17-01-2019, 08:08 PM
मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे ओह्ह... आह्ह्ह... निकल रहा था और अचानक मेरा पूरा शरीर काँपने लगा और मेरी चूत से पानी की नदियां बहने लगी। मैंने मजे से अपनी आँखें बंद कर ली। मोहित ने मुझ जोर से चोदते हुए अपनी पूरी उंगली मेरी गाण्ड में घुसा दी और तेजी से अंदर-बाहर करने लगा।
मेरे मुँह से ‘ओईई... आअह्ह्ह...' निकला और मैं फिर से अपने झड़ने का मजा लेने लगी। कुछ देर झड़ने के बाद मुझे होश आया, तो मोहित अभी तक वैसे ही धक्के लगा रहा था। मोहित ने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाला, तो उसका लण्ड च की आवाज के साथ मेरी चूत से निकल गया।
मोहित ने मुझसे कहा- “धन्नो उल्टा हो जाओ मैं तुम्हें पीछे से चोदता हूँ..”
मैं उल्टा कुतिया की तरह हो गई। मोहित उल्टा होते ही मेरे चूतड़ों को अपने हाथों से मसलने लगा और अपनी जीभ निकालकर मेरी गीली चूत पे फिराने लगा। मोहित की इस हरकत से मैं फिर से गरम होने लगी। मोहित अपनी जीभ से मेरी चूत का पानी चाटते हुए अपनी एक उंगली से मेरी गाण्ड को कुरेदने लगा। मोहित की उंगली अपनी गाण्ड पर महसूस करते ही मेरे मुँह से 'इस्स्स्स ’ निकल गया। मोहित अपनी उंगली मेरी गाण्ड में डालकर जोर से अंदर-बाहर करने लगा और अपनी जीभ मेरी चूत पे फिराते हुए गाण्ड के सुराख तक ले जाने लगा।
मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो रही थी। मैं जानती थी के आज मोहित मेरी गाण्ड को फाड़कर ही दम लेगा। मेरे पूरे शरीर में उत्तेजना और डर की लहर दौड़ रही थी। मोहित ने अचानक मेरी गाण्ड से अपनी उंगली निकालकर उसमें जीभ फिराने लगा। मेरे मुँह से मजे के मारे ‘आअह्ह्ह' निकल गई। मेरी गाण्ड बहुत ज्यादा टाइट होने की वजह से मोहित की जीभ मेरी गाण्ड में अंदर नहीं जा रही थी। मोहित ने अपनी दो उंगलियों को मेरी चूत में डाल दिया और आगे-पीछे करते हुए बाहर निकाला। उसकी उंगलियां मेरे चूत के पानी से भीग चुकी थीं। मोहित ने मेरी गाण्ड को अपनी जीभ से गीला किया और अपनी दोनों उंगलियां मेरी गाण्ड में डालने लगा।
उसकी उंगलियां अभी एक इंच ही मेरी गाण्ड में घुसी थी की मेरे मुँह से दर्द के मारे- “ओह्ह... मर गई...” की चीख निकल गई।
मोहित मेरी चीख सुनकर अपनी उंगलियों को और अंदर ना करते हुए आगे-पीछे करने लगा। थोड़ी देर के बाद मोहित ने अपनी उंगलियों को जोर से अंदर-बाहर करते हुए उन्हें पूरा मेरी गाण्ड में घुसेड़ दिया।
मेरी गाण्ड में बहुत जोर का दर्द हुआ और मेरे मुँह से- “ओईइ... मैं मर गई..” निकल गया।
मोहित ने अपनी उंगलियां मेरी गाण्ड में डाले हुए ही पूछा- “कोई वैसेलीन है तुम्हारे पास?”
मैंने अपनी उंगली से ड्रेसिंग टेबल की तरफ इशारा किया। मोहित ने अपनी उंगलियां मेरी गाण्ड से निकाली और बेड से उठकर ड्रेसिंग टेबल से वैसेलीन लेकर आ गया। मोहित अपनी उंगली से वैसेलीन निकालकर मेरी गाण्ड में डालने लगा। वैसेलीन की चिकनाहट से मोहित की एक उंगली बड़े आराम से अंदर-बाहर होने लगी। मोहित ने अपनी दूसरी उंगली भी मेरी गाण्ड में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगा। उसकी दो उंगलियां बड़े आराम से मेरी गाण्ड में अंदर-बाहर हो रही थी।
मोहित ने अब अपनी दोनों उंगलियां मेरी गाण्ड से निकाली और उन्हें वैसेलीन से बहुत ज्यादा चिकना करते हुए मेरी गाण्ड में डाल दिया और उन्हें मेरी गाण्ड में दाएं बाएं करते हुए मेरी पूरी गाण्ड को चिकना कर दिया। मोहित ने अब वैसेलीन से अपने पूरे लण्ड को चिकना कर दिया और थोड़ी वैसेलीन निकालकर अपने लण्ड के सुपाड़े और मेरी गाण्ड के ऊपर लगा दी।
मोहित ने मुझसे कहा- “थोड़ा दर्द होगा, बर्दाश्त कर लेना...” और अपने लण्ड का टोपा मेरी गाण्ड के छोटे से छेद पर रख दिया।
मेरा सारा शरीर अंजाने मजे और डर से काँपने लगा। मोहित ने मेरे चूतड़ों को अपने मजबूत हाथों से कसकर पकड़ लिया और एक जोर का धक्का मारा, और मोहित के लण्ड का मोटा सुपाड़ा मेरी नाजुक गाण्ड को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया।
मेरे मुँह से एक जोर की चीख निकली- “ओईई... माँ मर गई, आहहह... बहुत दर्द हो रहा है, मोहित प्लीज... निकालो...” उस वक़्त मुझे ऐसा महसूस हो रहा था की जैसे मेरी गाण्ड में किसी ने मिर्ची डाल दी हो।