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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
मैं अपने जेठ की पत्नी बन कर चुदी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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(01-03-2020, 01:00 AM)Jeetu4delhi Wrote: update


बुआ की बेटी ने लौड़े को शिकार बनाया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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ह कहानी मेरी और मेरी फुफेरी बहन की है।
फुफेरी बहन यानि कि मेरी बुआ की बेटी.. उसने लगभग एक सप्ताह पहले ही अपनी जवानी की ओर पहला कदम बढ़ाया था.. मेरा मतलब है कि उसने अभी ही 18 वर्ष की आयु पूरी की थी।
उसका फिगर लाजवाब था.. यही कोई 32-24-34 का भरा हुआ जिस्म था।
उसकी जवानी देख कर ही मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था।
एक दिन मेरी बुआ जी का फ़ोन आया कि निधि हमारे यहाँ गर्मी की छुट्टियों में आना चाहती है.. पर उसे लेने के लिए किसी को आना होगा।
जैसे ही मम्मी ने मुझ से ये बताया.. मैं तैयार हो गया और दोस्त से उसकी बाइक उधार लेकर बुआ की बेटी को लेने चला गया।
उसी दिन शाम को मैं उसे लेकर अपने घर वापस पहुँच गया।
शाम को निधि ने ही खाना बनाया। फिर खाना के बाद सभी लोग मम्मी.. भाई.. दादी सोने की तैयारी करने लगे।
मेरे पापा जी अपने व्यापार के चक्कर में अक्सर शहर से बाहर ही रहते है।
गर्मियों के दिन थे.. सभी लोग अलग-अलग जगह सो गए.. कोई छत पर.. कोई बरामदे में.. तो कोई घर के खुले आंगन में..
रात को करीब 1 बजे मेरी नींद खुली.. तो देखा निधि कमरे में अकेली सोई हुई है.. और कमरे का दरवाजा खुला हुआ था।
मैंने देखा कि निधि का सूट कुछ पेट से ऊपर तक उठा हुआ है।
उसका गोरा चिकना बदन देख कर मेरा मन उसे चूमने को हुआ.. मैं उसके कुछ और करीब गया.. तो देखा कि ऊपर से उसके गोल-गोल उभार बड़े ही मस्त दिख रहे थे।
उसके मस्त मम्मे देख कर तो मानो मेरे दिल में उन्हें पकड़ने के लिए सैलाब सा उठ रहा था पर निधि बड़े कड़क स्वभाव की थी.. तो पास जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
फिर मैंने इधर-उधर देखा.. सब सोये हुए थे।
मैं धीरे से कमरे में और अन्दर गया और कमरे का दरवाजा बंद कर दिया.. लाइट भी बंद कर दी और बिस्तर पर उसके पास में ही लेट गया।
कुछ देर इन्तजार करने के बाद मैंने अपनी मर्दानगी को ललकारा और धीरे से उसके उभार पर हाथ रख दिया।
हाथ रखते ही मेरे पूरे बदन में एक लहर से दौड़ गई.. दो मिनट इन्तजार के बाद मैंने अपने हाथ में थोड़ी से हरकत शुरू की.. निधि सोई हुई थी या नाटक कर रही थी.. पता नहीं.. पर मेरी हिम्मत जरूर बढ़ गई थी।
अब मैं निधि को बिना चोदे नहीं छोड़ना चाहता था.. तो मैं अपनी हरकतों में थोड़ा सा इजाफा करते हुए उसके उभारों को थोड़ा जोर-जोर से दबाने लगा।
सके बाद भी मुझे उसकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.. तो मैंने उसके सूट में अन्दर हाथ डाल दिया और चूचे दबाने लगा।
अब मैं समझ गया था कि निधि भी मुझसे चुदवाना चाहती है.. पर मुझसे छोटी होने और मेरी बहन होने की वजह से शरमा रही है।
मैंने देर न करते हुए उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.. वो अभी भी कोई प्रतिक्रिया नहीं कर रही थी।
मैं उसके चूचे जोर-जोर से मसल रहा था और होंठों का रस पान भी कर रहा था। वो केवल सिसकारियों के सिवाय कोई प्रतिक्रिया नहीं कर रही थी।
अब मैंने एक हाथ उसकी सलवार में डाल दिया और उंगली से उसकी चूत टटोलने लगा और चूत के ऊपरी भाग को सहलाने लगा।
कुछ देर सहलाने के बाद मुझे अहसास हुआ कि जैसे उसके जिस्म में कोई हरकत हुई.. जैसे ही मैंने उसकी चूत से ध्यान हटाया.. तो पाया कि उसका हाथ मेरे 7″ के लौड़े को सहला रहा है। मेरा लौड़ा लोहे की रॉड की तरह सख्त और बिलकुल गरम हो रहा था।
तभी मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी.. वो चिहुँक उठी। मैंने भी उंगली अन्दर-बाहर चलानी शुरू कर दी.. तो वो भी जोर-जोर से मेरे लण्ड के सुपारे को ऊपर-नीचे करने लगी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
कुछ ही मिनटों में उसकी चूत पानी छोड़ गई।
अब उसकी चूत में से पानी निकलने लगा था और मेरा पूरी उंगली उसमें भीग गई थी। उसने धीरे से मेरे कान में कहा- भैया.. अब तो चोद दो।
मैंने तुरंत उसकी सलवार नीचे करके उसकी गरम चूत पर अपना लौड़ा रख दिया। उसने नीचे से गाण्ड उठा कर नाकाम कोशिश की।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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फिर मैंने टेबल से उठा कर थोड़ा सा सरसों का तेल उसकी चूत पर भी और लौड़े पर भी लगाया और एकदम से उसकी बुर के छेद पर लौड़ा टिका दिया।
लण्ड निशाने पर रखते ही मैंने उसकी चूत के द्वार पर जोर से एक धक्का मारा.. लगभग आधा लण्ड उसकी चूत में उतर गया था। उसकी चीख निकल गई। मैंने तुरंत उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूसने लगा।
कुछ देर यही सिलसिला चलता रहा.. वो भी कुछ नॉर्मल होने लगी और मेरा साथ देने लगी।
फिर मैंने 2-3 धक्कों में बाकी बचे हुए लण्ड महाराज को भी धीरे-धीरे उसकी चूत में दाखिल किया और धीरे-धीरे धक्कों की बौछार शुरू की।
अब निधि भी गाण्ड उठा-उठा कर जोर लगा रही थी। करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ स्खलित हो गए।
हम दोनों थक चुके थे लेकिन हमारा उत्साह बढ़ चुका था। कुछ देर बाद अलग होकर अपनी अपनी जगह जाकर सो गए।
वो करीब 22 दिन हमारे यहाँ पर रही और मैंने उसे घर के हर कोने में रोज मौका मिलते ही चोदा।आज उसकी शादी हो चुकी है..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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Heart welcome Heart
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मामा की लड़की के मुह मे लंड दे दिया

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मेरा नाम अरमान है और मैं एक छोटे से शहर के रहने वाला लड़का हूं। मैं बहुत ही सिंपल और साधारण हूं। मुझे बिल्कुल भी शोर शराबा और किसी के साथ झगड़ा करना भी पसंद नहीं है। मैं अपने आप में ही खोया रहता हूं और मुझे अपने आप में ही रहना अच्छा लगता है। मेरे जितने भी दोस्त हैं वह सब मेरी तरह ही हैं। वह भी इन सब चीजों में बिल्कुल नहीं पड़ते और कहते हैं कि हम इस तरीके से ही ठीक हैं। मेरे पिताजी चाहते हैं कि मैं थोड़ा अपने आप को बदलने की कोशिश करू लेकिन मैं नहीं चाहता कि मैं अपने आप को बदलू। मैं जैसा हूं वैसे ही अपने आप में खुश हूं। इसी वजह से मेरे पिताजी ने मुझे मेरे मामा जी के यहां पर भेज रहे थे और कहने लगे कि तुम कुछ दिनों के लिए बेंगलुरु जाकर घूम आओ। मैंने उन्हें कहा कि मैं वहां पर क्या करूंगा।
वह लोग बहुत ही बड़े लोग हैं और हम बहुत ही मामूली और साधारण लोग हैं। वह फिर भी मुझसे जिद करने लगे और कहने लगे कि तुम वहां पर चले जाओ। कुछ दिनों तक तुम वहां पर रहोगे तो तुम्हें भी अच्छा लगेगा। घर पर वैसे भी कुछ काम तो है नहीं। तुम्हारी मां मैं और तुम्हारे बड़े भैया तो यहां पर हैं। तुम कुछ दिन घूम आओ तो तुम्हारा मन भी बहल जाएगा। मैं भी उनकी बात मान गया और सोचा कुछ दिनों के लिए घूम ही आता हूं। जब मैंने अपने मामा जी को फोन किया तो वह कहने लगे कि तुम कब आओगे। मैंने उन्हें बताया कि मैं अगले हफ्ते तक आपके घर पर आ जाऊंगा। कुछ दिनों तक मैं वहीं पर रहने वाला हूं। यह बात जब मैंने उनसे कही तो वह बहुत खुश हुए और कहने लगी कि चलो कम से कम तुम इस बहाने घर से बाहर तो निकलोगे। नहीं तो तुम सिर्फ घर पर ही रहते हो और तुम कहीं भी नहीं जाते। मैंने उन्हें कहा मामा जी ऐसी कोई बात नहीं है। मैं जाता तो हूं लेकिन मुझे ज्यादा शोर शराबा पसंद नहीं है और मैं अपने आप से ही खुश हूं। अब मैं अगले हफ्ते उनके घर पर चला गया। जब मैं उनके घर गया तो मेरे मामा की लड़की मुझे मिली। उसका नाम काजल है और वह बहुत ही मॉडल ख्यालातो की है। वह मुझे देखकर बहुत ही खुश हुई। वह उनकी इकलौती लड़की है। वह उससे बहुत ही प्यार करते हैं और उसकी हर चीज के लिए वह हमेशा आगे रहते हैं। मेरे मामा ने काजल को कहा कि तुम अरमान को घुमा देना और उसे अपने साथ ले जाया करो। ताकि उसका टाइम पास हो जाया करें। नहीं तो वह घर में अकेले अकेले बोर हो जाएगा। काजल मुझसे 2 साल ही बड़ी है और उसने एक अच्छे कॉलेज से पढ़ाई की है। अब वह मेरे साथ ही रहती। और घर पर भी हम दोनों साथ में ही थे।
एक दिन उसने मुझे कहा कि चलो मैं तुम्हें शहर घुमा कर ले आती हूं। मैंने उसे कहा कि अब कौन सा टाइम हो रहा है घूमने का। उसने कहा यही टाइम तो घूमने का है। मैंने उसे कहा कि बहुत रात हो गई है। अब कहां जाएंगे। उसने मुझे कहा कि तुम तैयार हो जाओ और मेरे साथ चलो अब वह मुझे अपने साथ ले गई। मैं उसके साथ गया। उसने मुझे अपने दोस्तों से मिलाया। उसके दोस्त बहुत ही ज्यादा मॉडर्न थे और सब मुझे घूर रहे थे। मुझे अपने आप में बहुत ज्यादा शर्म सी महसूस होने लगी। काजल ने उन लोगों से मुझे मिलाया लेकिन वह मेरे साथ बिल्कुल भी अच्छे से बात नहीं कर रहे थे। मुझे यह बात बहुत ही बुरी लग रही थी लेकिन यह बात काजल को बिल्कुल भी समझ नहीं आया और वह अपने दोस्तों के साथ एंजॉय कर रही थी लेकिन मैं अकेला बैठा हुआ था। तो मुझे बहुत ही बुरा लग रहा था। जब उन लोगों की पार्टी खत्म हो गई। तो वह मुझे कहने लगी कि अब घर चलो। हम दोनों अब घर आ गए लेकिन उसे तब भी कुछ समझ नहीं आया और मैंने उससे बात भी नहीं की। हम दोनों जब घर आए तो हम दोनों काफी देर तक बातें कर रहे थे लेकिन मेरा मन बिल्कुल भी उससे बात करने का नहीं था। फिर भी मैं उस से बातें कर रहा था। मैंने उसे कहा कि क्या तुम्हें मुझे अपने साथ लेकर जाना चाहिए था। वह कहने लगी क्यों, तुम्हें बुरा लगा क्या। मैंने उसे कहा कि तुम्हारे दोस्त बहुत ही मॉडर्न ख्यालातों के हैं और मैं एक सिंपल साधारण सा इंसान हूं। मुझे यह चीज बिल्कुल भी पसंद नहीं है लेकिन उसके बावजूद भी तुम मुझे अपने साथ ले गई और तुम्हारे दोस्त मुझे किस तरीके से घूर रहे थे। मुझे तो बहुत ही बुरा लग रहा था। वह कहने लगी कि चलो तुम मुझे माफ कर दो। अगर तुम्हें इस बात से बुरा लगा। मैंने उसे कहा कि इसी वजह से मैं तुम्हारे घर आना नहीं चाहता था लेकिन मेरे पिताजी मुझे कहने लगे कि तुम कुछ दिनों के लिए अपने मामा के पास चले जाओ। वह मुझसे कहने लगी कि अकर तुम्हें इस चीज का बुरा लगा तो मुझे माफ़ कर दो। मेरा तुम्हे हर्ट करने का बिल्कुल भी इरादा नही था।
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हम दोनों ऐसे ही बात कर रहे थे और वह पता नहीं कब सो गई मुझे पता भी नहीं चला। मैं भी उसी के बगल में लेट गया जब मैं उसके बगल में लेटा हुआ था तो उसकी गांड मुझे दिखाई दे रही थी। मैंने उसकी गांड को देखा तो मेरा मूड खराब होने लगा क्योंकि वह बहुत ज्यादा गोरी थी। मुझे ऐसा लग रहा था कि कितनी मस्त जवानी है लेकिन मुझे अपने मामा का ध्यान भी आ रहा था और मेरा लंड भी खड़ा होने लगा। मैंने जैसे ही उसके कपड़ों को उतार तो मेरा मन और ज्यादा खराब हो गया और मैं अपने लंड को निकालते हुए उसकी गांड के बीचो-बीच रगडने लगा। थोड़ी देर बाद वह भी उठ गई और उसे मजा आ रहा था। जब उसने मेरे मोटे से लंड को देखा तो वह कहने लगी तुम्हारा तो बहुत ज्यादा मोटा और लंबा है। जब उसने यह बात कही तो मैंने तुरंत ही उसको कसकर पकड़ लिया और उसके स्तनों को अपने मुंह के अंदर समा लिया। उसक उत्तेजना भी बढ़ने लगी और उसने चिल्लाना शुरु कर दिया। मैंने उसकी चूत को भी चाटना शुरू कर दिया और थोड़ी देर तक उसकी चूत को चाटता रहा। उसकी चूत से पानी का रिसाव बहुत तीव्र गति से हो रहा था। मैंने भी अपने मोटे लंड को उसकी टाइट और मुलायम योनि के अंदर डाल दिया। जब मैंने अपने लंड को उसकी योनि में डाला तो उसके मुंह से बहुत तेज चीख निकल गई और वह बड़ी तेजी से चिल्लाती जाती।
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वह इतनी तेज चिल्ला रही थी कि मेरे कानों तक उसकी आवाज आ रही थी। वह बहुत ही तेज तेज चिल्लाने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लगता जब वह इतनी तीव्र गति से चिल्लाती। मैंने उसे कहा कि अब तुम मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर ले लो। उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लिया तो उसे बहुत ही अच्छे से चूसने लगी। वह इतने अच्छे से चूस रही थी कि मेरा लंड और ज्यादा मोटा हो गया। मैंने उसे डॉगी स्टाइल में बना दिया और धीरे से अपने लंड को उसकी योनि के अंदर डाला। वह आगे की तरफ को होने लगी मैंने उसे पकड़ते हुए उसकी चूत के अंदर अपने लंड को डाल दिया। जब मैंने अपने लंड को डाला तो उसकी चूतडे मेंरे लंड से टकराने लगी। उसकी चूतडे बहुत ही मोटी और बड़ी-बड़ी थी वह जब मुझसे टकराती तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था मैं अपने लंड को उस पर प्रहार करता। अब उसकी चूतडे पूरी लाल होने लगी और मुझे बहुत ही मजा आ रहा था जब मैं उसे चोद रहा था।
मैं अब भी ऐसे ही धक्के मारते जा रहा था। काफी देर बाद उसे भी मजा आने लगा और वह भी अपनी चूतड़ों को मेरे लंड से मिलाने लगी और ऐसे ही मैं उसे बड़ी तेजी से चोदता जाता। थोड़ी देर बाद उसकी चूत मेरे लंड से कुछ ज्यादा ही रगड़ने लगी उससे एक गर्मी उत्पन्न होने लगी। उस गर्मी से उसका भी झड़ चुका था और मेरा माल भी उसकी योनि के अंदर जा गिरा। मेरा वीर्य इतनी तेजी से उसकी योनि में गया की वह चिल्लाने लगी और जब मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो वह दोबारा से उसे हिलाने लगी। उसने अपने हाथों में मेरे लंड को पकड़ा हुआ था जब वह हिला रही थी तो वह दोबारा से खड़ा हो गया। उसने अपने मुंह के अंदर उसे ले लिया और उसे चूसने लगी लेकिन उसे बहुत ज्यादा नींद आ रही थी और वह अपने मुंह में मेरे लंड को लेकर ही सो गई। जब मैं सुबह उठा तो मैंने देखा कि उसने मेरा लंड अपने मुंह के अंदर ही ले रखा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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वह इतनी तेज चिल्ला रही थी कि मेरे कानों तक उसकी आवाज आ रही थी। वह बहुत ही तेज तेज चिल्लाने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लगता जब वह इतनी तीव्र गति से चिल्लाती। मैंने उसे कहा कि अब तुम मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर ले लो। उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लिया तो उसे बहुत ही अच्छे से चूसने लगी। वह इतने अच्छे से चूस रही थी कि मेरा लंड और ज्यादा मोटा हो गया। मैंने उसे डॉगी स्टाइल में बना दिया और धीरे से अपने लंड को उसकी योनि के अंदर डाला। वह आगे की तरफ को होने लगी मैंने उसे पकड़ते हुए उसकी चूत के अंदर अपने लंड को डाल दिया। जब मैंने अपने लंड को डाला तो उसकी चूतडे मेंरे लंड से टकराने लगी। उसकी चूतडे बहुत ही मोटी और बड़ी-बड़ी थी वह जब मुझसे टकराती तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था मैं अपने लंड को उस पर प्रहार करता। अब उसकी चूतडे पूरी लाल होने लगी और मुझे बहुत ही मजा आ रहा था जब मैं उसे चोद रहा था।
मैं अब भी ऐसे ही धक्के मारते जा रहा था। काफी देर बाद उसे भी मजा आने लगा और वह भी अपनी चूतड़ों को मेरे लंड से मिलाने लगी और ऐसे ही मैं उसे बड़ी तेजी से चोदता जाता। थोड़ी देर बाद उसकी चूत मेरे लंड से कुछ ज्यादा ही रगड़ने लगी उससे एक गर्मी उत्पन्न होने लगी। उस गर्मी से उसका भी झड़ चुका था और मेरा माल भी उसकी योनि के अंदर जा गिरा। मेरा वीर्य इतनी तेजी से उसकी योनि में गया की वह चिल्लाने लगी और जब मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो वह दोबारा से उसे हिलाने लगी। उसने अपने हाथों में मेरे लंड को पकड़ा हुआ था जब वह हिला रही थी तो वह दोबारा से खड़ा हो गया। उसने अपने मुंह के अंदर उसे ले लिया और उसे चूसने लगी लेकिन उसे बहुत ज्यादा नींद आ रही थी और वह अपने मुंह में मेरे लंड को लेकर ही सो गई। जब मैं सुबह उठा तो मैंने देखा कि उसने मेरा लंड अपने मुंह के अंदर ही ले रखा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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Heart दीदी ने मुझे उसकी पेंटी सूंघते पकड़ लिया Heart
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मैं जैसे ही दीदी के कमरे से निकला उसके दुसरी सेकंड ही पापा आ गए घर में. उसकी पेंटी मेरी जेब में ही थी. अच्छा हुआ हमने चोदने का मोह नहीं किया वरना सच में पकडे जाते. मैं अपने कमरे में चला ग़या. दीदी का न्यूड बदन अभी भी जैसे मेरी आँखों के सामने ही था. मैंने दीदी की पेंटी को लंड के सब तरफ लपेट लिया औटी उसे हिलाने लगा. मैं मन ही मन सोच रहा था की पापा का आने का टाइम थोडा लेट होता तो बहन मस्त चुदवा लेती. ये सब सोचते हुए मैंने आँखे बंध की और बहन के नाम की मस्त मुठ मार ली. उसकी पेंटी को एकदम वीर्य से भर दिया था आज तो मैंने. आज रोज के मुकाबले मुठ भी उतनी ज्यादा और गाढ़ी निकली थी. मैने पेंटी को अपनी जेब में रखा और दीदी के कमरे में चला गया.
मैंने उसके हाथ में पेंटी दी. उसने खोल के देखा तो बोली, छी, कितने गंदे हो तुम अविनाश!
मैं हंस के वहां से निकल गया. दुसरे दिन सेटरडे था और फिर सन्डे, और दोनों दिन पापा घर पर ही थे. मैं बेसब्री से बहन के साथ घर में अकेलेपन की वेट में ही था. बस कैसे भी कर के मंडे आये और मैं बहाने से घर में रुक के अपनी बहन की चुदाई करूँ. सच में मंडे आते आते जैसे सदियाँ बीत गई. दीदी ने सन्डे इवनिंग को भी अपनी फ्रेश खुसबू वाली पेंटी दी थी. उसे तो मैं नाईट में अपने लंड पर ही रख के सो गया. दुसरे दिन पापा और मम्मी दोनों अपने काम से निकल गए. मम्मी को मैंने कहा की पेट में दर्द हे इसलिए मैं आज घर पर ही रहूँगा. मम्मी ने कहा देख ले जैसे तेरी तबियत लगे. तबियत तो अपनी सिस्टर की पुसी ही मांग रही थी.
जैसे ही हम दोनों घर में अकेले पड़े मैं फटाक से दीदी के कमरे में भाग गया. मेरी बहन भी मेरी ही वेट में थी. वो दिन में कभी भी ये वाली नाइटी नहीं पहनती थी. लेकिन आज उसने वही मेरी फेवरेट ब्लेक नाइटी पहनी थी. ये नाइटी पुरे ब्लेक रंग की हे और वो पूरी ट्रांसपेरेंट हे. उसके अन्दर दीदी ने कुछ भी नहीं पहना था. उसके बूब्स और चूत एकदम साफ़ दिख रहे थे मुझे! दीदी चुदने के पुरे मूड में ही थी. मैं उसके पास बैठ गया. कमरे में उसने रूम फ्रेशनर लगाया हुआ था. और एसी भी ओन था. मैंने उसके पैर पकड़ के धीरे से अपना हाथ उसके बुर की तरफ बढ़ा दिया. मेरी उंगलियाँ एकदम धीरे धीरे से ऊपर की तरफ बढ़ रही थी. और दीदी अपनी आँखे बंध कर के धीरे से सिसकियाँ रही थी. मैंने ऊँगली को जब उसकी चूत पर रख के देखा तो पता चला की चूत को तो 100 डिग्री के ऊपर वाला बुखार हो उतनी गरम हो गई थी! मैंने जैसे ही बहन की चूत पर से हाथ दूर करना चाहा तो उसने उसे पकड़ के वापस वहाँ रखवा दिया. मेरे लंड में अब कम्पन चालु हो चुके थे. मैंने धीरे से नाइटी की डोर को खोला और एक ही सेकंड के अन्दर बहन ने अपनी नाइटी उतरवाने में खुद मेरी मदद कर दी. वो अब मेरे सामने एकदम न्यूड थी.
दीदी ने पूछा, चाटोगे पहले?
मैं कहा आप मुझे चाट दो और मैं आप को.
वो बोली ठीक हे.
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मैंने अपना लंड अपनी बहन को मुहं में दे दिया जिसे वो मजे से चूसने लगी. और मैंने अपनी जबान से उसकी चूत को लिक किया. चूत के दाने को जब जबान से चाटा तो दीदी की हालत एकदम खराब हो गई.
फिर हम दोनों अलग हुए. मैंने कहा मैं एक मिनिट आता हूँ. मैं नंगा ही किचन में गया. वहाँ फ्रिज में अमूल का साल्टेड बटर रखा हुआ था. मैं वो ले आया. दीदी ने कहा ये क्यूँ?
मैंने कहा बटर लगा के सेक्स करेंगे!
पागल हे तू अविनाश!
मैंने कहा, ऐसी एक मूवी में देखा था मैंने.
दीदी बोली ठीक हे फिर जो मर्जी हो कर ले तू.
मैंने थोडा बटर अपने हाथ से तोड़ के टुकड़े को ही दीदी की बुर पर रख दिया. फिर मैं ऊँगली से बटर के टुकड़े को चूत पर घिसने लगा. चूत की गर्मी और घिसने की वजह से बटर को घुलने में देर नै लगी. दीदी की चूत एकदम चिकनी हो गई थी. मैंने कुछ बटर को ले के अपने लंड पर भी घिस लिया. मैंने दीदी से कहा चलो अब आप अपनी टाँगे खोलो दीदी.
दीदी ने कहा अब कितनी खोलूं पगले, इतनी तो बहुत भी हे.
मैंने अपने लंड के सुपाडे को बहन के बुर पर लगाया. हम दोनों का पहला सेक्स था ये. और हम दोनों काफी उत्साहित थे. मैं जानता था की मेरी दीदी मेरी ख़ुशी के लिए सब कुछ कर रही थी. इसलिए मैंने लंड को अन्दर करने से पहले कहा, आई लव यु दीदी.
वो मुझे आँख मार के और फ्लाईंग किस देते हुए बोली, आई लव यु टू.
फिर मैंने धीरे से धक्का दिया. बटर की महरबानी हो या फिर मेरी दीदी की चूत पहले से खुली हो. लंड बिना किसी परेशानी के फच के साउंड से अन्दर घुस गया. दीदी ने टाँगे थोड़ी और खोली क्यूंकि शायद उसे भी अंदाजा नहीं था की लंड इतनी आराम से अन्दर घुस लेगा. बटर की चिकनाहट का पूरा मजा लेते हुए मैं हौले हौले से अपनी बहन को चोदने लगा. दीदी भी अपनी टाँगे बिना हिलाए अपनी कमर को झटके दे रही थी. वो मेरे बालों में अपनी उंगलियाँ फेरते हुए मस्तिया रही थी. उसके मुहं से अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ह्म्म्मम्मअ आः आह्ह्ह्ह निकल रहा था. और उसकी चूत मेरे लंड के चारो तरफ अपनी ग्रिप और भी कडक कर रही थी. मैं दीदी के बूब्स को अपने मुहं में भर के उसकी चूत को और भी सेक्सी ढंग से पेलने लगा. इस मिशनरी पोस में दीदी ने कुछ 10 मिनिट तक चुदवाया. और फिर वो बोली, चल अब मैं तेरे ऊपर आती हूँ अविनाश. मैंने कहा ओके. और दीदी के नर्म गद्दे के ऊपर मैं लेट गया. उसने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ा. और उसे मेरी चूत में सेट करते हुए उसके ऊपर बैठ गई. अब की भी दीदी को लंड परोने में कोई दिक्कत नहीं हुई अब वो एक हाथ को मेरी जांघ पर रख के और दुसरे हाथ से अपनी चुंचियां दबाते हुए मेरे लंड पर जम्प लेने लगी. मेरा लंड आराम से उसकी चूत में अन्दर बहार हो रहा था.
कुछ देर में मुझे लगा के दीदी थक गई हे. मैंने उसे सपोर्ट करने के लिए उसकी गांड पर दोनों तरफ से हाथ रख दिए. और वो आगे झुक गई. अपने बूब्स उसने मुझे मुहं में दे दिए और अपनी गांड को जोर जोर से मेरे लंड पर मारने लगी. मैं आह आह आह करने लगा था.
मुझे ऐसा लग रहा था की मेरे पुरे बदन का लहू लंड की तरफ दौड़ रहा हे. और दीदी की साँसे भी उखड़ रही थी. मैंने उसकी निपल्स को बाईट किया तो उसने मुझे एक मारा प्यार से. मैंने दूसरी निपल पर भी बाईट कर लिया. दीदी की चूत की ग्रिप मेरे लंड के ऊपर अब यकायक बढ़ सी गई. मैं भी जोर जोर से मार रहा था निचे से अपना लंड और वो दोगुनी स्पीड से लौड़े के ऊपर जम्प लगा रही थी. हम दोनों पसीने में भीग से गए थे. मैंने कहा, दीदी मेरा पानी निकल जाएगा.
वो अपनी गांड रगड़ते उए बोली, अन्दर ही निकाल दो सब पानी को. मैं भी तुम्हारे लंड पर अपना पानी छोडूंगी.
मैंने कहा ठीक हे. और मैंने उसकी गांड को पकड़ के अपने झटके बढ़ा दिए. हम दोनों भाई बहन ऑलमोस्ट सेम टाइम पर ही झड़े. और उसे भी ये बड़ा अच्छा लगा. वो लंड को पकड़ के धीरे से उसे चूत से निकाल के बेड पर लेट गई. मैंने फट से उसकी टाँगे खोली और उसकी चूत को चाटने लगा. उसके और मेरे पानी का मिश्रण एकदम गरम था और उसके अन्दर से मसकीस्मेल आ रही थी! और उसकी स्मेल कुछ कुछ मेरी बहन की पेंटी के स्मेल के जैसी ही थी!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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भैया ने चूत की प्यास बुझाई

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मैं समीरा, उम्र 18 साल, गांव : उत्तर प्रदेश, दिल्ली में रहती हु, आज मैं आपको अपनी एक सच्ची कहानी सुनाने जा रही हु, ये चुदाई की कहानी मेरे और मेरे बड़े भाई जान आफ्ताव की है, आज मैं आपको अपनी चुदाई की पूरी कहानी सूना रही हु, कैसे मेरा भाई मेरे चूत की प्यास को बुझाया और मुझे शांत किया, मैं वासना की आग में बहूत दिनों से जल रही थी, मेरी चूत की गर्मी शांत नहीं हो रही थी, मुझे लंड चाहिए था, और आखिरकार, मुझे शांत किया मेरा अपने सगे भाई ने.
मैं दिल्ली में रहती हु, मेरे साथ मेरी एक छोटी बहन, जो की अभी ८ साल की है, मेरी भाभी और मेरे भैया, भैया को अपना सलून का काम है और भाभी मेरी मसाज पार्लर में काम करती है, हम दो बहने घर पर रहते है, पापा मम्मी दोनों उत्तर प्रदेश में अपने गाँव में ही रहते है. मैं जब छोटी थी तभी मैंने अपने कई सारे दोस्तों से सुनी की, चूचियां दबबाने में बहूत मजा आता है, कई लड़कियां अपने पड़ोस के लड़के से अपनी चूचियां दब्बाती थी, मेरा भी मन करता था पर परिवार बाले के डर से ये कदम कभी नहीं उठाई.
फिर दिल्ली आ गई थी, यहाँ टीवी पर किस करते हुए या तो सुहागरात मानते हुए देखती थी तभी से मेरी चूत में पानी आ जाती थी, धीरे धीरे मेरी तड़प बढ़ने लगी. और मैं मजे लेने लगी. इमरान हाश्मी को देखकर लगता था काश मुझे भी मेरे होठों को भी ऐसा कोई चूसता तो कितना मजा आता सच पूछिए तो मैं परेशां होने लगी चुदवाने के लिए. रात इ सोती थी तो अपनी चूच को खुद ही दबाती, और अपने चूत को सहलाती, और जब मेरी चूत से गरम गरम पानी निकलता तो अपने ऊँगली में लगा को चाटती थी, वो नमकीन स्वाद मुझे मदहोश करने लगी थी.
अब मेरी चूत बहूत ही प्यासी रह जाती क्यों की खुद से कुछ नहीं होता था, इसी बिच, मेरी भाभी प्रेग्नेंट हो गई, और डॉक्टर ने कहा की अब आप दोनों वाइफ हसबंड चुदाई नहीं करनी है, तो वो दोनों चुदाई नहीं करने लगे. ये बात मेरी भाभी ने मुझको बताई, फिर कुछ ही दिन बाद भाभी के मायके बाले आये और भाभी को ले गए, क्यों को बच्चा उनके मायके में ही होना था, इसलिए, अब भैया रोज रात को घर लेट आते, वो भी काफी नशे में होते थे, अक्सर वो बाहर ही खाना खाते थे, मैं देर रात तक टीवी देखती और फिर मैं अपने सारे कपडे उतार कर, अपने चुचियों को दबाती और अपने चूत को सहलाती, फिर धीरे धीरे मैं अपने चूत में ऊँगली करने भी सिख गई थी. रोज रोज अब रूटीन हो गया था, मैं खुद अपने चुचियों को दबा कर अपने चूत में ऊँगली करती, मैं काफी ज्यादा कामुक हो जाती. मेरी साँसे काफी तेज तेज चलने लगती थी, पर प्यासी की प्यासी ही रह जाती थी, मुझे अब सच का लंड अपने चूत में चाहिए था, पर कोई कदम उठाने से डरती थी . कभी तो लगता था भाई को ही पटा कर चुदवा लूँ,
एक रात की बात है करीब १२ बज रहे थे, मुझे लगा की आज भैया नहीं आयंगे, क्यों की वो कई बार नहीं भी आते थे, वो अपने दोस्त के यहाँ रह जाते थे क्यों की उनकी दोस्त की बीवी से भैया का चक्कर था, तो मुझे लगा हो सकता था की आज भैया नहीं आयेंगे. तभी केवल पर एक फिल्म आ रही थी कमसिन जवानी, वो बी ग्रेड की मूवी थी. बहूत मजे ले रही थी फिर मैं अपने सारे कपडे उतार कर, अपने चूच को सहला रही थी और चूत में ऊँगली डाल रही थी. आँखे बंद थी सिसकियाँ ले रही थी, चूतड़ उठा उठा का आह आः आः आह आह आह आह आह उफ़ कर रही थी. मेरी चूत काफी गीली हो गई थी, खूब मजे ले रही थी. अपने होठ को अपने दांतों से काट रही थी. मैं अपने आप में ही मस्त थी हलकी सी रौशनी थी कमरे में, जब मेरी आँख खुली तो देखि भैया मेरे सामने खड़े है, और नंगी बेड पर हु, उनकी आँखे लाल लाल थी. मैं समझ गई की वो ड्रिंक किये हुए है , मैं वही पड़ी चादर ले ली और अपने तन को ढकने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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भैया ने चादर को छीन लिए और मेरी नंगी बदन को वो घुर घुर कर देखने लगे. और फिर मेरे मेरे करीब आ गए वो इतने करीब की उनके होठ मेरे होठ के पास आ गये, उनके मुह से शराब की बू आ रही थी. मैं बोली भैया ये ठीक नहीं है, तो भैया बोले मैं तेरी तड़प को करीब पंद्रह मिनट से देख रहा हु, आजा मैं तेरी तड़प बुझा देता हु. मैं पहले से ही गरम थी और उन्होंने मेरे होठ को चूमने लगे और मेरी चुचियों को दबाने लगे. पहले तो मैं थोड़े शांत थी पर मेरी भी ज्वाला धधक रही थी. मैं भी सहयोग करने लगी. और भैया के होठ को चूसने लगी. ये किसी मर्द को चूमने का मेरा पहला एहसास था.
उसके बाद तो भैया मेरे ऊपर ऐसे टूट पड़े, जैसे एक भूखा भेड़िया एक मेमने पर टूट पडा हो. मैं भी कम नहीं थी. मैं भी बहूत प्यासी थी. मैं उसके लंड को पकड़ ली और दांतों से अपने होठ को काटने लगी. भैया निचे सरक गए और मेरी दोनों जन्घो को अलग अलग कर बिच में अपना मुह घुसा दिए, और मेरी चूत को चाटने लगे. मैं तड़प रही थी मैं उनके बाल पकड़ कर अपने चूत को चटवा रही थी. मेरी चूचियां बड़ी बड़ी गोल गोल उसपर से पिंक निप्पल तन गया था, चूचियां काफी टाइट हो गई थी. फिर भैया ऊपर आये और मेरे चूच को पिने लगे मेरे मुह से सिर्फ आह आह आह आह आह आ ऊ ऊ ऊ ओ उफ़ उफ़ की आवाज निकल रही थी.
उसके बाद फिर वो निचे गए, और अपना मोटा लंड निकाल कर मेरे चूत के बिच में रख दिए, और अन्दर घुसाने लगे, मुझे काफी दर्द हो रहा था बर्दस्थ नहीं कर पा रही थी मोटा लंड, आज तक मैं कभी चूदी नहीं थी. मैंने कहा भैया धीरे धीरे, उन्होंने कुछ भी नहीं सूना, और फिर से लंड को चूत पर लगा कर जोर से धक्का मारा और उनका पूरा लंड मेरे चूत में समा गया, मैं कराह उठी. दर्द से बेचैन हो गई. पर कुछ ही देर बाद सब कुछ ठीक हो गया और फिर क्या बताऊँ.
मैं जोर जोर से अपना गांड उठा उठा कर चुदवाने लगी. वो जोर जोर से गाली दे दे के मुझे चोद रहा था, मैं उसके गठीले बदन को सहला रही थी वो जोर जोर से मेरी चुचियों को दबाता हुआ जोर जोर से अपने मोटे लंड को मेरी चूत में पेल रहा था. मैं खूब मजे ले रही थी. फिर वो मुझे ऊपर किया मैं उसका मोटा लंड पकड़ कर अपने चूत में छिपा ली. वो मुझे जोर जोर से धक्के दे दे के चोद रहा था, आप ये कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है अगर कही और पढ़ रहे है तो नॉनवेज स्टोरी से चुराई हुई है, उसके बाद ऊपर से मैं धक्के देती निचे से वो देता. करीब दस मिनट तक वो मुझे ऐसे ही चोदा, फिर वो मुझे डोग्गी स्टाइल में पीछे से चोदने लगा. वो मेरी चूतड पर जोर जोर से मार रहा था और जोर जोर से अपने लैंड को अन्दर बाहर कर रहा था. मैं इस बिच दो बार झड चुकी थी. उसके बाद वो जोर जोर से आह आह आह आह करने लगा और अपना सारा माल मेरी चूत के अन्दर डाल दिया, हम दोनों एक दुसरे को पकड़ के सो गए.
फिर करीब एक घंटे बाद उठे, और फिर से चुदाई करने लगे. पूरी रात हम दोनों ने चुदाई की. दुसरे दिन मंगलवार था भैया की छुट्टी थी. वो मुझे दिन भर चोदे, उन्होंने मेरी चूत की गर्मी शांत की. फिर क्या बताऊँ दोस्तों मैं तिन दिन तक लंगडा कर चली थी. क्यों की बाद में मुझे काफी दर्द हुआ था. अब तो एक नंबर की चुदक्कड हो गई हु.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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मौसी की आग बुझाई

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मेरी उम्र 31 साल है और में शादीशुदा हूँ, मेरी हाईट 5 फुट 6 इंच और स्लिम फिट बॉडी है, मेरे लंड का साईज़ 5 इंच लम्बा है। ये बात 8 नवम्बर 2015 की है, जब में अपने घर में अकेला था और बोर हो रहा था तो मैंने सोचा कि कुछ घर की सफाई कर ली जाए तो में घर की सफाई कर रहा था क्योंकि दीवाली जो आने वाली थी
तभी मेरी मौसी मेरे घर आई तो मैंने जैसे ही उन्हें देखा तो बस देखता ही रह गया। उसने काले रंग की साड़ी पहनी हुई थी, उस पर उसका गोरा चिट्ठा सा रंग निखर रहा था। फिर मैंने उनसे कहा कि आइए आपका स्वागत है, तो वो अंदर आ गई और सोफे पर बैठ गई। अब में आपको थोड़ा मौसी के बारे में बता दूँ, उनका जून 2013 में तलाक हो चुका है और उनके एक 10 साल का लड़का भी है, लेकिन क्या बताऊँ? वो आज भी क़यामत है। जब वो चलती है तो उनकी गांड में अजीब सी लचक आती है और फिगर साईज तो मानो 36-30-34 है। फिर उसने पूछा कि घर पर कोई नहीं है क्या? तो मैंने कहा कि सब बाज़ार गये हुए है, थोड़ी देर में आ जाएगें। अब में सफाई कर रहा था तो में थोड़ा ऊपर था और वो मेरे ठीक नीचे आकर बैठ गई, जिससे मुझे उसकी दूध भरी चूची की गहराई साफ़-साफ़ नज़र आ रही थी।
फिर मैंने जानबूझ कर रंग की कुछ बूंदे उनके स्तन पर गिरा दी, ताकि वो जाकर कपड़े साफ करे और मुझे उनकी चूची देखने को मिले। फिर वो थोड़ा सा चिल्लाते हुए बोली कि क्या करता है? थोड़ा देखकर रंग लगा तो मैंने उनसे कहा कि आप बैठे ही ऐसी जगह पर है जहाँ पर रंग तो गिरेगा ही, वैसे आपको एक बात बताऊँ ये रंग गिरने से आप बहुत सुंदर दिख रही हो। तो उसने हट कहा और हँसते हुए बाथरूम की और जाने लगी। फिर वो थोड़ी देर में वापस आई। अब उसने अपनी ड्रेस भी चेंज कर ली थी और कहने लगी कि लाओ में भी तुम्हारा हाथ बटा दूँ। फिर मैंने कहा कि रहने दीजिए, लेकिन वो जिद करने लगी और मैंने उनसे कहा कि जैसी आपकी मर्ज़ी। अब वो भी काम कर रही थी, फिर लगभग 1 घंटे के बाद वो थक गई तो वो आराम करने के लिए बेड पर चली गई। फिर मैंने भी आराम करने के लिए काम करना छोड़ दिया। फिर मैंने मौसी से कहा कि चाय पीओगी, तो वो बोली कि ठीक है। फिर मैंने जल्दी ही चाय बना दी, अब जब वो चाय पी रही थी तो उनका आँचल बार-बार नीचे गिर रहा था।
फिर मैंने कहा कि आँचल तो ठीक रखो, तो वो उठकर ठीक करने लगी, लेकिन उनका पल्लू नीचे गिर गया और मेरे मुँह से अचानक निकल गया कि क्या चूची है? तो वो हट कहते हुए कहने लगी कि हाँ तेरे मौसा जी भी ऐसे ही कहते थे, लेकिन अब तो बस। फिर मैंने उन्हें बीच में टोकते हुए कहा कि क्या अब आपको उनकी याद नहीं आती? तो वो मुझसे लिपट गई, जिससे उनका स्तन मेरे सीने में रगड़ रहा था। फिर मैंने भी उन्हें अपनी बाँहो में ले लिया और उनके गले पर किस कर दिया। अब वो भी अपने आपको फ्री करते हुए मुझे किस करने लगी थी। फिर मैंने कहा कि मौसी क्या आपको मौसा जी के बिना रात अच्छी लगती है? तो वो नहीं का जवाब देते हुए कहने लगी कि आज तूने एक औरत को जगाया है। तो मैंने उन्हें अपनी बाँहो में उठाकर बेड पर प्यार से रखा और कहा कि क्या आपको अपनी इच्छा का कोई ख्याल नहीं है? तो वो बस रोने लगी।
फिर मैंने उन्हें शांत किया और धीरे से उनकी टांगो को सहलाना शुरू कर दिया और उनकी साड़ी को ऊपर करने लगा। अब वो भी कुछ समझ गई थी कि लड़का बड़ा हो गया है और औरत मर्द के रिश्ते को समझता है, तो वो कुछ नहीं बोली और फिर मेरे हौसले बढ़ते गये। फिर मैंने धीरे-धीरे उनकी पूरी साड़ी उतार दी, फिर मैंने उनकी चूची को मसलते हुए उनका ब्लाउज भी उतार दिया। अब उनकी चूची देखकर तो में किस करने लगा, अब उनका निप्पल सख्त हो गया था। फिर मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और अब में उनकी पेंटी को उतारने लगा था और वो गर्म होने लगी और मैंने धीरे से अपना हाथ उनकी चूत पर रख दिया। अब मेरा लंड तो खड़ा हो गया था, अब मौसी ने मेरे लंड को पकड़ लिया था। फिर मैंने उनकी दोनों टांगो को फैलाते हुए अपना मुँह उनकी चूत पर रख दिया और चाटने लगा। अब उनकी चूत पर मेरी जीभ लगते ही वो पागल सी हो उठी और कहने लगी कि आईईइ प्लीज़ और ज़ोर से किस कर। अब में अपने एक हाथ से उनकी चूची मसल रहा था और अपनी जीभ से उनकी चूत को चाट रहा था।
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फिर लगभग 5 मिनट के बाद मैंने उनकी दोनों टांगो को अपने कंधे पर रख लिया। अब मेरे लंड को देखकर मौसी ने कहा कि इतना तो तेरे मौसा का भी नहीं था, अब मत रुक, प्लीज़ मुझे कुछ कर। फिर मैंने अपना लंड उनकी चूत के ऊपर रखा और एक हल्का सा धक्का दिया तो मेरा सुपाड़ा उनकी चूत में घुस गया और उसके मुँह से आआहाआ असशह अशसस्स्स्स की आवाज़ आने लगी, क्योंकि उनकी चुदाई पिछले 2 सालों से नहीं हुई थी और उनकी चूत थोड़ी टाईट हो गई थी। अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, फिर मैंने अपना लंड बाहर निकालकर एक ज़ोर का झटका मारा तो मेरा आधा लंड उनकी चूत के अंदर चला गया और फिर हम दोनों मस्ती में डूब गये। फिर वो उनके हाथ से मेरे कूल्हों को पकड़कर अपनी और खींचने लगी और मेरा लंड पूरा ही उनकी चूत में घुस गया।
अब पूरे कमरे में पच-पच की आवाजे आने लगी थी और अब हम दोनों पूरी मस्ती में आ गये थे। अब मुझे ज़ोर से चोद, आज में बड़े दिनों के बाद चुदी हूँ ऐसी आवाजे आने लगी थी। फिर थोड़ी देर के बाद में झड़ने वाला था, लेकिन मौसी अभी झड़ने वाली नहीं थी तो में उनकी चुदाई रोककर उन्हें किस करने लगा और फिर उनका पानी आने को हो गया। फिर मैंने एक बार में जोरदार धक्का मारकर अपना लंड उनकी चूत में अंदर डाल दिया। अब पच-पच की आवाज के साथ में भी झड़ने वाला था तो मैंने पूछा कि क्या आपका पीरियड टाईम ख़त्म हो गया है? तो वो बोली कि नहीं। फिर मैंने कहा कि अंदर गिरा दूँ तो उन्होंने कहा कि गिरा दे और मैंने पूरे जोश में पच-पच की आवाज के साथ उनकी चूत को अपने वीर्य से भर दिया। अब हम दोनों बहुत मज़े ले रहे थे, फिर में उनके ही ऊपर ही लेट गया और उन्हें किस पे किस करता रहा। फिर मौसी ने कहा कि सचमुच तुम बहुत अच्छा चोदते हो और में तुझसे चुदकर धन्य हो गई
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