17-01-2019, 07:53 PM
मैंने मोहित से कहा- “इतना शर्माते क्यों हो? तुमने तौलिया तो बाँध रखा है...” मैं उस मोके का पूरा मजा लेना चाहती थी। मैं उठकर मोहित के पास गई और अपने हाथ उसके बालों वाले मजबूज सीने पे फिराने लगी।
मोहित मेरे नरम हाथ का स्पर्श अपने नंगे सीने पर पाते ही काँपने लगा और काँपते हुए कहने लगा- “ध-न्नो मुझे गुदगुदी हो रही है..." मोहित अपना हाथ मजबूती से तौलिया पे रखे हुए था।
मैंने उसके सीने से हाथ हटाते हुए कहा- “इतना डरते क्यों हो, मैं तुझे खा थोड़े जाऊँगी...” मैं जानबूझ कर उसके सामने झुकते हुए अपने सैंडल को ठीक करने लगी। इस पोजीशन में मोहित को मेरी आधी चूचियों का दीदार हो गया। मैंने उठते हुए नोट किया की मोहित मेरी चूचियों को घूरकर देख रहा था और उसके तौलिये में उसका लण्ड खड़ा होकर बड़ा उभार बना चुका था।
मैंने मोहित से नजरें मिलाते हुए कहा- “क्या देख रहे हो?”
मोहित फिर से बौखला गया और कोई जवाब नहीं दिया। मैं बेड पर जाकर बैठ गई और मोहित भागकर बाथरूम में चला गया। थोड़ी देर बाद मोहित बाथरूम से कपड़े पहनकर निकला और जाकर सोफे पर बैठ गया। मैं बेड से उठकर उसके साथ जाकर बैठ गई। मैंने आज स्कर्ट और टाप पहनकर रखा था, स्कर्ट मेरी आधी टाँगों को ही ढक रही थी। मैंने मोहित से बातें करते हुए अपनी एक टांग को दूसरी टांग पर रख दिया। मेरी स्कर्ट और ऊपर खींच गई और मेरी गोरी टाँगें और ज्यादा ऊपर तक नंगी हो गई। मोहित चोर निगाहों से मेरी चिकनी टाँगों को देख रहा था।
मेरे दिमाग में एक आइडिया आया और मैंने मोहित से कहा- “मैं तुम्हारा बाथरूम इश्तेमाल कर सकती हैं क्या?”
मोहित मुश्कुराते हुए बोला- “इसमें पूछने वाली क्या बात है?”
मैं बाथरूम में चली गई, वहाँ पर मोहित का एक अंडरवेर पड़ा था जो बहुत बड़ा दिख रहा था। मैंने अंडरवेर को हाथ लगाया। मुझे अपने हाथ पर कुछ चिपचिपा महसूस हुआ। मैंने अंडरवेर को उठा लिया और उसे गौर से
देखने लगी। अंडरवेर पर गोल धब्बे का निशान था, जैसे चाय गिरने से कपड़े पे होता है। मैंने अंडरवेर को अपनी नाक पर रखा, मुझे उसकी गंध से सारे बदन में सिहरन दौड़ने लगी। वो गंध मोहित के वीर्य की थी। मैं इसको अच्छे तरीके से पहचानती थी।
मैं अपनी जीभ निकालकर उस दाग पर फिराने लगी, मुझे अपनी जीभ पर अजीब किस्म का जायका महसूस हो रहा था। मैं कुछ देर तक उसे चाटती रही और फिर बाथरूम से निकलकर दरवाजे तक आ गई। मैं वहाँ पर गिरने का नाटक करते हुए नीचे बैठ गई और रोने लगी।
मेरे रोने की आवाज सुनकर मोहित भागता हुआ मेरे पास पहुँचा। मोहित मुझे रोता हुआ देखकर घबड़ा गया और पूछने लगा- “क्या हुआ धन्नो, तुम रो क्यों रही हो?”
मैंने नाटक करते हुए कहा- “मेरे पैर में मोच आ गई है, मैं उठ नहीं पा रही हूँ...”
मोहित ने कहा- “मैं आँटी को बुलाकर लाता हूँ...”
मैंने दिल ही दिल में सोचा- “यह तो बिल्कुल बुद्धू है...” मैंने मोहित से कहा- “आँटी को क्यों परेशान करते हो, तुम उठाकर बेड पर रख दो, कुछ देर में दर्द कम हो जायगा...”
मोहित ने अपना एक हाथ मेरी कमर में डाला और दूसरा मेरे चूतड़ों के नीचे और मुझे अपनी गोद में उठा लिया। मैं अपने जिश्म पर सख़्त मर्दाना स्पर्श पाकर सिहर गई और अपनी चूचियों को मोहित के सख़्त सीने में दबा दिया।
मेरी नरम चूचियों का अहसास अपने जिश्म पर पाकर मोहित के मुँह से 'आह' निकल गई। मोहित मुझे उठाकर बेड पर लेटाने लगा। मैंने जानबूझ कर उसे पकड़ते हुए अपने ऊपर गिरा दिया। मोहित सीधा मेरे ऊपर बेड पर गिरा और मेरी चूचियां उसके सीने में दब गई, और उसके होंठ मेरे होंठों से आकर टकरा गए। मेरे मुँह से मजे के मारे ‘आह्ह्ह' निकल गई और मैंने अपने होंठ मोहित के होंठों पर रख दिए और उसे चूमने लगी।
मोहित भी बहुत गरम हो चुका था वो भी मेरे गुलाबी होंठों का रस पीने लगा। मोहित कुछ देर तक मेरे होंठों का रस पीने के बाद अचानक होश में आया और मेरे ऊपर से हटकर दूर खड़ा हो गया। मेरे सारे अरमानों पर किसी ने पानी डाल दिया। मोहित मुझे सारी कहने लगा और शर्म से अपना कंधा झुका लिया।
मोहित मेरे नरम हाथ का स्पर्श अपने नंगे सीने पर पाते ही काँपने लगा और काँपते हुए कहने लगा- “ध-न्नो मुझे गुदगुदी हो रही है..." मोहित अपना हाथ मजबूती से तौलिया पे रखे हुए था।
मैंने उसके सीने से हाथ हटाते हुए कहा- “इतना डरते क्यों हो, मैं तुझे खा थोड़े जाऊँगी...” मैं जानबूझ कर उसके सामने झुकते हुए अपने सैंडल को ठीक करने लगी। इस पोजीशन में मोहित को मेरी आधी चूचियों का दीदार हो गया। मैंने उठते हुए नोट किया की मोहित मेरी चूचियों को घूरकर देख रहा था और उसके तौलिये में उसका लण्ड खड़ा होकर बड़ा उभार बना चुका था।
मैंने मोहित से नजरें मिलाते हुए कहा- “क्या देख रहे हो?”
मोहित फिर से बौखला गया और कोई जवाब नहीं दिया। मैं बेड पर जाकर बैठ गई और मोहित भागकर बाथरूम में चला गया। थोड़ी देर बाद मोहित बाथरूम से कपड़े पहनकर निकला और जाकर सोफे पर बैठ गया। मैं बेड से उठकर उसके साथ जाकर बैठ गई। मैंने आज स्कर्ट और टाप पहनकर रखा था, स्कर्ट मेरी आधी टाँगों को ही ढक रही थी। मैंने मोहित से बातें करते हुए अपनी एक टांग को दूसरी टांग पर रख दिया। मेरी स्कर्ट और ऊपर खींच गई और मेरी गोरी टाँगें और ज्यादा ऊपर तक नंगी हो गई। मोहित चोर निगाहों से मेरी चिकनी टाँगों को देख रहा था।
मेरे दिमाग में एक आइडिया आया और मैंने मोहित से कहा- “मैं तुम्हारा बाथरूम इश्तेमाल कर सकती हैं क्या?”
मोहित मुश्कुराते हुए बोला- “इसमें पूछने वाली क्या बात है?”
मैं बाथरूम में चली गई, वहाँ पर मोहित का एक अंडरवेर पड़ा था जो बहुत बड़ा दिख रहा था। मैंने अंडरवेर को हाथ लगाया। मुझे अपने हाथ पर कुछ चिपचिपा महसूस हुआ। मैंने अंडरवेर को उठा लिया और उसे गौर से
देखने लगी। अंडरवेर पर गोल धब्बे का निशान था, जैसे चाय गिरने से कपड़े पे होता है। मैंने अंडरवेर को अपनी नाक पर रखा, मुझे उसकी गंध से सारे बदन में सिहरन दौड़ने लगी। वो गंध मोहित के वीर्य की थी। मैं इसको अच्छे तरीके से पहचानती थी।
मैं अपनी जीभ निकालकर उस दाग पर फिराने लगी, मुझे अपनी जीभ पर अजीब किस्म का जायका महसूस हो रहा था। मैं कुछ देर तक उसे चाटती रही और फिर बाथरूम से निकलकर दरवाजे तक आ गई। मैं वहाँ पर गिरने का नाटक करते हुए नीचे बैठ गई और रोने लगी।
मेरे रोने की आवाज सुनकर मोहित भागता हुआ मेरे पास पहुँचा। मोहित मुझे रोता हुआ देखकर घबड़ा गया और पूछने लगा- “क्या हुआ धन्नो, तुम रो क्यों रही हो?”
मैंने नाटक करते हुए कहा- “मेरे पैर में मोच आ गई है, मैं उठ नहीं पा रही हूँ...”
मोहित ने कहा- “मैं आँटी को बुलाकर लाता हूँ...”
मैंने दिल ही दिल में सोचा- “यह तो बिल्कुल बुद्धू है...” मैंने मोहित से कहा- “आँटी को क्यों परेशान करते हो, तुम उठाकर बेड पर रख दो, कुछ देर में दर्द कम हो जायगा...”
मोहित ने अपना एक हाथ मेरी कमर में डाला और दूसरा मेरे चूतड़ों के नीचे और मुझे अपनी गोद में उठा लिया। मैं अपने जिश्म पर सख़्त मर्दाना स्पर्श पाकर सिहर गई और अपनी चूचियों को मोहित के सख़्त सीने में दबा दिया।
मेरी नरम चूचियों का अहसास अपने जिश्म पर पाकर मोहित के मुँह से 'आह' निकल गई। मोहित मुझे उठाकर बेड पर लेटाने लगा। मैंने जानबूझ कर उसे पकड़ते हुए अपने ऊपर गिरा दिया। मोहित सीधा मेरे ऊपर बेड पर गिरा और मेरी चूचियां उसके सीने में दब गई, और उसके होंठ मेरे होंठों से आकर टकरा गए। मेरे मुँह से मजे के मारे ‘आह्ह्ह' निकल गई और मैंने अपने होंठ मोहित के होंठों पर रख दिए और उसे चूमने लगी।
मोहित भी बहुत गरम हो चुका था वो भी मेरे गुलाबी होंठों का रस पीने लगा। मोहित कुछ देर तक मेरे होंठों का रस पीने के बाद अचानक होश में आया और मेरे ऊपर से हटकर दूर खड़ा हो गया। मेरे सारे अरमानों पर किसी ने पानी डाल दिया। मोहित मुझे सारी कहने लगा और शर्म से अपना कंधा झुका लिया।