17-01-2019, 07:44 PM
आँटी अपनी जीभ निकालकर मेरी चूत पर फेरने लगी। मैं मजे से काँपते हुए आँटी की चूत में अपनी उंगली को डालने लगी। आँटी भी मजा लेते हुए अपनी जीभ को मेरी चूत की पतली दीवारों पे फिराते हुए अंदर डालने लगी। आँटी की जीभ अंदर होते ही मजे और उत्तेजना से मेरी साँसें फूलने लगी। मैं झड़ने के बिल्कुल करीब थी। मैंने अपनी उंगली को बहुत जोर से आँटी की चूत में अंदर-बाहर करते हुए अपनी जीभ उसके दाने पे फिराने लगी। आँटी भी अपने चूतड़ उछलने लगी। मेरी चूत में आँटी की जीभ ने तूफान मचा दिया। मैं उसकी जीभ की गर्माहट को ना सहते हुए झड़ने लगी।
मैंने झड़ते हुए अपने चूतड़ आँटी के मुँह पर जोर से दबा दिए। आँटी की जीभ मेरे और अंदर तक महसूस होने लगी। मैं अपनी दूसरी उंगली भी आँटी की चूत में डालकर जोर-जोर से आगे-पीछे करने लगी। आँटी भी मेरी उंगलियां गीली करते हुए झड़ने लगी। झड़ने के बाद हम दोनों कुछ देर तक ऐसे ही निढाल होकर एक दूसरे के ऊपर पड़े रहे। कुछ देर बाद मैं उठकर अपने कपड़े पहनने लगी।
आँटी ने मुझसे कहा- “धन्नो तुम सच में मुझसे भी ज्यादा गरम हो। मैं शादी से पहले इतनी गर्म नहीं थी, मगर तुम तो मुझसे भी दो कदम आगे हो...” ।
मैं कपड़े पहनकर अपने कमरे में चली गई और रात के बारे में सोचने लगी।
रोहन बिंदिया को एक बड़े तफरीह गाह में ले गया। वहाँ पर बहुत सारे झूले और घूमने के लिए एक बहुत बड़ा पार्क था। रोहन ने अपनी बाइक को बाहर लाक किया और बिंदिया को लेकर अंदर दाखिल हो गया। बिंदिया ने अंदर आते ही रोहन से कहा- “मुझे उस बड़े वाले झूले पे चढ़ना है...”
रोहन ने उस झूले की दो टिकटें ली और बिंदिया के साथ बैठ गया। थोड़ी देर में झूला लोगों से भर गया और चलने लगा। झूला बहुत बड़ा था उसके चलते ही बिंदिया को डर लगने लगा और वो अपना बाजू रोहन के कंधे पर रखते हुए उससे चिपक कर बैठ गई। रोहन की तो जैसे लाटरी निकल आई। उसने बिंदिया को कसकर पकड़ लिया और अपना हाथ उसकी कमर में डाल दिया। बिंदिया की नरम चूचियां रोहन के जिश्म से चिपकी हुई थी। रोहन बड़े मजे से उसकी चूचियों का मजा लेते हुए अपना हाथ उसकी कमर पर फिराने लगा। बिंदिया ने डर के मारे अपनी आँखें बंद कर ली थी।
रोहन ने बिंदिया को कहा- “अगर तुम्हें इतना डर लगता है तो तुम झूले पर क्यों चढ़ी?”
बिंदिया ने अपनी आँखें बंद किए ही कहा- “मुझे क्या पता था यह इतना तेजी के साथ चलता है?”
रोहन ने उसके डर का भरपूर फायदा उठाते हुए उससे कहा- “अगर तुम्हें इतना डर लग रहा है तो मेरी गोद पे आकर बैठो, मैं तुम्हें कसकर पकड़ लेता हूँ...”
बिंदिया डर के मारे जल्दी से आकर रोहन की गोद में बैठ गई। रोहन ने अपने हाथ आगे बढ़ाकर बिंदिया को कसकर पकड़ लिया। बिंदिया के भारी चूतड़ों की गर्मी ने रोहन के लण्ड को जगा दिया और वो उसकी पैंट में ही उछल-कूद मचाने लगा। रोहन ने अपने हाथ ऊपर करते हुए बिंदिया की दोनों बड़ी-बड़ी चूचियों को अपने हाथों में ले लिया। बिंदिया के मुँह से 'आह' निकल गई। रोहन अब उसकी चूचियों को बड़े जोर से सहला रहा था।
बिंदिया को भी मजा आ रहा था इसीलिए वो आँखें बंद किए ही अपनी चूचियां मसलवाती रही और रोहन को रोका नहीं। अचानक झूले की रफ़्तार कम होने लगी। बिंदिया ने जल्दी से अपने आपको संभालते हुए रोहन की गोद से उठकर सीट पर बैठ गई। झूला अब रुक चुका था। दोनों झूले से नीचे उतर गए।
बिंदिया ने सामने आइसक्रीम वाले को देखा और रोहन से कहा- “चलो आइसक्रीम खाते हैं...”
रोहन ने एक आइसक्रीम खरीदी। बिंदिया ने रोहन से कहा- “तुम नहीं खाओगे?”
रोहन ने शरारत से बिंदिया की चूचियों को देखते हुए कहा- “मेरा दिल कुछ और खाने का कर रहा है...”
बिंदिया ने शर्माकर अपना मुँह नीचे कर लिया। रोहन ने आइसक्रीम खरीद कर बिंदिया को दी और बिंदिया को कहा- “चलो सामने पार्क में चलकर बैठते हैं."
पार्क में आकर बैठते हुए बिंदिया आइसक्रीम खाने लगी। वो अपनी जीभ निकालकर आइसक्रीम को चाट रही थी। रोहन ने फिर से बिंदिया को चिढ़ाते हुए कहा- “काश हम आइसक्रीम होते तो आपकी नाजुक जीभ को महसूस करते...”
बिंदिया रोहन की बातें सुनकर गर्म हो रही थी। अचानक बिंदिया ने आइसक्रीम को अपनी जीभ से चाटकर रोहन की तरफ बढ़ा दी। रोहन उससे आइसक्रीम लेकर अपनी जीभ से चाटने लगा और फिर बची हुई को बिंदिया के मुँह के पास ले गया।
मैंने झड़ते हुए अपने चूतड़ आँटी के मुँह पर जोर से दबा दिए। आँटी की जीभ मेरे और अंदर तक महसूस होने लगी। मैं अपनी दूसरी उंगली भी आँटी की चूत में डालकर जोर-जोर से आगे-पीछे करने लगी। आँटी भी मेरी उंगलियां गीली करते हुए झड़ने लगी। झड़ने के बाद हम दोनों कुछ देर तक ऐसे ही निढाल होकर एक दूसरे के ऊपर पड़े रहे। कुछ देर बाद मैं उठकर अपने कपड़े पहनने लगी।
आँटी ने मुझसे कहा- “धन्नो तुम सच में मुझसे भी ज्यादा गरम हो। मैं शादी से पहले इतनी गर्म नहीं थी, मगर तुम तो मुझसे भी दो कदम आगे हो...” ।
मैं कपड़े पहनकर अपने कमरे में चली गई और रात के बारे में सोचने लगी।
रोहन बिंदिया को एक बड़े तफरीह गाह में ले गया। वहाँ पर बहुत सारे झूले और घूमने के लिए एक बहुत बड़ा पार्क था। रोहन ने अपनी बाइक को बाहर लाक किया और बिंदिया को लेकर अंदर दाखिल हो गया। बिंदिया ने अंदर आते ही रोहन से कहा- “मुझे उस बड़े वाले झूले पे चढ़ना है...”
रोहन ने उस झूले की दो टिकटें ली और बिंदिया के साथ बैठ गया। थोड़ी देर में झूला लोगों से भर गया और चलने लगा। झूला बहुत बड़ा था उसके चलते ही बिंदिया को डर लगने लगा और वो अपना बाजू रोहन के कंधे पर रखते हुए उससे चिपक कर बैठ गई। रोहन की तो जैसे लाटरी निकल आई। उसने बिंदिया को कसकर पकड़ लिया और अपना हाथ उसकी कमर में डाल दिया। बिंदिया की नरम चूचियां रोहन के जिश्म से चिपकी हुई थी। रोहन बड़े मजे से उसकी चूचियों का मजा लेते हुए अपना हाथ उसकी कमर पर फिराने लगा। बिंदिया ने डर के मारे अपनी आँखें बंद कर ली थी।
रोहन ने बिंदिया को कहा- “अगर तुम्हें इतना डर लगता है तो तुम झूले पर क्यों चढ़ी?”
बिंदिया ने अपनी आँखें बंद किए ही कहा- “मुझे क्या पता था यह इतना तेजी के साथ चलता है?”
रोहन ने उसके डर का भरपूर फायदा उठाते हुए उससे कहा- “अगर तुम्हें इतना डर लग रहा है तो मेरी गोद पे आकर बैठो, मैं तुम्हें कसकर पकड़ लेता हूँ...”
बिंदिया डर के मारे जल्दी से आकर रोहन की गोद में बैठ गई। रोहन ने अपने हाथ आगे बढ़ाकर बिंदिया को कसकर पकड़ लिया। बिंदिया के भारी चूतड़ों की गर्मी ने रोहन के लण्ड को जगा दिया और वो उसकी पैंट में ही उछल-कूद मचाने लगा। रोहन ने अपने हाथ ऊपर करते हुए बिंदिया की दोनों बड़ी-बड़ी चूचियों को अपने हाथों में ले लिया। बिंदिया के मुँह से 'आह' निकल गई। रोहन अब उसकी चूचियों को बड़े जोर से सहला रहा था।
बिंदिया को भी मजा आ रहा था इसीलिए वो आँखें बंद किए ही अपनी चूचियां मसलवाती रही और रोहन को रोका नहीं। अचानक झूले की रफ़्तार कम होने लगी। बिंदिया ने जल्दी से अपने आपको संभालते हुए रोहन की गोद से उठकर सीट पर बैठ गई। झूला अब रुक चुका था। दोनों झूले से नीचे उतर गए।
बिंदिया ने सामने आइसक्रीम वाले को देखा और रोहन से कहा- “चलो आइसक्रीम खाते हैं...”
रोहन ने एक आइसक्रीम खरीदी। बिंदिया ने रोहन से कहा- “तुम नहीं खाओगे?”
रोहन ने शरारत से बिंदिया की चूचियों को देखते हुए कहा- “मेरा दिल कुछ और खाने का कर रहा है...”
बिंदिया ने शर्माकर अपना मुँह नीचे कर लिया। रोहन ने आइसक्रीम खरीद कर बिंदिया को दी और बिंदिया को कहा- “चलो सामने पार्क में चलकर बैठते हैं."
पार्क में आकर बैठते हुए बिंदिया आइसक्रीम खाने लगी। वो अपनी जीभ निकालकर आइसक्रीम को चाट रही थी। रोहन ने फिर से बिंदिया को चिढ़ाते हुए कहा- “काश हम आइसक्रीम होते तो आपकी नाजुक जीभ को महसूस करते...”
बिंदिया रोहन की बातें सुनकर गर्म हो रही थी। अचानक बिंदिया ने आइसक्रीम को अपनी जीभ से चाटकर रोहन की तरफ बढ़ा दी। रोहन उससे आइसक्रीम लेकर अपनी जीभ से चाटने लगा और फिर बची हुई को बिंदिया के मुँह के पास ले गया।