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दीदी और मेरी चुदाई कि दास्तान
यह मेरी आज की कहानी मेरे और मेरी बहन के बीच की एक सच्ची घटना है जिसमे आज में आप सभी को बताने जा रहा हूँ कि कैसे मैंने अपनी बहन को चोदा? और ना सिर्फ चोदा, बल्कि उनको एक अनमोल उपहार भी दिया, वो अनमोल उपहार है एक बेटी, जो कि मेरी है और में अपनी बेटी से बहुत प्यार करता हूँ। मेरी बहन का नाम सपना है, उसकी उम्र 26 साल है, वो दिखने में एक बहुत सुंदर लगती है और अब उसकी शादी हो चुकी है। दोस्तों वैसे तो मेरी बहन पर मेरी बुरी नियत शुरू से ही थी, मेरा उस पर मन कैसे खराब हुआ? यह आज में आप भी को बताने जा रहा हूँ। दोस्तों उन दिनों में 12वीं क्लास में था, तो किसी कारण से उस दिन मेरे कॉलेज में जल्दी छुट्टी हो गई और उस दिन में अपने घर जल्दी आ गया। फिर जब में अपने घर पहुँचा तब मैंने देखा कि मेरे पापा ऑफिस जा चुके थे और माँ भी घर में नहीं थी।
फिर मैंने अपनी दीदी से पूछा कि माँ कहाँ है? तब दीदी मुझसे कहने लगी कि माँ पड़ोस में गई है, उनके यहाँ कोई पूजा है जिसकी वजह से वो देर से घर आएगी। फिर मैंने उनको कहा कि ठीक है और फिर में अपने कमरे में बैठकर पढ़ाई करने लगा था। दोस्तों हमारे घर में बाथरूम नहीं था और उन दिनों हम सभी लोग बाहर आंगन में हेडपंप के पास ही बैठकर नहाते थे। फिर जब माँ और दीदी नहाने जाती थी, तब वो कमरे का दरवाज़ा बाहर से बंद कर देती थी। फिर जब में उस दिन पढ़ाई कर रहा था, तब दीदी मुझसे कहने लगी कि राज में नहाने जा रही हूँ, तुम पढ़ाई करो में तब तक दरवाज़ा बाहर से बंद कर देती हूँ। अब मैंने उनको कहा कि हाँ ठीक है और फिर दीदी इतना मुझसे कहकर बाहर चली गई और उन्होंने मेरे कमरे का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया, लेकिन उस दिन गलती से कमरे का दरवाजा ठीक से बंद नहीं हुआ था। फिर उनके बंद करते ही दरवाज़ा थोड़ा सा खुल गया था, लेकिन उसके ऊपर दीदी ने ध्यान नहीं दिया। अब दीदी नहाने के लिए बैठ गई, तभी अचानक से मेरी नजर उन पर पड़ी तो मैंने देखा कि दीदी नहाने के लिए अपने कपड़े उतार रही है। अब में दीदी को देखकर एकदम चकित रह गया था और में अपनी चकित नजरों से लगातार उन्हें घूरकर देखता ही रहा।
दोस्तों ज्यादातर समय दीदी घर में टॉप और स्कर्ट ही पहनती है। फिर मैंने दीदी को देखा, तो वो उस समय अपना टॉप उतार रही थी और अब मेरे देखते देखते उन्होंने अपनी स्कर्ट को भी उतार दिया था। अब उस वजह से दीदी सिर्फ ब्रा-पेंटी में थी, में तो दीदी को पहली बार उस हालत में देखता ही रह गया था और में बड़ा चकित था क्योंकि मैंने उनका वो रूप पहली बार देखा था। फिर दीदी ने कुछ देर बाद अपनी ब्रा-पेंटी को भी उतार दिया और नहाने लगी और वो पूरी तरह से नंगी होकर अब नहाने लगी थी और अपने बदन पर साबुन लगाते हुए अपने बूब्स को दबा रही थी। अब में वो सब देखकर बड़ा ही गरम उत्तेजित हो गया, दीदी करीब दस मिनट तक वैसे ही अपने बदन को दबाकर रगड़ते हुए नहाती रही और में उनके नंगे बदन को घूरकर देखता रहा और फिर उसके बाद दीदी कपड़े पहनकर कमरे में आ गई। दोस्तों उस दिन वो द्रश्य देखने के बाद से मेरी नियत दीदी के लिए बड़ी खराब हो चुकी थी और फिर जब भी मुझे कोई अच्छा मौका मिलता, तब में उन्हें नंगा देखने की कोशिश करने लगा था। दोस्तों हमारे घर में बस दो ही कमरे है तो एक कमरे में मेरी माँ-पापा सोते थे और दूसरे कमरे में मेरी दीदी और में सोता था। अब मेरे कमरे में बड़ा पलंग होने की वजह से हम दोनों एक साथ ही उसी पर सोते थे।
फिर एक रात को मैंने सही मौका पाकर देर रात को सोते हुए दीदी के जिस्म से खेलना शुरू कर दिया, लेकिन उनकी तरफ से मुझे कोई भी हलचल महसूस नहीं हुई जिसकी वजह से मेरी हिम्मत पहले से भी ज्यादा अब बढ़ चुकी थी। अब जब भी वो रात में सोती थी, तब में मौका पाकर उनके बूब्स को दबाता और उसकी स्कर्ट के अंदर अपना एक हाथ डालकर उनकी पेंटी के ऊपर से ही दीदी की चूत से खेलने लगा था। फिर कुछ दिन जब कुछ नहीं हुआ तो मेरी हिम्मत अब ज्यादा ही बढ़ गई और में अपना हाथ उनके कपड़ो के अंदर डालने लगा था और उनके बूब्स और चूत से खेलने लगा था, लेकिन दीदी को कभी ना कभी तो पता चलना ही था। एक दिन में पकड़ा गया, में उस समय बहुत डर गया था और में अपनी दीदी के आगे बड़ा गिड़गिड़ाया उनको कहने लगा कि प्लीज दीदी आप माँ-पापा से कुछ भी मत कहना। अब वो मेरा कहा मान तो गई, लेकिन साथ में उन्होंने मुझे धमकी भी दे दी कि अगर अगली बार से मैंने ऐसा कुछ किया, तो वो मेरी कोई भी बात नहीं सुनेगी और माँ-पापा को मेरी सभी हरकतों के बारे में जरुर बता देगी। फिर मैंने उनको कहा कि हाँ ठीक है मुझे आपकी हर बात मंजूर है, ऐसा दोबारा कभी नहीं होगा, लेकिन इस बार आप मेरी गलती को माफ कर दो।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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फिर दिन ऐसे ही बीतने लगे थे, अब मैंने वो सब काम तो छोड़ दिए थे, लेकिन उनको चोदने की इच्छा तो मेरे मन अब भी थी और वो मेरे मन से बिना चुदाई किए नहीं जाने वाली थी। फिर जब वो 24 साल की हुई तब उनकी शादी हो गई और वो अपने ससुराल चली गई और फिर उसके बाद से ही मेरे अच्छे दिन शुरू हो गये। फिर शादी के बाद जब पहली बार दीदी मेरे घर आई, तब दीदी बहुत सुंदर लग रही थी। फिर रात को जब हम सोने गये, तब पता नहीं मेरे मन में क्या हुआ? मैंने फिर से उनके बदन को छूना शुरू किया। अब वो उस साड़ी में ही सो रही थी, तब मेरा हाथ उनकी पतली गोरी चिकनी कमर पर चला गया। फिर उसी समय मैंने दीदी के मुँह से हल्की सी आह की आवाज सुनी और मुझे थोड़ा अजीब सा लगा, लेकिन फिर मेरी उससे आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं हुई। फिर अगली सुबह मेरी कुछ जल्दी ही आंख खुल गई, तब मैंने पाया कि दीदी मुझसे चिपकी हुई थी और उनका पैर मेरे ऊपर था और उनकी साड़ी घुटनों तक ऊपर उठी हुई थी और उनका हाथ मेरी पेंट के ऊपर से मेरे लंड को पकड़े हुए था।
अब मुझे यह सब देखकर बहुत अच्छा लगा, तब मैंने भी अपनी तरफ से थोड़ी बदमाशी करने का विचार बना लिया और फिर मैंने उनका हाथ पहले तो अपने लंड पर से हटा दिया और फिर मैंने अपनी पेंट को खोला और थोड़ी नीचे करके और अपना अंडरवियर भी थोड़ा सा नीचे सरका लिया जिसकी वजह से मेरा लंड अब बिल्कुल फ्री होकर आजाद हो गया था। फिर मैंने दीदी का हाथ अपने नंगे लंड पर रखा और धीरे-धीरे दीदी के ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए, तब मैंने देखा कि वो अंदर काले रंग की ब्रा पहने हुए थी। अब में वैसे ही लेटा रहा, जब थोड़ी देर के बाद दीदी की आँख खुली तब शायद वो एकदम चकित रह गई। फिर मैंने डर की वजह से अपनी आंख नहीं खोली, लेकिन मुझे इतना जरूर लगा था कि वो थोड़ी सी हड़बड़ा जरुर गई है। फिर मैंने कुछ देर बाद अपनी आँख थोड़ी सी खोली तब मैंने देखा कि दीदी अपने ब्लाउज के बटन बंद कर रही थी, मैंने फिर से अपनी आँख को बंद कर लिया। अब दीदी ने मेरे लंड को मेरे अंडरवियर में छुपाया और वो तुरंत उठकर कमरे से बाहर चली गई। दोस्तों हम हर रात को सोते समय अंदर से कमरे का दरवाजा बंद करके सोते है इस वजह से किसी को कुछ पता नहीं चला था।
फिर थोड़ी देर के बाद में भी उठा, लेकिन अब मुझे बहुत डर लग रहा था कि बाहर पता नहीं क्या हो रहा होगा? कहीं दीदी माँ से तो वो सभी बातें नहीं बोल देगी? फिर थोड़ी देर तक में वैसे ही बैठा सोचता रहा। फिर थोड़ी देर के बाद दीदी मेरे लिए चाय लेकर मेरे कमरे में आ गई और उन्होंने मुझे चाय दे दी, वो मुझसे कुछ नहीं बोली थी, लेकिन उस समय वो बहुत शांत ना जाने किस सोचा विचारी में लगी हुई थी। अब मेरी तो हालत धीरे धीरे खराब हो रही थी और में चाय पीने के बाद अपने कमरे से बाहर आ गया, मैंने देखा कि पापा अपने ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रहे थे और माँ अपने कामों में लगी थी और दीदी भी शांत लगने की कोशिश कर रही थी, लेकिन शायद उसके दिमाग में वही सब घूम रहा था। फिर उन्होंने किसी से इस बात को नहीं कहा और वो दिन ऐसे ही निकल गया। फिर उस रात को जब हम सोने गये, तब दीदी अपनी उसी पुराने कपड़ो में थी जिसको वो शादी से पहले हमेशा पहना करती थी, वो टॉप-स्कर्ट में मेरे सामने थी। अब मुझे यह देखकर बहुत अच्छा लगा कि चलो आज शायद बहुत दिनों के बाद मज़े करने का मौका मिलेगा।
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फिर रात इसी तरह से गुज़रने लगी थी और थोड़ी देर के बाद में अचानक से उठा, दीदी ने मुझसे पूछा क्या हुआ? तब मैंने कहा कि कुछ नहीं, में जरा पेंट बदलकर अभी आता हूँ, में थोड़ा अजीब सा महसूस कर रहा हूँ। अब दीदी ने कहा कि रोज तो तुम ऐसे ही सोते हो, तो आज क्या समस्या है?
मैंने कहा कि सुबह मेरे पैर में चोट लगी थी, फिर दीदी बोली कि हाँ ठीक है, तुम जाकर लुंगी पहन लो में उनकी वो बात सुनकर बड़ा खुश हो गया और तुरंत ही कपड़े बदलकर आ गया। अब मैंने अपनी पेंट के साथ-साथ अपनी अंडरवियर को भी उतार दिया था और फिर हम दोनों सो गये। फिर रात में मैंने महसूस किया कि दीदी का हाथ एक मेरी लुंगी के ऊपर से ही मेरे लंड पर था, तब मैंने अपनी लुंगी को पूरी खोलकर अलग कर दिया और में नीचे से पूरा नंगा हो गया। अब मेरा लंड कुतुबमीनार की तरह खड़ा हो गया था, मैंने ऊपर भी कुछ नहीं पहना था और अब में पूरी तरह से नंगा था। फिर मैंने दीदी का एक हाथ अपने लंड पर रखा और उसके टॉप के बटन खोलने लगा। तभी दीदी थोड़ी हिली और मेरा लंड ज़ोर से पकड़ लिया उसके बाद वो मुझसे और भी ज्यादा चिपक गई अपने होंठ मेरे बहुत पास ले आई ।
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उस समय में बहुत जोश में आकर गरम हो चुका था, लेकिन में फिर भी बहुत काबू कर रहा था, मैंने किसी तरह दीदी के टॉप का बटन खोल दिया। अब उस वजह से मेरे सामने उनकी ब्रा में कैद उनके वो गोलमटोल गोरे बूब्स तुरंत बाहर आ गए और उनके बूब्स ब्रा में बहुत मस्त लग रहे थे। फिर मैंने किसी तरह से उनका स्कर्ट ऊपर किया, जिसकी वजह से मुझे उनकी पेंटी दिखने लगी थी और में उसी हालत में सो गया। फिर सुबह मेरी आँख देर से खुली तब मैंने देखा कि दीदी जाग चुकी थी और कमरे से बाहर चली गई, उन्होंने कमरे का दरवाज़ा लगाया हुआ था और मै नंगा ही सोया हुआ था। फिर उस दिन भी कुछ नहीं हुआ और वो दिन भी ऐसे ही निकल गया और उस रात को जब में सोने आया, तब दीदी मुझे बड़ी ही अजीब सी नजरों से देख रही थी, शायद उन्हें शक हो गया था कि रात को वो सब में करता हूँ। फिर उस रात को मैंने कुछ नहीं करने की बात अपने मन में सोची, उस दिन भी में सिर्फ लुंगी में था और जैसा कि मैंने सोचा था कि दीदी सोने का नाटक करने लगी थी, लेकिन उस रात को मैंने कुछ नहीं किया, लेकिन में सारी रात सो भी नहीं सका था।
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फिर किसी तरह से रात कट गई और अगली सुबह मुझे दीदी शांत लगी, शायद उन्हें शक था कि उनके साथ रात में वो सब में करता हूँ, जो अब उनके मन से दूर हो गया था। फिर उस दिन पापा के ऑफिस चले जाने के बाद माँ भी पड़ोस में चली गई और उस समय घर में मेरे और दीदी के अलावा और कोई नहीं था। अब दीदी ने मुझसे कहा कि राज तुम जाकर नहा लो, मैंने उनसे कहा कि दीदी अभी नहीं पहले आप नहा लो, उसके बाद में नहा लूँगा। तभी दीदी ने अचानक से मुझसे कहा कि ठीक है चलो, आज हम दोनों साथ में ही नहाते है। अब में उनके मुहं से यह बात सुनकर तो में बहुत चकित होने के साथ ही बड़ा खुश भी हुआ, लेकिन मैंने भाव खाते हुए उनसे कहा कि दीदी यह आप क्या बोल रही हो? आप मेरी दीदी हो, में आपके साथ कैसे नहा सकता हूँ? तभी दीदी कहने लगी क्यों? नहाने में क्या बुराई है? तब मैंने कहा कि कुछ नहीं। अब दीदी बोली कि देखो माँ आ जाएगी तो उनके आने से पहले चलो नहा लिया जाए, नहीं तो हमे यह मौका दोबारा नहीं मिलने वाला। फिर मैंने उनको कहा कि हाँ ठीक है चलो हम आज साथ में नहा ही लेते है। अब में और दीदी आंगन में हेडपंप के पास जाकर बैठ गये, दीदी ने मुझसे कहा कि तुम अपनी लुंगी को उतार दो।
फिर मैंने उनसे कहा कि मैंने अंदर कुछ नहीं पहना है, वो मुस्कुराने लगी और बोली कि जा अंदर जाकर अपनी अंडरवियर पहन ले। फिर में अंदर गया और अपनी अंडरवियर को पहनकर वापस आ गया और उस समय में दीदी के सामने सिर्फ अंडरवियर में ही था। फिर मैंने भी दीदी से कहा कि दीदी आप भी अपने कपड़े उतार दो, दीदी मुस्कुराते हुए बोली कि नहीं, में ऐसे ही नहाऊँगी। अब में उनको कुछ नहीं बोला, और हम दोनों नहाने लगे, दीदी अब मेरे ऊपर पानी डालकर मुझे साबुन लगाने लगी थी, जिसकी वजह से मुझे अब बहुत मज़ा आ रहा था। फिर मैंने भी उन पर पानी डाल दिया, तभी दीदी मेरे ऊपर बड़े ही प्यार से चिल्लाई, राज क्या कर रहे हो? मैंने कहा कि अपनी दीदी से प्यार। अब दीदी के गीले होने की वजह से उनकी ब्रा मुझे साफ-साफ नजर आ रही थी। फिर उस दिन उससे ज्यादा कुछ नहीं हुआ। फिर शाम को पापा आए और बोले कि उन्हें ऑफिस के काम से हमारे शहर से कहीं बाहर जाना है और उसी समय मैंने कहा कि माँ आप भी पापा के साथ जाकर घूम आए।
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अब पापा मेरी वो बात मान गये, लेकिन माँ बोली कि तो घर पर कौन रहेगा? तब मैंने कहा कि में और दीदी है ना और बस 15 दिन की ही तो बात है, उसी में क्या हो जाएगा? आखरी में माँ भी मान गई और फिर माँ-पापा चले गये।
फिर उस रात को जब दीदी और में सो रहे थे तब मैंने महसूस किया कि दीदी मेरे लंड से खेल रही है, मुझे बहुत अच्छा लगा। फिर थोड़ी देर तक खेलने के बाद दीदी ने मेरी पेंट के अंदर अपना एक हाथ डाल दिया और वो मुझसे चिपक गई। अब मैंने भी अच्छा मौका देखकर अपने होंठ दीदी के होंठो से लगा दिए और में चूसने लगा। फिर दीदी ने भी कुछ नहीं कहा और फिर हम दोनों पागलों की तरह एक दूसरे को प्यार करते रहे और करीब 15 मिनट तक हम एक दूसरे को पागलों की तरह चूमते रहे और फिर थोड़ी देर के बाद हम अलग हुए, तब हमने पहली बार एक दूसरे को देखा और बड़ी ज़ोर से हँसे। दोस्तों तब मैंने एक बार फिर से बड़ी ज़ोर से दीदी के होंठो को चूसा और उनसे कहा कि दीदी में आपको बहुत प्यार करता हूँ। तभी दीदी भी मुझसे बोली कि हाँ राज में भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। फिर दीदी मुझसे बोली कि राज तुम खुश तो हो ना?
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अब मैंने कहा कि हाँ दीदी में बहुत खुश हूँ, लेकिन दीदी क्या में आपको? तो दीदी बोली कि बोलना पागल, शरमाता क्या है? तब मैंने कहा कि दीदी क्या में आपको एक बार नंगी देख सकता हूँ। अब दीदी ने मेरे होंठो पर एक मस्त जबरदस्त चुम्मा किया और वो बोली कि मेरे भाई आज हमारी सुहागरात शुरू होने वाली है, मुझे नंगा देखना तो क्या? तुम जितना जी चाहे मुझे चोदना, लेकिन तुम नहाकर तैयार हो जाओ में कुछ कपड़े देती हूँ तुम वो पहन लो और में भी थोड़ी देर में तैयार होकर अभी आती हूँ, लेकिन तब तक इंतजार करो। फिर मैंने कहा कि हाँ ठीक है, दीदी नहाने चली गई और नहाकर माँ के कमरे में घुस गई, में भी नहाकर कमरे में आया, देखा वहाँ कुर्ता पजामा रखा हुआ था, जिसको अब मैंने पहन लिया था। फिर थोड़ी देर के बाद दीदी ने मुझे माँ के कमरे में पुकारा, फिर जब में वहाँ गया तब मैंने देखा कि दीदी पलंग पर बैठी हुई थी। फिर मैंने वो कमरा अंदर से बंद किया और में उनके पास चला गया, दीदी ने मुझे पीने के लिए एक दूध का गिलास दिया और वो मेरे कान में बोली कि आज में सिर्फ तुम्हारी हूँ, तुम मेरे साथ जो भी करना चाहो करो, में कुछ नहीं बोलूँगी।
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अब में दीदी के पास बैठ गया और , उसके बाद मैंने उनकी साड़ी को भी उतार दिया और अब दीदी शरमाकर अपना सर झुकाकर खड़ी थी। फिर मैंने दीदी के शरीर से उनके ब्लाउज और पेटीकोट को अलग किया, जिसकी वजह से दीदी सिर्फ ब्रा-पेंटी में थी। अब दीदी ने कहा कि सिर्फ मेरे कपड़े ही खोलोगे, अपने भी तो उतारो, तब मैंने उनको कहा कि क्यों? तुम खुद ही निकाल लो। फिर दीदी ने मुझे भी नंगा किया और मैंने उनके बदन से बाकी बचे हुए कपड़े भी अलग कर दिए। अब हम दोनों भाई-बहन बिल्कुल नंगे एक दूसरे के सामने खड़े थे, हम दोनों एक दूसरे से चिपक गये और अब हमारे सारे अंग एक दूसर से चिपके हुए थे हमारे होंठ छाती मेरा लंड और उनकी चूत सब कुछ। फिर थोड़ी देर तक चूमने के बाद हम अलग हुए और फिर मैंने दीदी को अपनी गोद में उठाया और पलंग पर लेटा दिया और में उनके बूब्स को चूसने लगा। अब दीदी सिसकियाँ लेने लगी थी वो आहह्ह्ह ऊफ्फ्फ्फ़ राज चूसो और ज़ोर से ऊफफफ्फ चूस भाई चूस ऊहह्ह्ह माँ। फिर करीब बीस मिनट तक उनके एक बूब्स को चूसने के बाद मैंने उनके दूसरे बूब्स पर अटैक किया और उसको भी बहुत मज़े से चूसा ।
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फिर मेरा अगला निशाना मेरी दीदी की चूत बनी और मैंने जैसे ही अपने होंठ दीदी की रसीली चूत पर रखे तभी उसी समय दीदी चिल्ला उठी आहह्ह्ह। अब में उसको चाटने लगा था और उनकी चूत के अंदर अपनी जीभ को डालने लगा था, अब दीदी भी मेरा सर पकड़कर अपनी चूत पर दबाने लगी थी और अपना सर इधर उधर पटक रही थी और चिल्ला रही थी आह्ह्ह हाँ चाट ऊह्ह्ह बहनचोद और ज़ोर से चाट बिल्कुल रंडी बना दे अपनी बहन को। फिर करीब बीस मिनट तक चाटने के बाद दीदी का अमृत निकल गया और मैंने जीवन में पहली बार यह अमृत पीया है और वो भी अपनी दीदी का। फिर दीदी बहुत खुश हुई और मुझे ऊपर खींचकर मेरे होंठो को चूसने लगी और बोली कि कैसा लगा अपनी बहन की चूत को चाटकर और उसका अमृत पीकर? मैंने कहा कि में यह अमृत रोज पीना चाहता हूँ। अब दीदी ने कहा कि हाँ-हाँ यह तुम्हारे लिए ही तो है, जब दिल करे इसको पी लेना। फिर दीदी ने मुझसे कहा कि अब तुम लेट जाओ मुझे भी आईसक्रीम खानी है, मैंने कहा कि हाँ-हाँ क्यों नहीं? फिर दीदी ने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया। अब मैंने कहा कि आह्ह्ह चूसो और चूसो फिर करीब 15-20 मिनट तक अपने लंड को चुसवाने के बाद मैंने कहा कि आह्ह्ह दीदी में आ रहा हूँ उह्ह्ह्ह और फिर मेरा भी अमृत दीदी के मुँह में ही निकल गया।
फिर जब मेरा अमृत इतना ज्यादा निकला था कि दीदी का मुँह पूरा भर गया और कुछ बाहर उनके बूब्स पर भी गिरा था, जिसको वो उठाकर पी गई थी। फिर हम एक दूसरे को चूमने लगे थे और करीब 25-30 मिनट तक हम ऐसे ही लेटे रहे, थोड़ी देर के बाद दीदी बोली कि चलो अब घोड़े दौड़ाने का वक़्त आ गया है। अब मैंने कहा कि हाँ मैदान भी गीला है, बड़ा मज़ा आएगा और फिर हम दोनों हँसने लगे थे। फिर में उठा और दीदी की चूत को निशाना बनाकर अपना लंड उसमें डालने लगा, दीदी की चूत बहुत टाईट थी। अब मुझे यह थोड़ा सा अजीब लगा, मैंने दीदी से कहा कि दीदी जीजाजी से चुदने के बाद भी तुम्हारी चूत इतनी टाईट कैसे है? तब दीदी ने बताया कि उनका लंड बहुत छोटा है और फिर मैंने अपने लंड को उनकी चूत पर रखकर एक ज़ोरदार धक्का लगा दिया जिसकी वजह से मेरा आधा लंड अब उनकी चूत में जा चुका था। अब दीदी दर्द की वजह से चिल्ला उठी, तब मैंने अपने होंठ उनके होंठो पर रखे और फिर थोड़ी देर के बाद उनसे पूछा कि क्या हुआ? क्या में रुक जाऊं?
अब मैंने देखा कि दीदी की चूत से खून आ रहा था, लेकिन तब भी उन्होंने मुझसे कहा कि मैंने रुकने को कहा क्या? अब मैंने फिर से एक धक्का लगा दिया, जिसकी वजह से मेरा पूरा लंड उनकी चूत में चला गया और अब दीदी आहहह ऊहहहहह कर रही थी। फिर मैंने धक्के देना शुरू किया और फिर में करीब बीस मिनट तक उन्हें वैसे ही धक्के देकर चोदता रहा। अब इस दौरान दीदी तीन बार झड़ चुकी थी, मैंने कहा कि दीदी में भी आ रहा हूँ, दीदी ने कहा कि अंदर ही निकाल दो, थोड़ी देर के बाद में भी उनकी चूत में ही झड़ गया। अब जब में झड़ रहा था, तब दीदी मुझे ज़ोर से पकड़े हुए थी और बोली कि आह्ह्ह क्या मस्त एहसास है अपने भाई का अमृत लेने का? वाह मज़ा आ गया तुमने आज मुझे एक पूरी औरत बनने का सुख वो मज़ा आज पहली बार दिया है, जिसके लिए में कितनी और ना जाने कितने दिनों से तरस रही थी। इसी तरह से हमारे दिन निकलते चले गये और में उन्हें हर समय जब भी हमे मौका मिलता में उनकी चुदाई करने लगा था।
अब में दीदी को रोजाना दिन में दो बार चोदता और हर बार वो भी मेरा पूरा पूरा साथ देकर मेरे साथ बड़े मज़े करती फिर कुछ दिनों के बाद माँ-पापा आ गये, तब हम रात में चुदाई करते थे। फिर कुछ दिनों के बाद दीदी भी अपने ससुराल चली गई, एक महीने के बाद दीदी का फोन आया। अब वो मुझसे बोली कि राज तुम बाप बनने वाले हो और यह बात सुनकर में बहुत खुश हुआ। फिर कुछ महीने निकल जाने के बाद दीदी ने एक बेटी जो जन्म दिया, जो बिल्कुल मेरे जैसी है।
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ये आज से लगभग 2 साल पहले की बात है, मेरे गावं (इंदौर शहर से 120 किलोमीटर की दूरी पर है) में मेरे घर के सामने एक घर है, जहाँ 6 फेमिली मेम्बर्स रहते है, उस घर में लगभग एक 50 साल की औरत है, जो घर की मुखिया है, जिन्हें हम सभी बुआजी कहते है। उनके एक बेटी और एक बेटा है, उनके बेटे के दो लड़के है एक 4 साल का और एक 9 साल का है। बुआजी की बेटी का नाम सुनीता है, उसकी उम्र 26 साल थी और में तब 21 साल का था। सुनीता की शादी हो चुकी थी, लेकिन एक बदनामी के कारण उसके पति ने उसे छोड़ दिया था।
अब वो अपनी माँ के घर ही रहती थी, हमारा घर आमने सामने था, तो वो हमारे घर आती जाती रहती थी। में उसे सुन्नी दीदी कहकर बुलाता था, मेरे मन में उसके लिए कभी कोई ग़लत विचार नहीं थे, हम आपस में फ्रेंक बातें करते थे। लेकिन मैंने कभी सोचा नहीं था कि ऐसा भी हो जाएगा,
अब में बताता हूँ कि कैसे हम दोनों में सेक्स हुआ? एक दिन की बात है में बुआजी के घर था और उनके छोटे पोते के साथ मस्ती कर रहा था, इतने में सुन्नी भी वहाँ आ गई और हमारे साथ मस्ती करने लगी। अब मस्ती करते-करते में खंबे के पीछे छुप गया, तो वो भी मेरे पीछे छुपने आ गई। अब मैंने खंबे को सामने से पकड़ा हुआ था, तो वो उल्टी आकर उसने मेरी पीठ से अपनी पीठ लगाकर खड़ी हो गई, जिससे उसके दोनों बड़े-बड़े नितंब मेरे कूल्हों को टच कर रहे थे और वो मस्ती में अपने चूतड़ो को मेरे कूल्हों पर रब कर रही थी। अब मुझे अजीब सी फिलिंग होने लगी थी, अब में समझ गया था कि ये मुझसे चुदवाना चाहती है, लेकिन में बहुत शर्मीला था तो में कुछ कर नहीं पाया।
अब मेरा उसे देखने का नज़रिया बदलने लगा था, अब में उसके बारे में सोच-सोचकर रोज मुठ मारने लगा था। अब सुन्नी भी मुझे अलग नज़र से देखती थी, लेकिन में डरपोक था अब मेरी उससे कुछ कहने की हिम्मत नहीं हुई थी। फिर एक दिन शाम के तकरीबन 8 बजे की बात है में, मेरे अंकल का लड़का, और सुनीता तीनों पड़ोस की एक भाभी के घर पर बैठे थे, जब सर्दियों का मौसम था तो सोने के लिए भाभी ने पहले से ही बिस्तर लगा रखे थे। अब में और मेरे अंकल का लड़का एक पलंग पर बैठे थे और सुनीता दूसरे पलंग पर लेटी हुई थी। क्योंकि हम लोग एक दूसरे से काफ़ी फ्रेंक थे, तो में उठकर सुनीता के पलंग पर चला गया। अब हम दोनों चादर ओढ़कर लेटे-लेटे बातें करने लगे थे।
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अब सुनीता के बगल में सोने से मुझे वो काफ़ी गर्म लग रही थी। तो मैंने बिना कुछ कहे अपनी एक टाँग उसके पैरो पर रख दी और अपना एक हाथ उसके पेट पर रखकर अपनी उंगली चलाने लगा और उससे चिपककर सो गया। अब हमने चादर ओढ़ रखी थी इसलिए किसी को हम पर शक भी नहीं हुआ था। अब 1-2 घंटे तक हम लोग ऐसे ही बातें करते रहे, फिर ज़्यादा रात होने को आई तो हम अपने- अपने घर चले गये। अब सुनीता और मेरे बीच में इतना सब कुछ होने के बाद भी मेरी आगे बात बढ़ाने की हिम्मत नहीं हुई। लेकिन में जो चाहता था, वो सुनीता ने ही कर दिखाया था। फिर उसने मेरे अंकल के लड़के को एक मैसेज देकर मेरे पास भेजा, तो उसने कहा कि सुनीता दीदी ने तुझे बुलाया है। तो मैंने कहा कि कहाँ बुलाया? तो उसने कहा कि उनके घर पर। तो मैंने कहा कि ठीक है और में अपने घर से खाना खाकर लगभग 10 बजे रात को सुनीता के घर गया तो सब लोग अलाव लगाकर ताप रहे थे, क्योकि गावं में लोग जल्दी नहीं सोते और ठंड में ऐसे ही अलाव में तापते ह ।
अब आधी रात तक में गया तो में कुछ देर तक अलाव के पास बैठा रहा। फिर मैंने बुआजी से पूछा कि सुनीता दीदी कहाँ है? तो उन्होंने कहाँ कि घर में अंदर चूल्हे के पास ताप रही है। फिर में अंदर गया तो सुनीता अकेले चूल्हे में ताप रही थी। अब में भी उसके बाजू में जाकर तापने लगा और पूछा कि क्यों बुलाया? तो उसने कहा कि कल शाम को भाभी के घर तुम क्या कर रहे थे? अब ये सुनकर तो में डर गया था, पता नहीं अब ये क्या कहने वाली है? फिर मैंने कहा कि कुछ भी तो नहीं। फिर सुनीता ने ही कहा कि तुम मेरे पेट पर अपना हाथ फैर रहे थे और मुझसे चिपक भी रहे थे, तुम मेरे साथ क्या करना चाहते थे? अब वो इतना खुलकर बोल रही थी। लेकिन फिर भी मेरी गांड फट रही थी, अब में कुछ नहीं बोल रहा था। फिर सुनीता ने फिर से पूछा कि बोलो क्या करना चाहते हो? लेकिन में कुछ बोल नहीं पा रहा था। अब में सोच रहा था कि में क्या कहूँ? कैसे कहूँ? क्योंकि मैंने कभी किसी लड़की को आज तक नहीं चोदा था और ना ही किसी को प्रपोज किया था।
फिर से सुनीता ने कहा कि ऐसे चुप रहने से काम नहीं चलेगा, कुछ तो बोलो क्या करना चाहते हो? फिर में कुछ देर तक सोचता रहा और जब में कुछ बोलने की हिम्मत नहीं कर पाया तो मैंने उसको अपनी तरफ घुमाया और उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए और एक लंबी लिप लॉक किस कर दिया। फिर मैंने कहा कि बस अब ठीक है। तो सुनीता बोली कि बस इतना ही करना था और कुछ नहीं। तो मैंने कहा कि करना तो है, लेकिन यहाँ तो सब लोग बैठे है। तो फिर उसने कहा कि कल सब लोग खेत में चले जाएगे और में बीमारी का बहाना बनाकर घर पर ही रहूँगी, तो तुम दोपहर में घर आना और गावं में भी कोई नहीं रहेगा, क्योंकि गावं में दिन में लोग ज़्यादातर खेत में चले जाते है। फिर में घर जाकर सो गया, लेकिन अब मुझे नींद नहीं आ रही थी, क्योंकि अब मुझे कल का बेसब्री से इंतजार था
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अगले दिन सुबह उठा और उठकर नाश्ता करके दोपहर का इंतजार करने लगा। अब दोपहर भी हो गई थी, फिर मैंने जल्दी से खाना खाया और सुनीता के घर चला गया। तो मैंने देखा कि वहाँ कोई नहीं था, फिर में वापस आने लगा, तो वो मुझे सामने से आते हुए मिली। फिर मैंने पूछा कि कहाँ गई थी? तो वो बोली कि भाभी के घर गई थी। फिर मैंने पूछा कि घर पर कोई है तो नहीं, तो उसने कहा कि कोई नहीं है। फिर हम जल्दी से अंदर गये और दरवाजा अंदर से बंद कर दिया। फिर जैसे ही उसने दरवाजा बंद किया, में तो भूखे कुत्ते की तरह उस पर टूट पड़ा और उसके होंठो, गालों, गर्दन सब जगह खूब किस करने लगा, उसने साड़ी पहन रखी थी। फिर उसने कहा कि थोड़ा रूको तो सही में बिस्तर लगा लेती हूँ, हमारे पास 4 घंटे है हम खूब मजे से करेगें, तो मैंने कहा कि ठीक है।
फिर उसने बिस्तर लगाया और फिर वो कंघी लेकर अपने बालों में कंघी करने लगी। अब मुझसे से सब्र नहीं हो रहा था, अब मेरा लंड पेंट में बहुत टाईट हो रहा था। फिर मैंने सुनीता को पीछे से जाकर अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसके दोनों बूब्स को अपने एक-एक हाथ में पकड़कर दबाने लगा। अब मेरी पेंट में खड़ा लंड उसकी साड़ी के ऊपर से ही उसकी गांड की दरारो में रगड़ने लगा था। फिर कुछ ही देर में मेरा पानी मेरी पेंट में ही छूट गया और फिर मैंने उसे छोड़ दिया और बेड पर आकर बैठ गया। फिर उसने कहा कि क्या हुआ? तो मैंने कहा कि मेरा काम तो हो गया। अब वो ये सुनकर ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी। फिर मैंने पूछा कि तुम हंस क्यों रही हो? तो वो बोली अभी तो कुछ हुआ ही नहीं और तुम कह रहे हो कि मेरा काम हो गया। तो मैंने कहा कि हाँ यार मेरा तो पानी भी निकल गया है और मेरी अंडरवेयर भी खराब हो गई है।
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अब वो ये सुनकर और ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी थी। फिर वो अपनी हंसी रोककर बोली कि लाओ में तुम्हारी अंडरवेयर धोकर सूखा देती हूँ, थोड़ी देर में सूख जाएगी और में तुम्हें सीखा भी दूँगी कि चुदाई कैसे करते है? तो मैंने कहा कि ठीक है। लेकिन मुझे टावल दो मुझे शर्म आती है में तुम्हारे सामने अपनी अंडरवेयर कैसे निकालूं? फिर उसने कहा कि ठीक है मेरे भोले राजा और मुझे टावल दिया। फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और उसे धोने के लिए अपनी अंडरवेयर दे दी। फिर उसने मेरी अंडरवेयर धोकर सूखा दी और मेरे पास बिस्तर पर आ गई। फिर मैंने पूछा कि तुम भी तो अपने कपड़े उतारो। तो उसने कहा कि सच में तुम मेरे भोले राजा हो, तुम्हें चुदाई के बारे में कुछ भी पता नहीं है। फिर वो बोली कि तुम पहली बार कर रहे हो ना इसलिए जल्दी से तुम्हारा पानी निकल गया, अब में कहती हूँ वैसा करो, तो मैंने कहा कि ठीक है।
फिर सुनीता ने कहा कि तुम्हें मुझे पूरी नंगी करना है, लेकिन एक-एक कपड़े और आराम-आराम से उतारकर समझे। अब में समझ गया था, क्योंकि मैंने ब्लू फ़िल्मो में देखा था। फिर सुनीता ने कहा कि पहले साड़ी से शुरू करो, तो मैंने कहा कि ठीक है। फिर मैंने धीरे-धीरे करके सुनीता की साड़ी निकालकर फेंक दी। अब वो ब्लाउज और पेटीकोट में थी, अब में उसके बूब्स देखकर उसके ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा था। अब वो अपनी गर्दन ऊपर करके लंबी-लंबी साँसे लेने लगी थी। फिर मैंने उसका ब्लाउज भी खोल दिया, अब ब्लाउज खोलते ही उसके गोरे-गोरे बूब्स बाहर आ गये। अब में आपको बता दूँ कि गावं में लेडीस ब्रा और पेंटी नहीं पहनती थी। अब में पहले सुनीता के एक बूब्स को अपने मुँह में लेकर पीने लगा था और दूसरे बूब्स को अपने एक हाथ से टाईट दबाने लगा था। अब वो मदहोश होती जा रही थी और मेरी पीठ पर अपना हाथ फैरती जा रही थी।
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फिर मैंने सुनीता को बिस्तर पर गिरा दिया और उसका पेटीकोट भी उतार दिया। अब वो पूरी नंगी मेरे सामने बिस्तर पर अपनी आँखे बंद किए हुए सीधी लेटी हुई थी। फिर मैंने भी अपना टावल निकाल फेंका, अब में भी पूरा नंगा हो गया था। अब में उसकी क्लीन शेव चूत को देखता ही रह गया था, जिसमें से हल्का-हल्का भूरे कलर का पानी बह रहा था। अब में भी उसके ऊपर लेट गया और उसके होंठो पर अपने होंठ लगाकर किस करने लगा और सुनीता के बूब्स भी दबा रहा था। अब इतनी देर में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और हल्का-हल्का पानी छोड़ने लगा था। अब में लगातार सुनीता के बूब्स दबाए जा रहा था और उसे किस भी किए जा रहा था। लेकिन अभी तक सुनीता ने अपनी आँखे नहीं खोली थी। फिर उसने धीरे से अपने हाथ में मेरे लंड को पकड़ा, वैसे मुझे बहुत ही असीम आनंद मिला था। फिर सुनीता ने मेरे लंड को कुछ देर तक अपने हाथ में लेकर मसला। फिर सुनीता अपनी दोनों टांगे चौड़ी करके मेरे लंड को अपनी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगी। लेकिन मेरे लंड का टोपा ही अंदर जा रहा था और बाकी का लंड बाहर ही था।
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अब चूत और लंड का इतना ही स्पर्श हुआ था, जो कि मेरा पहला अनुभव था मुझे मजा आ गया था, जिसे में यहाँ लिखकर नहीं बता सकता हूँ। फिर में सुनीता के ऊपर से हटकर उसकी दोनों जाँघो के बीच में आ गया और उसकी जाँघो को थोड़ा और फैलाया और फिर अपने लंड को सुनीता की चूत में ऊपर नीचे करके अपना आधा लंड घुसा ही दिया, क्योंकि वो वर्जिन नहीं थी। फिर उसकी दोनों टांगो को चौड़ा करके अपने लंड को सुनीता की चूत में घुसाकर उसके ऊपर लेटकर अपने दोनों हाथों को उसकी कांख के नीचे से उसके कंधो को पकड़कर अपने लंड से सुनीता की चूत में एक जोरदार धक्का मारा। जिससे मेरा पूरा का पूरा लंड सुनीता की चूत में पच की आवाज़ के साथ घुस गया। जिससे सुनीता की ज़ोर से चीख निकल गई और अब उसकी आँखो में आँसू आ गये थे, वो वर्जिन तो नहीं थी, लेकिन वो काफ़ी दिनों से चुदी नहीं थी इसलिए वो एकदम से चिल्ला उठी थी
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अब मुझे भी मेरे लंड में थोड़ा दर्द हुआ, फिर क्या था? जैसे ही सुनीता की चूत में मेरा पूरा लंड घुसा तो अब में धक्के पे धक्के मारे जा रहा था और सुनीता दर्द से कराह रही थी। अब मुझे उसकी कराहने की आवाज सुनकर और जोश आ रहा था और में और तेज़ी से उसे चोदने लगा था। अब में उसे गपागप चोदे जा रहा था और सुनीता अहहाआह अहहह आहे भरती जा रही थी। फिर करीब 20 मिनट तक लगातार धक्के मारने के बाद में सुनीता की चूत में ही झड़ गया और उसके ऊपर ही लेट गया। अब वो भी दो बार झड़ चुकी थी, अब उसने मुझे कसकर अपने सीने से लगा लिया था। फिर कुछ देर तक सुनीता की चूत में लंड डाले ही हम दोनों चिपकर सोए रहे। फिर हम दोनों ने उठकर अपने-अपने कपड़े पहन लिए और फिर में अपने घर आ गया।
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21-02-2019, 02:24 AM
(This post was last modified: 21-02-2019, 02:33 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
भैया ने भाभी समझकर चोद दिया मुझे
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आज मैं आपके लिए अपने ज़िंदगी की एक हकीकत पेश कर रही हु, मैं भाई के लण्ड से चुद गयी, पहले तो मेरी इच्छा नहीं थी, मुझे लग रहा था ये सारे गलत है पर बाद में मुझे लगा की नहीं अपनी वासना की भूख शांत कर लू, उस समय मेरे छूट में भी पानी आ गया था और मेरी धड़कन भी तेज हो गयी थी, और मैं अपने आप को रोक नहीं पाई सलवार का नाड़ा ढीला किया और भैया का मोटा लण्ड अपने बूर में समा ली और गांड उठा उठा के धक्का देने लगी, आपको मैं अपनी पूरी कहानी बताती हु, मैं भी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम की रेगुलर पाठक हु, मुझे यहाँ पे कहानी पढ़ना बहुत अच्छा लगता है,
मेरी उम्र २१ साल की है और मेरे भाई की २७ साल की, भाई की शादी इसी साल हुयी थी, भाभी बड़ी ही हॉट है, वो ऐसी है जैसे की पटाखा हो, कोई भी मर्द उसको देख ले उसकी रात की नींद उड़ जाये, भाई की भी नींद आजकल उडी हुयी है, क्यों की आज कल दिन में २ बार तो मैंने उसको देखा है भाभी को चोदते हुए. पर आज वाक्या ऐसा हुआ की मैं चुद गई.
रात के करीब ११ बज रहे थे, भैया अपने दोस्त की शादी की पार्टी में से आये थे, भाभी का शाम से ही पेट दर्द कर रहा था तो वो मेरी माँ के कमरे में पेट पे गरम पानी की थैली से सिकाई करवा रही थी और उनको नींद आ गया, मैंने माँ से कहा माँ भाभी को बोलो अपने कमरे में सोने के लिए तो बोली सोने दे अभी आराम हो जायेगा, मैं भी सोची माँ सही बोल रही है, तभी लाइट चली गयी, मेरा नाईटी नहीं मिल रहा था तो मैंने भाभी की नाईटी डाल ली और छत पे सोने चली गयी, माँ भाभी निचे सो रही थी भाभी माँ के कमरे में थी, भैया आये रात के करीब ११ बजे वो भाभी के कमरे में गए, भाभी वह नहीं थी, वो समझ गए की लाइट नहीं है हो सकता है की वो छत पे होगी.
वो छत पे आ गए, मैं हलकी हलकी नींद में थी, भैया आये और बोला सपना (भाभी) मेरी डार्लिंग तुम यहाँ हो मेरा लण्ड तुम्हे निचे ढूंढ रहा था देखो देखो कैसे खड़ा होक तुम्हे बुला रहा है, भैया की आवाज साफ़ साफ़ नहीं निकल रही थी, उन्होंने काफी पि ली थी, मैं चुप हो गयी मैं सोच की अभी चले जायेगे, पर वो मेरे पास लड़खड़ाते हुए बैठ गए मैंने कहा भैया मैं हु नेहा, तो भैया बोले साली मेरे से मजाक कर रही हु, क्यों आज तुम्हे मेरा मोटा लण्ड नहीं चाहिए, आज तो मैं तुम्हे खुश कर दूंगा, फिर बोली यार सपना तुम मुझे इस नाईटी में बहुत ही खूसूरत और सेक्सी लगती है, जी तो करता हु चूस लू तेरे बदन को, मैं समझ गई की मेरा भाई ज्यादा पि रखा है मैं उठ के बैठी जाने के लिए तभी वो मुझे, धक्का दे दिया और मैं वापस अपने तकिये पे गिर पड़ी.
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सच पूछिये तो मुझे भी लगा की आज मौके का फायदा उठाया जाए , मैंने अब भाई को हेल्प करने लगी मैंने अपनी टांग फैला दी भाई बीच में आ गया सलवार पहनी थी नाड़ा मैंने ढीला कर दिया, ऊपर तो सब कुछ खुला हुआ था भाई मेरा चूच को ऐसे दबा रहा था जैसे बच्चे के हाथ में कोई खिलौना हाथ लग गया हो, मैं भी अब भाई को होठ को चूसने लगी और अपना जीभ उसके मुह में डालने लगी, फिर वो मेरा सलवार खोल दिया और पेंटी में हाथ घुसा दिया, वो धीरे धीरे सहलाने लगा, मेरी चूत गरम और गीली हो चुकी थी, मेरा चूच तन गया था, होठ सुख रहे रहे थे पर भाई बार बार चूस के गिला कर रहा था, फिर उसने मेरी पेंटी खोल दी.
निचे सरक गया और मेरी चूत को चाटने लगा मैंने अब बहुत ही परेशान हो रही थी, क्यों की आजतक किसी ने मेरी चूत को हाथ तक नहीं लगाया था और आज सीधे कोई चाट रहा है, मैं तो बौखला गयी थी, करती क्या मैंने भाई को थोड़ा ऊपर खींचा ताकि वो मुझे अब चोद सके वो नशे में था. वो अपना मोटा लण्ड मेरे चूत पे रखा और गाली देते हुए मेरे चूत के अंदर डाल दिया, बोला ले साली मैंने कहा था ना मेरा लण्ड तुम्हे ढूंढ रहा है, मैंने तो फरफरा गई, दर्द होने लगा पर छत पे थी मैं कोई आवाज भी नहीं निकाल सकती, करती क्या चुप रहना ही बेहतर समझा,
फिर क्या था वो मेरी टांगो को ऊपर उठा दिया, मेरे चूच को दोनों हाथ से पकड़ लिया और ले दना दन, वो हचा हच कर के चोद रहा था मेरी चूत गीली हो चुकी थी और दर्द का एहसास भी हरेक झटके के साथ खत्म हो रहा था, मुझे भी मजा आने लगा मेरी चौड़ी गांड भाई का पूरा बजन उठाये हुए था, बूर से फच फच की आवाज आ रही थी, मैं मदहोश होने लगी ये मेरी पहली चुदाई थी वो भी अपने भी भाई के द्वारा, भाई गाली दे रहा था, हरेक झटके पे एक गाली और मैं पूरी हिल रही थी उसके झटके से, फिर थोड़े देर बाद वो शांत हो गया मैं भी इसके पहले दो बार झड़ चुकी थी पर भाई मुझे लगातार चोदे जा रहा था और फिर एक लम्बी आह लेते हुए अपना सारा मलाई मेरे चूत के अंदर ही डाल दिया, और वो शिथिल हो कर निचे लेट गया. मैं तुरंत ही पेट के बल लेट गयी क्यों की दर था की कही गर्भ ना रह जाये मैं भाई के वीर्य को चूत से बाहर निकलने के लिए लेट गई.
फिर मैं धीरे से उसका हाथ हटाई जो की मेरी चूच पे था और नाईटी पहनी और निचे आ गयी, रात के कररीब १२.३० हो गए थे, भाभी और माँ एक साथ ही सोई थी, मैंने भाभी को जगाया, वो बोली भैया आ गए, मैंने कहा हां वो छत पे है, भाभी उठी और छत पे चली गई. सुबह पहले तो मुझे २ घंटे तक नींद नहीं आई फिर सो गई, सुबह उठी तो सब कुछ नार्मल था, भैया ड्यूटी जाने के लिए तैयार हो रहे थे भाभी नाश्ता तैयार कर रही थी माँ पूजा कर रही थी, यानी को भैया को भी नहीं पता चला को रात में उसने मुझे चोदा था. आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी, प्लीज बताये, रेट तो बनता है दोस्त और मैं कल फिर एक कहानी ला रही हु, भैया ने भाभी समझकर चोद दिया मुझे
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