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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
#45
वह अपना चेहरा और पास ले आया जो करीब करीब मेरे कन्धे पर आ कर मेरी गर्दन तक आ पहुँचा था lअब, उसके पैर मेरी कमर के आर पार जा रहे थे जबकि मैं अपनी पीठ के बल लेटी थी और उसका लण्ड मेरी कमर में ठीक पेट के नीचे चुभ रहा था एक बार मैंने सोचा कि कहीं वास्तव मे ही तो नहीं सो रहा हो और जो भी हरकतें कर रहा है वह सब नींद में ही कर रहा हो और मैं बेमतलब में ही ऊल जलूल सोच रही हूँ l
तब मैंनें तय किया कि अब उसे ऐसे ही रहने दूँ और बाद में किसी वक्त उसे धीरे दूसरी ओर कर दूँगी (और यदि वह सो रहा हो ) ऐसी हालत में उसे जगा कर बेमतलब में शर्मिन्दा नहीं करना चाहती थी l
मैं वैसे ही पीठ के बल लेटी रही और उसके हाथ मेरे स्तन पर वैसे ही रखे थे और उसकी टाँगे मेरे आर पार थीं इस आशा में कि मैं बाद मे किसी वक्त उसे दूसरी ओर कर दूंगी l

करीब पिछले सात महीनों से ,मै सेक्स से दूर थी ,और शादी के बाद पहली बार था कि मुझे पति के अलावा कोई और इस तरह से छू रहा था l
और मैं धीरे धीरे यौन उतेजना का आभास कर रही थी और उसके शरीर की ऊष्मा से मेरी कमोत्तेजना भड़क उठी थी मेरी सासें भारी होने लगी थीं और सासों की तेजी के साथ मेरे छातियाँ तेजी से ऊपर नीचे हो रहीं थीं l
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ - by neerathemall - 16-01-2019, 12:42 AM
Pahli bar bahan k sath picnic - by neerathemall - 14-02-2019, 03:18 AM
RE: Soni Didi Ke Sath Suhagraat - by neerathemall - 26-04-2019, 12:23 AM
didi in waterfall - by neerathemall - 04-06-2019, 01:34 PM
Meri Didi Ki Garam Jawani - by neerathemall - 29-01-2020, 11:22 AM



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