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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
#44
पहले , मैं हतप्रभ रह गई,समझ में नहीं आया कि क्या हुआ ,मै चुपचाप लेटी रही ,यह सोचते हुए कि मैं उसके आगोश से कैसे निकलूँ l कुछ समय बाद ,धीरे उसकी ओर हुई और उसके चेहरे को देखने की कोशिश की और पाया कि यद्यपि उसकी आँखे बन्द थी फ़िर भी उसका लंड उसकी निक्कर में उछल रहा है और मेरे नितम्ब कीदरार में घुसा जा रहा था l मैं समझ रही थी कि आँखे बन्द कर वह सोने का नाटक कर रहा है जबकि वह जाग रहा है l
जब मैने अपना सिर उसकी ओर घुमाया तो मुझे आघात लगा , उसने अपना हाथ गले से नीचे ला कर मेरा स्तन हाथ में घेर लिया ,और यह सब उसने सोते में होने का बहाना कर किया l मैं ने धीरे से उसका हाथ पकड़ा और उसका हाथ अपनी छाती से हटाने का प्रयास किया , किन्तु उसने मेरे स्तन को और कस के पकड़ लिया और मुझे अपनी ओर खीचने का प्रयास किया l अब मैं उससे सटी हुई थी और हमारे बीच बिलकुल भी जगह नहीं थी l
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ - by neerathemall - 16-01-2019, 12:40 AM
Pahli bar bahan k sath picnic - by neerathemall - 14-02-2019, 03:18 AM
RE: Soni Didi Ke Sath Suhagraat - by neerathemall - 26-04-2019, 12:23 AM
didi in waterfall - by neerathemall - 04-06-2019, 01:34 PM
Meri Didi Ki Garam Jawani - by neerathemall - 29-01-2020, 11:22 AM



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