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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
[Image: 45897024_008_a107.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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Story ko achchha banaane ke liye photo kaise upload karte hai. Pls help me
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(16-01-2019, 12:26 AM)neerathemall Wrote: दीदी की जेठानी को छोड़ा - Xossip
https://xossip.com/showthread.php?t=1294085 - Translate this page
Jan 14, 2014 - Didi ki Jethani ko Choda. दीदी की जेठानी को .. प्यारे दोस्तों , जैसा के मैं ने आप को बताया था के मेरी दीदी के बाद मैं ने उनकी जेठानी को भी चोदा हैi.यह उस वक़्त कि बात है जब दीदी कि डिलीवरी को १५ दिन हुए थे ओर मेरे भांजे का नामकरण ...

मैं ने उनकी जेठानी को भी चोदा हैi.यह उस वक़्त कि बात है जब दीदी कि डिलीवरी को १५ दिन हुए थे ओर मेरे भांजे का नामकरण ...
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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कामुकता से भरपूर मेरा परिवार
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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मेरी बहन अरुणिमा एक दिन घर के आँगन में नहा रही थी.

उसी टाइम मैं स्कूल से घर आया.
माँ मार्केट गयी थी.
मैं अंदर गया तो मेरे होश उड़ गये.
मैंने देखा कि मेरी बहन अरुणिमा एकदम नंगी होकर नहा रही थी.
उसका चेहरा दूसरी तरफ था इसलिये वो मुझे नहीं देख सकी.
मैं तुरंत दूसरे कमरे में चला गया.
उस कमरे में बहुत अँधेरा रहता है.
मैं वहां खिड़की से नंगी बहन को नहाते हुये देखने लगा. उसकी गोरी चिकनी गांड देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया.
मैंने पहली बार अपनी सेक्सी जवान बहन की गांड देखी थी.
मैंने कभी भी नहीं सोचा था कि मेरी अरुणिमा दीदी इतनी सुंदर होगी.
वासनावश मैं अपना लंड बाहर निकाल कर सहलाने लगा.
तभी अरुणिमा दीदी सीधी होकर नहाने लगी.
उसकी बड़ी बड़ी चूची और चूत देखकर मेरे लंड से पानी निकलने लगा.
मैंने कभी भी अरुणिमा दीदी को चोदने का नहीं सोचा था लेकिन मैंने आज सोच लिया था कि मैं अरुणिमा दीदी के कामुक शरीर का मज़ा ज़रूर लूँगा.
मैंने अरुणिमा को पूरा वक्त नंगी नहाते देखा.
फिर उसने कपड़े पहन लिये और अरुणिमा करने के लिये मंदिर वाले कमरे में चली गयी.
फिर मैं भी धीरे से बाहर आकर वापस घर में आया.
फिर उसी दिन शाम को दीदी बालकनी में खड़ी थी.
मैं भी उसी समय जाकर खड़ा होकर दीदी से बात करने लगा.
हमारी बालकनी बहुत छोटी है, उसमें सिर्फ़ एक जना ही खड़ा हो सकता है.
दीदी आगे झुक कर खड़ी थी और मैं उनके पीछे खड़ा होकर बात कर रहा था.
मेरा पूरा ध्यान उनकी गांड पर ही था.
मेरा लंड खड़ा हो गया.
तभी अनायास मेरा लंड उनकी गांड के बीच में अचानक लग गया.
मैं डर गया कि शायद दीदी समझ ना जाये.
लेकिन अरुणिमा दीदी को पता नहीं चल रहा था.
अब मैं अपना लंड उनकी गांड के बीच में जानबूझ कर दबाने लगा.
मेरा आधा लंड उनकी सलवार में घुस गया था लेकिन दीदी मुझसे बात करती जा रही थी.
अचानक दीदी ने और झुक कर अपनी टांगें और फैला दी.
और अब मेरा लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा.
मुझे डर भी लग रहा था और मज़ा भी आ रहा था.
अचानक मम्मी ने दीदी को आवाज़ दी और दीदी तुरंत मेरे लंड को धक्का देकर नीचे चली गयी.
आज मेरा लंड पहली बार किसी चूत के ऊपर रगड़ रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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मैंने सोच सोच कर रात में अपना लंड हिलाया.

फिर दूसरे दिन दीदी फिर शाम को बालकनी में खड़ी थी. मैं नीचे से देखकर ऊपर जाने से पहले अपना अंडरवीयर निकाल कर सिर्फ़ एक टावल लगा कर ऊपर गया.
वहां जाकर देखा तो मैं हैरान हो गया क्योंकि अरुणिमा दीदी ने आज अपना बहुत पुराना स्कर्ट पहना हुआ था जो उनके सिर्फ़ घुटनों तक ही आता था.
और वो बालकनी में झुक कर खड़ी थी.
मैंने पीछे से देखा तो उनकी पेंटी भी दिख रही थी.
मेरा लंड उनकी गोरी गोरी जांघ और पेंटी देखकर एकदम खड़ा हो गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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मैंने सोचा कि आज कुछ भी हो जाये, मैं आज दीदी की पेंटी में अपना लंड का पानी ज़रूर लगाऊंगा.

तभी दीदी ने मेरी तरफ देखा और बोली- इधर आकर देख … लगता है कि आज बारिश होगी.
मैं तुरंत उनके पीछे से खड़ा होकर आसमान देखने लगा.
मेरा लंड एकदम खड़ा था इसलिये सीधा उनकी गांड में जाकर घुस गया.
मैं एक बार तो डर गया कि दीदी गुस्सा ना हो जाये.
पर दीदी हंसी और बोली- तुम अब बड़े हो गये हो!
मैं समझ नहीं पाया.
मैंने जब दुबारा पूछा तो सिर्फ़ हंसी और कुछ नहीं बोली.
और फिर अपनी गांड मेरी तरफ और फैलाकर खड़ी हो गयी.
अब मेरा लंड उनकी चूत पर लग रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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मैंने सोचा कि दीदी को मेरे लंड का पूरा पता चल रहा होगा फिर भी नहीं बोल रही है.

तब मैंने सोचा कि शायद दीदी को मज़ा आ रहा होगा.
मैं सोचने लगा कि अब कैसे पता करूँ?
तो मैं अपना लंड धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा.
दीदी कुछ नहीं बोली.
मैं समझ गया कि दीदी को मज़ा आ रहा है.
मैंने अपने तौलिये में से अपना लंड बाहर निकाला और दीदी का स्कर्ट थोड़ा ऊपर करके अपना लंड उनकी पेंटी पर लगा दिया.
और मेरा लंड दीदी की गांड की दरार में घुस गया.
अब दीदी को मेरा लंड पूरा मज़ा दे रहा था.
उनकी गांड इतनी नर्म थी कि जब मैं अपना लंड उनकी गांड पर दबाता तब उनके चूतड़ फैल जाते.
कुछ ही देर में दीदी की पेंटी चूत के पास में भीग चुकी थी. मेरे लंड और उनकी चूत को एक दूसरे के पानी का मज़ा मिलने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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अरुणिमा दीदी मुझसे 2 साल बड़ी हैं.

मैं बहुत खुश था.
अचानक मेरे होश उड़ गये … जब दीदी ने अपना हाथ पीछे करके मेरे लंड को पकड़ लिया और पीछे मूड कर बोली- तुम क्या कर रहे हो? मैं अशुद्ध हो जाऊंगी. और तुम मेरे छोटे भाई हो और हम भाई बहन में यह सब नहीं होता.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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(11-01-2021, 01:05 PM)neerathemall Wrote:
शादी में विन्नी दीदी की ठुकाई
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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(07-01-2021, 02:30 PM)neerathemall Wrote:
Pregnant didi ko choda


[url=https://storiesdesiz.blogspot.com/2013/07/pregnant-didi-ko-choda.html][/url]

congrats
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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Plz continue
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मैं अपनी प्यारी पत्नी के साथ किराये के मकान में रहता था. मैं अपनी पत्नी को बहुत शानदार चुदाई का मजा देता था.
मेरी बुआ की लड़की का नाम निशा (बदला हुआ नाम) है। निशा की शादी हो चुकी है लेकिन शायद उसकी उफनती जवानी का रस उसका पति नहीं निकाल पाता था।
यह हॉट कजिन Xxx कहानी उसी निशा के साथ की है.
एक बार की बात है, निशा कुछ दिनों के लिए मेरे घर रहने को आई।
बातों ही बातों में निशा और मेरी पत्नी रेखा के बीच चुदाई की बात शुरू हो गई।
जब मेरी पत्नी ने बताया कि कैसे मैं उसकी चुदाई करता हूं तो निशा ये सुनकर बिल्कुल पागल हो गई।
उसका भी मन मेरे मोटे लंड से चुदने को बेताब हो गया।
ये बात उसने मेरी प्यारी बीवी रेखा से कही।
रेखा ने उससे कहा कि अगर इतना ही चुदने का मन कर रहा है तो वह कुछ जुगाड़ कर देगी।
मेरी पत्नी रेखा ने ये बात मुझे बताई।
मैंने अपनी प्रियतमा से कहा- देख लो, कल को कोई दिक्कत न हो?
रेखा ने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है, उसका मर्द उसको संतुष्ट नहीं कर पा रहा है, बेचारी बहुत प्यासी है। आप उसकी प्यास बुझा दो।
मैंने कहा- ठीक है।
उसी दिन शाम को रेखा अपनी मम्मी से मिलने चली गई।
ये हम दोनों का प्लान था क्योंकि रेखा चाहती थी कि निशा चुदाई का पूरा मजा ले सके।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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उस दिन शाम को जब मैं रूम पर गया तो दरवाजा निशा ने खोला।
कसम से क्या क़यामत लग रही थी … बड़ी सी बिंदी, आंखों में काजल, सुर्ख लाल लिपस्टिक और टाइट कुर्ती पजामी।

मैं अंदर जाकर नहाने चला गया।
मुझे नहीं पता था कि निशा कुछ शुरुआत करेगी या नहीं।
मैं बस उसको चोदने के बारे में सोच रहा था।

जब मैं नहाकर बाहर निकला तो देखकर हैरान हो गया कि निशा किचन में खड़ी थी।
उसने केवल ब्लैक ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी और किचन की स्लैब पर टेक लगाकर मुस्कराते हुए मुझे उसके पास आने का इशारा कर रही थी।
उस वक्त वह किसी कामदेवी से कम नहीं लग रही थी।

मैंने सोचा नहीं था कि वो इस तरह से खुलकर मेरे सामने आएगी।
मैं भी खुद को रोक नहीं पाया और तौलिया लपेटे हुए ही उसके पास चला गया।

जाते ही वो मुझसे लिपटने लगी।
मेरे होंठों, गालों, गर्दन और छाती पर लगातार किस करने लगी।

उसके चुम्बनों की बारिश से मेरा लंड तौलिया में तोप की तरह तनकर खड़ा हो गया और उसकी जांघों पर टकराने लगा।
वो भी अपनी चूत को बार बार मेरे लंड से टकराने की कोशिश कर रही थी।

मैं बोला- रेखा बता रही थी कि तुम बहुत प्यासी हो।
निशा- हां, बहुत प्यासी हूं। बहुत समय से मर्द का सुख नहीं मिला है। मेरी प्यास को बुझा दो प्लीज!
मैंने जोर से उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया।

फिर दो मिनट किस करने के बाद वो अलग हो गई और बोली- चलो मैं तुम्हारे लिए पैग बनाती हूं।
उसके पीछे चलते हुए मैंने कहा- असली नशा तो तुम में है।
वो मुस्कराती हुई मटकती मेरे आगे आगे चलती रही।

हॉल में जाकर उसने जल्दी से पैग बना दिया और दोनों ने एक-एक पैग खत्म कर दिया।

फिर वो मेरी गोद में आकर बैठ गई और दोनों के होंठ एक दूसरे से मिल गए।
हम लगातार दस मिनट के लगभग एक दूसरे के होंठों का रस पीते रहे।

फिर मैंने उसे सोफे पर लिटा लिया और पेट के बल लिटाकर उसकी पीठ पर से ब्रा के हुक खोल दिए।
उसकी गोरी चिकनी पीठ नंगी हो गई।
मैंने उसकी पीठ को चूमना शुरू कर दिया।

हर चुम्बन के साथ उसके बदन में सिहरन हो उठती थी।
चूमते हुए मैं उसकी मोटी उठी हुई गांड तक पहुंच गया जिस पर काले रंग की पैंटी कसी हुई थी।
उसकी गांड के उभार देखकर मैं पागल हुआ जा रहा था और मन कर रहा था चोद चोदकर इसका बैंड बजा दूं।

फिर मैंने उसकी गांड को दबाना शुरू किया।
वो और ज्यादा कसमसाने लगी।

फिर मैं उसके सिर की ओर गया और घुटनों के बल बैठकर अपना तौलिया उसके सामने खोल दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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मेरा तना हुआ लंड उसके मुंह के सामने फुफकार रहा था।
वो उठी और मुझे सोफे पर गिरा लिया, मेरी टांगों के बीच में आकर मेरे लंड को मुंह में लेकर ऐसे चूसने लगी जैसे वो कोई लॉलीपोप हो।

पूरे लंड को वो मुंह में लेने की कोशिश कर रही थी। उसके होंठ मेरे झांटों तक जाकर टकरा रहे थे। लंड की प्यास उसके चूसने के अंदाज से साफ झलक रही थी।

उसने दो मिनट की चुसाई में ही मुझे बेहाल कर दिया, लंड फटने को हो गया।
मुझे लगा कि अगर इसे ज्यादा छूट दी तो ये जल्दी ही लंड का माल निकाल कर पी जाएगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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मैंने उसको वहीं स्लैब पर बिठा लिया और उसकी पैंटी में बर्फ का टुकड़ा डाल दिया।
टुकड़ा ठीक उसकी चूत के होंठों के ऊपर फंसा था।

एकदम से वो मेरे बदन से लिपट गई और मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से ही बर्फ के टुकड़े को उसकी चूत पर सहलाना शुरू किया।

वो मचलने लगी।
फिर मैंने नीचे झुकते हुए उसकी पैंटी को चूसना चाटना शुरू किया जो बर्फ के ठंडे पानी से गीली हो चुकी थी।

निशा पूरी तड़प उठी थी, उससे ये गुदगुदी बर्दाश्त नहीं हो रही थी।
लग रहा था जैसे वो अभी पेशाब कर देगी।

फिर मैंने उसकी पैंटी को निकलवा दिया और उसकी चूत में मुंह लगाकर चाटने लगा।
वो अपनी चूचियों को अपने ही हाथों से दबाने लगी।

फिर मैंने उसकी चूत में उंगली डाल दी।
मैं उंगली को अंदर बाहर करने लगा।
उसकी चूत से चिकना रस निकलने लगा था।
मैं बीच बीच में उसकी चूत के रस को जीभ से चाट लेता था जिससे वो जोर से सिसकार उठती थी।

उसकी चूत फूल चुकी थी और गर्म होकर पूरी लाल हो गई थी।
उसने मुझे ऊपर खींचा और अपनी चूचियों पर मेरा मुंह दबा दिया।
मैं उसके बड़े बड़े बूब्स को भींचते हुए निप्पलों को मुंह में चूसने लगा।

ऐसा लग रहा था जैसे उसके चूचों से दूध निकल आएगा।
अब हम दोनों हवस में जैसे पागल हो चुके थे।

उसने मुझे पीछे धकेला और दीवार के साथ सटाकर मेरे होंठों को बुरी तरह से लबड़ते हुए मेरे लंड को पकड़ कर फेंटने लगी।

फिर वो एकदम से नीचे गई और रंडियों की तरह लंड की चुसाई करने लगी।
मैं फिर से पागल होने लगा।

कुछ पल लंड चुसाने के बाद ही मैंने उसको उठाकर दीवार से सटा दिया और उसकी टांग उठाकर उसकी चूत पर लंड को रगड़ने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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वो भी इस हरकत से बहुत चुदासी हो गई और लंड डालने के लिए मिन्नतें करने लगी।
मैंने वहीं पर उसकी चूत में लंड पेलना चाहा लेकिन वो मुझे पकड़ कर सीढ़ियों की तरफ ले जाने लगी।

वो सीढ़ियां चढ़ते हुए अपनी नंगी गांड मेरे लंड की ओर मटका मटका कर चल रही थी।
फिर बीच सीढ़ियों पर जाकर उसने अपनी गांड को मेरे लंड से सटा दिया और गांड को गोल गोल घुमाकर लंड पर रगड़ने लगी।

निशा शायद चुदाई का पूरा मजा लेना चाहती थी।
मैंने भी उसकी टांग को उठाया और उसकी चूत में लंड को घुसा दिया।
वो चिहुंक उठी।

मैं बोला- क्या हुआ मेरी चुदक्कड़ रानी?
निशा- पहली बार इतना मोटा लंड ले रही हूं मेरे राजा! जरा धीरे से चोदना।

मैंने भी उसकी बात को मानते हुए धीरे धीरे से उसकी मखमली बुर को चोदना शुरू किया।
रेलिंग को पकड़े हुए जब वो चुद रही थी तो उसकी मस्त चूचियां हिलते हुए अलग आनंद दे रहीं थीं।
जितना ही मैं उसकी प्यासी बुर में पीछे से धक्का देता उतनी ही चूचियां जोर से हिल जातीं।

ये मुझसे देखा नहीं जा रहा था और फिर मैंने उसकी चूचियों को हाथों में थाम लिया और पीछे से उसकी रसीली चूत को चोदने लगा।
मैं बहुत जोर से धक्के लगाता जा रहा था और वो भी कहती जा रही थी- और जोर से … आह्ह … और फाड़ो … आईई … आह्ह … लंड … आह्ह मैं चुद गई … आह्ह … और चोदो राजा …. उम्म … मेरी चूत … आह्ह … चुदाई का मजा … हाए … पेल दो मेरी चूत को।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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फिर दो मिनट बाद उसने बीच चुदाई में मुझे रोक दिया।
मैं हैरान था।

वो मुझे ऊपर छत पर ले गई।
ऊपर गए तो पानी की टंकी के पास बेड लगा हुआ था।
मैं बोला- ये सब क्या है?
वो बोली- मेरे राजा, मैं ऐसे चुदना चाहती हूं जैसे कुत्ता किसी कुतिया को खुले में चोदता है।

ये कहकर वो फिर से मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी।
कुछ देर चुसाने के बाद मैंने उसको बेड पर धकेल दिया।
वो कुतिया बन गई और मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड को पेल दिया।

कसम से खुले आसमान के नीचे चुदाई करने में बहुत मज़ा आ रहा था।
मेरा मोटा लंड उसकी कुतिया जैसी बुर में पूरा घुस कर उसकी रसीली बुर की मलाई निकाल रहा था।
हर धक्के पर निशा कुतिया की ऊंह ऊंह कर रही थी।

बेड अब जोर जोर से हिलने लगा था।

ऊपर ठंडी हवा चल रही थी और लंड और चूत, दोनों जैसे आग में तप रहे थे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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ने सेक्स में ऐसा मजा कभी नहीं लिया था।
शायद निशा चुदाई की बहुत ज्यादा शौकीन थी और वह मजा उसका पति उसे नहीं दे पा रहा था।
वो लंडखोर रंडी की तरह लंड को बस खाए जा रही थी।

मेरा लंड पूरा ऐंठ चुका था। उसकी नसें फूलकर फटने को हो गई थीं।
निशा की चूत के रस से वो पूरा चिकना होकर चमक रहा था और चूत में अंदर बाहर होते हुए पच-पच की आवाज से उसकी चूत को रौंदने में लगा था।

चोदते हुए दस मिनट के लगभग बीत चुके थे।
फिर एकदम से निशा की जोर से आह्ह निकली और उसकी चूत ने गर्म गर्म रस छोड़ दिया जो मुझे मेरे लंड पर लगता हुआ महसूस हुआ।

अब मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी; पूरी ताकत के साथ मैं उसकी चूत को पेलने लगा।

मैंने उसके बालों को पकड़ लिया और अपनी तरफ खींचते हुए उस कुतिया को पेलने लगा।
अब उससे लंड के धक्के बर्दाश्त नहीं हो रहे थे क्योंकि उसका पानी निकल चुका था और उसकी चूत में अब जलन और दर्द हो रहा था।

फिर मेरा भी अब स्खलन नजदीक था। मैंने उसे बताया कि होने वाला है, अंदर निकालना है या बाहर?
वो बोली- मुझे तुम्हारे लंड की मलाई खानी है।
ये कहते हुए वो एकदम से उठकर बैठ गई और मेरे लंड को तुरंत मुंह में भर लिया।

वो बड़ी मस्ती से चूत-रस लगे मेरे लंड को चूसने लगी।
मैं भी सातवें आसमान पर था।
जल्द ही मेरे लंड से वीर्य का गर्म गर्म लावा बाहर निकलने लगा जिसे निशा पूरा का पूरा साथ ही साथ पीती गई।

मैं उसके मुंह में झटके देता रहा और वो मेरे चूतडों को भींचते हुए जैसे लंड से एक एक बूंद को निचोड़ने की कोशिश करती रही। मैं बुरी तरह से हांफ रहा था और वो भी बेहाल हो गई थी।

उसने मेरे वीर्य की एक एक बूंद को चाट लिया।
फिर हम दोनों हांफते हुए वहीं पर गिरे पड़े रहे।

छत पर पूरा अंधेरा था और खुले में नंगे लेटने का मजा भी अलग ही आ रहा था।

लेटे हुए हम वहीं पर एक दूसरे के अंगों को सहलाते रहे।
सहलाते हुए वो मुझे इस चुदाई के अनुभव के बारे में बताने लगी।
उसने कहा कि उसको चुदाई में इतना मजा कभी नहीं आया।
मैंने भी उससे कहा कि ऐसी प्यास मैंने किसी औरत के अंदर नहीं देखी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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