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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
तभी वो वापस आने लगी. मैं चुपचापहो गया, शांत हो गया पर मेरा लंड शांत नहीं था, वो तम्बू बना कर खड़ा था. सरिता दीदी जैसे ही आई बोली आलोक तुम जाग रहे हो. मैं कुछ भी नहीं बोला, वो फिर से बोली तू जाग रहे हो. मैं फिर भी चुप था. उसने फिर से कहा मैं सब समझ रही हु, तुम क्या देख रहे थे, तुम्हे शर्म नहीं आई एक जवान बहन को रात में ऐसे घूरते हुए. मैंने जाग गया, मैं डर गया था की पता नहीं वो माँ से तो नहीं कह देगी, तभी वो मेरे पलंग पर बैठ गई और मेरा लौड़ा पकड़ ली. मेरा लौड़ा काफी मोटा और तना हुआ था. वो भी ये है सबूत मुझे घूरने का, मैंने कहा सॉरी दीदी, गलती हो गई अब ऐसा नहीं होगा.

वो मेरे ऊपर चढ़ गई. और मेरा पेंटी निचे कर दिया. और मेरे लंड को पकड़ कर बोली, इसका कीमत तुम्हे चुकानी पड़ेगी. मैंने कहा कैसी कीमत, उसने अपने सारे कपडे उतार दिए, पहले तो मेरा लंड थोड़ा डर से छोटा भी हो गया था पर, जैसे उसने कपडे उतारी, मेरा लंड तो और भी मोटा और लंबा हो गया, मैंने कहा ये क्या कर रही हो दीदी मैंने तुम्हारा भाई हु, तो वो बोली जब भाई बहन की चूचियां और गांड को घूर रहा हो तब वो भाई नहीं बचता है. वो बॉय फ्रेंड हो जाता है. मैंने कहा पर मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूँगा, तो वो बोली नहीं कर देख मैं क्या करती हु, मैं माँ और पापा को बोलूंगी की जब मैं सो रही थी तब तुम मेरे प्राइवेट पार्ट को सहला रहा था. दोस्तों मैं डर गया, बहूत ही ज्यादा डर गया.

उसने कहा जैसा मैं कहती हु, वैसा कर मैं कुछ भी नही बोलूंगी और मेरी दीदी मेरे लंड को अपने मुह में लेके चूसने लगी. धीरे थोड़े देर बाद वो ऊपर आ गई और मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे होठ को चूसने लगी. दोस्तों मैं बहूत ही ज्यादा कामुक हो गया था. और जब वो अपनी चूचियां मेरे मुह में दी. और बोली ले चूस, मैं अपने बहन की चूचियों को चूसने लगा, मेरे तन बदन में आग लग गई. और मैंने जोर जोर से अपनी बहन की चुचिओं को पिने लगा और दबाने लगा. थोड़े देर बाद वो मेरे मुह के पास बैठ गई उसके चूत मेरे मुह के पास था. उसने कहा मेरे चूत की पानी को अपने जीभ से साफ़ कर और पि जा.

दोस्तों मैंने अपने बहन की चूत को चाटने लगा. वो अपने चूत से नमकीन पानी निकाल रही थी और मैं तुरंत ही चट कर जा रहा था. वो आह आह आह आह आह कर रही थी. और मैं दोनों हाथो से चूचियों को मसल रहा था और जीभ से चूत को चाट रहा था. उसके थोड़े देर बाद वो निचे हो गई और मेरा लंड जो की अब करीब नौ इंच का हो गया था पकड़ कर अपने चूत पे रख कर बैठ गई. दोस्तों मेरा लंड पूरा उसके चूत के अंदर समा गया. अब वो जोर जोर से बैठने लगी और उठने लगी. लंड अंदर बाहर जा रहा था और मेरी बहन के मुह से सिर्फ आह आह आह आह आह निकल रहा था.

वो खूब जोर जोर से चुदवाने लगी. फिर वो निचे हो गई और मैं ऊपर हो गया और फिर मैंने उसके दोनों पेअर को अपने कंधे पर रख कर, जोर जोर से उसके चूत में अपने लंड को डालने लगा. . इस तरह से वो मुझे रात भर मेरे से अलग अलग पोजीशन में चुदवाने लगी. उसके फिर मेरे साथ ही नंगे ही सो गई.

दोस्तों दूसरे दिन मेरी दीदी मुझे २०० रूपये दी और बोली कंडोम ले आना, मैंने कंडोम शाम को बाजार से कंडोम भी लेके आ गया. रात में फिर से वो मुझेसे चुदवाने के लिए अपने सारे कपडे उतार दी. और मेरा भी कपडे उतार दी. और फिर से चुदवाने लगी, जब हम दोनों झड़ गए तो मैंने कहा दीदी ये सब गलत हो रहा था. उसने कहा क्या गलत हो रहा है. जब तक मेरी शादी नहीं हो जाती तुम मुझे ऐसे ही चोदते रहो, नहीं तो मैं मम्मी को क्या क्या बताउंगी तुम्हे समझ भी नहीं आएगा और बे मतलब में बदनाम हो जायेगा.


दोस्तों उसके बाद वो मझसे बिना कंडोम के ही चुदवाने लगी. कहती है की कंडोम में मजा नहीं आता है. दोस्तों अब मैं क्या बताऊँ आपको मुझे डर है की कही वो प्रेग्नेंट ना हो जाये, अब मैं रोज रोज अपने बहन को चोदता हु और वो मुझसे खूब मजे लेती है अलग अलग पोजीशन में
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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Heart पति ने नहीं भाई ने मुझे शरीर का सुख दिया और मुझे माँ बनाया Heart
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कभी कभी जिंदगी में ऐसी बात और घटना हो जाती है जिससे पता नहीं चलता है कि जिंदगी आपको किस मोड़ पर ले जा रही है. आज मैं अपने जिन्दगी कि सबसे बड़ी घटना या तो कहिये कि सबसे बड़ा सुख जो कि मैं आप लोगो कि सामने रखने जा रही हु.

मैं गरीब घर कि लड़की हु, मेरे पापा का देहांत बहूत पहले हि हो गया है. मेरे से बड़ा मेरा बड़ा भाई है. घर कि हालात अच्छी नहीं थी इस वजह से शादी के बड़े बड़े सपने नहीं देखे हमने, सिर्फ ऐसा लग रहा था कि किसी तरह से मेरे हाथ पीले हो जाये. इससे ज्यादा कुछ भी अरमान नहीं था, मेरी शादी हो गयी जैसे तैसे, लड़का मेरे से दुने उम्र का था वो चालीस साल का था और मैं बीस साल कि कच्ची कलि थी, मेरी चूत में झांट भी सही तरीके से नहीं हुआ था और उसका मोटा और विकराल लंड देखकर मेरे पसीने निकल रहे थे. जिस दिन मेरा सुहागरात था, मैं डर गई कि कि मेरी चूत का क्या हाल होगा, मैं परेशान हो रही थी, जब वो बात करना शुरू किया तो पता चला कि वो हकला है. मेरे गाँव के एक चाचा ने मेरी शादी तय कि थी शादी के पहले मैंने ना तो कभी बात कि थी, ना तो मुझे किसी ने बताया था कि लड़का हकला है.

बात आगे बढ़ी, उसने मेरा हाथ पकड़ा और आ आ आ आ ईई लो ओ ओ ओ व् यू कहा, दोस्तों मैं सिर्फ सर उठा कर देखि अपनी कजराई आँखों से. मेरा पति भी काफी घबराया हुआ था. फिर उसने मेरे सारे कपडे उतार दिए, और मुझपर टूट पडा, कभी चूचियां दबाता कभी चुचिया पिता कभी वो होठ को ऊँगली से छूता कभी मेरे गाल पर चूमता, उसकी साँसे बहूत तेज तेज चल रही थी. और धीरे धीरे मुझे भी खुमार चढ़ने लगा था, क्यों कि मैं भी गदराई हुई जवानी में थी. ऐसा लग रहा था, कि मेरे अन्दर एक तूफ़ान से खड़ा होने बाला था. मेरी चुचियाँ तन गयी थी. रोम रोम खड़े हो रहे थे. मैं अपने पति को अपने बाहों में भर ली. और चूमने लगी. अब वो परेशान होने लगा. लंड उसका खड़ा था मुझे लग रहा था कि काश वो मेरी चूत में अपने लंड को समा दे. एक तो डर भी रही थी कि पता नहीं क्या हाल होगा. और दूसरी तरफ से ऐसा लग रहा था कि आज मेरी चूत का उद्घाटन कर दे. मैंने उसके लंड को पकड़ लिया क्यों को मैं काफी ज्यादा kamuk हो चुकी थी, पर दोस्तों जैसे हि मैंने लंड को पकड़ा, उसका सारा वीर्य झड गया. और लंड वापस २इन्च का हो गया.
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मैं हैरान थी. इसके पहले मैं कभी चूदी नहीं थी तो ज्यादा आईडिया भी नहीं था कि क्या होता है. मैंने जोर से पकड़ने कि कोशिस करने लगी पर वो अब मेरे से छूटने कि कोशिस करने लगा. मैं करीब करती तो दूर होता, मैं नई नई थी, पहले रात को सब कुछ पूछ भी नहीं सकती, और वो सो गया. बिना कुछ बात चित किये हुए. मैं वापस अपने सारे कपडे पहन ली. और सोचने लगी कि ये क्या हुआ. मुझे कुछ भी समझ नहीं आया रहा था. पर इतना तो पता चल गया था कि लकडा ठीक नहीं है. एक तो उम्र बहूत ज्यादा, दिमाग से भी ठीक नहीं था. वो चलते हुए हिलता और हकलाता भी था. मैं उसके उठने का इंतज़ार कर रही थी पर वो इंतज़ार मेरा सुबह तक भी पूरा नहीं हुआ, सुबह उठी. नहाई, घर में मेहमान थे. एक ननद आकर पूछने लगी. कि भाभी क्या रहा रात को. मैं चुपचाप थी, क्या कहती, कुछ हुआ हि नहीं था. वो सुबह उठे और घर से बाहर चले गए और फिर शाम को ७ बजे आये, वो भी पूरा शराब पिए हुए.

दोस्तों मेरा ससुराल बहूत हि आमिर थे. बहूत ज्यादा खेत थे, गाँव का रईस भी था, पर शायद इस लकड़े से कोई शादी करना नहीं चाह रहा था और मैं गरीब होने के चलते मेरी शादी हो गयी, जैसा कि आपने भी सूना होगा, किसी गरीब कि शादी किसी अमीर लंगड़े अंधे काने से कर दिया जाता है, रात को फिर से हम दोनों कमरे में आये, और आज मैंने सोच लिया था कि लंड नही टच करना है. फिर से किस से स्टार्ट हुआ ब्लाउज उन्होंने खोला और ब्रेसिएर, चुचियाँ अपने हाथ में लेके खेलने लगे, पिने लगे, मेरे निप्पल को दबाने लगे. मैं जोश में आ गयी, और वो ऊपर आ गया मैंने टांग फैला दी, उन्होंने मेरे चूत पे लंड को लगाया, और जैसे हि धक्का देने कि कोशिस कि, फिर से वो झड गए, और सो गए. दोस्तों अब मुझे समझ आ गया था कि मेरे पति नपुंशक है. मैं झल्ला गयी, करती भी क्या, मुझे लगा कि मेरी जिंदगी ख़राब हो गयी है
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दुसरे दिन से वो मेरे साथ भी नहीं सोने लगे, मैं पलंग पर सोती और वो निचे सोते, मैं कुंवारी कि कुंवारी रह गयी, मेरे भाई चौथे दिन आया मुझे लेने, मैं लिपट कर रोने लगी. वो पूछ कि सब कुछ ठीक है. मैंने कहा कुछ भी ठीक नहीं है. लड़का ठीक नहीं है. वो बेकार है. हिजड़ा है. वो कुछ भी नहीं कर सकता, वो हकला और विकलांग भी है. मेरी शादी क्यों करा दी इससे, मैं धन का क्या करुँगी, जब मुझे पति का सुख नहीं नहीं मिलेगा, मेरे लिए सारे व्यर्थ है. दोस्तों अब कुछ हो नहीं सकता था. हम दोनों दो घंटे तक ऐसे हि बैठे रहे और अपनी कहानी सूना रहे थे. तभी भाई बोला देख बहन अब कुछ नहीं हो सकता है. अब तुम इसी के साथ रहो. हम लोगो कि गरीबी मिट जाएगी, हम लोग का हक होगा इस बड़ी हवेली और जायदाद पर, मैं तुम्हे हेल्प कर सकता हु, मैं तुम्हे पति का सुख देता हु, बस तुम एक बच्चा कर लो. बच्चा मेरा है या तुम्हारे पति का गाँव बालो को क्या पता.

मुझे भी उसकी बात जंच गयी, और दुसरे दिन हि हम दोनों अपने घर वापस आये, क्यों कि शादी कि पांच दिन में हि लड़की को वापस मायके आना होता है. रात को घर पहुच गये, माँ अपने विस्तार से उठ नहीं पाती है क्यों कि उसको लकवा मार गया है. खाना बनाई, और खाई, रात को हम दोनों भाई बहन एक साथ सोये, असल में सुहाग रात मेरा उसी दिन था. मेरा भाई मेरे सारे कपडे उतार दिए, मेरे बूब को प्रेस करने लगा और पिने लगा. मेरी आह निकल रही थी. मेरा भाई का लंड भी बहूत मोटा था, उसने मेरी चूत पे अपने लंड को लगा कर जोर से धक्का दिया पर मेरी चूत काफी टाइट थी इस वजह से, लंड पूरा मेरी चूत में नहीं गया था. फिर उसने थूक लगा करा मेरी चूत में लंड को सेट किया और मेरा पैर दोनों कंधे पर रख कर जोर से धक्का मारा और उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया.

वो जोर जोर से अपने लंड को मेरी चूत में डालने लगा और मैं भी गांड उठा उठा कर चुदवाने लगी. दोस्तों वो मेरी चुचियों को मसलते हुए, लंड को अन्दर बाहर कर रहा था, और मैं भी उसको अपने बाहों में भर रही थी और उसका चूतड पकड़ कर अपने चूत में जोर जोर से झटके ले रही थी. रात भर मुझे जम कर चोदा, रात भर कि चुदाई में मेरी चूत काफी सूज गया था, और काफी दर्द भी हो रहा था. पर एक मन में शुकून था कि चलो, मैं अपने भाई के सहारे हि जिंदगी काट लुंगी धन दौलत तो पति से मिल जायेगा, और बाकी सारे कुछ मेरे भाई से मिल जायेगा.
हम दोनों रात को साथ सोते और खूब चुदाई करते, कुछ दिन बाद फिर मैं वापस अपने ससुराल चली गयी, ससुराल में पता चला कि मैं पेट से हु और मेरा होने बाला बच्चा का पिता मेरा भाई है. मैंने अपने पति को रिझाना शुरू किया क्यों कि मुझे इस बच्चे का नाम भाई का नहीं बल्कि पति का देना था. रात में उनके कपडे उतार देते मैं भी सारे कपडे उतार देती, और उनका लंड अपने चूत पे रगडती, और कहती कि लंड अन्दर चला गया है. जब कि लंड छोटा सा चूत के ऊपर हि रगड़ खाता, और धीरे धीरे सबको पता चल गया कि मैं पेट से हु, सब लोग खुश हो गया क्यों कि सब को पता था कि इस पागल से कुछ नहीं होने बाला है.पर सब को ख़ुशी हो रही थी कि अब इससे बच्चा होने बाला है.

मेरा भाई आता काफी दिनों तक रहता, मुझे चोदता, और फिर वापस चला जाता. आज मेरे पास दो बच्चा है. नाम कि बीवी अपने पति कि हु, असल में अपने भाई कि हु और दोनों बच्चे का बाप मेरा भाई है.
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हम दोनों रात को साथ सोते और खूब चुदाई करते, कुछ दिन बाद फिर मैं वापस अपने ससुराल चली गयी, ससुराल में पता चला कि मैं पेट से हु और मेरा होने बाला बच्चा का पिता मेरा भाई है. मैंने अपने पति को रिझाना शुरू किया क्यों कि मुझे इस बच्चे का नाम भाई का नहीं बल्कि पति का देना था. रात में उनके कपडे उतार देते मैं भी सारे कपडे उतार देती, और उनका लंड अपने चूत पे रगडती, और कहती कि लंड अन्दर चला गया है. जब कि लंड छोटा सा चूत के ऊपर हि रगड़ खाता, और धीरे धीरे सबको पता चल गया कि मैं पेट से हु, सब लोग खुश हो गया क्यों कि सब को पता था कि इस पागल से कुछ नहीं होने बाला है.पर सब को ख़ुशी हो रही थी कि अब इससे बच्चा होने बाला है.

मेरा भाई आता काफी दिनों तक रहता, मुझे चोदता, और फिर वापस चला जाता. आज मेरे पास दो बच्चा है. नाम कि बीवी अपने पति कि हु, असल में अपने भाई कि हु और दोनों बच्चे का बाप मेरा भाई है.
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Heart Heart पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ Heart



















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सगे भैया ने मुझे भाभी समझ के अँधेरे कमरे में चोद लिया
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रे अमर भैया की नई नई शादी हुई थी। दोस्तों मेरी भाभी बहुत खूबसूरत औरत थी। जिस दिन भैया की सुहागरात होनी थी उस दिन वो भाभी के हुस्न पर पूरी तरह से पागल थे। उन्होंने सारी रात भाभी की चूत मारी थी। धीरे धीरे मेरे भैया भाभी के पीछे पूरी तरह से पागल हो गये है और सारा दिन कमरे में ही घुसे रहते है और भाभी की मस्त मस्त चूत चोदा करते थे। जैसे ही रात हो जाती थी मैं चुपके से बड़े भैया के दरवाजे पर चली जाती थी और लॉक वाले छेद से मैं सारी चुदाई देख लिया करती थी। धीरे धीरे मुझे भैया भाभी की चुदाई देखने का नशा सा हो गया। रोज रात में मैं भैया के कमरे के दरवाजे पर खड़ी हो जाती और अंदर का सारा चुदाई वाला सीन देख लिया करती थी।

दोस्तों धीरे धीरे मेरा भी चुदने का और मोटा लंड खाने का दिल करने लगा। पर मेरे पास कोई बॉयफ्रेंड नही था। इसलिए मैं अपनी वासना और काम की हवस को शांत करने के लिए खुद ही अपनी चूत में अपनी ऊँगली, मूली और बैगन डाल लिया करती थी और चूत को फेट लिया करती थी। पर मुझे वो असली वाला मजा नही मिल रहा था। मुझे असली लंड खाने का बड़ा दिल कर रहा था। मैं भाभी की तरह चुदना चाहती थी। और भरपूर मजा लेना चाहती थी।

एक शाम भाभी मार्केट गयी हुई थी। मैं उनके कमरे में थी और अपनी एक साड़ी ढूढ़ रही थी। मेरी भाभी मेरी साड़ी में फाल लगा रही थी इसलिए मैं वही साड़ी लेने आई थी। इत्तेफाक से मैंने भी उस दिन शौक शौंक में साड़ी पहन रखी थी। तभी लाईट चली गयी। उसी समय भैया आ गये और मुझे कमर से पकड़ लिया और प्यार करने लगे। मेरे भैया सोच रहे थे की मैं उनकी बीबी हूँ। वो मुझे किस करने लगे।

“जान…आओ जल्दी से चूत दे दो। आज बजार में एक बड़ी सुंदर लड़की को देख लिया। बस उसे देखते ही मेरा मूड खराब हो गया। मेरा लौड़ा खडा हो गया है अब मुझे बस तुम्हारी रसीली चूत मारनी है!!” मेरे भैया बोले। उधर मेरा भी लंड खाने का मन कर रहा था इसलिए मैंने कोई आवाज नही निकाली। वरना अमर भैया मुझे पहचान जाते और मुझे नही चोदते। उन्होंने मुझे पकड़ लिया और धीरे धीरे मेरी साड़ी निकालने लगे। लाईट चली गयी थी इसलिए कमरे में अँधेरा था। भैया मुझे भाभी समझ रहे थे। कुछ देर में उन्होंने मेरी साड़ी निकाल दी और फिर मेरी ब्रा और पेंटी भी निकाल दी। मैं बिलकुल चुप थी और कोई आवाज नही कर रही थी। फिर मेरे भैया ने मुझे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और मेरे रसीले होठ चूसने लगे। मैं पिछले कई महीने से भैया को भाभी का गेम बजाते हुए देख रही थी इसलिए मैं भी उनका मोटा लंड खाने के लिए तडप रही थी।

दोस्तों मेरे अमर भैया बहुत ही स्मार्ट और खूबसूरत थे। वो मर्दाना जिस्म के मालिक थे और उसकी मस्त बॉडी बनी हुई थी। उनका लंड तो ९” लम्बा था और बहुत मोटा और रसीला लौड़ा था मेरे भाई का। कमरे में अँधेरा था और वो मुझे भाभी समझ कर मेरे सेक्सी होठ पी रहे थे। मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी। फिर अमर भैया मेरे उपर आ गये और मेरे दूध को अपने हाथ से दबाने लगे। मैं “……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” की आवाज निकाल रही थी। अमर भैया मेरे खूबसूरत मम्मो को जोर जोर से अपने हाथो से दबा रहे थे और फुल मजा ले रहे थे। मेरे मम्मे बहुत ही खूबसूरत थे। बिलकुल सफ़ेद सफ़ेद और गोरे रंग के थे। अमर भैया जान ही नही पाए की वो अपनी बीबी को नहीं बल्कि अपनी बहन के दूध को दबा रहे है। मुझे भी खूब मजा मिल रहा था। फिर अमर भैया मुंह लगाकर मेरे नशीले दूध को पीने लगे और मजा मारने लगे। मैं आप लोगो को बता नही सकती हूँ की मुझे कितना मजा मिल रहा था। आज पहली बार मैं किसी मर्द को अपने मस्त मस्त दूध पिला रही थी। मैं भी जवानी के मजे लूट रही थी। अमर भैया मुझे भाभी समझ के मेरी नर्म नर्म कोमल छातियों को चूस रहे थे। उनको बहुत अच्छा लग रहा था।

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वो मेरी एक छाती को १० मिनट तक चूसते फिर दूसरी छाती को मुंह में भर लेते है पीने लग जाते। आधे घंटे तक यही खेल चलता रहा। अधेरे में मेरा हाथ उनके लंड से टकरा गया तो मैं जान गयी की उनका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका है और मुझे चोदने के लिए बिलकुल तैयार हो गया है। मेरे सगे भैया ने मेरी दोनों नर्म मुलायम छातियों को बहुत देर तक चूसा।
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“जान….मेरे लौड़े को अपने हाथ से फेटो!!” अमर भैया बोले और मेरे हाथ में उन्होंने अपना ९” का मोटा और रसीला लंड पकड़ा दिया। आज पहली बार मैंने किसी असली लौड़े को हाथ में लिया था। इससे पहले तो मैं बस मूली, गाजर, बैगन को ही हाथ में लेती थी पर आज मुझे अमर भैया का असली लंड हाथ में लेने का मौक़ा मिला था। मैं जल्दी जल्दी उसके लौड़े को फेटने लगी। अमर भैया …..आआआआअह्हह्हह…. करने लगे। फिर मैं जल्दी जल्दी अमर भैया का लंड फेट रही थी। मेरा उनका लंड चूसने का बड़ा मन कर रहा था क्यूंकि मेरी भाभी रोज रात में मेरे भैया का लंड चूसती थी। इसलिए आज मेरा भी भैया का लंड चूसने का बड़ा मन कर रहा था। मैंने भैया को बिस्तर पर लिटा दिया और उनके उपर लेट गयी और उनका लंड चूसने लगी।

उनको बहुत अच्छा लग रहा था। मेरे ताजे गुलाबी होठ उनके लंड पर जल्दी जल्दी उपर नीचे हो रहे थे। अमर भैया के हाथ मेरी बड़ी बड़ी ३६” की छातियों पर चले आये थे और वो मेरे बूब्स को हल्का हल्का दबा रहे थे। मैं उनके लौड़े को मुंह में लेकर चूस रही थी। और हाथ से जल्दी जल्दी फेट भी रही थी। कुछ देर बाद तो मुझे बहुत जादा मजा मिलने लगा और मैं जल्दी जल्दी अमर भैया का लंड चूसने लगी और हाथ से फेटने लगी। उनको सेक्स और चुदाई का भरपूर नशा चढ़ गया था। वो हाथ ने मेरी निपल्स को घुमा रहे थे और ऊँगली से ऐठ रहे थे। ऐसा करने से मुझे सेक्स का नशा चढ़ रहा था। फिर मैं बिलकुल से पागल हो गयी और अमर भैया के लौड़े को मैं लील जाना चाहती थी।

इसलिए मैं जल्दी जल्दी उनके लंड को चूस रही थी। भैया का सुपाड़ा तो बहुत खूबसूरत था और काफी नुकीला था। दोस्तों मैंने आधे घंटे तक अमर भैया का लंड चूसा। आज मैं किसी देसी रंडी की तरह पेश आ रही थी। फिर अमर भैया ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे दोनों पैरों को उसने अपने कंधे पर रख दिया। फिर उन्होंने मेरी चूत के दरवाजे पर अपना लंड रखा और जोर से धक्का मारा। उनका ९” का रसीला लौड़ा मेरी चूत में उतर गया और अमर भैया दनादन मुझे चोदने लगे। इससे पहले मैं अपनी बुर को बैगन और गाजर से चोद लिया करती थी। पर उसमे वो मजा नही आता था जो आज मैं उठा रही थी। मेरे सगे अमर भैया मुझे गच्चक गचाक चोद रहे थे। मैं “आआआअह्हह्हह……ईईईईईईई….ओह्ह्ह्हह्ह….अई..अई..अई…..अई..मम्मी….” बोल बोलकर चिल्ला रही थी। भैया मुझे भाभी समझ के पेल रहे है। मुझे बहुत जादा यौन उतेज्जना महसूस हो रही थी। मैं अपने अमर भैया को सीने से चिपका लिया था और मजे से चुदवा रही थी।

मैं किसी तरह का नाम नही ले रही थी वरना अमर भैया जान जाते की मैं उनकी बीबी नही बल्कि सगी बहन हूँ। वो चुदाई के नशे में बार बार मेरे गोरे चिकने गालों पर काट लेते थे और मुझे दनादन चोद रहे थे। मैं पूरी तरह से उनके कब्जे में थी और उन्होंने मुझे दोनों हाथों से कसकर पकड़ रखा था। अमर भैया का लंड इतना मोटा था की जब वो अंदर मेरी चूत में जाता था जो मैं आगे की तरफ खिसक जाती थी। वो जल्दी जल्दी मुझे चोदकर मेरी बुर फाड़ रहे थे। मैं अँधेरे में मजे से अपने सगे भैया से चुदवा रही थी और जन्नत का मजा ले रही थी। आज मेरी चूत चुद गयी थी और आज पहली बार मैंने असली लंड खा लिया था। कुछ देर बाद बड़े भैया को और जादा जोश चढ़ गया और वो मेरे दूध पीते पीते मुझे बजाने लगे। मुझे बहुत मजा मिल रहा था।

एक तो वो मेरे नर्म स्तनों को पी और चूस रहे थे और उधर मेरी चूत में जल्दी जल्दी लंड सरका रहे थे। मैं “उ उ उ उ उ।।।।।।अअअअअ आआआआ।।। सी सी सी सी।।।। ऊँ।।ऊँ।।।ऊँ।।। बोल बोलकर चुदवा रही थी। कुछ देर बाद अमर भैया का माल छूट गया और उन्होंने मेरे भोसड़े में ही अपना माल गिरा दिया। मैंने उनको सीने से लगा लिया और उनके होठ चूसने लगी। दोस्तों १० मिनट बाद अमर भैया का लंड फिर से खड़ा हो गया था। वो मेरी चूत पर आ गये और मेरी चूत पीने लगा। वो मुंह लगाकर मेरी हसीन बुर को चाट और चूस रहे थे। मेरे चूत के दाने को वो बार बार अपनी जीभ से चाटते थे और छेड़ते थे। मुझे चूत में सनसनी लग रही थी। फिर अमर भैया मेरी चूत के होठो को जीभ से चाटने लगे। मैं पागल हो रही थी।

मैं चुदाई के नशे में उनके सिर को बालों को अपने हाथ से नोच लिया। अमर भैया बहुत ही एक्सपर्ट आदमी थे। उनको मालुम था की एक खूबसूरत लड़की की खूबसूरत चूत को किस तरह से अच्छे से चाटा जाता है। वो जल्दी जल्दी मेरी चूत पर अपनी जीभ हिलाने लगे। मैं बेकाबू हुई जा रही थी। मेरी चूत में आग लग गयी थी। जैसे मेरी चूत जल रही हो। फिर अमर भैया ने अपनी ३ उँगलियाँ मेरी चूत में डाल दी। मैंने अपनी गांड हवा में उपर उठा दी। क्यूंकि मुझे बड़ा अजीब लग रहा था। अमर भैया आज बड़े कायदे से मेरी चूत का शिकार कर रहे थे। वो मेरी चूत को अपनी ३ उँगलियों से चोद रहे थे। मैं “……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” बोल बोलकर चिल्ला रही थी। मुझे लग रहा था की मैं मरजाउंगी। अमर भैया की ३ लम्बी उँगलियाँ जल्दी जल्दी मेरी बुर को चोद रही थी। फच्च फच्च की पनीली आवाज मेरे गुलाबी भोसड़े से आ रही थी। मेरी तो दोस्तों जान ही निकल रही थी। मैं बार बार अपने पेट और कमर को उपर उठा देती थी। क्यूंकि मुझे बहुत तेज यौन उतेज्जना महसूस हो रही थी।

अमर भैया ने ४० मिनट मेरी चूत को अपनी ऊँगली से चोदा और भरपूर मजा लिया। इसी बीच मेरे सब्र का बाँध आखिर टूट गया और मेरी चूत का पानी झर्र झर्र निकलने लगा। शायद अमर भैया मेरी चूत का पानी पीना चाहते होंगे। वो अभी भी नही रुक रहे थे और मेरी चूत में से पानी निकाल रहे थे और मुंह में लेकर पी रहे थे। मेरी चूत में खलबली मच गयी थी। मेरा तो बुरा हाल था। फिर अमर भैया ने मेरी दोनों टांगो को खोल दिया और अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और मुझे ह्पाहप चोदने लगे। ये मेरा दूसरा राउंड था। अमर भैया इस बार मेरे सेक्सी पतले पेट को सहला रहे थे और मेरी चूत को बजा रहे थे। वो मेरे उपर लेते हुए थे और मेरी चूत बजा रहे थे। मैं उनकी गिरफ्त में थी।

उनका पेट मेरे छरहरे पेट से लड़ रहा था जिससे चटर चटर की आवाज हो रही थी। एक बार फिर से अमर भैया विराट कोहली की तरह मेरी चूत की पिच पर अपने लौड़े से बैटिंग कर रहे थे। मैं एक बार फिर से चुद रही थी। और अपने सगे भाई का लंड खा रही थी। आज तो अमर भैया ने मेरी रसीली और चिकनी बुर फाड़कर रख दी थी। मैं “…….उई. .उई..उई…….माँ….ओह्ह्ह्ह माँ……अहह्ह्ह्हह…” की आवाज निकाल रही थी। अमर भैया का लंड बड़ी आराम से सट सट मेरी गुलाबी चूत में सरक रहा था। मैं मजे से चुद रही थी। मैंने जोश में आकर अपने नाख़ून अमर भैया की पीठ में गड़ा दिया था। हम दोनों भाई बहन गरमा चुदाई का मजा ले रहे थे। अमर भैया बार बार मेरी चिकनी जांघो को सहला रहे थे। मैं उनके सामने पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी। वो मेरे पुरे जिस्म को अपने हाथ से सहला रहे थे। मैं बहुत गजब का चिकना माल थी। आज मेरे सगे भाई ही मेरे साथ सम्भोग कर रहे थे। मेरी चिकनी और सेक्सी योनी में उनका लंड घुसा हुआ था और मुझे जल्दी जल्दी चोद रहा था। मैं तो जैसे सातवे आसमान की सैर कर रही थी। अमर भैया तो एक भी सेकेंड के लिए रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। मुझे जल्दी जल्दी वो चोद रहे थे। ऐसा लग रहा था की वो कोई कद्दू काट रहे है। कुछ देर बाद उनका बदन अकड़ने लगा और उन्होंने अपना पानी मेरी चूत में ही छोड़ दिया। उसके बाद मैं बड़ी देर तक उनका लंड चूसती रही। जब मैं चुदवाकर चली आई तो लाईट आ गयी। कुछ देर में मेरी भाभी बाजार से आ गयी। मेरे भैया अपने कमरे में पूरी तरह से नंगे होकर लेटे थे। जब अमर भैया ने भाभी को देखा तो बिलकुल चौंक गये।

“तुम कहाँ गयी थी????” अमर भैया से हैरान होकर पूछा

“मैंने तो ३ घंटे से बजार गयी थी कुछ समान खरीदना था!!” भाभी बोली

उसके बाद भैया जान गये की उन्होंने गलती से मुझे अपनी बीवी समझ कर चोद लिया है। पर ये बात उन्होंने भाभी को नही बतायी। आज भी मुझे अपने अमर भैया की ठुकाई बार बार याद आती है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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yyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyभैया रवि ने मुझे गलती से चोद दिया
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मैं भाई के लण्ड से चुद गयी, पहले तो मेरी इच्छा नहीं थी, मुझे लग रहा था ये सारे गलत है पर बाद में मुझे लगा की नहीं अपनी वासना की भूख शांत कर लू। उस समय मेरे बूर में भी पानी आ गया था और मेरी धड़कन भी तेज हो गयी थी, और मैं अपने आप को रोक नहीं पाई सलवार का नाड़ा ढीला किया और रवि भैया का मोटा लण्ड अपने बूर में...............................................................
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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