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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
#30
अपने मुँह के भीतर उसे भाई का लण्ड अद्वितीय प्रतीत हो रहा था अस्मा की आखे यद्यपि बन्द थी किन्तु पूरी तन्मयता से अपने भाई के लण्ड को चूस रही थी और ऐसा लग रहा था कि मानो उसके भाई का लण्ड गले में ठोकरे मार रहा था
यद्यपि समीर चाह रहा था कि यह चुसाई कुछ लम्बे समय तक चले किन्तु उसे अन्तसमीप नजर आया
ऐसा प्रतीत होता कि अस्मा को इसका अहसास हो गया था ऐसी हालत में वह सब तेजी से कर रही थी और तभी समीर ने उसके मुँह के भीतर ही अपना ढेर वीर्य छोड़ दिया जो उसके गले में जाकर विलीन हो गया
समीर ्के लण्ड ने तुरन्त सिकुड़्ना प्रारम्भ कर दिया
और धीरे धीरेनीचे बैठ्ने लगा जो बहन की चिन्ताका विषय था उसके हाथों ने नीचे जाते हुए लण्ड को पकड
लिया और उसे थपथपाने लगी उसके हाथो के कमाल ने उसमें जान डाल दी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ - by neerathemall - 16-01-2019, 12:10 AM
Pahli bar bahan k sath picnic - by neerathemall - 14-02-2019, 03:18 AM
RE: Soni Didi Ke Sath Suhagraat - by neerathemall - 26-04-2019, 12:23 AM
didi in waterfall - by neerathemall - 04-06-2019, 01:34 PM
Meri Didi Ki Garam Jawani - by neerathemall - 29-01-2020, 11:22 AM



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