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Adultery जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी
#37
बन गए ' वो ' ....


[Image: Sunny-pics-27.md.jpg]



लेकिन उनकी कोई चीज मुझसे छुपती कैसे और इसका जवाब मेरे पास था। हथियारों का पूरा खजाना था मेरे पास , मेरे होंठ ,मेरे रसीले जोबन , मेरी उंगलिया। 




मेरे उरोज जोर जोर से उनके होंठ को कभी रगड़ते और कभी उनका मुंह खोल के मैं अपने निपल मुंह के में डालती, 

[Image: nips-sucking-G.gif]

तो कभी मेरे होंठ उनके इयर लोब्स को हलके से काट लेते। और मेरी योनि जोर जोर से अब लिंग को भींच रही थी सिकोड़ रही थी ,और उनके पास कोई रास्ता नहीं था इस कामक्रीड़ा से बच कर भागने का। 







मैंने कचकचा के उनके निप्स काट लिए और , 



और वो पूरी तेजी से , जैसे कोई बाँध टूट गया हो , सदियों से सोया ज्वालामुखी फूट पड़ा हो। 

आधा मिनट और देर होती तो शायद मैं पहले ,… 



लेकिन जैसे रस की दरिया बह निकली हो , गाढ़ा सफेद थक्केदार , मेरी योनि पूरी तरह भर गई और फिर मेरी जांघो पर बहकर ,





[Image: wot-hard-fu.gif]





" आप , … तुम हार गए। " मैंने उनकी आँखों में आँखे डालकर कहा। 







" हूँ " मुस्कराते हुए उन्होंने हामी भरी और जोर से मुझे अपनी बाहों में भींच लिया। जैसे वो चाहते ही हों हारना। 











" और अब ,… तुम , मेरे ,.... गुलाम ,जोरू के गुलाम।"









हाँ , …हाँ ,… " और अपने आप उनकी कमर उछली और एक बार फिर झटके से ढेर सारा वीर्य ,








और इसी के साथ मैं भी , उनके चौड़े सीने पर ढेर हो गयी। मेरी योनि जोर जोर से सिकुड़ रही थी , मेरी देह तूफान में पत्ते की तरह काँप रही थी। 











बहुत देर तक हम दोनों होश में नहीं थे ,सिर्फ एक दूसरे की बाँहों में बंधे , भींचे.











छत पर पंखा अपनी रफ्तार से घर्र घर्र चल रहा था। 







खिड़की का पर्दा धीरे धीरे हिल रहा था। 







परदे से छन छन कर हलकी हलकी फर्श पर पसरी हलकी पीली धूप ,अब मेज पर चढ़ने की कोशिश कर रही थी 







लेकिन हम दोनों एक दूसरे से चिपके , एक दूसरे के अंदर धंसे ,घुसे ,अलमस्त उसी तरह लेटे थे , अलसाये। 





सफेद गाढ़े वीर्य की धार मेरी योनि से बहती गोरी जाँघों पे लसलसी ,चिपकी लगी थी और वहां से चददर पर भी , .... एक बड़ा सा थक्का ,… 



[Image: Joru-K-creampie5-1.md.jpg]







और अबकी उन्होंने हलके से ही आँखे खोली और उनके होंठों ने जोर से कचकचाकर मेरे होंठों को चूम लिया ,










यही तो मैं चाहती थी। 







मेरी मुस्कराती आँखों ने उन्हें देखा और होंठों ने पुछा कम , बताया ज्यादा 







" जोरु के गुलाम , .... " और एक बार फिर उनकी छाती के ऊपर मैं लेटी थी। 




और उनके मुस्कराती नाचती आँखों ने हामी भरी 
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RE: जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी - by komaalrani - 16-01-2019, 01:09 PM
ANUSHKA IS ASHWIN'S SWEET WIFE - by ashw - 05-04-2019, 06:02 AM



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