17-01-2019, 08:10 PM
रोहन ने अचानक अपना हाथ बिंदिया की चूचियों से हटाते हुए, उसकी टाँगों को पकड़ लिया, और जोर से धक्के लगाते हुए आह्ह्ह... करते हुये बिंदिया की चूत को अपने वीर्य से भरने लगा। बिंदिया भी उसका गरम वीर्य अपनी चूत में महसूस करते ही उसके साथ ऊहह... करते हुए झड़ने लगी।
उन दोनों के साथ मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया। वो दोनों निढाल होकर एक दूसरे की बाहों में पड़े रहे। मैं थोड़ी देर वहाँ खड़ी रही और फिर वापस अपने कमरे की तरफ जाने लगी।
मुझे जाते हुए करुणा के कमरे से कुछ अजीब किस्म की आवाज सुनाई देने लगी। मैं उन आवाजों को अच्छे तरीके से जानती थी, क्योंकी मैं एक लड़की थी। मगर करुणा के कमरे से यह आवाजें? मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। मैं जल्दी से जाकर करुणा के कमरे की खिड़की के पास खड़ी हो गई, और खिड़की को खोलने की कोशिश करने लगी, मगर खिड़की अंदर से बंद थी। मैंने उसे थोड़ा सा धक्का दिया, मगर वो अंदर से बंद थी। मेरे दिल की धड़कनें तेज होने लगी थी। मैं किसी भी तरीके से अंदर देखना चाहती थी। मैं कमरे के दरवाजे के पास गई और कोई छेद ढूँढ़ने की कोशिश करने लगी।
मैंने जैसे ही दरवाजे को हाथ लगाया, वो थोड़ा सा खुल गया। करुणा ने दरवाजा अंदर से बंद नहीं किया था। मैंने दरवाजा को हल्का धक्का देते हुए उसे आधा खोल दिया। अंदर का नजारा देखकर मेरा मुँह खुला का खुला रह गया।
करुणा बिल्कुल नंगी बेड पर लेती हुई थी, उसकी 32" इंच साइज की छोटी-छोटी गोरी-गोरी चूचियां और उन चूचियों के छोटे-छोटे गुलाबी निपलों ट्यूबलाइट की रोशनी में चमक रहे थे। करुणा अपनी हल्के भूरे बालों वाली छोटी सी गुलाबी चूत को अपने हाथ से बहुत जोर से रगड़ रही थी और उसके मुँह से आअह्ह्ह... की सिसकियां निकल रही थी। करुणा पूरी तरह अपने काम में बिजी सी थी, उसकी आँखें बंद थी। लगता था की वो अपनी मंजिल के बिल्कुल करीब थी।
मैं दरवाजे से अंदर दाखिल हो गई, और दरवाजे को आहिस्ते से बंद करते हुए करते हुए करुणा के बेड के पास सोफे पर बैठ गई। करुणा का गोरा जिम इतने करीब से देखकर मेरे मुँह में पानी आने लगा। करुणा की चूचियां छोटी सी थी, बिल्कुल नींबू जैसी, और उसकी चूत पे हल्के भूरे बाल उगना शुरू ही हुए थे। करुणा की टाँगें फैली हुई थी, जिस वजह से करुणा की छोटी चूत मेरी आँखों के सामने थी। करुणा की चूत का दाना बहुत छोटा था
और नीचे बस एक पतली सी गुलाबी लकीर बनी हुई थी। करुणा अपने नरम हाथों से अपनी गुलाबी चूत को रगड़ रही थी।
करुणा के हाथों की रगड़ से उसकी चूत की लकीर थोड़ा खुलकर बंद हो रही थी। करुणा की चूत हल्का खुलने से उसके अंदर का गुलाबी हिस्सा दिख रहा था। करुणा का बदन अचानक काँपने लगा और वो अपने हाथों से अपनी चूत को बहुत तेजी के साथ रगड़ते हुए “ऊहह.. आह...” करते हुए झड़ने लगी। करुणा का बदन झड़ते हुए झटके खाने लगा और उसकी चूत में से सफेद पानी निकलकर उसके हाथों को गीला करने लगा।
मैं करुणा की कुँवारी चूत का पानी देखकर अपने आपको रोक ना सकी और अपनी जीभ निकालकर करुणा की गुलाबी चूत पर रख दी। करुणा को अपनी चूत पर मेरी जीभ महसूस करते ही उसे जैसे करेंट लगा हो। और वो किसी सपने से वापस आई।
करुणा अपनी आँखें खोलते हुए जल्दी से उठ बैठी और अपना नाइटगाउन उठाकर पहनने लगी। करुणा ने मुझे हैरत से देखते हुए उखड़ती हुई साँसों से कहा- “धन्नो... तुम इतनी रात को यहां क्या कर रही हो?"
मैंने मुश्कुराते हुए कहा- “तुम मेरी फिकर छोड़ो, तुम क्या कर रही थी?”
करुणा ने अपना सिर नीचे झुका लिया और उसका चेहरा शर्म के मारे लाल हो गया।
मैंने अपने हाथों से करुणा के चहरे को पकड़कर ऊपर उठाया और मुश्कुराते हुए करुणा से कहा- “तुम शर्माती क्यों हो, तुम्हारी उमर में तो हर लड़की ऐसे अपने आपको शांत करती है...” ।
मैंने करुणा का नाइटगाउन उतारकर बेड पर फेंक दिया। करुणा शर्म के मारे अपने एक हाथ से अपनी चूत और दूसरे से अपनी चूचियां छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी। मैंने अपने कपड़े उतारे और बिल्कुल नंगी होकर करुणा के सामने खड़ी हो गई और करुणा को बेड पर धक्का देकर गिरा दिया।
मैं भी बेड पर उसके साथ लेट गई, और उसे कहने लगी- “तुम मुझसे क्या छुपा रही हो, जो तुम्हारे पास है वो मेरे पास भी है...”
करुणा मेरी बात सुनकर मेरी गोल-गोल और बड़ी-बड़ी चूचियों को गौर से देखने लगी। मैंने करुणा को अपनी तरफ घूरता हुआ देखकर उसके हाथों को पकड़कर अपनी चूचियों पर रख दिया। करुणा का पूरा जिश्म कांप रहा था, और उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थी। करुणा की साँसों के साथ उसकी छोटी-छोटी चूचियां भी ऊपर-नीचे हो रही थीं। मैंने अपने हाथ बढ़ाकर उसकी दोनों चूचियों को पकड़ लिया। उसकी चूचियां इतनी नरम थी की मेरे हाथों में जैसे कोई फोम का टुकड़ा आ गया हो।
उन दोनों के साथ मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया। वो दोनों निढाल होकर एक दूसरे की बाहों में पड़े रहे। मैं थोड़ी देर वहाँ खड़ी रही और फिर वापस अपने कमरे की तरफ जाने लगी।
मुझे जाते हुए करुणा के कमरे से कुछ अजीब किस्म की आवाज सुनाई देने लगी। मैं उन आवाजों को अच्छे तरीके से जानती थी, क्योंकी मैं एक लड़की थी। मगर करुणा के कमरे से यह आवाजें? मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। मैं जल्दी से जाकर करुणा के कमरे की खिड़की के पास खड़ी हो गई, और खिड़की को खोलने की कोशिश करने लगी, मगर खिड़की अंदर से बंद थी। मैंने उसे थोड़ा सा धक्का दिया, मगर वो अंदर से बंद थी। मेरे दिल की धड़कनें तेज होने लगी थी। मैं किसी भी तरीके से अंदर देखना चाहती थी। मैं कमरे के दरवाजे के पास गई और कोई छेद ढूँढ़ने की कोशिश करने लगी।
मैंने जैसे ही दरवाजे को हाथ लगाया, वो थोड़ा सा खुल गया। करुणा ने दरवाजा अंदर से बंद नहीं किया था। मैंने दरवाजा को हल्का धक्का देते हुए उसे आधा खोल दिया। अंदर का नजारा देखकर मेरा मुँह खुला का खुला रह गया।
करुणा बिल्कुल नंगी बेड पर लेती हुई थी, उसकी 32" इंच साइज की छोटी-छोटी गोरी-गोरी चूचियां और उन चूचियों के छोटे-छोटे गुलाबी निपलों ट्यूबलाइट की रोशनी में चमक रहे थे। करुणा अपनी हल्के भूरे बालों वाली छोटी सी गुलाबी चूत को अपने हाथ से बहुत जोर से रगड़ रही थी और उसके मुँह से आअह्ह्ह... की सिसकियां निकल रही थी। करुणा पूरी तरह अपने काम में बिजी सी थी, उसकी आँखें बंद थी। लगता था की वो अपनी मंजिल के बिल्कुल करीब थी।
मैं दरवाजे से अंदर दाखिल हो गई, और दरवाजे को आहिस्ते से बंद करते हुए करते हुए करुणा के बेड के पास सोफे पर बैठ गई। करुणा का गोरा जिम इतने करीब से देखकर मेरे मुँह में पानी आने लगा। करुणा की चूचियां छोटी सी थी, बिल्कुल नींबू जैसी, और उसकी चूत पे हल्के भूरे बाल उगना शुरू ही हुए थे। करुणा की टाँगें फैली हुई थी, जिस वजह से करुणा की छोटी चूत मेरी आँखों के सामने थी। करुणा की चूत का दाना बहुत छोटा था
और नीचे बस एक पतली सी गुलाबी लकीर बनी हुई थी। करुणा अपने नरम हाथों से अपनी गुलाबी चूत को रगड़ रही थी।
करुणा के हाथों की रगड़ से उसकी चूत की लकीर थोड़ा खुलकर बंद हो रही थी। करुणा की चूत हल्का खुलने से उसके अंदर का गुलाबी हिस्सा दिख रहा था। करुणा का बदन अचानक काँपने लगा और वो अपने हाथों से अपनी चूत को बहुत तेजी के साथ रगड़ते हुए “ऊहह.. आह...” करते हुए झड़ने लगी। करुणा का बदन झड़ते हुए झटके खाने लगा और उसकी चूत में से सफेद पानी निकलकर उसके हाथों को गीला करने लगा।
मैं करुणा की कुँवारी चूत का पानी देखकर अपने आपको रोक ना सकी और अपनी जीभ निकालकर करुणा की गुलाबी चूत पर रख दी। करुणा को अपनी चूत पर मेरी जीभ महसूस करते ही उसे जैसे करेंट लगा हो। और वो किसी सपने से वापस आई।
करुणा अपनी आँखें खोलते हुए जल्दी से उठ बैठी और अपना नाइटगाउन उठाकर पहनने लगी। करुणा ने मुझे हैरत से देखते हुए उखड़ती हुई साँसों से कहा- “धन्नो... तुम इतनी रात को यहां क्या कर रही हो?"
मैंने मुश्कुराते हुए कहा- “तुम मेरी फिकर छोड़ो, तुम क्या कर रही थी?”
करुणा ने अपना सिर नीचे झुका लिया और उसका चेहरा शर्म के मारे लाल हो गया।
मैंने अपने हाथों से करुणा के चहरे को पकड़कर ऊपर उठाया और मुश्कुराते हुए करुणा से कहा- “तुम शर्माती क्यों हो, तुम्हारी उमर में तो हर लड़की ऐसे अपने आपको शांत करती है...” ।
मैंने करुणा का नाइटगाउन उतारकर बेड पर फेंक दिया। करुणा शर्म के मारे अपने एक हाथ से अपनी चूत और दूसरे से अपनी चूचियां छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी। मैंने अपने कपड़े उतारे और बिल्कुल नंगी होकर करुणा के सामने खड़ी हो गई और करुणा को बेड पर धक्का देकर गिरा दिया।
मैं भी बेड पर उसके साथ लेट गई, और उसे कहने लगी- “तुम मुझसे क्या छुपा रही हो, जो तुम्हारे पास है वो मेरे पास भी है...”
करुणा मेरी बात सुनकर मेरी गोल-गोल और बड़ी-बड़ी चूचियों को गौर से देखने लगी। मैंने करुणा को अपनी तरफ घूरता हुआ देखकर उसके हाथों को पकड़कर अपनी चूचियों पर रख दिया। करुणा का पूरा जिश्म कांप रहा था, और उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थी। करुणा की साँसों के साथ उसकी छोटी-छोटी चूचियां भी ऊपर-नीचे हो रही थीं। मैंने अपने हाथ बढ़ाकर उसकी दोनों चूचियों को पकड़ लिया। उसकी चूचियां इतनी नरम थी की मेरे हाथों में जैसे कोई फोम का टुकड़ा आ गया हो।