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हवस की आग
#1
हवस की आग 


अभी सम्पादन चल रहा है

Heart Heart Heart


Heart Heart


Heart
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
मुझे मेरे बचपन में ही मुठ मारने की आदत पड़ गयी थी, जो कि मेरे एक दोस्त ने मुझे लगाई थी. उस टाइम पर मोबाइल तो हुआ नहीं करते थे, तो हम लोग सेक्सी किताबों को देख देख कर ही छत पर बैठ के मुठ मारा करते थे. फिर जैसे जैसे मेरी उम्र बढ़ती गयी, मेरी नंगी लड़कियों को देखने की इच्छा बढ़ती गयी.

मेरे घर में मेरी मां के अलावा कोई और औरत नहीं थी. तो माँ जब नहाने जाती थीं, तो मैं बाथरूम के दरवाजे की झिरी से माँ को नहाते हुए देखता था. लेकिन मुझे माँ के बड़े बड़े चूतड़ों के अलावा और कुछ नहीं दिखता था.

फिर एक दिन मैं पकड़ा गया, तो पिटा. उसके बाद मैंने माँ को देखना भी बंद कर दिया. लेकिन मैं मम्मी की पैंटी में मुठ ज़रूर मारता रहा. फिर मैं आस-पास की औरतों और लड़कियों को नहाते हुए देखने की जुगत में लगा रहता, लेकिन ढंग से कभी भी किसी लड़की को ढंग से नंगी नहीं देख पाया.

धीरे धीरे ऐसे ही समय गुज़रता गया और मुठ मार मार के मेरा लंड 6 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा हो गया. ये मेरे द्वारा नापा हुआ है, एकदम सही तरीके से.

मैंने कॉलेजी शिक्षा पास कर ली थी, लेकिन मैंने अब तक चूत तो क्या, किसी के चूचे तक नहीं देखे थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
जब मुझे मोबाइल मिला, तब नंगी लड़कियों के फोटोज ओर वीडियो देख देख कर अपनी आग मिटाने लगा. मैं शुरू से लड़कों वाले कॉलेज में पढ़ा था, तो मेरी किसी भी लड़की से दोस्ती तक नहीं थी और मुझे लड़कियों से बात करने में शर्म भी आती थी.

कॉलेज की पढ़ाई के बाद मैंने दूसरे कॉलेज में एडमिशन ले लिया था, जिसमें लड़कियां थीं. मेरी क्लास में 10-15 लड़कियां थीं, लेकिन मैं किसी से बात नहीं करता था, क्योंकि लड़कियों से बात करने में मेरी गांड फटती थी.

अब मैं हैंडसम तो था ही, तो मुझे मेरी क्लास की लड़कियां मुझे खुद ही लाइन देती थीं, पर मैं किसी को भाव नहीं देता था. फिर मुझे कई लड़कियां फेसबुक पर रिक्वेस्ट और मैसेज सेंड करने लगीं, जिससे मेरी बात उनसे मैसेज में होने लगी.

इस तरह एक लड़की से मेरी दोस्ती धीरे धीरे बढ़ गयी. उससे बात होने पर मैंने और लड़कियों से बात करना बंद कर दिया. हमारी दोस्ती आगे बढ़ती गयी और मैंने उसे प्रोपोज़ कर दिया, वो भी झट से मान गयी. वो मुझे पहले से ही पसन्द करती थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
हमारी मुलाकात होने लगी और मैं तो हवस की आग में जल ही रहा था. लेकिन वो मुझे किस के अलावा कुछ नहीं करने देती थी. मैंने उसे बहुत समझाया कि मुझे बस तुम्हें एक बार पूरी नंगी देखना है, मैं और कुछ नहीं करूँगा. लेकिन वो मानती नहीं थी.


ऐसे हमारे दो साल गुजर गए और मैंने अपनी क्लास पास कर ली. मैं अब तक किस के अलावा और कुछ नहीं कर पाया था.

फिर मैं आगे की पढ़ाई के लिए जयपुर आ गया और मेरा उससे ब्रेकअप हो गया.

मैंने सोचा जयपुर आकर तो खूब लड़कियां पट जाएंगी और मुझे चुदाई का सुख भी मिल जाएगा. लेकिन मेरी लड़कियों से बात न कर पाने की वजह से ऐसा कुछ नहीं हुआ और मैं हवस की आग में जलता रहा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
फिर मैंने अपना हॉस्टल छोड़ कर एक दूर के रिश्तेदार के रूम ले लिया और वहां रहने लगा. मुझे मकान मालकिन की बीवी यानि मेरी भाभी पसन्द आ गयी थीं, मैं उन्हें चोदने के सपने देखने लगा.

जब भी वो मेरे रूम में सफाई करने आतीं, तो मैं मेरा काम छोड़ कर उन्हें घूरने लग जाता. वो भी मुझे जिस तरीके से देखती थीं, उससे मुझे लगता कि उनके मन में मेरे लिए भी कुछ है.

एक दिन जब भैया घर पर नहीं थे, तो मैंने जानबूझ कर बिना कुंडी लगाए मुठ मारना शुरू कर दिया. तभी भाभी किसी काम से मेरे रूम में आईं. उन्होंने मुझे लंड हिलाते हुए देख लिया. उनका मुँह खुला का खुला रह गया और वो भाग गईं. मैं भी उनके पीछे पीछे भागा और उनसे सॉरी बोलने लगा.

मैं उनके पैरों में गिर गया- भैया को प्लीज कुछ मत बताना.
वो मान गईं और उन्होंने पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रैंड नहीं है क्या?
मैंने मना कर दिया, लेकिन वो मानने को तैयार ही नहीं हुईं.
मैंने उनसे कहा कि आप मेरी गर्लफ्रैंड बन जाओ.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
'वो हंसते हुए बोली- तुम 22 साल के हो चुके हो, तो क्या तुमने अभी तक जवानी के मजे लिये ही नहीं?
मैंने कहा- अभी तक मौका ही नहीं मिला.

फिर उसने एकदम से मेरे लंड पर हाथ फेरते हुए कहा- और अगर कभी मौका मिल जाए तो?
उसका हाथ लगते ही मेरा लंड एकदम से तन गया. वैसे भी वो बहुत देर से इस टॉपिक पर बातें कर रही थी इसलिए मैंने खुद को रोका हुआ था.

फ़िर अचानक वह मुझसे बोली तुम भी अब शादी कर ही लो, ऐसे कब तक चलेगा तो मैंने कहा हाँ भाई को देखकर मेरा भी मन करता है और उसके मज़े देखकर कभी जलन भी होती है।

भाभी बोली- क्यों जलन किस बात की, अरे वह तो तुम्हारी बचोलर लाइफ को अच्छा बताते हैं और कहते है कि वह गलत फ़ंस गये।

मैंने कहा- मैं सच कहूं तो एक बात की जलन बड़ी होती है कि भाई की बीवी बड़ी खूबसूरत है।

मेरा ऐसा कहने पर रानी पहले तो शरमा सा गई फ़िर बोली- अच्छा जी तो तुम मुंह में जबान भी रखते हो। मैं तो तुमको बड़ा सीधा साधा समझती थी, पर तुम भी कम नहीं हो बातें बनाने में। दूसरे की हरी हरी दिखती है, मेरी भी कुछ परेशानियाँहैं।



अपने सुख दुख को मुझसे सुनाती रहती थीं. उनकी बातें सुन कर मुझे उन पर बहुत दया आती थी.

मैंने कई बार उनसे बोल दिया था कि भाभी काश आपकी शादी मुझसे हुई होती, तो मैं आपको कभी कोई तकलीफ नहीं होने देता. पर वो मेरी इस बात को मजाक समझ कर इग्नोर कर देती थीं. पर मैं दिल से ये बात सच बोलता था



मैंने कहा- क्यों आपका एक अच्छा परिवार है बच्चा है। ऐसी कोई प्रोब्लम तो नहीं लगती आप दोनों ठीक ठाक कमाते हो।

भाभी ,बोली हाँ वह सब तो है पर। बहुत कुछ मिस करती हूं, फ़िर भी ठीक ही है।

तो भाभी बोली- बच्चा तो बस इस बात का सबूत है कि हम पति पत्नि हैं पर शायद एक पति पत्नि की तरह प्यार किये हमें सालों गुजर गये।

भाभीएकदम इमोशनल हो गई थी, मैंने उसके हाथ पर हाथ रखकर कहा- सब ठीक हो जायेगाआप उन्हें प्यार से समझाओ व। वहआपसे डरते तो है पर शायद अपनी आदत भी नहीं छोड़ पाता और इसका कारण भी शायद उसकी कम आमदनी है, तुम उस से ज्यादा मांगें ना किया करो।

भाभी ने अपना कंधा मेरी गोद में रख दिया और बोली- , तुम्हारी भी तो प्रोब्लम्स होंगी तो क्या ड्रिंक में ही सब प्रोब्लम का हल है?

वह मेरी गोद में आ गई थी, मैं उसकी बाहों पर हाथ फ़ेरने लगा, वैसे मैं ये कन्सोल करने के लिये कर रहा था पर मेरा सेक्सी मन पूरा मज़ा ले रहा था।


भाभी को भी मेरा टच पसंद आया था और वह कुछ नहीं बोली तो मैंने उसे और ऊपर खींच कर अपनी बाहों में ले लिया। भाभी ने कुछ नहीं कहा और अपना सर मेरे कंधों पर रख दिया।
मैं उसे कमर से पकड़ कर सोफ़े की तरफ़ ले गया तो वह मेरे साथ चल दी।

भाभीदिखने में एकदम पटाखा है, गोरा रंग और चमकदार चिकनी त्वचा, पतली कमर, कद 5’3″ उसका फ़िगर 34-26-36 होगा। रानी शायद चाहती थी कि मैं उससे खूब बातें करूं और उसकी तारीफ़ करूं पर में ऐसा नहीं कर पाया।

मैं अब तक भाभीके बदन को देखकर मस्त हो चुका था और मैंने सोचा बेटा इससे बढ़िया मौका किसी औरत के बदन से खेलने का मिलना मुश्किल है इसलिये मैं भी मौके का फ़ायदा उठाना चाहता था।

भाभी को क्या फ़र्क पड़ता अगर मैं वहाँ नहीं होता तोभाई तो उसके साथ रोज़ ही ऐसा करता। मैं उमर मेंछोटा तो हूँ और उसको अपनी बाहों में लेकर बोला सब ठीक हो जायेगा तुम चिंता मत करो बस मस्त रहो, अभी तो मैं तुमको निराश नहीं करुंगा!

और इतना कह कर मैंने उसके लिप्स पर अपने लिप्स रखकर उसके लिप्स को बंद कर दिया। भाभीसकपका गई और कुछ बोल नहीं पाई, मैंने उसके लिप्स जो बंद कर दिये थे। जैसे ही मैं अपने लिप्स हटाये वह बोली आप बहुत गंदे हो, आप ने ऐसी गंदी बात कैसे सोची।

मैंने कहा जो भाई नहीं करते वह मैं करता हूं तो तुम क्यों परेशान हो, मैं कौन हूं भूल जाओ थोड़ी देर के लिये। मैं भी तुम्हारा नज़दीक का हूं और सोचो मैं वह सब तुमको दे रहा हूं जो तुम भाई से इस समय चाहती हो।

मेरी इस बात का भाभी पर असर हुआ, वह बोली- पर मुझे डर लग रहा है, मैं उनके साथ कोई गलत तो नहीं कर रही।

मैंने कहा- सोच लो यह तुम्हारे ऊपर है और मैं उसे चूमता और उसके जांघों और बैक पर मसाज भी करता रहा।

भाभी बोली- प्लीज़ जैसा तुम चाहो पर प्लीज़ मेरे कपड़े मत उतारना आप बाहर से जो चाहे कर लो मुझे बड़ी शरम आ रही है।

मेरा तीर सही निशाने पर लग गया था और मैंनेभाभी को अपनी बाहों में ले लिया। फ़िर मैंने बिना समय गवाये किये हुए रानी के बूब्स पर उसकी कमीज़ के बाहर से ही हल्का हाथ फ़ेरना शुरु कर दिया।

दोस्तो ये सब कैसे हो रहा था मुझे नहीं मालूम, मैं इतना हिम्मत वाला नहीं हूं। भाभी मेरे छूने से मस्त हो रही थी, इसी बीच मैंने मौका देखकर रानी की सलवार का नाड़ा चुपके से खोल दिया और उसे पता नहीं चला।


मैं उसकी चिकनी जांघों पर हाथ फ़ेरना चाहता था पर जैसे मेरा हाथ उसकी पैंटी पर टच हुआ वह एकदम से नाराज़ होते हुए बोली- ,'' नो चीटिंग''!

और उसने अपनी सलवार एक हाथ से पकड़ ली, पर ऊपर से वह मस्त हो चुकी थी पर अभी भी मुझसे चुदवाने में वह संकोच कर रही थी पर मेरे टच से उसे मज़ा आ रहा था। उसकी सलवार अभी तक खुली हुई थी, जिसको उसने एक हाथ से पकड़ रखा था।

जैसे ही मैंने उसे अपनी बाहों में लिया तो उसके हाथों से उसकी सलवार नीचे सरक गई और मैंने ऊपर से उसकी कमीज़ की ज़िप पीछे से खोल दी और उसने अंदर से काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी। मैं तो उसके गोरे बदन पर काली ब्रा देखकर मस्त हो गया।





मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए मेरे करीब आ गईं और मेरे होंठों से होंठ मिला दिए. मैं भी उनके होंठ चूसने लगा और उनकी जीभ भी चूसने लगा. धीरे धीरे मेरे हाथ भाभी के मम्मों पर पहुंच गए. उनके चूचे 36 साइज़ के थे और बहुत ही मुलायम थे. मैं उनके मम्मों को दबाते हुए उनकी गर्दन पर किस करने लगा, जिससे उनकी सिसकारियां निकलने लगीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#7
वैसे तो मैं तो आराम से मस्ती के साथ मज़ा लेने वाला हूं पर सोफ़े में कम्फर्टेबल न होने के कारण ऐसा नहीं कर पाया।
मैंने जल्दी से वैसे तो मैं तो आराम से मस्ती के साथ मज़ा लेने वाला हूं पर सोफ़े में कम्फर्टेबल न होने के कारण ऐसा नहीं कर पाया।
मैंने जल्दी से भाभी की कमीज़ उतार दी और अब वह सोफ़े के बीच काली ब्रा और लाल पैंटी में आधी नंगी खड़ी थी।

फ़िर मैंने उसे कमर से पकड़ कर उसकी ब्रा के बाहर से ही उसके बूब्स पर किस करना शुरु कर दिया वह चिल्लाने वाली थी पर मैंने उसे डराते हुए कहा की किसी ने सुन लिया तो तुम्हारी बहुत बे-इज़्ज़ती होगी इसलिये जैसे मैं करता हूं मुझे करने दो।

मैं तो उसकी सारे शरीर पर मस्ती से मसलना, दबाना, रब करना और किस करना जारी रखा।
फ़िर मैंने उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया और उसके बूब्स को रब करने लगा.

अब भाभी मस्ती में आने लगी और उसको मेरा ऐसा करना अच्छा लगने लगा वो मुझे बीच में प्यार से मना करती और कभी कभी चूमने लगती पर उसे इस बात का डर लगता था कि कहीं भाई आ न जाये।

थोड़ी देर के बाद मैंने उसकी पैंटी के अंदर हाथ डाल दिया तो वह परेशान हो गयी और उसने जल्दी में अपनी पैंटी अपने आप उतार दी।
वाह, उसकी चूत बड़ी मस्त थी एकदम गुलाबी और उसके चारों ओर छोटे छोटे से भूरे बाल, मुझे लगता है उसने अपनी चूत एक दो दिन पहले ही साफ़ की थी।
उसकी चूत के बाल एकदम नर्म नर्म थे शायद उनको कल परसों ही काटा गया था वह ज्यादा लम्बे भी नहीं थे ज्यादा से ज्यादा 1-2 मिलीमीटर तक होंगे।

उसकी चूत देखकर तो वह 18-20 साल की सी लगती थी उसे बूब्स भी एकदम टाइट और छोटे छोटे थे।

पर जहाँ तक चूत की बात थी शायद अनिल तो कभी कभी ही उसकी चूत तक हाथ फ़ेर पाता था, उसकी चूत देखकर लगता नहीं था कि वह अभी तक एक बच्चा निकाल चुकी थी और कई बार एक 6 फुटे मर्द के लंड की मार झेलती थी।
वह एकदम नर्म गुलाबी मस्त गुदगुदी मक्खन जैसी थी।

उसकी ऐसी अनछुई चूत देखकर मैं अपने आप को रोके नहीं सका और मैं समझ गया कि ऐसी चूत दुबारा चोदने को शायद कब मिल पाये। की कमीज़ उतार दी और अब वह सोफ़े के बीच काली ब्रा और लाल पैंटी में आधी नंगी खड़ी थी।


मैंने उसकी पीठ पर हाथ फिराना शुरू कर दिया. उसकी ब्रा की पट्टी मुझे अपनी उंगलियों पर महसूस हो रही थी. उसके चूचे मेरी छाती पर लगे थे. मेरा लंड उसकी जांघों पर उछल-उछल कर वार कर रहा था. दोनों ही गर्म होते जा रहे थे.
फ़िर मैंने उसे कमर से पकड़ कर उसकी ब्रा के बाहर से ही उसके बूब्स पर किस करना शुरु कर दिया वह चिल्लाने वाली थी पर मैंने उसे डराते हुए कहा की किसी ने सुन लिया तो तुम्हारी बहुत बे-इज़्ज़ती होगी इसलिये जैसे मैं करता हूं मुझे करने दो।

मैं तो उसकी सारे शरीर पर मस्ती से मसलना, दबाना, रब करना और किस करना जारी रखा।
फ़िर मैंने उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया और उसके बूब्स को रब करने लगा.

अब वैसे तो मैं तो आराम से मस्ती के साथ मज़ा लेने वाला हूं पर सोफ़े में कम्फर्टेबल न होने के कारण ऐसा नहीं कर पाया।
मैंने जल्दी से भाभी की कमीज़ उतार दी और अब वह सोफ़े के बीच काली ब्रा और लाल पैंटी में आधी नंगी खड़ी थी।

फ़िर मैंने उसे कमर से पकड़ कर उसकी ब्रा के बाहर से ही उसके बूब्स पर किस करना शुरु कर दिया वह चिल्लाने वाली थी पर मैंने उसे डराते हुए कहा की किसी ने सुन लिया तो तुम्हारी बहुत बे-इज़्ज़ती होगी इसलिये जैसे मैं करता हूं मुझे करने दो।

मैं तो उसकी सारे शरीर पर मस्ती से मसलना, दबाना, रब करना और किस करना जारी रखा।
फ़िर मैंने उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया और उसके बूब्स को रब करने लगा.



उसके मस्त चूचे नंगे होकर लटक गये. मैंने उसके दोनों चूचों को अपने हाथों में भर लिया और उनसे ऐसे खेलने लगा जैसे कोई बच्चा बॉल से खेलता है. उनको हाथ में भर कर दबाने लगा. बहुत ही नर्म चूचे थे उसके. उसके निप्पल गहरे भूरे रंग के थे. मैंने उसके निप्पलों को अपनी एक उंगली और अंगूठे के बीच में दबा कर मसला तो वो उसके मुंह सिसकारी निकल गई. आह्ह … फिर मैंने उसको नीचे लिटा दिया और खुद उसके ऊपर लेट कर उसके चूचों को अपने मुंह में भर लिया. उसके निप्पलों को चूसने-काटने लगा.

देखते ही देखते भाभी के चूचे टाइट से हो गये. उनमें कसाव सा आ गया. अब उनके साथ खेलने में मुझे ज्यादा मजा आ रहा था.




अब भाभी मस्ती में आने लगी और उसको मेरा ऐसा करना अच्छा लगने लगा वो मुझे बीच में प्यार से मना करती और कभी कभी चूमने लगती पर उसे इस बात का डर लगता था कि कहीं [अनिल ]आ न जाये।

थोड़ी देर के बाद मैंने उसकी पैंटी के अंदर हाथ डाल दिया तो वह परेशान हो गयी और उसने जल्दी में अपनी पैंटी अपने आप उतार दी।
वाह, उसकी चूत बड़ी मस्त थी एकदम गुलाबी और उसके चारों ओर छोटे छोटे से भूरे बाल, मुझे लगता है उसने अपनी चूत एक दो दिन पहले ही साफ़ की थी।
उसकी चूत के बाल एकदम नर्म नर्म थे शायद उनको कल परसों ही काटा गया था वह ज्यादा लम्बे भी नहीं थे ज्यादा से ज्यादा 1-2 मिलीमीटर तक होंगे।

उसकी चूत देखकर तो वह 18-20 साल की सी लगती थी उसे बूब्स भी एकदम टाइट और छोटे छोटे थे।

पर जहाँ तक चूत की बात थी शायद [अनिल ] तो कभी कभी ही उसकी चूत तक हाथ फ़ेर पाता था, उसकी चूत देखकर लगता नहीं था कि वह अभी तक एक बच्चा निकाल चुकी थी और कई बार एक 6 फुटे मर्द के लंड की मार झेलती थी।
वह एकदम नर्म गुलाबी मस्त गुदगुदी मक्खन जैसी थी।

उसकी ऐसी अनछुई चूत देखकर मैं अपने आप को रोके नहीं सका और मैं समझ गया कि ऐसी चूत दुबारा चोदने को शायद कब मिल पाये।मस्ती में आने लगी और उसको मेरा ऐसा करना अच्छा लगने लगा वो मुझे बीच में प्यार से मना करती और कभी कभी चूमने लगती पर उसे इस बात का डर लगता था कि कहीं अनिल आ न जाये।

थोड़ी देर के बाद मैंने उसकी पैंटी के अंदर हाथ डाल दिया तो वह परेशान हो गयी ।
वाह, उसकी चूत बड़ी मस्त थी एकदम गुलाबी और उसके चारों ओर छोटे छोटे से भूरे बाल, मुझे लगता है उसने अपनी चूत एक दो दिन पहले ही साफ़ की थी।
उसकी चूत के बाल एकदम नर्म नर्म थे शायद उनको कल परसों ही काटा गया था वह ज्यादा लम्बे भी नहीं थे ज्यादा से ज्यादा 1-2 मिलीमीटर तक होंगे। पैंटी में से उनकी फूली हुई चूत मुझे अपनी तरफ बुला रही थी. मैंने उनकी पैंटी भी एक झटके में उतार दी. उनकी चूत पावरोटी की तरह फूल रही थी और उस पर छोटे छोटे बाल थे. चूत देख कर ऐसा लग रहा था कि अभी 3-4 दिन पहले ही झांटें साफ की हों.

उसकी चूत देखकर तो वह 18-20 साल की सी लगती थी उसे बूब्स भी एकदम टाइट और छोटे छोटे थे।

पर जहाँ तक चूत की बात थी शायद [अनिल] तो कभी कभी ही उसकी चूत तक हाथ फ़ेर पाता था, उसकी चूत देखकर लगता नहीं था कि वह अभी तक एक बच्चा निकाल चुकी थी और कई बार एक 6 फुटे मर्द के लंड की मार झेलती थी।
वह एकदम नर्म गुलाबी मस्त गुदगुदी मक्खन जैसी थी।

उसकी ऐसी अनछुई चूत देखकर मैं अपने आप को रोके नहीं सका और मैं समझ गया कि ऐसी चूत दुबारा चोदने को शायद कब मिल पाये।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#8
मैंने उनकी साड़ी और पेटीकोट खोल दिया. वो अब सिर्फ पैंटी में मेरे सामने खड़ी थीं. पैंटी में से उनकी फूली हुई चूत मुझे अपनी तरफ बुला रही थी. मैंने उनकी पैंटी भी एक झटके में उतार दी. उनकी चूत पावरोटी की तरह फूल रही थी और उस पर छोटे छोटे बाल थे. चूत देख कर ऐसा लग रहा था कि अभी 3-4 दिन पहले ही झांटें साफ की हों.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#9
मैं एकटक उनकी चूत को घूरता रहा. मैं पहली बार किसी लड़की को इतनी करीब से नंगी देख रहा था.
उन्होंने मुझसे पूछा- क्या देख रहे हो … पहली बार किसी की चूत देखी है क्या?


मै हतप्रभ सा उसकी चूत अगले पांच मिनट तक एकटक देखता रहा .












अब मैंउसकी चूंचियो को पीने को तड़पने लगा था। उसकी ब्रा को निकाल कर उसके दोनों खरबूजे जैसे चुच्चो के दर्शन करने के लिए उसे सोफे ओर लिटा दिया। उसकी दोनो बूब्स को हाथो से दबा दबा कर भरता बना रहा था। कुछ ही पलों बाद उसने अपना मुह उसकी निप्पल पर लगाकर दूध निचोड़ कर पीने लगा। उसकी चूंचियो का मजा ले ले कर चुसाई कर रहा था। निप्पल को दांतों से पकड़ कर खींच रहा था। अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ..अअअअअ..आहा .हा हा हा. क्यों मेरे राजा इतने दिन की तड़प को इन चूंचियो पर क्यूँ निकाल रहे हो?? मेरे राजा अपने मिसाइल को मेरी चूत में छोड़कर दिखाना। तुम भी अब मेरी मिसाइल से खेलने को तैयार हो जाओ”










फ़िर मैंने उसे सोफ़े पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया मैंने अपने कपड़े नहीं उतारे केवल पैंट की ज़िप खोलकर पैंट नीचे कर दी और अपना लंड बाहर निकाल कर भाभी के ऊपर चढ़ गया।

मेरे लंड के टच से तो भाभीपागल हो गयी और उसकी बोडी के टच से मेरा लंड भी टाइट होता चला गया मैं अपने लंड से उसकी पूरी बोडी पर रब करने लगा और वह शरमाते हुए चीखने लगी पर वह मस्ती में ये सब कर रही थी।

अचानक मुझे एक मस्ती सूझी और मैंने उसके दोनों बूब्स को दोनों हाथों में लेकर मसलने लगा और फिर उंगली और अंगूठे की मदद से उनके चूचुक को भी मसलने लगा वह आनंद के अतिरेक से अपने मुह से आवाज निकाल रही थी

भाभी तो मेरे इस एक्शन से मचल उठी थी वह 27-28 साल की औरत थी उसके मुकाबले मेरा चुदाई का कोई अनुभव नहीं था। थोड़ी देर में मेरा लंड इतना टाइट हो गया कि उसे हिलाना भी मुश्किल लग रहा था। अब मुझे लगा कि यह भाभीकी चूत में जाने के लिये बिल्कुल फ़िट है।

भाभी ने अपनी आंखें अभी भी बंद किये हुई थी। वह मेरा लंड देखकर घबराने का बहाना कर रही थी जबकि उसका पति पूरे 6′ का था और उसका लंड तो कम से कम 7-8′ का होगा।















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#10
अब वो मेरे कपड़े निकालने लगीं और मेरी शर्ट और बनियान निकाल कर मेरी चौड़ी छाती चूमने लगीं. फिर उन्होंने मेरा पैंट भी निकाल दिया और चड्डी के ऊपर से ही मेरा लंड सहलाने लगीं.

भाभी ने फिर मेरी चड्डी भी निकाल दी और मेरे लंड के हाथ में पकड़ कर एक दो बार ऊपर नीचे किया और मैं झड़ गया. मुझे बड़ी शर्मिंदगी महसूस हुई.
उन्होंने मुझसे पूछा- तुम्हारा पहली बार है क्या?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#11
तो मैंने उनको बताया कि मैंने तो आज तक किसी लड़की को नंगी तक नहीं देखा.
इस पर उन्होंने कहा- कोई बात नहीं, पहली बार ऐसा होता है.

फिर उन्होंने मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया. मेरा लंड दोबारा खड़ा होने लग गया. उन्होंने थोड़ी देर लंड चूसा और बेड पर चूत खोल कर लेट गईं.

भाभी ने मुझे अपने ऊपर आने का इशारा किया. मैं उनके ऊपर चढ़ गया और लंड उनकी चुत में डालने लगा. लेकिन बार बार मेरा लंड फिसल जाता.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#12
ये देख कर भाभी हंसने लगीं और मेरा लंड पकड़ कर अपने छेद पर रख कर बोलीं- अब धक्का मारो.
मैंने एक जोरदार धक्का मारा और मेरा पूरा लंड भाभी की चूत में समा गया. भाभी की एक ज़ोरदार आह निकल गयी.

लेकिन मुझे ऐसा लगा, जैसे किसी ने मेरे लंड को छील दिया हो. दर्द के कारण मैं थोड़ी देर ऐसे ही पड़ा रहा. फिर जब कुछ दर्द कम हुआ, तो मैं धक्के मारने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#13
फिर मैं लगातार धक्के मारता रहा, इस बीच भाभी झड़ चुकी थीं. चूंकि मैं पहले झड़ चुका था, तो दोबारा झड़ने में मुझे टाइम लगा और करीब 12 मिनट बाद मेरा झड़ने को आया.

मैंने भाभी से पूछा- कहां निकालूं?
तो उन्होंने कहा कि तुम्हारा पहली बार है, तो अन्दर ही निकाल दो.

मैंने धक्कों की स्पीड तेज़ कर दी और उनकी चुत में ही झड़ गया. झड़ने के बाद मैं उनके ऊपर ही गिर गया और उनके मम्मों के ऊपर सर रखकर लेट गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#14
उसके बाद मुझे उनको दोबारा चोदने का मौका नहीं मिला. फिर मैंने वो रूम भी छोड़ दिया और उसके बाद से अब तक मैं दोबारा मुठ मारकर अपनी हवस को शान्त कर रहा हूं.
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#15
मस्त!?
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#16
Meri havas ka nam kanchan didi 
मेरी हवस का नाम कंचन दीदी 


























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कंचन दीदी बहुत दिनों बाद घर आयी थी. दीदी के आने से मैं काफी खुस था, क्युकी मैं दीदी का दीवाना था. दोस्तों कंचन दीदी की उम्र ३२ साल है. दीदी की शादी को ५ साल हो गए है. दीदी गोरी चिट्टी और लम्बी है. उनका बदन शादी के बाद काफी भर गया था. बदन के एक एक अंग से जवानी का रस टपकता है. दीदी का फिगर ४०-३०-४० है. दीदी की चौड़ी छाती में दूध से भरी हुई चूचियां दो पहाड़ो के जैसी लगती है. बड़ी बड़ी चूचियां को संभालना उनके ब्लाउज के बस की बात नहीं है. इसलिए हमेशा उनका क्लीवेज दिख ही जाता है और गोरी गोरी नंगी चूचियों के दर्शन हो जाते है. और सबसे खतरनाक तो उनकी भारी भरकम चुत्तड़ है. जब वो मटक मटक कर चलती है तो उसकी हिलती हुई बड़ी सी गांड किसी का भी लंड खड़ा करदे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#17
दोस्तों मेरा नाम रोहित है और मैं कंचन दीदी से १० साल छोटा हूँ. पर कंचन दीदी मेरे सपनो की रानी है. हर रात मैं उन्हें चोदने का ख्वाब देखता रहता हूँ. और वो ख्वाब जल्द ही पूरा हुआ.

एक बार मेरे घरवाले एक रिलेटिव के यहाँ गए हुए थे. घर पर सिर्फ मैं और कंचन दीदी ही थे. मैं अपने रूम में पढाई कर रहा था. तभी दीदी मेरे कमरे में आयी.

दीदी: क्या रोहित तू दिन भर सिर्फ पढता ही रहता है… मैं बोर हो रही हूँ
मैं: हाँ दीदी एग्जाम आने वाले है
दीदी: अरे यार कुछ मस्ती भी किया कर हमेशा किताबो में घुसा रहता है.. चल मैं चाय बना रही हूँ फिर अपन गप्पे लड़ाते है

दीदी किचन में चाय बनाने लगी. कंचन दीदी ने आज ब्लू कलर की साड़ी पहनी थी. गोरे बदन पर ट्रांसपेरेंट साड़ी बहुत मस्त लग रही थी. दीदी का बैक मेरी तरफ था. जो पूरी तरह से खुला हुआ था सिर्फ एक डोर से ब्लाउज बंधी हुई थी. दीदी की नंगी गोरी पीठ बहुत ही सेक्सी लग रही थी. साड़ी में कसी दीदी की भारी गांड देखकर मेरे अंदर का शैतान जाग रहा था. मैं दीदी की बड़ी गांड को मारने के सपने देख रहा था. इतनी विशालकाय चुत्तड़ किसी का भी इमां हिला सकती है.
दीदी तब तक चाय बना चुकी थी, जब वो चाय देने के लिए झुकी तो मुझे उनकी बड़ी बड़ी चूचियां के दर्शन हो गए. दीदी मेरे बगल में बैठ गयी और बातें करनी लगी. उनकी साड़ी का पल्लू थोड़ा सा हटा हुआ था जिससे से उनका क्लीवेज साफ़ साफ़ दिख रहा था और आधे से ज्यादा चूचियां नंगी थे. मैं चुप चुप कर उनकी चूचियों के साइज नाप रहा था.

दीदी: और भाई कैसा चल रहा है कॉलेज
मैं: बढ़िया दीदी
दीदी: और दोस्त बनाये की नहीं कॉलेज में
मैं: हाँ दीदी कुछ दोस्त बने है पर कम है
दीदी: और गर्लफ्रेंड?
मैं: क्या दीदी आप भी
दीदी: अरे मैं सीरियसली पूछ रही हूँ, तेरी उम्र में तो लड़के गर्लफ्रेंड के साथ घूमते है
मैं: नहीं दीदी मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है
दीदी: इसलिए घर पर पड़ा रहता है.. गर्लफ्रेंड बना ले और घुमा कर
मैं: नहीं दीदी मुझे कोई इंटरेस्ट नहीं है
दीदी: क्या तुझे लड़कियों में इंटरेस्ट नहीं है?
मैं: दीदी मुझे अपनी उम्र की लड़कियां पसंद नहीं आती
दीदी: अरे यार… फिर तुम्हे कौन अच्छी लगती है
मैं: मुझे दीदी थोड़ी बड़ी लड़की पसंद आती है… ३० से उप्पर वाली
दीदी: अच्छा तुझे औरतो में इंटरेस्ट है… क्या अच्छा लगता है उनमे
मैं: क्या दीदी आप मुझे बेशर्म बना रही हो
दीदी: अरे भाई मैं तो तेरी दोस्त हूँ … तू मुझे बेझिझक बता सकता है.
मैं: ठीक है दीदी … शादीशुदा औरतो का बदन हर जगह से भरा हुआ होता है
दीदी: खुल के बता भाई
मैं: दीदी मुझे औरतो की बड़ी बड़ी चूचियां और भारी गांड अच्छी लगती है
दीदी: ओह्ह्ह्हह ऐसा है… तू तो साला बड़ा हरामी निकला..
मैं: क्या दीदी…

मैं बात करते हुए दीदी की चूचियों को ताड़ रहा था. दीदी की सांसे तेज चलनी लगी थी, सायद मेरी बातों से वो गरम हो रही थी. हर सांस के साथ चूचियां हवा में उछल रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#18
दीदी: कोई है नजर में तेरे बड़ी औरत जिसे तू पसंद करता है
मैं: दीदी आप बुरा तो नहीं मानोगी
दीदी: बोल ना भाई…शर्मा क्यू रहा है
मैं: दीदी मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो
दीदी: क्या मैं….. साले अपनी बड़ी बहन पर ही गन्दी नजर रखता है
मैं: दीदी मैंने बोला था आपको बुरा लग जायेगा…
दीदी: अच्छा ठीक है… चल बुरा नहीं मानती… क्या अच्छा लगता है मुझमे
मैं: उफ्फ्फ दीदी आप ऊपर से निचे तक माल हो. आपका बदन जवानी के रस से भरा हुआ है..तरबूज के जैसी बड़ी बड़ी चूचियां, पतली कमर और आपकी भारी गांड सब कयामत है
दीदी: आआह्ह्ह्हह भाई और क्या सोचता है मेरे बारे में
मैं: दीदी मैं आपकी इन आमो को दबा दबा कर चूसना चाहता हूँ, आपकी चौड़ी गदरायी चुत्तड़ को मसलना चाहता हूँ. और अपना लंड आपकी बूर में डाल कर चोदना चाहता हूँ
दीदी: आअह्ह्ह्ह भाई मैं तेरी बड़ी बहन हूँ तू मेरे बारे में ऐसा सोचता है
मैं: दीदी आप जैसी माल के लिए तो मैं बहनचोद भी बन जाऊ. देख अपने भाई का लंड तेरी गदरायी जवानी देख कर कैसा अकड़ गया है

मैंने दीदी का हाथ अपने लंड पर रख दिया और अपना हाथ दीदी की चूचियों पर रख दिया और दबाने लगा.. दीदी भी मेरे लंड को सहला रही थी..

दीदी: ओह्ह्ह्हह रोहित मेरे भाई .. मुझे नहीं पता था की तेरे जैसा जवान लड़का मुझे चोदना चाहता है..
मैं: आह्ह्ह्ह कंचन दीदी आप तो मेरे लिए काम की देवी हूँ.. जिसे मैं भोगने के लिए तड़प रहा हूँ
दीदी: अह्ह्ह्हह भाई… बहुत दिनों बाद जवान लंड खाऊँगी मैं

दीदी ने मेरी पैंट उतार दी और मेरे लंड को सक करने लगी. दीदी मेरे ९” के लौड़े को मुंह में डालकर बहुत सेक्सी अंदाज में चूस रही थी..

दीदी: उफ्फ्फ्फ़ बहुत प्यारा लंड है भाई तेरा…
मैं: अह्ह्ह्ह दीदी ऐसे ही चुसो.. कंचन मेरी जान अपने भाई का लंड लोगी ना अपनी चुत में
दीदी: हाँ भाई ऐसा जवान और बड़ा लंड लेने के लिए मेरी चुत भी मचल रही है

दीदी ने चूस कर मेरा लंड झाड़ दिया. मैंने दीदी को पीछे से पकड़ लिया और चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से मसलने लगा. दीदी अह्ह्ह्हह ओह्ह्ह्हह की आवाजे निकल रही थी.. इतनी बड़ी बड़ी चूचियों को दबाने का अलग ही मजा होता है. अब मैं उनकी नंगी पीठ को किश करने लगा और ब्लाउज की डोरी खोल दी. ब्लाउज में कैद दो बड़े बड़े तरबूज अब हवा में उछल रहे थे. दीदी की चूचियां मेरी उम्मीद से भी बड़ी थी. मैं चूचियों को चूस चूस कर दबा रहा था. मैं बहुत देर तक दीदी की चूचियों से खेलता रहा और दीदी की भारी चुत्तड़ो को भी खूब दबाया. फिर मैंने दीदी की साड़ी उतर दी और पेटीकोट भी. दीदी अब नंगी मेरी बिस्तर पर लेटी थी. मैंने दीदी की चिकनी बूर को चूसने लगा.. दीदी की आहे निकल रही थी और चुत काफी गीली हो गयी थी..

मैं: दीदी मैं सपने में आपको ऐसी ही नंगी करके चोदता हूँ
दीदी: आआह्ह्ह्हह भाई आजा करले अपना सपना पूरा … घुसा अपना मोटा लंड मेरी चुत में और बनजा बहनचोद

मैंने दीदी की बूर की फांको को फैलाया और अपना लंड का सुपाड़ा अंदर रखा. एक करारा शॉट मारके अपना लंड दीदी की बूर में पेल दिया.. दीदी दर्द से चिल्लाने लगी

दीदी: उईईईईई माँ … मार डाला रे …साले अपनी बहन को चोद रहा है रंडी को नहीं
मैं: ओह्ह्ह मेरी कंचन जानेमन … तू मेरे लिए किसी रंडी से कम नहीं है…
दीदी: आह्ह्ह्हह बहनचोद साले मुझे रंडी बोल रहा है…. चल आ इस रंडी की आग को शांत कर
मैं: उफ्फ्फफ्फ्फ़ दीदी आज तो मैं आपकी बूर फाड़ दूंगा..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#19
मैं लम्बे लम्बे शॉट्स मरने लगा. मेरा लंड बहुत तेजी से कंचन दीदी की बूर चोद रहा था. उनकी हिलती हुई बड़ी बड़ी चूचियां को मैं दबा दबा कर चुदाई कर रहा था..दीदी भी बहुत मजे लेकर चुद रही थी. उनकी आँहो से पूरा रूम गूंज रहा था…

दीदी: आअह्ह्ह्ह भाई बहुत दिनों बाद ऐसा तगड़ा लंड गया है मेरी चुत में…
मैं: ओह्ह्ह्हह … दीदी क्या बदन पाया है अपने.. मन करता है दिन रात आपको नंगी करके बस चोदता रहू..
दीदी: उउउउउ ईईईई भाई और तेज मार मेरी चुत … आअह्ह्ह्ह भाई बुझा ले अपनी हवस.. रगड़ कर चोद ले मुझे
मैं: उफ्फ्फ्फ़ दीदी डॉगी स्टाइल में आ जाओ …

दीदी अब डॉगी स्टाइल में मेरे सामने खड़ी थी… दीदी की चौड़ी भारी गांड मेरे सामने नंगी खड़ी थी. मेरा मन दीदी की गांड मारने का भी कर रहा था… पर मैं सिर्फ अभी दीदी की बूर चोदना चाहता था. मैंने दीदी की गांड को पकड़ा और अपना लंड उनकी बूर में फिर से पेल दिया और चोदने लगा. दीदी की गांड बहुत बड़ी थी, जिसे पकड़ कर चोदने में बहुत मजा आ रहा था. हर शॉट के साथ दीदी की चुत्तड़ मेरे कमर से टकरा रही थी, जिसे देख कर मेरा जोश और बढ़ रहा था. मैं दीदी की हिलती हुई चूचियों को पीछे से मसल रहा था. मेरा लंड ताबड़ तोड़ दीदी की बूर को चोद रहा था..

दीदी: अह्ह्ह्हह भाई… इतना मजा मुझे कभी नहीं आया चुदने में… फ़क मी डार्लिंग
मैं: उफ्फफ्फ्फ़ ऐसा बदन तो सिर्फ चोदने के लिए होता है दीदी

मैं १ घंटे से दीदी को चोद रहा था. फिर मैं दीदी को सम्भोग की पोजीशन में लिया. अब मैं दीदी को किश करते हुए चोद रहा था. दीदी ने अपनी टांगो से मेरी कमर को जकड रखा था और वो गांड उछाल उछाल कर चुद रही थी..

दीदी: ओह्ह्ह्हह्हह मेरे भाई कितना चोदेगा मुझे … १ घंटा हो गया है ..
मैं: आआअह्ह्ह्हह दीदी आपका भाई तो पूरी रात आपको चोदेगा…
दीदी: आअह्ह्ह उईईईईई भाई…. फ़क मी हार्डर बेबी..

मैं दीदी को किश कर रहा था, उनकी फुटबॉल जैसी चूचियों को दबा दबा कर चोद रहा था.


दीदी: ओह्ह्ह्हह भाई फ़क योर सिस्टर डार्लिंग… माय स्वीट ब्रदर फ़क मी डीपर बेबी…
मैं: उफ्फफ्फ्फ़ दीदी आपके जैसी बहन भगवान हर भाई को दे ….
दीदी: उईईईईई भाई …. मेरा निकलने वाला है… कीप फकिंग माय पुसी …. और तेज चोद भाई..

मैं बहुत तेजी से दीदी को चोदने लगा. मेरा लंड घाचा घच दीदी की बूर में अंदर बाहर हो रहा था.. हमारी साँसे तेज हो रही थी… मैं दीदी की बड़ी बड़ी चूचियों को दबा दबा कर चूस रहा था और लम्बे लम्बे शॉट्स मार रहा था. आआअह्ह्ह्हह भाई और तेज …. चोद अपनी बहन को… दीदी की आवाजे गूंज रही थी… फिर हमदोनो झड गए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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