17-01-2019, 07:48 PM
अब मैं भी बहुत गर्म हो चुकी थी और खान के लण्ड का टोपा मैंने अपने मुँह में ले लिया था जिसे मैं चूस रही थी। अचानक खान ने आँटी की गाण्ड में से अपनी उंगलियां निकाली और अपना लण्ड मेरे मुँह से निकालकर तीनों उंगलियां मेरे मुँह में डाल दी। मुझे पहले कुछ अजीब सा लगा मगर फिर मुझे उंगलियों में से आँटी के गाण्ड की महक अच्छी लगने लगी, और मैं खान की तीनों उंगलियों को चाटने लगी। खान ने अपनी तीनों उंगलियों को गीला करके फिर से आँटी की गाण्ड में डालकर उसे चिकना करने लगा।
खान ने मुझसे कहा- “अपनी जीभ से मेरे लण्ड को पूरा गीला करो..”
मैंने अपनी जीभ निकालकर खान के लण्ड को टोपे से लेकर जड़ तक गीला कर दिया। खान अपना लण्ड मुझसे दूर करते हुए आँटी की गाण्ड पर रगड़ने लगा। आँटी के मुँह से उत्तेजना के मारे सिसकियां निकल रही थी। खान ने अपने मुँह से थूक निकालकर आँटी की गाण्ड और अपने सुपाड़े को गीला किया। खान ने अपना लण्ड आँटी की गाण्ड के छेद पर रख दिया और एक जोर का धक्का मार दिया।
खान के लण्ड का टोपा बहुत मोटा था वो फिसलकर गाण्ड की जगह ऊपर चला गया। खान ने आँटी से कहाअपनी गाण्ड को थोड़ा सा खोलो, उसे सिकोड़कर मत रखो...”
खान ने फिर से आँटी के दोनों चूतड़ों को पकड़कर एक धक्का लगाया और खान के लण्ड का टोपा आँटी की गाण्ड में फंस गया।
आँटी के मुँह से चीख निकल गई- “ओह्ह... खान तुम्हारा बहुत मोटा है, प्लीज... निकालो मुझे दर्द हो रहा है...”
मैं यह सब देखकर उत्तेजना के मारे बहुत गर्म हो रही थी और अपनी उंगली से अपनी चूत को सहला रही थी।
खान ने आँटी की ना सुनते हुए एक और जोर का धक्का लगाया। खान का लण्ड आँटी की गाण्ड को फाड़ता हुआ आधा अंदर घुस गया। आँटी के मुँह से एक भयानक चीख निकली- “ओईईई माँ... मर गई, मेरी गाण्ड फट गई..." और वो झटपटाने लगी।
खान ने उसे बहुत जोर से पकड़ रखा था, इसीलिए वो ज्यादा हिल नहीं पा रही थी। आँटी की गाण्ड से थोड़ा सा खून भी निकल रहा था, उसके लण्ड ने आँटी की गाण्ड को सच में फाड़ दिया था। कुछ देर बाद खान ने धक्के लगाने शुरू कर दिये। आँटी के मुँह से अब चीखों और सिसकियों की मिली-जुली आवाजें निकल रही थी।
आकाश भी नीचे से धक्के लगाने लगा, कुछ ही देर में आँटी फिर से गर्म हो गई और वो अपने चूतड़ उछालने लगी। आँटी को अपने दोनों छेदों में दोनों लण्डों की रगड़ पागल बना रही थी। वो हाँफते हुए आह्ह.. करते हुए झड़ने लगी। खान ने आँटी को झड़ते हुए देखकर अपने धक्कों की रफ़्तार तेज कर दी और एक जोर का धक्का मारकर पूरा लण्ड आँटी की गाण्ड की जड़ तक घुसा दिया।
आँटी के मुँह से फिर से एक बड़ी चीख निकल गई और वो झटपटाने लगी। खान अब झड़ने के बिल्कुल करीब था, वो आँटी की परवाह ना करते हुए बहुत जोर से अपना लण्ड अंदर-बाहर करने लगा। कुछ ही धक्कों के बाद वो हाँफता हुआ आँटी की गाण्ड में पिचकारियां छोड़ने लगा।
आकाश भी बहुत देर से अपने आपको रोककर रखा हुआ था, वो भी आह्ह्ह... के साथ आँटी की चूत में झड़ने लगा। आँटी अपने दोनों छेदों में वीर्य का अहसास होते ही अपना दर्द भूलकर झड़ने लगी। मैं भी अपनी उंगली की रफ़्तार तेज करते हुए झड़ने लगी। कुछ देर तक हम ऐसे ही निढाल पड़े रहे। कुछ देर बाद हम उठे और अपने कपड़े पहन लिए।
मैंने आँटी से कहा- “बहुत देर हो गई है अब चलना चाहिये...”
आँटी भी बाथरूम में जाकर फ्रेश होकर आ गई। वो थोड़ा लंगड़ा कर चल रही थी। मैं भी फ्रेश होने बाथरूम में चली गई। मेरी चूत में भी बहुत जलन हो रही थी। मैंने अपनी चूत को अच्छे तरीके से साफ किया और बाहरआ गई। आकाश ने हमें कार तक छोड़ दिया और हम कार में घर आ गये। घर आकर हम अपने-अपने कमरे में चले गये। मैं बहुत थकी हुई थी कुछ ही देर में मुझे नींद आ गई।
सुबह मुझे आँटी ने आकर जगाया। आँटी बोली- “बेटा कालेज नहीं जाना है क्या? जल्दी से उठकर फ्रेश हो जाओ...”
मैं उठकर बाथरूम में चली गई। मुझे पूरे शरीर में सुस्ती महसूस हो रही थी। मुझे चूत में अब भी थोड़ा जलन और दर्द महसूस हो रहा था। मैंने अपने कपड़े उतारे और अपनी चूत को देखने लगी। मेरी चूत फूलकर डबल रोटी की तरह दिख रही थी। मेरी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे। मैंने अपने हाथ से उन्हें सहलाया और कमोड पर जाकर बैठ गई। मुझे बहुत जोर की पेशाब लगी थी। मेरी चूत से सीटी की आवाज के साथ पेशाब की धार निकलने लगी।
पेशाब करने के बाद मुझे कुछ अच्छा महसूस हो रहा था। मैंने कमोड से उठकर शावर ओन किया और ठंडे पानी से अपने जिश्म को धोने लगी। मैं साबुन उठाकर सारे जिश्म पर मलने लगी। मैंने अपनी चूत पर भी साबुन लगाया और उसे रगड़-रगड़कर साफ करने लगी। मैंने अपनी चूत में उंगली डालकर उसे अंदर से साफ किया। मेरी चूचियों पे लाल निशान पड़ चुके थे, क्योंकी रात को आकाश और खान ने मेरी चूचियों को बहुत जोर से चूसा और मसला था।
मैं फ्रेश होकर बाहर निकल आई, बिंदिया और करुणा पहले से तैयार होकर नाश्ते की टेबल पर बैठी थी। हम सभी ने मिलकर नाश्ता किया। नाश्ता करने के बाद बिंदिया और मैं कालेज के लिए निकल गये।
कालेज में पहुँचकर मैं अपने क्लास में चली गई। क्लास में दाखिल होते ही कृष्णा ने मुझे देखा और इशारे से मुझे अपने पास बैठने को कहा। मैं कृष्णा के साथ जाकर बैठ गई। मेरे बैठते ही कृष्णा ने मेरी कमर में हाथ डाल दिया और मुझसे हेलो कहा। मैंने मुश्कुराकर कर उसके हेलो का जवाब दिया।
कृष्णा ने अपना हाथ मेरी कमर से सरकाते हुए मेरी गाण्ड तक ले गया और उसे सहलाने लगा। उसके हाथ कि हरकत से मेरी आँखें बंद होने लगी और मुझे अजीब सा नशा चढ़ने लगा। मैं उसकी हरकत से सिहर उठी। मैंने अपने आपको संभाला, मैं जानती थी की क्लास में हमें कोई भी देख सकता है। मैंने अपना हाथ बढ़ाकर कृष्णा के हाथ को पकड़कर दूर झटक दिया।
क्लास खतम होने के बाद हमारा फ्री पीरियड था। मैंने सोचा की अभी फ्री पीरियड है, तो मुझे करुणा के कॉलेज जाकर उस लड़के को देखना चाहिए जो डेली करुणा को तंग करता है।
कृष्णा ने फ्री पीरियड देखकर कहा- “चलो बाहर घूमकर आते हैं...”
मैं समझ गई की कृष्णा मुझे फिर से वहीं लेजाकर चोदना चाहता है। मैं आकाश और खान के बड़े लण्डों से चुदवाकर बहुत खुश थी। इसीलिए मैंने कृष्णा को टालते हुए कहा- “आज नहीं, मेरी तबीयत खराब है...”
कृष्णा ने मुझे गौर से देखते हुए कहा- “चलो ठीक है। अगर तुम्हारा मूड नहीं है तो मैं करिश्मा के साथ घूमने चला जाता हूँ..”
कृष्णा के जाते ही मैंने सुख का साँस लिया। मैं क्लास से बाहर निकली ही थी के मेरी नजर रोहन पर पड़ी। रोहन अपनी बाइक निकाल रहा था।
खान ने मुझसे कहा- “अपनी जीभ से मेरे लण्ड को पूरा गीला करो..”
मैंने अपनी जीभ निकालकर खान के लण्ड को टोपे से लेकर जड़ तक गीला कर दिया। खान अपना लण्ड मुझसे दूर करते हुए आँटी की गाण्ड पर रगड़ने लगा। आँटी के मुँह से उत्तेजना के मारे सिसकियां निकल रही थी। खान ने अपने मुँह से थूक निकालकर आँटी की गाण्ड और अपने सुपाड़े को गीला किया। खान ने अपना लण्ड आँटी की गाण्ड के छेद पर रख दिया और एक जोर का धक्का मार दिया।
खान के लण्ड का टोपा बहुत मोटा था वो फिसलकर गाण्ड की जगह ऊपर चला गया। खान ने आँटी से कहाअपनी गाण्ड को थोड़ा सा खोलो, उसे सिकोड़कर मत रखो...”
खान ने फिर से आँटी के दोनों चूतड़ों को पकड़कर एक धक्का लगाया और खान के लण्ड का टोपा आँटी की गाण्ड में फंस गया।
आँटी के मुँह से चीख निकल गई- “ओह्ह... खान तुम्हारा बहुत मोटा है, प्लीज... निकालो मुझे दर्द हो रहा है...”
मैं यह सब देखकर उत्तेजना के मारे बहुत गर्म हो रही थी और अपनी उंगली से अपनी चूत को सहला रही थी।
खान ने आँटी की ना सुनते हुए एक और जोर का धक्का लगाया। खान का लण्ड आँटी की गाण्ड को फाड़ता हुआ आधा अंदर घुस गया। आँटी के मुँह से एक भयानक चीख निकली- “ओईईई माँ... मर गई, मेरी गाण्ड फट गई..." और वो झटपटाने लगी।
खान ने उसे बहुत जोर से पकड़ रखा था, इसीलिए वो ज्यादा हिल नहीं पा रही थी। आँटी की गाण्ड से थोड़ा सा खून भी निकल रहा था, उसके लण्ड ने आँटी की गाण्ड को सच में फाड़ दिया था। कुछ देर बाद खान ने धक्के लगाने शुरू कर दिये। आँटी के मुँह से अब चीखों और सिसकियों की मिली-जुली आवाजें निकल रही थी।
आकाश भी नीचे से धक्के लगाने लगा, कुछ ही देर में आँटी फिर से गर्म हो गई और वो अपने चूतड़ उछालने लगी। आँटी को अपने दोनों छेदों में दोनों लण्डों की रगड़ पागल बना रही थी। वो हाँफते हुए आह्ह.. करते हुए झड़ने लगी। खान ने आँटी को झड़ते हुए देखकर अपने धक्कों की रफ़्तार तेज कर दी और एक जोर का धक्का मारकर पूरा लण्ड आँटी की गाण्ड की जड़ तक घुसा दिया।
आँटी के मुँह से फिर से एक बड़ी चीख निकल गई और वो झटपटाने लगी। खान अब झड़ने के बिल्कुल करीब था, वो आँटी की परवाह ना करते हुए बहुत जोर से अपना लण्ड अंदर-बाहर करने लगा। कुछ ही धक्कों के बाद वो हाँफता हुआ आँटी की गाण्ड में पिचकारियां छोड़ने लगा।
आकाश भी बहुत देर से अपने आपको रोककर रखा हुआ था, वो भी आह्ह्ह... के साथ आँटी की चूत में झड़ने लगा। आँटी अपने दोनों छेदों में वीर्य का अहसास होते ही अपना दर्द भूलकर झड़ने लगी। मैं भी अपनी उंगली की रफ़्तार तेज करते हुए झड़ने लगी। कुछ देर तक हम ऐसे ही निढाल पड़े रहे। कुछ देर बाद हम उठे और अपने कपड़े पहन लिए।
मैंने आँटी से कहा- “बहुत देर हो गई है अब चलना चाहिये...”
आँटी भी बाथरूम में जाकर फ्रेश होकर आ गई। वो थोड़ा लंगड़ा कर चल रही थी। मैं भी फ्रेश होने बाथरूम में चली गई। मेरी चूत में भी बहुत जलन हो रही थी। मैंने अपनी चूत को अच्छे तरीके से साफ किया और बाहरआ गई। आकाश ने हमें कार तक छोड़ दिया और हम कार में घर आ गये। घर आकर हम अपने-अपने कमरे में चले गये। मैं बहुत थकी हुई थी कुछ ही देर में मुझे नींद आ गई।
सुबह मुझे आँटी ने आकर जगाया। आँटी बोली- “बेटा कालेज नहीं जाना है क्या? जल्दी से उठकर फ्रेश हो जाओ...”
मैं उठकर बाथरूम में चली गई। मुझे पूरे शरीर में सुस्ती महसूस हो रही थी। मुझे चूत में अब भी थोड़ा जलन और दर्द महसूस हो रहा था। मैंने अपने कपड़े उतारे और अपनी चूत को देखने लगी। मेरी चूत फूलकर डबल रोटी की तरह दिख रही थी। मेरी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे। मैंने अपने हाथ से उन्हें सहलाया और कमोड पर जाकर बैठ गई। मुझे बहुत जोर की पेशाब लगी थी। मेरी चूत से सीटी की आवाज के साथ पेशाब की धार निकलने लगी।
पेशाब करने के बाद मुझे कुछ अच्छा महसूस हो रहा था। मैंने कमोड से उठकर शावर ओन किया और ठंडे पानी से अपने जिश्म को धोने लगी। मैं साबुन उठाकर सारे जिश्म पर मलने लगी। मैंने अपनी चूत पर भी साबुन लगाया और उसे रगड़-रगड़कर साफ करने लगी। मैंने अपनी चूत में उंगली डालकर उसे अंदर से साफ किया। मेरी चूचियों पे लाल निशान पड़ चुके थे, क्योंकी रात को आकाश और खान ने मेरी चूचियों को बहुत जोर से चूसा और मसला था।
मैं फ्रेश होकर बाहर निकल आई, बिंदिया और करुणा पहले से तैयार होकर नाश्ते की टेबल पर बैठी थी। हम सभी ने मिलकर नाश्ता किया। नाश्ता करने के बाद बिंदिया और मैं कालेज के लिए निकल गये।
कालेज में पहुँचकर मैं अपने क्लास में चली गई। क्लास में दाखिल होते ही कृष्णा ने मुझे देखा और इशारे से मुझे अपने पास बैठने को कहा। मैं कृष्णा के साथ जाकर बैठ गई। मेरे बैठते ही कृष्णा ने मेरी कमर में हाथ डाल दिया और मुझसे हेलो कहा। मैंने मुश्कुराकर कर उसके हेलो का जवाब दिया।
कृष्णा ने अपना हाथ मेरी कमर से सरकाते हुए मेरी गाण्ड तक ले गया और उसे सहलाने लगा। उसके हाथ कि हरकत से मेरी आँखें बंद होने लगी और मुझे अजीब सा नशा चढ़ने लगा। मैं उसकी हरकत से सिहर उठी। मैंने अपने आपको संभाला, मैं जानती थी की क्लास में हमें कोई भी देख सकता है। मैंने अपना हाथ बढ़ाकर कृष्णा के हाथ को पकड़कर दूर झटक दिया।
क्लास खतम होने के बाद हमारा फ्री पीरियड था। मैंने सोचा की अभी फ्री पीरियड है, तो मुझे करुणा के कॉलेज जाकर उस लड़के को देखना चाहिए जो डेली करुणा को तंग करता है।
कृष्णा ने फ्री पीरियड देखकर कहा- “चलो बाहर घूमकर आते हैं...”
मैं समझ गई की कृष्णा मुझे फिर से वहीं लेजाकर चोदना चाहता है। मैं आकाश और खान के बड़े लण्डों से चुदवाकर बहुत खुश थी। इसीलिए मैंने कृष्णा को टालते हुए कहा- “आज नहीं, मेरी तबीयत खराब है...”
कृष्णा ने मुझे गौर से देखते हुए कहा- “चलो ठीक है। अगर तुम्हारा मूड नहीं है तो मैं करिश्मा के साथ घूमने चला जाता हूँ..”
कृष्णा के जाते ही मैंने सुख का साँस लिया। मैं क्लास से बाहर निकली ही थी के मेरी नजर रोहन पर पड़ी। रोहन अपनी बाइक निकाल रहा था।