16-01-2019, 12:52 AM
(This post was last modified: 16-01-2019, 07:24 PM by neerathemall.)
मैं धीरे धीरे उसके7inch लण्ड को अपने मुँह में प्रवेश कराना चाहती थी और लिंग मुण्ड चूसते हुए एक हाथ से लण्ड पकड़ लिया lलेकिन मुझे लगता है कि मेरा भान्जा
बहुत जल्दी में था और तुरंत मेरे मुंह में अपने पूरा लिंग घुसेड़ दिया और धक्के मारने लगा l मैं इस तरह के अचानक मुख-मैथुन के लिेए तैयार नहीं थी l मेरा गला एकदम से रुन्ध गया , किन्तु उसने मुख मैथुन चालू रखा मेरी लार और उसका गीला लिंग मिल कर चाटने की आवाज की अनुगूंज कमरे में गुंजायमान हो रही थी l
मेरे मुँह से”प्री कम ’’ बहने लगा था और मुँह से बहकर मेरे गाल पर पहुँच गया और कुछ ठोढ़ी पर बह कर पहुँच रहा मैं चाह रही थी कि वह मुखमैथुन कि गति कुछ कम कर ले किन्तु ऐसा लगता है कि उसे कोई चिन्ता नहीं थी अर वह जंगलियों की तरह मुख मैथुन की गति बड़ाए हुए था l
और अब ,मेरी चूत को खाने के बजाए वह उसमें दो उँगलिया डाल कर हस्त मैथुन किए जा रहा था और जितनी बार उसका लिंग मेरे मुँह मे जाता उतनी ही बार उसकी उँगलियाँ मेरी योनि में घुस जातीं l
मेरे दोनो हाथ उसके नितम्बों पर थे और हम दोनो मुख मैथुन -व हस्तमैथुन में व्यस्त थे और एकाएक ,बिना किसी चेतावनी के मेरे मुँह में स्खलित हो गया किन्तु मुख्मैथुन बंद नहीं किया यह पहली बार था कि मैं उसके लिंग को अपने मुँह से निकालना चाहती थी
किन्तु उसने अपना वीर्य उगलता लण्ड और अन्दर तक मेरे मुँह में घुसेड़ दिया और थोड़ी देर तक ऐसे ही दबाये रहा l मैं हर बार उसके वीर्य को उगलने की कोशिश कर रही थी जितनी बार उसका लण्ड मेरे मुख को आकर चोद रहा था l इसी के साथ उसकी उँगलियाँ भी अपना काम कर रहीं थीं और मुझे लग रहा था कि किसी भी क्षण मैं भी चरमोत्कर्ष पर पहुँचने वाली थी lअब भी उसके कड्क लण्ड ने अभी भी मेरे मुख का मैथुन बन्द नहीं किया था l कुछ क्षणों में ही पुनः मेरे मुँह में झड़ गया और इसी वक्त मैं भी स्खलित हो गई ,और जब मैं झड़ी ,उस वक्त मैंने अपने पैर उसकी गर्दन में इस तरह से लपेटे कि उसका मुँह मेरी योनि से न हटे
और अब उसका लण्ड मेरे मुँह में ही सिकुड़ने लगा तब जाकर उसने अपना लण्ड मेरे मुँह से निकाला ,उसका सारा वीर्य मेरे मुँह से बह कर मेरे गालों से होता हुआ मेरे कन्धे पर आने लगा l अब वह पूरी तरह से निढाल हो कर पड़ा था अब मैंने उसके वीर्य अभिसिंचित लिंग को हलके से चूस लिया l
थोड़ी देर बाद वह मेरे ऊपर से हट गया और मैं तुरंत उठी और बाथरूम मे घुस गई और खुद को साफ़ किया
पहली बार ,उस रात हम पूरी तरह संभोग नही कर पाए l
बहुत जल्दी में था और तुरंत मेरे मुंह में अपने पूरा लिंग घुसेड़ दिया और धक्के मारने लगा l मैं इस तरह के अचानक मुख-मैथुन के लिेए तैयार नहीं थी l मेरा गला एकदम से रुन्ध गया , किन्तु उसने मुख मैथुन चालू रखा मेरी लार और उसका गीला लिंग मिल कर चाटने की आवाज की अनुगूंज कमरे में गुंजायमान हो रही थी l
मेरे मुँह से”प्री कम ’’ बहने लगा था और मुँह से बहकर मेरे गाल पर पहुँच गया और कुछ ठोढ़ी पर बह कर पहुँच रहा मैं चाह रही थी कि वह मुखमैथुन कि गति कुछ कम कर ले किन्तु ऐसा लगता है कि उसे कोई चिन्ता नहीं थी अर वह जंगलियों की तरह मुख मैथुन की गति बड़ाए हुए था l
और अब ,मेरी चूत को खाने के बजाए वह उसमें दो उँगलिया डाल कर हस्त मैथुन किए जा रहा था और जितनी बार उसका लिंग मेरे मुँह मे जाता उतनी ही बार उसकी उँगलियाँ मेरी योनि में घुस जातीं l
मेरे दोनो हाथ उसके नितम्बों पर थे और हम दोनो मुख मैथुन -व हस्तमैथुन में व्यस्त थे और एकाएक ,बिना किसी चेतावनी के मेरे मुँह में स्खलित हो गया किन्तु मुख्मैथुन बंद नहीं किया यह पहली बार था कि मैं उसके लिंग को अपने मुँह से निकालना चाहती थी
किन्तु उसने अपना वीर्य उगलता लण्ड और अन्दर तक मेरे मुँह में घुसेड़ दिया और थोड़ी देर तक ऐसे ही दबाये रहा l मैं हर बार उसके वीर्य को उगलने की कोशिश कर रही थी जितनी बार उसका लण्ड मेरे मुख को आकर चोद रहा था l इसी के साथ उसकी उँगलियाँ भी अपना काम कर रहीं थीं और मुझे लग रहा था कि किसी भी क्षण मैं भी चरमोत्कर्ष पर पहुँचने वाली थी lअब भी उसके कड्क लण्ड ने अभी भी मेरे मुख का मैथुन बन्द नहीं किया था l कुछ क्षणों में ही पुनः मेरे मुँह में झड़ गया और इसी वक्त मैं भी स्खलित हो गई ,और जब मैं झड़ी ,उस वक्त मैंने अपने पैर उसकी गर्दन में इस तरह से लपेटे कि उसका मुँह मेरी योनि से न हटे
और अब उसका लण्ड मेरे मुँह में ही सिकुड़ने लगा तब जाकर उसने अपना लण्ड मेरे मुँह से निकाला ,उसका सारा वीर्य मेरे मुँह से बह कर मेरे गालों से होता हुआ मेरे कन्धे पर आने लगा l अब वह पूरी तरह से निढाल हो कर पड़ा था अब मैंने उसके वीर्य अभिसिंचित लिंग को हलके से चूस लिया l
थोड़ी देर बाद वह मेरे ऊपर से हट गया और मैं तुरंत उठी और बाथरूम मे घुस गई और खुद को साफ़ किया
पहली बार ,उस रात हम पूरी तरह संभोग नही कर पाए l
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.