16-01-2019, 12:48 PM
(This post was last modified: 16-01-2019, 12:56 PM by komaalrani.)
जोरू का गुलाम पोस्ट ४
वोमेन आन टॉप
मैंने सीधे उसे अपनी 'प्रेम गली ' से सटाया ,और हलके से दबाया।
धीरे धीरे , उस कड़ियल नाग का फन मेरी गली के अंदर फुफकार मार रहा था। मेरी 'प्रेम गली ' की दीवारें उसे दबा रही थीं , निचोड़ रही थीं पूरी ताकत से ,मेरा निपल अभी भी उनके मुंह में धंसा था।
" मजा आ रहा है न , मुन्ना। " उनके कान में अपने जीभ की नोक घुमाते अपनी सेक्सी आवाज में मैंने फुस्फसा के पूछा।
सर हिला के उन्होंने हामी भरी।
"हाँ न और वो तेरी , .... तेरी उस बहन , उस तेरे माल की , उस कच्चे टिकोरे की भी तो कसी ,कसी ,एकदम टाइट ,.... बहुत मजा आएगा न जब रगड़ता ,दरेरता ,तेरा ,उसकी ,.... "
और मैंने बात जान बूझ कर बीच में छोड़ दी। साथ में एक जोरदार धक्के के साथ ,
[i][i]मेरा आधा जोबन उनके मुंह में गया और उनका आधा लिंग मेरी कसी संकरी योनि के अंदर ,
[/i][/i]
" यार तुझे तो मैं बहनचोद बना के , … " मैं हलके से बड़बड़ा रही थी लेकिन इस तरह की वो साफ साफ सुन रहे थे।
और वो 'बहुत कड़े ' थे।
पता नहीं मेरी बातों का असर था या ये उन्हें वो सब सुनना अच्छा लग रहा था। लेकिन कुछ भी हो असर बहुत साफ लग रहा था।
और मैंने अपना हमला जारी रखा।
मेरे लम्बे शार्प, रेड नेलपालिश लगे नाखून उनके निपल को जोर जोर से स्क्रैच कर रहे थे और फिर उसके बाद मेरी चपल जीभ ने उनके निप्स को फ्लिक करना शुरू कर दिया , और फिर ,
" छोटे छोटे , उस तेरी बहना के भी ऐसे होंगे न छोटे छोटे ,कच्चे टिकोरे , मस्त "\
और फिर झपट कर मेरे होंठों ने उनके निप्स को कैद कर लिया , पहले चूसा और दांत से हलके हलके बाइट ,
उईईईईईई , वो चीखे कुछ दर्द से , कुछ मजे से।
" उसके भी निपल ऐसे ही हैं , मटर के दाने जैसे , सच्ची ,होली में हाथ अंदर डाल के रगड़ा था। कच्चे लेकिन कड़े कड़े , उसकी चड्ढी में भी हाथ डाला था , झांटे आ गयीं हैं , छोटी छोटी। "
मैं उनके कान में फुसफुसाती रही।
उनका औजार इतना सख्त , आजतक इतना कड़ा मैंने कभी महसूस नहीं किया था।
मैंने गाडी का गियर चेंज किया और मेरे दोनों हाथ उनके कंधे पे , मेरी शेरनी ऐसी पतली कमर के जोर से , पूरे ताकत के साथ धक्का मारा।
[i][i][i]वो पूरा अंदर था , एकदम जड़ था मेरी गहराई में धंसा।[/i][/i][/i]
वोमेन आन टॉप
मैंने सीधे उसे अपनी 'प्रेम गली ' से सटाया ,और हलके से दबाया।
धीरे धीरे , उस कड़ियल नाग का फन मेरी गली के अंदर फुफकार मार रहा था। मेरी 'प्रेम गली ' की दीवारें उसे दबा रही थीं , निचोड़ रही थीं पूरी ताकत से ,मेरा निपल अभी भी उनके मुंह में धंसा था।
" मजा आ रहा है न , मुन्ना। " उनके कान में अपने जीभ की नोक घुमाते अपनी सेक्सी आवाज में मैंने फुस्फसा के पूछा।
सर हिला के उन्होंने हामी भरी।
"हाँ न और वो तेरी , .... तेरी उस बहन , उस तेरे माल की , उस कच्चे टिकोरे की भी तो कसी ,कसी ,एकदम टाइट ,.... बहुत मजा आएगा न जब रगड़ता ,दरेरता ,तेरा ,उसकी ,.... "
और मैंने बात जान बूझ कर बीच में छोड़ दी। साथ में एक जोरदार धक्के के साथ ,
[i][i]मेरा आधा जोबन उनके मुंह में गया और उनका आधा लिंग मेरी कसी संकरी योनि के अंदर ,
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" यार तुझे तो मैं बहनचोद बना के , … " मैं हलके से बड़बड़ा रही थी लेकिन इस तरह की वो साफ साफ सुन रहे थे।
और वो 'बहुत कड़े ' थे।
पता नहीं मेरी बातों का असर था या ये उन्हें वो सब सुनना अच्छा लग रहा था। लेकिन कुछ भी हो असर बहुत साफ लग रहा था।
और मैंने अपना हमला जारी रखा।
मेरे लम्बे शार्प, रेड नेलपालिश लगे नाखून उनके निपल को जोर जोर से स्क्रैच कर रहे थे और फिर उसके बाद मेरी चपल जीभ ने उनके निप्स को फ्लिक करना शुरू कर दिया , और फिर ,
" छोटे छोटे , उस तेरी बहना के भी ऐसे होंगे न छोटे छोटे ,कच्चे टिकोरे , मस्त "\
और फिर झपट कर मेरे होंठों ने उनके निप्स को कैद कर लिया , पहले चूसा और दांत से हलके हलके बाइट ,
उईईईईईई , वो चीखे कुछ दर्द से , कुछ मजे से।
" उसके भी निपल ऐसे ही हैं , मटर के दाने जैसे , सच्ची ,होली में हाथ अंदर डाल के रगड़ा था। कच्चे लेकिन कड़े कड़े , उसकी चड्ढी में भी हाथ डाला था , झांटे आ गयीं हैं , छोटी छोटी। "
मैं उनके कान में फुसफुसाती रही।
उनका औजार इतना सख्त , आजतक इतना कड़ा मैंने कभी महसूस नहीं किया था।
मैंने गाडी का गियर चेंज किया और मेरे दोनों हाथ उनके कंधे पे , मेरी शेरनी ऐसी पतली कमर के जोर से , पूरे ताकत के साथ धक्का मारा।
[i][i][i]वो पूरा अंदर था , एकदम जड़ था मेरी गहराई में धंसा।[/i][/i][/i]