15-01-2019, 10:13 PM
केशव ने बेमन से उसे छोड़ दिया...और अंदर जाकर बैठ गया..कुछ ही देर मे काजल चाय लेकर आ गयी और दोनों चुस्कियाँ लेते हुए चाय पीने लगे...और बातें करने लगे.
काजल : "आज भी आ रहे हैं क्या वो दोनों ...रात को खेलने''
केशव : "वो तो कल भी जाना नही चाहते थे...मैने उन्हे दिन में ही फोन कर दिया था...वो ठीक 9 बजे आ जाएँगे..''
अभी 7:30 बज रहे थे..
काजल : "ओहो ....मुझे थोड़ा जल्दी करना होगा...खाना भी बनाना है..माँ को दवाई भी देनी है बाद मे...उन लोगो के आने से पहले माँ को सुला देना है...वरना उन्हे बेकार की परेशानी होगी.
केशव समझ गया की अभी कुछ नही हो सकता...अंदर किचन मे ही एक-दो किस्सेस ले लेनी चाहिए थी उसको...
चाय पीने के बाद काजल फटाफट काम पर लग गयी...खाना बनाकर उसने माँ को खिलाया और केशव को भी..और बाद मे खुद ऊपर कमरे में चली गयी .ये सब करते-करते 9 बज गये.
और ठीक 9 बजे उनके घर की बेल बजी...केशव ने जाकर दरवाजा खोला तो दोनो बाहर खड़े थे...उनके मुँह से शराब की भी महक आ रही थी..शायद शाम से ही दोनो पीने मे लगे थे..काजल के बारे मे सोच-सोचकर..
केशव ने उन्हे अंदर बिठाया और भागकर उपर गया, माँ सो चुकी थी और काजल अपना खाना खा रही थी.
केशव : "दीदी ...वो लोग आ गये हैं...आप जल्दी से चेंज करके नीचे आ जाओ..''
ये केशव का इशारा था की वो अपने वही वाले कपड़े पहन कर नीचे आ जाए, जिसमें वो जीत रही थी.
और फिर वो नीचे आकर बैठ गया और पत्ते बाँटने लगा..
वो पहली बार मे ही काजल को गेम खिलाकर उनके मन मे शक़ पैदा नही करना चाहता था.
जब पत्ते बंट गये और सभी की बूट के बाद 2-2 चाल भी आ गयी तो केशव ने सबसे पहले पत्ते उठा कर देख लिए..उसके पास सिर्फ़ एक इक्का था और दो छोटे पत्ते...उसने पेक कर दिया.
गणेश और बिल्लू खेलने लगे..
खेलते-2 गणेश बोला : "आज काजल नही खेलेगी क्या...?"
वो दोनो शायद काफ़ी देर से वो बात पूछना चाहते थे...केशव भी मन ही मन मे उनकी बात सुनकर हंस दिया..
केशव : "पता नही....मैने बोला तो था...पर शायद कल वो काफ़ी बार हार गयी थी...इसलिए मना कर रही थी...शायद आ भी जाए..''
बिल्लू : "अरे, ये तो खेल है...कोई ना कोई तो हारता रहता है...इसमे दिल छोटा करने वाली क्या बात है..''
केशव कुछ नही बोला और दोनो की गेम चलती रही...वो गेम बिल्लू जीता , उसके पास पेयर आया था.
जैसे ही बिल्लू ने पत्ते बाँटने शुरू किए, उन्हे काजल के नीचे उतरने की आवाज़ आई...सभी के सभी सीडियों की तरफ देखने लगे..बिल्लू भी पत्ते बाँटकर उसी तरफ देखने लगा.
और जैसे ही अपनी गेंदे उछालती हुई वो नीचे उतरी ,
उसके अलग ही अंदाज मे डांस करते हुए मुम्मे देखकर वो दोनो हरामी समझ गये की उसने अंदर कुछ नही पहना है...और सभी की तेज नज़रें टी शर्ट के पतले कपड़े के नीचे उसके निप्पल ढूँढने लगे..
वैसे ये बीमारी हर मर्द में होती है....जहाँ भी कोई मोटे मुम्मों वाली लड़की या आंटी देखी, घूर-घूरकर उसके निप्पल वाली जगह पर उभार ढूँढने की कोशिश करते हैं...
वो दोनो भी इस वक़्त यही काम कर रहे थे..और उन्हे एक ही बार मे सफलता भी मिल गयी, एक तो उसने अंदर ब्रा नही पहनी थी और उपर से उसके निप्पल आम लड़कियों के मुक़ाबले कुछ ज़्यादा ही मोटे थे...इसलिए नन्ही-2 चोंच सॉफ दिख रही थी.
काजल : "केशव ..मुझे खेलने दो ना...''
केशव हंसता हुआ उठ गया...और काजल को सामने देखकर दोनो के मुँह से पानी टपकने लगा..
केशव : "बिल्लू...अब काजल आ गयी है, इसलिए पत्ते दोबारा बाँटो...''
बिल्लू को कोई परेशानी नही थी, उसने ताश दोबारा फेंटी और फिर से पत्ते बाँटने लगा..
काजल : "आज भी आ रहे हैं क्या वो दोनों ...रात को खेलने''
केशव : "वो तो कल भी जाना नही चाहते थे...मैने उन्हे दिन में ही फोन कर दिया था...वो ठीक 9 बजे आ जाएँगे..''
अभी 7:30 बज रहे थे..
काजल : "ओहो ....मुझे थोड़ा जल्दी करना होगा...खाना भी बनाना है..माँ को दवाई भी देनी है बाद मे...उन लोगो के आने से पहले माँ को सुला देना है...वरना उन्हे बेकार की परेशानी होगी.
केशव समझ गया की अभी कुछ नही हो सकता...अंदर किचन मे ही एक-दो किस्सेस ले लेनी चाहिए थी उसको...
चाय पीने के बाद काजल फटाफट काम पर लग गयी...खाना बनाकर उसने माँ को खिलाया और केशव को भी..और बाद मे खुद ऊपर कमरे में चली गयी .ये सब करते-करते 9 बज गये.
और ठीक 9 बजे उनके घर की बेल बजी...केशव ने जाकर दरवाजा खोला तो दोनो बाहर खड़े थे...उनके मुँह से शराब की भी महक आ रही थी..शायद शाम से ही दोनो पीने मे लगे थे..काजल के बारे मे सोच-सोचकर..
केशव ने उन्हे अंदर बिठाया और भागकर उपर गया, माँ सो चुकी थी और काजल अपना खाना खा रही थी.
केशव : "दीदी ...वो लोग आ गये हैं...आप जल्दी से चेंज करके नीचे आ जाओ..''
ये केशव का इशारा था की वो अपने वही वाले कपड़े पहन कर नीचे आ जाए, जिसमें वो जीत रही थी.
और फिर वो नीचे आकर बैठ गया और पत्ते बाँटने लगा..
वो पहली बार मे ही काजल को गेम खिलाकर उनके मन मे शक़ पैदा नही करना चाहता था.
जब पत्ते बंट गये और सभी की बूट के बाद 2-2 चाल भी आ गयी तो केशव ने सबसे पहले पत्ते उठा कर देख लिए..उसके पास सिर्फ़ एक इक्का था और दो छोटे पत्ते...उसने पेक कर दिया.
गणेश और बिल्लू खेलने लगे..
खेलते-2 गणेश बोला : "आज काजल नही खेलेगी क्या...?"
वो दोनो शायद काफ़ी देर से वो बात पूछना चाहते थे...केशव भी मन ही मन मे उनकी बात सुनकर हंस दिया..
केशव : "पता नही....मैने बोला तो था...पर शायद कल वो काफ़ी बार हार गयी थी...इसलिए मना कर रही थी...शायद आ भी जाए..''
बिल्लू : "अरे, ये तो खेल है...कोई ना कोई तो हारता रहता है...इसमे दिल छोटा करने वाली क्या बात है..''
केशव कुछ नही बोला और दोनो की गेम चलती रही...वो गेम बिल्लू जीता , उसके पास पेयर आया था.
जैसे ही बिल्लू ने पत्ते बाँटने शुरू किए, उन्हे काजल के नीचे उतरने की आवाज़ आई...सभी के सभी सीडियों की तरफ देखने लगे..बिल्लू भी पत्ते बाँटकर उसी तरफ देखने लगा.
और जैसे ही अपनी गेंदे उछालती हुई वो नीचे उतरी ,
उसके अलग ही अंदाज मे डांस करते हुए मुम्मे देखकर वो दोनो हरामी समझ गये की उसने अंदर कुछ नही पहना है...और सभी की तेज नज़रें टी शर्ट के पतले कपड़े के नीचे उसके निप्पल ढूँढने लगे..
वैसे ये बीमारी हर मर्द में होती है....जहाँ भी कोई मोटे मुम्मों वाली लड़की या आंटी देखी, घूर-घूरकर उसके निप्पल वाली जगह पर उभार ढूँढने की कोशिश करते हैं...
वो दोनो भी इस वक़्त यही काम कर रहे थे..और उन्हे एक ही बार मे सफलता भी मिल गयी, एक तो उसने अंदर ब्रा नही पहनी थी और उपर से उसके निप्पल आम लड़कियों के मुक़ाबले कुछ ज़्यादा ही मोटे थे...इसलिए नन्ही-2 चोंच सॉफ दिख रही थी.
काजल : "केशव ..मुझे खेलने दो ना...''
केशव हंसता हुआ उठ गया...और काजल को सामने देखकर दोनो के मुँह से पानी टपकने लगा..
केशव : "बिल्लू...अब काजल आ गयी है, इसलिए पत्ते दोबारा बाँटो...''
बिल्लू को कोई परेशानी नही थी, उसने ताश दोबारा फेंटी और फिर से पत्ते बाँटने लगा..