17-01-2019, 07:42 PM
मैंने जाकर उसे हाय कहा और उनके साथ बैठ गई। बिंदिया आज बहुत बन-ठन के बैठी थी। मैं समझ गई की रोहन ने पहले ही बिंदिया को कह दिया होगा की कल मैं आऊँगा।
सोनाली आँटी रोहन से पूछने लगी- “तुम्हारे परिवार में और कौन-कौन है?”
रोहन ने कहा- “आँटी मैं अपने माँ बाप की एकलौती औलाद हूँ और मेरे पिताजी यहां के मशहूर बिसनेसमैन रवी मल्होत्रा हैं...” फिर रोहन ने बातें करते हुए आँटी से कह दिया- “आँटी मैं बिंदिया से प्यार करता हूँ, बहुत जल्द मैं अपने मम्मी पापा के साथ इसका रिश्ता लेने आऊँगा...”
बिंदिया ने शर्माकर अपना मुँह नीचे कर दिया। मैं रोहन की दिलेरी को देखकर हैरान रह गई।
आँटी ने कहा- “बेटा मुझे कोई एतराज नहीं है। भला एक माँ को अपनी बेटी के लिए और क्या चाहिये? एक अच्छा लड़का और वो सारी खूबियां तुममें है...”
रोहन ने आँटी की बात सुनकर खुश होते हुए कहा- “आँटी आपने मेरी सारी टेंशन दूर कर दी। मैं जल्द से जल्द मम्मी-पापा से बात करके उन्हें बिंदिया के बारे में बता दूंगा...”
आँटी ने कहा- ठीक है। मगर तुम दोनों की शादी तुम्हारे एग्जाम्स के बाद होगी।
रोहन ने कहा- “कोई बात नहीं, वैसे भी एग्जाम नजदीक हैं..” और रोहन ने पूछा- “आँटी, मैं शाम को बिंदिया को घुमाने ले जा सकता हूँ?”
आँटी ने मुश्कुराते हुए कहा- “बिंदिया अब तुम्हारी ही अमानत है, तुम उसे ले जा सकते हो...”
रोहन बोला- “आँटी, मैं अभी चलता हूँ मुझे बहुत सारा काम है, शाम को मैं आऊँगा। बिंदिया तुम तैयार रहना..."
रोहन के जाने के बाद बिंदिया अपने कमरे में चली गई। मैं भी उसके पीछे-पीछे उसके कमरे में आ गई। मैं कमरे में आते ही उसे छेड़ने लगी- “आज रोहन के साथ कहाँ जाने वाली हो... घूमने का प्रोग्राम है या कोई दूसरा प्रोग्राम है?”
बिंदिया ने मुश्कुराते हुए कहा- “बदमाश... वो तो रोहन को पता होगा की मुझे कहाँ घुमाने ले जाता है?”
अचानक आँटी कमरे में दाखिल हुई। सोनाली आँटी ने बिंदिया को देखते हुए कहा- “तुम्हारी पसंद बहुत अच्छी है। रोहन स्मार्ट है और शरीफ घराने का लगता है, मगर फिर भी तुम अपनी शादी पक्की होने तक अपने आपको उसके ज्यादा नजदीक मत लाना...” और आँटी यह कहते हुए कमरे से चली गई।
हम आपस में बातें करने लगे। ऐसे ही वक़्त गुजर गया और शाम हो गई। रोहन अपने बाइक पे बिंदिया को लेने आ चुका था। बिंदिया भी सज संवार के तैयार हो चुकी थी। रोहन आँटी से इजाजत लेते हुए बिंदिया को अपने साथ बाइक पर बिठाकर घुमाने ले गया। बाइक पर बिंदिया रोहन से कुछ दूर बैठी थी। कुछ आगे जाने के बाद रोहन एक बड़े खड्ढे से गाड़ी ले जाने लगा। बिंदिया अचानक अनबलेन्स होने लगी और रोहन की कमर में हाथ डालकर उससे चिपक गई।
बिंदिया के बड़ी-बड़ी चूचियां अपनी पीठ पर महसूस करते ही रोहन के मुँह से 'आह' निकल गई।
बिंदिया ने रोहन की सिसकी सुन ली और उसे डाँटते हुए कहा- “तुम्हें शर्म नहीं आती, अपनी गाड़ी जानबूझ कर खड्ढे से गुजारते हुये, मैं अगर गिर जाती तो?”
रोहन ने कहा- मेरे होते हुए तुम कैसे गिर सकती हो?
सोनाली आँटी रोहन से पूछने लगी- “तुम्हारे परिवार में और कौन-कौन है?”
रोहन ने कहा- “आँटी मैं अपने माँ बाप की एकलौती औलाद हूँ और मेरे पिताजी यहां के मशहूर बिसनेसमैन रवी मल्होत्रा हैं...” फिर रोहन ने बातें करते हुए आँटी से कह दिया- “आँटी मैं बिंदिया से प्यार करता हूँ, बहुत जल्द मैं अपने मम्मी पापा के साथ इसका रिश्ता लेने आऊँगा...”
बिंदिया ने शर्माकर अपना मुँह नीचे कर दिया। मैं रोहन की दिलेरी को देखकर हैरान रह गई।
आँटी ने कहा- “बेटा मुझे कोई एतराज नहीं है। भला एक माँ को अपनी बेटी के लिए और क्या चाहिये? एक अच्छा लड़का और वो सारी खूबियां तुममें है...”
रोहन ने आँटी की बात सुनकर खुश होते हुए कहा- “आँटी आपने मेरी सारी टेंशन दूर कर दी। मैं जल्द से जल्द मम्मी-पापा से बात करके उन्हें बिंदिया के बारे में बता दूंगा...”
आँटी ने कहा- ठीक है। मगर तुम दोनों की शादी तुम्हारे एग्जाम्स के बाद होगी।
रोहन ने कहा- “कोई बात नहीं, वैसे भी एग्जाम नजदीक हैं..” और रोहन ने पूछा- “आँटी, मैं शाम को बिंदिया को घुमाने ले जा सकता हूँ?”
आँटी ने मुश्कुराते हुए कहा- “बिंदिया अब तुम्हारी ही अमानत है, तुम उसे ले जा सकते हो...”
रोहन बोला- “आँटी, मैं अभी चलता हूँ मुझे बहुत सारा काम है, शाम को मैं आऊँगा। बिंदिया तुम तैयार रहना..."
रोहन के जाने के बाद बिंदिया अपने कमरे में चली गई। मैं भी उसके पीछे-पीछे उसके कमरे में आ गई। मैं कमरे में आते ही उसे छेड़ने लगी- “आज रोहन के साथ कहाँ जाने वाली हो... घूमने का प्रोग्राम है या कोई दूसरा प्रोग्राम है?”
बिंदिया ने मुश्कुराते हुए कहा- “बदमाश... वो तो रोहन को पता होगा की मुझे कहाँ घुमाने ले जाता है?”
अचानक आँटी कमरे में दाखिल हुई। सोनाली आँटी ने बिंदिया को देखते हुए कहा- “तुम्हारी पसंद बहुत अच्छी है। रोहन स्मार्ट है और शरीफ घराने का लगता है, मगर फिर भी तुम अपनी शादी पक्की होने तक अपने आपको उसके ज्यादा नजदीक मत लाना...” और आँटी यह कहते हुए कमरे से चली गई।
हम आपस में बातें करने लगे। ऐसे ही वक़्त गुजर गया और शाम हो गई। रोहन अपने बाइक पे बिंदिया को लेने आ चुका था। बिंदिया भी सज संवार के तैयार हो चुकी थी। रोहन आँटी से इजाजत लेते हुए बिंदिया को अपने साथ बाइक पर बिठाकर घुमाने ले गया। बाइक पर बिंदिया रोहन से कुछ दूर बैठी थी। कुछ आगे जाने के बाद रोहन एक बड़े खड्ढे से गाड़ी ले जाने लगा। बिंदिया अचानक अनबलेन्स होने लगी और रोहन की कमर में हाथ डालकर उससे चिपक गई।
बिंदिया के बड़ी-बड़ी चूचियां अपनी पीठ पर महसूस करते ही रोहन के मुँह से 'आह' निकल गई।
बिंदिया ने रोहन की सिसकी सुन ली और उसे डाँटते हुए कहा- “तुम्हें शर्म नहीं आती, अपनी गाड़ी जानबूझ कर खड्ढे से गुजारते हुये, मैं अगर गिर जाती तो?”
रोहन ने कहा- मेरे होते हुए तुम कैसे गिर सकती हो?