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Fantasy माया- एक अनोखी कहानी
#22
अध्याय
 
माँठाकुराइन जैसा कहा मैंने वैसे ही किया| मैं उनके बगल में जाकर बैठ गई| वह बड़े प्यार से मेरे सर पर मेरी पीठ पर अपने हाथों से मुझे सहलाती हुई बोली, “क्या उम्र है तेरी, छोरी?”
मैंने कहा, “जी उन्नीस साल...

तेरी नदिया का बांध कब टूटा?”

यह सुनकर मैं थोड़ा शर्मा गई क्योंकि मुझे पता था माँठाकुराइन यह जानना चाहती थी कि मेरा मासिक किस उम्र से शुरू हुआ है| मैंने मुस्कुराते हुए सर झुका कर कहा, “जी आज से करीब सात आठ साल पहले से ही शुरू हो गया था…”

फिर तो सबकुछ ठीक ही चल रहा हैबड़ी हो गई है तू... तेरी जवानी का फल पक चुका है...  बहुत सुंदर भी है तू... मुझे तू पसंद है| यह लड़की तो सयानी हो गई है; देख छायामैं तो हूं एक तांत्रिक औरतमैं तेरे जोड़ों का दर्द ठीक कर दूंगी, लेकिन मेरी क्रिया कर्म के लिए मुझे ऐसी जवान कच्ची उम्र की लड़की की जरूरत थी| अच्छा हुआ यह लड़की तेरे साथ ही रहती है वरना मैं तो सोच रही थी कि बारिश की वजह से जितनी देर हो गई पता नहीं किसको बुला कर लाना पड़ेगा कौन मिलेगी इस वक्त? कहां मिलेगी? जैसा जैसा मैं कहूंगी क्या तू इस लड़की से वैसा वैसा करवाएगी, छाया?”

माँठाकुराइन वैध जी की तरह मेरा बड़ा सा जुड़ा दबा दबा कर देख रही थी मानो अंदाजा लगा रही हो कि मेरे बाल अगर खुल जाए तो कितने लंबे दिखेंगे| हालांकि जब मैंने उनको प्रणाम किस करने के लिए जमीन पर घुटने टेक कर बैठ के अपना माथा जमीन पर टिका कर अपने बालों को आगे की ओर फैला दिया था, तब शायद उन्होंने देखा होगा कि मेरे बाल बहुत ही लंबे हैं, पर उनका आशीर्वाद लेने के बाद ही मैं उठ कर खड़ी हो गई थी और अपने बालों को समेट कर जुड़े में बाँध लिया था तो शायद उन्होंने गौर नहीं किया होगा| कुछ भी हो उनका मुझे इस तरह से छूना मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था| क्या बड़ी हो जाने से, जवान हो जाने से, ऐसा ऐसा महसूस होता है?

जैसा आप कहेंगी माँठाकुराइन, मैं वैसा ही करूंगी और मेरी यह लड़की; मेरी लाडली... मेरा सब कहा मानती है| इसके बारे में आप चिंता मत करना| आपको इससे जो भी काम करवाना हो आप एक बार कह कर तो देखो यह जरूर कर देगी| बोलिए क्या हुकुम है इसके लिए?”, छाया मौसी बोलीं| वह शायद किसी भी सूरत में अपने इस जोड़ों के दर्द का इलाज करवाना चाहती थीं|

बड़ी खुशी की बात है और मेरी पसंद की मछलियां भी तो तू लाई होगी?”

जी हां, माँठाकुराइन; मुझे मालूम है इसलिए सुबह ही मैंने आपका सामान मंगवा लिया था

अरे वाह! तो देर किस बात की है? अपनी इस लड़की से बोल रसोई में जा कर के हम तीनों के लिए पीने के लिए ले कर आए और साथ में मेरी पसन्द की मछलियाँ भी

छाया मौसी ने बड़े प्यार से मेरी तरफ देखते हुए बोली, “जा माया जा, हम तीनों के लिए थाली में खाना परोस के ला| माफ करना बिटिया मैं तेरे से दासी बंदियों की तरह काम करवा रही हूं| कहां मैं तेरा ख्याल रखूंगी लेकिन इस कमबख्त जोड़ों के दर्द की वजह से मैं कोई काम ही नहीं कर पाती... और हां सुन रसोई में रखे थैले में एक शराब की बोतल होगी उसमें से एक गिलास में एक चौथाई शराब और बाकी पानी डालकर माँठाकुराइन के लिए लेकर आना और माँठाकुराइन की थाली मैं कम से कम चार मछलियां रखना|”

मैं उठ कर रसोई की तरफ़ जाने को हुई कि माँठाकुराइन बोलीं, “इसके बाल अभी भी गीले है| इससे कही कि अपने बॉल खोल दे| मौसम अच्छा नही है, मैं नही चाहती कि इसे ठंड लग जाए... मुझे अभी इसके बदन और जवानी की ज़रूरत होगी|”

छाया मौसी ने मुस्कुराकर बड़े प्यार से मेरे से कहा, “हां हां ठीक बिटिया- अपने बाल खोल दे
मैं उठ कर खड़ी हुई अपने बालों बालों का जुड़ा खोलने लगी कि कितने में माँठाकुराइन बोली नहीं, नहीं इसके बाल मैं खोलूँगी...

मैं भी मुस्कुरा कर उनकी तरफ पीठ करके खड़ी हो गई| माँठाकुराइन ने बड़े प्यार से मेरे बाल खुले और उन्होंने मेरी पीठ पर उनको फैला दिया मेरे बाल लंबे हैं, मेरे नितंबों के नीचे तक पहुंचते हैं यह देख कर उनको जरूर अच्छा लगा होगा|

वाह क्या काले घने लंबे रेशमी बाल है तेरे”, माँठाकुराइन ने तारीफ की|

उन्होंने मेरे बालों को सहलाया और फिर मेरे कूल्हे थपथपा कर बोली, “जा छोरी मेरे लिए कुछ पीने को लेकर आ...

मेरे रसोई में चली गई|

इतने में माँठाकुराइन छाया मौसी से बोली, “बड़ी हो गई है यह लड़की... जवान हो गई है... सुंदर है... इसका खून गर्म है, क्या इरादा है? क्या सोच रखा है इसके बारे में? कोई अच्छा सा लड़का देखकर के इसकी शादी करवा दोगी क्या?”

अब क्या बोलूं? मुझे एक न एक दिन मुझे इसे विदा तो करना ही होगा| इसके बाप का तो कुछ अता पता है ही नहीं... बस पैसे ही भेजता रहता है| इसकी शादी करवाने के लिए मुझे ही कुछ ना कुछ करना होगा|”, छाया मौसी ने कहा|

तूने तो इस लड़की को बिल्कुल सांस्कारिक तौर से पाल पोस कर बड़ा किया है, लेकिन तूने इसको पुराने जमाने की रखैल तहज़ीब  के बारे में नहीं बताया?”, माँठाकुराइन ने पूछा|

लेकिन यह सब तो दासी बांदियों के लिए होता था... और मैने तो इस लड़की को अपनी बेटी की तरह पाला है... इस लिए हमारी इस बारें में कोई बात ही नही हुई...”, छाया मौसी बोलीं|

अगर तूने इसकी शादी करा दी तो यह तो अपने ससुराल चली जाएगी... और तू तो बिल्कुल अकेली पड़ जाएगी| फिर तेरी देखभाल कौन करेगा? अभी घर में यह जवान लड़की है घर के सारे काम काज कर लेती है अच्छा होगा तो इसे अपने पास ही रख|”

लेकिन ऐसे कैसे मैं इसे अपने पास रखूं? एक न एक दिन तो इसकी शादी करानी ही होगी

वह बाद की बात है लेकिन फिलहाल कुछ सालों तक तू इसे अपने पास ही रख…”

यह आप क्या कह रही है माँठाकुराइन?” मौसी थोड़ा अचरज के साथ बोली|

मैं ठीक ही कह रही हूं यह तेरे पास रहेगी मैं भी इसका इस्तेमाल कर सकूँगी| तंत्र मंत्र की क्रिया कलापों में जवान लड़कियों की यौन ऊर्जा की जरूरत पड़ती है| इस लड़की के अंदर मुझे लगता है वह सब कुछ है जो मुझे चाहिए...  मैं आज ही इसे वश में कर दूंगी| जब तक तू चाहे है यह तेरी रखैल- तेरी दासी बनके रहेगी साथ में यह मेरी भी सेवा करेगी|”

लेकिन माँठाकुराइन मैं ऐसा कैसे कर सकती हूं? आखिर यह किसी और की लड़की है मैं तो सिर्फ इसकी देखभाल करती हूं...”, छाया मौसी थोड़ा हिचकिचाई|

माँठाकुराइन ने छाया मौसी को डांटते हुए कहा, “बस बस ज्यादा हिचकिचा मत| तू मुझे ज़ुबान दे चुकी है और भूल गई मेरे कितने एहसान है तेरे ऊपर? बख्शी बाबू को मैंने ही राजी करवाया था तुझे घर में पनाह देने के लिए| अब तुझे अपना उधार चुकाने का वक़्त आ चुका है... तेरे पास यह जो लड़की है, मुझे चाहिएऔर तुझे इस लड़की को मुझे देना ही होगा...
 
क्रमश:
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RE: माया- एक अनोखी कहानी - by naag.champa - 16-01-2019, 09:41 AM



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