16-01-2019, 10:24 PM
अध्याय 15
शाम का वक्त था मैं वापस रूम आ रहा था,दिनभर मैंने कई दौड़ भाग किये थे,बैंक से पैसा निकाल कर सीनियर के बैंक में डलवाया था,कालेज भी शुरू हो चुके थे,क्लास अटेंड किया और बुक्स लेकर लाइब्रेरी में भी टाइम बिता आया था,मैं बुरी तरह से थका हुआ था कमरे में जाकर कल की तैयारी करनी थी ,कल से मार्किट में मेरा पैसा लगने वाला था..
मैं बाजार में पहुचा जिसके अंत में वो सकरी गली थी जंहा से होकर उस चाल में जाया जाता था,बाजू में ही एक सिनेमा घर भी था जिसमे हमेशा ही B ग्रेड की फिल्में लगती थी ,ग्राहक अघिकतर वही के पार्किंग में अपनी गाड़ी खड़ी करके उस गली से अंदर आया करते थे,वो गली एक तरह एक मैदान के बाउंड्री तथा दूसरी ओर उस सिनेमाघर की बाउंड्री से बनी थी ,लगता था की पाताल लोक में जा रहा हु,बाहर का बाजार शहर के सबसे व्यस्त बाजार में से एक था,कितना हल्ला गुल्ला था वँहा की नरक से कम नही लगता था ……..
मैं थका होने के कारण उस शोर शराबे में और भी गुस्से से भर जाता था,मैं गली के मुहाने पर पहुचा ही था की एक आवाज मेरे कानो में पड़ी ..
“ये…”किसी ने जोरो से चिल्लाया ,और मैं पलटा तो चौक गया.ये आकाश था..
वो पास बने पान ठेले में खड़ा हुआ सिगरेट पी रहा था,साथ उसका वही दोस्त भी था…
वो मुझे हाथो के इशारे से अपने पास बुला रहा था..
“अरे तू तो मेरी ही क्लास में पढ़ता है ना,तुझे भी इसका शौक है क्या “वो हँसने लगा ,मैंने नजर नीची कर ली
“अबे शर्मा क्या रहा है ,मैं भी तो माल लेने ही आया हु यंहा पर ,कल ही दो माल ले गया था ,तबाही थी ,तू किसके पास आया है “
मुझे समझ नही आया की अब इससे क्या कहु ..
“जो मिल जाए ..सस्ते में “मैं डरते हुए बोला ,वो दोनो हँस पड़े
“चल मेरे साथ हमारा एक दलाल है यंहा पर “वो मुझे खिंचता हुआ मेरे ही आशियाने की तरफ ले जा रहा था,मेरी तो सांसे ही रुक सी गई थी ,समझ नही आ रहा हटा की अखिर अब इस साले का करू क्या …
हम उस चाल के सामने पहुचे ,गेट से अंदर गए और बड़े बरामदे में एक कोने पर बने पान ठेले से वो सिगरेट जलाकर कर पीने लगा …बनवारी उसे देखते ही दौड़ाता हुआ वँहा पहुच गया था लेकिन फिर उसकी नजर मुझसे मिली ,वो थोड़ा सकपकाया ..
“अरे बनवारी सुन कल वाली मालो को ही बुला ले .और इस लवंडे के लिए भी कोई सस्ता माल जुगाड़ दे .”उसके साथ आया वो शख्स बोला..
बनवारी की नजर मुझसे मिली लेकिन मेरी आंखों ने उसे कोई भी इशारा नही किया,वो दौड़ाता हुआ ऊपर गया और शबनम फिर काजल के कमरे में गया,थोड़ी देर में ही दोनो लडकिया बाहर आयी,काजल ऊपर से मुझे उनके साथ खड़ा देखा,शायद उसे माजरा समझ आ चुका था..
शबनम और बनवारी दोनो से काजल क्यो बात कर रही थी ,बनवारी थोड़ी चिंता में दिख रहा था ,वो बार बार हमारी ओर देखता मैं साफ देख पा रहा था की वो अपना पसीना रुमाल निकाल कर पोंछा रहा था…
फिर शबनम बनवारी के साथ नीचे आयी ..
“साहब वो लकड़ी तो आज नही जाऊंगी बोल रही है ,आपके लिए कोई दूसरी लड़की जुगाड़ू ..”
आकाश और उसके साथ वाला लड़का थोड़े देर काजल की तरफ देखे ..
“साली क्यो भाव खा रही है ,कितना चाहिए उसे जाकर बोल दुगुना पैसा मिलेगा ,लेकिन लड़की तो वही चाहिए “
आकाश बोल उठा,बनवारी फिर से ऊपर गया,इस बार काजल बात करते हुए मुस्कुरा रही थी साथ ही मुझे देखकर भी मुस्कुरा रही थी ,मुझे समझ नही आ रहा था की मैं क्या करू ..
बनवारी फिर से आया ..
“कितना रेट बोली साली रंडी ..”
बनवारी चुप ही था..
“अबे बोल ना “
“साहब वो पागल हो गई है ,आप कोई दूसरी लड़की देख लो ..”
आकाश ने काजल को घुरा जो उसे चिढ़ाने जैसे मुस्कुरा रही थी ..
“तू बोल तो सही की क्या बोली ..”
“साहब 5 लाख मांग रही है ..”
सभी चौक गए ,मुझे भी एक तेज झटका लगा अब ये काजल को हो क्या गया है ,आकाश भी थोड़ी देर के लिए सुन्न हो गया था..
“साली पागल हो गई है क्या ?”
“वही तो कह रहा हु साहब दूसरी लकड़ी ले जाओ “
आकाश थोड़ी देर सोचा ..
“ठीक है दिया साली को 5 लाख,एक बार आ जाए साथ फिर देखो इसकी क्या हालत करता हु साली का पूरा घमंड निकाल दूंगा ..”
आकाश ने जैसे कहा था मेरे अंदर एक डर की लहर दौड़ गई वही ,शबनम और बनवारी तो जैसे उछाल ही गए ,बनवारी खुश होकर ऊपर भागा ..
वो काजल से बात कर रहा था,काजल के चहरे में भी आश्चर्य के भाव आये ,वो मेरी ओर देखने लगी,मैंने ना में सर हिलाया,क्योकि मुझे किसी बड़े खतरे का आभस हो रहा था,काजल थोड़ी देर के लिए सकते में थी ,बनवारी शायद से मनाने की पूरी कोशिस कर रहा था,काजल ने एक गहरी सांस ली और बनवारी से कुछ कहा और अंदर चली गई,बनवारी के चहरे का उतरा हुआ रंग देखकर मेरा चहरा खिल गया था…
बनवारी मायूसी से नीचे आया…
“बोलती है आज मूड नही है ..”
बनवारी की बात सुनकर आकाश का गुस्सा सातवे आसमान पर चढ़ गया..
“मादरचोद की ये औकात की मुझे इनकार करती है “वो आगे बढ़ने ही वाला था की मैंने उसका कंधा पकड़ कर उसे रोक दिया ..
“यंहा कुछ करना ठीक नही होगा,ये शकील भाई का रंडीखाना है ,और इन लोगो के पास बहुत से आदमी भी है ,कुछ किया तो हाथ पैर तोड़ देंगे ..”
“साले मैं कौन हु जानता भी है ..”
आकाश भड़का ..
“भाई रंडीखाने में सब एक ही होते है ,नंगे...अगर गड़बड़ हुई और तस्वीर अखबार में आ गई तो इनका तो कुछ नही जाएगा लेकिन तेरी और तेरे परिवार की इज्जत जरूर उछाल जाएगी ..”
इस बार वो थोड़ा शांत हो गया था,
“इस साली को तो उसकी औकात दिखा कर रहूंगा ..”
वो बोलता हुआ वँहा से बाहर चला गया ….वही बनवारी मुझे खिसियाई निगाह से देखता हुआ उनके पीछे भागा..
शाम का वक्त था मैं वापस रूम आ रहा था,दिनभर मैंने कई दौड़ भाग किये थे,बैंक से पैसा निकाल कर सीनियर के बैंक में डलवाया था,कालेज भी शुरू हो चुके थे,क्लास अटेंड किया और बुक्स लेकर लाइब्रेरी में भी टाइम बिता आया था,मैं बुरी तरह से थका हुआ था कमरे में जाकर कल की तैयारी करनी थी ,कल से मार्किट में मेरा पैसा लगने वाला था..
मैं बाजार में पहुचा जिसके अंत में वो सकरी गली थी जंहा से होकर उस चाल में जाया जाता था,बाजू में ही एक सिनेमा घर भी था जिसमे हमेशा ही B ग्रेड की फिल्में लगती थी ,ग्राहक अघिकतर वही के पार्किंग में अपनी गाड़ी खड़ी करके उस गली से अंदर आया करते थे,वो गली एक तरह एक मैदान के बाउंड्री तथा दूसरी ओर उस सिनेमाघर की बाउंड्री से बनी थी ,लगता था की पाताल लोक में जा रहा हु,बाहर का बाजार शहर के सबसे व्यस्त बाजार में से एक था,कितना हल्ला गुल्ला था वँहा की नरक से कम नही लगता था ……..
मैं थका होने के कारण उस शोर शराबे में और भी गुस्से से भर जाता था,मैं गली के मुहाने पर पहुचा ही था की एक आवाज मेरे कानो में पड़ी ..
“ये…”किसी ने जोरो से चिल्लाया ,और मैं पलटा तो चौक गया.ये आकाश था..
वो पास बने पान ठेले में खड़ा हुआ सिगरेट पी रहा था,साथ उसका वही दोस्त भी था…
वो मुझे हाथो के इशारे से अपने पास बुला रहा था..
“अरे तू तो मेरी ही क्लास में पढ़ता है ना,तुझे भी इसका शौक है क्या “वो हँसने लगा ,मैंने नजर नीची कर ली
“अबे शर्मा क्या रहा है ,मैं भी तो माल लेने ही आया हु यंहा पर ,कल ही दो माल ले गया था ,तबाही थी ,तू किसके पास आया है “
मुझे समझ नही आया की अब इससे क्या कहु ..
“जो मिल जाए ..सस्ते में “मैं डरते हुए बोला ,वो दोनो हँस पड़े
“चल मेरे साथ हमारा एक दलाल है यंहा पर “वो मुझे खिंचता हुआ मेरे ही आशियाने की तरफ ले जा रहा था,मेरी तो सांसे ही रुक सी गई थी ,समझ नही आ रहा हटा की अखिर अब इस साले का करू क्या …
हम उस चाल के सामने पहुचे ,गेट से अंदर गए और बड़े बरामदे में एक कोने पर बने पान ठेले से वो सिगरेट जलाकर कर पीने लगा …बनवारी उसे देखते ही दौड़ाता हुआ वँहा पहुच गया था लेकिन फिर उसकी नजर मुझसे मिली ,वो थोड़ा सकपकाया ..
“अरे बनवारी सुन कल वाली मालो को ही बुला ले .और इस लवंडे के लिए भी कोई सस्ता माल जुगाड़ दे .”उसके साथ आया वो शख्स बोला..
बनवारी की नजर मुझसे मिली लेकिन मेरी आंखों ने उसे कोई भी इशारा नही किया,वो दौड़ाता हुआ ऊपर गया और शबनम फिर काजल के कमरे में गया,थोड़ी देर में ही दोनो लडकिया बाहर आयी,काजल ऊपर से मुझे उनके साथ खड़ा देखा,शायद उसे माजरा समझ आ चुका था..
शबनम और बनवारी दोनो से काजल क्यो बात कर रही थी ,बनवारी थोड़ी चिंता में दिख रहा था ,वो बार बार हमारी ओर देखता मैं साफ देख पा रहा था की वो अपना पसीना रुमाल निकाल कर पोंछा रहा था…
फिर शबनम बनवारी के साथ नीचे आयी ..
“साहब वो लकड़ी तो आज नही जाऊंगी बोल रही है ,आपके लिए कोई दूसरी लड़की जुगाड़ू ..”
आकाश और उसके साथ वाला लड़का थोड़े देर काजल की तरफ देखे ..
“साली क्यो भाव खा रही है ,कितना चाहिए उसे जाकर बोल दुगुना पैसा मिलेगा ,लेकिन लड़की तो वही चाहिए “
आकाश बोल उठा,बनवारी फिर से ऊपर गया,इस बार काजल बात करते हुए मुस्कुरा रही थी साथ ही मुझे देखकर भी मुस्कुरा रही थी ,मुझे समझ नही आ रहा था की मैं क्या करू ..
बनवारी फिर से आया ..
“कितना रेट बोली साली रंडी ..”
बनवारी चुप ही था..
“अबे बोल ना “
“साहब वो पागल हो गई है ,आप कोई दूसरी लड़की देख लो ..”
आकाश ने काजल को घुरा जो उसे चिढ़ाने जैसे मुस्कुरा रही थी ..
“तू बोल तो सही की क्या बोली ..”
“साहब 5 लाख मांग रही है ..”
सभी चौक गए ,मुझे भी एक तेज झटका लगा अब ये काजल को हो क्या गया है ,आकाश भी थोड़ी देर के लिए सुन्न हो गया था..
“साली पागल हो गई है क्या ?”
“वही तो कह रहा हु साहब दूसरी लकड़ी ले जाओ “
आकाश थोड़ी देर सोचा ..
“ठीक है दिया साली को 5 लाख,एक बार आ जाए साथ फिर देखो इसकी क्या हालत करता हु साली का पूरा घमंड निकाल दूंगा ..”
आकाश ने जैसे कहा था मेरे अंदर एक डर की लहर दौड़ गई वही ,शबनम और बनवारी तो जैसे उछाल ही गए ,बनवारी खुश होकर ऊपर भागा ..
वो काजल से बात कर रहा था,काजल के चहरे में भी आश्चर्य के भाव आये ,वो मेरी ओर देखने लगी,मैंने ना में सर हिलाया,क्योकि मुझे किसी बड़े खतरे का आभस हो रहा था,काजल थोड़ी देर के लिए सकते में थी ,बनवारी शायद से मनाने की पूरी कोशिस कर रहा था,काजल ने एक गहरी सांस ली और बनवारी से कुछ कहा और अंदर चली गई,बनवारी के चहरे का उतरा हुआ रंग देखकर मेरा चहरा खिल गया था…
बनवारी मायूसी से नीचे आया…
“बोलती है आज मूड नही है ..”
बनवारी की बात सुनकर आकाश का गुस्सा सातवे आसमान पर चढ़ गया..
“मादरचोद की ये औकात की मुझे इनकार करती है “वो आगे बढ़ने ही वाला था की मैंने उसका कंधा पकड़ कर उसे रोक दिया ..
“यंहा कुछ करना ठीक नही होगा,ये शकील भाई का रंडीखाना है ,और इन लोगो के पास बहुत से आदमी भी है ,कुछ किया तो हाथ पैर तोड़ देंगे ..”
“साले मैं कौन हु जानता भी है ..”
आकाश भड़का ..
“भाई रंडीखाने में सब एक ही होते है ,नंगे...अगर गड़बड़ हुई और तस्वीर अखबार में आ गई तो इनका तो कुछ नही जाएगा लेकिन तेरी और तेरे परिवार की इज्जत जरूर उछाल जाएगी ..”
इस बार वो थोड़ा शांत हो गया था,
“इस साली को तो उसकी औकात दिखा कर रहूंगा ..”
वो बोलता हुआ वँहा से बाहर चला गया ….वही बनवारी मुझे खिसियाई निगाह से देखता हुआ उनके पीछे भागा..
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