17-01-2019, 07:54 PM
मैंने अपना आइडिया नाकाम होते हुए देखकर मोहित से कहा- “मुझे टांग में बहुत दर्द है, तुम्हारे पास कोई दर्द का मरहम है?"
मोहित ने जल्दी से अलमारी में से एक ट्यूब निकाली और मेरी तरफ बढ़ा दी।
मैंने फिर से नाटक करते हुए कहा- “मेरा हाथ वहाँ तक नहीं पहुँचेगा आप ही लगा दीजिये...”
मोहित ने कहा- “कहाँ पर लगानी है?”
मैं उल्टा होकर लेट गई और मोहित को अपने चूतड़ों के नीचे इशारा करते हुए वहाँ पर लगाने को कहा।
मोहित मेरे भारी चूतड़ देखकर पहले से ही उत्तेजित हो चुका था। उसने अपनी थूक गटकते हुए कहा- “वहां पर तो आपकी स्कर्ट है..."
मैंने कहा- प्लीज... उसे ऊपर करके लगाओ, मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
मोहित मेरी बात सुनकर बेड पर आकर बैठ गया और मुझसे पूछने लगा- “कहाँ पर क्रीम लगानी है?”
मैंने अपनी गाण्ड से थोड़ा नीचे इशारा करते हुए कहा- “यहाँ पर लगाओ बहुत दर्द हो रहा है."
मोहित ने मेरी स्कर्ट को थोड़ा ऊपर किया और अपनी उंगलियों पे क्रीम को लगाकर मेरे घुटनों के थोड़ा ऊपर लगाने लगा।
मोहित का ठोस हाथ अपने जिश्म पर पाते ही मेरे सारे जिश्म में अजीब किस्म की गुदगुदी होने लगी। मैंने मजे से अपनी आँखें बंद कर ली और मोहित से बोली- “थोड़ा और ऊपर लगाओ बहुत दर्द हो रहा है...”
मोहित अपना हाथ और ऊपर बढ़ाते हुए मेरी मालिश करने लगा। मोहित का हाथ मालिश करते हुए कभी-कभी मेरी गाण्ड से टकरा रहा था। मोहित का पूरा शरीर पशीने में भीग चुका था और उसका हाथ मालिश करते हुए काँप रहा था। मैं मजे से अपनी आँखें बंद किए ही मालिश का मजा लेने लगी।
मेरे दिमाग में अचानक एक आइडिया आया। मैंने मोहित से कहा- “ठहरो मैं सीधी होती हैं, मुझे आगे से भी दर्द हो रहा है...”
मोहित ने अपना हाथ हटा लिया और मैं सीधी होकर लेट गई। मोहित ने स्कर्ट को फिर से ऊपर किया और क्रीम से मालिश करने लगा।
मैं फिर से मदहोश होने लगी और मैंने अपनी टाँगों को थोड़ा सा फैलाते हुए मोहित से कहा- “थोड़ा और ऊपर मालिश करो...”
मोहित ने अपना हाथ और ऊपर कर लिया, उसका हाथ अब मेरी कच्छी के ऊपर से चूत पर टच हो रहा था। मेरे मुँह से तेजी से सिसकियां निकलने लगी- “आह्ह्ह.. ऐसे ही मालिश करो बहुत दर्द हो रहा है...” ।
मोहित भी बहुत गरम हो चुका था। वो अब मालिश करते हुए मेरी पूरी चूत को कच्छी के ऊपर से अपने हाथ से रगड़ रहा था। मेरा सारा बदन अकड़ने लगा और मैंने अपनी टाँगों को पूरी तरह से खोल दिया। मोहित अब मेरी कच्छी के ऊपर से ही मेरी चूत को अपने हाथ से रगड़ रहा था। कुछ देर बाद ही मेरा बदन काँपने लगा और मेरी चूत ने झटके खाते हुए पानी छोड़ दिया। मेरे मुँह से ऊन्ह निकल गया। मेरी चूत के पानी से मेरी कच्छी पूरी गीली हो गई थी और मोहित का हाथ भी मेरे पानी से गीला हो गया था।
मोहित ने जल्दी से अलमारी में से एक ट्यूब निकाली और मेरी तरफ बढ़ा दी।
मैंने फिर से नाटक करते हुए कहा- “मेरा हाथ वहाँ तक नहीं पहुँचेगा आप ही लगा दीजिये...”
मोहित ने कहा- “कहाँ पर लगानी है?”
मैं उल्टा होकर लेट गई और मोहित को अपने चूतड़ों के नीचे इशारा करते हुए वहाँ पर लगाने को कहा।
मोहित मेरे भारी चूतड़ देखकर पहले से ही उत्तेजित हो चुका था। उसने अपनी थूक गटकते हुए कहा- “वहां पर तो आपकी स्कर्ट है..."
मैंने कहा- प्लीज... उसे ऊपर करके लगाओ, मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
मोहित मेरी बात सुनकर बेड पर आकर बैठ गया और मुझसे पूछने लगा- “कहाँ पर क्रीम लगानी है?”
मैंने अपनी गाण्ड से थोड़ा नीचे इशारा करते हुए कहा- “यहाँ पर लगाओ बहुत दर्द हो रहा है."
मोहित ने मेरी स्कर्ट को थोड़ा ऊपर किया और अपनी उंगलियों पे क्रीम को लगाकर मेरे घुटनों के थोड़ा ऊपर लगाने लगा।
मोहित का ठोस हाथ अपने जिश्म पर पाते ही मेरे सारे जिश्म में अजीब किस्म की गुदगुदी होने लगी। मैंने मजे से अपनी आँखें बंद कर ली और मोहित से बोली- “थोड़ा और ऊपर लगाओ बहुत दर्द हो रहा है...”
मोहित अपना हाथ और ऊपर बढ़ाते हुए मेरी मालिश करने लगा। मोहित का हाथ मालिश करते हुए कभी-कभी मेरी गाण्ड से टकरा रहा था। मोहित का पूरा शरीर पशीने में भीग चुका था और उसका हाथ मालिश करते हुए काँप रहा था। मैं मजे से अपनी आँखें बंद किए ही मालिश का मजा लेने लगी।
मेरे दिमाग में अचानक एक आइडिया आया। मैंने मोहित से कहा- “ठहरो मैं सीधी होती हैं, मुझे आगे से भी दर्द हो रहा है...”
मोहित ने अपना हाथ हटा लिया और मैं सीधी होकर लेट गई। मोहित ने स्कर्ट को फिर से ऊपर किया और क्रीम से मालिश करने लगा।
मैं फिर से मदहोश होने लगी और मैंने अपनी टाँगों को थोड़ा सा फैलाते हुए मोहित से कहा- “थोड़ा और ऊपर मालिश करो...”
मोहित ने अपना हाथ और ऊपर कर लिया, उसका हाथ अब मेरी कच्छी के ऊपर से चूत पर टच हो रहा था। मेरे मुँह से तेजी से सिसकियां निकलने लगी- “आह्ह्ह.. ऐसे ही मालिश करो बहुत दर्द हो रहा है...” ।
मोहित भी बहुत गरम हो चुका था। वो अब मालिश करते हुए मेरी पूरी चूत को कच्छी के ऊपर से अपने हाथ से रगड़ रहा था। मेरा सारा बदन अकड़ने लगा और मैंने अपनी टाँगों को पूरी तरह से खोल दिया। मोहित अब मेरी कच्छी के ऊपर से ही मेरी चूत को अपने हाथ से रगड़ रहा था। कुछ देर बाद ही मेरा बदन काँपने लगा और मेरी चूत ने झटके खाते हुए पानी छोड़ दिया। मेरे मुँह से ऊन्ह निकल गया। मेरी चूत के पानी से मेरी कच्छी पूरी गीली हो गई थी और मोहित का हाथ भी मेरे पानी से गीला हो गया था।