाऊँ तो वह भी जाना चाहेगी। ना जाने क्यों मुझे विश्वास हो गया कि कामिनी को मेरी सेवा की जरुरत है। 
कामिनी मुझे अपनी चूत चखने के लिए निमंत्रण दे रही है।


मैंने हाँ कर दिया 

और बोला कि आफिस जाते समय पिकअप कर लूंगा।

इस पर कामिनी ने कहा कि यहाँ कोई देखेगा तो कुछ अलग सोच लेगा इसलिए जाते समय थोड़ा आगे जाकर रुकूँ और वो वहीं आ जायगी।

मैंने कहा – ठीक है।

करीब १ बजे मैं घर से निकला और कामिनी की दुकान से थोड़ा आगे जाकर उसकी प्रतीक्षा करने लगा। कामिनी थोड़ी ही देर में आ गई। काली जीन्स और सफेद शर्ट में। कामिनी ने काली ब्रा से अपनी चूचियाँ कसकर बांध रखी थी।

टाइट सफेद शर्ट में काली ब्रा अच्छी तरह दिखाई दे रही थी। इससे उसकी चूचियों के साइज़ का अंदाज़ लगाने में मुझे दिक्कत नहीं हुई। उसका साइज करीब ३७ होगा।

मैंने कामिनी को आगे की सीट पर बैठाया और आफिस के लिए रवाना हो गया।

छुट्टी के कारण आज मैं अकेला था। मैंने अपने रूम में पहुंचकर कामिनी को सीट पर बैठाया और मैं भी उसी के पास बैठ गया।

कामिनी ने अपने पर्स से एक पैकेट सिगरेट निकाली। 

मैंने आश्चर्य चकित होकर पूछा – तुम सिगरेट पीती हो?

कामिनी ने कहा – नहीं, ये सिगरेट तो आपके लिए है। मुझे सिगरेट पीता मर्द अच्छा लगता है।

मैंने सिगरेट जलाई और उसके पति के बारे में कामिनी से बातें करने लगा। बातचीत के दौरान हम और पास हो गए थे।

मैंने देखा कि कामिनी को मेरे उससे चिपकने से कोई दिक्कत नहीं हुई। थोड़ी शरमाई जरुर थी लेकिन वह अपने को दूर नहीं कर रही थी।

मैं समझ गया कि कामिनी को कोई राय-सलाह नहीं करनी थी। उसे तो अपनी रसीली चूत का रसपान कराना था और अपनी प्यासी बूर की प्यास बुझाना था।
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#2
Part - 2

थोड़ी ही देर में मैंने उसकी शर्ट का बटन खोल दिया।

कामिनी शरमा तो रही थी लेकिन अवरोध भी नहीं कर रही थी।

अब मैंने उसकी शर्ट निकाल दी।

कुछ ही देर में कामिनी मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी।

उफ़!! काली ब्रा में बहुत ही अच्छी लग रही थी वो।

मैंने उसकी कमर के उपरी भागों पर अपना हाथ चलाया और नाभि में उंगली डाल कर नाभि को चूसने लगा।

उसकी सिसकारियों से पता चल रहा था कि उसको खूब मजा आ रहा था।

मैंने देखा कि कामिनी अब अपने आप अपने दोनों हाथों से अपनी चूचियाँ सहला रही थी। शायद उसकी चूचियाँ मसलवाने के लिए मचल रही थीं और तंग ब्रा के भीतर कुनमुना रही थीं।

मैंने कामिनी की ब्रा का हुक खोलकर उसकी चूचियों को आजाद कर दिया। उसकी नंगी चूचियाँ अब मेरे सामने थीं।

गोल-गोल और मेरी कल्पना से बहुत ज़्यादा अच्छी। ज़रा सोचिए गौर वर्ण और गुलाबी निप्पल। अभी तक उसकी चूचियाँ एकदम कसी हुई और सुडोल थीं।

मुझे बाद में पता चला कि उसका पति चूची ढीली होने के डर से ज्यादा मसलता और चूसता नहीं था।

ना जाने कितनी देर मैं उसकी चूचियों को निहारता रहा।

कामिनी को ब्रा उतरवाते समय बहुत शरम आ रही थी इसलिए उसने अपनी आँखें बंद कर ली थीं।

जब उसे लगा कि मैं कुछ कर नहीं रहा हूँ तो उसने धीरे से आँखें खोलीं और मुझे अपनी चूचियाँ निहारते देख कर शरमा गयी।

उसने कहा – इसे क्यों घूर रहे हो? और अपनी चूचियाँ छुपाने के लिए मुझे पकडकर अपनी बाहों में भींच लिया।

उसकी दोनों नरम-नरम चूचियाँ मेरी छाती में दब गयी थीं।

मैंने उसे थोडा सा अलग किया और दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियाँ जोर से मसलते हुए कहा – ये तो देखने और मसलने के लिए ही हैं मेरी रानी और उसकी चूचियाँ जोर-जोर से मसलने लगा।

अब उसकी काम वासना बढने लगी थी उसके दोनों निप्पल बेहद कड़क होकर खड़े हो गये थे।

मैंने दोनों निप्पल को चुटकी से मसलना शुरु किया।

कामिनी सिसकारियाँ ले रही थी और मैं बस चूची और निप्पल बेतहाशा मसले जा रहा था।

कुछ देर बाद मैंने एक हाथ से उसकी चूचियाँ मसलते हुए दूसरे हाथ से उसकी जीन्स का बटन खोलकर उसे नीचे सरका दिया।

क्या बताऊँ मैं तो उसकी गांड ओर चूचियों का दिवाना था। किस्मत से इस वक़्त मेरे पास दोनों थे। मैं उसकी चूची और गांड दबाने लगा। अब कामिनी मदहोश होने लगी थी।

अचानक मैंने महसूस किया कि उसके हाथ मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरा खडा लंड सहला रहे थे।

अब मैंने अपना पैंट और शर्ट निकाल दिया। मैं अब सिर्फ अंडरवियर पहना था और कामिनी सिर्फ पैंटी।

मैं उसकी चूचियाँ मसलते हुए उसके होंठ चूसने लगा।

पता नही कब कामिनी ने मेरे अंडरवियर में हाथ घुसाकर मेरा लौडा पकड़कर दबाना शुरु कर दिया था।

मैं तो कामिनी की चूची का दिवाना था। उसकी दाईं चूची मसलता रहा और बाईं चूची को चूसने लगा।

मुझे चूची चूसने में मजा आ रहा था और उसे मेरा लौडा दबाने में। फिर मैं उसकी बाईं चूची मसलने लगा और दाईं चूची को चूसने लगा।

कामिनी की मदहोशी बढ़ती जा रही थी अब वो मेरे लंड को और जोर से दबाने लगी। उसकी चूत में तो जैसे आग लग गई थी।

वो खुद ही अपने एक हाथ से अपनी चूत दबाने लगी और दूसरे हाथ से मेरा लंड।

मैं समझ गया कि अब कामिनी की चूत लौडा लेने के लिए बेकाबू हो गयी है। पर क्या करूँ? मुझ उसे तरसाने में मजा आ रहा था।

मैंने उसकी जाँघों पर हाथ फेरते हुए दोनों जाँघों के बीच में हाथ डाल दिया।

खुद की चूत दबाने से उसकी पैंटी भीग गई थी।

मैंने उसकी पैंटी निकाल फेंकी और चूत में उंगली डालकर चलाने लगा। कामिनी अब तक पूरी तरह मदहोश हो गई थी।

उसने बोला – अब नहीं रहा जा रहा है भैया।

मैंने उसके कान में धीरे से कहा – भैया, मत बोल रानी, सैंया बोल।

उसने फ़ौरन कहा – अब नहीं रहा जा रहा है मेरे सैंया। जो करना है जल्दी करो मेरे राजा, अब चोद भी दो।

अब देर करना कामिनी की जलती चूत के साथ नाइंसाफी थी।

मैंने बिना देर किए कामिनी की गांड सोफे की बांह पर टिका कर उसे सोफे पर लिटा दिया और उसकी पैंटी निकाल फेंकी।

जब देखा तो उसकी बूर के पानी से झांट के बाल तक भीगे हुए थे। उसकी चूत उसी के रस से सनी हुई थी।

इतनी गीली चूत में लंड बिल्कुल आसानी से चला जाता और चुदाई का मजा न मुझे आता ना कामिनी को।

तो मैंने उसकी पैंटी से ही उसकी चूत भीतर तक पोंछ कर साफ कर दी उसके बाद मैं अपना अंडरवियर निकाल फेका और अपना औजार उसकी चूत पर रखा।

अब मैने कामिनी की दोनों टाँगों को ऊपर किया और उसकी तरफ मोडते हुए अपना लंड उसकी चूत में घुसाने लगा।

जैसे-जैसे मेरा लंड भीतर जा रहा था वैसे-वैसे कामिनी की कराह बढने लगी और आह आह करते-करते उईईई मां करने लगी।

उसका दर्द देखकर मुझे और मजा आ रहा था। मैंने जोर-जोर से धक्का देना शुरु किया। कामिनी अब दर्द से चीख रही थी।

कुछ ही देर करने के बाद कामिनी भी अभ्यस्त हो गई और उसे मजा आने लगा।

अब वह अपनी गांड उचका-उचका कर प्रतिक्रिया देने लगी। मैं ऊपर से धक्का देता और वह नीचे से।

मेरा लंड अंदर-बाहर हो कर उसकी बच्चेदानी को ठोंक रहा था।

कामिनी बहुत दिन बाद लंड ले रही थी और बहुत जोश में थी इसलिए करीब पांच मिनिट में झड़ गई।

मेरा लंड अपना काम कर ही रहा था। वो करह रही थी आह.. आह.. आह.. चोद.. और ज़ोर से चोद ना.. फाड़ डाल..

कुछ देर से बाद कामिनी निढाल हो गयी तो मैंने उसकी चूत में लंड की रफ्तार बढा दी और अपना सारा वीर्य उसकी बूर के अंदर डाल दिया।

कामिनी की चूत लबालब भर गई।

मैंने अपना लंड निकालकर कामिनी को चूमा और उठाया।

थोड़ी देर सोफे पर बैठकर हमने एक-दूसरे को प्यार किया।

मैंने उसके कान में कहा कि अभी मन नहीं भरा है। इस पर कामिनी बोली – आपका लंड और चोदने का तरीका इतना अच्छा है कि मन तो भर ही नहीं सकता। लेकिन अब देर हो जाएगी।

फिर कामिनी ने मेरे अंडरवियर से अपनी चूत साफ की और कपड़े पहनने लगी।

फिर हम दोनों कपड़े पहनकर निकल गये।

मै घर पहुंच कर यही सोचता रहा कि आज जो भी हुआ अपने दोस्तो को बताउ या नही, क्युकि साले मानेंगे ही नही, जहां राज पुरे दिन लगा रहता है सेटिंग मे, कामिनी उसको छोड़ मुझ से चुद गई, दोस्त तो क्या मुझे खुद को भरोसा नही हो रहा था,
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#3
Part - 3 

उसी दिन शाम को जब हम सब दोस्त कामिनी की दुकान पर मिले, कामिनी अपनी नजरे मुझ से चुरा कर अपने काम में ध्यान लगा रही थी, और आज मेरा भी मन नहीं लग रहा था तो

मैंने दोस्तों से कहा  "भाई मेरी तबियत सही नहीं है मैं घर जा रहा हु,"

इतना बोल के मैं अपने घर चला आया तब तक शाम के 7 बज चुके, घर आया तो देखा की माँ, मेरी भाभी और मेरी बहन कुछ बाते कर रहे थे,

मुझे घर आया देख माँ बोली " आ गया तू, रीना इसके लिए खाना लगा दे, सर्दियों का मौसम था और हमारे यहाँ शाम को जल्दी ही खाना खा लेते है,

मैं आपको मेरे परिवार से मिलवा देता हु,

रतन लाल जी - मेरे पिताजी  
सुनीता देवी - मेरी माताजी

रमेश - मेरा बड़ा भाई जो की अभी दुबई  में नौकरी करता है
रीना - मेरी भाभी

अनीता - मेरी बहन, इसकी शादी को 1  साल हो गया, उसका ससुराल हमारे ही शहर में है इसलिए दिन में एक बार तो आ ही जाती है,

खाना खाने के बाद में थोड़ी देर मेरे रूम में जाके कुछ काम किया और तकरीबन रात के 9 बजे कामिनी की दुकान पर चला गया, राज और श्याम (मेरे दोस्त) भी उसी वक्त वहां आ गए, कुछ इधर उधर की बाते करते रहे और सिगरेट पी रहे थे, आज ठण्ड कुछ ज्यादा ही थी, और दिन में कामिनी की चुदाई करके मैं खुश भी था और उदास भी, और इसी आस में कामिनी की तरफ देखा की कही आज रात को कुछ बंदोबस्त हो जाए उसने मेरी तरफ देखा भी नहीं,

राज बोला  " क्या बात है सन्नी आज सांझ से बड़ा खोया खोया है

मैं बोला  " नहीं रे ऐसा कुछ नहीं है, ठंडी ज्यादा है और तबियत कुछ ठीक है लग रही है, तेरे पास तो गर्मी का रास्ता है, मैं कहा जाऊ,

श्याम बोला " सन्नी यार  बात तो सही है साला इतनी ठण्ड में कोई  जुगाड़ भी नहीं है,

ऐसे ही हम लोग बात कर रहे थे

तभी कामिनी बोली, "आप लोग अब घर जाओ मुझे  दुकान बंद करनी है.

मैं उस समय भी बड़ी आस से उसकी तरफ देखा लेकिन उसने कोई सिग्नल नहीं दिया, मैं सोच रहा था साला ये कैसी औरत है दिन में कैसे उछल  उछल कर चुदवा  रही थी  और अब है के साली घास भी नहीं दाल रही है, खैर इसे तो बाद में देखूंगा

तभी श्याम बोला " चलो यार चलते है, आज ठण्ड ज्यादा है और कल रविवार है कल मिलते है है,

ऐसा कहके सब अपने अपने घरो की और निकल पड़े,

मेरा घर दुकान से सबसे ज्यादा दुरी पर था,

मेरे पड़ोस में एक अधेड़ उम्र की औरत अपनी बहु के  साथ रहती थी, उस औरत का बेटा  भी मेरे भाई के साथ दुबई में ही रहता था तो उनका घर काफी बड़ा था और सुरक्षा के लिए उन्हें घर का एक कमरा एक आदमी (सुरेश) को किराये पे दिया था, सुरक्षा भी हो जाती और थोड़े से हाथ खर्च के लिए पैसे भी आ जाते, वो लड़का हमारे ही शहर के ही पास एक गाँव का रहना वाला था  और अपनी इंजिनियरिंग की पढ़ाई कानपूर से  ख़त्म करके अभी नया नया ही हमारे शहर  में रहने के लिए आया था और जॉब के लिए तैयारी
कर रहा था.
उस घर में दो औरतो के अलावा कोई नहीं था और सुरेश  मेरी ही उम्र का था और थोड़ा अंतर्मुखी था  लेकिन मेरी उम्र का कोई नहीं था तो इसीलिए किसी  से बात नहीं करता था, मेरा हम उम्र था इसलिए मुझसे कभी कभार बात कर लेता  था,

जब मैं उनके घर के सामने से गुजरा तो देखा की नेहा भाभी के कमरे की लाइट बंद थी लेकिन कुछ धीमी धीमी आवाजे आ रही थी , मैंने सोचा की शायद अपने पति से बात कर रही होंगी, मैं मेरे कमरे में चला गया और रज़ाई में घुस कर मोबाइल पर चुदाई की कहानिया पढ़ने लगा मेरी अंदर की वासना भी जाग रही थी.
क्या बताऊँ यार…

तभी एक हल्की सी चीख सुनाई दी हो न हो वो चीख नेहा भाभी ही थी, मैं हमारे घर की छत पर आया और देखा की नेहा  भाभी  के कमरे में  कोई आदमी है

मोबाइल में चुदाई की कहानी पढ़ने और दिन में कामिनी की चुदाई से  वासना भरी हुई थी और उसी क वशीभूत  मैं मेरी छत से उनके घर की छत पर गया और उनके बरामदे में उतर गया,सर्दियों के मौसम में कोई बाहर तो निकलता नहीं इसलिए मुझे किसी ने भी देखा है,

नेहा भाभी  22-24 साल की एक गरम औरत थी और उसके चुचे भी 36 के तो होंगे, मैंने उनके कमरे के पास पहुँच कर दरवाजे से कान सटाया तो  पता चला की ये सुरेश है, और अब उस कमरे की लाइट भी जल रही थी 


सुरेश - भाभी, आज तो आप हमसे पहले ही मस्ती में आ गयी हैं?
नेहा भाभी - सुरेश  तुम मेरी ही उम्र के हो और मुझे भाभी कहते हो तो मुझे अच्छा नहीं लगता है, तुम मेरे दोस्त की तरह हो, तुम मुझे मेरे नाम से ही बुलाओगे तो मुझे अच्छा लगेगा!
सुरेश - तो ठीक है, आज से हम लोग दोस्त हैं नेहा,

वाह भाई वाह, साला सही ही कहा है किसी ने जो दिन में ज्यादा संस्कारी लगते है वो साले उतने ही चुदाई के भूखे  होते है,

फिर उन्  लोगों की बातें होने लगी
सुरेश - आपके मायके  में  कौन कौन है?
नेहा भाभी - मैं और मां और बाप
मै- आपके माँ बाप  कहाँ रहते हैं और क्या करते हैं?
नेहा भाभी - वो इंजिनियर हैं
और बाहर दूसरे शहर में रहते हैं और कभी कभी 10-15 दिन में आते रहते हैं! उनकी बात छोड़ो न… सुरेश  अपनी बताओ!
सुरेश ने समझ लिया कि शायद ये अपने माँ बाप  से खुश नहीं है तो उसने भी ज़्यादा कुछ नहीं पूछा और
बोला- आप ही बताओ कि क्या बोलूं मैं?
तो नेहा भाभी ने पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
सुरेश  ने ना में जवाब देते हुए कहा- मेरी तो पहली बार आपसे ही दोस्ती हुई है और आप चाहें तो मैं आपको अपनी गर्लफ्रेंड समझ सकता हूँ.

इस बात पर नेहा भाभी भाभी भाभी हंस पड़ी और उसका  हाथ पकड़ लिया. उसके हाथ पकड़ते ही शायद सुरेश को कुछ हुआ और मौके को देखते हुए नेहा भाभी के एकदम पास  चला गया और उसे अपनी बांहों में भर लिया, नेहा भाभी ने उसका  साथ दिया
और उसको कस के अपनी बांहों में जकड़ लिया.
फिर एक दूसरे को चूमने लगे और फिर सुरेश ने उसका  एक हाथ उसकी चुची पर लाकर उसे दबाने लगा और दूसरे हाथ से उसके चूतड़ को मसल रहा था.

चूंकि उनके कमरे की लाइट जल रही थी इसलिए मैं सब कुछ एक खिड़की से आराम से देख सकता था, और उसी दौरान मैंने मेरा लंड भी पाजामे क ऊपर से पकड़ कर मसलने लगा था,

फिर वो उसकी साड़ी के अंदर हाथ ले गया और उसकी चड्डी में हाथ डाल कर उसकी चूत को रगड़ने लगा, भाभी की चूत के ऊपर 
बाल नहीं थे, शायद उसने आज ही साफ किये होंगे.
जब  सुरेश नेहा भाभी की चूत रगड़ रहा था तभी  भाभी  चिंहुक गई  शायद सुरेश ने भाभी की चूत में ऊँगली दाल दी होगी, नेहा भाभी भी कहा पीछे रहने वाली थी उन्होंने भी सुरेश की चड्डी में हाथ डाल कर उसके लंड को हाथ से पकड़ कर हिलाने लगी, जो अभी खड़ा हो गया था 

सुरेश उसकी चूत में उंगली कर रहा था और वो सुरेश के लंड को ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे कर रही थी, वो लोग तो जैसे एक दूसरे में खो गये थे.
तभी नेहा भाभी की  सास ने आवाज़ देकर उसे बुलाया और वो जाने लगी, 

उन्होंने तुरंत ही पिंक कलर का गॉउन पहन लिया था जिसमे वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी.

थोड़ी देर बाद वो वापस आयी और आते ही उसने सुरेश को अपनी बांहों में भर लिया. सुरेश  भी उसे चूमने लगा और चूमते चूमते उसके गाऊन को उतार 
फेंका और उसे बेड पे लेटा दिया.
वो अंदर में पिंक कलर की ही ब्रा और चड्डी पहनी हुई थी जिसे सुरेश तुरंत निकाल दिया 

उसके चुचे और चूत को देख कर मैं तो जैसे पागल ही हो गया. उसके चुचे बहुत ही कड़क थे और चूत तो ऐसे लग रही थी जैसे कभी उस चूत में कभी लंड गया ही न हो, 

सुरेश उस पर टूट पड़ा और एक हाथ से उसके चुचे मसल रहा था तो दूसरे हाथ से उसकी चूत में उंगली कर रहा था.
फिर सुरेश अपना मुंह उसकी चूत के पास  ले गया और उसकी चूत को जीभ से चुदाई करने लगा, वो भी चूतड़ उठा उठा कर मुख चुदाई का मज़ा ले रही थी. उसके बाद वो मेरे कपड़े खोल कर सुरेश के लंड को चूसने लगी और फिर वो लोग 69 की पोज़िशन में हो गये.

मुखचुदाई में ही उसकी चूत ने एक बार पानी छोड़ दिया और वो भी पूरे ज़ोर से सुरेश के लंड को हिलाने लगी और बोली

नेहा भाभी - सुरेश मैंने बहुत दिन से अपनी चूत में लंड नहीं लिया है, प्लीज़ मुझे और ज़्यादा नहीं तड़पाओ, मेरी चुदाई  करके मुझे अपना बना लो.
इतना कहकर उसने अपने पैरों को फैला लिया, सुरेश भी उसकी तड़प को देख कर उसके पैरों के बीच में आ गया और अपने लंड को उसकी चूत पर सेट करके रगड़ने लगा, रगड़ने से उसकी तड़प और भी बढ़ती जा रही थी, वो ज़ोर ज़ोर से आहें भर रही थी.
सुरेश  रगड़ते रगड़ते अपने लंड को उसकी चूत में धीरे धीरे डालना शुरू किया, लंड का टोपा अंदर जाते ही वो दर्द से कराहने लगी और बोली

नेहा भाभी - इसी तरह धीरे धीरे डालो.

और सुरेश ने भी उसका हुकुम मानते हुवे  धीरे धीरे करके ही लगभग 2 मिनट में पूरी तरह  लंड उसकी चूत में घुसा दिया.
वो दर्द से कराह रही थी और उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे, मगर उसे चुदाई में इतना मज़ा आ रहा था कि वो अपने 
दर्द को बर्दाश्त कर रही थी.
जब वो नॉर्मल हुई तो सुरेश धीरे धीरे धक्के लगाने लगा और वो भी चूतड़ उठा उठा कर उसका साथ देने लगी. सुरेश तो जैसे इस खेल का माहिर खिलाडी था वो  भी तेज़ी से धक्के लगते हुए जबरदस्त चुदाई कर रहा था  और इस बीच वो 2 बार पानी छोड़ चुकी थी. 
चुदाई करते करते सुरेश ने नेहा भाभी की चूत में ही  पानी छोड़ दिया और उसके बाद उसके ऊपर ही लेट गया.

कुछ देर बाद वो उठी और फिर से लंड के साथ खेलने लगी, फिर से उसका लंड खड़ा हो गया और ईस बार उसे घोड़ी बनाकर उसकी चूत चुदाई 
करने लगा.
वो लोग चुदाई में इतना मस्त थे कि दरवाजा बंद करना भी भूल गये थे और उन लोगों को पता भी नहीं चला कि कोई उन लोगों की चुदाई को देख भी रहा है. (मेरे अलावा) चुदाई करते करते जब सुरेश थोड़ा सा ठिठका और दरवाजे की तरफ देखने लगा तो मेरी नज़र भी दरवाजे की तरफ गयी,

तो मैंने देखा कि नेहा भाभी की सास सुमन आंटी नाइटी पहने खड़ी होकर अपनी नाइटी को कमर तक उठाकर अपनी चूत को रगड़ रही थी, 

वो भी अब नेहा भाभी और सुरेश की तरफ़ आई और सुरेश का  हाथ पकड़ कर अपनी चूत पे रख दिया और उसे रगड़ने को बोली.

अभी तक नेहा भाभी भाभी को नहीं पता था कि उसकी सास भी आ गयी है, 

अचानक जब नेहा भाभी भाभी की नज़र अपनी सास पे गयी तो वि बिल्कुल डर गयी और बैठ गयी.

लेकिन जब उसने देखा कि सुरेश उसकी सास के चूत में उंगली कर रहा हूँ और उसकी सास भी मज़े ले रही है तो वो नॉर्मल हो गयी.
अब नेहा भाभी भाभी की सास ने सुरेश के लंड को अपने हाथ में लिया और उसे हिलाने लगी. फिर उसे मुंह में 
लेकर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी. लगभग 10-15 मिनट लंड चूसने के बाद वो बोली

सुमन आंटी - तुम लोगों की चुदाई देख कर मेरी चूत में भी बहुत खुजली हो रही है… प्लीज़ जल्दी से मेरी चूत की खुजली को मिटा दो! और नेहा भाभी से बोली- तुम डरो नहीं, मैं समझ सकती हूँ तुम्हारा प्राब्लम, तुम चिंता नहीं करो!

फिर सुरेश ने अपने लंड से नेहा भाभी भाभी की सास की जबरदस्त चुदाई की.

तब तक मेरा  भी पानी निकल गया और मैं भी छत के रस्ते वापस अपने कमरे में आ गया और ये सोचने लगा कि ये सब कब से चल रहा होगा 

 शायद सुमन आंटी ने आज पहली बार ही उसमे हिस्सा लिया होगा, सुमन आंटी के पति के बारे में मुझे कुछ खास पता नहीं  है ज़िंदा है या मर गया या कुछ और,  इन सवालो के जवाब आगे आने वाले भागो  में मिल ही जायेंगे 

ये सब सोचते सोचते मुझे कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला,
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#4
Part - 4

आज रविवार था और कल रात को देर तक जागने की वजह से देर से उठा तो देखा की मेरी माँ सुमन आंटी से बात कर रही है, तभी भाभी ने मुझे चाय लाके दे दी, मैं घर के चौक में कुर्सी पर बैठ गया, अख़बार पढ़ते हुवे चाय पीने लगा,

तभी मेरी माँ आके बोली " कल रात को कहा था तू,?

मैं बोला " कही नहीं कमरे में तो था"

माँ बोली " मैं गयी थे तेरे कमरे में कुछ बात करने के लिए पर तू नहीं था,

मैं बोला " वो नींद नहीं आ रही थी इसलिए छत पर टहल रहा था,

तभी मेरी भाभी बोली " मैं कह रही थी न माँ जी देवर जी की शादी करवा दीजिये तभी नींद बराबर आएगी,

मैं बोला " भाभी आप जैसी कोई मिले तो मना  नहीं करूँगा,

माँ बोली " तुम दोनों देवर भाभी के बीच में नहीं बोलूंगी, लेकिन बहु देख अगर कोई तेरे मायके में हो तो'

भाभी बोली " ठीक है"

फिर माँ उठ के चली गयी और हम दोनों देवर भाभी वही बाते कर रही थे, 

तभी माँ वापस आयी और बोली  "वो सुमन आयी थी सुबह सुबह उसको कुछ काम है तुझ से,जाके देख लेना"

मैं बोला " वो सुरेश रहता है न उनके घर में उससे करवाले जो भी काम है"

माँ बोली " सुरेश तो किरायेदार है, आज है कल नहीं होगा "

मैं बोला " हम लोग कोनसे रिश्तेदार है उनके"

माँ बोली " मुझे कुछ नहीं सुनना, तू जाके आ ,

हुकम सुना के माँ चली गयी मंदिर में 

मैंने भाभी से पूछा "ऐसा कोनसा काम है "

भाभी बोली " अरे वो नेहा की बेटी है न सलोनी, उसके स्कूल की परीक्षा है, उसे पढ़ाना है, 


मैं बोला  " उनकी लडकी दूसरी क्लास में है। उसे क्या पढ़ाऊंगा"

मुझे बहुत बोरिंग लगा इसलिये मैने भाभी को बोला कि वो मना कर दे,

तभी पापा की आवाज आयी " नहीं नहीं तुझे ही पढ़ाना है"

अब मेरे पापा सने  कहा इसलिये मुझे मानना पडा और मैने हाँ कर दिया।

मैंने कहा " ठीक है, आज रविवार है अभी जाके देख लेता हु,

जब मैने वहाँ पहुँच कर दरवाज़ा खट्खटाया तो मेरे तो तो मेरी सुमन चाची मेरे सामने खडी थी।

मै उन्हें देख कर मुस्कुराया, बदले में उन्होंने भी स्माइल पास किया और अन्दर आने के लिये कहा।

सुमन आंटी " आ जा सन्नी, तेरे बारे में ही सोच रही थी,

मैं  अंदर जाकर सोफे पे बैठ गया और बोला" हाँ कहा है सलोनी "

तभी सलोनी ने मेरे पीछे से आके बोली " मैं यहाँ हु अंकल "

मैं बोला " सलोनी बड़ी शैतान हो गयी है, डरा दिया मुझे "

फिर ऐसे ही हंसी मजाक करते हुवे मैं सलोनी को पढ़ाने  लगा, लेकिन कही न कही मेरी नजर नेहा भाभी को ढूंढ रही थी,और वो मुझे कही भी नजर नहीं आ रही थी, तभी सुमन आंटी ने बोला " ये नेहा भी ना, कितनी देर लगा देती है नहाने में" 

मैं थोड़ी देर और पढ़ाता रहा पर नेहा भाभी  के दर्शन नहीं हुवे,

वहां बिल्कुल भी मज़ा नही आया हालांकी वहाँ मुझे चाय बिस्किट पूरा नाश्ता मिला और सुमन आंटी की ढलती जवानी (उनकी उम्र 40 है ) देख के समय निकल रहा था, फिर  वहाँ  से आ गया,

नहा धो के कुछ देर टीवी देखा, दोस्तों के साथ घूमता रहा, कामिनी की दुकान पे भी गया लेकिन कुछ नहीं हुवा,और रात को आके अपने बिस्तर पर लेट गया और सोचने लगा कि क्या आज भी वो सब होगा, लेकिन काफी देर हो गयी, नेहा भाभी के घर से कोई ऐसी आवाज नहीं आ रही थी, काफी देर इंतज़ार के बाद मुझे नींद आ गयी,

अगले दिन सोमवार को मैं जब अपने ऑफिस की तरफ निकला तो नेहा भाभी से नजर टकराई, 

नेहा भाभी " आज कब आओगे "

मै बोला " किसलिए" वो सुरेश है न"

नेहा भाभी " वो नहीं है न, उसको कुछ काम था इसलिए कल सुबह सुबह ही वो अपने गाँव चला गया था,

मैंने मन में सोचा " ओहो इसलिए नेहा का चेहरा उदास नजर आ रहा है, लेकिन अब सलोनी को पढ़ाने के बहाने मुझे कुछ मेरा नंबर लगता दिखाई दिया,

मैं बोला " आज थोड़ा काम रात को 8 बजे के आस पास आऊंगा,

शाम को ऑफिस से आके मैं उनके घर गया तो सुमन आंटी ने दरवाज़ा खोला,

मैं उनको देख कर दंग रह गया क्यूंकि उन्होंने बहुत ही टाइट सलवार कमीज़ पहन रखा था, जिसमें वो बहुत ही सेक्सी लग रही थीं, जब उन्होने अंदर आने के लिये कहा तब मुझे होश आया और मैं शर्म से पानी पानी हो गया मैने उनका ऐसा रूप कभी नहीं देखा था ।
आज मुझे अच्छी लग रही थीं। मैं सोफे पे बैठ कर उनको चोर नज़रों से देख रहा था और मैंने नोटिस किया कि वो भी मुझे कभी कभी देख रही थीं और फ़िर मुझे एक स्माइल पास किया बदले मे मैं भी मुस्कुराया।

तभी वो मेरे पास चाय लेकर आयी और जैसे ही टेबल पर रखने के लिये झुकी मेरी तो आँखें फ़टी कि फ़टी रह गयीं क्यूंकि मेरी नज़र उनके स्तन पर पड़ी जो बिल्कुल गोरे थे मेरी तो सांस ही रुक गयी थी।

चाय रखके वो मुझसे बोलीं- सन्नी, ठण्ड बहुत ज्यादा है, चाय पीलो, और कुछ चाहिये तो बताओ शर्माना मत। 

मैंने कहा "ओके और मैं पढाने में व्यस्त हो गया लेकिन मेरा ध्यान अभी भी उनके बूब्स पे था। ऐसे बूब्स मैने सिर्फ पोर्न मूवीज़ में देखा था, बिल्कुल गोल और बड़े।

मैं आपको अपनी सुमन आंटी  के बारे में तो बताना ही भूल गया उनकी लम्बाई 5 फीट 1 इंच होगी, रंग बिल्कुल गोरा, साइज़ 36-34-38 वो दिखने में बिल्कुल कयामत लगती है। उस रात में पढ़ा कर वापस आ गया, और सीधा अपने  कमरे में चला गया, और मोबाइल पर पोर्न मूवी चला कर मुठ मारने लगा, 

आज पहली बार मैंने उनको अपने खयालो में नंगा करके मुठ मारी पर मुझे अच्छा लग रहा था। मैं बार बार उनके बूब्स के बारे में सोच रहा था और मेरा लंड भी सख्त हो गया तो उसको शांत करने के लिये मैंने मुट्ठ मारी तब जाकर सुकून मिला।

अब मुझे वहाँ आना जाना अच्छा लगने लगा और मैं रोज़ वहां जाने लगा, बिना किसी काम के भी, मेरा पढाने में ध्यान कम लगने लगा और मैं ताक झांक में ज़्यादा रहने लगा,  सलोनी अभी बहुत छोटी थी, इसलिये उसको इस बारे में कोइ जानकारी नही थी। सुमन आंटी भी लगता है समझ गयी थी कि मैं क्यों इतना ज्यादा उनके घर आने जाने लगा हु, इसलिए वो  भी मुझे रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी,

जब भी वो चाय और बिस्किट लेकर आती और टेबल पर रखने के बहाने मुझे अपने बूब्स का दर्शन करवा देती, आज भी उनके  बूब्स देखे,

अगले दिन कुछ ऐसा हुवा की जैसे ही वो चाय रखने के लिए टेबल पर झुकी आदत से मजबूर मैं उनकी ब्रा के अंदर देखने लगा, आज उन्होने लाल रंग की ब्रा पहन रखी थी, फ़िर मैंने नोटिस किया की ये सब करते हुए वो मुझे देख रही थीं, मैं बहुत डर गया और नीचे देखने लगा।

मेरी चोरी पकडी जा चुकी थी फ़िर मैंने उनकी तरफ देखा तो पाया कि वो मेरी तरफ अब भी देख रही थीं फ़िर मैं जल्दी जल्दी पढा कर घर आ गया, मुझे डर था कि साली है तो चुड़क्कड़ पर कही  मेरी शिकायत न कर दें इसलिये मैं अगले दिन नही गया। इन् दिनों मैंने एक बात अपर और गौर किया कि जब भी मैं सुमन आंटी के घर आता हु, दरवाजा भी वो ही खोलती है, नेहा भाभी कही नजर नहीं आती,

एक दिन बाद मेरे पास रात को 8.30 पर एक अनजान no से फोन आया 

फोन उठाने पर उधर से एक औरत की आवाज आयी "  तुम आज आये क्यू नहीं ?

मैं बोला " कौन है?"

उधर से आवाज आई " मैं सुमन आंटी"

मैंने तबीयत खराब होने का बहाना बना दिया, वो ये सुन कर हंसने लगीं 

मैने पुछा "क्या हुआ"

लेकिन उन्होने कुछ नही बताया और पूछने लगी कि " कल आओगे या नही" तो मैने "हाँ" कह दिया।

मैं अगले दिन फ़िर पहुंचा सुमन आंटी  ने गेट खोला तो मैं हंस कर उनसे मिला और अन्दर जाकर बैठ गया। आज वो घर की साफ सफाई में व्यस्त थीं।
उन्होंने मुझसे कहा- "बेटा एक काम करोगे"

मैं "क्या काम?"

सुमन आंटी "ऊपर मचान पे बक्सा (संदूक) रखा है उसमें से गरम कपडे निकालने हैं, मैं ऊपर नही चढ पाउंगी क्या तुम निकाल दोगे? 

मैं बोला " हाँ ठीक है ।

सुमन आंटी ने मुझे स्टूल दिया और मैं संदूक की चाभी लेकर चढ गया। संदूक खोल के मैंने गरम कपड़े निकालने लगा और जब सन्दूक लगभग खाली हो गया तो नीचे मुझे चार किताबें दिखीं। 

मैने एक को उठाया तो पाया की मोटर मकेनिक की थी और दूसरी किताब खोलते ही मेरे होश उड़ गये उसमे नंगी लड्की की तस्वीरें थीं बिल्कुल नंगी।
उसमें कोइ लड़की नहा रही थी कोई बेड पे लेटी हुयी थी और गांड ऊपर को उठा रखी थी, फ़िर मैने तीसरी किताब खोली उसमें चुदाई के दृश्य थे कोई लंड चूस रही थी, कोइ चुद रही थी, कोई चूत मे उंगली कर रही थी।

ये सब देख कर मेरा लंड पूरा खडा हो चुका था तभी सुमन आंटी की आवाज़ आयी..

सुमन आंटी "  बेटा वही संदूक के पास कुछ किताबे भी पड़ी है , अगर तुम्हारे काम की हो तो ले जाओ"
मैं बोलै  "मैने एक छोटी वाली बुक ले ली और नीचे आ गया"

उन् किताबो को देखने की वजह से मेरा लंड अब भी खडा था मैं चुपचाप सोफे पे बैठ गया। सुमन आंटी  मुझे बार बार घूर रही थीं।

सुमन आंटी  के ओर से मौन इशारा मिल चुका था अब मैं मौके की तलाश में था कि कैसे इसको  अंजाम तक पहुँचाया  


थोडी देर बाद वो मेरे बगल में आकर बैठ गईं और मुझसे पूछने लगी की "कोई किताब है, तुम्हारे काम की"

मैं बोलाए "‘हाँ..’ बस एक किताब है वो मैंने ले ली है"

सुमन आंटी " अगर और किताब चाहिये तो ले जाओ अब तुम्हारे चाचा तो है नहीं और इनकी किसी को ज़रूरत नहीं है।"

मैं बोला " अभी एक ले ली है और बाद में ले जाउंगा।"

अचानक उन्होंने मेरा हाथ पकड लिया और बोली "ठीक है," 

उनका हाथ बहुत गरम था और वो धीरे धीरे सह्ला भी रही थीं।

सुमन  आंटी  मेरे इतना करीब बैठी थीं कि उनकी जांघ मेरे जांघ से बिल्कुल चिप्की हुई थी और उनका जांघ बहुत गरम लग रहा था मुझे।

मैं अब समझ चुका था कि सुरेश को जाके एक सप्ताह हो गया जिसकी वजह से इनको चुदाई की आग तड्पा रही है, बस मुझे गरम चूत पे अपना लौड़ा मारना था।

झट से मैंने भी उनका हाथ पकड लिया और सहलाने लगा।

तभी सलोनी  मुझसे मैथ्स का सवाल पूछने लगी और मैं सब छोड कर पढाने लग गया।

थोडी देर बाद वो चाय लेकर आईं और काफी देर तक टेबल सही करने के बहाने से मेरे सामने झुकी रहीं, क्या गोल गोल सफेद रसगुल्ले थे मंन तो यही कर रहा था कि खा जाऊं।

हम दोनों एक दूसरे को ऐसा करते हुए देख रहे थे, फ़िर वो चाय रख कर किचन मे चली गईं। तभी राज का फोन आया 

राज बोला  " कहा है भाई, बड़े दिनों से गायब सा रहता है मिलता है तो भी जल्दी में रहता है ?"

मैं बोला " भाई ऑफिस में काम थोड़ा ज्यादा है?

राज बोला " ठीक है पर इस कामिनी पे क्या जादू  कर दिया, तेरे बारे में पूछ रही थी ?

मैं बोला " वो बाद में बताऊंगा, अभी थोड़ा व्यस्त हु." और बाई बोलके फोन काट दिया 

सलोनी को दो तीन सवाल देके मैं भी सुमन आंटी के पास उनके किचेन में चला गया,

मैं भी पीछे पीछे पहुँच गया जब सुमन आंटी  ने मुझे अपने साथ खडा पाया तो पूछा "क्या चाहिये?"

मैं हिम्मत कर के बोला " चाहिये तो बहुत कुछ पर अभी सिर्फ पानी पिला दीजिये"

सुमन आंटी " जो चाहिये खुल के मांग लो शर्माना मत"  और वो पानी निकालने के लिये झुकी।

मैं उनके बिल्कुल पीछे खडा था इसलिये उनके झुकते ही मेरा लंड उनकी गांड से टच हो गया,

वो कुछ नही बोली बल्कि पानी निकालने में ज़्यादा समय लगाने लगीं तो मैं समझ गया कि चाची को मज़ा आ रहा है, तो मैंने एक हाथ उनके गांड पर रखा और दबा दिया।

वो झट खडी हुईं और मुझे पानी दिया और कहने लगीं "तुम्हें पानी कि बहुत ज़रूरत है" 

और एक शरारत भरी मुस्कान दी, मैं समझ गया कि चाची भी चुदने के लिये तैयार हैं। बस पहल करने से डरती हैं। मैंने एक प्लान बनाया कि चाची को बातचीत से जितना खोल पाऊँगा उतना खोलुंगा ताकि ये अपने मुंह से बोल कर मेरा लंड मांगें। थोड़ी देर और ऐसे ही एक दूसरे की आग भड़काने वाली बाते करते रहे, फिर मैं घर आ गया और सुमन आंटी  के बारे में सोचता रहा फ़िर मैने वो किताब निकाली जो वहां से लाया था, उस किताब मे सब लोग विदेशी थे उसमे सारी लडकियाँ गोरी चमड़ी वाली जिनको देखते ही मेरा लंड खडा हो गया।

उस किताब में सब चुदाई के आसन थे, कोइ झुका के चोद रहा है कोई बिठा के चोद रहा है, कोई लिटा के चोद रहा था कोई गोद मे लेकर चोद रहा था मुझे सबसे अच्छ लगा जो कुतिया बना के चोद रहा था। फ़िर मैं मुट्ठ मार के सो गया।
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#5
Part - 5


उधर सुमन आंटी के घर पर ,

नेहा भाभी " क्या हुवा मम्मी जी"

सुमन आंटी " अरे सब्र करले, बस आज की रात' कल से सब रात रंगीन होगी,"


अगले दिन शाम को मैं गया तो सलोनी  ने दरवाज़ा खोला, मैने उससे पूछा तो उसने बताया की "सुमन आंटी और नेहा भाभी किचन मे है"।

मैं उसको काम दे के सीधा किचन मे पहुँचा तो देखा कि आज नेहा भाभी तो वहाँ पर नहीं है पर सुमन आंटी वही कुछ काम कर रही है और उन्होंने आज ने बहुत हल्का सूट पहना है और उनकी लाल रंग की ब्रा साफ दिख रही है।

मैं उनके बिल्कुल पीछे खडा होकर ज़ोर से चिल्लाया वो डर के घूमी और मुझसे लिपट गई, उनकी धड्कन बहुत तेज़ चल रही थी और उनके रसभरे बूब्स मेरी छाती पे चिपके हुये थे। फ़िर मैने उनकी गांड को धीरे धीरे सहलाना शुरू कर दिया, कमाल की गांड थी उनकी बडे बडे और मुलायम, मेरा लंड उनके पेट पे दबाव डाल रहा था पर जैसे ही उनको होश आया वो मुझसे अलग होकर अपने काम मे लग गयी।

फ़िर मैने उनसे बात करना शुरू किया।

मैं बोला " किताब तो बहुत अच्छी है मेरे बहुत काम आई"

सुमन आंटी " क्युं ऐसा क्या है उसमें "

मैने सोचा इससे अच्छा मौका नही मिलेगार साला जो होगा देखा जाएगा  और मैने अपना हाथ उनके बूब्स पर रख दिया और लंड को उनके गांड से चिप्का दिया जो कि पूरी तरह से खडा हो चुका था।

सुमन आंटी  छो'डो मुझे ये क्या कर रहे हो?"

मैं बोला  "आपके सवाल का जवाब दे रहा हूं, यही सब तो है उसमें, सुहागरात वाली चीज़ें।"

सुमन आंटी "ये सब शादी के बाद करने वाली चीज़ें हैं!

मैं बोला "आप मेरी मदद करो तो मैं शादी से पहले सुहागरात मना सकता हूं।

सुमन आंटी " इतनी जल्दी है सुहागरात मनाने की?"

मैं बोला "पहले जल्दी नही थी पर अब है और आपको"

सुमन आंटी  "मैं तो पता नही कितनी बार मना चुकी हूं तुम्हारे चाचा के साथ।

मैं बोला " मेरे साथ ट्राई करके देखो

सुमन आंटी  "धत्त शैतान कहीं का और मेरे गालों पे एक चुम्मी देकर ये कहते हुये बाहर चली गयीं कि "बेटा अपने हथियार को ज़रा काबू में रखो हमेशा घुसने के लिये तैयार रहता है।"

मैं बोला "आपको देख कर तो बुड्ढे का भी खडा हो जाये मेरा तो जवान है।"

वो चुपचाप बाहर जाकर सोफे पर बैठ गईं मैं भी उनके जांघ से जांघ चिपका के बैठ गया सलोनी उनके बायीं तरफ और मैं दायीं तरफ बैठा था इसका मौका उठा के मैं उनकी गांड सहलाने लगा और कभी कभी एक उंगली नीचे से उनकी दरार में घुसाने कि कोशिश करता। जब उनसे रहा नही गया तो वो उठ कर अपने कमरे में जाने लगीं तो मैने पूछा "क्या हुआ?"

सुमन आंटी  "तबीयत थोडी खराब लग रही है,"

मैं समझ गया और सलोनी को ढेर सार काम देकर सुमन आंटी के रूम में पहुंचा तो देखा कि वो बेड पर उल्टी होके लेटी हैं। मैं उनके पास जाकर बैठा और उनकी गांड के छेद को सलवार के ऊपर से सहलाने लगा उनको मज़ा आ रहा था पर तभी उन्होंने मेरा हाथ पकड कर रोक दिया और कहने लगी,

सुमन आंटी  "ये गलत है, तुम मेरे बेटे के जैसे हो मैं तुम्हारे साथ ये नही करुंगी किसी को पता चल गया तो?"

मैंने मन ही मन सोचा " साली रांड नाटक करती है"  उस दिन जब सुरेश और अपनी बहु के साथ हमबिस्तर हुई थी तब डर  नहीं लगा कि  दुनिया को पता चलेगा की क्या होगा,

मैं बोला "हमारे अलावा और किसको पता चलेगा बिना बताये, मैं प्रोमिस करता हूँ हम दोनो के अलावा किसी को नही बताउंगा।"

सुमन आंटी  "ओके, पर सलोनी और नेहा तो यहीं रहती है ना इसी घर में ।

मैं बोला - कोई नही मैं उसको ढेर सारा काम दे दिया करुंगा। और नेहा भाभी तो मुझे कही नजर भी नहीं आती है

सुमन आंटी  "ओके..

और तभी मैं उनको किस करने लगा, वो भी मेरा साथ बढ चढ कर देने लगीं।
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#6
Part - 6

तभी मेरी नज़र आंटी  के हाथ पर पड़ी, जहाँ एक गहरी चोट का ताज़ा निशान था।

मैंने झट से आंटी का हाथ पकड़ा और पूछा " आंटी आपको ये चोट कैसे लग गई।

आंटी ने अपना हाथ मुझसे छुड़ाया और उनका चेहरा उतर गया और वो उदास सी हो गई।

मैंने उनको सॉरी बोला और जाने लगा।

आंटी मुझसे बोली, "कि नहीं आप क्यों माफ़ी मांग रहे है, आपने थोड़ी न कुछ किया।"

ये तो मेरे पति ने किया है, उस रात शराब के नशे में उन्होंने मुझे मारा और फिर आंटी रोने लगी।

मैंने भी मौके का फ़ायदा उठाते हुए, आंटी के गाल पे किस कर दिया और आंटी ने भी एक गहरी सांस ले के अपनी आँखें बंद कर ली।

अब मुझे ग्रीन सिग्नल मिल चुका था, मैंने अपना एक हाथआंटी के जाँघों पे रख दिया।

अब दूसरे हाथ उनके सर के पीछे ले गया और अपने होंठ आंटी के होंठ से मिला दिए और आंटी की सिसकिया निकल आई उम्म!

10 मिनट तक, मैं आंटी को किस करता रहा और अब वो भी मेरा साथ देने लगी थी।

मैं अपना एक हाथ उनके चूची पर ले गया और ज़ोर से दबा दिया, कि आंटी के मुँह से ज़ोर से सिसकियाँ निकलने लगी आआह! उउम!

तभी आंटी ने अपनी आँख खोली और मेरी तरफ देखने लगी और मुस्कुरा भी रही थी।  और मुझे लिप किस करने लगी।



उसने मुझे बोला "कि वो मुझसे चुदना तो चाहती है ! लेकिन! डरती है!" और जगह भी नही है!"

"साली रांड डरती भी है" बहु के बराबर  चुदवा रही थी तब नहीं डर  लगा"

मेने उसको झूठा विश्वास दिलाया की "सब कुछ सुरक्षित होगा!"

और वो मुझसे खुल कर! बिना डर के बात करने लग गई।

अब मैं उसको पकड़ कर अपने बाँहों में कस लिया और वो भी मेरा साथ दे रही थी! धीरे धीरे हम दोनों के कपडे उतर गए थे

उसने मेरा लण्ड पेंट से बाहर निकाल! पकड़ लिया और अपने चूचियों के बीच रख मसलना शुरू किया! धीरे धीरे वो गरम होने लगी!

उसकी चूचियाँ पूरी तन गए थे! फिर मैंने उसकी एक चूची को अपने मुँह में लिया और चूसना सुरू किया।

एक हाथ से उसकी चूत को रगड़ना चालू किया! उसने चूत को चिकनी कर रखा था! और अब उसकी चूत बहुत बुरी तरह से गीली हो गई थी!

मैंने अपना मुँह! उसकी चूत पर रखा, और चाटना चालू किया! उसको बहुत मज़ा आ रहा था! और फिर हम 69 की स्थिति में आ गए।

अब उसने भी मेरे लण्ड को! अपने मुँह में निगल ही लिया था! क्या बताऊँ! ऐसी चुसाई! पहले कभी किसी ने शायद! नही की होगी मेरी।

थोड़ी देर बाद! वो फिर से झड़ गई! और मेरे खड़े लण्ड को, अपनी चूत में डलवाने के लिए बेताब थी।


सुमन आंटी " अब अन्दर डाल दो!

और बिना इंतेज़्ज़र किये वो मेरे ऊपर आकर, मेरे लण्ड को अपनी चूत में डाल! लण्ड की सवारी करने लग गई।

मेरे खड़े लण्ड के ऊपर बैठ! अपनी कमर हिला-हिला कर चुदवा रही थी! इतनी जोर धक्के दे रही थी! कि मेरी साँस अटक जा रही थी! मैं सोच रहा था की कैसी औरत है साली इतनी ज्यादा चुड़क्कड़ है पहले पता होता तो अब तक कितनी बार"

मुझे मेरा लण्ड चूत में! थोड़ा कसा हुआ महसूस हो रहा था! मुझे भी बहुत मजा आ रहा था! वो पूरी मस्ती में मेरे लण्ड की सवारी कर रही थी!

मेरे लण्ड का आकार अच्छा होने से! उसको बहुत मज़ा आ रहा था! थोड़ी देर में! वो थक भी गई, और शायद झड़ भी गई थी।

अब वो मेरे ऊपर से उतरकर! मेरे गीले लण्ड को मुँह में लेकर चाटना शुरू किया! तब तक मैं झड़ा नही था! और पूरे जोश में था!

उसने अपनी चूत में! अपना पूरा हाथ डालकर! अपने रस को मेरे लण्ड पर लगाकर चाटने लगी! आहा! मैं तो जैसे जन्नत में था!

उसकी मखमल सी होंठों से! लण्ड की चटाई बर्दाश्त नहीं कर पाया! अब मेरा शरीर अकड़ने लगा! शायद! मैं भी झड़ने वाला था!

कुछ देर के बाद! मुझसे रहा नही गया! और एक झटके में मैंने उसको लिटा दिया! उसकी चूत में अपना लण्ड पेल दिया! और जोरदार धक्के देने लगा!

वो अब सिसकारियाँ लेते हुए गाली बकने लगी

सुमन आंटी " चोद मादरचोद! बहन के लौड़े! चोदो मुझे! पूरा लण्ड घुसाकर चोदो! अपने आंड भी घुसा दो! तुम्हारा लण्ड बहुत मोटा और मजेदार है!

ये सब सुन कर मुझे भी गुस्सा आ गया और

मैं बोला- ले रंडी! मादरचोद! अपनी चूत का भोसड़ा बनवा! बहन की लौड़ी! तेरी बहु को भी चोद दूँगा! भड़वी साली! आज तेरी चूत मैं ही पूरा घुस जाऊँगा!

मैंने अपने धक्के की गति! पिस्टन की तेजी जैसी बढ़ा दी! और उसकी चूत की धक्कापेल चुदाई करने लगा! अब मैं झड़ने वाला था!

कुछ देर करीब 20 मिनट के बाद! मेरा भी निकल गया! और हम दोनों ने एक दूसरे को जकड़ लिया! उस रात मैंने उसको 4 बार चोदा! लेकिन एक बार भी नेहा भाभी कही नजर नहीं आयी,

मैं ऐसा सोच रहा था की ये इन् दोनों का प्लान है कि "मैं सुमन आंटी की चुदाई करूँगा और नेहा भाभी हमें चुदाई करते पकड़ लेंगी और फिर शामिल हो जाएगी, लेकिन साला ऐसा कुछ नहीं हुवा,

सुबह होते ही वो मेरे ऊपर आकर, मेरे लण्ड को अपनी चूत में डाल! लण्ड की सवारी करने लग गयी

मेरे खड़े लण्ड के ऊपर बैठ! अपनी कमर हिला-हिला कर चुदवा रही थी! इतनी जोर धक्के दे रही थी! कि मेरी साँस अटक जा रही थी!

फिर से मैंने मोर्चा सँभालते हुवे उसकी चूत की धक्कापेल चुदाई करने लगा!

कुछ देर के बाद! मैंने फिर से उसकी चूत में निकाल  दिया और हम दोनों ने एक दूसरे को जकड़ लिया!
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#7
Part - 7

पूरी रात और सुबह की चुदाई क बाद मैं सुबह 5 छत के रस्ते अपने कमरे में आ गया,

२ सवाल अभी भी मेरे दिमाग में घूम रहे थे

पहला कि सुमन आंटी के पति का क्या हुवा और दूसरा ये कि नेहा भाभी कहा थी,

थोड़ी देर सोने के बाद उठ कर जब मैं नीचे आया तो देखा की राज मेरा दोस्त आया हुवा है,

राज  " खुल गयी नींद साहब की "

मैं " अबे साले तू सुबह सुबह "

राज " क्यों नहीं आ सकता क्या?" देखलो भाभी खुद तो ये आता नहीं , मिलता है नहीं और कोई मिलने आये तो बोलता है के सुबह सुबह

मैं ये अच्छे से जानता था की राज की नजर मेरी भाभी पर रहती है

मैं " वो यार काम में बिजी था"

राज " काम में बिजी था ता काम क्रीड़ा में "

मैं " साले सुबह सुबह फालतू बात मत कर, किसलिए आया वो बोल"

राज " यार तू तो जानता है की मेरे बिज़नेस की  हालत थोड़ी टाइट है और काम भी ज्यादा है त्यौहार की सीजन की वजह से,

दरअसल राज का गारमेंट्स की ट्रेडिंग का बिज़नेस है और वो  उसे घर से ही चलाता  है,

मैं " हाँ तो बोल क्या करना है ?"

राज " तू यार मेरे बहिन नीतू के ससुराल चला जा और उससे कुछ दिन के लिए उसको यहाँ ले आ, क्यूंकि रजनी उसकी बीवी को मायके जाना है"

मैं " ये तो कोई बात नहीं, कब जाना  बता ?"

राज " अभी चला जा " मेरी गाड़ी लेजा

मैं " गाड़ी तो ले हे जाऊँगा लेकिन अभी नहीं , अभी काम है ऑफिस में " दोपहर के  बाद चला जाऊंगा, मेरी ऑफिस की ब्रांच भी है उसी शहर में तो कोई बात करके ऑफिसियल टूर बनाने कोशिश करता हु " रात को वही रह के सुबह नीतू को ले भी आऊंगा,

राज " फिर  ठीक है मैं नीतू को बोल देता हु की तू आज रात को उसके घर पर रुकेगा,

मैं " नहीं रे, मेरी कंपनी का गेस्ट हाउस है वही रह जाऊंगा ,

राज " वो नीतू जान ले लेगी तेरी अगर वह गया और उसके घर नहीं रुका तो, याद है पिछली बार का हंगामा"

मैं " ठीक है बोलदे "

फिर बाय बोलके राज चला गया, मैंने भी अपनी माँ को आज शाम का प्लान बता के ऑफिस के लिए निकल गया, ऑफिस में बात करके लंच में वापिस आके राज की गाड़ी लेके नीतू को लेने के लिए दूसरे शहर चला गया,

जब मैं नीतू के घर पहुंचा मुझे देख के नीतू बहुत खुश हुई और मुझे गले लगा लिया , जिस तरह से पिछले सप्ताह में मैंने चुदाई की है मुझे नीतू में भी राज की बहन कम एक चुड़क्कड़ और दिखाई दे रही थी,

जब मेरे राकेश जी को पता चला की नीतू पूरे 2 महीने के लिए मायके जाने वाली है तो चुदासे हो गयी। अगले दिन सुबह 9 बजे तक हमे निकलना था ।

अब जीजा जी के पास सिर्फ एक रात का वक़्त था।

जो भी करना था इसी में करना था।

रात हो गयी तो सब लोग साथ में खाना खाने लगे। फिर सोने का टाइम हो गया।

उनके पास सिर्फ 1 रात का वक्त था  सेक्सी नीतू  को चोदने के लिए।

नीतू मुझे  छोटू पुकारती थी। ठण्ड बहुत जादा थी । नीतू जानती थी की मुझे नयी जगह इतनी आसानी से नींद नही आएगी।

मैं जाके दूसरे कमरे में सो गया,

यहाँ भी दो बाते थी, पहली की नयी जगह नींद नहीं आएगी और दूसरी की आज रात को नीतू की चुदाई जबरदस्त होगी,

काफी देर तक बिस्तर पर करवटे बदलने के बाद भी जब नींद नहीं आई तो मैं  सिगरेट ले के सीढ़ियों की तरफ जाने लगा, देखा तो नीतू के कमरे में हल्की लाइट जल रही है, वापस भाग के में मेरे कमरे में आया क्यूंकि उनके  और मेरे की दिवार एक ही थी और दोनों कमरों के बीच में आने जाने के लिए एक दरवाजा भी था, और जैसा सब कहानियो में होता है मुझे भी उस दरवाजे के पास से एक झिरि मिल गयी जिस से उनका पलंग पूरा का पूरा दिखाई दे रहा था,

अंदर मैंने देखा

राकेश जी नीतू  के करीब आ गये। कमरे में सिर्फ एक छोटा नाईट बल्ब जल रहा था इसलिए हल्का सा अँधेरा था। पर कमरे में क्या चल रहा है ये तो आराम से समझ आ रहा था।

नीतू की जाने की खबर सुन कर राकेश जी ज्यादा ही रोमानटिक हो गये। उन्होंने नीतू  को पकड़ लिया और सीने से लगा लिया।

आपको बता दूँ की नीतू  बहुत जबरदस्त माल थी। नीतू  बिलकुल दीपिका दिखती थी।

36” की बड़ी बड़ी मचलती चूचियों को देखकर राकेश जी पागल हो गये थे और फौरन ही शादी कर ली थी।

नीतू  की शादी से पहले उनके बॉयफ्रेंड ने उनको खूब चोदा था। कई मर्दों से नीतू  चुद चुकी थी। उनको सेक्स करने में विशेष आनंद आता था। लंड चूस चूसकर चुदना उनको बेहद अच्छा लगता था। गांड मराने का भी बहुत शौक था नीतू  को। वो देखने में मस्त माल थी और साड़ी बब्लाउस में तो एक सम्पूर्ण भारतीय नारी दिखती थी। ऐसी थी नीतू ।

राकेश जी ने उनको बिस्तर पर पास खीच लिया और गालों पर चुम्मा देने लगे। राकेश जी बहुत आवाज करके नीतू  के होठो का चुम्मा ले रहे थे।

राकेश जी  बोले  “जान !! चूत दो ना। देखो मेरे पास सिर्फ आज का वक़्त है। कल तो तुम 2 महीनो के लिए मायके जा रही हो”

नीतू बोली  “दूर हटो। और थोड़ा सब्र करो, देखो छोटू पास वाले कमरे में ही सो रहा है। और तुमको मेरी चूत चोदने की पड़ी है”

राकेश जी को दूर भगाने लगी

राकेश जी बोले " वो सो गया होगा और नहीं भी सोया होगा तो वो भी देख सुन लेगा की उसकी दीदी कितनी सेक्सी है" ये कह के एक चुम्मा ले लिया, और अपने कमरे से बाहर आने लगे, मुझे समझते देर न लगी की वो मुझे ही देखने आ रहे की मैं सोया के नहीं'


मैंने तुरंत बिस्तर पर लेटते हुवे अपने चेहरे पर एक चादर डाल ली।

वे मेरे कमरे में आये और बोले " सो गए क्या साले साहब "'

मैं वैसा ही लेटा रहा कोई जवाब नहीं दिया,

वो वापस चले गए और मैं उठ कर वापस उसी झिरि पर आँखे गड़ा ली

राकेश जी वापस जाके बोले " छोटू तो खर्राटे लेकर सो रहा है। उसे तो पता भी नही चलेगा"

आज नीतू मेरे सामने ही चुदने जा रही थी।

नीतू फिर भी ना नुकुर कर रही थी

राकेश जी बोले  “नीतू !! देखो ये सरासर गलत बात है। आज मुझे तुमको रात में जी भरकर चोद लेना है। फिर 2 महीने तो हाथ से काम चलाना होगा” और मनाने लगी।

फिर नीतू  भी चुदने को राजी हो गयी क्यूंकि आग तो उधर भी लगी थी,

राकेश जी ने उनके ब्लाउस के बटन खोल दिए। ब्लाउस उतार दिया। फिर ब्रा भी निकाल दी। राकेश जी नीतू  के यौवन पर टूट पड़े और जल्दी जल्दी उनके 36” के मम्मो हर हाथ घुमाने लगे।

नीतू  “..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअअ….आहा …हा हा हा” करने लगी।

राकेश जी कमरे में नाईट बल्ब की हल्की रौशनी में रासलीला कर रहे थे।

मैं भी सब नजारा देख रहा था।

नीतू  नंगी होकर कितनी टॉप क्लास माल दिख रही थी। कितनी बड़ी बड़ी पामेला  एंडरसन की तरह बेताब चूचियां थी उसकी की।

राकेश जी ने अपना चेहरे ही दोनों दूध के बिच में रख दिया और गुलगुली चूचियों से खेलने लगे। वो पागल हो गये थे। आज रात ऐश करने के मूड में थे।

हाथ से नीतू  के दोनों बूब्स को जोर जोर से दबा रहे थे।

नीतू “……अई…अई….अई……अई….इसस्स्स्स्स्…….उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….”की सेक्सी आवाजे निकाल रही थी।

फिर राकेश जी  ने नीतू  के बाए मम्मे को मुंह में ले लिया और दबा दबाकर चूसने लगे।

दोस्तों जब मैंने ये नजारा देखा तो मेरा लंड उसी वक़्त खड़ा हो गया। मन हुआ की अभी आजकर मैं भी नीतू  को चोद लूँ।

राकेश जी पूरे जोश में आ गये थे और जल्दी जल्दी बूब्स को चूस रहे थे।

नीतू  के बूब्स मलाई जैसे तिकोने और नुकीले दिख रहे थे। सफ़ेद चिकनी और तराशी हुई चूचियां थी। निपल्स को बहुत नुकीली थी और पेन की नोंक की तरह दिख रही थी। निपल्स के चारो तरह काले काले सेक्सी चन्द्रमा की तरह गोले थे जो बेहद सेक्सी दिख रहे थे।

राकेश जी नीतू  के बूब्स को मुंह में लेकर ऐसे चूस रहे थे जैसे आज पहली बार मजा ले रहे हो। मैं सब नजारा देख रहा था। मेरा लंड भी खड़ा हो गया था। मेरी नींद तो छू मन्तर हो गयी थी।

“आराम से पीजिये जी!! लग रही है” नीतू  ने कहा पर राकेश जी अपने फूल मूड में रहे।

वो तो बूब्स को  बदल बदलकर चूस रहे थे। फिर वो थक गये और लेट गये।

नीतू अब बिस्तर पर बैठ गयी। राकेश जी ने नीचे लोअर पहना हुआ था। नीतू ने अपने हाथ से उनका लोअर उतार दिया।

फिर उनकी अंडरवियर उतार दी। नीतू राकेश जी के  लंड को जल्दी जल्दी मुठ मारने लगी।

जब मैंने अपनी आँखों से देखा तो विश्वास ही नही हो रहा था। नीतू लंड भी चूसती होंगी ये तो मैंने सपने में नही सोचा था नीतू  जल्दी जल्दी राकेश जी का लंड को मुठ मर रही  थी।

6” लम्बा और 2” मोटा लंड। नीतू  किसी रंडी की तरह जल्दी जल्दी लौड़े को मुठ मारने  लगी। उससे खेलने लगी। लौड़ा उसके चेहरे जितना लम्बा था।

फिर नीतू  झुक गयी और लंड के टोपे पर अपनी जीभ लगाने लगी।

राकेश जी “…..ही ही ही……अ अ अ अ .अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह….. उ उ उ…” करने लगे।

उनको बड़ा मजा आ रहा था। फिर नीतू  ने लौड़े को मुंह में ले लिया और चूसने लगी। दोनों ऐश करने लगे।

जब मैंने देखा तो मन ही मन सोच रहा था की साली बड़ी मस्त हो गयी इससे तो मैं भी जरूर चोदूंगा है।

कुछ देर में नीतू  किसी देसी छिनाल की तरह जीजा का लंड चूस रही थी। जल्दी जल्दी अपने सिर को उपर नीचे कर रही थी। खूब चूसने की आवाज हो रही थी। राकेश जी उनके बूब्स की निपल्स को ऊँगली से घुमा रहे थे। नीतू  भी सिसक रही थी। इस तरह आधे घंटे से जादा लंड चुसव्वल हुआ। अब नीतू राकेश जी  की गोलियों को हाथ से दबाने लगी। फिर टॉफी की तरह मुंह में लेकर चूसने लगी। गोलियों को खूब चूसा उन्होंने।

नीतू  से अपनी साड़ी उतारी और बेड पर ही किनारे रख दी। अपने पेटीकोट का नारा उन्होंने खोल दिया और निकाल दिया। फिर चड्डी उतार दी। नीतू  नंगी होकर दोनों पैर खोलकर लेट गयी।

राकेश जी उनके उपर आ गये और उनके टांग और खूबसूरत चिकनी जांघो पर किस करने लगे। चुम्मी की चूं चूं की आवाज मैं साफ़ सुन सकता था।

आज तो मुझे लाइव ब्लू फिल्म देखने को मिल गयी थी।

राकेश जी जल्दी जल्दी नीतू  की चूत चाटने लगे,

नीतू  “अई…..अई….अई… अहह्ह्ह्हह…..सी सी सी सी….हा हा हा…” की सेक्सी आवाजे निकालने लगी।

खूब चूत को चूसा उसने  ने।

नीतू बोली " बस अब डाल दो "

राकेश जी ने अपना लंड चूत में डाल दिया और जल्दी जल्दी नीतू  को चोदने लगे।

नीतू  दोनों टांगो को उठाकर चुदवा रही थी। बेड चर चर की आवाज कर रहा था। राकेश जी अपने 6” के ताकतवर लंड से नीतू  की चुद्दी फाड़ रहे थे। जल्दी जल्दी पेल रहे थे,

नीतू की चूत में जीजा का लंड जल्दी जल्दी सर्कश का कमाल दिखा रहा था। अंदर बाहर दौड़ लगा रहा था। दोनों खूब मजा में सिसकिया मार रहे थे।

नीतू बोले जा रही थी    “ऊँ—ऊँ…ऊँ सी सी सी सी… चोदो चोदो…. आज मेरी चूत फाड़ फाड़कर इसका भरता बना डालो जाननननन….जान!!”
वो भी भरपूर जोश में आ गयी थी।

नीतू की बात सुनकर राकेश जी और कर्रे कर्रे धक्के मारने लगे। नीतू  ने कामोत्तेजना में राकेश जी  के सिर के बालो को पकड़ लिया और नोचने लगे।

राकेश  जी कमर उठा उठाकर नीतू  के भोसड़े का कचूमर बना रहे थे। उनकी चूत से पानी बह रहा था। बार बार सफ़ेद क्रीम बाहर आ जाती थी और लौड़े पर लग जाती थी। इससे राकेश जी को अधिक चिकनाहट चूत के अंदर मिल रही थी। चूत मारने में मदद कर रही थी।

एक बार फिर से राकेश जी  ने अपने होठ नीतू  के होठो पर रख दिए और उनको अपनी बाहों में समेट लिया। और चूसते चूसते उनको पेलने लगे। ऐसा गरमा गर्म सीन जब मैंने देखा तो मेरा तो माल ही झड़ गया। मेरे लंड से माल अपने आप छूट गया। पर मैं कुछ नही कर सका। । तेज धक्के मारते मारते राकेश जी ने चूत को वीर्य से भर दिया और नीतू  के उपर ही लेट गये। नीतू  उनके गाल और चेहरे पर हाथ से सहलाने लगी।

ठण्ड ज्यादा थी मैं भी मुठ मार के रज़ाई में घुस गया और नीदं आ गयी,

सुबह 4 बजे मेरी आँख थोड़ी आवाज से खुल गयी। फटाफट उसी झिरी में से देखा देखा तो राकेश जी नीतू  को कुतिया बनाए हुए थे और जल्दी जल्दी गांड चोद रहे थे। मुझे ऐसा लगा जैसे ये लोग पुरी रात सोये ही नहीं,

एक बार फिर से मेरा लंड मेरे पजामे में खड़ा हो गया, और वही खड़ा मैं मुठ मारने लगा,

राकेश जी ने आधे घंटे नीतू  की गांड चोदी। फिर गांड में ही माल छोड़ दिया।
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#8
Part - 8

ये सब देख के मुझे वो दिन याद आ रहे थे जब मैं भी नीतू का दीवाना था, साली क्या क़यामत हो गयी है, इसको तो पक्का चोदुंगा, फिर मैंने देखा नीतू अब बिस्तर से उठ कर बाहर आने वाली थी, मुझे लगा कही मेरे ही कमरे में ना आजाये,

मैं फिर से जाके सोने का नाटक करने लगा लेकिन तब तक मेरा माल निकला नहीं था और लंड एकदम तना हुवा था, मैंने सोचा कि अगर वो मेरे कमरे की तरफ आ रही है तो क्यों न उससे लंड के दर्शन करवाए जाए,

और मैं सीधा सो गया और मेरे तने हुवे लंड ने रज़ाई में तम्बू बना दिया, और हुवा भी वही नीतू सीधा मेरे कमरे में आयी और मेरे लंड के तम्बू को देख कर हैरान हो गयी और अपने होठ को काट खाया जैसे मेरे लंड को अभी खा जायेगी, फिर दरवाजे को बंद करते हुवे चली गयी,

तकरीबन 7 बजे मैं उठ कर बाहर आया तो देखा की राजेश जी नहीं दिख रहे है नीतू किचन में है,

मैं बोला " नीतू दी जीजा जी नहीं दिख रहे है

नीतू बोली " ऑफिस से फ़ोन आया था कुछ अर्जेंट काम है शायद इसलिए जल्दी ही निकल गए,

मैं बोला " तो घर पर कौन रहेगा,

नीतू बोली " उसकी सास आ जाएगी 10 बजे तक गाँव से तब हम लोग चलेंगे

मैं बोलै "ठीक है, मैं नहा लेता हु"

मेरे शैतानी दिमाग ने काम करना शुरू कर दिया क्यूंकि घर में कोई नहीं था मेरे और नीतू के अलावा, और मेरा काम आसानी से बन सकता था,

मैं जब बाथरूम में गया तो कपडे नहीं ले के गया सिर्फ एक टॉवल में चला गया, और मेरे कपड़ो में दो तीन चीटिया पकड़ के छोड़ गया, लेकिन मेरा लंड बैठने का नाम नहीं ले रहा था उसने मेरे टॉवल में भी तम्बू बना रखा था, मैंने नहाने के बाद नीतू को आवाज लगाई,

मैं बोला " नीतू दी वो मेरे कपडे देना न वही बीएड पर रखे हुवे है,

नीतू बोली " ठीक है लाती हु
,
नीतू ने वो कपडे मुझे लाके दिए, मैंने बाथरूम के अंदर से हाथ निकाल कर वो ले लिए, फिर उन्हें पहन कर बाहर आ गया, फिर आके नीतू को बोलै कि

मैं बोला " शायद इनमे चींटी घुस गयी है"

और उनके सामने ही नेकर खोल के उनको बोलै "देखो तो सही, अंडरवेअर अभी भी पहना था,

नीतू बोली " ला दिखा मुझे" कहा है ? है तो नहीं लेकिन उनका ध्यान चीटियों की तरफ कम मेरे लंड पर ज्यादा था और थोड़ी देर देखने के बाद बोली " कुछ नहीं है पहन ले इसे "

उनका ध्यान अब भी मेरे लंड पर ही था, फिर वो अंदर कमरे में चली गयी, और कपडे ले के नहाने चली गयी,

मैंने कुछ भी न होता देख एक और आईडिया लगाया, मेरे मोबाइल से उनके घर के लैंडलाइन पर फोन किया, और खुद उठा लिया फिर नीतू को आवाज लगाई

मैं बोला " नीतू दी कोई औरत की आवाज है, आपसे बात करनी है"

नीतू बोली " उनको बोल में नहा रही हु बाद में बात आकर लुंगी, नाम पूछ लेना "

मैं बोला " नाम नहीं बता रही है बोल रही है अर्जेंट बात करनी है"

नीतू बोली " ठीक है मैं आती हु, तू एक काम कर, तेरे कमरे में जा और दरवाज बंद करले"

मैं बोला " क्यों ऐसा ?"

नीतू बोली " वो अभी अंडर गारमेंट पहनी हुई है, साडी गीली हो गयी है उसकी "

मैं बोला " ठीक है "

और मैं कमरे में चला गया।,

कमरे का दरवाजा बंद करने की आवाज सुन कर वो बाथरूम से बाहर आयी और फ़ोन उठाया,

नीतू बोली " कोई बोल तो नहीं रहा" छोटू नाम बताया था क्या" लगता है कट गया,

मैंने कोई जवाब नहीं दिया

तो वो धीमे कदमो से मेरे कमरे के दरवाजे के पास आयी और दरवाजे के कीहोल से देखने लगी की मैं क्या कर रहा हु? और उसकी बात का जवाब क्यों नहीं दिया?

मैं भी उसी के होल से उससे देख रहा था जब वो मेरे कमरे की तरफ आयी तो मैंने सोच क्यों न इससे नंगे लंड के दर्शन करवा दू,

और नंगा होके उसी का नाम मुठ मरने लगा, वो मेरे नंगे लंड को पूरा खड़ा देख के स्तब्ध रह गयी और बोली

नीतू बोली " छोटू फ़ोन कट गया " दोबारा आये तो बोल देना बाद में कर लेंगे"

आवाज इतनी जोर से थी की मैं समझ गया कि मेरे दरवाजे के पास ही खड़ी है

और फिर मुझे बाथरूम के दरवाजे के बंद होने की आवाज सुनाई दी,

मैं तुरंत ही बाथरूम के पास गया और ये देखने की कोशिश करने लगा कि क्या मेरा लंड देखने के बाद वो चूत में ऊँगली करती है या नहीं, अगर करती है तो मेरा काम बन जायेगा,

लेकिन दरवाजे में कोई होल ही नहीं था, बालकनी की तरफ एक रोशन दान था, मैं भाग के उस रोशनदान की तरफ गया और एक स्टूल पर खड़ा होके देखने लगा की वो क्या कर रही है,

नीतू अंदर ऊँगली को चूत में पेले जा रही थी और बड़बड़ाये जा रही थे " हाय छोटू चोद दे अपनी नीतू को "

मेरा नाम उनके होठो से सुनकर मुझे यकीन हो गया की मेरा काम बन जायेगा, तभी एक हलकी सी सिसकारी ली और बोली

"हाय छोटू तेरे लंड ने देख मेरी चूत का क्या हाल कर दिया, इतना पानी तो कभी नहीं छोड़ा इसने पहले कभी" आह...आह..... आह........

मुझे इस रोशनदान से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था सिर्फ सुनाई दे रहा था, तो मैं दूसरे तरफ की रोशनदान पर चला गया वह से सब कुछ दिखाए दे रहा था

नीतू अब सिर्फ पेंटी में थी . उसके बड़े बड़े बूब्स भीगने की वजह से और कडक और बड़े हो गए थे. और एकदम चमक रही थे,

पेंटी के अंदर हाथ डालकर वो अपनी चूत में ऊँगली ली किये जा रही थी मुझे उनकी चूत पर आये छोटे छोटे बाल पड़े ही प्यारे लग रहे थे, जिनके दर्शन पेंटी की साइड से हो रहे थे. नीतू के ऊपर गर्मी चढ़ी हुई थी,

वो चूत के ऊपर उंगिलयाँ घुमा के मदहोश हो रही थी. एक हाथ से वो उसके बूब्स को मसल रही थी उसकी आहे अब और जोर से उठने लगी थी, अब वो झाड़ रही थी शायद, उसकी आँखे एकदम बंद हो गयी थे . उसके बूब्स एकदम कडक हो गए थे,

तभी उसने ऊँगली को छूट से निकाल कर सीधा मुंह में ले लिया, वो अपनी चूत के कामरस को वो खुद ही चाट गई!

मेरा लंड मयूर तो नाचने लगा था,

वह से वापस रूम में आके में जोर से बोला की " मेरा बैग नहीं मिल रहा है" मैं थोड़ा ऑफिस जाके आता हु"

नीतू बाथरूम से ही बोली " वही अपर तो रखा था"

मैं बोला " नहीं मिल रहा है " प्लीज आके ढूंढ दो न "

नीतू बोली " मेरे सारे कपडे गीले है, मैं नहीं आ सकती,

मैं बोला" टॉवल बाँध कर आ जाओ
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#9
Wow wonderful boss
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#10
Please update yaar
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#11
Part - 9

नीतू  बोली, "अरे मेरे  कपडे पुरे गीले है, प्लीज देखना.

एक मिनट के बाद मैंने फिर से कहा "नहीं मिल रहा हे दीदी मैंने बोला न टॉवल लपेट के आ जाओ"

नीतू ने कोई जवाब नहीं दिया फिर बोली " ठीक है"

2 मिनट बाद वो एक टॉवल लपेट कर बाहर आ गयी, जैसे ही वो बाहर आयी मैं तो देखते ही रह गया

एक तो टॉवल पतला था, दूसरा गीला होने की वजह से पारदर्शी  हो गया था.

मैं  हवस भरी  निगाहों से नीतू के कामुक बदन को देख रहा था.

नीतू ने कहा 'क्या देख रहा है? जो देखना है वो देख,

मैं अपने होश सँभालते हुवे बोला " हाँ वही तो देख रहा हु कब से, लेकिन मिल नहीं रहा " मेरी नजर उसके बूब्स से हट ही नहीं रही थी,उसके निप्पल टॉवल में भी एकदम कड़क दिखाई दे रहे थे,

नीतू बोली " ठीक है, मैं भी देखती कैसे नहीं मिलता है"

अब वो कमरे में गयी जिस में मैं  सोया था रात को, और मैं उसके पीछे पीछे उसकी मटकती गांड को देखते हुवे चलता रहा था,

कमरे के अंदर जाते ही नीतू बोलीं "देख लिया"

मैं फिर सम्भलते हुवे बोलै "क्या , कहा "?

नीतू बोली " वो देख ऊपर अलमारी के "

मैं बोला " यहाँ किसने रखा" फिर याद आया की जब कल रात को मैं चुदाई देख रहा था तब खुद ने ही संभाल के वह रखा था,

फिर मैंने बोला " थैंक यू नीतू दी "

नीतू बोली " अगर सही से देखता तो मिल ही जाता"

मैं बोला " सच बोलू मैं तो कब से आपको ही देखे जा रहा हु, क्या लग रही हो,"  ......... ये सोच कर अँधेरे में एक  तीर मारा, क्या पता मेरा काम अभी ही बन जाए,

लेकिन पता नहीं नीतू के दिमाग में क्या चल रहा था, उसके चेहरे पर अचानक गुस्से के भाव आ गए और लगभग चिल्लाते हुवे बोली

नीतू बोली " मैं तुम्हारे दोस्त की बहिन हु, ऐसा कहते हुवे तुम्हे शर्म नहीं आई, जाओ अभी यहाँ से"

ये सुनते ही मेरी तो गांड फट के हाथ में आ गयी और जो लंड खड़ा था कब बैठ गया पता भी नहीं चला, मन ही मन सोच रहा था कि " साला ये क्या नौटंकी है, अभी थोड़ी देर पहले मेरे नाम से मुठ मार रही थी और अब ये"  साथ ही ये भी सोच के हालत ख़राब थी कि "कही ये राज से कुछ कह ना दे "

मैं चुपचाप पाने कागजात लेके ऑफिस की तरफ निकल गया,

डर के मारे कुछ समझ नहीं आ रहा था की वापस आके नीतू से नजर कैसे मिलाऊँगा,

ऑफिस  में भी थोड़ा टाइम ज्यादा लग गया, दूसरे शहर का काम था इसलिए मैंने सोचा की पूरा काम निपटा के ही चलता हु,

11 बजे नीतू का फोन आया " कहा है तू आया क्यों है अभी तक? मैंने तेरे मनपसंद पनीर की सब्जी बनाई है"

मैं बोला " वो थोड़ा काम अटक गया था, आधे घंटे में आ जाऊंगा"

नीतू बोली " ठीक है ज्यादा देर मत करना, मुझे रस्ते में कुछ काम भी है"

मैं बोला " ठीक है " और फ़ोन काट दिया

आधे घंटे बाद जब मैं नीतू के घर पहुंचा तो उसने दरवाजा खोला, उससे देख कर मैं दंग  रहा गया, लाल चमकदार साड़ी  में एक दम अप्सरा  नजर आ रही थी,
मैं फिर उससे गौर से देखने लगा

नीतू बोली " ये के है इतना देरी से, अब जल्दी से खाना खा ले और चल, मेरे सास भी आ गयी है" मुझे रस्ते में थोड़ा काम भी है

मैंने सास का नाम सुनके अपने आप को संभाला और अंदर जाके उसकी सास के चरण स्पर्श किये, उतने टाइम तक नीतू ने खाना लगा दिया और मैं हाथ धो कर खाना खाने बैठ गया,

खाना खाते हुवे माने पूछा " क्या काम है रस्ते में"?

नीतू बोली " वो रास्ते में बताउंगी " अब तू जल्दी से खाना खा " और देर मत कर "

उसके बातचीत करने के हाव भाव से लग रहा  था की वो सुबह की बात को कोई भाव नहीं दे रही है, और मेरे मन में भी थोड़ी शांति आयी,

खाना खाके हम दोनों राज की गाडी से वापस अपने शहर के लिए निकल पड़े, दोनों आगे की सीट पर ही बैठे थे,

उसके शहर से बहार निकल के जब हम लोग हाईवे पर आ गए तो वो बोली " गाड़ी थोड़ी साइड में रोको"

मैं बोला " क्यों क्या हुवा ?"

नीतू बोली " हुवा कुछ नहीं तू मुझे गाड़ी चलाना  सीखा"

मैं बोला " अरे हम लोग लेट हो जायँगे उसके चक्कर में "

नीतू बोली " देख या तो तू मुझे गाड़ी चलाना सीखा नहीं तो मैं आज सुबह वाली बात राज को बता दूंगी"

मैं ये सुनकर सोच में पड़ गया, फिर सोचा बचपन की दोस्ती खोने से अच्छा है कुछ देर की देरी ही सही"

और बोला "ठीक है, लेकिन प्रॉमिस करो कि तुम किसी से भी कुछ भी नहीं कहोगी,"

नीतू बोली " कोनसी बात" देखो मैं तो भूल भी गयी "

 मैंने कार एक साइड में रोक दी, 

मैं बोला " ठीक है आप मेरी सीट पर आ जाओ, मैं आपकी सीट पर आ जाता हु, लेकिन क्या आपको पता है गाड़ी कैसे चलाते है?'

नीतू बोली "हाँ थोड़ा थोड़ा आता है "

मैं बोला " फिर ठीक है "

हम दोनों ने सीट बदल ली,

अब नीतू धीरे धीरे गाड़ी को आगे बढ़ाने कर रही थी लेकिन बार बार झटके से गाड़ी बंद हो जाती, थोड़ी देर के प्रयास के बाद जब वो गाड़ी चल पड़ी तो पता नहीं मुझे क्या सुझा मैं हैंडब्रेके खींच दी, जिससे गाड़ी फिर झटका खाके बंद हो गयी, 

दूसरी बार प्रयास में वो फिर ठीक से चलने लगी तभी एक तेज गति आती हुई गाड़ी पास से निकली तो नीतू दर गयी और फिर गाड़ी झटका खाके बंद हो गयी,

नीतू बोली " ये मेरे बस का काम नहीं "

मेरा शैतानी दिमाग बोला " नीतू दी आप कर सकते हो"...एक रास्ता है जिससे आप आराम से सीख जाओगे"

नीतू बोली " कोनसा रास्ता ?"

मैं बोला " अगर बता दूंगा तो आप फिर से नाराज हो जाओगी "

नीतू बोली " ज्यादा भाव मत खा, मुझे मेरे पति को दिखाना है के मैं भी गाड़ी चला सकती हु और उसके लिए मैं कुछ भी कर सकती हु, तू तो बोल"

मैं बोला " मैं डाइवर सीट पर बैठ जाता हु और आप मेरी गोद में बैठ जाओ, थोड़ी दूर ऐसे चलाने से जब आप में आत्मविश्वास आ जायेगा तब मैं वापस इसी सीट पर आ जाऊंगा ,

नीतू कुछ सोच कर बोली " ठीक है,"

मैं उतर कर डाइवर सीट पर पैर चौड़े कर के बैठ गया और नीतू मेरी गोद  में बैठ गयी, जैसे ही वो मेरी गोद  में बैठी उससे मेरे लैंड का अंदाजा हो गया जो उसके मेरे गोद में बैठते ही खटके से खड़ा हो गया था, अब मैंने गाड़ी धीरे धीरे आगे बढ़ा दी थी, और मेरे लंड ने भी, वो बार बार झाकते झटके खा रहा था और नीतू की गांड को स्पर्श कर रहा था, मैं भी बार बार पाने पेरो से नीतू की जांघो को दबा देता था,

नीतू को भी गांड पर मेरे लंड होने का आभास अब एकदम पक्का हो गया था लेकिन वो बोल भी क्या सकती थी! 

थोड़ी देर के बाद मैंने उसे कार का स्टीयरिंग व्हील दे दिया और बोला "आप चलाओ अब." और फिर मेरे दोनों हाथों को नीतू  की जांघो पर रख दिए और धीरे धीरे से उसे सहलाने लगा. 

नीतू को जैसे ही पूरा कण्ट्रोल मिला उसने फिर से गाडी तेज कर दी और  से झटके से  ब्रेक मारी. 

मैंने भी मौका सही पा के  अपने दोनों हाथ से उसके बूब्स पकड़ लिए और दबा दिए इस तरीके से कि नीतू को लगे की ये अचानक  मारे ब्रेक की वजह से हुवा है . 

नीतू  एकदम उठ गई धक्के से ब्रेक के, और जब वो वापस बैठी तो मेरा लंड जो की एकदम खड़ा था सीधा नीतू की चूत पर लगा और उसके मुंह से आह निकला गया,

मैं बोला " नीतू दी ये आप रहने ही दो, राकेश जी सही ही कहते है कि आप के बस का नहीं है गाड़ी चलाना"

इस बात से नीतू थोड़ी गुस्सा और थोड़ी रुंआसी होके बोली " जानती हु, लेकिन तू मुझे सही से सीखा ना तो मैं सीख जाऊंगी"

मैं बोला "आप उदास मत हो, मैं सिखाऊंगा आपको, ऐसे ही चलती रहिये लेकिन ब्रेक थोड़ा आराम से और थोड़ा ध्यान से,

वो थोड़ा खुश होक बोली " ठीक है मास्टर जी "

और थोड़ा मेरे लंड को अपनी गांड की दरार में एडजस्ट करके बैठी  .और बोली " अब कुछ गड़बड़ नहीं  होगी "

वो गाडी को फिर से धीर धीर चलाने  लगी और मेरे हाथ फिर से उसकी जांघो पर आ आ गये और जांघो को धीरे से मसलने लगा. और साथ ही मैं धीरे से अपने लंड को आगे पीछे करने लगा. मन तो बहुत किया की उसकी बुर को भी टच कर लूँ लेकिन मैंने जल्दबाजी नहीं की. अब मुझे लग रहा था की नीतू को मेरे लंड से कोई परेशानी नहीं हो रही है उसे भी अब मेरे लंड का स्पर्श अच्छा लगने लगा है,  उसके उपर भी गर्मी चढ़ने लगी थी. और ऐसे ही हम लोग आधे घंटे तक आराम से चलाने के बाद शहर के नजदीक आ गए थे, 

तो मैंने कहा " नीतू दी शहर आ रहा है और बहुत से जानने वाले मिल जायँगे, आप गाड़ी को साइड में रोकिये और हम लोग अपनी अपनी सीटों पर बैठ जाते है  है"

नीतू बोली " ठीक है" 

इस बार भी उसने झटके से ब्रेक मारा  तो मेरा हाथ सीधा उनकी  पिगली हुई बुर पर चला गया और वो सिहर उठी. 

लेकिन इस बार मुझे इस बार ऐसा लाग जैसे कि नीतू ने जान बूझ के झटके से ब्रेक मारा  है
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#12
Part - 10

उस झटके के बाद गाड़ी रुक गयी, नीतू मेरी गोद से उतर गयी और दूसरी तरफ की सीट पर बैठ गयी, थोड़ी ही देर में हम लोग घर पहुँच गए,

घर आते ही मैंने गाड़ी रोकी और सामान उतरने लगा लेकिन, वो उतर के सीधे ही बिना कुछ बोले घर में घुसी,

मैंने सोचा भाई से मिलने की जल्दी में वो भाग गयी

तभी राज मेरे पास आया और बोला “अकेला ही आ गया क्या नीतू दी कहा है”

मैंने कहा “ अभी तो जल्दी से उतर कर अन्दर गयी है”

राज बोला “ मुझे तो नहीं दिखाई दी” ठीक है चल अंदर चाय पीते है,”

मैं और राज सामान ले के घर के अंदर आ गए तो नीतू अन्दर भी नहीं थी,

मेरी और राज की नजरे उससे ही ढून्ढ रही थी,

मैं बोला “ मैं बाथरूम जाके आता हु”

जैसे ही मैं बाथरूम के पास गया तो अन्दर से सिस्कारियो की आवाज आ रही थी, मैं समझ गया ये नीतू ही है,

मैंने जल्दी से रोशनदान में से देखा तो, उसने साड़ी और घाघरा उपर उठा लिया था और अपनी पेंटी को साइड पर कर दी थी. उसकी एक ऊँगली बुर में डाली हुई थी. और वो एक हाथ से अपने बूब्स मसल रही थी और दुसरे हाथ की ऊँगली से बुर हिला रही थी. एक मिनिट में उसकी चूत ने कामरस छोड़ दिया था जिसे उसने चाट लिया.

मैं वहां से हट गया. और वापस आ के राज से बोला “ बाथरूम तो लॉक है” शायद नीतू दी है अन्दर”

तभी राज की बीवी रजनी भाभी चाय ले के आ गयी और बोली “ हाँ वो नीतू दी है अन्दर”

हम लोग बैठे बैठे चाय पी रहे थे तभी नीतू भी आ गयी और बोली “सॉरी में जरा जल्दी में थी”

मैंने देखा उसके चेहरे पर वासना साफ़ नजर आ रही थी, और थोड़ी सी थकी हुई

मैं चाय पी के सबको शाम में मिलने के लिए बोलके अपने घर पर आ गया, रस्ते में मैंने कामिनी को दुकान पर देखा, हम दोनों की निगाहे टकराई और आँखों ही आँखों में उसने इतने सवाल पूछ लिए कि क्या बताऊ? मैंने भी उस्सी तरह से जवाब दिया और शाम को मिलने का इशारा करके अपने घर आ  गया,

मेरी माँ घर के बरामदे में बैठी किसी से फोन पर बात कर रही थे,

मैं बोला “माँ मैं बहुत थक गया हु, सोने जा रह हु,

माँ बोली “ठीक है “

मैं सीधा कमरे में गया, कपडे बदले और पलंग पर गिर के पजामे के अन्दर हाथ डाल नीतू को याद करके कर मुठ मार रहा था, और रहा नहीं गया तो लंड को पजामे से बाहर निकल कर मुठ मारने लगा, तभी मुझे लगा जैसे दरवाजे के पास से कोई मुझे देखा रहा है, मैंने देखा तो वह कोई नहीं था,

मैं फिर से मुठ मारने लगा, और फिर नीतू को याद करते करते झड गया और की क्या कहू साला इतना माल पहले कभी नहीं निकला, मुझे फिर से लगा दरवाजे पर कोई है तो मैं उठा कर दरवाजे के पास गया, वहाँ कोई नहीं था,

तभी माँ के पास से आवाज आयी, मैं जब माँ के पास गया तो देखा कि माँ के पास अब मेरी भाभी रीना, नेहा भाभी और मेरी बहन भी बैठी थी, अब कैसे पता चले कौन थी जो दरवाजे के पास से मुझे मुठ मरते देख रही थी,

मैं चुपचाप कमरे में आके सो गया,

शाम को भाभी ने आ के जगाया और बोली “ चाय पी लो”

मैंने उठ कर देखा तो वह कोई नहीं था और साथ ही टेबल पर चाय रखी थी,

मैं चाय पीने लगा, और फिर कपडे बदल कर राज के घर की कामिनी की दुकान पर चला गया, सब दोस्त उधर ही थे,

श्याम बोला “ यार तू ये कामिनी पर कोनसा जादू करके गया था, जब देखो तेरे बारे में ही पूछती रहती थी, अबे हमे भी बता,

मैं बोला “ भाई ऐसा कुछ है है, इसका पति भी दुबई में है और मेरे भैया भी, इसलिए पूछती होगी”

बाकी कुछ खास बाते हुई नहीं, इसलिए मैं वापस अपने घर आ गया,

घर आते भाभी ने खाना ला दिया और मैं कहने लगा,

भाभी मुझे छेड़ते हुवे बोली “बड़ी देर तक सोये दोपहर में, इतने ज्यादा कैसे थक गए” अभी तो शादी होनी बाकी है, अभी से ऐसे थकने लगे तो हो गया काम,
मैं बोला “इतनी देर तक गाड़ी चलाई थी न और आप तो जानते हो कि हर किसी के घर मुझे नींद भी नहीं आती इसलिए कल रात को भी बराबर नहीं सो पाया, “
जाने मुझे ऐसा क्यू लग रहा था कि दोपहर में मुझे मुठ मारते समय भाभी ही देख रही थी,

खाना खाने के बाद मैं माँ को बोलकर राज से मिलने उसके घर आ गया, वह कोई नजर नहीं आ रहा था, मैंने देखा राज के कमरे का दरवाजा बंद है, अन्दर से आवाजें आ रही थी, और अगर ये कहूँ की चुदाई की आवाजें आ रही थी तो गलत नहीं होगा,

मैंने घडी में देखा 9.30 ही हुवे है और ये लोग शुरू भी हो गए, बिना कोई आवाज किये मैं वापस जाने लगा तो सोच एक बार नीतू को देख लेता हु वो क्या कर रही है

फिर मैं उस कमरे की तरफ गया, देखा तो वो पलंग में उलटी लेटी हुई थी.

उसकी सेक्सी गांड देख के मेरा लंड फिर से टाईट हो गया.


तभी नीतू ने मुझे बिना देखे बोला “ बड़ी देर लगा दी आने में”

मैं बोला “क्या, आपको कैसे पता की मैं ही हु और मैं जरूर आऊंगा  ??”

नीतू एक पुराना गाना गाते हुवे बोली “मेरा जलवा जिसने देखा वो मेरा हो गया”

मैंने वही दरवाजे पे खड़े हुवे बोला “, क्या हुआ नीतू दी, कार ड्राइव करने में मजा आया की नहीं.”

उसने पलटते हुवे मुझे देखा और अपने कपडे सही करने लगी,

नीतू एक स्माइल देते हुवे बोली “मजा तो बहुत आया लेकिन”

मैं बोला “ लेकिन “?????

नीतू बोली “दरवाजा बंद कर दे ठण्ड बहुत है “

मैं फिर बोला “ लेकिन क्या नीतू दी ??“

नीतू बोली “क्या लेकिन लेकिन कर रहा है तू “

मैं बोला “ आपने ही तो बोला लेकिन” और आप रुक गयी”

नीतू बोली “तुझे में सुन ने की हिम्मत नहीं है इसलिए रुक गयी “

मैं बोला “ अरे आप बोलो तो सही सन्नी में बहुत हिम्मत है”
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#13
Part - 11

नीतू बोली “अगर इतनी ही हिम्मत है तो गाड़ी में हिम्मत क्यू नहीं दिखाई “ जब एक लड़की इतना सज संवर के तुम्हारी गोद में बैठी थी” तुमसे तो कुछ हुवा नहीं इसलिए घर आते ही बाथरूम में जाके अपने आप को शांत करना पड़ा,

वो एक सांस में इतना बोला गयी की मैं भी एक बार सोच में पड़ गया,

फिर मैंने कहा “मैं भी कुछ कहना चाहता हूँ.”

वो बोली,  “क्या?”

मैं कहा “ तुम मुझे पसंद हो और मैं एक बार प्यार कर लेना चाहता हूँ.”

वो कुछ नहीं बोली, मैंने उसकी ख़ामोशी को हाँ समझते हुवे धीरे से उसकी बड़ी गांड पर हाथ रख दिया तो उसने एक आह भरी,
और फिर उसके करीब उसके पलंग पर लेट गया और उसके होंठो के ऊपर चूम लिया. उसने अपनी आँखे बंद कर रखी थी,

मैंने ग्रीन सिग्नल देख के अपना हाथ उसके बूब्स पर रख दिया. मैं नीतू के होंठो को चूसते  हुए उसके मांसल मम्मो को दबा रहा था, उसकी तरफ से कोई सपोर्ट न देखते हुवे, मैं उठ कर जाने लगा,

उसने आँखे खोलते हुवे बोला “क्या हुवा, हिम्मत इतने में ही फुर्र हो गयी”

मैंने कहा “मैं दिखता हु मेरी हिम्मत तुझे “

हम दोनों के बदन तप तो पहले से रहे थे सेक्स की गर्मी में. मैं वापस उसके उपर लेटते हुवे एक जोरदार किस किया, और उसकी नाईटी जो की एक एक कुरता पजामा थी, उसके उपर से ही फिर से उसके बोबे दबाने लगा, और वो फिर से आंख बंद करके सिस्कारिया भरने लगी,

मैंने हाथ ऊपर करवा के कुर्ते को उतार दिया. अब मैं उसकी जामुन रंग की ब्रा को पकड के उसकी चुंचियां दबाने लगा. फिर मैं उसकी जांघे मसलते हुए पजामे का नाडा भी खोल दिया.

नीतू  ने अपना पाजामा खुद उतार फेंका . अब वो मेरे सामने अपनी अंडर गारमेंट्स में ही थी और बड़ी हॉट दिख रही थी.

मैंने उसे चुमते हुए इन दो कपडे के टुकड़ों को भी उतार फेंका और वो मेरे सामने पूरी नंगी   हो गई.

सच में उसकी नंगी चूत एकदम सेक्सी थी और किसी का भी लंड उसे देख के ही खड़ा हो जाए ऐसा था.

अब मैं भी बिस्तर से खड़ा हो के पूरा नंगा हो गया.

नीतू का हाथ पकड़ के मैंने उसे अपना लंड पकडवा दिया. वो मेरे लंड को धीरे से हिला रही थी.

मैंने कहा, “ नीतू मेरी जान इसे अपने मुंह में ले लो ना.

नीतू बोली “ नीतू दी से नीतू मेरी जान” बड़ी जल्दी”  और ऐसा बोलकर उसने मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया और कुल्फी के जैसे चूसने लगी,

थोड़ी देर अपना लंड चुसाने के बाद मैं बिस्तर पर लेट गया और वो मेरे उपर, और हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए,

मैंने उसकी दोनों टांगो को फैला के उसकी चूत के ऊपर अपने होंठो को लगा के चाटने लगा.

नीतू मेरे लंड चूसते हुवे सिस्कारियां लेने लगी. मैं उसकी चूत को एकदम जोर जोर से चाट रहा था.

काफी देर तक हम लोग चुसना चाटना करते रहे,

नीतू बोली  अब नहीं रह जाता दे दे तेरा ये मुसल लंड मेरी चूत में” कब से इस से चुदवाने की तमन्ना है “

मैंने भी बिना देर करते हुवे अपने लंड को उसकी चूत पर लगा दिया.

और एक ही धक्के में आधा लंड उसकी चूत में उतार दिया, नीतू के मुंह से एक हलकी सी चीख निकली,

नीतू बोली “मैं कही भागी थोड़ी जा रही हु, अब जो तेरे लंड के निचे आयी हु तो इसका सारा रस निचोड़ कर ही जाउंगी, इसलिए आराम से कर,”

फिर से लंड को एक  धक्का मारा और लंड पूरा का पूरा उसकी चूत में और वो फिर से हलकी सी चीख मरते हुवे आँखों में आंसू ला के बोली

नीतू  “ बोला न धीरे से” कितना गरम लंड है तेरा जैसे कोई राड हो,

मैंने बिना उसकी बातो पर ध्यान दिए उसके दोनों बूब्स को पकड़ के दबाने लगा. कुछ देर में वो लंड की गर्मी से एडजस्ट हो गई और उसकी सिसकियाँ शांत हो गई. मैंने मौका देख के एक और धक्का दे दिया. मेरा पूरा लंड नीतू की चूत में घुस चूका था.

मेरा लंड राकेश जी के लंड से थोडा मोता और लम्बा था, उसकी सिसकारी एक दम से चीख में बदल गयी,

नीतू भी कोई कच्ची खिलाडी नहीं थी, बरसो से चुद रही है, फिर भी पता नहीं क्यू चीखी, फिर वो मेरे सीने पर मुक्के मारने लगी और बोली चिल्लाने लगी.

नीतू बोली “तू सुधरेगा नहीं”

मैं बोला “ क्या यार इतनी मस्त चूत है के मैं अपने आप पर काबू नहीं रख पाया और मैं क्या कोई भी नहीं रख पायेगा “

फिर से उसकी जरा भी परवाह नहीं करते हुवे और चप चप की आवाज से धक्के देने लगा.

कुछ मिनिट की चुदाई के बाद वो शांत हुई और मेरे धक्के ऐसे ही चालु थे.

अब नीतू भी चुदाई में मेरा पूरा साथ दे रही थी. मैं

उसके दोनों मम्मो को जोर जोर से दबा रहा था. कुछ ही देर में नीतू  की बुर में से पानी निकल पड़ा.

लेकिन मेरा अभी तक नहीं हुआ था इसलिए मैं उसे चोदता गया.

चूत से पानी निकलने के बाद तो मेरा चुदाई का मजा और भी बढ़ गया क्यूंकि वो अब और भी चिकनी जो हो गई थी.  

मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और एकदम जोर जोर से घुटनों का पूरा प्रेशर दे के उसकी  बुर को ठोकने लगा. वो जोर जोर से सांसे ले रही थी.

मैंने उसके बूब्स को जोर से मसल दिए और उसके होंठो से अपने होंठो को लगा दिया.

लिप किस करते हुए ही मेरे लंड का पानी नीतू की चूत में ही छोड़ दिया, नीतू ने अपनी दोनों टांगो को मेरी कमर के ऊपर घुमा के लोक कर लिया. और वो भी मेरे साथ ही सेकंड टाइम झड़ गई.

उसने अपने उपर से मुझे धक्का देते हुवे बोली “साले मादरचोद ये क्या कर दिया मेरी चूत में ही छोड़ दिया अगर मैं माँ बन गयी तो किसी को भी मुंह नहीं दिखा पाऊँगी, फिर मेरा पति भी मुझे छोड़ देगा, मेरी जिन्दगी तो बर्बाद हो जाएगी”

उसकी बाते सुनकर मेरी हालत तो खराब हो गयी, मेरी हालत देख के  वो हँसते हुवे बोली “क्यों फट गयी न”

मैं बोला “क्या ??

नीतू बोली “गांड और क्या ??

मैं बोला “मान गया आपको, पहले चुदाई फिर झटके” इतने झटके तो मैंने भी नहीं मारे आपको चोदते हुवे”

नीतू बोली “ अभी इस मस्त चूत को और मस्ती में चोद”

मैं बोला “जो आज्ञा महारानी जी”

मैंने अपने मोबाइल से मेरी भाभी को फ़ोन करके बोला की “मैं आज रात एक दोस्त के साथ ही रुकूंगा और सुबह ही आऊंगा घर” मेरी भाभी ने हमेशा की तरह संभाल लिया,

लेकिन मुझे इस मस्त चुदाई के बाद अपने आप ही नींद आ रही थी, लेकिन पास में जब इतनी मस्त चूत हो तो सोता कौन है, आज की रात राज की बहना और बीवी दोनों चुदेगी और पूरी रात चुदेगी, . बहुत दिनों के बाद लंड को शान्ति मिली थी.
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#14
Part - 12

दूसरी तरफ राज रजनी की ताबड़तोड़ चुदाई कर रहा था क्योंकि कल रजनी पूरे एक महीने के लिए अपने मायके चली जाएगी, मेरे दिल में हुवा की क्यों न उनकी चुदाई देखी जाए, इधर नीतू एक बार की चुदाई से थोडा थक कर आराम कर रही थी,
मैं बोला “मैं आता हु, एक सिगरेट फूंक के,


मैं उठा और राज के कमरे के पास जाकर देखने लगा की अंदर कैसे झाँका जाए, फिर याद आया बालकनी में एक खिड़की है वो शायद खुली हो पर हाय ये मेरी बदकिस्मती इतनी ठण्ड में कौन खिड़की खुली रखेगा,

फिर मैंने दरवाजे के पास खड़ा होकर सुनने लगा, जैसे हे दरवाजे को हाथ लगाया वो लॉक नहीं था और थोडा सा खुल गया, मेरी तो चांदी हो गयी,

जैसे ही मैंने वहां देखा तो मैं दंग रह गया. राज  ने रजनी को अपनी बांहों में भर कर पकड़ा हुआ था और वो उनके होंठ चूसे जा रहा था.

रजनी  “अरे.. छोड़ो यार.. दरवाजा तो बंद कर लो.

राज  “अरे यार कोई नहीं आएगा, नीतू भी सो गयी है, चलो अब नाटक मत करो.

रजनी   “ये क्या कर रहे हो, इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद अब मेरी चूत सूज गई है प्लीज़ अभी नहीं सुबह को करेंगे.. और तुम दरवाजा तो बंद करो, अगर नीतू आ आ गयी तो,

राज  “अरे वो भी तो देखे कि उसकी भाभी क्या माल है.. और उसने देख भी लिया तो मेरा लंड देखकर बेहोश हो जाएगी.

रजनी  “अरे छोड़ो ना.. वरना मैं हाथ भी नहीं लगाने दूँगी.....और जाओ उसी के पास जिसे बेहोश कर रहे हो,

रजनी  “तू तो क्या तेरी बहन भी चुदेगी साली.. रांड नखरे दिखाती है...

रजनी  “साले बहन के लौड़े सारा दिन लंड चूत में डालने के लिए ही घूमता है, अरे मैं कहां भागी जा रही हूँ.. अभी पूरी रात पड़ी है.....

राज  “तो साली मुंह में लेकर मेरा लौड़ा शांत कर दे......और बस आज की रात ही तो है कल तो तू चली जाएगी पूरे एक महीने के लिए, तब तो हाथ से काम चलाना पड़ेगा न,

रजनी “ क्यों नीतू है न, अभी तो उससे लंड दिखा के बेहोश कर रही थे,

राज “ हाँ यार साली वो भी चुदक्कड तो हो गयी है, देखा नहीं कैसे साली आते ही बाथरूम में जाके चूत में उँगली कर रही थी,

रजनी “वो तो है, लगता है सन्नी ने जरूर रास्ते में कुछ न कुछ किया होगा, तभी तो इतनी चुदासी लग रही थी, वासना उसके चेहरे से टपक रही थी, वैसे सन्नी का लंड भी मस्त होगा न,

राज “देख साली रांड, तेरी चूत कैसे सन्नी का नाम सुन कर फडकने लगी है,

मैंने सोचा “बेटा सन्नी अगर ये एक दूसरे को उकसाने के लिए ऐसा कर रही है तो ठीक है नहीं तो साला रजनी की चूत का तो वो हाल करूँगा कि साली हमेशा मेरा हे लंड मांगेगी,

मैं उन दोनों की बाते सुनने में इतना खो गया था की पता ही नहीं चला ये सब कब से मेरे पास नीतू भी सुन रही थी और नाईटी के उपर से अपनी चूत को रगड़े जा रही थी,

नीतू “’साली रांड मेरे भाई को मेरा ही नाम ले के गरम कर रही है और चूत फ़डवा रही है”

मैं बिना कुछ बोले उन लोगों को देख रहा था और उनकी बाते सुन रहा था और इशारे से नीतू को भी चुपचाप देखने के लिए बोला,
 
कमरे के अंदर इस तरह से वे दोनों अपनी चुदास की मस्ती में न जाने क्या क्या बड़बड़ाते हुए एक दूसरे को चूमते चाटते रहे और न जाने क्या क्या बोले जा रहे थे. उनकी हरकतों से मेरा भी लंड खड़ा हो गया था.

तभी राज ने चड्ढी उतर दी  अपना 9 इंच का लौड़ा बाहर निकाला.

नीतू उसे देखते ही घबरा गया और बोली “’ की इतना मोटा ओर बड़ा लंड रजनी भाभी कैसे अपनी चूत में लेती होंगी”

राज ने रजनी को घुटनों के बल बिठा कर उसके मुंह में अपना लौड़ा दे दिया.

राज “ओह चूस मेरी रांड चूस.. इस लंड का पानी निकाल दे.. बहुत ही परेशान करता है.. आह.. जल्दी से चूस.. ह्म्म्म्म..

रजनी  “ओह मेरे राजा कैसा मस्त लौड़ा है.. तेरा अगर तू मेरा पति ना होता तो भी मैं तुझसे ही चुदवाती.. आह आह..

रजनी लंड को सहलाते हुए न ज़ाने क्या क्या बोल रही थीं, पर मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरा हाथ मेरी पैन्ट में जाकर मेरे लंड को सहलाने लगा.

करीब 10 मिनट के बाद

राज ने कहा “ओह जानू, मैं छूटने वाला हूँ.”

रजनी  “तुम अपना सारा रस मेरे मुँह में छोड़ दो.”

राज ने अपना सारा रस रजनी के मुँह में छोड़ दिया और रजनी सारा रस बड़े आराम से पी गईं. फिर राज का लंड साफ करके उठ गईं. राज ने रजनी को किस किया

राज  “ओह आज तो मज़ा आ गया… क्या लंड चूसती हो, पर आज पूरी रात मैं तुझे जन्नत की सैर कराऊंगा.

इतना सुनते ही मेरे लंड और नीतू की चूत ने भी पानी छोड़ दिया और हम लोग वहां से चले गए और नीतू के कमरे में धुआँधार चुदाई कर रहे थे.

सच बताऊ उस समय में छोड़ नीतू को रहा था और सोच रजनी के बारे में रहा था कि रजनी कितनी मस्त माल हैं और आज रात को इन दोनों की चुदाई का नजारा देखने को मिल जाए बस.

उधर नीतू भी शायद यही सोच रही थी, मेरे एक जोरदार धक्के से उसके मुंह से निकला

नीतू  “और राज मेरे भाई ऐसे ही चोद अपने मुसल लंड से मुझे, आज मेरे बहनचोद भाई”

ये बोलते हुवे नीतू झड गयी और मैं भी,

फिर नीतू बोली “ चलो ने फिर से उनकी चुदाई देखते है”

मैं बोला “क्यों भाई का लंड लेना है”

नीतू बोली “चूत और लंड का रिश्ता सबसे बड़ा होता है,

मैं बोला “ साले इस चुदाई ने तो सारे रिश्तो का सत्यानाश कर दिया”

हम दोनों चुपचाप फिर से राज के दरवाजे पे आँखे गदा कर देखने लगे,

मुझे आज पता चला की ये साला राज एक नम्बर का रंगीन मिजाज का इन्सान है चुदाई के मामले में,

अंदर देखा तो

राज ने गिलास से दारू का घूँट भरा और रजनी के मुँह से मुँह लगा दिया.

हम देख रहा थे  कि दोनों में कितना प्यार था. रजनी भी राज के मुँह से ही दारू पी रही थीं.

अगला घूँट राज ने लिया और रजनी के चुचों के ऊपर गिरा दिया. अब वो रजनी के मम्मों पर गिरी हुई दारू को चाटते हुए रजनी की चूचियों को पी रहे थे.

ये सब इतने कामुक ढंग से हो रहा था कि मेरे लंड की तो समझो वाट लग गई थी. मेरा लंड भी अब चुत चुत चिल्ला रहा था. मैंने अपने लंड को मुठियाना शुरू कर दिया.

उधर रजनी अब राज की गोद से नीचे बैठ गई थीं और राज ने अपनी दोनों टाँगें खोल कर अपना लम्बा मूसल रजनी के मुँह के सामने लहरा दिया.

रजनी ने अपनी जीभ को राज के लंड के सुपारे पर फेरी और तभी राज ने अपने मुँह में भरी दारू अपने लंड पर गिरा दी, जिससे रजनी को लंड के साथ दारू का मजा भी मिलने लगा.

एक मिनट बाद रजनी ने एक काजू खाया और राज से सिगरेट मांगी. राज ने एक लम्बा कश खींचा और रजनी को सिगरेट पकड़ा दी.

अब रजनी ने सिगरेट का सुट्टा खींचा और धुआँ राज के लंड पर छोड़ते हुए लंड को अपने मुँह से चचोरने लगीं.....

रजनी का ऐसा रूप देख कर हम दोनों की हवा एकदम टाइट थी, और मुझे राज की किस्मत पर नाज था की साले को ऐसी पत्नी मिली है  

उधर बड़ा ही लंड फाडू सीन था यार.. ऐसा तो अब तक किसी ब्लू फिल्म में भी देखने को नहीं मिला था जिसमें मर्द के द्वारा लंड पर मुँह से दारू गिराई जा रही हो और औरत उस लंड से दारू के साथ सिगरेट का मजा लेते हुए लंड चुसाई का मजा दे रही हो.
सच में अद्भुत नजारा था.

कुछ देर बाद रजनी और राज दोनों दारू के नशे में टुन्न हो गए और गालियां बकते हुए चुदाई की मस्ती में लीन हो गए.

उन दोनों को दीन दुनिया का कोई होश नहीं था और वे दोनों घर में नीतू की उपस्थिति को भी भूल चुके थे.

राज “आह.. साली रंडी.. चूस मादरचोद.. क्या मस्त लंड चूसती है कुतिया.. तेरी चुत में एकाध बार पूरी बोतल घुसेड़ दूंगा.

रजनी “आह.. भोसड़ी के तेरा लंड ही मेरी चुत की माँ भैन एक कर देता है.. माँ के लौड़े.. साले अब क्या मेरी चुत फाड़ने का इरादा है..

राज ने रजनी के मम्मे दबोचे

राज  “भैन की लौड़ी, अब तेरी चुत में एकाध दोस्त का लंड भी पिलवा दूंगा.. तुझे भी दूसरे लंड का मजा आ जाएगा.

रजनी  “साले हरामी, सीधे सीधे क्यों नहीं कहता कि तुझे दूसरी चुत चोदने की चुल्ल हो रही है. पहले दोस्त को बुलाएगा फिर अपनी बहन को खुद के लंड के लिए बुला लेगा.. मैं सब समझती हूँ.. तू बहुत ही बड़ा चोदू है कुत्ते!

राज हंसते हुए बोला “साली रंडी सब जान जाती है..

रजनी  “मैं एक ही शर्त पर राजी होऊंगी.

राज  “बोल क्या शर्त?

रजनी “तू मुझे सन्नी के लौड़े से चुदवाएगा.. तभी मैं राजी होऊंगी.

राज “मतलब?

रजनी बोलीं  “एक काम कर, गोवा चलने का ट्रिप बना ले. उधर सन्नी का लंड और नीतू की चूत का मजा लेंगे.

राज रजनी की बात सुनकर खुश हो गया.. मैं और नीतू भी

राज बोला  “लेकिन उसकी पहले से सैटिंग करनी पड़ेगी. ऐसा तो है नहीं कि सन्नी और नीतू ऐसे ही मान जायेंगे, “””””””””लेकिन साली तू तो कल मायके में जाके पता नहीं किस किस से चुद्वायेगी,”” मुझे भी कुछ सोचना पड़ेगा,

मुझे ऐसा लगा रहा था की रजनी को पता है मैं उन्हीं के घर पर हु और नीतू की चुदाई कर रहा हु और अब उनकी चुदाई देख रहा हु, क्योंकि मेरे बारे में की गयी हर बात वो इस अंदाज से और दरवाजे की तरफ देख के ही कह रही थी,

उधर से नीतू फुसफुसाते हुवे “ हाय भैया एक बार बोलो तो सही आपकी ये बहन आपको भी भी भाभी की कमी महसूस नहीं होने देगी”

मैंने पलट कर देखा “तो नीतू चूत में उँगली करते हुवे बडबडा रही थी  

रजनी बोली  “मेरा तो सिर्फ आइडिया है, प्लानिंग तो तुझे ही करनी पड़ेगी,

राज  “ओके डार्लिंग अभी चुत चुदाई का मजा लेने दे.

रजनी ने चुत पर हाथ मारा और बोलीं  “आ जा मेरे सांड.. तेरे लंड की कब्र खुली पड़ी है.

राज ने रजनी को उठा कर चित लिटा दिया और लंड को रजनी की फुद्दी में ठोकते हुए उनके ऊपर चढ़ गया. धकापेल चुदाई चालू हो गई.
उन दोनों की चुदाई खत्म हुई और वे दोनों चिपक कर सो गए.

मैं भी लंड हिलाता हुआ कमरे में आ गया  और फिर से नीतू के उपर चढ़ गया,
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#15
Part  - 13

मैं जब तीसरी बार नीतू को चोद रहा था तभी मुझे लगा की हमे भी कोई देख रहा है, हो न हो ये रजनी ही हो सकती है, खैर उसका तो पता चल ही जायेगा,

फिर पूरी रात चुदाई चली, मैं सुबह जल्दी ही मेरे घर आके देर तक सोता रहा,

उस दिन एक तो इतवार की छुट्टी थी और दूसरा नीतू की चुदाई के कारण मैं रात भर ठीक से सोया भी नहीं था, इसलिए अगले दिन मैं काफी देर तक सोता रहा‌.

बारह बजे के करीब जब मेरी नींद खुली और जब तक मैं तैयार होकर अपने कमरे से बाहर आया तो दोपहर के खाने का समय हो गया था.
मेरी भाभी और माँ साथ में ही खाना खा रही थीं, इसलिए मैं भी अब उनके साथ ही खाना खाने के लिए बैठ गया.

“तबीयत कैसी है अब तुम्हारी?” माँ ने पूछा.

मैं समझ गया की ये सब भाभी की प्लानिंग थी की मेरी तबियत ख़राब है इसलिए मैं देर तक सोया था दवाई खाके ताकि कोई मेरे कमरे की तरफ जाके मुझे डिस्टर्ब न कर सके

मैं आँखों से इशारे में कहा “भाभी आई लव यू”

“जी … अब बिल्कुल ठीक है.” मैंने बिल्कुल सामान्य सा ही जवाब दिया‌‌.

“अरे … भाभी ठीक‌ क्यों नहीं होगा? कल से ही नीतू इसे दवाई दे रहे हैं.” रजनी भाभी  ने घर में आते हुवे शरारत से मेरी तरफ देखते हुए कहा, जिससे मेरी फट गयी और मैं रजनी भाभी की तरफ देखने लगा.

रीना भाभी भी मेरी तरफ देख रही थी. उसे ये तो पता चल गया था कि रजनी ने बातों ही बातों में क्या ताना मारा था. मगर उसे ‘दवाई’ के बारे में कुछ समझ नहीं आया था. इसलिए वो गुस्से से मेरी तरफ देखने लगी.

अब साली ये यहाँ क्यों आयी है, ये तो मायके जा रही थी ना,

रीना भाभी “ आओ रजनी कैसी हो? कब जा रही हो मायके ?

रजनी  “जाना तो सुबह सुबह ही था लेकिन अचानक से कुछ काम आया और राज जी दो दिन के लिए शहर से बाहर चले गए, इसलिए अब दो तीन बाद ही जाना होगा,

मगर तभी …

“ठीक है … ठीक है … पता है मुझे!” माँ ने अब गुस्से से रीना और रजनी की तरफ देखते हुए कहा, जिससे दोनों सहम सी गयी और मेरी तरफ देखने लगी.

मुझे भी अब ये कुछ अजीब सा लगा था. इसलिए मैं अब रजनी की तरफ देखने लगा. वो अब फिर से मेरी तरफ घूर घूर कर देख रही थीं.

“दवाई की नहीं, इसे अब डॉक्टर की जरूरत है!” रजनी भाभी ने फिर से मेरी तरफ घूर कर देखते हुए कहा और हमारे पास बैठ गयी. जिससे मुझे अब थोड़ा डर सा लगने लगा और मैं चुपचाप खाना खाने लगा.

अब किसी ने कोई बात नहीं की, सब चुपचाप‌ अपना अपना खाना खाने लगे. मगर जब तक हमने खाना खाया, तब तक रजनी ऐसे ही मुझे घूर घूर कर देखती रहीं. रजनी के ऐसे देखने से मुझे अब डर सा लगने लगा था.

खैर खाना खाने के बाद मैं अब अपने कमरे में आ गया और रजनी के बारे में सोचने लगा. मुझे अब पक्का यकीन होने लगा था कि रजनी को हमारे बारे पता चल गया है, क्योंकि रजनी का व्यवहार और बातचीत मुझे कुछ अजीब सी लग रही थी. जब से वो हमारे घर आयी है तब से वो मुझे घूर घूर कर और कुछ अजीब सी ही नजरों से देख रही है,

अगर रजनी भाभी को सब पता चल ही गया है तो फिर अभी तक वो मुझसे, या फिर नीतू  कुछ कह क्यों नहीं रही थीं. कहीं वो राज के आने का इन्तजार तो नहीं कर रहीं क्योंकि राज आज सुबह ही किसी काम से दो दिनों के लिए शहर से बाहर चले गए था. और जैसे कि वो लोग रात को चुदाई के वक़्त बाते कर रहे थे,

उस समय रजनी और रीना दोनों रीना भाभी के कमरे में कुछ फुसफुसा रही थी, थोड़ी देर बार रजनी तो चली गयी, और जब मैं ये सब सोच ही रहा था कि तभी रीना भाभी मेरे कमरे में आ गईं. और बोली “ वो रजनी बुला के गयी है, कुछ काम है उसके घर पर”

मैं बोला “ ठीक है” और चुपचाप राज के घर चला गया’

रस्ते में फिर से कामिनी से मुलाकात हुई, कामिनी ने इशारा करके मुझे बुलाया,

मैं पास जाके बोला “क्या हुवा?”

कामिनी बोली “ बड़े जालिम हो “’ मेरी तरफ देखते भी नहीं “

मैं बोला “थोडा व्यस्त हु, बाद में बात करते है”

कामिनी बोली “नहीं अभी बात करनी है और जब भी वो मेरे बारे में सोचती है तो उसकी चूत में कुछ होने लगता है और फिर एक दम से चूत उसकी फूली फूली हो जाती है. वो मेरे बारे में सोचते सोचते अपनी चूत में उंगली करती रहती और अपनी चूत को उंगली से चोदती और चोद कर शांत कर लेती है”

वो बोले ही जा रही थी “’ आज तो रहा नहीं जा रहा… प्लीज, मेरी चूत को शांत कर दो! साली फूली फूली बैठी है, फड़फड़ा रही है, शांत होने का नाम ही नहीं ले रही, बहुत उंगलियाँ कर कर के मैं थक गई… थक गई मैं इसे चोद चोद के… इसे तो तुम्हारा लंड ही चाहिए तो प्लीज,

मैंने भी सोच एक फटाफट चुदाई हो सकती है, मैंने देखा उस समय दुकान के आस पास कोई नहीं था,

कामिनी ने तुरंत दुकान का गेट बंद किया और मुझे अपने साथ उसके कमरे में ले गयी,

मैं भी अन्दर जाते ही झट से दरवाजा बंद करके उसके ऊपर टूट पड़ा उसको सर से लेकर पाँव तक चूमा चाटा और फिर मैंने अपने कपड़े निकाले और उसके हाथ में लम्बा लंड थमा दिया.

वो मेरे लंड से खेलती रही और मैं उसके बूब्स को काटता रहा. ऐसा हमने काफी देर तक किया और फिर मैं उठा और मस्तानी चूत के अन्दर अपना लंड घुसाने लगा.

ठीक 5 मिनट के बाद मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर घुसा,

कामिनी बोली “ अन्दर घुसते ही क्या मजे देने लगा, उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऐसा मजा मुठ मारने में कहाँ!”

मैं तो लंड को अंदर रखे रखे ही बीस मिनट तक ऐसे ही उसके ऊपर लेटा रहा और फिर थोड़ी देर के बाद उसकी चूत को चोदने लगा. लंड को उसकी चूत के अन्दर बाहर कर करके चोदने लगा तो क्या मजा आ रहा था.

उसकी चूत में से पहले से ही सफ़ेद पानी निकल रहा था जो जब मैं लंड को अन्दर बाहर कर रहा था तब वो पच… पच… पच… पच… की आवाज कर रहा था जो माहौल को और भी सेक्सी बना रही थी.

उसकी चूत में लंड को अन्दर बाहर करते करते ही मैं उसकी चूत में ही झड़ गया.
वहाँ से निकल कर सीधा राज के घर पर गया,

मैं बोला “हाँ रजनी भाभी क्या काम था??”

रजनी ने गुस्से में मेरी तरफ देखते हुवे कहा “कुछ नहीं” बस वो जब तक आपके दोस्त नहीं आते आपको हमारे यहाँ ही सोना होगा, मैंने आपकी माँ को बता दिया है,

मैंने कहा “ठीक है”

फिर मैंने सोचा शायद रजनी राज के वापस आने का इन्तजार कर रही हैं, इसलिए ही वो मुझे ज्यादा कुछ कह नहीं रही थीं. अगर सही में रजनी भाभी को हमारे बारे में पता चल गया है, तो कल राज आने के बाद मेरी मेरी दोस्ती का खतरे में पड़ना तय ही था.

डर के कारण मेरा गला अब सूख गया था और मुझे अब अपनी पिटाई होना तय ही लगने लगा था. मेरी सोच ने मेरी बुद्धि खराब कर दी थी. पिटाई तो ठीक है, मगर मुझे जब यहां से निकाल देंगे तो मैं अपने घर पर क्या जवाब दूँगा? अब ये सोच कर तो मैं अन्दर तक‌ ही हिल सा गया.

“अब क्या करूँ? क्या ना करूँ?” ये सोच सोचकर मेरा दिमाग खराब हो रहा था कि तभी मेरे दिमाग आया.

“अगर रजनी भाभी को सब पता चल ही गया है और मेरी पिटाई होना तय ही है, तो क्यों ना मैं रजनी भाभी को ही पटाने की एक आखिरी कोशिश कर लूँ?”

तभी मेरे दिमाग की बत्ती जली की हो न हो ये सब उनके प्लान का हिस्सा है जिस्म राज नीतू की चुदाई करेगा और रजनी मुझसे चुद्वायेगी, फिर भी साला एक डर जैसा था,

वैसे भी रजनी के साथ ऐसा कुछ करने के विचार तो मेरे दिल में तब से ही थे, जब से वो राज से शादी करके नयी नयी आयी थी क्योंकि मेरे साथ रजनी का व्यवहार की कुछ ऐसा था. उनका मुझसे वो खुलकर बातें करना, हंसी मजाक करना … और बातों बातों में मुझे छेड़ना कुछ अलग सा ही था. वैसे भी देखने में रजनी बहुत खूबसूरत हैं.

जब इस दिशा में सोचना शुरू किया तो दिमाग आगे सोचता ही चला गया

मैं काफी बार सोचता रहता था कि क्यों ना मैं रजनी के साथ अपने प्यार की पींग बढ़ाने की कोशिश कर ली‌ जाए. मगर नीतू, सुमन आंटी और कामिनी में उलझे रहने के कारण कभी कोशिश करने का समय ही नहीं मिल पाया था.
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#16
Part - 14

अब वैसे भी मेरी पिटाई तो होना तय ही है. अगर कुछ गड़बड़ भी हो जाएगी तो अब इससे ज्यादा कुछ फर्क‌ नहीं पड़ने वाला और अगर … अगर मैं कामयाब हो जाता हूँ तो … एक चूत और मेरे लंड के नाम हो जाएगी. लोगों की दो उंगलियां घी में होती हैं मगर मेरी तो चारों  हो जाएंगी … सुमन आंटी, कामिनी, नीतू और रजनी,


मतलब मैं ऐसे दोराहे पे खड़ा से जहां पे डर के मारे गांड भी फट रही थी की अगर ये सब मेरे मन का वहम है तो मर जाऊंगा
और ये सोच कर हिम्मत भी बढ़ रही थी कि कही ये उनका प्लान तो नहीं है,


रजनी अभी दरवाजे पर ही पहुंची‌ थीं कि अब ये बात मेरे दिमाग में आते ही मैंने बिजली की सी फुर्ती से उठकर रजनी को दरवाजे पर ही पकड़ लिया.

अचानक हमले से रजनी अब बुरी तरह घबरा गईं- य ये ये … त त तुम्म्म … क्क्या कर रहे होओओ? छ छछोड़ मुझे … उउऊ ऊह्ह्ह …
रजनी ने मेरी‌ बांहों में कसमसाते हुए कहा.

“कुछ‌ नहींई … मैंने रजनी को अपनी बांहों में भरकर जोरों से भींचते हुए कहा.

“आने दो कल राज को, अब वो ही खबर लेंगे तुम्हारी?” रजनी ने अपने आपको छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा.

मैं बोला  “आपको जब कल से पता था, तो आपने कल ही राज को क्यों नहीं बता दिया, कल तो वो घर पर ही थे? मगर कल तो आप भी खिड़की से हमें देख देख कर मजा ले रही थीं.”

एक पल के लिए रजनी ने अब मेरी आंखों में देखा और फिर अपना चेहरा घुमा लिया. उनका पूरा बदन अब जोरों से कांपने लगा था.

मुझे नहीं पता था कि कल जो मुझे खिड़की से किसी के देखने का वहम सा हुआ था, वो रजनी ही थीं. मैंने तो ये अन्धेर में ऐसे ही तीर चलाया था मगर वो सही निशाने पर लगा था.

क्योंकि मैंने रजनी की मनोदशा और उनकी तरफ की सेटिंग भांप ली थी. मैंने आगे बढ़कर उनके चेहरे को एक बार फ़िर अपने हाथों में लेकर अपनी तरफ घुमाया और एकटक देखते हुए उनके जवाब का इंतज़ार करने लगा.

उनका चेहरा अब टमाटर की तरह लाल हो गया था और होंठ थरथराने से लगे थे. आंखें अब भी नीचे थीं और एक अजीब सा भाव उनके चेहरे पर उभर आया था, जैसे कि उनकी चोरी पकड़ी गई हो.

बड़ा ही मनोरम दृश्य था वो, लाल साड़ी में लिपटी लाल लाल गालों से घिरा वो खूबसूरत सा चेहरा … जी कर रहा था कि उनके पूरे चेहरे को ही चूम-चाट लूँ. मगर मेरे दिल में अभी भी एक डर सा बना हुआ था.

“छोड़ो … छोड़ो मुझे … नहीं तो मैं शोर मचाकर सबको बुला लूँगी.” रजनी ने अब कसमसाते हुए कहा. लेकिन मैंने उन्हें कस कर पकड़े रखा, मैंने भी सोच लिया था कि अब जो होगा सो देखा जाएगा.

मैं और रजनी अब एक दूसरे पर अपना अपना जोर आजमा रहे थे. मैंने उन्हें जोर से जकड़ा हुआ था और वो अपने आप को छुड़ाने का प्रयास कर रही थीं. मगर इस कसमसाहट में उनकी चूचियां बार बार मेरे सीने से रगड़ कर मेरे अन्दर के शैतान को और भी भड़का रही थीं. रजनी की सांसें धीरे धीरे अब गर्म और तेज़ होती जा रही थीं. मैं समझ नहीं पा रहा था कि अब आगे क्या करना चाहिए.

मगर तभी रजनी ने ही हथियार डाल दिए और कहने लगीं- उफ्फ … सन्नी , जाने दे मुझे … नीतू यहीं पर हैं.
रजनी ने अपने चेहरे को घुमाकर बाहर की तरफ देखते हुए कहा.

मेरे लिए तो रजनी का बस इतना कहना ही काफी था. मुझे मेरा सिग्नल मिल गया था, इसलिए अगले ही पल मैंने सीधा रजनी के होंठों से अपने होंठों को जोड़ दिया … और जब तक वो कुछ समझतीं, तब मैंने उनके होंठों को अपने मुँह में भरकर जोरों से चूसना शुरू कर दिया.

“उउऊ ऊह्ह्ह … हुहुहुँ … ऊऊउउ …” ये कहकर रजनी अब जोरों से कसमसाने‌ लगीं और अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़कर अपने होंठों से अलग कर दिया.

“उफ्फ् … समझा कर ना, नीतू यहीं पर हैं, अगर गलती से कोई बाहर आ गयी तोओ …” रजनी ने अपनी अनियंत्रित साँसों को इकठ्ठा करते हुए कहा.

“आ जाने दो … मैं नहीं डरता उनसे …” मैंने रजनी की नशीली आंखों में देखकर उनके मुलायम गाल को चूमते हुए कहा.

‘हांआ … हांआआ … तुम्हें डर क्यों लगेगा? … तुम्हें तो डर नहीं, मगर मुझे तो अपनी बदनामी का डर है …” रजनी ने अब थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा और मेरे चेहरे को अपने से दूर हटा दिया.

“आपको डर है तो ये लो.” मैंने दरवाजे को बन्द करके अन्दर से कुण्डी लगा ली और‌ रजनी को खींचकर बिस्तर की तरफ लाने लगा.

“ये ये … त् तुम्म्म क्क्या कर रहे हो … छ छछोड़ मुझे … उउऊ ऊह्ह्ह …” रजनी ने मुझसे छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा लेकिन मैं अब कहां छोड़ने वाला था.

रजनी को अपनी बांहों में पकड़े पकड़े ही मैं उन्हें बिस्तर के पास ले आया और कहा- बताया ना कि डॉक्टर की दवाई लेने की कोशिश कर रहा हूँ!

मैंने रजनी के गालों को‌ चूमते हुए कहा जिससे उनके गाल तो क्या अब तो पूरा का पूरा चेहरा ही शर्म से सिन्दूरी सा हो गया.

“आह … ये क्या कर रहा है? जाने दो मुझे … अभी मुझे ढेर सारा काम है घर में … प्लीज जाने दो अभी … फिर कभी?” रजनी ने कसमसाते हुए कहा और मेरे बांहों से निकलने का प्रयास करने लगीं. मगर मैंने उन्हें बांहों में लेकर बिस्तर पर गिरा लिया और अपने शरीर के भार से दबाकर फिर से उनके नर्म नर्म गालों पर चुम्बनों की‌ बौछार सी‌ कर दी.

मेरे चुम्बनों से बचने‌ के लिए रजनी अब बिस्तर पर पड़े पड़े ही घूम‌ कर उलटी हो गईं. मेरे लिए ये तो और भी अच्छा हो गया था, क्योंकि रजनी का ब्लाउज पीछे से काफी खुला हुआ था, जिससे गर्दन के नीचे से उनकी आधी से ज्यादा नंगी पीठ अब मेरे सामने थी.

शायद रजनी को मालूम नहीं था कि ऐसा करने से मैं उनकी प्यास को और भी भड़का दूँगा. मैंने अब उनकी नंगी पीठ पर से चूमना शुरू‌ किया और धीरे धीरे गर्दन की तरफ बढ़ने लगा जिससे रजनी और भी‌ जोरों से सिसक उठीं.

जब तक मेरे होंठ रजनी की नंगी पीठ को चूमते हुए उनकी गर्दन तक पहुंचे, तब तक तो वो सहती रहीं, मगर जब गर्दन को चूमते हुए मैं ऊपर उनकी कानों की लौ के पास पहुंचा तो रजनी की बर्दाश्त के बाहर हो गया. वो अब जोरों से सिसक उठीं और तुरन्त ही फिर से घुमकर सीधी हो गईं.

मैं भी अब थोड़ा सा उठकर रजनी के आधा ऊपर आ गया और उनकी चूचियों को अपने सीने से दबाकर उनके लाल लाल गालों को चूमते हुए उनके रसीले होंठों की तरफ बढ़ने लगा.

रजनी का विरोध भी अब कम होता जा रहा था और वो भी शायद बस वो दिखावे के लिए ही कर रही थीं. क्योंकि उनका बदन तो अब कुछ और ही‌ कह रहा था.

रजनी के गालों को चूमते हुए मैं उनके रसीले होंठों पर आ गया था, जो कि अब जोरों से थरथराने लगे थे. मगर अब जैसे ही मैंने अपने होंठों से उनके होंठों को छुआ, रजनी के होंठ और भी जोरों से थरथरा गए. उन्होंने अब खुद ही अपने मुँह को खोलकर मेरे होंठों को अपने मुँह में भर लिया और मुझे अपनी बांहों‌ में भरकर उन्हें जोरों से चूसने लगीं.

अब तो कुछ कहने को रह ही नहीं गया था. इसलिए मैंने भी रजनी को जोरों से भींच लिया और उनके रसीले होंठ को चूसते हुए धीरे से अपनी जीभ को उनके मुँह में घुसा दिया.

रजनी ने भी अपना मुँह खोलकर मेरी जीभ का स्वागत किया और उसे धीरे धीरे चूसते हुए मुझे अपनी बांहों में लेकर पलट गईं. अब रजनी मेरे ऊपर आ गयी थीं और मैं उनके नीचे था. इससे उनकी ठोस भरी हुई चूचियां मेरे सीने पर अपना दबाव बनाने लगीं.

मेरे हाथ अब खुद ब खुद ही रजनी की पीठ पर आ गए थे, जो‌ कि उनके ब्लाउज के बीच के खाली जगह को अपनी उंगलियों से गुदगुदाने लगे. जैसे जैसे मेरी उंगलियां उनकी नंगी पीठ पर घूम रही थीं, वैसे वैसे ही रजनी का बदन भी अब थिरकने सा लगा. मैं और रजनी बड़ी ही तन्मयता से एक दूसरे को चूम‌ रहे थे. ना तो रजनी को कोई जल्दी थी और ना ही मुझे!

रजनी की नंगी‌ पीठ को गुदगुदाते हुए धीरे धीरे मेरे हाथ साड़ी के ऊपर से ही अब रजनी के विशाल नितम्बों पर पहुंच गए. मैंने बस एक दो बार अपनी हथेलियों से उनके नर्म गुदाज और गोलाकर विशाल नितम्बों को सहलाया और फिर नीचे उनके पैरों की तरफ बढ़ गया.

हमारी इस गुत्थमगुत्था की लड़ाई में रजनी की साड़ी और पेटीकोट उनकी पिंडलियों तक ऊपर हो गए थे. जैसे ही मेरे हाथ उनकी मांसल जांघों पर से होते हुए थोड़ा सा नीचे की तरफ बढ़े, मेरे हाथ में उनकी साड़ी का छोर आ गया और मेरे हाथ उनकी नंगी चिकनी पिंडलियों पर घूमने लगे. इससे भाभी की पिंडलियां अपनी चिकनाहट के कारण मेरी हथेलियों को‌ गुदगुदी का सा एहसास करवाने लगीं.

मैं भी अब अपनी हथेलियों से धीरे धीरे रजनी के नंगी चिकनी पिण्डलियों को सहलाते हुए धीरे धीरे उनकी साड़ी को ऊपर की तरफ खिसकाने लगा … मगर उनकी जांघों पर पहुंच कर मेरे हाथ रुक गए. क्योंकि रजनी की साड़ी व पेटीकोट उनके नीचे दबे होने के कारण अब और ऊपर नहीं हो रहे थे. मैंने भी अब अपने हाथों को उनकी साड़ी व पेटीकोट के अन्दर घुसा दिया और अन्दर से ही उनकी चिकनी जांघों को सहलाता हुआ, फिर से ऊपर की तरफ बढ़ने लगा.

उधर ऊपर हमारे होंठ अभी भी एक दूसरे में गुत्थमगुत्था हो रहे थे, ना तो रजनी मेरे होंठों को छोड़ रही थीं और ना ही मैं उन्हें छोड़ने के मूड में था. जब मेरी जीभ रजनी के हाथ लगती, तो वो उसे जोरों से चूसने लगतीं … और जब मुझे रजनी की जीभ हाथ लगती, तो मैं उसे चूसने लगता.
हम दोनों को ही अब होश नहीं रह गया था और रजनी की तड़प तो इस चुम्बन से ही प्रतीत हो रही थी. ऐसा लग रहा था कि वो बहुत दिनों से … दिन नहीं … शायद सालों से ही प्यासी थीं. साली चुद्द्क्कड़ रांड थी कसम से, पूरी रात अपने पति से चुदवाई थी और अब मुझसे चुदने के किये तैयार है

मेरे हाथ भी अब साड़ी के अन्दर रजनी की नर्म मुलायम जांघों पर से होते हुए पेंटी में कसे हुए उनके विशाल नितम्बों तक पहुंच गए थे. रजनी ने पेंटी पहन रखी थी. मगर वो पेंटी उनके भरे हुए नितम्बों को सम्भालने में नाकामयाब सी लग रही थी. क्योंकि पेंटी उनके बड़े बड़े गोलाकार नितम्बों पर बिल्कुल चिपकी हुई थी. ऐसा लग रहा था कि अभी ही रजनी के नितम्ब उस पेंटी के झीने से कपड़े को फाड़कर बाहर आ जाएंगे.

रजनी के पेंटी में कैद उनके विशाल नितम्बों को सहलाते हुए मैं अब वापस अपने हाथों को पीछे से ही उनकी जांघों के जोड़ की तरफ बढ़ाने लगा. मगर जैसे ही रजनी के विशाल नितम्बों की गोलाई खत्म होने के बाद मेरी उंगलियां उनकी जांघों के जोड़ पर लगीं … वो हल्की सी नम हो गईं. शायद काम क्रीड़ा का खेल‌ खेलते खेलते रजनी की चुत ने कामरस उगल दिया था, जिससे उनकी पेंटी भीग गयी थी.

उत्सुकतावश मैंने भी अब अपने हाथ को थोड़ा सा और नीचे उनकी चुत की तरफ बढ़ा दिया. मगर जैसे ही मेरी उंगलियों ने उनकी गीली चुत को छुआ, रजनी ने अपने दांतों को मेरे होंठों में गड़ा दिया, जिससे मुझे दर्द तो हुआ था, लेकिन मैंने अपने हाथ को वहां से हटाया नहीं बल्कि वहीं पर रखे रहा. चुत के पास से रजनी की पेंटी बिल्कुल गीली हो रखी थी और उसमें से गर्माहट सी निकल रही थी.

मुझसे अब रहा नहीं गया, इसलिए मैंने पीछे से ही एक बार जोर से भाभी की चुत को मसल दिया जिससे रजनी मेरे होंठों को अपने मुँह से आजाद करके थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठ कर सिसक उठीं.

रजनी का पल्लू पहले से ही नीचे गिरा हुआ था. अब जैसे ही रजनी उचक कर ऊपर की तरफ हुईं, एक बार फिर से रजनी के लाल ब्लाऊज में कसी हुई बड़ी बड़ी सुडौल और भरी हुई चूचियां मेरे सामने आ गईं.

मैंने भी देर ना करते हुए अपने दोनों हाथों से उन्हें थाम लिया और सीधा ही अपने प्यासे होंठों को उनकी चूचियों की नंगी घाटी के बीच में लगा दिया.

“उह्ह … इई.श्श्शशश …” कहकर रजनी अब एक बार फिर से सिसकार उठीं और अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को अपनी चूचियों पर जोरों से दबा लिया. मैंने भी धीरे धीरे उनकी चूचियों की घाटी को अपनी जीभ निकालकर चाटना शुरू कर दिया जिससे रजनी अपनी आंखें बंद करके जोरों से सिसकारियां सी भरने लगीं.

मगर मुझे इतने से सब्र नहीं हो रहा था. मैं तो भाभी की चूचियों को पूरी ही नंगी करके उनके रस को पीना चाह रहा था, इसलिए मैं अब उनके ब्लाउज के हुक खोलने लगा.

मगर जैसे ही मैंने उनके एक दो हुकों को खोला, रजनी ने अपनी आंखें खोल लीं- येऐ … क्याआ … कर … रहे … होओओ?
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#17
Part - 15

रजनी ने भर्राई सी आवाजें में कहा.

“बताया तो था डाक्टर से दवाई ले रहा हूँ.” मैंने रजनी की आंखों में देखते हुए कहा और शरारत से हंसने लगा,

जिससे रजनी एक बार तो शांत सी‌ हो गईं.‌ शायद वो‌ कुछ सोचने‌ लगी थीं … मगर अगले ही पल वो मुझे अजीब ही नजरों से घूर घूर कर देखने लगीं. उनकी आंखों में तैरते वासना के गुलाबी डोरे अलग ही नजर आ रहे थे. वो मुझे ऐसे देख रही थीं, जैसे कि कच्चा ही खा ही‌ जाएंगी.

“अच्छा तो दवाई चाहिये तुम्हें? देती हूँ … अभी देती हूँ दवाई …” कहते हुए पहले तो रजनी ने अपने ब्लाउज के सारे हुकों को खोल दिया और फिर दोनों हाथों से अपनी ब्रा को पकड़कर एक ही झटके में ऊपर तक खींच कर अपनी चूचियों को बाहर निकाल लिया.

अब जैसे ही रजनी ने अपनी चूचियों‌ को ब्रा की कैद से आजाद किया, उनकी बड़ी बड़ी और सुडौल भरी‌ हुई चूचियां ऐसे फड़फड़ा कर बाहर आ गईं … जैसे कि वर्षों की कैद के बाद कोई पंछी आजाद हुआ हो.

“दवाई चाहिये ना? लेऐ … पीईई … पीईई ये दवाई …” कहते हुए रजनी ने अब खुद ही अपनी चूचियों को मेरे मुँह पर लगा दिया.

मैं तो जैसे जन्मों से उनके लिए ही प्यासा बैठा था …

“इईई … उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआह्ह्ह …” की मस्त सी आवाज में रजनी के मुँह से अब एक जोरों से सीत्कार निकल गयी.

ये सब इतनी जल्दी जल्दी हुआ कि मुझे कुछ सोचने और समझने का मौका ही नहीं मिल पाया. पता नहीं यह रजनी की तड़प की वजह से था या फिर मेरी ही उत्तेजना कुछ ज्यादा जोर मार रही थी, पर जो भी हो मैं आज अपनी किस्मत पर फूला नहीं समा रहा था. इसलिए मैं भी पूरे जोश में भर कर उनकी चूचियों को अपने मुँह में लेकर जोर से चूसने लगा.

रजनी की चूचियों‌ को देखने से तो दूर उनको मसलने पर भी ऐसा बिल्कुल भी प्रतीत नहीं हो रहा था कि वो इतने समय से चुदवा रही है,. उनकी चूचियां अभी भी बिल्कुल किसी कुंवारी लड़की की तरह ही कसी हुई थीं. बाहर से तो मखमल सी मुलायम‌ और अन्दर से एकदम ठोस भरी हुई व बिल्कुल गुदाज थीं. मैं अब मस्त होकर रजनी की चूचियों को मसल मसल‌कर चूसने लगा.

“उफफ्फ … ले चूस … महेश्श्श … चूस … चूस ले … चूस लेऐऐ … आज इनकी सारी दवाई …” रजनी ने एक बार फिर से अब एक कामुक सिसकारी भरते हुए कहा और जोरों से मेरे सिर को अपनी चूचियों पर दबाने‌ लगीं.

रजनी की तड़प को देखकर अब मुझे भी समझ आ गया था कि रजनी पता नहीं कब से प्यासी थीं. इसलिए मैं भी उनकी‌ चूचियों को रगड़ रगड़ कर, मसल मसल कर और जोरों से निचोड़ निचोड़ कर उनके रस को पीने लगा और रजनी भी मस्ती से हल्की-हल्की सिसकारियां भरते हुए मेरे सिर को अपनी चूचियों पर दबा दबा कर मुझे अपनी चूचियों के रस को पिलाने लगीं.

रजनी की एक चूची का रस पीने के बाद मैंने उनकी दूसरी चूची को पकड़ लिया और उसका रस पीते पीते अपना एक हाथ उनके चिकने पेट पर से सहलाते हुए नीचे उनकी चुत की तरफ बढ़ा दिया.

रजनी की साड़ी व पेटीकोट को मैंने पहले ही घुटनों के ऊपर कर दिया था और अब मेरे व रजनी के ऊपर नीचे होने के कारण वो बिल्कुल ऊपर तक हो गए थे. इसलिए अब जैसे ही मेरा हाथ पेट पर से होते हुए नीचे की तरफ बढ़ा, मेरे हाथ में उनकी पेंटी में कसी गद्देदार बालों से भरी हुई‌ और फूली हुई चुत आ गई.

इस बात का अहसास रजनी को भी हो गया था कि मेरा एक हाथ अब उनकी चुत पर पहुंच गया है. इसलिए उन्होंने अब खुद ही अपने‌ हाथों व पैरों की सहायता से अपनी‌ पेंटी को‌ उतारकर अलग कर दिया‌ और‌ जल्दी से मेरी बगल‌ में हाथ डालकर मुझे‌ अपने‌ ऊपर खींच लिया.

रजनी के साथ मुझे जब इतना कुछ करने का मौक मिल रहा था, तो मैं उनकी उस फूली हुई चुत को‌ देखे बिना कैसे रह सकता था. मैं फिर से‌ रजनी के बदन‌ से‌ उतरकर उनकी‌ जांघों के‌ पास‌ आ गया और उनकी गहरे काले घने बालों से भरी हुई चुत को बड़े ही ध्यान से देखने लगा.

शायद काफी दिनों से रजनी ने अपनी चुत के बालों को साफ‌ नहीं किया था. इसलिए उनकी चुत गहरे काले घने और घुंघराले बालों से भरी हुई थी जो उनकी योनि को छुपाने की नाकामयाब कोशिश कर रहे थे. चुत की फांकों के पास वाले बाल कामरस से भीग कर उनकी चुत से ही चिपक गए थे इसलिए चुत की गुलाबी फांकें और दोनों फांकों के बीच का हल्का सिन्दूरी रंग इतने गहरे बालों के बीच भी अलग ही नजर आ रहा था.

मैं अब अपने आप को रोक नहीं पाया और अपने दोनों हाथों से उनकी जांघों को फैलाकर सीधा ही अपने प्यासे होंठों को उनकी चूत रख दिया.
“उम्म् … इईई.श्श्शशश … आह्ह …” की एक‌ मीठी सीत्कार सी भरते हुए रजनी ने जोरों से मेरे सिर को अपनी चुत पर दबा लिया और मेरे नथुनों में उनकी चुत की वो मादक सी महक समाती चली गयी.

बेहद ही तीखी और मादक महक थी उनकी चूत की! वैसे तो हर किसी की चुत से ही महक आती है, लेकिन यह खुशबू अलग ही थी … एकदम पकी पकी सी. शायद कुंवारी और शादीशुदा चूतों की महक अलग अलग होती होगी. जैसे किसी कच्चे फल की तुलना में एक पके हुए फल की अलग ही खुशबू होती है, वैसे ही शायद कच्ची चुत और पकी हुई चुत की महक में भी अन्तर होता होगा.

रजनी की चुत की महक मुझे अब किसी की याद दिलाने लगी थी. इस तरह की महक मैं पहले भी ले चुका था … मैंने अपने दिमाग पर जोर दिया तो मेरे जहन में रेखा भाभी का ख्याल आ गया. (रेखा भाभी की कहानी भी आएगी आगे)

रेखा भाभी की चुत की महक भी बिल्कुल ऐसी ही थी और हो भी क्यों ना … दोनों सगी बहनें ही तो हैं और दोनों ही एक एक बच्चे की मां भी हैं. रेखा भाभी से सम्बन्ध बनाये मुझे काफी दिन हो गए थे, मगर फिर भी उनकी चुत उस महक और स्वाद को मैं अभी तक भुला नहीं पाया था.

रजनी की चुत की उस मादक महक ने मुझे दीवाना सा बना दिया था. इसलिए मैंने पहले तो अपने होंठों से उनकी चूत के हर एक हिस्से को चूमा और फिर अपने दोनों हाथों की उंगलियों से चुत की फांकों को फैलाकर उसे अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया जिससे एकदम नमकीन और कसैला, बिल्कुल रेखा भाभी की चुत के जैसा ही स्वाद मेरे मुँह में घुल‌ गया.

मगर जैसे ही मैंने चुत की फांकों के बीच चाटा ‘उफ्फ … इईईई …श्श्श्शशश … यऐ … ये …क् क्या आ कर अ रहे ऐ हो ओओह …’ रजनी ने एक ज़ोरदार आह भरते हुए कहा और अपनी‌ जांघों को फैलाकर दोनों हाथों से मेरे सिर को अपनी चुत पर जोर से दबा लिया मानो मुझे ही अपनी चुत के अन्दर ही घुसा लेंगी.

रजनी ने मुझे इतनी जोरों से अपनी चुत पर दबा लिया था कि मेरा दम सा घुटने लगा था. मैंने अब‌ अपनी‌ गर्दन हिलाकर उनको इस बात का अहसास करवाया, जिससे रजनी ने एक बार तो मेरे सिर को‌ तो छोड़ दिया मगर अगले ही पल उन्होंने मेरे सिर के बालों‌ को‌ पकड़कर मुझे फिर से अपने ऊपर खींच लिया.

मैं भी ढीठ हो गया था, इसलिए मैं अब फिर से फिसलता हुआ उनकी चुत के पास आ गया‌ और आऊं भी क्यों ना? उनकी चुत की उस मादक महक और स्वाद ने मुझे दीवाना जो बना दिया था. अभी तो मैंने रजनी की चुत का रस बस चखा ही था … अभी‌ तो‌ उसे चाट चाट कर पीना बाकी था.

रजनी की जांघों के पास आकर मैंने अब फिर से अपने प्यास से तड़पते होंठों को उनकी चुत पर लगा दिया. मगर पता नहीं रजनी को इस खेल के बारे में पता नहीं था या फिर अपनी तड़प के कारण वो कुछ ज्यादा ही उतावली हो रही थीं. इसलिए जैसे ही मैंने अब उनकी चुत को चूमा, उन्होंने मुझे पकड़ कर‌ अब नीचे‌‌ गिरा लिया और अपने पैरों को मेरे दोनों तरफ करके मेरी जांघों पर बैठ गईं.
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#18
Part - 16

मैंने अब फिर से उठने की कोशिश तो की मगर रजनी ने मुझे आंखें दिखाते हुए ऐसे घूर कर देखा, जैसे कि मुझे धमका रही हों. मैं अब चुपचाप पड़ा रहा और रजनी ने मेरी जांघों पर बैठे बैठे ही मेरे लोवर को पकड़कर नीचे खिसका दिया.

मेरा लोवर तो अब उतर गया, मगर उसके नीचे मैंने अण्डरवियर भी पहना हुआ था. जिसे देखकर एक बार तो रजनी झुंझला सी गईं मगर अगले ही पल उन्होंने मेरे अण्डरवियर में हाथ फंसा लिए और एक ही झटके में मेरे अण्डरवियर के साथ साथ मेरे लोवर‌ को भी उतारकर मुझे नीचे से नंगा कर लिया.

मुझे नंगा करने के बाद अब जैसे ही रजनी की नजर मेरे तन्नाये नंगे मूसल लंड पर पड़ी, तो एक बार तो उनका पूरा बदन कंपकंपा सा गया.

“यए … ये … ये … क क क्या आ … है?” टूटे फूटे शब्दों में उन्होंने बस इतना ही कहा और तुरन्त मेरे लंड को पकड़ कर अपनी मुट्ठी में ऐसे भींच लिया, जैसे कि वे उसका माप ले रही हों.

मेरा लंड तो पहले से ही तन्नाया हुआ था. अब रजनी के कोमल हाथों का स्पर्श पाते ही वो और भी जोरों से तमतमा कर फुंफकारने सा लगा जिससे रजनी की आंखें अब ऐसे चमक उठीं, जैसे की उन्हें कोई खजाना मिल गया हो.

रजनी ने मेरे लंड को बिल्कुल बीच में से पकड़ा था, जिससे मेरे लंड का सुपारा उनकी उंगलियों के घेरे से बाहर निकलकर बिल्कुल ऐसे ही फुंकार सा रहा था जैसे कि साँप को उसकी गर्दन से पकड़ने पर फुंकारता है. मगर रजनी ने भी उसकी गर्दन को पकड़कर दबोचे रखा और‌ उसे कस कर मरोड़ दिया.

अब तो मेरा सुपारा गुस्से‌ में आकर और भी जोरों से नसें सी फुलाने लगा‌.

मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में भींचकर रजनी ने अब एक जोर की सांस ली और फिर अपने पैरों को‌ मेरे दोनों तरफ करके सीधा ही मेरे पेट पर चढ़ कर बैठ गईं. मेरे पेट पर बैठकर भाभी एक हाथ से अपनी साड़ी व पेटीकोट को ऊपर उठाकर अपने घुटनों के बल खड़ी हो गईं और फिर दूसरे हाथ से मेरे लंड को पकड़कर अपनी चुत के मुँह पर लगा लिया जिससे मुझे अब अपने लंड पर रजनी की चुत की गर्मी महसूस होने लगी.

मेरे लंड को अपनी चुत के मुँह पर लगाकर रजनी ने एक बार तो मेरी तरफ देखा और फिर अपने शरीर को‌ कड़ा सा करके झटके से लंड पर बैठ गईं.

लंड खाते ही रजनी के मुँह से ‘आआआह्ह्ह … उइईई … इश्श्शशह …’ की एक चीख सी निकल गयी और उनकी भूखी चुत एक बार में ही मेरे‌ पूरे लंड को निगल गयी‌.

मेरे लंड को अपनी चुत से खाने के बाद रजनी ने एक बार फिर अब मेरी तरफ डबडबाई सी नजरों से देखा. शायद मेरे इतने बड़े लंड को एक बार में ही अपनी चुत में लेने से रजनी को पीड़ा हुई थी, मगर वो सारा दर्द पी गईं और खुद ही मेरे दोनों हाथों को पकड़कर अपनी चूचियों पर रखवा लिया.

मैंने भी अब उनकी दोनों चूचियों को अपने हाथों में थामकर उन्हें जोर से मसल दिया, जिससे रजनी के मुँह से फिर से एक तीव्र आवाज निकल गई ‘इईईई … श्श्शशश … आआ ह्ह्ह्ह्ह …’

उनकी मीठी सीत्कार सी फूट पड़ी.

मेरे हाथों में अपनी चूचियां थमाकर भाभी ने अब खुद मेरे सीने पर हाथ रख लिए और धीरे धीरे अपनी कमर को आगे पीछे हिलाकर धक्के लगाने शुरू कर दिए. जिससे मेरा लंड अब उनकी चुत की गीली दीवारों पर घिसने लगा और रजनी के साथ साथ मेरे बदन में भी आनन्द की लहरें उठने लगीं.

रजनी को देखकर मुझे नीतू की याद आ गयी. नीतू ने भी तो उस दिन मेरे साथ ऐसे ही तो किया था, जरूर उसने ये सब शायद कभी ना कभी भाभी को ही देखकर सीखा था.

धीरे धीरे भाभी की कमर की हरकत अब तेज‌ होने‌ लगी थी, इसलिए मैंने भी‌‌ अब उनकी चूचियों को जोरों से मसलना शुरू‌ कर‌ दिया. इससे‌ भाभी के मुँह से अब मादक सिसकारियां फूटना‌ शुरू हो गईं. भाभी ने अपनी आंखें बन्द कर रखी थीं. मगर उनके चेहरे के भाव अब लगातार बदल रहे थे. वे मजे से मेरे लंड को अपनी चुत से खाते हुए अपने खुद के होंठों को ही काट रही थीं.


उनकी मादक अदा देख कर मुझसे भी रहा नहीं गया, मैंने उठकर उनके होंठों को चूमने की कोशिश की, मगर रजनी ने मुझे धकेलकर फिर से बिस्तर पर गिरा दिया और दोनों‌ हाथों से मेरी टी-शर्ट को पकड़ कर उसे ऊपर खींचने लगीं. मैंने भी उठकर उनका सहयोग किया और अपनी टी-शर्ट को पूरा ही निकालकर एक बाजू रख दिया.

मुझे ऊपर से नंगा करके रजनी अब मुझ पर लेट गईं और अपनी बड़ी बड़ी चूचियों को मेरे नंगे सीने पर रगड़ते हुए जोरों से धक्के लगाने शुरू कर दिए.
मैं तो जैसे अब पागल ही हो गया था क्योंकि नीचे से तो रजनी की गर्म गर्म चुत मेरे लंड की मालिश कर रही थी और ऊपर से भी उनकी बड़ी बड़ी और भरी हुई चूचियां मेरे सीने को गुदगुदाने लगी थीं. आनन्द से मेरे दोनों हाथ अब अपने आप ही रजनी की पीठ पर से रेंगते हुए उनके बड़े बड़े और गोलाकार नितम्बों पर आ गए. मैंने अपने दोनों हाथों से उनके नितम्बों को पकड़ लिया और उनको प्यार सहलाते हुए रजनी को आगे पीछे हिलाने में उनका सहयोग करने लगा जिससे रजनी की कमर की‌ हरकत अब और भी तेज हो गयी.

मेरे ऊपर लेटकर धक्के लगाने से भाभी के होंठ, तो कभी गाल अब बार बार मेरे होंठों को छू रहे थे. मुझसे रहा नहीं गया इसलिए मैंने अपने दोनों हाथों से उनकी‌ गर्दन‌ को‌ पकड़कर उनके होंठों को अपने मुँह में भर लिया और उन्हें जोरों से चूसने लगा. मगर इससे रजनी के धक्के कुछ धीमे हो गए.

अब ये बात शायद रजनी को मंजूर नहीं हुई, इसलिए भाभी ने मेरे होंठों को अब एक बार तो जोर से चूमा. वे मेरे होंठों को छोड़कर फिर से ऊपर अपने हाथों के बल हो गईं और जोरों से धक्के लगाने लगीं. मेरे हाथ भी अब फिर से भाभी के नितम्बों पर आ गए, मगर इस बार मेरे‌ हाथों की उंगलियां फिसलती हुईं उनके नितम्बों की गहराई में घुस गयी थी‌. इसलिए मैंने अब अपनी एक उंगली से उनके गुदाद्वार को सहलाना शुरू कर दिया.

अब तो रजनी जैसे पागल ही हो गईं. उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरे कंधों को पकड़ लिया-

इईईई … श्श्शशश … आआ ह्ह्ह्हहह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… इईईई … श्श्शशश … आआह्ह हह …’
की सिसकारियां भरते हुए अपनी चुत की गीली दीवारों को वो अब जोरों से मेरे लंड पर घिसने लगीं.

रजनी को देखकर ऐसा नहीं लग रहा था कि मैं उन्हें चोद रहा हूँ बल्कि ऐसा लग रहा था जैसे कि भाभी मुझे चोद रही हों. भाभी चेहरे पर पसीने की बूंदें उभर आई थीं और सांसें भी उखड़ गयी थीं.


मगर फिर भी वो ऐसे ही जोरों से अपनी चुत को मेरे लंड पर घिसते हुए धक्के लगाती रहीं जिससे कुछ ही देर बाद अचानक से‌ उनके‌ हाथ मेरे कंधों पर कस गए और उनकी सिसकारियां मदमस्त कराहों में बदल गईं. उनकी‌ दोनों जांघें जोरों से मुझ पर कस गईं और
‘आह्ह् … ईश्श आह्ह् … ईश्श … आआह्ह् … ईश्श … आआआह्ह …’ की आवाजें निकालते हुए

वो अपनी चुत से गाढ़े गाढ़े सफेद रस को मेरे लंड पर उगलने लगीं, जोकि मेरे लंड के‌ सहारे बहते मेरे‌ कूल्हों तक‌ पहुंचने लगा.

अपनी चुत के रस से मेरे लंड को‌ नहलाने के बाद रजनी निढाल‌ सी होकर अब मेरे ऊपर ही‌ लेट गईं और लम्बी लम्बी सांसें लेने लगीं.

रजनी का तो रस स्खलित हो गया था जिससे‌ वो‌ अब शिथिल पड़ गयी थीं. मगर मेरे अन्दर का ज्वार तो अभी भी जोर मार रहा था.‌ मुझे पता था कि स्खलित के‌ बाद भाभी तो अब कुछ करने‌ से रहीं, इसलिए मैंने‌ अब खुद ही कमान‌ सम्भाल‌ ली.

मैंने पहले तो अब अपने‌ दोनों हाथों से भाभी के नितम्बों को थोड़ा सा ऊपर उठाकर उनकी चुत और मेरे लंड के बीच फासला बना लिया और फिर नीचे अपनी कमर को उचका उचका कर ताबड़तोड़ धक्के‌ लगाने शुरू कर दिए.

इससे भाभी की ‘आआ … अह्ह्ह … उऊऊ … अह्ह्ह्ह …’ की कराहों के साथ साथ अब जोरों से ‘फाट् ट् … फाट् ट …’
की आवाजें भी निकलना शुरू हो गईं.

रजनी मेरे ऊपर निढाल होकर ढेर हो गयी थीं, मगर मेरे धक्के लगाने से वो अब फिर से कराहने‌ लगी थीं. क्योंकि मेरा मूसल लंड अब उनकी चुत के परखच्चे उड़ा रहा था. कुछ देर तो भाभी अब ऐसे ही कराहती रहीं, मगर फिर धीरे धीरे उनकी‌ कराहें सिसकारियों में बदल गईं और उनकी चुत में अब फिर से संकुचन सा होना शुरू हो गया.

शायद रजनी फिर से उत्तेजित होने लगी थीं इसलिए उनकी सांसें भी अब गहरी हो गयी थीं.

मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि रजनी इतनी जल्दी कैसे गर्म हो गयी थीं. इसलिए अपनी तसल्ली के लिए मैंने अब धक्के लगाने बन्द कर दिए. जिससे भाभी ने मुझे अब एक‌ बार तो घूर कर देखा और फिर ये क्या … भाभी अब खुद ही फिर से अपनी कमर को चलाने लगीं. शायद भाभी की ये प्यास ही थी, जिसने इतनी जल्दी उन्हें अब फिर से उत्तेजित कर दिया था.

रजनी ने अब कुछ देर‌ तो धक्के तो‌ लगाये और फिर मुझे‌ बांहों‌ में भरकर वो‌ फिर से‌ पलट गईं, जिससे एक‌ बार फिर अब भाभी मेरे नीचे आ गईं और मैं उनके‌ ऊपर चढ़ गया. इस उल्टा पल्टी में मेरा लंड रजनी की चुत से बाहर निकल गया था मगर मुझे अपने‌ ऊपर खींचकर भाभी ने अब पहले तो अपनी दोनों‌ जांघों के‌ बीच दबा लिया और

फिर खुद ही अपने एक‌ हाथ से मेरे लंड को पकड़कर अपनी चुत के मुँह पर लगा लिया. मैंने भी अब जोर से धक्का लगाकर एक ही झटके ने अपने‌ लंड को‌ उनकी चुत की गहराई तक उतार दिया, जिससे एक बार तो भाभी ‘आआआह्ह् … उऊऊच्च्च् …’ कहकर जोरों से कराह उठीं, मगर साथ ही उन्होंने इनाम के तौर पर दोनों हाथों से मेरे सिर को‌ पकड़ कर बड़े ही प्यार से मेरे गालों पर एक चुम्मा भी दे दिया.

मैंने भी अब फिर से धक्के लगा‌कर अपने‌ लंड को‌ रजनी की चुत के अन्दर बाहर करना‌ शुरू कर दिया, जिससे अब फिर से भाभी के मुँह से‌ सिसकारियां फूटनी शुरू हो गईं.
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#19
Part - 17

रजनी की उत्तेजना तो जोर मार रही थी … मगर शायद वो थकी हुई थी.

क्योंकि उनका एक बार स्खलित हो‌ चुका था और इसके लिए जो‌ भी मेहनत थी, वो सारी खुद रजनी ने ही की थी.

रजनी  ने अब धक्के लगाने में तो‌ मेरा साथ नहीं दिया मगर‌ फिर भी उन्होंने अपनी जांघों को पूरा फैलाकर अपने पैरों को मेरे पैरों पर रख लिया ताकि मुझे धक्के लगाने में आसानी हो जाए और मेरा पूरा लंड उनकी चुत में अन्दर तक‌ जाकर उनकी चुत की दीवारों की मालिश कर सके.

मैं भी अब अपने पूरे लंड को रजनी की चुत में अन्दर तक‌ पेलने लगा, जिससे रजनी की सिसकारियां तेज हो गईं और अपने आप ही उनके पैर मेरे पैरों पर चढ़ गए. स्खलित के बाद रजनी की चुत के अन्दर की दीवारें प्रेमरस से भीगकर अब और भी चिकनी और मुलायम हो गयी थीं जिससे मेरा लंड अब और भी कुशलता से उनकी चुत की मालिश कर रहा था.

यह खेल‌ खेलते खेलते मुझे‌ बहुत देर हो गयी थी, इसलिए मैं अब चरमोत्कर्ष के करीब ही था‌ मगर रजनी का एक बार रसखलित हो चुका था इसलिए मुझे पता था कि अबकी बार वो स्खलन में थोड़ा समय लेंगी.

मैं नहीं चाहता था कि रजनी के स्खलन से पहले मेरा रस स्खलित हो जाए, इसलिए मैंने अब अपने धक्कों की गति को तो थोड़ा धीमा कर दिया और अपना एक हाथ आगे लाकर उनकी चूची को पकड़ लिया.

मैं अब धीरे धीरे धक्के लगाते हुए भाभी‌ की दोनों चूचियों को भी मसलने‌ लगा जिससे रजनी मचल सी गईं. उन्होंने अपनी आंखें बन्द की हुई थीं और मुँह से सिसकारियां भरते हुए वो अपने खुद के ही होंठ को काट‌ रही थीं.

कसम से ऐसा करते हुए रजनी का वो गोल गोल चेहरा इतना हसीन और मासूम सा लग रहा था कि मुझसे रहा नहीं गया. मैंने अब थोड़ा सा आगे होकर धीरे धीरे उनके होंठों को चूम‌ लिया. मगर जैसे मैंने उनके होंठों को चूमा, भाभी ने झट से अपनी आंखें खोल लीं और दोनों हाथों से मेरी गर्दन को पकड़कर मेरे होंठों को अपने मुँह में भर लिया.

मेरे दोनों होंठों को मुँह ने भर कर रजनी उन्हें इतनी जोरों से चूसने लगीं कि कुछ देर तो मैं अब‌ रजनी  के होंठों को चूमने के‌ लिए तरसता ही रह‌ गया. मगर फिर भाभी ने मुझ पर तरस दिखाते हुए मेरे एक‌ होंठ को आजाद कर दिया,

जिससे मेरे हिस्से भी उनका एक होंठ आ ही गया. मैंने उसे तुरन्त ही अब अपने मुँह में भर लिया और जोरों से चूसने लगा. रजनी ने अब फिर से दरियादिली दिखाते हुए होंठ के साथ साथ अपनी जीभ को भी मेरे मुँह दे दिया.

मैंने भी अपना मुँह खोलकर उसका स्वागत किया और उसे होंठों से दबाकर जोरों से चूसने लगा‌ जिससे रजनी के मुँह का मीठा‌ मीठा व चिकना‌ सा स्वाद अब‌ मेरे मुँह में घुल गया. उत्तेजना के वश अब अपने आप ही मेरे धक्कों की गति फिर से बढ़ गयी थी.

रजनी की जीभ व होंठ को चूसते हुए मैं जोरों से धक्के लगाने लगा था जिससे भाभी‌ की सिसकारियां भी और तेज हो गईं‌‌ और उनके दोनों हाथ भी अपने‌ आप ही मेरी पीठ पर आकर रेंगने लगे‌.

कुछ देर रजनी की जीभ का स्वाद लेने‌ के बाद मैंने उनकी जीभ को छोड़ दिया और अपनी जीभ को‌ उनके मुँह में घुसा दिया. भाभी तो जैसे इसके लिए तैयार ही बैठी थीं, उन्होंने तुरन्त ही अपना मुँह खोलकर मेरी जीभ को अपने मुँह में भर लिया और उसे जोर से चूसने‌ लगीं.

रजनी को जल्दी से शिखर तक पहुंचाने के लिए मैं अब उन पर तीन तरफ‌ से हमला करने लगा,

एक तरफ मेरा मूसल लंड उनकी चुत को उधेड़ रहा था, तो दूसरी तरफ मेरे होंठ उनको तपा रहे थे और अब तीसरी तरफ से मैंने उनकी चूचियों को भी मसलना शुरू कर दिया, जिससे भाभी अब कोयल के जैसे कूकने लगीं.

उनके पैर अब मेरी जांघों तक चढ़ गए और जोरों से सिसकारियां भरते हुए उन्होंने अब खुद भी नीचे से धक्के लगाने शुरू‌ कर दिए. रजनी का ये साथ पाते ही मैंने भी बहुत जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए, जिससे उनकी सिसकारियां और भी तेज हो गईं.

उन्होंने मेरे होंठों को तो अब छोड़ दिया और दोनों हाथों से मेरी पीठ को पकड़कर जल्दी जल्दी अपनी कमर को उचकाते हुए मुँह से ‘इईईई … इश्श्शश … आआ … अह्ह्ह्हह …’ की आवाजें निकालने लगीं.

मुझे अब समझते देर नहीं लगी‌ कि रजनी भी अब अपने चरम के करीब ही हैं इसलिए मैं भी अब अपने सीने को ऊपर उठाकर अपने हाथों के बल हो गया और अपनी‌ पूरी ताकत व तेजी से धक्के लगाने लगा. अब तो रजनी जैसे पागल ही हो गयी थीं,

वो जोरों से अपनी कमर को उचकाते हुए मुँह से बड़ी कामुकता से ‘इईईई … श्श्शशश … आआ … अह्ह्ह्हह …’ की किलकारियां सी मारने लगीं.

एक बार फिर से रजनी की किलकारीयों के साथ साथ कमरे में ‘फट … फट् ट …’ की आवाजें गूंजने लगीं. इस वक्त जितनी तेजी से भाभी अपनी कमर को उचका रही थीं, मैं उनसे दुगनी तेजी से धक्के लगा कर अपने लंड से उनकी चुत की धज्जियां सी उड़ा रहा था.

हम दोनों के ही शरीर अब पसीने से नहा गए और सांसें उखड़ने लगीं.

रजनी का तो एक बार रस स्खलित हो गया था, मगर मैं अपने आप पर बहुत देर से संयम किये हुए था. मेरा सब्र का बाँध तो कब का टूट जाता, मगर मैं तो बस इसलिए ही रुका हुआ था कि एक बार फिर रजनी को उनके अंजाम तक पहुंचा दूँ.

आखिरकार मेरी कोशिश रंग लाई और कुछ ही देर बाद रजनी का बदन अब फिर से अकड़ने लगा … मेरा सब्र भी अब टूट ही गया था, इसलिए मैंने भी अब तीन चार ही धक्के अपने पूरे वेग से लगाये और रजनी को कस कर पकड़ लिया. भाभी की सिसकारियां अब पहले तो आहों में बदल गईं. उनकी आहें हिचकियों में बदलती चली गईं.

मैंने और रजनी ने अब एक दूसरे को जोरों से भींच लिया और हल्के हल्के धक्के लगाते हुए एक दूसरे के यौन अंगों‌ को अपने अपने प्रेमरस से सींचने लगे‌.
इस बार रजनी का स्खलन इतना उत्तेजक था कि हिचकियां लेते हुए एक बार तो वो सांस लेना भी भूल गईं. उनकी चुत की दीवारों के प्रसार और संकुचन को मैं काफी देर तक अपने लंड पर महसूस करता रहा.

अपनी अपनी कामनाओं को एकदूसरे पर उड़ेलकर हम दोनों ही अब एक दूसरे को बांहों में लिए लिए ही ढेर होकर बिस्तर पर गिर गए और लम्बी लम्बी सांसें लेने लगे.

थोड़ी देर बाद रजनी सांस सँभालते हुवे बोली, “तुम्हे पता है तुम्हारी रीना भाभी, नीतू और मैं कॉलेज के समय से दोस्त है और एक खास बता बताऊ हम लोगो से कुछ छुपा हुवा नहीं है, जब तुम कल रात को आये थे तो मुझे रीना ने फोन करके सब कुछ बात दिया था उर बाद में नीतू ने भी बात दिया जब तुम सिगरेट का नाम ले के उसके कमरे से बाहर आये थे, इसलिए मैंने जानबूझ कर दरवाजा थोडा खुला छोड़ा था, “ तुम ये बात अभी किसीको भी नहीं बताओगे, जब समय आयेगा मैं सबको बता दूंगी,”

अब हमे कुछ करके राज को इसमें शामिल करना होगा “

मैं बोला “वो तो मैं करता हु कुछ न कुछ” लेकिन क्या तुमने और भाभी ने कभी लेस्बियन किया है,

रजनी बोली “हम तीनो ने बहुत बार” तुम अभी जाओ और मैं जब तुम्हे मेसेज करू तो चुपचाप हमारे घर मे आ जाना और  बाकि तुम खुद समझ जाओगे,
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#20
Bahut achhi hi bhai
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