19-10-2019, 10:01 AM
(19-10-2019, 08:33 AM)Black Horse Wrote: बस अब वो मुझे छू भी नहीं सकते थे , ललचाते रहो , ...आखिर पूरे हफ्ते भर से मैं तो तड़प रही थी
बहुत नाइंसाफी है कि तड़प तो दोनों रहें थे विरह की आग में, अब तड़पा रहीं हों किनारे पर ले जा कर। कहीं बगावत ना कर दे तड़प कर।
इंतजार कष्ट देता है
मिलेगा , मिलेगा , .... जल्द ही मिलेगा , और मन भर मिलेगा ,
कोमल के यहाँ देर है ,... अंधेर नहीं