16-10-2019, 05:59 PM
तड़पन
लेकिन अब गुलाबो को छिपा के रखना बेईमानी होती न ,
तो बस एक बार फिर उनके ऊपर चढ़ कर , उन्हें दिखाते ,
मैंने ठीक उनके चेहरे के ऊपर थांग न सिर्फ खोल दी ,
बल्कि एक बार उनके चेहरे से रगड़ कर सीधे उनके मूसलचंद के ऊपर फेंक दिया
मेरी गुलाबो उनके होंठों से सिर्फ एक इंच दूर ,... गीली भीगी प्यासी
और वो इतनी ही तड़प रही थी , जितने मेरे बावरे साजन के मूसलचंद ,
उन्होंने अपने होंठ उठाये बस एक किस्सी के लिए , ...
मैंने उन्हें बस जस्ट टच करने दिया और गुलाबो को हटा लिया ,
गुलाबो का दोस्त , खड़ा एकदम तन्नाया बेक़रार
लेकिन बजाय निचले होंठों के अभी ऊपर वाले होंठों का नंबर था ,
मेरे होंठों ने सुपाड़े पर किस किया , उन्हें लगा मैं खोल दूंगी उसे
पर मैंने नहीं खोला ,
मेरे होठ सरक कर उस चर्मदण्ड को लिक करते रहे चाटते रहे ,
फिर उनके मोटे तगड़े लंड के बेस पर मेरी जीभ और
और
और उसके बाद उनकी बॉल्स ,
मेरे होंठों के बीच , हलके हलके मैं चुभला रही थी , चूस रही थी।
मैंने मूसलचंद को ऐसे ही नहीं छोड़ दिया था , मेरी उँगलियाँ उसे सहला रही थीं , छेड़ रही थी , फिर कस के पकड़ कर मैंने मुठियाना शुरू कर दिया।
मुश्किल से तो मेरी मुट्ठी में आ पाता था , इतना मोटा ,... मेरी कलाई से कम नहीं होगा ,
वो कसमसा रहे थे , बेताब हो रहे थे और मैं भी , और अब मुझसे भी नहीं रहा गया ,
मेरे होंठों ने सीधे सुपाड़े का घूंघट खोल दिया
कितना मोटा , लाल , मांसल , मन तो कर रहा था ,
थोड़ी देर तो मैं बस अपनी जीभ की टिप सुपाड़े के पी होल ( पेशाब के छेद ) पर छेड़ती रही , पर मुझसे नहीं रहा गया
और मैंने गप्प कर लिया , एक बार में पूरा सुपाड़ा ,
बड़ा मजा आ रहा था चूसने चुभलाने में
लेकिन एक चीज होती है जलन
मेरे ऊपर वाले होंठ तो रस ले रहे थे और नीचे वाले होंठ , जल रहे थे ,
एक तो पांच दिन वाली छुट्टी के बाद आज ,.. और ऊपर से वो इन्तजार में ,...
इधर उन के नीली पीली फिल्मों के कनेक्शन में मैंने कई फिल्में , ' वोमेन ऑन टॉप ' वाली देखीं ,
विपरीत रति के बारे में भी पढ़ा ( प्रैक्टिस नहीं हो पाए रही थी तो थ्योरी ही सही )
लेकिन आग में घी डाला मेरी जेठानी ने ये बोल कर की हफ्ते में दो तीन बार तो वो जेठ जी के ऊपर ' चढ़ ' ही जाती हैं , खासतौर से अगर वो बहुत थके हों , तो बस लिप्स सर्विस से झंडा खड़ा किया और ऊपर चढ़ कर ,
लेकिन तब तक मेरी सास भी आ गयीं , जाड़े की दुपहर , ... अब वो भी एक बड़ी सहेली की तरह ' इन मामलों ' में खुल कर अपने एक्सपीरियंस और राय शेयर करती थीं
उन्होंने भी इस बात की ताईद की और ये भी बोला की खास कर रात के आखिरी राउंड , तीसरे राउंड में जब मरद थोड़ा थका हो , ,... और फिर उन्होंने तो खुलासा बयान किया ,
तीसरे राउंड की बात जेठानी ने भी कबूली , और मेरे कान में बोलीं सिर्फ मेरा देवर ही हैट ट्रिक नहीं करता , घर की खानदानी परम्परा है ,
मैं शर्मा कर रह गयी , ...
लेकिन मैंने उन्हें ये नहीं बताया की उनका देवर सिर्फ रात में हैट ट्रिक कर के नहीं छोड़ता , सुबह सुबह बिना नागा गुड मॉर्निंग भी करता है.
आज मैंने तय कर लिया था आज मैं ही ऊपर चढूँगी।
आखिर मेरी सास ,जेठानी दोनो तो मैं क्यों नहीं , ...
मैंने 'अच्छी वाली ' फिल्मों में देखा था , फिर शादी के पहले कितनी बार रीतू भाभी ने अरथा अरथा कर बाकी आसनों के साथ इसे भी समझाया था , और अब जाड़े की दुपहरी में जेठानी जी ने एकदम डिटेल में , कैसे वो खुद ,... जेठ जी के ऊपर चढ़ कर ,...
बिचारे उस लड़के का मन बहुत कर रहा था , भूखी तो मेरी गुलाबो भी थी ,
और एक तो उसी दिन सुबह मेरी पांच दिन वाली छुट्टी ख़त्म हुयी थी , बहुत तेज खुजली मच रही थी , ... पर
मैं अब कस कस के चूस रही थी , आधे से भी थोड़ा ज्यादा , ६ इंच से ऊपर मेरे मुंह में था , साथ में मेरी कोमल कोमल उँगलियाँ कभी उनके बॉल्स को तभी कभी पिछवाड़े छेड़ रही थीं ,
और फिर मैं उनके ऊपर चढ़ गयी ,
अब हम दोनों में इतना परफेक्ट कम्युनिकेशन था की बस मेरा इशारा काफी था ,
और थोड़ा सा जो मैंने उनकी ओर आँख तरेर कर देखा , थोड़ा सा मुस्करायी , ... बस इतना काफी था , उन्हें समझने के लिए ,
उन्हें उठना नहीं है , बस पीठ के बल लेटे रहना है , जो करुँगी मैं करुँगी , वो समझ गए , और ऊपर से उनके ऊपर चढ़ने के बाद पहला काम मैंने ये किया की उनके दोनों हाथ उनके सर के नीचे रख कर दबा दिए ,
बस अब वो मुझे छू भी नहीं सकते थे , ललचाते रहो , ...आखिर पूरे हफ्ते भर से मैं तो तड़प रही थी ,
और सबसे ज्यादा जिस चीज के लिए वो ललचाते थे वही चीज, मेरे दोनों जोबन ,..
बेचारा ,
उनके दोनों कंधे पकड़ कर मैं बार बार अपने निप्स उनके लिप्स तक ले जाती थी ,
और जैसे ही वो सर उठाकर उसे छूने की कोशिश करते मैं उसे थोड़ा सा ऊपर , बस मुश्किल से इंच भर दूर ,... और वो और सर ऊपर करने की कोशिश करते ,
कुछ देर तड़पाने के बाद मैंने अपने निप्स नीचे करके उनके लिप्स के पास ,
लेकिन टच जस्ट एक टच , और फिर मैंने ऊपर हटा लिया और उन्हें छेड़ना शुरू कर दिया ,
" हे लोगे , ... "
" हाँ दो न , ... " बहुत तड़प रहा था बेचारा।
" मैं इसकी नहीं उसकी बात कर रही हूँ , "
अपने हाथों से मैं अपने निप्स फ्लिक करती बोली ,
समझ तो वो गए थे लेकिन शरमा रहे थे , ....
' जिसकी छोटी छोटी है , एलवल में रहती है , ... तुम्ही तो कहते थे की उसकी अभी छोटी है , बोल लेगा न ,... "
वो एकदम शरम से बीर बहूटी ,...
लेकिन अब गुलाबो को छिपा के रखना बेईमानी होती न ,
तो बस एक बार फिर उनके ऊपर चढ़ कर , उन्हें दिखाते ,
मैंने ठीक उनके चेहरे के ऊपर थांग न सिर्फ खोल दी ,
बल्कि एक बार उनके चेहरे से रगड़ कर सीधे उनके मूसलचंद के ऊपर फेंक दिया
मेरी गुलाबो उनके होंठों से सिर्फ एक इंच दूर ,... गीली भीगी प्यासी
और वो इतनी ही तड़प रही थी , जितने मेरे बावरे साजन के मूसलचंद ,
उन्होंने अपने होंठ उठाये बस एक किस्सी के लिए , ...
मैंने उन्हें बस जस्ट टच करने दिया और गुलाबो को हटा लिया ,
गुलाबो का दोस्त , खड़ा एकदम तन्नाया बेक़रार
लेकिन बजाय निचले होंठों के अभी ऊपर वाले होंठों का नंबर था ,
मेरे होंठों ने सुपाड़े पर किस किया , उन्हें लगा मैं खोल दूंगी उसे
पर मैंने नहीं खोला ,
मेरे होठ सरक कर उस चर्मदण्ड को लिक करते रहे चाटते रहे ,
फिर उनके मोटे तगड़े लंड के बेस पर मेरी जीभ और
और
और उसके बाद उनकी बॉल्स ,
मेरे होंठों के बीच , हलके हलके मैं चुभला रही थी , चूस रही थी।
मैंने मूसलचंद को ऐसे ही नहीं छोड़ दिया था , मेरी उँगलियाँ उसे सहला रही थीं , छेड़ रही थी , फिर कस के पकड़ कर मैंने मुठियाना शुरू कर दिया।
मुश्किल से तो मेरी मुट्ठी में आ पाता था , इतना मोटा ,... मेरी कलाई से कम नहीं होगा ,
वो कसमसा रहे थे , बेताब हो रहे थे और मैं भी , और अब मुझसे भी नहीं रहा गया ,
मेरे होंठों ने सीधे सुपाड़े का घूंघट खोल दिया
कितना मोटा , लाल , मांसल , मन तो कर रहा था ,
थोड़ी देर तो मैं बस अपनी जीभ की टिप सुपाड़े के पी होल ( पेशाब के छेद ) पर छेड़ती रही , पर मुझसे नहीं रहा गया
और मैंने गप्प कर लिया , एक बार में पूरा सुपाड़ा ,
बड़ा मजा आ रहा था चूसने चुभलाने में
लेकिन एक चीज होती है जलन
मेरे ऊपर वाले होंठ तो रस ले रहे थे और नीचे वाले होंठ , जल रहे थे ,
एक तो पांच दिन वाली छुट्टी के बाद आज ,.. और ऊपर से वो इन्तजार में ,...
इधर उन के नीली पीली फिल्मों के कनेक्शन में मैंने कई फिल्में , ' वोमेन ऑन टॉप ' वाली देखीं ,
विपरीत रति के बारे में भी पढ़ा ( प्रैक्टिस नहीं हो पाए रही थी तो थ्योरी ही सही )
लेकिन आग में घी डाला मेरी जेठानी ने ये बोल कर की हफ्ते में दो तीन बार तो वो जेठ जी के ऊपर ' चढ़ ' ही जाती हैं , खासतौर से अगर वो बहुत थके हों , तो बस लिप्स सर्विस से झंडा खड़ा किया और ऊपर चढ़ कर ,
लेकिन तब तक मेरी सास भी आ गयीं , जाड़े की दुपहर , ... अब वो भी एक बड़ी सहेली की तरह ' इन मामलों ' में खुल कर अपने एक्सपीरियंस और राय शेयर करती थीं
उन्होंने भी इस बात की ताईद की और ये भी बोला की खास कर रात के आखिरी राउंड , तीसरे राउंड में जब मरद थोड़ा थका हो , ,... और फिर उन्होंने तो खुलासा बयान किया ,
तीसरे राउंड की बात जेठानी ने भी कबूली , और मेरे कान में बोलीं सिर्फ मेरा देवर ही हैट ट्रिक नहीं करता , घर की खानदानी परम्परा है ,
मैं शर्मा कर रह गयी , ...
लेकिन मैंने उन्हें ये नहीं बताया की उनका देवर सिर्फ रात में हैट ट्रिक कर के नहीं छोड़ता , सुबह सुबह बिना नागा गुड मॉर्निंग भी करता है.
आज मैंने तय कर लिया था आज मैं ही ऊपर चढूँगी।
आखिर मेरी सास ,जेठानी दोनो तो मैं क्यों नहीं , ...
मैंने 'अच्छी वाली ' फिल्मों में देखा था , फिर शादी के पहले कितनी बार रीतू भाभी ने अरथा अरथा कर बाकी आसनों के साथ इसे भी समझाया था , और अब जाड़े की दुपहरी में जेठानी जी ने एकदम डिटेल में , कैसे वो खुद ,... जेठ जी के ऊपर चढ़ कर ,...
बिचारे उस लड़के का मन बहुत कर रहा था , भूखी तो मेरी गुलाबो भी थी ,
और एक तो उसी दिन सुबह मेरी पांच दिन वाली छुट्टी ख़त्म हुयी थी , बहुत तेज खुजली मच रही थी , ... पर
मैं अब कस कस के चूस रही थी , आधे से भी थोड़ा ज्यादा , ६ इंच से ऊपर मेरे मुंह में था , साथ में मेरी कोमल कोमल उँगलियाँ कभी उनके बॉल्स को तभी कभी पिछवाड़े छेड़ रही थीं ,
और फिर मैं उनके ऊपर चढ़ गयी ,
अब हम दोनों में इतना परफेक्ट कम्युनिकेशन था की बस मेरा इशारा काफी था ,
और थोड़ा सा जो मैंने उनकी ओर आँख तरेर कर देखा , थोड़ा सा मुस्करायी , ... बस इतना काफी था , उन्हें समझने के लिए ,
उन्हें उठना नहीं है , बस पीठ के बल लेटे रहना है , जो करुँगी मैं करुँगी , वो समझ गए , और ऊपर से उनके ऊपर चढ़ने के बाद पहला काम मैंने ये किया की उनके दोनों हाथ उनके सर के नीचे रख कर दबा दिए ,
बस अब वो मुझे छू भी नहीं सकते थे , ललचाते रहो , ...आखिर पूरे हफ्ते भर से मैं तो तड़प रही थी ,
और सबसे ज्यादा जिस चीज के लिए वो ललचाते थे वही चीज, मेरे दोनों जोबन ,..
बेचारा ,
उनके दोनों कंधे पकड़ कर मैं बार बार अपने निप्स उनके लिप्स तक ले जाती थी ,
और जैसे ही वो सर उठाकर उसे छूने की कोशिश करते मैं उसे थोड़ा सा ऊपर , बस मुश्किल से इंच भर दूर ,... और वो और सर ऊपर करने की कोशिश करते ,
कुछ देर तड़पाने के बाद मैंने अपने निप्स नीचे करके उनके लिप्स के पास ,
लेकिन टच जस्ट एक टच , और फिर मैंने ऊपर हटा लिया और उन्हें छेड़ना शुरू कर दिया ,
" हे लोगे , ... "
" हाँ दो न , ... " बहुत तड़प रहा था बेचारा।
" मैं इसकी नहीं उसकी बात कर रही हूँ , "
अपने हाथों से मैं अपने निप्स फ्लिक करती बोली ,
समझ तो वो गए थे लेकिन शरमा रहे थे , ....
' जिसकी छोटी छोटी है , एलवल में रहती है , ... तुम्ही तो कहते थे की उसकी अभी छोटी है , बोल लेगा न ,... "
वो एकदम शरम से बीर बहूटी ,...