19-10-2019, 10:55 PM
जितेश को बीच में टोकती हुई रीमा बोली - मेरी पीठ जरा गीले तौलिये से साफ़ कर दोगे जितेश |
जितेश उसी तरह से टॉवल में बैठा था - वैसे ही उठकर चला गया | रीमा पैर हाथ और चेहरा गीले तौलिये से पोंछ चुकी थी |
जितेश ने रीमा के हाथ से तौलिया ले लिया और रीमा से शर्ट के बटन खोलने को कहने लगा | रीमा ने बटन खोल दिए और शर्ट खिसकाकर हाथों पर ले आई | जितेश लम्बी सांसे भरता हुआ रीमा को पोछने लगा | थोड़ा सा आगे की तरफ झुककर शर्ट को सर के ऊपर से हाथो में ही फंसाए आगे सीने की तरफ ले आई | लेकिन आगे झुकने के कारन उसके चूतड़ सीधे जितेश की तौलिये से जा टकराए | और तब रीमा को जितेश के तनते मुसल का अहसास हुआ | लेकिन दोनों ने ऐसे जताया जैसे कुछ हुआ ही नहीं | रीमा और जितेश दोनों ही किसी असहज स्थिति से बचना चाहते थे लेकिन हवस की आग धीरे धीरे दोनों के बदन को सुलगाने लगी थी | इसलिए रीमा शर्ट उतार कर सीधे टब में उतर गयी |
इधर जितेश के तौलिये में कैद लंड में झटके लगने लगे | इससे बचने के लिए जितेश रीमा के सर की तरफ आ गया | रीमा उसकी गरम सांसो को अपने कानो से सुन सकती थी |
रीमा ही बोल पड़ी - आगे बतावो |
जितेश रीमा की पीठ और कंधे पर हलके हाथो से गीला तौलिया फिराता हुआ - इस बार हमारा चौकी इंचार्ज काफी सख्त मिजाज था इसलिए फिजा की दाल नहीं गल रही थी उसके खर्चे ज्यादा थे और उसके कमाई का जरिया सिर्फ हमारी तरफ से दिया जाने वाला पैसा ही था इसीलिए उसने हमारी चौकी यूनिट के सैनिकों पर अपना जाल फेंकना शुरू किया | यहां पर जो भी सैनिक चौकी पर पोस्ट होने के लिए आते थे वो अपनी बीबियो से दूर होते थे तो उन्हें भी चूत की ललक लगी रहती थी | इसीलिए फिजा भी उम्मीद कर रही थी कि यह नई यूनिट भी जो है उसके जिस्म के बदले सौदा करके उसे अच्छे खासे पैसे देगी लेकिन हमारी चौकी इंचार्ज एक अलग ही मिजाज का था और इसलिए फिजा की दाल नहीं कर पाई | अब हम सिर्फ उसे खबरें लेते थे और उन खबरों की कीमत के बदले ही हमसे जो कुछ पैसा देते थे उसी से ही फिजा का काम चलता था लेकिन उसके लिए वो नाकाफी था | यही से कमाए पैसो से उसने काफी अच्छा घर बनवाया था | पूरे गांव में मशहूर था कि फिजा फौज की रंडी है लेकिन फ़ौज के डर के कारण कोई भी फिजा को कुछ कह नहीं सकता था और ना ही फिजा की तरफ कोई आंख उठा कर देखता था |
फिजा को भी यह बात मालूम थी कि वह सब ठाठ बाट जो उसके हैं वह किस वजह से हैं लेकिन अब हमारे साहब के कारण उन सब पर असर पड़ने लगा था उसकी जैसी जैसी जरूरत थी उस हिसाब से उसको पैसे नहीं मिल रहे थे इसलिए फिजा के हाथ तंग होने लगे |
मेरे साथ एक और मेरा दोस्त था हम दोनों की यह फील्ड की पहली ड्यूटी थी | हमें बॉर्डर पर बतौर स्नाइपर दुश्मन को ठिकाने लगाने की जिम्मेदारी मिली थी | हम जवान थे, हमारी जवानी अभी कच्ची दहलीज निकल कर बस बाहर ही निकली थी और इससे पहले बहुत ज्यादा औरतों का अनुभव नहीं रखते थे | जैसे ही फिजा ने हमारे ऊपर डोरे डालना शुरू किया हम उसके दीवाने हो गए थे |
हमारी ड्यूटी 12 घंटे की होती थी हम जंगलों के झुरमुट में एक जगह पर अपनी पोजीशन लगा कर के जो है 8 से 10 घंटे 11 घंटे ड्यूटी करते थे फिजा हमारे लिए दिन में खाना लेकर आने लगी | 3 दिन खाना लाने के बाद में उसने जब अपने जिस्म को दिखाना शुरू किया, तो हमें भी मजा आने लगा | कभी वह पल्लू गिरा देती थी उसके बड़े बड़े फूले उरोजो हाहाकारी उरोज अपने ब्लाउज को फाड़ बाहर आने को बेताब हो जाते | कभी अपना लहंगा खींच लेती थी और अपनी गोरी जांघे दिखाने लगती | कभी तो सीधे सीधे अपनी जांघे फैलाकर उसी जगह देखने लगती थी |
मैं जवान था मुझ से रहा ना गया एक दिन मैं उसे अपनी झुरमुट से निकलकर सरकते हुए नीचे की तरफ गया और साथ में फिजा को भी खींच लिया और उसका लहंगा उतारकर फेंक दिया और अपने कपड़े भी एक झटके में उतार डाले | फिर उसे लगा चोदने | दाये लिटाकर बाये लिटाकर खूब चोदा | उसने भी खूब गपागप लंड लिया अपनी चूत में | फिर मै झड़ने को हुआ तो लपककर मेरा लंड अपने मुहँ में ले लिया |
एक बार चोदने के बाद उसे मन नहीं भरा तो मैंने उसे वही दोबारा चोदा | घोड़ी बनाकर चूतड़ हवा में उठाकर खूब हचक हचक के चोदा | एक नंबर की रंडी थी मजाल जो कही कराही या चीखी हो | गपागप मेरा लंड अपनी चूत में लेती रही | मै ठोकर पर ठोकर मारता रहा और वो बस अपना सर जमीन पर टिकाये, अपने चुताड़ो को घुटने के सहारे हवा में उठाये चुदती रही | बहुत ही मस्त गदराया भरा पूरा बदन था बिलकुल रुई के गद्दे की तरह नरम कोमल मांसल, भरपूर जवानी की आग में धधकता | बहुत मजा आया उसे चोदकर |
उसके बाद मै अपने कपड़े पहनने लगा | फिजा भी अपने कपड़े समेटने लगी लेकिन तब तक मेरा साथी आ गया | मेरे को देख कर के मेरे दोस्त की भी हिम्मत बढ़ी ..................मुझे देख मेरे साथी से भी नहीं रहा गया | उसका लंड उसकी पेंट से बाहर झूल रहा था | ये देख फिजा वही पर फिर से पीठ के बल लेट गयी और अपनी जांघे हवा में उठा दी | मैंने जल्दी से जाकर अपनी पोजीशन ले ली | बीच बीच में मै उसकी चुदाई देखने के लिए पीछे की तरफ गर्दन घुमाता था | उससे भी फिजा खूब जमकर चुदी | उसने भी दो बार फिजा को खूब हचक हचक के चोदा | एक बार सामने से एक बार पीछे से जैसे मैंने घोड़ी बनाकर चोदा था बिलकुल वैसे ही | उसके बाद उसने अपना लंड भी चुसवाया | फिर हम दोनों ने उसे हजार रुपये दिए, वो बोली कम है तो मैंने उसे अपनी तरफ से पांच सौ रुपये और दे दिए |
धीरे-धीरे यह सिलसिला चल निकला अब अक्सर हम फिजा को चोदते रहते थे इसके बदले में वो बॉर्डर से लाने वाली खबरें भी सबसे पहले हमें ही बताती थी | इसके बाद तो यह सिलसिला जैसे चल निकला अब फिजा को चोदना हमारा लगभग लगभग रोज का ही काम हो गया था और इसी के बदले फिजा को हम अच्छे खासे पैसे भी दे रहे थे |
कुछ दिन बाद एक दिन फिजा कुछ दिनों के लिए गायब हो गई और 3 दिन बाद लगभग वह फिर से वापस आई और जब वह खाना लेकर आई तो काफी दुखी लग रही थी | वो मेरे पास आने के बजाय थोड़ा दूर ही बैठ गयी |
मैंने इशारो में पूछा क्या हुआ | वो कुछ नहीं बोली | मै खिसकता हुआ नीचे की तरफ गया | मैंने उसके उभरे उरोजो को मसलते हुए पुछा - क्या हुआ |
वो आइस्ते से बोली - बॉर्डर पार गयी थी | सालो ने मेरी दुर्गति कर दी आगे भी पीछे भी | रात भर एक के बाद एक करके जानवरों को तरह चोदा | एक साथ दो दो ने आगे पीछे एक साथ किया | तब तक किया जब तक खून नहीं निकल आया | दो दिन से बिस्तर पर पड़ी थी | आज चलने फिरने लायक हुई हूँ |
फिर मेरे कान के पास आते ही मेरे कान में बोला - कि आज रात तुम पर हमला होगा तुम्हारी चौकी की लोकेशन उनको पता चल गई है शायद, वो कुछ बड़ा करने का प्लान बना रहे है |
मैं समझ गया था उसे आखिर वापस किस कीमत पर लौटने दिया है | उसके शरीर पर बने हुए जख्मो को देखकर मैं समझ गया था उसको मारा पीटा गया है मैंने फिजा को अपनी बाहों में थाम लिया और अपने सीने से लगा लिया | लेकिन जैसे ही मैंने ऐसा किया पीछे से एक सनसनाती हुई गोलियां फिजा के पीठ के बीच में धंस गई थी और दूसरी गोली मेरे कान को छूती हुई निकल गई थी |
हम दोनों जमीन पर लेट गए, उधर से गोलियाँ बरसने लगी | मेरे ऊपर की तरफ फिजा थी इसलिए सारी की सारी उसकी पीठ में धंस गयी लेकिन मेरे साथी को मौका नहीं मिला था सामने की तरफ से अंधाधुंध गोलियां चल रही थी और मेरे साथी को सिर को चीरती हुई एक गोली सीधे उसके पार हो गई | मेरे पैर में गोली लगी | किसी तरह से मैं नीचे की तरफ लुढ़कता हुआ आया | हमारे चारों तरफ खून ही खून था मुझे समझ में नहीं आ रहा था मैं फिजा को संभाल लूं या अपने दोस्त को आखिरकार किसी तरह से मैंने खुद की जान बचाई थी उधर से ताबड़तोड़ गोलियां कम से कम 20 मिनट तक चलती रही उसके बाद बंद हो गई |
दोनों ने चंद मिनटों में ही दम तोड़ दिया | कुछ देर बाद हमारे साथी आये | दुश्मन की चौकी पर भरी गोला बारूद से हमला किया गया |
चौकी की लोकेशन कैसे एक्सपोज हुई इस पर कोर्ट ऑफ इंक्वायरी बैठा दी गई थी जांच के बाद पता चला कि फिजा ने दुश्मन देश के लोगों को हमारी चौकी की जानकारी दी है उसने हमें डबल क्रॉस किया था और उसके साथ अनैतिक संबंध बनाने के कारण मुझे फौज से निकाल दिया गया था मैं अपनी बदनामी के चलते अपने घर नहीं जा सकता था घर में मां बाप तो थे ही नहीं एक बहन जी और एक भाई था दोनों अपनी दुनिया में मस्त हैं मैं उनके लिए किसी तरह की शर्मिंदगी का कारण नहीं बनना चाहता था इसीलिए मैं यहां इस बदनाम शहर में आ गया |
मुझे पता था पहले से ही यहां क्या होता है इसीलिए मैंने यहां पर रहकर के कॉन्ट्रैक्ट किलिंग शुरू कर दी |
जितेश रीमा को छोड़कर बाथरूम से बाहर आ गया था, रीमा भी पीछे से उसके साथ बाहर आ गयी | उसके बदन पर सिर्फ तोलिया लिपटी हुई थी उसके शरीर पर हल्की-हल्की बूंदे पूरे शरीर पर छाई हुई थी |
वो जितेश की तरफ घूमी और मोमबत्ती की हल्की रौशनी में उसका हट्टा कट्टा बदन देख करके रीमा को रोहित की याद आ गयी | उसको ऐसा लगा जैसे सामने रोहित ही खड़ा हो | रीमा के मन में भी एक बार उसको देखने की लालसा जाग उठी | वह चाहती थी इस समय जितेश तौलिया हटा दें ताकि हुआ जितेश को अंदर तक देख सके ..............जितेश को पूरा का पूरा देख सके जैसे कि उसने रीमा देखा हुआ है सर से लेकर पाँव तक उसके गोरे गुलाबी बदन का पोर पोर सब कुछ जितेश ने अपनी आँखों से दिलो दिमाग में संजो लिया था | जितेश ने एकटक उसको देखती रीमा की तरफ नजर दौडाई फिर नजरे फेर ली |
जितेश - मै खाना गरम कर लेता हूँ, आपको भूख लगी होगी |
रीमा बोली - ठीक है मुझे भी भूख लगने लगी है |
रीमा अपना पानी से भीगा हुआ गीला बदन पोछने लगी | कमरे में सिर्फ एक मोमबत्ती जल रही थी | जितेश जहाँ पर खाना गरम कर रहा था वहां रोशनी नाममात्र की थी | उसे लगा उसे मोमबत्ती जितेश के पास ले जानी चाहिए | उसने गीला तौलिया वही छोड़ दिया और मोमबती हाथ में लेकर चल दी | मोबत्ति की सुनहरी रोशनी में उसका बदन भी सोने के तरह दमक रहा था और उस पर पानी की बुँदे ऐसी लग रही थी जैसे अभी ओस उसे भिगो कर गयी है | जितेश ने जब उसकी तरफ गर्दन घुमाई तो बस देखता रह गया | उसका चेहरा और उठा सीना उस स्वर्णिम रौशनी से नहाया हुआ था | रीमा अपने पतली कमर मटकाती और भारी चूतड़ हिलाती उसकी तरफ आ रही थी | हर बढ़ते कदम के साथ उसकी चूत घाटी की दरार के दोनों पाट आपस में रगड़ खा रहे थे | उसकी लचकती कमर एक बार दाए कुल्हे को उठा देती एक बार बांये कुल्हे को | उसकी वो सुनहरी रौशनी की मदमस्त चाल देखकर जितेश अपनी पलक झपकाना भूल गया | रीमा पास आयी और मोमबती उसके पास रखते हुए बोली - अँधेरे में खाना गरम कर रहे हो कोई कीड़ा मकोड़ा चला गया तो |
जितेश की साँस में साँस आई, वो सपने की दुनिया से वापस लौटा और खाने की तरफ उसका ध्यान गया | रीमा जैसे चूतड़ मटकाते हुए आई थी वैसे ही चली गई | उसने वापस जाकर खुद को पोछना शुरू कर दिया | जितेश रीमा के मटकते चूतड़ देखता रहा | उसकी तौलिया में उसके लंड की अकडन शुरू हो गयी थी | जितेश भी रीमा के रूप हुस्न के जाल में बुरी तरह से फंस चूका था | रीमा के कंधे से लेकर चूतड़ तक पूरी पीठ की खूबसूरती निहारता रहा |
जितेश ने फिर से एक लम्बी साँस छोड़ी, खुद को काबू करने के लिए एक गिलास ठंडा पानी पिया और अपने अन्झिदर के भाव छिपाते हुए थोडा झिझकते हुए पूँछ ही लिया -अब कैसा महसूस हो रहा है आपके हाथ पाँव का दर्द कैसा है |
रीमा - हाँ अब बहुत कम है |
इधर जितेश खाने को गरम करता हुआ पूछ बैठा - मैडम आप बुरा ना मानो तो एक बात पूंछु |
रीमा ने तौलिया से अपने गीला बदन को सुखाते हुए - हाँ पूछो |
जितेश - आप बहुत बोल्ड है लेकिन फिर भी जानना चाहता हूँ आपको शर्म नहीं लगती इस तरह से बिना कपड़ों के नंगे .............. |
रीमा जितेश की बात सुनकर मंद ही मंद मुस्कुरायी - पहले सारे कपड़े उतार कर मुझे नंगा कर दिया, अब ऐसा सवाल क्यों पूछ रहे हो |
जितेश को इस सवाल की उम्मीद नहीं थी - मैडम आप तो वही बात पकड़ कर बैठ गयी |
रीमा - कपड़े उतार कर तुम्ही ने तो नंगा किया है |
जितेश - मैडम वो तो जरुरी था.......बताइए न आप इस तरह से बिना कपड़ो के किसी अनजान आदमी के सामने कैसे इतनी कम्फर्ट में है | बिना कपड़ो के तो आदमी झेंप जाता है |
रीमा - तूने कभी किसी औरत को इस तरह से बिना कपड़ों के देखा है |
जितेश - नहीं मैडम मैंने कभी नहीं देखा |
रीमा - क्यों फिजा को नंगा नहीं किया था चोदने से पहले |
रीमा ने पूरी बात जितेश की तरफ घुमा दी | रीमा हाथ पाँव पोंछ चुकी थी अब चेहरा पोंछ कर रही थी |
जितेश - मैडम आप भी न कहाँ पंहुच गयी | इतना कहकर जितेश ने एक लम्बी आह भरी |
रीमा की सारी इन्द्रियां उस आह को सुनकर चौकन्नी हो गयी | उसके दिमाग के घोड़े दौड़ने लगे |
कुछ देर की चुप्पी के बाद रीमा ने ही सवाल पूछ लिया - अच्छा ये बतावो कही तुम्हे फिजां से प्यार तो नहीं हो गया था |
जितेश हंसने लगा - क्या बात कर रही है मैडम | एक रंडी से प्यार |
रीमा ने फिर से सफ़ेद चादर खुद के बदन पर लपेट ली |
रीमा - तुमारी आह बता रही है फिजा तुमारी जिंदगी में खास जगह बना चुकी थी |
जितेश - प्यार का तो पता नहीं लेकिन, हम न केवल उसे चोदते थे बल्कि वो हमारे लिए खाना बना कर भी लाती थी |
रीमा - यही तो प्यार होता है जब किसी के न होने पर उसे तुम मिस करो | अब बताओ न मै गलत तो नहीं कह रही फिजा को नंगा करके ही चोदा था तुम दोनों ने, अभी अभी तुमने बताया था |
जितेश - नहीं मैडम वहां जान हथेली पर लेकर ड्यूटी करते थे उस समय तो बस बदन की आग बुझानी थी, हवस में अगर दो जिस्म नंगे भी होते है तो कोई कहाँ कुछ देखता है उस समय तो बस अपनी आग बुझाने की ललक होती है | उस समय तो बस लंड चूत में पेलने पर ही सारा ध्यान रहता है |
रीमा - मतलब तुमारी ख्वाइश थी कभी फुर्सत में उसे नंगी देखो सर से लेकर पैर तक लेकिन उन हालातों के कारन ये संभव नहीं हो पाया |
जितेश - मैडम आप तो औरत हो इसलिए आपका तो पता नहीं लेकिन औरत के जिस्म से ज्यादा उसकी गंध आदमी के अन्दर उसको चोदने की उसको पाने की लालसा जगाती है | फ़िजा के बदन की महक ही कुछ ऐसी थी | पहली बार ही उसे पूरा नंगा किया था उसके बाद इतना टाइम ही नहीं होता था की उसको सर से लेकर पैर तक पहले नंगा करू फिर चोदु | नीचे से उसका घाघरा उठा देता था और ऊपर से उसके मम्मे खोल लेता था लेकिन जब उसकी वो मदहोश करने वाली गंध नाक से घुसकर दिमाग पर चढ़ती थी लंड तभी पत्थर की तरह ठोस होता था | आज भी मन के किसी कोने में वो गंध महक रही है |
रीमा - मतलब आज भी उसको चोदने की ख्वाइश तुमारे मन में बैठी हुई है | लगता है वो तुमारी जिंदगी की पहली चूत थी |
जितेश चुप रहा |
रीमा - फिजा के बाद भी तो कुछ किया होगा या फिर हाथ से हिलाते रहे |
जितेश - आप तो सारा कच्चा चिट्ठा निकलवाने पर उतारू हो |
जितेश खाना गरम कर रहा था |
तभी रीमा ने आवाज दी - ये शर्मेट मै नहीं पहन पा रही हूँ | मेरे हाथ पीछे की तरफ नहीं पंहुच रहे, |
[b]जितेश समझ गया | वो फिर से अपनी कमर में लगी तौलिये की गांठ को कसकर ठीक करता हुआ रीमा के पास में चला गया | सफ़ेद चादर जमींन पर पड़ी थी और रीमा का बदन उस सुनहरी पीली रौशनी में एक अलग ही छटा बिखेर रहा था | रीमा जितेश की तरफ पीठ करके खुद की हल्की रौशनी में शीशे में निहारने लगी | [/b]
मोमबत्ती की सुनहरी रौशनी में रीमा का दमकता गोरा गुलाबी बदन.....क़यामत ढा रहा था | जितेश ने रीमा को देखकर एक लम्बी साँस ली, कैसे भी खुद को काबू किया | फिर रीमा के हाथ से शर्ट लेकर उसके बांहों में फ़साने लगा | जितेश के मनोभाव उसके नियंत्रण से बाहर थे - मैडम आप बहुत कमाल की हो .........बहुत खूबसूरत हो आपको पता नहीं आपका गोरा गुलाबी बदन बहुत ही खूबसूरत है |
रीमा बस अंदर ही अंदर से खुश होकर रह गई वह कुछ बोली नहीं |
कुछ देर बाद रीमा - अच्छा ये बताओ जितेश तुमारा पहला क्रश कौन था |
जितेश - ये क्या होता है |
रीमा जितेश की अनभिज्ञता पर खिलखिला गयी - अरे बाबा मतलब जिसको देखकर पहली बार तुम्हे उसे चोदने का ख्याल आया हो या तुमारा लंड खड़ा हो गया हो |
जितेश - हमारे यहाँ ये सब नहीं होता था |
रीमा - मतलब तुमने पहली बार सीधे सीधे उस रंडी फिजा को चोदा इसलिए उसकी चूत का फितूर तुमारे दिमाग से नहीं निकल रहा है | जिदंगी की पहली चूत हो या किसी लड़की के लिए पहला लंड हो दोनों ही खास होते है | अब समझ गयी तुम्हे फिजा से इतना लगाव क्यों हो गया |
जितेश - नहीं मैडम आप गलत समझ रही है, फिजा से एक लगाव तो हो गया था लेकिन वो मेरा पहला प्यार नहीं था |
रीमा को हल्का सा आश्चर्य हुआ - अच्छा तो मतलब एक ज्यादा चूत का स्वाद ले चुके हो |
जितेश चुप रहा |
रीमा उसके कुरेदते हुए बोली - बतावो न अपने पहले अनुभव के बारे में |
जितेश - पहला एक्सपीरियंस कुछ खास ही होता है मैडम और मेरा तो कुछ ज्यादा ही खास था |
जितेश उसी तरह से टॉवल में बैठा था - वैसे ही उठकर चला गया | रीमा पैर हाथ और चेहरा गीले तौलिये से पोंछ चुकी थी |
जितेश ने रीमा के हाथ से तौलिया ले लिया और रीमा से शर्ट के बटन खोलने को कहने लगा | रीमा ने बटन खोल दिए और शर्ट खिसकाकर हाथों पर ले आई | जितेश लम्बी सांसे भरता हुआ रीमा को पोछने लगा | थोड़ा सा आगे की तरफ झुककर शर्ट को सर के ऊपर से हाथो में ही फंसाए आगे सीने की तरफ ले आई | लेकिन आगे झुकने के कारन उसके चूतड़ सीधे जितेश की तौलिये से जा टकराए | और तब रीमा को जितेश के तनते मुसल का अहसास हुआ | लेकिन दोनों ने ऐसे जताया जैसे कुछ हुआ ही नहीं | रीमा और जितेश दोनों ही किसी असहज स्थिति से बचना चाहते थे लेकिन हवस की आग धीरे धीरे दोनों के बदन को सुलगाने लगी थी | इसलिए रीमा शर्ट उतार कर सीधे टब में उतर गयी |
इधर जितेश के तौलिये में कैद लंड में झटके लगने लगे | इससे बचने के लिए जितेश रीमा के सर की तरफ आ गया | रीमा उसकी गरम सांसो को अपने कानो से सुन सकती थी |
रीमा ही बोल पड़ी - आगे बतावो |
जितेश रीमा की पीठ और कंधे पर हलके हाथो से गीला तौलिया फिराता हुआ - इस बार हमारा चौकी इंचार्ज काफी सख्त मिजाज था इसलिए फिजा की दाल नहीं गल रही थी उसके खर्चे ज्यादा थे और उसके कमाई का जरिया सिर्फ हमारी तरफ से दिया जाने वाला पैसा ही था इसीलिए उसने हमारी चौकी यूनिट के सैनिकों पर अपना जाल फेंकना शुरू किया | यहां पर जो भी सैनिक चौकी पर पोस्ट होने के लिए आते थे वो अपनी बीबियो से दूर होते थे तो उन्हें भी चूत की ललक लगी रहती थी | इसीलिए फिजा भी उम्मीद कर रही थी कि यह नई यूनिट भी जो है उसके जिस्म के बदले सौदा करके उसे अच्छे खासे पैसे देगी लेकिन हमारी चौकी इंचार्ज एक अलग ही मिजाज का था और इसलिए फिजा की दाल नहीं कर पाई | अब हम सिर्फ उसे खबरें लेते थे और उन खबरों की कीमत के बदले ही हमसे जो कुछ पैसा देते थे उसी से ही फिजा का काम चलता था लेकिन उसके लिए वो नाकाफी था | यही से कमाए पैसो से उसने काफी अच्छा घर बनवाया था | पूरे गांव में मशहूर था कि फिजा फौज की रंडी है लेकिन फ़ौज के डर के कारण कोई भी फिजा को कुछ कह नहीं सकता था और ना ही फिजा की तरफ कोई आंख उठा कर देखता था |
फिजा को भी यह बात मालूम थी कि वह सब ठाठ बाट जो उसके हैं वह किस वजह से हैं लेकिन अब हमारे साहब के कारण उन सब पर असर पड़ने लगा था उसकी जैसी जैसी जरूरत थी उस हिसाब से उसको पैसे नहीं मिल रहे थे इसलिए फिजा के हाथ तंग होने लगे |
मेरे साथ एक और मेरा दोस्त था हम दोनों की यह फील्ड की पहली ड्यूटी थी | हमें बॉर्डर पर बतौर स्नाइपर दुश्मन को ठिकाने लगाने की जिम्मेदारी मिली थी | हम जवान थे, हमारी जवानी अभी कच्ची दहलीज निकल कर बस बाहर ही निकली थी और इससे पहले बहुत ज्यादा औरतों का अनुभव नहीं रखते थे | जैसे ही फिजा ने हमारे ऊपर डोरे डालना शुरू किया हम उसके दीवाने हो गए थे |
हमारी ड्यूटी 12 घंटे की होती थी हम जंगलों के झुरमुट में एक जगह पर अपनी पोजीशन लगा कर के जो है 8 से 10 घंटे 11 घंटे ड्यूटी करते थे फिजा हमारे लिए दिन में खाना लेकर आने लगी | 3 दिन खाना लाने के बाद में उसने जब अपने जिस्म को दिखाना शुरू किया, तो हमें भी मजा आने लगा | कभी वह पल्लू गिरा देती थी उसके बड़े बड़े फूले उरोजो हाहाकारी उरोज अपने ब्लाउज को फाड़ बाहर आने को बेताब हो जाते | कभी अपना लहंगा खींच लेती थी और अपनी गोरी जांघे दिखाने लगती | कभी तो सीधे सीधे अपनी जांघे फैलाकर उसी जगह देखने लगती थी |
मैं जवान था मुझ से रहा ना गया एक दिन मैं उसे अपनी झुरमुट से निकलकर सरकते हुए नीचे की तरफ गया और साथ में फिजा को भी खींच लिया और उसका लहंगा उतारकर फेंक दिया और अपने कपड़े भी एक झटके में उतार डाले | फिर उसे लगा चोदने | दाये लिटाकर बाये लिटाकर खूब चोदा | उसने भी खूब गपागप लंड लिया अपनी चूत में | फिर मै झड़ने को हुआ तो लपककर मेरा लंड अपने मुहँ में ले लिया |
एक बार चोदने के बाद उसे मन नहीं भरा तो मैंने उसे वही दोबारा चोदा | घोड़ी बनाकर चूतड़ हवा में उठाकर खूब हचक हचक के चोदा | एक नंबर की रंडी थी मजाल जो कही कराही या चीखी हो | गपागप मेरा लंड अपनी चूत में लेती रही | मै ठोकर पर ठोकर मारता रहा और वो बस अपना सर जमीन पर टिकाये, अपने चुताड़ो को घुटने के सहारे हवा में उठाये चुदती रही | बहुत ही मस्त गदराया भरा पूरा बदन था बिलकुल रुई के गद्दे की तरह नरम कोमल मांसल, भरपूर जवानी की आग में धधकता | बहुत मजा आया उसे चोदकर |
उसके बाद मै अपने कपड़े पहनने लगा | फिजा भी अपने कपड़े समेटने लगी लेकिन तब तक मेरा साथी आ गया | मेरे को देख कर के मेरे दोस्त की भी हिम्मत बढ़ी ..................मुझे देख मेरे साथी से भी नहीं रहा गया | उसका लंड उसकी पेंट से बाहर झूल रहा था | ये देख फिजा वही पर फिर से पीठ के बल लेट गयी और अपनी जांघे हवा में उठा दी | मैंने जल्दी से जाकर अपनी पोजीशन ले ली | बीच बीच में मै उसकी चुदाई देखने के लिए पीछे की तरफ गर्दन घुमाता था | उससे भी फिजा खूब जमकर चुदी | उसने भी दो बार फिजा को खूब हचक हचक के चोदा | एक बार सामने से एक बार पीछे से जैसे मैंने घोड़ी बनाकर चोदा था बिलकुल वैसे ही | उसके बाद उसने अपना लंड भी चुसवाया | फिर हम दोनों ने उसे हजार रुपये दिए, वो बोली कम है तो मैंने उसे अपनी तरफ से पांच सौ रुपये और दे दिए |
धीरे-धीरे यह सिलसिला चल निकला अब अक्सर हम फिजा को चोदते रहते थे इसके बदले में वो बॉर्डर से लाने वाली खबरें भी सबसे पहले हमें ही बताती थी | इसके बाद तो यह सिलसिला जैसे चल निकला अब फिजा को चोदना हमारा लगभग लगभग रोज का ही काम हो गया था और इसी के बदले फिजा को हम अच्छे खासे पैसे भी दे रहे थे |
कुछ दिन बाद एक दिन फिजा कुछ दिनों के लिए गायब हो गई और 3 दिन बाद लगभग वह फिर से वापस आई और जब वह खाना लेकर आई तो काफी दुखी लग रही थी | वो मेरे पास आने के बजाय थोड़ा दूर ही बैठ गयी |
मैंने इशारो में पूछा क्या हुआ | वो कुछ नहीं बोली | मै खिसकता हुआ नीचे की तरफ गया | मैंने उसके उभरे उरोजो को मसलते हुए पुछा - क्या हुआ |
वो आइस्ते से बोली - बॉर्डर पार गयी थी | सालो ने मेरी दुर्गति कर दी आगे भी पीछे भी | रात भर एक के बाद एक करके जानवरों को तरह चोदा | एक साथ दो दो ने आगे पीछे एक साथ किया | तब तक किया जब तक खून नहीं निकल आया | दो दिन से बिस्तर पर पड़ी थी | आज चलने फिरने लायक हुई हूँ |
फिर मेरे कान के पास आते ही मेरे कान में बोला - कि आज रात तुम पर हमला होगा तुम्हारी चौकी की लोकेशन उनको पता चल गई है शायद, वो कुछ बड़ा करने का प्लान बना रहे है |
मैं समझ गया था उसे आखिर वापस किस कीमत पर लौटने दिया है | उसके शरीर पर बने हुए जख्मो को देखकर मैं समझ गया था उसको मारा पीटा गया है मैंने फिजा को अपनी बाहों में थाम लिया और अपने सीने से लगा लिया | लेकिन जैसे ही मैंने ऐसा किया पीछे से एक सनसनाती हुई गोलियां फिजा के पीठ के बीच में धंस गई थी और दूसरी गोली मेरे कान को छूती हुई निकल गई थी |
हम दोनों जमीन पर लेट गए, उधर से गोलियाँ बरसने लगी | मेरे ऊपर की तरफ फिजा थी इसलिए सारी की सारी उसकी पीठ में धंस गयी लेकिन मेरे साथी को मौका नहीं मिला था सामने की तरफ से अंधाधुंध गोलियां चल रही थी और मेरे साथी को सिर को चीरती हुई एक गोली सीधे उसके पार हो गई | मेरे पैर में गोली लगी | किसी तरह से मैं नीचे की तरफ लुढ़कता हुआ आया | हमारे चारों तरफ खून ही खून था मुझे समझ में नहीं आ रहा था मैं फिजा को संभाल लूं या अपने दोस्त को आखिरकार किसी तरह से मैंने खुद की जान बचाई थी उधर से ताबड़तोड़ गोलियां कम से कम 20 मिनट तक चलती रही उसके बाद बंद हो गई |
दोनों ने चंद मिनटों में ही दम तोड़ दिया | कुछ देर बाद हमारे साथी आये | दुश्मन की चौकी पर भरी गोला बारूद से हमला किया गया |
चौकी की लोकेशन कैसे एक्सपोज हुई इस पर कोर्ट ऑफ इंक्वायरी बैठा दी गई थी जांच के बाद पता चला कि फिजा ने दुश्मन देश के लोगों को हमारी चौकी की जानकारी दी है उसने हमें डबल क्रॉस किया था और उसके साथ अनैतिक संबंध बनाने के कारण मुझे फौज से निकाल दिया गया था मैं अपनी बदनामी के चलते अपने घर नहीं जा सकता था घर में मां बाप तो थे ही नहीं एक बहन जी और एक भाई था दोनों अपनी दुनिया में मस्त हैं मैं उनके लिए किसी तरह की शर्मिंदगी का कारण नहीं बनना चाहता था इसीलिए मैं यहां इस बदनाम शहर में आ गया |
मुझे पता था पहले से ही यहां क्या होता है इसीलिए मैंने यहां पर रहकर के कॉन्ट्रैक्ट किलिंग शुरू कर दी |
जितेश रीमा को छोड़कर बाथरूम से बाहर आ गया था, रीमा भी पीछे से उसके साथ बाहर आ गयी | उसके बदन पर सिर्फ तोलिया लिपटी हुई थी उसके शरीर पर हल्की-हल्की बूंदे पूरे शरीर पर छाई हुई थी |
वो जितेश की तरफ घूमी और मोमबत्ती की हल्की रौशनी में उसका हट्टा कट्टा बदन देख करके रीमा को रोहित की याद आ गयी | उसको ऐसा लगा जैसे सामने रोहित ही खड़ा हो | रीमा के मन में भी एक बार उसको देखने की लालसा जाग उठी | वह चाहती थी इस समय जितेश तौलिया हटा दें ताकि हुआ जितेश को अंदर तक देख सके ..............जितेश को पूरा का पूरा देख सके जैसे कि उसने रीमा देखा हुआ है सर से लेकर पाँव तक उसके गोरे गुलाबी बदन का पोर पोर सब कुछ जितेश ने अपनी आँखों से दिलो दिमाग में संजो लिया था | जितेश ने एकटक उसको देखती रीमा की तरफ नजर दौडाई फिर नजरे फेर ली |
जितेश - मै खाना गरम कर लेता हूँ, आपको भूख लगी होगी |
रीमा बोली - ठीक है मुझे भी भूख लगने लगी है |
रीमा अपना पानी से भीगा हुआ गीला बदन पोछने लगी | कमरे में सिर्फ एक मोमबत्ती जल रही थी | जितेश जहाँ पर खाना गरम कर रहा था वहां रोशनी नाममात्र की थी | उसे लगा उसे मोमबत्ती जितेश के पास ले जानी चाहिए | उसने गीला तौलिया वही छोड़ दिया और मोमबती हाथ में लेकर चल दी | मोबत्ति की सुनहरी रोशनी में उसका बदन भी सोने के तरह दमक रहा था और उस पर पानी की बुँदे ऐसी लग रही थी जैसे अभी ओस उसे भिगो कर गयी है | जितेश ने जब उसकी तरफ गर्दन घुमाई तो बस देखता रह गया | उसका चेहरा और उठा सीना उस स्वर्णिम रौशनी से नहाया हुआ था | रीमा अपने पतली कमर मटकाती और भारी चूतड़ हिलाती उसकी तरफ आ रही थी | हर बढ़ते कदम के साथ उसकी चूत घाटी की दरार के दोनों पाट आपस में रगड़ खा रहे थे | उसकी लचकती कमर एक बार दाए कुल्हे को उठा देती एक बार बांये कुल्हे को | उसकी वो सुनहरी रौशनी की मदमस्त चाल देखकर जितेश अपनी पलक झपकाना भूल गया | रीमा पास आयी और मोमबती उसके पास रखते हुए बोली - अँधेरे में खाना गरम कर रहे हो कोई कीड़ा मकोड़ा चला गया तो |
जितेश की साँस में साँस आई, वो सपने की दुनिया से वापस लौटा और खाने की तरफ उसका ध्यान गया | रीमा जैसे चूतड़ मटकाते हुए आई थी वैसे ही चली गई | उसने वापस जाकर खुद को पोछना शुरू कर दिया | जितेश रीमा के मटकते चूतड़ देखता रहा | उसकी तौलिया में उसके लंड की अकडन शुरू हो गयी थी | जितेश भी रीमा के रूप हुस्न के जाल में बुरी तरह से फंस चूका था | रीमा के कंधे से लेकर चूतड़ तक पूरी पीठ की खूबसूरती निहारता रहा |
जितेश ने फिर से एक लम्बी साँस छोड़ी, खुद को काबू करने के लिए एक गिलास ठंडा पानी पिया और अपने अन्झिदर के भाव छिपाते हुए थोडा झिझकते हुए पूँछ ही लिया -अब कैसा महसूस हो रहा है आपके हाथ पाँव का दर्द कैसा है |
रीमा - हाँ अब बहुत कम है |
इधर जितेश खाने को गरम करता हुआ पूछ बैठा - मैडम आप बुरा ना मानो तो एक बात पूंछु |
रीमा ने तौलिया से अपने गीला बदन को सुखाते हुए - हाँ पूछो |
जितेश - आप बहुत बोल्ड है लेकिन फिर भी जानना चाहता हूँ आपको शर्म नहीं लगती इस तरह से बिना कपड़ों के नंगे .............. |
रीमा जितेश की बात सुनकर मंद ही मंद मुस्कुरायी - पहले सारे कपड़े उतार कर मुझे नंगा कर दिया, अब ऐसा सवाल क्यों पूछ रहे हो |
जितेश को इस सवाल की उम्मीद नहीं थी - मैडम आप तो वही बात पकड़ कर बैठ गयी |
रीमा - कपड़े उतार कर तुम्ही ने तो नंगा किया है |
जितेश - मैडम वो तो जरुरी था.......बताइए न आप इस तरह से बिना कपड़ो के किसी अनजान आदमी के सामने कैसे इतनी कम्फर्ट में है | बिना कपड़ो के तो आदमी झेंप जाता है |
रीमा - तूने कभी किसी औरत को इस तरह से बिना कपड़ों के देखा है |
जितेश - नहीं मैडम मैंने कभी नहीं देखा |
रीमा - क्यों फिजा को नंगा नहीं किया था चोदने से पहले |
रीमा ने पूरी बात जितेश की तरफ घुमा दी | रीमा हाथ पाँव पोंछ चुकी थी अब चेहरा पोंछ कर रही थी |
जितेश - मैडम आप भी न कहाँ पंहुच गयी | इतना कहकर जितेश ने एक लम्बी आह भरी |
रीमा की सारी इन्द्रियां उस आह को सुनकर चौकन्नी हो गयी | उसके दिमाग के घोड़े दौड़ने लगे |
कुछ देर की चुप्पी के बाद रीमा ने ही सवाल पूछ लिया - अच्छा ये बतावो कही तुम्हे फिजां से प्यार तो नहीं हो गया था |
जितेश हंसने लगा - क्या बात कर रही है मैडम | एक रंडी से प्यार |
रीमा ने फिर से सफ़ेद चादर खुद के बदन पर लपेट ली |
रीमा - तुमारी आह बता रही है फिजा तुमारी जिंदगी में खास जगह बना चुकी थी |
जितेश - प्यार का तो पता नहीं लेकिन, हम न केवल उसे चोदते थे बल्कि वो हमारे लिए खाना बना कर भी लाती थी |
रीमा - यही तो प्यार होता है जब किसी के न होने पर उसे तुम मिस करो | अब बताओ न मै गलत तो नहीं कह रही फिजा को नंगा करके ही चोदा था तुम दोनों ने, अभी अभी तुमने बताया था |
जितेश - नहीं मैडम वहां जान हथेली पर लेकर ड्यूटी करते थे उस समय तो बस बदन की आग बुझानी थी, हवस में अगर दो जिस्म नंगे भी होते है तो कोई कहाँ कुछ देखता है उस समय तो बस अपनी आग बुझाने की ललक होती है | उस समय तो बस लंड चूत में पेलने पर ही सारा ध्यान रहता है |
रीमा - मतलब तुमारी ख्वाइश थी कभी फुर्सत में उसे नंगी देखो सर से लेकर पैर तक लेकिन उन हालातों के कारन ये संभव नहीं हो पाया |
जितेश - मैडम आप तो औरत हो इसलिए आपका तो पता नहीं लेकिन औरत के जिस्म से ज्यादा उसकी गंध आदमी के अन्दर उसको चोदने की उसको पाने की लालसा जगाती है | फ़िजा के बदन की महक ही कुछ ऐसी थी | पहली बार ही उसे पूरा नंगा किया था उसके बाद इतना टाइम ही नहीं होता था की उसको सर से लेकर पैर तक पहले नंगा करू फिर चोदु | नीचे से उसका घाघरा उठा देता था और ऊपर से उसके मम्मे खोल लेता था लेकिन जब उसकी वो मदहोश करने वाली गंध नाक से घुसकर दिमाग पर चढ़ती थी लंड तभी पत्थर की तरह ठोस होता था | आज भी मन के किसी कोने में वो गंध महक रही है |
रीमा - मतलब आज भी उसको चोदने की ख्वाइश तुमारे मन में बैठी हुई है | लगता है वो तुमारी जिंदगी की पहली चूत थी |
जितेश चुप रहा |
रीमा - फिजा के बाद भी तो कुछ किया होगा या फिर हाथ से हिलाते रहे |
जितेश - आप तो सारा कच्चा चिट्ठा निकलवाने पर उतारू हो |
जितेश खाना गरम कर रहा था |
तभी रीमा ने आवाज दी - ये शर्मेट मै नहीं पहन पा रही हूँ | मेरे हाथ पीछे की तरफ नहीं पंहुच रहे, |
[b]जितेश समझ गया | वो फिर से अपनी कमर में लगी तौलिये की गांठ को कसकर ठीक करता हुआ रीमा के पास में चला गया | सफ़ेद चादर जमींन पर पड़ी थी और रीमा का बदन उस सुनहरी पीली रौशनी में एक अलग ही छटा बिखेर रहा था | रीमा जितेश की तरफ पीठ करके खुद की हल्की रौशनी में शीशे में निहारने लगी | [/b]
मोमबत्ती की सुनहरी रौशनी में रीमा का दमकता गोरा गुलाबी बदन.....क़यामत ढा रहा था | जितेश ने रीमा को देखकर एक लम्बी साँस ली, कैसे भी खुद को काबू किया | फिर रीमा के हाथ से शर्ट लेकर उसके बांहों में फ़साने लगा | जितेश के मनोभाव उसके नियंत्रण से बाहर थे - मैडम आप बहुत कमाल की हो .........बहुत खूबसूरत हो आपको पता नहीं आपका गोरा गुलाबी बदन बहुत ही खूबसूरत है |
रीमा बस अंदर ही अंदर से खुश होकर रह गई वह कुछ बोली नहीं |
कुछ देर बाद रीमा - अच्छा ये बताओ जितेश तुमारा पहला क्रश कौन था |
जितेश - ये क्या होता है |
रीमा जितेश की अनभिज्ञता पर खिलखिला गयी - अरे बाबा मतलब जिसको देखकर पहली बार तुम्हे उसे चोदने का ख्याल आया हो या तुमारा लंड खड़ा हो गया हो |
जितेश - हमारे यहाँ ये सब नहीं होता था |
रीमा - मतलब तुमने पहली बार सीधे सीधे उस रंडी फिजा को चोदा इसलिए उसकी चूत का फितूर तुमारे दिमाग से नहीं निकल रहा है | जिदंगी की पहली चूत हो या किसी लड़की के लिए पहला लंड हो दोनों ही खास होते है | अब समझ गयी तुम्हे फिजा से इतना लगाव क्यों हो गया |
जितेश - नहीं मैडम आप गलत समझ रही है, फिजा से एक लगाव तो हो गया था लेकिन वो मेरा पहला प्यार नहीं था |
रीमा को हल्का सा आश्चर्य हुआ - अच्छा तो मतलब एक ज्यादा चूत का स्वाद ले चुके हो |
जितेश चुप रहा |
रीमा उसके कुरेदते हुए बोली - बतावो न अपने पहले अनुभव के बारे में |
जितेश - पहला एक्सपीरियंस कुछ खास ही होता है मैडम और मेरा तो कुछ ज्यादा ही खास था |