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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
फिर हम लोग कुछ देर तक बातें करते रहे और फिर नीचे वापस आ गए।
आकर हमने खाना खाया और फिर नंगे ही एक दूसरे के साथ लिपटकर सोने लगे।
मगर थोड़ी ही देर में दोनों फिर से गर्म हो गए।

सोने से पहले चुदाई का एक और राउंड हुआ।
मैंने निशा को मिशनरी पोज में चोदा।

आधे घंटे की लगातार चुदाई के बाद हम दोनों थक गए और अबकी बार हमें गहरी नींद आ गई।

इस तरह से उस रात मैंने दो बार निशा की चूत मारी।

अगले दिन भी मैंने उसको घर के कोने-कोने में चोदा।
उसने भी कुछ ऐसी चुदाई करवाई कि मैं भी उसके अंदाज का कायल हो गया।

दो दिन के बाद मेरी बीवी लौट आई।
निशा की चूत अब तृप्त हो चुकी थी; वो खुशी से चहक रही थी।

शायद उसने रेखा को भी सारी बात बता दी और रेखा के चेहरे पर भी अलग ही मुस्कराहट तैरने लगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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(07-06-2022, 06:07 PM)neerathemall Wrote:
[Image: 11217731_008_9efa.jpg]

चुदाई के अनजाने खेल का पूरा मज़ा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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आप गांव की जिंदगी के बारे में जानते ही होंगे कि मध्यम वर्ग के परिवार में प्रेम प्रसंग शुरू होने में कितनी दिक्कतें आती हैं.
अगर आप मध्यम वर्गीय परिवार से नहीं हों, तो मैं आपको बताती हूँ.
पहले तो किसी लड़की को घर से इतनी छूट नहीं होती है कि वो किसी लड़के से बात कर सके.
किसी भी तरह बात होने भी लग जाए, तो उसे अपनी चाहत सामने वाले को बताना बड़ा कठिन होता है.
ये मुझे शब्दों में बताना नहीं आता, बस आप अंदाज लगा सकते हैं.
मेरा चक्कर उस समय से चलना शुरू हो गया था. जब मेरी 12 वीं की पढ़ाई पूरी हुई थी, तब तक मैं इस पूरे खेल से बिल्कुल अंजान थी.
फिर 12वीं पास करने के एक साल बाद मुझे एक लड़के से प्रेम प्रस्ताव मिला.
मगर मेरे अन्दर इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं उस प्रस्ताव को स्वीकार कर सकूँ.
जैसे ही मुझे प्रस्ताव मिला, मैं शर्म की वजह से मानो पिघल सी रही थी.
उस वक्त मेरे दिमाग में बस एक ही बात आयी कि उसके सामने से भाग जाऊं.
मैं भाग कर अपने घर में जाकर छिप भी गयी. उस समय मेरी हृदय गति इतनी तेज थी, मानो दिल फट ही जाएगा.
मुझे पूरी रात नींद नहीं आयी.
फिर मेरे अन्दर इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं उसका सामना कर पाऊं.
मैं 3 दिन तक अपने घर से बाहर नहीं निकली लेकिन उसके बाद जब उससे मिली, तब मैं अपनी नजरें चुरा कर उसे देख रही थी.
मैंने उससे कभी प्यार या दोस्ती के लिए हां नहीं की थी लेकिन वो मेरा प्यार मानो एक जादूगर था.
मेरे कुछ कहने से पहले ही समझ जाता था.
शायद उसने तब भी मेरे मन की बात जान ली थी.
उसने उस दिन मुझसे बस इतना कहा- दिब्बू, तुम्हारे मन में ये डर है कि बाहर किसी को ये बात पता ना चले, तो परेशान न हो. मुझ पर भरोसा करो.
मैं सुन कर एकदम से चौंक गयी.
जिस बन्दे को लेकर मैं प्यार में थी उसका नाम लव था.
उसने मुझसे ये बात अब कही थी मगर मैं भी लव से काफी पहले से प्यार करती थी.
उसका प्यार मुझे मिलेगा, ये नहीं पता था, बस करती थी.
आपको सुनकर हंसी आएगी कि मैं इतना भी नहीं जानती थी कि प्यार में क्या क्या होता है.
लव मेरे लिए एक ऐसा नाम था, जिसे याद मात्र करने से पूरे शरीर में बिजली दौड़ जाती थी.
लव के बारे में मैं आपको कुछ बता देती हूँ.
वो दिखने में स्मार्ट बन्दा था. उसकी लंबाई 5 फुट 6 इंच थी.
उसके लौड़े का नाप बताकर मैं अपनी बहनों की चूत की हालत और ज्यादा खराब करना नहीं चाहती लेकिन मैं इतना जानती हूँ कि एक बार उसका लंड कोई देख ले, तो वो हर हाल में उसका लंड लेने के लिए पागल हो जाएगी.
मेरे घर में छोटे छोटे भतीजे हैं. मैं उनकी नुन्नू देखती थी तो लगता था कि ये बस सूसू करने के लिए होती है.
बाद में पता चला कि इसका काम कितना महान होता है.
मध्यम वर्गीय परिवारों में लड़कियों के लिए अलग फोन तभी मिलता है, जब उनका बाहर आना जाना होने लग जाए, ताकि वो अपने घर के सम्पर्क में बनी रहें.
मेरी चुदाई में सहायता करने वाला फोन मेरी मम्मी का था.

(07-06-2022, 06:08 PM)neerathemall Wrote:
चुदाई के अनजाने खेल का पूरा मज़ा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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मम्मी के फोन से लव से मेरी धीरे धीरे बात होने लगी.
आपको मैंने बताया कि मेरा लव एक जादूगर था. उसे ये बात बहुत अच्छे से पता थी कि क्या बात कब और कैसे शुरू करनी है.

ऐसे ही सामान्य बातें कब रोमांटिक होने लग गईं, कब फोन सेक्स होने लगा, पता ही नहीं चला.

मेरे मन में अपने लव से मिलने की बात तो आती थी, पर मैं उससे कह नहीं पाती थी.
जब वो मिलने की कहता तो मैं टालमटोल कर देती थी.

लेकिन कब तक करती.
फिर एक दिन आया, जब हम लोगों का मिलने का प्लान बना.

छोटे कस्बों में मिलने के लिए होटल तो होते नहीं हैं, शहर पास में था भी, तो भी हम लोग कभी हिम्मत नहीं जुटा पाए.

उसका घर कभी खाली नहीं रहता था.
इधर मेरे घर में भी मुझसे दो साल छोटी बहन और मेरी मम्मी हमेशा घर में रहती थीं तो वहां भी इंतजाम होना मुमकिन नहीं था.

अंततः मिलने को जो जगह मिली, वो था एक खेत.

चूंकि अब तक मैं लंड को चुच्चू समझने वाली थी और लंड का काम मूतना भर होता है, ये समझने वाली लड़की थी. लंड चुत में कैसे घुसेगा और चुदाई की बात तो क्या ही जानती होऊंगी.

मगर वाह री प्रकृति … क्या बात बनाई है कि कुछ भी न जानते हुए भी एक लड़की को लड़के में क्या पसंद आ जाता है, ये मुझे समझ ही नहीं थी.

मैं अपने लव से मिलने तो जा रही थी और मन में क्या था, कुछ नहीं मालूम था.
आज मैं पहली बार उसे इतने पास से देखूंगी, उसका हाथ पकड़कर बातें करूंगी.
मुझे क्या पता था कि उधर से आऊंगी तो अनुभव ही अलग सा होगा.

मैं घर से कुछ बहाना बनाकर निश्चित स्थान पर पहुंच गयी.
वहां जाकर देखा वो पहले से वहीं था.

उसने मुझे पकड़कर अपने सीने से लगा लिया.
मैं तो मानो उसमें ही समा गयी थी.
मेरी धड़कनें इतनी तेज हो गयी थीं मानो दिल छाती फाड़कर बाहर आने वाला हो गया था.

धीरे से उसने अपने होंठों को मेरे होंठों पर लाकर रख दिया.
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि ये हो क्या रहा है.

मैं बिल्कुल निढाल हो चुकी थी.
उसका दायां हाथ मेरे एक दूध पर था और बायां हाथ मेरी गांड पर था.
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं.

जैसे ही उसके ठंडे होंठों ने मेरे गर्म होंठों को चूमा, मेरी आंखें बंद हो चुकी थीं और मेरा शरीर ढीला हो चुका था. मेरा पूरा वजन उसके ही ऊपर हो गया था.

ऐसे ही लगभग आधा घंटे चिपके रहने के बाद वो मुझसे अलग हुआ.

उसने पूछा- कैसा लगा?
मैं क्या जवाब देती, जब कुछ पता ही नहीं कि हुआ क्या है तो क्या जवाब देती.

मैं चुप रही लेकिन वो मेरी हालत समझ रहा था.
ऐसे ही बात करते करते अचानक से लव बोला- सेक्स करोगी?

मैंने पूछा- ये क्या होता है?
वो बोला- ये जो भी होता है, बहुत मजेदार होता है … तुम्हें मजा आ जाएगा.

उसके मुँह से मजे की बात सुनकर मैंने हां बोल दिया.

उसने मुझसे मेरे कपड़े निकालने को कहा, पर मैं डर गई.

मैंने कहा- यहां?
वो बोला कि यहां मेरे अलावा कोई नहीं है. क्या तुम मेरे सामने अपने कपड़े नहीं निकाल सकती!

मैंने अपनी जींस पैंट को निकालते हुए पैंटी भी निकाल दी.
मेरी रोंएदार चूत जिसको मैंने आज तक क्लीनशेव नहीं किया था, पूरी तरह गीली थी. मैंने शर्म से अपने दोनों हाथों से अपनी चुत ढक ली.

इस पर उसने अपना पैंट खोलकर अपना लंड निकाल कर मेरे सामने ला दिया और बोला- क्या तुम बालों की वजह से शर्मा रही हो … तो देखो मैंने भी बाल साफ नहीं किए हैं.

मैं उसका लंड देखकर इतना ज्यादा आश्चर्य में थी कि अचानक से बोल पड़ी- ये क्या है?

मैं मन ही मन सोच रही थी कि बच्चों का छोटा सा होता है. इसका इतना बड़ा कैसे है!

उसने जवाब दिया- लंड, लंड कहते हैं इसे … अभी देखकर घबरा रही हो, जब ये तुम्हारी चूत के अन्दर जाएगा, तो बहुत मजा देगा. अभी जितना घबरा रही हो न … बाद में उतना ही मजा आने वाला है, दीवानी हो जाओगी इसकी.

जब उसने कहा कि चुत के अन्दर जाकर मजा देगा, तो मेरे दिमाग में आया कि ये इतना बड़ा मोटा अन्दर कैसे जाएगा, पर मुझे उस पर भरोसा था.

उसने मुझे अपने लंड को हाथ में लेने को कहा.
मैंने मना कर दिया.
मना करती भी क्यों ना … मुझे उससे डर सा लग रहा था.

फिर वो अपनी उंगलियों से मेरी बुर के दाने को छूने लगा.
मुझे नशा सा होने लगा था.

उसने देखते ही देखते मेरी चूत में अपनी एक उंगली घुसा दी.
मेरे मुँह से ‘आह्ह्ह …’ निकल गई.
उस नशे में मैं जमीन पर पड़ी तड़प सी रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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लव अपनी उंगली को जितना आगे पीछे करता, मुझे उतना ही ज्यादा मजा आता.

ये खेल करीब 15 मिनट तक चला और उतनी देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया था.
जब उसने देखा मैं खूब गर्म हो चुकी हूँ, तब उसने कंडोम लगाकर अपना लंड मेरी चूत पर सैट किया.

जैसे ही वो लंड डालने की कोशिश करता, उसका लंड इधर उधर फिसल जाता.

मुझे थोड़ा बहुत वो अन्दर जाते महसूस होता भी, तो दर्द इतना होता कि मुझे लगता मर ही जाऊंगी.
मैं उछल जाती और उसका लंड अन्दर नहीं जा पाता.

वो शायद ये सोचकर मुझे छोड़ देता कि मुझे दर्द ना हो.

वो पहला दिन था, जब मैं चुदते चुदते बच गयी.

इसी तरह मैं बार बार उसके पास जाती थी पर बिना चुदे वापस आ जाती थी.

मेरा तो पहली बार था ही, उसका भी पहली बार ही था और जगह भी सही नहीं मिल रही थी.
इस वजह से कंडोम लगाकर या तेल लगाकर भी हम लोग किसी तरह से सफल ना हो पाए.

अंततः वो दिन आ ही गया, जब मेरा चुत का भेदन हो गया.

उसने मुझे मिलने को बुलाया. इस बार मैं भी घर से ये सोचकर निकली थी कि कितना भी दर्द हो, पर मैं उसका पूरा साथ दूंगी.
कुछ ही मिनटों में मैं उसके आगोश में थी.
उसकी गोद में बैठकर कुछ देर इधर उधर की बातें करते करते कब हम लोग नंगे हो गए, पता ही ना चला.

इस बार मैंने उसका लंड हाथ में पकड़ा भी और मुँह में भी लिया.
कुछ मिनट तक लॉलीपॉप के जैसे लंड चूसने के बाद मेरा मुँह वीर्य से भर चुका था.
पर मैंने उसे पिया नहीं, बाहर ही थूक दिया.

अब वो धीरे धीरे मेरी चूत में अपनी उंगलियां घुसाने लगा था.
मुझे दर्द सा महसूस होता तो मैं आह्ह ह्ह करके रह जाती, पर मुझे भी चुदाई का मजा लेने की बहुत जल्दी थी.

मैं लव से कह रही थी- जानू, अब और मत तड़पाओ, डाल दो अपना बड़ा और सख्त लंड मेरी चूत में.
उससे भी रहा नहीं जा रहा था. वो भी मुझे चोदने का बहुत बेसब्री से इंतजार कर रहा था.

अब उसने अपना लंड मेरी चूत पर सैट किया और एक जोरदार धक्का लगाते हुए मेरी चूत में अपना लंड घुसाना चाहा.
पर उसका लंड फिसल कर बाहर आ गया.

मुझे बहुत दर्द होने लगा था.
फिर उसने मुझे खड़ा किया और मेरा एक पैर अपने कंधे पर रखते हुए अपने लंड को मेरी चूत पर सैट किया. फिर एक ही धक्के में उसने टोपा मेरी चूत में घुसा दिया.

मुझे बहुत दर्द हो रहा था, मेरी आंखों से आंसू बहने लगे.
मैं दर्द से छटपटा रही थी. दर्द की वजह से मैं खड़ी नहीं रह पाई तो लव ने मेरी चूत से लंड निकाले बिना ही मुझे जमीन पर लिटा लिया.

मैंने उसे अपने ऊपर से हटाना चाहा, पर मैं उसे हटा नहीं पायी.

मेरी चीख निकलने से पहले उसने मेरे होंठों को अपने होंठों से दबा लिया था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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अब मेरे आंसू लगातार निकल रहे थे. मैं छूटने के लिए छटपटा रही थी, पर लव मुझे ऐसे ही कहां छोड़ने वाला था.
उसने एक झटके में अपना पूरा लंड मेरी चूत चीरते हुए अन्दर उतार दिया.

उसका लंड खून से लथपथ ही गया था, जिसे देखकर मैं डर गयी.

उसने मुझे समझाया कि पहली बार में ऐसा होता है.

अपने रूमाल से उसने लंड साफ किया.
फिर 5 मिनट तक चुम्मा चाटी करने के बाद उसने धीरे धीरे लंड अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.
अब मुझे दर्द कम हो रहा था. कुछ धक्के लगते ही मानो जैसे मेरा दर्द गायब सा हो गया था.
मुझे चुत चुदाई में मजा आने लगा था.

मेरे मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं- आह्हह उम्म्म आह्ह आह्ह हाए आह्हह.

इन्हीं आवाजों के साथ मैं चुदाई के नशे में खो गई.
लव मुझसे हमेशा ही कहता था- मजा आएगा, मजा आएगा.
आज मैं चुदाई के मज़े का आनन्द उठा रही थी और अपनी कमर उठा उठा कर उसका साथ दे रही थी.

साथ ही मैं चिल्ला रही थी- आह मुझे जोर से चोदो … हां हां हां ऐसे ही चोदो … ऊह आह ओह … ओह … आऊ!
लव- ले ले और ले … और अन्दर तक ले … तेरी चूत प्यासी है … प्यास बुझा अपनी चूत की … तेरी चूत का भोसड़ा!

मैं- चोदो … मुझे चोदो … जोर से चोदो … और जोर से चोदो … हां ऐसे ही मेरी चूत को फाड़ डालो … जोर जोर से झटका दो … घुसा दो अन्दर तक … पेलो पेलो और तेज पेलो मुझे … और जोर से अन्दर करो … ओह्ह आऊ … ओईई आऊओ … मुझे जोर से चोदो.
कुछ देर बाद मेरा बदन अकड़ने लगा. अब शायद मैं झड़ चुकी थी.

कुछ ही देर में लव का बदन भी कुछ इस तरह से अकड़ने लगा और उसने अपना सारा माल मेरी चूत में ही निकाल दिया.

मेरी चूत उसके गरम वीर्य का अनुभव कर रही थी और उसका माल मेरी चूत से बाहर आने लगा.

वहीं लव निढाल होकर मेरे ऊपर ही लेट गया.

कुछ मिनट लेटने के बाद उसका लंड फिर से तन कर खड़ा हो गया और हमने फिर से चुदाई के मज़े लिए.

अब मुझ पर पूरी तरह से उसकी मोहर लग चुकी थी. अगले दिन मुझे चलने में बहुत दिक्कत हो रही थी. मेरी चूत ब्रेड की तरह फूल चुकी थी.

मैं लड़की से औरत बन चुकी थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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खूबसूरत भाभी की कुंवारी चूत

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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ये बात 2 महीने पहले की है जब मैं अपनी इंजीनियरिंग के सेकण्ड ईयर में था. मेरी परीक्षा चल रही थी. तब मम्मी और पापा किसी काम से बाहर जाने वाले थे तो घर पर मैं अकेला रहने वाला था। मम्मी पापा के जाने के बाद फिर मुझे मम्मी का कॉल आया कि साना भाभी आ रही है.
माँ ने बोला कि तुम घर पर ही रहना, कहीं बाहर मत जाना.
माँ की बात सुनकर मुझे बहुत खुशी हुई कि भाभी आ रही है.
फिर भाभीजी शाम को 6:00 बजे हमारे घर आ गई. मैंने दरवाजा खोला और देखा कि सामने साना भाभी थी. वो बहुत हॉट और सेक्सी दिखाई दे रही थी. भाभी ने काले रंग की साड़ी पहनी हुई थी। दोस्तो, आप सबको पता ही होगा कि काले रंग की साड़ी में गोरा बदन कितना हॉट लगता है।
फिर भाभी अंदर आई तो भाभी ने मुझे देखते ही गले लगा लिया. 36 के साइज के उभरे हुए बूब्स मुझसे सट गये। मैं तो आप सभी को बताना भूल ही गया कि मेरा और भाभी का रिश्ता बहुत ही अच्छा और हँसी-मजाक वाला है।
भाभी से मैंने कहा- भाभी, आप हाथ-मुंह धो लो तब तक मैं आपके लिए कॉफी बनाता हूँ.
उन्होंने मुझे गाल पर किस किया और रूम में चली गई।

मैंने हम दोनों के लिए कॉफी बनाई और भाभी को आवाज दी- आप जल्दी से आकर कॉफी पी लीजिये नहीं तो कॉफी ठंडी हो जायेगी।
भाभी बाहर आई और बोली कि उनके पति यानि कि मेरे भाई का कॉल आया था इसीलिए उनको देर हो गई.
हम दोनों ने साथ में बैठ कर कॉफी पी. भाभी ने मेरी बनाई कॉफी की तारीफ करते हुए कहा कि तुम कॉफी बहुत अच्छी बनाते हो. मैंने जवाब में कहा कि यह तो सब आपसे ही सीखा है. उसके बाद हमने थोड़ी देर यहां-वहां की बातें कीं तो तब तक शाम के आठ बज गये थे.

डिनर के लिए मैंने भाभी को कहा- कहीं बाहर चलते हैं.
भाभी बोली- ठीक है फिर किसी फाइव स्टार होटल में चलते हैं.
मैंने कहा- ओके.
हम तैयार होकर डिनर के लिए होटल में चले गये. वहाँ पर जाकर हमने खाना खाया और मैंने वेटर से एक वाइन भी मंगवा ली. भाभी ने वाइन के लिए मना कर दिया तो मैंने वाइन का ऑर्डर कैंसिल कर दिया.
हम बाहर आकर गाड़ी में बैठ गये. चलने लगा तो भाभी बोली- वोडका के शॉट्स ले आओ.
मैं जाकर वोडका के शॉट्स ले आया.
उसके बाद हम घर आ गये.
घर आकर कांच के गिलास में मैंने भाभी को वोडका सर्व की. पीने के बाद हम दोनों को नशा सा हो गया.
उसके बाद भाभी ने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?
मैंने कहा- अभी तक आपके जैसी कोई मिली ही नहीं.
भाभी बोली- तुम बहुत शरारती हो.

अचानक से बाहर बिजली कड़की और भाभी मेरी छाती से आकर लिपट गई. उसके चूचे मेरी छाती पर जा लगे. मैंने कहा- क्या हुआ भाभी?
वो बोली- मुझे डर लगा इसलिए तुमसे लिपट गई.


उसके बाद हम दोनों अपने-अपने कमरों में सोने के लिए चले गये. मैं कपड़े बदल रहा था कि फिर से बिजली कड़की. भाभी दौड़ती हुई मेरे कमरे में आई और पीछे से मुझे पकड़ लिया. मैंने टी-शर्ट उतार रखी थी और मेरी छाती बिल्कुल नंगी थी. भाभी के कोमल हाथों का स्पर्श मेरी छाती पर हुआ तो मेरे अंदर एक सरसरी सी दौड़ गई.
मैंने भाभी को अपने से अलग कर लिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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भाभी बोली- क्या मैं आज रात को तुम्हारे कमरे में सो सकती हूँ? मुझे अपने रूम में बहुत डर लग रहा है.
मैंने कहा- ठीक है भाभी.
वो बोली- मुझे भाभी मत कहा करो. तुम्हारे मुंह से साना ही अच्छा लगता है.
मैंने कहा- ठीक है. मैं आपको भाभी नहीं बुलाऊंगा.

उसके बाद मैं शावर लेने के लिए बाथरूम में चला गया. जब मैं बाहर आया तो साना भी शावर लेने के लिए बाहर मेरा इंतजार कर रही थी. उसने अपने बदन पर एक तौलिया लपेटा हुआ था. जो उसके घुटनों से भी ऊपर तक पहुंचा हुआ था. उसके बाद वो बाथरूम में चली गई. जब वो बाहर आई तो उसके भीगे हुए चूचों की दरार दिख रही थी. उसके बाल उसके चूचों पर बिखरे हुए थे. उसके बाद वो अपने कमरे में चली गई.

मैंने अपनी नाइट ड्रेस पहन ली और अपने लैपटॉप पर कुछ काम करने लगा. कुछ ही देर के बाद साना मेरे कमरे में आई और उसने अपने बदन पर लॉन्ज़री डाली हुई थी. वह किसी पॉर्न फिल्म की हिरोइन के जैसे लग रही थी. मैं उसको देखता ही रह गया.
वो बोली- क्या देख रहे हो प्रिंस?
मैंने कहा- कुछ नहीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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उसके बाद मैंने लाइट ऑफ कर दी और हम दोनों सोने लगे. मुझे काफी देर के बाद नींद आई.

फिर रात को करीब 12 बजे मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरे लंड को सहला रहा है. मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि साना xxx bhabhi videos वाली की तरह मेरे लंड पर अपना हाथ फिरा रही थी. मेरा लंड तनाव में आना शुरू हो गया था.
इससे पहले मैं कुछ कहता, साना ने मेरे ऊपर आकर मेरे होंठों को चूस लिया और मुझे बेड पर लेकर लेट गई. वह मुझे गालों पर तो कभी गर्दन पर किस करने लगी. उसने एक हाथ से मेरे लंड को सहलाना और दबाना जारी रखा जिससे मेरा लौड़ा पूरा तन गया और मेरे अंदर की हवस का शैतान जाग गया. मैंने साना को नीचे पटका और उसको बेतहाशा चूमने लगा. मैंने उसकी लॉन्जरी को उतार दिया और उसने मेरी टी-शर्ट को उतार कर मेरी छाती को नंगी कर दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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बहुत देर तक हम दोनों एक दूसरे को किस करते रहे. साना नंगी थी. के बदन को देख कर मैं पागल सा हो गया. उसके 36 के चूचे नंगे होने के बाद और भी ज्यादा मस्त लग रहे थे.
उसकी चूत पूरी गर्म हो गई थी. उसकी चूत बिल्कुल कसी हुई लग रही थी.
मैंने पूछा- तुम्हारी चूत इतनी कसी हुई कैसे है?
वो बोली- तुम्हारे भाई ने मेरे साथ कुछ किया ही नहीं है. शादी के तीन दिन बाद ही वो लंदन चले गये थे काम के सिलसिले में. इसलिए मेरी चूत अभी तक ऐसी है. यह बहुत गर्म हो चुकी है प्रिंस … इसको तुम ही शांत कर सकते हो अब!
उसने मेरी लोअर के ऊपर से ही मेरे तने हुए लंड को किस करना शुरू कर दिया. ऐसा लग रहा था कि वो मेरे लंड की बहुत दिनों से प्यासी है. वह उसको प्यार से किस कर रही थी. मेरा लंड पूरा का पूरा तन कर जैसे फटने ही वाला था. भाभी ने मेरी लोअर के ऊपर से मेरे लंड को किस करते हुए मेरी ग्रे रंग की लोअर को पूरी गीली कर दिया. लेकिन वह पागलों की तरह मेरे लंड को प्यार किये जा रही थी.
मैं पीछे से उसकी गांड को दबा रहा था. साथ ही उसके चूचों को भी भींच रहा था. फिर उसने मेरी लोअर को खींच दिया और मेरे शॉर्ट्स में से मेरे लंड को अपने दांतों में पकड़ लिया. वो उसको दांतों में लेकर काटने सा लगी. वह लंड की दिवानी सी लग रही थी मुझे. फिर उसने मेरे शॉर्ट्स को भी उतार दिया और मेरे लौड़े को नंगा कर दिया.मेरा तना हुआ लौड़ा देख कर वो उस पर टूट पड़ी. उसने उसको मुंह में लेकर एक बार जोर से चूसा और अपनी आंखें बंद कर लीं. आह्ह … उसकी ऐसी हरकत से मेरी खुद की आंखें भी बंद हो गईं. फिर उसने मेरे लंड को पूरा का पूरा गले तक उतार लिया. मेरा लंड उसके थूक से लथ-पथ हो गया.
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जब उसने लंड को बाहर निकाला तो लंड बुरी तरह से फड़क रहा था. फिर उसने मेरे टेस्टीज़ को भी bhabhi devar sex video की तरह अपने मुंह में भर लिया. मैं पागल सा होने लगा. वो उनको मुंह में लेकर यहाँ-वहाँ घुमाने लगी. भाभी के गर्म मुंह से मुझे गजब का मजा मिल रहा था.

कुछ देर तक मेरे लंड के साथ कामुक खेल खेलने के बाद साना ने मेरे लंड को पकड़ लिया और उसको मुंह में लेकर चूसने लगी. वाह! क्या अहसास था वह … वो काफी देर तक मेरे लंड को मजे लेकर चूसती रही और मुझे भी मजे देती रही.
उसके बाद मैंने साना को नीचे लेटा दिया और उसकी चूत पर लंड को रख कर रगड़ने लगा.
मेरे ऐसा करने से वो पागल सी होने लगी और जोर जोर से आवाजें करती हुई कामुक सिसकारियाँ लेने लगी- आह … करो … अब रुके क्यों हो … प्रिंस चोद दो मेरी चूत को … उफ्फ.
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मैंने उसकी चूत के मुंह पर लंड को धीरे से सेट किया और एक धक्का दे दिया. मेरा लंड उसकी चूत में फंस गया. साना उचक गई. अभी लंड का टोपा ही अंदर गया था. फिर मैंने दूसरा धक्का लगाया तो साना ने मुझे वापस धकेला और लंड को बाहर निकालने की कोशिश करने लगी लेकिन मैंने लंड को नहीं निकाला.
वो बोली- उम्म्ह… अहह… हय… याह… बहुत दर्द हो रहा है प्रिंस, एक बार निकाल लो प्लीज.
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मैंने फिर भी लंड को बाहर नहीं निकाला और एक आखिरी धक्का मारा तो पूरा का पूरा लंड साना की चूत में घुस गया. वो सिसकारियां लेने लगी. मैंने उसको चुप करवाने के लिए उसके होंठों पर अपने होंठों को जोर से रखते हुए चूस लिया. साथ में मैं भाभी के तने हुए चूचे भी दबाता रहा
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थोड़ी देर के बाद वो चुप हो गई. फिर मैंने उसकी चूत को चोदना शुरू कर दिया. थोड़ी ही देर में उसको मजा आने लगा. मैंने फिर जोर-जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिये. जब वो चुदाई का पूरा मजा  जैसे लेने लगी तो मैंने उसकी टांगों को पकड़ कर ऊपर उठा लिया और उसकी चूत को गपागप चोदने लगामैंने नीचे झांक कर देखा तो बिस्तर की चादर पर रक्त की बूंदें टपकी हुई थीं लेकिन मैंने उस वक्त भी चुदाई जारी रखी. कुछ देर के बाद साना जोर की आवाजें निकालते हुए झड़ गई. फिर मैं भी तीन-चार धक्कों के बाद झड़ गया.  जब मैंने उसकी चूत से लंड को बाहर निकाला तो उसकी चूत से खून और वीर्य दोनों साथ में बाहर आ रहे थे. मैंने भाभी की सील पैक चूत को खोल दिया था.
साना भाभी अभी तक कुंवारी चूत लिये ही घूम रही थी इसलिए उसको मेरे लंड से चुदने की ख्वाहिश हो रही थी. आज मैंने भाभी की वो ख्वाहिश पूरी कर दी थी और उसके चेहरे पर एक खुशी का भाव आ गया था.
उस रात मैंने साना की सुबह के चार बजे तक चुदाई की. मैंने उसकी गांड की सील भी तोड़ डाली. सुबह हम थक कर सो गये. सुबह उठा तो वह बेड पर नहीं थी. मैंने किचन में जाकर देखा तो उसने मेरी ही टी-शर्ट पहनी हुई थी. वह जांघों पर कुछ नहीं पहने हुए थी. उसकी जांघें बिल्कुल नंगी थी.
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वहां का नजारा देख कर मैं तो फिर से उत्तेजित हो गया. मेरे टी-शर्ट और पैंटी में सेक्सी भाभी में है जैसे मानो और भी खूबसूरत लग रही थी. टी-शर्ट के नीचे से उसकी पैंटी भी दिख रही थी. उसकी गोरी नंगी जांघें देख कर मेरा मन फिर से उसकी चूत चोदने का करने लगा और मैंने जाकर उसके चूचों को दबोच लिया.
फिर मैंने वहीं किचन में खड़े-खड़े उसकी चूत की चुदाई कर डाली. बहुत मजा आया वहाँ पर भी. वह 6 दिन तक हमारे घर पर रही और हम दोनों ने खूब मजे किये.

इस तरह से मैंने अपनी खूबसूरत साना भाभी की कुंवारी चूत को चोद कर उसको मजा दिया और खुद भी उसकी चूत के मजे लिये.


[Image: shabana-shajahan-nudec88bd6bdbb49b3ac3.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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मैं बाजी और बहुत कुछ



जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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मेरे सोसाइटी में एक चंडीगढ़ की भाभी है, वो पंजाबन है, भगवान ने उन्हें गजब का सुन्दर बनाया था, करीब 6fit लम्बी है, और उनका बदन काफी गोरी है, उनका ब्रेस्ट करीब ३६ साइज का था पर लम्बाई और शरीर के अनुसार था, बहुत ही सेक्सी औरत है, मैं जब भी उनको शाम को पार्क में टहलते देखता मैं भी पार्क में जाके बैठ जाता उनके सामने मुझे कोई भी लड़की या औरत सुन्दर नहीं लगती है. उनका मेरे घर से दोस्ती का रिलेशन भी है, सो मेरे वाइफ से काफी अच्छी जान पहचान है,

क दिन मुझे किसी काम से मुंबई जाना था, तो मेरी वाइफ उनसे ये बात शेयर की कि मेरे हस्बैंड मुंबई जा रहे है, तो बोली कब वो बता दी जिस दिन का टिकट मिल जायेगा उसी दिन, तो बोली मैं भी जाना चाह रही हु, क्यों कि मेरी सासु माँ अभी मुंबई में ही है और मेरे पति अभी अमेरिका गए है ऑफिस के काम से मेरी सासु माँ अपने से आ नहीं सकती इस्सवजह से मुझे उन्हें लाने जाना है, मैं कल आपको बताउंगी अगर हो सके तो मैं भी उनके साथ चल पडूँगी पहले मैं अपने पति से परस्मिशन ले लू.

दूसरे दिन सुबह आठ बजे ही मेरे फ्लैट का वेल बजा देखा वही भाभी बाहर खड़ी थी, मैंने दरवाजा खोला वो अंदर आ गयी, बोली भैया आप मुंबई जा रहे हो मैं भी चलूंगी और हो सकता है साथ ही वापस आ जाउंगी, अपने सास के लेके सुना है आप २ दिन के लिए जा रहे है, मैंने कहा हां ठीक है कोई बात नहीं मैं बस अपना टिकट बनाने ही बाला था तभी आप आ गयी, चली अच्छा हुआ,

मैंने अपना लैपटॉप से irctc से टिकट निकालने लगा, पर टिकट कन्फर्म नहीं बल्कि आर ए सी में मिला मैंने कहा चलो यही ले लेते है वो भी बोली ठीक है, बाकी ट्रैन में ही कन्फर्म हो जाएगा ,
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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दूसरे दिन नई दिल्ली स्टेशन से मुंबई राजधानी में बैठ गए हम दोनों का साइड बाला सीट था, दोनों बैठ गए उसके बाद चाय कि चुस्की के साथ बातचीत सुरु हुआ, और रात को खाना भी आ गया खाना खाके आइसक्रीम खाए करीब ५ घंटे का सफर तय हो गया तभी टीटी आया और बोला सर आपका टिकट कन्फर्म हो गया है आप इसी कि ऊपर बाला ले लीजये मैंने उसे थैंक्स कहा और फिर बात चित सुरु. रात के करीब ग्यारह बजे मैंने कहा मैं ऊपर चला जाता हु आप निचे रह जाइए. तभी बोली अरे सोते तो रोज है, आज अच्छा लग रहा है बात चित करने में, तो मैं रूक गया फिर उन्होंने कहा कि आप पैर फैला लो कोई बात नहीं ये सब ट्रैन में चलता है वो पर्दा लगा दी.
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मैंने पैर फैला लिया वो भी अपने पीछे तकिया लगा के पैर फैला ली अब उनका एक पैर मेरे दोनों पैरों के बीच में और मेरा एक पैर उनके दो पैरों के बीच में, एक ही कंबल में थे, अचानक उनका पैर मेरे लंड को छु गया, मेरा लंड पहले से खड़ा था क्यों कि वो बिना दुपट्टे के बैठी थी जिससे उनकी दोनों चूची साफ़ साफ़ दिख रही था और आधा चूची बाहर लटक रहा था उसपर से एक सोने का लॉकेट गजब का लग रहा था, वो समझ गयी कि मेरा लंड खड़ा हो चुका है, अब वो थोड़ा निचे सरक गयी और मेरा पैर उनके चूत पे जा टिका मैंने महसूस किया कि उनका चूत काफी गरम हो चूका था, वो अब धीरे धीरे अपने पैर से मेरे लंड को दबाने लगी, मैंने भी अपने पैर से उनके चूत को महसूस करने लगा, अब दोनों चुपचाप थे, और बस पैरो से ही सब हो रहा था वो बोली मुझे थोड़ा कंजस्टेड हो रहा था क्या मैंने आपके पैर पे ही अपना सर रख लू, मैंने कहा ठीक है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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