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Thriller कामुक अर्धांगनी
#1
ये कहानी है मेरी कामुक बीवी की जीसे मैं उतेजजीत तो कर देता था लेकिन कभी चर्मसुख नहीं दे पाता जिसके वजह से वो शारीरिक सुख से बंचित रहा करती ।
लेकिन एक दिन जब ओ बाज़ार से लौटी तो उसका चेहरा सुर्ख़ लाल और आँके एकदम सी नसेली थी ।
ऐसा भाव मैने बरसों बाद देखा था ।
मैं समझ गया ज़रूर इश्के पीछे कोई गहरी बात छिपी है और ऐसे मौके पे वो बात उसके मुख से जानने के लिए मुझे ही उसे उतेजजीत करते हुए बस में करना पड़ेगा।
मैने समय को अच्छी तरह से भांप के उसके पसिने से लबरेज वदन को अपने उंगली से सहलाया और करीब आ कर होटो से चूमते छटते पूछा मधु क्या बात हैं आज बड़ी कहर बरस रही है तुम्हारे आंखों से ,वो सर्म से आँखे चुराते बोली नही तो ऐसा तो कुछ भी नहीं है जी ,मुझे उसके बदन से कामुकता की महक आने लगी और मैंने उसको गोद में उठा कर बिस्तर पर लेटा दिया और उसके साड़ी पेटिकोट को झटके से कमर तक उठा कर अपने मुंह को उसकी पैंटी पर लागने लगा और वो बोली आआहआ मत किजेए ना लेकिन मैंने एक बात नहीं सुनी और उसकी जाघ को फ़ैलाते हुए टांग चौड़ी कर के अपने मुंह को करिब ले जाके सूंघते हुए  चाटने लगा और महसूस हुआ कि मेरी मधु की पैंटी एकदम गीली हैं और ये पसिने से नहीं अपितु उसके योवन मैं आग लगने की वजह से है ।
जीभ से चाटते हुए उसके महकते जवानी रस को लपा लपालप चखने लगा और उसकी सिसकिया तेज़ी से बढ़ने लगे और वो मेरे सर को अपनी गीली चुत पे दबाने लगी ।

धीरे से मैंने पैंटी खिस्का के गुदा को ज़ोर से चाटते हुए पूछा मधु ये तो बता दो की ये हालत किस मर्द ने  कर दी , उसकी सिसकिया तेज़ी से बढ़ी और बोली बात न किजेए बस चाट के मेरी आग बुझा दीजेए जी , मैं समझ गया किसी मर्द ने मेरी मधु के बदन को छुआ और सहलाया है जिसकी वजह से ये इतनी गरम हुई है और ये राज अगर मैंने उसकी चुत झड़ने से पहले नही जाना तो कभी नही जान पाऊंगा इश्लिये मैं जीभ को चुत से हटा के पूछा बाता दो न मधु ,मैं किस मर्द के स्पर्श से हुई ये गीली चूत चाट रहा हूँ वो बोली प्लीज चाटिए न प्लीज् मैं बोला बता दो न जान तुम तोह जानती हो अगर तुम इस चूत मैं किसी तगड़े मर्द का वीर्य भी भर के लाओगी तो मैं ख़ुशी ख़ुशी चाट लूंगा वो सिसकिया लेती बोली ऐसा मत बोलिये हहहह और मैं ज़ोर से चाटने लगा और बोला बता भी दो मेरी जान ये हालत किस मर्द ने की ।
मधु अब झड़ने के बेहद करीब थी और मैं उठ के दूर बैठ गया ,मधु ज़ोर से बोली ऐसा मत किजेए चाट दीजेए न मैं बोला नही पहले ये बताओ की किसने तुझे गरम किया वो खुद ही चुत सहलात्ते बोली बतातती हु चाटिए और मैन मुह लगा दिया और वो बोली वो वसंत है ना मैं पूछा कोन वो दर्ज़ी वो बोली है ।

वसंत ने आज नाप लेते हुए बहुत सहलाया और मैं गर्म हो गयी और भाग निकली कही कुछ गलत न हो जाये मुझसे ,मैं बोलै गलत क्या होता चुदवा आती न ऐसे तड़प के चली आयी वो ये सुनते ही झड़ने लगी और मेरा मुह उसके चूत के पानी से भरने लगा और मैं चाट के पूरा पीते हुए बोला मधु अगली बार चूत मैं उसके लौड़े का पानी भर के चटवाओगी न मुझे वो शर्माती हुई बोली आप बहुत गंदे हैं ।
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Messages In This Thread
कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 01-08-2020, 01:42 AM
RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM



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