17-01-2019, 08:05 PM
मोहित थर-थर काँप रहा था। मेरी बात सुनकर वो कुछ नार्मल हुआ। मैं उसके कंधे को चूमते हुए उसके होंठों तक आ गई। मेरे गुलाबी होंठों को मोहित अपने होंठों पर महसूस करते ही मुझसे जोर से लिपट गया और मुझे बेतहाशा चूमने लगा। मैं भी मोहित की पीठ को सहलाते हुए उसके होंठ चूसने लगी, शावर के नीचे होने की। वजह से मैं पूरा भीग चुकी थी। मोहित मेरे होंठों को चूसता हुआ नीचे बढ़ने लगा और मेरी गीली ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूचियों को चूसने लगा।
मैंने अपना हाथ पीछे लेजाकर अपनी ब्रा को खोल दिया। मोहित ने मेरी ब्रा को मेरे जिश्म से अलग करते हुए मेरी गोरी-गोरी चूचियों को खा जाने वाली नजरों से देखने लगा। शावर से पानी निकलकर मेरी चूचियों से होता हुआ नीचे गिर रहा था। मोहित ने अपनी मुँह खोलकर मेरी एक चूची को अपने मुँह में भर लिया और उसपे गिरते हुए पानी को चूसने लगा।
मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे आह्ह्ह... निकल गई।
मोहित कुछ देर तक मेरी चूचियों को चूसने के बाद नीचे होता हुआ मेरे को चूमते हुए मेरी चूत की तरफ जाने लगा। मेरे सारे शरीर में सिहरन दौड़ने लगी, मोहित ने और नीचे होते हुए अपना मुँह मेरी कच्छी पर रखकर उसका पानी चूसने लगा। मैंने मजे से अपनी आँखें बंद कर ली। मोहित ने अपने हाथ से मेरी कच्छी को पकड़कर नीचे कर दिया और मेरी गुलाबी चूत को बड़े गौर से देखने लगा।
मैंने अपनी कच्छी को टाँगों से निकल दिया और मोहित के सिर में हाथ डालकर अपनी चूत पर दबा दिया। मोहित ने मेरी चूत की महक सँघते हुए मेरी चूत के दाने को अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगा। मोहित का मुँह मेरी चूत पर पाते ही मेरी साँसें बहुत तेजी के साथ ऊपर-नीचे होने लगी। मोहित मेरी चूत के दाने को छोड़कर नीचे जाने लगा। मोहित मेरी चूत की पतली दीवार पर अपना मुँह रखकर चूमने और अपने दोनों हाथों से मेरी चूत के होंठ खोलकर नाक से अपनी साँसें पीछे खींचते हुए मेरी चूत की गंध का आनंद लेने
लगा।
मोहित जैसे ही अपनी साँसें पीछे खींचता, उसकी गर्म साँसों के खीचाओ से मेरे मुँह से मजे के मारे ओहह... निकल जाती। मोहित अब अपनी जीभ निकालकर मेरी चूत के बीच में फिराने लगा, उसकी गरम जीभ के अहसास से मैं काँपने लगी। मोहित ने अपनी जीभ गोल-गोल घुमाते हुए मेरी चूत में डाल दी। मैं यह सब बर्दाश्त नहीं कर सकी और मजे से अपनी आँखें बंद करते हुए आह्ह्ह... करते हुए झड़ने लगी। मोहित मेरी चूत से निकलता हुआ एक-एक कतरा चूसने लगा।
मैंने अपना हाथ पीछे लेजाकर अपनी ब्रा को खोल दिया। मोहित ने मेरी ब्रा को मेरे जिश्म से अलग करते हुए मेरी गोरी-गोरी चूचियों को खा जाने वाली नजरों से देखने लगा। शावर से पानी निकलकर मेरी चूचियों से होता हुआ नीचे गिर रहा था। मोहित ने अपनी मुँह खोलकर मेरी एक चूची को अपने मुँह में भर लिया और उसपे गिरते हुए पानी को चूसने लगा।
मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे आह्ह्ह... निकल गई।
मोहित कुछ देर तक मेरी चूचियों को चूसने के बाद नीचे होता हुआ मेरे को चूमते हुए मेरी चूत की तरफ जाने लगा। मेरे सारे शरीर में सिहरन दौड़ने लगी, मोहित ने और नीचे होते हुए अपना मुँह मेरी कच्छी पर रखकर उसका पानी चूसने लगा। मैंने मजे से अपनी आँखें बंद कर ली। मोहित ने अपने हाथ से मेरी कच्छी को पकड़कर नीचे कर दिया और मेरी गुलाबी चूत को बड़े गौर से देखने लगा।
मैंने अपनी कच्छी को टाँगों से निकल दिया और मोहित के सिर में हाथ डालकर अपनी चूत पर दबा दिया। मोहित ने मेरी चूत की महक सँघते हुए मेरी चूत के दाने को अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगा। मोहित का मुँह मेरी चूत पर पाते ही मेरी साँसें बहुत तेजी के साथ ऊपर-नीचे होने लगी। मोहित मेरी चूत के दाने को छोड़कर नीचे जाने लगा। मोहित मेरी चूत की पतली दीवार पर अपना मुँह रखकर चूमने और अपने दोनों हाथों से मेरी चूत के होंठ खोलकर नाक से अपनी साँसें पीछे खींचते हुए मेरी चूत की गंध का आनंद लेने
लगा।
मोहित जैसे ही अपनी साँसें पीछे खींचता, उसकी गर्म साँसों के खीचाओ से मेरे मुँह से मजे के मारे ओहह... निकल जाती। मोहित अब अपनी जीभ निकालकर मेरी चूत के बीच में फिराने लगा, उसकी गरम जीभ के अहसास से मैं काँपने लगी। मोहित ने अपनी जीभ गोल-गोल घुमाते हुए मेरी चूत में डाल दी। मैं यह सब बर्दाश्त नहीं कर सकी और मजे से अपनी आँखें बंद करते हुए आह्ह्ह... करते हुए झड़ने लगी। मोहित मेरी चूत से निकलता हुआ एक-एक कतरा चूसने लगा।