16-10-2019, 06:51 PM
update 15 (1)
मैंने ऋतू को गोद में उठाये हुए ही उसे एक खिड़की के साथ वाली दिवार के साथ लगा दिया| ऋतू ने अपने हाथ जो मेरी पीठ के इर्द-गिर्द लपेटे हुए थे वो खोल दिए और सामने ला कर अपने पाजामे का नाडा खोला| मैंने भी अपने पैंट की ज़िप खोली और फनफनाता हुआ लंड बाहर निकाला| ऋतू ने मौका पाते ही अपनी दो उँगलियाँ अपने मुँह में डाली और उन्हें अपने थूक से गीला कर अपनी बुर में डाल दिया| मैंने भी अपने लंड पर थूक लगा के धीरे-धीरे ऋतू की बुर में पेलने लगा| अभी केवल सुपाड़ा ही गया होगा की ऋतू ने खुद को मेरे जिस्म से कस कर दबा लिया, जैसे वो चाहती ही ना हो की मैं अंदर और लंड डालूँ| दर्द से उसके माथे पर शिकन पड़ गई थी, इसलिए मैं ने उसे थोड़ा समय देते हुए उसके होठों को चूसना शुरू कर दिया| जैसे ही मैंने अपनी जीभ ऋतू के मुँह में पिरोई की उसने अपने बदन का दबाव कम किया और मैं ने भी धीरे-धीरे लंड को अंदर पेलना शुरू किया| ऋतू ने मेरी जीभ की चुसाई शुरू कर दी थी और नीचे से मैंने धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया था| पाँच मिनट हुए और ऋतू का फव्वारा छूट गया और उसने मुझे फिर से कस कर खुद से चिपटा लिया| पाँच मिनट तक वो मेरे सीने से चिपकी रही और अपनी उखड़ी साँसों पर काबू करने लगी| मैंने उसके सर को चूमा तो उसने मेरी आँखों में देखा और मुझे मूक अनुमति दी| मैंने धीरे-धीरे लंड को अंदर बहार करना चालू किया और धीरे-धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ाने लगा| ऋतू की बुर अंदर से बहुत गीली थी इसलिए लंड अब फिसलता हुआ अंदर जा रहा था| दस मिनट और फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए| ऋतू ने फिर से मुझे कस कर जकड़ लिया और बुरी तरह हाँफने लगी| उसे देख कर एक पल को तो मैं डर गया की कहीं उसे कुछ हो ना जाये| मैंने उसे अपनी गोद से उतारा और कुर्सी पर बिठाया और उसके लिए पानी ले आया| पानी का एक घूँट पीते ही उसे खाँसी आ गई तो मैंने उसकी पीठ थप-थापाके उस की खाँसी रुक वाई| "क्या हुआ जान? तुम इतना हाँफ क्यों रही हो? कहीं ये आई-पिल का कोई रिएक्शन तो नहीं?" मैंने चिंता जताते हुए पूछा|
"ओह्ह नो! वो तो मैं लेना ही भूल गई!" ऋतू ने अपना सर पीटते हुए कहा|
"पागल है क्या? वो गोली तुझे 72 घंटों में लेनी थी! कहाँ है वो दवाई?" मैंने उसे डाँटते हुए पूछा तो उसने अपने बैग की तरफ इशारा किया| मैंने उसका बैग उसे ला कर दिया और वो उसे खंगाल कर देखने लगी और आखिर उसे गोलियों का पत्ता मिल गया और मैंने उसे पानी दिया पीने को| पर मेरी हालत अब ख़राब थी क्योंकि उसे 72 घंटों से कुछ ज्यादा समय हो चूका था| अगर गर्भ ठहर गया तो??? मैं डर के मारे कमरे में एक कोने पर जमीन पर ही बैठ गया| ऋतू उठी अपने कपडे ठीक किये और मेरे पास आ गई और मेरी बगल में बैठ गई| "कुछ नहीं होगा जानू! आप घबराओ मत!" उसने अपने बाएं हाथ को मेरे कंधे से ले जाते हुए खुद को मुझसे चिपका लिया|
मैंने ऋतू को गोद में उठाये हुए ही उसे एक खिड़की के साथ वाली दिवार के साथ लगा दिया| ऋतू ने अपने हाथ जो मेरी पीठ के इर्द-गिर्द लपेटे हुए थे वो खोल दिए और सामने ला कर अपने पाजामे का नाडा खोला| मैंने भी अपने पैंट की ज़िप खोली और फनफनाता हुआ लंड बाहर निकाला| ऋतू ने मौका पाते ही अपनी दो उँगलियाँ अपने मुँह में डाली और उन्हें अपने थूक से गीला कर अपनी बुर में डाल दिया| मैंने भी अपने लंड पर थूक लगा के धीरे-धीरे ऋतू की बुर में पेलने लगा| अभी केवल सुपाड़ा ही गया होगा की ऋतू ने खुद को मेरे जिस्म से कस कर दबा लिया, जैसे वो चाहती ही ना हो की मैं अंदर और लंड डालूँ| दर्द से उसके माथे पर शिकन पड़ गई थी, इसलिए मैं ने उसे थोड़ा समय देते हुए उसके होठों को चूसना शुरू कर दिया| जैसे ही मैंने अपनी जीभ ऋतू के मुँह में पिरोई की उसने अपने बदन का दबाव कम किया और मैं ने भी धीरे-धीरे लंड को अंदर पेलना शुरू किया| ऋतू ने मेरी जीभ की चुसाई शुरू कर दी थी और नीचे से मैंने धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया था| पाँच मिनट हुए और ऋतू का फव्वारा छूट गया और उसने मुझे फिर से कस कर खुद से चिपटा लिया| पाँच मिनट तक वो मेरे सीने से चिपकी रही और अपनी उखड़ी साँसों पर काबू करने लगी| मैंने उसके सर को चूमा तो उसने मेरी आँखों में देखा और मुझे मूक अनुमति दी| मैंने धीरे-धीरे लंड को अंदर बहार करना चालू किया और धीरे-धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ाने लगा| ऋतू की बुर अंदर से बहुत गीली थी इसलिए लंड अब फिसलता हुआ अंदर जा रहा था| दस मिनट और फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए| ऋतू ने फिर से मुझे कस कर जकड़ लिया और बुरी तरह हाँफने लगी| उसे देख कर एक पल को तो मैं डर गया की कहीं उसे कुछ हो ना जाये| मैंने उसे अपनी गोद से उतारा और कुर्सी पर बिठाया और उसके लिए पानी ले आया| पानी का एक घूँट पीते ही उसे खाँसी आ गई तो मैंने उसकी पीठ थप-थापाके उस की खाँसी रुक वाई| "क्या हुआ जान? तुम इतना हाँफ क्यों रही हो? कहीं ये आई-पिल का कोई रिएक्शन तो नहीं?" मैंने चिंता जताते हुए पूछा|
"ओह्ह नो! वो तो मैं लेना ही भूल गई!" ऋतू ने अपना सर पीटते हुए कहा|
"पागल है क्या? वो गोली तुझे 72 घंटों में लेनी थी! कहाँ है वो दवाई?" मैंने उसे डाँटते हुए पूछा तो उसने अपने बैग की तरफ इशारा किया| मैंने उसका बैग उसे ला कर दिया और वो उसे खंगाल कर देखने लगी और आखिर उसे गोलियों का पत्ता मिल गया और मैंने उसे पानी दिया पीने को| पर मेरी हालत अब ख़राब थी क्योंकि उसे 72 घंटों से कुछ ज्यादा समय हो चूका था| अगर गर्भ ठहर गया तो??? मैं डर के मारे कमरे में एक कोने पर जमीन पर ही बैठ गया| ऋतू उठी अपने कपडे ठीक किये और मेरे पास आ गई और मेरी बगल में बैठ गई| "कुछ नहीं होगा जानू! आप घबराओ मत!" उसने अपने बाएं हाथ को मेरे कंधे से ले जाते हुए खुद को मुझसे चिपका लिया|