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Adultery रेलयात्रा मां-बाबा और मैं (समाप्त)
#1
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घने काली अंधेरा हो चुका था । हम गांव आए थे यानी बाबा के घर और अब लौट रहे थे शहर जिसके लिए हम गांव की छोटी सी रेलस्टेशन पर इंतजार कर रहे थे अपनी ट्रेन का ऊपर से 10 बज रहे थे और आधा घंटा हमे इंतजार करना था । हम स्टेशन पर बने टूटी फूटी बेंच पर दो बैगों के साथ बैठे थे । में तब बोर्ड एग्जाम दे चुका था आने वाले रिजल्ट का इंतजार कर रहा था ।




अकसर छुट्टी पर मां बाबा और में गांव आते थे दादा दादी को देखने । इंतजार करते करते हमारी ट्रेन आ गई जनरल बोगी में हम घुस गए वैसे तो बाबा हमेशा से कामसेकम सेकंड क्लास की टिकट बुक करते थे मगर बाबा ने इस बार कहा पैसे बोहोत खर्च हो गए हे कम खर्चा करना होगा ।



जब हम डब्बे पर अपनी सीट ली तो हमने देखा की डब्बा लगभग खाली ही था । बस टॉयलेट के पास 8 मजदूर किस्म की आदमी बैठ कर टचपट्टी खेल रहे हे और बीड़ी पी रहे हैं ।


मां को बीड़ी की गंध पसंद नही थी उसने अपनी नाक पल्लू से ढक के मजदूरों के बारे में बड़बड़ाने लगे । हम कुछ बैठे रहे डब्बे के बीच वाली सीट पर बैठे थे । 




बाबा को बाथरूम जाना था वो उठ कर बाथरूम जाने लगे लेकिन मजदूरों ने  टॉयलेट जाने वाले रास्ते पर ही अड्डा जमाए बैठे थे । बाबा उनके पास खड़े हो के थोड़ा फटकार लगाने की स्वर में ही कहा " हतो यहां से " 


मजदूरों ने बाबा की तरफ देखा और बाबा को जाने के लिए रास्ता दे दिया लेकिन बाबा को तो अपनी भड़ास निकलनी थी उसने कहा " नजाने कहा कहा से भिखारी लोग गंद मचाने आ जाते हे " 



मजदूरों गुस्सा आया और बाबा को जवाब देने के लिए उठे पर बाबा टॉयलेट के अंदर जा चुके थे । तब तक मां और सीट पर आराम से बैठे थे कुछ पता नहीं था हमे। 



जब बाबा टॉयलेट से बाहर निकले तो एक मजदूर ने जवाब दिया " क्या वे। अच्छे कपड़े पहन लिए तो तमीज भूल गए " 


दूसरे ने कहा " क्या कहे थे हम भिखारी । हम मजदूर भले है हमारे कपरे मेले जरूर हे लेकिन हम मेहनत की कमाई से पेट भरते हे " 


बाबा भी रोब में थे " दादागिरी दिखा रहे हो । पता भी हे में कौन हूं । एक कॉल में जेल की हवा खाओगे " 


एक मजदूर ने कहा " जा जा बोहोत देखे तेरे जैसे " 



और ऐसे ही जगरा शुरू हो गया बाबा और उन मजदूरों के बीच । ऊंची आवाज की जगरा सुन के मां और में दौर कर टॉयलेट की तरफ आए । में इतना भी बड़ा और होसियार नही था इसलिए में कोई कदम सोच नही पाया । लेकिन मां बीच में आ गई ।



मां बोली " अरे अरे क्या हुआ " 


बाबा कुछ बोलते उससे पहले ही एक मजदूर ने जवाब दिया " देखिए ना बहनजी ये हमे भिखारी बोल रहा हे और धमकी दे कर बत्तमीजी कर रहे है" 



बाबा गुस्से में थे " कहा बत्तमीज़ी की । रास्ता रोक के बैठे थे " 


बस कहा सुनी बढ़ने लगी मजदूरों की संख्या ज्यादा थी इसलिए उनकी आवाज ऊंची थी । पर मां ने किसी तरह मामला शांत कराते हुए पापा की बाह खींच खींच दूर कर के ले आए लेकिन बाबा कहा हार मानने वाले थे उसने उन मजदूरों घूरते हुए कहा " देख लूंगा अगली स्टेशन आने दो फिर देख लेना क्या हाल करता हूं तुम लोगो का " 



तभी एक मजदूर कुछ ज्यादा ही आक्रामक हो गए और हमारे पास आ कर बाबा की कॉलर पकड़ कर धमकाया " क्या कर लेगा बे हा । येही कुलहरी से टुकड़े कर के फेक दूंगा " 



बाबा भी गुस्से में आए उससे हाथापाई करने लगे लड़ने लगे गालीयां देने लगे । अब बात लड़ाई जगरे पर उतर आई । मेरा भी खून खोल उठा और उन मजदूरों से लड़ने लगा । 


मां भी हमारे साथ लड़ाई रुकवाने में कशिश करने लगी । मगर जोश जोश में हम सभी इतने लड़ने लगे की पता ही नही चला की नतीजा ये भी हो सकता है । 


चार मजदूर तो बाबा और मेरे साथ लड़ने लगे और बात साफ थी की हम दो वो चार हम पीटने लगे बाबा और में । 


पर चार कहा थे बाबा और मुझे तब पता चला जब मां की चीखें सुनाई देने लगी । मां इस तरह चीख रही थी " क्या कर रहे हो तुमलोग छोड़ दो मुझे । बचाओ बचाओ । छोड़ दो नही नही । बचाओ बचाओ " 


बाबा और मैने देखा की चार मजदूर मां को सीट पर लिटा कर मां की सारी उतारने की कशिश कर रहे है और मां चीख चीख कर हाथ पैर मारती हुई विरोध कर रही थी । 




तब बाबा और मैने चिल्लाया की तुम लोग ये क्या कर रहे हो छोड़ दो मां / मेरी बीवी को । तब हम कमजोर और अकड़ हमारी निकल गए थे । हम तब मां को छोड़ देने के लिए भिंख मांग रहे थे ।



पर उन चार मजदूरों ने मां को लिटा कर मां के साथ जबरदस्ती करते हुए मां के ऊपर लेट रहे थे उनके कपरे फाड़ कर निकालने की कशिश कर रहे थे ।


और वो लोग आपस में बोल रहे थे की । अब दिखाते हे इन शहरी लोगो का ओकाद । भिखारी बोला था ना हमें अब देख । 


एक मजदूर ने बाबा का मुंह दबाते हुए बोला " देख अब तेरी बीवी का क्या हाल करते है पूरी रात भोसड़ा बनाएंगे तेरी बीवी की चूत का । अपनी आंखों से देखना " 



वो लोग साइड मिट्टी खोदने का या पेड़ काटने का काम करते थे कुलहरी फाओड़ा रस्सी सब कुछ थे उनके पास । और रस्सी से बाबा और मुझे ऊपर वाले सीट के सहारे हमारे दोनो हाथ बांध दिया । बाबा और में बिलख बिलख रोते हुए उन मजदूरों से मां को छोड़ देने की भीख मांग रहे थे और बाबा तो माफी माफी मांग रहे थे उनके पैर पड़ने कि रट लगाते हुए । 


पर इस अंधेरी रात में सायेद हमारी मदद करने वाला कोई नहीं था । मां रो रो कर बाबा और मेरे तरफ देखते हुए चिल्ला रहे थे " बचाओ मुझे बचाओ " 



मां के चेहरे आसूओ और काजोलो से फेल गई हे बाल बिखर गई थी वो चटपटा रही थी । मगर अब चार नही 8 मजदूर मां को पकड़ रखे थे और मां की जिस्म के साथ यहां वाहा पकड़ते हुए छू रहे थे । मां 8 ब्यश्यी मजदूरों से लड़ने की कशिश कर रही थी मगर वो नाकाम थी । 



मां के हाथ पेरो को मजबूती से पकड़ रखा था । कपरे के ऊपर से ही मजदूर मां की चूचियां जोर जोर से मसल रहे थे । और गंदी गंदी बात कर रहे थे वो लोग । क्या माल है। अच्छा दे दे मुझे भी दबाने दे । वाह एकदम ठोस हे बड़े बड़े है मजा आ गया ।



मां दर्द और गैर मर्दों से चुने जाने की अपमान से बिलख बिलख के रो रही थी कह रही थी की छोड़ दो मुझे दया करो रहम करो ना करो ऐसा ।मगर मजदूरों की आंखो में हवस था ।



हमारी सीट के पीछे वाली सीट के विपरित सीट पर मां के साथ वो सब हो रहा था । बाबा देख नेही पा रहे थे पर मेरे आंखो के सामने हो रहा था सबकुछ में मजबूर हो कर आसूं बहाए दया की नजर से मां के हो रहे अत्याचार की दृश्य देख रहा था । हलकी बाबा गर्दन घुमा के देख सकता था मगर बाबा देख नहीं पा रहा था बस मुंह लटकाए रो रहे थे और कभी कभी बंधे हुए हाथ चुराने की कशिश करते ।




उधर मां की बनारसी सिल्की सारी उतर चुकी थी । मां जी तोड़ कशिश कर रहे थे अपने आपको बचाने की मगर मजदूरों की गंदी गालीगज और उनके हाथों से कपरे फतवाते हुए नंगी हो रही थी । 
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में भी मां को नंगी देख कर कुछ अजीब महसूस करता हूं । क्यू की पहलीबार मां को नंगा देख रहा था कभी खयाल नही किया था की मेरी मां नंगी होने पर ऐसी लगती होगी । बिलकुल गोरा बदन गदराया हुआ भरा भरा जिस्म उभरी हुई पेट उभरी हुई मोटे मोटे चूचियां जो पीठ के बल लेटने से भी खड़ी थी और मोटे मोटे जांघ । 



" वाह क्या माल हे। ऐसी माल तो लाखों में बिकती होगी । मार के मजा आयेगा चिकनी हे साफ सुथरा । महक तो सुंग साले । " ऐसी वैसी गंदी बाते करते हुए सारे मजदूर अपनी लुंगी उतार रहे थे ।



सबके सब अपनी गंदी लुंगी उतार कर आधे नंगे हो गए । मैंने देखा सबके सब काले लन्ड वाले जो मां को चोदने के लिए खड़े खड़े सलामी दे रहे थे ।



मां की नंगी होते सबके सब भूखे भेड़िए की तरह तूत पड़े मां के ऊपर । कोई मां की चूचियां चूसने लगा कोई मां की टांगे जबरदस्ती फैला कर उनकी झांटों से भरी चूत चाटने लगे कोई मां की बाह चाटने लगे कोई पेट जिसे जो हिस्सा मिले मां की बदन के जैसे भेड़िए की तरह खा रहे थे ।



एक मजदूर ने हद्द ही कर दी उसने मां मुंह पकड़ कर मां की होठ ऐसे चूसने लगा की मां की मुंह में जीव डाल कर घोलने लगा । जब उसने मां की होठ से होठ हटाया तो मां को इतना घिन आई की उसने सीट नीचे उल्टी करनी लगी ।



तो मजदूरों ने उस मजदूर को कहा जिस मजदूर ने मां की होठ चूसा था " साले तूने तो उल्टी करवा दी । देखा ये शहर के लोग हम जैसे लोगो से कितना घिन करते हे" 



रो उसने कहा " अभी दिखाता हूं इस शहरी पटाखे को । हाटों और हाथ पैर पकड़ के रखो जिससे हिल ना पाए साली मगर में इसे हिला डालूंगा साली ।" 



मां बोहोत दर गई वैसे भी डरी हुई थी मगर उसके बात से और दर गई तो मां बोली " नही नही भाई प्लीज कुछ मत करो । माफ कर दो हमे जाने दो" 



मगर बाकी मजदूरों ने तबतक मां की हाथ पैर कस के पकड़ा और उस मजदूर ने मां के टांगो के बीच आ कर मां की उभरी हुई चूत पर अपने काले लंद से जोर से झटका मारा और मां आंख भींच कर चिल्लाई " आह्ह्ह मर गई " 


बाकी मजदूर हसने लगे और कहने लगे " दे साली को दे। दे फटका दे " 


और उसने मां की दोनों टांगे कंधे पर उठा के जोर जोर से धक्के मारने लगे तो मां सर पटक पटक के चिल्लाने लगी दर्द भरी आवाज में और सारे मजदूर हसने लगे ।



बाबा से रहा नही गया और उसने चिल्लाया गुस्से में " सालों जिंदा नही चोरूंगा तुमलोगों को । एक एक को जान से मार दूंगा "



एक मजदूर हमारे पास आ कर बाबा के बाल खींचते हुए बोला " साला नल्ला। चुप कर जान से मार देगा । तेरी अकड़ है बस और कुछ नहीं। देख लगा पता है अपनी बीवी को । देख हमारा दोस्त कैसे लगा रहा हे तेरी बीवी को। " और उसने बाबा का गर्दन घुमा के दिखाया तो बाबा आंख बंद कर मुंह फेर लेता हे


और वो मेरे गाल पर थप्पड़ मार हस्ते हुए चला गया ये बोलते हुए " क्यू बे छोटू मजा आ रहा हे मां की पिलाई देख कर "


मैंने गुस्से में उसे घूरा। पर वाहा वो मजदूर इतना हवाशी थे की बिना रुके बिना थोड़ा भी आराम लिए  मां की टांगे उठा कर तेज रफ्तार से चोदे जा रहे थे जिसके कारण उसके जांघ मां की बड़ी चूतड़ इतने तेजी से टकरा रहे थे की पट्ट पट्ट कर के आवाज गूंज रही थी और मां की चूचियां झूल रही थी । और वो कह रहा था की " ले साली ले " 



मां बिलख बिलख कर रोटी हुई चिल्ला रही थी की " आआ आ आ आआ नही में मर गई । रहम करो । बचाओ मुझे । आह्ह्हह्ह नही" 



मगर उसका जोश करीब 5 मिनिट के बाद ठंडा पड़ा और उसने मां की चूत के घने लम्बे झांटों पर अपना गढ़ा वीर्य निकाल के हाफते हुए बगल वाली सीट पर बैठ गया आए आह भर के बोला " मजा आ गया । साली जवान बच्चे की मां हो कर भी टाइट हे लगता है इसका पति नल्ला है सच में " 



तब ऐसी एक हरकत हुई की हासी जैसा । बाकी 7 मजदूर इस बात पर लड़ने कि तू रुक में करता हुं पहले । और जगरते जगरते एक ने कहा की " ऐसा करो एक बार में खतम मत करो सबलोग मिल के थोड़ा थोड़ा कर के मजा करेंगे " 


बाकी सब भी मान गए और ऐसे ही सब मिल के मां चोदने लगे सीट पर लिटा लिटा कर । जब कोई चोद रहा होता है तो बाकी दूसरे मां की जिस्म से खेलता है चूसता है चाटता है। पर मां ने किसी को भी दुबारा होठ चूसने नही दी इतना उन्होंने कर लिया । किसी की दमदार धक्कों में मां दर्द भरी कराहती रही तो किसी चुने से मां रो रो कर रहम की भीख मांगती रही ।


में भी बस देखता ही रह गया मजबूर और नकारा कमजोर महसूस करते हुए । और ये खेर करीब एक घंटे से चलता जा रहा था तभी ट्रेन स्लो होने लगी । तब एक मजदूर ने कहा की " ट्रेन स्टेशन पर रुकने वाली हे जाओ चारो दरवाजा बंद कर दो ।



दो मजदूर तुरंत उठ कर दरवाजा बंद कर के आ गए । जब ट्रेन रुकी तो बाबा चिल्लाने लगे बचाओ बचाओ बाबा को देख कर में भी हेल्प हेल्प चिल्लाने लगा और मां तो कबसे चिल्लाए जा रही थी । 


पर तुरंत ही गमछे से हमारे मुंह बन्द कर दिए । और तब वो लोग मां की मुंह बंद कर के रखा और तब चोद नही रहे थे लेकिन एक लंद अभी भी मां की चूत में था । 



बाहर से लोगो की हमे आवाज सुनाई दे रही थी । लोग साएद हमारे डब्बे पर उठने की कशिश कर रहे थे और दरवाजा अंदर से बंद हे इस बात पर बात कर रहे थे ।



हम दुआ कर रहे थे की ट्रेन रुकी रहे और किसी को पता चल जाए । पर ट्रेन 15 मिनिट से ज्यादा नहीं रुकी और फिर हॉर्न बजाते हुए चल पड़ी । 



वो मजदूर जिसका लंद अभी भी मां की चूत में था उसने धीरे से दो धक्के लगाए और बोले " आह कितनी गर्म हे साली निकाल दी मेरा " 


इसके बात से बाकी मजदूर हसने लगे । जो पहले वाला था वो जो सामने वाली सीट पर बैठा था उसने बोला " साली के अंदर बोहोत ताकत हे झेल रही हे । हम जैसे मिले नही साइड इसलिए साली की जवानी इतनी टाइट है " 





वो हट के बोला " आज कौन आता है" 


अब दो निढल हो कर बैठे पड़े । मैंने देखा मां भी बोहोत थक गई थी जैसे जान ही नही बची थी हाथ पैर हिलाने में । मजदूर भी मां को सख्ती से नहीं पकड़ रखे थे । 



एक ने मां की टांगे फैलाई और धीरे से लंद घुसा दिया तभी मां " आइस्स्स आह मां प्लीज धीरे धीरे से हाथ जोड़ती हूं आपके आगे " मां ने हाथ जोड़े उसके सामने । मां की आंखो से आसू बेह गई ।



पर उस मजदूर ने हास कर जबरा दिखाया और अपना गंदा बनियान उतार कर कहा " धीरे धीरे चाहिए मगर चाहिए ना ठीक है " 



मां की बात को गंदा मतलब निकाल के बोला उसने और मां भी समझ गई और मां शर्म से पानी पानी हो गई उसने मुंह फेर ली । सभी मजदूर हसने लगे ।



एक में कहा " ओबे जोक कहे मार रहा हे संस्कारी बीवी शर्मा गई लगा फटके निकाल दे शर्म " 




उसने मां की टांगे पकड़ के फैलाई और आगे की तरफ झुक गया पर मां ने उसे अपने ऊपर गिरने नही दी उसने उस मजदूर की छाती पर दोनो हाथ रख के रोक दिए । उस मजदूर की छाती पर बोहोत ज्यादा भालू की तरह घने बाल थे मां की पतली उंगलिता उसकी छाती के घने बालों में चुप गई ।



पर उस मजदूर ने मां की तरफ देखते हुए अपनी जुबान से अपने होठ फेर कर कस कस के दम लगा के झटके मारने लगे । और मां अचानक मुंह इधर उधर पटकते हुए " हाय। उफ्फ नही। आह नो। उम्म्ह्ह्ह ना । ओह नही । आह प्लीज । धीरे धीरे। आह" सीत्कार करने लगी ।


और वो मजदूर मां की दर्द भरी खूबसूरत गोरी सकल देख कर हास हास कर जोरदार कमर का झटका मारने लगा । 


मैंने देखा की मां की हाथों की उंगलियां उसके छाती के बालों कस रही थी । मुझे दुख हो रहा था मां को कितना कष्ट सहना पड़ रहा है । और बाबा तो जैसे दुख में बेहोश होने जैसी हालत में थी पर मां की वो सीत्कार सुन के बाबा के कान खड़े हो गए और बाबा ने गर्दन घुमा के मां की तरफ देखा मां ने नही देखा क्यू की मां की आंखे बंद थी । पर में हैरान था की बाबा ने मां को घृणा की नजर से देख के मुंह घुमा लिए ।



और उसका कारण में अगले दो मिनिट में समझ गया क्यू अगले दो मिनिट में मां एक दम से तेज़ी से सीत्कार मारने लगी और अचानक उसने अपने दोनो टांगो से उस मजदूर की कमर बांध ली । मां की जिस्म एकदम से कांपने लगा और अपनी दोनो हाथों से उस मजदूर के छाती कस के मचलने लगी और कुछ अजीब तरह से मुंह से सिसकारियां मारने लगी " आह्ह्हह। उईह्ह्ह हम्मम । हैंझह । हा हा। उम्ह्ह्ह्ह्ह " 



एक मजदूर ने कहा " देख देख साली कैसे जाड़ रही हे । देख ना " 


" हा बे। अब आया ना मजा साली को । साली बहा दी चूत से पानी " 



मां भी शांत होने लगी बेजान हो कर अपनी बाहें अपनी सर के ऊपर फैला दी और आंखे वैसे ही बंद रखते हुए उफ्फ उफ्फ कर के सांस छोड़ने लगी ।


तभी वो मजदूर भी झड़ गया मां की चूत में और बोला " साली एकदम मक्खन हे " 


वो उतर गया तो मां सिकुड़ के करवट में नंगी ही लेट गई । एक मजदूर ने कहा " तुम तीनों का तो हो गया अब हम पांच इसको फिर से गर्म कर के चोदेंगे " 



" चलो रे रानी उठो" एक मजदूर ने कहा ।



पांचों ने मां को पकड़ के उठाया । मां भी समझ चुकी थी की अब कोई फायदा नहीं और कही न कही इतने मर्दों के चुने जाने से और चूदवाते हुए उसकी चूत भी नचहते हुए भी आनंद ले रही थी । वो भी अब कोई विरोध नहीं कर रही थी बस पुतला बन गई बिलकुल ।



दो मजदूर मां को अपने बीच बिठा कर दोनो तरफ से मां की गोरी चिकनी गर्दन चाट और चूमने लगे । दो मजदूर खड़े खड़े ही मां की चूचियां मसलने लगे । एक तो मां की टांगे के बीच फर्श पर घुटने टेक के मां की गीली और वीर्य से गंदी चूत भी चाटने लगा ।



मां भी एक दम से आंखे बंद कर धीमी धीमी सिसकारियां मारने लगी । और आंखे बंद कर के जो दोनो उसकी गर्दन चूम रहे थे अगल बगल बैठे उन दोनो के गले में बाहें डाल दी दोनो हाथो से दोनो तरफ से । 



तीन बैठे मजदूर में से एक ने कहा " देख कैसे संस्कार निकल रही है साली की देख अब कैसे रैंडी बनने लगी है" 



में भी अपने मन में सोचने लगा कि कभी सोचा नही था की मां ऐसे बहक जायेगी । एक देर घंटे पहले अपनी आबरू बचाने के लिए जी जान से लड़ रही रही थी मगर अब देखो कैसे गैर गंदे आदमियों को टांगे फैला कर स्वागत कर रही है। 



एक मजदूर ने कहा " पक्का इसका पति ठीक से खुश नहीं कर पाता है । देख कैसे आग निकल रही हे" 


मां को भी अब उनके गंदी बातों से कोई फर्क नही पर रहे थे और सायद मां भूल चुकी होगी की उसका पति और जवान बेटा उसी ट्रेन में कैद थे । 



चूत चूसने वाला मजदूर अब मां सीट के किनारे तक खींच कर मां की पैर अपने कंधे पर ले कर मां की चूत में लंद घुसा दिए और बाकी सब हट कर नजारा देखने लगे ।



उसके लंद घुसते ही मां कराह उठी " आह्ह्ह्ह प्लीज अभी धीरे धीरे से आह्ह्ह्ह्ह " 


वो मजदूर गर्दन घुमा के अपने साथी को देख कर आंख मार के मां की तरफ इशारे करने लगा । उनका मतलब ये था की मां को अभी प्यार से चाहिए जब मां पूरी तरह गर्म होगी और झड़ने को करीब होगी तब जोर से करो जैसे चाहे । 


वो भी अब धीरे धीरे करने लगा और में गुस्से में था की मां कैसे उसके हर धक्के के साथ आह्ह उह्ह्ह्ह कर के सिसकरिया भर भर के उस मजदूर के काले नितंब भी पकड़ के दबाने लगी थी ।




और ऐसी उन सब ने मिल कर मां को गर्म गर्म कर कर के झाड़वा कर बीच बीच में आराम दे कर ले कर सुबह तक मां को चोदा । किसी ने दो बार चोद मां की चूत में वीर्य निकाला था ।



सबेरा होते ही वो सब एक स्टेशन पर उतर कर भाग गया । मां ने हमे खोला।  मां ने टॉयलेट जा कर थोड़ा फ्रेश हो कर बैग से दूसरी कपरे पहन ली थी । हम तीनो अलग अलग सीट पर बैठे थे एक दूसरे की सामना करने में शर्म आ रही थी ।



दोपहर तक हम अपने स्टेशन पर उतरे । बाबा और मैने पहले बैग ले कर उतरे । मां की हालत देख के समझ गया था और मैने मां को सहारा दे कर ट्रेन से उतरा।



मां ठीक से चल नही पा रही थी छोटे छोटे कदम ले कर चल रही थी । तभी बाबा बोले " चलो पुलिस थाने अभी एफ आई आर दर्ज करवाते है"



मां बोली " नही। सबको पता चल जायेगा । इस शर्म के साथ में जी नही पाऊंगी । और इसके जमीदार आप भी है। क्या जरूरत थी अनलोगो से भिड़ने की " 



बाबा भी बोले " अच्छा । और तू भी ऐसी निकलेगी मेने सपने में भी कभी नहीं सोचा था " 


मां को भी आता गुस्सा स्टेशन पर ही दोनो लड़ाई करने लगे ।मां बोली " क्या मतलब हे की ऐसी निकलूंगी "


बाबा बोले " कैसे सती सावित्री बन रही हे अब 
 । देखा मैने कैसे उन भिखारियों के ले रही थी उछल उछल कर अंदर तक" 



मां को भी आई गुस्सा " हा लिए तो । ये बड़े बड़े थे ये लंबे लंबे थे इतनी अंदर जाती थी उन लोगो का की आपका हाथ भी नही पोहोचेगा । क्यू ना लूं मैं मजे जब घंटे घंटे भर पेला। हा आया मजा मुझे बोहोत ज्यादा आपसे भी बोहोत ज्यादा तो " 



में बोला " अब बस करो । घर जा कर लड़ना "



मां ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने साथ ले जाते हुए बोली " बेटा नहीं रहना इस आदमी के साथ ।चलो मेरे साथ हम अपनी रक्षा खुद कर लेंगे "


बाबा भी बोले "जा जा में भी देखता हूं कहा जाते हो । कौन खिलाता पिलाता है"



मां ने मुझे अपनी माइके ले कर गई । एक महीना दो महीना ऐसा करते करते दो साल निकल गए की बाबा ने हमारी खबर तक नहीं ली ।
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रेलयात्रा मां-बाबा और मैं (समाप्त) - by Youngsters - 08-03-2023, 07:55 PM



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