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Misc. Erotica काजल, दीवाली और जुए का खेल (completed)
#45
भी काजल की आवाज़ आई अंदर से : "केशव...वो बेसन वाली मूँगफली कहाँ रखी है...मिल नही रही मुझे...''

केशव उठकर अंदर चला गया...

अब गणेश और बिल्लू थोड़ा खुलकर बाते करने लगे काजल के बारे मे...

केशव जैसे ही अंदर पहुँचा, काजल ने उसे अपनी तरफ खींचकर उसे अपने सीने से लगा लिया..

एकदम से काजल की इस हरकत पर वो बोखला सा गया...क्योंकि उन दोनो के बाहर बैठे हुए काजल से ऐसी हरकत की उम्मीद नही थी उसको...

पर उसके नर्म मुलायम मुम्मो के एहसास को अपनी छाती पर महसूस करके उसे मज़ा बहुत आया...और वो एक ही पल मे ये भूल गया की उसके दोनो दोस्त कुछ ही दूर यानी बाहर बैठे हैं...

काजल की खुशी देखते ही बनती थी

काजल : "केशव....तुमने बिल्कुल सच बोला था...हम जीत गये...वो भी इतने सारे पैसे एक साथ....वाव....आई एम सो हैप्पी ......''

और इतना कहते हुए उसने एकदम से उपर होते हुए केशव के होंठों को चूम लिया...

[Image: giphy.gif]
वो स्मूच तो नही था पर उसके नर्म और ठन्डे होंठों के एहसास को एक पल के लिए ही सही, महसूस करते ही उसके तन बदन मे आग सी लग गयी...उसने भी काजल के चेहरे को पकड़ कर उसे चूमना चाहा पर तभी बाहर से बिल्लू की आवाज़ आई

''
अरे भाई...मूँगफली मिली या नही....''

काजल एकदम से केशव से अलग हो गयी...पर उसकी आँखो की शरारत साफ़ बता रही थी की वो भी केशव के लिए अभी उतनी ही उतावली हो रही थी ,जितना की वो हो रहा था उसके लिए..

अचानक केशव ने उसके दोनो मुम्मों को दबोच लिया और ज़ोर से दबा दिया...

[Image: 13571512.gif]

काजल एक दम से चिहुंक उठी...ये उसके भाई का सीधा और प्रहार था उसके स्तनों पर...जिसे महसूस करके उसका बदन भी ऐंठने लगा..

काजल फुसफुसाई : "छोड़ो केशव....वो बाहर ही बैठे हैं...कोई अंदर ना जाए ...छोड़ो ना...ये कर क्या रहे हो तुम....''

केशव ने भी शरारत भरी मुस्कान से कहा : "मूँगफली ढूँढ रहा हू ...''

और इतना कहते-2 उसने काजल के दोनो निप्पल पकड़ कर ज़ोर से भींच दिए..

और बोला : "मिल गयी मूँगफलियाँ....''

[Image: 5b768d401468c6a0e118e8a60d90ef5c.gif]

काजल कसमसाकर बोली : "कमीने हो तुम एक नंबर के....जाओ अभी बाहर...ये मूँगफलियाँ रात को मिलेंगी...''

केशव बेचारा बेमन से बाहर निकल आया..पर ये सांत्वना भी थी की आज रात को ज़रूर कुछ ख़ास होकर रहेगा..

केशव के आने के एक मिनट के अंदर ही काजल भी गयी...और आदत के अनुसार बिल्लू और गणेश की नज़रें फिर से एक बार उसके निप्पल्स पर चली गयी...और इस बार उन्हे ये देखकर और भी आश्चर्य हुआ की वो तो पहले से भी बड़े दिख रहे थे...ऐसा क्या हो गया काजल को एकदम से...ऐसा तो तब होता है जब लड़की पूरी तरह से उत्तेजित होती है...
[Image: 026c522c79960370ba4a86627b245a62--sexy-women-bra.jpg]
तो क्या काजल उन्हे देखकर ही उत्तेजित हो रही है...

क्योंकि मूँगफली की प्लेट नीचे रखते हुए वो जिस तरीके से उन्हे देख रही थी...सॉफ पता चल रहा था की वो भी उनमे इंटरस्ट ले रही है...

उन दोनो के लंड तो खड़े होकर बग़ावत करने लगे...

खेल की माँ की चूत ...उन्हे तो बस काजल मिल जाए इस वक़्त, वो अपने सारे पैसे ऐसे ही उसे देने के लिए तैयार थे...

पर काजल तो अलग ही दुनिया में थी...उनके मन मे क्या चल रहा है इस बात से भी अंजान..

और इस बार काजल ने पत्ते बाँटने शुरू किए...और वो बेचारे बेमन से अगली गेम खेलने लगे..
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RE: काजल, दीवाली और जुए का खेल - by Jyoti Singh - 16-01-2019, 09:44 PM



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