17-01-2019, 07:56 PM
मोहित ने मेरी जीभ को चाटते हुए अपने हाथ से मेरी ब्रा को खींचकर बेड पर उछाल दिया। मेरी नंगी चूचियां जैसे ही मोहित के सीने से टकराईं हम दोनों के जिस्मों में उत्तेजना की लहर दौड़ गई। मोहित ने मेरे होंठों को छोड़कर मेरी छातियों को अपने हाथों में भरते हुए अपने मुँह की तरफ ले जाने लगा। मैंने मोहित के हाथ अपने हाथों में डालते हुए उसके हाथ बेड पर फैला दिए।
मैं जैसे ही अपनी चूचियों को मोहित के मुँह के पास ले गई, वो किसी भूखे शेर की तरह अपना मुँह खोलकर मेरी चूचियों पर लपका, तो मैंने अपनी चूचियों को ऊपर उठा लिया। मोहित मेरी तरफ भूखी नजरों से देखने लगा। मुझे मोहित पर तरस आ गया और मैंने उसके हाथों को आजाद कर दिया। मोहित अपने हाथ आजाद होते ही मेरी कमर को पकड़कर अपने ऊपर झुका लिया और मेरी चूचियों को एक-एक करके चूसने और चाटने लगा।
मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे ‘आअह्ह... ऊह्ह... निकलने लगा। मैं रोहन के मुँह से अपनी चूचियां निकालकर नीच होते हुए अपनी चूचियों को उसके पेट पर रगड़ने लगी। मैंने मोहित के पैंट की बेल्ट खोलकर उसे नीचे सरका दिया। मोहित की चड्ढी का उभार देखकर मेरी साँसे ऊपर-नीचे होने लगी। मैं अपनी चूचियों को नीचे ले जाते हुए मोहित की चड्ढी के उभर पर रगड़ने लगी।
मोहित के मुँह से सिसकी निकल गई।
अचानक दरवाजा खटकने की आवाज आई।
मोहित बौखलाकर मुझे अपने ऊपर से उठाते हुए अपने कपड़े पहनने लगा। मोहित जल्दी से कपड़े पहनकर दरवाजे की तरफ बढ़ा। मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। मैं अपने कपड़े उठाकर बाथरूम में घुस गई। मोहित ने जैसे ही दरवाजा खोला सामने करुणा खड़ी थी।
करुणा ने अंदर दाखिल होते हुए मोहित से पूछा- “दरवाजा क्यों बंद किया था...”
मैं तब तक अपने कपड़े पहनकर बाहर आ चुकी थी। मैंने बात को संभालते हुए कहा- “मैंने गलती से दरवाजा लाक किया था..."
करुणा ने मुझे देखते ही हैरान होते हुए पूछा- “धन्नो तुम उधर क्या कर रही थी?”
मैंने मुश्कुराते हुए कहा- “मैं मोहित से बातें कर रही थी, तभी मेरी आँख में कुछ घुस गया तो मैं बाथरूम में अपना मुँह धोने गई थी...”
करुणा मेरी बात सुनकर चुप हो गई और हमारे साथ बैठकर बातें करने लगी। मैं कुछ देर उनसे बातें करने के बाद वहाँ से उठकर बाहर आई।
आँटी ने मुझे देखते ही अपने कमरे में बुलाया। मैं आँटी के कमरे में चली गई। आँटी ने मुझसे कहा- “धन्नो मोहित के आने की वजह से हम आज रात कोई रिस्क नहीं लेंगे, वैसे भी मैं बहुत थकी हुई हैं। इसलिये मैं आराम करना चाहती हूँ.”
मैंने आँटी की बात गौर से सुनने के बाद उससे कहा- “आँटी, मैं पढ़ाई करने के बाद सो जाऊँगी...”
आँटी ने मेरे गाल की चुटकी काटते हुए कहा- “धन्नो, तुम बहुत समझदार हो गई हो...”
मैं आँटी के कमरे से निकलकर बिंदिया के कमरे में चली गई। बिंदिया फोन पर किसी से बात कर रही थी। बिंदिया कह रही थी- “नहीं, शादी से पहले कुछ नहीं कर सकती...”
मैं समझ गई की वो रोहन से बात कर रही है।
बिंदिया ने कुछ देर बाद फिर से कहा- “आज रात नहीं प्लीज... ऐसा मत करो, मेरी बात तो सुनो..." और फोन कट गया। बिंदिया ने मायूस होते हए फोन को रख दिया।
बिंदिया के फोन रखते ही मैं अंदर दाखिल हुई और जाकर बेड पर बैठ गई। कुछ देर के बाद बिंदिया ने मुझसे कहा- “धन्नो अच्छा हुआ की तुम आ गई मैं तुमसे बात करना चाहती हूँ..”
मैंने कहा- “बोल बिंदिया क्या बात है?”
मैं जैसे ही अपनी चूचियों को मोहित के मुँह के पास ले गई, वो किसी भूखे शेर की तरह अपना मुँह खोलकर मेरी चूचियों पर लपका, तो मैंने अपनी चूचियों को ऊपर उठा लिया। मोहित मेरी तरफ भूखी नजरों से देखने लगा। मुझे मोहित पर तरस आ गया और मैंने उसके हाथों को आजाद कर दिया। मोहित अपने हाथ आजाद होते ही मेरी कमर को पकड़कर अपने ऊपर झुका लिया और मेरी चूचियों को एक-एक करके चूसने और चाटने लगा।
मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे ‘आअह्ह... ऊह्ह... निकलने लगा। मैं रोहन के मुँह से अपनी चूचियां निकालकर नीच होते हुए अपनी चूचियों को उसके पेट पर रगड़ने लगी। मैंने मोहित के पैंट की बेल्ट खोलकर उसे नीचे सरका दिया। मोहित की चड्ढी का उभार देखकर मेरी साँसे ऊपर-नीचे होने लगी। मैं अपनी चूचियों को नीचे ले जाते हुए मोहित की चड्ढी के उभर पर रगड़ने लगी।
मोहित के मुँह से सिसकी निकल गई।
अचानक दरवाजा खटकने की आवाज आई।
मोहित बौखलाकर मुझे अपने ऊपर से उठाते हुए अपने कपड़े पहनने लगा। मोहित जल्दी से कपड़े पहनकर दरवाजे की तरफ बढ़ा। मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। मैं अपने कपड़े उठाकर बाथरूम में घुस गई। मोहित ने जैसे ही दरवाजा खोला सामने करुणा खड़ी थी।
करुणा ने अंदर दाखिल होते हुए मोहित से पूछा- “दरवाजा क्यों बंद किया था...”
मैं तब तक अपने कपड़े पहनकर बाहर आ चुकी थी। मैंने बात को संभालते हुए कहा- “मैंने गलती से दरवाजा लाक किया था..."
करुणा ने मुझे देखते ही हैरान होते हुए पूछा- “धन्नो तुम उधर क्या कर रही थी?”
मैंने मुश्कुराते हुए कहा- “मैं मोहित से बातें कर रही थी, तभी मेरी आँख में कुछ घुस गया तो मैं बाथरूम में अपना मुँह धोने गई थी...”
करुणा मेरी बात सुनकर चुप हो गई और हमारे साथ बैठकर बातें करने लगी। मैं कुछ देर उनसे बातें करने के बाद वहाँ से उठकर बाहर आई।
आँटी ने मुझे देखते ही अपने कमरे में बुलाया। मैं आँटी के कमरे में चली गई। आँटी ने मुझसे कहा- “धन्नो मोहित के आने की वजह से हम आज रात कोई रिस्क नहीं लेंगे, वैसे भी मैं बहुत थकी हुई हैं। इसलिये मैं आराम करना चाहती हूँ.”
मैंने आँटी की बात गौर से सुनने के बाद उससे कहा- “आँटी, मैं पढ़ाई करने के बाद सो जाऊँगी...”
आँटी ने मेरे गाल की चुटकी काटते हुए कहा- “धन्नो, तुम बहुत समझदार हो गई हो...”
मैं आँटी के कमरे से निकलकर बिंदिया के कमरे में चली गई। बिंदिया फोन पर किसी से बात कर रही थी। बिंदिया कह रही थी- “नहीं, शादी से पहले कुछ नहीं कर सकती...”
मैं समझ गई की वो रोहन से बात कर रही है।
बिंदिया ने कुछ देर बाद फिर से कहा- “आज रात नहीं प्लीज... ऐसा मत करो, मेरी बात तो सुनो..." और फोन कट गया। बिंदिया ने मायूस होते हए फोन को रख दिया।
बिंदिया के फोन रखते ही मैं अंदर दाखिल हुई और जाकर बेड पर बैठ गई। कुछ देर के बाद बिंदिया ने मुझसे कहा- “धन्नो अच्छा हुआ की तुम आ गई मैं तुमसे बात करना चाहती हूँ..”
मैंने कहा- “बोल बिंदिया क्या बात है?”