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Adultery टीचर ने चोदना सिखाया
#1
टीचर ने चोदना सिखाया

मेरा नाम रितेश है। ये कहानी नब्बे के दशक के शुरू की है। घर में मैं और मेरे पापा ही थे क्योंकि जब मैं चार साल का था तब मम्मी का स्वर्गवास हो गया था। पापा बिज़नेसमैन थे और पैसों की कोई कमी नहीं थी। पापा मेरी हर इच्छा पूरी करते थे।







उस वक्त मैं सातवीं क्लास में पढ़ता था। मेरी टीचर रशीदा मैडम मेरी क्लास में सायंस पढ़ाती थी। मैं सायंस में थोड़ा कमज़ोर था। इसलिये पापा ने मैडम से रिक्वेस्ट की कि वो शाम को मुझे घर पर ट्यूशन दे दें। रशीदा मैडम के हसबैंड दो साल से कुवैत में नौकरी रहे थे और उनके दोनों बच्चे मसूरी में बोर्डिंग स्कूल में थे। इसलिये मैडम अकेली ही रहती थी और फिर पापा ने उन्हें फीस भी काफी अच्छी ऑफर करी थी तो रशीदा मैडम मान गयी और मेरे घर पढ़ाने आने लगी।







रशीदा मैडम किनेटिक होंडा स्कूटर से शाम को छः बजे मुझे पढ़ाने आती थीं और कईं बार हमारा ड्राइवर रशीदा मैडम को कार से भी लेने और छोड़ने जाता था। जिस वक्त रशीदा मैडम आती थी उस समय घर में बस मैं और हमारा नौकर ही होते थे। पापा तो ज्यादातर उस समय ऑफिस में होते थे। नौकर उनके लिये जूस वगैरह रख जाता था और फिर वो मेरे स्टडी रूम में मुझे पढ़ाती थीं। स्कूल में रशीदा मैडम काफी स्ट्रिक्ट थीं लेकिन घर पे काफी फ्रेंडली तरीके से पढ़ाती थीं और हंसी-मज़ाक भी करती थीं। कभी मेरे गाल खींच देतीं तो कभी गले से लगा लेतीं और मेरे जिस्म पे कहीं ना कहीं प्यार से हाथ फिरा देतीं। ये सब मुझे उनका सामान्य स्नेह ही लगता था जबकि असलियत में उनके मन में कुछ और ही था। उम्र के हिसाब से उन दिनों विपरीत सेक्स, खासकर अपनी हम उम्र लड़कियों के प्रति मन में आकर्षन ज़रूर होता था और जिज्ञासा भी थी लेकिन मुझे चुदाई के बारे में जानकारी नहीं थी। फिल्मों में कोई उत्तेजक दृश्य देखकर मेरा लंड कभी-कभार अपने आप सख्त हो जाता था लेकिन मैंने तब तक मुठ मारना भी शुरू नहीं किया था।







रशीदा मैडम की उम्र पैंतीस साल के करीब थी और बेहद खूबसूरत और सैक्सी थीं। बड़ी-बड़ी आँखें, तीखे नयन-नक्श, सुडौल बदन, बिल्कुल सुपर मॉडल लगती थीं रशीदा मैडम। वो अपने अपियरन्स का भी काफी ध्यान रखती थीं। हमेशा नये फैशन के सलवार सूट और ऊँची हील के सैंडल पहनती थीं और चेहरे पर सौम्य मेक-अप करके टिपटॉप रहती थीं। लेकिन मेरे मन में कभी भी रशीदा मैडम के बारे में गलत विचार नहीं आया।







एक बार पापा को टूर पे जाना पड़ा तीन दिनों के लिये। वैसे ये कोई नयी बात नहीं थी और पापा जब भी टूर पर जाते थे तो हमारा नौकर मेरा पूरा ख्याल रखता था। लेकिन इस बार हमारे नौकर को तभी एक रात के लिये अपने भाई की शादी में भी ज़रूरी जाना था। रशीदा मैडम को पता चला तो उन्होंने पापा से कहा कि एक रात के लिये वो हमारे घर रुक जायेंगी। वैसे भी अगले दिन शनिवार था और छुट्टी थी।







पापा उस दिन दोपहर की फ्लाइट से चले गये। हमारे नौकर को भी रात आठ बजे के करीब निकलना था तो उसने सब डीनर वगैरह और रशीदा मैडम के लिये गेस्ट-बेडरूम वगैरह तैयार कर दिया उस दिन रशीदा मैडम ने मुझे स्कूल में बता दिया था कि वो छः बजे की बजाय सात बजे तक आयेंगी क्योंकि उन्हें किसी पार्टी में जाना था।







रशीदा मैडम करीब साढ़े-सात बजे एक छोटे बैग में कपड़े वगैरह लेकर आयीं। रशीदा मैडम आज कुछ ज्यादा ही अच्छे से तैयार होयी हुई थीं। उन्होंने आज आँखों पर आइ-शेडो और मस्कारा भी लगाया हुआ था और काफी अच्छा मेक-अप किया हुआ था। पार्टी के हिसाब से ही बेबी-पिंक कलर का सलवार- सूट पहना था जिसकी कमीज़ पर मोतियों और क्रिस्टल के साथ रेशमी धागे की सुंदर कढ़ाई की हुई थी। पैरों में काले रंग के काफी ऊँची पेन्सिल हील के सैंडल थे। नौकर को अपने भाई की शादी में जाना था इसलिये रशिदा मैडम के आते ही उसने डिनर लगा दिया।







रशीदा मैडम बोली, “रितेश तुम खाना खा लो... मैं तो पार्टी में खा कर सीधे आ रही हूँ!”






मैं डिनर करने लगा और रशीदा मैडम भी डॉयनिंग टेबल पर मेरे सामने वाली कुर्सी पर बैठ गयीं। नौकर उनके लिये संतरे का जूस ले कर आया तो उन्होंने नौकर को भी उसी वक्त जाने को बोल दिया कि उसे कहीं देर ना हो जाये। वो अगले दिन दोपहर तक लौटने का आश्वासन देकर चला गया।
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#2
Bhuaht Khub
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#3
next kaya hai batio
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#4
मस्त!
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#5
मैंने देखा कि रशीदा मैडम जूस पीते हुए बहुत अजीब नज़रों से ऐसे घूर रही थीं जैसे बिल्ली किसी चूहे को देख रही हो और उनके होंठों पर एक रहस्यमयी मुस्कान थी। इसके अलावा मैंने नोटिस किया कि उनकी आँखें भी थोड़ी लाल थीं और भारी सी लग रही थीं। मैंने पूछा , “मैडम आपकी आँखें लाल सी लग रही हैं... आपकी तबियत तो ठीक है ना?”



वो हंसते हुए बोली, “मैं ठीक हूँ रितेश... वो बस यहाँ आने से पहले पार्टी में थोड़ी ड्रिंक कर ली थी इसलिये... बट ऑय एम ऑल राइट!” मेरे कुछ बोलने के पहले ही वो फिर बोली, “कभी-कभार ड्रिंक कर लेती हूँ... लेकिन स्कूल में किसी से कहना नहीं... प्लीज़!” 



मैंने उन्हें आश्वासन दिया कि मैं किसी से नहीं कहुँगा तो वो उठकर अपने बैग में से वोडका की बोतल निकाल लायीं और बोली, “स्कूटर चला कर यहाँ आना था इसलिये पार्टी में ठीक से पी नहीं सकी... जब तक तुम डिनर कर रहे हो मैं भी एक-दो ड्रिंक ले लेती हूँ!” फिर अपने जूस में ही वोडका मिला कर मेरे सामने बैठ कर पीने लगी। जब तक मैंने डिनर खतम किया, मैडम ने भी दो पैग पी लिये थे।



फिर हम स्टडी रूम में आ गये। रशीदा मैडम बोली, “रितेश, आज चलो मैं तुम्हें रिप्रोडक्शन सिस्टम पढ़ाती हूँ!” उनके बोलने के तरीके से लग रहा था कि वो नशे में थीं।



“लेकिन मैडम कल जो आपने स्केलेटल सिस्टम पढ़ाना शुरू किया था वो तो अभी काफी बाकी है!” मैंने कहा।



“रितेश! मैं कईं दिनों से तुम्हें रिप्रोडक्शन सिस्टम पढ़ाने के बारे में सोच रही थी...! रिप्रोडक्शन सिस्टम की नालिज होना ज़िंदगी में बेहद ज़रूरी है!” रशीदा मैडम मेरा गाल सहलाते हुए बोली।



मैंने कहा, “ओके मैडम!” और किताब निकालने लगा।



“रितेश! बुक की कोई ज़रूरत नहीं है... मैं तुम्हें बेहद सिंपल तरीके से प्रैक्टिकली रिप्रोडक्शन सिस्टम पढ़ाऊँगी... तुम्हें इतना इंट्रस्टिंग लगेगा कि हर रोज़ मुझसे रिप्रोडक्शन सिस्टम पढ़ाने को कहोगे!” वो मुस्कुराते हुए बोली।



फिर उन्होंने बतान शुरू किया, “रिप्रोडक्शन सिस्टम में मेल और फिमेल के रिप्रोडक्टिव पार्ट्स के बारे में पढ़ते हैं!”



“मैडम ये रिप्रोडक्टिव पार्ट्स क्या होते हैं?”



“रितेश रिप्रोडक्टिव पार्ट्स मतलब कि सेक्ज़ुअल ऑर्गन.. मैं तुम्हें आम ज़ुबान में बेहद आसान करके समझाती हूँ...! देखो जिस्म के निचले हिस्से में तुम्हारा रिप्रोडक्टिव पार्ट है और मेरे जिस्म के निचले हिस्से में मेरा रिप्रोडक्टिव पार्ट! लड़कों के रिप्रोडक्टिव पार्ट को आम ज़ुबान में लंड कहते हैं और लड़कियों के पार्ट को चूत कहते हैं। एक काम करो तुम खड़े हो जाओ... मैं तुम्हें दिखाती हूँ!”



मैं खड़ा हो गया। मैं उस दिन जींस पहने हुए था। रशीदा मैडम ने मेरी जींस के बटन को खोल दिया। फिर ज़िप्पर को नीचे किया और आखिर में जींस को नीचे गिरा दिया। मैं अंडरवीयर में था। वो बोली, “रितेश ये अंडरवीयर भी उतार दो!”



“वो... वो क्यों मैडम?” मैं शर्माते हुए बोला।



“रितेश तुम्हारा रिप्रोडक्टिव पार्ट इसी अंडरवीयर के अंदर है!”



“लेकिन मैडम वो तो मेरा पेनिस है जिससे मैं पेशाब करता हूँ!”



“हाँ वही... पेनिस को ही तो आम ज़ुबान में लंड कहते हैं और ये ही तुम्हारा रिप्रोडक्टिव पार्ट्स है! रितेश दिखाओ तो कैसा है!” रशिदा मैडम ज़ोर देते हुए बोली। उनकी साँसें तेज़ चल रही थीं।



मैं हिचकिचाया तो उन्होंने खुद ही मेरा अंडरवीयर नीचे खींच दिया। मैंने झट से अपने हाथों से अपना लंड छुपा लिया। मुझे बहुत शरम आ रही थी।



“देखो रितेश! ऐसे शर्माओगे तो कैसे सीखोगे... चलो हाथ हटाओ अपने...!” ये कहते हुए उन्होंने खुद ही मेरे हाथ मेरे लंड से दूर हटा दिये। मुझे बहुत अजीब लग रहा था और मैं नज़रें झुका कर खड़ा था।



“वाओ! रितेश तुम्हारा लंड तो बेहद गोरा और खूबसूरत है! देखो इसी को लंड कहते हैं!” रशीदा मैडम मेरे लंड को अपने नरम हाथ में पकड़ कर सहलाते हुए रोमांचित होकर बोली। उनके सहलाने से मेरे लंड में स्वतः ही सख्ती आने लगी। मेरे लंड को सहलाना ज़ारी रखते हुए रशीदा मैडम फिर बोली, “ये रिप्रोडक्शन सिस्टम का एक अहम हिस्सेदार है... देखो ये सख्त हो रहा है... इसका मतलब तुम्हारा लंड अब इस काबिल हो चुका है कि वो रिप्रोडक्शन सिस्टम का हिस्सा बन सके... पहले ये बताओ कि तुम सैक्स के बारे में क्या जानते हो... बच्चे कैसे होते हैं?”



“वो मैडम... बस इतना ही कि जब लड़का और लड़की साथ में नंगे सोते हैं और किस करते हैं तो लड़की प्रेगनेन्ट हो जाती है!” मैंने बताया जो भी मैं हिंदी फिल्मों की वजह से जानता था।



मेरी बात सुनकर रशीदा मैडम हंसने लगी और फिर बोली, “रितेश तुम भी कितने नादान हो... साथ में सिर्फ नंगे सोने से कुछ नहीं होता... ये लंड जब औरत की चूत के अंदर जाकर उसे चोदता है और थोड़ी देर चुदाई करने के बाद औरत की चूत में ये अपना क्रीम जैसा पानी गिरा देता है... उससे बच्चा पैदा होता है!”



“मैडम इसमें से तो पेशाब निकलता है...!”



“क्या तुम्हारे लंड से कभी क्रीम जैसा गाढ़ा सफेद पानी नहीं निकला?” रशीदा मैडम ने कातिलाना अंदाज़ में मुस्कुराते हुए पूछा।



“नहीं मैडम...!” मैंने कहा।
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