14-10-2019, 09:28 PM
update 13
रात के एक बजे थे, खिड़की से आ रही चांदनी की रौशनी कमरे में फैली हुई थीकी तभी ऋतू बाथरूम से आई तो उसने पाया की मेरा लंड एक दम कड़क हो चूका है और छत की तरफ मुँह कर के सीधा खड़ा है और फुँफकार रहा है| दरअसल मैं उस समय कोई सेक्सी सपना देख रहा था जिस कारन लंड मियाँ अकड़ चुके थे| पता नहीं उसे क्या सूजी की वो मेरी टांगों के बीच आ गई और घुटने मोड़ के बैठ गई| मेरे लंड को निहारते हुए वो ऊपर झुकी और धीरे-धीरे अपना मुँह खोले हुए वो नीचे आने लगी| सबसे पहले उसने अपनी जीभ की नोक से मेरे लंड को छुआ और मेरी प्रतिक्रिया जानने के लिए मेरी तरफ देखने लगी| जब मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो उसने अपने मुँह को थोड़ा खोला और आधा सुपाड़ा अपने मुँह में भर के चूसा| ''सससससस''' नींद में ही मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई| उसने धीरे-धीरे पूरा सुपाड़ा अपने मुँह के भीतर ले लिया और रुक गई| "ससस...अह्ह्ह..." अब ऋतू से और नीचे जाय नहीं रहा था तो उसने आधा सूपड़ा ही अपने मुँह के अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया| इधर मैं नींद में था और मेरे सपने में भी ठीक वही हो रहा तह जो असल में ऋतू मेरे साथ कर रही थी| पर ऋतू को अभी ठीक से लंड चूसना नहीं आया था, उसके मुँह में होते हुए भी मेरा लंड अभी तक सूखा था| जबकि उसे तो अभी तक अपने थूक और लार से मेरे लंड को गीला कर देना चाहिए था| पूरे दस मिनट तक वो बेचारी बीएस इसी तरह अपने होठों से मेरे लंड को अपने मुँह में दबाये हुए ऊपर-नीचे करती रही और अंत में जब मेरा गर्म पानी निकला तो मेरी आँख खुली और ऋतू को देख मैं हैरान रह गया| मेरा सारा रस उसके मुँह में भर गया था और वो भागती हुई बाथरूम में गई उसे थूकने| मैं अपनी पीठ सिरहाने से लगा कर बैठ गया और जैसे ही ऋतू बहार आई उसकी नजरें झुक गई| तो जान! ये क्या हो रहा था? आपके साथ तो मैं बिना कपडे के भी नहीं सो सकता?!" मैंने ऋतू को छेड़ते हुए कहा| वो एक दम से शर्मा गई और पलंग पर आ कर मेरे सीने पर सर रख कर बैठ गई| "वो न..... जब मैं उठी तो..... आपका वो...... मुझे देख रहा था!" ऋतू ने शर्माते हुए मेरे लंड की तरफ ऊँगली करते हुए कहा|
मैं: देख रहा था मतलब? इसकी आँख थोड़े ही है?
ऋतू: ही..ही...ही... पता नहीं पर उसे देखते ही मैं .... जैसे मैं अपने आप ही ..... (इसके आगे वो कुछ बोल नहीं पाई और शर्मा के मेरे सीने में छुप गई|)
मैं: चलो अब सो जाओ वरना अभी थोड़ी देर में फिर से आपको देखने लगा|
ये सुनते ही ऋतू के गाल लाल हो गए और हम दोनों फिर से एक दूसरे की बाहों में लेट गए और चैन से सो गए| सुबह मेरी नींद चाय की खुशबु सूंघ कर खुली और मैंने उठ के देखा तो ऋतू किचन में चाय छान रही थी| मैं पीछे से उसके जिस्म से सट कर खड़ा हो गया और अपनी बाँहों को उसके नंगे पेट पर लोच करते हुए उसकी गर्दन पर चूमा| "Good Morning जान!"
"सससस....आज तो वाकई मेरी Morning Good हो गई|" ऋतू ने सिसकते हुए कहा|
ऋतू: काश की रोज आप मुझे ऐसे ही Good Morning करते?
मैं: बस जान.... कुछ दिन और|
ऋतू: कुछ साल ...दिन नहीं|
मैं: ये साल भी इसी तरह प्यार करते हुए निकल जायेंगे|
ऋतू: तभी तो ज़िंदा हूँ|
इतना कह कर ऋतू मेरी तरफ मुड़ी और अपनी दोनों बाहें मेरे गले में डाल दी और अपने पंजों पर खड़ी हो कर मेरे होंठों को चूम लिया| मैंने अपनी दोनों हाथों से उसकी कमर को जकड़ लिया और उसे अपने जिस्म से चिपका लिया|
मैंने घडी देखि तो नौ बज गए थे और मुझे 11 बजे ऋतू को हॉस्टल छोड़ना था तो मैंने उससे नाश्ते के लिए पूछा| ऋतू उस समय बाथरूम में थी और उसने अंदर से ही कहा की वो बनाएगी| जब ऋतू बहार आई तो वो अब भी नंगी ही थी;
मैं: जान अब तो कपडे पहन लो?
ऋतू: क्यों? (हैरानी से)
मैं: हॉस्टल नहीं जाना?
ये सुनते ही ऋतू का चेहरा उतर गया और उसका सर झुक गया| मुझसे उसकी ये उदासी सही नहीं गई तो मैंने जा कर उसे अपने गले से लगा लिया और उसके सर को चूमा|
ऋतू: आज भर और रुक जाऊँ? (उसने रुनवासी होते हुए कहा|)
मैं: जान! समझा करो?! देखो आपको कॉलेज भी तो जाना है?
ऋतू: आप उसकी चिंता मत करो मैं साड़ी पढ़ाई कवर अप कर लूँगी|
मैं: और मेरे ऑफिस का क्या? आज की भी मुझे पूरे दिन की छुट्टी नहीं मिली|
ऋतू के आँख में फिर से आँसूँ आ गए थे| अब मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और उसे पलंग पर लिटाया और मैं भी उसकी बगल में लेट गया|
मैं: अच्छा तू बता मैं ऐसा क्या करूँ की तुम्हारे मुख पर ख़ुशी लौट आये?
ऋतू: आज का दिन हम साथ रहे|
मैं: जान वो पॉसिबल नहीं है, वरना मैं आपको मना क्यों करता?
ऋतू फिर से उदास होने लगी तो मैंने ही उसका मन हल्का करने की सोची;
मैं: अच्छा मैं अगर तुम्हें अपने हाथ से कुछ बना कर खिलाऊँ तब तो खुश हो जाओगी ना?
ऋतू: (उत्सुकता दिखाते हुए) क्या?
मैं: भुर्जी खाओगी?
ऋतू: Hawwwwww ... आप अंडा खाते हो? घर में किसी को पता चल गया न तो आपको घर से निकाल देंगे!
मैं: मेरे हाथ की भुर्जी खा के तो देखो!
ऋतू: ना बाबा ना! मुझे नहीं करना अपना धर्म भ्रस्ट|
मैं: ठीक है फिर बनाओ जो बनाना है| इतना कह कर मैं बाथरूम में घुस गया और नहाने लगा| नाहा-धो के जब तक मैं ऑफिस के लिए तैयार हुआ तब तक ऋतू ने प्याज के परांठे बना के तैयार कर दिए| पर उसने अभी तक कपडे नहीं पहने थे, मुझे भी दिल्लगी सूझी और मैं ने उसे फिर से पीछे से पकड़ लिया और उसकी गर्दन को चूमने लगा|
ऋतू: इतना प्यार करते हो फिर भी एक दिन की छुट्टी नहीं ले सकते| शादी से पहले ये हाल है, शादी के बाद तो मुझे time ही नहीं दोगे|
मैं: शादी के बाद तो तुम्हें अपनी पलकों अपर बिठा कर रखूँगा| मजाल है की तुम से कोई काम कह दूँ!
ऋतू: सच?
मैं: मुच्!
हमने ख़ुशी-ख़ुशी नाश्ता खाया और वही नाश्ता ऋतू ने पैक भी कर दिया| फिर मैंने उसे पहले उसके कॉलेज छोड़ा और उसके हॉस्टल फ़ोन भी कर दिया की ऋतू कॉलेज में है| फ़टाफ़ट ऑफिस पहुँचा और काम में लग गया| शाम को फिर वही 4 बजे निकला, ऋतू के कॉलेज पहुँचा और मुझे वहाँ देख कर वो चौंक गई| वो भाग कर गेट से बाहर आई और बाइक पर पीछे बैठ गई, हमने चाय पी और फिर उसे हॉस्टल के गेट पर छोड़ा|
अगले दिन सुबह-सुबह ऑफिस पहुँचते ही बॉस ने मुझे बताया की हमें शाम की ट्रैन से मुंबई जाना है| ये सुनते ही मैं हैरान हो गया; “सर पर अमिस ट्रेडर्स की GST रिटर्न पेंडिंग है!"
"तू उसकी चिंता मत कर वो अंजू (बॉस की बीवी) देख लेगी|" बॉस ने अपनी बीवी की तरफ देखते हुए कहा| ये सुन कर मैडम का मुँह बन गया और इससे पहले मैं कुछ बोलता की तभी ऋतू का फ़ोन आ गया और मैं केबिन से बाहर आ गया|
मैं: अच्छा हुआ तुमने फ़ोन किया| मुझे तुम्हें एक बात बतानी थी, मुझे बॉस के साथ आज रात की गाडी से मुंबई जाना है|
ऋतू: (चौंकते हुए) क्या? पर इतनी अचानक क्यों? और.... और कब आ रहे हो आप?
मैं: वो पता नहीं... शायद शनिवार-रविवार....
ये सुन कर वो उदास हो गई और एक दम से खामोश हो गई|
मैं: जान! हम फ़ोन पर वीडियो कॉल करेंगे... ओके?
ऋतू: हम्म...प्लीज जल्दी आना|
रात के एक बजे थे, खिड़की से आ रही चांदनी की रौशनी कमरे में फैली हुई थीकी तभी ऋतू बाथरूम से आई तो उसने पाया की मेरा लंड एक दम कड़क हो चूका है और छत की तरफ मुँह कर के सीधा खड़ा है और फुँफकार रहा है| दरअसल मैं उस समय कोई सेक्सी सपना देख रहा था जिस कारन लंड मियाँ अकड़ चुके थे| पता नहीं उसे क्या सूजी की वो मेरी टांगों के बीच आ गई और घुटने मोड़ के बैठ गई| मेरे लंड को निहारते हुए वो ऊपर झुकी और धीरे-धीरे अपना मुँह खोले हुए वो नीचे आने लगी| सबसे पहले उसने अपनी जीभ की नोक से मेरे लंड को छुआ और मेरी प्रतिक्रिया जानने के लिए मेरी तरफ देखने लगी| जब मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो उसने अपने मुँह को थोड़ा खोला और आधा सुपाड़ा अपने मुँह में भर के चूसा| ''सससससस''' नींद में ही मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई| उसने धीरे-धीरे पूरा सुपाड़ा अपने मुँह के भीतर ले लिया और रुक गई| "ससस...अह्ह्ह..." अब ऋतू से और नीचे जाय नहीं रहा था तो उसने आधा सूपड़ा ही अपने मुँह के अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया| इधर मैं नींद में था और मेरे सपने में भी ठीक वही हो रहा तह जो असल में ऋतू मेरे साथ कर रही थी| पर ऋतू को अभी ठीक से लंड चूसना नहीं आया था, उसके मुँह में होते हुए भी मेरा लंड अभी तक सूखा था| जबकि उसे तो अभी तक अपने थूक और लार से मेरे लंड को गीला कर देना चाहिए था| पूरे दस मिनट तक वो बेचारी बीएस इसी तरह अपने होठों से मेरे लंड को अपने मुँह में दबाये हुए ऊपर-नीचे करती रही और अंत में जब मेरा गर्म पानी निकला तो मेरी आँख खुली और ऋतू को देख मैं हैरान रह गया| मेरा सारा रस उसके मुँह में भर गया था और वो भागती हुई बाथरूम में गई उसे थूकने| मैं अपनी पीठ सिरहाने से लगा कर बैठ गया और जैसे ही ऋतू बहार आई उसकी नजरें झुक गई| तो जान! ये क्या हो रहा था? आपके साथ तो मैं बिना कपडे के भी नहीं सो सकता?!" मैंने ऋतू को छेड़ते हुए कहा| वो एक दम से शर्मा गई और पलंग पर आ कर मेरे सीने पर सर रख कर बैठ गई| "वो न..... जब मैं उठी तो..... आपका वो...... मुझे देख रहा था!" ऋतू ने शर्माते हुए मेरे लंड की तरफ ऊँगली करते हुए कहा|
मैं: देख रहा था मतलब? इसकी आँख थोड़े ही है?
ऋतू: ही..ही...ही... पता नहीं पर उसे देखते ही मैं .... जैसे मैं अपने आप ही ..... (इसके आगे वो कुछ बोल नहीं पाई और शर्मा के मेरे सीने में छुप गई|)
मैं: चलो अब सो जाओ वरना अभी थोड़ी देर में फिर से आपको देखने लगा|
ये सुनते ही ऋतू के गाल लाल हो गए और हम दोनों फिर से एक दूसरे की बाहों में लेट गए और चैन से सो गए| सुबह मेरी नींद चाय की खुशबु सूंघ कर खुली और मैंने उठ के देखा तो ऋतू किचन में चाय छान रही थी| मैं पीछे से उसके जिस्म से सट कर खड़ा हो गया और अपनी बाँहों को उसके नंगे पेट पर लोच करते हुए उसकी गर्दन पर चूमा| "Good Morning जान!"
"सससस....आज तो वाकई मेरी Morning Good हो गई|" ऋतू ने सिसकते हुए कहा|
ऋतू: काश की रोज आप मुझे ऐसे ही Good Morning करते?
मैं: बस जान.... कुछ दिन और|
ऋतू: कुछ साल ...दिन नहीं|
मैं: ये साल भी इसी तरह प्यार करते हुए निकल जायेंगे|
ऋतू: तभी तो ज़िंदा हूँ|
इतना कह कर ऋतू मेरी तरफ मुड़ी और अपनी दोनों बाहें मेरे गले में डाल दी और अपने पंजों पर खड़ी हो कर मेरे होंठों को चूम लिया| मैंने अपनी दोनों हाथों से उसकी कमर को जकड़ लिया और उसे अपने जिस्म से चिपका लिया|
मैंने घडी देखि तो नौ बज गए थे और मुझे 11 बजे ऋतू को हॉस्टल छोड़ना था तो मैंने उससे नाश्ते के लिए पूछा| ऋतू उस समय बाथरूम में थी और उसने अंदर से ही कहा की वो बनाएगी| जब ऋतू बहार आई तो वो अब भी नंगी ही थी;
मैं: जान अब तो कपडे पहन लो?
ऋतू: क्यों? (हैरानी से)
मैं: हॉस्टल नहीं जाना?
ये सुनते ही ऋतू का चेहरा उतर गया और उसका सर झुक गया| मुझसे उसकी ये उदासी सही नहीं गई तो मैंने जा कर उसे अपने गले से लगा लिया और उसके सर को चूमा|
ऋतू: आज भर और रुक जाऊँ? (उसने रुनवासी होते हुए कहा|)
मैं: जान! समझा करो?! देखो आपको कॉलेज भी तो जाना है?
ऋतू: आप उसकी चिंता मत करो मैं साड़ी पढ़ाई कवर अप कर लूँगी|
मैं: और मेरे ऑफिस का क्या? आज की भी मुझे पूरे दिन की छुट्टी नहीं मिली|
ऋतू के आँख में फिर से आँसूँ आ गए थे| अब मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और उसे पलंग पर लिटाया और मैं भी उसकी बगल में लेट गया|
मैं: अच्छा तू बता मैं ऐसा क्या करूँ की तुम्हारे मुख पर ख़ुशी लौट आये?
ऋतू: आज का दिन हम साथ रहे|
मैं: जान वो पॉसिबल नहीं है, वरना मैं आपको मना क्यों करता?
ऋतू फिर से उदास होने लगी तो मैंने ही उसका मन हल्का करने की सोची;
मैं: अच्छा मैं अगर तुम्हें अपने हाथ से कुछ बना कर खिलाऊँ तब तो खुश हो जाओगी ना?
ऋतू: (उत्सुकता दिखाते हुए) क्या?
मैं: भुर्जी खाओगी?
ऋतू: Hawwwwww ... आप अंडा खाते हो? घर में किसी को पता चल गया न तो आपको घर से निकाल देंगे!
मैं: मेरे हाथ की भुर्जी खा के तो देखो!
ऋतू: ना बाबा ना! मुझे नहीं करना अपना धर्म भ्रस्ट|
मैं: ठीक है फिर बनाओ जो बनाना है| इतना कह कर मैं बाथरूम में घुस गया और नहाने लगा| नाहा-धो के जब तक मैं ऑफिस के लिए तैयार हुआ तब तक ऋतू ने प्याज के परांठे बना के तैयार कर दिए| पर उसने अभी तक कपडे नहीं पहने थे, मुझे भी दिल्लगी सूझी और मैं ने उसे फिर से पीछे से पकड़ लिया और उसकी गर्दन को चूमने लगा|
ऋतू: इतना प्यार करते हो फिर भी एक दिन की छुट्टी नहीं ले सकते| शादी से पहले ये हाल है, शादी के बाद तो मुझे time ही नहीं दोगे|
मैं: शादी के बाद तो तुम्हें अपनी पलकों अपर बिठा कर रखूँगा| मजाल है की तुम से कोई काम कह दूँ!
ऋतू: सच?
मैं: मुच्!
हमने ख़ुशी-ख़ुशी नाश्ता खाया और वही नाश्ता ऋतू ने पैक भी कर दिया| फिर मैंने उसे पहले उसके कॉलेज छोड़ा और उसके हॉस्टल फ़ोन भी कर दिया की ऋतू कॉलेज में है| फ़टाफ़ट ऑफिस पहुँचा और काम में लग गया| शाम को फिर वही 4 बजे निकला, ऋतू के कॉलेज पहुँचा और मुझे वहाँ देख कर वो चौंक गई| वो भाग कर गेट से बाहर आई और बाइक पर पीछे बैठ गई, हमने चाय पी और फिर उसे हॉस्टल के गेट पर छोड़ा|
अगले दिन सुबह-सुबह ऑफिस पहुँचते ही बॉस ने मुझे बताया की हमें शाम की ट्रैन से मुंबई जाना है| ये सुनते ही मैं हैरान हो गया; “सर पर अमिस ट्रेडर्स की GST रिटर्न पेंडिंग है!"
"तू उसकी चिंता मत कर वो अंजू (बॉस की बीवी) देख लेगी|" बॉस ने अपनी बीवी की तरफ देखते हुए कहा| ये सुन कर मैडम का मुँह बन गया और इससे पहले मैं कुछ बोलता की तभी ऋतू का फ़ोन आ गया और मैं केबिन से बाहर आ गया|
मैं: अच्छा हुआ तुमने फ़ोन किया| मुझे तुम्हें एक बात बतानी थी, मुझे बॉस के साथ आज रात की गाडी से मुंबई जाना है|
ऋतू: (चौंकते हुए) क्या? पर इतनी अचानक क्यों? और.... और कब आ रहे हो आप?
मैं: वो पता नहीं... शायद शनिवार-रविवार....
ये सुन कर वो उदास हो गई और एक दम से खामोश हो गई|
मैं: जान! हम फ़ोन पर वीडियो कॉल करेंगे... ओके?
ऋतू: हम्म...प्लीज जल्दी आना|