17-01-2019, 08:15 PM
कमल ने आँटी को छेड़ते हुए कहा- “तुम्हारी चूत में से यह पच-पच की आवाज क्यों निकल रही है?”
सोनाली आँटी ने कहा- “तुम्हारे काले मूसल ने मेरी चूत को फाड़ दिया है, इसीलिए यह आवाज निकल रही है...”
सोनाली आँटी की बात सुनकर कमल जोश में आ गया और पूरे जोर और तेजी के साथ आँटी की चूत को चोदते हुए हाँफने लगा- “आअह्ह्ह... तुम्हारी चूत तो बहुत टाइट है, लगता ही नहीं की तुम दो बच्चों की माँ हो... आह्ह्ह... ओहह...” करते हुए वो आँटी की चूत को अपने वीर्य से भरने लगा।
सोनाली आँटी ने कमल का गर्म वीर्य अपनी चूत में महसूस करते ही अपनी चूत को सिकोड़ लिया और आअह्हह... करते हुए झड़ने लगी। आँटी ने झड़ते हुए अपनी आँखें बंद कर ली।
मेरी (धन्नो) चूत ने भी पानी छोड़ दिया और मेरा हाथ गीला हो गया।
कमल के लण्ड से ना जाने कितनी देर तक वीर्य निकलता रहा, क्योंकी सोनाली आँटी की चूत से वीर्य निकलकर बेड पर गिर रहा था। कमल के लण्ड का झड़ना बंद होते ही उसने अपना लण्ड आँटी की चूत से निकालकर साइड में ढेर हो गया, और आँटी की चूत का मुँह खुला का खुला रह गया। उसमें से कमल का भरा हुआ वीर्य निकलकर बेड पर गिरने लगा।
मैंने अपने कपड़ों को ठीक किया और घर वापस जाने लगी। घर पहुँचकर मैं अपने कमरे में जाकर लेट गई। मेरी आँखों के सामने कमल का लण्ड झूम रहा था। मैंने सोने की बहुत कोशिश की, मगर नींद मेरी आँखों से कोसों दूर चली गई थी। मेरे दिमाग में सिर्फ कमल का लण्ड पाने की चाह हो रही थी। मगर यह कैसे हो सकता था? यही सोचते-सोचते मेरा दिमाग फट रहा था और मेरा पूरा शरीर तप कर आग बन चुका था।
अचानक घर का दरवाजा खुला और आँटी अंदर दाखिल हुई। आँटी अंदर आते ही मेरे कमरे में आई और मुझसे कहा- “मैं बाजार जा रही हूँ थोड़ा सा काम है, सब्ज़ी वाला आने वाला होगा तुम उससे सब्ज़ी खरीद लेना...”
मैंने आँटी से कहा- “आप चली जाओ, मैं सब्ज़ी ले लूंगी...”
आँटी ने अपने कमरे में जाकर अलमारी से कुछ पैसे निकले और घर से निकल गई। आँटी के घर से जाने के कुछ ही देर बाद दरवाजा खटकने की आवाज आई। मैंने जाकर दरवाजा खोला तो सब्ज़ी वाला सामने खड़ा था, और उसके हाथ में सब्ज़ी का एक थैला था। मेरे दरवाजा खोलते ही वो मुझे गौर से देखने लगा।
मैंने उससे कहा- “आँटी बाहर गई हैं, सब्ज़ी मुझे दे दो...”
मेरी बात सुनकर वो जैसे सपने में से वापस आया और मुझे थैला देते हुए कहा- “मेमसाहब बहुत गर्मी है पानी का एक ग्लास मिलेगा..."
मैं उससे थैला लेते हुए फ्रिज़ से पानी की बोतल लेने चली गई। मैं जैसे ही पानी लेकर वापस लौटी, वो अंदर दाखिल हो चुका था और सोफे पर बैठा हुआ था। मैं उसके पास जाकर नीचे झुकते हुए ग्लास को उसके सामने वाली टेबल पर रख दिया और बोतल में से पानी उस ग्लास में डालने लगी। ग्लास में पानी भरकर मैंने उसकी तरफ बढ़ाया।
सोनाली आँटी ने कहा- “तुम्हारे काले मूसल ने मेरी चूत को फाड़ दिया है, इसीलिए यह आवाज निकल रही है...”
सोनाली आँटी की बात सुनकर कमल जोश में आ गया और पूरे जोर और तेजी के साथ आँटी की चूत को चोदते हुए हाँफने लगा- “आअह्ह्ह... तुम्हारी चूत तो बहुत टाइट है, लगता ही नहीं की तुम दो बच्चों की माँ हो... आह्ह्ह... ओहह...” करते हुए वो आँटी की चूत को अपने वीर्य से भरने लगा।
सोनाली आँटी ने कमल का गर्म वीर्य अपनी चूत में महसूस करते ही अपनी चूत को सिकोड़ लिया और आअह्हह... करते हुए झड़ने लगी। आँटी ने झड़ते हुए अपनी आँखें बंद कर ली।
मेरी (धन्नो) चूत ने भी पानी छोड़ दिया और मेरा हाथ गीला हो गया।
कमल के लण्ड से ना जाने कितनी देर तक वीर्य निकलता रहा, क्योंकी सोनाली आँटी की चूत से वीर्य निकलकर बेड पर गिर रहा था। कमल के लण्ड का झड़ना बंद होते ही उसने अपना लण्ड आँटी की चूत से निकालकर साइड में ढेर हो गया, और आँटी की चूत का मुँह खुला का खुला रह गया। उसमें से कमल का भरा हुआ वीर्य निकलकर बेड पर गिरने लगा।
मैंने अपने कपड़ों को ठीक किया और घर वापस जाने लगी। घर पहुँचकर मैं अपने कमरे में जाकर लेट गई। मेरी आँखों के सामने कमल का लण्ड झूम रहा था। मैंने सोने की बहुत कोशिश की, मगर नींद मेरी आँखों से कोसों दूर चली गई थी। मेरे दिमाग में सिर्फ कमल का लण्ड पाने की चाह हो रही थी। मगर यह कैसे हो सकता था? यही सोचते-सोचते मेरा दिमाग फट रहा था और मेरा पूरा शरीर तप कर आग बन चुका था।
अचानक घर का दरवाजा खुला और आँटी अंदर दाखिल हुई। आँटी अंदर आते ही मेरे कमरे में आई और मुझसे कहा- “मैं बाजार जा रही हूँ थोड़ा सा काम है, सब्ज़ी वाला आने वाला होगा तुम उससे सब्ज़ी खरीद लेना...”
मैंने आँटी से कहा- “आप चली जाओ, मैं सब्ज़ी ले लूंगी...”
आँटी ने अपने कमरे में जाकर अलमारी से कुछ पैसे निकले और घर से निकल गई। आँटी के घर से जाने के कुछ ही देर बाद दरवाजा खटकने की आवाज आई। मैंने जाकर दरवाजा खोला तो सब्ज़ी वाला सामने खड़ा था, और उसके हाथ में सब्ज़ी का एक थैला था। मेरे दरवाजा खोलते ही वो मुझे गौर से देखने लगा।
मैंने उससे कहा- “आँटी बाहर गई हैं, सब्ज़ी मुझे दे दो...”
मेरी बात सुनकर वो जैसे सपने में से वापस आया और मुझे थैला देते हुए कहा- “मेमसाहब बहुत गर्मी है पानी का एक ग्लास मिलेगा..."
मैं उससे थैला लेते हुए फ्रिज़ से पानी की बोतल लेने चली गई। मैं जैसे ही पानी लेकर वापस लौटी, वो अंदर दाखिल हो चुका था और सोफे पर बैठा हुआ था। मैं उसके पास जाकर नीचे झुकते हुए ग्लास को उसके सामने वाली टेबल पर रख दिया और बोतल में से पानी उस ग्लास में डालने लगी। ग्लास में पानी भरकर मैंने उसकी तरफ बढ़ाया।